Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 8th Lesson यक्ष प्रश्न Textbook Questions and Answers.
TS 9th Class Hindi 8th Lesson Questions and Answers Telangana यक्ष प्रश्न
प्रश्न – ప్రశ్నలు :
प्रश्न 1.
ये प्रश्न किसके मन में उत्पन्न हुए थे?
(ఈ ప్రశ్నలు ఎవరి మనస్సులో జనించినవి?)
उत्तर :
ये प्रश्न स्वामी विवेकानंद जी के मन में उत्पन्न हुए थे।
प्रश्न 2.
स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर किससे पूछा होगा?
(స్వామి వివేకానంద్ ఈ ప్రశ్నల సమాధానములు ఎవరిని అడిగి ఉండవచ్చు?)
उत्तर :
स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस से पूछा होगा।
प्रश्न 3.
इनके जीवन से हमें क्या संदेश मिलता है?
(వీరి జీవితం నుండి మనకు లభించు సందేశమేమి?)
उत्तर :
इनके जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि अपने ऊपर विश्वास रखो। सर्व धर्म एक ही हैं। सर्व धर्मों का सार एक ही हैं। देश को प्यार करो। भाईचारे के साथ जीवन जीतो।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)
अ. प्रश्नों के उत्तर सोचकर दीजिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఆలోచించి ఇవ్వండి.)
प्रश्न 1.
युधिष्ठिर के बारे में बताइए।
(యుధిష్ఠిరుని గురించి తెలపండి.)
उत्तर :
पांडुराज के दो पद्नियाँ थीं – कुंती और माद्री। महर्षि दुर्वास के मंत्र प्रभाव से कुंती के तीन पुत्र और माद्री के दो पुत्र हुए । कुंती का प्रथम पुत्र धर्म देवता यम धर्मराज की कृपा से पैदा हुआ था। वही युधिष्ठिर था। उसे ही धर्मराज, पांडुनंदन नाम से पुकारते थे। युधिष्ठिर तो धिर्यवान, साहसी, निडर, साधु स्वभाव, दया, ममता, मानवता से पूरित महान व्यक्ति थां।
अच्छी चालचलन, उत्तम चरित्र, विवेचना शक्ति संपन्न युधिष्ठिर को सब चाहते और आदर करते थे । सचमुच धर्म का दूसरा रूप था युधिष्ठिर, इसीलिए ही उसे धर्मराज कहते थे। यह सचमुच प्रेमालू था। अपने चारों भाइयों के प्रति वह असीम श्रद्धा रखता था। द्यूत क्रीडा में वह निपुण था। अपने अच्छे आचरण और गुणों से वह जीवन भर निष्कलंक बना रहा था। प्रजा की सेवा में तत्परता दिखाकर उनको सदा सुखी रखनेवाला श्रेष्ठ राजा था। नाम सार्थक करनेवाला महान व्यक्ति था युधिष्ठिर।
(పాండురాజుకు ఇద్దరు భార్యలు – కుంతి మరియు మాద్రి. మహర్షి దుర్వాసుని మంత్ర ప్రభావం చేత కుంతికి ముగ్గురు కుమారులు, మాద్రికి ఇద్దరు కుమారులు పుట్టారు.
కుంతి యొక్క ప్రథమ పుత్రుడు ధర్మదేవత యమధర్మరాజు కృప వల్ల పుట్టారు. అతడే యుధిష్ఠిరుడు. అతడినే ధర్మరాజు, పాండునందనుడు అనే పేర్లతో పిలిచేవారు. యుధిష్ఠరరుడు ధైర్యశాలి, సాహసవంతుడు, నిర్భయుడు, సాధు స్వభావం, దయ, మమత, మానవత్వంతో నిండిన గొప్ప వ్యక్తి.
మంచి నడవడిక, ఉత్తమ చరిత్, వివేచనాశక్తితో సంపన్నుడైన యుధిష్ఠిరుని అందరూ ఇష్టపడేవారు. గౌరవించేవారు. నిజంగా ధర్మానికి ప్రతిరూపం యుధిష్ఠిరుడు. ఇందువల్ల అతనిని ధర్మరాజు అనేవారు. ఇతడు నిజంగా ప్రేమ కలవాడు. తన సోదరుల పట్ల అమితమైన గశద్ధ కలవాడు. పాచికల ఆటలో నిపుణుడు. తన మంచి ఆచరణ, గుణాల వల్ల అతడు జీవితాంతం కళంకం లేకుండా ఉన్నాడు. ప్రజల సేవలో పేరు సార్థకం చేసుకున్న గొప్ప వ్యక్తి యుధిష్ఠిరుడు.)
प्रश्न 2.
युधिष्ठिर की जगह तुम होते तो किसे जीवित करवाना चाहते और क्यों ?
(యుధిష్ఠిరుని బదులుగా నీవు ఉంటే ఎవరిని జీవింపచేయకోరేవాడివి, ఎందుకు ?)
उत्तर :
युंधिष्ठिर महान चरित्रवान और शील संपन्न व्यक्ति था। धर्म परायण होने के कारण उसने यक्ष के कहने पर नकुल को जीवित करवाना चाहा। अगर उसकी जगह मैं होता तो पराक्रमी, साहसी, धंनुर्विद्या प्रवीण, पांडव मध्यम अर्जुन को जीवित करवाना चाहता । क्योंकि अर्जुन महान गुणवाला. और तेज संपन्न था । अनेंक देवों की कृपा सें वर और अस्त्र -शस्त्र प्राप्त किया हुआ महान व्यक्ति था। अपने पराक्रम और सज्जनता से किसी भी तरह वह अपने तीनों भाइयों को जीवित कर सकता है। इसीलिए मैं अर्जुन को जीवित करवाना चाहता।
(యుధిష్ఠిరుడు సచ్చరిత్ర గల శీల సంపన్నుడు. ధర్మపరాయణుడైన కారణముగ ఆయన యక్షుడు చెప్పిన మీదట నకులుణ్ణి బ్రతికింపచేయ తలచెను. అతనికి బదులుగా నేనే ఉంటే పరాక్రమ, ధైర్య, ధనుర్విద్యా ప్రవీణుడైనవాడు, పాండవ మధ్యముడు అర్జనుని జీవింపచేయతలచేవాణ్ణి. ఎందుకంటే అర్జునుడు గొప్ప గుణములు, తేజస్సు కలిగినవాడు. అనేక దేవతల కృప వల్ల వరాలు, అస్త్ర-శస్తాలు పొందియున్న గొప్ప వ్యక్తి తన పరాక్రమం, మంచితనం వల్ల తన మిగిలిన సోదరులెను జీవింపచేసేవాడు. ఇందువల్ల నేను అర్జునుని జీవింపచేయతలచేవాణ్ణి.)
आ. पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम दीजिए।
(పాఠం ఆధారంగా వాక్యములకు సరియైన వరుస ఇవ్వండి.)
1. युधिष्ठिर ने नकुल को पानी की तलाश में भेजा। ( )
2. पक्षपात रहित मेरे प्यारे पुत्र ! तुम्हारे चारों ही भाई जीवित हो। ( )
3. तुंम जिस किसी को भी चाहो, वह जीवित हो जाएगा। ( )
4. पांडव ब्राह्मण की व्यथा से प्रभावित हुए। (1)
उत्तर :
1. 2
2. 4
3. 3
4. 1
इ. गद्यांश पढिए। प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(గద్యాంశం చదవండి. ప్రశ్నలకు జవాబులు రాయండి.)
रानी सुदेष्णा का भाई कीचक बड़ा ही बलिष्ठ और प्रतापी वीर था। मत्स्य देश की सेना का वही नायक बना हुआ था। उसने अपने कुल के लोगों को साथ लेकर मत्स्याधिपति बूढे विराटराज की सत्ता पर अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार कर लिया था। कीचक की धाक लोगों में ऐसी बनी हुई थी कि लोग कहा करते थे कि मत्स्य देश का राजा तो कीचक ही है।
प्रश्न 1.
रानी सुदेष्णा का भाई कौन था ?
उत्तर :
रानी सुदेष्णा का भाई कीचक था।
प्रश्न 2.
विराट किस देश के राजा थे ?
उत्तर :
विराट मत्स्य देश के राजा थे।
प्रश्न 3.
देश की सेना का नायक कौन बना हुआ था ?
उत्तर :
देश की सेना का नायक कीचक बना हुआ था।
ई. इन प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए ।
प्रश्न 1.
ब्राह्मण पांडवों के पास आकर कौन – सी व्यथा सुनाने लगा ?
(జ్రాహ్యలుడు, పాండవుల వద్దకు వచ్చి ఏ జాధను విపించసాగిను?)
उत्तर :
महाभारत काल की बात है। पांडव द्रौपदी सहित बारह वर्ष के वनवास पर थे। एक दिन एक ब्राह्मण उनके पास आया । वह अपनी यह व्यथा सुनाते कहने लगा – एक हिरण मेरी अरणी (यज्ञादि क्रतु संपत्न करने अग्नि जलाने की लकडी) सहति भाग गया। अब मेरे पास यझ्ञ की अग्नि पैदा करने के लिए दूसरी लकडी नहीं है। कृपया मेरी लकडी वापस दिला दो।
(మహాభారత కాలము నాటి మాటి పాండవులు డ్రాపదితో సహా పన్నెండు సంవత్సరములు వనవాసంలో ఉండిరి. ఒకరోజు ఒక బ్రాహ్మణుడు పాండవుల వధ్దకు వచ్చాడు. అతడు – ఒక లేడ్డ నిప్వును రాజేసే కర్రతో , సహా పారిపోయినది. ఇప్పుడు నా దగ్గర యజ్ఞమునకు అగ్నిని పుట్టించెడి ఇంకొక కొయ్య (కర్ర) లేదు. దయచేసి నా క(రరను తిరిగి ఇప్పించండి అని తన బాధను వినిపిస్తూ చెప్పసాగెను.)
प्रश्न 2.
युधिष्ठिर को सरोवर के पास कौन – सी चेतावनी सुनायी दी ?
(యుధిష్ఠిరునికి సరోవరము దగ్గర ఎటువంటి హెచ్చరిక వినిపించింది ?)
उत्तर :
हिरण की खोज में भटकते पांडव थक गये। वे एक पेड के नीचे बैठ गये। प्यास से सभी के कंठ सूख रहे थे। युधिष्ठिर ने पहले नकुल को पानी की तलाश में भेजा। बहुत समय तक उसके न आने से एक – एक करके सहदेव, अर्जुन और भीम को भेजा। वे भी लौटकर नहीं आये तो खुद युधिष्ठिर उनकी खोज में निकल पडे। एक सरोवर के पास चारों भाई धरा पर पडे दिखाई दिये। पहले अपनी प्यास बुझाने युधिष्ठिर आगे बढे। तभी उनको एक आवाज सुनाई दी। सावधान तुम्हारे भाइयों ने मेरी चेतावनी की ओर ध्यान नहीं दिया। इसलिए उनकी यह दशा हुयी। यदि तुम पानी पीना चाहते हो तो पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो, फिर अपनी प्यास बुझाना।
(లేడిని వెతుకుతూ దారి తప్పి పాండవులు అలసిపోయిరి. వారు ఓక చెట్టు క్రింద కూర్చినిరి. దాహంతో వారి కంఠములు ఎండుచూ ఉన్నవి. యుధిష్టిరుడు మెదట నకులుణ్ణి నీటిని వెతకమని పంపెను. చాలా సమయము అయినప్పటిక్ అతను రాకపోఁేసరికి ఒక్కాక్కరిగా సహదేవుడు, అర్జునుడు, భీముణ్ణి పంపెను. వారు కూడా రాకపోయేసరికి స్వయంగా యుధిష్ఠిరుడే వారిని వెతుకుతూ బయలుదేరెను. ఒక సరోవరం వద్ద నలుగురు సోదరులు నేలమీద పడి కన్పించారు. మొదట తన దాహం తీర్చుకొనుటకు యుధిష్ఠిరుడు ముందుకు సాగాడు. అప్పుడే అతనికి ఒక స్వరం విన్పించింది. “జాగ్రత్త ! నీ సోదరులు నా హెచ్చరికను పట్టించుకోలేదు. అందుకు వాళ్ళ శ్రీ దశ ఇలా ఉంది. నీవు నీరు త్రాగదలచుకున్నట్లయితే మొదట నా ప్రశ్నలకు జవాబిచ్చి అప్పుడు నీ దాహం తీర్చుకోవాలి.)
प्रश्न 3.
युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करवाने का अनुरोध क्यों किया ?
(యుధిష్ఠిరుడు, నకులుణ్ణి బ్రతికించమని ఎందుకు కోరాడు?)
उत्तर :
युधिष्ठिर ने यक्ष के अनेक प्रश्नों के ठीक ठीक उत्तर दिये। इससे खुश होकर यक्ष ने कहा मैं तुम्हारे भाइयों में से एक को ही जीवित कर सकता हूँ। तुम जिस किसी को भी चाहो, वह जीवित हो जायेगा। इस पर युधिष्ठिर ने एक पल सोचकर यक्ष से अनुरोध किया कि मेरा छोटा भाई नकुल को जीवित करें। यक्ष के इसका कारण पूछने पर युधिष्ठिर ने कहा मेरी माता कुंती का बचा हुआ एक पुत्र मैं हूँ। माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो उठे तो बहुत अच्छा होगा। यही धर्म है।
(యుధిష్ఠిరుడు యక్షుని అనేక ప్రశ్నలకు సరియైన సమాధానములు ఇచ్చెను. ఇందుకు సంతోషించి యక్షుడు – నేను నీ సోదరులలో ఒకరినే బ్రతికించగలను. నీవు కోరుకున్న వారు బ్రతుకుతారు అని చెప్పెను. ఇందుమీదట యుధిష్ఠిరుడు ఒక్క క్షణం ఆలోచించి నా తమ్ముడు నకులుడిని బ్రతికించండి అని యక్షుని కోరెను. యక్షుడు నా తల్లి కుంతికి మిగిలిన కుమారుడను నేను ఉన్నాను. తల్లి మాద్రి కుమారుడు ఒకడు బ్రతికితే బాగుంటుంది. ఇదే ధర్మము అని యధిష్ఠిరుడు పలికెను.)
प्रश्न 4.
यक्ष ने युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर कौन सा वर दिया ?
(యక్షుడు, యుధిష్ఠిరుని సద్గుణములకు ముగ్ధుడై ఏ వరము ఇచ్చెను ?)
उत्तर :
युधिष्ठिर ने माता माद्री का पुत्र नकुल को जीवित करवाना चाहा। युधिष्ठिर के धर्म स्वभाव से यक्ष अत्यंत संतुष्ट हुए । युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर उनके चारों भाई जीवित होने का वर दिया।
(యుధిష్ఠిరుడు తల్లి మాద్రి కుమారుడు. నకులుణ్ణి బ్రతికింపచేయతలచెను. యుధిష్ఠిరుని ధర్మ స్వభావమునకు యక్షుడు మిక్కిలి సంతుష్టుడయ్యెను. యుధిష్ఠిరుని సద్గుణములకు ముగ్ధుడై ఆయన నలుగురు సోదరులూ బ్రతికెడి వరమిచ్చెను.)
अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)
अ. इन प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు వ్రాయండి.)
प्रश्न 1.
धैर्य ही मनुष्य का साथ कैसे देता है?
(ధైర్యమే మనిషికి తోడు ఎట్లు ఉంటుంది?)
उत्तर :
यह सच है कि धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है। धैर्य ही हमें समस्याओं से बाहर निकालता है। धैर्यवान सब कुछ बडे धीरज के साथ कर सकता है। धैर्य से ही हम सफलता पा सकते हैं। धैर्यवान का जीवन ही सच्चे अर्थ में जीवन है। जो धैर्यवान नहीं है। जिसमें धैर्य नहीं है वह हर पल डर से मरता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है। हमें अकेले किसी स्थान या प्रदेश जाने में धैर्य ही साथ देता है।
(మనిషికి ధైర్యమే తోడుగా ఉంటుందన్న మాట నిజం. ధైర్యమే మనల్ని ఎల్లప్పుడూ సమస్యల నుండి బయటకు తీసుకువస్తుంది. ధైర్యవంతుడు ఎంతో ధైర్యంతో ఏదైనా చేయగలుగుతాడు. ధైర్యంతోనే మనం విజయాన్ని పొందగలం. ధైర్యవంతుని జీవితమే నిజమైన అర్థంలో జీవితం అనబడుతుంది. ఎవరైతే ధైర్యవంతుడు కాదో, ఎవరిలో ధైర్యము ఉండదో అతడు అనుక్షణం భయంతో చనిపోతాడు. కాబట్టి ధైర్యమే మనిషికి తోడు అని మనం చెప్పగలం. ఒకవేళ మనం ఏదేని ప్రదేశానికి లేదా స్థానానికి ఒంటరిగా వెళ్లవలసి వస్తే ధైర్యమే మనకు తోడుగా ఉంటుంది.
प्रश्न 2.
अच्छी संगति से क्या लाभ होते हैं?
(మంచి స్నేహం వలన ఏ లాభాలు కల్గును?)
उत्तर :
अच्छी संगति से ये लाभ होते हैं –
अच्छी संगति से हम भी अच्छे बन जायेंगे।
अच्छी संगति से हमें सुख पहुँचता है।
अच्छी संगति के कारण ही हमें आध्यात्मिक (परलौकिक) चिंतन मिलता है।
अच्छी संगति से ही हमें सद्बुद्धि, परोपकारिता, सेवा, भलाई आदि भावनाएँ जागृत होते हैं। अच्छी संगति से हम विख्यात बनेंगे।
अच्छी संगति से हम आसानी से समस्याओं से बाहर आ सकते हैं।
अच्छी संगति से उत्तम जीवन बिता सकेंगे।
अच्छी संगति से ही हमें विवेक, विनय, नेक-आदि गुण मिलते हैं।
अच्छी संगति कल्पवृक्ष जैसा है।
(మంచి స్నేహం వల్ల మనకు ఈ లాభాలు కల్గును.
మంచి స్నేహం (సాంగత్యం) వలన మనం కూడా మంచివాళ్ళము అగుదుము.
మంచి స్నేహం వలన మనకు సుఖం కల్గును.
మంచి స్నేహం వలన మనలో ఆధ్యాత్మిక చింతన (అలౌకిక ఆనందం) కూడా కలుగును. మంచి స్నేహం వలన సద్బుద్ధి పరోపకారతత్వము, సేవ చేయడం, మేలు కోరడం మొ॥గు భావాలు జాగృతి చెందుతాయి.
మంచి స్నేహం వల్లనే మనకు ఖ్యాతి లభించును.
మంచి స్నేహం కారణంగా మనం సమస్యల నుండి, తేలికగా బయట పడతాము.
మంచి స్నేహం వల్లనే ఉత్తమ జీవితాన్ని పొందగలుగుతాము.
మంచి స్నేహం వల్లనే మనకు వివేకము, వినయము, తెలివి అను గుణములు కల్గుచున్నవి.
మంచి స్నేహం అనునది కల్పవృక్షం వంటీది.)
प्रश्न 3.
नकुल के लिए जीवनदान माँगकर युधिष्ठिर ने सही किया या गलत ? अपने उत्तर का कारण बताइए।
(నకులిని కోసం జీవన దానాన్ని అడిగి యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) సరియగు పని చేసినా ? తప్పు చేసెనా ? మీ సమాధానానికి కారణం తెలపండి.)
उत्तर :
नकुल के लिए जीवन दान माँगकर युधिष्ठिर ने सही किया। कारण यही है कि युधिष्ठिर जो है वह माता कुंति का बचा हुआ एक मात्र पुत्र है। इसलिए उसने माता माद्री का भी एक पुत्र को जीवित करवाना चाहता था वह था नकुल। इसलिए युधिष्ठिर ने नकुल के लिए जीवन दान माँगकर सही किया।
(నకులిని కోసం జీవనదానం అడిగి యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) సరియగు పని చేసెను. అనగా. జీవనదానం అడగడం సరియైనదే. కారణం ఏమనగా యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) కుంతీపుత్రులతో జీవించియున్న ఒకే ఒక్కడు. అందువలననే అతడు మాద్రికి కల్గిన పిల్లలలో ఒకరైన నకులుడిని బ్రతికించవలసినదిగా కోరెను. అందువలన యుధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) నకులుడిని బ్రతికించవలసినదిగా జీవనదానం కోరడం సరియైన పనియే.)
आ. यक्ष के किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अपने दृष्टिकोण के आधार पर लिखिए।
(యక్షుని ఏవేని ఐదు ప్రశ్నలకు జవాబులు మీ దృష్టి కోణం ఆధారంగా వ్రాయండి.)
उत्तर :
धर्म देवता यम धर्मराज ने अपने प्रिय पुत्र युधिष्ठिर के धर्म गुण को परखना चाहा। इसलिए एक यक्ष के रूप में जंगल में सरोवर के यहाँ रहे। उन्होंने युधिष्ठिर से ये प्रश्न पूछे।
मानव का साथ कौन देता है?
आकाश से भी ऊँचा कौन है?
भूमि से भारी चीज़ क्या है ?
हवा से भी तेज़ चलनेवाला कौन है ?
सुख क्या है ?
(ధర్మదేవత అయిన యమధర్మరాజు తన ప్రియపుత్రుడైన యుధిష్ఠిరుని (ధర్మరాజు) ధర్మగుణములను పరీక్షించ దలచెను. అందువలన అతడు ఒక యక్షుని రూపంలో అడవిలో ఒక సరోవరం వద్ద ఉండెను. ఆయన యుధిష్ఠిరుణ్ణి (ధర్మరాజును) ఈ ప్రశ్నలు అడిగెను.)
మానవునికి తోడుగా ఎవరు ఉండెదరు ?
భూమికంటే బరువైన వస్తువు ఏది ?
ఆకాశం కంటే ఉన్నతమైనవారు ఎవరు ?
గాలికంటే వేగంగా నడిచేది ఏది ?
సుఖం అంటే ఏమిటి ?)
युधिष्ठिर के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं।
धैर्य ही मानव का साथ देता है।
संतान को कोख में धारण करनेवाली माता भूमि से भी भारी होती है।
पिता, आकाश से भी ऊँचा है।
मन, हवा से भी तेज़ चलनेवाला है।
शील और सच्चरित्र से मिलानेवाला है।
(యుధిష్ఠిరుని ప్రకారం ప్రశ్నలకు జవాబులు ఈ విధముగా ఉన్నాయి.
ధైర్యమే మానవునితో ఉంటుంది.
సంతానాన్ని గర్భంలో ధరించే తల్లి భూమి కన్నా బరువైనది.
తండ్రి ఆకాశం కన్నా ఎత్తైనవాడు.
మనస్సు, గాలికన్నా వేగ్గంగా పయనించేది.
సత్పవర్తన, సచ్చరిత్ర వలన దొరకేది.)
इ. यदि यक्ष के स्थान पर आप होते तो कौन-कौन से प्रश्न पूछते ?
(యక్షుని బదులుగా మీరే ఉంటే ఏఏ ప్రశ్నలు అడుగుతారు?)
उत्तर :
यदि यक्ष के स्थान पर मैं होता तो इस प्रकार के प्रश्न पूछता।
मुक्ति पाने का आसान और सच्चा मार्ग क्या है ?
सच्चा सुख कैसे प्राप्त करना है ?
दुःख रहित जीवन कैसे प्राप्त होगा ?
संसार शाश्वत कब होगा ?
भेद-भाव रहित उत्तम समाज कब बनेगा ?
(యక్షుని బదులుగా నేను ఉంటే ఈ విధమైన ప్రశ్నలు అడుగుతాను.)
ముక్తిని పొందే తేలికైన, అసలైన మార్గము ఏమిటి ?
నిజమైన సుఖం ఎలా పొందాలి ?
దు:ఖము లేని జీవితం ఎలా లభిస్తుంది ?
ప్రపంచం శాశ్వతంగా ఎప్పుడు ఉంటుంది ?
భేదభావాలు లేని గొప్ప సమాజం ఎప్పుడు ఏర్పడుతుంది ?)
ई. “यक्ष प्रश्न” पाठ आपको क्यों अच्छा लगा ? अपने शब्दों में लिखिए ।
(యక్ష ప్రశ్నలు పాఠము మీకు ఎందుకు నచ్చింది? మీ స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
‘यक्ष प्रश्न” सचमुच एक संदेशात्मक और प्रेरणादायक पाठ है। यह पाठ मुझे बहुत अच्छा लगा। क्योंकि हम मानव हैं। समाज में रहते हैं। हमें मानवता, ममता, करुणा, सहयोग, कष्ट सहन आदि अनेक गुणों से रहना है। परमात्मा ने कृपा करके हमें बुद्धि प्रदान की है। इसका उपयोग करके सदा अच्छे काम करने में ही हमें आगे बढना है। आपदाग्रस्त लोगों का दुःख दूर करना हर एक का पवित्र धर्म है। वह काम हमें संपन्न करना है। धर्म के मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पडता है। निडर होकर धर्म मार्ग पर चलना महानता है। धर्म का पालन करते अपने अस्तित्व को बनाये रखना बडा महत्वपूर्ण विषय है। युधिष्ठिर के व्यक्तित्व से इन सभी गुणों का परिचय हमें मिलता है। इसीलिए ‘यक्ष प्रश्न’ पाठ मुझे बहुत अच्छा लगा।
भाषा की बात (భాషా విషయము) :
अ. इन शब्दों के वाक्य प्रयोग कीजिए।
(ఈ శబ్దముల అర్థములు తెలిపి, వాక్య ప్రయోగము చెయ్యండి.)
1. तृषा
2. अग्रसर
3. चेतावनी
4. दुस्साहस
5. पक्षपात
उत्तर :
1. तृषा = దాహము/కోరిక
धूप में चलने के कारण उषा को तृषा होने लगी।
2. अग्रसर = ముందుకు వెళ్ళుట
हमें सदा अच्छे काम करते अग्रसर होना चाहिए।
3. चेतावनी = హెచ్చరిక
अध्यापक ने हमें बुरा काम न करने की चेतावनी दी।
4. दुस्साहस = మొండి సాహసము
हमें कभी प्राणों से खेलने का दुस्साहस नहीं करना चाहिए।
5. पक्षपात = పక్షపాతము
किसी विषय में भी हमें पक्षपात नहीं दिखाना है।
आ. पर्यायवाची शब्द पहचानकर रेखा खींचिए।
(పర్యాయవాచీ శబ్దములను గుర్తించి గీత గీయండి.)
इ. निम्न शब्दों पर ध्यान दीजिए। दो शब्दों के मेल में हुए विकार को समझिए।
(క్రింది శబ్దములను గమనించండి. రెండు శబ్దముల కలయికలో వచ్చిన మార్పును తెలుసుకోండి.)
1. अति + अंत = अत्यंत
2. यद् + अपि = यद्यपि
3. दुः + साहस = दुस्साहस
4. नि: + संदेह = निस्संदेह
5. नि: + सार = निस्सार
6. मरण + आसन्न = मरणासत्र
7. पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
8. सत् + चरित्र = सचरित्र
9. सत् + जनता = सज्जनता
10. प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
11. प्रति + एक = प्रत्येक
12. प्रति + अंग = प्रत्यंग
13. प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
14. प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
15. अति + अंत = अत्यंत
16 अति + आचार = अत्याचार
17. अति + उत्साह = अत्युत्साह
18. दिन् + अंक = दिनांक
मरण + आसत्र = मरणासन्र (చావుకు దగ్గరైన, మరణించబోవుచున్న)
प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष (కంటి ఎదురుగా)
सत् + चरित्र = सच्चरित्र (మంचे నడవడ)
दु: + साहस = दुससाहस (మొండి ధైర్యము)
ఈ విధముగ రెండు శబ్దముల కలయికతో ఒక కొత్త శఙ్దము ఏర్పడుతుంది. రెండింటి మధ్య మార్పు జరుగుతుంది. దీనినే సంధి అంటారు. సంధి భేదములు
1. स्वर संधि. (అచ్చుసంధి)
2. व्यंजन संधि (హల్లు సంధి)
3. विसर्ग संधि (విసర్గసంధి)
(రెండు అచ్చుల మధ్య ఆకారములో మార్పు జరిగిన దానిని స్వరసంధి (అచ్చుసంధి) అందురు. స్వరసంధి భేదాలు: )
1. సవర్ణదీర్ఘసంధి :
ఉదా : పుస్తక్ + ఆేలయ్ = పుస్తకాలయ్
కవి + ఇంద్ర్ = కవీంద్ర్
గురు + ఉపదేశ్ = గురూపదేశ్
2. గుణసంధి :
ఉదా: మహా + ఈశ్వర్ = మహశ్వర్
పర్ + ఉపకార్ = పరోపకార్
మహా + ఋషి = మహర్షి
3. వృద్ధిసంధి :
ఉదా: ఏక్స + ఏక్ = ఏకైక్
మహా + ఔషధి = మహాషధి
4. యణాదేశసంధి :
ఉదా: ప్రతి + అక్ష్ = ప్రత్యక్ష్
సు + ఆగత్ = స్వాగత్
మాతృ + అనుమతి = మాత్రనుమతి
5. అయాదిసంధి :
ఉదా: నే + అన్ = నయన్
భో + అన్ = భవన్
(వ్యంజన సంధిలో హల్లుతో అచ్చు లేదా హల్లు కలయిక జరుగుతుంది.)
ఉదా :
1. జగత్ + ఈశ్ = జగ్దీశ్
2. దిక్ + గజ్ = దిగ్గజ్
3. వి + సమ్ = విషమ్
4. వాక్ + ఈశ్ = వాగీశ్
5. సత్ + జన్ = సజ్జన్
6. షట్ + దర్శన్ = షడ్దర్శన్
परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :
पंचतंत्र की नीतिप्रद कहानियों में से किसी एक कहानी का संग्रह कीजिए।
(పంచతంత్ర నీతికథల నుండి ఏదైనా ఒక కథను సేకరించండి.)
उत्तर :
वफ़ादार नेवला (విశ్వాసము గల ముంగిస)
शहर से दूर एक छोटे से घर में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन वह अपने खेत जा रहा था। उसे एक पेड़ के नीचे एक छोटे नेवले का बच्चा पडा मिला था। उसे उस पर दया आयी और उसे उठा लाकर अपने छोटे बच्चे को दिया। किसान का विचार यह था कि यह छोटा नेवला मेरे बच्चे के साथ बड़ा होगा और उससे खेलेगा। किसान की पत्नी को यह पसंद नहीं था। पत्नी के मना करने पर भी किसान ने उसे पाल लिया। किसान की पत्नी ने तो अपने बच्चे को नेवले से दूर रखने की बहुत कोशिश की। लेकिन वे दोनों अच्छे दोस्त बन गये ।
एक दिन किसान की पत्नी सब्जी लाने बाज़ार जाने लगी। उसने अपने पति से कहा कि यहाँ बैठकर बच्चे की देखभाल करो। इस पर किसान ने कहा चिंता मत कर नेवला हमारे बेटे की देखभाल कर लेगा। किसान की पत्नी बाज़ार चली गयी। बहुत समय के होने पर भी किसान की पत्नी घर नहीं पहुँची तो किसान नेवले को बच्चे के पास छोड़कर खेतों में चला गया। कुछ देर बाद पत्नी लौट आयी। उसने देखा कि दरवाज़े के पास बैठे नेवले के मुँह पर खून लगा है। उसने सोच लिया कि नेवले ने मेरे बेटे को मार डाला। वह सब्जी की थैली वहीं छोडकर जाकर एक डंडा लायी और नेवले को मार डाली।
वह नेवले के पास बैठकर रोने लगी। थोडी देर बाद किसान आ गया और पत्नी को रोते देखकर वह हैरान हो गया। पत्नी ने उससे कहा कि नेवले ने हमारे बच्चे को मार डाला है। किसान दौडते घर में गया और देखा तो बच्चा सोया हुआ था, पास ही बुरी तरह से घायल साँप मरा पडा हुआ था। वह सब समझ गया। इतने में पत्नी भी वहाँ आ पहुँची। उसे भी सच्चाई मालूम हुयी। उसे अपने किये पर बहुत दुःख हुआ। मगर क्या लाभ अपनी जल्दबाज़ी से उसे एक वफ़ादार जानवर को खोना पडा।
प्रश्न-II
प्रश्न 1.
पांडवों को वनवास क्यों जाना पडा ?
(పాండవులు వనవాసమునకు ఎందుకు వెళ్ళవలసి వచ్చెను)
उत्तर :
धृतराष्ट्र और पांडुराज दोनों भाई थे। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र और एक पुत्री थी पांडुराज के पाँच पुत्र थे। पांडुराज के मर जाने के कारण ताऊ राजा धृतराष्ट्र की देखरेख में पांडव बडे हुए। बचपन से ही धृतराष्ट्र का पुत्र दुष्ट दुर्योधन पांडवों से जलता था। वह किसी भी तरह उनका नाश करना चाहता था। इसीलिए अपने मामा शकुनि की सलाह पर द्यूत खेलने पांडवों को बुलाया। शर्त यह रखा कि द्यूत में जो हारेगा उसे बारह साल तक अरण्यवास और एक साल अज्ञातवास करना होगा। मजबूर होकर युधिष्ठिर ने द्यूत खेला। शकुनि के धोखे से युधिष्ठिर हार गया । इस तरह शर्त के अनुसार पांडवों को वनवास जाना पडा।
प्रश्न 2.
अरणी की लकडी किसे कहते हैं ?
(అగ్నిని పుట్టించే కలప (కొయ్య) అని దేనిని అంటారు)
उत्तर :
प्राचीन काल में पत्थरों की रगड से और लकड़ियों की रगड से आग पैदा करते थे। मुनि ब्राह्मण लोग यज्ञ यागादि कर्म करने अग्नि प्रज्वलित करते थे। उसके लिए उपयोग करनेवाली लकडी को अरणी कहते हैं।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अपठित गद्यांश :
निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
I. वर्तमान युग विज्ञान के नाम से जाना जाता है। आज इसकी विजय पताका धरती से लेकर आकाश तक लहरा रही है । सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार प्रसार है। मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा प्रकृति को जीत लिया है। आज मानव ने विज्ञान के द्वारा विद्युत बाष्प, मैस और कंप्यूटर की खोज करके संपूर्ण विश्व में अपनी विजय दुंदुभी बजाकर एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।
प्रश्न :
1. वर्तमान युग किस नाम से जाना जाता है ?
2. सर्वत्र किसकी महिमा का प्रचार प्रसार है ?
3. विज्ञान के द्वारा मनुष्य ने किसे जीत लिया है?
4. इस अनुच्छेद में किसके बारे में बताया गया है ?
5. मानव ने किसके द्वारा क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया ?
उत्तर :
1. वर्तमान युग विज्ञान के नाम से जाना जाता है।
2. सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार प्रसार है।
3. विज्ञान के द्वारा मनुष्य ने प्रकृति को जीत लिया है।
4. इस अनुच्छेद में विज्ञान के बारे में बताया गया है।
5. आज मानव ने विज्ञान के द्वारा विद्युत, बाष्प, मैस और कंप्यूटर की खोज करके क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया।
II. दूसरा प्रसंग सातवें दर्जे का है। उस समय दोराबजी एदलजी गीमी हेडमास्टर थे। वे नियमों की पाबंदी कराते थे, बाकायदा काम करते और लेते थे और पढ़ाते अच्छा थे। ऊपर के दर्जों के विद्यार्थियों के लिए उन्होंने कसरत और क्रिकेट अनिवार्य कर दिया था। मुझे इन चीज़ों में अरुचि थी। अनिवार्य होने के पहले तो मैं कभी कसरत, क्रिकेट या फुटबाल में गया ही नहीं था।
प्रश्न :
1. दूसरा प्रसंग किस दर्जे का है?
2. ऊपर के दर्जे के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य क्या था?
3. हेडमास्टर का नाम क्या था?
4. नियमों की पाबंदी कौन कराते थे?
5. इस अनुच्छेद में किन खेलों का उल्लेख मिलता है?
उत्तर :
1. दूसरा प्रसंग सातवें दर्जे का है।
2. ऊपर के दर्जे के विद्यार्थियों के लिए कसरत और क्रिकेट अनिवार्य था।
3. हेडमास्टर का नाम था “दोराबजी एदलजी गीमी”।
4. हेडमास्टर दोराबाजी एदलजी गीमी नियमों की पाबंदी कराते थे।
5. इस अनुच्छेद में क्रिकेट और फुटबॉल खेलों के बारे में उल्लेख मिलता है।
III. दक्षिण ध्रुव में पानी की कमी नहीं थी, पर यहाँ आनेवाले महीनों नहीं नहाते थे। परंतु यह शिबिर बड़ा आधुनिक था- इसमें नहाने के लिए गरम पानी, ठंडा पानी, कपड़े धोने के यंत्र, कपड़े सुखाने के यंत्र, फर्श को साफ़ करने के लिए ‘बेक्युम क्लीनर’, हरेक के सोने की जगह पर एक – एक बिजली की अंगीठी, फ़र्श पर ‘लिनोलियम’ आदि का प्रबंध था।
प्रश्न :
1. पानी की कमी किस ध्रुव में नहीं थी ?
2. शिबिर कैसा था ?
3. शिबिर में फर्श को साफ़ करने के लिए क्या था ?
4. फ़र्श पर किसका प्रबंध था ?
5. शिबिर में नहाने के लिए किसका प्रबंध था ?
उत्तर :
1. दक्षिण ध्रुव में पानी की कमी नहीं थी।
2. शिबिर बड़ा आधुनिक था।
3. शिंबिर में फर्श को साफ करने के लिए “वेक्युम क्लीनर” था।
4. फ़र्श पर “लिनोलियम” का प्रबंध था।
5. शिबिर में नहाने के लिए गरम और ठंडा पानी का प्रबंध था।
उद्द्शेश्य (ఉద్దేశ్యము) :
कहानी विधा के माध्यम से कहानी लिखने का ज्ञान प्राप्त करना। जिज्ञासा व दार्शनिक प्रश्नों के माध्यम से बौदूधिक विकास करना
(కథా విధి ద్వారా కథ వ్రాసే జ్ఞానాన్ని పెంపొందించుట. “ఆసక్తి, తత్వ సంబంధిత ప్రశ్నల ద్వారా తెలివిని వికసింపచేయుట.)
సారాంశము :
ఇది మహాభారత కాలము నాటి సంఘటన. ఆ సమయమున పాండవులు ద్రౌపదితో సహా పన్నెండు సంవత్సరములు వనవాసంలో ఉండిరి. ఒకరోజు ఒక బ్రాహ్మణుడు పాండవుల వద్దకు వచ్చి “ఒక లేడి నిప్పును రాజేసే కర్రతో సహా పారిపోయినది. ఇప్పుడు నా దగ్గర యజ్ఞమునకు అగ్నిని పుట్టించెడి ఇంకొక కొయ్య (కర్ర) లేదు. దయచేసి నా కర్రను తిరిగి ఇప్పించండి” అని తన బాధను వినిపిస్తూ చెప్పసాగెను.
పాండవులు బ్రాహ్మణుని బాధకు చలించి లేడిని వెతుకుతూ వెళ్ళిరి. కొద్ది దూరము వెళ్ళగానే వారికి లేడి కనిపించినది. దానిని పట్టుకొనుటకువారు ముందుకు వచ్చిరి. కాని లేడి వారి నుండి మరల అదృశ్యమైపోయినది. లేడిని వెతుకుటలో దారితప్పి వారు అలసిపోయిరి. విశ్రాంతి కోసం ఒక చెట్టు క్రింద కూర్చొనిరి. దప్పికతో అందరి గొంతులు ఆరిపోయినవి. యధిష్ఠిరుడు (ధర్మరాజు) నకులుణ్ణి నీటిని వెతుకుటకు పంపెను. నకులుడు నీటిని వెతుకుతూ వెళ్ళి ఒక సరోవరమును చేరెను. సరోవరమును చూచి అతడు ఆనందించెను. నేను ముందు నా దాహము తీర్చుకుంటాను అని అతడు అనుకున్నాడు. అతడు నీరు త్రాగుటకు సిద్ధపడ్డాడో లేదో ఓ నకులా ! నీరు త్రాగే మొండి ధైర్యం చెయ్యవద్దు. జాగ్రత్త. మొదట నా ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వు. అని కంఠస్వరం వినపడింది. నకులుడు హెచ్చరికను లక్ష్యపెట్టక నీరు త్రాగసాగెను. నీరు త్రాగగానే అతడు నేలమీద పడిపోయెను. చాలాసేపటి వరకు నకులుడు తిరిగి రాకపోయేసరికి యుధిష్ఠిరునికి దిగులు కలిగినది. ఆయన అతనిని వెతుకుటకు ఒకరి తరువాత ఒకరిగా సహదేవుడిని, అర్జునుడిని, భీముని పంపెను.
యక్షుని హెచ్చరికను నిర్లక్ష్యం చేస్తూ అందరూ సరోవరం ఒడ్డున దాహం తీర్చుకునే ప్రయత్నము చేసి నకులుని వలె నేలమీద పడిపోయిరి. ఎవ్వరూ తిరిగి రాకపోయేసరికి యుధిష్ఠిరుడు స్వయంగా దిగులు పడుతూ వారిని వెతుకుచూ వెళ్ళిరి.. దాహంతో ఆందోళన పడుతున్న యుధిష్ఠిరుడు మొదట తన దప్పికను తీర్చుకొనుటకు సరోవరము వైపుకు వెళ్ళిరి. అక్కడ యుధిష్ఠిరునికి తన సోదరులు నేలమీద పడి ఉండటం కనిపించింది. ఆయన ముందుకు రాగానే అదే కంఠస్వరం వినిపించింది. జాగ్రత్త నీ సోదరులు నా హెచ్చరికను వినలేదు. అందువలన వారికి ఈ స్థితి ఏర్పడినది. నీవు నీరు త్రాగాలని అనుకుంటే మొదట నా ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వు. తరువాత నీ దప్పిక తీర్చుకో. యుధిష్ఠిరుడు అయ్యా, మీరు ప్రశ్నలు అడగండి, నేను సమాధానములు ఇచ్చుటకు సిద్ధంగా ఉన్నాను అని అనెను.
యక్షుడు : మనిషికి తోడు వచ్చేది ఏది ? (ఎవరు)
యధిష్ఠిరుడు : ధైర్యమే మనిషికి తోడు వచ్చేది.
యక్షుడు : మనిషి తెలివిగలవాడు అగుటకు చదవవలసిన శాస్త్రము ఏమిటి ?
యుధిష్ఠిరుడు : ఏ శాస్త్రమూ ఆ విధంగా లేదు. గొప్పవారి సాంగత్యంతోనే మనిషి తెలివిగలవాడు అవుతాడు.
యక్షుడు : భూమికన్నా బరువైన వస్తువు ఏమిటి ?
యక్షుడు : సంతానాన్ని గర్భంలో ధరించే తల్లి భూమికంటే కూడ బరువైనది.
యక్షుడు : ఆకాశం కన్నా ఎత్తైన వారు ఎవరు ?
యధిష్ఠిరుడు : తండ్రి
యక్షుడు : గాలి కన్నా వేగంగా నడిచేది ఏది ?
యుధిష్ఠిరుడు : మనస్సు
యక్షుడు : విదేశానికి వెళ్ళేవానికి తోడు ఎవరు ఉంటారు ?
యుధిష్టిరుడు : విద్య
యక్షుడు : మరణించబోతున్న వృద్ధునికి మిత్రుడు ఎవరు ?
యుధిఫ్ఠిరుడు : దానము. ఎందుకంటే అదే మరణము తరువాత ఒంటరిగా వెళ్ళెడి జీవి వెంట వస్తుంది.
యక్షుడు : సుఖమంటే ఏమి ?
యధిష్ఠిరుడు : చరిత్ర, మంచి నడవడికపై ఆధారపడి ఉండేది
యక్షుడు : అన్నిటికన్నా నీచమైనది ఏమిటి ?
యధిష్ఠిరుడు : దిగులు
యక్షుడు : ఏది దూరమైతే మనిషి అందరికి ప్రియమౌతాడు ?
యుధిష్ఠిరుడు : అహంకారం దూరమైతే.
ఈ విధముగ యక్షుడు ఎన్నో ప్రశ్నలు అడిగాడు. యుధిష్ఠిరుడు వాటన్నిటికి సరియైన సమాధానములు ఇచ్చెను. చివరికి యక్షుడు – రాజా ! నేను చనిపోయిన సోదరులలో ఒకరిని బ్రతికించగలను. నీవు కోరుకున్నవారు బ్రతికెదరు అని అనెను. యుధిష్ఠిరుడు ఎవరిని బ్రతికించనూ? అని ఒక్క క్షణం ఆలోచించెను. కొంచెంసేపు ఆగి – నా చిన్న సోదరుడు నకులుడు బ్రతకాలి అని అనెను.
యుధిష్ఠిరుడు ఈ విధముగా మాట్లాడగా యుధిష్ఠిరా ! పదివేల ఏనుగుల బలము గల భీమసేనుడిని వదిలి నీవు నకులుణ్ణి బ్రతికింపచేయుట ఎందుకు సరియైనదని భావించావు ? అని యక్షుడు ప్రశ్నించాడు.
యక్షరాజా ! తల్లి కుంతికి మిగిలిన ఒక కుమారుడిని నేను, తల్లి మాద్రి కుమారుడు ఒకడు బ్రతికి ఉండాలనే ఒకే ఒక్క కారణంగా నేను అతనిని బ్రతికింపచేయాలని తలచాను. దయచేసి నకులుణ్ణి బ్రతికించండి అని యుధిష్ఠిరుడు అనెను. యుధిష్ఠిరుని ధర్మ స్వభావమునకు యక్షుడు మిక్కిలి సంతుష్టుడై వరము ఇస్తూ – పక్షపాతము లేని నా ప్రియకుమారా! నీ నలుగురు సోదరులు బ్రతుకుదురు గాక! అని పలికెను.
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :
- अरणी = యజ్ఞము చేయునప్పుడు అగ్నిని వెలిగించే కర్ర/ కొయ్య, a wood used to make fire
- गायब होना = అదృశ్యము అగుట, to disappear
- प्रफुल्लित होना = సంతోషించుట, to be happy
- उद्यत होना = సిద్దమగుట, to be ready
- सावधान = జాగగత్త, alert
- चेतावनी = హెచ్చరిక, warning
- परवाह करना = లెక్కచేయుట, to regard
- कोख = ఒడి/కడుపు/ గర్భాశయము, abdomen/womb