TS 9th Class Hindi Guide 12th Lesson जागो ग्राहक जागो!

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 12th Lesson जागो ग्राहक जागो! Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 12th Lesson Questions and Answers Telangana जागो ग्राहक जागो!

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
ऊपर दिया गया विज्ञापन किसके बारे में है?
(పైన ఇవ్వబడిన ప్రకటన దేని గురించి?)
उत्तर :
यह विज्ञापन देश के नागरिकों को उनके अधिकार और उनका उपयोग करके सक्षम उपभोक्ता बनने के बारे है।

प्रश्न 2.
ग्राहकों को जागरूक करने के लिए विज्ञापन क्यों दिया जाता है ?
(వినియోగదారులను జాగరూకులను చేయుటకు ప్రకటన ఎందుకు ఇవ్వబడుతుంది?)
उत्तर :
ग्राहकों को हर विषय का सच्चा परिचय व समाचार प्राप्त करना है। तभी वे योग्य वस्तु या सेवा प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए उनको जागरूक करने के लिए विज्ञापन दिया जाता है।

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प्रश्न 3.
इस विज्ञापन से हमें क्या जानकारी मिलती है ?
(ఈ ప్రకటన ద్వారా మనకు ఎటువంటి సమాచారం లభిస్తుంది?)
उत्तर :
इस विज्ञापन से विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के बारे में जागरूक उपभोक्ता बनने के बारे में, सक्षम उपभोक्ता के बारे में, हमारे (उपभोक्ता) अधिकारों के बारे में, अपने क्षेत्र के उपभोक्ता फ़ोरम के पते के बारे में, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्प लाइन और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के बारे में हमें जानकारी मिलती है।

अर्थवाह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)

अ. प्रश्नों के उत्तर सोचकर लिखिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఆలోచించి రాయండి.)

प्रश्न 1.
क्रंय – विक्रय में उपभोक्ता का क्या महत्व है ?
(కొనుగోలు- అమ్మకంలో వినియోగదారుని విలువ ఏమిటి ?)
विक्रय में उपभोक्ता का
उत्तर :
किसी वस्तु या सेवाओं का उपभोग करनेवाला उपभोक्ता कहलाता है। क्रय महत्वपूर्ण स्थान रहता है। किसी भी चीज़ का निर्माण उपभोक्ता की भलाई और सुविधा ध्यान में रखकर किया जाता है। इससे संतुष्ट उपभोक्ता, उत्पादक की वस्तु खरीदने में श्रद्धा दिखाता है। इस तरह हम देखते हैं कि क्रय-विक्रय में उपभोक्ता ही प्रधान अंग होता है।

(ఏదేని వస్తువు లేదా సేవలను వినియోగించుకునే వ్యక్తి వినియోగదారుడు అని పిలువబడుతాడు. కొనుగోలు – అమ్మకంలో వినియోగదారుని స్థానం ప్రముఖమైనది. ఒక వస్తువు వినియోగదారుని మేలు, సౌకర్యాన్ని దృష్టిలో ఉంచుకొని తయారు చేయబడుతుంది. దీనితో సంతృప్తి చెందిన వినియోగదారుడు, ఉత్పాదకుని వస్తువును ఖరీదు చేయటానికి ఆసక్తి చూపిస్తాడు. ఈ విధముగ కొనుగోలు – అమ్మకంలో వినియోగదారుడే ముఖ్యుడు అని తెలుస్తున్నది.)

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं को जागरूक करने में आप क्या योगदान दे सकते हैं?
(వినియోగదారులను చైతన్యవంతులను చేయుటలో మీరు ఏ సహకారం ఇవ్వగలరు ?)
उत्तर :
उत्पादक, उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक चीज़ों का उत्पादन करते हैं। उन चीज़ों से मिलनेवाली सुविधाओं से उपभोक्ता संतुष्ट हो जाता है। ऐसे उपभोक्ताओं को जागरूक करना और उनके अधिकारों का परिचय कराना आवश्यक है। मैं तो वस्तु की सुरक्षा, समाचार, चुनने ली जानेवाली ज़रूरतें आदि का परिचय देकर उन्हें योग्य चीजें खरीदने और सेवाएँ प्राप्त करने का योगदान देता।

(ఉత్పాదకులు, వినియోగదారులకు అవసరమైన వస్తువులను తయారుచేస్తారు. ఆయా వస్తువుల వలన లభించే సౌకర్యములతో వినియోగదారుడు సంతృప్తి చెందుతాడు. అట్టి వినియోగదారులను చైతన్యవంతులను చేయుట, వారి అధికారముల పరిచయం కలిగించడం అవసరం. నేనైతే వస్తువు సంరక్షణ, సమాచారం, ఎన్నుకునేటప్పుడు తీసుకోవలసిన జాగ్రత్తలు మొ॥వాటిని తెలియచెప్తూ వారికి సరియైన వస్తువులు కొనుటకు, సేవలు పొందే సహకారం ఇవ్వగలను.)

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प्रश्न 3.
सरकार ग्राहकों की भलाई के लिए क्या करती है?
(ప్రభుత్వం వినియోగదారుల సంక్షేమం కోసం ఏమి చేయుచున్నది?)
उत्तर :
विनिमय क्षेत्र में ग्राहक का स्थान प्रमुख है। ग्राहक अपनी आवश्यकता के अनुरूप चीज़ों व सेवाओं का
चयन करके संतुष्ट होना चाहता है। ऐसी हालत में कुछ स्वार्थी उत्पादक और व्यापारी लोगों से ग्राहक को घाटा उठाना पडता है। इसलिए ग्राहक को सचेत करके उसके अधिकार और कर्तव्यों से परिचय कराना सरकार का महान उद्देश्य है। इसी आशय से भारत सरकार ग्राहकों की भलाई के लिए अनेक प्रभावशाली विषयों से ग्राहकों को जागरूक करना चाहती है।

किसी भी चीज़ को (उत्पादन को) खरीदते समय उसके बारे में संपूर्ण जानकारी लेनी है।
संतुष्ट होने के बाद आई. एस. आई. या अगमार्क वाली चीजें ही खरीदनी हैं।
किसी चीज़ या सेवा का चयन करने का पूरा अधिकार है।
खरीदते समय वस्तु या सेवा संबन्धी बिल ज़रूर लेना है।
खतरनाक या असुरक्षित वस्तु या सेवा का तिरस्कार करके सुरक्षित रहने का ग्राहक को पूरा अधिकार है।
वस्तु / सेवा से संतुष्ट न होने पर उपभोक्ता संघ में शिकायत करने का अधिकार है।
ऐसी शिकायतों की जाँच करवाकर ग्राहकों की भलाई करना ही सरकार का लक्ष्य है।

(వస్తు వినియోగంలో వినియోగదారుని స్థానం ప్రముఖమైనది. వినియోగదారుడు తన అవసరమునకు సరియైన వస్తువులను, సేవలను ఎంచుకొని సంతృప్తిపడాలని అనుకుంటాడు. అటువంటప్పుడు కొంత మంది స్వార్థపరులైన ఉత్పాదకులు, వ్యాపారులు వలన వినియోగదారునికి నష్టం కలుగుతుంది. ‘ఇందువలన వినియోగదారుని చైతన్యవంతుని చేసే అధికారాలు, కర్తవ్యములను తెలియచెప్పడం ప్రభుత్వ ముఖ్య ఆశయము. ఈ ఉద్దేశ్యంతోనే భారత ప్రభుత్వం వినియోగదారుని మేలు కొరకు అనేక గొప్ప విషయములను తెలిపి చైతన్యవంతుని చేయకోరుచున్నది. అవి

ఏదేని వస్తువును ఖరీదు చేసేటప్పుడు దాని గురించి సంపూర్ణ పరిచయం పొందాలి.
సంతుష్టులైన తరువాత ఐ.ఎస్.ఐ / అగ్ మార్క్ ఉన్న వస్తువులనే కొనాలి.
ఏదేని వస్తువును, సేవను ఎన్నుకునే పూర్తి అధికారం ఉన్నది.
ఖరీదు చేసేటప్పుడు వస్తువు / సేవకు సంబంధించిన బిల్లు తప్పక తీసుకోవాలి.
అపాయకరమైన, సురక్షితం కాని వస్తువును/ సేవను తిరస్కరించి సురక్షితంగా ఉండేందుకు వినియోగదారునికి పూర్తి అధికారం ఉన్నది.
వస్తువు / సేవలచే సంతృప్తి కలుగకపోతే వినియోగదారుల ఫోరంలో ఫిర్యాదు చేసే అధికారము ఉన్నది. * అటువంటి ఫిర్యాదులను విచారణ చేయించి వినియోగదారులకు మేలు చేయటయే ప్రభుత్వ లక్ష్యం.)

आ. इन प्रश्नों के लिए दादाजी ने क्या उत्तर दिये हैं, उन्हें ढूंढकर लिखिए।
(ఈ ప్రశ్నలకు తాతగారు ఏ జవాబులు ఇచ్చారు, వాటిని వెతికి వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
क्यों दादाजी, बिना प्रमाण के शिकायत दर्ज नहीं होगी ?
(ఏం తాతగారు, నిరూపణ లేకుండా ఫిర్యాదు నమోదు కాబడదా?)
उत्तर :
नहीं होगी, क्योंकि सामान खरीदते या सेवा प्राप्त करते समय रसीद या बिल बना लेना ज़रूरी है। यही हमारा एक मात्र आधार है। इस कारण बिना प्रमाण के कोई शिकायत दर्ज नहीं होगी।

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प्रश्न 2.
दादाजी, उपभोक्ता कौन होते हैं?
(తాతగారు వినియోదారులు అంటే ఎవరు? )
उत्तर :
किसी वस्तु या सेवाओं का उपभोग करने वाले उपभोक्ता होते हैं।

प्रश्न 3.
अख़बार के साथ यह पीला कागज़ क्यों आया है?
(వార్తాపత్రికతో ఈ పసుపు రంగు కాగితం ఎలా వచ్చింది ?)
उत्तर :
मार्च 15 उपभोक्ता दिवस है। जिला प्रशासन के द्वारा छापे गये पीले कागज़ में उपभोक्ताओं के लिए
संदेश है। यह दैनिक अखबार के साथ आया है।

प्रश्न 4.
तो फिर जिला प्रशासन हमें सावधान क्यों कर रहा है?
(అయితే జిల్లా పరిపాలనా విభాగము మనల్ని ఎందుకు చైతన్య (జాగరూకులను) వంతులను చేస్తూ ఉన్నది?)
उत्तर :
जिला प्रशासन उपभोक्ताओं को सचेत करना चाहता है। इसलिए कि वे सामान खरीदते समय सावधानी रखें।

इ. पाठ में बच्चों द्वारा पूछे गये प्रश्न लिखिए।
(పాఠంలో పిల్లల ద్వారా అడగబడిన ప్రశ్నలు వ్రాయండి.)
जैसे – साहिती दादाजी, शिकायत करने से क्या होता है ?
ఉదా: సాహితి: తాతగారు ఫిర్యాదు చేయడం వలన ఏమి అవుతుంది ?)
उत्तर :
पाठ में बच्चों ने अपने दादाजी से नीचे दिये प्रश्न पूछे। वे हैं –
1. साहिती : दादाजी ! दादाजी! आज अखबार के साथ यह पीला कागज़ क्यों आया है?
2. साहिती : दादाजी, ये उपभोक्ता कौन हैं ?
3. साहिती : जिला प्रशासन हमें सावधान क्यों कर रहा है ?
4. साहिती : दादाजी, शिकायत करने से क्या होता है ?
5. गौतम : शिकायत दर्ज कराने के लिए क्या करना होगा ?
6. साहिती : क्यों दादाजी, बिना प्रमाण के शिकायत दर्ज नहीं होगी ?

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ई. अनुच्छेद पढ़िए। इसके आधार पर तीन प्रश्न बनाइए।
(పేరా చదవండి, దీని ఆధారంగా మూడు ప్రశ్నలు తయారు చేయండి.)
भूकंप के विषय में शिक्षित करने की अधिक आवश्यकता है ताकि लोग जान सकें कि आपात स्थिति में क्या करना चाहिए। भूकंप के समय शीशे की खिड़कियों, दरवाज़ों, अलमारियों तथा आइनों से दूर रहना चाहिए तथा गिरने वाली चीज़ों से बचने के लिए आपको मेज़ के नीचे अथवा मज़बूत चारपाई के नीचे चले जाना चाहिए। खुली जगह में जाने की कोशिश में आप दरवाज़ों अथवा सीढ़ियों की ओर दौड़ेंगे तो पाएंगे कि वे या तो टूट चुके हैं अथवा टूटकर गिरी हुई चीज़ों से अवरुद्ध हो चुके हैं। आपके सभी विद्युत उपकरण तथा खाना बनाने की गैस के सिलेंडर बंद होना बिलकुल अनिवार्य है। उदाहरण के लिए जापान और कैलिफ़ोर्निया में भूकंप-ड्रिल, रोज़मर्रा की ज़िदगी का हिस्सा होती है। बच्चे अपनी चारपाई के समीप टॉर्च और मज़बूत जूते रखने की आदत डाल लेते हैं ताकि रात के समय भूकंप आने पर वे सुरक्षित जगह पर पहुँच सकें।
उत्तर :
प्रश्न (ప్రశ్నలు):
1. भूकंप के विषय में लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता क्यों है?
(భూకంప విషయంలో ఎందుకు ప్రజలను జాగరూకులను చేసెడి అవసరం ఉన్నది?)
2. भूकंप के समय हमें क्या करना चाहिए ?
(భూకంప సమయంలో మనము ఏమి చెయ్యాలి?)
3. जापान और कैलिफ़ोर्निया में भूंकप – ड्रिल होता है। इससे क्या लाभ है ?
(జపాన్, కాలిఫోర్నియాలో భూకంప డ్రిల్లు జరుగుతుంది, దీనివల్ల లాభం ఏమిటి?)

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
किसी भी सामान को खरीदते समय रसीद या बिल लेना क्यों आवश्यक है?
(ఏదైనా వస్తువును కొనేటప్పుడు (ఖరీదు చేసేటప్పుడు) రసీదు లేదా బిల్లును తీసుకొనవలసిన అవసరం ఏమిటి?
(ఎందుకు తీసుకొనవలెను?))
उत्तर :
किसी भी सामान को खरीदते समय रसीद या बिल लेना निम्न लिखित इन कारणों से आवश्यक हैं। जैसे-

सामान बेचने वाले कई बार घटिया सामान दे देते हैं।
इससे बचने के लिए बिल या रसीद लेना आवश्यक है।
नकिली सामान से बचने के लिए भी बिल या रसीद लेना आवश्यक है।
कुछ लोग अधिक धन कमाने के लालच में सामान में मिलावट करते हैं। वस्तु पर छपी कीमत से ज़्यादा मूल्य ले लेते हैं।
इनसे बचने के लिए रसीद या बिल लेना आवश्यक है।
कुछ व्यापारी तो कम तोलते हैं।
इनसे भी बचे रहने के लिए बिल या रसीद लेना चाहिए।
उपर्युक्त सभी कारणों से हमें “उपभोक्ता मंच में शिकायत करने के लिए बिल या रसीद की आवश्यकता होती है। बिल या रसीद लेना हर एक जागरूक उपभोक्ता का अधिकार भी है।

(ఏదైనా ఒక వస్తువును కొనుగోలు చేసేటప్పుడు రసీదు లేదా బిల్లు తీసుకొనడము అనునది ఈ క్రింద పేర్కొనిన కారణముల వలన అవసరం.
వస్తువులు అమ్మువారు చాలా సందర్భాలలో చెడిపోయిన వస్తువులను అమ్మెదరు (ఇచ్చెదరు).
మనం దీని నుండి రక్షణ పొందుటకు బిల్లు లేదా రసీదు తీసుకొనుట అవసరం.
నకిలీ వస్తువుల నుండి రక్షణ పొందుటకు బిల్లు లేదా రసీదు తీసుకొనుట అవసరం.
కొందరు అధిక ధనమును సంపాదించు దురాశతో వస్తువులను కల్తీ చేస్తారు. వస్తువులపైన ముద్రించిన విలువ కంటే ఎక్కువ ధరకు అమ్మెదరు.
దీని నుండి కూడా మనం రక్షణ పొందుటకు బిల్లు లేదా రసీదు తీసుకొనుట అవసరం.
కొంతమంది వ్యాపారులు తూకం తక్కువ తూచెదరు. దీని నుండి కూడా మనం రక్షణ పొందుటకు బిల్లు (రసీదు) తీసుకొనుట అవసరం.
పైన పేర్కొనిన అన్ని కారణముల రీత్యా మనం ‘వినియోగదారుల సంఘం’ లో ఫిర్యాదు చేయుటకు కూడా వస్తువును కొన్న బిల్లు (రసీదు) పొందడం అవసరం. రసీదు లేదా బిల్లు ప్రతి జాగరూక వినియోగదారుని యొక్క హక్కు కూడా.)

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प्रश्न 2.
बच्चों के पूछे गये प्रश्नों में आपको सबसे अच्छा प्रश्न कौन सा लगा और क्यों ?
(పిల్లలచే అడగబడిన ప్రశ్నలలో మీకు అన్నిటికంటే ప్రశ్న బాగున్నదని అనిపించింది. ఎందుకు ?)
उत्तर :
बच्चों ने अपने दादाजी से अनेक प्रश्न पूछकर उपभोक्ता और चीज़ों को खरीदने में ली जानेवाली सावधानियाँ, क्षतिपूर्ति के समय याद रखनेवाली बातें आदि कई विषय जान लिये। इस दौरान उन्होंने दादाजी से जो प्रश्न किये उनमें मुझे शिकायत दर्ज कराने क्या करना होता है? प्रश्न अच्छा लगा। इसके उत्तर में दादाजी ने जो विवरण (समाचार) दिया, वह बहुत मूल्यवान है। क्योंकि कभी ऐसी स्थिति आती तो व्यवहार कैसे सुलझाना है? मालूम होता है। उसके अनुसार शिकायत कराने क्या क्या निरूपण हमारे पास होना है ? किन किन विभागों में करना है? किस तरह करना है ? आदि विषयों का परिचय सविस्तार मिला है।

आ. “उपभोक्ता दिवस” के बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिए।
(“వినియోగదారుల దినోత్సవం” గురించి మీకు ఏమి తెలియును? రాయండి.)
उत्तर :
हमारे भारत देश में 24 दिसंबर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सन् 1986 में इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधायक पारित हुआ था। इसके बाद इस अधिनियम में 1991 तथा 1993 में संशोधन किये गये। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक कार्यरत और प्रयोजन पूर्ण बनाने के लिए दिसंबर 2002 में एक व्यापक संशोधन लाया गया और 15 मार्च, 2003 से लागू किया गया। परिणाम स्वरूप उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया और मार्च 2005 को अधिसूचित किया गया था।

भारत सरकार ने 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है। क्योंकि भारत के राष्ट्रपति महोदय ने इसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अधिनियम को स्वीकारा था। इसके अतिरिक्त 15 मार्च को प्रत्येक वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय ग्राहक आंदोलन के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। भारत देश में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया। और आगे भी प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। सचमुच यह दिवस याद रखने योग्य है।

(మన భారతదేశములో డిసెంబరు 24 జాతీయ వినియోగదారుల దినోత్సవంగా జరుపుకొనబడుతున్నది. క్రీ.శ 1986లో ఈ రోజునే వినియోగదారుల సంరక్షణ చట్టపు బిల్లు ఆమోదించబడినది. దీని తర్వాత ఈ బిల్లులో 1991, 1993 లో సవరణలు చేయబడ్డాయి. వినియోగదారుల సంరక్షణా బిల్లును సమర్థవంతంగా చేసి, ఉపయోగకరముగా చేయుటకు డిసెంబరు 2002లో ఒక గొప్ప సవరణ తీసుకురాబడినది. మరియు మార్చి15, 2003 నుండి అమల్లోకి తీసుకురావటం జరిగింది. ఫలితంగా వినియోగదారుల సంరక్షణ చట్టం 1987లో మరల సంస్కరించబడి మార్చి 2005న చట్టబద్దం చేయబడినది.

భారత ప్రభుత్వము 24 డిసెంబరును జాతీయ వినియోగదారుల దినోత్సవంగా ప్రకటించింది. ఎందుకంటే గౌరవనీయులు భారత రాష్ట్రపతి ఇదే రోజు చారిత్రాత్మక వినియోగదారుల సంరక్షణా బిల్లు 1986 న ఆమోదించారు. ఇదియేకాక మార్చి 15 ప్రతి సం|| ప్రపంచ వినియోగదారుల అధికార దినోత్సవముగా జరుపుకొనబడుచున్నది. ఈరోజు భారత వినియోగదారుల ఉద్యమ చరిత్రలో సువర్ణాక్షరములతో వ్రాయబడినది. భారతదేశములో ఈ · దినోత్సవం మొదటిసారి 2000సం||లో జరుపుకొనబడినది. భవిష్యత్తులో కూడా ప్రతి సం॥రము జరుపు కొనబడుతుంది. నిజంగా ఈరోజు గుర్తుంచుకోదగినది.)

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इ. ग्राहकों को जागरूक करने के कुछ नारे बनाइए।
(వినియోగదారులను చైతన్యపరిచెడి కొన్ని నినాదాలు తయారు చెయ్యండి.)
उत्तर :
वस्तु विनिमय में ग्राहकों का महत्वपूर्ण स्थान है। विनिमय अथवा सेवाएँ पानेवाली चीज़ों के प्रति ग्राहकों को जागरूक होना चाहिए। सरकार इस प्रभावशाली विषय की ओर ध्यान आकर्षित करने का भरसक
प्रयत्न करती है। सही और अच्छी चीज़ों को पाना हर ग्राहक का प्रधान अधिकार है।
ऐसे महत्त्वपूर्ण ग्राहकों को जागरूक करने के कुछ नारे ये हैं।

  1. सावधानी बरतिए – सही चीज़ पहचानिए
  2. सही चीज़ की खरीदारी – होगी जीवन सुखकारी
  3. जागो ग्राहक जागो – अपने अधिकारों को पहचानो
  4. जागरूक उपभोक्ता – जीवन में सच्चा सुख पाता है
  5. समझो अपने अधिकार – वे ही जीवन के सच्चे आधार

(వస్తు వినిమయములో వినియోగదారుల పాత్ర ముఖ్యమైనది. వినియోగము, సేవలు పొందే వస్తువుల గురించి వినియోగదారులు చైతన్యవంతులు కావాలి. ప్రభుత్వము ఈ ముఖ్యమైన విషయము వైపు శ్రద్ధ చూపించెడి గొప్ప ప్రయత్నం చేయుచున్నది. అసలైన, మంచి వస్తువులను పొందటం, వినియోగదారుని ముఖ్య అధికారము. అట్టి విలువైన వినియోగదారులను చైతన్యవంతులుగా చేయుటకు కొన్ని నినాదాలు ఇవి.

1. జాగ్రత్త వహించండి – అసలైన వస్తువును కనుగొనండి
2. అసలైన వస్తువు కొనుగోలు – అవుతుంది జీవితం సుఖమయం
3. మేలుకో వినియోగదారుడా మేలుకో – నీ అధికారాలను తెలుసుకో
4. జాగరూకుడైన వినియోగదారుడు – జీవితంలో అసలైన సుఖం పొందగలడు.
5. తెలుసుకో నీ అధికారాలు – అవే జీవితపు అసలైన ఆధారాలు

ई. सरकार द्वारा दी जानेवाली सुविधाएँ हमारे लिए किस प्रकार लाभकारी हैं? बताइए।
(ప్రభుత్వం ద్వారా కల్పించబడుతున్న సౌకర్యాలు మనకు ఏ విధంగా లాభకారి? తెలపండి.)
उत्तर :
सरकार हमें विद्युत विभाग से बिजली की सुविधा, जल विभाग से जल की सुविधा, दूर संचार विभाग से टेलिफोन की सुविधाओं से हमें लाभान्वित कर रही है।
उपभोक्ता मंचों की स्थापना करके हमारी शिकायतें ले रही है।
सरकार विक्रेता से उपभोक्ता को हुई हानि पूरी करवाती है।
सरकार द्वारा घटिया सामान बदला भी जा सकता है।
सरकार राशिमय ब्याज को भी लौटाती है।
वस्तुओं पर सरकार द्वारा आई. एस. आई या एग मार्क प्रमाणित किये जाते हैं।
ये चिह्न सरकार द्वारा जाँची परखी वस्तुओं पर ही अंकित किये जाते हैं।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा उपभोक्ताओं को सचेत किया जाता है।
इन सबके द्वारा हम बहुत लाभान्वित हो रहे हैं।
इस प्रकार सरकार द्वारा दी जानेवाली सुविधाएँ हमारे लिए लाभकारी हैं।

ప్రభుత్వం మనకు విద్యుత్ విభాగం నుండి విద్యుత్ సౌకర్యాన్ని, జల విభాగం నుండి నీటి సౌకర్యాలను, దూర సంచార విభాగం నుండి టెలిఫోన్ సౌకర్యాలను కల్పించుచున్నది. వీటిద్వారా మనం లాభాన్ని పొందుచున్నాము (వినియోగించుకుని).
ప్రభుత్వం వినియోగదారుల సంఘాలను ఏర్పరచి మన ఫిర్యాదులను స్వీకరించుచున్నది.
వ్యాపారస్థుల ద్వారా వినియోగదారులకు జరిగిన నష్టాలను పూరించేలా ప్రభుత్వం చర్యలు తీసుకుంటుంది.
ప్రభుత్వం వినియోగదారులకు వ్యాపారస్థుల నుండి చెడిపోయిన వస్తువుల స్థానంలో మంచి వస్తువులను పొందే ఏర్పాట్లు చేస్తుంది.
వినియోగదారులకు వ్యాజ్యంలో అయిన ఖర్చులను సైతం వ్యాపార, వాణిజ్యవేత్తల నుండి తిరిగి చెల్లింపజేస్తుంది.
ప్రభుత్వం ద్వారా వినియోగ వస్తువులపై ఐ.ఎస్.ఐ మరియు ఆగ్మార్క్లను ముద్రింపచేస్తుంది.
ఈ ముద్రలు ప్రభుత్వం ద్వారా ప్రామాణికీకరించిన వస్తువులపైనే ముద్రించబడి యుండును.)

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. नीचे दी गयी संख्याएँ पढ़िए। दैनिक जीवन में इन संख्याओं का इस्तेमाल कैसे करते हैं?

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उत्तर:
हमारे मानव जीवन में संख्याओं का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारा हर काम इनके उपयोग से ही होता है। दैनिक जीवन में आवश्यक चीज़ खरीदने, पायी सेवा का मूल्य अदा करने, हिसाबों में, पैसे देने, इस तरह हर काम में इन संख्याओं को इस्तेमाल करते हैं।

आ. 1.इन शब्दों पर ध्यान दीजिए। हिंसा अहिंसा, चेत – सचेत, रक्षा – सुरक्षा, उपस्थित – अनुपस्थित इस तरह किसी मूल शब्द के पूर्व में कोई शब्दांश जुड़कर मूल शब्द के अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाता है तो उसे उपसर्ग कहते हैं। अहिंसा में अ, सचेत में स, सुरक्षा में सु, अनुपस्थित में अन् उपसर्ग हैं। अब नीचे दिये गये शब्दों को समझकर उपसर्ग पहचानिए।
अपमान लापरवाह परदेश विदेश
उत्तर:
अप, ला, पर, वि।

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2. इन शब्दों पर ध्यान दीजिए।
स्वतंत्र – स्वतंत्रता, भारत – भारतीय, इतिहास – ऐतिहासिक, ईमान – ईमानदार, दूध – दूधवाला, साहस – साहसी
इस तरह मूल शब्द के अंत में कोई शब्दांश या वर्ण जुड़कर परिवर्तन लाता है तो उसे प्रत्यय कहते हैं। स्वतंत्रता में ता, भारतीय में ईय, ऐतिहासिक में इक, ईमानदार में दार, दूधवाला में वाला, साहसी में ई प्रत्यय हैं। अब नीचे दिये गये शब्दों को समझकर प्रत्यय पहचानिए।
धनी सामाजिक मानवता प्रशंसनीय
उत्तर:
ई, इक, ता, ईय।

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

जल संरक्षण के उपाय के विषय में दिये जाने वाले विज्ञापनों का संग्रह कीजिए।
(జల సంరక్షణ ఉపాయముల విషయములో ఇవ్వబడే ప్రకటనలు సేకరించండి.)
उत्तर :
भूमि पर रहनेवाले प्राणि मात्र के लिए जल अत्यंत आवश्यक है। ऐसे मूल्यवान पानी का संरक्षण करके
धरती को सदा समृद्ध रखना हर मानव का प्रमुख कर्तव्य है। इस बृहत कार्य के लिए दिये जानेवाले
विज्ञापन कुछ इस प्रकार हैं।

  1. समझदार बनो – जल संरक्षण करो।
  2. जल संरक्षण करो – मानवता की प्रतिमूर्ति बनो।
  3. जल अमूल्य धन है – इसका सदुपयोग ही मानव धर्म है।
  4. जल की बचत करेंगे – अवनि को भरपूर रखेंगे।
  5. जल का मूल्य जान लो – प्राणिमात्र की सेवा करो।

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
वस्तु की गुणवत्ता में सरकारी प्रामाणिक चिह्न का क्या महत्व होता है ?
(వస్తువు యొక్క నాణ్యతలో ప్రభుత్వ ప్రామాణిక గుర్తు ప్రత్యేకత ఏముంటుంది?)
उत्तर :
उत्पादक तो वस्तुओं को प्रामाणिक तथ्यों के भरोसे पर ही बनाते हैं। फिर भी निर्दिष्ट परीक्षण करके उन वस्तुओं पर भारत में आई. एस. आई, अगमार्क जैसे चिह्न अंकित करते हैं। इन चिह्नों को लगाने का अर्थ यह है कि सरकार द्वारा स्थापित प्रीक्षण विभागवालों से ये चीजें विनिमय में लाने की अनुमति प्राप्त कर चुकी हैं। इससे ग्राहकों को सही मूल्य निर्धारित और नष्ट न मिलनेवाली चीजें मिल सकती हैं। ये चिह्न तो कड़ी जाँच पडताल के बाद ही लगाये जाते हैं। इसलिए प्रामाणिक चिह्न अंकित चीजें खरीद सकते हैं और यही योग्य तथा संतुष्ट कारक है।

(ఉత్పాదకులు (తయారు చేయువారు) వస్తువులను ప్రామాణిక విషయముల ఆధారంగానే తయారుచేస్తారు. అయినప్పటికీ నిర్దిష్టమైన పరీక్షలు చేసి ఆ వస్తువులపై భారత్లో ఐ.ఎస్.ఐ., అగ్ మార్క్ వంటి గుర్తులు ముద్రిస్తారు. ఈ గుర్తులు వేయడం అంటే ప్రభుత్వం ద్వారా స్థాపించబడిన పరీక్షించి, నిర్ధారించే విభాగము వారిచే ఈ వస్తువులు వినియోగములోనికి వచ్చెడి అనుమతిని పొందినవి అని అర్ధము. దీని వలన వినియోగదారులకు సరియైన మూల్య నిర్ధారణ జరిగి, నష్టము వాటిల్లని వస్తువులు లభిస్తాయి. ఈ గుర్తులు కఠిన పరీక్షల తరువాతనే ముద్రితమవుతాయి. ఇందువలన ప్రామాణిక గుర్తులు ఉన్న వస్తువులు కొనగలము. ఇదే తగినది, సంతృప్తి కారకం.)

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प्रश्न-II

प्रश्न 1.
‘जागो ग्राहक जागो।’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(“మేలుకో వినియోగదారుడా మేలుకో!” పాఠ సారాంశాన్ని స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
“जागो ग्राहक जागो,” सचमुच एक प्रभावशाली पाठ है। इसके द्वारा सच्चे उपभोक्ता के कर्तव्य और अधिकारों का सविस्तार परिचय मिलता है। 15 मार्च उपभोक्ता दिन है। जिला प्रशासन ने उपभोक्ताओं को सामान खरीदते समय सावधानी दिखाने का संदेश देते एक पीला कागज़ छपवाकर अख़बार के साथ भेजा है। इसे देखकर साहिती और गौतम ने अपने दादाजी से पीले परछे के बारे में पूछ लिया। इस पर दादाजी ने उनको समझाते बताया कि किसी वस्तु या सेवा का उपभोग करनेवाला उपभोक्ता कहलाता है। जिस तरह बिजली, टेलिफ़ोन आदि की सुविधाएँ प्राप्त करके हम बिल की राशि जमा करते हैं। जिस तरह बाज़ार से लाये सामान का उपभोग करने के कारण हम सामान के उपभोक्ता हुए।

साहिती ने पूछा कि ज़िला प्रशासन हमें क्यों सावधान कर रहा है? इसका उत्तर दादाजी ने यों दिया- कुछ स्वार्थी लोग ज़्यादा कमाने की लालच से सामान में मिलावट करते हैं। नकली सामान बनाकर बेचते हैं। कभी दुकानदार भी वस्तु पर छपी क़ीमत से अधिक मूल्य ले लेते हैं। कम तोलते हैं। इससे उपभोक्ताओं की हानि हो जाती है।

यह सुनकर गौतम ने प्रश्न किया कि ऐसा करनेवालों के साथ क्या करना चाहिए? तब दादाजी ने कहा कि ऐसा करनेवालों पर हमें उपभोक्ता मंच में शिकायत लिखवानी है। तब प्रशासन विभाग विक्रेता या उत्पादक से उपभोक्ता को हुयी क्षति की पूर्ति करा सकता है या सामान बदला सकता है, अथवा ब्याज सहित रकम लौटा सकता है।

‘इसके बाद गौतम ने पूछा कि दादाजी शिकायत करने के लिए क्या करना है? दादाजी ने इसका सही रास्ता दिखाते कहा “पहले संबन्धित विभाग में उपभोक्ता को शिकायत लिखवानी है। शिकायत के साथ उस वस्तु का बिल अथवा प्रमाण पत्र लगाना ज़रूरी है।

साहिती ने पूछ लिया कि बिना प्रमाण के शिकायत दर्ज नहीं होगी? दादाजी ने समझाते कहा कि जागरूक उपभोक्ता को सामान खरीदते या सेवा प्राप्त करते समय रसीद या बिल ज़रूर लेना है। वस्तुओं के पैकेटों पर छपा विवरण पढ लेना है। सरकार द्वारा स्वीकृत आइ.एस.आइ अथवा अगमार्क अंकित वस्तुओं को ही चुनना है।

अंत में बच्चों को जागरूक बनने की सलाह देते दादाजी ने कहा सुरक्षा, सूचना, वस्तु का चयन, सुविधा के न मिलने पर सुनवाई, श्रति पूर्ति अधिकारों के लिए जागरूक शिक्षित होना हर उपभोक्ता का कर्तव्य एवं अधिकार है। अच्छी वस्तु, उचित दाम, उपभोक्ता संरक्षण का पैगाम।

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प्रश्न 2.
जल संरक्षण के बारे में एक विज्ञापन बनाइए।
(జల సంరక్షణ గురించి ఒక ప్రకటన తయారు చేయండి.)
उत्तर :
जल प्राणि कोटि का जीवनाधार है। आज इसके दुरुपयोग से जल की तंगी हर जगह नज़र आती है।
ऐसे महत्वपूर्ण जल संरक्षण करना हम सब नागरिकों का प्रमुख कर्तव्य है।
जल संरक्षण करना हम सब मानवों का आवश्यक विषय बन गया है। इसके लिए हमें कुछ इरादें करनें हैं। वे हैं –

जल का उपयोग करते समय परिवार की ज़रूरतों को ध्यान में रखना है।
जल के भंडारण के लिए छतों पर टैंक लगवायें।
भूमिगत जल का प्रयोग कम से कम करना है।
फ़ैक्टरियों से निकलनेवाले हानिकारक पदार्थों से युक्त पानी को नदी व पानी के स्त्रोतों में न मिलने
पेय जल बनाने साधारण जल को स्वच्छ बनाना
पोटाशियम पर्मांगनेट डालकर कुओं के पानी का इस्तेमाल करना
जल स्त्रोतों का सही ढंग से इस्तेमाल करना
वर्षा का पानी जमा करने घरों के आस-पास छोटी-छोटी खाइयाँ खोदकर पानी की बचत करना
व्यर्थ ही सागरों में मिलनेवाले पानी को रोकने बाँधों का निर्माण करना
खेती के लिए उपयोगी पानी के नालों की मरम्मत करवाकर पानी का दुरुपयोग होने से बचाना
आधुनिक विज्ञान से बने उपकरणों का इस्तेमाल अवश्य करना
ये ही जल संरक्षण के कुछ मुख्य आशय
लोग जल संरक्षण करें, अपने जीवन सुखी बनायें

(నీరు ప్రాణికోటికి జీవనాధారము. దీనిని దుర్వినియోగం చేయడం వలన నీటి ఎద్దడి (లోటు) ప్రతీ చోటా కనిపిస్తున్నది. అటువంటి విలువైన నీటిని సంరక్షించుట మన పౌరులందరి ముఖ్య కర్తవ్యము.
నీటి సంరక్షణ చేయడం మన మానవులందరికి అవసరమైన విషయం. ఇందుకు మనం కొన్ని నిర్ణయాలు తీసుకోవాలి.

నీటిని ఉపయోగించేటప్పుడు కుటుంబ అవసరాలను దృష్టిలో ఉంచుకోవాలి.
నీటిని నిలువ పెట్టుటకు ఇంటి పైకప్పుల మీద ట్యాంకులు కట్టించాలి.
భూమి మీద లభించే నీటిని తక్కువగా ఉపయోగించాలి.
కర్మాగారముల నుండి వెలువడే హానికర పదార్ధములతో కూడిన నీటిని నదులలో కలువనీయకూడదు.
త్రాగునీటి కోసం, సామాన్యమైన నీటిని స్వచ్చపరచుకోవడం.
పొటాషియం పర్మాంగనేట్ వేసి (కలిపి) బావులలోని నీటిని ఉపయోగించడం.
జల వనరులను సరియగు పద్ధతిలో ఉపయోగించడం.
వర్షపు నీటిని నిల్వ చేయడానికి ఇంటి చుట్టు ప్రక్కల చిన్న చిన్న గోతులు త్రవ్వి నీటిని సేకరించాలి.
వ్యర్థంగా సముద్రాలలో కలుస్తున్న నీటిని ఆపేందుకు ఆనకట్టలు నిర్మించడం.
వ్యవసాయానికి ఉపయోగపడే నీటి కాలువలను మరమ్మత్తు చేయించి నీటిని వ్యర్ధం కాకుండా కాపాడాలి.
ఆధునిక విజ్ఞానంతో తయారైన పనిముట్లను ఉపయోగించడం అవసరం.
ఇవి జల సంరక్షణకు సంబంధించిన కొన్ని ఆశయాలు ప్రజలు జల సంరక్షణ చేసి, తమ జీవితాన్ని సుఖమయం చేసుకోవాలి.)

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अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अपठित गद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. यमुना के तट पर खड़ा लालकिला एक ऐतिहासिक किला है। इसकी जीवन कथा बडी रोचक है। मुगल बादशाह शाहजहाँ ने आगरे की गर्मी से ऊबकर एक गर्म जगह खोजने का हुकुम दिया। तदनुसार दिल्ली शहर के बाहर यमुना के किनारे एक स्थान चुना गया। वह नूरगढ नाम से प्रसिद्ध था और वहाँ मुगल सेना का जमाव होता था। वहीं 12 मई, 1639 ई. को लालकिले की नींव डाली गयी। इसके निर्माण के लिए देश के कुशल कारीगरों और सिल्पियों को बुलाया गया और लाल पत्थर तथा संगमरमर दूर दूर से लाये गये ।

प्रश्न :
1. लालकिला कहाँ है ?
2. लालकिले को किसने बनवाया ?
3. वह किस नाम से प्रसिद्ध है ?
4. लालकिला नींव कब हुई ?
5. लालकिला किस पत्थर से बनाया गया ?
उत्तर :
1. लाल किला दिल्ली शहर के बाहर यमुना नदी के तट पर है।
2. लाल किले को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने बनवाया।
3. यह नूरगढ़ नाम से प्रसिद्ध है।
4. लाल किला की नींव 12 मई, 1639 ई को हुई।
5. लाल किला लाल पत्थर और संगमरमर से बनाया गया।

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II. सरदार सुजानसिंह देवगढ रियासत के दीवान थे। राजा भी अपने इस नीतिकुशल दीवान का आदर करते थे। चालीस वर्ष तक सेवा करने के बाद एक दिन सुजानसिंह ने राजा के पास आकर प्रार्थना की- मुझे सेवानिवृत्ति देने की कृपा करें। यह सुनकर राजा ने नये दीवान चुनने का भार सुजानसिंह को ही सौंप दिया।

प्रश्न :
1. सुजान सिंह कौन थे ?
2. सुजानसिंह ने कितने वर्ष तक सेवा की ?
3. मुझे सेवा निवृत्ति देने की बात किसने कही ?
4. नये दीवान चुनने का भार सुजानसिंह को किसने सौंपा ?
5. सुजानसिंह किस रियासत के दीवान थे ?
उत्तर :
1. सुजान सिंह देवगढ़ रियासत के दीवान थे।
2. सुजान सिंह ने चालीस वर्ष तक सेवा की।
3. सेवा निवृत्ति देने की बात दीवान सुजान सिंह ने की।
4. नये दीवान चुनने का भार सुजान सिंह को राजा ने सौंपा।
5. सुजानसिंह देवगढ़ रियासत के दीवान थे।

III. प्रथम पृष्ठ पर मुख्य- मुख्य समाचार होते हैं। व्यापार और खेलकूद के समाचार दूसरे तीसरे पृष्ठों पर दिये जाते हैं। साथ ही व्यंग्य चित्र और विज्ञापनों के चित्र भी होते हैं, जिससे समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है। प्रायः सभी समाचार पत्रों में बच्चों का भी पृष्ठ होता है, जिसमें मनोरंजक कहानियाँ, कविताएँ तथा चुटकुले आदि होते हैं। बच्चों के लिए समाचार भी दिये जाते हैं। कभी कभी बच्चों के चित्रों के साथ उनके द्वारा लिखी गयी रचनाएँ भी छापी जाती हैं।

प्रश्न :
1. मुख्य मुख्य समाचार किस पृष्ठ पर होते हैं ?
2. दूसरे तीसरे पृष्ठों पर किनके बारे में समाचार दिये जाते हैं ?
3. किनसे समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है ?
4. सभी समाचार पत्रों में किनके लिए भी पृष्ठ होते हैं ?
5. इस अनुच्छेद में किसके बारे में बताया गया है ?
उत्तर :
1. मुख्य मुख्य समाचार प्रथम पृष्ठ पर होते हैं। (या) प्रथम पृष्ठ पर मुख्य मुख्य समाचार होते हैं।
2. व्यापार और खेल कूद के समाचार से समाचार पत्र दूसरे तीसरे पृष्ठों पर दिये जाते हैं।
3. व्यंग्य और विज्ञापनों के चित्रों से समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है।
4. सभी समाचार पत्रों में बच्चों के लिए भी पृष्ठ होते हैं।
5. इस अनुच्छेद में समाचार पत्रों के बारे में बताया गया है।

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IV. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहता है और समाज में ही जीवन यापन करता है। एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के साथ पारस्परिक संबंध होते हैं। कई व्यक्तियों के आपसी व्यवहार से एक समाज का निर्माण होता है। अतः व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र, राष्ट्र से राज्य और राज्य से विश्व की परिकल्पना होती है। इसीलिए हमारे यहाँ प्राचीन काल से ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की धारणा |मान्य रही है। विश्व में मनुष्य के अपने आपसी व्यवहार से व्यक्तिगत संबंध बनते और बिगड़ते रहे हैं। मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध है लैंगिक संबंध। यह मनुष्य में एड्स रोग का प्रमुख कारण है। विश्व को एड्स की बीमारी से दूर रखने के लिए आवश्यक है कि इस रोग के बारे में समाज में जागरूकता लाई जाए।

प्रश्न :
1. मनुष्य कहाँ रहता है और वह कहाँ जीवन यापन करता है?
2. एक समाज का निर्माण कैसा होता है ?
3. प्राचीन काल से किसकी धारणा मान्य रही है ?
4. मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध क्या है ?
5. विश्व की परिकल्पना कैसी होती है ?
उत्तर :
1. मनुष्य समाज में रहता है और वह समाज में ही जीवन यापन करता है।
2. कई व्यक्तियों के आपसी व्यवहार से एक समाज का निर्माण होता है।
3. प्राचीन काल से “वसुधैव कुटुंबकम’ की धारणा मान्य रही है।
4. मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध लैंगिक संबंध है।
5. व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र, राष्ट्र से राज्य और राज्य से विश्व की परिकल्पना होती है।

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V. हमें तीन चीज़ों की ज़रूरत है खाना, कपडा और मकान। खाने की चीजें जैसे अनाज, तरकारी आदि हमें किसान देते हैं। किसान गाँवों में रहते हैं। वे पहले खेत जोतते हैं। बाद में पानी सींचते हैं और बीज बोते हैं। थोडे दिनों के बाद फ़सल काटते हैं और गाडियों में लादकर दुकानों को भेजते हैं। वहाँ से हम अनाज को खरीदकर खाते हैं। वे ही किसान तरकारी भी पैदा करते हैं।

प्रश्न :
1. किसान कहाँ रहते हैं ?
2. हमें किन किन चीज़ों की जरूरत हैं?
3. खाने की चीजें हमें कौन देते हैं ?
4. हम अनाज को कहाँ से खरीदकर खाते हैं ?
5. हमें किसान क्या क्या देते हैं?
उत्तर :
1. किसान गाँव में रहते हैं।
2. हमें तीन चीज़ों की ज़रूरत है खाना, कपडा और मकान।
3. खाने की चीजें हमें किसान देते हैं।
4. हम अनाज को दुकानों से खरीदकर खाते हैं।
5. हमें किसान खाने की चीजें जैसे अनाज, तरकारी आदि देते हैं।

उद्द्शेश्य (ఉద్దేశ్యము) :

संवाद विधा के द्वारा वार्तालाप का अभ्यास करना। सामाजिक, औद्योगिक व वाणिज्य विषयों के प्रति जागरूक होना। क्रय-विक्रय में सावधानियों की जानकारी लेना।
(సంభాషణ విధానం ద్వారా సంభాషించుకొనుటకు అభ్యాసం చేయుట. సామాజిక, పారిశ్రామిక, వ్యాపార విషయములు గురించి చైతన్యవంతులుగా చేయుట. కొనుగోలు – అమ్మకంలో గల జాగ్రత్తల గురించి సమాచారం ఇచ్చుట.)

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शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

TS 9th Class Hindi Guide 12th Lesson जागो ग्राहक जागो! 1

సారాంశము :

సాహితి : తాతగారు ! తాతగారు ! ఇవాళ వార్తాపత్రికతో పాటు ఈ పసుపు రంగు కాగితం ఎందుకొచ్చింది?
తాతగారు : ఇదైతే వినియోగదారులకు సందేశం. ఇవాళ మార్చి 15, వినియోగదారుల దినోత్సవం. జిల్లా పరిపాలనా విభాగము ఈ కాగితములు ముద్రించి పంచి పెట్టింది. వీటి వలన సామాను కొనుగోలు చేసేటప్పుడు జాగ్రత్త వహించాలని వినియోగదారులను చైతన్యవంతులను చేయడమైనది.
సాహితి : తాతగారు, ఈ వినియోగదారులు ఎవరు ?
తాతగారు : ఆహా ! నీవు చాలా మంచి ప్రశ్న వేశావు. కూర్చో నీకు అర్థమయ్యేటట్లుగా చెబుతాను. ఏదేని వస్తుసేవలను ఉపయోగించుకునేవాడు వినియోగదారుడు అని పిలువబడతాడు.
ఉదా : విద్యుత్ విభాగము నుండి కరెంటు, జల విభాగము నుండి నీరు, దూర సంచారముల నుండి టెలిఫోన్ సౌకర్యాలు పొందుతారు. ఈ సౌకర్యముల కొరకు మనం బిల్లుకు సరిపడా ధనము జమ చేస్తాము. ఇందువలన మనము ఈ విభాగముల వినియోగదారులం అని పిలువబడతాము. బజారు నుండి సామాను తెస్తాము. దానిని ఉపయోగించుకున్నట్లయితే మనం ఆ సామాను యొక్క వినియోగదారులము అయ్యాము.
సాహితి : సరే. ఇప్పుడు అర్ధమయింది. అయితే జిల్లా పరిపాలనా విభాగం మనల్ని ఎందుకు జాగ్రత్త పరుస్తుంది ?
తాతగారు : ఎందుకంటే, సామాన్లు అమ్మేవారు చాలాసార్లు పనికిరాని/నాసిరకం సామాను ఇస్తారు.
గౌతమ్ : అందుకనే సామాను చూచి తీసుకురమ్మని, కావాల్సిన దానినే తీసుకు రమ్మని చాలా మార్లు పనికి రాని వస్తువులు కూడా వస్తాయి అని అమ్మ అంటుంది.
తాతగారు : అవును బాబు, కొంతమంది ఎక్కువ ధనం సంపాదించెడి దురాశతో సామాన్లలో కల్తీ చేస్తారు. నకిలీ (కృత్రిమమైన) సామాను తయారు చేసి అమ్ముతారు. కొంతమంది వ్యాపారులు (దుకాణదారులు) వస్తువు మీద ముద్రించిన ధర కంటే ఎక్కువ ధర తీసుకుంటారు. తక్కువ తూస్తారు. ఇవి మంచి విషయాలు కావు. వీటి వలన వినియోగదారులకు హాని కలుగుతుంది.
గౌతమ్ : ఆ విధంగా చేసేవారిని ఏం చేయాలి ?
తాతగారు : జిల్లా పరిపాలనా విభాగం వారు ఈ కరపత్రాలను పంచారు వాటిలో ఎవరైనా వ్యాపారి తక్కువ తూకం తూచినా లేదా సామాను ధర ఎక్కువ తీసుకున్నా లేదా నకిలీ సామానులు ఇచ్చినా మనం “వినియోగదారుల ఫోరం”లో ఫిర్యాదు చెయ్యాలి అని వాటిలో రాసి ఉంది.
సాహితి : తాతగారు ఫిర్యాదు చేయడం వలన ఏమవుతుంది ?
తాతగారు : ఏమవుతుంది అంటే ప్రభుత్వం అమ్మకందారు నుండి వినియోగదారునికి జరిగిన నష్టాన్ని పూర్తి చేయిస్తుంది. దీనిలో సామాను మార్చడం కూడా జరుగవచ్చు. ధర సొమ్ముకు వడ్డీ తిరిగి ఇప్పించబడటం జరుగుతుంది.
గౌతమ్ : ఫిర్యాదు నమోదు చేయించుటకు ఏమి చెయ్యాల్సి ఉంది ?
తాతగారు : ఏమి చెయ్యాలా ? మొదట సంబంధిత విభాగము గ్రామ పంచాయితీ, నగర పాలక సంస్థ, తూనికల-కొలతల విభాగము, ఆరోగ్య విభాగము, పోలీస్ స్టేషన్ లేదా పోలీస్ విభాగం వంటి వాటిలో ఫిర్యాదు చేయాలి. దాని తరువాత వినియోగదారుడు స్వయంగా లేదా ఎవరైనా వ్యక్తి హాజరై ఫిర్యాదు వ్రాయించాలి లేదా పోస్ట్ ద్వారా ఫిర్యాదు పత్రం పంపించాలి. ఆ ఫిర్యాదుతో పాటు ఆ వస్తువు యొక్క బిల్లు కాని నిరూపణ చేయడం కాని తప్పనిసరి అని గుర్తుంచుకోవాలి.
సాహితి : ఏం తాతగారు, నిరూపణ లేకుండా ఫిర్యాదు నమోదు చేసుకోబడదా ?
తాతగారు : అవునమ్మా, నీవు బాగా చెప్పావు. సామాను కొనేటప్పుడుగాని, సేవను పొందేటప్పుడు గాని రశీదు గాని బిల్లు గాని తీసుకోవడం జాగ్రత్త గల వినియోగదారుని లక్షణం. వస్తువులు ప్యాకెట్ల మీద రాసి ఉన్న వివరణ శ్రద్ధగా చదవాలి. మనము ఐ.ఎస్.ఐ గానీ అగ్ మార్క్ గుర్తుగాని ఉన్న వస్తువులనే ఎన్నుకోవాలని గుర్తుంచుకోవాలి. ఈ చిహ్నములు ప్రభుత్వం ద్వారా నిర్ధారించబడతాయి. ఈ చిహ్నములు ప్రభుత్వం ద్వారా పరీక్షించబడిన వస్తువుల మీదనే వేస్తారు.
సాహితి : మీరు చాలా మంచి విషయం తెలియచెప్పారు.
తాతగారు : సురక్ష, సూచన, వస్తువు ఎన్నిక, సౌకర్యం లభించనప్పుడు ఫిర్యాదు చేయుట, నష్టమును పూర్తి చేయుట వంటి అధికారాలకై చైతన్యవంతులగుట ప్రతి వినియోగదారుని కర్తవ్యము, అధికారము అని నీవు కూడా తెలుసుకో.
గౌతమ్ : అవును తాతగారు. ఈ పసుపు రంగు కాగితం మీద కూడా వినియోగదారుని అధికారాలు ముద్రింపబడి ఉన్నాయి.
తాతగారు : చూడు, చదువు, ఏమి వ్రాసి ఉన్నదో ! మంచి వస్తువు, సరియైన ధర, వినియోగదారుని సంరక్షణా సందేశము…

TS 9th Class Hindi Guide 11th Lesson सुनीता विलियम्स

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 11th Lesson सुनीता विलियम्स Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 11th Lesson Questions and Answers Telangana सुनीता विलियम्स

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏమి కనపడుతూ ఉంది?)
उत्तर :
यह अंतरिक्ष परिशोधना केंद्र है। यहाँ रॉकेट (अंतरिक्ष यान) को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी हो रही है। चित्र में रॉकेट भेजने के उपयोग में आनेवाले यंत्र दिखाई दे रहे हैं।

प्रश्न 2.
अंतरिक्ष किसे कहते हैं? वहाँ कैसे पहुँच सकते हैं?
(అంతరిక్షము అని దేనిని అంటారు? అక్కడకు ఎలా చేరుకోగలము?)
उत्तर :
धरती और सूर्यादि लोकों के बीच के स्थान को अंतरिक्ष कहते हैं। वहाँ अंतरिक्षयान द्वारा पहुँच सकते हैं।

TS 9th Class Hindi Guide 11th Lesson सुनीता विलियम्स

प्रश्न 3.
इस चित्र से हमें क्या संदेश मिलता है ?
(ఈ చిత్రం ద్వారా మనకు ఎటువంటి సందేశం లభిస్తుంది?)
उत्तर :
इस चित्र से हमें यह संदेश मिलता है कि “यह रॉकेट ही नहीं, मानव प्रयासों का साकार रूप भी है जिस के निर्माण में कई वैज्ञानिकों की बौद्धिक क्षमताएँ छिपी हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)

अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर सोचकर लिखिए। (క్రింద ఇవ్వబడిన ప్రశ్నల జవాబులు అలోచించి వ్రాయండి)

प्रश्न 1.
कुछ अंतरिक्ष यात्रियों के नाम बताइए।
(కొంతమంది అంతరిక్ష యాత్రికుల పేర్లని చెప్పండి)
उत्तर :
आरंभ से ही मानव अंतरिक्ष के बारे में जानने की कोशिश में रहा है। इसी आशय की सिद्धि के लिए समय – समय पर अनेक यान अंतरिक्ष में भेजे गये हैं। उन यानों में अंतरिक्ष यात्री (एस्ट्रोनाट्स) जाते हैं। उनमें बज एलड्रिन, नील आर्मस्ट्रांग, राकेश शर्मा, यूरी गगारिन, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स आदि प्रमुख हैं।
(ఆరంభం నుండే మానవుడు అంతరిక్షం గురించి తెలుసుకోవాలనే ప్రయత్నంలో ఉన్నాడు. ఈ ఆశయసిద్ధి కోసమే అనేకసార్లు అంతరిక్షయానములు (స్పేస్ క్రాఫ్ట్స్) పంపబడ్డాయి. వాటిలో వ్యోమగాములు వెళ్ళేవారు. వారిలో బజ్ ఎల్డ్రిన్, నీల్ ఆర్మ్ స్ట్రాంగ్, రాకేశ్ శర్మ, యూరీ గగారిన్; కల్పనా చావ్లా, సునీత విలియమ్స్ మొదలగు వారు ప్రముఖులు.)

प्रश्न 2.
स्त्री एवं पुरुष दोनों एक समान बुद्धिमान और कुशल होते हैं। सुनीता विलियम्स इसका उदाहरण हैं। सुनीता विलियम्स के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर :
(స్త్రీ, పురుషులిరువురు సమానము బుద్ధిమంతులు, శక్తిశాలులు, సునీత విలియమ్స్ దీనికి ఉదాహరణ, సునీత విలయమ్స్ జీవితం నుండి మనకు లభించే ప్రేరణ ఏమి ?)
स्त्री एवं पुरुष दोनों एक समान बुद्धिमान और कुशल होते हैं। सुनीता विलियम्स इसका उदाहरण हैं। जैसे सुनीता विलियम्स भारत की ख्याति प्राप्त सफल अंतरिक्षयात्री है। भारतीय महिला की महानता और प्रतिभा का परिचय देकर उसने इतनी बडी सफलता प्राप्त की है। अपने कार्यों से उसने यह स्पष्ट किया कि स्त्रियाँ भी बहुत प्रभावशाली हैं। किसी भी विषय में पुरुषों से कम नहीं हैं। उसके जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि कोई भी काम असंभव नहीं है। लक्ष्य साधना के लिए अधिक परिश्रम की आवश्यकता है। असफलता से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। लक्ष्य प्राप्ति तक विश्राम नहीं लेना चाहिए। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। साधारण पढी लिखी स्त्री भी लगन और श्रद्धा से प्रयत्न करती तो अपनी महत्वाकांक्षा सफल कर सकती है।

(సునీతా విలియమ్స్ భారత ప్రఖ్యాత, సఫల అంతరిక్ష యాత్రికురాలు. భారతీయ మహిళ గొప్పదనం, ప్రతిభల పరిచయం ఇచ్చి తను ఇంత గొప్ప సఫలత పొందింది. తన పనుల ద్వారా తను స్త్రీలు కూడా ప్రభావశాలులు. ఏ విషయంలోనూ పురుషులకంటే తక్కువకారు అని స్పష్టం చేసింది. ఆమె జీవితం నుండి మనకు ఏ పనైనా అసంభవం కాదు అనే ప్రేరణ లభిస్తుంది. లక్ష్య సాధన కొరకు శ్రమించడం అవసరం. అపజయం నుండి ఎప్పటికీ వెనుకడుగు వేయకూడదు. లక్ష్యం ప్రాప్తించే వరకు విశ్రమించకూడదు. శ్రమే విజయానికి తాళపు చెవి. సాధారణ చదువుకున్న స్త్రీ కూడా తత్పరత, శ్రద్ధతో ప్రయత్నించి తన గొప్ప ఆశయాలను సాధించగలదు.)

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आ. नीचे दी गयी पंक्तियाँ पूरी कीजिए। (క్రింద ఇవ్వబడిన పంక్తులను పూరించండి.)

प्रश्न 1.
जब मैं पाँच वर्ष की थी ……….. चलते हुए देखा।
उत्तर :
तो मैं ने नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर कदम रखते और

प्रश्न 2.
हर भारतीय अपनी ……….. कर रहा है।
उत्तर :
प्रार्थनाओं में मेरी सफलता की कामना

प्रश्न 3.
उसी दिन मुझे लगा कि हर जीत …………… प्रेरणा होती है।
उत्तर :
के पीछे हार की

इ. अनुच्छेद पढ़िए। अनुच्छेद से संबंधित तीन प्रश्न बनाइए।
(పేరాను చదవండి. పేరాకు సంబంధించిన మూడు ప్రశ్నలు తయారుచేయండి.)
प्राचीन समय में मनुष्य गुफ़ाओं, जंगलों व पहाड़ों में रहा करता था। तब वह अपने आप में अकेला था। धीरे धीरे उसे आभास हुआ कि समुदाय या समाज में रहने वाला सुखी जीवन व्यतीत करता है। यहीं से उसने समाज की रचना की और सामाजिक प्राणी कहलाने लगा। यह सब एक दूसरे के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान से ही संभव हो सका है। सूचना को समाज के विकास का मूल स्त्रोत कहा जा सकता है।

(ప్రాచీన కాలంలో మానవుడు గుహలలో, అడవులలో, పర్వతములలో నివసిస్తూ ఉండేవాడు. అప్పుడతడు తనలో తాను ఒంటరివాడు. నెమ్మది నెమ్మదిగా అతనికి సమూహంగా లేదా సమాజంలో నివసించేవాడు. సుఖకర జీవితాన్ని గడుపుతాడని జ్ఞానోదయం అయింది. ఇక్కడి నుండే అతడు సమాజాన్ని నిర్మించి, సామాజిక ప్రాణి అని పిలువబడసాగాడు. ఇదంతా ఒకరికొకరి మధ్య సమాచారముల మార్పిడి వలననే సంభవమయింది. సమాచారము (సూచన) ను సమాజ వికాసానికి మూలంగా చెప్పవచ్చు.)
उत्तर :
प्रश्न :
1. प्राचीन काल में मनुष्य कहाँ कहाँ रहा करता था ?
(ప్రాచీన కాలంలో మానవుడు ఎక్కడెక్కడ నివసించేవాడు?)

2. धीरे धीरे मनुष्य को किसका आभास हुआ ?
(నెమ్మదిగా మానవునికి దేని గురించి తెలిసింది?)

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3. समाज के विकास का मूल स्त्रोत किसे कह सकते हैं?
(సమాజాభివృద్ధికి మూలము అని దేనిని చెప్పగలము?)

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. इन प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (ఈ జవాబులు వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
भारत को प्रतिभावानों का देश क्यों कहा जाता है?
(భారతదేశాన్ని ప్రతిభావంతుల దేశం. అని ఎందుకంటారు?)
उत्तर :
भारत में कई प्रतिभावानों का जन्म हुआ है।
जैसे :आर्यभट्, सी.वी. रामन, जे. सी. बोस, अब्दुल कलाम, टेसी थॉमस और सुनीता विलियम्स आदि। यहाँ के गाँव- गाँव में भी प्रतिभाशाली बच्चे हैं। यहाँ की लडकियाँ भी विशेष प्रतिभा रखती हैं। इसलिए भारत को प्रतिभावानों का देश कहा गया।

(భారతదేశంలో ఎందరో ప్రతిభావంతులు జన్మించిరి. ఆర్యభట్ట, సి. వి. రామన్, జె.సి. బోస్, అబ్దుల్ కలాం, టెస్సీ థామస్ మరియు సునీతా విలియమ్స్ మున్నగు శాస్త్రవేత్తలు వారిలో ముఖ్యులు. ఇక్కడి గ్రామ – గ్రామమున ఎందరో ప్రతిభావంతులైన పిల్లలు కలరు. ఇక్కడ బాలికలు కూడా విశేష ప్రతిభ కలిగినవారు. అందువలన భారతదేశం ప్రతిభావంతుల దేశం అని పిలువబడుచున్నది.)

प्रश्न 2.
सुनीता विलियम्स ने ऐसा क्यों कहा कि हर जीत के पीछे हार की प्रेरणा होती है ?
(“ప్రతి విజయం వెనుక ఓటమి ప్రేరణ ఉంటుంది”, అని సునీతా విలియమ్స్ ఎందుకు చెప్పనది?)
उत्तर :
स्नातक की पढ़ाई के बाद सुनीता विलियम्स के भाई नेवी में भर्ती हुए। इससे सुनीता विलियम्स को भी प्रेरणा मिली। वह भी नेवी में चयन हो गया। उसकी दृष्टि सटीक होने के कारण उन्हें पायलट की नौकरी मिल गयी। वह जट पायलट बनना चाहती थी। किंतु उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई। उन्हें हेलीकॉप्टर पायलट से ही संतोष करना पडा। यहाँ पर उन्होंने बहुत कुछ सीखा। आप कई बार विफ़ल भी हुई। बाद में वे अंतरिक्ष यात्री बनी। इसीलिए सुनीता विलियम्स ने ऐसा कहा कि हर जीत के पीछे हार की प्रेरणा होती है।

(డిగ్రీ చదివిన తర్వాత సునీతా విలియమ్స్ సోదరుడు నౌకాదళంలో భర్తీ అయ్యెను. దీని ద్వారా సునీతా విలియమ్స్క కూడా ప్రేరణ లభించినది. ఆమె కూడా నేవీ (నౌకాదళం) లో చేరినది. ఆమె దృష్టి సరిగా ఉన్నందున ఆమెకు పైలెట్ ఉద్యోగం లభించినది. ఆమె జట్ పైలట్ అవ్వాలని కోరుకున్నది. కానీ ఆమె కోరిక నెరవేరలేదు. ఆమెకు హెలికాఫ్టర్ పైలట్ గానే సంతోషించవలసి వచ్చింది. ఇక్కడ ఆమె ఎంతో నేర్చుకున్నది. ఆమె ఎన్నోసార్లు విఫలమైనది కూడా. తర్వాత ఆమె అంతరిక్ష యాత్రికురాలు అయినది. అందువలననే ఆమె ‘ప్రతి విజయం వెనుక ఓటమి ప్రేరణ ఉంటుంది”.

प्रश्न 3.
सुनीता विलियम्स से क्या प्रेरणा मिलती है ?
(సునీతా విలియమ్స్ నుండి లభించు ప్రేరణ ఏమిటి?)
उत्तर :
सुनीता विलियम्स से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जितना भी कठिन काम होने पर भी यदि उसमें रुचि है तो मेहनत, लगन, समझदारी के साथ हम अपने मनपसंद कार्य क्षेत्र में प्रवेश करके अपनी इच्छा पूर्ति कर सकेंगे। दुनिया के आगे हम अपनी प्रतिभा को दिखा सकेंगे। सफलता पायेंगे।

(“ఎంతటి కష్టసాధ్యమైన పని అయినప్పటికీ దానిపట్ల, ఇష్టం, కోరిక ఉన్నట్లయితే కృషి, తదేక దృష్టి తెలివి తేటలతో మనం మనకు నచ్చిన కార్యక్షేత్రంలో ప్రవేశించి మనం మన కోర్కెలను తీర్చుకొనవచ్చును. ప్రపంచం ముందు మనం మన ప్రతిభను ప్రదర్శించవచ్చు. విజయాన్ని పొందవచ్చు.” అని సునీతా విలియమ్స్ ద్వారా మనకు ప్రేరణ కల్గుచున్నది.)

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आ. “सुनीता विलियम्स” पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(“సునీతా విలియమ్స్” పాఠ సారాంశాన్ని స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर कदम रखनेवाली पहली भारतीय महिला सुनीता विलियम्स है। उसने अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा लंबा समय (195 दिन) बिताने और चलने का रिकार्ड बनाया था। अंतरिक्ष प्रयोगशाला में अनेक उपयोगी परीक्षण करके भावी अंतरिक्ष यात्रियों का मार्गदर्शन किया। अपने महान प्रयत्नों से उसने यह साबित कर दिया कि महिलाएँ भी पुरुषों से किसी भी तरह कम नहीं। वे बड़े से बड़े लक्ष्य को साकार करने का साहस रखती हैं।

अंतरिक्ष दुनिया में कदम रखने प्रेरित करनेवाली बातों का वर्णन करती है कि अपने पाँच साल की उम्र में उसने नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर पहला कदम रखते और चलते देखा था। तभी उसने प्रेरित होकर अंतरिक्ष यात्री बनने का इरादा कर लिया। मेरिलैंड में स्थित टेस्ट पायलट स्कूल गयी। उसने पहले जहाज़ और हेलिकॉप्टर के पायलेट के रूप में अपना पेशा आरंभ किया। इसी दौरान में वह एक दिन जानसन अंतरिक्ष केंद्र पहुँच गयी। वहाँ उसकी मुलाकात जॉन यंग से हुयी। यंग ने हेलिकॉप्टर और अंतरिक्ष यान की तुलना की। यह तुलना सुनीता को प्रेरणादायक रही। तभी से उसने शोधकर पता लगाया कि अंतरिक्ष यात्री बनने क्या करना चाहिए? इस क्षेत्र में उसने शिक्षा प्राप्त की और उसे अंतरिक्ष यात्रा के लिए अच्छा अवसर मिला।

सुनीता के पिता डॉक्टर थे। वे हार्वर्ड मेडिकल स्कूल तथा बॉस्टन विश्वविद्यालय में पढाते थे। सुनीता का परवरिश बॉस्टन के समीप हुआ। यहीं सुनीता की आकांक्षा सफल हुयी। वास्तव में सुनीता पढाई में औसत ही थी। स्नातक की पढाई के बाद वह नेवी में चुनी गयी और हेलिकॉप्टर पायलट बनी। यहाँ पर उसने बहुत कुछ सीखा। कई बार वह असफल हुयी। वह निराश नहीं हुयी, इसीसे प्रेरणा पायी।

एक बार किसी कारणवश सुनीता टेस्ट स्कूल गयी। वहाँ जॉन यंग से उसकी मुलाकात हुयी। उसी की प्रेरणा से ही वह अंतरिक्ष यात्री बन सकी। वास्तव में अंतरिक्ष यात्री बनना आसान काम नहीं है। वह क्षेत्र तो खतरों से भरा रहता है। सुनीता खुशी से यहाँ कहती है कि मैं तो भारत संतति की हूँ। मेरी सफलता का प्रमुख कारण मेरे भारतीय लोगों की प्रार्थनाएँ ही हैं। इस तरह सुनीता का जीवन सब भारत के बच्चों के लिए प्रेरणादायक रहा है।

इ. यदि आप सुनीता विलियम्स का साक्षात्कार लेते तो क्या क्या प्रश्न पूछते ? लिखिए।
(మీరు సునీతా విలియమ్స్ ఇంటర్వ్యూ తీసుకున్నట్లయితే ఏ ప్రశ్నలు అడుగుతారు? వ్రాయండి.)
उत्तर :
शांतिकामुक पवित्र भारत देश की विख्यात अंतरिक्ष यात्री है सुनीता विलियम्स एक साधारण स्त्री होकर भी उसने लगन और श्रद्धा से अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति कर ली। ऐसी सफल और प्रतिभाशाली अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का साक्षात्कार लेने का सौभाग्य मिला तो मैं अपने को धन्य मान लेता। उस आदरणीय महिला से मैं ये प्रश्न पूछता –

आप एक सफल अंतरिक्ष यात्री बन सकी, इस महान कार्य को संपन्न करने में आपके परिवारवालों ने किस प्रकार का सहयोग दिया? बताइए।
अंतरिक्ष यात्री बनने आपने किस प्रकार के शोध किये, उनका परिचय दीजिए।
जॉन यंग ने आपको किस प्रकार का योगदान दिया?
भावी अंतरिक्ष यात्रियों को आपसे मिलनेवाला सहयोग क्या है ?
भविष्य में आपसे होनेवाले महान कार्य क्या – क्या हैं?

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ई. सुनीता विलियम्स की सफलताओं के लिए एक बधाई संदेश तैयार कीजिए।
(సునీత విలియమ్స్ విజయాల గురించి ఒక అభినందన సందేశమును తయారుచేయండి.)
उत्तर :
भारत की लाडली और सफल अंतरिक्ष यात्री सुनीता आपको हमारी हार्दिक बधाइयाँ आज आपने यह साबित किया है कि स्त्रियाँ भी बहुत प्रभावशाली हैं और किसी भी विषय में पुरुषों से कम नहीं है। श्रद्धा और लगन से हर काम संभव कर सकते हैं। असफलता से न डरते, धीरज से आगे बढना ही महान गुण है। अथक परिश्रम ही सफलता का मूलमंत्र है।

एक साधारण पढी लिखी स्त्री (नारी) भी लगन और श्रद्धा से मन चाही लक्ष्य प्राप्त कर सकती है। इसका सच्चा प्रमाण ही तुम्हारा जीवन है। मानव कल्याण और विश्वशांति की सिद्धि के लिए किये गये तुम्हारे प्रयत्न सदा सराहनीय हैं। मानवता की प्रतिमूर्ति, सहृदयी सुनीता तुम्हारा जन्म सार्थक हुआ है। तुम्हारा जीवन हम सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत बने। भारत की हर लाडली तुम्हारे जीवन से प्रेरणा पाकर महान चरित्रवान बने। तुम्हारा नाम और यश धरती पर सदा अमर रहे। महत्वाकांक्षी तुम्हारा भावी जीवन सुखदायी और मंगलमय हो। परमात्मा सदा तुम्हें सुखी रखे।

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. वाक्य पढ़िए। क्रियाओं पर ध्यान दीजिए। (వాక్యములు చదవండి. క్రియలను గమనించండి.)

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1. सामान्य भूतकाल (సామాన్య భూతకాలము): क्रिया का जो रूप बीते समय का सामान्य बोध करता है। उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
(గడిచిన కాలంలో జరిగిందని సామాన్యంగా (మామూలుగా) తెలియచెప్పే క్రియా రూపమును సామాన్య భూతకాలము అందురు.)
उदाः राम ने भोजन किया।, लडके ने पुस्तक पढी।

2. आसन्न भूतकाल (ఆసన్న భూతకాలము): क्रिया का जो रूप निकट में समाप्त हुए व्यापार का बोध करता है, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
(పని పూర్తి అయి ఎంతో సమయము కాలేదని తెలియచెప్పే క్రియారూపమును ఆసన్న భూతకాలము అందురు.)
उदाः सीता ने पाठ पढा है।, लडके ने पुस्तक पढी है।

3. पूर्ण भूतकाल (పూర్ణ భూతకాలము): क्रिया का वह रूप जिससे यह मालूम हो कि व्यापार बहुत समय पहले ही पूरा हो चुका है। पूर्ण भूतकाल कहलाता है।
(చాలా సమయం క్రితమే పని పూర్తి అయిపోయిందని తెలిపే క్రియా రూపాన్ని పూర్ణ భూతకాలము అందురు.)
उदा: रवि ने पाठ पढा था।, लडके ने पुस्तक पढी थी।

4. संदिग्ध भूत (సందిగ్ధ భూతకాలము) : क्रिया के जिस रूप से भूतकालिक व्यापार के होने में संदेह पाया जाय, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
(భూతకాలంలో జరిగిన పనిలో సందేహము తెలియచేయు క్రియా రూపమును సందిగ్ధ భూతకాలము అందురు.)
उदा: राम ने पाठ पढा होगा।, लडके ने पुस्तक पढी होगी।

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5. अपूर्ण भूतकाल (అపూర్ణ భూతకాలము): क्रिया के जिस रूप से भूतकाल में होनेवाले कार्य की अपूर्णता प्रकट हो वह “अपूर्ण भूंत” कहलाता है। (గడచిన కాలంలో జరిగే పనిలో అసంపూర్ణతను తెలియచేయు క్రియారూపము అపూర్ణ భూతకాలము అనబడుతుంది.) उदा: लडकी गाना गा रही थी।, दादाजी सो रहे थे।

6. हेतु हेतुमद् भूत (హేతు – హేతుమద్ భూతకాలము) : क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य भूतकाल में होनेवाला था, पर किसी कारणवश नहीं हो सका, उसे हेतु – हेतुमद् भूतकाल कहते हैं।
(గడచిపోయిన కాలంలో జరుగవలసిన పని ఏదేని కారణంగా జరుగలేదు. అని తెలియచెప్పే) (క్రియాపాన్ని హేతుహేతు మద్భూత కాలము అందురు.)
उदा : पिताजी आते तो हम जाते। लडके को पुस्तक मिलती तो पढता।

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वर्तमानकाल के भेद (వర్తమానకాల భేదములు)
परिभाषा : क्रिया के जिस रूप से वर्तमान समय में होनेवाले कार्य का बोध होता है,उसे वर्तमान काल कहते हैं। उदाः लडका पाठ पढता है। (వర్తమాన సమయంలో జరుగుతున్న పనిని తెలియపరుచు క్రియారూపాన్ని వర్తమాన కాలము అందురు.) उदा : బాలుడు చదువుచున్నాడు.
वर्तमानकाल के तीन भेद हैं। (వర్తమానకాలము మూడు రకములు.)

1. सामान्यू वर्तमान (సామాన్య వర్తమానకాలము) : जिस क्रिया से कार्य का साधारण रूप वर्तमान काल में होना पाया जाय, उसे सामान्य वर्तमान कहते हैं। (క్రియ యొక్క సాధారణ రూపము వర్తమానకాలములో ఉన్నదని తెలిసిన దానిని సామాన్య వర్తమాన కాలము అని అందురు.) उदा: मैं खाता हूँ।, लडका पुस्तक पढता है।
2. अपूर्ण वर्तमान (అపూర్ణ వర్తమానకాలము) : क्रिया के जिस रूप से क्रिया के होने में अपूर्णता प्रकट हो, उसे अपूर्ण (तात्कालिक) वर्तमान काल कहते हैं। (క్రియ జరుగుటలో అపూర్ణత్వమును (పకటించు (క్రియా రూపమును అపూర్ణ వర్తమానకాలము అందురు.) उदा : मैं खा रहा हूँ।, लडका पुस्तक पढ रहा है।
3. संदिग्ध वर्तमानकाल (సందిగ్ధ వర్తమానకాలము) : क्रिया का वह रूप है जिससे वर्तमान काल में क्रिया के.होने में संदेह पाया जाए। (క్రియ వర్తమాన కాలములో జరుగుటలో సందేహాన్ని తెలుపు క్రియా రూపమును సందిగ్ధ వర్తమానకాలము అందురు.) उदा : लडकी जाती होगी।, लडका पुस्तक पढ रहा होगा।

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भविष्यकाल के भेद (భవిష్యత్కాల భేదములు)
परिभाषा : क्रिया के जिस रूप से आनेवाले समय का बोध हो उसे भविष्य काल कहते हैं। (రాబోయే సమయంలో క్రియ జరుగుతుందని తెలిపే క్రియా రూపాన్ని భవిష్యత్కాలము అందురు.)
उदा : पिताजी दफ़तर जायेंगे। लडका पुस्तक पढेगा। भविष्यत काल के चार भेद हैं। (భవిష్యత్ కాలమునకు నాలుగు భేదములు ఉన్నవి.)

1. सामान्य भविष्य (సామాన్య భవిష్యత్కాలము): क्रिया के जिस रूप से आनेवाले समय में सामान्य रूप से किसी क्रिया के होने का पता चले। (రాబోయే సమయంలో క్రియ జరుగుతుందని సామాన్యంగా తెలిపే (క్రియారూపమును సామాన్య భవిష్యత్ కాలము అందురు.) उदा : आप खायेंगे।, लडका पुस्तक पढेगा।

2. सातत्य बोधक भविष्य (సాతత్య బోధక భవిష్యత్కాలము): क्रिया के जिस रूप से सातत्य (निरंतरता) का बोध हो उसे सातत्य बोधक भविष्यकाल कहते हैं। (నిరంతరత్వము (ఏప్పుడూ) జరుగుతుండుట గురించి తెలియచెప్పే క్రియా రూపమును సాతత్య భవిష్యత్కాలము అందురు.)
उदा : हम पूजा करते रहेंगे। लडका पुस्तक पढता रहेगा।

3. पूर्ण भविष्य (పూర్ణ భవిష్యత్కాలము): क्रिया का वह रूप जिससे आनेवाले समय में क्रिया के होने में कोई संदेह नहीं पाया जाय वह पूर्ण भविष्य काल कहलाता है। (రాబోయే కాలంలో క్రియ జరగటంలో సందేహము లేదు అని తెలియజేసే క్రియారూపము పూర్ణ భవిష్యత్ కాలము.)
उदा : मैं खाना खा सकूँगा।, लडका पुस्तक पढ सकेगा।

4. संभाव्य भविष्यकाल (సంభావ్య భవిష్యత్కాలము): क्रिया के जिस रूप से आनेवाले समय में होनेवाले कार्य की संभावना हो उसे संभाव्य भविष्यकाल कहते हैं।
(రాబోయే కాలంలో పని జరుగుట సంభవమని తెలియచెప్పే క్రియారూపమును సంభావ్య భవిష్యత్కాలము అందురు.)
उदा: रवि कल यहाँ आये।, आप पुस्तक पढें।

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परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गये उपग्रहों की जानकारी इकट्ठा कीजिए। किसी एक उपग्रह के बारे में लिखिए।
(భారతీయ అంతరిక్ష అనుసంధాన సంస్థ (ఇస్రో) ద్వారా అంతరిక్షానికి పంపబడిన ఉపగ్రహాల పరిచయం సేకరించండి. ఏదేని ఒక ఉపగ్రహం గురించి వ్రాయండి.)
उत्तर :
ग्रहों की परिक्रमा करनेवाले आकाशीय पिंडों को उपग्रह कहते हैं। चंद्रमा, पृथ्वी का उपग्रह है। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी हैं। अपने ग्रहों की परिक्रमा करने में उपग्रह एक निश्चत कक्षा में एक निश्चित गति से घूमते रहते हैं। मानव द्वारा अनेक ग्रह अंतरिक्ष में भेजे गये हैं। उनको ही उपग्रह कहते हैं।
भारत के वैज्ञानिक भी अंतरिक्ष संबन्धी खोज कार्य में लगे हुए थे। हमारा पहला उपग्रह “आर्यभट्ट 19 अप्रैल,1974 ई. में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया। इसके बाद भास्कर – 1 जून 1979 में अंतरिक्ष में भेजा गया। इसके अतिरिक्त भारत ने रोहिणी, ऐप्पल, भास्कर 2, इंसेट 1 ए, इंसेट -1 बी इंसेट 1 डी, चंद्रयान -1, रिसाट -2, अनुसाट, ओशनसाट – 2, जीशाट – 4, कार्टोशाट – 2 बी, सरल, जीशाट – 12 आदि इसरो द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गये उपग्रह हैं।

ये उपग्रह आज के युग में देश की उन्नति के सूचक हैं। इन उपग्रहों के ज़रिये हम पृथ्वी पर जल, खनिज पदार्थ, मौसम आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ साथ दूसरे देशों के रक्षा कार्य के लिए किये गये प्रयासों का भी पूरा पता लगा सकते हैं।

इसरो विश्व विख्यात भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र है। ऐसे ख्याति प्राप्त केंद्र से फिलहाल ‘सरल’ नामक प्रभावशाली उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा गया। 25 फरवरी, 2013 के दिन प्रक्षेपण किया गया। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्षयान पी. एस. एल. वी सी 20 से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।

‘सरल’ यान सतीश धावन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ। सरल एक सफल प्रभावशाली और बहु उद्देशीय उपग्रह है। इसका वज़न 410 किलो ग्राम है। इसके प्रक्षेपण का खास उद्देश्य है समुद्र के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन करना। इससे समुद्र की स्थिति की समझ बेहतर करने में मदद मिलेगी। इसका निर्माण करने में अनेक विख्यात वैज्ञानिकों ने अनुपम प्रयत्न किये। उनके प्रयत्नों से निर्मित ‘सरल’ अनेक उपयोगी विषयों को स्पष्ट करने में सफल होगा। इस ‘सरल’ के प्रयोग द्वारा भारत के वैज्ञानिक भरोसा रखते हैं कि वे और भी कई विषयों में जानकारी प्राप्त करने में ज़रूर सफल होंगे।

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प्रश्न – II

प्रश्न 1.
सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष यात्री बनने की प्रेरणा कैसे मिली ?
(సునీతా విలియమ్స్ కు అంతరిక్ష యాత్రికురాలు అయ్యెడి ప్రేరణ ఎలా కలిగింది?)
उत्तर :
जब सुनीता विलियम्स पाँच साल की लडकी थी, तब उसने नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर पहला कदम रखते और चलते देखा था। इसी दृश्य से वह बहुत प्रेरित हुयी। उसी दिन उसने निर्णय कर लिया कि मुझे अंतरिक्ष यात्री बनना है। मेरिलैंड स्थित टेस्ट पायलट स्कूल में गयी। पहले पहल उसने जहाज़ और हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में अपना पेशा आरंभ किया। एक दिन जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र गयी तो वहाँ उसकी मुलाकात जॉन यंग से हुई। उन्होंने हेलिकॉप्टर और अंतरिक्ष यान की तुलना की। यह तुलना काफ़ी प्रेरणात्मक थी। सुनीता ने शोधकर अंतरिक्ष यात्री बनने के आवश्यक प्रयत्न किये। फल स्वरूप वह एक सफल अंतरिक्ष यात्री बन सकी।

(సునీతా విలియమ్స్ ఐదు సంవత్సరముల, బాలికగా ఉన్నప్పుడు నీల్ ఆర్మ్టస్ట్రాంగ్ చంద్రుని మీద మొదటిసారి అడుగుపెట్టి, నడవడం చూసింది. ఈ దృశ్యంతో ఆమె చాలా ప్రభావితమైంది. నేను కూడ అంతరిక్ష యాత్రికురాలు అవ్వాలని అదే రోజున ఆమె నిర్ణయించుకుంది. మెరిలైండ్లో ఉన్న టెస్ట్ పైలెట్ స్కూలుకు వెళ్ళింది. మొట్టమొదటిగా ఆమె ఓడ, హెలికాప్టర్ పైలెట్ గా తన వృత్తిని ప్రారంభించింది. ఒక రోజు జాన్సన్ అంతరిక్ష కేంద్రానికి వెళ్ళి అక్కడ జాన్ యంగ్ ని కలవటం జరిగింది. ఆయన హెలికాప్టర్, అంతరిక్షయానం (రాకెట్) రెండింటిని పోల్చారు. ఈ పోల్చడం చాలా ప్రేరణదాయకమైనది. సునీత శోధించి అంతరిక్షయాత్రికురాలు అయ్యెడి అనేక ప్రయత్నాలు చేసింది. ఫలితంగా ఆమె ప్రతిభావంతురాలైన వ్యోమగామి అవగలిగింది.)

प्रश्न 2.
सुनीता विलियम्स की पढ़ाई कैसे हुयी ?
(సునీతా విలియమ్స్ చదువు ఎలా సాగింది?)
उत्तर :
सुनीता विलियम्स बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ नहीं औसत ही थी। स्नातक की पढ़ाई के बाद अपने भाई को नेवी में भर्ती होते देखकर उसे भी प्रेरणा मिली। लेकिन अपने लंबे बालों को कटवाकर वह नेवी में भर्ती होना नहीं चाहती थी। लेकिन नेवी में उसका सेलक्शन हो गया। उसकी नज़र काफ़ी तेज़ होने के कारण उसे पायलट की नौकरी मिली। वह तो जेट पायलट बनना चाहती थी। लेकिन हेलिकॉप्टर पाइलट बनकर ही रह जाना पडा। अनेक प्रयत्नों के बावजूद वह अपनी आकांक्षा पूरी करने में सफलता प्राप्त कर सकी। इस तरह एक साधारण पढ़ाईवाली महिला हार जीत की परवाह न करके, अपनी लगन से सफल और श्रेष्ठ अंतरिक्ष यात्री बन सकी।

(సునీత బాల్యం నుంచి చదువులో చురుకైనది కాదు. సగటు విద్యార్థిని. డిగ్రీ తరువాత తన సోదరుడు నేవీలో చేరటం చూసి తనకు కూడా ప్రేరణ కలిగింది. కాని తన పొడవైన జుత్తును కత్తిరింపచేసుకుని, నేవీలో చేరాలనుకోలేదు. కాని నేవీలో ఎన్నికయ్యింది. తన దృష్టి చక్కగా ఉన్న కారణంగా తనకు పైలెట్ ఉద్యోగం దొరికింది. తను జెట్ పైలెట్ అవ్వాలనుకునేది కాని హెలికాఫ్టర్ పైలెట్ గానే ఉండవలసి వచ్చింది. అనేక ప్రయత్నాల తర్వాత ఆమె తన కోరిక నెరవేర్చుకోగలిగింది. ఈ విధంగా ఒక సాధారణ చదువు చదువుకున్న మహిళ గెలపోటములను పట్టించుకోకుండా తన పట్టుదలతో సఫలీకృత (ఉత్తమ) అంతరిక్ష యాత్రికురాలు అవగలిగింది.)

TS 9th Class Hindi Guide 11th Lesson सुनीता विलियम्स

प्रश्न 3.
सुनीता विलियम्स भावी नागरिकों को क्या संदेश देती है?
(సునీత విలియమ్స్ భావి పౌరులకు ఎటువంటి సందేశం ఇస్తోంది?)
उत्तर :
सुनीता विलियम्स भारत की एक नारी है। वह अपने महान प्रयत्नों के फलस्वरूप सफल अंतरिक्षयात्री बन सकी। श्रद्धा और लगन से उसने यह ख्याति प्राप्त की। अपने अनुभवों का ज़िक्र करते वह भावी नागरिकों को यह संदेश देती है सौभाग्य से मेरा जन्म भारत में हुआ है। मैं एक साधारण पढ़ी लिखी नारी हूँ। सब भारतवासी अच्छे और प्रतिभाशाली लोग हैं। भारत के हर गाँव में प्रतिभाशाली बच्चे हैं। खासकर यहाँ की लडकियाँ भी विशेष प्रतिभा संपन्न हैं। सब सुशिक्षित होकर आगे बढ़ें और देश का नाम उज्वल व उन्नत बनायें।

(సునీతా విలియమ్స్ భారతదేశ స్త్రీ. ఆమె తన గొప్ప ప్రయత్నముల ఫలితంగా గొప్ప అంతరిక్ష యాత్రికురాలు అవగలిగింది. శ్రద్ధ, పట్టుదలతో ఆమె ఈ ఖ్యాతిని ఆర్జించింది. తన అనుభవాలను పేర్కొంటూ ఆమె భావి పౌరులకు ఈ విధముగా సందేశం ఇస్తోంది. – అదృష్టం కొద్ది నా పుట్టుక భారతదేశంలో జరిగింది. నేనొక సాధారణ చదువు కలిగిన స్త్రీని. భారతదేశపు ప్రతి గ్రామంలో కూడా ప్రతిభావంతులైన పిల్లలు ఉన్నారు. ముఖ్యంగా ఇక్కడి బాలికలు కూడా గొప్ప ప్రతిభా సంపన్నులు అందరూ సుశిక్షితులై అభివృద్ధి సాధించాలి. దేశము యొక్క పేరును ఉన్నతం, ఉజ్వలం చెయ్యాలి.)

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अपठित गद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. बहुत पुरानी बात है। एक राजा था। वह नित्य नये सपने देखता था। उन्हें पूरा करने का प्रयास करता था। दरबार के गुणी और बुद्धिमान लोगों को सपने सुनाता। उन्हें करने में उनकी सहायता पूरा लेता। सपने पूरा करने के लिए अपने खजाने का मुँह खोलता । सफल होने पर उनको सम्मानित करता। असफलता पर निराश नहीं होता बल्कि उनका उत्साह बढाता । कमियों को पूरा करके दोबारा प्रयत्न करने को प्रेरित करता।

प्रश्न :
1. राजा रोज़ क्या देखता था ?
2. राजा अपने सपने किसे सुनाता था ?
3. राजा अपने खजाने का मुँह क्यों खोलता था ?
4. सपने सफल होने पर उनको क्या करता था ?
5. असफलता पाने पर निराश होने के बजाय राजा क्या करता था ?
उत्तर :
1. राजा नित्य नये सपने देखता था।
2. राजा अपने सपने दरबार के गुणी और बुद्धिमान लोगों को सुनाता था।
3. राजा अपने खजाने का मुँह अपने सपने पूरा करने के लिए खोलता था।
4. सपने सफल होने पर उनको सम्मानित करता था।
5. असफलता पाने पर निराश होने के बजाय राजा उनका उत्साह बढ़ाता था।

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II. हमें हर बालक को पर्यावरण की शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा। हर कक्षा की किताबों में पर्यावरण के पाठ अवश्य होने चाहिए। विकास को रोकने के लिए मैं नहीं कहती। मैं यह कहना चाहती हूँ। जैवमित्र तकनीकों में बढोतरी होनी चाहिए। जो सस्ती और अच्छी हो। ऐसी संसाधनों का उपयोग होना चाहिए जो पुनः प्राप्त किये जा सकते हैं।

प्रश्न :
1. बालकों को किसके प्रति जागरूक होना है?
2. कक्षा की किताबों में कैसे पाठ होना चाहिए ?
3. विकास को बढाने के लिए किस तरह की तकनीकों में बढोत्तरी होनी चाहिए ?
4. किस तरह के संसाधनों का उपयोग करना चाहिए ?
5. “जान में जान आना” मुहावरे का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
1. बालकों को पर्यावरण के शिक्षा के प्रति जागरूक होना है।
2. कक्षा की किताबों में पर्यावरण के पाठ होना चाहिए।
3. विकास को बढ़ाने के लिए जैवमित्र तकनीकों में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए।
4. सस्ती और अच्छी तरह के और पुनः प्राप्त किये जाने वाले संसाधनों का उपयोग करना चाहिए।
5. जान में जान आना मुहावरे शब्द का अर्थ है “होश में आना”।

III. चंद्रमणी नामक एक लड़का था। उसके माता पिता का देहांत हो चुका था। लेकिन वह खूब पढ़ना चाहता था। उसका एक मित्र था घनश्याम। पिछलीबार जब घनश्याम, चंद्रमणी से मिला तब उसके माता पिता जिंदा थे। अब चंद्रमणी अकेला था। वह दुखी और असहाय था। घनश्याम ने उसे अपने घर पर साथ रहने के लिए निवेदन किया।

प्रश्न :
1. घनश्याम के मित्र का नाम क्या था ?
2. वह खूब पढ़ना चाहता था। वाक्य में ‘वह’ किसका सूचक है ?
3. ‘देहांत’ किन दो शब्दों से बना है ?
4. कौन अकेला था ?
5. चंद्रमणी दुखी क्यों था ?
उत्तर
1. घनश्याम के मित्र का नाम था “चंद्रमणी”।
2. वाक्य में वह “चंद्रमणी” का सूचक है।
3. ‘देह + अंत’।
4. चंद्रमणी अकेला था।
5. चंद्रमणी के माता पिता का देहांत हो चुका था। अब वह अकेला था। इसलिए चंद्रमणी दुखी था।

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IV. जब गोपन्ना भद्राचलम तहसील के अधिकारी बने तो उनकी दृष्टि भद्रगिरि पर स्थित सीता, राम और लक्ष्मण पर पड़ी। वे स्वयं राम भक्त थे। उन्होंने भद्राचलम के राम मंदिर के निर्माण का भार अपने कंधों पर लिया। तहसीलदार के रूप में जो धन राजकोश के लिए वसूल करते थे उसका उपयोग करके वे राम मंदिर बनवाने लगे। मंदिर बना। राम, सीता और लक्ष्मण के लिए आभूषण आदि भी बने। सरकार का सारा पैसा इसी में खर्च हो गया।

प्रश्न :
1. गोपन्ना स्वयं किसके भक्त थे ?
2. भद्राचलम के राम मंदिर के निर्माण का भार किन्होंने अपने कंधों पर लिया ?
3. राम, सीता और लक्ष्मण के लिए क्या बने ?
4. भद्राचलम तहसील के अधिकारी कौन थे ?
5. मंदिर शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर
1. गोपन्ना स्वयं राम भक्त थे।
2. भद्राचलम के राम मंदिर के निर्माण का भार गोपन्ना ने अपने कंधों पर लिया।
3. राम, सीता और लक्ष्मण के लिए आभूषण आदि बने।
4. भद्राचलम तहसील के अधिकारी “गोपन्ना” थे।
5. मंदिर शब्द का अर्थ है “देवालय।

V. खेलकूद और व्यायाम से हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहता है। खुली हवा के बिना तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ नहीं बन सकता। इसके लिए घर हवादार होना चाहिए। प्रातः काल खुली हवा में टहलना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
यह हमेशा याद रखना चाहिए कि अच्छा स्वास्थ्य ही सुखमय जीवन का आधार है। एक प्रचलित कहावत है ‘मन चंगा तो कटौती में गंगा। ”

प्रश्न :
1. हमारा शरीर और मन किनसे स्वस्थ रहता है ?
2. किसके बिना तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ नहीं बन सकता ?
3. घर कैसा होना चाहिए ?
4. सुखमय जीवन का आधार क्या है ?
5. “मन चंगा तो कटौती में गंगा” यह क्या है ?
उत्तर
1. खेलकूद और व्यायाम से हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहता है।
2. खुली हवा के बिना तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ नहीं बन सकता।
3. घर हवादार होना चाहिए।
4. स्वास्थ्य सुखमय जीवन का आधार है।
5. ‘मन चंगा तो कटौती में गंगा” यह एक कहावत है।

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उद्द्शेश्य (ఉద్దేశ్యము) :

साक्षात्कार विधा की जानकारी लेते साक्षात्कार लेने का अभ्यास करना।
(ఇంటర్వ్యూ విధానం గురించి తెలిసికొని ఇంటర్వ్యూ తీసుకొనుట గురించి అభ్యసించుట.)

సారాంశము :

సునీత “అంతర్జాతీయ అంతరిక్ష కేంద్రంలో అడుగుపెట్టిన మొదటి భారతీయ మహిళ. ఒక మహిళ ద్వారా అంతరిక్షంలో అందరికన్నా ఎక్కువ సమయం గడిపిన (195 రోజులు), అంతరిక్షంలో నడిచిన రికార్డు కూడా నెలకొల్పింది. దీనితోపాటుగా భావితరం అంతరిక్షయాత్రికులకు లాభకరమైన / సహాయకారియైన అంతరిక్ష ప్రయోగశాలలో అనేక ప్రయోగాలు కూడా చేసింది, సునీత ఈ సాహసోపేతమైన గొప్ప కార్యమందు ఆసక్తి చూపి మహిళలు కూడా పురుషులకన్నా ఏవిధంగాను తక్కువకారని, వారు చాలా గొప్ప లక్ష్యాన్ని సైతం సాకారం చేసెడి ధైర్యం కలిగి ఉన్నారని నిరూపించింది. దయచేయండి, ఈ సునీత విలియమ్స్ తన ఈ గొప్ప పనులు ఎలా చేసి చూపిందో ఆమెనే అడుగుదాము.

ప్రశ్న : ప్రపంచంలో లక్షల మంది పైలెట్లు, విజ్ఞానవేత్తలు ఉన్నారు. కాని అమెరికాలో చాలా కష్టంగా వంద మంది అంతరిక్ష యాత్రికులు ఉన్నారు. అంతరిక్ష ప్రపంచంలో అడుగుపెట్టడానికి ప్రేరణ కలిగించిన విషయము ఏమిటి?
జవాబు: గొప్ప ప్రశ్న. నేను ఐదు సం॥ ల వయస్సు దానిగా ఉన్నప్పుడు నేను, నీల్ ఆర్మ్ స్ట్రాంగ్ చంద్రుని మీద మొట్టమొదట అడుగుపెట్టడం, నడవడం చూశాను. నేను ఈ దృశ్యంతో చాలా ప్రేరణ పొంది నేను కూడా అంతరిక్ష యాత్రికురాలు (వ్యోమగామి) అవ్వాలని నిశ్చయించుకున్నాను. కాని ఇది అంత తేలికైన పని కాదు. మెరిలాండ్లో ఉన్న టెస్ట్ పైలెట్ స్కూల్కు వెళ్ళే వరకు అంతరిక్ష యాత్రికురాలు అయ్యెడి నా కల కలగానే ఉండిపోయింది. నేను ఓడ, హెలికాప్టర్ పైలెట్గా నా వృత్తిని ప్రారంభించాను. ఈ సందర్భంగానే ఒక రోజు జాన్సన్ అంతరిక్ష కేంద్రానికి వెళ్ళాను. ఇక్కడే నేను జాన్ యంగ్ని కలిశాను. ఆయన హెలికాప్టర్, అంతరిక్షయానము (రాకెట్)ను పోల్చారు. ఈ పోలిక చాలా ప్రేరణదాయకమైనది. నేను శోధించి అంతరిక్షయాత్రికురాలు అగుటకు ఏమి చెయ్యాలో తెలుసుకున్నాను. నేను ఈ రంగంలో జ్ఞానాన్ని సంపాదించాను. అంతరిక్ష యాత్ర కొరకు నాకు పిలుపు వచ్చింది. నాకు ఈ సువర్ణావకాశము అందినందుకు నన్ను నేను చాలా అదృష్టవంతురాలిగా భావిస్తున్నాను.

ప్రశ్న: నేడు మీరు సఫలీకృతులైన అంతరిక్ష యాత్రికురాలు. మిమ్మల్ని మీరు గమనించినప్పుడు మీ జీవితంలో మసాచుసెట్స్ నగరం గొప్పతనమేమిటి, అక్కడి ప్రజలు ఏ రకంగా మీకు సహాయం చేశారు?
జవాబు: ఆ! నేను మీకు చెప్పినట్లుగానే నా పెంపకం, బాస్టన్కు దగ్గరలో జరిగింది. నేను ఈతకు వెళ్ళే ప్రాంతం హార్వర్డ్లో ఉండేది. ఈ ప్రాంతం కేంబ్రిడ్జ్ ఉంది. అందువలన నేను నా సమయమంతా ఇక్కడే గడిపాను. నా తండ్రిగారు డాక్టరు. అయన హార్వర్డ్ మెడికల్ స్కూలు, బాస్టన్ యూనివర్సిటీలో బోధకులు. ఈ ప్రదేశము చదువుల కోటగా భావించబడుతున్నది. ఇక్కడ అనేక విద్యాకేంద్రాలు ఉన్న కారణమున నా అభిరుచికి సరైన గుర్తింపు లభించింది. ఈరోజు నేను మీ ముందు కనిపించుటకు ఇదే కారణము. దానిలో ఇక్కడి ప్రజల ప్రేరణ కూడా కలిసి ఉంది.
ప్రశ్న : మీ చదువు గురించి చెప్పండి.
జవాబు : నేను చదువులో చురుకైనదాన్నేమీ కాదు. సగటు విద్యార్థిని. డిగ్రీ తరువాత సోదరుడు నౌకాదళంలో చేరుట చూశాను. నాకు కూడ ప్రేరణ కలిగింది. నాకు నా పొడవాటి జుత్తు గురించి బాధ ఉండేది. నేటికీ నా జుత్తు అలాగే ఉంది. నేను నా జుత్తును కత్తిరింపచేసుకొని నౌకాదళములో చేరతలచలేదు. నేను నౌకాదళములో ఎన్నికయ్యాను.’ నా చూపు చక్కగా ఉన్న కారణంగా నాకు పైలెట్ ఉద్యోగం దొరికింది. నేను జెట్ పైలెట్ అవ్వాలని అనుకునేదానిని కాని నా ఈ కోరిక పూర్తి అవలేదు. నేను హెలికాప్టర్ పైలెట్గానే సంతోషించవలసి వచ్చినది. ఇక్కడ నేను చాలా నేర్చుకున్నాను. అనేక సార్లు అసఫలురాలను అయ్యాను. ఇందుకు నేను నిరాశ పడలేదు. పైగా నాకు ఇంకనూ ప్రేరణ కలిగింది. ప్రతి విజయము వెనుక ఓటమి యొక్క ప్రేరణ ఉంటుంది. అని నాకు అదే రోజు అనిపించింది.
ప్రశ్న : మీరు హెలికాప్టర్ పైలెట్ నుండి అంతరిక్ష యాత్రికురాలు ఎలా అయ్యారు?
జవాబు: నేను ఏదో కారణంగా టెస్ట్ (పరీక్ష) స్కూల్కు వెళ్ళవలసి వచ్చినప్పుడు అక్కడ జాన్ యంగ్ ని కలవడం జరిగింది. వారే నాకు ప్రేరణ ఇచ్చారు. ఒక సామాన్య హెలికాఫ్టర్ పైలెట్ నుండి అంతరిక్ష యాత్రికురాలు అయ్యే యాత్రలో వారి సహకారం ఎల్లప్పుడు గుర్తుంచుకోదగినది.
ప్రశ్న : అంతరిక్ష యాత్రికుల యాత్ర అపాయములతో నిండి ఉంటుంది. ‘ఇన్ని అపాయములలో కూడా మీకు యాత్ర చేయ్యాలనే ప్రేరణ ఎలా కలుగుతుంది?
జవాబు : నేను మీకు ముందే చెప్పినట్లుగా అంతరిక్ష యాత్రికులు అగుట తేలికైన పనికాదు. ఈ రంగం అపాయములతో నిండి ఉండటం స్వాభావికమే. కాని ఎప్పుడైనా ఎవరైనా అంతరిక్ష యాత్రికుడు, ఎగురుటకు సిద్ధపడితే ప్రపంచమంతా అతనివైపే చూస్తుంది. నా తండ్రి భారత్ నుండి వచ్చినవారు. నేను భారతదేశ సంతతికి చెందిన అంతరిక్ష యాత్రికురాలిని. ప్రతి భారతీయుడు తన ప్రార్థనలలో నాకు విజయము కలగాలని కోరుకుంటూ ఉన్నాడు. మనిషి ధైర్యాన్ని రెట్టింపుచేసే ప్రార్థనలు ఇవే.
ప్రశ్న : భావి పౌరులకు మీ సందేశం ఏమిటి?
జవాబు : భారత్ ప్రతిభాశాలుల దేశము. ఇక్కడి ప్రతి గ్రామంలోనూ ప్రతిభావంతులైన పిల్లలు ఉన్నారు. ఇక్కడి బాలికలు కూడా గొప్ప సామర్ధ్యము కలిగినవారు. అందరూ చక్కగా జ్ఞానవంతులై అభివృద్ధి చెంది దేశ గౌరవాన్ని ఉన్నతంగా ఉంచాలి.

TS 9th Class Hindi Guide 11th Lesson सुनीता विलियम्स

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

TS 9th Class Hindi Guide 11th Lesson सुनीता विलियम्स 1

TS 9th Class Hindi Guide 10th Lesson अमर वाणी

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 10th Lesson अमर वाणी Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 10th Lesson Questions and Answers Telangana अमर वाणी

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రములో ఏమి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में दो हाथ हैं। अपनी मुट्ठियों से एक धागे (रस्सी) को पकडे हुए हैं।

प्रश्न 2.
यहाँ हाथों से क्या किया जा रहा है?
(ఇక్కడ చేతులతో ఏవి చేయబడుతూ ఉంది?)
उत्तर :
यहाँ हाथों से एक धागे को तोडा जा रहा है।

TS 9th Class Hindi Guide 10th Lesson अमर वाणी

प्रश्न 3.
जीवन में दोरती का क्या महत्व है?
(జీవితంలో స్నేహానికి ఉన్న విలువ ఏమిటి?)
उत्तर :
मानव जीवन में दोस्ती का बहुत बडा महत्व है। दोस्ती पवित्र भावनाओं का प्रतीक है। दो व्यक्तियों के बीच हुयी दोस्ती निभाने के लिये प्राण भी अर्पण करते हैं। दोस्ती निख्वार्थ भावना से की जाती है। सच्ची दोस्ती हमेशा त्याग भावना से ही होती है।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)

अ. इन प्रश्नों के उत्तर सोचकर दीजिए। (ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు ఆలోచించి ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
कबीर के बारे में बताइए। (కబీరు గురించి తెలపండి.)
उत्तर :
कबीरदास जी हिन्दी साहित्य के निर्गुण धारा के ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवि थे। इनका जन्म सन् 1398 में हुआ। कबीर पढे – लिखे नहीं थे। स्वामी रामानंद इनके गुरु थे। कबीरदास का हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। वे उच्च कोटि के मानवतावादी कवि थे। वे व्यक्तित्व साधना में विश्वास रखनेवाले थे। उपासना के बाह्य आडंबरों पर इनका विश्वास नहीं था। इसलिए मानसिक शुद्धता और पवित्रता को उपासना की श्रेष्ठ आवश्यकता मानते थे।

(కబీర్దాస్ హిందీ సాహిత్య నిర్గుణ కావ్వధార యొక్క జ్ఞానమార్గశాఖకు చెందిన ప్రముఖ కవి. వీరు 1398లో జన్మించారు. కబీర్ దాస్ చదువుకున్నవారు కాదు. స్వామి రామానంద్ వీరి గురువుగారు, కబీర్ దాస్ కు హిందీ సాహిత్యంలో చాలా గొప్ప స్థానమున్నది. వారు గొప్ప మానవతావాది కవి. వ్యక్తిత్వ సాధనయందు వీరికి నమ్మకం ఎక్కువ. బాహ్య ఆడంబరాలతో కూడిన భక్తియందు వీరికి నమ్మకం లేదు. అందువలన మానసిక శుద్ధత, పవిత్రతతో కూడిన పూజే శ్రేష్ఠమని భావించేవారు.)

प्रश्न 2.
अभ्यास का क्या महत्व है ?
उत्तर :
मानव जीवन में अभ्यास का महत्वपूर्ण स्थान है। अभ्यास करते रहने से असंभव काम भी संभव ज़रूर होता है। मूर्ख व्यक्ति भी अभ्यास करने से महा पंडित बन सकता है। महाकवि वाल्मीकि ही इसका सच्चा उदाहरण है। कविवर वृंद भी इसी विषय का समर्थन करते हुए कहते हैं शिला पर निशान पडना बहुत मुश्किल है। लेकिन रस्सी की रगड से उस पर भी निशान पड जाता है। इसलिए अभ्यास के द्वारा मानव सब कुछ प्राप्त कर सकता है।

(మానవ జీవితంలో సాధనకు చాలా గొప్ప విలువ ఉన్నది. సాధన చేస్తూ ఉండుట వలన అసంభవమైన పని కూడా తప్పక జరుగును. తెలివి తక్కువ వ్యక్తి కూడా సాధన చేయుటవలన గొప్ప పండితుడు అవుతాడు. మహాకవి వాల్మీకి దీనికి నిజమైన ఉదాహరణ. కవి వృంద్ కూడా ఈ విషయాన్ని సమర్ధిస్తూ అంటున్నారు. బండరాతి మీద గుర్తుపడటం చాలా కష్టం. కాని త్రాడు యొక్క ఒరిపిడిచే రాయి మీద కూడా చిహ్నము ఏర్పడుతుంది. అందువలన సాధన ద్వారా మానవుడు కావలసింది పొందగలడు.)

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आ. भाव से संबंधित दोहा लिखिए।
(భావమునకు సంబంధించిన దోహా వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
सुख में ईश्वर का ध्यान रखनेवाले को दुख नहीं होता।
उत्तर :
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।

प्रश्न 2.
सज्जन के साथ रहने से सुख मिलता है।
उत्तर :
उत्तम जन के संग में, सहजे ही सुखभासि।
जैसे नृप लावै इतर, लेत सभा जनवासि ॥

इ. दोहा पढिए। भाव अपने शब्दों में बताइए।
(దోహ చదవండి, భావము మీ మాటలలో వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घडा, ऋतु आये फल होय।।
उत्तर :
कबीरदास जी कहते हैं कि सारे काम धीरे धीरे निश्चित समय पर ही होते हैं। शीघ्रता दिखाने मात्र से कोई काम नहीं होता। फल जल्दी पाने की अभिलाषा से माली सौ घडे पानी से पेड सींचता है तो भी असमय में पेड से कोई फल नहीं मिलता। मौसम के आने पर ही पेड से फल निकलते हैं। इसी तरह जल्दबाज़ी करने मात्र से कोई काम नहीं होता।

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. प्रश्नोत्तर –

प्रश्न 1.
कबीर की दृष्टि में – “किसी काम को धीरे – धीरे करना” इसका क्या तात्पर्य है?
(కబీర్ దృష్టిలో ఏ పనైనా నెమ్మదిగా చెయ్యాలి. దీని అర్థము / భావము ఏమిటి?)
उत्तर :
कबीरदास जी कहते हैं कि सारे काम धीरे धीरे निश्चित समय पर ही होते हैं। शीघ्रता दिखाने मात्र से कोई काम नहीं होता। फल जल्दी पाने की अभिलाषा से माली सौ घडे पानी से पेड सींचता है तो भी असमय में पेड से कोई फल नहीं मिलता। मौसम के आने पर ही पेड से फल निकलते हैं इसी तरह जल्दीबाज़ी करने मात्र से कोई काम नहीं होता।

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प्रश्न 2.
हमें किन प्रयत्नों से सफलता मिल सकती है ?
(మనకు ఎటువంటి ప్రయత్నముల వలన సాఫల్యము లభించగలదు?)
उत्तर :
मानव जीवन में कोई भी काम असंभव नहीं है। मन लगाकर प्रयत्न करने से हर काम संभव होता है। मन
में श्रद्धा रखकर, काम की सफलता पर विश्वास रखते, भगवान पर भरोसा रखकर, संदेह या संशय छोडकर एकाग्र चित्त होकर काम करते रहने से ज़रूर सफलता मिल सकती है। इस तरह हमें श्रद्धा, विश्वास, कडी मेहनत, शक्ति से युक्त प्रयत्नों से सफलता ज़रूर मिल सकती है।

(మానవ జీవితంలో ఏ పనీ అసంభవమైనది కాదు. మనస్సు నిమగ్నం చేసి ప్రయత్నం చేస్తే ప్రతి పనీ తప్పక జరుగుతుంది. మనస్సులో శ్రద్ధ కలిగి, పని జరుగుతుంది అని విశ్వాసము ఉంచుకొని, భగవంతుని పైన నమ్మకము ఉంచి, సందేహం లేకుండా, ఏకాగ్రతతో పని చేస్తూ ఉండుట వలన తప్పక సాఫల్యము లభిస్తుంది. ఈ విధంగా మనకు శ్రద్ధ, విశ్వాసము, గట్టి శ్రమ, శక్తితో కూడిన ప్రయత్నము వలన సాఫల్యము లభిస్తుంది.)

प्रश्न 3.
भगवान का स्मरण कब करना चहिए? क्यों?
(భగవంతుని ఎప్పుడు స్మరించవలెను? ఎందువలన?)
उत्तर :
सब लोग भगवान (ईश्वर) का स्मरण दुख में ही करते हैं। अर्थात् भगवान दुख में ही याद आता है। सुखों में हम भगवान का स्मरण नहीं करते। अर्थात् सुखों में हमें भगवान याद नहीं आता। सुख में ईश्वर का ध्यान रखनेवाले को दुख ही नहीं होता। इसलिए हमें सुख में भी भगवान का स्मरण करना चाहिए।

(అందరూ భగవంతుణ్ణి దుఃఖం వచ్చినప్పుడే స్మరిస్తారు. అనగా భగవంతుడు మనకు దుఃఖసమయంలోనే గుర్తుకు వస్తాడు. సుఖాలలో మనం భగవంతుణ్ణి స్మరించం. అనగా సుఖ సమయాలలో మనకు భగవంతుడు గుర్తుకు రాడు: సుఖాలలో భగవంతుడిని స్మరించువారికి దుఃఖమే రాదు. అందువలన మనం సుఖాలలో కూడా భగవంతుని ధ్యానించాలి, స్మరించాలి, ప్రార్థించాలి.)

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आ. तुलना कीजिए।
कबीर व वृन्द के दोहों में क्या अंतर स्पष्ट होता है ?
(కబీర్, వృంద్ దోహాలలో ఎలాంటి తేడా స్పష్టమవుతోంది?)
उत्तर :
कबीर और वृन्द दोनों ने दोहे लिखे थे। इन दोनों के दोहों में निम्न अंतर हैं।

कबीर के दोहे वृन्द के दोहे
1. इनके दोहे धार्मिक सिद्धांतो के अनुरूप नीतिपरक हैं। 1. इसके दोहे लोकनीति से भरे हैं।
2. ईश्वर संबन्धी विचारों पर आधारित है। 2. उक्तियों का उपयोग अधिक हुआ है।
3. रुढिवाद का खंडन मिलता है। 3. भक्ति भावना की प्राधान्यता कम है।
4. रहस्यवादी भावनाएँ प्रकट होती हैं। 4. स्पष्ट वादिता प्रकट होती है।
5. निराकार भगवान की उपासना नज़र आती है। 5. उपदेश युक्त और प्रभावशाली हैं।

इ. कुछ नीति संबंधी नारे लिखिए।
(నీతి సంబంధమైన కొన్ని నినాదములు వ్రాయండి.)
उत्तर :
सत्यमेव जयते। (సత్యమే జయించుగాక.)
सदा सच ही बोलिए। (ఎల్లప్పుడూ నిజమే మాట్లాడండి.)
धर्मों रक्षति रक्षितः (ధర్మాన్ని రక్షిస్తే అది మనల్ని రక్షిస్తుంది.)
वृक्षो रक्षति रक्षित :(వృక్షాలను రక్షించిన యెడల అవి మనల్ని రక్షించును.)
विद्यावान सर्वत्र पूज्यते। (విద్యావంతుడు సర్వత్రా పూజించబడును.)
बड़ों की सेवा करो। (అమ్మ – నాన్నలను పెద్దలందర్నీ గౌరవించుము.)
स्त्रियों का आदर करो। (స్త్రీలను గౌరవించుము.)
सभी जीव जंतुओं से प्यार करो। (సకల జీవ జంతువులయందు ప్రేమను ఉంచుము.)
ईमानदारी जीवन बिताइए। (నిజాయితీతో జీవించు.)

ई. कबीर और वृंद के दोहे हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ? बताइए।
(కబీరు మరియు వృంద్ల దోహాలు మన జీవితాన్ని ఎలా ప్రభావితం చేస్తాయి? వివరించండి.)
उत्तर :
कबीर और वृंद के दोहे हमारे जीवन को इस प्रकार प्रभावित करते हैं-
कबीर
कबीर के दोहे हमें भगवान को सुख समय में भी स्मरण करने का आदत दिलाते हैं।
कबीर के दोहों से हम जीवन में किसी भी काम को जल्दबाजी से न करने का आदत को सीख लेते हैं। हर एक काम बहुत सोच विचार के साथ धीरे धीरे करने का आदत हम सीख लेते हैं।
कबीर के दोहों के द्वारा हम भगवान से हमारे लिये जितना आवश्यक है उतना ही देने की प्रार्थना कर सकेंगे।

(కబీర్
కబీర్దాస్ దోహాల ద్వారా మనం మన జీవితంలో భగవంతుని సుఖ సమయాలలో కూడా స్మరించుకునే అలవాటును పొందుతాము.
దోహల ద్వారా మనం మన జీవితంలో ఏ పనినీ తొందరపడక, ప్రతి పనిని నిదానంగా ఆలోచించి చేయ అలవాటును పొందెదము..
కబీర్ దోహాల ద్వారా భగవంతుని మనకు ఎంత వరకు అవసరమో అంత వరకే పొందుటకు ప్రార్థించెదము. )

वृंद
वृंद के दोहों के द्वारा हम उत्तम जन से स्नेह करने का सीख सीख लेंगे। हम यह जान सकेंगे कि सज्जनों से ही दोस्ती करना चाहिए।
वृंद के दोहों के द्वारा हम जीवन में हर हमेशा अच्छे से अच्छे काम ही करने का सीख सीख लेंगे। क्योंकि हमें अच्छे कामों से ही सुख और पुण्य मिलता है। बुरे कामों से पाप मिलेगा। हम दूसरों को जो करेंगे हमें भगवान वही करेगा।
वृंद के दोहों के द्वारा हमें निरंतर अभ्यास करने का आदत मिलता है। निरंतर अभ्यास से जडमति छात्र भी बुद्धिमान बनते हैं।
इस प्रकार कबीर और वृंद के दोहे हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।

వృంద్ దోహాల ద్వారా మనం మంచివాళ్ళతో స్నేహం చేయు పాఠాన్ని నేర్చుకుంటాము. మనం సజ్జనులతోనే.. స్నేహం చేయవలెనను నీతిని పొందెదము.
వృంద్ దోహాల ద్వారా మనం మన జీవితంలో ఎల్లప్పుడు మంచి పనులను చేయుట నేర్చుకుందుము. ఎందుకనగా మంచి పనులు చేయుట యందుయే మనకు సుఖం ఉంటుంది. పుణ్యం లభిస్తుంది. చెడు పనులు వలన పాపం లభించును. మనం ఎదుటివారికి ఏది చేస్తామో భగవంతుడు మనకు అది చేస్తాడు.
వృంద్ దోహాల ద్వారా మనం నిరంతరం అభ్యాసం చేయు అలవాటును పొందెదము. నిరంతర అభ్యాసం వలన మందమతి కూడా పండితుడు కాగలడు.
ఈ విధంగా కబీర్ – బృంద్ దోహాలు మన జీవితాలను ప్రభావితం చేస్తాయి.)

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भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. ‘जड़मति’ शब्द जड़ और मति शब्दों के जोड़ने पर बना है। ऐसे ही कुछ और शब्द बनाइए।
उत्तर :
जड़प्रकृति, जड़वाद, जड़हीन, जड़ाव, जड़ाऊ, जड़हन, जड़ताई, जड़काला आदि।

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

कुछ दोहे संकलित कीजिए। (కొన్ని దోహాలు సేకరించండి.)

1. तुलसी संत सुअंब तरु, फूलि फलहिं परहेत।
इतते ये पाहन हनत उतते वे फल देत।।
2.एक भरोसो, एक बल, एक आस बिस्वास।
एक राम घनस्याम हित, चातक तुलसीदास।।
3. रहिमन लाख भली करो, अगुनी अगुन न जाय।
राग सुनत पय पियत हूँ, साँप सहज धरि खाय।।
4. मथत मथत माखन रहै, दही मही बिलगाय।
रहिमन सोई मीत है, भीर परे ठहराया।
5. कबिरा छुदा कै कूकरी करत भजन में भंग।
वाको टुकडा डारिकै, सुमिरन करो निसंग।।
6. कमल नयन घनस्याम मनोहर, अनुचर भयौ रहौ।
सूरदास प्रभु भक्त कृपानिधि, अनुचर चरण गहौ।।

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प्रश्न-II

प्रश्न 1.
कबीर ने ईश्वर से क्या माँगा है?
(కబీర్ పరమాత్ముని / భగవంతుడిని ఏమి కోరారు?)
उत्तर :
कबीरदास भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करते हैं हे भगवान कृपा करके मुझे इतनी ही संपत्ति दीजिए – जिससे मैं अपने परिवार का पोषण कर सकूँ मेरी भूख भी मिट जाय और मेरे घर आये साधु लोगों की भूख मैं मिटा सकूँ। अर्थात् साधु लोगों का आदर करने का पवित्र काम हो सके।

प्रश्न 2.
भगवान का स्मरण कब करना चाहिए? क्यों ?
(భగవంతుని స్మరణ ఎప్పుడు చెయ్యాలి? ఎందుకు?)
उत्तर :
कबीरदास हिन्दी साहित्य के निर्गुण ज्ञानाश्रय शाखा के प्रतिनिधि कवि थे। कबीर की रचनाएँ बी नामक ग्रन्थ में संकलित हैं। वे पढे लिखे नहीं थे। किन्तु ज्ञानी थे।
कबीर कहते हैं कि दुःख के समय में सब लोग भगवान को याद करते हैं। लेकिन सुख के दिनों में भगवान का स्मरण ही नहीं करते। यदि हम लोग सुख के समय में भी भगवान का स्मरण करें तो दुःख कैसे हो सकते हैं। इसलिए भगवान का स्मरण सदा करना चाहिए।

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प्रश्न 3.
वृन्द अभ्यास के बारे में क्या कहते हैं?
(వృంద్ సాధన గురించి ఏమి చెప్పుచున్నారు?)
उत्तर :
कविवर वृंद जी इस तरह अभ्यास का महत्व बताते हैं। वे कहते हैं कि अभ्यास से हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। इस विषय का उदाहरण वे इस तरह निशान पड जाता है। इसी तरह अभ्यास करते देते हैं रस्सी की बार बार रगड से शिला पर भी करते मूर्ख भी ज्ञानी बन सकता है।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
पठित पद्यांश :

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।।
धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय।।

प्रश्न :
1. भगवान का स्मरण कब नहीं करते हैं?
2. भगवान का स्मरण सब कब करते हैं ?
3. फल कब फलते हैं ?
4. ये दोहे किस पाठ से लिये गये हैं?
5. माली कितने घडे सींचता है ?
उत्तर :
1. सुख में भगवान का स्मरण नहीं करते हैं।
2. सब दुख में भगवान का स्मरण करते हैं।
3. ऋतु आने से फल फलते हैं।
4. ये दोहे अमरवाणी पाठ से लिये गये हैं।
5. माली सौ घडे सींचता है।

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II. साई इतना दीजिए, जामे कुटुम्ब समाय।
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय।।
उत्तम जन के संग में, सहजे ही सुखभासि।
जैसे नृप लावे इतर, लेत सभा जनवासि।।

प्रश्न :
1. कबीर भगवान से कितना धन देने की प्रार्थना करते हैं ?
2. इतर कौन लाते हैं ?
3. उत्तम जन के संग से हमें क्या मिलता है ?
4. उपर्युक्त इन दोहों में से दूसरे दोहे के कवि कौन है ?
5. इन दोहों को किस पाठ से लिया गया है ?
उत्तर :
1. कबीर भगवान से जितना धन अपना परिवार के लिए, आवश्यकता है उतना धन ही को देने की प्रार्थना करते हैं।
2. इतर नृप लाते हैं।
3. उत्तम जन के संग से हमें सुख मिलता है।
4. उपर्युक्त इन दोहों में से दूसरे दोहे के कवि है श्री वृंद। (वृंदावन दास)
5. इन दोहों को ‘अमर वाणी’ पाठ से लिया गया है।

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III. करे बुराई सुख है, कैसे पावै कोई।
रोपै बिरवा आक को, आम कहाँ तें होइ।।
करत – करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।

प्रश्न :
1. जडमति सुजान कैसा बनता है ?
2. रस्सी रगडने से सिल पर क्या पडता है ?
3. लोग बुराई करने से किसे नहीं पाते हैं?
4. इन दोहों के कवि कौन है ?
5. इन दोहों को किस पाठ से लिया गया है ?
उत्तर :
1. अभ्यास करते करते जडमति सुजान बनता है।
2. रस्सी रगडने से सिल पर निशान पडता है।
3. लोग बुराई करने से सुख नहीं पाते हैं।
4. इन दोहों के कवि हैं श्री वृंद (वृंदावन दास)
5. इन दोहों को ‘अमर वाणी’ नामक पाठ से लिया गया है।

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान ॥

प्रश्न :
1. “अमृत की खान” कौन है?
2. विष की बेलरी क्या है?
3. सीस दिये तो कौन मिलते हैं?
4. “सीस” शब्द का अर्थ क्या है ?
5. ‘सस्ता” शब्द का विलोम शब्द क्या है ?
उत्तर :
1. अमृत की खान गुरु है।
2. विष की बेलरी तन है।
3. सीस दिये तो गुरु मिलते हैं।
4. सीस शब्द का अर्थ है “सिर”।
5. सस्ता शब्द का विलोम है- “महँगा “।

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II. अभी समय है. अभी नहीं कुछ भी बिगडा है।
देखो अभी सुयोग, तुम्हारे पास खड़ा है।
करना हो जो काम, उसीमें चित्त लडा दो।
आत्मा पर विश्वास करो, सन्देह भगा दो।
आवेगा क्या समय, समय तो चला जा रहा है।

प्रश्न :
1. इस कविता में किसका महत्व बताया गया है ?
2. हमें किस पर विश्वास करना चाहिए ?
3. हमें किसको भगाना है ?
4. हमें किस पर चित्त लगाना चाहिए ?
5. अभी भी हमारे पास क्या खड़ा है ?
उत्तर :
1. इस कविता में समय का महत्व बताया गया है।
2. हमें आत्मा पर विश्वास करना चाहिए।
3. हमें संदेह को भगाना है।
4. हमें जो काम करना है उसी पर चित्त लगाना चाहिए।
5. अभी भी हमारे पास सुयोग खड़ा है।

III. दो में से क्या तुम्हे चाहिए, कलम या तलवार ?
मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति अजेय अपार ?
अंध कक्ष में बैठ रचोगे ऊँचे, मीठे गान ?
या तलवार पकड, जीतोगे बाहर जो मैदान ?
जला ज्ञान का दीप सिर्फ़ फैलाओगे उजियाली ?
अथवा उठा कृपाण करोगे घर की भी रखवाली ?
पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे ?
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे ?

प्रश्न :
1. कवि किन दो चीज़ों में से एक को चुनने को कह रहा है ?
2. तलवार का प्रयोग कहाँ किया जाता है?
3. विचारों के जलते अंगारे कौन पैदा करता है?
4. घर की रखवाली कौन करेगा ?
5. दिए गए गद्यांश का शीर्षक” क्या हो सकता है?
उत्तर :
1. कवि कलम और तलवार इन दो चीज़ों में से एक को चुनने को कह रहा है।
2. तलवार का प्रयोग युद्ध में किया जाता है।
3. विचारों के जलते अंगारे कलम पैदा करता है।
4. घर की रखवाली कृपाण करेगा।
5. दिये गये पद्यांश का शीर्षक हो सकता है कलम या तलवार

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IV. सबकी नसों में पूर्वजों का पुण्य रक्त प्रवाह हो,
गुण, शील, साहस, बल तथा सबमें भरा उत्साह हो।
सबके हृदय में सर्वदा समवेदना का दाह हो,
हमको तुम्हारी चाह हो, तुमको हमारी चाह हो ॥

प्रश्न :
1. सबकी नसों में किनका पुण्य रक्त प्रवाह हो ?
2. सबके हृदय में सर्वदा किसका दाह हो ?
3. सब में गुणशील तथा किनका भरा उत्साह हों ?
4. हमको किसकी चाह हो ?
5. तुम को किसकी चाह हो ?
उत्तर
1. सबकी नसों में पूर्वजों का पुण्य रक्त प्रवाह हो।
2. सबके हृदय में सर्वदा समवेदना का दाह हो।
3. सब में गुण, शील, साहस, बल तथा भरा उत्साह हो।
4. हम को तुम्हारी चाह हो।
5. तुमको हमारी चाह हो।

उद्द्शेश्य (ఉద్దేశ్యము) :

नीति दोहों का संकलन व पठन कर नैतिक भावनाओं से जीवन मूल्यों का विकास करना
(నీతి పద్యాలను సంకలనం చేసి లేదా చదివి నైతిక భావములతో జీవిత విలువలను వికసింపచేయుట.)

कवि : कबीरदास
(కవి) (కబీర్దాస్)
जीवनकाल : 1398-1528
(జీవితకాల)
रचनाएँ : बीजक (బీజక్)
(రచనలు).
विशेषताएँ : ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवि
(ఏ్రత్యేకతలు) (జ్ఞానమార్గశాఖకు చెందిన ప్రముఖ కవి)

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शब्दार्थ – भावार्थ :

1. दुःख में सुमिरन सब करे,सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को हाय।।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • सुमिरन = జ్ఞప్తికి తెచ్చుకొనుట.
  • काहे = ఎందుకు, why
  • होय = होता है, సంభవించును. to happen

भावार्थ : कबीरदास हिन्दी साहित्य के निर्गुण ज्ञानाश्रय शाखा के प्रतिनिधि कवि थे। कबीर की रचनाएँ बीजक नामक ग्रन्थ में संकलित हैं। वे पढे – लिखे नहीं थे। किन्तु ज्ञानी थे। कबीर कहते हैं कि दु:ख के समय में सब लोग भगवान को याद करते हैं। लेकिन सुख के दिनों में भगवान का स्मरण ही नहीं करते। यदि हम लोग सुख के समय में भी भगवान का समरण करें तो दुःख कैसे हो सकता है। इसलिए भगवान का स्मरण सदा करना चाहिए।

భావార్థము : కబీర్ దాస్ హిందీ సాహిత్య నిర్గుణ జ్ఞానాశ్రయశాఖకు చెందిన గొప్ప కవి. వీరి రచనలు “బీజక్” అను గ్రంథంలో పొందుపరచబడినవి. వారు చదువుకున్నవారు కాదు కాని గొప్ప జ్ఞానవంతులు. దుఃఖ సమయంలో అందరూ భగవంతుని గుర్తుకు తెచ్చుకుంటారు. కాని సుఖములో ఎన్నడూ భగవంతుని తలచరు. మనము సుఖ సమయంలో కూడా భగవంతుని స్మరించినట్లయితే దుఃఖములు ఎందుకు కలుగుతాయి? అందువలన భగవంతుని సదా స్మరిస్తూ ఉండాలి అని కబీరు చెప్పారు.

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2. धीरे – धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचै सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय।।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • धीरे = మెల్లగా, slowly
  • मना = మనస్సు, heart/ soul
  • सब कुछ = సర్వము / అంతయు whole / complete
  • होय = అగును, to happen
  • माली = తోటమాలి, gardener
  • सीचै = నీరుపెట్టుట, to irrigate
  • घडा = కుండ, pot

भावार्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि सारे काम धीरे – धीरे निश्चित समय पर ही होते हैं। शीघ्रता दिखाने मात्र से कोई काम नहीं होता। फल जल्दी पाने की अभिलाषा से माली सौ घडे पानी से पेड सींचता है तो भी असमय में पेड से कोई फल नहीं मिलता। मौसम के आने पर ही पेड से फल निकलते हैं। इसी तरह जल्दबाजी करने मात्र से कोई काम नहीं होता।

భావార్ధము : అన్ని పనులు నెమ్మది – నెమ్మదిగా సరియైన సమయంలోనే జరుగుతాయి. త్వరిత గుణము చూపినంతలోనే ఏ పనీ జరుగదు. పండ్లు త్వరగా పొందాలనే ఆకాంక్షతో తోటమాలి వంద కుండల నీరు చెట్టుకు పోసి తడిపినా అకాలంలో చెట్టు నుండి పండు ఏమీ రాదు. ఋతువు వచ్చినప్వుడే చెట్టుకు పండ్లు కాస్తాయి. ఇదే విధంగా తొందరపాటుతనము వలన ఏ పనీ జరుగదు.

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3. साई इतना दीजिए, जामे कुटुम्ब समाय।
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय।।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • साई = భగవంతుడు, god
  • कुटुम्ब = పరివారము, family
  • भूखा = ఆకలితో ఉన్నవాడు, hungry man

भावार्थ : कबीरदास भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करते हैं – हे भगवान! कृपा करके मुझे इतनी ही संपत्ति दीजिए – जिससे मैं अपने परिवार का पोषण कर सकूँ। मेरी भूख भी मिट जाय और मेरे घर आये साधु लोगों की भूख मैं मिटा सकूँ। अर्थात् साधु लोगों का आदर करने का पवित्र काम हो सके।

భావార్థము : కబీర్దాస్ భగవంతుడి ఈ విధముగా ప్రార్రిస్తున్నారు. ఓ పరమాత్మా! దయచేస్ నా కుటుంబాన్ని పోష్ంచుకోగలిగే, నా ఆకలి తీర్చుకొని, నా ఇంటికి వచ్చిన సాధువుల అకలి తర్చగలిగినంత సంపదనే నాకు ప్రసాదించు.

कवि (కవి) : वृंद (वृंदावनदास) వృంద్ (వృందావన్దాస్)
जीवनकाल (జీవితకాలం) : 1643-1723
रचनाएँ (రచనలు) : वृदं सतसई (వృంద్ సత్సయీ)
विशेषताएँ (ప్రత్యేకతలు) : नीतिपरक दोहों के लिए प्रसिद्ध
(నీతి సంబంధమైన దోహాలకు ప్రసిద్రి చెందినవారు)

1. उत्तम जन के संग में, सहजे ही सुखभासि।
जैसे नृप लावै इतर, लेत सभा जनवासि।।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • उत्तम = మంచి, good
  • संग = సాంగత్యము, company
  • सहजे ही = సహజంగానే, naturally
  • भासी = ప్రకాశిస్తుంది, twinkles
  • नृप = రాజు, king
  • इतर = సెంటు/లేపనము, scent

भावार्थ : कविवर वृंद हिन्दी साहित्य के रीतिकाल के सूक्तिकार कवियों में प्रमुख हैं। इनकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण “वृंद सतसई” है उनके दोहे नीतिपरक और उपदेशात्मक हैं। इस दोहे में वृंद जी कहते हैं कि अच्छे और महान गुणवालों के सांगत्य से सदा सुख ही मिलता है। इसी का उदाहरण वे इस तरह देते है- राजा सभा में इत्र (सुगंध) लेकर आते हैं तो उस सुगंध का सुख सभी सभासद लेते हैं। अर्थात् वे इतर का अनुभव करते हैं।

భావార్థము : కవివర్యులు వృంద్ హిందీ సాహిత్య రీతికాల సూక్తికారులైన కవులలో ప్రముఖలు. ‘వృంద్ సత్సయీ’ వీరి ప్రసిద్ధికి ముఖ్యకారణము. వీరి దోహాలు నీతిని, ఉపదేశమును ఇచ్చెడివి.

ఈ దోహోలో వృంద్ మంచివారు, గొప్పగుణములు కలవాళి స్నేహము వలన ఎప్పుడ సుఖము కలుగుతుంది. దీనికి ఉదాహరణనిస్తూ అంటున్నారు. రారాజు సభకు సుగంధ లేపనము తీసుకొని (సెంటు) వచ్చినప్పుడు, దాని సువాసన సుఖ్న్న్ సభికులందరూ అనుభవించి సంతోషిస్తారు.

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2. करै बुराई सुख चहै, कैसे पावै कोई।
रोपे बिरवा आक को, आम कहाँ तें होइ।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • चहै = चाह, కోరిక, wish / desire
  • पावै = పొందుట, to get
  • रोपै = నాటుట, to sow
  • बिरवा = మొక్క, plant

भावार्थ : कविवर वृंद जी कहते हैं कि कोई भी बुराई करके सुख चाहे तो वह कैसे मिल सकता है। अर्थ है कि बुरा करके सुख पाना असंभव है। उदाहरण देते वृन्द कहते हैं कि आक का पौधा लगाकर आम का फल प्राप्त करना कैसे संभव होता है ? उसी तरह भलाई करके ही सुख प्राप्त करना है, बुराई करके नहीं।

భావార్థము : ఎవరైనా చెడు చేసి సుఖము / సంతోషం కోరుకుంటే ఎలా కలుగుతుంది? అనగా కీడు / హాని చేసి సుఖం పొందటం అసంభవము. దీనికి ఉదాహరణ ఇస్తూ వృంద్ చెప్పుచున్నారు. జిల్లేడు మొక్క వేసి మామిడి పండు పొందటం ఎలా సంభవమవుతుంది. అదే విధంగా మేలు చేస్తేనే సుఖాన్ని పొందవచ్చు, కీడు చేసి కాదు.

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3. करत – करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।

शब्दार्थ (అర్థములు (Meanings) :

  • जडमति = మూర్ఖుడు, fool
  • सुजान = పండితుడు, clever
  • रसरी = త్రాడు, rope
  • सिल = రాయి, stone
  • निसान = చిహ్నము/గుర్తు, symbol

भावार्थ : कविवर वृंद जी इस दोहे में अभ्यास का महत्व बताते हैं। वे कहते हैं कि अभ्यास से हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। इस विषय का उदाहरण वे इस तरह देते हैं – रस्सी की बार – बार रगड से शिला पर भी निशान पड जाता है। इसी तरह अभ्यास करते – करते मूर्ख भी ज्ञानी बन सकता है।

భావార్థము : కవివర్యులు వృంద్ ఈ దోహాలో సాధన యొక్క గొప్పతనాన్ని వర్ణిస్తున్నారు. సాధనతో మనము అన్నీ పొందగలము. ఈ విషయానికి ఉదాహరణను ఇస్తూ త్రాడు యొక్క ఒరిపిడి వలన బండ రాయి మీద కూడా గుర్తు ఏర్పడుతుంది. ఇదే విధముగా సాధన చేయగా చేయగా మూర్ఖుడు కూడా పండితుడు కాగలడు అని అంటున్నారు.

TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 9th Lesson रमज़ान Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 9th Lesson Questions and Answers Telangana रमज़ान

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రములో ఏమి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में दो लड़के हैं। वे दोनों मुसलमान लड़के हैं। वे बडी खुशी से एक दूसरे का आंलिगन करते दिखाई दे रहे हैं।

प्रश्न 2.
देश के विकास के लिए एकता का क्या महत्व है?
(దేశాభివృద్ధికి ఐకమత్యమునకు గల విలువ ఏమిటి ?)
उत्तर :
देश में अनेक धर्म, जाति और संप्रदायों के लोग रहते हैं। उन सब में एकता की भावना अवश्य होनी चाहिए। एकता की भावना से सभी लोग मिलजुलकर, बिना किसी भेदभाव के प्रेम से रह सकते हैं। भाईचारे की भावना बढती है।

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प्रश्न 3.
हम धार्मिक सद्भावना कैसे बढ़ा सकते हैं?
(మనం మతపరమైన సద్భావనను ఎలా పెంపొందించగలం ?)
उत्तर :
विविध धर्मों के त्यौहारों को मनाकर, विविध धर्मोवालों से मिल -जुलकर रहते, भाईचारे और स्नेह के द्वारा धार्मिक सदृभावना को हम बढ़ा सकते हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)

अ. इन प्रश्नों के उत्तर सोचकर लिखिए। (ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు అలోచించి సమాధానం ఇవ్వండి)

प्रश्न 1.
सद्भावना के विकास में त्यौहारों का क्या महत्व है ?
(సద్బావన వికాసంలో పండుగల పాత్ర ఏమిటి?)
ज.
व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के जीवन में त्यौहारों का विशेष महत्व होता है। त्यौहारों से मानव जीवन में सक्रियता बढती है। परिवार में उल्लास और आनंद छा जाता है। त्यौहार हमारी सामाजिक सोच और सामुदायिक जीवन को विकसित करते हैं, सामाजिक संबन्धों में आनेवाले तनावों को कम करते हैं। पारस्परिक प्रेम संबन्धों को मज़बूत करते हैं। त्यौहार राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधते हैं। त्यौहार हमें अनुभव कराते हैं कि हमारी एक गौरवशाली परंपरा है और संस्कृति है। इनसे सद्भावना का विकास ज़रूर होता है।

(వ్యక్తి, సమాజం, దేశ జీవితములో పండుగలకు ప్రత్యేక విలువ ఉన్నది. పండుగల వలన మానవ జీవితములో క్రియాశీల గుణం పెరుగుతుంది. కుటుంబంలో ఉల్లాసం, సంతోషం వ్యాపిస్తాయి. పండుగలు మన సామాజిక ఆలోచనను సాముదాయక జీవితాన్ని వికసింపచేస్తాయి. సమాజ సంబంధాలలో వచ్చే ఒత్తిడులను తగ్గిస్తాయి. పరస్పర ప్రేమ సంబంధాలను దృఢపరుస్తాయి. పండుగలు దేశాన్ని ఒకే త్రాటిలో కట్టివేస్తాయి. మనది గౌరవనీయమైన సాంప్రదాయము, సంస్కృతి అని పండుగలు మనకు గుర్తు చేస్తాయి. వీటి వలన సద్భావము తప్పక వికసిస్తుంది.)

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प्रश्न 2.
त्यौहार मनाने में बच्चों की खुशियाँ कैसी होती हैं ?
(పండుగ జరుపుకొనడంలో పిల్లల ఆనందాలు ఎలా ఉంటాయి?)
उत्तर :
मानव जीवन में त्यौहारों का मनाना खास विषय होता है। त्यौहार मनाने में बच्चे बहुत खुशी से भाग लेते हैं। बच्चे तो नादान और निर्मल हृदयवाले होते हैं। इसलिए वे बिना किसी भेदभाव के सबसे प्रेमपूर्वक मिलजाते हैं। खुशी से अपने दोस्तों का अभिनंदन करते हैं। त्यौहार के समय नये कपडे पहनते हैं। विविध व्यंजनों के साथ भोजन करते हैं। इससे बच्चों की खुशियों की सीमा नहीं रहती है। संक्रांति, दीवाली, उगादि आदि त्यौहरों के समय तो उन त्यौहारों से संबन्धित चीज़ों से खेलते-कूदते हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि त्यौहारों में भी वे बड़े खुश रहते और श्रद्धा से त्यौहार मनाकर देश भक्ति मन में भर लेते हैं।

(మానవ జీవితములో పండుగలు జరుపుకొనుట గొప్ప విషయము. పండుగ జరుపుకోవడంలో పిల్లలు చాలా సంతోషంగా పాల్గొంటారు. పిల్లలు అమాయకులు, నిర్మల హృదయులు. ఇందువలన ఎట్టి భేదభావములు లేకుండా అందరితో ప్రేమగా కలిసిపోతారు. ఆనందంతో తమ మిత్రులను అభినందించుకుంటారు. పండుగ సమయంలో క్రొత్త బట్టలు ధరిస్తారు. రకరకాల పిండి వంటలతో భోజనాలు చేస్తారు. దీని వలన పిల్లల ఆనందానికి హద్దే ఉండదు. సంక్రాంతి, దీపావళి, ఉగాది వంటి పండుగల సమయాలలో ఆయా పండుగలకు సంబంధించిన వస్తువులతో ఆడుతారు. స్వాతంత్య్ర దినోత్సవం, గణతంత్ర దినోత్సవం వంటి పండుగలప్పుడు కూడా వారు చాలా సంతోషంగా ఉంటారు. శ్రద్ధతో పండుగ జరుపుకొని దేశభక్తిని మనస్సులో నింపుకుంటారు.)

प्रश्न 3.
‘मानव सेवा ही माधव सेवा है।’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(మానవ సేవయే మాధవసేవ. దీని గురించి మీ ఉద్దేశ్యము వ్యక్తపరచండి.)
उत्तर :
मानव सामाजिक प्राणी है। हर एक व्यक्ति समाज का अंग ही है। ज्ञानी और बुद्धिमान होने के कारण सबसे मानव मिलजुलकर रहना चाहता है। इसलिए समाज में रहनेवाले लोगों के बारे में सोचना आवश्यक सहायता करना मानव का सच्चा धर्म है। सेवा भाव ही मानव का उत्तम गुण है। अपने जीवन को सुचारू रूप से बिताते, साथ ही लोगों के काम आते, ज़रूरतमंदों की सहयता करने में तत्पर रहना है। मुसीबतों में रहे लोगों के कष्टों को दूर करना मानवता का चिह्न है। इसीलिए कहा गया है कि मानव सेवा ही माधव सेवा है। अर्थ है किं मानव की सेवा ही भगवान की सेवा है।

(మానవుడు సంఘజీవి. ప్రతి ఒక్క వ్యక్తి సమాజంలోని భాగమే. జ్ఞానవంతుడు, తెలివిగలవాడు అయిన కారణముగ అందరితో మానవుడు కలిసిమెలిసి ఉండాలని కోరుకుంటాడు. ఇందువలన సమాజంలో నివసించెడి వ్యక్తుల గురించి ఆలోచించడం, అవసరమైన సహాయం చెయ్యడం మానవుని అసలైన ధర్మం. సేవాభావమే మానవుని గొప్పగుణం. తన జీవితాన్ని సుఖకరంగా గడుపుతూ ప్రజలకు ఉపయోగపడుతూ, అవసరమైన వారికి సహాయం చేయుటలో సిద్ధంగా ఉండాలి. కష్టాలలో ఉన్న వారి కష్టాలను దూరం చేయడం మానవత్వం. ఇందువలననే మానవ సేవే మాధవ సేవ అని చెప్పబడింది.)

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आ. पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम दीजिए।
(పాఠం ఆధారంగా వాక్యములకు సరియగు క్రమం ఇవ్వండి.)
1. सभी धर्मों के लोग विविध प्रकार के उत्सव व त्यौहार मनाते हैं।
2. यहाँ अनेक धर्मों व जातियों के लोग रहते हैं।
3. ये त्यौहार समाज में खुशी और सजगता लाते हैं।
4. भारत प्राचीन और विशाल देश है।
उत्तर :
1. 3
2. 2
3. 4
4. 1

इ. इन वाक्यों के भाव स्पष्ट कीजिए।
(ఈ వాక్యముల భావములు స్పష్టం చేయండి.)

प्रश्न 1.
नागरिकता और सामाजिकता की भावनाएँ बढ़ती हैं।
(నాగరికత, సామాజిక భావనలు వృద్ధి చెందుతాయి.)
उत्तर :
रमज़ान मुसलमानों का प्रमुख त्यौहार है। रमज़ान महीने भर मुसलमान भाई रोज़े रखते हैं। रोज़ा का अर्थ है उपवास। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना खाये पिये दैनंदिन कार्य करते नियमपूर्वक रहते हैं। मन को अल्लाह की इबादत में लगाना रमज़ान का मुख्य उद्देश्य है। रोज़ा रखने से मनुष्य स्वस्थ व चुस्त बना रहता है। उसमें आत्मसंयम, आत्मनियंत्रण, आत्मविश्वास, आत्मानुशासन आदि गुण विकसित होते हैं। इस तरह रमज़ान त्यौहार से नागरिकता और सामाजिकता की भावनाएँ बढ़ती हैं।

प्रश्न 2.
उपवासों का यह पावन पर्व हमें मानव कल्याण का संदेश देता है।
(ఉపవాసాల ఈ పవిత్రమైన పండుగ మనకు మానవునికి మేలు చేయు సందేశము ఇచ్చుచున్నది.)
उत्तर :
रमज़ान मुसलमानों का पवित्र त्यौहार होते हुए भी सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह शांति, अहिंसा, त्याग, परोपकार, न्याय, धर्म आदि महान गुणों का विकास करता है। हमें मानवता के रास्ते पर बढ़ने की प्रेरणा यह त्यौहार देता है। इसीलिए उपवासों का यह पावन पर्व हमें सद्भावना के सूत्रों में बाँधकर मानव कल्याण का संदेश देता है।

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ई. नीचे दी गयी पंक्तियाँ पढ़िए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన పంక్తులు చదవండి. ప్రశ్నలకు జవాబులు వ్రాయండి.)
सूरज चाँद सितारों वाली
हमदर्दी की प्यारी प्यारी, ईद मुबारक।
हमको, तुमको, सबको अपनी,
मीठी मीठी ईद मुबारक ॥

प्रश्न (ప్రశ్నలు) :

प्रश्न 1.
सूरज चाँद सितारों वाली क्या है ?
उत्तर :
सूरज, चाँद, सितारों वाली ईद है।

प्रश्न 2.
ईद कैसी होती है ?
उत्तर :
ईद प्यारी-प्यारी, मीठी-मीठी हाती है।

प्रश्न 3.
किस किसको “ईद मुबारक” की शुभकामनाएँ दी गयी हैं ?
उत्तर :
हमको, तुमको, सबको ईद मुबारक की शुभकामनाएँ दी गयी हैं।

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
रमज़ान का त्यौहार विश्व कल्याण की भावना बढ़ाने में सहायक है। कैसे ?
(రంజాన్ పండుగ విశ్వకళ్యాణ భావనను పెంపొందించుటలో సహాయపడును. ఎలా?)
उत्तर :
रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने के कारण लोगों में आत्मसंयम, आत्मनियंत्रण, आत्मविश्वास और आत्म अनुशासन आदि गुण विकसित होते हैं। जिससे मानवता और सामाजिकता की भावनाएँ बढ़ती हैं। अपने कर्तव्यों का बोध होता है। गरीबों के दुख दर्दों का अनुभव किया जाता है और उसकी सहायता की जाती है। जिससे भाईचारे का विकास होता है। रमज़ान के महीने में चारों ओर परोपकार की भावना छा जाती है। जिससे मानव सेवा के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इस रमज़ान के महीने में विशेष रूप से दुआएँ माँगी जाती हैं। जिनमें विश्व कल्याण की भावना होती है। रमज़ान शांति, अहिंसा, त्याग, परोपकार, न्याय और धर्म आदि गुणों का विकास होता है।
उपर्युक्त इन सारे कारणों से हम कह सकते हैं कि रमजान का त्यौहार विश्व कल्याण की भावना को बढ़ाने में सहायक है।

(రంజాన్ నెలలో రోజా (ఉపవాసం) ఉండటం వలన ఆత్మసంయమనం, ఆత్మనియంత్రణ, ఆత్మవిశ్వాసం మరియు స్వయం క్రమశిక్షణ మొ॥గు గుణములు మనలో వికసించును. వీటి ద్వారా మానవత్వం సామాజికతత్వం అనే భావాలు మనలో పెంపొందించబడతాయి. మనకు వీటి ద్వారా కర్తవ్య బోధన జరుగును. పేదవారు, వారు అనుభవించుచున్న దుఃఖం పట్ల మనకు పరిచయం ఏర్పడి వారికి సహాయం చేయడం జరుగుతుంది. వీటి ద్వారా సోదర భావం పెంపొందించబడుతుంది. రంజాన్ నెలలో నాల్గువైపులా పరోపకార భావం వ్యాప్తి చెందుతుంది. దీనిద్వారా మానవ సేవా పథంలో పయనించుటకు ప్రేరణ కల్గుతుంది. ఈ రంజాన్ పండుగ కాలంలో విశేషంగా – ప్రార్థనలు ఆశీర్వాదాలు కోరబడతాయి. వీటిలో విశ్వకళ్యాణ భావం ఉంటుంది. రంజాన్ పండుగ శాంతి, అహింస, త్యాగం, పరోపకారం, న్యాయం మరియు ధర్మం మొ॥గు గుణాలను వికసింపజేస్తుంది.
పైన పేర్కొనబడిన ఈ అన్ని కారణముల వలన రంజాన్ పండుగ విశ్వకళ్యాణ భావనను పెంపొందించుటలో సహాయకారి కాగలదని చెప్పవచ్చు.)

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प्रश्न 2.
रमज़ान के त्यौहार के पीछे चाँद और सूरज की क्या भूमिका होती है ?
(రంజాన్ పండుగ వెనుక చంద్రుడు మరియు సూర్యుడి పాత్ర ఏమిటి?
उत्तर :
इस्लामी महीना चाँद के निकलने से शुरू होता है। रमज़ान का चाँद निकलने पर इसकी सूचना विविध प्रकार से दी जाती है। रमज़ान मास की सूचना मिलते ही मुस्लमान भाई रोजों की तैयारियों में लग जाते हैं और रमज़ान के महीने भर रोजें रखते हैं। रोज़ा यानि उपवास है। रोज़ा रखने के लिए सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटा पहले आहार लिया जाता है। इसे सहरी कहते हैं। इस प्रकार रमज़ान त्यौहार के पीछे चाँद और सूरज की भूमिका होती है।

(ఇస్లామీ (ఇస్లాం/ముస్లిం మతస్థుల) నెల చంద్రుని ఉదయించిన వెంటనే ప్రారంభమగును. రంజాన్ చంద్రుడు ఉదయించిన తర్వాత దీని సూచనను వివిధ రకాలుగా ఇస్తారు. రంజాన్ పండుగ సూచన లభించగానే మహమ్మదీయ (ముస్లిం) సోదరులు రోజా (ఉపవాస) ఏర్పాట్లలో నిమగ్నమగుదురు. రోజా అనగా ఉపవాసం. ఉపవాసం ఉండడానికి సూర్యోదయానికి దాదాపు గంటన్నర ముందు ఆహారం తీసికొనెదరు. దీనిని సహరీ అని అంటారు. ఈ విధంగా రంజాన్ పండుగకు వెనుక సూర్య – చంద్రుల భూమిక ఉంటుంది.)

प्रश्न 3.
त्यौहार किस तरह समाज में खुशी और सजगता लाते हैं?
(పండుగలు ఏ విధంగా సమాజంలో సంతోషాన్ని మరియు శోభను తీసుకువస్తాయి?)
उत्तर :
भारत विशाल एवं प्राचीन देश है। यहाँ अनेक धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग रहते हैं। सभी धर्मों के लोग विविध प्रकार के उत्सव व त्यौहार मनाते हैं। ये त्यौहार समाज में खुशी और सजगता लाते हैं। ये भारतीय संस्कृति की शोभा में चार चाँद लगाते हैं। व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के जीवन में त्यौहारों का अपना विशेष महत्व होता है। सभी के लिए इनका विशेष प्रयोजन है। ज़िम्मेदारियाँ और नित्य की एक रसता व्यक्ति के जीवन में नीरसता उत्पन्न करती है रोज़ एक जैसी जीवन चर्चा, एक जैसा भोजन, वहीं कपड़े, वहीं दौड़ -धूप। इसीलिए हर परिवार में त्यौहार की बेचैनी के साथ प्रतीक्षा रहती है। जब त्यौहार आजाता है। तो पूरे परिवार में सक्रियता बढ़ जाती है। परिवार में आनंद और उल्लास छा जाता है। हमारी नीरसता और ऊब समाप्त हो जाती है। हमारा जीवन नयी शक्ति नयी उमंग और उत्साह से भर जाता है। पर्व पारस्परिक प्रेम संबंधों को मज़बूत करते हैं। त्यौहार हमें उल्लास, उत्साह और उमंग भर देते हैं। इस प्रकार त्यौहार समाज में खुशी और सजगता लाते हैं।

(భారతదేశం విశాలమైన దేశం మరియు ప్రాచీన దేశం. ఇక్కడ అనేక మతాలకు, జాతులకు, సాంప్రదాయాలకు చెందిన ప్రజలు నివసిస్తున్నారు. అన్ని మతాలకు చెందిన ప్రజలంతా వివిధ రకాల పండుగలను జరుపుకుంటారు. ఈ పండుగలు సమాజంలో సంతోషాన్ని, మెలుకువను తీసుకువస్తాయి. ఇవి భారతీయ సంస్కృతి శోభను, వికసింపజేస్తున్నాయి. వ్యక్తులు, సమాజం మరియు దేశం జీవితంలో పండుగలకు విశేష ప్రాధాన్యత ఉన్నది. అందరికీ వీటి ద్వారా విశేష ప్రయోజనం కల్గుతుంది. బాధ్యతలు, ప్రతిదినం ఒకే విధమైన క్రియాకలాపాల వల్ల వ్యక్తిగత జీవనం, దైనందిన జీవనంలో నీరసం ఉత్పన్నమగును. రోజూ ఒకే విధమైన దినచర్య, ఒకే విధమైన భోజనం, అవే బట్టలు. అందువల్ల ప్రజలందరూ పండుగల కోసం ఎదురుచూస్తూ ఉంటారు. పండుగ రాగానే కుటుంబంలోని సభ్యులందరి క్రియాకలాపాలు పెరిగిపోతాయి. కుటుంబంలో ఆనందం ఉల్లాసం చోటు చేసుకుంటాయి. మన నీరసం, విసుగు తొలగిపోతాయి. మన జీవితంలో నూతన శక్తి, నూతన ఉత్సాహం, నూతన ఉల్లాసం నిండుతుంది. పండుగలు పరస్పర ప్రేమ సంబంధాలను దృఢం చేస్తాయి. పండుగలు ఉత్సాహాన్ని, ఉల్లాసాన్ని కోర్కెలను కల్గిస్తాయి.
ఈ విధంగా పండుగలు సమాజంలో సంతోషాన్ని, మెలుకవను కల్గిస్తాయి.)

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आ. पाठ में रमज़ान के त्यौहार के बारे में बताया गया है। आप किसी त्यौहार के बारे में निबंध लिखिए।
(పాఠంలో రంజాన్ పండుగ గురించి చెప్పబడినది, మీరు ఏదేని పండుగ గురించి వ్యాసం వ్రాయండి.)

संक्रांति (पोंगल) (సంక్రాంతి (పొంగల్))

प्रस्तावना : भारत का भूगोल निराला है। यहाँ सब तरह की ऋतुएँ, सब तरह के मौसम तथा सब तरह की वनस्पतियाँ पायी जाती है। प्रकृति का हमें अनुपम वरदान मिला है। हम भारतवासी पर्व मनाकर प्रकृति के प्रति अपना आभार प्रकट करते हैं।

मकर संक्रांति भारत का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। इसे दक्षिण भारत के लोग पोंगल भी कहते हैं। यह ऋतु प्रधान पर्व है। उत्तर और दक्षिण भारत में यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। संक्राति हर साल 14 जनवरी को मनायी जाती है। इस त्यौहार का संबंध सूर्य भगवान से है। सूर्य भगवान इस दिन दक्षिणायन से उत्तरायण चलता है। इस कारण इसे उत्तरायण भी कहते हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। ऐसा विश्वास है इस दिन स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं।

विषय : सूर्य भगवान की कृपा से बहुत फ़सलें होती हैं। को पोंगल बनाकर पोंगल के दिन भेंट चढ़ाते हैं। बन्धु यह त्यौहार तीन दिन मनाया जाता है। पहले दिन को भोगी कहते हैं। दूसरे दिन को संक्रांति (पोंगल) मनाते हैं। तीसरे दिन को कनुमा कहते हैं।

इसलिए कृतज्ञ किसान नयी फ़सल से सूर्य भगवान मित्रों से मिलकर खुशी मनाते हैं।
इस दिन बड़े सबेरे ही जागकर सिरो स्नान करके नये कपडे पहनते हैं। तरह तरह के पकवान बनाकर खाते हैं। इस त्यौहार की तैयारी एक मीहने के पहले से ही होती है। घर और मकान साफ़ किये जाते हैं। चूना पोता जाता है।

उपसंहार : त्यौहार के समय किसान लोग बैलों की, गायों की पूजा करते हैं। गाँव- गाँव में कोलाहल मच जाता है। मुर्गों की होड, भेड़ों की भिडाई आदि होते हैं। बैलों की होड भी होती है। बच्चे रंग-बिरंगे पतंगे उड़ाते हैं। इस तरह सब लोग आनंद प्रमोद के साथ त्यौहार मनाते हैं।

(సంక్రాంతి (పొంగల్)

ప్రస్తావన : భారతదేశ భూగోళం సాటిలేనిది. ఇక్కడ అన్ని రకాల ఋతువులు మరియు వనమూలికలు ఉంటాయి. (లభ్యమగుతాయి) ప్రకృతి నుండి మనకు అంతులేని వరం లభించింది. మన భారతీయులం పండుగలు జరుపుకుని ప్రకృతి పట్ల మన ప్రేమను ప్రకటిస్తాము.
మకర సంక్రాంతి భారతదేశపు ఒక పెద్ద పండుగ మరియు ప్రసిద్ధి చెందిన పండుగ. దీనిని దక్షిణ భారతదేశ ప్రజలు పొంగల్ అని కూడా పిలిచెదరు. ఇది ఋతు ప్రధానమైన పండుగ ఉత్తర మరియు దక్షిణ భారతదేశంలో ఈ పండుగను వైభవోపేత వైభవంగా జరుపుకుంటారు. సంక్రాంతి పండుగ ప్రతి సంవత్సరం జనవరి 14వ తేదీన జరుపుకొనబడుతుంది. ఈ పండుగ సూర్యభగవానునితో సంబంధాన్ని కల్గి ఉన్నది. సూర్యుడు ఈ రోజున దక్షిణాయనము నుండి ఉత్తరాయణం పయనిస్తాడు. ఈ కారణంగా ఈ పండుగను ఉత్తరాయణ పండుగ అని కూడా అంటారు. ఈ రోజున సూర్యుడు మకరరాశిలోనికి ప్రవేశిస్తాడు. ఈ రోజున స్వర్గపు ద్వారాలు తెరచి ఉంటాయని ప్రజల విశ్వాసం (నమ్మకం).
విషయం : సూర్యభగవానుని కృప వలన పంటలు బాగా పండుతాయి. అందువలన కృతజ్ఞతా సూచికగా నూతన పంటతో సూర్యభగవానునికి పొంగలి చేసి ఈ పొంగల్ (సంక్రాంతి) పండుగ రోజు సూర్యునికి అర్పిస్తారు. బంధుమిత్రులతో కలసి సంతోషంగా పండుగ జరుపుకుంటారు.
ఈ పండుగను మూడు రోజులపాటు జరుపుకుంటారు. మొదటి రోజున భోగి పండుగ అంటారు. రెండవ రోజును సంక్రాంతి పండుగగా జరుపుకుంటారు. మూడవ రోజున కనుమ పండుగ జరుపుకుంటారు.
ఈ రోజున చాలా ఉదయాన్నే నిద్ర లేచి ప్రజలు తలస్నానం చేసెదరు. నూతన వస్త్రాలను ధరించెదరు. రకరకాల పిండివంటలను చేసి భుజించెదరు. ఈ పండుగ కోసం నెలరోజుల ముందు నుండి ఏర్పాట్లు చేసెదరు.
ఇల్లు – భవంతులను శుభ్రం చేసుకొని సున్నం లేదా రంగులతో అలంకరించుకుందురు.
ముగింపు : ఈ పండుగ సందర్భంగా రైతులు తమ ఎద్దులను, ఆవులను పూజించెదరు. గ్రామగ్రామాన, కోలాహల వాతావరణం అలముకుంటుంది. కోళ్ళ పందెములు, గొజ్జెల పోటీలు మొ||నవి ఏర్పాటు చేసెదరు. ఎద్దుల పందెములు కూడా జరుపబడును. పిల్లలు రంగురంగుల గాలి పటాలను ఎగురవేసెదరు. ఈ విధంగా అందరూ ఆనందతన్మయాలతో సంక్రాంతి పండుగను జరుపుకుందురు.)

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इ. अन्य धर्म के सहपाठियों को उनके त्यौहार की शुभकामनाएँ देते हुए तीन संक्षिप्त संदेश (एस.एम.एस.) लिखिए।
(ఏదైనా పండుగ శుభాకాంక్షలు చెబుతూ మూడు ఎస్.ఎమ్.ఎస్లు వ్రాయండి.)
उत्तर :
1. ईद मुबारक
2. हमदर्दी की प्यारी – प्यारी ईद मुबारक
3. ईद-उल-फितर की शुभकामनाएँ
(ఆత్మసంయమనం మరియు క్రమశిక్షణ అను వాటికి మన జీవితంలో ఎలాంటి మహత్యం కలదో చెప్పండి.)
उत्तर :
हमारे मानव जीवन में आत्मसंयम और अनुशासन दोनों का विशेष महत्व रहता है। इन दोनों से हमारा जीवन नियमबद्ध रहता है। हमारे जीवन में इन दोनों के कारण विकास आता है। इन दोनों के कारण ही देश की उन्नति होती है।

आत्मसंयम : आत्मा को नियंत्रित रखना ही आत्मसंयम है। आत्मसंयम के कारण हम कोई भी इच्छाओं के बिना जी सकते हैं। आत्मसंयम के कारण हमें अपने कर्तव्यों के प्रति बोध होता है। इसीके कारण मानवता तथा सामाजिकता की भावनाएँ बढ़ती हैं। आत्मसंयम के कारण ही गरीबों और ज़रूरतमंदों की सहायता की प्रेरणा मिलती है। आत्मसंयम के कारण ही आत्म नियंत्रण आत्मविश्वास, आत्मधैर्य आदि भावनाएँ विकसित होती हैं।

अनुशासन हमें जो करना है, जो न करना है, कैसा जीना है, कैसे न जीना है, समाज में कैसा रहना है आदि हमें अनुशासन के द्वारा ही मालूम होते हैं। नियमबद्ध तथा शासनबद्ध रहना ही अनुशासन है। हर एक में आत्मानुशासन होना चाहिए। अनुशासनसहित समाज ही उत्तम समाज है। अनुशासित देश ही उत्तम देश है। इससे कर्तव्य बोध होता है।

(మన మానవ జీవితంలో ఆత్మసంయమనం మరియు క్రమశిక్షణ రెండింటికీ విశేష మహత్యం కలదు. ఈ రెండిటి కారణంగా మన జీవితం నియమబద్ధంగా తయారవుతుంది. మన జీవితంలో ఈ రెండిటి కారణంగా అభివృద్ధి కల్గుతుంది. ఈ రెండింటి కారణంగానే దేశం అభివృద్ధి చెందుతుంది.

ఆత్మసంయమనం : ఆత్మను నియంత్రించడమే ఆత్మ సంయమనం. దీని కారణంగా మనం ఎటువంటి కోరికలు లేకుండా జీవించవచ్చు. దీని కారణంగా మనం మన కర్తవ్యాలను గుర్తెరుగుతాము. దీని కారణంగానే మానవత్వం, సామాజిక తత్వం భావనలు మేల్కొంటాయి. ఆత్మసంయమనం కారణంగానే పేదవారికి, అవసరమైన వారికి సహాయం చేయవలెననెడి ప్రేరణ కలుగుతుంది. ఆత్మసంయమనం కారణంగానే ఆత్మ నియంత్రణ, ఆత్మ విశ్వాసం, ఆత్మ ధైర్యము మొ||గు భావాలు మనలో వికసిస్తాయి.

క్రమశిక్షణ : మనం ఏమి చేయాలో, ఏది చేయరాదో, ఎలా జీవించాలో, ఎలా జీవించకూడదో, సమాజంలో ఎలా మసలుకోవాలో మొ॥గు విషయాలు మనకు క్రమశిక్షణ ద్వారానే తెలుస్తాయి. నియమబద్ధంగా, శాసనబద్ధంగా ఉండడమే క్రమశిక్షణ. ప్రతి ఒక్కరిలో స్వయం క్రమశిక్షణ (ఆత్మక్రమశిక్షణ) ఉండాలి. క్రమశిక్షణ కల్గిన సమాజమే ఉత్తమమైనది. క్రమశిక్షణ కల్గిన దేశమే ఉత్తమమైనది. క్రమశిక్షణ ద్వారా మన కర్తవ్యాలు జ్ఞప్తికి వస్తాయి.)

TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. वाक्य पढ़िए। भेद समझिए। (వాక్యములు చదవండి. తేడా గమనించండి.)
TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान 1

1. रोज़े रखते हैं। – रोज़े रखे जाते हैं।
2. बच्चे खुशी मनाते हैं। – बच्चों के द्वारा खुशी मनायी जाती है।
3. ईद का चाँद देखते हैं। – ईद का चाँद देखा जाता है।
4. इसे सहरी कहते हैं। – इसे सहरी कहा जाता है।
5. लड़के ने रोटी खायी। – लड़के से रोटी खायी गयी।
6. लड़का रोटी खाता है। – लड़के से रोटी खायी जाती है।
7. लड़का दौड़ नहीं सकता। – लड़के से दौड़ा नहीं जाता।

1. ఉపవాసములు ఉంటారు. – ఉపవాసములు ఉండబడతాయి.
2. పిల్లలు ఆనందం అనుభవింతురు. – పిల్లలచే ఆనందం అనుభవించబడును.
3. ఈద్ చంద్రుడిని చూస్తారు. – ఈద్ చంద్రుడు చూడబడతాడు.
4. దీనిని సహరీ అందురు. – ఇది సహరీ అనబడుతుంది.
5. బాలుడు రొట్టె తినెను. – రొట్టె తినబడెను.
6. బాలుడు రొట్టె తినును. (తినుచున్నాడు.) – బాలుడిచే రొట్టె తినబడుచున్నది.
7. బాలుడు పరుగెత్తలేడు. – బాలునిచే పరుగెత్తబడజాలదు.)

TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान 4

आ. वाच्य के प्रकार : (వాచ్యము యొక్క భేదములు)

TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान 2

1. కర్రువాచ్యము: కర్తను అనుసరించి క్రియ ఉండి, వాక్యములో కర్త ప్రధానమైతే, కర్రువాచ్యము.
ఉదా : బాలుడు రొట్టె తినుచున్నాడు.
2. కర్మవాచ్యము : కర్మను అనుసరించి క్రియ ఉండి, వాక్యములో కర్మ ప్రధానమైతే కర్మవాచ్యము. ఉదా : బాలునిచే రొట్టె తినబడుచున్నది.
3. భావవాచ్యము : క్రియ యొక్క భావమును అనుసరించి క్రియ ఉన్నచో, క్రియ యొక్క భావము ప్రధానమైతే భావవాచ్యము: ఉదా : బాలునిచే పరుగెత్తబడజాలదు.

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इ. निम्नलिखित इस्लामी महीनों के नाम पढ़िए और समझिए।
(క్రింద వ్రాసిన ఇస్లామీ నెలల పేర్లు చదవండి, తెలుసుకోండి.)

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TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान 5

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

प्रश्न 1.
किसी एक व्यंजन बनाने की विधि पता कीजिए और लिखिए।
(ఏదేని ఒక పదార్థమును తయారు చేయు విధానము తెలుసుకొని వ్రాయండి.)
अ) उगादि पच्चडी
आ) शीरखुर्मा
इ) क्रिसमस केक
उत्तर :
उगादि पञ्चडी (ఉగాది పచ్చడి) उगादि हिन्दुओं का प्रमुख और मुख्य त्यौहार है। इस त्यौहार के दिन हिन्दू लोग उगादि पच्चडी बनाते हैं। पच्चडी का अर्थ है चटनी। इसकी षडरुचियाँ होती हैं। इमली, गुड, कच्चा, आम, नमक, नीम के फूल, हरी मिर्च आदि से यह चटनी बनती है। इमली से खटास, गुड से मिठास, कच्चे आम से कसैलापन, नमक से नमकीन, नीम के फूलों से कडुवाहट और हरी मिर्ची से तीखापन इसमें मिलते हैं। इन्हीं से छः स्वादों की चटनी बनायी जाती है।

बनाने की विधि : उगादि पच्चडी बनाने के लिए आवश्यक चीजें इकट्ठी की जाती हैं। पहले एक बरतन में पकी इमली को पानी में भिगोते हैं। थोड़े समय बाद उसे हाथ से पीसते रस निकालते हैं। गुड और नमक उस रस में पूरी तरह घुल जाने तक मिलाते हैं। तब तक रस चिकनी होती है। उसमें नीम के फूल डालते हैं। कच्चे आम और हरी मिर्च को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उस रस में मिलाते हैं। अब बन गयी है चटनी | उसे प्रसाद के रूप में सब खाते हैं। ये छ: स्वाद जीवन के तरह-तरह के अनुभवों के प्रतीक हैं। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि जीवन सुख-दुःखों का संगम है।

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
सहरी क्या है ?
సహరీ ఏమిటి?
उत्तर :
रमज़ान मास की सूचना मिलते ही मुसलमान भाई रोज़ों की तैयारियों में लग जाते हैं और रमज़ान के महीने भर रोज़े रखते हैं। रोज़ा मानी उपवास है। रोज़ा रखने के लिए सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटा पहले आहार लिया जाता है। इसे सहरी कहते हैं।

(రంజాన్ నెల గురించి సూచన అందగానే మహమ్మదీయ సోదరులు ఉపవాసాల ఏర్పాట్లలో నిమగ్నము అవుతారు. రంజాన్ నెల మొత్తం ఉపవాసాలు ఉంటారు. రోజా అనగా ఉపవాసము. ఉపవాసము ఉండుటకు సూర్యోదయానికి సుమారు గంటన్నర ముందు ఆహారం తీసుకుంటారు. దీనినే సహరీ అంటారు.)

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प्रश्न 2.
उपवासों से किन गुणों का विकास होता है ?
(ఉపవాసముల వలన ఏ గుణాలు వికసిస్తాయి?)
उत्तर :
रोज़ा माने उपवास है। रोज़ा रखने से मनुष्य स्वस्थ व चुस्त बना रहता है। उसमें आत्मसंयम, आत्मनियंत्रण, आत्मविश्वास, आत्मानुशासन आदि गुण विकसित होते हैं। इनसे सामाजिकता की भावना बढती है। अपने कर्तव्यों का बोध होता है। गरीबों के दुख बाधाओं का अनुभव होता है। उनकी सहायता करने को मन चाहता है।

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
रोज़े के बारे में लिखिए।
(ఉపవాసము గురించి వ్రాయండి.)
उत्तर :
मुसलमान लोग रमज़ान त्यौहार के महीने भर रोज़ा रखते हैं। रोज़ा मानी उपवास है। सहरी के बाद उपवास आरंभ होता है। उपवास माने बिना खाये, पिये दैनिक कार्य करते, मन को अल्लाह की इबादत में लगाना है। रोज़ा रखने से मनुष्य स्वस्थ व चुस्त बना रहता है। उसमें आत्मसंयम, आत्मनियंत्रण, आत्मविश्वास, आत्मानुशासन आदि गुण विकसित होते हैं। इससे सामाजिकता की भावना बढती है। अपने कर्तव्यों का बोध होता है, गरीबों के दुख-दर्दों का अनुभव किया जाता है और उनकी सहायता की जाती है। रोज़ा सूर्यास्त के साथ ही खजूर, फल, मेवा, पानी आदि से खोला जाता है। इसे इफ़्तार कहते हैं। कई स्थानों पर इफ़्तार की दावत भी रखी जाती है जिससे भाईचारे का विकास होता है।

(మహమ్మదీయులు రంజాన్ పండుగ నెల అంతా ఉపవాసము ఉంటారు. రోజా అంటే ఉపవాసము. సహరీ అయిన తరువాత ఉపవాసం ఆరంభమవుతుంది. ఉపవాసం అంటే తినకుండా, త్రాగకుండా దైనందిన పనులు చేస్తూ మనస్సును అల్లా ప్రార్థనలో నిమగ్నం చెయ్యడం. ఉపవాసం ఉండడం వలన మనిషి ఆరోగ్యవంతుడుగాను, చురుకుగాను తయారౌతాడు. అతనిలో ఆత్మనిగ్రహము, ఆత్మనియంత్రణ, ఆత్మ విశ్వాసం, క్రమశిక్షణ మొదలగు గుణములు వికసిస్తాయి. దీనితో సామాజిక భావము పెరుగుతుంది. తన కర్తవ్యము గురించి తెలుస్తుంది. బీదవారి దుఃఖబాధలు అర్థం చేసుకోబడి వారికి సహాయపడటం జరుగుతుంది. ఉపవాసం సూర్యాస్తమయంతో ఖర్జూరం, పండ్లు, ఎండిన పండ్లు, నీరు మొదలగు వానితో విరమించబడుతుంది. దీనిని ఇఫ్తార్ అందురు. అనేక చోట్ల ఇఫ్తార్ విందులు ఏర్పాటు చేయబడతాయి. దీనివలన సోదరభావము వికసిస్తుంది.)

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प्रश्न 2.
त्यौहारों के विषय में भारत की क्या विशेषता है ?
(పండుగల విషయంలో భారత్ ప్రత్యేకత ఏమిటి?)
उत्तर :
भारत विशाल देश है। यहाँ अनेक धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग रहते हैं। फिर भी भारत एक है और इसकी संस्कृति भी एक है। पर्व सारे राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधते हैं। पर्व हमें अपने पूर्वजों और उनके उपदेशों का स्मरण दिलाते हैं। जीवन में विषमताओं से संघर्ष करने की प्रेरणा पर्वों से मिलती है। भारत में हर मास अनेक पर्व सोल्लास मनाये जाते हैं। इस कारण से भारत को पर्वों का देश कहा गया है। अन्य देशवासियों की अपेक्षा भारत के लोग ज़्यादा पर्व और उत्सव मनाते हैं। यही भारत की रीति है। भारतवासी स्वभाव से ही उत्सव प्रेमी हैं। इस तरह भारत को पर्वों का देश कहना बहुत ही उचित है।

(భారత్ విశాలమైన దేశము. ఇక్కడ అనేక మతముల, కులాల, సాంప్రదాయాల ప్రజలు నివసిస్తున్నారు. అయినప్పటికీ భారత్ ఒక్కటే, దీని సంస్కృతి కూడా ఒక్కటే. పండుగలు మొత్తం దేశాన్ని ఒకే త్రాటిలో బంధిస్తున్నాయి. పండుగలు మనకు మన పూర్వీకులు, వారి మంచి ఉపదేశాలను గుర్తుకు తెస్తాయి. జీవితంలో వైషమ్యాలను ఎదుర్కొనే ప్రేరణ పండుగల నుండి లభిస్తుంది. భారత్లో ప్రతీనెలా అనేక పండుగలు సంతోషంగా జరుపుకొనబడతాయి. ఈ కారణంగా భారత్ పండుగల దేశమని చెప్పబడింది. ఇతర దేశవాసులకంటే భారత ప్రజలు ఎక్కువగా పండుగలు, ఉత్సవములు జరుపుకుంటారు. ఇదీ భారతీయ పద్ధతి.)

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया 

अपठित गद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. सबेरे समय मगर जल के पास रेत में लेटने और सोने के लिए आता है। जाड़ों में तो वह देर तक धूप लेता रहता है। मगर फागुन – चैत में अंडे देता है। अण्डे उसके बड़े – बड़े होते हैं। बह उनको रेत में गहरा गाड़ता है। साधारण तौर पर वह मछलियाँ खाता है। मुँह खोल लिया, पानी फुफकारता रहा, और मछलियों को निगलता रहा।

प्रश्न :
1. मगर जल के पास में लेटने तथा सोने के लिए कब आता है ?
2. किन दिनों में तो वह देर तक धूप लेता रहता है ?
3. मगर के अंडे कैसे होते हैं ?
4. साधारण तौर पर मगर किन्हें खाता है ?
5. मगर अंडे कब देता है ?
उत्तर :
1. सबेरे समय मगर जल के पास में लेटने तथा सोने के लिए आता है।
2. जाड़ों में तो वह देर तक धूप लेता रहता है।
3. मगर के अंडे बडे बडे होते हैं।
4. साधारण तौर पर मगर मछलियाँ खाता है।
5. मगर फ़ागुन चैत्र में अंडे देता है।

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II. सीमित जनसंख्या से मानव सुखमय होता है। नहीं तो आबादी के बढ़ जाने से देश में अन्न की समस्या बनी रहती है। इस कारण बढती हुई आबादी को रोककर सीमित संख्या में बच्चों को जन्म देना चाहिए। इसके अंतर्गत मनुष्य को योजनाएँ बनाकर जीवन बिताने की आवश्यकता है। नहीं तो बढ़ती जनसंख्या के कारण भविष्य में चीजें नहीं मिलेंगी। पैसा रहकर भी लोग रोते रहेंगे। परिणाम बहुत बुरे होंगे।

प्रश्न :
1. मानव जीवन किससे सुखमय होता है ?
2. “आबादी” शब्द का अर्थ क्या है ?
3. योजनाएँ बनाकर जीवन बिताने की आवश्यकता किसको है?
4. आबादी के बढ़ने से परिणाम कैसे होंगे ?
5. कितने बच्चों को जन्म देना चाहिए ?
उत्तर :
1. मानव जीवन सीमित जनसंख्या से सुखमय होता है।
2. आबादी शब्द का अर्थ है “जनसंख्या “।
3. मनुष्यों को योजनाएँ बनाकर जीवन बिताने की आवश्यकता है।
4. आबादी बढ़ने से देश में अन्न की समस्या बनी रहती है और परिणाम बहुत बुरे होंगे।
5. सीमित संख्या में बच्चों को जन्म देना चाहिए।

III. नारायण बडा धनी था। वह सदा घमंड के साथ रहता था। वह अपने काम स्वयं करना बड़ा अपमान समझता था। वह बडा आलसी था। इसलिए उसका सारा धन खर्च हो गया। वह अमीर से गरीब बन गया। अनेक नौकरों से सेवा लेनेवाले नारायण को स्वयं रोजगारी के लिए नौकरी करनी पडी। इसे -देखकर सब लोगों ने कहा कि कभी गाडी नाव पर कभी नाव गाडी पर।

प्रश्न :
1. अपने काम स्वयं करना कौन अपमान समझता था ?
2. नारायण कैसा आदमी था ?
3. वह रोज़गारी के लिए क्या करने लगा ?
4. उसका सारा धन क्या हो गया ?
5. इसे देखकर सब लोगों ने क्या कहा ?
उत्तर :
1. अपने काम स्वयं करना नारायण अपमान समझता था।
2. नारायण आलसी, धनी और घमंडी था।
3. वह रोज़गारी के लिए नौकरी करने लगा।
4. उसका सारा धन खर्च हो गया।
5. इसे देखकर सब लोगों ने कहा कि कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर।

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IV. हमारे पर्वतों में सबसे प्रसिद्ध, ऊँचे और विशाल पर्वत हिमालय हैं। ये हमारे देश की उत्तरी सीमा पर हैं। ये बहुत सुंदर हैं। हमेशा हिम से ढके रहते हैं। हिम मानी बरफ़ है। हिम से ढके रहने के कारण ही इन्हें हिमालय कहते हैं। हिमालय की पर्वत मालाएँ भारतीयों के लिए पवित्र हैं। ये भारतीय संस्कृति और जीवन से जुडे हुए हैं। अनेक नदियों का उद्गम स्थान इन्हीं पहाड़ों में है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्रा आदि जब नदियाँ इन्हीं से जन्म लेती हैं। इन नदियों से उत्तर भारत की विस्तृत भूमि सींची जाती है। विश्व में सबसे ऊँचा शिखर “एवरेस्ट” हिमालय में ही है।

प्रश्न :
1. हमारे देश की उत्तरी सीमा पर क्या है ?
2. हिम मानी क्या है ?
3. हिमालय पर्वतों में कौन कौनसी नदियाँ जन्म लेती हैं?
4. विश्व में सबसे ऊँचा शिखर क्या है ?
5. भारतीय संस्कृति और जीवन से जुडे हुए पर्वतों का नाम क्या है ?
उत्तर :
1. हमारे देश की उत्तरी सीमा पर हिमालय पहाड है।
2. हिम मानी बरफ़ है।
3. हिमालय पर्वतों में गंगा, यमुना और ब्रह्मपुत्र आदि जीव नदियाँ जन्म लेती हैं।
4. विश्व में सबसे ऊँचा शिखर एवरेस्ट है।
5. भारतीय संस्कृति और जीवन से जुडे हुए पर्वत हिमालय हैं।

उद्द्शेश्य (ఉద్దేశ్యము) :

निबंध की जानकारी के साथ निबंध लेखन का अभ्यास करना। त्यौहार मानवता का संदेश देते हैं। इस पाठ के द्वारा संस्कृति और सद्भावना का विकास करना।

(వ్యాస ప్రకర్రియను తెలిసకననని వ్యాసం వ్రాయుటకు ప్రయత్నించుట. పండుగలు మానవత్వపు సందేశం ఇక్చుచున్నవి. ఈ పాఠం ద్వారా విద్యార్థలలలో సంస్కృతి, సద్భావము వికసింపజేయాలి.)

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సారాంశము :

భారత్ ప్రాచీన, విశాలమైన దేశము. ఇక్కడ అనేక మతముల, కులముల ప్రజలు నివసిస్తున్నారు. అన్ని మతాల ప్రజలు అనేక రకముల ఉత్సవములు, పండుగలు జరుపుకుంటారు. ఈ పండుగలు సమాజంలో సంతోషము, చైతన్యము తీసుకువస్తాయి. ఇవి భారతీయ సంస్కృతి గొప్పతనాన్ని పెంపొందింపచేస్తున్నాయి. ఇటువంటి గొప్పవైన పండుగలలో ఈద్-ఉల్-ఫితర్ కూడా ఒకటి. దీనిని రంజాన్ అని కూడా అంటారు.

రంజాన్ మహమ్మదీయ మతానికి చెందిన ముఖ్యమైన పండుగ. వాస్తవానికి రంజాన్ మహమ్మదీయ మతము యొక్క తొమ్మిదవ నెల పేరు. మహమ్మదీయ మతపు ఐదు మూల సిద్ధాంతములు 1. విశ్వాసము 2. ప్రార్ధన 3. ఉపవాసము 4. దానము 5. మక్కా యాత్రలో మూడవది ఉపవాసము. దీనిని రంజాన్ నెలలో పాటిస్తారు.

ప్రార్థనలు, సంపదల నెల ఇది. ఈ నెలలోనే పవిత్ర కురాన్-ఎ-షరీఫ్ అవతరింపబడినదని విశ్వసింపబడుచున్నది. ఇస్లామీ (మహమ్మదీయ) నెల చంద్రుడు (నెల పొడుపు) కనపడటంతో ఆరంభము అవుతుంది. రంజాన్ చంద్రుడు కనిపించగానే దీని సమాచారము అనేక రకములుగా ఇవ్వబడుతుంది. రంజాన్ నెల గురించి తెలియగానే మహమ్మదీయ సోదరులు ఉపవాసాల ఏర్పాట్లలో నిమగ్నము అవుతారు, రంజాన్ నెల మొత్తం ఉపవాసాలు ఉంటారు. రోజా అనగా ఉపవాసము. ఉపవాసము ఉండుటకు సూర్యోదయానికి దాదాపు గంటన్నర ముందు ఆహారం తీసుకుంటారు. దీనిని సహరీ అందురు. సహరీ తరువాత నుండి ఉపవాసం ఆరంభము అవుతుంది. ఉపవాసము ఉన్నప్పుడు నీరు త్రాగుట కూడా నిషేధం. ఈ విధముగ ఉపవాసము ఉండి దైనందిన కార్యక్రమాలు చేస్తూ మనస్సును అల్లా యందు నిమగ్నం చెయ్యడం రంజాన్ ముఖ్య ఉద్దేశ్యము.

ఉపవాసము వలన మనిషి ఆరోగ్యవంతుడుగాను, చురుకుగాను ఉంటాడు. అతనిలో ఆత్మనిగ్రహము, ఆత్మ నియంత్రణ, ఆత్మవిశ్వాసము, స్వయం క్రమశిక్షణ మొదలగు గుణములు వికసిస్తాయి. దీనితో సామాజిక జాగృతి కలుగుతుంది. తన కర్తవ్యముల గురించి తెలుస్తుంది. పేదవారి దు:ఖబాధలు తెలిసి వారికి సహాయం చేస్తారు.

ఉపవాసము సూర్యాస్తమయం తరువాత ఖర్జూర పండ్లు, ఎండిన పండ్లు, నీరు మొదలైన వాటితో విరమించబడుతుంది. దీనినే ఇఫ్తార్ అందురు. అనేకచోట్ల సోదర భావము కలిగేటట్లుగా ఇఫ్తార్ విందు ఏర్పాటు చేయబడుతుంది. రంజాన్ నెలలో ఐదు పూటల నమాజ్తో పాటు ప్రత్యేక నమాజు ‘తరావీహ్’ ఉంటుంది. దీనిలో ముఖ్యంగా కురాన్-ఎ-శరీఫ్ సంపూర్ణంగా చదువబడుతుంది. ఎక్కువమంది ప్రజలు ఈ నెలలో దానాలు చేస్తారు. వారు తమ సంపద, బంగారం, వెండి, ధనము సంవత్సర ఆదాయం నుండి రెండున్నర శాతం ధనము తీసి పేదవారికి, అవసరమైన వారికి పంచుతారు. ఈ విధముగా చేయబడే దానమే జకాత్. దీనితోపాటుగా ఈద్ ప్రార్థన ముందు ఫిత్ (దానము) కూడా చెయ్యాలి.

అందువలననే దీనిని ఈద్-ఉల్ – ఫితర్ అని అంటారు. ఈ విధముగా రంజాన్ నెలలో ఎటుచూచినా పరోపకార భావము వ్యాపించి ఉంటుంది. దీనివలన అందరికీ మానవసేవ చెయ్యాలనే భావము కలుగుతుంది. ఈ నెలలోనే “శబ్-ఎ-కదర్’ జాగరణ రాత్రి ఉంటుంది. ఇది ఒక గొప్ప ప్రార్థనల రాత్రి. ఇందువలన పిల్లలు అందరూ పెద్దవారితోపాటు రాత్రంతా మేలుకుని ప్రార్థనలు చేస్తూ ఉంటారు. రంజాన్ ప్రత్యేకతలలో ‘ఎతేకాఫ్’ కూడ ఒకటి. పూర్తిగా మసీదులోనే ఉండి అల్లా ప్రార్థనలో లీనమయిపోవడాన్ని ‘ఎతేకాఫ్’ అందురు. ఈ నెలలో ప్రత్యేకంగా విశ్వశాంతి కోసం ప్రార్థనలు చేయబడతాయి.

రంజాన్ ఉపవాసాలు పూర్తి అయిన మరుసటి రోజు ఈద్ పండుగ జరుపుకుంటారు. ఇది శవ్వాల్ నెల మొదటిరోజు. ఈద్ రోజున అందరూ క్రొత్త బట్టలు ధరిస్తారు. సెంటు పూసుకుంటారు. ప్రత్యేకంగా సేమ్యా తయారు చేస్తారు. ఈద్ ప్రార్థనలు మసీదులో చేస్తారు. ప్రార్థనలో చిన్న-పెద్ద, ధనికులు – పేదవారు అందరు కలిసి ఒకే వరుసలో నిలబడతారు. ఇది చూడదగిన దృశ్యం. దీని తరువాత ఒకరినొకరు ఆలింగనం చేసుకొని ఈద్ శుభాకాంక్షలు చెబుతారు. ఈ సంతోషంలో వివిధ మతాల ప్రజలు కూడా పాల్గొని శుభాకాంక్షలు తెలియపరుస్తారు. ఈ విధముగా మతసామరస్యముతో అక్కడి వాతావరణ శోభ వెల్లివిరుస్తుంది.

సామాజిక దృష్టితో కూడా రంజాన్ మహత్యపూర్ణమైన పండుగ. దీని ద్వారా వ్యాపార అభివృద్ధి జరుగుతుంది. ఎన్నోరకాల వృత్తుల వారికి జీవనోపాధి లభించును. రంజాన్ మతపరమైన పండుగ అయినప్పటికీ సామాజికంగా చాలా విలువైనది. శాంతి, అహింస, త్యాగము, పరోపకారము, న్యాయము, ధర్మం వంటి గొప్పగుణాలు వికసిస్తాయి. మనకు మానవత్వ మార్గంలో ముందుకు సాగెడి ప్రేరణ కలిగిస్తుంది. ఉపవాసాల ఈ పవిత్ర పండుగ మనల్ని మంచి భావన త్రాటిలో బంధించి మానవునికి మేలు చెయ్యాలనే సందేశం ఇస్తున్నది.

TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

TS 9th Class Hindi Guide 9th Lesson रमज़ान 6

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 8th Lesson यक्ष प्रश्न Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 8th Lesson Questions and Answers Telangana यक्ष प्रश्न

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
ये प्रश्न किसके मन में उत्पन्न हुए थे?
(ఈ ప్రశ్నలు ఎవరి మనస్సులో జనించినవి?)
उत्तर :
ये प्रश्न स्वामी विवेकानंद जी के मन में उत्पन्न हुए थे।

प्रश्न 2.
स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर किससे पूछा होगा?
(స్వామి వివేకానంద్ ఈ ప్రశ్నల సమాధానములు ఎవరిని అడిగి ఉండవచ్చు?)
उत्तर :
स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस से पूछा होगा।

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

प्रश्न 3.
इनके जीवन से हमें क्या संदेश मिलता है?
(వీరి జీవితం నుండి మనకు లభించు సందేశమేమి?)
उत्तर :
इनके जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि अपने ऊपर विश्वास रखो। सर्व धर्म एक ही हैं। सर्व धर्मों का सार एक ही हैं। देश को प्यार करो। भाईचारे के साथ जीवन जीतो।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)

अ. प्रश्नों के उत्तर सोचकर दीजिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఆలోచించి ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
युधिष्ठिर के बारे में बताइए।
(యుధిష్ఠిరుని గురించి తెలపండి.)
उत्तर :
पांडुराज के दो पद्नियाँ थीं – कुंती और माद्री। महर्षि दुर्वास के मंत्र प्रभाव से कुंती के तीन पुत्र और माद्री के दो पुत्र हुए । कुंती का प्रथम पुत्र धर्म देवता यम धर्मराज की कृपा से पैदा हुआ था। वही युधिष्ठिर था। उसे ही धर्मराज, पांडुनंदन नाम से पुकारते थे। युधिष्ठिर तो धिर्यवान, साहसी, निडर, साधु स्वभाव, दया, ममता, मानवता से पूरित महान व्यक्ति थां।

अच्छी चालचलन, उत्तम चरित्र, विवेचना शक्ति संपन्न युधिष्ठिर को सब चाहते और आदर करते थे । सचमुच धर्म का दूसरा रूप था युधिष्ठिर, इसीलिए ही उसे धर्मराज कहते थे। यह सचमुच प्रेमालू था। अपने चारों भाइयों के प्रति वह असीम श्रद्धा रखता था। द्यूत क्रीडा में वह निपुण था। अपने अच्छे आचरण और गुणों से वह जीवन भर निष्कलंक बना रहा था। प्रजा की सेवा में तत्परता दिखाकर उनको सदा सुखी रखनेवाला श्रेष्ठ राजा था। नाम सार्थक करनेवाला महान व्यक्ति था युधिष्ठिर।

(పాండురాజుకు ఇద్దరు భార్యలు – కుంతి మరియు మాద్రి. మహర్షి దుర్వాసుని మంత్ర ప్రభావం చేత కుంతికి ముగ్గురు కుమారులు, మాద్రికి ఇద్దరు కుమారులు పుట్టారు.
కుంతి యొక్క ప్రథమ పుత్రుడు ధర్మదేవత యమధర్మరాజు కృప వల్ల పుట్టారు. అతడే యుధిష్ఠిరుడు. అతడినే ధర్మరాజు, పాండునందనుడు అనే పేర్లతో పిలిచేవారు. యుధిష్ఠరరుడు ధైర్యశాలి, సాహసవంతుడు, నిర్భయుడు, సాధు స్వభావం, దయ, మమత, మానవత్వంతో నిండిన గొప్ప వ్యక్తి.
మంచి నడవడిక, ఉత్తమ చరిత్, వివేచనాశక్తితో సంపన్నుడైన యుధిష్ఠిరుని అందరూ ఇష్టపడేవారు. గౌరవించేవారు. నిజంగా ధర్మానికి ప్రతిరూపం యుధిష్ఠిరుడు. ఇందువల్ల అతనిని ధర్మరాజు అనేవారు. ఇతడు నిజంగా ప్రేమ కలవాడు. తన సోదరుల పట్ల అమితమైన గశద్ధ కలవాడు. పాచికల ఆటలో నిపుణుడు. తన మంచి ఆచరణ, గుణాల వల్ల అతడు జీవితాంతం కళంకం లేకుండా ఉన్నాడు. ప్రజల సేవలో పేరు సార్థకం చేసుకున్న గొప్ప వ్యక్తి యుధిష్ఠిరుడు.)

प्रश्न 2.
युधिष्ठिर की जगह तुम होते तो किसे जीवित करवाना चाहते और क्यों ?
(యుధిష్ఠిరుని బదులుగా నీవు ఉంటే ఎవరిని జీవింపచేయకోరేవాడివి, ఎందుకు ?)
उत्तर :
युंधिष्ठिर महान चरित्रवान और शील संपन्न व्यक्ति था। धर्म परायण होने के कारण उसने यक्ष के कहने पर नकुल को जीवित करवाना चाहा। अगर उसकी जगह मैं होता तो पराक्रमी, साहसी, धंनुर्विद्या प्रवीण, पांडव मध्यम अर्जुन को जीवित करवाना चाहता । क्योंकि अर्जुन महान गुणवाला. और तेज संपन्न था । अनेंक देवों की कृपा सें वर और अस्त्र -शस्त्र प्राप्त किया हुआ महान व्यक्ति था। अपने पराक्रम और सज्जनता से किसी भी तरह वह अपने तीनों भाइयों को जीवित कर सकता है। इसीलिए मैं अर्जुन को जीवित करवाना चाहता।

(యుధిష్ఠిరుడు సచ్చరిత్ర గల శీల సంపన్నుడు. ధర్మపరాయణుడైన కారణముగ ఆయన యక్షుడు చెప్పిన మీదట నకులుణ్ణి బ్రతికింపచేయ తలచెను. అతనికి బదులుగా నేనే ఉంటే పరాక్రమ, ధైర్య, ధనుర్విద్యా ప్రవీణుడైనవాడు, పాండవ మధ్యముడు అర్జనుని జీవింపచేయతలచేవాణ్ణి. ఎందుకంటే అర్జునుడు గొప్ప గుణములు, తేజస్సు కలిగినవాడు. అనేక దేవతల కృప వల్ల వరాలు, అస్త్ర-శస్తాలు పొందియున్న గొప్ప వ్యక్తి తన పరాక్రమం, మంచితనం వల్ల తన మిగిలిన సోదరులెను జీవింపచేసేవాడు. ఇందువల్ల నేను అర్జునుని జీవింపచేయతలచేవాణ్ణి.)

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

आ. पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम दीजिए।
(పాఠం ఆధారంగా వాక్యములకు సరియైన వరుస ఇవ్వండి.)
1. युधिष्ठिर ने नकुल को पानी की तलाश में भेजा। ( )
2. पक्षपात रहित मेरे प्यारे पुत्र ! तुम्हारे चारों ही भाई जीवित हो। ( )
3. तुंम जिस किसी को भी चाहो, वह जीवित हो जाएगा। ( )
4. पांडव ब्राह्मण की व्यथा से प्रभावित हुए। (1)
उत्तर :
1. 2
2. 4
3. 3
4. 1

इ. गद्यांश पढिए। प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(గద్యాంశం చదవండి. ప్రశ్నలకు జవాబులు రాయండి.)
रानी सुदेष्णा का भाई कीचक बड़ा ही बलिष्ठ और प्रतापी वीर था। मत्स्य देश की सेना का वही नायक बना हुआ था। उसने अपने कुल के लोगों को साथ लेकर मत्स्याधिपति बूढे विराटराज की सत्ता पर अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार कर लिया था। कीचक की धाक लोगों में ऐसी बनी हुई थी कि लोग कहा करते थे कि मत्स्य देश का राजा तो कीचक ही है।

प्रश्न 1.
रानी सुदेष्णा का भाई कौन था ?
उत्तर :
रानी सुदेष्णा का भाई कीचक था।

प्रश्न 2.
विराट किस देश के राजा थे ?
उत्तर :
विराट मत्स्य देश के राजा थे।

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

प्रश्न 3.
देश की सेना का नायक कौन बना हुआ था ?
उत्तर :
देश की सेना का नायक कीचक बना हुआ था।

ई. इन प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए ।

प्रश्न 1.
ब्राह्मण पांडवों के पास आकर कौन – सी व्यथा सुनाने लगा ?
(జ్రాహ్యలుడు, పాండవుల వద్దకు వచ్చి ఏ జాధను విపించసాగిను?)
उत्तर :
महाभारत काल की बात है। पांडव द्रौपदी सहित बारह वर्ष के वनवास पर थे। एक दिन एक ब्राह्मण उनके पास आया । वह अपनी यह व्यथा सुनाते कहने लगा – एक हिरण मेरी अरणी (यज्ञादि क्रतु संपत्न करने अग्नि जलाने की लकडी) सहति भाग गया। अब मेरे पास यझ्ञ की अग्नि पैदा करने के लिए दूसरी लकडी नहीं है। कृपया मेरी लकडी वापस दिला दो।

(మహాభారత కాలము నాటి మాటి పాండవులు డ్రాపదితో సహా పన్నెండు సంవత్సరములు వనవాసంలో ఉండిరి. ఒకరోజు ఒక బ్రాహ్మణుడు పాండవుల వధ్దకు వచ్చాడు. అతడు – ఒక లేడ్డ నిప్వును రాజేసే కర్రతో , సహా పారిపోయినది. ఇప్పుడు నా దగ్గర యజ్ఞమునకు అగ్నిని పుట్టించెడి ఇంకొక కొయ్య (కర్ర) లేదు. దయచేసి నా క(రరను తిరిగి ఇప్పించండి అని తన బాధను వినిపిస్తూ చెప్పసాగెను.)

प्रश्न 2.
युधिष्ठिर को सरोवर के पास कौन – सी चेतावनी सुनायी दी ?
(యుధిష్ఠిరునికి సరోవరము దగ్గర ఎటువంటి హెచ్చరిక వినిపించింది ?)
उत्तर :
हिरण की खोज में भटकते पांडव थक गये। वे एक पेड के नीचे बैठ गये। प्यास से सभी के कंठ सूख रहे थे। युधिष्ठिर ने पहले नकुल को पानी की तलाश में भेजा। बहुत समय तक उसके न आने से एक – एक करके सहदेव, अर्जुन और भीम को भेजा। वे भी लौटकर नहीं आये तो खुद युधिष्ठिर उनकी खोज में निकल पडे। एक सरोवर के पास चारों भाई धरा पर पडे दिखाई दिये। पहले अपनी प्यास बुझाने युधिष्ठिर आगे बढे। तभी उनको एक आवाज सुनाई दी। सावधान तुम्हारे भाइयों ने मेरी चेतावनी की ओर ध्यान नहीं दिया। इसलिए उनकी यह दशा हुयी। यदि तुम पानी पीना चाहते हो तो पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो, फिर अपनी प्यास बुझाना।

(లేడిని వెతుకుతూ దారి తప్పి పాండవులు అలసిపోయిరి. వారు ఓక చెట్టు క్రింద కూర్చినిరి. దాహంతో వారి కంఠములు ఎండుచూ ఉన్నవి. యుధిష్టిరుడు మెదట నకులుణ్ణి నీటిని వెతకమని పంపెను. చాలా సమయము అయినప్పటిక్ అతను రాకపోఁేసరికి ఒక్కాక్కరిగా సహదేవుడు, అర్జునుడు, భీముణ్ణి పంపెను. వారు కూడా రాకపోయేసరికి స్వయంగా యుధిష్ఠిరుడే వారిని వెతుకుతూ బయలుదేరెను. ఒక సరోవరం వద్ద నలుగురు సోదరులు నేలమీద పడి కన్పించారు. మొదట తన దాహం తీర్చుకొనుటకు యుధిష్ఠిరుడు ముందుకు సాగాడు. అప్పుడే అతనికి ఒక స్వరం విన్పించింది. “జాగ్రత్త ! నీ సోదరులు నా హెచ్చరికను పట్టించుకోలేదు. అందుకు వాళ్ళ శ్రీ దశ ఇలా ఉంది. నీవు నీరు త్రాగదలచుకున్నట్లయితే మొదట నా ప్రశ్నలకు జవాబిచ్చి అప్పుడు నీ దాహం తీర్చుకోవాలి.)

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

प्रश्न 3.
युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करवाने का अनुरोध क्यों किया ?
(యుధిష్ఠిరుడు, నకులుణ్ణి బ్రతికించమని ఎందుకు కోరాడు?)
उत्तर :
युधिष्ठिर ने यक्ष के अनेक प्रश्नों के ठीक ठीक उत्तर दिये। इससे खुश होकर यक्ष ने कहा मैं तुम्हारे भाइयों में से एक को ही जीवित कर सकता हूँ। तुम जिस किसी को भी चाहो, वह जीवित हो जायेगा। इस पर युधिष्ठिर ने एक पल सोचकर यक्ष से अनुरोध किया कि मेरा छोटा भाई नकुल को जीवित करें। यक्ष के इसका कारण पूछने पर युधिष्ठिर ने कहा मेरी माता कुंती का बचा हुआ एक पुत्र मैं हूँ। माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो उठे तो बहुत अच्छा होगा। यही धर्म है।

(యుధిష్ఠిరుడు యక్షుని అనేక ప్రశ్నలకు సరియైన సమాధానములు ఇచ్చెను. ఇందుకు సంతోషించి యక్షుడు – నేను నీ సోదరులలో ఒకరినే బ్రతికించగలను. నీవు కోరుకున్న వారు బ్రతుకుతారు అని చెప్పెను. ఇందుమీదట యుధిష్ఠిరుడు ఒక్క క్షణం ఆలోచించి నా తమ్ముడు నకులుడిని బ్రతికించండి అని యక్షుని కోరెను. యక్షుడు నా తల్లి కుంతికి మిగిలిన కుమారుడను నేను ఉన్నాను. తల్లి మాద్రి కుమారుడు ఒకడు బ్రతికితే బాగుంటుంది. ఇదే ధర్మము అని యధిష్ఠిరుడు పలికెను.)

प्रश्न 4.
यक्ष ने युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर कौन सा वर दिया ?
(యక్షుడు, యుధిష్ఠిరుని సద్గుణములకు ముగ్ధుడై ఏ వరము ఇచ్చెను ?)
उत्तर :
युधिष्ठिर ने माता माद्री का पुत्र नकुल को जीवित करवाना चाहा। युधिष्ठिर के धर्म स्वभाव से यक्ष अत्यंत संतुष्ट हुए । युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर उनके चारों भाई जीवित होने का वर दिया।

(యుధిష్ఠిరుడు తల్లి మాద్రి కుమారుడు. నకులుణ్ణి బ్రతికింపచేయతలచెను. యుధిష్ఠిరుని ధర్మ స్వభావమునకు యక్షుడు మిక్కిలి సంతుష్టుడయ్యెను. యుధిష్ఠిరుని సద్గుణములకు ముగ్ధుడై ఆయన నలుగురు సోదరులూ బ్రతికెడి వరమిచ్చెను.)

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. इन प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
धैर्य ही मनुष्य का साथ कैसे देता है?
(ధైర్యమే మనిషికి తోడు ఎట్లు ఉంటుంది?)
उत्तर :
यह सच है कि धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है। धैर्य ही हमें समस्याओं से बाहर निकालता है। धैर्यवान सब कुछ बडे धीरज के साथ कर सकता है। धैर्य से ही हम सफलता पा सकते हैं। धैर्यवान का जीवन ही सच्चे अर्थ में जीवन है। जो धैर्यवान नहीं है। जिसमें धैर्य नहीं है वह हर पल डर से मरता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है। हमें अकेले किसी स्थान या प्रदेश जाने में धैर्य ही साथ देता है।

(మనిషికి ధైర్యమే తోడుగా ఉంటుందన్న మాట నిజం. ధైర్యమే మనల్ని ఎల్లప్పుడూ సమస్యల నుండి బయటకు తీసుకువస్తుంది. ధైర్యవంతుడు ఎంతో ధైర్యంతో ఏదైనా చేయగలుగుతాడు. ధైర్యంతోనే మనం విజయాన్ని పొందగలం. ధైర్యవంతుని జీవితమే నిజమైన అర్థంలో జీవితం అనబడుతుంది. ఎవరైతే ధైర్యవంతుడు కాదో, ఎవరిలో ధైర్యము ఉండదో అతడు అనుక్షణం భయంతో చనిపోతాడు. కాబట్టి ధైర్యమే మనిషికి తోడు అని మనం చెప్పగలం. ఒకవేళ మనం ఏదేని ప్రదేశానికి లేదా స్థానానికి ఒంటరిగా వెళ్లవలసి వస్తే ధైర్యమే మనకు తోడుగా ఉంటుంది.

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

प्रश्न 2.
अच्छी संगति से क्या लाभ होते हैं?
(మంచి స్నేహం వలన ఏ లాభాలు కల్గును?)
उत्तर :
अच्छी संगति से ये लाभ होते हैं –
अच्छी संगति से हम भी अच्छे बन जायेंगे।
अच्छी संगति से हमें सुख पहुँचता है।
अच्छी संगति के कारण ही हमें आध्यात्मिक (परलौकिक) चिंतन मिलता है।
अच्छी संगति से ही हमें सद्बुद्धि, परोपकारिता, सेवा, भलाई आदि भावनाएँ जागृत होते हैं। अच्छी संगति से हम विख्यात बनेंगे।
अच्छी संगति से हम आसानी से समस्याओं से बाहर आ सकते हैं।
अच्छी संगति से उत्तम जीवन बिता सकेंगे।
अच्छी संगति से ही हमें विवेक, विनय, नेक-आदि गुण मिलते हैं।
अच्छी संगति कल्पवृक्ष जैसा है।

(మంచి స్నేహం వల్ల మనకు ఈ లాభాలు కల్గును.
మంచి స్నేహం (సాంగత్యం) వలన మనం కూడా మంచివాళ్ళము అగుదుము.
మంచి స్నేహం వలన మనకు సుఖం కల్గును.
మంచి స్నేహం వలన మనలో ఆధ్యాత్మిక చింతన (అలౌకిక ఆనందం) కూడా కలుగును. మంచి స్నేహం వలన సద్బుద్ధి పరోపకారతత్వము, సేవ చేయడం, మేలు కోరడం మొ॥గు భావాలు జాగృతి చెందుతాయి.
మంచి స్నేహం వల్లనే మనకు ఖ్యాతి లభించును.
మంచి స్నేహం కారణంగా మనం సమస్యల నుండి, తేలికగా బయట పడతాము.
మంచి స్నేహం వల్లనే ఉత్తమ జీవితాన్ని పొందగలుగుతాము.
మంచి స్నేహం వల్లనే మనకు వివేకము, వినయము, తెలివి అను గుణములు కల్గుచున్నవి.
మంచి స్నేహం అనునది కల్పవృక్షం వంటీది.)

प्रश्न 3.
नकुल के लिए जीवनदान माँगकर युधिष्ठिर ने सही किया या गलत ? अपने उत्तर का कारण बताइए।
(నకులిని కోసం జీవన దానాన్ని అడిగి యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) సరియగు పని చేసినా ? తప్పు చేసెనా ? మీ సమాధానానికి కారణం తెలపండి.)
उत्तर :
नकुल के लिए जीवन दान माँगकर युधिष्ठिर ने सही किया। कारण यही है कि युधिष्ठिर जो है वह माता कुंति का बचा हुआ एक मात्र पुत्र है। इसलिए उसने माता माद्री का भी एक पुत्र को जीवित करवाना चाहता था वह था नकुल। इसलिए युधिष्ठिर ने नकुल के लिए जीवन दान माँगकर सही किया।

(నకులిని కోసం జీవనదానం అడిగి యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) సరియగు పని చేసెను. అనగా. జీవనదానం అడగడం సరియైనదే. కారణం ఏమనగా యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) కుంతీపుత్రులతో జీవించియున్న ఒకే ఒక్కడు. అందువలననే అతడు మాద్రికి కల్గిన పిల్లలలో ఒకరైన నకులుడిని బ్రతికించవలసినదిగా కోరెను. అందువలన యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) నకులుడిని బ్రతికించవలసినదిగా జీవనదానం కోరడం సరియైన పనియే.)

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

आ. यक्ष के किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अपने दृष्टिकोण के आधार पर लिखिए।
(యక్షుని ఏవేని ఐదు ప్రశ్నలకు జవాబులు మీ దృష్టి కోణం ఆధారంగా వ్రాయండి.)
उत्तर :
धर्म देवता यम धर्मराज ने अपने प्रिय पुत्र युधिष्ठिर के धर्म गुण को परखना चाहा। इसलिए एक यक्ष के रूप में जंगल में सरोवर के यहाँ रहे। उन्होंने युधिष्ठिर से ये प्रश्न पूछे।
मानव का साथ कौन देता है?
आकाश से भी ऊँचा कौन है?
भूमि से भारी चीज़ क्या है ?
हवा से भी तेज़ चलनेवाला कौन है ?
सुख क्या है ?
(ధర్మదేవత అయిన యమధర్మరాజు తన ప్రియపుత్రుడైన యుధిష్ఠిరుని (ధర్మరాజు) ధర్మగుణములను పరీక్షించ దలచెను. అందువలన అతడు ఒక యక్షుని రూపంలో అడవిలో ఒక సరోవరం వద్ద ఉండెను. ఆయన యుధిష్ఠిరుణ్ణి (ధర్మరాజును) ఈ ప్రశ్నలు అడిగెను.)

మానవునికి తోడుగా ఎవరు ఉండెదరు ?
భూమికంటే బరువైన వస్తువు ఏది ?
ఆకాశం కంటే ఉన్నతమైనవారు ఎవరు ?
గాలికంటే వేగంగా నడిచేది ఏది ?
సుఖం అంటే ఏమిటి ?)

युधिष्ठिर के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं।
धैर्य ही मानव का साथ देता है।
संतान को कोख में धारण करनेवाली माता भूमि से भी भारी होती है।
पिता, आकाश से भी ऊँचा है।
मन, हवा से भी तेज़ चलनेवाला है।
शील और सच्चरित्र से मिलानेवाला है।

(యుధిష్ఠిరుని ప్రకారం ప్రశ్నలకు జవాబులు ఈ విధముగా ఉన్నాయి.
ధైర్యమే మానవునితో ఉంటుంది.
సంతానాన్ని గర్భంలో ధరించే తల్లి భూమి కన్నా బరువైనది.
తండ్రి ఆకాశం కన్నా ఎత్తైనవాడు.
మనస్సు, గాలికన్నా వేగ్గంగా పయనించేది.
సత్పవర్తన, సచ్చరిత్ర వలన దొరకేది.)

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

इ. यदि यक्ष के स्थान पर आप होते तो कौन-कौन से प्रश्न पूछते ?
(యక్షుని బదులుగా మీరే ఉంటే ఏఏ ప్రశ్నలు అడుగుతారు?)
उत्तर :
यदि यक्ष के स्थान पर मैं होता तो इस प्रकार के प्रश्न पूछता।
मुक्ति पाने का आसान और सच्चा मार्ग क्या है ?
सच्चा सुख कैसे प्राप्त करना है ?
दुःख रहित जीवन कैसे प्राप्त होगा ?
संसार शाश्वत कब होगा ?
भेद-भाव रहित उत्तम समाज कब बनेगा ?
(యక్షుని బదులుగా నేను ఉంటే ఈ విధమైన ప్రశ్నలు అడుగుతాను.)
ముక్తిని పొందే తేలికైన, అసలైన మార్గము ఏమిటి ?
నిజమైన సుఖం ఎలా పొందాలి ?
దు:ఖము లేని జీవితం ఎలా లభిస్తుంది ?
ప్రపంచం శాశ్వతంగా ఎప్పుడు ఉంటుంది ?
భేదభావాలు లేని గొప్ప సమాజం ఎప్పుడు ఏర్పడుతుంది ?)

ई. “यक्ष प्रश्न” पाठ आपको क्यों अच्छा लगा ? अपने शब्दों में लिखिए ।
(యక్ష ప్రశ్నలు పాఠము మీకు ఎందుకు నచ్చింది? మీ స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
‘यक्ष प्रश्न” सचमुच एक संदेशात्मक और प्रेरणादायक पाठ है। यह पाठ मुझे बहुत अच्छा लगा। क्योंकि हम मानव हैं। समाज में रहते हैं। हमें मानवता, ममता, करुणा, सहयोग, कष्ट सहन आदि अनेक गुणों से रहना है। परमात्मा ने कृपा करके हमें बुद्धि प्रदान की है। इसका उपयोग करके सदा अच्छे काम करने में ही हमें आगे बढना है। आपदाग्रस्त लोगों का दुःख दूर करना हर एक का पवित्र धर्म है। वह काम हमें संपन्न करना है। धर्म के मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पडता है। निडर होकर धर्म मार्ग पर चलना महानता है। धर्म का पालन करते अपने अस्तित्व को बनाये रखना बडा महत्वपूर्ण विषय है। युधिष्ठिर के व्यक्तित्व से इन सभी गुणों का परिचय हमें मिलता है। इसीलिए ‘यक्ष प्रश्न’ पाठ मुझे बहुत अच्छा लगा।

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. इन शब्दों के वाक्य प्रयोग कीजिए।
(ఈ శబ్దముల అర్థములు తెలిపి, వాక్య ప్రయోగము చెయ్యండి.)
1. तृषा
2. अग्रसर
3. चेतावनी
4. दुस्साहस
5. पक्षपात
उत्तर :
1. तृषा = దాహము/కోరిక
धूप में चलने के कारण उषा को तृषा होने लगी।
2. अग्रसर = ముందుకు వెళ్ళుట
हमें सदा अच्छे काम करते अग्रसर होना चाहिए।
3. चेतावनी = హెచ్చరిక
अध्यापक ने हमें बुरा काम न करने की चेतावनी दी।
4. दुस्साहस = మొండి సాహసము
हमें कभी प्राणों से खेलने का दुस्साहस नहीं करना चाहिए।
5. पक्षपात = పక్షపాతము
किसी विषय में भी हमें पक्षपात नहीं दिखाना है।

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

आ. पर्यायवाची शब्द पहचानकर रेखा खींचिए।
(పర్యాయవాచీ శబ్దములను గుర్తించి గీత గీయండి.)
TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न 1
TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न 6

इ. निम्न शब्दों पर ध्यान दीजिए। दो शब्दों के मेल में हुए विकार को समझिए।
(క్రింది శబ్దములను గమనించండి. రెండు శబ్దముల కలయికలో వచ్చిన మార్పును తెలుసుకోండి.)

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न 2

1. अति + अंत = अत्यंत
2. यद् + अपि = यद्यपि
3. दुः + साहस = दुस्साहस
4. नि: + संदेह = निस्संदेह
5. नि: + सार = निस्सार
6. मरण + आसन्न = मरणासत्र
7. पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
8. सत् + चरित्र = सचरित्र
9. सत् + जनता = सज्जनता
10. प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
11. प्रति + एक = प्रत्येक
12. प्रति + अंग = प्रत्यंग
13. प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
14. प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
15. अति + अंत = अत्यंत
16 अति + आचार = अत्याचार
17. अति + उत्साह = अत्युत्साह
18. दिन् + अंक = दिनांक

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

मरण + आसत्र = मरणासन्र (చావుకు దగ్గరైన, మరణించబోవుచున్న)
प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष (కంటి ఎదురుగా)
सत् + चरित्र = सच्चरित्र (మంचे నడవడ)
दु: + साहस = दुससाहस (మొండి ధైర్యము)

ఈ విధముగ రెండు శబ్దముల కలయికతో ఒక కొత్త శఙ్దము ఏర్పడుతుంది. రెండింటి మధ్య మార్పు జరుగుతుంది. దీనినే సంధి అంటారు. సంధి భేదములు

1. स्वर संधि. (అచ్చుసంధి)
2. व्यंजन संधि (హల్లు సంధి)
3. विसर्ग संधि (విసర్గసంధి)

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न 3

(రెండు అచ్చుల మధ్య ఆకారములో మార్పు జరిగిన దానిని స్వరసంధి (అచ్చుసంధి) అందురు. స్వరసంధి భేదాలు: )

1. సవర్ణదీర్ఘసంధి :
ఉదా : పుస్తక్ + ఆేలయ్ = పుస్తకాలయ్
కవి + ఇంద్ర్ = కవీంద్ర్
గురు + ఉపదేశ్ = గురూపదేశ్

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

2. గుణసంధి :
ఉదా: మహా + ఈశ్వర్ = మహశ్వర్
పర్ + ఉపకార్ = పరోపకార్
మహా + ఋషి = మహర్షి

3. వృద్ధిసంధి :
ఉదా: ఏక్స + ఏక్ = ఏకైక్
మహా + ఔషధి = మహాషధి

4. యణాదేశసంధి :
ఉదా: ప్రతి + అక్ష్ = ప్రత్యక్ష్
సు + ఆగత్ = స్వాగత్
మాతృ + అనుమతి = మాత్రనుమతి

5. అయాదిసంధి :
ఉదా: నే + అన్ = నయన్
భో + అన్ = భవన్

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न 4

(వ్యంజన సంధిలో హల్లుతో అచ్చు లేదా హల్లు కలయిక జరుగుతుంది.)
ఉదా :
1. జగత్ + ఈశ్ = జగ్దీశ్
2. దిక్ + గజ్ = దిగ్గజ్
3. వి + సమ్ = విషమ్
4. వాక్ + ఈశ్ = వాగీశ్
5. సత్ + జన్ = సజ్జన్
6. షట్ + దర్శన్ = షడ్దర్శన్

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न 5

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न 7

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

पंचतंत्र की नीतिप्रद कहानियों में से किसी एक कहानी का संग्रह कीजिए।
(పంచతంత్ర నీతికథల నుండి ఏదైనా ఒక కథను సేకరించండి.)
उत्तर :
वफ़ादार नेवला (విశ్వాసము గల ముంగిస)
शहर से दूर एक छोटे से घर में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन वह अपने खेत जा रहा था। उसे एक पेड़ के नीचे एक छोटे नेवले का बच्चा पडा मिला था। उसे उस पर दया आयी और उसे उठा लाकर अपने छोटे बच्चे को दिया। किसान का विचार यह था कि यह छोटा नेवला मेरे बच्चे के साथ बड़ा होगा और उससे खेलेगा। किसान की पत्नी को यह पसंद नहीं था। पत्नी के मना करने पर भी किसान ने उसे पाल लिया। किसान की पत्नी ने तो अपने बच्चे को नेवले से दूर रखने की बहुत कोशिश की। लेकिन वे दोनों अच्छे दोस्त बन गये ।

एक दिन किसान की पत्नी सब्जी लाने बाज़ार जाने लगी। उसने अपने पति से कहा कि यहाँ बैठकर बच्चे की देखभाल करो। इस पर किसान ने कहा चिंता मत कर नेवला हमारे बेटे की देखभाल कर लेगा। किसान की पत्नी बाज़ार चली गयी। बहुत समय के होने पर भी किसान की पत्नी घर नहीं पहुँची तो किसान नेवले को बच्चे के पास छोड़कर खेतों में चला गया। कुछ देर बाद पत्नी लौट आयी। उसने देखा कि दरवाज़े के पास बैठे नेवले के मुँह पर खून लगा है। उसने सोच लिया कि नेवले ने मेरे बेटे को मार डाला। वह सब्जी की थैली वहीं छोडकर जाकर एक डंडा लायी और नेवले को मार डाली।

वह नेवले के पास बैठकर रोने लगी। थोडी देर बाद किसान आ गया और पत्नी को रोते देखकर वह हैरान हो गया। पत्नी ने उससे कहा कि नेवले ने हमारे बच्चे को मार डाला है। किसान दौडते घर में गया और देखा तो बच्चा सोया हुआ था, पास ही बुरी तरह से घायल साँप मरा पडा हुआ था। वह सब समझ गया। इतने में पत्नी भी वहाँ आ पहुँची। उसे भी सच्चाई मालूम हुयी। उसे अपने किये पर बहुत दुःख हुआ। मगर क्या लाभ अपनी जल्दबाज़ी से उसे एक वफ़ादार जानवर को खोना पडा।

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
पांडवों को वनवास क्यों जाना पडा ?
(పాండవులు వనవాసమునకు ఎందుకు వెళ్ళవలసి వచ్చెను)
उत्तर :
धृतराष्ट्र और पांडुराज दोनों भाई थे। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र और एक पुत्री थी पांडुराज के पाँच पुत्र थे। पांडुराज के मर जाने के कारण ताऊ राजा धृतराष्ट्र की देखरेख में पांडव बडे हुए। बचपन से ही धृतराष्ट्र का पुत्र दुष्ट दुर्योधन पांडवों से जलता था। वह किसी भी तरह उनका नाश करना चाहता था। इसीलिए अपने मामा शकुनि की सलाह पर द्यूत खेलने पांडवों को बुलाया। शर्त यह रखा कि द्यूत में जो हारेगा उसे बारह साल तक अरण्यवास और एक साल अज्ञातवास करना होगा। मजबूर होकर युधिष्ठिर ने द्यूत खेला। शकुनि के धोखे से युधिष्ठिर हार गया । इस तरह शर्त के अनुसार पांडवों को वनवास जाना पडा।

प्रश्न 2.
अरणी की लकडी किसे कहते हैं ?
(అగ్నిని పుట్టించే కలప (కొయ్య) అని దేనిని అంటారు)
उत्तर :
प्राचीन काल में पत्थरों की रगड से और लकड़ियों की रगड से आग पैदा करते थे। मुनि ब्राह्मण लोग यज्ञ यागादि कर्म करने अग्नि प्रज्वलित करते थे। उसके लिए उपयोग करनेवाली लकडी को अरणी कहते हैं।

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अपठित गद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. वर्तमान युग विज्ञान के नाम से जाना जाता है। आज इसकी विजय पताका धरती से लेकर आकाश तक लहरा रही है । सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार प्रसार है। मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा प्रकृति को जीत लिया है। आज मानव ने विज्ञान के द्वारा विद्युत बाष्प, मैस और कंप्यूटर की खोज करके संपूर्ण विश्व में अपनी विजय दुंदुभी बजाकर एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।

प्रश्न :
1. वर्तमान युग किस नाम से जाना जाता है ?
2. सर्वत्र किसकी महिमा का प्रचार प्रसार है ?
3. विज्ञान के द्वारा मनुष्य ने किसे जीत लिया है?
4. इस अनुच्छेद में किसके बारे में बताया गया है ?
5. मानव ने किसके द्वारा क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया ?
उत्तर :
1. वर्तमान युग विज्ञान के नाम से जाना जाता है।
2. सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार प्रसार है।
3. विज्ञान के द्वारा मनुष्य ने प्रकृति को जीत लिया है।
4. इस अनुच्छेद में विज्ञान के बारे में बताया गया है।
5. आज मानव ने विज्ञान के द्वारा विद्युत, बाष्प, मैस और कंप्यूटर की खोज करके क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया।

II. दूसरा प्रसंग सातवें दर्जे का है। उस समय दोराबजी एदलजी गीमी हेडमास्टर थे। वे नियमों की पाबंदी कराते थे, बाकायदा काम करते और लेते थे और पढ़ाते अच्छा थे। ऊपर के दर्जों के विद्यार्थियों के लिए उन्होंने कसरत और क्रिकेट अनिवार्य कर दिया था। मुझे इन चीज़ों में अरुचि थी। अनिवार्य होने के पहले तो मैं कभी कसरत, क्रिकेट या फुटबाल में गया ही नहीं था।

प्रश्न :
1. दूसरा प्रसंग किस दर्जे का है?
2. ऊपर के दर्जे के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य क्या था?
3. हेडमास्टर का नाम क्या था?
4. नियमों की पाबंदी कौन कराते थे?
5. इस अनुच्छेद में किन खेलों का उल्लेख मिलता है?
उत्तर :
1. दूसरा प्रसंग सातवें दर्जे का है।
2. ऊपर के दर्जे के विद्यार्थियों के लिए कसरत और क्रिकेट अनिवार्य था।
3. हेडमास्टर का नाम था “दोराबजी एदलजी गीमी”।
4. हेडमास्टर दोराबाजी एदलजी गीमी नियमों की पाबंदी कराते थे।
5. इस अनुच्छेद में क्रिकेट और फुटबॉल खेलों के बारे में उल्लेख मिलता है।

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

III. दक्षिण ध्रुव में पानी की कमी नहीं थी, पर यहाँ आनेवाले महीनों नहीं नहाते थे। परंतु यह शिबिर बड़ा आधुनिक था- इसमें नहाने के लिए गरम पानी, ठंडा पानी, कपड़े धोने के यंत्र, कपड़े सुखाने के यंत्र, फर्श को साफ़ करने के लिए ‘बेक्युम क्लीनर’, हरेक के सोने की जगह पर एक – एक बिजली की अंगीठी, फ़र्श पर ‘लिनोलियम’ आदि का प्रबंध था।

प्रश्न :
1. पानी की कमी किस ध्रुव में नहीं थी ?
2. शिबिर कैसा था ?
3. शिबिर में फर्श को साफ़ करने के लिए क्या था ?
4. फ़र्श पर किसका प्रबंध था ?
5. शिबिर में नहाने के लिए किसका प्रबंध था ?
उत्तर :
1. दक्षिण ध्रुव में पानी की कमी नहीं थी।
2. शिबिर बड़ा आधुनिक था।
3. शिंबिर में फर्श को साफ करने के लिए “वेक्युम क्लीनर” था।
4. फ़र्श पर “लिनोलियम” का प्रबंध था।
5. शिबिर में नहाने के लिए गरम और ठंडा पानी का प्रबंध था।

उद्द्शेश्य (ఉద్దేశ్యము) :

कहानी विधा के माध्यम से कहानी लिखने का ज्ञान प्राप्त करना। जिज्ञासा व दार्शनिक प्रश्नों के माध्यम से बौदूधिक विकास करना
(కథా విధి ద్వారా కథ వ్రాసే జ్ఞానాన్ని పెంపొందించుట. “ఆసక్తి, తత్వ సంబంధిత ప్రశ్నల ద్వారా తెలివిని వికసింపచేయుట.)

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

సారాంశము :

ఇది మహాభారత కాలము నాటి సంఘటన. ఆ సమయమున పాండవులు ద్రౌపదితో సహా పన్నెండు సంవత్సరములు వనవాసంలో ఉండిరి. ఒకరోజు ఒక బ్రాహ్మణుడు పాండవుల వద్దకు వచ్చి “ఒక లేడి నిప్పును రాజేసే కర్రతో సహా పారిపోయినది. ఇప్పుడు నా దగ్గర యజ్ఞమునకు అగ్నిని పుట్టించెడి ఇంకొక కొయ్య (కర్ర) లేదు. దయచేసి నా కర్రను తిరిగి ఇప్పించండి” అని తన బాధను వినిపిస్తూ చెప్పసాగెను.

పాండవులు బ్రాహ్మణుని బాధకు చలించి లేడిని వెతుకుతూ వెళ్ళిరి. కొద్ది దూరము వెళ్ళగానే వారికి లేడి కనిపించినది. దానిని పట్టుకొనుటకువారు ముందుకు వచ్చిరి. కాని లేడి వారి నుండి మరల అదృశ్యమైపోయినది. లేడిని వెతుకుటలో దారితప్పి వారు అలసిపోయిరి. విశ్రాంతి కోసం ఒక చెట్టు క్రింద కూర్చొనిరి. దప్పికతో అందరి గొంతులు ఆరిపోయినవి. యధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) నకులుణ్ణి నీటిని వెతుకుటకు పంపెను. నకులుడు నీటిని వెతుకుతూ వెళ్ళి ఒక సరోవరమును చేరెను. సరోవరమును చూచి అతడు ఆనందించెను. నేను ముందు నా దాహము తీర్చుకుంటాను అని అతడు అనుకున్నాడు. అతడు నీరు త్రాగుటకు సిద్ధపడ్డాడో లేదో ఓ నకులా ! నీరు త్రాగే మొండి ధైర్యం చెయ్యవద్దు. జాగ్రత్త. మొదట నా ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వు. అని కంఠస్వరం వినపడింది. నకులుడు హెచ్చరికను లక్ష్యపెట్టక నీరు త్రాగసాగెను. నీరు త్రాగగానే అతడు నేలమీద పడిపోయెను. చాలాసేపటి వరకు నకులుడు తిరిగి రాకపోయేసరికి యుధిష్ఠిరునికి దిగులు కలిగినది. ఆయన అతనిని వెతుకుటకు ఒకరి తరువాత ఒకరిగా సహదేవుడిని, అర్జునుడిని, భీముని పంపెను.

యక్షుని హెచ్చరికను నిర్లక్ష్యం చేస్తూ అందరూ సరోవరం ఒడ్డున దాహం తీర్చుకునే ప్రయత్నము చేసి నకులుని వలె నేలమీద పడిపోయిరి. ఎవ్వరూ తిరిగి రాకపోయేసరికి యుధిష్ఠిరుడు స్వయంగా దిగులు పడుతూ వారిని వెతుకుచూ వెళ్ళిరి.. దాహంతో ఆందోళన పడుతున్న యుధిష్ఠిరుడు మొదట తన దప్పికను తీర్చుకొనుటకు సరోవరము వైపుకు వెళ్ళిరి. అక్కడ యుధిష్ఠిరునికి తన సోదరులు నేలమీద పడి ఉండటం కనిపించింది. ఆయన ముందుకు రాగానే అదే కంఠస్వరం వినిపించింది. జాగ్రత్త నీ సోదరులు నా హెచ్చరికను వినలేదు. అందువలన వారికి ఈ స్థితి ఏర్పడినది. నీవు నీరు త్రాగాలని అనుకుంటే మొదట నా ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వు. తరువాత నీ దప్పిక తీర్చుకో. యుధిష్ఠిరుడు అయ్యా, మీరు ప్రశ్నలు అడగండి, నేను సమాధానములు ఇచ్చుటకు సిద్ధంగా ఉన్నాను అని అనెను.

యక్షుడు : మనిషికి తోడు వచ్చేది ఏది ? (ఎవరు)
యధిష్ఠిరుడు : ధైర్యమే మనిషికి తోడు వచ్చేది.
యక్షుడు : మనిషి తెలివిగలవాడు అగుటకు చదవవలసిన శాస్త్రము ఏమిటి ?
యుధిష్ఠిరుడు : ఏ శాస్త్రమూ ఆ విధంగా లేదు. గొప్పవారి సాంగత్యంతోనే మనిషి తెలివిగలవాడు అవుతాడు.
యక్షుడు : భూమికన్నా బరువైన వస్తువు ఏమిటి ?
యక్షుడు : సంతానాన్ని గర్భంలో ధరించే తల్లి భూమికంటే కూడ బరువైనది.
యక్షుడు : ఆకాశం కన్నా ఎత్తైన వారు ఎవరు ?
యధిష్ఠిరుడు : తండ్రి
యక్షుడు : గాలి కన్నా వేగంగా నడిచేది ఏది ?
యుధిష్ఠిరుడు : మనస్సు
యక్షుడు : విదేశానికి వెళ్ళేవానికి తోడు ఎవరు ఉంటారు ?
యుధిష్టిరుడు : విద్య
యక్షుడు : మరణించబోతున్న వృద్ధునికి మిత్రుడు ఎవరు ?
యుధిఫ్ఠిరుడు : దానము. ఎందుకంటే అదే మరణము తరువాత ఒంటరిగా వెళ్ళెడి జీవి వెంట వస్తుంది.
యక్షుడు : సుఖమంటే ఏమి ?
యధిష్ఠిరుడు : చరిత్ర, మంచి నడవడికపై ఆధారపడి ఉండేది
యక్షుడు : అన్నిటికన్నా నీచమైనది ఏమిటి ?
యధిష్ఠిరుడు : దిగులు
యక్షుడు : ఏది దూరమైతే మనిషి అందరికి ప్రియమౌతాడు ?
యుధిష్ఠిరుడు : అహంకారం దూరమైతే.

ఈ విధముగ యక్షుడు ఎన్నో ప్రశ్నలు అడిగాడు. యుధిష్ఠిరుడు వాటన్నిటికి సరియైన సమాధానములు ఇచ్చెను. చివరికి యక్షుడు – రాజా ! నేను చనిపోయిన సోదరులలో ఒకరిని బ్రతికించగలను. నీవు కోరుకున్నవారు బ్రతికెదరు అని అనెను. యుధిష్ఠిరుడు ఎవరిని బ్రతికించనూ? అని ఒక్క క్షణం ఆలోచించెను. కొంచెంసేపు ఆగి – నా చిన్న సోదరుడు నకులుడు బ్రతకాలి అని అనెను.

యుధిష్ఠిరుడు ఈ విధముగా మాట్లాడగా యుధిష్ఠిరా ! పదివేల ఏనుగుల బలము గల భీమసేనుడిని వదిలి నీవు నకులుణ్ణి బ్రతికింపచేయుట ఎందుకు సరియైనదని భావించావు ? అని యక్షుడు ప్రశ్నించాడు.

యక్షరాజా ! తల్లి కుంతికి మిగిలిన ఒక కుమారుడిని నేను, తల్లి మాద్రి కుమారుడు ఒకడు బ్రతికి ఉండాలనే ఒకే ఒక్క కారణంగా నేను అతనిని బ్రతికింపచేయాలని తలచాను. దయచేసి నకులుణ్ణి బ్రతికించండి అని యుధిష్ఠిరుడు అనెను. యుధిష్ఠిరుని ధర్మ స్వభావమునకు యక్షుడు మిక్కిలి సంతుష్టుడై వరము ఇస్తూ – పక్షపాతము లేని నా ప్రియకుమారా! నీ నలుగురు సోదరులు బ్రతుకుదురు గాక! అని పలికెను.

TS 9th Class Hindi Guide 8th Lesson यक्ष प्रश्न

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • अरणी = యజ్ఞము చేయునప్పుడు అగ్నిని వెలిగించే కర్ర/ కొయ్య, a wood used to make fire
  • गायब होना = అదృశ్యము అగుట, to disappear
  • प्रफुल्लित होना = సంతోషించుట, to be happy
  • उद्यत होना = సిద్దమగుట, to be ready
  • सावधान = జాగగత్త, alert
  • चेतावनी = హెచ్చరిక, warning
  • परवाह करना = లెక్కచేయుట, to regard
  • कोख = ఒడి/కడుపు/ గర్భాశయము, abdomen/womb

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 7th Lesson मेरा जीवन Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 7th Lesson Questions and Answers Telangana मेरा जीवन

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
यह चित्र किनका है?
(ఈ చిత్రము ఎవరిది?)
उत्तर :
यह चित्र मानवता की प्रतिमूर्ति मदर तेरेसा का है।

प्रश्न 2.
आपको समाज सेवा करना कैसा लगता है ?
(మీకు సమాజ సేవ చేయుట ఎలా అనిపిస్తుంది ?)
उत्तर :
समाज माने मानव संघ है। मानव सेवा ही माधव सेवा है। समाज सेवा महान और पवित्र है। ऐसे समाज की सेवा करना मुझे बहुत अच्छा और सुखदायक लगता है।

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

प्रश्न 3.
मदर तेरेसा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है ?
(మదర్ తెరిస్సా జీవితం నుండి ఎటువంటి ప్రేరణ కలుగుతుంది?)
उत्तर :
मदर तेरेसा दयामयी, मानवता की प्रतिमूर्ति हैं। उनका जीवन आदर्शों से भरा हुआ है। ऐसे उनके जीवन से आपन्न लोगों का दुःख दूर करने और उनकी सेवा करने में जुटजाने की प्रेरणा मिलती है।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)

अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
खुशहाल जीवन की क्या विशेषता होती है ?
(సంతోషకర జీవిత ప్రత్యేకత ఏమిటి ?)
उत्तर :
मानव जीवन सुख-दुःख का मिश्रण है। हर एक मानव खुशहाल जीवन ही बिताना चाहता है। मानव को
स्वस्थ, निडर, साहसी, निर्लोभ, सहृदयी, कार्यशील होकर योग्य काम करते रहने से ही खुशी मिलती है। उसका जीवन शुखहाल होता है। दूसरों को सुख पहुँचाते स्वयं खुश रहना, खुशहाल जीवन की मुख्य विशेषता है। अपने चारों ओर के लोगों और प्राणियों की भलाई करते, धर्म परायण होकर, कर्तव्यों का पालन करते हुए सुखमय जीवन बिताना ही खुशहाल जीवन की विशेषता है।

(మానవ జీవితం సుఖ – దుఃఖముల కలయిక. ప్రతి ఒక్క వ్యక్తి సంతోషకర జీవనాన్ని గడపాలనే కోరుకుంటాడు. మనిషికి ఆరోగ్యంతో, నిర్భయుడై, సాహసవంతుడై, లోభరహితుడై, సహృదయము గల కార్యశీలుడై, యోగ్యమైన పనులు చేయుట వలననే ఆనందం కలుగుతుంది. అతని జీవితం సుఖమయమవుతుంది. ఇతరులకు సుఖాన్ని కలిగిస్తూ స్వయంగా సంతోషంగా ఉండటం సుఖకర జీవిత ముఖ్య విశేషము. తమ పొరుగు వారికి, ప్రాణులకు మేలు చేస్తూ ధర్మ పరాయణులై కర్తవ్యములను పాలిస్తూ, సుఖమయ జీవితం గడపడటమే సంతోషకర జీవిత విశేషము.)

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

प्रश्न 2.
“प्रसन्न व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता’ इस पर अपने विचार बताइए।
(“సంతృప్తి చెందిన వ్యక్తి. ఎన్నడూ దుఃఖితుడు అవడు (బాధపడదు)” దీని గురించి మీ అభిప్రాయములు తెలపండి.)
उत्तर :
मानव जीवन में सुख और दुःख दोनों रहते हैं। अपने अच्छे गुण और दूसरों से मिल जुलकर रहने से मानव प्रसन्न रह सकता है। निर्मल हृदय, परोपकार भावना, सुख पहुँचाना, अन्याय न करना, निस्वार्थ भावना आदि गुणों से मानव प्रसन्न रह सकता है। प्रसन्न व्यक्ति सुख-दुःख दोनों को समान दृष्टि से देखता है दुःख के बिना सुख मिलता ही नहीं है। इस तत्व को समझकर सुखी जीवन बितानेवाला ही महान होता है। वह कभी दु:खी नहीं होता ।

(మానవ జీవితంలో సుఖము – దుఃఖము రెండూ ఉంటాయి. తమ మంచి గుణములతో, ఇతరులతో కలిసి మెలిసి ఉండుట వలన మనిషి సంతోషంగా ఉండగలుగుతాడు. నిర్మల హృదయము, పరోపకార భావము, సుఖాన్ని కలిగించుట, అన్యాయము చేయకుండుట, నిస్వార్థ భావము వంటి గుణముల వలన మానవుడు సంతోషంగా ఉండగలడు. సంతోషంగానున్న వ్యక్తి సుఖము, దుఃఖము రెంటిని సమాన దృష్టితో చూడగలడు. దుఃఖము లేకుండా సుఖము లభించదు. ఈ తత్వాన్ని అర్థం చేసుకొని సుఖమయ జీవితాన్ని గడిపే వ్యక్తి గొప్పవాడు అవుతాడు. అతడు ఎన్నడూ దుఃఖించడు.)

आ. कविता पढकर नीचे दिये गये अभ्यास पूरे कीजिए।
(కవిత చదివి క్రింద ఇవ్వబడిన అభ్యాసములు పూర్తి చెయ్యండి.

इन पंक्तियों का उचित क्रम बताइए। (ఈ పంక్తుల సరియైన వరుస చెప్పండి)
1. उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में। ( )
2. उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से। ( )
3. ज़ंग है असार सुनती हूँ मुझको सुख सार दिखाता। ( )
4. मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता। ( )
उत्तर :
1. 3
2. 4
3. 1
4. 2

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

इ. नीचे दी गयीं पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన పంక్తుల భావములు స్పష్టం చెయ్యండి.)

प्रश्न 1.
हँस हँस जीवन में कैसे करती है चिंता क्रीडा ?
उत्तर :
कवयित्री कहती हैं कि जीवन तो हँसते खुशी से बिताना है। चिंता का खुशी के जीवन में कोई महत्व नहीं रहता है। इसलिए हँसते हुए जीवन बितानेवाले के जीवन पर दुःख कोई असर नहीं डाल सकता।

प्रश्न 2.
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्तर :
कवयित्री कहती हैं कि मैं तो सदा सुखी और खुश ही रहती थी। सुख की आशा में ही मैं जीवन बिताती थी। इसी के अनुरूप मेरी आँखों के सामने सदा सुख रूबी सागर लहराता रहता था। सुख की आशा में मैं रहती थी।

प्रश्न 3.
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
उत्तर :
कवयित्री कहती हैं कि मैं हर पल सुख से ही जीवन बिताती थी। मैं ने कभी दुःख का अनुभव नहीं किया। हर विषय को मैं अपने लिए सुखदायक बनाती रही। इसलिए मेरा जीवन सदा सुखी ही रहा।

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

प्रश्न 4.
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
उत्तर :
कवयित्री कहती है कि यह मानव जीवन अमूल्य और फिर से प्राप्त होनेवाला नहीं है। ऐसे मूल्यवान जीवन को मैं ने सुखदायी बना लिया। मेरे जीवन में दुःख कभी अपना प्रभाव नहीं दिखा सका। क्योंकि भरोसा, प्यार, धीरज आदि उत्तम गुण मेरे जीवन के साथी रहे थे। इन्हीं के कारण मैं ने अपना जीवन सुखमय बना लिया।

ई. नीचे दिया गया पद्यांश पढ़कर इसका भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన పద్యాంశాన్ని చదివి దీని భావాన్ని స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
बार बार आती है मुझको,
मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया जीवन की,
सबसे मस्त खुशी मेरी॥
उत्तर :
यह पद्यांश कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “मेरा बचपन” का पद्य है। कवयित्री अपने मधुरमय बचपन को याद करती कहती हैं। हे बचपन ! मुझे तुम्हारी याद बार बार आती है। क्योंकि बचपन मेरा सुखदायी और नहीं खेलते-कूदते, बाधा के बिना, खुशी से मैं ने अपना बचपन बिताया। बचपन के दिन जीवन में फिर कभी नहीं आते। अब मैं बडी हो गयी हूँ। इससे मेरे जीवन की मस्त खुशी मुझसे दूर हो गयी है।

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. पाठ के आधार पर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(పాఠము ఆధారంగా క్రింద ఇవ్వబడిన ప్రశ్నలకు సమాధానములు వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
कवयित्री ने जीवन में हँसने को क्यों महत्व दिया है?
(కవయిత్రి జీవితంలో నవ్వడానికి ఎందుకు ప్రాధాన్యతనిచ్చినిది?)
उत्तर :
कवयित्री मानव जीवन का महत्व खूब जानने वाली हैं। अपना जीवन सुखमय बना लेने आवश्यक विषय सीख लिये हैं। वे हैं – बाधाओं को हँसते सहना, संसार और सब लोगों को सुख पहुँचाने वाले समझना। उत्साह, उमंग के साथ हर पल बिताना, आशावान होकर असफलताओं से दुःखी न होते, विश्वास, प्रेम, साहस आदि गुणों से जीवन सुखमय बना लेना आदि। इस तरह उसने अपना जीवन सुखदायी बना लिया है।

(కవయిత్రి మానవ జీవిత విలువను బాగా తెలిసిన వ్యక్తి. తన జీవితమును సుఖమయం చేసుకొనుటకు అవసరమైన విషయములను నేర్చినది. అవీ బాధలను నవ్వుతూ సహించుట, ప్రపంచాన్ని, ప్రజలందరికీ సంతోషం కలిగించే వారుగానే భావించుట, ఉత్సాహము, ఉప్పొంగుతో ప్రతి క్షణం గడుపుట, ఆశావాదిగా ఉంటూ వైఫల్యాలు కలిగినా బాధ పడకుండా, నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యము మొదలగు గుణములతో జీవితాన్ని సుఖమయం చేసుకొనుట మొదలగునవి. ఈ విధముగ ఆమె తన జీవితాన్ని సుఖమయం చేసుకున్నది.)

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प्रश्न 2.
आपको यह संसार कैसा लगता है ?
(మీకు ఈ ప్రపంచం ఎలా అనిపిస్తుంది ?)
उत्तर :
मैं ने सुन लिया है कि यह संसार तो सारहीन और अशाश्वत है। लेकिन मैं तो विश्वास, प्रेम, धैर्य से सुख की आशा में ही रहती हूँ। निराश न होते हुए आशावान होकर जीवन बिताते रहने के कारण हमें यह संसार सुखदायी ही लगता है।

(ఈ ప్రపంచం సారము లేనిదని అశాశ్వతమైనదని నేను విని ఉంటిని. కాని నేను మాత్రం నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యముతో సుఖము కలుగుతుందనే ఆశలోనే ఉంటాను. నిరాశ చెందకుండ, ఆశావాదిగా జీవనం గడుపుతూ ఉండుట వలననే మనకు ఈ ప్రపంచం సుఖదాయకమైనదని అనిపిస్తుంది.)

प्रश्न 3.
अपने जीवन को खुशहाल कैसे बनाया जा सकता है ?
(మీ జీవితాన్ని ఎలా సుఖమయం చేసుకుంటారు?)
उत्तर :
मैं अपने जीवन को सदा हँसते हुए साहस, प्यार, विश्वास, आदि अच्छे गुणों से बाधाओं और कष्टों की परवाह न करते धीरज के साथ जीवन के प्रति आशा से रहते खुशहाल बनाता हूँ।

(నేను నా జీవితాన్ని ఎల్లప్పుడూ నవ్వుతూ సాహసం, ప్రేమ, నమ్మకం (విశ్వాసం) మొ॥గు మంచి గుణాలతో బాధలను, కష్టాలను లెక్కచేయక ధైర్యంతో జీవితం పట్ల ఆశతో నివసిస్తూ జీవితాన్ని సుఖమయం చేసుకుంటాను.)

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प्रश्न 4.
कवयित्री ने जीवन का साथी किसे बताया है? और क्यों ?
(కవయిత్రి జీవిత మిత్రునిగా ఎవరిని చెప్పింది ? ఎందుకు ?)
उत्तर :
मानव जीवन अति मूल्यवान है। सच्चा मानव दुःखों की परवाह न करते हुए सुख की आशा में ही जीवन बिताता है। इसलिए कवयित्री विश्वास, प्रेम, साहस, उत्साह, उल्लास आदि महान गुणों से रहती थी। उन्होंने तो आशा को ही अपना साथी बना लिया। क्योंकि जीवन तो आशा से ही गुज़ारा जाता है।

(మానవ జీవితం మిక్కిలి విలువైనది. అసలైన మానవుడు దుఃఖములను లక్ష్యపెట్టక సుఖమును పొందే ఆశతోనే జీవితాన్ని గడుపుతాడు. ఇందువలన కవయిత్రి నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యము, ఉత్సాహము, ఉల్లాసము వంటి గొప్ప గుణములు కలిగి ఉన్నది. ఆమైతే ఆశనే తన జీవిత మిత్రునిగా చేసుకున్నది. ఎందుకంటే జీవితం ఆశతోనే గడపబడుతుంది.)

आ. ‘मेरा जीवन’ कबिता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(“మేరా జీవన్” కవితా సారాంశమును స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
आधुनिक हिन्दी की प्रमुख कवयित्री हैं श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान। आप हिन्दी की राष्ट्रीय कवयित्री हैं। प्रस्तुत “मेरा जीवन” आपकी लिखी प्रभावशाली कविता है। इसमें कवयित्री ने यह संदेश दिया कि लक्ष्य साधना की राह में खुश रहते सदा सुखमय जीवन बिताना है।

कवयित्री कहती हैं – अपने पूरे जीवन में मैं ने हँसना ही सीखा है। अर्थात् मैं ने सुखमय जीवन ही बिताया है। रोना या दुःखी होना मैं नहीं जानती। मेरे जीवन में सदा सुख रूपी सोना ही बरसा करता था। अर्थ है कि मैं सदा प्रसन्न रहती थी। पीडा कैसी होती है यह मैं जानती ही नहीं। मेरे सुखदायी जीवन में चिंता का महत्व ही नहीं रहा।

मैं सुनती हूँ कि यह जग (संसार) तो सारहीन है। लेकिन वह तो मुझे सुख सार ही दिखाता है। माने मुझे सुख पहुँचानेवाला ही है। मेरी आँखों के सामने हमेशा सुख रूपी समुद्र लहराता ही रहा। मेरे जीवन में सदा उत्साह और उमंग ही रहे। मेरा दिल तो हमेशा मतवाले होकर विजय की खुशी में हँसता रहा। माने मेरा दिल विजय के उल्लास से नाच उठा।

मानव जीवन में आशा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि आशा ही सुखमय जीवन का प्रथम सोपान है। आशा ही मानव को लक्ष्य साधना की ओर आगे बढने की प्रेरणा देती है। ऐसी प्रभावशाली आशा मेरे जीवन को हर पल प्रकाशित करती रहती है। मेरी असफलता रूपी संपत्ति सुनहरे धागे से घेरी हुयी है। अर्थ है कि असफलता मुझ पर कभी प्रभाव डाल न सकी। मेरे चारों ओर सुख रूपी सुनहरे बादल ही छाये रहते हैं। क्योंकि सुख के साथी भरोसा, प्यार, धीरज मेरे जीवन के साथ रहे।

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इ. इस कविता को “आत्मकथा” के रूप में लिखिए।
(ఈ కవితను ఆత్మకథ రూపంలో వ్రాయండి)
उत्तर :
मेरा जीवन
मैं हँसना सीखा है। मैं रोना नहीं जानती है। मेरे जीवन में हर क्षण सोना बरसा करता है। “पीडा कैसी होती है” ? – इसे मैं अब तक जान न पाई हूँ। मेरे हँस-हँस जीवन में चिंता क्रीड़ा कैसी करती है ?
मैं इस जग के बारे में असार सुनती हूँ। लेकिन यह जग मुझे सुख सार दिखाता है। सदा मेरे आँखों के सामने सुख का सागर ही लहराता है मेरे जीवन में उत्साह और उमंग सदा (निरंतर) रहते हैं। मेरे मतवाले मन में उल्लास और विजय हँसते रहते हैं।
मेरे जीवन को प्रतिक्षण आशा से आलोकित करती रहती हूँ। हमेशा मुझे सुख भरे सुनहरे बादल घेरे रहते हैं। मेरे जीवन के साथी हैं विश्वास, प्रमे और साहस।

నా జీవితం
(నేను నవ్వడం నేర్చుకున్నాను. నాకు ఏడవడం అంటూ తెలీదు. నా జీవితంలో ప్రతి క్షణం బంగారం కురుస్తుంది. బాధ అంటే ఏమిటో నాకు ఇప్పటివరకు తెలీదు. నా నవ్వుల జీవితంలో దిగులు అనే ఆట ఎందుకు ఉంటుంది?
నేను ఈ ప్రపంచాన్ని గురించి సారహీనమైనదని విన్నాను. కానీ ఈ ప్రపంచం నాకు సుఖ సారాన్ని చూపుతోంది. ఎల్లప్పుడూ నా కనుల ముందు సుఖసాగరమే ఎగసిపడుతోంది. నా జీవితంలో ఉత్సాహం, ఉల్లాసం నిరంతరం ఉంటాయి. నా మత్తెక్కిన మనస్సు ఎల్లప్పుడూ ఉత్సాహం, విజయాలతో నవ్వుతూ ఉంటుంది.
నేను నా జీవితంలో ప్రతిక్షణం ఆశతోనే జీవిస్తాను. ఎల్లప్పుడు నన్ను సుఖమైన బంగారు వలయాలు చుట్టుముట్టుతూ ఉంటాయి. విశ్వాసం (నమ్మకం), ప్రేమ, సాహసం అనేవే నా జీవిత స్నేహితులు.)

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ई. विश्वास, प्रेम और साहस का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। इस पर अपने विचार लिखिए।
(నమ్మకం, ప్రేమ మరియు సాహసం అనే వాటికి మన జీవితంలో గొప్ప మహత్యం కలదు. దీనిపై మీ అభిప్రాయాన్ని వ్రాయండి.)
उत्तर :
विश्वास : विश्वास से हमारा जीवन सफल बनता है। हर एक आदमी को अपने पर, बंधु बांधवों पर मित्रों पर अवश्य विश्वास रखना चाहिए। विश्वास के बिना हम निश्चिंता से जीवित नहीं रह सकते। हर काम पर हमें ज़रूर विश्वास रखना चाहिए। विश्वास हमें जीवन में आगे बढ़ाता है। अविश्वास तो हमारे जीवन का रोकडा है।

प्रेम : हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश या अंग प्रेम ही है। प्रेम के बिना भी हम जीवित नहीं रह सकते। हर एक को अपने ऊपर, अपने परिजनों के ऊपर, अपने परिवार के ऊपर, अपने पुत्र तथा पत्नी आदि के ऊपर प्रेम अवश्य रहता है। प्रेम के बिना जीवन असार तथा सून लगता है। प्रेम के सहारे हम कुछ कर सकते हैं। प्रेम के बिना कुछ नहीं कर सकते। प्रेम जीवन देता है। प्रेम दूसरों को जिलाता है।

साहस : हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश साहस है। यह जीवन में महत्वपूर्ण स्थान पाता है। साहस हमें आगे बढ़ाता है। साहसवाला हर एक काम पूरा करके विजय पाता है। साहस के बिना हम कुछ नहीं कर सकते। साहस के सहारे ही हम हर क्षेत्र में सफलता पा सकेंगें। इसीलिए कहा गया है कि साहस और धैर्य ही लक्ष्मी है।

(నమ్మకం: నమ్మకం వలననే మన జీవితం విజయవంతమవుతుంది. ప్రతి మనిషికి తనపైన, తన బంధువులపైన, తన మిత్రులపైన తప్పనిసరిగా నమ్మకం ఉండాలి. నమ్మకం లేకపోతే మనం నిశ్చింతగా జీవించలేం. ప్రతి పనిపైన మనకు తప్పనిసరిగా నమ్మకం ఉండాలి. నమ్మకం మనల్ని జీవితంలో ముందుకు నడుపుతుంది. అపనమ్మకం అనేది మన జీవితానికి అవరోధం.

ప్రేమ : మన జీవితంలో మరియొక అవసరమైన అంశం ప్రేమ: ప్రేమ లేకుండా కూడా మనం జీవించలేము. ప్రతి వ్యక్తికి తనపైన, తనవారిపైన, తన కుటుంబంపైన, తన పుత్రులు, తన భార్యపైన తప్పనిసరిగా ప్రేమ ఉండాలి, ఉంటుంది. ప్రేమ లేకుండా జీవితం నిస్సారంగా, శూన్యంగా ఉంటుంది. ప్రేమతో మనం ఏమైనా సాధించగలం. ప్రేమ లేకుండా ఎవరూ ఏమీ సాధించలేరు. ప్రేమ జీవితాన్ని ఇస్తుంది. ప్రేమ ఇతరులను బ్రతకనిస్తుంది.

సాహసం : మన జీవితంలో మరియొక అవసరమైన అంశం. ఇది జీవితంలో గొప్ప స్థానాన్ని ఆక్రమిస్తుంది. సాహసం మనల్ని ముందుకు నడుపుతుంది. సాహసవంతుడు ప్రతి పనిని పూర్తిచేసి విజయాన్ని పొందుతాడు. సాహసం లేకుండా మనం ఏమీ చేయలేం. సాహసంతోనే మనం ఏ రంగంలోనైన విజయాన్ని పొందగలం. అందువల్లనే సాహసమే ధైర్యమే లక్ష్మీ అని చెప్పబడినది.)

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. निम्न शब्दों पर ध्यान दीजिए। (క్రింది శబ్దములను గమనించండి.)

सुख का सार = सुख सार
సుఖము యొక్క సారము = సుఖసారము

बिना किसी अंतर के = निरंतर
ఎట్టి అంతరము లేకుండా = నిరంతరము

हर एक क्षण = प्रतिक्षण
ప్రతి ఒక్క క్షణము = ప్రతి క్షణము

सुख और दुःख = सुख दुःख
సుఖము, దుఃఖము = సుఖ దుఃఖాలు

जो कानों को मधुर लगें = कर्णमधुर
చెవులకు ఇంపైనది = కర్ణ మధురము

इस तरह दो या उससे अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द को समास कहते हैं।
(ఈ విధముగ రెండు లేక అంతకన్నా ఎక్కువ శబ్దముల కలయికతో ఏర్పడిన శబ్దమును సమాసము అందురు.)

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समास के प्रकार : సమాస భేదములు

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन 1
उत्तर :
TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन 3

आ. नीचे दिये गये शब्दों को सामासिक रूप में बताइए।
(దిగువ ఇవ్వబడిన శబ్దముల సామాసిక రూపములు తెలపండి.)

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उत्तर :
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इ. विश्वास, साहस, निरंतर इन शब्दों के वाक्य प्रयोग कीजिए।
(విశ్వాస్, సాహస్, నిరంతర్ ఈ పదాలకు వాక్యప్రయోగం చేయండి.)
उत्तर :
1. विश्वास : विश्वास से हमारा जीवन सफल बनता हैं।
2. साहस : हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश साहस है।
3. निरंतर : निरंतर अध्ययन करना अच्छा है।

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ई. ऊपर दिये गये शब्दों के विग्रह कीजिए।
उत्तर :
1. विश्वास : दृढ संकल्प
2. साहस : हिम्मत से आगे बड़ना।
3. निरंतर : हमेशा / सदा.

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

कोई एक प्रेरणादायक कविता का संकलन कीजिए।
(ఏదైన ఒక ప్రేరణనిచ్చే కవితను సంకలనం చేయండి.)
उत्तर :
देव ! तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं,
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग के लाते हैं।
धूम-धाम से, साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं।
मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुएँ लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी, जो कुछ साथ नहीं लायी,
फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने को आयी।
धूप-दीप, नैवेद्य नहीं है, झाँकी का श्रृंगार नहीं,
हाय, गले में पहनाने को, फूलों का भी हार नहीं।
स्तुति कैसे करूँ तुम्हारी, स्वर में है माधुर्य नहीं,
मन का भाव प्रकट करने को, वाणी में चातुर्य नहीं।

नहीं दान है, नहीं दक्षिणा, खाली हाथ चली आयी,
पूजा की भी विधि न जानती, फिर भी नाथ चली आयी।
पूजा और पुजापा प्रभुवर! इसी पुजारिन को समझो,
दान-दक्षिणा और निछावर इसी भिखारिन को समझो।
मैं उन्मत्त प्रेम की लोभी, हृदय दिखाने आयी हूँ,
जो कुछ है बस यही पास है, इसे चढ़ाने आयी हूँ।
चरणों में अर्पित है, इसको चाहो तो स्वीकार करो,
यह तो ‘वस्तु तुम्हारी ही है, ठुकरा दो या प्यार करो।

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
कवयित्री ने खुशहाल जीवन का क्या कारण बताया है ?
(కవయిత్రి సుఖమయ జీవితానికి కారణము ఏమని చెప్పింది?)
उत्तर :
खुशहाल जीवन तो सौभाग्य और अपने साहस, प्यार, विश्वास आदि अच्छे गुणों से प्राप्त होता है। बाधाओं और कष्टों की परवाह न करते हुए धीरज के साथ जीवन के प्रति आशा से रहना ही कवयित्री ने खुशहाल जीवन का कारण बताया है।
సుఖమయ జీవితం, అదృష్టము మరియు తన ధైర్యము, ప్రేమ, నమ్మకము వంటి మంచి గుణముల వలననే లభిస్తుంది. బాధలను, కష్టాలను లక్ష్యపెట్టక ధైర్యంగా, జీవితమంటే ఆశను కలిగి ఉండటమే కవయిత్రి సుఖమయ జీవితానికి కారణము అని చెప్పినది.)

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प्रश्न 2.
कवयित्री ने अपनी कविता में आशावादी भावना कैसे उभारी है?
(కవయిత్రి తన కవితలో ఆశావాద భావమును ఎట్లు తెలిపింది?)
उत्तर :
मानव जीवन में आशा का महत्वपूर्ण स्थान है। बिना आशा के या निराशा से मानव जीवन खुशहाल नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन के प्रति विश्वास रखते, आशावादी होकर, कष्टों को हँसते सहकर, धैर्य और विश्वास के साथ जीवन बिताना है। यही आशावादी भावना कवयित्री ने इस कविता में उभारी है।

(మానవ జీవితంలో ఆశకు గొప్ప స్థానము ఉన్నది. ఆశ లేకుండా నిరాశతో మానవ జీవితము సుఖమయము కాజాలదు. ఇందువలన జీవితమంటే నమ్మకం కలిగి ఉండి, ఆశావాదిగా మారి, కష్టాలను నవ్వుతూ సహించి, ధైర్యము, విశ్వాసంతో జీవితం గడపాలి. ఈ ఆశావాద భావననే కవయిత్రి ఈ కవితలో తెలిపింది.)

समास के भेद : (సమాస భేదములు)

प्रश्न 1.
अव्ययीभाव समास (అవ్యయీభావ సమాసము)
जिस समास का पहला खंड प्रधान हो, वह अव्ययीभाव समास होता है। साधारण रूप से पहला खंड अव्यय होता है।
(మొదటి పదము (అవ్యయము) ప్రధానముగా ఉండు సమాసమును అవ్యయీభావ సమాసము అంటారు.)
उदा : प्रतिक्षण, निरंतर, प्रत्येक

2. कर्मधारय समास : (కర్మధారయ సమాసము )
जिस समास के दोनों पदों में से एक पद विशेषण होता है और दूसरा विशेष्य उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
(ఒక పదము విశేషణము, రెండవ పదము విశేష్యముగా ఉండు సమాసము కర్మధారయ సమాసము.) उदा : घनश्याम, नील कमल स्वर्ण सूत्र, सुनहले बादल।

3. तत्पुरुष समास : (తత్పురుష సమాసము)
जिस समास में उत्तर पद (दूसरा या अंतिम पद) प्रधान हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
(ఉత్తర పదము (రెండవ పదము) ప్రధానముగా ఉండు సమాసమును తత్పురుష సమాసము అందురు.)
उदा: सुखसार, सुख सागर, वनवास

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4. द्वंद्व समास (ద్వంద్వ సమాసము) जिस समास में दोनों खंड प्रधान होते हैं और विग्रह करने में जिसमें
‘और’ या ‘अथवा’ लगता है, उसे द्वंद्वं समास कहते हैं।
(రెండు పదములు ప్రధానములై ఉండు సమాసమును ద్వంద్వ సమాసము అందురు. సమాసములోని పదములు )
उदा : माता पिता, दिन रात, सुख दुःख

5. द्विगु समास : (ద్విగు సమాసము) जिसमें पूर्व पद संख्यावाचक होता है और जिसके समस्त पद किसी समूह का बोध करता है।
(పూర్వపదము సంఖ్యను సూచించును మరియు సమస్తపదము సమూహమును సూచించును.)
उदा : चौराहा, त्रिभुज, दुपहर

6. बहुव्रीहि समास : (బహువ్రీహి సమాసం) जिस समास में दोनों खंड प्रधान न हो और समस्त पद अपने पदों से भिन्न अन्य संज्ञा का बोधक हो, उसे “बहुव्रीहि समास कहते हैं।
(సమాసములోని రెండు పదములు అప్రధానములై ఉండును. విగ్రహ వాక్యములలో రెండు పదములకు సంబంధం లేని ఇతర నామవాచక శబ్దమును సూచించిన దానిని బహువ్రీహి సమాసము అందురు.).
उदा : पंकज, गोपाल, पीताबंर, अनंग

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया :
पठित पद्यांश

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा॥

प्रश्न :
1. उपर्युक्त पद्यांश की कवयित्री कौन है ?
2. कवयित्री के जीवन में पल पल पर क्या बरसा करता है?
3. कवयित्री क्या नहीं जानती है ?
4. कवयित्री ने क्या सीखा है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
उत्तर :
1. उपर्युक्त पद्यांश की कवयित्री हैं श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान।
2. कवयित्री के जीवन में पल पल पर सोना बरसा करता है।
3. कवयित्री “पीडा कैसी होती है” – इसे नहीं जानती है।
4. कवयित्री ने हँसना सीखा है।
5. उपर्युक्त पद्यांश ‘मेरा जीवन’ नामक पाठ से लिया गया है।

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II. मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा॥

प्रश्न :
1. कवयित्री अब तक क्या जान न पाई ?
2. हँस हँस जीवन में कौन-सी क्रीडा नहीं होती ?
3. ‘पल’ शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
4. हँस शब्द का विलोम शब्द क्या है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर :
1. कवयित्री अब तक यह जान ना पाई कि “पीडा कैसी होती है?”
2. हँस हँस जीवन में चिंता क्रीडा नहीं होती।
3. ‘पल’ शब्द का पर्याय शब्द है “क्षण।
4. हँस शब्द का विलोम शब्द है “रोना”।
5. उपर्युक्त पद्यांश ‘मेरा जीवन’ पाठ से लिया गया है।

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III. आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।

प्रश्न :
1. कवयित्री के जीवन को प्रतिक्षण क्या अलोकित करती है?
2. कवयित्री को कैसे बादल घेर कर रहते हैं?
3. कवयित्री के साथी कौन है ?
4. कवयित्री की असफलता के धन किस सूत्र में वलयित है ?
5. इस पद्यांश की कवयित्री कौन है ?
उत्तर :
1. कवयित्री के जीवन को आशा आलोकित करती है।
2. कवयित्री को सुनहरे बादल घेर कर रहते हैं।
3. विश्वास, प्रेम, साहस आदि कवयित्री के साथी हैं।
4. कवयित्री की असफलता के धन स्वर्ण सूत्र से वलयित है।
5. इस पद्यांश की कवयित्री है श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान।

IV. जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख सार दखाता।
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से।

प्रश्न :
1. जग के बारे में कवयित्री क्या सुनती है ?
2. कवयित्री के जवीन में निरंतर क्या क्या रहते हैं ?
3. कवयित्री के मतवाले मन से क्या हँसता है ?
4. कवयित्री को जग कैसा दिखाता है?
5. इस पद्य की कवयित्री कौन है ?
उत्तर :
1. जग के बारे में कवयित्री यह सुनती है कि यह जग असार है।
2. कवयित्री के जीवन में निरंतर उत्साह और उमंग रहते हैं।
3. उल्लास विजय का हँसता है।
4. कवयित्री को जग सुख सार जैसा दिखाता है।
5. इस पद्य की कवयित्री श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।

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V. मैंने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा॥
आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।

प्रश्न :
1. किसके जीवन में आशा आलोकित करती है ?
2. मैं ने हँसना सीखा है – यहाँ “मैं ने” कौन है ?
3. कवयित्री के जीवन में – पल पल पर क्या बरसा करता है
4. यह पद्यांश किसं पाठ से दिया गया है ?
5. प्रेम शब्द का पर्याय लिखिए।
उत्तर :
1. कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी के जीवन में आशा आलोकित करती है।
2. मैं ने हँसना सीख है। यहाँ “मैं ने” सुभद्रा कुमारी चौहान (कवयित्री) जी है।
3. कवयित्री के जीवन में पल पल सोना बरसा करता है।
4. ये पद्यांश “मेरा जीवन” नामक पद्य पाठ से दिया गया है।
5. प्रेम शब्द का पर्याय है प्यार / मोहब्बत।

अपठित पद्यांश :

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. सूर्य बने मधु का विक्रेता, सिंधु बने घट, जल हाला
बादल बन बन आये साकी, भूमि बने मधु का प्याला।
झडी लगाकर बरसे मदिरा रिमझिम – रिमझिम – रिमझिम कर,
बेलि, बिटप, तृण बन मैं पीऊँ, वर्षा – ऋतु हो मधुशाला।

प्रश्न :
1. मधु के विक्रेता कौन बने हैं ?
2. मधु का प्याला क्या बना है ?
3. मैं क्या बनकर पीऊँ?
4. झडी लगाकर रिमझिम रिमझिम रिमझिम कर क्या बरसा ?
5. सिंधु क्या बना है?
उत्तर :
1. मधु के विक्रेता सूर्य बने हैं।
2. मधु का प्याला भूमि बना है।
3. बेलि, बिटप, तृण बनकर पीऊँ।
4. मदिरा बरसा है।
5. सिंधु घट बना है।

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II. मित्रता बडा अनमोल रतन
कब इसे तोल सकता है धन ?
धरती की तो है क्या बिसात ?
आ जाय अगर वैकृण्ट हाथ,
उसको भी न्यौछावर कर दूँ,
कुरुपति के चरणों पर धर दूँ।

प्रश्न :
1. बडा अनमोल रतन क्या है?
2. कभी भी धन से किसे नहीं तोल सकते ?
3. कुरुपति कौन है ?
4. धरती शब्द का पर्याय शब्द क्या है ?
5. कर्ण किसे धर देना चाहते हैं ?
उत्तर :
1. बड़ा अनमोल रतन मित्रता है।
2. कभी भी धन से मित्रता को तोल नहीं सकते।
3. दुर्योधन कुरुपति है।
4. धरती शब्द का पर्याय शब्द है “पृथ्वी”।
5. कुरुपति के चरणों पर कर्ण अगर वैकुंठ आ जाने पर उसे धर देना चाहते हैं।

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

III. चरण कमल बंदौ हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे, अंधे को सब कुछ दरसाई॥
बहिरौ सुनै मूक पनिबोलै, रंक चलै सिर छत्र धराई।
सूरदास स्वामी करुणामय, बार बार बन्दौ तेहि पाई॥

प्रश्न :
1. कमल जैसा चरण वाला कौन है ?
2. सूरदास का स्वामी कैसा है ?
3. किनकी कृपा से लंगडा गिरि को लांघता है ?
4. भगवान हरि की कृपा से मूक क्या कर सकता है ?
5. “बंदौ ” शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर :
1. हरि कमल जैसा चरण वाला है। (या) कमल जैसा चरण वाला हरि है।
2. सूरदास का स्वामी करुगामय है।
3. हरि की कृपा से लंगडा गिरि को लाँघता है।
4. भगवान हरि की कृपा से मूक बोल सकता है।
5. बंदौ शब्द का अर्थ है : ” वंदन”

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

IV. भेद भाव अपने दिल से, साफ़ कर सकें
दूसरों से भूल हों तो, माफ़ कर सकें
झूठे से बचे रहें सच का दम भरें
दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें॥

प्रश्न :
1. अपने दिल से क्या साफ़ कर सकें ?
2. हम किस से बचे रहते हैं ?
3. हम दूसरों के किन्हें माफ़ कर सकें ?
4. दूसरों की जय से पहले किसकी जय करें?
5. हम सदा किसका दम भर सकेंगे ?
उत्तर :
1. अपने दिल से भेद भाव को साफ़ कर सकें।
2. हम झूठ से बचे रहते हैं।
3. हम दूसरों के भूलों को माफ़ कर सकते हैं।
4. दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें।
5. हम सदा सच का दम भर सकेंगे।

उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

कविता के प्रति रुचि रखते काव्य सृजन का प्रयास करना।
लक्ष्य की राह में खुशहाल, सुखी जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा पाना।
(కవితల పట్ల అభిరుచి కలిగి కావ్య సృజన కొరకు ప్రయత్నించుట.
లక్ష్య సాధన మార్గములో సుఖమయ జీవనము గడిపెడి ప్రేరణ ఇచ్చుట.)

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

शब्दार्थ – भावार्थ :

1. मैंने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान नपाई, कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे, करती हैं चिंता क्रीड़ा।।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • हँसना = నవ్వుట, to laugh
  • रोना = ఏడ్చుట, to cry
  • बरसना = కురీయుట, raining
  • पल = క్షణము, second
  • सोना = బంగారము, gold
  • पीडा = బాధ, pain
  • चिंता = దిగులు, worry

भावार्थ : आधुनिक हिन्दी की ! प्रमुख। कवयित्री हैं श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान। आप हिन्दी की राष्ट्रीय कवयित्री हैं। प्रस्तुत “मेरा जीवन” आपकी लिखी प्रभावशाली कविता है। इसमें कवयित्री ने यह संदेश दिया कि लक्ष्य साधना की राह में खुश रहते सदा सुखमय जीवन बिताना है।

कवयित्री कहती हैं अपने पूरे जीवन में मैं ने हँसना ही सीखा है। अर्थात् मैं ने सुखमय जीवन ही बिताया है। रोना या दुःखी होना मैं नहीं जानती। मेरे जीवन में सदा सुख रूपी सोना ही बरसा करता था। अर्थ है कि मैं सदा प्रसन्न रहती थी। पीडा कैसी होती है यह मैं जानती ही नहीं। मेरे सुखदायी जीवन में चिंता का महत्व ही नहीं रहा।

భావార్థము : ఆధునిక హిందీలో శ్రీమతి సుభద్రా కుమారి చౌహాన్, గొప్ప కవయిత్రి. ఈమె జాతీయ కవయిత్రి. “మేరా జీవన్” ఈమె వ్రాసిన ప్రతిభా వంతమైన కవిత. లక్ష్యసాధన మార్గంలో సంతోషంగా ఉంటూ ఎల్లప్పుడూ సుఖమయ జీవితాన్నే గడపాలని కవయిత్రి ఈ కవితలో సందేశం ఇచ్చారు. నా సంపూర్ణ జీవితంలో నేను ఎప్పుడూ నవ్వడమే (సంతోషంగా ఉండడమే) నేర్చుకున్నాను. అంటే నేను సుఖమయ జీవితాన్నే గడిపాను. ఏడ్వడం గాని, దుఃఖించడంగాని నేను ఎరుగను. నా జీవితంలో సదా సుఖకర స్థితి ఉన్నది.

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

2. जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख – सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले
मन से।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • जग = ప్రపంచము, world
  • असार = సారము లేన, insubstantial
  • दिखाना = చూపించుట, to show
  • सागर = సముద్రము, the sea
  • लहराना = అలలు ఉప్పొంగుట, to ripple
  • उमंग = ఆశ, ambition
  • मतवाला = మత్తెక్కిన, intoxicated

भावार्थ : (कवयित्री कहती हैं) मैं सुनती हूँ कि यह जंग (संसार) तो सारहीन है। लेकिन वह तो मुझे सुख सार ही दिखाता है। माने मुझे सुख पहुँचानेवाला ही है। मेरी आँखों के सामने हमेशा सुखरूपी समुद्र लहराता ही रहा। मेरे जीवन में सदा उत्साह और उमंग ही रहे। मेरा दिल तो हमेशा मतवाले होकर विजय की खुशी हँसता रहा। माने मेरा दिल विजय के उल्लास से नाच उठा।

భావార్థము: : ఈ ప్రపంచం నిస్సారమైనదని నేను -వినుచున్నాను. కాని అదైతే నాకు సుఖసారాన్నే చూపుతున్నది. అనగా నాకు సుఖాన్ని కలిగించేది. నా కన్నుల ముందు సదా సుఖమనే సముద్రము ఉప్పొంగుచూనే ఉన్నది. నా జీవితములో ఎల్లప్పుడూ మనస్సు సదా విజయపు ఆనందంతో నవ్వుతూనే ఉంది. అనగా నా మనస్సు విజయోల్లాసంతో నాట్యము చేసింది.

3. आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है. स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • आल्लोकित करना = ప్రకాశింపచేయుట, lightened
  • वलयित = చుట్టబడిన, encircled
  • असफलता = విఫలత్వము, failure
  • सुनहरा = బంగారపువన్నె గల, golden
  • घेरना =చుట్టూ చేరుట, to surround
  • साथी = చెలికాడు, campanion

TS 9th Class Hindi Guide 7th Lesson मेरा जीवन

भावार्थ : (कंवयित्री कहती हैं कि) मानव जीवन में आशा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि आशा हीं सुखमय जीवन का प्रथम सोपान है। आशा ही मानव को लक्ष्य साधना की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। ऐसी प्रभावशाली आशा मेरे जीवन को हर पल प्रकाशित करती रहती है। मेरी असफलता रूपी संपत्ति सुनहरे धागे से घेरी हुयी है। अर्थ है कि असफलता मुझ पर कभी प्रभाव डाल न सकी। मेरे चारों ओर सुख रूपी सुनहरे बादल ही छाये रहते हैं। क्योंकि सुख के साथी भरोसा, प्यार, धीरज, मेरे जीवन के साथ रहे।

‘భావార్థము : మానవ జీవితంలో ఆశకు చాలా గొప్ప స్థానము ఉన్నది. ఎందుకంటే ఆశే సుఖమయ జీవితపు మొదటి మెట్టు. ఆశే మానవుడిని లక్ష్య సాధనకై ముందుకు సాగెడి ప్రేరణ కలిగిస్తుంది. అట్టి ప్రభావశాలియైన ఆశ నా జీవితాన్ని ప్రతి క్షణం ప్రకాశింపచేస్తూనే ఉన్నది. నా అసఫలత్వపు సంపద బంగారపు త్రాటితో చుట్టబడి ఉన్నది. అసఫలత్వము ఎన్నడూ నాపై ప్రభావం చూపలేకపోయిందని దీని అర్ధము. నా నలువైపులా సుఖకర బంగారు వన్నెగల మేఘాలు వ్యాపించి ఉన్నాయి. ఎందుకంటే సుఖమునకు మిత్రులైన నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యము నా జీవితంలో తోడున్నాయి.

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 6th Lesson बेटी के नाम पत्र Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 6th Lesson Questions and Answers Telangana बेटी के नाम पत्र

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏవి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में एक लड़का है। वह विद्यार्थी है। वह बैठकर हाथ में कागज़ लेकर पढ रहा है। उसके सामने एक थैली है।

प्रश्न 2.
बालक क्या कर रहा होगा?
(బాలుడు ఏవి చేస్తూ ఉండవచ్చు?)
उत्तर :
बालक अपने नाम पर आये किसी खत या कोई आवश्यक कागज़ पढ रहा होगा।

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र

प्रश्न 3.
हमारे जीवन में पत्रों का क्या महत्व है?
(మన జీవితంలో ఉత్తరములకు ఉన్న విలువ ఏమిటి?)
उत्तर :
हमारे मानव जीवन में पत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। पत्र समाचार पहुँचाने का उत्तम और प्रमुख साधन है। आजकल पत्रों के द्वारा ही हमारे अनेक आवश्यक कार्य सही ढंग से संपत्न हो रहे हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం జవాబును ఇవ్వటం)

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए। (ప్రశ్నల జవాబులు తెలపండి.)

प्रश्न 1.
पुराने समय में पत्र कैसे भेजे जाते थे?
(ప్రాచీన కాలంలో ఉత్తరములు ఏ విధముగా పంపబడేవి?)
उत्तर :
मानव सामाजिक प्राणी हैं। जीवन यापन के लिए या अन्य विविध कारणों से देश के विभिन्न प्रांतों में उन्हें रहना पडता है। ऐसी हालत में अपने मित्रों या रिश्तेदारों को समाचार भेजने या समाचार जानने पत्रों का इस्तेमाल करते हैं। आजकल जो बस, रेल, हवाई जहाज़ आदि कई साधनों द्वारा पत्र विविध प्रांतों में भेजे जा रहे हैं। पुराने समय में तो पत्र खासकर व्यक्तियों व पालतू जानवर, पालतू कबूतरों के पैरों में बाँधकर पत्र भेजे जाते थे।

(మానవులు సంఘజీవులు. జీవనం కోసము లేదా అనేక ఇతర కారణముల వలన దేశములోని విభిన్న ప్రాంతాలలో వారు ఉండవలసి వస్తుంది. అట్టి పరిస్థితిలో తమ మిత్రులకు గాని, బంధువులకు గాని సమాచారం పంపుటకు, సమాచారం తెలుసుకొనుటకు ఉత్తరములు ఉపయోగిస్తుంటారు. నేడు బస్సు, రైలు, విమానము, మొ॥ అనేక సాధనముల ద్వారా ఉత్తరములు వివిధ ప్రాంతాలకు పంపబడుచున్నవి. ప్రాచీనకాలంలో ముఖ్యంగా వ్యక్తుల ద్వారా, పెంపుడు జంతువుల ద్వారా, పెంపుడు పావురముల కాళ్ళకి కట్టి పత్రములు (ఉత్తరములు) పంపబడేవి.)

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र

प्रश्न 2.
विविध उत्सवों व शुभसंदर्भों पर शुभकामनाएँ कैसे दी जाती हैं?
(విభిన్న ఉత్సవములు, శుభసందర్భములలో శుభాకాంక్షలు ఎలా ఇవ్వబడుచున్నవి?)
उत्तर :
भारत एक विशाल देश है। यहाँ विभिन्न धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग रहते हैं। यहाँ हर तिथि और मास पर, त्यौहार और उत्सव मनाते हैं। ऐसे शुभ अवसर पर लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों और अन्य सभी लोगों की भलाई चाहते शुभ कामनाएँ देते रहते हैं। वे शुभकामनाएँ पत्र लिखकर तार भेजकर, फ़ोन द्वारा, मोबाइल द्वारा, मेसेज भेजकर, कंप्यूटर द्वारा आदि विविध रूपों में दी जा रही हैं। आजकल हर शुभ अवसर पर ये शुभकामनाएँ दी जा रही हैं।

(భారతదేశము విశాలమైన దేశము. ఇక్కడ అనేక మతముల, తెగల, సాంప్రదాయాల ప్రజలు నివసిస్తున్నారు. ఇక్కడ ప్రతి తిథి, ప్రతి నెల, పండుగలు, ఉత్సవములు జరుపుకుంటారు. అట్టి శుభసందర్భములో ప్రజలు తమ మిత్రులకు, బంధువులకు ఇతర ప్రజల మేలు కోరుకుంటూ శుభాకాంక్షలు పంపుతూ ఉంటారు. ఆ శుభాకాంక్షలు ఉత్తరములు వ్రాసి, టెలిగ్రామ్లు ఇచ్చి, ఫోన్, మొబైల్, మేసేజ్, కంప్యూటర్ మొ॥ వివిధ రూపాలలో ఇవ్వబడుచున్నవి. ప్రస్తుతం ప్రతి శుభసందర్భంలోను ఈ శుభాకాంక్షలు ఇవ్వబడుతూనే ఉన్నవి.)

आ. वाक्यों को जोड़कर सही वाक्य लिखिए।
(వాక్యములను కలిపి సరియైన వాక్యములు వ్రాయండి.)

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र 3
उत्तर :
TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र 4

इ. गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(గద్యాంశం చదివి ప్రశ్నలకు జవాబులు వ్రాయండి.)
एक बार मेरे पिताजी ‘श्रवण की पितृभक्ति’ नामक पुस्तक खरीद कर लाये। मैंने उसे बडे चाव | से पढ़ा। उन दिनों बाइस्कोप में तस्वीर दिखानेवाले लोग आया करते थे। तभी मैंने अपने माता- पिता को बहंगी पर बिठाकर ले जानेवाले श्रवण कुमार का चित्र भी देखा। इन बातों का मेरे मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। मन-ही-मन मैंने ठान लिया कि मैं भी श्रवण की तरह बनूँगा।
मैंने ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक भी देखा था। बार-बार उसे देखने की इच्छा होती । हरिश्चंद्र के सपने आते। यह बात मेरे मन में बैठ गयी। चाहे हरिश्चंद्र की भाँति कष्ट क्यों न उठाना पड़े, पर सत्य को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र

प्रश्न (ప్రశ్నలు):

प्रश्न 1.
सेवाभाव की प्रेरणा महात्मा गाँधी को कैसे मिली ?
(సేవాభావపు ప్రేరణ మహాత్మాగాంధీకి ఎలా కలిగింది ?)
उत्तर :
एक बार महात्मा गाँधीजी के पिताजी ‘श्रवण की पितृभक्ति’ नामक पुस्तक खरीदकर लाये। गाँधीजी ने उसे चाव से पढ़ा। उन दिनों बाइस्कोप में तस्वीर दिखानेवाले लोग आया करते थे। तभी गाँधीजी ने अपने माता-पिता को बहंगी पर बिठाकर ले जानेवाले श्रवण कुमार का चित्र भी देखा। इन बातों का गाँधीजी के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पडा। और तभी गाँधीजी को श्रवण की तरह सेवा भाव की प्रेरणा मिली।

प्रश्न 2.
सत्य की प्रेरणा महात्मा गाँधी को किससे मिली ?
(సత్యపు ప్రేరణ మహాత్మాగాంధీగారికి దేనివలన కలిగింది?)
उत्तर :
एक बार महात्मा गाँधीजी ने सत्य हरिश्चंद्र का नाटक देखा। उसे बार-बार देखने की इच्छा हुई। इसी नाटक से महात्मा गाँधीजी को सत्य की प्रेरणा मिली।

प्रश्न 3.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा ?
(ఈ గద్యాంశము యొక్క సరియైన శీర్షిక ఏమి అవుతుంది ?)
उत्तर :
‘प्रेरणा का महत्व’

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र

ई. पाठ में आये पात्रों के नाम ढूँढ़कर लिखिए।
(పాఠంలో వచ్చిన పాత్రల పేర్లు వెతికి వ్రాయండి.)
उत्तर :
इंदिरा, जोन ऑफ़ आर्क, बापू (महात्मा गाँधी), जवाहर लाल नेहरू आदि।

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हमें क्या करना चाहिए?
(మన లక్ష్యాలను సాధించుట కొరకు మనము ఏమి చేయవలెను?)
उत्तर :
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हमें निरंतर कार्य करना चाहिए।
हमें एक प्रणाली (योजना) बनाकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निरंतर यत्न करते रहना चाहिए।
हमें अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कभी भी आलस्य न रहना चाहिए।
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हम में असीम उत्साह होना चाहिए।
हमें अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परस्पर सहयोग लेते रहना चाहिए।
निरंतर अभ्यास से हम अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकेंगे।
हमें अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बड़ों की, माता पिता की और गुरुजनों की सलाह भी लेना चाहिए।

(మనం మన లక్ష్యాలను పూరించుటకు మనం నిరంతరం పని చేయవలెను.
మనం ఒక ప్రణాళికను ఏర్పాటు చేసుకుని దానిని అనుసరించి పని చేయవలెను.
మనం లక్ష్యాలను పూరించుటకు ఎప్పుడూ కూడా సోమరితనంతో ఉండరాదు.
మన లక్ష్యాలను పూరించుటకు మనం అంతులేని ఉత్సాహంతో ఉండవలెను.
మనం మన లక్ష్యాలను నెరవేర్చుకొనుటకు పరస్పరం సహాయ సహకారాలను పొందుతూ ఉండవలెను.
నిరంతర అభ్యాసం ద్వారా మనం మన లక్ష్యాలను పూర్తి చేసుకొనగలము.
మనం మన లక్ష్యాలను సాధించుటకు పెద్దల, అమ్మ నాన్నల మరియు గురువుల సలహాలను కూడా

प्रश्न 2.
“मैं और तुम बहुत भाग्यशाली हैं।” नेहरू जी ने ऐसा क्यों कहा होगा?
(నేను, నీవు చాలా అదృష్టవంతులం. నెహ్రూగారు ఈ విధంగా ఎందుకు అని ఉండవచ్చు?
उत्तर :
सन् 1930 के समय हमारे भारत के इतिहास का निर्माण हो रहा था। बापू ने भारतवासियों के दुःखों को दूर करने के लिए आंदोलन छेडा।
ऐसा महत्वपूर्ण आंदोलन का अपनी आँखों के सामने होना और उसमें इनके भाग लेना आदि विषयों को महान समझकर नेहरू जी ने ऐसा कहा होगा।

(క్రీ.శ. 1930లో మన భారతదేశ చరిత్ర నిర్మాణము జరుగుచూ ఉండెను. మహాత్మాగాంధీ భారతవాసుల దుఃఖములను దూరం చేయుటకు ఉద్యమం మొదలుపెట్టారు. అటువంటి గొప్ప ఉద్యమం మన కళ్ళముందే జరగటం దానిలో పాల్గొనే అవకాశం లభించే విషయములను మిన్నగా భావించి నెహ్రూగారు ఈ విధంగా అని ఉండవచ్చు.)

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आ. पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(పాఠం యొక్క సారాంశమును మీ మాటలలో వ్రాయండి)
उत्तर :
यह “पत्र लेखन” पाठ है। इसे नैनी जेल से 26 अक्तूबर, 1930 को श्री जवाहर लाल नेहरू जी ने अपनी
बेटी इंदिरा के नाम पर लिखा।

इंदिरा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में पिता नेहरू जी उसे जन्म दिन की शुभकामनाएँ बताते हुए इस पत्र को लिखते हैं। एक महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए असीम उत्साह के साथ रहने का संदेश नेहरू जी इंदिरा को देते हैं। उसे वीरांगना बनने का आदेश तथा संदेश देते हैं।

बापू जी के द्वारा छेडे गये स्वतंत्र आंदोलन तथा भारत देश के इतिहास का निर्माण के बारे में बताते हैं। नेहरू जी अपनी बेटी को पत्र में यह भी बताते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन उनकी आँखों के सामने होता रहने के कारण वे बहुत भाग्यशाली हैं। इस महान आंदोलन में उनके कर्तव्य के बारे में बताते हैं। क्या करें और क्या न करें के बारे में बताते हैं। गलत काम न करने का संदेश देते हैं। बहादुर बनने का संदेश देते हैं। भारत की सेवा के लिए बहादुर सिपाही बनने का संदेश देते हुए पत्र को समाप्त करते हैं।

(ఇది ఉత్తరం రూపంలో వ్రాయబడిన పాఠం. దీనిని జవహర్లాల్ నెహ్రూగారు నైనీ జైలు నుండి 26 అక్టోబర్ 1930 సం॥రంలో తన కుమార్తె ఇందిర పేరుతో వ్రాసిరి.
ఇందిరాగాంధీ పుట్టినరోజు సందర్భంగా శుభాకాంక్షలు తెలియజేస్తూ నెహ్రూ గారు ఈ ఉత్తరం వ్రాసిరి. ఒక గొప్ప ఉద్దేశ్యం (లక్ష్యం) పూరించుటకు అంతులేని ఉత్సాహంతో ఉండుటకు నెహ్రూజీ ఆమెకు సందేశం ఇచ్చుచున్నారు. ఆమెను ఒక వీర వనిత కావాలని ఆదేశిస్తూ సందేశం ఇచ్చుచున్నారు.
మహాత్మాగాంధీజీ గారి ద్వారా ప్రారంభమైన స్వతంత్ర్య ఉద్యమ ఆందోళన మరియు భారతదేశ చరిత్ర నిర్మాణం గురించి నెహ్రూజీ ఇందిరకు ఈ ఉత్తరం ద్వారా తెలియజేయుచున్నారు. స్వాతంత్య్ర్య సమర ఉద్యమం వారి కళ్ళముందే జరుగుతున్నందుకు వారిరువురూ భాగ్యశాలులని నెహ్రూగారు ఇందిరకు ఆ ఉత్తరంలో తెలియ జేయుచున్నారు. ఈ స్వతంత్ర సమర పోరాటంలో తన కర్తవ్యాన్ని గురించి ఆయన తెలియజేయుచున్నారు. ఏమి చేయాలో? ఏమి చేయరాదో? కూడా ఆయన ఈ ఉత్తరంలో తెలియజేయుచున్నారు. తప్పు పనులేవీ చేయరాదని తెలియజేయుచున్నారు ధైరవ్యంతులు కమ్మని తెలియజేయుచున్నారు. భారతదేశ సేవకై సాహసవంతమైన, ధైర్యవంతమైన సిపాయి కమ్మని నెహ్రూగారు ఇందిరకు సందేశం ఇస్తూ ఈ ఉత్తరాన్ని ముగించిరి. )

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इ. बहादुरी से संबंधित कोई छोटी सी कहानी लिखिए।
(సాహసానికి వీరత్వానికి సంబంధించిన ఏదేని ఒక చిన్న కథ వ్రాయండి.)
उत्तर :
उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले में ताजपुर एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। रेलवे लाइन के पास से अक्षय कुमार नामक एक छात्र अपना कॉलेज जा रहा था। अचानक उसकी दृष्टि रेल की पटरी पर पड़ी। उसने देखा कि एक जगह पर कुछ दूर तक रेल की पटरी उखड़ी हुई थी। उसने उसके पास जाकर ग़ौर से देखा। ‘फ़िश प्लेटों के हटाये जाने से वहाँ एक भयानक खतरा पैदा हो गया था।

अक्षय कुमार के सामने एक यात्री गाड़ी तेज़ी से चली आ रही थी। उसने चारों ओर देखा। दूर तक कोई भी आदमी नहीं था। वह बहुत परेशान हो गया। बेचारे की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। केवल कुछ ही क्षण बाकी थे सैकड़ों आदमी मृत्यु के मुँह में जानेवाले थे। अचानक उसे एक उपाय सूझा।

अक्षय कुमार पटरियों के बीच में खड़ा होकर दोनों हाथ उठा उठाकर हिलाने लगा। लेकिन गाड़ी पूरे वेग के साथ धड़ धड़ करती हुई आ रही थी। अब क्या किया जाय ? अक्षय कुमार को एक नयी बात सूझ गयी। वह अपना कोट उतारकर उसे तेज़ी से हिलाने लगा। इस बार ड्राइवर ने उसे देख लिया। उसने पूरा बल लगाकर गाड़ी रोक दी। गाड़ी उसके बिलकुल पास आकर रुक गयी। इंजन तो अक्षय कुमार से दो फुट की दूरी पर आकर रुका था। लेकिन उसे अपने प्राणों की चिन्ता नहीं थी वह एक इंच भी पीछे नहीं हटा।

अक्षय कुमार ने गाड़ी को रोक दिया था, इससे ड्राइवर नाराज़ हो गया। वह इंजन से उतरकर लड़के के पास आया। इतने में उस गाड़ी का गार्ड भी नीचे उतर आया। तभी सबकी नज़र पटरी पर पड़ी। वहाँ तो मौत सैकड़ों लोगों की जान लेने तैयार बैठी थी। सब एक क्षण के लिए घबरा गये। ड्राइवर और गार्ड अक्षय कुमार के उस महान कार्य के लिए धन्यवाद देने लगे।

मगर अक्षय कुमार को अधिक बातचीत करने की फुरसत नहीं थी। कॉलेज में घंटी बजने का समय था और वहाँ पहुँचने में देर हो रही थी। इसलिए वह जल्दी जल्दी वहाँ से चल पड़ा।
अक्षय कुमार की कर्तव्य भावना और साहस से सैकड़ों लोग उस दिन मौत के मुँह से बच गये। देश ने अक्षय कुमार के इस महान गुण का अच्छा सम्मान किया। भारत के राष्ट्रपति ने इस वीर युवक को ‘अशोक

(ఉత్తరప్రదేశ్లోని గాజీపుర్ జిల్లాలో తాజ్పుర్లో ఓ చిన్న రైల్వేస్టేషన్ కలదు. రైల్వే లైను ప్రక్క నుండి అక్షయ్ కుమార్ అను ఒక యువకుడు కాలేజీకి వెళ్ళుచున్నాడు. అనుకోకుండా (అకస్మాత్తుగా) అతని దృష్టి రైల్వే పట్టాపై పడినది. రైలు పట్టా కొంచెం దూరం వరకు ఊడి ఉండడం అతను చూసెను. అతడు దాని దగ్గరకు వెళ్ళి దాన్ని పరీక్షగా చూసెను. రైలు పట్టా ఊడి ఉండటం వలన అక్కడ ఒక భయానక ప్రమాదం ఏర్పడును.

అక్షయ్ కుమార్ ఎదురుగా ఒక రైలు బండి (యాత్రికులతో కూడిన) వచ్చుచున్నది. అతడు నాల్గువైపులా చూసెను. అతనికి సుదూరతీరం వరకు ఏ ఒక్క మనిషి కూడా కనిపించలేదు. అతడు చాలా గాబరా పడిపోయెను. అతడేమి చేయవలెనో అతనికి అర్థం కావడం లేదు. కేవలం కొన్ని క్షణాలే మిగిలి ఉన్నవి. వందలకొలది ప్రజలు మృత్యు ముఖంలోకి వెళతారు. అకస్మాత్తుగా అతనికి ఒక ఉపాయం కల్గెను.

అక్షయ్ కుమార్ రెండు చేతులు ఎత్తి పట్టాల మధ్య నిలబడి చేతులను ఊపుతూ ఉండెను. పూర్తి వేగంగా బండి ధడ – ధడ శబ్దం చేస్తూ వచ్చుచున్నది. అక్షయ్ కుమార్కి ఒక కొత్త విషయం స్ఫురణకు వచ్చినది. అతడు తన కోటును విప్పి దాన్ని వేగంగా తిప్ప సాగెను. ఈసారి రైలు డ్రైవర్ దాన్ని చూసెను. అతడు బలవంతంగా రైలును ఆపి వేసెను. రైలు బండి ఆ యువకునికి, దగ్గరగా వచ్చి ఆగినది. ఇంజన్ అతనికి రెండు అడుగుల దూరంలో వచ్చి ఆగినది. కానీ అతనికి తన ప్రాణాల పట్ల దిగులు లేదు. అతడు ఒక అంగుళం కూడా కదలలేదు.

అక్షయ్ కుమార్ రైలును ఆపినందులకు రైలు డ్రైవర్కు కోపం వచ్చింది. అతడు రైలు ఇంజన్లోంచి దిగి అక్షయ్ కుమార్ వద్దకు వచ్చెను. ఇంతలో ఆ బండి గార్డు కూడా క్రిందకు దిగి వచ్చెను. అప్పుడే అందరి దృష్టి రైలుపట్టాపై పడినది. అక్కడ చావు వందల కొలది ప్రజల ప్రాణాలను తీసుకొనుటకు సిద్ధముగా ఉన్నది. అందరూ ఇది తలచుకోగానే ఒక్క క్షణం భయపడిపోయిరి. డ్రైవర్ మరియు రైల్వే గార్డు అక్షయ్ కుమార్ను అతను చేసిన గొప్ప పనికి ధన్యవాదాలు తెలియజేసిరి.

కానీ అక్షయ్ కుమార్కు ఎక్కువగా మాట్లాడే అవకాశం లేదు. కాలేజీలో గంట మ్రోగే సమయం అయిపోయింది. అక్కడకు వెళ్ళడానికి ఆలస్యమైనది. అందువల్ల అతడు త్వరత్వరగా అక్కడి నుండి వెళ్ళిపోయెను.
అక్షయ్ కుమార్ కర్తవ్యభావన మరియు సాహసం కారణంగా వందలకొలది ప్రజలు ఆ రోజున మృత్యుముఖం నుండి రక్షించబడిరి. దేశం అక్షయ్ కుమార్ యొక్క ఈ గొప్ప పనికి అతనిని బాగా సన్మానించినది. భారత రాష్ట్రపతి ఈ వీర యువకునికి “అశోక చక్రం” అవార్డునిచ్చి సన్మానించిరి.)

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र

ई. देश की रक्षा में तत्पर बहादुर सिपाहियों के योगदान के बारे में लिखिए।
(దేశ రక్షణలో తత్పరులైన ధైర్య సాహసాలు కల సిపాయిల పాత్రను గురించి వివరించుము.)
उत्तर :
भूत पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री जी ने यह नारा दिया कि “जय जवान जय किसान” यह सचमुच ठीक ही है। सिपाही (जवान) देश की रक्षा में तत्पर हैं तो किसान अन्न देता है। इसी के सहारे हम आराम से जीवन बिता रहे हैं।

देश की रक्षा के लिए सिपाहियाँ धूप में शीत में, वर्षा में, रात में तूफ़ान में बाढ़ में भी हर हमेशा चौबीस घंटे तत्पर रहते हैं। हमें इसके लिए उनके आभारी प्रकट करना है।

हर हमेशा सिपाही देश को विदेशी आक्रमणों से हमारी रक्षा कर रहे हैं, देश की रक्षा कर रहे हैं। वे निरंतर पर्वतों में, रेगिस्तान में, झाडों में, आंधी में भी देश की सेवा तथा रक्षा में तत्पर हैं। उनके बिना देश नहीं और हम भी नहीं। इस प्रकार देश की रक्षा में सिपाहियों का योगदान जो है वह बहुत मूल्यवान है।

(మన భారతదేశ మాజీ ప్రధానమంత్రి స్వర్గీయ లాల్బహదూర్ శాస్త్రిగారు జై జవాన్, జై కిసాన్ అని నినదించిరి. ఇది చాలా సరియైనది. సిపాయిలు దేశ రక్షణలో తత్పరులై యుండగా రైతులు మనకు అన్నం (భోజనం) పెడుతున్నారు. దీని కారణంగానే మనం విశ్రాంతితో మన జీవితాలను గడుపుతున్నాం.
దేశ రక్షణలో సిపాయిలు ఎండలో, చలిలో, వర్షంలో, రాత్రిళ్ళు, తుపానులో, వరదల్లో కూడా ప్రతి క్షణం 24 గంటలూ తత్పరులై ఉంటారు. దీని కోసం మనం వారికి కృతజ్ఞులమై యుండాలి.
ప్రతిక్షణం సిపాయిలు విదేశీ ఆక్రమణల నుండి మనల్ని మన దేశాన్ని రక్షిస్తున్నారు.
వారు నిరంతరం పర్వతాలలో, ఎడారుల్లో, పొదల్లో, చీకట్లో, తుపానుల్లో, దేశ రక్షణలో, దేశ సేవలో నిమగ్నమై యున్నారు. వారు లేకుండా ఈ దేశం లేదు. మనమూ లేము.
ఈ విధంగా దేశ రక్షణలో సిపాయిల పాత్ర ఎంతో అమూల్యమైనది.)

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. नीचे दिये गए एकवचन और बहुवचन रूप समझिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన ఏకవచనము, బహువచన రూపములు తెలుసుకోండి.)

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  • కానుక – కానుకలు
  • కవి – కవులు
  • పక్షి – పక్షులు
  • గురువు – గురువులు
  • బాలుడు – బాలురు
  • పుస్తకము – పుస్తకములు
  • శుభాకాంక్ష – శుభాకాంక్షలు
  • సమితి – సమితులు
  • కథ – కథలు
  • ఋుతువు – ఋుతువులు
  • కోడలు – కోడళ్ళు

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आ. ऊपर दिये गये वचन के उदाहरण पढ़िए। किन्हीं दो के वाक्य प्रयोग कीजिए।
(పైన ఈయబడిన వచనముల ఉదాహరణలు చదవండి. ఏవేని రెండింటి వాక్యప్రయోగం చేయండి.)
उत्तर :
1. लडका गेंद खेलता है।
2. मैं कुछ पुस्तकें खरीदना चाहता हूँ।

इ. रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्दों से कीजिए। (ఖాళీలను సరియైన శబ్దములతో పూరించండి)
(खेद, बधाई, शुभकामनाएँ, आशीर्वाद)
1. नानी ने अपनी नवासी को जीती रहो बेटी कहकर …… दिया।
2. आपको जन्मदिन की ……. हो।
3) खेल में आपकी जीत हुई इसके लिए आपको ……. हो।
4) रुकावट के लिए …… है।
उत्तर :
1. आशीर्वाद
2. शुभकामनाएँ
3. बधाई
4. खेद

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

बाल अधिकार के बारे में जानकारी प्राप्त करके एक सूची बनाइए।
(బాలల అధికారముల గురించి సమాచారం సేకరించి ఒక సూచిక తయారుచేయండి.)
उत्तर :
आज के बालक कल के नागरिक हैं। ऐसे महत्वपूर्ण बच्चों की सुरक्षा और विकास करना राज्य तथा समाज की ज़िम्मेदारी है। निर्धारित साधनों में उनकी आवश्यकताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। बाल- बालिकाएँ सुरक्षित रह सकने का वातावरण हमें तैयार करना है। उनकी क्षमता को समझना है। क्योंकि उनका पोषण और विकास ही देश का भविष्य है।
भारत तो अपने बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बाध्य है। वे अधिकार हैं-
1. उत्तर जीविता का अधिकार :
इसमें जीवन, स्वास्थ्य, पोषण और पर्याप्त जीवन स्तर मिले होते हैं।

2. सुरक्षा का अधिकार :
इसमें सभी प्रकार के दमन या अत्याचार से स्वतंत्र रहना, दुरुपयोग या दुर्व्यवहार अमानुषिकता या व्यवहार के स्तर से नीचे करना और उपेक्षा करना सम्मिलित हैं।

3. विकास का अधिकार :
इसमें शिक्षा का अधिकार बाल्यकाल को सहायता, उसका ध्यान, सामाजिक सुरक्षा, खुले या फुर्सत के समय का अधिकार, मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्मिलित हैं।

4. भाग लेने का अधिकार :
इसमें बच्चों के विचारों का सम्मान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, उपयुक्त सूचना का प्रदान करना और विचारों की स्वतंत्रता विवेक व धर्म सम्मिलित हैं।

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प्रश्न-II

प्रश्न 1.
यह पत्र किसने किसको, कहाँ से लिखा ?
(ఈ ఉత్తరం ఎవరు, ఎవరికి, ఎక్కడ నుండి వ్రాశారు ?)
उत्तर :
यह पत्र जवाहरलाल नेहरू जी ने अपनी इकलौती बेटी इंदिरा के नाम, नैनी जेल से लिखा।
(ఈ ఉత్తరము జవహర్లాల్ నెహ్రూగారు తన ఏకైక కుమార్తె ఇందిర పేరున, నైనిటాల్ జైలు నుండి వ్రాశారు.)

प्रश्न 2.
नेहरूजी ने अपनी बेटी को निडर और साहसी बनने का क्या उपाय बताया ?
(నెహ్రూగారు తన కుమార్తెకు నిర్భయురాలు, ధైర్యవంతురాలు అగుటకు ఎలాంటి ఉపాయం చెప్పాడు?)
उत्तर :
नेहरूजी ने अपनी इकलौती प्यारी बेटी ‘इंदिरा जी को निडर और साहसी बनने की महान सलाह दी। ऐसे उत्तम गुणवाली बनने उन्होंने बेटी को यह उपाय बताया कि अगर किसी महत्वपूर्ण कार्य करने में कोई संदेह होता तो सोच समझकर कार्य करना है। दूसरों से छिपाने वाला कोई काम कभी नहीं करना है। क्योंकि अगर तुम कोई ग़लत काम करना चाहती हो तभी दूसरों से छिपाने की इच्छा होती है। यह कभी सही नहीं है। तुम निडर और साहसी बनोगी तो सब कुछ स्वयं ही ठीक हो जायेगा। ऐसी हालत में डरने या लज्जित होनेवाला काम तुम से कभी नहीं होगा।

(నెహ్రూ గారు తన ఏకైక ప్రియ కుమార్తె ఇందిరను నిర్భయురాలు, ధైర్యవంతురాలు అయ్యెడి మంచి సలహా ఇచ్చారు. అటువంటి గొప్ప గుణములు కలవారు అగుటకు వారు కుమార్తెకు ఒక ఉపాయం చెప్పారు. ఏదేని గొప్ప పని చేయుటలో ఏమైనా సందేహం / అనుమానం ఉన్నచో చక్కగా ఆలోచించి ఆ పని చెయ్యాలి. ఇతరుల నుండి దాచబడే ఏ పనీ చెయ్యకూడదు. ఎందుకంటే నీవేదైనా చెడ్డపని చేయతలచినట్లయితేనే ఇతరుల నుండి దాచాలని అనిపిస్తుంది. ఇది ఎన్నటికీ సరియైనది కాదు. నీవు నిర్భలయురాలివి. ధైర్యవంతురాలివి అయినట్లయితే అంతా దానంతట అదే సరవుతుంది. అటువంటప్పుడు భయపడే లేదా సిగ్గుపడే పని నీ ద్వారా ఎన్నడూ జరుగదు.)

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अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अपठित गद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. यह सन् 1918 की बात है। गाँधीजी कलकत्ता में थे। कलकत्ता में एक बड़ी सभा हुई। देश के नेता कलकत्ता आये। लोकमान्य तिलक भी आये। उन्होंने सभा में अंग्रेज़ी में भाषण दिया था। उसके बाद गाँधीजी ने हिन्दी में भाषण दिया। भाषण ख़तम होने के बाद गाँधीजी ने कहा कितने लोगों ने लोकमान्य का भाषण समझा ? हाथ उठाइये।
बहुत थोड़े लोगों ने हाथ उठा। तब गाँधीजी ने कहा – लोकमान्य अंग्रेज़ी में बोले। इसलिए कई लोगों ने उनका भाषण नहीं समझा। मैं कहता हूँ कि हम हिन्दी सीखेंगे तो ज़्यादा लोगों की सेवा करेंगे।

प्रश्न :
1. लोकमान्य तिलक ने सभा में किस भाषा में भाषण दिया था ?
2. इस अनुच्छेद में बताई गयी बात किस साल की है?
3. गाँधीजी ने किस भाषा में भाषण दिया ?
4. सभा कहाँ हुई ?
5. ‘खतम’ शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर :
1. लोकमान्य तिलक ने सभा में अंग्रेज़ी भाषा में भाषण दिया था।
2. सन् 1918 साल की बात है।
3. गाँधीजी ने हिंदी भाषा में भाषण दिया।
4. सभा कलकत्ता में हुई।
5. समाप्त (पूरा)

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II. शिवाजी का जन्म सन् 1627 (सोलह सौ सत्ताईस) में शिवनेर दुर्ग में हुआ था। उनके पिताजी का नाम शाहजी था। वे बीजापुर के सुलतान की फ़ौज़ में अफ़सर थे। माताजी का नाम जीजाबाई था। वे अपने। देश और धर्म का बड़ा आदर करती थीं। वे शिवाजी को बचपन से ही बहादुर बनाने के उद्देश्य से रामायण, महाभारत आदि की कहानियाँ सुनाया करती थीं। उन्होंने शिवाजी को निडर, साहसी और बीर बनाया।

प्रश्न :
1. शिवाजी की माता का नाम क्या था ?
2. शिवाजी का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
3. बीजा पुर के सुलतान की फौज़ में अफ़सर कौन थे ?
4. शिवाजी के पिता का नाम क्या था ?
5. इस गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा ?
उत्तर :
1. शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था।
2. शिवाजी का जन्म सन् 1627 में शिवनेर दुर्ग में हुआ था।
3. शाहजी बीजापुर के सुलतान की फौज़ में अफ़सर थे।
4. शिवाजी के पिता का नाम शाहजी था।
5. “शिवाजी का जन्म और बचपन” इस गद्यांश का उचित शीर्षक होगा।

III. भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। कन्याकुमारी से काश्मीर तक के लोगों के आचार विचार, खान पान आदि में भी भिन्नताएँ हैं। सबसे बड़ी कठिनाई भाषाओं की है। हम भारत के लोग भाई – भाई होने पर भी एक दूसरे से अजनबी हो जाते हैं। इसलिए भारत की भावात्मक एकता के लिए गाँधीजी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का पद दिया।

प्रश्न :
1. अनेक भाषाएँ कहाँ बोली जाती हैं ?
2. कहाँ से कहाँ तक के लोगों के आचार विचार, खान – पान आदि में भी भिन्नताएँ हैं ?
3. सबसे कठिनाई किनकी हैं ?
4. हम भारत के लोग कैसे हैं?
5. भारत की भावात्मक एकता के लिए गाँधीजी ने राष्ट्र भाषा का पद किस भाषा को दिया ?
उत्तर :
1. अनेक भाषाएँ भारत में बोली जाती हैं।
2. कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लोगों के आचार विचार, खान पान आदि में भिन्नताएँ हैं।
3. सबसे बडी कठिनाई भाषाओं की है।
4. हम भारत के लोग एक दूसरे से अजनबी होते हैं।
5. भारत की भावात्मक एकता के लिए गाँधीजी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का पद दिया।

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II. गाँधीजी के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता थी अन्याय के विरुद्ध विद्रोह। यद्यपि शारीरिक बल की दृष्टि से गाँधीजी बिलकुल मामूली थे और बचपन से वे बड़े दब्बू और झेंपू भी थे। फिर भी उनका मनोबल असाधारण था। सत्य के लिए हठ करना और प्राणभय होने पर भी उस पर अडिग रहना ही गाँधी की सबसे बड़ी विशेषता थी जिसने उन्हें संसार के बड़े महापुरुषों की श्रेणी में ला खड़ा किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया था।

प्रश्न :
1. गाँधीजी के चरित्र की सब से बड़ी विशेषता क्या थी ?
2. गाँधी जी का मनोबल कैसा था ?
3. बचपन से गाँधी कैसे थे ?
4. सत्य के लिए दृढ करना किनकी बड़ी विशेषताओं में एक थी ?
5. गाँधीजी ने किन सिद्धांतों को अपनाया था ?
उत्तर :
1. “अन्याय” के विरुद्ध विद्रोह” गाँधीजी के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता थी।
2. गाँधीजी का मनोबल असाधारण था।
3. गाँधीजी बचपन से दब्बू और झोंपू थे।
4. सत्य के लिए दृढ़ करना गाँधीजी की बड़ी विशेषताओं में एक थी।
5. गाँधीजी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धातों को अपनाया था।

III. सावन मास की छटा भी अनुपम है। यहाँ पर मनभावन दृश्य किसके नेत्रों को आकर्षित नहीं करता। गाँवों की रिमझिम रिमझिम वर्षा में किसानों के प्राण पुलकित हो उठते हैं। वर्षों में लहलहाते खेतों को देखकर उनके हृदय में आनंद की बाढ़ आ जाती है। जो प्राणदायक स्वच्छ पवन नगर से दूर है। वह शीतलमन्द, सुगन्ध समीर भोले – भाले ग्राम वासियों को अनायास ही प्राप्त होता है।

प्रश्न :
1. सावन मास की छटा कैसी है?
2. मनभावन दृश्य किस मास में नेत्रों को आकर्षित करते हैं ?
3. वर्षा में खेत कैसे होते हैं ?
4. प्राणदायक स्वच्छ पवन किससे दूर है ?
5. ग्रामवासी कैसे होते हैं ?
उत्तर :
1. सावन मास की छटा अनुपम है।
2. मनभावन दृश्य सावन मास में नेत्रों को आकर्षित करते हैं।
3. वर्षा में खेत लहलहाते हैं।
4. प्राणदायक स्वच्छ पवन नगर से दूर है।
5. ग्रामवासी भोल भाले होते हैं।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

पत्र विधा से अपने विचार प्रकट करने का प्रयास करना। अपनी भावनाएँ दूसरों तक पहुँचाने के लिए पत्र भी एक साधन है।

(ఉత్తరాలు ద్రాయు విధానం ద్వారా తమ ఆలోచనలను వ్యక్తపరచుట. మన భావనలు ఇతరులకు అందించేటందుకు ఉత్తరము(లు) కూడా ఒక సాధనము. ఈ సాధనము ద్వారా సడియైన కీతిలో అర్ధము అయ్యేటట్లుగా భావములు తెలియపరచగలము.)

సారాంశము :

నైని జైలు,
26 అక్టోబరు, 1930.

ప్రియమైన ఇందిరకు,

పుట్టినరోజున నీకు అనేక బహుమానాలు అందుతూ ఉన్నాయి. శుభాకాంక్షలు కూడా ఇవ్వబడుచూ ఉన్నవి. కాని ఈ జైలులో కూర్చున్న నేను నీకు ఏ బహుమానము పంపగలను. ఆఁ నా శుభాశీస్సులు ఎప్పుడూ నీ వెంటే ఉంటాయి.
“జోన్ ఆఫ్ ఆర్క్’ కథ నీకు ఎంత బాగా నచ్చిందో నీకు గుర్తుందా ? నీవు స్వయముగా కూడ అతని వలె అవ్వాలని అనుకునేదానివి. కాని సాధారణ పురుషులు, స్త్రీలు, ఇంత సాహసవంతులు అవరు. వారైతే తమ దైనందిన పనులు, పిల్లా-జెల్లా మరియు ఇంటి బాధలలోనే చిక్కుకొని ఉంటారు. కాని ఒక గొప్ప ఆశయ పూర్తి కోసం ప్రజలందరిలో అంతు లేని ఉత్సాహం నిండిపోయే ఒక సమయం వస్తుంది. సాధారణ పురుషులు వీరులుగాను మరియు స్త్రీలు వీరనారులుగాను అవుతారు.

ప్రస్తుతం మన భారత చరిత్ర నిర్మాణము జరుగుతూ ఉన్నది. బాపూ భారతవాసుల దుఃఖములను దూరం చేయుటకు ఉద్యమం లేవనెత్తారు. ఈ ఉద్యమం మన కళ్ళముందు జరుగుతూ ఉండటం, మనం కూడ దీనిలో భాగం పంచుకుంటూ ఉన్నందుకు నేను, నీవు చాలా అదృష్టవంతులము. ఒక గొప్ప ఆశయం మన ముందు ఉన్నది. దీన్ని పూర్తిచేయుటకు చాలా చేయవలసి ఉన్నది.

ఈ గొప్ప ఉద్యమంలో మన కర్తవ్యం ఏమిటి ? దీనిలో మనం ఏ విధంగా పాల్గొనాలా అని ఆలోచించాలి, మనం ఏం చేసినా, దానివలన మన దేశానికి హాని కలుగకూడదని మనం తప్పక గుర్తుంచుకోవాలి. మనం ఏం చెయ్యాలో ఏం చెయ్యకూడదో అని చాలాసార్లు మనం సందేహంలో పడతాము. ఇది నిశ్చయించుకోవడం ఏదో సామాన్యమైన పని కాదు. ఎప్పుడైనా నీకు అటువంటి సందేహం కలిగితే, నీవు సరియైన దాన్ని నిశ్చయించుకోవడానికి నేను నీకు ఒక చిన్న ఉపాయం చెబుతున్నాను. ఇతరుల నుండి దాచాలనే కోరిక నీ మనస్సులో ఏర్పడేటటువంటి ఏ పనీ నీవు చేయకూడదు.

నీవు ఏదేని తప్పు పని చేసేటప్పుడు ఆ విషయాన్ని. దాచిపెట్టాలనే కోరిక కలుగుతుంది. సాహసవంతురాలవు అయితే అంతా దానంతట అదే సరైపోతుంది. నీవు సాహసవంతురాలవు, భయపడేటటువంటి, సిగ్గుపడే పని ఏదీ నీవు చెయ్యవు. గాంధీగారి నాయకత్వంలో స్వాతంత్య్ర పోరాటం జరుపబడుచూ ఉన్నదని, దానిలో దాచవలసిన విషయము ఏమీలేదు. అన్నది నీకు బాగా తెలుసు. మనమైతే అన్ని పనులు పగటి వెలుతురులో చేస్తాము. సరేనమ్మా. ఇక సెలవు., భారత్కు సేవ చేయుటకు నీవు వీరత్వము గల సిపాయి అవ్వాలి. ఇదే నా మనోవాంఛ.

నీ తండ్రి
జవాహర్ లాల్,

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शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र 1

TS 9th Class Hindi Guide 5th Lesson फुटबॉल

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 5th Lesson फुटबॉल Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 5th Lesson Questions and Answers Telangana फुटबॉल

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखायी दे रहा है?
చిత్రంలో (బొమ్మలో) ఏమి కన్పిస్తూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में दो लड़के दिखाई दे रहे हैं। वे दोनों छात्र हैं। एक लडके के हाथ में टेबिल टेन्निर बल्ला है। उसी के गले में मेडल (पदक) भी है । वे दोनों प्यार से गले लग रहे हैं।

प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं?
(వారేమి చేయుచూ ఉన్నారు?)
उत्तर :
वे दोनों एक दूसरे के कमर पर हाथ रखकर एक दूसरे के कंधे मिलाकर खडे हुए हैं। (या) वे दोनों प्यार से गले लग रहे हैं।

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प्रश्न 3.
वे एक – दूसरे से क्या कह रहे होंगे ?
(ఒకరకొకరు ఏమి చెప్పదలచుకుంటున్నారు?)
उत्तर :
वे एक – दूसरे से जीत की शुभकामनाएँ कह रहे होंगे।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం జవాబును ఇవ్వటం) :

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए। (ప్రశ్నల జవాబులు తెలపండి.)

प्रश्न 1.
‘खेलों से मनोरंजन होता है।’ अपने विचार बताइए।
(ఆటల వలన మానసిక ఆనందం కలుగుతుంది. మీ అభిప్రాయములు చెప్పండి.)
उत्तर :
स्वास्थ्य को ठीक और शरीर को मज़बूत बनाने के लिए व्यायाम की आवश्यकता है। इसलिए खेल कूदों के द्वारा व्यायाम करना, शरीर को मज़बूत बनाना मानव का प्रथम कर्तव्य है। स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए खेल – कूद अत्यंत आवश्यक है। खेलों से रक्त की शुद्धि होती है। बौद्धिक विकास होता है। खेल कूदों से मनोरंजन भी होता है। हार या जीत को साधारण रूप में लेने से जीवन में आये सभी उतार चढाव समान रूप से देख सकते हैं। इससे सदा मन प्रफुल्लित रहता है। सदा मस्तिष्क तेज़ रहकर हर काम सफलता पूर्वक पूरा कर सकते हैं। “मन चंगा तो कटौती में गंगा’ का समर्थन करते सदा मन निर्मल और दृढ बन जाता है। खासकर विद्यार्थी जीवन में खेलों का महत्व अधिक रहता है।

(ఆరోగ్యాన్ని చక్కగాను, శరీరాన్ని బలిష్టంగాను చేయుటకు వ్యాయామం అవసరము. ‘అందువలన ఆటల ద్వారా వ్యాయామం చేయుట, శరీరాన్ని దృఢంగా చేసుకొనుట మానవుని మొదటి కర్తవ్యము. ఆరోగ్యాన్ని పరిరక్షించుకోవడానికి ఆటలు మిక్కిలి అవసరము. ఆటల వలన రక్తము శుద్ధి అవుతుంది. బుద్ధి వికసిస్తుంది.

ఆటల వలన మానసిక ఆనందం కూడా కలుగుతుంది. ఓటమి, గెలుపును సాధారణమని భావిస్తే జీవితంలో వచ్చెడి ఎత్తుపల్లాలను సమానంగా చూడగలము. దీనివలన మనస్సు ఎప్పుడూ ప్రఫుల్లంగా ఉంటుంది. మెదడు చురుకుగా ఉండి, ప్రతి పనినీ సమర్థవంతంగా పూర్తి చేయగలము. మనస్సు స్వచ్ఛంగా ఉంటే “పాత్రలో నీరే గంగ” సామెతను సమర్ధిస్తూ ఎల్లప్పుడు మనస్సు నిర్మలంగాను, దృఢంగాను అవుతుంది. ముఖ్యంగా విద్యార్థి జీవితంలో ఆటల విలువ ఎక్కువ ఉంటుంది.)

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प्रश्न 2.
अपने मनपसंद खेल के बारे में बताइए।
(మీకు ఇష్టమైన ఆట గురించి చెప్పండి.)
उत्तर :
स्वास्थ्य को बनाये रखने खेल-कूद अत्यंत आवश्यक हैं। मैदानी खेलों से कई लाभ हैं। इनसे शरीर मज़बूत बनकर मन और मस्तिष्क चुस्त रहते हैं। हर एक के लिए एक प्रिय खेल होता है। मेरा प्रिय खेल तो कबड्डी है।

कबड्डी एक फुर्तीला मैदानी खेल है। यह खेल हम में उत्साह, धीरज, एकता, आदि महान गुणों को बढ़ाता है। इस खेल में दो दल होते हैं। एक एक दल में नौ-नौ खिलाड़ी होते हैं। एक दल का एक व्यक्ति “कबड्डी कबड्डी” रटता हुआ विपक्षी दल में जाता है। विपक्षी दल के लोग उसे पकड़ने का प्रयत्न करते हैं। अगर वह उनकी पकड़ में आता तो वह आउट हो जाता है। ऐसा न होकर वह रटता हुआ जितने लोगों को छूकर आता है, उतने लोग आउट हो जाते हैं। दूसरी बार दूसरे पक्ष वाले ऐसे ही करते हैं।

इस तरह जिस दलवाले अधिक लोगों को पकडकर आउट करते है उस दल की जीत होती है। सचमुच यह खेल एक प्रेरणादायक स्वास्थ्यप्रद कम खर्चीला मगर बहुत लाभदायक है।

(ఆరోగ్యాన్ని పరిరక్షించుటకు ఆటలు మిక్కిలి అవసరం. మైదాన ఆటల వలన చాలా లాభములు కలవు. వీటివలన శరీరం గట్టిపడి మనస్సు, బుద్ధి వికసిస్తాయి. ప్రతి ఒక్కరికి ఏదో ఒక ఇష్టమైన ఆట ఉంటుంది. నా ప్రియమైన ఆట కబడ్డీ.

కబడ్డీ చురుకుదనము కలిగించే మైదానపు ఆట. ఈ ఆట మనలో ఉత్సాహము, ధైర్యము, ఐకమత్యము వంటి గొప్ప గుణాలను పెంపొందిస్తుంది. ఈ ఆటలో రెండు గ్రూపులు ఉంటాయి. ఒక్కొక్క గ్రూపులో తొమ్మిది మంది ఆటగాళ్ళు ఉంటారు. ఒక గ్రూపుకు చెందిన ఒక వ్యక్తి కబడీ, కబడీ అని అంటూ ఎదుటి గ్రూపులోనికి వెళతాడు. ప్రతిపక్షం వారు అతనిని పట్టుకోవడానికి ప్రయత్నం చేస్తారు. అతడు గాని వారికి చిక్కితే అతడు ఔట్ అవుతాడు. అలాకాక అతడు కబడీ కబడీ అంటూ ఎంతమందిని అంటి వస్తే అంతమంది ఔట్ అయిపోతారు. రెండవసారి రెండవ గ్రూపువాళ్ళు అదే విధంగా చేస్తారు.

ఈ విధంగా ఏ గ్రూపు వాళ్ళు ఎక్కువమందిని పట్టుకొని ఔట్ చేస్తారో ఆ గ్రూప్ గెలుస్తుంది. నిజంగా ఈ ఆట స్ఫూర్తిని కలిగించేది, ఆరోగ్యకరమైనది. ఖర్చు తక్కువ కాని చాలా లాభదాయకమైన ఆట.)

आ. पाठ के आधार पर वाक्यों को उचित क्रम दीजिए।
(పాఠము ఆధారంగా వాక్యములకు సరియగు వరుస ఇవ్వండి.)

1. जीतने की कोशिश करो। ( )
2. यह प्रेम का खेल है। ( )
3. – फुटबॉल सचाई का खेल है। (1)
4. इस बार हारोगे, तो अगली बार जीतोगे।( )
उत्तर :
1. 4
2. 2
3. 1
4. 3

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इ. अनुच्छेद पढ़िए। दो प्रश्न बनाइए। (పేరా చదవండి. రెండు ప్రశ్నలు తయారు చేయండి.)

खेल बच्चों के जीवन का अनोखा अंग है। इससे मानसिक और शारीरिक विकास होता है। खेलों से मानसिक थकान दूर होती है। जीवन परिश्रमी बनता है। शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए खेलों को अपने जीवन में महत्व देना अनिवार्य है।
(ఆట పిల్లల జీవితములో అద్భుతమైన భాగము. దీని వలన మానసిక, శారీరక వికాసం కలుగుతుంది. ఆటల వలన మానసిక అలసట (విసుగు) దూరమవుతుంది. జీవితము శ్రమించునట్టిదిగా అవుతుంది. శరీరము ఆరోగ్యవంతంగా ఉంటుంది. ఇందువలన ఆటలకు మన జీవితంలో విలువనివ్వడం తప్పనిసరి.)
उत्तर :
1. बच्चों के जीवन का अनोखा अंग क्या है ?
2. खेलों से हमें क्या लाभ है?

ई. प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए।

प्रश्न 1.
फुटबॉल खेल में गोल रक्षक का क्या महत्व है ?
(ఫుట్బాల్ ఆటలో గోల్ కీపర్ విలువ (గొప్పతనం) ఏమిటి?)
उत्तर :
फुटबॉल एक खास मैदानी खेल है। इस खेल में गोल रक्षक का महत्वपूर्ण स्थान रहता है। खेल में दोनों पक्षों के खिलाड़ी गेंद को मारते विपक्षी के बाक्स में भेजने का भरसक प्रयत्न करते हैं। गोल रक्षक बड़ी सतर्कता से गेंद पर ही नज़र रखकर गेंद किस ओर से भी आये, अंदर घुसने न देने का प्रयत्न करता है। गोल रक्षक के सामर्थ्य पर ही खेल में जीत या हार संभव हो सकता है।

(ఫుట్బాల్ ఒక ప్రత్యేకమైన మైదానపు ఆట. ఈ ఆటలో గోల్ కీపర్కి శ్రేష్ఠమైన స్థానము ఉంటుంది. ఆటలో రెండు పక్షాల ఆటగాళ్ళు బంతిని కొడుతూ ప్రతిపక్షం వారి బాక్సులో పడేందుకు శక్తికొలది ప్రయత్నిస్తారు. గోల్ కీపర్ చాలా జాగ్రత్తగా బంతిమీదే దృష్టి పెట్టి, బంతి ఎటువైపు నుంచి వచ్చినా లోపలికి రానీయకుండా చేస్తాడు. గోల్ కీపర్ సామర్థ్యం మీదనే ఆటలో గెలవటం, ఓడటం జరుగుతుంది.)

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प्रश्न 2.
किसी भी खेल में नेतृत्व भावना की क्या भूमिका होती है ?
(ఏ ఆటలోనైనా నాయకత్వ భావన యొక్క పాత్ర ఏమిటి?)
उत्तर :
क्रिकेट, वालीबॉल, फुटबॉल आदि खेलों में अधिक खिलाड़ी खेलते हैं। उन खिलाडियों में एक योग्य व्यक्ति को नेता (कप्तान) बनाकर टीम का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है। तब वह नेता बना व्यक्ति समझदारी, निपुणता से खिलाडियों में एकता की भावना भरते खेलने प्रोत्साहित करता रहता है। खिलाडी की योग्यता के अनुसार विविध स्थान देकर खेल में जीत प्राप्त करने का भरसक प्रयत्न करता है। अपने साथी खिलाडियों में उत्साह भरना, किसी कष्ट समय पर भी उनकी निंदा न करके ज़िम्मेदारी से खेलने की चेतना उनमें भरता है। सारे खिलाडियों को बिना किसी भेदभाव के खेल में अपनी पूरी योग्यता दिखाने का मौका देने का सही प्रयत्न नेता करता है। अपने नेतृत्व के टीम को विजयपथ पर ले जाने का गुरुतर भार नेता पर ही रहता है।

(క్రికెట్, వాలీబాల్, ఫుట్బాల్ మొదలైన ఆటలలో ఎక్కువ మంది ఆటగాళ్ళు ఉంటారు. ఆ ఆటగాళ్ళ నుండి ఒక యోగ్యత కలిగిన వ్యక్తిని కెప్టెన్ గా చేసి టీమ్ యొక్క నాయకత్వ బాధ్యత అప్పగించబడుతుంది. అప్పుడు నేత అయిన వ్యక్తి తెలివి, నైపుణ్యంతో ఆటగాళ్ళలో ఐకమత్యపు భావనను పెంపొందిస్తూ ఆడటానికి ప్రోత్సహిస్తూ ఉంటాడు. ఆటగాడి యోగ్యతను బట్టి వివిధ స్థానాలు కల్పించి ఆటను గెలిచేందుకు శక్తికొలది ప్రయత్నిస్తాడు. తన తోటి ఆటగాళ్ళలో ఉత్సాహాన్ని నింపటం, ఎలాంటి పరిస్థితులలోనైనా వారిని నిందించకుండా బాధ్యతాయుతంగా ఆడేటువంటి ప్రేరణ నింపుతాడు. ఏ భేదభావం లేకుండా తమతమ సామర్థ్యాలను చూపించగలిగే అవకాశం ఇచ్చేందుకు ప్రయత్నిస్తాడు. తన నాయకత్వంలోని పక్షాన్ని విజయపథంలో నడిపించే బాధ్యత కెప్టెన్ మీద ఉంటుంది.)

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
खेलों से किन गुणों का विकास होता है ?
(ఆటల వలన ఎటువంటి గుణాలు అభివృద్ధి చెందుతాయి.)
उत्तर :
खेलों से निम्न लिखित गुणों का विकास होता है।
मिलजुलकर रहने का भाव
ताकत और सावधानी का विकास
परस्पर प्रेम भावना
सचाई से जीने की प्रेरणा
विपक्षी के खेल को समझने और सराहने का गुण
अपनी हार और जीत से कुछ सीख
टीम स्पिरिट का विकास
सब मिलकर सोचने की भावना
खेलों से भाईचारे की भावना

(ఆటల వలన మనలో ఈ క్రింది గుణాలు వికసిస్తాయి (అభివృద్ధి చెందుతాయి).
కలసి – మెలసి ఉండాలనే భావన
శక్తి, జాగ్రత్త అనే భావన వృద్ధి
పరస్పర ప్రేమభావన
నిజాయితీతో జీవీంచు ప్రేరణ
విపక్షాల ఆటను అర్థం చేసుకొనుట మరియు వారి ఆటను ప్రశంసించుట అనే గుణాలు
మన గెలుపు ఓటముల నుండి మనం కొంత నీతి
టీం స్పిరిట్ (సామూహాక భావన)
అందరూ కలసి మెలసి ఆలోచించే భావం
ఆటల ద్వారా సోదరభావం)

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प्रश्न 2.
आपको कौन-सा खेल पसंद है और क्यों ?
(మీకు ఏ ఆట అంటే ఇష్టం ? ఎందువలన?)
उत्तर :
मुझे फुटबॉल का खेल पसंद है। क्योंकि फुटबॉल का खेल अकेले एक आदमी का खेल नहीं। यह टीम का खेल है, मिलजुलकर खेलने का खेल है। यह ताकत और सावधानी का खेल है। यह चुरती का खेल है। यह नज़र का खेल है। फुटबॉल पर नज़र साथियों पर नज़र यह ऐसा खेल है जिसमें एक की ताकत सबकी ताकत है और एक की कमज़ोरी सबकी कमज़ोरी है। यह प्रेम और सचाई का खेल है।

(నాకు ఫుట్బాల్ అంటే ఇష్టం. ఎందుకనగా ఫుట్బాల్ ఆట ఒకే ఒక్క మనిషి ఆడే ఆట కాదు. ఇది టీమ్ (సామూహిక) ఆట. కలసి మెలసి ఆడే ఆట. ఇది శక్తితో మరియు జాగ్రత్తతో ఆడే ఆట. ఇది ఆరోగ్యకరమైన ఆట. ఇది దృష్టితో ఆడే ఆట. ఫుట్బాల్ పై దృష్టి, స్నేహితుల మీద దృష్టి, లయిన్ మీద దృష్టి, సమయం పైన దృష్టి, మన మీద దృష్టి. ఇది ఎలాంటి ఆట అంటే దీనిలో ఒకరి శక్తి అందరి శక్తి, ఒకరి బలహీనత అందరి బలహీనత అవుతుంది. ఇది ప్రేమ మరియు నిజాయితీల ఆట.)

प्रश्न 3.
पढाई के साथ – साथ खेलों की आवश्यकता क्यों होती है?
(చదువుతో పాటు ఆటల అవసరం ఎందుకు కల్గుతుంది?)
उत्तर :
पढ़ाई के साथ साथ खेलों की आवश्यकता इन निम्न लिखित कारणों से होती है।
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। स्वस्थ शरीर के लिए खेलों की ज़रूरत है। तभी हमें पढ़ने के विषयों के प्रति संबंध स्थापित होता है।
खेलों से मानसिक तथा शारीरिक थकावट दूर हो कर पढ़ाई के प्रति रुचि उत्पन्न होता है।
खेलों से आत्म निर्भरता बढ़ती है इसलिए हम जो भी पढ़े वह आत्मसात हो जाता है।
खेलों से छात्रों में मनोविनोद होता है। इसलिए फिर वे पढने में जी लगा सकते हैं।
खेलों के द्वारा छात्रों में अनुशासन तथा सहयोग की भावना बढ़ती है ये दोनों छात्रों की पढ़ाई में सहयोग देते हैं।
खेलों के द्वारा जीवन में परिश्रमी बनने का भाव उत्पन्न होता है जिससे छात्र खूब परिश्रम करके पढ़ाई में जीत पायेंगे।
खेल बच्चों के जीवन का अनोखा अंग है।
छात्र खेलते कूदते खेलों के माध्यम से अच्छी तरह पढ़ सकते हैं।
खेलों से मानसिक तथा शारीरिक विकास होता है जो पढ़ाई में सहायक होता है।

(చదువుతో పాటు ఆటల యొక్క ఆవశ్యకత (అవసరం) క్రింది కారణాల వల్ల ఉంది.
ఆరోగ్యవంతమైన శరీరంలోనే ఆరోగ్యవంతమైన మనస్సు ఉంటుంది. ఆరోగ్యవంతమైన శరీరం కోసం ఆటలు అవసరం. అప్పుడే మనకు చదువు పట్ల సంబంధం ఏర్పడుతుంది.
ఆటల వలన శారీరక, మానసిక అలసట పోయి చదువు పట్ల అభిరుచి కలుగుతుంది.
ఆటల వలన ఆత్మ నిబ్బరం పెరుగుతుంది. అందువల్ల మనం ఏమి చదివినా అది ఒంట పడుతుంది.
ఆటల వలన విద్యార్థులలో మనో వినోదం కలుగుతుంది. అందువలన విద్యార్థులు చదువుపై మనస్సు లగ్నం చేయుదురు.
ఆటల ద్వారా విద్యార్థులలో సహకారం మరియు క్రమశిక్షణ అనే భావాలు అభివృద్ధి చెందును. ఇవి రెండూ విద్యార్థుల చదువుకు సహాయపడును.
ఆటల ద్వారా జీవితంలో శ్రమించే గుణం ఉత్పన్నమగును. దీని ద్వారా విద్యార్థులు బాగా కృషి చేసి చదువుల్లో విజయాలు పొందెదరు.
ఆటలు విద్యార్థుల జీవితంలో అద్భుతమైన, విడదీయలేని భాగం. విద్యార్థులు ఆడుతూ – గెంతుతూ ఆటల ద్వారా బాగా చదివెదరు.
ఆటల ద్వారా మానసిక, శారీరక వికాసం కలిగి చదువుకోవడంలో సహాయపడును.)

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आ. ‘फुटबॉल’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(ఫుట్బాల్ పాఠ్య సారాంశం స్వంతమాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
खेल हमारे जीवन का अनमोल अंग है। खेलों से मनोरंजन के साथ साथ मानसिक व शारीरिक विकास भी होता है। मैदानी खेलों में फुटबॉल प्रमुख है। हमारे सभी स्कूलों में प्रायः यह खेला जाता है। लेखक ने इस पाठ में अपने मन की आशा स्पष्ट करते हुए फुटबॉल खेल का वर्णन किया। पहले लेखक को वालीबॉल खेलने की आदत रही। साथ ही फुटबॉल भी उनका प्रिय खेल बन गया। पहले फुटबॉल को वे खिलौना समझते थे और अकेले ही खेलते थे। लेकिन बाद में मालूम हुआ कि फुटबॉल सबकी अनोखी चीज़ है। दो टीमें खेलती हैं और हज़ारों लोग देखते हैं। यह टीम का खेल है। मिलजुलकर ताकत से सावधानी से खेला जाता है। फुटबॉल नज़र रखनेवाला खेल है। फुटबॉल पर साथियों पर विपक्षियों पर गोल पर, लाइन पर, समय पर अपने पर भी नज़र रखनी है।

इसमें एक की ताकत सबकी ताकत और एक की कमज़ोरी सबकी कमज़ोरी होती है। यह सचाई और प्रेम का खेल है। इसमें वैर भाव नहीं रखना चाहिए । इस खेल में दो पक्ष होते हैं। एक पक्ष जीतेगा तो दूसरा हारेगा। एक बार एक पक्ष हारेगा तो दूसरी बार जीतेगा। इसलिए जीतने का प्रयत्न करना है। जीते गये टीम के खेल को समझना है और उसकी प्रशंसा करनी है। अतः अपनी हार या जीत से कुछ न कुछ सीखना अच्छा है। लेखक ने अपनी आशा यह बतायी। अब तक मैं ने किसी बड़ी टीम में नहीं खेला। लेकिन एक दिन अपने देश की बडी टीम में ज़रूर खेलूँगा। मैं बाहर भी खेलना चाहता हूँ। मेरी इच्छा आज नहीं तो कल ज़रूर पूरी होगी।

इ. किसी एक खेल के बारे में लिखिए।
(ఏదేని ఒక అట గురించి వ్రాయండి.)
उत्तर :
मैदानी खेलों में क्रिकेट का खेल अत्यंत लोकप्रिय है। छोटे बच्चे ही नहीं बड़े लोग भी गलियों, मुहल्लों में गेंद और बल्ला लेकर घूमते दिखाई देते हैं। क्रिकेट एक रोचक और विदेशी खेल है। यूरोप देश में इसका आरंभ हुआ। आज तो हर देश में यह खेल खेला जाता है। हमारे भारत में क्रिकेट क्लब अठारहवीं शताब्दी में कलकत्ते में बना। धीरे-धीरे इसका विकास होता गया। सन् 1927 में भारतीय क्रिकेट टीम ने भारत में कई मैच खेले। उसके एक साल बाद भारतीय टीम ‘इग्लैंड’ में मैच खेलने गयी और विजयी हुयी। आज भारत की क्रिकेट टीम संसार भर की टीमों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

क्रिकेट का खेल दो दलों के बीच खेला जाता है। एक एक दल में ग्यारह – ग्यारह खिलाडी होते हैं। साथ ही निश्चित नियमों से मैच कराने दो अंपायर भी होते हैं। मैच खेलने मैदान के बीच एक मज़बूत पिच तैयार की जाती है। इसके दोनों ओर तीन-तीन विकेटें ( लकडियाँ) गाढी जाती हैं। इनके बीच की दूरी 22 फ़ीट होती है। दोनों तरफ़ की विकेटों के अंदर की तरफ़ तीन-तीन फ़ीट की दूरी पर सफ़ेद व समानांतर लकीरें खींची जाती हैं। इन्हें पॉपिंग क्रीज़ कहते हैं। मैदान के चारों तरफ़ एक गोलाकर रेखा बनायी जाती है। इसे बाउंडरी लाइन कहते हैं। क्रिकेट का खेल बहुत ही रोचक और मनोंरजन खेल माना जाता है।

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ई. हार जीत खेल का एक हिस्सा है।’ इस पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
(గెలుపు- ఓటమి ఆటలోని ఒక భాగము. దీని గురించి మీ అభిప్రాయములు తెలపండి.)
उत्तर :
मानव के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए खेल अत्यंत आवश्यक अंग है। खेलों से मानसिक थकावट दूर होती है। शरीर तंदुरुस्त रहकर, जीवन परिश्रमी बनता है। खेलों को खेल ही समझने चाहिए। खेल ही जीवन नहीं समझना है।
हर खेल में दो पक्ष ज़रूर होते हैं। एक पक्ष जीतता है तो दूसरा हार जाता है। यह तो अनिवार्य है। तभी खेल का फल मालूम होता है। हार-जीत दोनों खेल का एक हिस्सा है। इन दोनों का समान अस्तित्व रहता है। खेल में वैर भाव नहीं रखना चाहिए। एक बार हारेगा तो अगली बार जीतेगा। जीतने की कोशिश करनी है। हार या जीत खिलाडियों की गलतियों, कमज़ोरियों लिये जानेवाले निर्णयों आदि अनेक मुख्य विषयों पर आधारित होते हैं। अपनी हार को असमर्थता और विपक्षी की सफलता को समर्थता नहीं समझनी चाहिए।

खेल तो खेल ही हैं। उसे प्रमे से चाव से खेलना चाहिए। इस बार हार होगी तो विफल न होकर अगली बार ज़रूर जीत होगी, ऐसी भावना रखकर कोशिश करनी है। वही सच्चा खिलाडी का महान गुण है। सच्चा खिलाडी जीते हुए पक्षवालों के खेल को समझने की कोशिश करेगा। उनकी प्रशंसा ज़रूर करेगा। अपनी हार का कारण क्या है? इस पर विचार करेगा। इस तरह अपनी हार या जीत से कुछ न कुछ ज़रूर सीखनेवाला ही सच्चा खिलाडी है।

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. उदाहरण देखिए। उसी तरह के दो वाक्य बनाइए।
उदाहरण : कोई हारता है तो कोई जीतता है।
1. कोई रोता है तो कोई हँसता है।
2. कोई कमाता करता है तो कोई खर्च करता है।
3. कोई मेहनत करता है तो कोई आलसी रहता है।

आ. नीचे दिये गये शब्दों के पर्यायवाची लिखिए। मूल शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए ।
साथी, प्रेम, इच्छा
उत्तर :
साथी = मित्र, दोरत, మిత్రుడు, friend
मैं अपने साथी के साथ मदरसा जाता हूँ।
प्रेम = प्यार, मोहब्बत, ప్రేమ, love
बचों पर प्रेम दिखाना चाहिए।
इच्छा = चाह, पसंद, కోరిక, like, wish
मुझे कन्याकुमारी देखने की इुच्छा है।

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इ. वाक्य पढ़िए और अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद समझिए।
(వాక్యాలను చదివి అర్ధం ఆధారంగా వాక్య భేదాలను అర్థం చేసుకోండి.)

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TS 9th Class Hindi Guide 5th Lesson फुटबॉल 4

ई. वाक्य पढ़िए। अर्थ की दृष्टि से वाक्य पहचानिए।

प्रश्न 1.
फुटबॉल सचाई का खेल है।
उत्तर :
विधानार्थक वाक्य

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प्रश्न 2.
मैदान में फुटबॉल खेलना चाहिए।
उत्तर :
इच्छार्थक वाक्य

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

वर्ग – पहेली में खेलों के नाम छिपे हैं। उन्हें पहचानिए। किसी एक के बारे में जानकारी इकट्ठा कीजिए।
(గళ్ళ నుడికారములో ఆటల పేర్లు దాగి ఉన్నవి. వాటిని గుర్తించండి. ఏదేని ఒకదాని గురించి వివరము సేకరించండి.)
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उत्तर :
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क्रिकेट मैदानी खेलों में क्रिकेट का खेल अत्यंत लोकप्रिय है। छोटे बच्चे ही नहीं बड़े लोग भी गलियों, मुहल्लों में गेंद और बल्ला लेकर घूमते दिखाई देते हैं। क्रिकेट एक रोचक और विदेशी खेल है। यूरोप देश में इसका आरंभ हुआ । आज तो हर देश में यह खेल खेला जाता है।

हमारे भारत में क्रिकेट क्लब अठारहवीं शताब्दी में कलकत्ते में बना। धीरे-धीरे इसका विकास होता गया। सन् 1927 में भारतीय क्रिकेट टीम ने भारत में कई मैच खेले। उसके एक साल बाद भारतीय टीम ‘इग्लैंड’ में मैच खेलने गयी और विजयी हुयी। आज भारत की क्रिकेट टीम संसार भर की टीमों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

क्रिकेट का खेल दो दलों के बीच खेला जाता है। एक एक दल में ग्यारह ग्यारह खिलाडी होते हैं। साथ ही निश्चित नियमों से मैच कराने दो अंपायर भी होते हैं। मैच खेलने मैदान के बीच एक मज़बूत पिच तैयार की जाती है। इसके दोनों ओर तीन-तीन विकेटें (लकडियाँ) गाढी जाती हैं। इनके बीच की दूरी 22 फ़ीट होती है। दोनों तरफ़ की विकेटों के अंदर की तरफ़ तीन-तीन फ़ीट की दूरी पर सफ़ेद व- समानांतर लकीरें खींची जाती हैं। इन्हें पॉपिंग क्रीज़ कहते हैं। मैदान के चारों तरफ़ एक गोलाकर रेखा बनायी जाती है। इसे बाउंडरी लाइन कहते हैं। क्रिकेट का खेल बहुत ही रोचक और मनोंरजन खेल माना जाता है।

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प्रश्न-II

प्रश्न 1.
फुटबॉल खेल से किन गुणों का विकास होता है?
(ఫుట్ బాల్ ఆట వలన ఏ గుణములు వికసిస్తాయి?)
उत्तर :
फुटबॉल बडी सावधानी से खेला जानेवाला प्रभावशाली खेल है। यह टीम का खेल है। सब मिलजुलकर खेलनेवाला खेल है। ताकत, फुर्ती और चुस्ती का खेल है। ऐसे महत्वपूर्ण खेल से शारीरिक और मानसिक विकास खूब होता है। सचाई, प्रेम, नज़रंदाज़ फुर्तीला खेल होने के कारण सब खिलाडियों में नियमपालन, आत्मविश्वास, आपसी प्रेम, एकता की भावना, जीत पाने की बुद्धिमता, अनुशासन, सहनशीलता, सहकारिता, जीत या हार को समान दृष्टि से देखने की क्षमता आदि उत्तम गुणों का विकास होता है। अपने टीम को विजय पथ पर ले जाने का प्रयत्न हर खिलाड़ी अपनी ही ज़िम्मेदारी समझता है।

(ఫుట్బాల్ చాలా జాగరూకతతో ఆడబడే ప్రతిభావంతమైన ఆట. ఇది సమూహపు ఆట. అందరూ కలిసి మెలిసి ఆడే ఆట. శక్తి, వేగము, చురుకుదనము కల ఆట. అట్టి గొప్ప ఆట వలన శారీరక, మానసిక వికాసము చక్కగా కలుగుతుంది. నిజాయితీ, ప్రేమ, దృష్టి నిలిపి వేగంగా ఆడే ఆట అయిన కారణంగా ఆటగాళ్ళందరిలో నియమపాలన, ఆత్మవిశ్వాసం, పరస్పర ప్రేమ, ఐకమత్య భావన, గెలవాలనే కాంక్ష, క్రమశిక్షణ, ఓర్పు, సహకారగుణం, గెలుపు, ఓటములను సమానంగా (ఒకటిగా) చూచే శక్తి వంటి ఉత్తమ గుణములు వికసిస్తాయి. తన జట్టు వారిని విజయపథంలో తీసుకువెళ్ళెడి ప్రయత్నం ఆటగాడు తన బాధ్యతగా భావిస్తాడు.)

प्रश्न 2.
फुटबॉल खेल में गेंद कब्ज़े में आते ही क्या करना पडता है ?
(ఫుట్బాల్ ఆటలో బంతి మన వశం అయినప్పుడు ఏమి చేయవలసి ఉంటుంది?)
उत्तर :
मैदानी खेलों में फुटबॉल प्रभावशाली और उत्साह भरा, सामूहिक खेल है। फुटबॉल खेलनेवाले सभी खिलाडी बडी श्रद्धा और लगन से खेलते हैं। वे बडे निर्भीक और समझदार होते हैं। खेल में दो टीम होते हैं। एक टीमवाले गेंद को पैरों से मारते दूसरे टीम के बाक्स में पहुँचाकर गोल करने की ताक में खेलते हैं। दूसरे टीमवाले उस गेंद को अपने कब्जे में लाने का प्रयत्न करते हैं। इस तरह गेंद जब कब्ज़े में आता है तब उसे सावधानी से, होशियारी से, अपने दल के खिलाडियों को सरकाते विपक्षी के बाक्स तक पहुँचाकर गोल करना पडता है। गोल रक्षक तो हाथों से पैरों से या जैसे भी हो गेंद बाक्स में न आने से रोकने का भरसक प्रयत्न करता है।

(మైదానపు ఆటలో ఫుట్బాల్ గొప్ప, ఉత్సాహమునిండే సామూహికంగా ఆడే ఆట. ఫుట్బాల్ ఆడే ఆటగాళ్ళు అందరూ చాలా ఉత్సుకత, పట్టుదలతో ఆడుతారు. వారు మిక్కిలి ధైర్యవంతులు, చురుకుదనం కలవారుగా ఉంటారు. ఆటలో రెండు పక్షాలు (టీమ్స్) ఉంటాయి. ఒక పక్షం వారు బంతిని కాళ్ళతో తంతూ ప్రతిపక్షం వారి బాకు చేర్చి గోల్ చేసే లక్ష్యంతో ఆడుతారు. ప్రతిపక్షం వారు ఆ బంతిని తమ ఆధీనంలో తెచ్చుకునే ప్రయత్నం చేస్తారు. ఈ విధముగా బంతి వశమయినపుడు దానిని జాగరూకతతో, తెలివిగా, తమ పక్షం ఆటగాళ్ళకు అందిస్తూ గోల్ చేయాల్సి ఉంటుంది. గోల్ కీపర్ అయితే చేతులతో, కాళ్ళతో ఎలాగైనా సరే బంతి బాక్స్ లోనికి రావడాన్ని ఆపేందుకు విశ్వ ప్రయత్నం చేస్తాడు.)

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प्रश्न 3.
फुटबॉल कैसा खेल है ?
(ఫుట్బాల్ ఎటువంటి ఆట?)
उत्तर :
फुटबॉल सामूहिक रूप से खेले जानेवाला प्रमुख मैदानी खेल है। यह टीम का खेल और मिलजुलकर खेलने का खेल है । ताकत, सावधानी, फुर्ती और चुस्ती से खेलनेवाला सर्वोत्तम खेल है। खेलते समय गेंद पर साथियों पर, विपक्षियों पर गोल पर लाइन पर समय पर अपने पर नज़र रखनेवाला खेल है। इसमें एक की ताकत सबकी ताकत एक की कमज़ोरी सबकी कमज़ोरी होती है।

फुटबॉल सचाई और प्रेम का खेल है। इसमें वैर भाव नहीं रखना है। आपसी एकता, ज़िम्मेदारी सक्रियता से खेलनेवाला खेल है। इसीलिए ही संसार भर में इस खेल का महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व के सभी देशों में इसे खेलनेवाले विख्यात खिलाड़ी हैं करोड़ों लोगों का प्रिय और मनोरंजक खेल है।

(ఫుట్బాల్ సామూహికంగా ఆడబడే ప్రఖ్యాత మైదానపు ఆట. ఇది సమూహపు ఆట. కలిసిమెలిసి ఆడే ఆట, శక్తి, జాగరూకత, వేగము, చురుకుదనముతో ఆడే గొప్ప ఆట. ఆడేటప్పుడు బంతి మీద, జతగాళ్ళ మీద, ఎదుటి వర్గంలో ఆడేవారి మీద, గోల్ మీద, లైన్ మీద, కాలం మీద, తన మీద దృష్టి ఉంచుకుని ఆడే ఆట. దీనిలో ఒకరి శక్తి అందరిశక్తిగాను, ఒకరి బలహీనత అందరి బలహీనతగాను అవుతుంది.

ఫుట్బాల్ నిజాయితీ, ప్రేమ కలిగిన ఆట. ఇందులో శత్రుత్వభావము ఉండకూడదు. తమలో ఐకమత్యం,, బాధ్యత, శ్రద్ధతో ఆడబడే ఆట. అందువలననే, ప్రపంచమంతటా ఈ ఆటకు చాలా విలువైన స్థానము ఉన్నది. ప్రపంచంలోని అన్ని దేశాలలో దీనిని ఆడే ప్రసిద్ధి చెందిన ఆటగాళ్ళు ఉన్నారు. కోట్లకొలది ప్రజలకు ప్రియమైన మానసిక ఆనందము కలిగించే ఆట.)

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद। (అర్థము ప్రకారము వాక్యము యొక్క భేదములు)

1. विधानार्थक वाक्य : (విధానార్ధక వాక్యము)
जिस वाक्य से किसी बात या कार्य का होना पाया जाए, उसे विधानार्थक वाक्य कहते हैं।
(ఏదేని విషయము, పని జరుగుట గురించి తెలిపే వాక్యాన్ని విధానార్థక వాక్యము అంటారు.)
उदा : लडका मैदान में फुटबॉल खेलता है। (బాలుడు మైదానంలో ఫుట్బాల్ ఆడుచున్నాడు.)

2. आज्ञानार्थक वाक्य : (ఆజ్ఞానార్థక వాక్యము)
जिस वाक्य से किसी बात या कर्म के लिए आज्ञा, प्रार्थना या उपदेश देना प्रकट हो उसे आज्ञानार्थक वाक्य कहते हैं।
(ఏదేని విషయము/పని కొరకు ఆజ్ఞ, ప్రార్థన, ఉపదేశము ఇచ్చుటను తెలిపే వాక్యాన్ని ఆజ్ఞానార్థక వాక్యము అంటారు.)
उदा : आप मैदान में फुटबॉल खेलिए। (మీరు మైదానంలో ఫుట్బాల్ ఆడండి.)

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3. इच्छार्थक वाक्य : (ఇచ్ఛార్థక వాక్యము)
जिस वाक्य से इच्छा (कामना) आदि का बोध हो, उसे इच्छार्थक वाक्य कहते हैं।
(కోరిక (ఆశయము) ను తెలియపరిచెడి వాక్యాన్ని ఇచ్చాక వాక్యము అందురు.)
उदा : हमें फुटबॉल खेलना चाहिए। (మీరు మైదానంలో ఫుట్ బాల్ ఆడండి.)

4. संकेतार्थक वाक्य : (సంకేతార్ధక వాక్యము)
जिस वाक्य से किसी बात या कार्य की ओर संकेत पाया जाय, उसे संकेतार्थक वाक्य कहते हैं।
(ఏదేని విషయము/పని గురించి సంకేతమునిచ్చు వాక్యాన్ని సంకేతార్థక వాక్యము అందురు.)
उदा : समय मिलता तो हम फुटबॉल खेलते। (సమయం దొరికితే మేము ఫుట్బాల్ ఆడుతాం.)

5. संदेहार्थक वाक्य : (సందేహార్ధక వాక్యము)
जिस वाक्य में संदेह या संभावना आदि का बोध हो, उसे संदेहार्थक वाक्य कहते हैं।
(సందేహము లేదా సంభావన జరుగుట గురించి తెలియజెప్పే వాక్యాన్ని సందేహాత్మక వాక్యము అందురు.)
उदा : लडका मैदान में खेलता होगा। (బాలుడు మైదానంలో ఆడుతూ ఉండవచ్చు.)

6. प्रश्नार्थक वाक्य : (ప్రశ్నార్ధక వాక్యము)
जिस वाक्य से किसी बात के लिए प्रश्न सूचित हो, उसे प्रश्नार्थक वाक्य कहते हैं।
(ఏదేని విషయము గురించి ప్రశ్నించుట తెలిపిన దానిని ప్రశ్నార్థక వాక్యము అందురు.)
उदा: आप क्या खेलते हैं? (మీరు ఏమి ఆడుచున్నారు?)

7. विस्मयार्थक वाक्य (విస్మయార్థక వాక్యము)
जिस वाक्य में विस्मय, हर्ष, आदि प्रकट हो उसे विस्मयार्थक वाक्य कहते हैं।
(ఆశ్చర్యము, సంతోషము మొదలగునవి తెలియజేయు వాక్యాన్ని విస్మయార్థక వాక్యము అందురు.)
उदा : वाह ! फुटबॉल अच्छा खेल है। (ఆహా! ఫుట్బాల్ మంచి ఆట.)

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8. निषेधार्थक वाक्य : (నిషేధార్థక వాక్యము)
जिस वाक्य से किसी बात या कार्य का न होना पाया जाए, वह निषेधार्थक वाक्य कहलाता है।
(ఏదేని విషయము/పని జరుగకపోవుటను తెలియజెప్పే వాక్యమును నిషేధార్థక వాక్యము అందురు.)
उदा: सडक पर फुटबॉल खेलना मना है। (రోడ్డు మీద ఫుట్బాల్ ఆడరాదు)

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अपठित गद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहता है और समाज में ही जीवन यापन करता है। एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के साथ पारस्परिक संबंध होते हैं। कई व्यक्तियों के आपसी व्यवहार से एक समाज का निर्माण होता है। अतः व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र, राष्ट्र से राज्य और राज्य से विश्व की परिकल्पना होती है। इसीलिए हमारे यहाँ प्राचीन काल से ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की धारणा मान्य। रही है। विश्व में मनुष्य के अपने आपसी व्यवहार से व्यक्तिगत संबंध बनते और बिगड़ते रहे हैं। मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध है लैंगिक संबंध । यह मनुष्य में एड्स रोग का प्रमुख कारण है। विश्व को एड्स की बीमारी से दूर रखने के लिए आवश्यक है कि इस रोग के बारे में समाज में जागरूकता लाई जाए।

प्रश्न :
1. मनुष्य कहाँ रहता है और वह कहाँ जीवन यापन करता है?
2. एक समाज का निर्माण कैसा होता है ?
3. प्राचीन काल से किसकी धारणा मान्य रही है ?
4. मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध क्या है ?
5. विश्व की परिकल्पना कैसी होती है?
उत्तर :
1. मनुष्य समाज़ में रहता है और वह समाज में ही जीवन यापन करता है।
2. कई व्यक्तियों के आपसी व्यवहार से एक समाज का निर्माण होता है।
3. प्राचीन काल से ‘वसुदैव कुटुंबकम’ की धारणा मान्य रही है।
4. मनुष्य के कई प्रकार के आपसी संबंधों में एक संबंध लैंगिक संबंध है।
5. व्यक्ति से समाज, समाज से राष्ट्र, राष्ट्र से राज्य और राज्य से विश्व की परिकल्पना होती है।

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2. हमें तीन चीज़ों की ज़रूरत है खाना, कपडा और मकान। खाने की चीजें जैसे अनाज, तरकारी आदि हमें किसान देते हैं। किसान गाँवों में रहते हैं। वे पहले खेत जोतते हैं। बाद में पानी सींचते हैं और बीज बोते हैं। थोडे दिनों के बाद फ़सल काटते हैं और गाडियों में लादकर दुकानों को भेजते हैं। वहाँ से हम अनाज को खरीदकर खाते हैं। वे ही किसान तरकारी भी पैदा करते हैं।

प्रश्न :
1. किसान कहाँ रहते हैं ?
2. हमें किन किन चीज़ों की जरूरत हैं ?
3. खाने की चीजें हमें कौन देते हैं ?
4. हम अनाज को कहाँ से खरीदकर खाते हैं ?
5. हमें किसान क्या क्या देते हैं?
उत्तर :
1. किसान गाँव में रहते हैं।
2. हमें तीन चीज़ों की ज़रूरत है खाना, कपडा और मकान।
3. खाने की चीजें हमें किसान देते हैं।
4. हम अनाज को दुकानों से खरीदकर खाते हैं।
5. हमें किसान खाने की चीजें जैसे अनाज, तरकारी आदि देते हैं।

3. भद्राचलम का राम मंदिर मुस्लिम हिन्दु की एकता और सामरस्य का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, भक्त रामदास ने भगवान राम पर तेलुगु में अनेक भजन कीर्तन लिखे हैं जो आज भी भक्ति भाव से गाये जाते हैं। उन्होंने ‘दशरथी शतकम्’ नामक एक भक्ति शतकं की भी रचना की है। भक्त रामदास आधुनिक युग के एक महान संत गायक और युग पुरुष थे।

प्रश्न :
1. हिंदु मुस्लिम की एकता और सामरस्य का एक महत्वपूर्ण उदाहरण क्या है ?
2. किन्होंने भगवान राम पर भजन कीर्तन लिखें ?
3. भक्त रामदास ने किस शतकम की रचना की ?
4. भक्त रामदास ने किस भाषा में भजन कीर्तन लिखें ?
5. आधुनिक युग के महान संत तथा युगपुरुष कौन थे ?
उत्तर :
1. भद्राचलम का राम मंदिर हिन्दु मुस्लिम की एकता और सामरस्य का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
2. भक्त रामदास ने भगवान राम पर भजन, कीर्तन लिखें।
3. भक्त रामदास ने “दाशरथी शतकम्” की रचना की।
4. भक्त रामदास ने तेलुगु भाषा में भजन कीर्तन लिखें।
5. भक्त रामदास आधुनिक युग के महान संत तथा युग पुरुष थे।

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4. मनुष्य के लिए स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है। तंदुरुस्त रहने से मन प्रसन्न रहता है। मनुष्य दुगुने उत्साह के साथ अपने काम में लग सकता है। इसके विपरीत अस्वस्थ रहने से वह उदास हो जाता है। मन नीरस रहता है। इसलिए कहा गया है कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन और मस्तिष्क का निवास होता है। स्वस्थ रहने के लिए सब से पहले स्वच्छता की आवश्यकता है स्वच्छता तन की, घर की और बाहर की होनी चाहिए।

प्रश्न :
1. मनुष्य के लिए कैसा रहना अत्यंत आवश्यक है ?
2. अस्वस्थ रहने से मनुष्य कैसा हो जाता है ?
3. स्वस्थ मन और मस्तिष्क का निवास किसमें होता है ?
4. स्वस्थ रहने के लिए सबसे पहले किसकी आवश्यकता है ?
5. तंदुरुस्त रहने से मन कैसा रहता है ?
उत्तर :
1. मनुष्य के लिए स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है।
2. अस्वस्थ रहने से मनुष्य उदास हो जाता है।
3. स्वस्थ तन में स्वस्थ मन और मस्तिष्क का निवास होता है।
4. स्वस्थ रहने के लिए सबसे पहले स्वच्छता की आवश्यकता है।
5. तंदुरुस्त रहने से मन प्रसन्न रहता है।

5. हमारी संस्कृति वन प्रधान है। ऋग्वेद, जो हमारी सनातन शक्ति का मूल है, वन – देवियों की अर्चना करता है । मनुस्मृति में वृक्ष विच्छेदक को बड़ा पापी माना गया है- “जो आदमी वृक्षों को नष्ट करता है, उसे दण्ड दिया जाये।” तालाबों, सड़कों या सीमा के पास के वृक्षों का काटना, गुरुतर अपराध था। उसके लिए दण्ड भी बड़ा कड़ा रहता था। उसमें कहा गया है कि जो वृक्षारोपण करता है, वह तीस हज़ार पितरों का उद्धार करता है। अग्निपुराण भी वृक्ष पूजा पर ज़ोर देता है। वृक्षों का रोपण स्नेहपूर्वक और उनका पालन पुत्रवत करना चाहिए।

प्रश्न :
1. हमारी संस्कृति कैसी है?
2. कौन सा वेद वन देवियों की अर्चना करता है।
3. वृक्ष विच्छेदक को किस स्मृति में बडा पापी माना गया है ?
4. दण्ड किसे दिये जाते हैं ?
5. वृक्ष पूजा पर ज़ोर देनेवाला पुराण क्या है ?
उत्तर :
1. हमारी संस्कृति वन प्रधान है।
2. ऋग्वेद वन देवियों की अर्चना करता है।
3. वृक्ष विच्छेदक को मनुस्मृति में बडा पापी माना गया है।
4. जो आदमी वृक्षों को नष्ट करता है उसे दंड दिये जाते हैं।
5. वृक्ष पूजा पर ज़ोर देनेवाला पुराण “अग्निपुराण” है।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

निबंध विधा से परिचित कराते हुए निबंध लेखन की प्रेरणा देना।
(వ్యాసము విధానాన్ని తెలియజేస్తూ వ్యాసము వ్రాయుటకు ప్రేరణను ఇవ్వడం.)

సారాంశము :

ఫుట్బాల్ సుమారుగా మన అన్ని పాఠశాలల్లో ఆడబడుతుంది. ఫుట్బాల్ దొరికింది, తీసుకుని ఆడటానికి వెళ్ళిపోయాము. ఇదే మాదిరిగా మేము వాలీబాల్. కూడా ఆడుతూనే వచ్చాము. ఈ విధంగా ఆడుతూ ఆడుతూ ఫుట్బాల్ కూడా ఆడే సరదా ఏర్పడింది అది నా ప్రియమైన ఆట అయింది.

పగలేమిటి, రాత్రేమిటి, పొలమేమిటి, మైదానమేమిటి, సమయం దొరికితే చాలు నేను, నా ఫుట్బాలే. ఆరంభంలో నేను ఒంటరిగానే ఫుట్బాల్ ఆడేవాడిని. అప్పుడు ఇది నాకు ఒక ఆట బొమ్మ. తరువాత ఇది అందరి వస్తువని, అద్భుతమైన వస్తువని తెలిసింది. అవును ! ఫుట్బాల్ అందరి వస్తువు. రెండు టీమ్ లు ఆడుతాయి. వేలమంది ప్రజలు చూస్తారు.

ఫుట్బాల్ ఆట ఒంటరిగా ఒక వ్యక్తి ఆడే ఆట కాదు. ఇది సమూహపు ఆట. కలిసిమెలిసి ఆడే ఆట. ఇది శక్తి, జాగరూకత కల ఆట. ఇది వేగము, చురుకుదనపు ఆట. ఇది దృష్టి పెట్టే ఆట. ఫుట్బాల్ మీద దృష్టి, తోటివారిపై దృష్టి, విరోధులపై దృష్టి, గోల్ (లక్ష్యసాధన) మీద దృష్టి, గీత మీద దృష్టి, కాలం మీద దృష్టి, తన మీద దృష్టి పెట్టాలి. అందరి శక్తి, తన శక్తిగా ఒకరి బలహీనత అందరి బలహీనతైన ఆట.

ఫుట్బాల్ నిజాయితీయైన ఆట, ప్రేమపూర్వకమైన ఆట. ఇందులో శతృత్వభావము కలవాడు ఆటగాడు కాదు. రెండు పక్షాలు ఉంటాయి. ఒకటి గెలిస్తే, రెండవది ఓడుతుంది. ఇందులో కోపము కానీ శత్రుత్వ భావముగాని ఎందుకు? ఈసారి ఓడిపోతే, వచ్చేసారి గెలుస్తావు. గెలవటానికి ప్రయత్నించు. ఎదుటి పక్షము వారు గెలిస్తే వారి ఆటను అర్థం చేసుకో. వారిని ప్రశంసించు (పొగుడు). మన ఓటమి నుండీ నేర్చుకో. మన గెలుపు నుండి కూడా నేర్చుకో.

నేటి వరకు నేను ఏ పెద్ద టీములోనూ ఆడలేదు. కాని ఒక రోజు నేను నా దేశమునకు చెందిన ఏదైనా పెద్ద టీమ్ తప్పక ఆడుతాను. ఇదే కాదు నేను బయట కూడా ఆడతలచుచున్నాను. ఈ రోజు కాకపోయినా, రేపైనా నా కోరిక తప్పక తీరుతుంది.

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शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

TS 9th Class Hindi Guide 5th Lesson फुटबॉल 5

TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 4th Lesson प्रकृति की सीख Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 4th Lesson Questions and Answers Telangana प्रकृति की सीख

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏమి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में सागर है। सागर में एक नाव है। उसमें कुछ सामान है। दो नाविक हैं।

प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं ?
(వారు ఏమి చేయుచూ ఉన్నారు?)
उत्तर :
वे जीवन यापन के लिए मछलियों को पकड़ते हुए गंभीर सागर को (नाव में से) पार कर रहे हैं।

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प्रश्न 3.
इससे क्या प्रेरणा मिलती है ?
(దీని ద్వారా ఎలాంటి ప్రేరణ లభించుచున్నది?)
उत्तर :
इससे (हमें) यह प्रेरणा मिलती है कि जितने भी गंभीर समस्याएँ हों उनकी साहस और कठिन मेहनत से सामना करना चाहिए।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం జవాబును ఇవ్వటం) :

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए।

प्रश्न 1.
नदियाँ खेती के लिए किस प्रकार उपयोगी हैं ? (?)
उत्तर :
नदियाँ पहाड़ों से निकलती है। पहाड़ों में रास्ता बनाकर जंगलों से होकर मैदान में बहती हैं। प्राणिमात्र के लिए नदियों का पानी बहुत उपयोगी है। खेती के लिए उपजाऊ भूमि तैयार करने का काम नदियाँ करती हैं। नदियों के पानी से ही खेतों की सिंचाई होती है। किसान अनाज के साथ-साथ विविध तरकारियाँ और खाद्यान्न भी उसी पानी से पैदा करते हैं। नदियों पर बाँध बनाकर पानी इकट्ठा किया जाता है। नहरें निकाली जाती हैं। नहरों द्वारा सिंचाई का काम सुचारू रूप से होता है। हमारे भारत में खेती पूरी तरह नदियों पर निर्भर रहती है। इस तरह खेती के हर काम के लिए नदियाँ बहुत उपयोगी हैं।

(నదులు, పర్వతముల నుండి వెలువడతాయి. పర్వతములలో దారి ఏర్పరచుకొని, అడవుల గుండా మైదాన ప్రాంతాలలో ప్రవహిస్తాయి. ప్రాణికోటికి నదుల నీరు చాలా ఉపయోగకరము. వ్యవసాయానికి సారవంతమైన భూమిని తయారు చేసెడి పని నదులు చేస్తాయి. నదుల నీటితోనే పొలాలు తడుపు జరుగుతుంది. రైతులు వ్యవసాయంతో పాటు అనేక ఆహార పదార్థాలను ఆ నీటితోనే పండిస్తారు. నదులపై ఆనకట్టలు నిర్మించి నీరు ప్రోగు చేయబడుతుంది. కాలువలు ఏర్పరచబడతాయి. కాలువల ద్వారా నీటి తడుపు పని నిరాటంకంగా సాగుతుంది. మన భారతదేశంలో వ్యవసాయం పూర్తిగా నదులపై ఆధారపడి ఉంటుంది. ఈ విధముగ వ్యవసాయ సంబంధమైన ప్రతి పనికి నదులు చాలా ఉపయోగకరమైనవి.)

प्रश्न 2.
ऋतुओं के नियंत्रण में पर्वत कैसे सहायक होते हैं?
(ఋతువులను నియంత్రించటంలో పర్వతములు ఎట్లు సహాయకారులు అవుతాయి?)
उत्तर :
पर्वत तो अकसर ऊँचे होते हैं। पर्वत प्रकृति की संपदा है। इनसे कई लाभ हैं। हमें बहुत सहायक होते हैं, इनकी तलहटों में अनेक पेड-पौधों के होने के कारण हमेशा हरियाली और ठंडक बनी रहती हैं। खासकर समुद्र की तेज़ हवाओं से पर्वत देश की रक्षा करते हैं। तूफ़ान, आँधी आदि प्रकृति संबन्धी अनेक हालतों से ये हमें बचाते हैं। ऐसे पर्वत ऋतुओं के नियंत्रण में भी बडे सहायक होते हैं। उन्हीं के कारण मौसम समय पर आते हैं। मेघों को रोककर वर्षाएँ सही समय पर आने में इनका खास महत्व रहता है। इस तरह हम देखते हैं कि ऋतुओं के नियंत्रण में पर्वत बडे सहायकारी होते हैं।

(పర్వతములు సహజంగా ఎత్తుగా ఉంటాయి. పర్వతములు ప్రకృతి సంపద. వీటి వలన అనేక లాభములు ఉన్నవి. అవి మనకు చాలా సహాయపడతాయి. వీటి లోయలలో అనేక చెట్లు-మొక్కలు ఉండుట వలన ఎల్లప్పుడూ పచ్చదనం, చల్లదనం నిలిచి ఉంటాయి. ముఖ్యంగా సముద్రపు తీవ్రమైన గాలుల నుండి పర్వతములు దేశాన్ని రక్షిస్తాయి, తుపాను, గాలి, వాన వంటి ప్రకృతి సంబంధమైన అనేక కష్టపరిస్థితుల నుండి ఇవి మనల్ని కాపాడుతాయి. ఇటువంటి పర్వతములు ఋతువులను నియంత్రించటంలో కూడా మిక్కిలి సహాయకారులుగా ఉంటాయి.’ వాటి కారణముగానే ఋతువులు సకాలంలో వస్తాయి. మేఘాలను ఆపి వర్షాలు సరియగు కాలంలో కురియుటలో వీటి పాత్ర ముఖ్యమైనది. ఈ విధముగా ఋతువులను నియంత్రించటంలో పర్వతములు చాలా సహాయకారులు అవుతాయి.)

TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख

आ. कविता के आधार पर उचित क्रम दीजिए। (కవిత ఆధారంగా సరియైన వరుస ఇవ్వండి.)

1. सागर कहता है लहरा कर। ( )
2. पर्वत कहता है शीश उठाकर। (1)
3. मन में गहराई लाओ। ( )
4. तुम भी ऊँचे बन जाओ। ( )
उत्तर :
1. 3
2. 1
3. 4
4. 2

इ. स्तंभ ‘क’ को स्तंभ ‘ख’ से जोड़िए और उसका भाव बताइए।
(స్తంభము ’45’ ను స్తంభము ‘ఆ’ తో జోడించండి. దాని భావము తెలపండి.)

TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख 1
उत्तर :
TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख 4

ई. पद्यांश पढ़िए। अब इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(పద్యాంశం చదవండి. ఇప్పుడు ఈ (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)

TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख 2

प्रश्न 1.
सूरज के बारे में आप क्या जानते हैं?
(సూర్యుని గురించి మీకు ఏమి తెలుసు ?)
उत्तर :
सूरज भूमि के बहुत नजदीक रहनेवाला एक नक्षत्र ही है। सूरज एक जलता हुआ आग का गोला है। पृथ्वी से सूरज कई गुना बडा है। पृथ्वी पर रहनेवाले समस्त प्राणि कोटि को आवश्यक जीव शक्ति सूरज से ही मिलती है। ग्रह परिवार में सूरज केंद्र स्थान में है। ग्रह, उपग्रह और लघु ग्रह सूरज के चारों ओर घूमते रहते हैं। पृथ्वी पर रहा पानी सूरज की गरमी से भाप के रूप में ऊपर उठकर मेघ बनते हैं, ठंडी हवा लगते ही मेघ पानी बरसाते हैं।

TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख

प्रश्न 2.
कवि ने सूरज, पंछी, हवा से क्या कहा ?
(కవి సూర్యుడు, పక్షి, గాలితో ఏమని చెప్పాడు ?)
“उत्तर :
कवि ने सूरज़ से कहा कि कृपा करके इस मानव को जगाओ।
पंछी से कहा कि हे पक्षी/चिड़िया ज़रा इनके कानों पर चिल्नाओ।
हवा से कहा कि जरा इस आदमी को हिलाओ।

प्रश्न 3.
वार्तव में जगने का क्या तात्पर्य है ?
(వాస్తవంగా మేల్కొనుట అంటే అర్ధము ఏమిటి?)
उत्तर :
वार्तव में जगने का तात्पर्य यह है कि, नींद से जागकर अपने जीवन यापन के आवश्यक काम करने तैयार होना।

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
पर्वत सिर उठाकर जीने के लिए क्यों कह रहा होगा?
(పర్వతము తల ఎత్తుకుని జీవించవలెనని ఎందుకు చెబుతుండవచ్చు?)
उत्तर :
पर्वत हमेशा बडे – बडे शिखरों के कारण ऊँचे रहते हैं। यदि हम अच्छे से अच्छे काम और बढ़प्पन के कार्य करें तो हम भी उन्हीं की तरह दुनिया में आदर के साथ सिर उठा करके रहेंगे। हमारा जीवन उन्नत बनेगा। हम दुनिया में आदरणीय बनेंगे। इसलिए हम अच्छे – अच्छे काम करते हुए पर्वतों के जैसे सिर खड़ा करके (उठाकर) रहने के लिए पर्वत ऐसा कह रहा होगा।

(పర్పతములు ఎల్లప్పుడు ఉన్నత శిఖరాల కారణంగా ఎత్తుగా ఉంటాయి. ఒకవేళ మనం మంచి – మంచి పనులు, గొప్ప గొప్ప పనులు చేసినట్లయితే మనం కూడా వాటిలాగా ఈ ప్రపంచంలో గారవంతో తల ఎత్తుకుని జీవించగలం. మన జీవితం ఉన్నతమగును. మనం (ప్రపంచంలో గౌరవ పాత్రులం (ఆదరణీయులం) అవుతాం. అందువలన మనం మంచి – మంచి పనులు చేస్తూ పర్వతాల వలె తల ఎత్తుకు జీవించమని పర్వతాలు మనతో చెబుతుండవచ్చు.)

TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख

प्रश्न 2.
हमें विपत्तियों का सामना हमें कैसे करना चाहिए?
(ఆపదలను మనం ఎలా ఎదుర్కొనవోచ్చును ?)
उत्तर :
धैर्य, समयस्फूर्ति, उपाय, साहस और सोच विचार के साथ हम विपत्तियों का सामना कर सकते हैं। हम पृथ्वी से धैर्य न छोडने की भावना को ग्रहण कर के विपत्तियों का सामना कर सकेंगे।

(ధైర్యం, సమయస్ఫూర్తి, ఉపాయం, సాహసం ఆలోచన అను వాటితో మనం ఆపదలను ఎదుర్కొనవచ్చును. మనం భూమి నుండి ధైర్యం వీడకుండుట అనే భావాన్ని గ్రహించి ఆపదలను ఎదుర్కొనవచ్చు.)

प्रश्न 3.
प्रकृति के अन्य तत्व जैसे नदियाँ, सूरज, पेड आदि हमें क्या सीख देते हैं?
(ప్రకృతి యొక్క అన్య తత్వాలు అయిన నదులు, సూర్యుడు, చెట్లు మొ||నవి మనకు ఎటువంటి ఉపదేశం ? )
उत्तर :
प्रकृति के अन्य तत्व जैसे नदियाँ, सूरज, पेड़ आदि हमें ये सीख देते हैं –
नदियाँ निर्मल रहने मीठे-मीठे मृदुल उमंगों को भरने तथा परोपकार की भावना का सीख देती हैं।
सूरज : जगने और जगाने तथा सकल जीवों का आधार बनने का सीख देता है। सूरज हमें अंधकार को दूर करके प्रकाश को फैलाने का सीख भी देता है।
पेड़ : पेड़ हमें सदा परोपकारी बने रहने का सीख देते हैं।
(ప్రకృతి యొక్క ఇతర తత్వములు అయిన నదులు, సూర్యుడు, చెట్లు మనకు ఈ దిగువ విషయములను నేర్పుచున్నవి. నదులు : నిర్మలంగా ఉండటం, తీయ తీయని మృదులమైన ఉల్లాసం (ఆశలను) మనస్సుల్లో నింపుట మరియు పరోపకారం అనే భావాలను మనకు నేర్పుచున్నవి.
సూర్యుడు సూర్యుడు మేల్కొనుట, ఇతరులను మేల్కొలుపుట, సకల జీవులకు ఆధారమై ఉండుట అనే పాఠాన్ని మనకు నేర్పుచున్నాడు. సూర్యుడు అంధకారాన్ని పోగొట్టి వెలుతురును వ్యాపింపజేయుట కూడా మనకు నేర్పుచున్నాడు. చెట్లు : చెట్లు ఎల్లప్పుడూ పరోపకారిగా ఉండమని మనకు నేర్పుచున్నవి.)

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आ. कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(కవిత సారాంశం స్వంత మాటలలో వ్రాయండి)
उत्तर :
‘प्रकृति की सीखं” कविता के कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी जी हैं। उनका जीवनकाल 1906-1988 है। अपनी अमूल्य रचनाओं से वे हिन्दी साहित्य में प्रसिद्ध हुए हैं। उनकी प्रमुख रचना ‘सेवाग्राम’ है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया।
प्रस्तुत कविता में कवि कहते हैं कि हमारे चारों ओर की प्रकृति के कण-कण में कुछ संदेश छिपा रहता है। उन संदेशों का आचरण करने से हम अपने जीवन को सार्थक व सफल बना सकते हैं।
पर्वत हम से कहता है कि तुम भी अपना सिर उठाकर मुझ जैसे ऊँचे (लंबे) बनजाओ। अर्थ है कि सब में ऊँचा रहना महान गुण है। समुद्र लहराते कहता है कि मैं जैसे गहरा हूँ, वैसे तुम भी अपने मन गहरे और विशाल बनाओ। माने गहराई से सोचो।
समुद्र के चंचल तरंग उठ उठ कर गिरते हैं। क्या तुम समझ सकते हो कि वे क्या कह रहे हैं ? वे कहना चाहते हैं कि तुम भी उनके जैसे अपने दिल में मीठी और कोमल आशाएँ भर लो। क्योंकि आशा को सफल बनाने का प्रयत्न ज़रूर करते हो।
धरती हम से कहती है कि चाहे जितनी बडी ज़िम्मेदारी तुम्हें पूरी करनी है, धैर्य के साथ उसे पूरा करो। आकाश कहता है कि मुझ जैसा पूरा फैलकर सारी दुनिया ढक लो माने महान बनकर सब पर अपना प्रभाव दिखाओ।

(‘ప్రకృతి యొక్క నీతి’ కవిత యొక్క కవి శ్రీ సోహన్లాల్ ద్వివేదిగారు. ఆయన జీవితకాలం 1906-1988. తమ అమూల్య రచనలతో వారు హిందీ సాహిత్యంలో ప్రసిద్ధిగాంచారు. వారి ప్రముఖ రచన ‘సేవాగ్రామ్’. భారత ప్రభుత్వం వీరిని పద్మశ్రీతో సత్కరించింది.
ప్రస్తుత కవితలో కవి ఏమంటున్నారంటే మన ప్రకృతి యొక్క నలువైపుల ప్రతి కణంలోనూ ఏదో సందేశం దాగి ఉంటుంది. ఆ సందేశములను ఆచరించడం ద్వారా మనం జీవితాన్ని సార్థకం చేసుకోగలుగుతామని. పర్వతాలు మనతో అంటున్నాయి. నీవు కూడా నీ తలను పైకెత్తి నావలె ఉన్నతంగా తయారవు. అంటే అందరికంటే ఉన్నతంగా ఉండడం మంచి గుణం. సముద్రం ఉప్పొంగొతూ అంటోంది నేను లోతైనవాడను. అలాగే నీవు కూడా నీ మనస్సును లోతైనదిగాను, విశాలమైనదిగాను చేయి. అంటే లోతుగా ఆలోచించు.
సముద్రపు చంచలమైన అలలు ఎగసిపడుతున్నాయి. నీవు అర్థం చేసుకోగలవా అవి ఏమంటున్నాయో ? నీవు కూడా వారిలా తీయని, కోమలమైన భావాలను నింపుకోమని అవి అంటున్నాయి. ఎందుకంటే ఆశను సఫలీకృతం చేసుకునే ప్రయత్నం తప్పక చేస్తావు.
భూమి మనతో అంటున్నది ఎంత పెద్ద బాధ్యత నీకు పూర్తిచేయాల్సి ఉన్నా, ధైర్యంతో పూర్తి చేయమని ఆకాశం అంటోంది నాలా పూర్తిగా వ్యాపించి పూర్తిగా ప్రపంచాన్ని కప్పివేయమని అంటే గొప్ప వ్యక్తిగా తయారయి అందరిపై నీ ప్రభావాన్ని చూపించు అని.)

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इ. कविता के भाव से दो सूत्रियाँ बनाइए।
(కవిత యొక్క భావము నుండి రెండు సూక్తులు తయారు చేయండి.)
उत्तर :
1. प्रकृति की सीख अपना लो,
प्यारा जीवन सुखमय बना लो।
2. फूलो से हैसना सीखो।
भौरों से गाना सीखो।

ई. नीचे दी गयी पंक्तियों के आधार पर छोटी – सी कविता लिखिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన పంక్తుల ఆధారంగా చిన్న కవిత వ్రాయండి.)
हरियाली कहती ………….।
महकते फूल कहते …………।
चहचहाते पक्षी कहते ……….।
बहती नदियाँ कहतीं ……….।
उत्तर :
सारा जग खुशहाल बनाओ।
सब पर अपना असर डालो।
मीठे गान सबको सुनाओ।
जीवन में आगे बढते जाओ

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. पाठ में आये पुनरुक्त शब्द रेखांकित कीजिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
(పాఠములో వచ్చిన పునరుక్తి శబ్దముల క్రింద గీత గీయండి. వాక్యములో ఉపయోగించండి.)
जैसे : मीठी-मीठी – बच्चे मीठी – मीठी बातें करते हैं।
ఉదా : తియ్య-తియ్యని – పిల్లలు తియ్య – తియ్యని మాటలు మాట్లాడుతారు.)
उत्तर :
1. उठ – उठ = పైకి లేచి
मेरे मन में खुशी की लहरें उठ – उठकर गिर रही हैं।
2. भर लो – भर लो = నింపుకో – నింపుకో
भर लो – भर लो अपने दिल में प्यार की भावना।

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आ. विपरीत अर्थ लिखिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
(వ్యతిరేక అర్థము వ్రాయండి. వాక్యప్రయోగం చేయండి.)
जैसे : न्याय × अन्याय हमें अन्याय का विरोध करना चाहिए।
(धैर्य, हिंसा, शांति, यश, धर्म, गौरव, सत्य)

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इ. इन शब्दों के बीच का अंतर समझिए और स्पष्ट कीजिए। ऐसे ही तीन शब्द लिखिए।
(ఈ శబ్దముల మధ్య గల భేదమును తెలుసుకుని స్పష్టం చేయండి. ఇటువంటివే మూడు శబ్దములు వ్రాయండి.)
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उत्तर :

  • गहरा = లోతైన
  • गहराई = లోతు
  • ऊँचा = ఎత్తైన
  • ऊँचाई = ఎత్తు
  • लंबा = పొడవైన
  • लंबाई = పొడవు
  • अच्छा = మంచిది
  • अच्छाई = మంచితనం
  • स्वतंत्र = స్వతంత్రమైన
  • स्वतंत्रता = స్వాతంత్య్రము
  • परतंत्र = పరాధీన
  • परतंत्रता = పరాధీనత్వము
  • नैतिक = నీతికి సంబంధించిన
  • नैतिकता = నీతి
  • धार्मिक = మతపరమైన
  • धार्मिकता = ధర్మనిష్టాపర

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ई. नीचे दिये गये शब्दों के साथ ‘इक’ प्रत्यय जोड़कर लिखिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన శబ్దములకు ‘ఇక్’ ప్రత్యయం జోడించి వ్రాయండి.)

TS 9th Class Hindi Guide 4th Lesson प्रकृति की सीख 6
उत्तर :
वर्ष – वार्षिक
इतिहास – ऐतिहासिक
मास – मासिक
उपचार – औपचारिक

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

सोहनलाल द्विवेदी के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए। उनकी किसी एक कविता का संकलन कीजिए।
(సోహన్లాల్ ద్వివేది గురించి సమాచారము సేకరించండి. వారి ఏదేని ఒక కవిత సేకరించండి.)
उत्तर :
पं. सोहनलाल द्विवेदी जी आधुनिक हिन्दी के प्रमुख कवि हैं। उनका जन्म सन् 1906 में हुआ। अपनी अमूल्य रचनाओं से आपने हिन्दी साहित्य भंडार की वृद्धि की है।
हिन्दी साहित्य में आप पहले बच्चों की कविताएँ करनेवाले के रूप में प्रसिद्ध हुए। अब तो राष्ट्रीय कवि के रूप में उनका बडा नाम है। आप गाँधीवाद से अधिक प्रभावित हुए। आपकी रचनाशैली प्रभावोत्पादक और ओजमय है। आपकी बहुत सी कविताएँ ” वासवदत्ता” नामक ग्रंथ में संग्रहित हैं। आपका विरचित “कुणाल” काव्य बडा सुंदर है।
“भैरवी” द्विवेदी जी के अभियान गीतों का प्रथम संग्रह है। इसके गीत सुंदर और देशभक्ति भरनेवाले हैं।
गाँधीजी की अहिंसात्मक नीति से प्रभावित आपका एक अभियान गीत इस प्रकार है।

बढे चलो, बढो चलो.
न हाथ एक शात्र हो, न साथ एक अस्त्र हो,
न अन नीर वस्त्र हो, हटो नहीं, डटो वहीं ॥
बढे चलो, बढे चलो।
रहे समक्ष हिम शिखर, तुम्हारा प्रण उठे निखर।
भले ही जाय तन बिखर, रुको नहीं, झुको नहीं॥
बढे चलो, बढे चलो ॥

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प्रश्न-II

प्रश्न 1.
पर्वत क्या संदेश दे रहा है ?
(పర్వతం ఏ సందేశం ఇస్తూ ఉంది ?)
उत्तर :
पर्वत अपना सिर उठाकर ऊँचा खडा होता है। ऐसा पर्वत संदेश दे रहा है कि तुम भी मेरे जैसे अच्छे काम करते धैर्य से सिर उठाकर खड़े रहो। वही महान गुण है।

(పర్వతము తన తల ఎత్తుకొని ఉన్నతంగా నిలబడుతుంది. నా వలె నీవు కూడా మంచి పనులు చేస్తూ ధైర్యంగా తలెత్తుకొని నిలబడు, అదే గొప్ప గుణము అని పర్వతం సందేశం ఇస్తూ ఉన్నది.)

प्रश्न 2.
तरंग क्या कहती है ?
(తరంగం ఏమి చెప్పుచున్నది?)
उत्तर :
सागर में चंचल तरंग उठ उठ कर गिरती है। वह हम से कहती है कि अपने मन में मीठ मीठे सुकोमल उमंग भर लो। कोमल उमंग भरने से मन खुशी से नाच उठता है। हर काम करने का उत्साह उमडता रहता है।

(సముద్రంలో చంచలమైన అలలు పైపైకి లేచి క్రింద పడతాయి. మీ మనస్సులో తియ్యనైన కోమలమైన ఉప్పొంగులు నింపుకో అని మనతో చెపుతుంది. కోమలమైన ఉప్పొంగు నిండుట వలన మనస్సు సంతోషంతో నాట్యం చేస్తుంది. ప్రతి పని చేసెడి ఉత్సాహం ఉప్పొంగుతూ ఉంటుంది.)

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प्रश्न 3.
संसार को ढक लेने की सीख कौन दे रहा है ?
(ప్రపంచాన్ని మూసివేయమని/ దాచమనే నీతి ఎవరు ఇస్తున్నారు ?)
उत्तर :
संसार को ढ़क लेने की सीख नभ (आकाश) दे रहा है।
(ప్రపంచాన్ని దాచమనే నీతిని ఆకాశం ఇస్తూ ఉన్నది.)

अर्थग्राहयता-प्रतिक्रिया
पठित पद्यांश

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।

प्रश्न :
1. पर्वत क्या कहता है ?
2. सागर क्या कहता है ?
3. यह उपर्युक्य पद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन है ?
5. “शीश” शब्द का पर्याय वाची शब्द क्या है ?
उत्तर :
1. पर्वत हमें ऊँचे बन जाने को कहता है।
2. लहराकर मन में गहराई लाने को सागर कहता है।
3. यह उपर्युक्त पद्यांश ‘प्रकृति की सीख’ नामक पाठ से लिया गया है।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।
5. शीश शब्द का पर्यायवाची शब्द है “सिर”।

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II. समझ रहे हो क्या कहती है,
उठ उठ गिर कर तरल तरंग।
भर लो, भर लो अपने मन में,
मीठे मीठे मृदुल उमंग॥

प्रश्न :
1. तरल तरंग क्या करती है ?
2. तरल तरंग उठ उठ गिरकर क्या कहती है ?
3. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
4. ‘मीठे’ शब्द का विलोम क्या है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन हैं ?
उत्तर :
1. तरल तरंग उठ – उठकर गिर पडती है।
2. तरल तरंग उठ-उठ गिर कर कहती है कि तुम अपने मन में मीठे मृदुल उमंग भर लो।
3. उपर्युक्त पद्यांश ‘प्रकृति की सीख’ नामक पद्य पाठ से लिया गया है।
4. मीठे – शब्द का विलोम है – “कडुआ”।
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।

III. पृथ्वी कहती, धैर्य न छोडो,
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता है, कैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार॥

प्रश्न :
1. नभ क्या कहता है ?
2. पृथ्वी क्या कहती है ?
3. पृथ्वी शब्द का पर्यायवाची शब्द को लिखिए।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन है ?
5. धैर्य शब्द का विलोम क्या है ?
उत्तर :
1. नभ कहता है कि इतना फैलकर सारा संसार को ढक लो।
2. पृथ्वी कहती है कि “धैर्य न छोडो’। (या) धैर्य न छोडने को पृथ्वी कहती है।
3. पृथ्वी शब्द का पर्यायवाची शब्द है धरती / वसुधा / वसु / जमीन / भूमि / धरा आदि।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।
5. धैर्य शब्द का विलोम शब्द है अधैर्य।

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अपठित पद्यांश :

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. तरुवर फ़ल नहीं खात हैं, सरबर पियहि न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति संचहि सुजान ॥

प्रश्न :
1. सुजान संपत्ति को किसके लिए संचित करता है ?
2. तरुवर क्या नहीं खाते हैं ?
3. तरुवर शब्द का अर्थ क्या है ?
4. सरवर क्या नहीं पीता ?
5. “सुजान” शब्द का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर :
1. सुजान संपत्ति को परकाज हित के लिए संचित करता है।
2. तरुवर फल नहीं खाते हैं।
3 तरुवर शब्द का अर्थ है पेड।
4. सरवर पानी नहीं पीता है।
5. सुजान शब्द का विलोम शब्द है- दुर्जन।

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II. तुलसी मीठे वचन तै, सुख उपजत चहूँ ओर।
वसीकरण वह मन्त्र हैं, परिहरु वचन कठोर॥

प्रश्न :
1. किन वचनों से चारों ओर सुख उपजता है ?
2. वसीकरण मंत्र क्या है?
3. “सुख” शब्द का विलोम शब्द क्या है ?
4. “परिहरु” शब्द का अर्थ क्या है ?
5. कैसे वचनों को छोड़ देना चाहिए?
उत्तर :
1. मीठे वचनों से चारों ओर सुख उपजता है।
2. मीठे वचन वशीकरण मंत्र हैं।
3. सुख शब्द का विलोम शब्द ‘दुख’ है।
4. परिहरु शब्द का अर्थ है ‘छोड़ देना।
5. कठोर वचनों को छोड़ देना चाहिए।

III. धरती के सूखे होठों पर, लाली का छा जाना।
होता कितना सुंदर जग में है बसंत का आना॥

प्रश्न :
1. इस दोहे में किस ऋतु का वर्णन हुआ है ?
2. सुंदर शब्द का विलोम शब्द क्या है?
3. धरती के होंठ कैसे हैं?
4. “धरती” शब्द का पर्याय शब्द क्या है ?
5. ‘वसंत” में धरती के सूखे होठों पर क्या छा जाता है ?
उत्तर :
1. इस दोहे में वसंत ऋतु का वर्णन हुआ है।
2. सुंदर शब्द का विलोम शब्द है- ‘असुंदर।’
3. धरती के होंठ सूखे हुए हैं।
4. धरती शब्द का पर्यायवाची शब्द है – “पृथ्वी।”
5. वसंत में धरती के सूखे होठों पर लाली छा जाती है।

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IV. कोयल। मुझको जरा बताना,
किसने तुझे सिखाया गाना।
तेरी बोली का मीठापन,
मीठा कर देता है तन मन।
गाती है जब तू उपवन में,
हर्ष उमडता जन – मन में।
सुनकर तेरा ही गाना,
उठते भाव चित्त में नाना।

प्रश्न :
1. कोयल को क्या सिखाया गया है ?
2. कोयल की बोली कैसी होती है ?
3. कोयल की बोली किसे मीठा कर देती है?
4. कोयल जब गाती है तो क्या उमडता है ?
5. ” नाना” शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर
1. कोयल को गाना सिखाया गया है।
2. कोयल की बोली मीठी होती है।
3. कोयल की बोली तन मन को मीठा कर देती है।
4. कोयल जब गाती है तो हर्ष उमडता है।
5. ‘नाना’ शब्द का अर्थ है – “अनेक”।

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V. यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान॥

प्रश्न :
1. “अमृत की खान” कौन है?
2. विष की बेलरी क्या है?
3. सीस दिये तो कौन मिलते?
4. “सीस शब्द का अर्थ क्या है?
5. “सस्ता” शब्द का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर
1. गुरु अमृत की खान है। (या) अमृत की खान गुरु है।
2. विष की बेलरी यह तन है।
3. सीस दिये तो गुरु मिलते।
4. सीस शब्द का अर्थ है “सिर”।
5. सस्ता शब्द का विलोम शब्द है “मुहंगा”

उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

प्रेरणाप्रद कविताओं का संकलन कर उनका पठन करना, भाव समझना प्रकृति के कण- कण में कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है। ये पर्वत, नदियाँ, झरने, पेड़ आदि हमसे कुछ कहते हैं। इनके संदेशों से हम जीवन सफल बना सकते हैं।

ప్రేరణాప్రదమైన కవితలను చదువుట. భావాన్ని అర్థం చేసుకొనుట, ప్రకృతి అణువు అణువులో ఏదో ఒక సందేశం దాగి ఉంటుంది. ఈ పర్వతములు, నదులు, సెలయేళ్ళు, చెట్లు మొదలగునవి మనకు ఏదో చెపుతుంటాయి. వీటి సందేశముల వలన మనం జీవితాన్ని సఫలీకృతం చేసుకోగలము.)

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शब्दार्थ – भावार्थ :

1. पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • शीश = తల, head
  • ऊँचा = ఎత్తైన, tall
  • गहराई = లోతు, depth
  • लहराना = అలలు పై పైకి ఉప్పొంగుట, to ripple

भावार्थ : “प्रकृति की सीख” कविता के कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी हैं। वे कहते हैं कि प्रकृति के कण-कण में कुछ संदेश छिपा रहता है। उन संदेशों से हम अपना जीवन सफल बना सकते हैं।
पर्वत हम से कहता है कि तुम भी अपना सिर उठाकर मुझ जैसे ऊँचे (लंबे) बनजाओ। अर्थ है कि सब में ऊँचा रहना महान गुण है। समुद्र लहराते कहता है कि मैं जैसे गहरा हूँ। वैसे तुम भी अपना मन गहरा और विशाल बनाओ। माने गहराई से सोचो।

భావార్థము: “ప్రకృతి యొక్క నీతి” కవిత రచయిత శ్రీ సోహన్లాల్ ద్వివేది. ప్రకృతిలోని ప్రతీ అణువులో ఏదో ఒక సందేశం దాగి ఉన్నది. ఆ సందేశాల వలన మనము మన జీవితాన్ని సఫలం చేసు కోగలము అని ఆయన చెబుతున్నారు.
నీవు కూడా తల పైకెత్తి నావలె ఉన్నతంగా ఉండు. అంటే అందరిలో ఉన్నతంగా ఉండటం . గొప్ప గుణము. సముద్రము ఉప్పొంగుతూ మనతో అంటోంది-నీవు కూడ నీ మనస్సును లోతైనదిగాను, విశాలముగాను చేసుకో. లోతుగా ఆలోచించు.

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2. समझ रहे हो क्या कहती है,
उठ गिर कर तरल तरंग।
भर लो, भर लो अपने मन में,
मीठे मीठे मृदुल उमंग॥

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • गिरना = పడిపోవుట, to fall
  • तरल = చలించునట్టి, fickle
  • तरंग = తరంగము, అల, wave
  • भरना = నింపుట, to fill
  • मृदुल = కోమలమైన, soft
  • उमंग = ఆశ, ambition

भावार्थ : कवि कहते हैं समुद्र के चंचल तरंग उठ उठकर गिरते हैं। क्या तुम समझ सकते हो कि वे क्या कह रहे हैं ? वे कहना चाहते हैं कि तुम भी उनके जैसे अपने दिल में मीठी और कोमल आशाएँ भर लो क्योंकि आशा को सफल 1 बनाने के प्रयत्न ज़रूर करते हो।

భావార్థము: సముద్రపు చంచలమైన అలలు పైకి లేచి పడిపోతున్నాయి. నీవు అర్థం చేసుకుంటు న్నావా? అవి ఏం చెపుతున్నవో ? నీవు కూడా వాటి వలె నీ మనస్సులో తియ్యని, సుకోమలమైన ఆశలు నింపుకోమని అవి చెప్పతలచుచున్నవి. ఎందుకంటే ఆశను తీర్చుకొనుటకై ప్రయత్నం తప్పక చేస్తావు.

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3. पृथ्वी कहती, धैर्य न छोड़ो,
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता है, फैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार॥

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • पृथ्वी = భూమి, the earth
  • भार = బరువు, భారము, బాధ్యత burden, responsibility
  • नभ = ఆకాశము, sky
  • फैलना = వ్యాపించుట, to spread
  • ढकना = కృప్పట/మూయుట, to cover

भावार्थ : धरती हम से कहती है कि चाहे जितनी बडी ज़िम्मेदारी तुम्हें पूरी करनी है, धैर्य के साथ उसे पूरा करो। आकाश कहता है कि मुझ जैसा पूरा फैलकर सारी दुनिया ढक लो। माने महान बनकर सब पर अपना प्रभाव दिखाओ।

భావార్థము : ఎంత గొప్ప బాధ్యతను నీవు పూర్తి చేయవలసి ఉన్నా ధైర్యంగా దానిని పూర్తి చెయ్యమని, భూమి చెబుతున్నది. నా వలె పూర్తిగా వ్యాపించి నీ ప్రపంచాన్ని కప్పివేయమని ఆకాశం చెబుతున్నది. అనగా నీ ప్రభావాన్ని అందరి మీద చూపించమని ఆకాశం అంటున్నది.

TS 9th Class Hindi Guide 3rd Lesson बदलें अपनी सोच

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 3rd Lesson बदलें अपनी सोच Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 3rd Lesson Questions and Answers Telangana बदलें अपनी सोच

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏమి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में एक लडकी कुत्ते को संभालकर पडकना दिखाई दे रहा है।

प्रश्न 2.
जीव-जंतुओं के प्रति हमें कैसी भावना रखनी चाहिए?
(పశు-పక్ష్యాదుల పట్ల మనకు ఎలాంటి భావన ఉండాలి?)
उत्तर :
संसार में हमारे साथ अनेक जीव-जंतु रहते हैं। वे सभी भी हमारे साथी हैं। ऐसे जीव-जंतुओं से प्रेम भाव रखते उनकी रक्षा करने की भावना रखनी चहिए।

TS 9th Class Hindi Guide 3rd Lesson बदलें अपनी सोच

प्रश्न 3.
प्रकृति के संरक्षण में हम क्या योगदान दे सकेत हैं?
(ప్రతి సంరక్షణలో మనం ఎలా సహకరించగలం?)
उत्तर :
प्रकृति हमारा रक्षा कवच है। इसका संरक्षण करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। इसके लिए हम गंदगी न फैलाते, हरियाली को बनाये रखते, पेड – पौधो को न काटकर, नये पेडो को लगाते, पर्यावरण को साफ़ व शुद्ध रखकर, भू, जल, वायु, ध्वनि आदि से होनेवाले प्रदूषण दूर करके प्रकृति संरक्षण कर सकते है।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం జవాబును ఇవ్వటం) :

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు తెలపండి)

प्रश्न 1.
इस धरती पर पेड़-पौधों का होना क्यों आवश्यक है? प्रकृति संरक्षण के लिए आप कौनसे क़दम उठायेंगे?
(ఈ భూమిపై చెట్లు మొక్కలు ఉండడం ఎందుకు అవసరం. ప్రకృతిని రక్షించుటకు మీరు ఎటువంటి చర్యలు తీసుకుంటారు?)
उत्तर :
विशाल और अक्षुण्ण धरती पर ईश्वर द्वारा दी गयी अमूल्य देन है प्रकृति। धरती पर स्थित समस्त प्राणि काटि का प्राणाधार यही प्रकृति है। प्रकृति में हर जगह पेड पौधे लगे रहते हैं। ये प्रकृति के अभिन्न अंग है, और अलंकार भी हैं। इनसे ही प्राणियों को प्राणवायु मिलता है। हमारे वातावरण को ये शुद्ध रखते हैं। उसे मोहक बनाते हैं। वनस्पतियों से भोजन, वस्त्र, औषधियाँ, गृह निर्माण का सामान, उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल मिलता है। हमारे फलों, फूलों और पशुओं के चारे के साधन भी ये ही हैं। जलाने के लिए ईंधन भी इन्हीं से प्राप्त होता है। इनसे ही हमें वर्षा के रूप में पानी मिलता है। पेडों की छाया में प्राणियों को सुख मिलता है। खासकर ये पेड – पौधे हमारे अच्छे मित्र और संरक्षक हैं। अतः स्पष्ट है कि इस धरती पर पेड पौधों का होना आवश्यक है। इनसे ही पर्यावरण में संतुलन बना रहता है।

प्रकृति संरक्षण के लिए :

यथा शक्ति गंदगी न फैलाना
नदी नालियों को साफ़ रखना
कूडा करकट डिब्बों में डालना
खुले में मल मूत्र विसर्जन न करना

(విశాలమైన మరియు సమస్త భూమిపై ఈశ్వరుని ద్వారా ఇవ్వబడిన అమూల్యమైన కానుక ప్రకృతి. భూమిపై నున్న సమస్త ప్రాణికోటి ప్రాణాధారం ఈ ప్రకృతియే. ప్రకృతిలో ప్రతి చోట చెట్లు – మొక్కలు మొలిచి ఉంటాయి. ఇవి ప్రకృతి యొక్క భేదము లేని అంగాలు, అలంకారాలు కూడా. వీటి ద్వారా మాత్రమే ప్రాణులకు ప్రాణవాయువు లభిస్తుంది. మన పర్యావరణాన్ని ఇవి స్వచ్ఛంగా ఉంచుతాయి. దాన్ని ఆకర్షణీయంగా తయారుచేస్తాయి. చెట్ల ద్వారా భోజనం, వస్త్రం, ఔషధాలు, గృహ నిర్మాణ సామగ్రి, వృత్తికి ఉపయోగపడే సామగ్రి దొరుకుతుంది. మన పండ్ల, పూల మరియు పశుగ్రాస సామగ్రి కూడా ఇవే. ఇంధన వనరులు కూడ వీటి నుండే ప్రాప్తిస్తున్నాయి. వీటి ద్వారా వర్షరూపంలో నీరు లభిస్తుంది. చెట్ల నీడలో ప్రాణులకు సుఖం లభిస్తుంది. ప్రత్యేకించి ఈ చెట్లు – మొక్కలు మన మంచి మిత్రులు మరియు సంరక్షకులు. అందువలన స్పష్టం అవుతుంది ఏమిటంటే ఈ భూమిపై చెట్లు – మొక్కలు ఉండటం చాలా అవసరం. వీటివల్ల మాత్రమే పర్యావరణంలో సమతుల్యత నిలిచి ఉంటుంది.

ప్రకృతిని రక్షించుటకు తీసుకోవలసిన చర్యలు :

సాధ్యమైనంత వరకు అపరిశుభ్రత వ్యాపింపచేయకుండా ఉండటం
నదులు – కాలువలను పరిశుభ్రంగా ఉంచటం
చెత్తా – చెదారం చెత్త డబ్బాలలో వేయడం
బహిరంగంగా మలమూత్ర విసర్జన చేయకుండా ఉండటం

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प्रश्न 2.
युगरत्ना के सवालों के बारे में अपने विचार बताइए।
(యుగరత్న ప్రశ్నల గురించి మీ అభిప్రాయములు తెలపండి/చెప్పండి.)
उत्तर :
युगरत्ना श्रीवास्तव तेरह साल की भारतीय लडकी है। पर्यावरण की रक्षा करने के आशय से उसने संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रभावोत्पादक भाषण दिया। उस भाषण में उसने मानव को जागरूक करते कुछ ज़ोरदार और असरदार प्रश्न पूछे। ये प्रश्न सचमुच महान हैं। हर मानव को इनके बारे में ज़रूर विचारशील बनना है। वास्तव में ये प्रश्न हमारे अज्ञान को दूर कर हमारी ज़िम्मेदारियों को स्पष्ट करनेवाले हैं। हमें अभी निर्णय लेना है। अब भी हम अगर अपनी आँखें नहीं खोलेंगे तो हमारी भावी पीढीवालों का जीवन संदेहात्मक ही होगा। धरणी पर उनका जीवन दूभर हो जायेगा। इतना ही नहीं प्राणिमात्र का अस्तित्व ही अदृश्य हो जायेगा। इस प्रकार के असरदार प्रश्न उठाकर युगरना ने हमें सावधान व जागरूक बनाने की कोशिश की।

(యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ పదమూడు సం॥ల భారతీయ బాలిక, పర్యావరణాన్ని (వాతావరణాన్ని) రక్షించాలనే ఆశయంతో ఆమె ఐక్యరాజ్యసమితిలో విలువైన ఉపన్యాసము ఇచ్చినది. ఆ ఉపన్యాసంలో ఆమె మానవుని చైతన్యవంతుని చేస్తూ కొన్ని శక్తివంతమైన ప్రభావాన్ని కలిగించే ప్రశ్నలు అడిగినది.
ఈ ప్రశ్నలు నిజంగా చాలా గొప్పవి. ప్రతి మానవుడు వీరిని గురించి తప్పక ఆలోచించాలి. వాస్తవంగా ఈ ప్రశ్నలు మన అజ్ఞానాన్ని దూరం చేసి బాధ్యతలను స్పష్టపరిచేవి. మనం ఇప్పుడే నిర్ణయం తీసుకోవాలి. ఇప్పుడైనా మనం మన కళ్ళు తెరవకపోతే మన భావితరం వారి జీవితం అనుమానాస్పదంగానే ఉంటుంది. భూమిపై వారి జీవితం దుర్భరమైపోతుంది. ఇంతేకాదు, ప్రాణి మనుగడే అంతరించిపోతుంది.
ఈ విధమైన ప్రభావాన్ని కలిగించే ప్రశ్నలు అడిగి యుగరత్న మనల్ని జాగృతులను చేసెడి ప్రయత్నం చేసింది.)

आ. पाठ के आधार पर वाक्यों का सही क्रम पहचानिए।।
(పాఠ్యము ఆధారంగా వాక్యముల సరియైన క్రమము గుర్తించండి.)

1. हमें अपनी धरती बचानी होगी। ( )
2. अपने घर को बचा लें …… अपनी धरती माँ को बचा लें ….. ( )
3. हर कक्षा की किताबों में पर्यावरण के पाठ अवश्य होने चाहिए। ( )
4. हमारे पूर्वजों ने हमें स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह दिया था। (1)
उत्तर :
1. 2
2. 4
3. 3
4. 1

इ. अनुच्छेद पढिए। इसके आधार पर तीन प्रश्न बनाइए।
(పేరా చదవండి. దీని ఆధారంగా మూడు ప్రశ్నలు తయారు చేయండి.)
कहाँ से आता है हमारा पानी और फिर कहाँ चला जाता है हमारा पानी ? हमने कभी इसके बारे में कुछ सोचा है? सोचा तो नहीं होगा शायद, पर इस बारे में पढ़ा ज़रूर है। भूगोल की किताब पढ़ते समय जलचक्र जैसी बातें हमें बतायी जाती हैं। बताते समय सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती फिर बरसात की बूँदें और लो फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनारे बसा तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर। चित्र के दूसरे भाग में यही नदी अपने चारों तरफ़ का पानी लेकर उसी समुद्र में मिलती दिखाई देती है।
उत्तर :
1. जलचक्र जैसी बातें हमें कौन सी किताब पढते समय बतायी जाती है ?
2. नदी अपने चारों तरफ़ का पानी लेकर किसमें मिलती दिखाई देती है ?
3. हमने किसके बारे में ज़रूर पढा होगा ?

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ई. इन प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए।
(ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు మూడు వాక్యములలో ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
पर्यावरण के बिगडने से क्या हानि होती है?
(వాతావరణం చెడుట వలన ఏమి నష్టం జరుగుతుంది.)
उत्तर :
हमारे चारों तरफ़ जो प्रकृति है उसे पर्यावरण कहते हैं। यह पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है, इसमें संतुलन होना चाहिए। नहीं तो हमें कई हानियाँ हो सकती हैं।

प्राणिमात्र के लिए आवश्यक आक्सिजन की मात्रा कम हो जायेगी।
स्वच्छ और साफ़ पानी नहीं मिलेगा।
ऋतुएँ सही समय पर नहीं आयेंगी।
वर्षा नियमित रूप से नहीं होगी। होगी भी तो अतिवृष्टि या अनावृष्टि बनी रहेगी।
हम सब मानवों को कई बीमारियों का सामना करना पडेगा।
भूमंडल पर प्राणिमात्र का जीवन संदेहात्मक होगा।

(మన చుట్టు ప్రక్కల ఉన్న ప్రకృతిని పర్యావరణం (వాతావరణం) అంటాము. ఈ పర్యావరణము మన రక్షాకవచము. దీనిలో సమతౌల్యము ఉండాలి. లేకపోతే మనకు అనేక నష్టాలు జరుగగలవు.

ప్రాణికోటికి అవసరమైన ఆక్సిజన్ పరిమాణము తగ్గిపోతుంది.
స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన నీరు లభించదు.
ఋతువులు సరియైన సమయంలో రావు.
వర్షములు సకాలంలో కురియవు. కురిసినా అతివృష్టిగాని అనావృష్టిగాని ఏర్పడుతుంది.
మన మానవులందరు అనేక రకముల జబ్బులను ఎదుర్కొనవలసి ఉంటుంది.
భూమిపైన ప్రాణికోటి ఉనికి సందేహాత్మకమవుతుంది.)

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प्रश्न 2.
प्रदूषण को रोकने के उपाय क्या हैं?
(కాలుష్య నివారణకు ఉపాయాలు ఏమిటి?)
उत्तर :
पर्यावरण समस्त जीवकोटि का प्राणधार है। प्रत्येक प्राणि के लिए आवश्यक जल, वायु, आहार आदि प्रकृति से ही मिलते हैं, बढती हुई आबादी और विज्ञान की उन्नति के कारण पर्यावरण में प्रदूषण फैल रहा है। प्रदूषण चार प्रकार के हैं। वे हैं 1) भूमि प्रदूषण, 2) जल प्रदूषण, 3) वायु प्रदूषण, 4) ध्वनि प्रदूषण इनसे हमारे आसपास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है और सब जीवों पर इसका बुरा असर पड रहा है। अनेक हानियाँ पहुँच रही हैं। अब हमें इस विनाशकारी प्रदूषण रोककर पर्यावरण को बचा लेना अत्यंत आवश्यक है। हम इसके लिए निम्न प्रकार के उपाय अपना सकते हैं।

यथा शक्ति गंदगी न फैलाना
नदी नालियों को साफ़ रखना
कूडा करकट डिब्बों में डालना
खुले में मल मूत्र विसर्जन न करना
परंपरागत ईंधन का उपयोग न करना
मक्खी मच्छर नाशक दवाओं का उपयोग करना
अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना
लोगों को प्रदूषण रोकने के आवश्यक सुझाव व सलाह देना। खासकर पेड-पौधों के रोपण से पर्यावरण को ज़्यादा संतुलित कर सकते हैं।
इस प्रकार के संस्कारणों को बनाये रखने से पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं।

(పర్యావరణం సమస్త జీవకోటి ప్రాణాధారం. ప్రతి ఒక్క ప్రాణికి అవసరమైన నీరు, వాయువు, ఆహార పదార్థాలు ప్రకృతి నుండే లభిస్తాయి. పెరుగుతున్న జనాభా, వైజ్ఞానిక అభివృద్ధి కారణంగా పర్యావరణంలో కాలుష్యం వ్యాపిస్తున్నది. కాలుష్యం నాలుగు రకాలు. అవి 1. భూమి కాలుష్యం, 2. జల కాలుష్యం, 3. వాయు కాలుష్యం 4. ధ్వని కాలుష్యం. వీటి ద్వారా చుట్టుప్రక్కల వాతావరణం కలుషితం అవుతుంది, అన్ని జీవులపై దీని చెడు ప్రభావం పడుతూ ఉన్నది. అనేకమైన నష్టాలు జరుగుతున్నాయి. ఇప్పుడు మనం ఈ వినాశకారి కాలుష్యాన్ని నివారించి, పర్యావరణాన్ని కాపాడుకోవడం అత్యంత ఆవశ్యకం. మనం దీని కోసం కింది విధమైన ఉపాయాలు అవలంబించవచ్చు.

సాధ్యమైనంత వరకు అపరిశుభ్రత వ్యాపింపచేయకుండా ఉండటం
నదులు – కాలువలను పరిశుభ్రంగా ఉంచటం
చెత్తా – చెదారం చెత్త డబ్బాలలో వేయడం.
బహిరంగంగా మలమూత్ర విసర్జన చేయకుండా ఉండటం.
వారసత్వ ఇంధనం ఉపయోగించకుండా ఉండటం
ఈగ-దోమల నాశక మందులను ఉపయోగించటం
అధికంగా మొక్కలను నాటడం
కాలుష్యాన్ని నివారించే అవసరమైన సలహాలు ప్రజలకు ఇవ్వటం, ప్రత్యేకించి చెట్లు – మొక్కలు నాటడం ద్వారా పర్యావరణాన్ని అధికంగా సమతుల్యపరచగలము.
ఇటువంటి సంస్కరణల వల్ల పర్యావరణ సంరక్షణ చేయగలము.)

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अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

प्रश्न 1.
पर्यावरण के बिगडने से आगामी भविष्य में और कैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
(పర్యావరణం చెడిపోవుట వలన రాబోయే (సమీప) భవిష్యత్తులో ఇంకా ఎలాంటి సమస్యలు ఏర్పడగలవు?)
उत्तर :
पर्यावरण के बिगडने से आगामी भविष्य में ये समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
पीने के लिए पानी की कमी होगी।
पर्यावरण बिगडने के कारण कई बीमारियाँ फैलेंगी।
प्रशांत महासागर का पानी का स्तर बढ़ेगा।
आम्ल और क्षार वर्षों की संभावना होगी।
वातावरण में अधिक तापमान बढ़ेगा।
अतिवृष्टि या अनावृष्टि की संभावना, अकाल की संभावना है।

(పర్యావరణం (వాతావరణం) చెడిపోవుట వలన సమీప భవిష్యత్తులో ఇంకా ఇలాంటి సమస్యలు ఉత్పన్నమవ్వవచ్చు.
త్రాగునీరు తగ్గిపోవచ్చు.
శుద్ధమైన నీరు లభించకపోవచ్చు.
పర్యావరణం (వాతావరణం) చెడిపోవడం వలన ఎన్నో జబ్బులు వ్యాపించును.
హిమాలయాలు కరిగిపోవును.
ధృవపు ఎలుగుబంట్లు చనిపోవును.
పసిఫిక్ మహాసముద్రంలో నీరు పెరిగిపోవును.
భూమి కాలుష్యంతో నిండిపోవును.
ఆమ్ల – క్షార వర్షాలు కురియును.
వాతావరణం ఎక్కువ వేడెక్కిపోపును.
అతివృష్టి లేదా అనావృష్టి సంభవింపవచ్చు.
కరువు కాటకాలు ఏర్పడవచ్చును.)

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प्रश्न 2.
जल संरक्षण कैसे किया जा सकता है? अपने विचार बताइए।
(జలసంరక్షణ ఎలా చేయబడగలుగుతుంది? మీ అభిప్రాయాలను తెలియజేయండి.)
उत्तर :
प्राणिमात्र के लिए जीवन बिताने पानी आवश्यक है। ऐसे अमूल्य पानी का संरक्षण हमारा खास धर्म है। पानी के बिना प्राणिकोटि का जीवन दुर्भर है।
हमारे पवित्र भारत में अनेक जीव नदियाँ बहती हैं। उन नदियों के पानी का सदुपयोग न करने से और हमारे अज्ञान से किये जाने वाले कार्यों से भारत में भी पानी की तंगी बनी हुयी है। इसे दूर करके जल संरक्षण करने का महत्वपूर्ण काम करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। इसके लिए निम्न विषयों पर हमें ध्यान देना है।

वर्षा के पानी का अधिक भाग धरती के अंदर जाने का प्रयत्न करना है।
पानी के बहनेवाले नाले और तालाब अगर मिट्टी से भर जायें तो मिट्टी निकाल कर उनमें अधिक पानी जमा रहने का यत्न करना है।
छोटी-छोटी खाइयाँ खोदकर वर्षा के पानी का बचाव करना है।
जल संपत्ति का सावधानी से उपयोग करना है।
छोटे बच्चों को बाल्यावस्था से ही जल संरक्षण का महत्व समझाते कम मात्रा में पानी का उपयोग करना सिखाना है।
जहाँ तक हो सके पानी का दुरुपयोग न होने देना है।
स्वयं पानी का बचत करते हुए, इसका महत्व सबको समझाते, आवश्यक कदम उठाने सरकार को भी हमें जगाना है।

(ప్రాణులకు జీవితం గడపడానికి నీరు అవసరము. అటువంటి విలువ గల నీటిని సంరక్షించుట మన ముఖ్య ధర్మం. నీరు లేకుండా ప్రాణికోటి జీవితం దుర్భరం.
మన పవిత్ర భారతదేశంలో అనేక జీవనదులు ప్రవహిస్తున్నాయి. ఆ నదుల నీటిని సద్వినియోగము చేసుకొనకపోవడం వలన, మన అజ్ఞానంతో కూడిన పనుల వలన భారతదేశంలో నీటికొరత ఏర్పడి ఉన్నది. దీనిని దూరం చేసి జలసంరక్షణ చేసే ముఖ్యమైన పని చేయడం మన మొదటి కర్తవ్యం. ఇందుకోసం క్రింద ఇవ్వబడిన విషయాలపై శ్రద్ధ చూపాలి.
వర్షం నీరు అధిక భాగం భూమి లోపలికి వెళ్ళుటకు ప్రయత్నం చెయ్యాలి.
నీరు ప్రవహించే కాలువలు, చెరువులు మట్టితో పూడినట్లయితే, మట్టి తీసి వానిలో ఎక్కువగా నీరు నిల్వ ఉండే ప్రయత్నం చెయ్యాలి.
జలసంపదను జాగ్రత్తగా ఉపయోగించాలి.
చిన్న పిల్లలకు బాల్యకాలము నుండే జలసంరక్షణ విలువను తెలియచెబుతూ నీటిని తక్కువగా ఉపయోగించడం నేర్పించాలి.
అవకాశం ఉన్నంతవరకు నీటిని వృథా కానివ్వరాదు.
స్వయంగా నీటిని సంరక్షిస్తూ దీని విలువను అందరికీ తెలియజేస్తూ, అవసరమైన పనులు జరిగేటందుకు ప్రభుత్వాన్ని కూడా మనం మేల్కొలపాలి.)

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प्रश्न 3.
युगरत्ना के स्थान पर आप होते तो कौन कौन से प्रश्न उठाते ?
(యుగరత్న స్థానంలో మీరు ఉంటే ఏయే ప్రశ్నలను లేవనెత్తేవారు ?)
उत्तर :
युगरत्ना के स्थान में यदि मैं होता तो ये प्रश्न पूछता।

हिमालय पिघलता जा रहा है। धृवीय भालू मरते जा रहे हैं। हर पाँच में से दो व्यक्तियों को पीने का साफ़ पानी नहीं मिलता। लुप्त होने वाले पेड पौधों को खोने की हालत में हैं। प्रशांत महासागर के पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। क्या हम अपने भविष्य की पीढी को यही देने
हमारे पूर्वजों ने हमें स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह दिया था, और हम क्या कर रहे हैं?
हम अपने भविष्य की पीढी को प्रदूषित और बिगडी हुई धरती देने जा रहे हैं। क्या ऐसा करना?
हमें अपनी धरती बचानी होगी। अब यह काम यहाँ नहीं होगा तो कहाँ होगा ? अब नहीं होगा तो कब होगा ? हम नही करेंगे तो कौन करेगा?
क्या पर्यावरणीय समस्याओं की पहचान किसी भौगोलिक, राजनैतिक सीमाओं और आयुसमूहों के दायरे में होती है ?
यदि राष्ट्र की सुरक्षा, शाति और आर्थिक विकास ही आपके लिए ज़रूरी है, तो पर्यावरण बदलाव ज़रूरी मुद्दा क्यों नहीं होना चाहिए ?

(యుగరత్న స్థానంలో నేను ఉన్నట్లయితే ఈ ప్రశ్నలను అడుగుతాను –
హిమాలయము కరుగుతూ ఉన్నది. ధృవప్రాంతపు ఎలుగులు చనిపోతూ ఉన్నవి. ప్రతి ఐదుగురిలో ఇద్దరికి స్వచ్ఛమైన నీరు అందటం లేదు. అంతరించిపోతున్న చెట్లు, మొక్కలను పోగొట్టుకునే స్థితిలో ఉన్నాము. మన భవిష్య తరానికి ఇదేనా మనము ఇచ్చేది ?
మన పూర్వీకులు మనకు స్వచ్ఛమైన, ఆరోగ్యవంతమైన గ్రహమును ఇచ్చారు, మరి మనం ఏమి చేస్తున్నాము?
మనము మన భవిష్యత్ తరానికి కలుషితమైన, పాడైన భూమిని ఇవ్వబోతున్నాము. అలా చేయడం సరియైనదేనా?
మనము మన భూమిని రక్షించుకోవాలి. ఇక్కడ ఈ పని జరుగకపోతే, ఎక్కడ జరుగుతుంది ? ఇప్పుడు జరుగకపోతే ఎప్పుడు జరుగుతుంది ? మనము చెయ్యకపోతే ఎవరు చేస్తారు?
పర్యావరణ సమస్యల గుర్తింపు ఏదేని భౌగోళిక, రాజనైతిక హద్దులు, జీవశక్తి సమూహముల పరిధిలో ఉంటుందా?
దేశ రక్షణ, శాంతి, ఆర్థికాభివృద్ధే మీకు అవసరమైతే వాతావరణ మార్పు అవసరమైన విషయము ఎందుకు కాకూడదు?)

आ. इस भाषण लेख का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(ఈ ఉపన్యాసం యొక్క సారాంశం మీ మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
‘बदलें अपनी सोच यह भाषण लेख है। यह भारत की लाडली तेरह वर्षीय बालिका युगरना श्रीवास्तव का दिया हुआ भाषण है। यह विचारात्मक भाषण 2009 सितंबर में संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया गया है। इसमें युगरना ने बिगडी पर्यावरण को सुधारकर भावी पीढी को स्वच्छ और जीवनोपयोगी धरती दिलाने की बात पर ज़ोर दिया।

अपने महत्त्वपूर्ण भाषण में उसने कहा कि आज की हालत बहुत नाजुक है। क्योंकि हमारा हिमालय. पिघलता जा रहा है। जनता में आधे लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। पर्यावरण को संतुलित करनेवाले महान पेड-पौधे अदृश्य हो रहे हैं। सागरों के पानी का स्तर बढ रहा है। धृव प्रांत के भालू मरते जा रहे हैं। ये सभी पर्यावरण की बिगडती हालते हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह दिया। लेकिन हम अपनी भविष्य पीढी को बिगडी हुयी धरती देने जा रहे हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। हमें जागरूक होकर आवश्यक कदम उठाकर अपनी धरती माँ को बचा लेना है, यह काम अभी नहीं होगा तो कभी नहीं होगा।

मान्य सज्जनों। आप हमारी आवाज़ सुनिए। भविष्य के लिए दृढ इरादें लेने का यही सही समय है। मज़बूत नेतृत्व की ज़रूरत है। हाइटेक समाज बनालेने से या बैंकों में करोड़ों रुपये जमा करने से हम अपनी धरती नहीं बचा सकते। अब हर बालक को पर्यावरण की शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा। हर कक्षा की किताबों में पर्यावरण के पाठ ज़रूर देने चाहिए। सस्ती और अच्छी जैवमित्र तकनीकों में तरक्की होनी चाहिए। फिर से प्राप्त कर सकनेवाले ( संसाधनों ) का उपयोग होना चाहिए।

पर्यावरण संबन्धी समस्याएँ किसी भौगोलिक, राजनैतिक, सीमाओं और आयु समूहों की परिधि में नहीं होती हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वह इस महत्वपूर्ण विषय को प्राधान्यता देकर ऐसे विषयों पर एक दूसरे से बातचीत करवानी है। मुख्यतः इस विचारशील चर्चा में बच्चों और युवा पीढिवालों को भी अपने उद्देश्य प्रकट करने का मौका दिलाये।

राष्ट्र सुरक्षा, शांति और आर्थिक विकास के जैसे ही पर्यावरण बदलाव भी एक मुख्य विषय है। अतः मेरी आशा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ मानवीय दृष्टिकोण से सोचकर, पुरानी बातें भूलकर नये कदम उठायेगा। हमें भी भविष्य के संरक्षण के लायक काम करने चाहिए आप कोई नीति बना रहे हैं तो नादान बच्चे और अदृश्य हो रहे जानवरों को भी नज़र में रखें।

परम पूज्य महात्मा गाँधीजी ने स्पष्ट कह दिया कि धरती के पास सभी की आवश्यकताएँ पूर्ति करने की क्षमता है न कि किसी के लालच की। वास्तव में परमात्मा ने हमको सोचने की बुद्धि दी है। इसका उपयोग करके हम ज़रूरी बदलाव और सुधार ला सकते हैं। इसलिए हम आगे बढ़ें। अपनी धरती को, जन्मभूमि को बचा लें।

(‘మార్చుదాం మన ఆలోచనను’ ఇది ఉపన్యాస పాఠము.’ ఇది భారతదేశ గారాలపట్టి (ముద్దుబిడ్డ) 13 సం||ల బాలిక యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ ద్వారా ఇవ్వబడిన ఉపన్యాసము. ఆలోచింపజేసే ఈ ఉపన్యాసం 2009 సెప్టెంబరులో ఐక్యరాజ్యసమితిలో ఇవ్వబడింది. దీనిలో యుగరత్న కలుషితమవుతున్న పర్యావరణాన్ని మెరుగుపరచి భవిష్యత్ తరానికి స్వచ్ఛమైన, జీవనానికి ఉపయోగపడేటటువంటి భూమిని ఇచ్చే విషయాన్ని బలపర్చింది.

తన విలువైన ఉపన్యాసంలో తను అన్నది. ఈనాటి పరిస్థితి చాలా అపాయకరంగా ఉన్నది. ఎందుకంటే మన హిమాలయం కరిగిపోతూ ఉన్నది. జనాభాలో సగం మందికి త్రాగునీరు దొరకటం లేదు. పర్యావరణాన్ని సమతుల్యం చేసే చెట్లు – మొక్కలు అదృశ్యమైపోతూ ఉన్నాయి. సముద్రాల నీటి ప్రమాణము పెరుగుతూ ఉన్నది. ధృవప్రాంతపు ఎలుగుబంట్లు చనిపోతూ ఉన్నవి. ఇవన్నీ పర్యావరణపు క్షీణిస్తున్న పరిస్థితులు. మన పూర్వీకులు ‘మనకు స్వచ్ఛమైన, ఆరోగ్యకరమైన గ్రహాన్ని ఇచ్చారు. కాని మనం మన భవిష్యత్ తరానికి పాడైపోయిన (క్షీణించిన) భూమిని ఇవ్వబోతూ ఉన్నాం. ఇలా చేయడం సరికాదు. మనం జాగరూకులమై అవసరమైన జాగ్రత్తలు తీసుకుని మన భూమిని కాపాడుకోవాలి. ఈ పని ఇప్పుడు కాకపోతే, ఎప్పటికీ కాదు.

గౌరవనీయులైన సభాసదులారా ! మీరు మా పిలుపు వినండి. భవిష్యత్తు కోసం దృఢమైన నిర్ణయాలు తీసుకోవాల్సిన సమయం ఇదే. దృఢమైన నాయకత్వం అవసరం. హైటెక్ సమాజం నిర్మించుకోవడం వల్లగాని లేదా బ్యాంకులలో కోట్ల రూపాయలు జమ చేసుకోవటం వల్లగాని మనం మన భూమిని కాపాడుకోలేము. ఇప్పుడు ప్రతి బాలునికి పర్యావరణ అధ్యయనం పట్ల జాగరూకుణ్ణి చేయాలి. ప్రతి తరగతి పుస్తకాలలో పర్యావరణ పాఠాలు తప్పక ఇవ్వాలి. చౌక, జీవులకు ఉపయోగపడే పద్ధతులలో అభివృద్ధి జరగాలి. మరల పొందగలిగే
వనరులను ఉపయోగించాలి.

పర్యావరణ సంబంధిత సమస్యలు భౌగోళిక, రాజనైతిక హద్దులలో జీవ సమూహాల పరిధిలో ఉండవు. ఇటువంటి గొప్ప విషయానికి ప్రాధాన్యతనిచ్చి ఇలాంటి విషయంపై ఒకరినొకరితో చర్చింపచేయాలి. ముఖ్యంగా ఈ విచారింపతగిన చర్యలో పిల్లలు, యువతరం వారికి కూడా తమ అభిప్రాయాలు తెలియజేసే అవకాశం ఇప్పించాలి.

దేశ సురక్ష, శాంతి మరియు ఆర్థికాభివృద్ధి లాగే పర్యావరణ మార్పు కూడా ఒక ముఖ్య విషయము. ఐక్యరాజ్యసమితి మానవతా దృక్పథంతో ఆలోచించి, గడిచిన విషయాలను మరచి ముందడుగు వేస్తుందని ఆశిస్తున్నాను. మనం భవిష్య సంరక్షణ పనులు చేయాలి. మీరు ఏదైనా పద్ధతిని రూపొందిస్తున్నట్లయితే అమాయకపు పిల్లల్ని, అంతరించిపోయే జీవుల్ని కూడా దృష్టిలో పెట్టుకోవాలి.

పరమపూజ్యులైన మహాత్మాగాంధీ స్పష్టంగా ఏమన్నారంటే భూమికి అందరి అవసరాలను తీర్చే సామర్థ్యం ఉంది. ఎవరి దురాశను కాదు. వాస్తవానికి పరమాత్ముడు మనకు ఆలోచించగలిగే తెలివి ఇచ్చాడు. దీనిని ఉపయోగించి మనం అవసరమైన మార్పులు, సంస్కరణలు తీసుకురాగలము. అందుకు మనం ముందడుగు వేద్దాం. మన భూమిని, జన్మభూమిని కాపాడుకుందాం.)

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इ. ‘प्रकृति सरंक्षण’ पर पाँच नारे लिखिए।
(‘ప్రకృతి సంరక్షణ’ పై ఐదు నినాదాలు రాయుము.)
उत्तर :
1. सच्चे मानव बनो – प्रकृति संरक्षण अपना धर्म मानो।
2. प्राणि मात्र का ध्यान रखो – यथा शक्ति प्रकृति संरक्षण करो।
3. जीवन सुखमय बनाना है – प्रकृति संरक्षण में अपना तन-मन लगाना है।
4. मानव जीवन लक्ष्य एक ही है – प्रकृति संरंक्षण ही सर्वोपरि है।
5. निर्धन, निर्बल, बेनाम जो भी हो – प्रकृति संरक्षण करके यशस्वी बनो।

1. నిజాయితీ గల మానవుడిగా తయారవు – ప్రకృతి సంరక్షణ మీ ధర్మం అనుకో..
2. ప్రతి ప్రాణిపై దృష్టి పెట్టు – సాధ్యమైనంత మేర ప్రకృతిని సంరక్షించు.
3. జీవనం సుఖమయం చేయాలి – ప్రకృతి సంరక్షణలో మన శరీరం – మనస్సు అంకితం చేయాలి.
4. మానవ జీవిత లక్ష్యం ఒక్కటే – ప్రకృతి సంరక్షణే అన్ని విధాల శ్రేయస్కరం.
5. నిర్ధన, నిర్బల, పేరు లేనివారు ఎవరైనా కాని – ప్రకృతిని సంరక్షించి యశస్విగా తయారవు.

ई. युगरना के भाषण में तुम्हें कौन सी बात सबसे अच्छी लगी और क्यों ?
(యుగరత్న ఇచ్చిన ఉపన్యాసంలో నీకు అన్నిటికన్నా మంచిది అనిపించిన విషయము ఏమిటి? ఎందుకు?)
उत्तर :
युगरना श्रीवास्तव तेरह वर्षीय भारतीय लाडली है। उसने संयुक्त राष्ट्र संघ में जो प्रभावोत्पादक भाषण दिया, सचमुच विचारने योग्य है। अपने भाषण में उसने पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति हमारा ध्यान आकृष्ट किया। आज की दयनीय स्थिति को सुधारने, आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी। इस तरह उसने अपने भाषण में हम मानवों की ज़िम्मेदारियों की याद दिलायी।

उसने संघ के बैठक में एकत्रित हुए सज्जनों के सामने दिये भाषण में मुझे “धरती और उसका संरक्षण” बात अच्छी लगी। क्योंकि साफ़ और स्वच्छ धरती के बिना प्राणिकोटि का जीवन असंभव है। ऐसी धरती सदा सलामत रहे। इसके लिए धरती को हरा-भरा रखना है। पर्यावरण में अनेक पेड-पौधे और जीव जंतु हैं। वे सब अपनी ज़िम्मेदारी निभाकर धरती को स्वस्थ और साफ़ रखते हैं। हम मानव तो ज्ञान रखनेवाले हैं। फिर भी अपनी बुद्धिहीनता से किये जानेवाले अकृत्यों से धरती और पर्यावरण की हानि हो रही है। यह अच्छी बात नहीं है।

हमारे पूर्वजों ने हमें जो साफ़, स्वच्छ, पवित्र धरती दी है हम भी उसे वैसे ही अपनी भावी संतान को सौंपना है। इससे वे अपना जीवन सुख से बिता सकेंगे। भावी संतान के लोगों को सुख जीवन बिताने का मौका देना हमारा मानवोचित धर्म है। अतः अपनी बुद्धि का उपयोग करते हम अब भी परिवर्तन और सुधार ला सकते हैं। अपने आप आगे बढकर आवश्यक प्रयत्न हम करेंगे। अपने परिवार अपनी धरती, अपने पर्यावरण की सुरक्षा में हम सब प्रयत्नशील बनेंगे।

(యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ పదమూడు సంవత్సరముల భారతీయ బాలిక. ఆమె ఐక్యరాజ్యసమితిలో ఇచ్చిన గంభీరమైన ఉపన్యాసం నిజంగా ఆలోచించతగినది. తన ఉపన్యాసంలో ఆమె వాతావరణాన్ని (ప్రకృతిని కాపాడుకోవాల్సిన విషయం వైపు మన దృష్టిని మరల్చింది. ఈనాటి దయనీయస్థితిని సరిదిద్దుటకు, అవసరమైన పనులు ప్రారంభించెడి సలహా ఇచ్చినది. ఈ విధంగా తన ఉపన్యాసంలో మన మానవులకు బాధ్యతలను గుర్తు చేసింది.

ఆమె సమితి మీటింగ్ హాజరైన మహానుభావుల సమక్షమున ఇచ్చిన ఉపన్యాసములో “భూమి, దాని పరిరక్షణ” విషయం బాగా నచ్చింది. ఎందుకంటే స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన భూమి లేకపోతే ప్రాణుల మనుగడ అసంభవము. అట్టి భూమి ఎల్లప్పుడూ క్షేమంగా ఉండాలి. అందుకోసం భూమిని పచ్చదనంతో ఉంచాలి. పర్యావరణంలో చాలా చెట్లు, మొక్కలు, జీవ జంతువులు నివసిస్తున్నాయి. అవి అన్నీ తమ బాధ్యతను నిర్వర్తిస్తూ భూమండలాన్ని చక్కగా ఉంచుతున్నాయి. మానవులమైన మనం జ్ఞానవంతులము. అయినప్పటికీ మన తెలివి తక్కువతనంతో చేసే చెడ్డపనుల వలన భూమికి, పర్యావరణానికి హాని కలుగుతున్నది. ఇది మంచి విషయము కాదు.

మన పూర్వీకులు మనకు స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన, పవిత్రమైన భూమిని ఇచ్చారు. మనం కూడా దానిని అదే విధముగా మన రాబోయే సంతానానికి అందించాలి. దీనితో వారు తమ జీవితాలను సుఖంగా ఉంచుకో గలుగుతారు. భవిష్య సంతానానికి సుఖంగా జీవితం గడిపేందుకు అవకాశం ఇవ్వడం మన మానవతా ధర్మం. కనుక మన తెలివిని ఉపయోగించి మనం ఇప్పుడైనా మార్పులు, సంస్కరణలు తీసుకురావాలి. స్వయంగా ముందడుగు వేసి అవసరమైన పనులు చేయాలి. మన కుటుంబాన్ని, మన భూమిని, మన వాతావరణాన్ని కాపాడుకోవడంలో మనం అభివృద్ధిని సాధించాలి.)

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भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. नीचे दिये गये शब्दों के अर्थ बताकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన శబ్దములకు అర్థములు తెలిపి వాక్యములలో ఉపయోగించండి.)
1. संघ 2. ध्रुवीय 3. लुप्त 4. तकनीक 5 वरदान
उत्तर :
1. संघ = समाज – हम सब संघ में रहते हैं।
2. ध्रुवीय = धृवप्रांत के – ध्रुवीय भालू सफ़ेद होते हैं।
3. लुप्त = ओझल – आजकल कई पौधे लुप्त हो रहे हैं।
4. तकनीक = कौशल – कृत्रिम उपग्रह नई तकनीक से बनाया जाता है।
5. वरदान = वर – यह जीवन भगवान का दिया वारदान है।

आ. सही अर्थवालें शब्द से जोडी बनाइए। (సరియగు అర్ధమునిచ్చు శబ్దముతో జోడించండి.)

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उत्तर :
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इ. नीचे दिये गये वाक्य पढिए। रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన వాక్యములు చదవండి. గీత గీసిన శబ్దములను గమనించండి.)

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उत्तर :
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ई. रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित अव्ययों से कीजिए।
(ఖాళీలను సరియైన అవ్యయములతో పూరించండి.) (वाह !, के नीचे, और)

1. जंगल में साधु जानवर ………….. खूँख्वार जानवर रहते हैं।
2. पेड़ …………. उसकी जडें होती हैं ।
3. ……….. मुझे अच्छे अंक मिले।
उत्तर :
1. और
2. के नीचे
3. वाह !

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परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित किसी निबंध, कहानी या नाटक का सकंलन कीजिए।
(పర్యావరణం మరియు కాలుష్యానికి సంబంధించిన ఏదేని వ్యాసం, కథ లేదా నాటకం సేకరించండి.)
उत्तर :
प्रस्तावना: पर्यावरण का अर्थ है वातावरण पर्यावरण हर प्राणी का रक्षाकवच है। पर्यावरण के संतुलन से मानव का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। विश्व भर की प्राणियों के जीवन पर्यावरण की स्थिति पर निर्भर रहते हैं। आजकल ऐसा महत्वपूर्ण पर्यावरण बिगडता जा रहा है। पर्यावरण में भूमि, वायु, जल, ध्वनि नामक चार प्रकार के प्रदूषण फैल रहे हैं। इन प्रदूषणों के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगडता जा रहा है।

विषय विश्लेषण : भूमि पर रहनेवाली हर प्राणी को जीने प्राणवायु (आक्सिजन) की आवश्यकता होती है। यह प्राणवायु हमें पेड-पौधों के हरे भरे पत्तों से ही मिलता है। इन दिनों पेड पौधों को बेफ़िक्र काट रहे हैं। वास्तव में पेड पौधे ही पर्यावरण को संतुलन रखने में काम आते हैं। ऐसे पेड-पौधों को काटने से पर्यावरण का संतुलन तेज़ी से बिगडता जा रहा है। हमारे चारों ओर के कल कारखान से धुआँ निकलता है। इससे वायु प्रदूषण बढ रहा है। कूडे कचरे को नदी नालों में बहा देने से जल प्रदूषण हो रहा है। वायु जल प्रदूषणों के कारण कई बीमारियाँ फैल रही हैं।

नष्ट : पर्यावरण के असंतुलन से मौसम समय पर नहीं आता। इससे वर्षा भी ठीक समय पर नहीं होती। वर्षा के न होने के कारण अकाल पडता है। कहीं अतिवृष्टि और कहीं अनावृष्टि की हालत भी आती है। ऐसे प्रदूषण को यथा शक्ति दूर करना हम सबका कर्तव्य है। इसके लिए हम सब यह वचन लें और प्रयत्न करें गंदगी न फैलाएँ, कूडा कचरा नदी नालों में न बहायें, उनको सदा साफ़ रखें, पेडों को न काटें। साथ ही नये पेड पौधे लगाकर पृथ्वी की हरियाली बढायें वाहनों का धुआँ कम करें। ऐसा करने से ही पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।

वृक्षो रक्षति रक्षितः

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
पर्यावरण के बिगडने से कैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं ?
(పర్యావరణం చెడిపోవుట వలన ఎటువంటి సమస్యలు ఉత్పన్నమవుతూ ఉన్నాయి?)
उत्तर :
पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है। हमें पर्यावरण को बिगड जाने से बचाना है। इसमें संतुलन ज़रूर होना चाहिए। नहीं तो अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

प्राणिमात्र के लिए आवश्यक आक्सिजन की मात्रा कम हो जायेगी।
स्वच्छ और साफ़ पानी नहीं मिलेगा।
ऋतुएँ सही समय पर नहीं आयेंगी।
वर्षा नियमित रूप से नहीं होगी। होगी भी तो अतिवृष्टि या अनावृष्टि बनी रहेगी।
हम सब मानवों को कई बीमारियों का सामना करना पडेगा।
भूमंडल पर प्राणिमात्र का जीवन संदेहात्मक होगा।

(పర్యావరణము మన రక్షాకవచము. పర్యావరణం చెడిపోకుండా కాపాడాలి. దీనిలో సమతుల్యత ఉండాలి. లేకపోతే అనేక సమస్యలు పుట్టుకు రాగలవు.
ప్రాణి కోటికి అవసరమైన ఆక్సిజన్ పరిమాణము తగ్గిపోతుంది.
స్వచ్చమైన, పరిశుభ్రమైన నీరు లభించదు.
ఋతువులు సరియైన సమయంలో రావు.
వర్షములు సకాలంలో కురియవు. కురిసినా అతివృష్టిగాని అనావృష్టిగాని ఏర్పడుతుంది.
మన మానవులందరు అనేక రకముల జబ్బులను ఎదుర్కొనవలసి ఉంటుంది.
భూమిపైన ప్రాణికోటి ఉనికి సందేహాత్మకమవుతుంది.)

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अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अपठित गद्यांश

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. कन्याकुमारी भारत का दक्षिणी छोर है। इसे कुमारी अंतरीप भी कहते हैं। इसकी सुन्दरता अनुपम है। पुराने ज़माने में पांडिय राजा यहाँ राज करते थे। इसलिए इस जिले को “नांचिलनाडु ” भी कहते हैं। फिर यह केरल राज्य के अधीन था। अब तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी छोर का एक जिला बन गया है। कन्याकुमारी के दक्षिण में हिन्दु, महासागर है। पश्चिम में अरब सागर और पूरब में बंगाल की खाड़ी है।

प्रश्न :
1. भारत की दक्षिणी छोर क्या है ?
2. कन्याकुमारी के दक्षिण में क्या है ?
3. कुमारी अंतरीप किसे कहते हैं ?
4. कन्याकुमारी को पुराने जमाने में क्या कहते थे ?
5. अब कन्याकुमारी किस राज्य के दक्षिणी छोर का एक जिला बन गया है ?
उत्तर:
1. भारत की दक्षिणी छोर कन्याकुमारी है।
2. कन्याकुमारी के दक्षिण में हिन्द महासागर है।
3. कन्याकुमारी को कुमारी अंतरीप कहते हैं।
4. कन्याकुमारी को पुराने ज़माने में “नांचिलनाडु” कहते थे।
5. अब कन्याकुमारी तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी छोर का एक जिला बन गया है।

2. ऐतिहासिक दृष्टि से गोलकोंडा का दुर्ग, कुतुबशाही समाधियाँ, चारमीनार आदि प्रमुख दर्शनीय स्थान हैं। नगर से सात किलोमीटर की दूरी पर गोलकोंडा किला है। यद्यपि यह क़िला पाँच सौ वर्ष | पुराना है, फिर भी आज तक इसके कुछ अंश सुरक्षित हैं। दुर्ग एक पहाड़ी पर बनाया गया। यहाँ से हैदराबाद और सिकिंदराबाद नगर द्वय का सुंदर दृश्य बड़ा ही मनोरम लगता है। इस दुर्ग से एक किलोमीटर की दूरी पर कुतुबशाही वंश के सुलतानों की भव्य समाधियाँ हैं। इनकी विशालता और कला को देखकर कुतुबशाही शासकों के कला प्रेम की प्रशंसा करनी ही पड़ती है।

प्रश्न :
1. दुर्ग किस पर बनाया गया ?
2. नगर द्वय का नाम क्या है ?
3. कुतुबशाही वंश के सुलतानों की भव्य समाधियाँ गोलकोंडा दुर्ग से कितनी दूरी पर हैं ?
4. ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख दर्शनीय स्थान जो इस अनुच्छेद में दिये गये हैं – वे क्या हैं ?
5. इस अनुच्छेद में किस वंश के शासकों के कला प्रेम की प्रशंसा की गयी है ?
उत्तरः
1. दुर्ग एक पहाड़ी पर बनाया गया।
2. नगर द्वय का नाम है- हैदराबाद और सिकिंदराबाद।
3. कुतुबशाही वंश के सुलतानों की भव्य समाधियाँ गोलकोंडा दुर्ग से एक (1) किलोमीटर की दूरी पर हैं।
4. ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख दर्शनीय स्थान जो इस अनुच्छेद में दिये गये हैं वे हैं गोलकोंडा का दुर्ग, कुतुबशाही समाधियाँ और चारमीनार आदि।
5. इस अनुच्छेद में कुतुबशाही वंश के शासकों के कला प्रेम की प्रशंसा की गयी है।

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3. मुहम्मद कुली कुतुबशाह को साहित्य के प्रति रुचि पिता से ही प्राप्त हुई थी। वे कवियों के आश्रयदाता तो थे ही, स्वयं भी एक श्रेष्ठ कवि थे। अरबी, फ़ारसी भाषा के तो ज्ञाता थे ही, साथ ही जनता की भाषा तेलुगु और दक्खिनी में भी उनकी विशेष अभिरुचि थी। उन्होंने दक्खिनी में सैकड़ों गीत लिखें, विभिन्न अवसरों पर उसने दक्खिनी गीतों की रचना की। मुहम्मद कुली कुतुबशाह के गीत जनता में इतने अधिक लोकप्रिय हुए कि उन्हें सार्वजनिक रूप से गाया जाने लगा। बादशाह के कई गीतों ने लोकगीतों का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न :
1. कौन स्वयं एक श्रेष्ठ कवि थे ?
2. मुहम्मद कुली कुतुबशाह को साहित्य के प्रति रुचि किनसे प्राप्त हुई ?
3. कुली कुतुबशाह किस भाषा के ज्ञाता थे ?
4. कुली कुतुबशाह को किस भाषा
में विशेष रुचि थी ?
5. दक्खिनी में सैकडों गीत किन्होंने लिखें ?
उत्तर :
1. मुहम्मद कुली कुतुबशाह स्वयं एक श्रेष्ठ कवि थे।
2. मुहम्मद कुली कुतुबशाद को साहित्य के प्रति रुचि अपने पिता से प्राप्त हुई।
3. कुली कुतुबशाह फ़ारसी भाषा के ज्ञाता थे।
4. कुली कुतुबशाह को तेलुगु और दक्खिनी में विशेष अभिरुचि थी।
5. मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने दक्खिनी में सैकडों गीत लिखें।

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4. उन दिनों गाँधीजी के पिता बीमार थे। गाँधीजी उनके सामने जाकर अपनी बात कहते की हिम्मत न कर सकें। इसलिए उन्होंने एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने मांस खाया है, तंबाकू पी है, चोरी की है, और इसके लिए क्षमा चाहते हैं और प्रण करते हैं कि आगे कभी ऐसा नहीं करेंगे।

प्रश्न :
1. उन दिनों किनके पिता बीमार थे ?
2. गाँधीजी किनके सामने जाकर अपनी बात कहने की हिम्मत न कर सकें ?
3. किसने अपने पिता को पत्र लिखा ?
4. गाँधीजी ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से क्या – क्या स्वीकार किया ?
5. गाँधीजी ने अपने किये गलतियों के लिए पत्र लिखकर पिताजी से क्या माँगा ?
उत्तर :
1. उन दिनों गाँधीजी के पिता बीमार थे।
2. गाँधीजी अपने पिताजी के सामने जाकर अपनी बात कहने की हिम्मत न कर सकें।
3. गाँधीजी ने अपने पिता को पत्र लिखा।
4. गाँधीजी ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने माँस खाया है, तंबाकू पी है और चोरी की है।
5. गाँधीजी ने अपने किये गलतियों पर पत्र लिखकर क्षमा माँगा।

5. नारायण बडा धनी था। वह सदा घमंड के साथ रहता था। वह अपने काम स्वयं करना बडा अपमान समझता था। वह बड़ा आलसी था। इसलिए उसका सारा धन खर्च हो गया। वह अमीर से गरीब बन गया। अनेक नौकरों से सेवा लेनेवाले नारायण को स्वयं रोजगारी के लिए नौकरी करनी पडी। इसे देखकर सब लोगों ने कहा कि कभी गाडी नाव पर कभी नाव गाडी पर।।

प्रश्न :
1. अपने काम स्वयं करना कौन अपमान समझता था ?
2. नारायण कैसा आदमी था ?
3. वह रोज़गारी के लिए क्या करने लगा ?
4. उसका सारा धन क्या हो गया ?
5. इसे देखकर सब लोगों ने क्या कहा ?
उत्तर :
1. अपने काम स्वयं करना नारायण अपमान समझता था।
2. नारायण आलसी, धनी और घमंडी था।
3. वह रोज़गारी के लिए नौकरी करने लगा।
4. उसका सारा धन खर्च हो गया।
5. इसे देखकर सब लोगों ने कहा कि कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము)

भाषण की जानकारी प्राप्त कर भाषण कला में निपुण बनना।
पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करना।
(ఉపన్యాసమును గురించి తెలిసికొని ఉపన్యాస కళలో నైపుణ్యం సాధించుట.
పర్యావరణ సంరక్షణ కొరకు కృషి చేయుట.)

సారాంశము :

ఐక్యరాజ్యసమితిలో మొదటిసారి ఇలా జరిగింది. పదమూడు సంవత్సరాల బాలిక అందరినీ ఆలోచింపచేసింది. ఎవరి వద్దా ఆమె ప్రశ్నలకు జవాబు లేదు. తన ప్రశ్నలతో అందరినీ ఆలోచింపచేసిన ఆ బాలిక పేరు యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్. భారతదేశానికి చెందిన ఈ ముద్దుబిడ్డపై అందరికీ గర్వం.

సెప్టెంబరు 2009లో ఐక్యరాజ్యసమితిలో యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ ఉపన్యాసమిస్తూ ఈ విధంగా అన్నది – హిమాలయము కరుగుతూ ఉన్నది. ధృవప్రాంత ఎలుగులు మరణిస్తూ ఉన్నాయి. ప్రతి ఐదుగురు వ్యక్తులలో ఇద్దరికి త్రాగటానికి పరిశుభ్రమైన నీరు దొరకడం లేదు. నేడు మనం అంతరించిపోయే చెట్లు, మొక్కలను చేజార్చుకునే స్థితిలో ఉన్నాము. ప్రశాంత మహా సముద్రములన్నిటి స్థితి పెరుగుతూనే ఉన్నది. మన భవిష్యత్ తరానికి ఇదే మనము ఇవ్వ బోతున్నామా ? కానే కాదు. మన పూర్వీకులు మనకు స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన గ్రహాన్ని (భూమి) ఇచ్చారు. మనం ఏం చేస్తూ ఉన్నాము? మన భావితరానికి కలుషితమైన భూమిని ఇవ్వబోతున్నాము. ఇలా చేయడం న్యాయమేనా ? శ్రద్ధగా ఆలోచించు. గౌరవనీయులైన సభాసదులారా! మనం ముందడుగు వేయవలసిన సమయం వచ్చింది.

మన భూమిని మనం కాపాడుకోవాలి. మన కోసం కాదు. భవిష్యత్ కోసం కూడా. ఈ పని ఇక్కడ జరుగకపోతే, ఎక్కడ జరుగుతుంది ? ఇప్పుడు కాకపోతే ఎప్పుడు అవుతుంది ? మనం చెయ్యకపోతే ఎవరు చేస్తారు ? మీరు మా మాటను వినండి. భవిష్యత్తు కోసం గట్టి నిర్ణయాలు అవసరం దృఢమైన నాయకత్వం అవసరం. హైటెక్ సమాజాన్ని నిర్మించుకోవడం, బ్యాంకులలో కోట్ల రూపాయలు జమచేసుకోవడం వలన మనం మన భూమిని కాపాడుకోలేము.

ఇక్కడ మన పర్యావరణ సమస్యను పరిష్కరించుకోవడానికే మనం ఒకచోట చేరలేదు. ప్రజల ఆలోచనను మార్చడానికి కూడా ఇక్కడికి చేరాము. ఇప్పుడు ప్రతి పిల్లవానిని పర్యావరణ విద్య యెడ చైతన్యవంతుని చెయ్యాలి. తరగతి పుస్తకాలలో పర్యావరణ పాఠాలు తప్పక ఉండాలి. అభివృద్ధిని ఆపమని నేను చెప్పడం లేదు. చౌక, జీవులకు ఉపయోగపడే మంచి పద్ధతులలో అభివృద్ధి జరగాలి. మరల పొందగలిగే వనరులను ఉపయోగించాలి అని నేను చెప్పతలచుకొన్నాను. నేను ప్రపంచ నాయకులనందరిని రెండు ప్రశ్నలు అడగదలచుచున్నాను.

పర్యావరణ (వాతావరణ) సమస్యల పరిచయము (గుర్తింపు) ఏదేని భౌగోళిక, రాజనైతిక, హద్దులలో, జీవ శక్తి సమూహ పరిధిలో ఉంటుందా ? నా సమాధానము నిశ్చయంగా కాదు. ఇందుకోసమే ఐక్యరాజ్యసమితి ఉన్నది. వారు అటువంటి అభిప్రాయములపై ఒకరితో ఒకరిని సంభాషింపచేయాలి. ఈ సంభాషణ(చర్చ)లో పిల్లల, యువకుల ఉద్దేశ్యాలను కూడా జోడించాలి.

దేశ సురక్ష, శాంతి, ఆర్థికాభివృద్దే మీకు ముఖ్యమైనపుడు, పర్యావరణ మార్పు ముఖ్యమైన విషయము ఎందుకు కాకూడదు 2. ఐక్యరాజ్యసమితి మానవతా ధృక్పథంతో ఆలోచిస్తుందని, గడచిన విషయాలను మరచి, ముందడుగు వేస్తుందని నేను ఆశిస్తున్నాను. ఇప్పుడు మన చేతిలో కేవలం వర్తమానం, భవిష్యత్ ఉన్నాయి. ఇప్పుడు మనం భవిష్యత్ సంరక్షణ గురించి ఏదోఒకటి చెయ్యాలి. గౌరవనీయులైన నాయకులారా, మీరు ఏదేని ఆచరణ పద్ధతిని రూపొందించేటప్పుడు అమాయకపు పిల్లల్ని, అంతరించి పోయే జంతువుల గురించి కూడా ఆలోచించండి.

“భూమాతకు అందరి అవసరాలను పూర్తి చేసే శక్తి ఉంది. కాని, ఎవరి దురాశను తీర్చే శక్తి లేదు అని మహాత్మాగాంధీగారు చెప్పారు. పక్షి ఆకాశంలో ఎగురుతుంది. చేప నీటిలో ఈదుతుంది. చిరుత వేగంగా పరుగెడుతుంది. కాని పరమాత్ముడు మనకు వరప్రసాదంగా ఆలోచించే తెలివి ఇచ్చాడు. దీనితో మనము మార్పు, సంస్కరణ రెండూ తీసుకురాగలము. పదండి మనమిప్పుడు ముందడుగు వేద్దాం. మన మాతృభూమిని కాపాడుకుందాం. మన ఇంటిని కాపాడుకుందాం. మన భూమాతను కాపాడుకుందాం. ధన్యవాదములు.

TS 9th Class Hindi Guide 3rd Lesson बदलें अपनी सोच

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

TS 9th Class Hindi Guide 3rd Lesson बदलें अपनी सोच 1

TS 9th Class Hindi Guide 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 2nd Lesson Questions and Answers Telangana गाने वाली चिड़िया

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या – क्या दिखाई दे रहे हैं?
(చిత్రంలో ఏమేమి కనపడుతూ ఉన్నవి?)
उत्तर :
चित्र में एक किसान और दो बैल दिखाई दे रहे हैं। केसान इन बैलों से खेती करने के काम में निमग्न है। बैल भी शक्तिभर इस पवित्र काम में लगे हुऐ हैं।

प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं?
(అవి ఏమి చేయుచూ ఉన్నవి?)
उत्तर :
वे खेत जोत रहे हैं।

TS 9th Class Hindi Guide 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया

प्रश्न 3.
इनकी मेहनत पर अपने विचार बताइए।
(వీటి శ్రమ పై మీ ఆలోచనలు తెలపండి.)
उत्तर :
मानव समाज में अनेक प्रकार के काम करनेवाले त.नोग एहते हैं। उन सभी में किसानों का स्थान महत्वपूर्ण है। उनकी मेहनत से हमें खाने भोज़न और तरकारिटाँ मिलते हैं। वे हमारे अन्नदाता हैं। वे ही हमारे सुखदाता हैं। उनके प्रति प्रेम, आदर, स्नेह और सहा नुभूति रखना हमारा कर्तव्य है।

अर्थवाहतात-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు చెప్పండి.)

प्रश्न 1.
कुछ पक्षियों के नाम बताइए। (కొన్ని పక్షుల. పేర్లు తెలపండి.)
उत्तर :
विश्व में अनेक पक्षी हैं। हमारे यहाँ तो कबूतर, कौआ, कौयल, गिद्ध, मैना, तोता, बटेर, बेहया, मुर्गी, हंस, बगुला, गौरैया, तीतर, बुलबुल, उल्लू, मोर, चकोर, सारस, पपीहा, (चातक) खंजन आदि है।

(ప్రపంచంలో అనేక పక్షులు ఉన్నాయి. మన దేశంలో అయితే పావురం, కాకి, కోకిల, గ్రద్ద, మైనా, చిలుక, కోలంకి పిట్ట, వడ్రంగి పిట్ట, కోడి, హంస, కొంగ, పిచ్చుక, తీతువు పిట్ట, బుల్ బుల్ పిట్ట, గుడ్లగూబ, నెమలి, చకోర పక్షి, సారస పక్షి, వానకోయిల (చాతక పక్షి), కాటుక పిట్ట మొదలగునవి ఉన్నవి.)

प्रश्न 2.
“संगीत मनोरंजन का एक साधन है।” इसके बारे में अपने विचार बताइए।
(“సంగీతం, మానసిక ఆనందం కలిగించే ఒక సాధనము” దీని గురించి మీ అభిప్రాయము చెప్పండి.)
उत्तर :
संगीत भी एक ललित कला है। यह तो स्वरों से बनता है। ये स्वर सात हैं। सामवेद से संगीत का सृजन हुआ। संगीत इतना महत्वशाली है कि पेड-पौधे, पशु, साँप आदि ही नहीं छोटे शिशु भी संगीत सुनकर मुग्ध हो जाते हैं। संगीत में बीमारियों को दूर करने की ताकत है। रोनेवाला शिशु भी एक लोरी सुनकर आराम से सो जाता है। पशु भी जो हमारी भाषा समझ नहीं सकते हैं, अगर अच्छा संगीत सुनाते हैं तो वे रोज़ देनेवाले दूध से अधिक दूध देते हैं। साँप भी नादस्वर के अनुरूप अपना सिर हिलाते खेलना हम देखते ही रहते हैं। जब हमारा दिल दुःखों से भर जाता है तो उन दुःखों को दूर करने संगीत सुनना ही उत्तम रास्ता है। संगीत साधना एक अच्छी आदत है। इस गुण से हमारी एकाग्रता एवं यादगार की शक्ति बढ जाती है। अतः हम कह सकते हैं कि सचमुच संगीत मनोरंजन का एक प्रभावशाली साधन है।

(సంగీతం కూడా ఒక లలిత కళే. ఇది స్వరాలతో ఏర్పడుతుంది. ఈ స్వరాలు ఏడు. సామవేదం నుండి సంగీతం సృష్టించబడినది. చెట్లు-మొక్కలు, పశువులు, పాములు మొదలైనవే కాక పసిపిల్లలు కూడా సంగీతం విని ముగ్ధులైపోయేటంత గొప్పది సంగీతం. సంగీతంలో జబ్బులను నయం చేసే శక్తి ఉంది. ఏడ్చే శిశువు కూడా ఒక జోలపాట వినగానే ఆదమరచి నిద్రపోతాడు. పశువులకు మన భాష అర్థం కాదు అయినప్పటికీ మంచి సంగీతం వినిపించినట్లయితే అవి రోజూ ఇచ్చే పాలకన్నా ఎక్కువ పాలు ఇస్తాయి. పాము కూడ నాదస్వరానికి అనుగుణంగా తన తలను ఆడిస్తూ ఉండటం మనం చూస్తూనే ఉంటాము. మన మనస్సు బాధలతో నిండి పోయినప్పుడు, ఆ బాధలను దూరం చేయుటకు సంగీతం వినడమే ఉత్తమ మార్గం. సంగీత సాధన మంచి అలవాటు. ఈ గుణం వలన మన ఏకాగ్రత, జ్ఞాపకశక్తి పెరుగుతాయి. కనుక నిజంగా సంగీతం మానసిక ఆనందం కలిగించు గొప్ప సాధనం అని మనం చెప్పవచ్చు.)

आ. पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम में लिखिए।
(పాఠము ఆధారంగా వాక్యములను సరియైన క్రమంలో రాయండి.)

1. तुरंत वह राजा को अपना संगीत सुनाने आ पहुँची। ( )
2. धीरे – धीरे राजा की अस्वस्थता दूर हो गयी। ( )
3. किसानों के द्वारा चिड़िया ने राजा की असवस्थता के बारे में सुन लिया था। ( )
4. जैसे – जैसे वह गाना गाती वैसे वैसे राजा की अस्वस्थता दूर होती। ( )
उत्तर :
1. 3
2. 1
3. 4
4. 2

TS 9th Class Hindi Guide 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया

इ. किसने किससे कहा? (ఎవరు ఎవరితో అన్నారు?)

प्रश्न 1.
तुम लोगों ने कभी मुझे गाने वाली चिड़िया के विषय में नहीं बताया।
उत्तर :
यह वाक्य राजा ने अपने सेवकों से कहा।

प्रश्न 2.
हमारे राजा तुम्हारा मधुर संगीत सुनना चाहते हैं।
उत्तर :
यह वाक्य लडकी ने गाने वाली चिड़िया से कहा।

प्रश्न 3.
मुझे अपना संगीत मेहनत करने वालों को भी सुनाना है।
जं.
यह वाक्य गाने वाली चिड़िया ने महाराज से कहा।

ई. अनुच्छेद पढकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

भारत सरकार ने वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सन् 1972 में ‘वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम 1972’ बनाकर सभी राज्यों में वन्य प्राणियों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया है एवं वन्य जीवों के स्वच्छंद विचरण के लिए देश के विभिन्न भागों में 69 राष्ट्रीय उद्यानों, 399 अभयारण्यों एवं 35 प्राणी उद्यानों का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट टाइगर जैसी योजनाएँ आरंभ की गयी हैं।

प्रश्न 1.
भारत सरकार ने वन्य जीवों के संरक्षण के लिए कौनसा अधिनियम बनाया है?
उत्तर :
भारत सरकार ने वन्य जीवों के संरक्षण के लिए 1972 में ” वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम 1972 बनाया है।

TS 9th Class Hindi Guide 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया

प्रश्न 2.
यहाँ पर कितने राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या बतायी गयी है ?
उत्तर :
यहाँ पर 69 राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या बतायी गयी है।

प्रश्न 3.
बाघों की सुरक्षा के लिए कौनसी योजना कार्य कर रही है ?
उत्तर :
बाघों की सुरक्षा के लिए “प्रोजेक्ट टाइगर” योजना कार्य कर रही है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ – నిర్మాణాత్మకత) :

अ. इन प्रश्नों के उत्तर दो तीन वाक्यों में दीजिए।
(ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు రెండు-మూడు వాక్యములలో ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
मज़दूरों और किसानों की दशा सुधारने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
(కూలీలు మరియు రైతుల స్థితిని సంస్కరించుటకు మనం ఏమి చేయవలెను ?)
उत्तर :
मज़दूरों और किसानों की दशा सुधारने के लिए हमें ये करना चाहिए।
मज़दूरों को अधिक वेतन देना चाहिए।
मज़दूरों से ज्यादा से ज्यादा घंटे काम न लेना चाहिए।
दिन में केवल आठ घंटे काम करवाना चाहिए।
मज़दूरों और किसानों के बारे में सोचना और उनकी सहायता करना चाहिए।
किसानों को साक्षर बनाने के लिए प्रौढ़ शिक्षा केंद्र बड़ी मात्रा में खोलना चाहिए।
किसानों को वैज्ञानिक उपकरण जैसे कल, बीज, खाद आदि भी सस्ते मूल्य पर देना चाहिए।
उन्हें कम सूद पर ऋण देने सहकारी समितियों की स्थापना करनी चाहिए।

(కూలీలు, రైతుల దశను ఉద్ధరించడానికి మనం ఈ పనులు చేయవలెను.
కూలీలకు ఎక్కువ వేతనాలను మంజూరు చేయవలెను.
కూలీలచేత ఎక్కువ గంటలు పని చేయించకుండా చూడవలెను.
రోజుకి కేవలం ఎనిమిది గంటలు మాత్రమే వారిచేత పని చేయించుకొనవలెను.
కూలీలు మరియు రైతులను గురించి ఆలోజించడం వారికి సహాయం చేయడం మున్నగు పనులు చేయవలెను.
రైతులను అక్షరాస్యులుగా చేయుటకు వయోజన విద్యా కేంద్రాలను ఎక్కువగా తెరువవలెను.
రైతులకు యంత్రాలు, విత్తనాలు, ఎరువులు మొ||గు వైజ్ఞానిక ఉపకరణాలను తక్కువ ధరలకు అందించవలెను.
వారికి తక్కువ వడ్డీకి ఋణాలను అందించుటకు సహాయ పరపతి సంఘాలను ఏర్పాటు చేయవలెను.)

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प्रश्न 2.
राजा ने चिड़िया के लिए सोने का पिंजरा बनवाया था। आपकी नज़र में चिड़िया को पिंजरे में रखना उचित था ? क्यों ?
(రాజుగారు పక్షి కోసం బంగారు పంజరాన్ని తయారు చేయించెను. మీ దృష్టిలో పక్షిని పంజరంలో ఉంచడం సబబేనా? ఎందుకు ?)
उत्तर :
राजा ने चिड़िया के लिए सोने का पिंजरा बनवाया था। मेरी नज़र में चिड़िया को पिंजरे में रखना उचित नहीं था। यह बड़ा अनुचित था। मेरे उत्तर का कारण यह है कि एक चिड़िया को पिंजरे में बंद कर उसकी स्वतंत्रता में बाधा पहुँचाना बडी गलती है। उसी प्रकार एक चिड़िया के कारण सोने से पिंजरा बनाना धन को निरुपयोग करना है। उसे यदि मज़दूरों और किसानों की भलाई में खर्च करें तो बहुत अच्छा होगा।

(రాజుగారు పక్షి కోసం బంగారు పంజరం తయారు చేయించిరి. నా దృష్టిలో ఒక పక్షిని పంజరంలో ఉంచడం తగిన పని కాదు. ఇది చాలా పెద్ద తగని పని. నా సమాధానానికి కారణం ఏమనగా ఒక పక్షిని పంజరంలో : బందీగా బంధించడం దాని స్వాతంత్ర్యాన్ని హరించడమే, ఇది చాలా తప్పు. అదే విధంగా ఒక పక్షి కోసమని బంగారాన్ని వెచ్చించడం, బంగారు పంజరం తయారు చేయడం వ్యర్థం. దానిని (ఆ డబ్బును) కూలీలు, రైతుల మేలు కొరకు ఖర్చు చేసిన చాలా మంచి జరుగును.)

प्रश्न 3.
“दूसरों के काम आने में ही जीवन का सच्चा सुख निहित है।” इस बारे में अपने विचार बताइए।
(ఇతరులకు ఉపయోగపడటంలోనే జీవిత నిజమైన సుఖము దాగి ఉన్నది. దీనిని గురించి మీ అభిప్రాయము తెలపండి.)
उत्तर :
मानव सामाजिक प्राणी है। अपने हित के साथ-साथ उसे दूसरों की भलाई करने के बारे में भी सोचना है। संसार में अकेले एक व्यक्ति कोई काम पूरा नहीं कर सकता। इसके लिए लोगों की सहायता ज़रूर लेनी है। जीवन निर्वाह के लिए भी हम दूसरों पर आश्रित रहते हैं। ऐसी हालत में हम दूसरों का भी महत्व जानकर उनके काम आयें तो, सबका निर्वाह सुचारू रूप से हो सकता है। अपनी स्वार्थ भावना भूलकर दूसरों की सहायता करना मानव का प्रथम कर्तव्य है। इससे ही मानव सुखी और सार्थक व्यक्ति बन सकता है।

(మానవుడు సంఘజీవి. తన మేలుతో పాటు అతడు ఇతరుల మేలు గురించి కూడా ఆలోచించాలి. ప్రపంచములో ఒంటరిగా ఒక వ్యక్తి’ ఏ పనీ పూర్తి చేయగలుగలేదు. ఇందుకోసం ప్రజల సహాయము (సహకారము) తప్పక తీసుకోవాలి. జీవితము గడపడానికి కూడా మనము ఇతరులపై ఆధారపడి ఉంటాము. అట్టి పరిస్థితిలో మనము ఇతరుల గొప్పతనము కూడా తెలుసుకుని వీరికి ఉపయోగపడినట్లయితే అందరి జీవితము సాఫీగా చక్కగా సాగుతుంది. స్వార్థభావన మరచిపోయి ఇతరులకు సహాయపడుట మానవుని ప్రథమ కర్తవ్యము. దీనివలననే మానవుడు సుఖము పొంది, సార్థక వ్యక్తి అవగలుగుతాడు.)

TS 9th Class Hindi Guide 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया

आ. ‘गाने वाली चिड़िया’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(‘పాట పాడే పక్షి’ పాఠ్య సారాంశమును స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
एक राजा था। वह एक बहुत ही सुंदर महल में रहता था। उसे अपने महल पर गर्व था। संसार के कोने- कोने से यात्री उस महल को देखने आते थे। यात्रियों ने अपने यात्रा वर्णन में महल की सुंदरता और महल के पास जंगल में मधुर स्वर में गानेवाली चिड़िया के बारे में लिखा। यात्रा वर्णन पढने से राजा को गाने वाली चिड़िया के बारे में पता चला। उसने चिड़िया का गाना सुनना चाहा। इसलिए अपने सेवकों को जाकर उस चिड़िया को पकडलाने की आज्ञा दी। सैनिकों को चिड़िया को ढूँढते समय चिड़िया के बारे में जाननेवाली एक लडकी मिली। सैनिकों के अनुरोध पर लड़की ने चिड़िया को आवाज़ देते हुए कहा हमारे राजा तुम्हारा गाना सुनना चाहते हैं, क्या तुम उन्हें अपना गाना सुनाओगी।

चिड़िया ने लड़की की बात मान ली। दूसरे दिन उसने राज दरबार में अपने मीठे स्वर में गाना सुनाया। सब लोगों के साथ राजा भी मुग्ध हो गया। उसकी आँखों खुशी के आँसू भी आ गये। राजा के अनुरोध पर चिड़िया राजमहल में सुख से रहने लगी। चिडिया के संगीत की धूम मच गयी।

एक दिन चिड़िया को खेतों में मेहनत करनेवाले किसानों की याद आयी। उनसे मिलने वह खोतों की ओर निकल पडी। चिड़िया के न दिखाई देने से राजा अस्वस्थ हो गया। वह चिड़िया का गाना सुनने तड़पने लगा। चिड़िया को राजा की हालत किसानों द्वारा मालूम हुयी। तब चिड़िया ने राजमहल आकर अपना मधुर गान सुनाया। इससे राजा स्वस्थ हो गया। उसने खुशी से चिड़िया से कहा- प्यारी चिड़िया मेरे पास लौट आओ। मैं तुम्हें हमेशा राजमहल में रखूँगा।

यह सुनकर चिड़िया ने कहा नहीं महाराज मुझे अपना संगीत मेहनत करनेवालों को भी सुनाना है। मैं हर दिन आकर आपको भी गाना सुनाऊँगी। राजा पर चिड़िया की बातों का प्रभाव पडा। उसको सच्चाई मालूम हुई। मज़दूरों और किसानों के लिए राजमहल का सुख भी त्यागनेवाली चिड़िया राजा को महान लगी।, यह बात चिड़िया से कहने पर वह बोली- मज़दूरों और किसानों के बारे में सोचना और उनकी सहायता करना हमारा कर्तव्य है। वे हमारे सुखदाता और अन्नदाता हैं।

नीति: मज़दूर और किसान लोग हमारे जीवन के आधार स्तंभ हैं। उनके बारे में सोचना और उनकी सहायता करना हम मानवों का प्रथम एवं पावन कर्तव्य है। यही इस कहानी का महान संदेश है।

(ఒక రాజు ఉండెను. అతడు చాలా అందమైన భవనంలో నివసించెడివాడు. అతనికి తన భవనం అంటే చాలా.. గర్వము ఉండేది. ప్రపంచం నలుమూలల నుండి యాత్రికులు రాజభవనం దర్శించుటకు వచ్చేవారు. యాత్రికులు తమ యాత్రావర్ణనలో రాజభవనం గురించి, అడవిలో మధుర స్వరంతో పాడే పక్షి గురించి వ్రాశారు. యాత్రావర్ణన చదివిన రాజుకు పాడే పక్షి గురించి తెలిసి దానిని చూడదలచుకున్నాడు. అందువలన తన సైనికులను వెళ్ళి పక్షిని పట్టుకురమ్మని ఆజ్ఞాపించెను. సైనికులు పక్షి గురించి వెతుకుచుండగా, పక్షి గురించి తెలిసిన ఒక బాలిక కలిసింది. సైనికుల కోరిక మేరకు ఆ బాలిక పక్షిని పిలుస్తూ అనెను మన రాజు నీ గానాన్ని వినాలని అనుకుంటున్నారు. నీవు నీ గానాన్ని వారికి వినిపిస్తావా ?

పక్షి బాలిక మాట విని మరుసటి రోజు రాజసభలో తన పాట వినిపించెను. అందరితోపాటు రాజు కూడా సంతోషించెను. అతని కన్నుల నుండి ఆనందబాష్పాలు కురిసినవి. రాజు కోరిక మేరకు పక్షి రాజభవనంలో సుఖంగా ఉండసాగింది. పక్షి యొక్క సంగీతం మారు మ్రోగిపోయింది.

ఒకనాడు పక్షికి పొలములలో శ్రమించే రైతుల జ్ఞాపకం వచ్చెను. వారిని కలవడానికి అది పొలముల వైపు వెళ్ళింది. పక్షి కనిపించకపోవడం వలన రాజు జబ్బుపడ్డాడు. ఆయన పక్షి గానానికై తపించసాగాడు. రైతుల ద్వారా రాజు స్థితి తెలుసుకున్న పక్షి రాజమహలుకి వచ్చి తన పాటను వినిపించెను. దీనితో రాజు ఆరోగ్యవంతుడు అయ్యెను. ఆనందంతో ఆయన ఈ విధముగ చెప్పెను – ప్రియ పక్షి నా వద్దకు తిరిగి రా, నేను నిన్ను ఎల్లప్పటికీ రాజమహల్లో ఉంచుతాను.

‘రాజు మాటలు విన్న పక్షి ఈ విధముగా అనెను – లేదు మహారాజా ! నాకు నా సంగీతం శ్రామికులకు కూడా వినిపించాల్సి ఉంది. నేను ప్రతిరోజు వచ్చి మీకు కూడా నా సంగీతం వినిపిస్తాను. రాజుపై పక్షి మాటల గట్టి ప్రభావం పడింది. ఆయనకు నిజం తెలిసింది. శ్రామికుల కోసం రాజభవనంలోని సుఖాలను త్యాగం చేసిన పక్షి విలువ రాజుకు తెలిసింది. ఇదే మాటను పక్షితో అన్నప్పుడు అది రాజునకు ఇట్లు ఉపదేశం చేసింది – శ్రామికులు, రైతుల గురించి ఆలోచించడం, వారికి సహాయం చేయడం మన కర్తవ్యం. వారు మన సుఖదాతలు, అన్నదాతలు.

నీతి : శ్రామికులు, రైతులు మన జీవిత ఆధార స్తంభాలు. వారి గురించి ఆలోచించడం వారికి సహాయపడటం మానవుల ముఖ్యమైన పవిత్ర కార్యం. ఇదే ఈ కథలోని గొప్ప సందేశం. )

TS 9th Class Hindi Guide 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया

इ. “गाने वाली चिड़िया” पाठ का कोई एक अनुच्छेद संवाद के रूप में लिखिए।
(“గానే వాలీ చిడియా” (పాట పాడే పక్షి) పాఠంలోని ఏదేని ఒక గద్యాంశమును సంభాషణ రూపంలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
किसान : गानेवाली चिड़िया ! ओ गानेवाली चिड़िया तेरे वियोग में राजा अस्वस्थ हो गये।
चिड़िया : मैं अभी आऊँगी।
(चिड़िया राजा के पास आकर गाती रहती है। राजा की अस्वस्थता क्रमशः दूर हो जाती है।
राजा : मेरी प्यारी चिड़िया मेरे पास लौट आओ। मैं तुम्हें हमेशा राजमहल में रखूँगा।
चिड़िया : नहीं महाराज! मुझे अपना संगीत मेहनत करनेवालों को भी सुनाना है। मैं हर दिन यहाँ आऊँगी। आपको भी अपना संगीत सुनाऊँगी।
राजा : वाह ! तुम महान हो चिडिया। तुम मज़दूरों और किसानों के लिए राजमहल का सुख त्याग सकती हो, तो क्या मैं उनके लिए कुछ नहीं कर सकता ?

चिड़िया क्यों नहीं महाराज ! मज़दूरों और किसानों के बारे में सोचना और उनकी सहायता करना
हमारा कर्तव्य है। क्योंकि वे हमारे सुखदाता और अन्नदाता हैं।

(రైతులు : పాట పాడే పక్షి ! పాట పాడే ఓ పక్షి ! రాజుగారు ‘నీ వియోగంతో అస్వస్థులైరి.
పక్షి : నేను ఇప్పుడే వస్తున్నా.
(పక్షి రాజుగారి వద్దకు వచ్చి పాడుతూ ఉంటుంది. రాజుగారి అనారోగ్యం క్రమక్రమంగా దూరమౌతుంది.)
రాజు : నా ప్రియమైన పక్షి! నీవు నా వద్దకు తిరిగి వచ్చేయ్. నేను నిన్ను ఎల్లప్పుడు నా రాజభవనంలోనే ఉంచుకుంటాను.
పక్షి : లేదు రాజుగారు. నేను నా పాటను పరిశ్రమించే వారికి కూడా వినిపించాలి. నేను ప్రతిరోజూ ఇక్కడకు వస్తాను. మీకు కూడా నా సంగీతాన్ని వినిపిస్తాను.
రాజు : వాహ్ ! నీవు గొప్ప దానివి పక్షి! నీవు శ్రామికుల కోసం, రైతుల కోసం రాజమహల్లో లభించే సుఖాన్ని త్యాగం చేస్తే నేను వారికోసం ఏమీ చేయలేనా ?
పక్షి : ఎందుకు చేయలేరు మహారాజా! కూలీలు రైతులను గురించి ఆలోచించడం మరియు వారికి సహాయం చేయడం మన కర్తవ్యం. ఎందుకంటే వారు మన సుఖదాతలు మరియు అన్నదాతలు.

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ई. गीत और संगीत का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। इस पर अपने विचार लिखिए।
(పాటలు మరియు సంగీతానికి మన జీవితంలో గొప్ప మహత్యం కలదు. దీనిపై అభిప్రాయాన్ని వ్రాయండి.)
उत्तर :
गीत और संगीत का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है।
गीत और संगीत से हमें मनोरंजन मिलता है।
इनके सहारे हमारे दैनिक जीवन की मानसिक थकावट दूर हो जाती है।
इनके द्वारा जीवन में नीरसता दूर हो जाती है।
गीत और संगीत में हमारी संस्कृति निहित रहती है।
गीत और संगीत के द्वारा जीवन ताज़ा बनता है।
इनके द्वारा हमारे समय का सदुपयोग भी होता है।
इनके द्वारा हमारी सृजनात्मक शक्ति कां विकास होता है।
कहा जाता है कि गीत और संगीत के द्वारा शिशु, पशु और साँप भी आकर्षित होते हैं।

(పాటలు మరియు సంగీతానికి మన జీవితంలో ఎంతో మహత్యం కలదు.
పాటలు, సంగీతం ద్వారా మనకు మానసిక ఉల్లాసం కలుగుతుంది.
వీటిద్వారా మన దైనందిన జీవితంలోని మానసిక అలసట దూరమవుతుంది.
పాటలు, సంగీతం అనునవి కళలు. దీని ద్వారా మన జీవితంలోని నీరసం పోతుంది.
పాటలు మరియు సంగీతంలో మన సంస్కృతి ఇమిడి ఉంది.
పాటలు, సంగీతం ద్వారా మన జీవితం తాజాగా మారుతుంది.
వీటి ద్వారా మన సమయం సద్వినియోగం అవుతుంది.
వీటి ద్వారా సృజన్మాతక శక్తి వికసిస్తుంది.
వీటి ద్వారా మనకు సుఖం, ఆనందం, ఉత్సాహం కల్గుతాయి.
వీటి ద్వారా పశువులు, శిశువులు మరియు పాములు కూడా ఆకర్షించబడతాయని చెప్పబడుచున్నది.)

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भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. नीचे दिये गये मुहावरों के भाव समझिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।)
(క్రింది ఇవ్వబడిన జాతీయముల భావము తెలుసుకోండి వాటిని వాక్యములలో ప్రయోగించండి.)

1. जान में जान आना – ప్రాణం కుదుటపడుట, मन स्थिर होना, निश्चित होना गीत सुनकर मुझे जाम में जान आगया ।
2. खुशी के आसू आना – ఆనందబాష్పాలు కురియుట, गद्गद् होना

आ. अनुच्छेद पढिए। रेखांकित विभक्तियों पर ध्यान दीजिए।
(పేరా చదవండి. గీత గీసిన విభక్తులను గమనించండి.)

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उत्तर :

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ई. रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विभक्तियों से कीजिए।
(ఖాళీలను సరియైన విభక్తులతో పూరించండి.)
1. राजा …… चिड़िया ….. कभी नहीं देखा।
उत्तर :
(ने, को)

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2. चिड़िया …… सोने ….. पिंजरा बनवाया गया।
उत्तर :
(के लिए, का)

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

इस विश्व में तरह- तरह के पक्षी हैं। किसी एक पक्षी के बारे में जानकारी इकट्ठा कर कक्षा प्रस्तुत कीजिए।
(ఈ విశ్వంలో రకరకాల పక్షులు ఉన్నాయి. ఏదేని ఒక పక్షిని గూర్చిన సమాచారం సేకరించి తరగతి. గదిలో ప్రదర్శించండి.)
उत्तर :
तोता (చిలుక) भारत के सब पक्षियों में तोते का विशिष्ट स्थान है। यह पक्षी हरे रंग में रहकर सुंदर दिखता है। चोंच तो तीखी और लाल रंग में होता है। पडे के पत्तों से वह पूरी तरह हिल मिल जाता है।

तोता तो सब जगहों में पाया जाता है। यह पक्षी अधिकतर फल और धान खाता है। तोती तो एक बार चार या छः अंडे देती हैं। फरवरी और अप्रैल महीनों के बीच में तोती अंडे किसी पेड की कोखली जगह में देती हैं। तोता तो पालतू भी है।

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
राजा को चिड़िया से लगाव क्यों था?
(రాజుకు పక్షిపై ఎందుకు ప్రేమ కలిగింది?)
उत्तर :
यात्रियों के यात्रा वर्णन पढने से राजा को गाने वाली चिड़िया का पता चला। अपने सैनिकों के प्रयत्न से किसी तरह वह चिड़िया दरबार में आयी। अपने मीठे स्वर से उसने गाना सुनाया। उसका गाना सुनकर राजा की आँखों से खुशी के आँसू आ गये। इसलिए राजा को चिड़िया से लगाव था।

(యాత్రికుల యాత్రావర్ణన చదువుట వలన రాజుకు పాడే పక్షి గురించి తెలిసింది. తన సైనికుల ప్రయత్నముతో ఏదో విధముగా ఆ పక్షి రాజు దర్బారుకు వచ్చినది. తన తియ్యని కంఠముతో అది పాటపాడింది. దాని పాట విని రాజు కళ్ళ నుండి ఆనందబాష్పాలు కురిసినవి. ఇందువల్ల రాజుకు పక్షిపై ప్రేమ కలిగింది.)

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प्रश्न 2.
चिड़िया ने राजा को क्या सीख दी ?
(పక్షి, రాజుకు ఏమి ఉపదేశమ ఇచ్చెను ?)
उत्तर :
एक दिन चिड़िया को खेतों में मेहनत करनेवाले किसानों की याद आयी। वह उनसे मिलने निकल गयी। चिड़िया के न दिखाई देने से राजा अस्वस्थ हो गया। किसानों द्वारा राजा के अस्वस्थ होने की बात जानकर चिड़िया महल में आयी और गाना सुनाया। जब राजा ने उसे अपने पास रख लेना चाहा तो चिड़िया ने राजा को यह सीख दी कि मज़दूरों और किसानों के बारे में सोचना और उनकी सहायता करना हमारा कर्तव्य है। वे हमारे सुखदाता और अन्नदाता हैं।

(ఒకనాడు పక్షికి పొలాలలో శ్రమ చేసెడి రైతులు గుర్తుకు వచ్చిరి. అది వారిని కలవటానికి వెళ్ళింది. పక్షి కనపడకపోవడంతో రాజు అస్వస్థుడు అయ్యాడు. రైతుల వలన రాజు అస్వస్థుడైన విషయము తెలుసుకొని పక్షి మహలుకి వచ్చి పాట వినిపించెను. రాజు ఆ పక్షిని తన దగ్గర ఉండాలని అన్నప్పుడు శ్రామికులు, రైతుల గురించి ఆలోచించుట, వారికి సహాయము చేయుట మన కర్తవ్యము. వారు మనల్ని సుఖంగా ఉంచేవారు. మరియు అన్నదాతలు అని పక్షి రాజుకు ఉపదేశము ఇచ్చెను.)

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प्रश्न-II

प्रश्न 1.
“गाने वाली चिड़िया” कहानी आगे बढाइए।
(“పాట పాడే పక్షి” కథను ముందుకు కొనసాగించండి.)
उत्तर :
चिड़िया की बातें सुनकर राजा की आँखें खुल गयीं। उसको सच्चाई मालूम हुयी। उसी दिन से मज़दूरों और किसानों के बारे में सोचना, उनकी भलाई के लिए आवश्यक कदम उठाने का उसने निर्णय लिया। उसने अपने मंत्रिमंडल से बहस की। उनसे सम्मति भी ली। तब से मज़दूरों और किसानों की भलाई के अनेक काम राजा ने संपन्न किए। फल स्वरूप मज़दूरों और किसानों के श्रम फल से राज्य सुसंपन्न हुआ। सभी लोग सुख से जीवन बिताने लगे। राजा का नाम भी अमर हो गया !

(పక్షి మాటలు విని రాజుకు జ్ఞానోదయము అయింది. ఆయనకు వాస్తవం అర్ధమయింది. అదే రోజు నుండి శ్రామికులు, రైతుల గురించి ఆలోచించడం, వారి మేలు కోసం అవసరమైన పనులు వేగముగా చేసెడి నిర్ణయాన్ని తీసుకున్నాడు. ఆయన మంత్రి మండలితో చర్చించాడు. వారి సమ్మతి కూడ తీసుకున్నాడు. అప్పటి నుండి శ్రామికులు, రైతుల మేలుకై అనేక పనులు రాజు సుసంపన్నం చేసెను. ఫలితంగా శ్రామికుల, రైతుల శ్రమఫలంతో రాజ్యం సుభిక్షం అయ్యెను. అందరూ సుఖంగా జీవితం గడపసాగిరి. రాజు పేరు కూడా అమరం అయ్యెను.)

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अवठित – गद्यांश

निम्न लिखित गद्यांश पुदकर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. अम्बेडकर की प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में दपोली में हुई थी। हाईस्कूल की शिक्षा सतारा में हुई थी। महार जाति में जन्म लेने के कारण वर्ग में उनको जमीन पर बैठना पड़ता था। लेकिन स्कूल के सभी बच्चे बेंचों पर बैठतें थे।
एक बार डॉ. भीमराव अम्बेड़कर को बडी प्यास लगी। उन्होंने कुएँ से पानी पी लिया। जब इसका पता लोगों को चला तो उनको निर्दयता से पीटा गया। बे बहुत देर तक रोते रहे। बे सन् 1912 में बी.ए. की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए।

प्रश्न :
1. अम्बेडकर की हाईस्कूल की शिक्षा कहाँ हुई?
2. अम्बेंडकर बी.ए. परीक्षा में कब उत्तीर्ण हुए?
3. अम्बेडकर की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई?
4. अम्बेडकर को वर्ग में जमीन पर क्यों बैठना पडता था ?
5. अम्बेडकर ने कहाँ से पानी पी लिया?
उत्तरः
1. अम्बेडकर की हाईस्कूल की शिक्षा सतारा में हुई थी।
2. सन् 1912 में अम्बेडकर बी.ए. की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए।
3. अम्बेडकर की प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में दपोली में हुई थी।
4. महार जाति में जन्म लेने के कारण वर्ग में अम्बेडकर को जमीन पर बैठना पड़ता था।
5. अम्बेडकर ने कुएँ से. पानी पी लिया।

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II. हमारे पर्वतों में सब से प्रसिद्ध, ऊँचे और विशाल पर्वत हिमालय हैं। ये हमारे देश की उत्तरी सीमा पर हैं। ये बहुत सुंदर हैं। हमेशा हिम से ढ़के रहते हैं। हिम मानी बरफ़ है। हिम से ढ़के रहने के कारण ही इन्हें हिमालय कहते हैं। हिमालय की पर्वत मालाएँ भारतीयों के लिए पवित्र हैं। ये भारतीय संस्कृति और जीवन से जुड़े हुए हैं। अनेक नदियों के उद्ग़म स्थान इन्हीं पहाड़ों में है। गंगा, जमुना, ब्रह्मपुत्रा आदि जीव – नदियाँ इन्हीं से जन्म लेती हैं। इन नदियों से उत्तर भारत की विस्तृत भूमि सींची जाती है। विश्व में सबसे ऊँचा शिखर ‘एवरेस्ट’ हिमालय में ही है।

प्रश्न :
1. हमारे देश की उत्तरी सीमा पर, क्या हैं?
2. हिम मानी क्या है?
3. हिमालय पर्वतों में कौन – कौन सी नदियाँ जन्म लेती हैं?
4. विश्व में सबसे ऊँचा शिखर क्या है?
5. भारतीय संस्कृति और जीवन से जुडे हुए पर्वतों का नाम क्या है?
उत्तरः
1. हमारे देश की उत्तरी सीमा पर हिमालय पर्वत हैं।
2. हिम मानी बरफ़ है।
3. गंगा, यमुना (जमुना), ब्रह्मपुत्रा आदि जीव – नदियाँ हिमालय पर्वतों में जन्म लेती हैं।
4. विश्व में सबसे ऊँचा शिखर “एवरेस्ट” है।
5. भारतीय संस्कृति और जीवन से जुडे हुए पर्वतों का नाम है – “हिमालय”

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III. प्राचीन काल के गाँव स्वावलंबी और धन – धान्य संप्त हुआ करते थे। गाँव के लोग प्रेम से मिल – जुलकर रहते थे और अतिथियों का सत्कार करते थे। नगरों के कोलाहल से दूर शांत बाताबरण में रहते थे। गाँव में मुख्य रूप से किसान रहते थे। उनकी सहायता करने के लिए बढई, कुम्हार, सुनार, लोहार, नाई, जुलाहे वैद्य, पुजारी आदि रहते थे। पैसे का लेन देन कम था। किसान की सभी व्यवसायी सहायता करते थे।

प्रश्न :
1. प्राचीन काल में गाँव कैसे रहते थे ?
2. गाँव के लोग कैसे रहते थे ?
3. शहर का वातावरण कैसा होता था ?
4. गाँव में किसका लेन देन कम था ?
5. किसान की सहायता कौन करते थे ?
उत्तर:
1. प्राचीन काल में गाँव स्वावलंबी और धनधान्य संपन्न हुआ करते थे।
2. गाँव के लोग प्रेम से मिलजुलकर रहते थे और अतिथियों का सत्कार करते थे।
3. शहर का वातावरण कोलाहल युक्त होता था।
4. गाँव में पैसे का लेन – देन कम था।
5. किसान की सभी व्यवसायी सहायता करते थे।

IV. कोडैक्कनाल की झील बहुत प्रसिद्ध है। इसके किनारे – किनारे बहुत अच्छी सड़कें बनी हुई हैं। मौसम में इस पर सदा भीड़ रहती है। झील पर नावें भी चलती हैं। नाब चलाने में बड़ा आनंद आता है। कोडैक्कानल में एक वेदशाला भी है। इसमें सूर्य से संबन्ध में विशेष अनुसंधान करने का प्रबन्ध है। कोडैक्कनाल में देखने लायक स्थान बहुतसे हैं। सड़क से कोडैक्कानल शहर पहुँचने के पहले ‘सिल्वर कैसकेड’ नामक सुन्दर झरना है। यह सचमुच रजत प्रपात ही है। इसके आसपास सदा दर्शकों की भीड़ लगी रहती है।

प्रश्न :
1. कहाँ झील बहुत प्रसिद्ध है ?
2. झील पर क्या चलती हैं ?
3. किन्हें चलाने में बड़ा आनंद आता है ?
4. वेदशाला कहाँ है?
5. रजत प्रपात का नाम क्या है?
उत्तर :
1. कोडैक्केनाल की झील बहुत प्रसिद्ध है।
2. झील पर नावें चलती हैं।
3. नाव चलाने में बडा आनंद आता है।
4. कोडैक्केनाल में एक वेदशाला है।
5. रजन प्रपात का नाम है “सिल्वर कैसकेड”।

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V. आज विश्व भर में दूरदर्शन का विस्तार हो गया है। इसके माध्यम से हम समाचार, शिक्षा, विज्ञान आदि की बातें सुन और देख सक्ते हैं। आज इसका प्रभाव बढ़ गया है। हमारे देश में आज लगभग 80 प्रतिशत जनता दूरदर्शन के प्रसार की सीमा में हैं। आज ऐसा कोई विषय नहीं जो इसके द्वारा प्रसारित नहीं किया जा सके। दूरदर्शन बास्तव में आज के विज्ञान के विकास का एक अद्भुत आबिष्कार है।

प्रश्न :
1. आज विश्व भर में किसका विस्तार हो गया है?
2. आज किसका प्रभाव बढ़ गया है ?
3. हमारे देश में आज लगभग कितने प्रतिशत जनता दूरदर्शन के प्रसार के सीमा में हैं ?
4. आज के विज्ञान के विकास का एक अद्धुत आविष्कार क्या है?
5. उपर्युक्त अनुच्छेद मे किसके बारे मे बताया गया ?
उत्तर :
1. आज विश्व भर में दूरदर्शन का विस्तार हो गया है।
2. आज दूरदर्शन का प्रभाव बढ़ गया है।
3. हमारे देश में आज लगभग 80 प्रतिशत जनता दूरदर्शन के प्रसार के सीमा में है।
4. आज के विज्ञान के विकास का एक अंद्भुत आविष्कार “दूरदर्शन” है।
5. उपर्युक्त अनुच्छेद में विज्ञान का एक अद्भुत आविष्कार दूरदर्शन के बारे में बताया गया है।

उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

कहानी पढ़कर समझना और कोई सरल कहानी लिखने का प्रयास करना।
(కథ చదివి అర్థం చేసుకొనుట మరియు ఏదైనా ఒక సరళమైన కథను వ్రాయుటకు ప్రయత్నం చేయుట.

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సారాంశము :

ఒక రాజు ఉండెను. అతడు చాలా అందమైన భవనము (మహల్)లో నివసించేవాడు. అతడికి తన భవనమంటే చాలా గర్వము ఉండేది. ప్రపంచము నలుమూలల నుండి యాత్రికులు భవనము చూచుటకు వచ్చేవారు. యాత్రికులు తమ యాత్రావర్ణనలో భవనపు సౌందర్యము గురించి చాలా విషయములు వ్రాసిరి. వారు పాట పాడే ఒక పక్షి గురించి వ్రాసిరి. ఈ పక్షి భవనము దగ్గరలోని అడవిలో ఉండేది. చాలా మధుర స్వరంలో పాడేది.

రాజు ఈ పక్షిని ఎన్నడూ చూడలేదు. యాత్రికుల ద్వారా వ్రాయబడిన యాత్రావర్ణన చదువుటచే రాజుకు పక్షి గురించి తెలిసింది. రాజు ఆ పక్షిని చూడదలచెను. అందువలన తమ సేవకులను పిలిచి మీరు ఎప్పుడూ నాకు పాడే పక్షి గురించి చెప్పలేదు. వెళ్ళండి అడవి నుండి ఆ పక్షిని పట్టుకురండి. నేను దాని పాటను వినదలచుకున్నాను అని అనెను.

రాజ సేవకులు కూడా ఆ పక్షిని ఎన్నడూ చూడలేదు. ఇంకనూ దర్బారులో ఎవరూ ఈ విషయము గురించి ఎరుగరు. పక్షిని వెతకటానికి సైనికులు అడవికి వెళ్ళిరి. వెతుకుతూ ఉండగా వారిని పక్షి పాడుతుండగా చూచిన బాలిక కలిసింది. పాడే పక్షి గురించి వినగానే ఆమె అవునవును ఆ పాడే పక్షిని ఎరుగుదును. ఆహా! అది ఎంత మధురంగా పాడుతుందో. నేను ఇక్కడి నుండి పని పూర్తి చేసుకుని సాయంత్రం సమయంలో ఇంటికి వెళ్ళేటప్పుడైతే అది నాకు మార్గమంతా తన తియ్యని పాట వినిపిస్తుంది. దీనితో నా యావత్తు అలసట దూరము అవుతుంది. అని అనెను.

సైనికుల కోరిక మేరకు బాలిక పక్షిని పిలిచింది. నా అందమైన చిన్న పక్షి, మన రాజు నీ మధురమైన సంగీతం వినతలుచుచున్నారు. నీవు వారికి నీ పాటను వినిపిస్తావా ? అని అన్నది. బాలిక మాటలు విని నా సంగీతమైతే ఈ పచ్చని అడవులలో, పొలాలలో బాగుంటుంది. అయినప్పటికీ నేను రాజుకు నా పాటను తప్పక వినిపిస్తాను. అని అన్నది.

మరుసటి రోజు సభ తీరి ఉండెను. బాలికతోపాటు అందరూ హాజరై ఉండిరి. అప్పుడే ఎగురుతున్న పక్షి అక్కడికి వచ్చి తన మధుర కంఠంతో పాడసాగెను. దాని పాటకు అందరూ ముగ్ధులైరి. రాజు కళ్ళ నుండి ఆనందబాష్పాలు కురిసినవి. ప్రియమైన పక్షి, నీవు ఇక్కడే మా వద్ద ఉండు. నీవు కోరుకున్నది లభిస్తుంది అని ఆయన పలికిరి. మహారాజా, నేను మీ దగ్గర ఉంటాను. నేను మీ కళ్ళలో సంతోషపు కన్నీళ్ళను చూశాను. అని పక్షి అన్నది. పక్షి కోసం బంగారపు పంజరం తయారు చేయబడెను. అది కోరుకున్న దానిని రాజు పూర్తి చేసేవాడు. రాజ్యమంతటా ఆ పక్షి సంగీతము ప్రసిద్ధి చెందింది.

ఒకరోజు పక్షికి పొలములలో పనిచేసెడి రైతులు గుర్తుకు వచ్చారు. వారినందరిని కలవటానికి అది పొలముల వైపు బయలుదేరింది. రాజుకు పక్షి కనబడకపోయేసరికి దుఃఖముతో జబ్బుపడ్డాడు. ప్రజలందరు రాజు అనారోగ్యము గురించి దుఃఖించారు. రాజును ఎలా కాపాడాలా ? అని అందరూ ఆలోచించసాగిరి.

ఒకరోజు రాజు బలహీనమైన స్వరముతో సంగీతం, సంగీతం, పక్షి పాట వినిపించండి అని అనెను. సభికులు అందరూ పక్షిని ఎలా పిలవాలా అని ఆలోచించసాగిరి. అప్పుడే వారికి మధురమైన సంగీతం వినిపించింది. వారు అందరూ ధ్వని వినిపించిన వైపు చూడసాగిరి. పక్షి తన మధుర కంఠంతో పాడుచూ ఉండెను. ఇది చూడగానే అందరికీ ప్రాణము లేచి వచ్చింది.

రైతుల ద్వారా పక్షి, రాజు అనారోగ్యము గురించి విన్నది. వెంటనే అది రాజుకు తన సంగీతం వినిపించుటకు వచ్చెను. అది పాడుతున్నట్లుగానే రాజు అనారోగ్యము దూరమయింది. నెమ్మది, నెమ్మదిగా రాజు ఆరోగ్యవంతులైరి. ఆయన పక్షితో ప్రియమైన పక్షి, నా వద్దకు తిరిగి వచ్చేయి. నేను నిన్ను ఎల్లప్పటికీ రాజభవనంలో ఉంచుతాను అనిరి. లేదు మహారాజా, నేను నా సంగీతాన్ని శ్రమపడేవారికి కూడా వినిపించాలి. నేను ప్రతిరోజూ ఇక్కడికి వస్తాను. మీకు కూడా నా సంగీతం వినిపిస్తాను అని అన్నది.

పక్షి మాటలు రాజుపై గట్టి ప్రభావాన్ని కలిగించాయి. ఆహా! పక్షి నీవు గొప్పదానివి. నీవు శ్రామికులు, రైతుల కోసం రాజమహలు సుఖాన్ని త్యాగము చేయగలిగినప్పుడు నేను వారికోసం ఏమీ చేయలేనా ? అని రాజు అనిరి. ఎందుకు చేయలేరు మహారాజా, శ్రామికులు, రైతుల గురించి ఆలోచించుట, వారికి సహాయము చేయుట మన కర్తవ్యము. ఎందుకంటే వారు మనకు సుఖాన్ని కలిగించెడి, అన్నదాతలు అని పక్షి అన్నది.

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शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

TS 9th Class Hindi Guide 2nd Lesson गाने वाली चिड़िया 1

TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है….

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है…. Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 1st Lesson Questions and Answers Telangana जिस देश में गंगा बहती है….

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या – क्या दिखाई दे रहे हैं?
(ఈ చిత్రంలో ఏమేమి కనపడుతూ ఉన్నవి?)
उत्तर :
चित्र में सूरज चमक रहा है। सफ़ेद रंग का एक कबूतर उड रहा है। नीचे जमीन पर छोटे-छोटे पौधे और उनके फूल आदि दिखाई दे रहे हैं।

प्रश्न 2.
इस चित्र में आपको क्या अच्छा लगा और क्यों ?
(ఈ చిత్రంలో మీకు ఏమి నచ్చింది, ఎందుకని ?)
उत्तर :
इस चित्र में मुझे स्वेच्छा से उडनेवाला कबूतर अच्छा लगा। क्योंकि सफ़ेद कबूतर शांति का दूत है। विहार करता है। उसी तरह सब लोग शांतिकामुक हो स्वेच्छा से जीवन बितायें।

TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है….

प्रश्न 3.
इस चित्र से हमें क्या संदेश मिलता है?
(ఈ చిత్రము ద్వారా మనకు ఏ సందేశము లభిస్తుంది?)
उत्तर :
यह चित्र खासकर भारत देश से संबन्धित है। भारत की धरती सस्यश्यामला है। संसार में भारत का प्रमुख स्थान है। यह आकाश के सूरज के समान संसार में चमक रहा है। भारत में सदा सुख-शाँति मिलते हैं। सब भारतवासी शांतिकामुक हैं। यही संदेश इस चित्र से हमें मिलता है।

अर्थग्राहूयता-प्रतिक्रिया (అర్థగ్రహణ – ప్రతిస్పందనన) :

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
भारतीयों के बारे में कविता में क्या बताया गया है?
(భారతీయుల గురించి కవితలో ఏమని తెలుపబడింది?)
उत्तर :
संसार में भारत का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय लोग भाग्यवान और महान चरित्रवाले हैं। ये सहृदयी, निस्वार्थी, सच्चरित्र और सचाई के प्रतिमूर्ति हैं। परोपकारी, अहिंसावादी, मानवता के पुजारी भारतीय सबसे प्रेम करनेवाले हैं। अतिथि सत्कार का जी जान से पालन करनेवाले पवित्र लोग हैं। खुद कष्टों को झेलते कर्तव्य पालन करनेवाले मानवतावादी हैं। अपने – पराये का भेद न रखकर सबसे मिलजुलकर रहनेवाले प्रेमालू. लोग हैं। इस तरह कविता में भारतीयों के महान गुणों का वर्णन किया गया है।

(ప్రపంచంలో భారతదేశానికి తనదైన గొప్ప స్థానం ఉన్నది. భారతీయ ప్రజలు అదృష్టవంతులు మరియు గొప్ప చరిత్ర కలవారు. వీరు సహృదయం, నిస్వార్థం, సత్చరిత్ర మరియు నిజాయితీల ప్రతిరూపాలు. పరోపకారం, అహింసావాదం, మానవత యొక్క పూజారులు, భారతీయులు అందరిని ప్రేమించేవారు. అతిథి సత్కారాన్ని మనస్ఫూర్తిగా పాటించే పవిత్రమైనవారు. స్వయంగా కష్టాలను భరించి కర్తవ్యపాలన చేసే మానవతావాదులు. తరతమ భేదాలు లేకుండా అందరితో కలిసిమెలిసి ఉండే ప్రేమ గలవారు. ఈ విధంగా కవితలో భారతీయుల గొప్ప గుణాల వర్ణన చేయబడింది.)

प्रश्न 2.
भारत की कुछ नदियों के बारे में बताइए।
(భారతదేశపు కొన్ని నదుల గురించి తెలపండి.)
उत्तर :
भारत एक विशाल और पवित्र देश है। इस देश में अनेक नदियाँ बहती हैं। इन नदियों का पानी भारतीयों के लिए अति पवित्र है । इन्ही के कारण भारतीय लोग सुखमय जीवन बिता रहे है । ऐसी नदियों में ये प्रमुख हैं।

1. गंगा : गंगा भारत की सबसे प्रसिद्ध नदी है। इसे सुरगंगा कहते हैं। इसका जन्म पवित्र हिमालयों में स्थित गंगोत्री में हुआ है । यह भारतवासियों की सबसे प्रिय नदी है ।

2. ब्रहमपुत्र : यह नदी हिमालयों के तिब्बत में पैदा होकर असम में से बंगला देश में प्रवेश करती है। भारत में तो 725 कि.मी. ही बहती है । इसे बाढों की नदी भी कहते हैं। इस नदी के कारण असम राज्य सुसंपन्न होता है ।

3. सिंधु : यह नदी हिमालय पर्वतों के मानसरोवर में पैदा हुयी। यह जम्मू-कश्मीर में से 709 कि.मी. बहकर अरब महासागर में मिलती है।

4. गोदावरी : यह भारत में पूरब की ओर बहनेवाली बडी नदी है। यह महाराष्ट्र प्रांत के नासिक और त्रयंबक के यहाँ पैदा हुयी। इसकी मंजीरा, प्राणिहिता जैसी पाँच उपनदियाँ भी हैं, ये अंत में बंगाल की खाडी में विलीन हो जाती हैं।

5. कृष्णा : कृष्णा महाराष्ट्र में स्थित पश्चिमी घाटियों में महाबलेश्वर के यहाँ पैदा हुयी। 1400 कि.मी.है। बंगाल की खाडी में मिलती है। इसकी तुंगभद्रा, मूसी, पालेरु, भीमा आदि उपनदियाँ हैं।

(భారత్ ఒక విశాలమైన, పవిత్రమైన దేశము. ఈ దేశంలో అనేక నదులు ప్రవహిస్తున్నవి. ఈ నదుల నీరు భారతేయులకు అతి పవిత్రమైనది. వీటి కారణంగానే భారత ప్రజలు సుఖమయ జీవితాన్ని గడుపుచూ ఉన్నారు. అలాంటి నదులలో. ఇవి ముఖ్యమైనవి.

1. గంగ: గంగ భారతదేశ ప్రసిద్ధిగాంచిన నది. దీనిని దేవగంగ అని అంటారు. దీని పుట్టుక పవిత్ర హిమాలయాలలో ఉన్న గంగోత్రిలో జరిగింది. ఇది భారతవాసుల అన్నిటికంటే ప్రియమైన నది.

2. బ్రహ్మపుత్ర : ఈ నది హిమాలయాలలోని టిబెట్లో పుట్టి అసోంలో బంగ్లాదేశ్లో కలుస్తుంది. భారత్లో అయితే 725 కి.మీ. మాత్రమే ప్రవహిస్తుంది. దీనిని వరదల నది అని కూడా అంటారు. ఈ నది కారణంగా అసోం సుసంపన్నమవుతోంది.

3. సింధు : ఈ నది హిమాలయపర్వతాల మానస సరోవరంలో పుట్టింది. ఇది జమ్మూ-కాశ్మీర్లో 709 కి.మీ. ప్రవహించి, అరేబియా మహాసముద్రంలో కలుస్తోంది.

4. గోదావరి : ఇది భారత్లో తూర్పున ప్రవహించే పెద్ద నది. ఇది మహారాష్ట్రలోని నాసిక్ లోని త్రయంబకం వద్ద పుట్టింది. దీనికి మంజీర, ప్రాణహిత లాంటి ఐదు ఉపనదులు కూడా ఉన్నాయి. ఇవి చివరకు బంగాళాఖాతంలో విలీనమైపోతాయి.

5. కృష్ణ : కృష్ణానది మహారాష్ట్రలోని పశ్చిమపర్వతాలలో మహాబలేశ్వరం వద్ద పుట్టింది. దీని పొడవు 1400 కి.మీ. బంగాళాఖాతంలో కలుస్తుంది. తుంగభద్ర, మూసి, పాలేరు, భీమ దీని ఉపనదులు.)

TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है….

आ. कविता के आधार पर उचित क्रम दीजिए। (కవిత ఆధారంగా సరియైన సంఖ్య ఇవ్వండి.)

1. एक चीज़ यही तो रहती है. ( )
2. मिलजुल के रहो और प्यार करो (1)
3. जिस देश में गंगा बहती है ( )
4. हम उस देश के वासी हैं ( )
उत्तर :
1. 2
2. 1
3. 4
4. 3

इ. भाव से संबन्धित कविता की पंक्तियाँ लिखिए।
(భావమునకు సంబంధించిన కవిత యొక్క పంక్తులను (వ్రాయంది.)

1. हम सब मिलजुलकर रहते हैं।
उत्तर :
मिलजुल के रहो और प्यार करो,
एक चीज़ यही तो रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।।

2. हम ईमानदारी से रहते हैं
और थोडे में गुज़ारा करते हैं।
उत्तर :
मेहमाँ जो हमारा होता है
वो जान से प्यारा होता है।
ज़्यादा का नहीं लालच हम को,
थोड़े में गुज़ारा होता है।।

ई. पंक्तियाँ पढिए। भाव बताइए।
अपना किसी से वैर न समझो,
जग में किसी को गैर न समझो।
आप पढ़ो, औरों को पढ़ाओ,
घर-घर ज्ञान की जोत जलाओ ॥
TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है…. 1
उत्तर :
भाव : अपने किसी भी व्यक्ति को शतृ न समझिए। विश्व के हर आदमी को पराया नहीं, अपना ही समझिए। खुद अध्ययन कीजिए, दूसरों को यथा शक्ति पढाने का यन्म कीजिए। अपना कर्तव्य समझकर हर एक परिवार में ज्ञान दीप जलाइए। सबको ज्ञानी बनाइए।

(మన వారిని ఎవరినీ శత్రువుగా తలచవద్దు,
జగత్తులోని ఎవరినీ పరాయివారుగా భావించవద్దు.
మీరు చదవండి. ఇతరులను చదివించండి,
ఇంటింటా జ్ఞానజ్యోతి వెలగించండి. అందరినీ జ్ఞానవంతులుగా తయారు చేయండి.)

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अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ/ప్రస్తుతీకరణ – నిర్మాణాత్మకత) :

अ. इन प्रश्नों के उत्तर दो – तीन वाक्यों में दीजिए।
(ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు రెండు-మూడు వాక్యములలో ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
मिलजुलकर रहने से क्या लाभ हैं?
(కలసి – మెలసి ఉండడం వల్ల ఏం లాభాలు కలుగుతాయు ?)
उत्तर :
‘जिस देश में गंगा बहती है …’ गीत में भारतवासियों के महान गुणों पर प्रकाश डाला गया है। भारतवासी भाग्यवान और महान चरित्रवाले हैं। बिना किसी भेदभाव के निस्वार्थ जीवन बितानेवाले हैं। मानवों का सच्चा मूल्य जानते हैं। इसलिए मिलजुलकर रहना भारतीयों का प्रथम पवित्र गुण है। इससे सब लोगों में अपनापन पैदा होकर प्रेम भाव बढता है। दूसरों के कष्टों को दूर करके सुखमय जीवन बिता सकते हैं। रिश्ते दृढ होते हैं। सब, सबकी भलाई चाहते बिना किसी वैमनस्य के मानवता के पुजारी बनते हैं। हम सब एक हैं, हमारा भारत एक है कि भावना बनी रहती है।

(‘జిస్ దేశ్ మే గంగా బహతీ హై ….’ గీతంలో భారతవాసుల గొప్పగుణాలపై దృష్టి సారించారు. భారతవాసులు అదృష్టవంతులు, గొప్ప చరిత్ర కలిగినవారు. ఎటువంటి భేదభావాలు లేక నిస్వార్థ జీవనం గడిపేవారు. మానవుల నిజమైన విలువ తెలిసినవారు. ఇందువల్ల కలిసిమెలిసి ఉండటం భారతీయుల ప్రథమ పవిత్ర గుణం. దీనివల్ల అందరిలో మనం అనే భావన పుట్టి, ప్రేమ భావం పెరుగుతుంది. ఇతరుల కష్టాలను దూరం చేసి సుఖమయ జీవనం గడపగలం. సంబంధాలు దృఢపడతాయి. అందరూ అందరి మంచి కోరుకుంటూ ఎటువంటి కలతలు (వైరుధ్యాలు) లేని మానవత్వము యొక్క పూజారులు అవుతారు. మనం అంతా ఒకటి, మన భారతదేశం ఒకటి అనే భావన నిలిచి ఉంటుంది.)

प्रश्न 2.
अपने मेहमान के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
(మన అతిధి యెడల ఎలా వ్యవహరిస్తాము?)
उत्तर :
मेहमान का अर्थ है अतिथि। अतिथि हमारे लिए भगवान की प्रतिमूर्ति समान है। अतिथि का सत्कार भारतीय लोगों का जन्म सिद्ध गुण है । ऐसे अतिथि की भलाई या अतिथि को खुश रखने अपनी हानि की भी परवाह नहीं करनेवाले हैं हम। अतिथि सत्कार को ही परम धर्म मानकर जी जान से उसकी सेवा में निमग्न होते हैं।

(మెహమాన్ యొక్క అర్ధం అతిథి. అతిథి మనకు భగవంతుని ప్రతిరూపముతో సమానము. అతిథి సత్కారము భారతీయుల జన్మసిద్ధ గుణము. అటువంటి అతిథి మేలు కోసం, అతిథిని సుఖపెట్టడానికి మనకు జరిగే హాని కూడా లక్ష్యపెట్టని వారము మనము. అతిథి సత్కారమే పరమావధిగా భావించి మనసారా వారి సేవలో నిమగ్నము అయ్యెదము.)

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प्रश्न 3.
‘ज़्यादा का नहीं लालच हम को, थोडे में गुज़ारा होता है।” इसका भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(“అమితంగా సంపాదించాలనే ఆలోచన లేదు, కొద్దిపాటితోనే సంతృష్టులై ఉంటాము” దీని భావం మీ సొంతమాటల్లో వ్రాయండి.)
उत्तर :
भारतवासी कभी ज़्यादा कमाने के लालची न बनकर भाग्य से जो कुछ मिला, उसी से तृप्त होकर जीवन बितानेवाले हैं।
(భారతవాసుల ఎన్నడూ అధికంగా సంపాదించాలనే దురాశాపరులు కాకుండా అదృష్టవ్రశాత్త దొరికిన కాద్దిపాటి దానిలోనే సంతుష్టలై జీవనం గడిపేవారు.)

आ. इस गीत का सार अपने शब्दों में लिखिए।
(ఈ గీతము షొక్క సారాన్ని మీ మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
श्री शैलेंद्र कुमार हिन्दी के फ़िल्मी गीतकारों में प्रमुख हैं। उनकी लिखी उत्तम फ़िल्मी गीत है’ ‘जिस देश में गंगा बहती है ……”।
शैलेंद्र जी ने इस गीत में मातृभूमि भारत देश की महानता और भारतवासियों के उच्चतम गुणों का सुन्दर ढंग से वर्णन किया है। संसार में भारत का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। भारत में पवित्र सुर गंगा बहती है। ऐसे पवित्र देश के लोग भी महान चरित्रवाले हैं। उनके दिल पवित्र और निर्मल हैं। उनके होंठों से सदा सच ही निकलता है। अतिथि सत्कार भारतवासियों का जन्मसिद्ध गुण है। इसका पालन वे जी जान से करते हैं। कभी लालच में पडकर ज़्यादा से ज़्यादा कमाने के बजाय जो थोडा भाग्य से मिले उसीसे संतुष्ट होनेवाले हैं। भूमाता भी ऐसी भारत संतान को आशीर्वाद देकर सब कुछ सहकर मदद करंती है।
भारतवासी मानवतावादी हैं। विश्व के हर एक व्यक्ति का महत्व खूब जानते हैं। चाहे कितने भी भेदभाव रहे सब मिलजुलकर प्रेम से रहना वे अपना धर्म मानते हैं, वे पराये (विदेशी) लोगों को भी अपनानेवाले हैं। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए जीवन बितानेवाले नहीं है।
इतने उत्तम गुणवालों का संसार भर में आदरणीय स्थान है । यही बात आज सारे विश्व में फैली है।

(శ్రీ శైలేంద్ర కుమార్ హిందీ పాటల రచనలో ప్రముఖులు. వారు రాసిన “జిస్ దేశ్ మే గంగా బహతీ .” గొప్ప కవిత. శైలేంద్ర కుమార్ ఈ కవితలో మాతృభూమి భారతదేశం, దాని గొప్పతనం, భారతవాసుల అత్యుత్తమ గుణములను గొప్పగా వర్ణించారు. ప్రపంచంలో భారతదేశానికి తనదంటూ ప్రత్యేక స్థానమున్నది. భారత్లో పవిత్ర సురగంగ ప్రవహిస్తున్నది. అట్టి పవిత్ర దేశపు ప్రజలు కూడా గొప్ప సంస్కారవంతులు. వారి మనస్సులు పవిత్రమైనవి, నిర్మలమైనవి. వారి పెదవుల నుండి ఎల్లప్పుడూ సత్యమే వెలువడుతుంది.

అతిథి సత్కారము భారతీయుల జన్మసిద్ధ సంస్కారం. దీనిని వారు త్రికరణ శుద్ధిగా ఆచరించెదరు. ఎన్నడూ దురాశకు పోకుండా, అమితంగా సంపాదించాలనే ఆలోచన లేకుండా భాగ్యముతో లభించిన కొద్దిపాటిలోనే సంతృప్తులు అయ్యేవారు. భూమాత కూడ అట్టి తమ బిడ్డలను ఆశీర్వదిస్తూ అన్నిటిని సహించి సాయం చేస్తుంది.

భారతవాసులు మానవతావాదులు. ప్రపంచంలోని ప్రతి వ్యక్తి విలువను చక్కగా తెలిసినవారు. ఎన్ని భేదభావములు ఉన్నప్పటికీ అందరూ కలిసిమెలిసి ప్రేమగా ఉండటం వారు తమ ధర్మమని భావిస్తారు. వారు పరాయివారిని (విదేశీయులను) కూడ తమ వారిగా భావిస్తారు. తమ స్వార్థ సిద్ధి కోసం జీవితం గడిపేవారు కాదు.
ఇన్ని గొప్ప గుణములు కలిగిన వారికి ప్రపంచంలో గౌరవనీయమైన స్థానమున్నది. ఈ విషయమే నేడు ప్రపంచమంతటా వ్యాపించి ఉన్నది.)

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इ. देशभक्ति भावना पर चार पंक्तियों की कविता लिखिए।
(దేశభక్తి భావన మీద నాలుగు పంక్తుల కవిత వ్రాయండి.)
उत्तर :
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड लेना वनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक,
मात्रुभूमि पर शीश चढाने जिस पथ जावें वीर अनेक।

ई. इस गीत में आपको कौन – सी बातें बहुत अच्छी लर्गी ? क्यों ?
(ఈ గీతంలో మీకు ఏ విషయములు చాలా బాగా నచ్బినవి ? ఎందుకు ?)
उत्तर :
यह गीत भारत की महानता बतानेवाला है। इसमें भारतवासियों के उत्तम गुणों पर प्रकाश डाला गया है। उनमें इनसानियत, मिलजुलकर रहना आदि मुझे बहुत अच्छे लगे हैं। क्योंकि विश्व में अनेक देश हैं। उन देशों में रहनेवाले अनेक गुणों के लोग हैं। लेकिन भारतवासी सबसे श्रेष्ठ हैं।

मानवता के पुजारी हैं भारतवासी। भारतवासी मुक्ति पर श्रब्धा रखनेवाले सच्चित्र व्यक्ति हैं। वे जानते हैं कि विश्व के सब मानव बिना किसी भेदभाव के समान हैं। इसलिए सब पर मानवता दिखाना इनका उत्तम गुण है। इसी कारण सबको समानता और समता की दृष्टि से देखते हैं। मिलजुलकर रहना “भारतीयों का खास गुण है। “वसुदैक कुटुंबकम्” पर विश्वास रखनेवाले हैं। उनके काम भी उसी आशय के अनुरूप ही होते हैं।

(ఈ గీతం భారత్ యొక్క గొప్పదనాన్ని తెలిపేది. దీనిలో భారతవాసుల ఉత్తమ గుణాలపై దృష్టి సారించబడింది. వారిలో మానవత్వం, కలిసిమెలిసి ఉండటం మొదలగునవి నాకు నచ్చాయి. ఎందుకంటే ప్రపంచంలో అనేక దేశాలు ఉన్నాయి. ఆ దేశాలలో ఉండేవారు అనేక గుణాలు కలిగి ఉన్నవారు. కాని భారతవాసుటు అందరికంటే (శేష్ఠులు.

మానవత్వాన్ని పూజించేవారు భారతవాసులు. భారతవాసులు ముక్తిపై గ్ర్ధపెట్టే సచ్చరిత్రులు. ప్రపంచ మాసవులందరూ భేదభావాలు లేకుండా సమానమని వారికి తెలుసు. ఇందుకని అందరిపై మూనవట్వాన్ని చూపించడం వీరి ఉత్తమ గుణం. దీని కారణంగానే అందరినీ సమత – సమానతా అనే దృష్టిహో చూస్తారు.
కలిసితిసి ఉండటం భారతీయుల ప్రత్యేక గుఁఇం. వసుగైక కుటుంబకంపై విశ్వాసం ఉంచేవారు. వారి పనులు కూడా వారి అశయానికనుగుణంగా జరుగుతాయి.)

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भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. उदाहरण के अनुसार वाक्य बनाइए।
(ఉదాహరణ [పకారము వాక్యము తయారు చేయంది.)
यह + में – इसमें (దీనిలో / ఇతనిలో) उदा : यह उपवन है। इसमें फूल हैं।
जो + में – जिसमें (ఎవరిలో) (దానిలో) (అతనిలో)
उदा : वह नौवीं कक्षा का लडका है। जिसमें देश भक्ति की भावना अधिक है।

आ. मुहावरे का अर्थ बताइए। (జాతీయము/లోకోక్తి భావము తెలపండి.)
जान से प्यारा होना ………………….
उत्तर :
जान से प्यारा होना
– बहुत प्रिय होना

इ. नीचे दिये गये वाक्यों की वाक्य रचना समझिए।
(దిగువ ఇవ్వబడిన వాక్యముల వాక్యరచన తెలుసుకోండి.)

TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है…. 2
1. हम भारत वासी हैं। – మనము భారతవాసులము.
2. हमारे होंठों पर सचाई रहती है। – మన పెదవులపై సత్యమే ఉంటుంది.
3. हमारे दिल में सफ़ाई रहती है। – మన మనస్సులో నిర్మలత్వము ఉంటుంది.

(ఈ వాక్యములు స్వతంత్రంగా ఏర్పడినవి. వీనిలో వేరొక వాక్యము కలవలేదు. ఇట్టి వాక్యములను సరళ వాక్యములు అందురు.)

TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है…. 3
उत्तर :
1. हम भारत के वासी हैं और भारत देश हमारा है।
(మనము. భారతవాసులము, భారతదేశము మనది.)
2. हमारे होठों पर सचाई रहती है और दिल में सफ़ाई रहती है।
(మన పెదవులపై నిజాయితీ ఉంటుంది. మనస్సులో స్వచ్ఛత ఉంటుంది.)
3. हम सब भारतीय हैं इसलिए हम सब एक हैं।
(మనమంతా భారతవాసులము. అందువలన మనమందరము ఒకటే.)

(ఈ వాక్యములలో రెండు సరళ వాక్యముల కలయిక జరిగింది. ఈ విధముగా రండు వాక్యముల కలయికలో ఏర్పదిన వాక్యములను సంయుక్త వాక్యములు అందురు.)

TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है…. 4
उत्तर :
1. मेहमाँ जो हमारा होता हैं, वो जान से प्यारा होता है ।
(మన అఆిథులు ఎవరైతే ఉన్నారో, వారు మన ప్రాణం కన్న మిన్న ఐనవారు.)
2. हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में गंगा बहती है।
(ఏ దేశంలో అయితే గంగ (ప్రవహిస్తున్నదో, మనము ఆ దేశ వాసులము,)

(ఇక్కడ సరళ వాక్యముతోపాటు ఉపవాక్యము (ఆశ్రీత వాక్యము) కలయిక ఇరిగింది. సరళ వాక్యములో ఏదేని ఆశ్రీత వాక్యము కలయిక జరిగితే దానిని మిశ్రమ వాక్యము ఆందురు.)

ई. नीचे दिये गये वाक्यों की वाक्य रचना पहचानिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన వాక్యముల వాక్యరచన గమనించండి.)

हम नवी कक्षा के छात्र हैं।
(మేము తొమ్మిదవ తరగత విద్యార్ధులమ.)

हम अपना भविष्य बनायेंगे और देश की सेवा करेंगे।
(మనము/మేము/ మస భవిష్యత్తును నిర్మించుకుంటాము, దేశసేవ చేస్తాము.)

जो जितनी मेहनत करेगा वह उतना ही आगे बढेगा।
(ఎవరు, ఎంత శ్రమ చేస్తాడో, అతడు అంతే అభివృద్ధి సాధిస్తాడు.)

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परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

शैलेंद्रकुमार के इस गीत की कुछ पंक्तियाँ ही पाठ में दी गई हैं। आप इस गीत की अन्य पंक्तियों का संकलन कर पाठ में दी गई कविता के साथ जोड़कर संपूर्ण गीत का प्रदर्शन कक्षा में कीजिए।
(శైలేంద్ర కుమార్ గారి ఈ గేయం యొక్క కొన్ని పంక్తులు మాత్రమే పాఠంలో ఇవ్వబడినవి. మీరు ఈ గేయం యొక్క అన్య పంక్తులను కవితతో కలిపి సంపూర్ణ గేయం తరగతి గదిలో ప్రదర్శించండి.)
उत्तर :
होठों पे सचाई रहती है,
जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देथ में ठांगा बहती है ।।
मेहमाँ जो हमारा होता है,
वो जान से प्यारा होता है।
ज़्यादा का नहीं लालच हम को.
थोड़े कें गुज़ारा होता है॥
बच्चों के लिए जो धरती माँ,
सदियों से सभी कुछ सहती है.
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में वंगा बहती है।
कुछ लोटा जो ज़्यादा जानते हैं.
इंसान को कम पहचानते हैं।
ये पूरब हैं पूरब वाले,

हर जान की कीमत जानते हैं।
मिलजुल के रहो और प्यार करो.
एक चीज़ यहीं तो रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश कें ठांगा बहती है॥
जो जिससे मिला सीखा हमने
ठैरों को भी अपनाया हमने।
मतलब के लिए अंधे होकर,
रोटी को नहीं पूजा हमने ॥
अब हम तो क्या सारी दुनिया,
सारी दुनिया से कहती है।
हम उस देश के वासी हैं.
जिस देश में ठंगा बहती है।
होठों पे सचाई रहती है,
जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में वांगा बहती है ॥

TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है….

प्रश्न – II

प्रश्न 1.
भारतीयों की क्या विशेषता होती है?
(భారతీయ ప్రత్యేకత ఎమిటి?)
उत्तर :
विश्व में भारत देश का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। भारत देश में रहनेवाले भारतवासी भाग्यवान हैं। वे सहृदयी, निस्वार्थी, सच्चरित्र, अहिंसावादी, सच बोलनेवाले, परोपकारी, मानवतावादी हैं। कितनी भी मुश्किलें आयें अपने आदर्श गुणों को नहीं छोडनेवाले महान लोग हैं। सबको अपना समझनेवाले हैं। उनके लिए कोई पराया नहीं है। ऐसे भारतीय लोगों के समान विश्व के दूसरे देशवाले नहीं हैं।

(జగత్తులో భారతదేశానికి చాలా విలువైన స్థానము ఉన్నది. భారతదేశంలో నివసించెడి భారతీయులు భాగ్యవంతులు. వారు సహృదయులు, నిస్వార్థపరులు, సచ్చరిత్ర కలిగినవారు. అహింసావాదులు. సత్తమే మాట్లాడువారు, పరోహకారులు, మానవఠావాదులు. ఎన్ని కష్టాలు ఎడురైనా తమ ఆదర్శ గుణములను ఎన్నడూ విడిచి పెట్టని గొప్ప (ప్రజలు. అందరినీ తమవారిగా భావించేవారు. వారికి పరాయివారు ఎవరూ కారు. ఇటువంది భారతీయులకు సమానంగా (ప్రపంచ ఏ దేశవాసులూ. లేరు.)

प्रश्न 2.
किसी एक राष्ट्रीय चिहन का चित्र उतार कर पाँच वाक्य लिखिए। दीवार पत्रिका पर चिपकाइए।
(ఏదేని ఒక జాతీయ చిహ్నం బొమ్మ గీచి దాని గురించి ఐదు వాక్యాలు వ్రాసి గోడ పత్రికపై అతికించండి.)
उत्तर :
TS 9th Class Hindi Guide 1st Lesson जिस देश में गंगा बहती है…. 7
आम भारत देश का राष्ट्र फल है।
आम को फलों का राजा कहकर पुकारते हैं।
आम के फल गर्मी के मौसम में अधिक मिलते हैं।
आम कच्चा और पका दोनों रूपों में मिलता है।
कच्चे आम से चट्नी, अमचूर और मुरब्बा आदि बनाते हैं।
आम के फल को स्त्री – पुरुष, बच्चे – बढ़े सब चाव से खाते हैं।
आम का फल बहुत मीठा होता है। आर कई प्रकार के होते हैं।
जैसे : रसाल, मलगोबा, बंगिनपक्ली, तोतापरी, लंगडा, सफ़ेदा, दशहरी आदि।
(మామిడికాయ ఖారతదేశ జాతీయ ఫలం.
మామిడి కాయ (పండు)ను ఫలాలలో రాజు అని అందరూ పిలిచెదరు.
మామిడి పండ్లు వేసవి కాలంలో ఎక్కువగా లభించును.
మామిడి కాయలు పచ్చవిగానూ పండ్లరూపంలోనూ లథించును.
పచ్చిమామిడి కాయలతో చట్నీ, మామిడి చూర్టము, ఆవకాయ పచ్చడి, మామిడి తాండ్ర, మామిడి మురబ్ఖా మొదలగు వానిని తయారు చేయురురు.
మామిడి పండ్రను స్త్రీలు – పురుషులు, పిల్లలు -.ముసలి వాళ్ళు అందరూ చాలా ఇష్టంతో తినెదరు.
మామిడి పండ్లు చాలా తీయగా ఉండును.
మామిడి పండ్లు అనేక రకములు – రసాల్, మల్గోబా, బంగినపల్లి, తోతాపరీ, లంగ్డా, సఫేదా మరియు దశ్హరీ మొ॥నవి మామిడి పండ్లలోని కొస్ని రకములు.)

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3. गंगा भारत की राष्ट्र नदी है। तालिका में दिये गये राष्ट्रीय चिहनों के नाम लिखिए। किसी एक का चित्र उतारकर पाँच वाक्य लिखिए। दीवार पत्रिका पर चिपकाइए।
(గంగ భారతదేశపు జాతీయ నది. పట్టికలో ఇచ్చిన జాతీయ చిహ్నముల పేర్లు వ్రాయండి. ఏదేని ఒకదాని బొమ్మ
గీచి, ఐదు వాక్యములు వ్రాయండి. గోడపత్రికపై అంటించండి.)
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उत्तर :
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अर्थग्राहयता-प्रतिक्रिया :
पठित – पह्यांश

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. होटों पे सचाई रहती है,
जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है ।।

प्रश्न :
1. भारतीयों के दिलों में क्या रहती है?
2. जिस देश में गंगा बहती है उस देशवासियों को क्या कहते हैं?
3. भारतीयों के होठों पर क्या रहती है ?
4. उपर्युक्त पद्यांश किस पद्यपाठ से लिया गया है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन हैं?
उत्तर :
1. भारतीयों के दिलों में सफ़ाई रहती है।
2. जिस देश में गंगा बहती है, उस देश वासियों को भारतीय कहते हैं।
3. भारतीयों के होठों पर सचाई रहती है।
4. उपर्युक्त पद्यांश “जिस देश में गंगा बहती है …” नामक पद्यपाठ (गेय कविता) से लिया गया है।
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री शेलेंद्र कुमार जी।

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II. मेहमाँ जो हमांरा होता है,
बो जान से प्यारा होता है।
ज़्यादा का नहीं लालच हमको,
थोडे में गुज़ारा होता है॥

प्रश्न :
1. जान से भी प्यारा हमें कौन है?
2. हम किस देश के वासी हैं?
3. बच्चों के लिए सदियों से सब कुछ कौन सहती है?
4. थोडे में गुज़ारा किनका होता है?
5. हमें कितना लालच नहीं है?
उत्तर :
1. मेहमान जो हैं। वो हमें जान से भी प्यारा है।
2. हम भारत देश के वासी हैं।
3. बच्चों के लिए सदियों से धरती मॉं सब कुछ सहती है।
4. भारत वासियों को थोडे में गुज़ारा होता है।
5. हमें ज्यादा का लालच नहीं है।

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III. मिलजुल के रहो और प्यार करो,
एक चीज़ यही तो रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है॥

प्रश्न :
1. सारी दुनिया से क्या कहती है ?
2. गंगा किस देश में बहती है?
3. इस पद्यांश में किस देश वासियों के गुणों के बारे में बताया गया है?
4. उपर्युक्त पद्य किस पाठ से दिया गया है?
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन हैं?
उत्तर :
1. सारी दुनिया सारी दुनिया से कहती है कि हम उस देश के वासी जिस देश में गंगा बहती है।
2. गंगा भारत देश में बहती है।
3. इस पद्यांश में भारत देश के देशवासियों के गुणों के बारे में बताया गया है।
4. उपर्युक्त पद्य ‘जिस देश में गंगा बहती है ….’ नामक पद्यपाठ से दिया गया है।
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री शैलेंद्र कुमार।

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अपठित – पद्यांश

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. भारत् नहीं स्थान का वाचक, गुण विशेष नर का है,
एक देश का नहीं, शील यह भूमंडल भर का है।
जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है,
देश – देश में वहाँ खडा भारत जीवित भास्वर है।।

प्रश्न :
1. जीवित भास्वर क्या है?
2. गुण विशेष नर का देश क्या है?
3. भारत किसका वाचक नहीं है?
4. भूमंडल भर का शील क्या है?
5. इस पद्य में किस देश की महानता के बारे में वर्णन किया गया है ?
उत्तर :
1. इस पद्य में जीवित भास्वर ‘भारत’ है।
2. गुण विशेष नर का देश “भारत” है।
3. भारत स्थान का वाचक नहीं है।
4. भूमंडल भर का शील भारत देश है।
5. इस पद्य में भारत देश की महानता के बारे में बताया गया है।

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II. मॉँगन मरन समान है, मंत कोई मॉगो भीख।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरू की सीख ॥

प्रश्न :
1. कोई भी किसे मत मॉगना चाहिए ?
2. माँगने से क्या भला है ?
3. सतगुरु की सीख क्या है ?
4. “सीख” शब्द का अर्थ क्या है ?
5. मरंना शब्द का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर :
1. कोई भी भीख मत माँगना चाहिए।
2. माँगने से मरना भला है।
3. सत्गुरु की सीख है – “मत माँगना”।
4. सीख शब्द का अर्थ है “शिक्षा”।
5. मरना शब्द का विलोम शब्द है “जीना”।

III. भले बुरे सब एक से, जो लौ बोलत नाहिं।
जान परतु है काक पिक, रितु बसंत के माहि।।

प्रश्न :
1. भले – बुरे सब कैसे होते हैं?
2. ‘भला’ शब्द का विलोम शब्द क्या है?
3. कांक – पिक का जान हमें इस ऋतु में मिलता है?
4. “रितु” शब्द का अर्थ क्या है?
5. काक और पिक दोनों कैसे होते हैं?

उत्तर :
1. भले – बुरे सब एक से होते हैं।
2. भला शब्द का विलोम शब्द है – “बुरा’।
3. काक – पिक का जान हमें वसंत ऋतु में होता है।
4. रितु शब्द का अर्थ है “ऋतु’।
5. काक और पिक दोनों काले रंग के होते हैं।

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IV. नाच – नाच कर आता मोर
नाना रंग दिखाता मोर
बच्चों को बहलाता मोर,
बाग – बाग उड जाता मोर,
बन – बन शोभित होता मोर,
साबन में खुश होता मोर।

प्रश्न :
1. मोर कैसे आता है?
2. नाना रंग कौन दिखाता है ?
3. मोर किनको बहलाता है?
4. बाग – बाग कौन उड जाता है?
5. मोर कब खुश होता है?
उत्तर :
1. मोर नाच नाचकर आता है।
2. नाना रंग मोर दिखाता है।
3. मोर बच्चों को बहलाता है।
4. बाग – बाग मोर उड जाता है।
5. मोर सावन में खुश होता है।

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v. घिर आये हैं बादल काले
गरज रहे हैं बन मतवाले
खुश हो होकर मोर कूकते
झूम – झूम के नाच दिखाते।
रिमझिम रिमझिम पानी पडता
जन-जन का मन खूब फडकता

प्रश्न :
1. बादल कैसे हैं?
2. मतवाले बनकर बादल क्या कर रहे हैं?
3. मोर क्या करते हैं?
4. झूम – झूम कर क्या दिखाते हैं?
5. पानी कैसे पडता है?
उत्तर :
1. बादल काले हैं।
2. मतवाले बनकर बादल गरज रहे हैं।
3. मोर कूकतें हैं।
4. झूम – झूम कर नाच दिखाते हैं।
5. पानी रिमझिम – रिमझिम पडता है।

राष्ट्र ध्वज (జాతీయ జెండా) :

तिरंगा भारत का राष्ट्रीय झंडा है। इसमें तीन रंग है। केसरिया, सफ़ेद और हरा। झंडे के बीच में अशोक चक्र है। तिरंगा भारत की शान और शोकत का पवित्र प्रतीक है। इससे त्यागशीलता, शाँति, सुख संतोष और उत्नति पाने की भावनाओं की प्रेरणा मिलती है। राष्ट्रीय ध्वज पर प्रण करके सच्चे भारतीय नागरिक बनने का प्रयत्ग करना हम सबों का धर्म है।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

देश भक्ति गीतों का संकलन कर उनका पठन करना है। भारतवासी सत्य, अहिंसा, धर्म, न्याय, परोपकार, सद्भावना, मानवता आदि महान गुणों की पहचान हैं।

(దేశభక్తి గీతాల సంకలనం చేస వాదిని వదవాలి. భారతవాసులు సత్యము, అహింస, ధర్మము, న్యాయము, పరోపకారం, సద్భావన, మానవత్వము మొదలగు గాప్ప గుణముల ప్రతిమూర్తులు.)

शब्दार्थ – भावार्थ :

1. होठों पे सचाई रहती है,
जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • होंठ = పెదవులు, lips
  • सचाई = నిజము,వాస్తవం, truth
  • दिल = హృదము,మనస్సు, heart/soul
  • सफ़ाई = పరిశుభ్రత, cleanliness
  • बहना = ప్రవహించుట, to flow

भावार्थ : भारत एक पवित्र और महान देश है। भारतवासी पवित्र गंगा नदी के बहनेवाले देश में रहनेवाले हैं। वे उत्तम गुणवाले और सहृदयी व्यक्ति हैं। उनके होंठों से सदा सच ही निकलता है। उनके हृदय निर्मल और विशाल हैं। वे दूसरों की भलाई ही चाहते हैं। चाहे अपने को हानि पहुँचे किसी की हानि नही करते हैं।

భావార్థము : భారతదేశము పవిత్రమైన, గొప్ప దేశము. భారతవాసులు పవిత్ర గంగానది ప్రవహించే దేశంలో నివసిస్తున్నవారు. వారు మంచి గుణములున్న సహృదయులు. వారి పెదవుల నుండి సదా సత్యమే వెలువడుతుంది. వారి మనస్సులు నిర్మలమైనవి, విశాలమైనవి. వారు ఇతరుల మేలు కోరుకుంటారు. తమకు హాని జరిగినా ఎవరికీ హాని కలిగించరు.

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2. मेहमाँ जो हमारा होता है,
वो जान से प्यारा होता है।
ज्यादा का नहीं लालच हमको,
थोडे में गुजारा होता है।।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • मेहमाँ = मेहमान, అతిథి, guest
  • जान = जीव, ప్రాణమ, life
  • प्यारा = ప్రియమైన, dear
  • ज़्यादा = ఎక్కువ, much
  • लालच = దురాశ, greed
  • थोडा = కొంచెము, స్వల్పము, little
  • गुज़ारा = జరుగుబాటు, existence

भावार्थ : भारत के लोग अतिथियों का सत्कार करना अपना भाग्य समझनेवाले हैं। इसे वे पवित्र और अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं। ऐसे महान कार्य करने में वे कभी अपनी हानि की परवाह नहीं करते हैं। अर्थात् अतिथि सत्कार को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व देनेवाले हैं। ऐसे भारतवासी कभी ज़्यादा कमाने के लालची न बनकर भाग्य से जो कुछ मिला, उसी से तृप्त होकर जीवन बितानेवाले हैं।

భావార్థము : భారత ప్రజలు అతిథి సత్కారాన్ని తమ అదృష్టంగా భావిస్తారు. దీనిని వీరు పవిత్రమైన తమ బాధ్యత అనుకుంటారు. ఇట్టి మహత్తర కార్య చేయటంలో వారు ఎన్నడూ తమకు కలిగే హానిని (నష్టాన్ని) కూడ పట్టించుకోరు. అంటే అతిథి సత్కారాన్ని తమ ప్రాణాలకన్న మిన్నగా భావించే వారు. అట్టి భారతవాసులు ఎన్నడూ అధికంగా సంపాదించాలనే దురాశాపరులు కాకుండా అదృష్టవశాత్తు దొరికిన కొద్దిపాటి దానిలోనే సంతుష్టులై జీవనము గడిపేవారు.

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3. मिलजुल के रहो और व्यार करो,
एक चीज यही तो रहती है।
हम उस देश के वासी हैं,
जिस देश में गंगा बहती है।।

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

  • मिलजुलकर = కలిసిమెలిసి, together
  • प्यार करना = ప్రేమించుట, to love
  • चीज़ = వస్తువు, item

भावार्थ : महान भारत देश में सदा मानवता और समानता की भावनाएँ बनी रहती है। इसीलिए संसार में हमें कहीं न दिखाई देनेवाली “वसधैक कुटुंबकम्”‘ अथवा “अनेकता में एकता” की पवित्र भावना सिर्फ़ भारत देश में ही पायी जाती है। सब मानव ही हैं, प्रेम से रहिए, मिलजुलकर रहिए। यही भारत भर में फैली हुयी भावना है।

భావార్థము : గొప్ప భారతదేశంలో ఎల్లప్పుడూ మానవత్వము, నమానత్వ భావనలే ఏర్పడి ఉంటాయి. అందువలననే ప్రపంచంలో మనకు ఎక్కడా కనవడనటువంటి పవిత్ర “వసుధైక కుటుంబకం”/ “భిన్నత్వంలో ఏకత్వం” భావన కేవలం భారతదేశంలోనే కనిపిస్తుంది. అందరూ మానవులే. ప్రేమతో కలిసిమెలిసి ఉండే భావము భారతదేశం అంతటా వ్యాపించి ఉన్నది.

कवि (కవి) – शैलेंद्र कुमार (శైలేంద్ర కుమార్)
जीवनकाल (జీవతకాల०) – सन् 1923 – सन् 1966
विशेषताएँ : (ప్రత్యేకతలు) – कई प्रसिद्ध फ़िल्मी गीतों की रचना तीन बार फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
(పసిద్రి చెందిన అనేక సినీ గేయాల రచన మూడుసార్లు ఫిల్మ్రేర్ ప్రస్కారంటే సన్మానించబడినవారు.)

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సారాంశము :

శ్రీ, శైలేంద్ర్ కుమార్ హిందీ పాటల రచనలో ప్రముఖలు. పారు రాసీన “జిస్ దేశ్ మే గంగా బహతీ హై …….” గొప్ట కవిత.
శైలేఏడ్ర్ కుమార్ ఈ కవితలో మాతృభూమి భారతదేశం, డాని గొప్పతనం, భారతవాసుల అత్యత్తమ గుణములను గాప్పగా వర్డించారు. ప్రపంచంలో భారతదేతానికి తనదంటూ పప్రత్యేక స్థానమున్నది. భారత్లో పవిత్ర సురగంగ ప్రవహిస్తున్నది. అట్టి పవిత్ర దేశప్ ప్రజలు కూడా గూప్ప్ సంస్కారవంతులు. వాి మనస్సులు పవిత్రమైనవి, నిర్ముమైనవి. వాఠి పెదవుల నుండి ఎల్లప్పుడూ సత్యమే వెలువడుతుంది.

అతిథి సత్కారము భారతీయుల జన్మసిద్ధ సంస్కారం. దీనిని వారు గరికరణతుద్ధిగా ఆచరించెదరు. ఎన్నడూ దురాశకు పోకుండా, అమితంగా సంపాదించాలనే ఆలోచన లేకుండా భాగ్యముతో లఫ్ంచిన కొద్దిపాటిలోనే సంతృప్తలు అయ్యేవారు. భూమాత కూడ అట్టి తమ బిడ్డలను ఆశీర్వదిస్తూ అన్నిటిని సహించి సాయం చేస్తుంది.

భారతవాసులు మానవతావాదులు. (ప్రపంచంలోని (ప్రతి వ్యక్తి విలువను చక్కాా తెలిసినవారు. ఎన్ని భేదాావములు ఉన్నప్పటీకీ ఆందరూ కలిసిమెలిసీ (పేమగా ఉండటం వారు తమ ధర్మమని భావిస్తారు. వారు పరాయివారిన (విదేశీఝులను) కూడ తమ వారిగా భావిస్తారు. తమ స్వార్థసిద్ధి కోసం జీవితం గడిేవారు కాదు.
ఐన్ని గౌప్ప గుణములు కలిగిన వారికి ప్రపంచంలో గౌరవనీయమైన స్థానమున్నది. ఈ విషయమే నేడు (ప్రపంచమంతటా వ్యాపించి ఉన్నది.