TS 9th Class Hindi Guide 3rd Lesson बदलें अपनी सोच

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 3rd Lesson बदलें अपनी सोच Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 3rd Lesson Questions and Answers Telangana बदलें अपनी सोच

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏమి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में एक लडकी कुत्ते को संभालकर पडकना दिखाई दे रहा है।

प्रश्न 2.
जीव-जंतुओं के प्रति हमें कैसी भावना रखनी चाहिए?
(పశు-పక్ష్యాదుల పట్ల మనకు ఎలాంటి భావన ఉండాలి?)
उत्तर :
संसार में हमारे साथ अनेक जीव-जंतु रहते हैं। वे सभी भी हमारे साथी हैं। ऐसे जीव-जंतुओं से प्रेम भाव रखते उनकी रक्षा करने की भावना रखनी चहिए।

TS 9th Class Hindi Guide 3rd Lesson बदलें अपनी सोच

प्रश्न 3.
प्रकृति के संरक्षण में हम क्या योगदान दे सकेत हैं?
(ప్రతి సంరక్షణలో మనం ఎలా సహకరించగలం?)
उत्तर :
प्रकृति हमारा रक्षा कवच है। इसका संरक्षण करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। इसके लिए हम गंदगी न फैलाते, हरियाली को बनाये रखते, पेड – पौधो को न काटकर, नये पेडो को लगाते, पर्यावरण को साफ़ व शुद्ध रखकर, भू, जल, वायु, ध्वनि आदि से होनेवाले प्रदूषण दूर करके प्रकृति संरक्षण कर सकते है।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం జవాబును ఇవ్వటం) :

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు తెలపండి)

प्रश्न 1.
इस धरती पर पेड़-पौधों का होना क्यों आवश्यक है? प्रकृति संरक्षण के लिए आप कौनसे क़दम उठायेंगे?
(ఈ భూమిపై చెట్లు మొక్కలు ఉండడం ఎందుకు అవసరం. ప్రకృతిని రక్షించుటకు మీరు ఎటువంటి చర్యలు తీసుకుంటారు?)
उत्तर :
विशाल और अक्षुण्ण धरती पर ईश्वर द्वारा दी गयी अमूल्य देन है प्रकृति। धरती पर स्थित समस्त प्राणि काटि का प्राणाधार यही प्रकृति है। प्रकृति में हर जगह पेड पौधे लगे रहते हैं। ये प्रकृति के अभिन्न अंग है, और अलंकार भी हैं। इनसे ही प्राणियों को प्राणवायु मिलता है। हमारे वातावरण को ये शुद्ध रखते हैं। उसे मोहक बनाते हैं। वनस्पतियों से भोजन, वस्त्र, औषधियाँ, गृह निर्माण का सामान, उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल मिलता है। हमारे फलों, फूलों और पशुओं के चारे के साधन भी ये ही हैं। जलाने के लिए ईंधन भी इन्हीं से प्राप्त होता है। इनसे ही हमें वर्षा के रूप में पानी मिलता है। पेडों की छाया में प्राणियों को सुख मिलता है। खासकर ये पेड – पौधे हमारे अच्छे मित्र और संरक्षक हैं। अतः स्पष्ट है कि इस धरती पर पेड पौधों का होना आवश्यक है। इनसे ही पर्यावरण में संतुलन बना रहता है।

प्रकृति संरक्षण के लिए :

यथा शक्ति गंदगी न फैलाना
नदी नालियों को साफ़ रखना
कूडा करकट डिब्बों में डालना
खुले में मल मूत्र विसर्जन न करना

(విశాలమైన మరియు సమస్త భూమిపై ఈశ్వరుని ద్వారా ఇవ్వబడిన అమూల్యమైన కానుక ప్రకృతి. భూమిపై నున్న సమస్త ప్రాణికోటి ప్రాణాధారం ఈ ప్రకృతియే. ప్రకృతిలో ప్రతి చోట చెట్లు – మొక్కలు మొలిచి ఉంటాయి. ఇవి ప్రకృతి యొక్క భేదము లేని అంగాలు, అలంకారాలు కూడా. వీటి ద్వారా మాత్రమే ప్రాణులకు ప్రాణవాయువు లభిస్తుంది. మన పర్యావరణాన్ని ఇవి స్వచ్ఛంగా ఉంచుతాయి. దాన్ని ఆకర్షణీయంగా తయారుచేస్తాయి. చెట్ల ద్వారా భోజనం, వస్త్రం, ఔషధాలు, గృహ నిర్మాణ సామగ్రి, వృత్తికి ఉపయోగపడే సామగ్రి దొరుకుతుంది. మన పండ్ల, పూల మరియు పశుగ్రాస సామగ్రి కూడా ఇవే. ఇంధన వనరులు కూడ వీటి నుండే ప్రాప్తిస్తున్నాయి. వీటి ద్వారా వర్షరూపంలో నీరు లభిస్తుంది. చెట్ల నీడలో ప్రాణులకు సుఖం లభిస్తుంది. ప్రత్యేకించి ఈ చెట్లు – మొక్కలు మన మంచి మిత్రులు మరియు సంరక్షకులు. అందువలన స్పష్టం అవుతుంది ఏమిటంటే ఈ భూమిపై చెట్లు – మొక్కలు ఉండటం చాలా అవసరం. వీటివల్ల మాత్రమే పర్యావరణంలో సమతుల్యత నిలిచి ఉంటుంది.

ప్రకృతిని రక్షించుటకు తీసుకోవలసిన చర్యలు :

సాధ్యమైనంత వరకు అపరిశుభ్రత వ్యాపింపచేయకుండా ఉండటం
నదులు – కాలువలను పరిశుభ్రంగా ఉంచటం
చెత్తా – చెదారం చెత్త డబ్బాలలో వేయడం
బహిరంగంగా మలమూత్ర విసర్జన చేయకుండా ఉండటం

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प्रश्न 2.
युगरत्ना के सवालों के बारे में अपने विचार बताइए।
(యుగరత్న ప్రశ్నల గురించి మీ అభిప్రాయములు తెలపండి/చెప్పండి.)
उत्तर :
युगरत्ना श्रीवास्तव तेरह साल की भारतीय लडकी है। पर्यावरण की रक्षा करने के आशय से उसने संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रभावोत्पादक भाषण दिया। उस भाषण में उसने मानव को जागरूक करते कुछ ज़ोरदार और असरदार प्रश्न पूछे। ये प्रश्न सचमुच महान हैं। हर मानव को इनके बारे में ज़रूर विचारशील बनना है। वास्तव में ये प्रश्न हमारे अज्ञान को दूर कर हमारी ज़िम्मेदारियों को स्पष्ट करनेवाले हैं। हमें अभी निर्णय लेना है। अब भी हम अगर अपनी आँखें नहीं खोलेंगे तो हमारी भावी पीढीवालों का जीवन संदेहात्मक ही होगा। धरणी पर उनका जीवन दूभर हो जायेगा। इतना ही नहीं प्राणिमात्र का अस्तित्व ही अदृश्य हो जायेगा। इस प्रकार के असरदार प्रश्न उठाकर युगरना ने हमें सावधान व जागरूक बनाने की कोशिश की।

(యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ పదమూడు సం॥ల భారతీయ బాలిక, పర్యావరణాన్ని (వాతావరణాన్ని) రక్షించాలనే ఆశయంతో ఆమె ఐక్యరాజ్యసమితిలో విలువైన ఉపన్యాసము ఇచ్చినది. ఆ ఉపన్యాసంలో ఆమె మానవుని చైతన్యవంతుని చేస్తూ కొన్ని శక్తివంతమైన ప్రభావాన్ని కలిగించే ప్రశ్నలు అడిగినది.
ఈ ప్రశ్నలు నిజంగా చాలా గొప్పవి. ప్రతి మానవుడు వీరిని గురించి తప్పక ఆలోచించాలి. వాస్తవంగా ఈ ప్రశ్నలు మన అజ్ఞానాన్ని దూరం చేసి బాధ్యతలను స్పష్టపరిచేవి. మనం ఇప్పుడే నిర్ణయం తీసుకోవాలి. ఇప్పుడైనా మనం మన కళ్ళు తెరవకపోతే మన భావితరం వారి జీవితం అనుమానాస్పదంగానే ఉంటుంది. భూమిపై వారి జీవితం దుర్భరమైపోతుంది. ఇంతేకాదు, ప్రాణి మనుగడే అంతరించిపోతుంది.
ఈ విధమైన ప్రభావాన్ని కలిగించే ప్రశ్నలు అడిగి యుగరత్న మనల్ని జాగృతులను చేసెడి ప్రయత్నం చేసింది.)

आ. पाठ के आधार पर वाक्यों का सही क्रम पहचानिए।।
(పాఠ్యము ఆధారంగా వాక్యముల సరియైన క్రమము గుర్తించండి.)

1. हमें अपनी धरती बचानी होगी। ( )
2. अपने घर को बचा लें …… अपनी धरती माँ को बचा लें ….. ( )
3. हर कक्षा की किताबों में पर्यावरण के पाठ अवश्य होने चाहिए। ( )
4. हमारे पूर्वजों ने हमें स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह दिया था। (1)
उत्तर :
1. 2
2. 4
3. 3
4. 1

इ. अनुच्छेद पढिए। इसके आधार पर तीन प्रश्न बनाइए।
(పేరా చదవండి. దీని ఆధారంగా మూడు ప్రశ్నలు తయారు చేయండి.)
कहाँ से आता है हमारा पानी और फिर कहाँ चला जाता है हमारा पानी ? हमने कभी इसके बारे में कुछ सोचा है? सोचा तो नहीं होगा शायद, पर इस बारे में पढ़ा ज़रूर है। भूगोल की किताब पढ़ते समय जलचक्र जैसी बातें हमें बतायी जाती हैं। बताते समय सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती फिर बरसात की बूँदें और लो फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनारे बसा तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर। चित्र के दूसरे भाग में यही नदी अपने चारों तरफ़ का पानी लेकर उसी समुद्र में मिलती दिखाई देती है।
उत्तर :
1. जलचक्र जैसी बातें हमें कौन सी किताब पढते समय बतायी जाती है ?
2. नदी अपने चारों तरफ़ का पानी लेकर किसमें मिलती दिखाई देती है ?
3. हमने किसके बारे में ज़रूर पढा होगा ?

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ई. इन प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए।
(ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు మూడు వాక్యములలో ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
पर्यावरण के बिगडने से क्या हानि होती है?
(వాతావరణం చెడుట వలన ఏమి నష్టం జరుగుతుంది.)
उत्तर :
हमारे चारों तरफ़ जो प्रकृति है उसे पर्यावरण कहते हैं। यह पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है, इसमें संतुलन होना चाहिए। नहीं तो हमें कई हानियाँ हो सकती हैं।

प्राणिमात्र के लिए आवश्यक आक्सिजन की मात्रा कम हो जायेगी।
स्वच्छ और साफ़ पानी नहीं मिलेगा।
ऋतुएँ सही समय पर नहीं आयेंगी।
वर्षा नियमित रूप से नहीं होगी। होगी भी तो अतिवृष्टि या अनावृष्टि बनी रहेगी।
हम सब मानवों को कई बीमारियों का सामना करना पडेगा।
भूमंडल पर प्राणिमात्र का जीवन संदेहात्मक होगा।

(మన చుట్టు ప్రక్కల ఉన్న ప్రకృతిని పర్యావరణం (వాతావరణం) అంటాము. ఈ పర్యావరణము మన రక్షాకవచము. దీనిలో సమతౌల్యము ఉండాలి. లేకపోతే మనకు అనేక నష్టాలు జరుగగలవు.

ప్రాణికోటికి అవసరమైన ఆక్సిజన్ పరిమాణము తగ్గిపోతుంది.
స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన నీరు లభించదు.
ఋతువులు సరియైన సమయంలో రావు.
వర్షములు సకాలంలో కురియవు. కురిసినా అతివృష్టిగాని అనావృష్టిగాని ఏర్పడుతుంది.
మన మానవులందరు అనేక రకముల జబ్బులను ఎదుర్కొనవలసి ఉంటుంది.
భూమిపైన ప్రాణికోటి ఉనికి సందేహాత్మకమవుతుంది.)

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प्रश्न 2.
प्रदूषण को रोकने के उपाय क्या हैं?
(కాలుష్య నివారణకు ఉపాయాలు ఏమిటి?)
उत्तर :
पर्यावरण समस्त जीवकोटि का प्राणधार है। प्रत्येक प्राणि के लिए आवश्यक जल, वायु, आहार आदि प्रकृति से ही मिलते हैं, बढती हुई आबादी और विज्ञान की उन्नति के कारण पर्यावरण में प्रदूषण फैल रहा है। प्रदूषण चार प्रकार के हैं। वे हैं 1) भूमि प्रदूषण, 2) जल प्रदूषण, 3) वायु प्रदूषण, 4) ध्वनि प्रदूषण इनसे हमारे आसपास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है और सब जीवों पर इसका बुरा असर पड रहा है। अनेक हानियाँ पहुँच रही हैं। अब हमें इस विनाशकारी प्रदूषण रोककर पर्यावरण को बचा लेना अत्यंत आवश्यक है। हम इसके लिए निम्न प्रकार के उपाय अपना सकते हैं।

यथा शक्ति गंदगी न फैलाना
नदी नालियों को साफ़ रखना
कूडा करकट डिब्बों में डालना
खुले में मल मूत्र विसर्जन न करना
परंपरागत ईंधन का उपयोग न करना
मक्खी मच्छर नाशक दवाओं का उपयोग करना
अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना
लोगों को प्रदूषण रोकने के आवश्यक सुझाव व सलाह देना। खासकर पेड-पौधों के रोपण से पर्यावरण को ज़्यादा संतुलित कर सकते हैं।
इस प्रकार के संस्कारणों को बनाये रखने से पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं।

(పర్యావరణం సమస్త జీవకోటి ప్రాణాధారం. ప్రతి ఒక్క ప్రాణికి అవసరమైన నీరు, వాయువు, ఆహార పదార్థాలు ప్రకృతి నుండే లభిస్తాయి. పెరుగుతున్న జనాభా, వైజ్ఞానిక అభివృద్ధి కారణంగా పర్యావరణంలో కాలుష్యం వ్యాపిస్తున్నది. కాలుష్యం నాలుగు రకాలు. అవి 1. భూమి కాలుష్యం, 2. జల కాలుష్యం, 3. వాయు కాలుష్యం 4. ధ్వని కాలుష్యం. వీటి ద్వారా చుట్టుప్రక్కల వాతావరణం కలుషితం అవుతుంది, అన్ని జీవులపై దీని చెడు ప్రభావం పడుతూ ఉన్నది. అనేకమైన నష్టాలు జరుగుతున్నాయి. ఇప్పుడు మనం ఈ వినాశకారి కాలుష్యాన్ని నివారించి, పర్యావరణాన్ని కాపాడుకోవడం అత్యంత ఆవశ్యకం. మనం దీని కోసం కింది విధమైన ఉపాయాలు అవలంబించవచ్చు.

సాధ్యమైనంత వరకు అపరిశుభ్రత వ్యాపింపచేయకుండా ఉండటం
నదులు – కాలువలను పరిశుభ్రంగా ఉంచటం
చెత్తా – చెదారం చెత్త డబ్బాలలో వేయడం.
బహిరంగంగా మలమూత్ర విసర్జన చేయకుండా ఉండటం.
వారసత్వ ఇంధనం ఉపయోగించకుండా ఉండటం
ఈగ-దోమల నాశక మందులను ఉపయోగించటం
అధికంగా మొక్కలను నాటడం
కాలుష్యాన్ని నివారించే అవసరమైన సలహాలు ప్రజలకు ఇవ్వటం, ప్రత్యేకించి చెట్లు – మొక్కలు నాటడం ద్వారా పర్యావరణాన్ని అధికంగా సమతుల్యపరచగలము.
ఇటువంటి సంస్కరణల వల్ల పర్యావరణ సంరక్షణ చేయగలము.)

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अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

प्रश्न 1.
पर्यावरण के बिगडने से आगामी भविष्य में और कैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
(పర్యావరణం చెడిపోవుట వలన రాబోయే (సమీప) భవిష్యత్తులో ఇంకా ఎలాంటి సమస్యలు ఏర్పడగలవు?)
उत्तर :
पर्यावरण के बिगडने से आगामी भविष्य में ये समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
पीने के लिए पानी की कमी होगी।
पर्यावरण बिगडने के कारण कई बीमारियाँ फैलेंगी।
प्रशांत महासागर का पानी का स्तर बढ़ेगा।
आम्ल और क्षार वर्षों की संभावना होगी।
वातावरण में अधिक तापमान बढ़ेगा।
अतिवृष्टि या अनावृष्टि की संभावना, अकाल की संभावना है।

(పర్యావరణం (వాతావరణం) చెడిపోవుట వలన సమీప భవిష్యత్తులో ఇంకా ఇలాంటి సమస్యలు ఉత్పన్నమవ్వవచ్చు.
త్రాగునీరు తగ్గిపోవచ్చు.
శుద్ధమైన నీరు లభించకపోవచ్చు.
పర్యావరణం (వాతావరణం) చెడిపోవడం వలన ఎన్నో జబ్బులు వ్యాపించును.
హిమాలయాలు కరిగిపోవును.
ధృవపు ఎలుగుబంట్లు చనిపోవును.
పసిఫిక్ మహాసముద్రంలో నీరు పెరిగిపోవును.
భూమి కాలుష్యంతో నిండిపోవును.
ఆమ్ల – క్షార వర్షాలు కురియును.
వాతావరణం ఎక్కువ వేడెక్కిపోపును.
అతివృష్టి లేదా అనావృష్టి సంభవింపవచ్చు.
కరువు కాటకాలు ఏర్పడవచ్చును.)

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प्रश्न 2.
जल संरक्षण कैसे किया जा सकता है? अपने विचार बताइए।
(జలసంరక్షణ ఎలా చేయబడగలుగుతుంది? మీ అభిప్రాయాలను తెలియజేయండి.)
उत्तर :
प्राणिमात्र के लिए जीवन बिताने पानी आवश्यक है। ऐसे अमूल्य पानी का संरक्षण हमारा खास धर्म है। पानी के बिना प्राणिकोटि का जीवन दुर्भर है।
हमारे पवित्र भारत में अनेक जीव नदियाँ बहती हैं। उन नदियों के पानी का सदुपयोग न करने से और हमारे अज्ञान से किये जाने वाले कार्यों से भारत में भी पानी की तंगी बनी हुयी है। इसे दूर करके जल संरक्षण करने का महत्वपूर्ण काम करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। इसके लिए निम्न विषयों पर हमें ध्यान देना है।

वर्षा के पानी का अधिक भाग धरती के अंदर जाने का प्रयत्न करना है।
पानी के बहनेवाले नाले और तालाब अगर मिट्टी से भर जायें तो मिट्टी निकाल कर उनमें अधिक पानी जमा रहने का यत्न करना है।
छोटी-छोटी खाइयाँ खोदकर वर्षा के पानी का बचाव करना है।
जल संपत्ति का सावधानी से उपयोग करना है।
छोटे बच्चों को बाल्यावस्था से ही जल संरक्षण का महत्व समझाते कम मात्रा में पानी का उपयोग करना सिखाना है।
जहाँ तक हो सके पानी का दुरुपयोग न होने देना है।
स्वयं पानी का बचत करते हुए, इसका महत्व सबको समझाते, आवश्यक कदम उठाने सरकार को भी हमें जगाना है।

(ప్రాణులకు జీవితం గడపడానికి నీరు అవసరము. అటువంటి విలువ గల నీటిని సంరక్షించుట మన ముఖ్య ధర్మం. నీరు లేకుండా ప్రాణికోటి జీవితం దుర్భరం.
మన పవిత్ర భారతదేశంలో అనేక జీవనదులు ప్రవహిస్తున్నాయి. ఆ నదుల నీటిని సద్వినియోగము చేసుకొనకపోవడం వలన, మన అజ్ఞానంతో కూడిన పనుల వలన భారతదేశంలో నీటికొరత ఏర్పడి ఉన్నది. దీనిని దూరం చేసి జలసంరక్షణ చేసే ముఖ్యమైన పని చేయడం మన మొదటి కర్తవ్యం. ఇందుకోసం క్రింద ఇవ్వబడిన విషయాలపై శ్రద్ధ చూపాలి.
వర్షం నీరు అధిక భాగం భూమి లోపలికి వెళ్ళుటకు ప్రయత్నం చెయ్యాలి.
నీరు ప్రవహించే కాలువలు, చెరువులు మట్టితో పూడినట్లయితే, మట్టి తీసి వానిలో ఎక్కువగా నీరు నిల్వ ఉండే ప్రయత్నం చెయ్యాలి.
జలసంపదను జాగ్రత్తగా ఉపయోగించాలి.
చిన్న పిల్లలకు బాల్యకాలము నుండే జలసంరక్షణ విలువను తెలియచెబుతూ నీటిని తక్కువగా ఉపయోగించడం నేర్పించాలి.
అవకాశం ఉన్నంతవరకు నీటిని వృథా కానివ్వరాదు.
స్వయంగా నీటిని సంరక్షిస్తూ దీని విలువను అందరికీ తెలియజేస్తూ, అవసరమైన పనులు జరిగేటందుకు ప్రభుత్వాన్ని కూడా మనం మేల్కొలపాలి.)

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प्रश्न 3.
युगरत्ना के स्थान पर आप होते तो कौन कौन से प्रश्न उठाते ?
(యుగరత్న స్థానంలో మీరు ఉంటే ఏయే ప్రశ్నలను లేవనెత్తేవారు ?)
उत्तर :
युगरत्ना के स्थान में यदि मैं होता तो ये प्रश्न पूछता।

हिमालय पिघलता जा रहा है। धृवीय भालू मरते जा रहे हैं। हर पाँच में से दो व्यक्तियों को पीने का साफ़ पानी नहीं मिलता। लुप्त होने वाले पेड पौधों को खोने की हालत में हैं। प्रशांत महासागर के पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। क्या हम अपने भविष्य की पीढी को यही देने
हमारे पूर्वजों ने हमें स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह दिया था, और हम क्या कर रहे हैं?
हम अपने भविष्य की पीढी को प्रदूषित और बिगडी हुई धरती देने जा रहे हैं। क्या ऐसा करना?
हमें अपनी धरती बचानी होगी। अब यह काम यहाँ नहीं होगा तो कहाँ होगा ? अब नहीं होगा तो कब होगा ? हम नही करेंगे तो कौन करेगा?
क्या पर्यावरणीय समस्याओं की पहचान किसी भौगोलिक, राजनैतिक सीमाओं और आयुसमूहों के दायरे में होती है ?
यदि राष्ट्र की सुरक्षा, शाति और आर्थिक विकास ही आपके लिए ज़रूरी है, तो पर्यावरण बदलाव ज़रूरी मुद्दा क्यों नहीं होना चाहिए ?

(యుగరత్న స్థానంలో నేను ఉన్నట్లయితే ఈ ప్రశ్నలను అడుగుతాను –
హిమాలయము కరుగుతూ ఉన్నది. ధృవప్రాంతపు ఎలుగులు చనిపోతూ ఉన్నవి. ప్రతి ఐదుగురిలో ఇద్దరికి స్వచ్ఛమైన నీరు అందటం లేదు. అంతరించిపోతున్న చెట్లు, మొక్కలను పోగొట్టుకునే స్థితిలో ఉన్నాము. మన భవిష్య తరానికి ఇదేనా మనము ఇచ్చేది ?
మన పూర్వీకులు మనకు స్వచ్ఛమైన, ఆరోగ్యవంతమైన గ్రహమును ఇచ్చారు, మరి మనం ఏమి చేస్తున్నాము?
మనము మన భవిష్యత్ తరానికి కలుషితమైన, పాడైన భూమిని ఇవ్వబోతున్నాము. అలా చేయడం సరియైనదేనా?
మనము మన భూమిని రక్షించుకోవాలి. ఇక్కడ ఈ పని జరుగకపోతే, ఎక్కడ జరుగుతుంది ? ఇప్పుడు జరుగకపోతే ఎప్పుడు జరుగుతుంది ? మనము చెయ్యకపోతే ఎవరు చేస్తారు?
పర్యావరణ సమస్యల గుర్తింపు ఏదేని భౌగోళిక, రాజనైతిక హద్దులు, జీవశక్తి సమూహముల పరిధిలో ఉంటుందా?
దేశ రక్షణ, శాంతి, ఆర్థికాభివృద్ధే మీకు అవసరమైతే వాతావరణ మార్పు అవసరమైన విషయము ఎందుకు కాకూడదు?)

आ. इस भाषण लेख का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(ఈ ఉపన్యాసం యొక్క సారాంశం మీ మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
‘बदलें अपनी सोच यह भाषण लेख है। यह भारत की लाडली तेरह वर्षीय बालिका युगरना श्रीवास्तव का दिया हुआ भाषण है। यह विचारात्मक भाषण 2009 सितंबर में संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया गया है। इसमें युगरना ने बिगडी पर्यावरण को सुधारकर भावी पीढी को स्वच्छ और जीवनोपयोगी धरती दिलाने की बात पर ज़ोर दिया।

अपने महत्त्वपूर्ण भाषण में उसने कहा कि आज की हालत बहुत नाजुक है। क्योंकि हमारा हिमालय. पिघलता जा रहा है। जनता में आधे लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। पर्यावरण को संतुलित करनेवाले महान पेड-पौधे अदृश्य हो रहे हैं। सागरों के पानी का स्तर बढ रहा है। धृव प्रांत के भालू मरते जा रहे हैं। ये सभी पर्यावरण की बिगडती हालते हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह दिया। लेकिन हम अपनी भविष्य पीढी को बिगडी हुयी धरती देने जा रहे हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। हमें जागरूक होकर आवश्यक कदम उठाकर अपनी धरती माँ को बचा लेना है, यह काम अभी नहीं होगा तो कभी नहीं होगा।

मान्य सज्जनों। आप हमारी आवाज़ सुनिए। भविष्य के लिए दृढ इरादें लेने का यही सही समय है। मज़बूत नेतृत्व की ज़रूरत है। हाइटेक समाज बनालेने से या बैंकों में करोड़ों रुपये जमा करने से हम अपनी धरती नहीं बचा सकते। अब हर बालक को पर्यावरण की शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा। हर कक्षा की किताबों में पर्यावरण के पाठ ज़रूर देने चाहिए। सस्ती और अच्छी जैवमित्र तकनीकों में तरक्की होनी चाहिए। फिर से प्राप्त कर सकनेवाले ( संसाधनों ) का उपयोग होना चाहिए।

पर्यावरण संबन्धी समस्याएँ किसी भौगोलिक, राजनैतिक, सीमाओं और आयु समूहों की परिधि में नहीं होती हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वह इस महत्वपूर्ण विषय को प्राधान्यता देकर ऐसे विषयों पर एक दूसरे से बातचीत करवानी है। मुख्यतः इस विचारशील चर्चा में बच्चों और युवा पीढिवालों को भी अपने उद्देश्य प्रकट करने का मौका दिलाये।

राष्ट्र सुरक्षा, शांति और आर्थिक विकास के जैसे ही पर्यावरण बदलाव भी एक मुख्य विषय है। अतः मेरी आशा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ मानवीय दृष्टिकोण से सोचकर, पुरानी बातें भूलकर नये कदम उठायेगा। हमें भी भविष्य के संरक्षण के लायक काम करने चाहिए आप कोई नीति बना रहे हैं तो नादान बच्चे और अदृश्य हो रहे जानवरों को भी नज़र में रखें।

परम पूज्य महात्मा गाँधीजी ने स्पष्ट कह दिया कि धरती के पास सभी की आवश्यकताएँ पूर्ति करने की क्षमता है न कि किसी के लालच की। वास्तव में परमात्मा ने हमको सोचने की बुद्धि दी है। इसका उपयोग करके हम ज़रूरी बदलाव और सुधार ला सकते हैं। इसलिए हम आगे बढ़ें। अपनी धरती को, जन्मभूमि को बचा लें।

(‘మార్చుదాం మన ఆలోచనను’ ఇది ఉపన్యాస పాఠము.’ ఇది భారతదేశ గారాలపట్టి (ముద్దుబిడ్డ) 13 సం||ల బాలిక యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ ద్వారా ఇవ్వబడిన ఉపన్యాసము. ఆలోచింపజేసే ఈ ఉపన్యాసం 2009 సెప్టెంబరులో ఐక్యరాజ్యసమితిలో ఇవ్వబడింది. దీనిలో యుగరత్న కలుషితమవుతున్న పర్యావరణాన్ని మెరుగుపరచి భవిష్యత్ తరానికి స్వచ్ఛమైన, జీవనానికి ఉపయోగపడేటటువంటి భూమిని ఇచ్చే విషయాన్ని బలపర్చింది.

తన విలువైన ఉపన్యాసంలో తను అన్నది. ఈనాటి పరిస్థితి చాలా అపాయకరంగా ఉన్నది. ఎందుకంటే మన హిమాలయం కరిగిపోతూ ఉన్నది. జనాభాలో సగం మందికి త్రాగునీరు దొరకటం లేదు. పర్యావరణాన్ని సమతుల్యం చేసే చెట్లు – మొక్కలు అదృశ్యమైపోతూ ఉన్నాయి. సముద్రాల నీటి ప్రమాణము పెరుగుతూ ఉన్నది. ధృవప్రాంతపు ఎలుగుబంట్లు చనిపోతూ ఉన్నవి. ఇవన్నీ పర్యావరణపు క్షీణిస్తున్న పరిస్థితులు. మన పూర్వీకులు ‘మనకు స్వచ్ఛమైన, ఆరోగ్యకరమైన గ్రహాన్ని ఇచ్చారు. కాని మనం మన భవిష్యత్ తరానికి పాడైపోయిన (క్షీణించిన) భూమిని ఇవ్వబోతూ ఉన్నాం. ఇలా చేయడం సరికాదు. మనం జాగరూకులమై అవసరమైన జాగ్రత్తలు తీసుకుని మన భూమిని కాపాడుకోవాలి. ఈ పని ఇప్పుడు కాకపోతే, ఎప్పటికీ కాదు.

గౌరవనీయులైన సభాసదులారా ! మీరు మా పిలుపు వినండి. భవిష్యత్తు కోసం దృఢమైన నిర్ణయాలు తీసుకోవాల్సిన సమయం ఇదే. దృఢమైన నాయకత్వం అవసరం. హైటెక్ సమాజం నిర్మించుకోవడం వల్లగాని లేదా బ్యాంకులలో కోట్ల రూపాయలు జమ చేసుకోవటం వల్లగాని మనం మన భూమిని కాపాడుకోలేము. ఇప్పుడు ప్రతి బాలునికి పర్యావరణ అధ్యయనం పట్ల జాగరూకుణ్ణి చేయాలి. ప్రతి తరగతి పుస్తకాలలో పర్యావరణ పాఠాలు తప్పక ఇవ్వాలి. చౌక, జీవులకు ఉపయోగపడే పద్ధతులలో అభివృద్ధి జరగాలి. మరల పొందగలిగే
వనరులను ఉపయోగించాలి.

పర్యావరణ సంబంధిత సమస్యలు భౌగోళిక, రాజనైతిక హద్దులలో జీవ సమూహాల పరిధిలో ఉండవు. ఇటువంటి గొప్ప విషయానికి ప్రాధాన్యతనిచ్చి ఇలాంటి విషయంపై ఒకరినొకరితో చర్చింపచేయాలి. ముఖ్యంగా ఈ విచారింపతగిన చర్యలో పిల్లలు, యువతరం వారికి కూడా తమ అభిప్రాయాలు తెలియజేసే అవకాశం ఇప్పించాలి.

దేశ సురక్ష, శాంతి మరియు ఆర్థికాభివృద్ధి లాగే పర్యావరణ మార్పు కూడా ఒక ముఖ్య విషయము. ఐక్యరాజ్యసమితి మానవతా దృక్పథంతో ఆలోచించి, గడిచిన విషయాలను మరచి ముందడుగు వేస్తుందని ఆశిస్తున్నాను. మనం భవిష్య సంరక్షణ పనులు చేయాలి. మీరు ఏదైనా పద్ధతిని రూపొందిస్తున్నట్లయితే అమాయకపు పిల్లల్ని, అంతరించిపోయే జీవుల్ని కూడా దృష్టిలో పెట్టుకోవాలి.

పరమపూజ్యులైన మహాత్మాగాంధీ స్పష్టంగా ఏమన్నారంటే భూమికి అందరి అవసరాలను తీర్చే సామర్థ్యం ఉంది. ఎవరి దురాశను కాదు. వాస్తవానికి పరమాత్ముడు మనకు ఆలోచించగలిగే తెలివి ఇచ్చాడు. దీనిని ఉపయోగించి మనం అవసరమైన మార్పులు, సంస్కరణలు తీసుకురాగలము. అందుకు మనం ముందడుగు వేద్దాం. మన భూమిని, జన్మభూమిని కాపాడుకుందాం.)

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इ. ‘प्रकृति सरंक्षण’ पर पाँच नारे लिखिए।
(‘ప్రకృతి సంరక్షణ’ పై ఐదు నినాదాలు రాయుము.)
उत्तर :
1. सच्चे मानव बनो – प्रकृति संरक्षण अपना धर्म मानो।
2. प्राणि मात्र का ध्यान रखो – यथा शक्ति प्रकृति संरक्षण करो।
3. जीवन सुखमय बनाना है – प्रकृति संरक्षण में अपना तन-मन लगाना है।
4. मानव जीवन लक्ष्य एक ही है – प्रकृति संरंक्षण ही सर्वोपरि है।
5. निर्धन, निर्बल, बेनाम जो भी हो – प्रकृति संरक्षण करके यशस्वी बनो।

1. నిజాయితీ గల మానవుడిగా తయారవు – ప్రకృతి సంరక్షణ మీ ధర్మం అనుకో..
2. ప్రతి ప్రాణిపై దృష్టి పెట్టు – సాధ్యమైనంత మేర ప్రకృతిని సంరక్షించు.
3. జీవనం సుఖమయం చేయాలి – ప్రకృతి సంరక్షణలో మన శరీరం – మనస్సు అంకితం చేయాలి.
4. మానవ జీవిత లక్ష్యం ఒక్కటే – ప్రకృతి సంరక్షణే అన్ని విధాల శ్రేయస్కరం.
5. నిర్ధన, నిర్బల, పేరు లేనివారు ఎవరైనా కాని – ప్రకృతిని సంరక్షించి యశస్విగా తయారవు.

ई. युगरना के भाषण में तुम्हें कौन सी बात सबसे अच्छी लगी और क्यों ?
(యుగరత్న ఇచ్చిన ఉపన్యాసంలో నీకు అన్నిటికన్నా మంచిది అనిపించిన విషయము ఏమిటి? ఎందుకు?)
उत्तर :
युगरना श्रीवास्तव तेरह वर्षीय भारतीय लाडली है। उसने संयुक्त राष्ट्र संघ में जो प्रभावोत्पादक भाषण दिया, सचमुच विचारने योग्य है। अपने भाषण में उसने पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति हमारा ध्यान आकृष्ट किया। आज की दयनीय स्थिति को सुधारने, आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी। इस तरह उसने अपने भाषण में हम मानवों की ज़िम्मेदारियों की याद दिलायी।

उसने संघ के बैठक में एकत्रित हुए सज्जनों के सामने दिये भाषण में मुझे “धरती और उसका संरक्षण” बात अच्छी लगी। क्योंकि साफ़ और स्वच्छ धरती के बिना प्राणिकोटि का जीवन असंभव है। ऐसी धरती सदा सलामत रहे। इसके लिए धरती को हरा-भरा रखना है। पर्यावरण में अनेक पेड-पौधे और जीव जंतु हैं। वे सब अपनी ज़िम्मेदारी निभाकर धरती को स्वस्थ और साफ़ रखते हैं। हम मानव तो ज्ञान रखनेवाले हैं। फिर भी अपनी बुद्धिहीनता से किये जानेवाले अकृत्यों से धरती और पर्यावरण की हानि हो रही है। यह अच्छी बात नहीं है।

हमारे पूर्वजों ने हमें जो साफ़, स्वच्छ, पवित्र धरती दी है हम भी उसे वैसे ही अपनी भावी संतान को सौंपना है। इससे वे अपना जीवन सुख से बिता सकेंगे। भावी संतान के लोगों को सुख जीवन बिताने का मौका देना हमारा मानवोचित धर्म है। अतः अपनी बुद्धि का उपयोग करते हम अब भी परिवर्तन और सुधार ला सकते हैं। अपने आप आगे बढकर आवश्यक प्रयत्न हम करेंगे। अपने परिवार अपनी धरती, अपने पर्यावरण की सुरक्षा में हम सब प्रयत्नशील बनेंगे।

(యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ పదమూడు సంవత్సరముల భారతీయ బాలిక. ఆమె ఐక్యరాజ్యసమితిలో ఇచ్చిన గంభీరమైన ఉపన్యాసం నిజంగా ఆలోచించతగినది. తన ఉపన్యాసంలో ఆమె వాతావరణాన్ని (ప్రకృతిని కాపాడుకోవాల్సిన విషయం వైపు మన దృష్టిని మరల్చింది. ఈనాటి దయనీయస్థితిని సరిదిద్దుటకు, అవసరమైన పనులు ప్రారంభించెడి సలహా ఇచ్చినది. ఈ విధంగా తన ఉపన్యాసంలో మన మానవులకు బాధ్యతలను గుర్తు చేసింది.

ఆమె సమితి మీటింగ్ హాజరైన మహానుభావుల సమక్షమున ఇచ్చిన ఉపన్యాసములో “భూమి, దాని పరిరక్షణ” విషయం బాగా నచ్చింది. ఎందుకంటే స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన భూమి లేకపోతే ప్రాణుల మనుగడ అసంభవము. అట్టి భూమి ఎల్లప్పుడూ క్షేమంగా ఉండాలి. అందుకోసం భూమిని పచ్చదనంతో ఉంచాలి. పర్యావరణంలో చాలా చెట్లు, మొక్కలు, జీవ జంతువులు నివసిస్తున్నాయి. అవి అన్నీ తమ బాధ్యతను నిర్వర్తిస్తూ భూమండలాన్ని చక్కగా ఉంచుతున్నాయి. మానవులమైన మనం జ్ఞానవంతులము. అయినప్పటికీ మన తెలివి తక్కువతనంతో చేసే చెడ్డపనుల వలన భూమికి, పర్యావరణానికి హాని కలుగుతున్నది. ఇది మంచి విషయము కాదు.

మన పూర్వీకులు మనకు స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన, పవిత్రమైన భూమిని ఇచ్చారు. మనం కూడా దానిని అదే విధముగా మన రాబోయే సంతానానికి అందించాలి. దీనితో వారు తమ జీవితాలను సుఖంగా ఉంచుకో గలుగుతారు. భవిష్య సంతానానికి సుఖంగా జీవితం గడిపేందుకు అవకాశం ఇవ్వడం మన మానవతా ధర్మం. కనుక మన తెలివిని ఉపయోగించి మనం ఇప్పుడైనా మార్పులు, సంస్కరణలు తీసుకురావాలి. స్వయంగా ముందడుగు వేసి అవసరమైన పనులు చేయాలి. మన కుటుంబాన్ని, మన భూమిని, మన వాతావరణాన్ని కాపాడుకోవడంలో మనం అభివృద్ధిని సాధించాలి.)

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भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. नीचे दिये गये शब्दों के अर्थ बताकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన శబ్దములకు అర్థములు తెలిపి వాక్యములలో ఉపయోగించండి.)
1. संघ 2. ध्रुवीय 3. लुप्त 4. तकनीक 5 वरदान
उत्तर :
1. संघ = समाज – हम सब संघ में रहते हैं।
2. ध्रुवीय = धृवप्रांत के – ध्रुवीय भालू सफ़ेद होते हैं।
3. लुप्त = ओझल – आजकल कई पौधे लुप्त हो रहे हैं।
4. तकनीक = कौशल – कृत्रिम उपग्रह नई तकनीक से बनाया जाता है।
5. वरदान = वर – यह जीवन भगवान का दिया वारदान है।

आ. सही अर्थवालें शब्द से जोडी बनाइए। (సరియగు అర్ధమునిచ్చు శబ్దముతో జోడించండి.)

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उत्तर :
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इ. नीचे दिये गये वाक्य पढिए। रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన వాక్యములు చదవండి. గీత గీసిన శబ్దములను గమనించండి.)

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उत्तर :
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ई. रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित अव्ययों से कीजिए।
(ఖాళీలను సరియైన అవ్యయములతో పూరించండి.) (वाह !, के नीचे, और)

1. जंगल में साधु जानवर ………….. खूँख्वार जानवर रहते हैं।
2. पेड़ …………. उसकी जडें होती हैं ।
3. ……….. मुझे अच्छे अंक मिले।
उत्तर :
1. और
2. के नीचे
3. वाह !

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परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित किसी निबंध, कहानी या नाटक का सकंलन कीजिए।
(పర్యావరణం మరియు కాలుష్యానికి సంబంధించిన ఏదేని వ్యాసం, కథ లేదా నాటకం సేకరించండి.)
उत्तर :
प्रस्तावना: पर्यावरण का अर्थ है वातावरण पर्यावरण हर प्राणी का रक्षाकवच है। पर्यावरण के संतुलन से मानव का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। विश्व भर की प्राणियों के जीवन पर्यावरण की स्थिति पर निर्भर रहते हैं। आजकल ऐसा महत्वपूर्ण पर्यावरण बिगडता जा रहा है। पर्यावरण में भूमि, वायु, जल, ध्वनि नामक चार प्रकार के प्रदूषण फैल रहे हैं। इन प्रदूषणों के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगडता जा रहा है।

विषय विश्लेषण : भूमि पर रहनेवाली हर प्राणी को जीने प्राणवायु (आक्सिजन) की आवश्यकता होती है। यह प्राणवायु हमें पेड-पौधों के हरे भरे पत्तों से ही मिलता है। इन दिनों पेड पौधों को बेफ़िक्र काट रहे हैं। वास्तव में पेड पौधे ही पर्यावरण को संतुलन रखने में काम आते हैं। ऐसे पेड-पौधों को काटने से पर्यावरण का संतुलन तेज़ी से बिगडता जा रहा है। हमारे चारों ओर के कल कारखान से धुआँ निकलता है। इससे वायु प्रदूषण बढ रहा है। कूडे कचरे को नदी नालों में बहा देने से जल प्रदूषण हो रहा है। वायु जल प्रदूषणों के कारण कई बीमारियाँ फैल रही हैं।

नष्ट : पर्यावरण के असंतुलन से मौसम समय पर नहीं आता। इससे वर्षा भी ठीक समय पर नहीं होती। वर्षा के न होने के कारण अकाल पडता है। कहीं अतिवृष्टि और कहीं अनावृष्टि की हालत भी आती है। ऐसे प्रदूषण को यथा शक्ति दूर करना हम सबका कर्तव्य है। इसके लिए हम सब यह वचन लें और प्रयत्न करें गंदगी न फैलाएँ, कूडा कचरा नदी नालों में न बहायें, उनको सदा साफ़ रखें, पेडों को न काटें। साथ ही नये पेड पौधे लगाकर पृथ्वी की हरियाली बढायें वाहनों का धुआँ कम करें। ऐसा करने से ही पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।

वृक्षो रक्षति रक्षितः

प्रश्न-II

प्रश्न 1.
पर्यावरण के बिगडने से कैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं ?
(పర్యావరణం చెడిపోవుట వలన ఎటువంటి సమస్యలు ఉత్పన్నమవుతూ ఉన్నాయి?)
उत्तर :
पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है। हमें पर्यावरण को बिगड जाने से बचाना है। इसमें संतुलन ज़रूर होना चाहिए। नहीं तो अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

प्राणिमात्र के लिए आवश्यक आक्सिजन की मात्रा कम हो जायेगी।
स्वच्छ और साफ़ पानी नहीं मिलेगा।
ऋतुएँ सही समय पर नहीं आयेंगी।
वर्षा नियमित रूप से नहीं होगी। होगी भी तो अतिवृष्टि या अनावृष्टि बनी रहेगी।
हम सब मानवों को कई बीमारियों का सामना करना पडेगा।
भूमंडल पर प्राणिमात्र का जीवन संदेहात्मक होगा।

(పర్యావరణము మన రక్షాకవచము. పర్యావరణం చెడిపోకుండా కాపాడాలి. దీనిలో సమతుల్యత ఉండాలి. లేకపోతే అనేక సమస్యలు పుట్టుకు రాగలవు.
ప్రాణి కోటికి అవసరమైన ఆక్సిజన్ పరిమాణము తగ్గిపోతుంది.
స్వచ్చమైన, పరిశుభ్రమైన నీరు లభించదు.
ఋతువులు సరియైన సమయంలో రావు.
వర్షములు సకాలంలో కురియవు. కురిసినా అతివృష్టిగాని అనావృష్టిగాని ఏర్పడుతుంది.
మన మానవులందరు అనేక రకముల జబ్బులను ఎదుర్కొనవలసి ఉంటుంది.
భూమిపైన ప్రాణికోటి ఉనికి సందేహాత్మకమవుతుంది.)

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अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अपठित गद्यांश

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. कन्याकुमारी भारत का दक्षिणी छोर है। इसे कुमारी अंतरीप भी कहते हैं। इसकी सुन्दरता अनुपम है। पुराने ज़माने में पांडिय राजा यहाँ राज करते थे। इसलिए इस जिले को “नांचिलनाडु ” भी कहते हैं। फिर यह केरल राज्य के अधीन था। अब तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी छोर का एक जिला बन गया है। कन्याकुमारी के दक्षिण में हिन्दु, महासागर है। पश्चिम में अरब सागर और पूरब में बंगाल की खाड़ी है।

प्रश्न :
1. भारत की दक्षिणी छोर क्या है ?
2. कन्याकुमारी के दक्षिण में क्या है ?
3. कुमारी अंतरीप किसे कहते हैं ?
4. कन्याकुमारी को पुराने जमाने में क्या कहते थे ?
5. अब कन्याकुमारी किस राज्य के दक्षिणी छोर का एक जिला बन गया है ?
उत्तर:
1. भारत की दक्षिणी छोर कन्याकुमारी है।
2. कन्याकुमारी के दक्षिण में हिन्द महासागर है।
3. कन्याकुमारी को कुमारी अंतरीप कहते हैं।
4. कन्याकुमारी को पुराने ज़माने में “नांचिलनाडु” कहते थे।
5. अब कन्याकुमारी तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी छोर का एक जिला बन गया है।

2. ऐतिहासिक दृष्टि से गोलकोंडा का दुर्ग, कुतुबशाही समाधियाँ, चारमीनार आदि प्रमुख दर्शनीय स्थान हैं। नगर से सात किलोमीटर की दूरी पर गोलकोंडा किला है। यद्यपि यह क़िला पाँच सौ वर्ष | पुराना है, फिर भी आज तक इसके कुछ अंश सुरक्षित हैं। दुर्ग एक पहाड़ी पर बनाया गया। यहाँ से हैदराबाद और सिकिंदराबाद नगर द्वय का सुंदर दृश्य बड़ा ही मनोरम लगता है। इस दुर्ग से एक किलोमीटर की दूरी पर कुतुबशाही वंश के सुलतानों की भव्य समाधियाँ हैं। इनकी विशालता और कला को देखकर कुतुबशाही शासकों के कला प्रेम की प्रशंसा करनी ही पड़ती है।

प्रश्न :
1. दुर्ग किस पर बनाया गया ?
2. नगर द्वय का नाम क्या है ?
3. कुतुबशाही वंश के सुलतानों की भव्य समाधियाँ गोलकोंडा दुर्ग से कितनी दूरी पर हैं ?
4. ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख दर्शनीय स्थान जो इस अनुच्छेद में दिये गये हैं – वे क्या हैं ?
5. इस अनुच्छेद में किस वंश के शासकों के कला प्रेम की प्रशंसा की गयी है ?
उत्तरः
1. दुर्ग एक पहाड़ी पर बनाया गया।
2. नगर द्वय का नाम है- हैदराबाद और सिकिंदराबाद।
3. कुतुबशाही वंश के सुलतानों की भव्य समाधियाँ गोलकोंडा दुर्ग से एक (1) किलोमीटर की दूरी पर हैं।
4. ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख दर्शनीय स्थान जो इस अनुच्छेद में दिये गये हैं वे हैं गोलकोंडा का दुर्ग, कुतुबशाही समाधियाँ और चारमीनार आदि।
5. इस अनुच्छेद में कुतुबशाही वंश के शासकों के कला प्रेम की प्रशंसा की गयी है।

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3. मुहम्मद कुली कुतुबशाह को साहित्य के प्रति रुचि पिता से ही प्राप्त हुई थी। वे कवियों के आश्रयदाता तो थे ही, स्वयं भी एक श्रेष्ठ कवि थे। अरबी, फ़ारसी भाषा के तो ज्ञाता थे ही, साथ ही जनता की भाषा तेलुगु और दक्खिनी में भी उनकी विशेष अभिरुचि थी। उन्होंने दक्खिनी में सैकड़ों गीत लिखें, विभिन्न अवसरों पर उसने दक्खिनी गीतों की रचना की। मुहम्मद कुली कुतुबशाह के गीत जनता में इतने अधिक लोकप्रिय हुए कि उन्हें सार्वजनिक रूप से गाया जाने लगा। बादशाह के कई गीतों ने लोकगीतों का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न :
1. कौन स्वयं एक श्रेष्ठ कवि थे ?
2. मुहम्मद कुली कुतुबशाह को साहित्य के प्रति रुचि किनसे प्राप्त हुई ?
3. कुली कुतुबशाह किस भाषा के ज्ञाता थे ?
4. कुली कुतुबशाह को किस भाषा
में विशेष रुचि थी ?
5. दक्खिनी में सैकडों गीत किन्होंने लिखें ?
उत्तर :
1. मुहम्मद कुली कुतुबशाह स्वयं एक श्रेष्ठ कवि थे।
2. मुहम्मद कुली कुतुबशाद को साहित्य के प्रति रुचि अपने पिता से प्राप्त हुई।
3. कुली कुतुबशाह फ़ारसी भाषा के ज्ञाता थे।
4. कुली कुतुबशाह को तेलुगु और दक्खिनी में विशेष अभिरुचि थी।
5. मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने दक्खिनी में सैकडों गीत लिखें।

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4. उन दिनों गाँधीजी के पिता बीमार थे। गाँधीजी उनके सामने जाकर अपनी बात कहते की हिम्मत न कर सकें। इसलिए उन्होंने एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने मांस खाया है, तंबाकू पी है, चोरी की है, और इसके लिए क्षमा चाहते हैं और प्रण करते हैं कि आगे कभी ऐसा नहीं करेंगे।

प्रश्न :
1. उन दिनों किनके पिता बीमार थे ?
2. गाँधीजी किनके सामने जाकर अपनी बात कहने की हिम्मत न कर सकें ?
3. किसने अपने पिता को पत्र लिखा ?
4. गाँधीजी ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से क्या – क्या स्वीकार किया ?
5. गाँधीजी ने अपने किये गलतियों के लिए पत्र लिखकर पिताजी से क्या माँगा ?
उत्तर :
1. उन दिनों गाँधीजी के पिता बीमार थे।
2. गाँधीजी अपने पिताजी के सामने जाकर अपनी बात कहने की हिम्मत न कर सकें।
3. गाँधीजी ने अपने पिता को पत्र लिखा।
4. गाँधीजी ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने माँस खाया है, तंबाकू पी है और चोरी की है।
5. गाँधीजी ने अपने किये गलतियों पर पत्र लिखकर क्षमा माँगा।

5. नारायण बडा धनी था। वह सदा घमंड के साथ रहता था। वह अपने काम स्वयं करना बडा अपमान समझता था। वह बड़ा आलसी था। इसलिए उसका सारा धन खर्च हो गया। वह अमीर से गरीब बन गया। अनेक नौकरों से सेवा लेनेवाले नारायण को स्वयं रोजगारी के लिए नौकरी करनी पडी। इसे देखकर सब लोगों ने कहा कि कभी गाडी नाव पर कभी नाव गाडी पर।।

प्रश्न :
1. अपने काम स्वयं करना कौन अपमान समझता था ?
2. नारायण कैसा आदमी था ?
3. वह रोज़गारी के लिए क्या करने लगा ?
4. उसका सारा धन क्या हो गया ?
5. इसे देखकर सब लोगों ने क्या कहा ?
उत्तर :
1. अपने काम स्वयं करना नारायण अपमान समझता था।
2. नारायण आलसी, धनी और घमंडी था।
3. वह रोज़गारी के लिए नौकरी करने लगा।
4. उसका सारा धन खर्च हो गया।
5. इसे देखकर सब लोगों ने कहा कि कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము)

भाषण की जानकारी प्राप्त कर भाषण कला में निपुण बनना।
पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करना।
(ఉపన్యాసమును గురించి తెలిసికొని ఉపన్యాస కళలో నైపుణ్యం సాధించుట.
పర్యావరణ సంరక్షణ కొరకు కృషి చేయుట.)

సారాంశము :

ఐక్యరాజ్యసమితిలో మొదటిసారి ఇలా జరిగింది. పదమూడు సంవత్సరాల బాలిక అందరినీ ఆలోచింపచేసింది. ఎవరి వద్దా ఆమె ప్రశ్నలకు జవాబు లేదు. తన ప్రశ్నలతో అందరినీ ఆలోచింపచేసిన ఆ బాలిక పేరు యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్. భారతదేశానికి చెందిన ఈ ముద్దుబిడ్డపై అందరికీ గర్వం.

సెప్టెంబరు 2009లో ఐక్యరాజ్యసమితిలో యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్ ఉపన్యాసమిస్తూ ఈ విధంగా అన్నది – హిమాలయము కరుగుతూ ఉన్నది. ధృవప్రాంత ఎలుగులు మరణిస్తూ ఉన్నాయి. ప్రతి ఐదుగురు వ్యక్తులలో ఇద్దరికి త్రాగటానికి పరిశుభ్రమైన నీరు దొరకడం లేదు. నేడు మనం అంతరించిపోయే చెట్లు, మొక్కలను చేజార్చుకునే స్థితిలో ఉన్నాము. ప్రశాంత మహా సముద్రములన్నిటి స్థితి పెరుగుతూనే ఉన్నది. మన భవిష్యత్ తరానికి ఇదే మనము ఇవ్వ బోతున్నామా ? కానే కాదు. మన పూర్వీకులు మనకు స్వచ్ఛమైన, పరిశుభ్రమైన గ్రహాన్ని (భూమి) ఇచ్చారు. మనం ఏం చేస్తూ ఉన్నాము? మన భావితరానికి కలుషితమైన భూమిని ఇవ్వబోతున్నాము. ఇలా చేయడం న్యాయమేనా ? శ్రద్ధగా ఆలోచించు. గౌరవనీయులైన సభాసదులారా! మనం ముందడుగు వేయవలసిన సమయం వచ్చింది.

మన భూమిని మనం కాపాడుకోవాలి. మన కోసం కాదు. భవిష్యత్ కోసం కూడా. ఈ పని ఇక్కడ జరుగకపోతే, ఎక్కడ జరుగుతుంది ? ఇప్పుడు కాకపోతే ఎప్పుడు అవుతుంది ? మనం చెయ్యకపోతే ఎవరు చేస్తారు ? మీరు మా మాటను వినండి. భవిష్యత్తు కోసం గట్టి నిర్ణయాలు అవసరం దృఢమైన నాయకత్వం అవసరం. హైటెక్ సమాజాన్ని నిర్మించుకోవడం, బ్యాంకులలో కోట్ల రూపాయలు జమచేసుకోవడం వలన మనం మన భూమిని కాపాడుకోలేము.

ఇక్కడ మన పర్యావరణ సమస్యను పరిష్కరించుకోవడానికే మనం ఒకచోట చేరలేదు. ప్రజల ఆలోచనను మార్చడానికి కూడా ఇక్కడికి చేరాము. ఇప్పుడు ప్రతి పిల్లవానిని పర్యావరణ విద్య యెడ చైతన్యవంతుని చెయ్యాలి. తరగతి పుస్తకాలలో పర్యావరణ పాఠాలు తప్పక ఉండాలి. అభివృద్ధిని ఆపమని నేను చెప్పడం లేదు. చౌక, జీవులకు ఉపయోగపడే మంచి పద్ధతులలో అభివృద్ధి జరగాలి. మరల పొందగలిగే వనరులను ఉపయోగించాలి అని నేను చెప్పతలచుకొన్నాను. నేను ప్రపంచ నాయకులనందరిని రెండు ప్రశ్నలు అడగదలచుచున్నాను.

పర్యావరణ (వాతావరణ) సమస్యల పరిచయము (గుర్తింపు) ఏదేని భౌగోళిక, రాజనైతిక, హద్దులలో, జీవ శక్తి సమూహ పరిధిలో ఉంటుందా ? నా సమాధానము నిశ్చయంగా కాదు. ఇందుకోసమే ఐక్యరాజ్యసమితి ఉన్నది. వారు అటువంటి అభిప్రాయములపై ఒకరితో ఒకరిని సంభాషింపచేయాలి. ఈ సంభాషణ(చర్చ)లో పిల్లల, యువకుల ఉద్దేశ్యాలను కూడా జోడించాలి.

దేశ సురక్ష, శాంతి, ఆర్థికాభివృద్దే మీకు ముఖ్యమైనపుడు, పర్యావరణ మార్పు ముఖ్యమైన విషయము ఎందుకు కాకూడదు 2. ఐక్యరాజ్యసమితి మానవతా ధృక్పథంతో ఆలోచిస్తుందని, గడచిన విషయాలను మరచి, ముందడుగు వేస్తుందని నేను ఆశిస్తున్నాను. ఇప్పుడు మన చేతిలో కేవలం వర్తమానం, భవిష్యత్ ఉన్నాయి. ఇప్పుడు మనం భవిష్యత్ సంరక్షణ గురించి ఏదోఒకటి చెయ్యాలి. గౌరవనీయులైన నాయకులారా, మీరు ఏదేని ఆచరణ పద్ధతిని రూపొందించేటప్పుడు అమాయకపు పిల్లల్ని, అంతరించి పోయే జంతువుల గురించి కూడా ఆలోచించండి.

“భూమాతకు అందరి అవసరాలను పూర్తి చేసే శక్తి ఉంది. కాని, ఎవరి దురాశను తీర్చే శక్తి లేదు అని మహాత్మాగాంధీగారు చెప్పారు. పక్షి ఆకాశంలో ఎగురుతుంది. చేప నీటిలో ఈదుతుంది. చిరుత వేగంగా పరుగెడుతుంది. కాని పరమాత్ముడు మనకు వరప్రసాదంగా ఆలోచించే తెలివి ఇచ్చాడు. దీనితో మనము మార్పు, సంస్కరణ రెండూ తీసుకురాగలము. పదండి మనమిప్పుడు ముందడుగు వేద్దాం. మన మాతృభూమిని కాపాడుకుందాం. మన ఇంటిని కాపాడుకుందాం. మన భూమాతను కాపాడుకుందాం. ధన్యవాదములు.

TS 9th Class Hindi Guide 3rd Lesson बदलें अपनी सोच

शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

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