TS 9th Class Hindi Guide 6th Lesson बेटी के नाम पत्र

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 6th Lesson बेटी के नाम पत्र Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi 6th Lesson Questions and Answers Telangana बेटी के नाम पत्र

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏవి కనపడుతూ ఉన్నది?)
उत्तर :
चित्र में एक लड़का है। वह विद्यार्थी है। वह बैठकर हाथ में कागज़ लेकर पढ रहा है। उसके सामने एक थैली है।

प्रश्न 2.
बालक क्या कर रहा होगा?
(బాలుడు ఏవి చేస్తూ ఉండవచ్చు?)
उत्तर :
बालक अपने नाम पर आये किसी खत या कोई आवश्यक कागज़ पढ रहा होगा।

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प्रश्न 3.
हमारे जीवन में पत्रों का क्या महत्व है?
(మన జీవితంలో ఉత్తరములకు ఉన్న విలువ ఏమిటి?)
उत्तर :
हमारे मानव जीवन में पत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। पत्र समाचार पहुँचाने का उत्तम और प्रमुख साधन है। आजकल पत्रों के द्वारा ही हमारे अनेक आवश्यक कार्य सही ढंग से संपत्न हो रहे हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం జవాబును ఇవ్వటం)

अ. प्रश्नों के उत्तर बताइए। (ప్రశ్నల జవాబులు తెలపండి.)

प्रश्न 1.
पुराने समय में पत्र कैसे भेजे जाते थे?
(ప్రాచీన కాలంలో ఉత్తరములు ఏ విధముగా పంపబడేవి?)
उत्तर :
मानव सामाजिक प्राणी हैं। जीवन यापन के लिए या अन्य विविध कारणों से देश के विभिन्न प्रांतों में उन्हें रहना पडता है। ऐसी हालत में अपने मित्रों या रिश्तेदारों को समाचार भेजने या समाचार जानने पत्रों का इस्तेमाल करते हैं। आजकल जो बस, रेल, हवाई जहाज़ आदि कई साधनों द्वारा पत्र विविध प्रांतों में भेजे जा रहे हैं। पुराने समय में तो पत्र खासकर व्यक्तियों व पालतू जानवर, पालतू कबूतरों के पैरों में बाँधकर पत्र भेजे जाते थे।

(మానవులు సంఘజీవులు. జీవనం కోసము లేదా అనేక ఇతర కారణముల వలన దేశములోని విభిన్న ప్రాంతాలలో వారు ఉండవలసి వస్తుంది. అట్టి పరిస్థితిలో తమ మిత్రులకు గాని, బంధువులకు గాని సమాచారం పంపుటకు, సమాచారం తెలుసుకొనుటకు ఉత్తరములు ఉపయోగిస్తుంటారు. నేడు బస్సు, రైలు, విమానము, మొ॥ అనేక సాధనముల ద్వారా ఉత్తరములు వివిధ ప్రాంతాలకు పంపబడుచున్నవి. ప్రాచీనకాలంలో ముఖ్యంగా వ్యక్తుల ద్వారా, పెంపుడు జంతువుల ద్వారా, పెంపుడు పావురముల కాళ్ళకి కట్టి పత్రములు (ఉత్తరములు) పంపబడేవి.)

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प्रश्न 2.
विविध उत्सवों व शुभसंदर्भों पर शुभकामनाएँ कैसे दी जाती हैं?
(విభిన్న ఉత్సవములు, శుభసందర్భములలో శుభాకాంక్షలు ఎలా ఇవ్వబడుచున్నవి?)
उत्तर :
भारत एक विशाल देश है। यहाँ विभिन्न धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग रहते हैं। यहाँ हर तिथि और मास पर, त्यौहार और उत्सव मनाते हैं। ऐसे शुभ अवसर पर लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों और अन्य सभी लोगों की भलाई चाहते शुभ कामनाएँ देते रहते हैं। वे शुभकामनाएँ पत्र लिखकर तार भेजकर, फ़ोन द्वारा, मोबाइल द्वारा, मेसेज भेजकर, कंप्यूटर द्वारा आदि विविध रूपों में दी जा रही हैं। आजकल हर शुभ अवसर पर ये शुभकामनाएँ दी जा रही हैं।

(భారతదేశము విశాలమైన దేశము. ఇక్కడ అనేక మతముల, తెగల, సాంప్రదాయాల ప్రజలు నివసిస్తున్నారు. ఇక్కడ ప్రతి తిథి, ప్రతి నెల, పండుగలు, ఉత్సవములు జరుపుకుంటారు. అట్టి శుభసందర్భములో ప్రజలు తమ మిత్రులకు, బంధువులకు ఇతర ప్రజల మేలు కోరుకుంటూ శుభాకాంక్షలు పంపుతూ ఉంటారు. ఆ శుభాకాంక్షలు ఉత్తరములు వ్రాసి, టెలిగ్రామ్లు ఇచ్చి, ఫోన్, మొబైల్, మేసేజ్, కంప్యూటర్ మొ॥ వివిధ రూపాలలో ఇవ్వబడుచున్నవి. ప్రస్తుతం ప్రతి శుభసందర్భంలోను ఈ శుభాకాంక్షలు ఇవ్వబడుతూనే ఉన్నవి.)

आ. वाक्यों को जोड़कर सही वाक्य लिखिए।
(వాక్యములను కలిపి సరియైన వాక్యములు వ్రాయండి.)

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उत्तर :
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इ. गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(గద్యాంశం చదివి ప్రశ్నలకు జవాబులు వ్రాయండి.)
एक बार मेरे पिताजी ‘श्रवण की पितृभक्ति’ नामक पुस्तक खरीद कर लाये। मैंने उसे बडे चाव | से पढ़ा। उन दिनों बाइस्कोप में तस्वीर दिखानेवाले लोग आया करते थे। तभी मैंने अपने माता- पिता को बहंगी पर बिठाकर ले जानेवाले श्रवण कुमार का चित्र भी देखा। इन बातों का मेरे मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। मन-ही-मन मैंने ठान लिया कि मैं भी श्रवण की तरह बनूँगा।
मैंने ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक भी देखा था। बार-बार उसे देखने की इच्छा होती । हरिश्चंद्र के सपने आते। यह बात मेरे मन में बैठ गयी। चाहे हरिश्चंद्र की भाँति कष्ट क्यों न उठाना पड़े, पर सत्य को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

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प्रश्न (ప్రశ్నలు):

प्रश्न 1.
सेवाभाव की प्रेरणा महात्मा गाँधी को कैसे मिली ?
(సేవాభావపు ప్రేరణ మహాత్మాగాంధీకి ఎలా కలిగింది ?)
उत्तर :
एक बार महात्मा गाँधीजी के पिताजी ‘श्रवण की पितृभक्ति’ नामक पुस्तक खरीदकर लाये। गाँधीजी ने उसे चाव से पढ़ा। उन दिनों बाइस्कोप में तस्वीर दिखानेवाले लोग आया करते थे। तभी गाँधीजी ने अपने माता-पिता को बहंगी पर बिठाकर ले जानेवाले श्रवण कुमार का चित्र भी देखा। इन बातों का गाँधीजी के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पडा। और तभी गाँधीजी को श्रवण की तरह सेवा भाव की प्रेरणा मिली।

प्रश्न 2.
सत्य की प्रेरणा महात्मा गाँधी को किससे मिली ?
(సత్యపు ప్రేరణ మహాత్మాగాంధీగారికి దేనివలన కలిగింది?)
उत्तर :
एक बार महात्मा गाँधीजी ने सत्य हरिश्चंद्र का नाटक देखा। उसे बार-बार देखने की इच्छा हुई। इसी नाटक से महात्मा गाँधीजी को सत्य की प्रेरणा मिली।

प्रश्न 3.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा ?
(ఈ గద్యాంశము యొక్క సరియైన శీర్షిక ఏమి అవుతుంది ?)
उत्तर :
‘प्रेरणा का महत्व’

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ई. पाठ में आये पात्रों के नाम ढूँढ़कर लिखिए।
(పాఠంలో వచ్చిన పాత్రల పేర్లు వెతికి వ్రాయండి.)
उत्तर :
इंदिरा, जोन ऑफ़ आर्क, बापू (महात्मा गाँधी), जवाहर लाल नेहरू आदि।

अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)

अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हमें क्या करना चाहिए?
(మన లక్ష్యాలను సాధించుట కొరకు మనము ఏమి చేయవలెను?)
उत्तर :
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हमें निरंतर कार्य करना चाहिए।
हमें एक प्रणाली (योजना) बनाकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निरंतर यत्न करते रहना चाहिए।
हमें अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कभी भी आलस्य न रहना चाहिए।
अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हम में असीम उत्साह होना चाहिए।
हमें अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परस्पर सहयोग लेते रहना चाहिए।
निरंतर अभ्यास से हम अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकेंगे।
हमें अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बड़ों की, माता पिता की और गुरुजनों की सलाह भी लेना चाहिए।

(మనం మన లక్ష్యాలను పూరించుటకు మనం నిరంతరం పని చేయవలెను.
మనం ఒక ప్రణాళికను ఏర్పాటు చేసుకుని దానిని అనుసరించి పని చేయవలెను.
మనం లక్ష్యాలను పూరించుటకు ఎప్పుడూ కూడా సోమరితనంతో ఉండరాదు.
మన లక్ష్యాలను పూరించుటకు మనం అంతులేని ఉత్సాహంతో ఉండవలెను.
మనం మన లక్ష్యాలను నెరవేర్చుకొనుటకు పరస్పరం సహాయ సహకారాలను పొందుతూ ఉండవలెను.
నిరంతర అభ్యాసం ద్వారా మనం మన లక్ష్యాలను పూర్తి చేసుకొనగలము.
మనం మన లక్ష్యాలను సాధించుటకు పెద్దల, అమ్మ నాన్నల మరియు గురువుల సలహాలను కూడా

प्रश्न 2.
“मैं और तुम बहुत भाग्यशाली हैं।” नेहरू जी ने ऐसा क्यों कहा होगा?
(నేను, నీవు చాలా అదృష్టవంతులం. నెహ్రూగారు ఈ విధంగా ఎందుకు అని ఉండవచ్చు?
उत्तर :
सन् 1930 के समय हमारे भारत के इतिहास का निर्माण हो रहा था। बापू ने भारतवासियों के दुःखों को दूर करने के लिए आंदोलन छेडा।
ऐसा महत्वपूर्ण आंदोलन का अपनी आँखों के सामने होना और उसमें इनके भाग लेना आदि विषयों को महान समझकर नेहरू जी ने ऐसा कहा होगा।

(క్రీ.శ. 1930లో మన భారతదేశ చరిత్ర నిర్మాణము జరుగుచూ ఉండెను. మహాత్మాగాంధీ భారతవాసుల దుఃఖములను దూరం చేయుటకు ఉద్యమం మొదలుపెట్టారు. అటువంటి గొప్ప ఉద్యమం మన కళ్ళముందే జరగటం దానిలో పాల్గొనే అవకాశం లభించే విషయములను మిన్నగా భావించి నెహ్రూగారు ఈ విధంగా అని ఉండవచ్చు.)

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आ. पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(పాఠం యొక్క సారాంశమును మీ మాటలలో వ్రాయండి)
उत्तर :
यह “पत्र लेखन” पाठ है। इसे नैनी जेल से 26 अक्तूबर, 1930 को श्री जवाहर लाल नेहरू जी ने अपनी
बेटी इंदिरा के नाम पर लिखा।

इंदिरा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में पिता नेहरू जी उसे जन्म दिन की शुभकामनाएँ बताते हुए इस पत्र को लिखते हैं। एक महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए असीम उत्साह के साथ रहने का संदेश नेहरू जी इंदिरा को देते हैं। उसे वीरांगना बनने का आदेश तथा संदेश देते हैं।

बापू जी के द्वारा छेडे गये स्वतंत्र आंदोलन तथा भारत देश के इतिहास का निर्माण के बारे में बताते हैं। नेहरू जी अपनी बेटी को पत्र में यह भी बताते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन उनकी आँखों के सामने होता रहने के कारण वे बहुत भाग्यशाली हैं। इस महान आंदोलन में उनके कर्तव्य के बारे में बताते हैं। क्या करें और क्या न करें के बारे में बताते हैं। गलत काम न करने का संदेश देते हैं। बहादुर बनने का संदेश देते हैं। भारत की सेवा के लिए बहादुर सिपाही बनने का संदेश देते हुए पत्र को समाप्त करते हैं।

(ఇది ఉత్తరం రూపంలో వ్రాయబడిన పాఠం. దీనిని జవహర్లాల్ నెహ్రూగారు నైనీ జైలు నుండి 26 అక్టోబర్ 1930 సం॥రంలో తన కుమార్తె ఇందిర పేరుతో వ్రాసిరి.
ఇందిరాగాంధీ పుట్టినరోజు సందర్భంగా శుభాకాంక్షలు తెలియజేస్తూ నెహ్రూ గారు ఈ ఉత్తరం వ్రాసిరి. ఒక గొప్ప ఉద్దేశ్యం (లక్ష్యం) పూరించుటకు అంతులేని ఉత్సాహంతో ఉండుటకు నెహ్రూజీ ఆమెకు సందేశం ఇచ్చుచున్నారు. ఆమెను ఒక వీర వనిత కావాలని ఆదేశిస్తూ సందేశం ఇచ్చుచున్నారు.
మహాత్మాగాంధీజీ గారి ద్వారా ప్రారంభమైన స్వతంత్ర్య ఉద్యమ ఆందోళన మరియు భారతదేశ చరిత్ర నిర్మాణం గురించి నెహ్రూజీ ఇందిరకు ఈ ఉత్తరం ద్వారా తెలియజేయుచున్నారు. స్వాతంత్య్ర్య సమర ఉద్యమం వారి కళ్ళముందే జరుగుతున్నందుకు వారిరువురూ భాగ్యశాలులని నెహ్రూగారు ఇందిరకు ఆ ఉత్తరంలో తెలియ జేయుచున్నారు. ఈ స్వతంత్ర సమర పోరాటంలో తన కర్తవ్యాన్ని గురించి ఆయన తెలియజేయుచున్నారు. ఏమి చేయాలో? ఏమి చేయరాదో? కూడా ఆయన ఈ ఉత్తరంలో తెలియజేయుచున్నారు. తప్పు పనులేవీ చేయరాదని తెలియజేయుచున్నారు ధైరవ్యంతులు కమ్మని తెలియజేయుచున్నారు. భారతదేశ సేవకై సాహసవంతమైన, ధైర్యవంతమైన సిపాయి కమ్మని నెహ్రూగారు ఇందిరకు సందేశం ఇస్తూ ఈ ఉత్తరాన్ని ముగించిరి. )

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इ. बहादुरी से संबंधित कोई छोटी सी कहानी लिखिए।
(సాహసానికి వీరత్వానికి సంబంధించిన ఏదేని ఒక చిన్న కథ వ్రాయండి.)
उत्तर :
उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले में ताजपुर एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। रेलवे लाइन के पास से अक्षय कुमार नामक एक छात्र अपना कॉलेज जा रहा था। अचानक उसकी दृष्टि रेल की पटरी पर पड़ी। उसने देखा कि एक जगह पर कुछ दूर तक रेल की पटरी उखड़ी हुई थी। उसने उसके पास जाकर ग़ौर से देखा। ‘फ़िश प्लेटों के हटाये जाने से वहाँ एक भयानक खतरा पैदा हो गया था।

अक्षय कुमार के सामने एक यात्री गाड़ी तेज़ी से चली आ रही थी। उसने चारों ओर देखा। दूर तक कोई भी आदमी नहीं था। वह बहुत परेशान हो गया। बेचारे की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। केवल कुछ ही क्षण बाकी थे सैकड़ों आदमी मृत्यु के मुँह में जानेवाले थे। अचानक उसे एक उपाय सूझा।

अक्षय कुमार पटरियों के बीच में खड़ा होकर दोनों हाथ उठा उठाकर हिलाने लगा। लेकिन गाड़ी पूरे वेग के साथ धड़ धड़ करती हुई आ रही थी। अब क्या किया जाय ? अक्षय कुमार को एक नयी बात सूझ गयी। वह अपना कोट उतारकर उसे तेज़ी से हिलाने लगा। इस बार ड्राइवर ने उसे देख लिया। उसने पूरा बल लगाकर गाड़ी रोक दी। गाड़ी उसके बिलकुल पास आकर रुक गयी। इंजन तो अक्षय कुमार से दो फुट की दूरी पर आकर रुका था। लेकिन उसे अपने प्राणों की चिन्ता नहीं थी वह एक इंच भी पीछे नहीं हटा।

अक्षय कुमार ने गाड़ी को रोक दिया था, इससे ड्राइवर नाराज़ हो गया। वह इंजन से उतरकर लड़के के पास आया। इतने में उस गाड़ी का गार्ड भी नीचे उतर आया। तभी सबकी नज़र पटरी पर पड़ी। वहाँ तो मौत सैकड़ों लोगों की जान लेने तैयार बैठी थी। सब एक क्षण के लिए घबरा गये। ड्राइवर और गार्ड अक्षय कुमार के उस महान कार्य के लिए धन्यवाद देने लगे।

मगर अक्षय कुमार को अधिक बातचीत करने की फुरसत नहीं थी। कॉलेज में घंटी बजने का समय था और वहाँ पहुँचने में देर हो रही थी। इसलिए वह जल्दी जल्दी वहाँ से चल पड़ा।
अक्षय कुमार की कर्तव्य भावना और साहस से सैकड़ों लोग उस दिन मौत के मुँह से बच गये। देश ने अक्षय कुमार के इस महान गुण का अच्छा सम्मान किया। भारत के राष्ट्रपति ने इस वीर युवक को ‘अशोक

(ఉత్తరప్రదేశ్లోని గాజీపుర్ జిల్లాలో తాజ్పుర్లో ఓ చిన్న రైల్వేస్టేషన్ కలదు. రైల్వే లైను ప్రక్క నుండి అక్షయ్ కుమార్ అను ఒక యువకుడు కాలేజీకి వెళ్ళుచున్నాడు. అనుకోకుండా (అకస్మాత్తుగా) అతని దృష్టి రైల్వే పట్టాపై పడినది. రైలు పట్టా కొంచెం దూరం వరకు ఊడి ఉండడం అతను చూసెను. అతడు దాని దగ్గరకు వెళ్ళి దాన్ని పరీక్షగా చూసెను. రైలు పట్టా ఊడి ఉండటం వలన అక్కడ ఒక భయానక ప్రమాదం ఏర్పడును.

అక్షయ్ కుమార్ ఎదురుగా ఒక రైలు బండి (యాత్రికులతో కూడిన) వచ్చుచున్నది. అతడు నాల్గువైపులా చూసెను. అతనికి సుదూరతీరం వరకు ఏ ఒక్క మనిషి కూడా కనిపించలేదు. అతడు చాలా గాబరా పడిపోయెను. అతడేమి చేయవలెనో అతనికి అర్థం కావడం లేదు. కేవలం కొన్ని క్షణాలే మిగిలి ఉన్నవి. వందలకొలది ప్రజలు మృత్యు ముఖంలోకి వెళతారు. అకస్మాత్తుగా అతనికి ఒక ఉపాయం కల్గెను.

అక్షయ్ కుమార్ రెండు చేతులు ఎత్తి పట్టాల మధ్య నిలబడి చేతులను ఊపుతూ ఉండెను. పూర్తి వేగంగా బండి ధడ – ధడ శబ్దం చేస్తూ వచ్చుచున్నది. అక్షయ్ కుమార్కి ఒక కొత్త విషయం స్ఫురణకు వచ్చినది. అతడు తన కోటును విప్పి దాన్ని వేగంగా తిప్ప సాగెను. ఈసారి రైలు డ్రైవర్ దాన్ని చూసెను. అతడు బలవంతంగా రైలును ఆపి వేసెను. రైలు బండి ఆ యువకునికి, దగ్గరగా వచ్చి ఆగినది. ఇంజన్ అతనికి రెండు అడుగుల దూరంలో వచ్చి ఆగినది. కానీ అతనికి తన ప్రాణాల పట్ల దిగులు లేదు. అతడు ఒక అంగుళం కూడా కదలలేదు.

అక్షయ్ కుమార్ రైలును ఆపినందులకు రైలు డ్రైవర్కు కోపం వచ్చింది. అతడు రైలు ఇంజన్లోంచి దిగి అక్షయ్ కుమార్ వద్దకు వచ్చెను. ఇంతలో ఆ బండి గార్డు కూడా క్రిందకు దిగి వచ్చెను. అప్పుడే అందరి దృష్టి రైలుపట్టాపై పడినది. అక్కడ చావు వందల కొలది ప్రజల ప్రాణాలను తీసుకొనుటకు సిద్ధముగా ఉన్నది. అందరూ ఇది తలచుకోగానే ఒక్క క్షణం భయపడిపోయిరి. డ్రైవర్ మరియు రైల్వే గార్డు అక్షయ్ కుమార్ను అతను చేసిన గొప్ప పనికి ధన్యవాదాలు తెలియజేసిరి.

కానీ అక్షయ్ కుమార్కు ఎక్కువగా మాట్లాడే అవకాశం లేదు. కాలేజీలో గంట మ్రోగే సమయం అయిపోయింది. అక్కడకు వెళ్ళడానికి ఆలస్యమైనది. అందువల్ల అతడు త్వరత్వరగా అక్కడి నుండి వెళ్ళిపోయెను.
అక్షయ్ కుమార్ కర్తవ్యభావన మరియు సాహసం కారణంగా వందలకొలది ప్రజలు ఆ రోజున మృత్యుముఖం నుండి రక్షించబడిరి. దేశం అక్షయ్ కుమార్ యొక్క ఈ గొప్ప పనికి అతనిని బాగా సన్మానించినది. భారత రాష్ట్రపతి ఈ వీర యువకునికి “అశోక చక్రం” అవార్డునిచ్చి సన్మానించిరి.)

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ई. देश की रक्षा में तत्पर बहादुर सिपाहियों के योगदान के बारे में लिखिए।
(దేశ రక్షణలో తత్పరులైన ధైర్య సాహసాలు కల సిపాయిల పాత్రను గురించి వివరించుము.)
उत्तर :
भूत पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री जी ने यह नारा दिया कि “जय जवान जय किसान” यह सचमुच ठीक ही है। सिपाही (जवान) देश की रक्षा में तत्पर हैं तो किसान अन्न देता है। इसी के सहारे हम आराम से जीवन बिता रहे हैं।

देश की रक्षा के लिए सिपाहियाँ धूप में शीत में, वर्षा में, रात में तूफ़ान में बाढ़ में भी हर हमेशा चौबीस घंटे तत्पर रहते हैं। हमें इसके लिए उनके आभारी प्रकट करना है।

हर हमेशा सिपाही देश को विदेशी आक्रमणों से हमारी रक्षा कर रहे हैं, देश की रक्षा कर रहे हैं। वे निरंतर पर्वतों में, रेगिस्तान में, झाडों में, आंधी में भी देश की सेवा तथा रक्षा में तत्पर हैं। उनके बिना देश नहीं और हम भी नहीं। इस प्रकार देश की रक्षा में सिपाहियों का योगदान जो है वह बहुत मूल्यवान है।

(మన భారతదేశ మాజీ ప్రధానమంత్రి స్వర్గీయ లాల్బహదూర్ శాస్త్రిగారు జై జవాన్, జై కిసాన్ అని నినదించిరి. ఇది చాలా సరియైనది. సిపాయిలు దేశ రక్షణలో తత్పరులై యుండగా రైతులు మనకు అన్నం (భోజనం) పెడుతున్నారు. దీని కారణంగానే మనం విశ్రాంతితో మన జీవితాలను గడుపుతున్నాం.
దేశ రక్షణలో సిపాయిలు ఎండలో, చలిలో, వర్షంలో, రాత్రిళ్ళు, తుపానులో, వరదల్లో కూడా ప్రతి క్షణం 24 గంటలూ తత్పరులై ఉంటారు. దీని కోసం మనం వారికి కృతజ్ఞులమై యుండాలి.
ప్రతిక్షణం సిపాయిలు విదేశీ ఆక్రమణల నుండి మనల్ని మన దేశాన్ని రక్షిస్తున్నారు.
వారు నిరంతరం పర్వతాలలో, ఎడారుల్లో, పొదల్లో, చీకట్లో, తుపానుల్లో, దేశ రక్షణలో, దేశ సేవలో నిమగ్నమై యున్నారు. వారు లేకుండా ఈ దేశం లేదు. మనమూ లేము.
ఈ విధంగా దేశ రక్షణలో సిపాయిల పాత్ర ఎంతో అమూల్యమైనది.)

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. नीचे दिये गए एकवचन और बहुवचन रूप समझिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన ఏకవచనము, బహువచన రూపములు తెలుసుకోండి.)

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  • కానుక – కానుకలు
  • కవి – కవులు
  • పక్షి – పక్షులు
  • గురువు – గురువులు
  • బాలుడు – బాలురు
  • పుస్తకము – పుస్తకములు
  • శుభాకాంక్ష – శుభాకాంక్షలు
  • సమితి – సమితులు
  • కథ – కథలు
  • ఋుతువు – ఋుతువులు
  • కోడలు – కోడళ్ళు

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आ. ऊपर दिये गये वचन के उदाहरण पढ़िए। किन्हीं दो के वाक्य प्रयोग कीजिए।
(పైన ఈయబడిన వచనముల ఉదాహరణలు చదవండి. ఏవేని రెండింటి వాక్యప్రయోగం చేయండి.)
उत्तर :
1. लडका गेंद खेलता है।
2. मैं कुछ पुस्तकें खरीदना चाहता हूँ।

इ. रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्दों से कीजिए। (ఖాళీలను సరియైన శబ్దములతో పూరించండి)
(खेद, बधाई, शुभकामनाएँ, आशीर्वाद)
1. नानी ने अपनी नवासी को जीती रहो बेटी कहकर …… दिया।
2. आपको जन्मदिन की ……. हो।
3) खेल में आपकी जीत हुई इसके लिए आपको ……. हो।
4) रुकावट के लिए …… है।
उत्तर :
1. आशीर्वाद
2. शुभकामनाएँ
3. बधाई
4. खेद

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

बाल अधिकार के बारे में जानकारी प्राप्त करके एक सूची बनाइए।
(బాలల అధికారముల గురించి సమాచారం సేకరించి ఒక సూచిక తయారుచేయండి.)
उत्तर :
आज के बालक कल के नागरिक हैं। ऐसे महत्वपूर्ण बच्चों की सुरक्षा और विकास करना राज्य तथा समाज की ज़िम्मेदारी है। निर्धारित साधनों में उनकी आवश्यकताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। बाल- बालिकाएँ सुरक्षित रह सकने का वातावरण हमें तैयार करना है। उनकी क्षमता को समझना है। क्योंकि उनका पोषण और विकास ही देश का भविष्य है।
भारत तो अपने बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बाध्य है। वे अधिकार हैं-
1. उत्तर जीविता का अधिकार :
इसमें जीवन, स्वास्थ्य, पोषण और पर्याप्त जीवन स्तर मिले होते हैं।

2. सुरक्षा का अधिकार :
इसमें सभी प्रकार के दमन या अत्याचार से स्वतंत्र रहना, दुरुपयोग या दुर्व्यवहार अमानुषिकता या व्यवहार के स्तर से नीचे करना और उपेक्षा करना सम्मिलित हैं।

3. विकास का अधिकार :
इसमें शिक्षा का अधिकार बाल्यकाल को सहायता, उसका ध्यान, सामाजिक सुरक्षा, खुले या फुर्सत के समय का अधिकार, मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्मिलित हैं।

4. भाग लेने का अधिकार :
इसमें बच्चों के विचारों का सम्मान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, उपयुक्त सूचना का प्रदान करना और विचारों की स्वतंत्रता विवेक व धर्म सम्मिलित हैं।

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प्रश्न-II

प्रश्न 1.
यह पत्र किसने किसको, कहाँ से लिखा ?
(ఈ ఉత్తరం ఎవరు, ఎవరికి, ఎక్కడ నుండి వ్రాశారు ?)
उत्तर :
यह पत्र जवाहरलाल नेहरू जी ने अपनी इकलौती बेटी इंदिरा के नाम, नैनी जेल से लिखा।
(ఈ ఉత్తరము జవహర్లాల్ నెహ్రూగారు తన ఏకైక కుమార్తె ఇందిర పేరున, నైనిటాల్ జైలు నుండి వ్రాశారు.)

प्रश्न 2.
नेहरूजी ने अपनी बेटी को निडर और साहसी बनने का क्या उपाय बताया ?
(నెహ్రూగారు తన కుమార్తెకు నిర్భయురాలు, ధైర్యవంతురాలు అగుటకు ఎలాంటి ఉపాయం చెప్పాడు?)
उत्तर :
नेहरूजी ने अपनी इकलौती प्यारी बेटी ‘इंदिरा जी को निडर और साहसी बनने की महान सलाह दी। ऐसे उत्तम गुणवाली बनने उन्होंने बेटी को यह उपाय बताया कि अगर किसी महत्वपूर्ण कार्य करने में कोई संदेह होता तो सोच समझकर कार्य करना है। दूसरों से छिपाने वाला कोई काम कभी नहीं करना है। क्योंकि अगर तुम कोई ग़लत काम करना चाहती हो तभी दूसरों से छिपाने की इच्छा होती है। यह कभी सही नहीं है। तुम निडर और साहसी बनोगी तो सब कुछ स्वयं ही ठीक हो जायेगा। ऐसी हालत में डरने या लज्जित होनेवाला काम तुम से कभी नहीं होगा।

(నెహ్రూ గారు తన ఏకైక ప్రియ కుమార్తె ఇందిరను నిర్భయురాలు, ధైర్యవంతురాలు అయ్యెడి మంచి సలహా ఇచ్చారు. అటువంటి గొప్ప గుణములు కలవారు అగుటకు వారు కుమార్తెకు ఒక ఉపాయం చెప్పారు. ఏదేని గొప్ప పని చేయుటలో ఏమైనా సందేహం / అనుమానం ఉన్నచో చక్కగా ఆలోచించి ఆ పని చెయ్యాలి. ఇతరుల నుండి దాచబడే ఏ పనీ చెయ్యకూడదు. ఎందుకంటే నీవేదైనా చెడ్డపని చేయతలచినట్లయితేనే ఇతరుల నుండి దాచాలని అనిపిస్తుంది. ఇది ఎన్నటికీ సరియైనది కాదు. నీవు నిర్భలయురాలివి. ధైర్యవంతురాలివి అయినట్లయితే అంతా దానంతట అదే సరవుతుంది. అటువంటప్పుడు భయపడే లేదా సిగ్గుపడే పని నీ ద్వారా ఎన్నడూ జరుగదు.)

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अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अपठित गद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

I. यह सन् 1918 की बात है। गाँधीजी कलकत्ता में थे। कलकत्ता में एक बड़ी सभा हुई। देश के नेता कलकत्ता आये। लोकमान्य तिलक भी आये। उन्होंने सभा में अंग्रेज़ी में भाषण दिया था। उसके बाद गाँधीजी ने हिन्दी में भाषण दिया। भाषण ख़तम होने के बाद गाँधीजी ने कहा कितने लोगों ने लोकमान्य का भाषण समझा ? हाथ उठाइये।
बहुत थोड़े लोगों ने हाथ उठा। तब गाँधीजी ने कहा – लोकमान्य अंग्रेज़ी में बोले। इसलिए कई लोगों ने उनका भाषण नहीं समझा। मैं कहता हूँ कि हम हिन्दी सीखेंगे तो ज़्यादा लोगों की सेवा करेंगे।

प्रश्न :
1. लोकमान्य तिलक ने सभा में किस भाषा में भाषण दिया था ?
2. इस अनुच्छेद में बताई गयी बात किस साल की है?
3. गाँधीजी ने किस भाषा में भाषण दिया ?
4. सभा कहाँ हुई ?
5. ‘खतम’ शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर :
1. लोकमान्य तिलक ने सभा में अंग्रेज़ी भाषा में भाषण दिया था।
2. सन् 1918 साल की बात है।
3. गाँधीजी ने हिंदी भाषा में भाषण दिया।
4. सभा कलकत्ता में हुई।
5. समाप्त (पूरा)

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II. शिवाजी का जन्म सन् 1627 (सोलह सौ सत्ताईस) में शिवनेर दुर्ग में हुआ था। उनके पिताजी का नाम शाहजी था। वे बीजापुर के सुलतान की फ़ौज़ में अफ़सर थे। माताजी का नाम जीजाबाई था। वे अपने। देश और धर्म का बड़ा आदर करती थीं। वे शिवाजी को बचपन से ही बहादुर बनाने के उद्देश्य से रामायण, महाभारत आदि की कहानियाँ सुनाया करती थीं। उन्होंने शिवाजी को निडर, साहसी और बीर बनाया।

प्रश्न :
1. शिवाजी की माता का नाम क्या था ?
2. शिवाजी का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
3. बीजा पुर के सुलतान की फौज़ में अफ़सर कौन थे ?
4. शिवाजी के पिता का नाम क्या था ?
5. इस गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा ?
उत्तर :
1. शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था।
2. शिवाजी का जन्म सन् 1627 में शिवनेर दुर्ग में हुआ था।
3. शाहजी बीजापुर के सुलतान की फौज़ में अफ़सर थे।
4. शिवाजी के पिता का नाम शाहजी था।
5. “शिवाजी का जन्म और बचपन” इस गद्यांश का उचित शीर्षक होगा।

III. भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। कन्याकुमारी से काश्मीर तक के लोगों के आचार विचार, खान पान आदि में भी भिन्नताएँ हैं। सबसे बड़ी कठिनाई भाषाओं की है। हम भारत के लोग भाई – भाई होने पर भी एक दूसरे से अजनबी हो जाते हैं। इसलिए भारत की भावात्मक एकता के लिए गाँधीजी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा का पद दिया।

प्रश्न :
1. अनेक भाषाएँ कहाँ बोली जाती हैं ?
2. कहाँ से कहाँ तक के लोगों के आचार विचार, खान – पान आदि में भी भिन्नताएँ हैं ?
3. सबसे कठिनाई किनकी हैं ?
4. हम भारत के लोग कैसे हैं?
5. भारत की भावात्मक एकता के लिए गाँधीजी ने राष्ट्र भाषा का पद किस भाषा को दिया ?
उत्तर :
1. अनेक भाषाएँ भारत में बोली जाती हैं।
2. कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लोगों के आचार विचार, खान पान आदि में भिन्नताएँ हैं।
3. सबसे बडी कठिनाई भाषाओं की है।
4. हम भारत के लोग एक दूसरे से अजनबी होते हैं।
5. भारत की भावात्मक एकता के लिए गाँधीजी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का पद दिया।

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II. गाँधीजी के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता थी अन्याय के विरुद्ध विद्रोह। यद्यपि शारीरिक बल की दृष्टि से गाँधीजी बिलकुल मामूली थे और बचपन से वे बड़े दब्बू और झेंपू भी थे। फिर भी उनका मनोबल असाधारण था। सत्य के लिए हठ करना और प्राणभय होने पर भी उस पर अडिग रहना ही गाँधी की सबसे बड़ी विशेषता थी जिसने उन्हें संसार के बड़े महापुरुषों की श्रेणी में ला खड़ा किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया था।

प्रश्न :
1. गाँधीजी के चरित्र की सब से बड़ी विशेषता क्या थी ?
2. गाँधी जी का मनोबल कैसा था ?
3. बचपन से गाँधी कैसे थे ?
4. सत्य के लिए दृढ करना किनकी बड़ी विशेषताओं में एक थी ?
5. गाँधीजी ने किन सिद्धांतों को अपनाया था ?
उत्तर :
1. “अन्याय” के विरुद्ध विद्रोह” गाँधीजी के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता थी।
2. गाँधीजी का मनोबल असाधारण था।
3. गाँधीजी बचपन से दब्बू और झोंपू थे।
4. सत्य के लिए दृढ़ करना गाँधीजी की बड़ी विशेषताओं में एक थी।
5. गाँधीजी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धातों को अपनाया था।

III. सावन मास की छटा भी अनुपम है। यहाँ पर मनभावन दृश्य किसके नेत्रों को आकर्षित नहीं करता। गाँवों की रिमझिम रिमझिम वर्षा में किसानों के प्राण पुलकित हो उठते हैं। वर्षों में लहलहाते खेतों को देखकर उनके हृदय में आनंद की बाढ़ आ जाती है। जो प्राणदायक स्वच्छ पवन नगर से दूर है। वह शीतलमन्द, सुगन्ध समीर भोले – भाले ग्राम वासियों को अनायास ही प्राप्त होता है।

प्रश्न :
1. सावन मास की छटा कैसी है?
2. मनभावन दृश्य किस मास में नेत्रों को आकर्षित करते हैं ?
3. वर्षा में खेत कैसे होते हैं ?
4. प्राणदायक स्वच्छ पवन किससे दूर है ?
5. ग्रामवासी कैसे होते हैं ?
उत्तर :
1. सावन मास की छटा अनुपम है।
2. मनभावन दृश्य सावन मास में नेत्रों को आकर्षित करते हैं।
3. वर्षा में खेत लहलहाते हैं।
4. प्राणदायक स्वच्छ पवन नगर से दूर है।
5. ग्रामवासी भोल भाले होते हैं।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

पत्र विधा से अपने विचार प्रकट करने का प्रयास करना। अपनी भावनाएँ दूसरों तक पहुँचाने के लिए पत्र भी एक साधन है।

(ఉత్తరాలు ద్రాయు విధానం ద్వారా తమ ఆలోచనలను వ్యక్తపరచుట. మన భావనలు ఇతరులకు అందించేటందుకు ఉత్తరము(లు) కూడా ఒక సాధనము. ఈ సాధనము ద్వారా సడియైన కీతిలో అర్ధము అయ్యేటట్లుగా భావములు తెలియపరచగలము.)

సారాంశము :

నైని జైలు,
26 అక్టోబరు, 1930.

ప్రియమైన ఇందిరకు,

పుట్టినరోజున నీకు అనేక బహుమానాలు అందుతూ ఉన్నాయి. శుభాకాంక్షలు కూడా ఇవ్వబడుచూ ఉన్నవి. కాని ఈ జైలులో కూర్చున్న నేను నీకు ఏ బహుమానము పంపగలను. ఆఁ నా శుభాశీస్సులు ఎప్పుడూ నీ వెంటే ఉంటాయి.
“జోన్ ఆఫ్ ఆర్క్’ కథ నీకు ఎంత బాగా నచ్చిందో నీకు గుర్తుందా ? నీవు స్వయముగా కూడ అతని వలె అవ్వాలని అనుకునేదానివి. కాని సాధారణ పురుషులు, స్త్రీలు, ఇంత సాహసవంతులు అవరు. వారైతే తమ దైనందిన పనులు, పిల్లా-జెల్లా మరియు ఇంటి బాధలలోనే చిక్కుకొని ఉంటారు. కాని ఒక గొప్ప ఆశయ పూర్తి కోసం ప్రజలందరిలో అంతు లేని ఉత్సాహం నిండిపోయే ఒక సమయం వస్తుంది. సాధారణ పురుషులు వీరులుగాను మరియు స్త్రీలు వీరనారులుగాను అవుతారు.

ప్రస్తుతం మన భారత చరిత్ర నిర్మాణము జరుగుతూ ఉన్నది. బాపూ భారతవాసుల దుఃఖములను దూరం చేయుటకు ఉద్యమం లేవనెత్తారు. ఈ ఉద్యమం మన కళ్ళముందు జరుగుతూ ఉండటం, మనం కూడ దీనిలో భాగం పంచుకుంటూ ఉన్నందుకు నేను, నీవు చాలా అదృష్టవంతులము. ఒక గొప్ప ఆశయం మన ముందు ఉన్నది. దీన్ని పూర్తిచేయుటకు చాలా చేయవలసి ఉన్నది.

ఈ గొప్ప ఉద్యమంలో మన కర్తవ్యం ఏమిటి ? దీనిలో మనం ఏ విధంగా పాల్గొనాలా అని ఆలోచించాలి, మనం ఏం చేసినా, దానివలన మన దేశానికి హాని కలుగకూడదని మనం తప్పక గుర్తుంచుకోవాలి. మనం ఏం చెయ్యాలో ఏం చెయ్యకూడదో అని చాలాసార్లు మనం సందేహంలో పడతాము. ఇది నిశ్చయించుకోవడం ఏదో సామాన్యమైన పని కాదు. ఎప్పుడైనా నీకు అటువంటి సందేహం కలిగితే, నీవు సరియైన దాన్ని నిశ్చయించుకోవడానికి నేను నీకు ఒక చిన్న ఉపాయం చెబుతున్నాను. ఇతరుల నుండి దాచాలనే కోరిక నీ మనస్సులో ఏర్పడేటటువంటి ఏ పనీ నీవు చేయకూడదు.

నీవు ఏదేని తప్పు పని చేసేటప్పుడు ఆ విషయాన్ని. దాచిపెట్టాలనే కోరిక కలుగుతుంది. సాహసవంతురాలవు అయితే అంతా దానంతట అదే సరైపోతుంది. నీవు సాహసవంతురాలవు, భయపడేటటువంటి, సిగ్గుపడే పని ఏదీ నీవు చెయ్యవు. గాంధీగారి నాయకత్వంలో స్వాతంత్య్ర పోరాటం జరుపబడుచూ ఉన్నదని, దానిలో దాచవలసిన విషయము ఏమీలేదు. అన్నది నీకు బాగా తెలుసు. మనమైతే అన్ని పనులు పగటి వెలుతురులో చేస్తాము. సరేనమ్మా. ఇక సెలవు., భారత్కు సేవ చేయుటకు నీవు వీరత్వము గల సిపాయి అవ్వాలి. ఇదే నా మనోవాంఛ.

నీ తండ్రి
జవాహర్ లాల్,

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शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :

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