Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 4th Lesson प्रकृति की सीख Textbook Questions and Answers.
TS 9th Class Hindi 4th Lesson Questions and Answers Telangana प्रकृति की सीख
प्रश्न – ప్రశ్నలు :
प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏమి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में सागर है। सागर में एक नाव है। उसमें कुछ सामान है। दो नाविक हैं।
प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं ?
(వారు ఏమి చేయుచూ ఉన్నారు?)
उत्तर :
वे जीवन यापन के लिए मछलियों को पकड़ते हुए गंभीर सागर को (नाव में से) पार कर रहे हैं।
प्रश्न 3.
इससे क्या प्रेरणा मिलती है ?
(దీని ద్వారా ఎలాంటి ప్రేరణ లభించుచున్నది?)
उत्तर :
इससे (हमें) यह प्रेरणा मिलती है कि जितने भी गंभीर समस्याएँ हों उनकी साहस और कठिन मेहनत से सामना करना चाहिए।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం జవాబును ఇవ్వటం) :
अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए।
प्रश्न 1.
नदियाँ खेती के लिए किस प्रकार उपयोगी हैं ? (?)
उत्तर :
नदियाँ पहाड़ों से निकलती है। पहाड़ों में रास्ता बनाकर जंगलों से होकर मैदान में बहती हैं। प्राणिमात्र के लिए नदियों का पानी बहुत उपयोगी है। खेती के लिए उपजाऊ भूमि तैयार करने का काम नदियाँ करती हैं। नदियों के पानी से ही खेतों की सिंचाई होती है। किसान अनाज के साथ-साथ विविध तरकारियाँ और खाद्यान्न भी उसी पानी से पैदा करते हैं। नदियों पर बाँध बनाकर पानी इकट्ठा किया जाता है। नहरें निकाली जाती हैं। नहरों द्वारा सिंचाई का काम सुचारू रूप से होता है। हमारे भारत में खेती पूरी तरह नदियों पर निर्भर रहती है। इस तरह खेती के हर काम के लिए नदियाँ बहुत उपयोगी हैं।
(నదులు, పర్వతముల నుండి వెలువడతాయి. పర్వతములలో దారి ఏర్పరచుకొని, అడవుల గుండా మైదాన ప్రాంతాలలో ప్రవహిస్తాయి. ప్రాణికోటికి నదుల నీరు చాలా ఉపయోగకరము. వ్యవసాయానికి సారవంతమైన భూమిని తయారు చేసెడి పని నదులు చేస్తాయి. నదుల నీటితోనే పొలాలు తడుపు జరుగుతుంది. రైతులు వ్యవసాయంతో పాటు అనేక ఆహార పదార్థాలను ఆ నీటితోనే పండిస్తారు. నదులపై ఆనకట్టలు నిర్మించి నీరు ప్రోగు చేయబడుతుంది. కాలువలు ఏర్పరచబడతాయి. కాలువల ద్వారా నీటి తడుపు పని నిరాటంకంగా సాగుతుంది. మన భారతదేశంలో వ్యవసాయం పూర్తిగా నదులపై ఆధారపడి ఉంటుంది. ఈ విధముగ వ్యవసాయ సంబంధమైన ప్రతి పనికి నదులు చాలా ఉపయోగకరమైనవి.)
प्रश्न 2.
ऋतुओं के नियंत्रण में पर्वत कैसे सहायक होते हैं?
(ఋతువులను నియంత్రించటంలో పర్వతములు ఎట్లు సహాయకారులు అవుతాయి?)
उत्तर :
पर्वत तो अकसर ऊँचे होते हैं। पर्वत प्रकृति की संपदा है। इनसे कई लाभ हैं। हमें बहुत सहायक होते हैं, इनकी तलहटों में अनेक पेड-पौधों के होने के कारण हमेशा हरियाली और ठंडक बनी रहती हैं। खासकर समुद्र की तेज़ हवाओं से पर्वत देश की रक्षा करते हैं। तूफ़ान, आँधी आदि प्रकृति संबन्धी अनेक हालतों से ये हमें बचाते हैं। ऐसे पर्वत ऋतुओं के नियंत्रण में भी बडे सहायक होते हैं। उन्हीं के कारण मौसम समय पर आते हैं। मेघों को रोककर वर्षाएँ सही समय पर आने में इनका खास महत्व रहता है। इस तरह हम देखते हैं कि ऋतुओं के नियंत्रण में पर्वत बडे सहायकारी होते हैं।
(పర్వతములు సహజంగా ఎత్తుగా ఉంటాయి. పర్వతములు ప్రకృతి సంపద. వీటి వలన అనేక లాభములు ఉన్నవి. అవి మనకు చాలా సహాయపడతాయి. వీటి లోయలలో అనేక చెట్లు-మొక్కలు ఉండుట వలన ఎల్లప్పుడూ పచ్చదనం, చల్లదనం నిలిచి ఉంటాయి. ముఖ్యంగా సముద్రపు తీవ్రమైన గాలుల నుండి పర్వతములు దేశాన్ని రక్షిస్తాయి, తుపాను, గాలి, వాన వంటి ప్రకృతి సంబంధమైన అనేక కష్టపరిస్థితుల నుండి ఇవి మనల్ని కాపాడుతాయి. ఇటువంటి పర్వతములు ఋతువులను నియంత్రించటంలో కూడా మిక్కిలి సహాయకారులుగా ఉంటాయి.’ వాటి కారణముగానే ఋతువులు సకాలంలో వస్తాయి. మేఘాలను ఆపి వర్షాలు సరియగు కాలంలో కురియుటలో వీటి పాత్ర ముఖ్యమైనది. ఈ విధముగా ఋతువులను నియంత్రించటంలో పర్వతములు చాలా సహాయకారులు అవుతాయి.)
आ. कविता के आधार पर उचित क्रम दीजिए। (కవిత ఆధారంగా సరియైన వరుస ఇవ్వండి.)
1. सागर कहता है लहरा कर। ( )
2. पर्वत कहता है शीश उठाकर। (1)
3. मन में गहराई लाओ। ( )
4. तुम भी ऊँचे बन जाओ। ( )
उत्तर :
1. 3
2. 1
3. 4
4. 2
इ. स्तंभ ‘क’ को स्तंभ ‘ख’ से जोड़िए और उसका भाव बताइए।
(స్తంభము ’45’ ను స్తంభము ‘ఆ’ తో జోడించండి. దాని భావము తెలపండి.)
उत्तर :
ई. पद्यांश पढ़िए। अब इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(పద్యాంశం చదవండి. ఇప్పుడు ఈ (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)
प्रश्न 1.
सूरज के बारे में आप क्या जानते हैं?
(సూర్యుని గురించి మీకు ఏమి తెలుసు ?)
उत्तर :
सूरज भूमि के बहुत नजदीक रहनेवाला एक नक्षत्र ही है। सूरज एक जलता हुआ आग का गोला है। पृथ्वी से सूरज कई गुना बडा है। पृथ्वी पर रहनेवाले समस्त प्राणि कोटि को आवश्यक जीव शक्ति सूरज से ही मिलती है। ग्रह परिवार में सूरज केंद्र स्थान में है। ग्रह, उपग्रह और लघु ग्रह सूरज के चारों ओर घूमते रहते हैं। पृथ्वी पर रहा पानी सूरज की गरमी से भाप के रूप में ऊपर उठकर मेघ बनते हैं, ठंडी हवा लगते ही मेघ पानी बरसाते हैं।
प्रश्न 2.
कवि ने सूरज, पंछी, हवा से क्या कहा ?
(కవి సూర్యుడు, పక్షి, గాలితో ఏమని చెప్పాడు ?)
“उत्तर :
कवि ने सूरज़ से कहा कि कृपा करके इस मानव को जगाओ।
पंछी से कहा कि हे पक्षी/चिड़िया ज़रा इनके कानों पर चिल्नाओ।
हवा से कहा कि जरा इस आदमी को हिलाओ।
प्रश्न 3.
वार्तव में जगने का क्या तात्पर्य है ?
(వాస్తవంగా మేల్కొనుట అంటే అర్ధము ఏమిటి?)
उत्तर :
वार्तव में जगने का तात्पर्य यह है कि, नींद से जागकर अपने जीवन यापन के आवश्यक काम करने तैयार होना।
अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)
अ. प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)
प्रश्न 1.
पर्वत सिर उठाकर जीने के लिए क्यों कह रहा होगा?
(పర్వతము తల ఎత్తుకుని జీవించవలెనని ఎందుకు చెబుతుండవచ్చు?)
उत्तर :
पर्वत हमेशा बडे – बडे शिखरों के कारण ऊँचे रहते हैं। यदि हम अच्छे से अच्छे काम और बढ़प्पन के कार्य करें तो हम भी उन्हीं की तरह दुनिया में आदर के साथ सिर उठा करके रहेंगे। हमारा जीवन उन्नत बनेगा। हम दुनिया में आदरणीय बनेंगे। इसलिए हम अच्छे – अच्छे काम करते हुए पर्वतों के जैसे सिर खड़ा करके (उठाकर) रहने के लिए पर्वत ऐसा कह रहा होगा।
(పర్పతములు ఎల్లప్పుడు ఉన్నత శిఖరాల కారణంగా ఎత్తుగా ఉంటాయి. ఒకవేళ మనం మంచి – మంచి పనులు, గొప్ప గొప్ప పనులు చేసినట్లయితే మనం కూడా వాటిలాగా ఈ ప్రపంచంలో గారవంతో తల ఎత్తుకుని జీవించగలం. మన జీవితం ఉన్నతమగును. మనం (ప్రపంచంలో గౌరవ పాత్రులం (ఆదరణీయులం) అవుతాం. అందువలన మనం మంచి – మంచి పనులు చేస్తూ పర్వతాల వలె తల ఎత్తుకు జీవించమని పర్వతాలు మనతో చెబుతుండవచ్చు.)
प्रश्न 2.
हमें विपत्तियों का सामना हमें कैसे करना चाहिए?
(ఆపదలను మనం ఎలా ఎదుర్కొనవోచ్చును ?)
उत्तर :
धैर्य, समयस्फूर्ति, उपाय, साहस और सोच विचार के साथ हम विपत्तियों का सामना कर सकते हैं। हम पृथ्वी से धैर्य न छोडने की भावना को ग्रहण कर के विपत्तियों का सामना कर सकेंगे।
(ధైర్యం, సమయస్ఫూర్తి, ఉపాయం, సాహసం ఆలోచన అను వాటితో మనం ఆపదలను ఎదుర్కొనవచ్చును. మనం భూమి నుండి ధైర్యం వీడకుండుట అనే భావాన్ని గ్రహించి ఆపదలను ఎదుర్కొనవచ్చు.)
प्रश्न 3.
प्रकृति के अन्य तत्व जैसे नदियाँ, सूरज, पेड आदि हमें क्या सीख देते हैं?
(ప్రకృతి యొక్క అన్య తత్వాలు అయిన నదులు, సూర్యుడు, చెట్లు మొ||నవి మనకు ఎటువంటి ఉపదేశం ? )
उत्तर :
प्रकृति के अन्य तत्व जैसे नदियाँ, सूरज, पेड़ आदि हमें ये सीख देते हैं –
नदियाँ निर्मल रहने मीठे-मीठे मृदुल उमंगों को भरने तथा परोपकार की भावना का सीख देती हैं।
सूरज : जगने और जगाने तथा सकल जीवों का आधार बनने का सीख देता है। सूरज हमें अंधकार को दूर करके प्रकाश को फैलाने का सीख भी देता है।
पेड़ : पेड़ हमें सदा परोपकारी बने रहने का सीख देते हैं।
(ప్రకృతి యొక్క ఇతర తత్వములు అయిన నదులు, సూర్యుడు, చెట్లు మనకు ఈ దిగువ విషయములను నేర్పుచున్నవి. నదులు : నిర్మలంగా ఉండటం, తీయ తీయని మృదులమైన ఉల్లాసం (ఆశలను) మనస్సుల్లో నింపుట మరియు పరోపకారం అనే భావాలను మనకు నేర్పుచున్నవి.
సూర్యుడు సూర్యుడు మేల్కొనుట, ఇతరులను మేల్కొలుపుట, సకల జీవులకు ఆధారమై ఉండుట అనే పాఠాన్ని మనకు నేర్పుచున్నాడు. సూర్యుడు అంధకారాన్ని పోగొట్టి వెలుతురును వ్యాపింపజేయుట కూడా మనకు నేర్పుచున్నాడు. చెట్లు : చెట్లు ఎల్లప్పుడూ పరోపకారిగా ఉండమని మనకు నేర్పుచున్నవి.)
आ. कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(కవిత సారాంశం స్వంత మాటలలో వ్రాయండి)
उत्तर :
‘प्रकृति की सीखं” कविता के कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी जी हैं। उनका जीवनकाल 1906-1988 है। अपनी अमूल्य रचनाओं से वे हिन्दी साहित्य में प्रसिद्ध हुए हैं। उनकी प्रमुख रचना ‘सेवाग्राम’ है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया।
प्रस्तुत कविता में कवि कहते हैं कि हमारे चारों ओर की प्रकृति के कण-कण में कुछ संदेश छिपा रहता है। उन संदेशों का आचरण करने से हम अपने जीवन को सार्थक व सफल बना सकते हैं।
पर्वत हम से कहता है कि तुम भी अपना सिर उठाकर मुझ जैसे ऊँचे (लंबे) बनजाओ। अर्थ है कि सब में ऊँचा रहना महान गुण है। समुद्र लहराते कहता है कि मैं जैसे गहरा हूँ, वैसे तुम भी अपने मन गहरे और विशाल बनाओ। माने गहराई से सोचो।
समुद्र के चंचल तरंग उठ उठ कर गिरते हैं। क्या तुम समझ सकते हो कि वे क्या कह रहे हैं ? वे कहना चाहते हैं कि तुम भी उनके जैसे अपने दिल में मीठी और कोमल आशाएँ भर लो। क्योंकि आशा को सफल बनाने का प्रयत्न ज़रूर करते हो।
धरती हम से कहती है कि चाहे जितनी बडी ज़िम्मेदारी तुम्हें पूरी करनी है, धैर्य के साथ उसे पूरा करो। आकाश कहता है कि मुझ जैसा पूरा फैलकर सारी दुनिया ढक लो माने महान बनकर सब पर अपना प्रभाव दिखाओ।
(‘ప్రకృతి యొక్క నీతి’ కవిత యొక్క కవి శ్రీ సోహన్లాల్ ద్వివేదిగారు. ఆయన జీవితకాలం 1906-1988. తమ అమూల్య రచనలతో వారు హిందీ సాహిత్యంలో ప్రసిద్ధిగాంచారు. వారి ప్రముఖ రచన ‘సేవాగ్రామ్’. భారత ప్రభుత్వం వీరిని పద్మశ్రీతో సత్కరించింది.
ప్రస్తుత కవితలో కవి ఏమంటున్నారంటే మన ప్రకృతి యొక్క నలువైపుల ప్రతి కణంలోనూ ఏదో సందేశం దాగి ఉంటుంది. ఆ సందేశములను ఆచరించడం ద్వారా మనం జీవితాన్ని సార్థకం చేసుకోగలుగుతామని. పర్వతాలు మనతో అంటున్నాయి. నీవు కూడా నీ తలను పైకెత్తి నావలె ఉన్నతంగా తయారవు. అంటే అందరికంటే ఉన్నతంగా ఉండడం మంచి గుణం. సముద్రం ఉప్పొంగొతూ అంటోంది నేను లోతైనవాడను. అలాగే నీవు కూడా నీ మనస్సును లోతైనదిగాను, విశాలమైనదిగాను చేయి. అంటే లోతుగా ఆలోచించు.
సముద్రపు చంచలమైన అలలు ఎగసిపడుతున్నాయి. నీవు అర్థం చేసుకోగలవా అవి ఏమంటున్నాయో ? నీవు కూడా వారిలా తీయని, కోమలమైన భావాలను నింపుకోమని అవి అంటున్నాయి. ఎందుకంటే ఆశను సఫలీకృతం చేసుకునే ప్రయత్నం తప్పక చేస్తావు.
భూమి మనతో అంటున్నది ఎంత పెద్ద బాధ్యత నీకు పూర్తిచేయాల్సి ఉన్నా, ధైర్యంతో పూర్తి చేయమని ఆకాశం అంటోంది నాలా పూర్తిగా వ్యాపించి పూర్తిగా ప్రపంచాన్ని కప్పివేయమని అంటే గొప్ప వ్యక్తిగా తయారయి అందరిపై నీ ప్రభావాన్ని చూపించు అని.)
इ. कविता के भाव से दो सूत्रियाँ बनाइए।
(కవిత యొక్క భావము నుండి రెండు సూక్తులు తయారు చేయండి.)
उत्तर :
1. प्रकृति की सीख अपना लो,
प्यारा जीवन सुखमय बना लो।
2. फूलो से हैसना सीखो।
भौरों से गाना सीखो।
ई. नीचे दी गयी पंक्तियों के आधार पर छोटी – सी कविता लिखिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన పంక్తుల ఆధారంగా చిన్న కవిత వ్రాయండి.)
हरियाली कहती ………….।
महकते फूल कहते …………।
चहचहाते पक्षी कहते ……….।
बहती नदियाँ कहतीं ……….।
उत्तर :
सारा जग खुशहाल बनाओ।
सब पर अपना असर डालो।
मीठे गान सबको सुनाओ।
जीवन में आगे बढते जाओ
भाषा की बात (భాషా విషయము) :
अ. पाठ में आये पुनरुक्त शब्द रेखांकित कीजिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
(పాఠములో వచ్చిన పునరుక్తి శబ్దముల క్రింద గీత గీయండి. వాక్యములో ఉపయోగించండి.)
जैसे : मीठी-मीठी – बच्चे मीठी – मीठी बातें करते हैं।
ఉదా : తియ్య-తియ్యని – పిల్లలు తియ్య – తియ్యని మాటలు మాట్లాడుతారు.)
उत्तर :
1. उठ – उठ = పైకి లేచి
मेरे मन में खुशी की लहरें उठ – उठकर गिर रही हैं।
2. भर लो – भर लो = నింపుకో – నింపుకో
भर लो – भर लो अपने दिल में प्यार की भावना।
आ. विपरीत अर्थ लिखिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
(వ్యతిరేక అర్థము వ్రాయండి. వాక్యప్రయోగం చేయండి.)
जैसे : न्याय × अन्याय हमें अन्याय का विरोध करना चाहिए।
(धैर्य, हिंसा, शांति, यश, धर्म, गौरव, सत्य)
इ. इन शब्दों के बीच का अंतर समझिए और स्पष्ट कीजिए। ऐसे ही तीन शब्द लिखिए।
(ఈ శబ్దముల మధ్య గల భేదమును తెలుసుకుని స్పష్టం చేయండి. ఇటువంటివే మూడు శబ్దములు వ్రాయండి.)
उत्तर :
- गहरा = లోతైన
- गहराई = లోతు
- ऊँचा = ఎత్తైన
- ऊँचाई = ఎత్తు
- लंबा = పొడవైన
- लंबाई = పొడవు
- अच्छा = మంచిది
- अच्छाई = మంచితనం
- स्वतंत्र = స్వతంత్రమైన
- स्वतंत्रता = స్వాతంత్య్రము
- परतंत्र = పరాధీన
- परतंत्रता = పరాధీనత్వము
- नैतिक = నీతికి సంబంధించిన
- नैतिकता = నీతి
- धार्मिक = మతపరమైన
- धार्मिकता = ధర్మనిష్టాపర
ई. नीचे दिये गये शब्दों के साथ ‘इक’ प्रत्यय जोड़कर लिखिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన శబ్దములకు ‘ఇక్’ ప్రత్యయం జోడించి వ్రాయండి.)
उत्तर :
वर्ष – वार्षिक
इतिहास – ऐतिहासिक
मास – मासिक
उपचार – औपचारिक
परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :
सोहनलाल द्विवेदी के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए। उनकी किसी एक कविता का संकलन कीजिए।
(సోహన్లాల్ ద్వివేది గురించి సమాచారము సేకరించండి. వారి ఏదేని ఒక కవిత సేకరించండి.)
उत्तर :
पं. सोहनलाल द्विवेदी जी आधुनिक हिन्दी के प्रमुख कवि हैं। उनका जन्म सन् 1906 में हुआ। अपनी अमूल्य रचनाओं से आपने हिन्दी साहित्य भंडार की वृद्धि की है।
हिन्दी साहित्य में आप पहले बच्चों की कविताएँ करनेवाले के रूप में प्रसिद्ध हुए। अब तो राष्ट्रीय कवि के रूप में उनका बडा नाम है। आप गाँधीवाद से अधिक प्रभावित हुए। आपकी रचनाशैली प्रभावोत्पादक और ओजमय है। आपकी बहुत सी कविताएँ ” वासवदत्ता” नामक ग्रंथ में संग्रहित हैं। आपका विरचित “कुणाल” काव्य बडा सुंदर है।
“भैरवी” द्विवेदी जी के अभियान गीतों का प्रथम संग्रह है। इसके गीत सुंदर और देशभक्ति भरनेवाले हैं।
गाँधीजी की अहिंसात्मक नीति से प्रभावित आपका एक अभियान गीत इस प्रकार है।
बढे चलो, बढो चलो.
न हाथ एक शात्र हो, न साथ एक अस्त्र हो,
न अन नीर वस्त्र हो, हटो नहीं, डटो वहीं ॥
बढे चलो, बढे चलो।
रहे समक्ष हिम शिखर, तुम्हारा प्रण उठे निखर।
भले ही जाय तन बिखर, रुको नहीं, झुको नहीं॥
बढे चलो, बढे चलो ॥
प्रश्न-II
प्रश्न 1.
पर्वत क्या संदेश दे रहा है ?
(పర్వతం ఏ సందేశం ఇస్తూ ఉంది ?)
उत्तर :
पर्वत अपना सिर उठाकर ऊँचा खडा होता है। ऐसा पर्वत संदेश दे रहा है कि तुम भी मेरे जैसे अच्छे काम करते धैर्य से सिर उठाकर खड़े रहो। वही महान गुण है।
(పర్వతము తన తల ఎత్తుకొని ఉన్నతంగా నిలబడుతుంది. నా వలె నీవు కూడా మంచి పనులు చేస్తూ ధైర్యంగా తలెత్తుకొని నిలబడు, అదే గొప్ప గుణము అని పర్వతం సందేశం ఇస్తూ ఉన్నది.)
प्रश्न 2.
तरंग क्या कहती है ?
(తరంగం ఏమి చెప్పుచున్నది?)
उत्तर :
सागर में चंचल तरंग उठ उठ कर गिरती है। वह हम से कहती है कि अपने मन में मीठ मीठे सुकोमल उमंग भर लो। कोमल उमंग भरने से मन खुशी से नाच उठता है। हर काम करने का उत्साह उमडता रहता है।
(సముద్రంలో చంచలమైన అలలు పైపైకి లేచి క్రింద పడతాయి. మీ మనస్సులో తియ్యనైన కోమలమైన ఉప్పొంగులు నింపుకో అని మనతో చెపుతుంది. కోమలమైన ఉప్పొంగు నిండుట వలన మనస్సు సంతోషంతో నాట్యం చేస్తుంది. ప్రతి పని చేసెడి ఉత్సాహం ఉప్పొంగుతూ ఉంటుంది.)
प्रश्न 3.
संसार को ढक लेने की सीख कौन दे रहा है ?
(ప్రపంచాన్ని మూసివేయమని/ దాచమనే నీతి ఎవరు ఇస్తున్నారు ?)
उत्तर :
संसार को ढ़क लेने की सीख नभ (आकाश) दे रहा है।
(ప్రపంచాన్ని దాచమనే నీతిని ఆకాశం ఇస్తూ ఉన్నది.)
अर्थग्राहयता-प्रतिक्रिया
पठित पद्यांश
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
I. पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
प्रश्न :
1. पर्वत क्या कहता है ?
2. सागर क्या कहता है ?
3. यह उपर्युक्य पद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन है ?
5. “शीश” शब्द का पर्याय वाची शब्द क्या है ?
उत्तर :
1. पर्वत हमें ऊँचे बन जाने को कहता है।
2. लहराकर मन में गहराई लाने को सागर कहता है।
3. यह उपर्युक्त पद्यांश ‘प्रकृति की सीख’ नामक पाठ से लिया गया है।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।
5. शीश शब्द का पर्यायवाची शब्द है “सिर”।
II. समझ रहे हो क्या कहती है,
उठ उठ गिर कर तरल तरंग।
भर लो, भर लो अपने मन में,
मीठे मीठे मृदुल उमंग॥
प्रश्न :
1. तरल तरंग क्या करती है ?
2. तरल तरंग उठ उठ गिरकर क्या कहती है ?
3. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
4. ‘मीठे’ शब्द का विलोम क्या है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन हैं ?
उत्तर :
1. तरल तरंग उठ – उठकर गिर पडती है।
2. तरल तरंग उठ-उठ गिर कर कहती है कि तुम अपने मन में मीठे मृदुल उमंग भर लो।
3. उपर्युक्त पद्यांश ‘प्रकृति की सीख’ नामक पद्य पाठ से लिया गया है।
4. मीठे – शब्द का विलोम है – “कडुआ”।
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।
III. पृथ्वी कहती, धैर्य न छोडो,
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता है, कैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार॥
प्रश्न :
1. नभ क्या कहता है ?
2. पृथ्वी क्या कहती है ?
3. पृथ्वी शब्द का पर्यायवाची शब्द को लिखिए।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन है ?
5. धैर्य शब्द का विलोम क्या है ?
उत्तर :
1. नभ कहता है कि इतना फैलकर सारा संसार को ढक लो।
2. पृथ्वी कहती है कि “धैर्य न छोडो’। (या) धैर्य न छोडने को पृथ्वी कहती है।
3. पृथ्वी शब्द का पर्यायवाची शब्द है धरती / वसुधा / वसु / जमीन / भूमि / धरा आदि।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।
5. धैर्य शब्द का विलोम शब्द है अधैर्य।
अपठित पद्यांश :
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
I. तरुवर फ़ल नहीं खात हैं, सरबर पियहि न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति संचहि सुजान ॥
प्रश्न :
1. सुजान संपत्ति को किसके लिए संचित करता है ?
2. तरुवर क्या नहीं खाते हैं ?
3. तरुवर शब्द का अर्थ क्या है ?
4. सरवर क्या नहीं पीता ?
5. “सुजान” शब्द का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर :
1. सुजान संपत्ति को परकाज हित के लिए संचित करता है।
2. तरुवर फल नहीं खाते हैं।
3 तरुवर शब्द का अर्थ है पेड।
4. सरवर पानी नहीं पीता है।
5. सुजान शब्द का विलोम शब्द है- दुर्जन।
II. तुलसी मीठे वचन तै, सुख उपजत चहूँ ओर।
वसीकरण वह मन्त्र हैं, परिहरु वचन कठोर॥
प्रश्न :
1. किन वचनों से चारों ओर सुख उपजता है ?
2. वसीकरण मंत्र क्या है?
3. “सुख” शब्द का विलोम शब्द क्या है ?
4. “परिहरु” शब्द का अर्थ क्या है ?
5. कैसे वचनों को छोड़ देना चाहिए?
उत्तर :
1. मीठे वचनों से चारों ओर सुख उपजता है।
2. मीठे वचन वशीकरण मंत्र हैं।
3. सुख शब्द का विलोम शब्द ‘दुख’ है।
4. परिहरु शब्द का अर्थ है ‘छोड़ देना।
5. कठोर वचनों को छोड़ देना चाहिए।
III. धरती के सूखे होठों पर, लाली का छा जाना।
होता कितना सुंदर जग में है बसंत का आना॥
प्रश्न :
1. इस दोहे में किस ऋतु का वर्णन हुआ है ?
2. सुंदर शब्द का विलोम शब्द क्या है?
3. धरती के होंठ कैसे हैं?
4. “धरती” शब्द का पर्याय शब्द क्या है ?
5. ‘वसंत” में धरती के सूखे होठों पर क्या छा जाता है ?
उत्तर :
1. इस दोहे में वसंत ऋतु का वर्णन हुआ है।
2. सुंदर शब्द का विलोम शब्द है- ‘असुंदर।’
3. धरती के होंठ सूखे हुए हैं।
4. धरती शब्द का पर्यायवाची शब्द है – “पृथ्वी।”
5. वसंत में धरती के सूखे होठों पर लाली छा जाती है।
IV. कोयल। मुझको जरा बताना,
किसने तुझे सिखाया गाना।
तेरी बोली का मीठापन,
मीठा कर देता है तन मन।
गाती है जब तू उपवन में,
हर्ष उमडता जन – मन में।
सुनकर तेरा ही गाना,
उठते भाव चित्त में नाना।
प्रश्न :
1. कोयल को क्या सिखाया गया है ?
2. कोयल की बोली कैसी होती है ?
3. कोयल की बोली किसे मीठा कर देती है?
4. कोयल जब गाती है तो क्या उमडता है ?
5. ” नाना” शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर
1. कोयल को गाना सिखाया गया है।
2. कोयल की बोली मीठी होती है।
3. कोयल की बोली तन मन को मीठा कर देती है।
4. कोयल जब गाती है तो हर्ष उमडता है।
5. ‘नाना’ शब्द का अर्थ है – “अनेक”।
V. यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान॥
प्रश्न :
1. “अमृत की खान” कौन है?
2. विष की बेलरी क्या है?
3. सीस दिये तो कौन मिलते?
4. “सीस शब्द का अर्थ क्या है?
5. “सस्ता” शब्द का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर
1. गुरु अमृत की खान है। (या) अमृत की खान गुरु है।
2. विष की बेलरी यह तन है।
3. सीस दिये तो गुरु मिलते।
4. सीस शब्द का अर्थ है “सिर”।
5. सस्ता शब्द का विलोम शब्द है “मुहंगा”
उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :
प्रेरणाप्रद कविताओं का संकलन कर उनका पठन करना, भाव समझना प्रकृति के कण- कण में कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है। ये पर्वत, नदियाँ, झरने, पेड़ आदि हमसे कुछ कहते हैं। इनके संदेशों से हम जीवन सफल बना सकते हैं।
ప్రేరణాప్రదమైన కవితలను చదువుట. భావాన్ని అర్థం చేసుకొనుట, ప్రకృతి అణువు అణువులో ఏదో ఒక సందేశం దాగి ఉంటుంది. ఈ పర్వతములు, నదులు, సెలయేళ్ళు, చెట్లు మొదలగునవి మనకు ఏదో చెపుతుంటాయి. వీటి సందేశముల వలన మనం జీవితాన్ని సఫలీకృతం చేసుకోగలము.)
शब्दार्थ – भावार्थ :
1. पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :
- शीश = తల, head
- ऊँचा = ఎత్తైన, tall
- गहराई = లోతు, depth
- लहराना = అలలు పై పైకి ఉప్పొంగుట, to ripple
भावार्थ : “प्रकृति की सीख” कविता के कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी हैं। वे कहते हैं कि प्रकृति के कण-कण में कुछ संदेश छिपा रहता है। उन संदेशों से हम अपना जीवन सफल बना सकते हैं।
पर्वत हम से कहता है कि तुम भी अपना सिर उठाकर मुझ जैसे ऊँचे (लंबे) बनजाओ। अर्थ है कि सब में ऊँचा रहना महान गुण है। समुद्र लहराते कहता है कि मैं जैसे गहरा हूँ। वैसे तुम भी अपना मन गहरा और विशाल बनाओ। माने गहराई से सोचो।
భావార్థము: “ప్రకృతి యొక్క నీతి” కవిత రచయిత శ్రీ సోహన్లాల్ ద్వివేది. ప్రకృతిలోని ప్రతీ అణువులో ఏదో ఒక సందేశం దాగి ఉన్నది. ఆ సందేశాల వలన మనము మన జీవితాన్ని సఫలం చేసు కోగలము అని ఆయన చెబుతున్నారు.
నీవు కూడా తల పైకెత్తి నావలె ఉన్నతంగా ఉండు. అంటే అందరిలో ఉన్నతంగా ఉండటం . గొప్ప గుణము. సముద్రము ఉప్పొంగుతూ మనతో అంటోంది-నీవు కూడ నీ మనస్సును లోతైనదిగాను, విశాలముగాను చేసుకో. లోతుగా ఆలోచించు.
2. समझ रहे हो क्या कहती है,
उठ गिर कर तरल तरंग।
भर लो, भर लो अपने मन में,
मीठे मीठे मृदुल उमंग॥
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :
- गिरना = పడిపోవుట, to fall
- तरल = చలించునట్టి, fickle
- तरंग = తరంగము, అల, wave
- भरना = నింపుట, to fill
- मृदुल = కోమలమైన, soft
- उमंग = ఆశ, ambition
भावार्थ : कवि कहते हैं समुद्र के चंचल तरंग उठ उठकर गिरते हैं। क्या तुम समझ सकते हो कि वे क्या कह रहे हैं ? वे कहना चाहते हैं कि तुम भी उनके जैसे अपने दिल में मीठी और कोमल आशाएँ भर लो क्योंकि आशा को सफल 1 बनाने के प्रयत्न ज़रूर करते हो।
భావార్థము: సముద్రపు చంచలమైన అలలు పైకి లేచి పడిపోతున్నాయి. నీవు అర్థం చేసుకుంటు న్నావా? అవి ఏం చెపుతున్నవో ? నీవు కూడా వాటి వలె నీ మనస్సులో తియ్యని, సుకోమలమైన ఆశలు నింపుకోమని అవి చెప్పతలచుచున్నవి. ఎందుకంటే ఆశను తీర్చుకొనుటకై ప్రయత్నం తప్పక చేస్తావు.
3. पृथ्वी कहती, धैर्य न छोड़ो,
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता है, फैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार॥
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :
- पृथ्वी = భూమి, the earth
- भार = బరువు, భారము, బాధ్యత burden, responsibility
- नभ = ఆకాశము, sky
- फैलना = వ్యాపించుట, to spread
- ढकना = కృప్పట/మూయుట, to cover
भावार्थ : धरती हम से कहती है कि चाहे जितनी बडी ज़िम्मेदारी तुम्हें पूरी करनी है, धैर्य के साथ उसे पूरा करो। आकाश कहता है कि मुझ जैसा पूरा फैलकर सारी दुनिया ढक लो। माने महान बनकर सब पर अपना प्रभाव दिखाओ।
భావార్థము : ఎంత గొప్ప బాధ్యతను నీవు పూర్తి చేయవలసి ఉన్నా ధైర్యంగా దానిని పూర్తి చెయ్యమని, భూమి చెబుతున్నది. నా వలె పూర్తిగా వ్యాపించి నీ ప్రపంచాన్ని కప్పివేయమని ఆకాశం చెబుతున్నది. అనగా నీ ప్రభావాన్ని అందరి మీద చూపించమని ఆకాశం అంటున్నది.