Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material Pdf 7th Lesson मेरा जीवन Textbook Questions and Answers.
TS 9th Class Hindi 7th Lesson Questions and Answers Telangana मेरा जीवन
प्रश्न – ప్రశ్నలు :
प्रश्न 1.
यह चित्र किनका है?
(ఈ చిత్రము ఎవరిది?)
उत्तर :
यह चित्र मानवता की प्रतिमूर्ति मदर तेरेसा का है।
प्रश्न 2.
आपको समाज सेवा करना कैसा लगता है ?
(మీకు సమాజ సేవ చేయుట ఎలా అనిపిస్తుంది ?)
उत्तर :
समाज माने मानव संघ है। मानव सेवा ही माधव सेवा है। समाज सेवा महान और पवित्र है। ऐसे समाज की सेवा करना मुझे बहुत अच्छा और सुखदायक लगता है।
प्रश्न 3.
मदर तेरेसा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है ?
(మదర్ తెరిస్సా జీవితం నుండి ఎటువంటి ప్రేరణ కలుగుతుంది?)
उत्तर :
मदर तेरेसा दयामयी, मानवता की प्रतिमूर्ति हैं। उनका जीवन आदर्शों से भरा हुआ है। ऐसे उनके जीवन से आपन्न लोगों का दुःख दूर करने और उनकी सेवा करने में जुटजाने की प्रेरणा मिलती है।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया (అర్థమును తెలుసుకోవటం – జవాబు ఇవ్వటం)
अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)
प्रश्न 1.
खुशहाल जीवन की क्या विशेषता होती है ?
(సంతోషకర జీవిత ప్రత్యేకత ఏమిటి ?)
उत्तर :
मानव जीवन सुख-दुःख का मिश्रण है। हर एक मानव खुशहाल जीवन ही बिताना चाहता है। मानव को
स्वस्थ, निडर, साहसी, निर्लोभ, सहृदयी, कार्यशील होकर योग्य काम करते रहने से ही खुशी मिलती है। उसका जीवन शुखहाल होता है। दूसरों को सुख पहुँचाते स्वयं खुश रहना, खुशहाल जीवन की मुख्य विशेषता है। अपने चारों ओर के लोगों और प्राणियों की भलाई करते, धर्म परायण होकर, कर्तव्यों का पालन करते हुए सुखमय जीवन बिताना ही खुशहाल जीवन की विशेषता है।
(మానవ జీవితం సుఖ – దుఃఖముల కలయిక. ప్రతి ఒక్క వ్యక్తి సంతోషకర జీవనాన్ని గడపాలనే కోరుకుంటాడు. మనిషికి ఆరోగ్యంతో, నిర్భయుడై, సాహసవంతుడై, లోభరహితుడై, సహృదయము గల కార్యశీలుడై, యోగ్యమైన పనులు చేయుట వలననే ఆనందం కలుగుతుంది. అతని జీవితం సుఖమయమవుతుంది. ఇతరులకు సుఖాన్ని కలిగిస్తూ స్వయంగా సంతోషంగా ఉండటం సుఖకర జీవిత ముఖ్య విశేషము. తమ పొరుగు వారికి, ప్రాణులకు మేలు చేస్తూ ధర్మ పరాయణులై కర్తవ్యములను పాలిస్తూ, సుఖమయ జీవితం గడపడటమే సంతోషకర జీవిత విశేషము.)
प्रश्न 2.
“प्रसन्न व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता’ इस पर अपने विचार बताइए।
(“సంతృప్తి చెందిన వ్యక్తి. ఎన్నడూ దుఃఖితుడు అవడు (బాధపడదు)” దీని గురించి మీ అభిప్రాయములు తెలపండి.)
उत्तर :
मानव जीवन में सुख और दुःख दोनों रहते हैं। अपने अच्छे गुण और दूसरों से मिल जुलकर रहने से मानव प्रसन्न रह सकता है। निर्मल हृदय, परोपकार भावना, सुख पहुँचाना, अन्याय न करना, निस्वार्थ भावना आदि गुणों से मानव प्रसन्न रह सकता है। प्रसन्न व्यक्ति सुख-दुःख दोनों को समान दृष्टि से देखता है दुःख के बिना सुख मिलता ही नहीं है। इस तत्व को समझकर सुखी जीवन बितानेवाला ही महान होता है। वह कभी दु:खी नहीं होता ।
(మానవ జీవితంలో సుఖము – దుఃఖము రెండూ ఉంటాయి. తమ మంచి గుణములతో, ఇతరులతో కలిసి మెలిసి ఉండుట వలన మనిషి సంతోషంగా ఉండగలుగుతాడు. నిర్మల హృదయము, పరోపకార భావము, సుఖాన్ని కలిగించుట, అన్యాయము చేయకుండుట, నిస్వార్థ భావము వంటి గుణముల వలన మానవుడు సంతోషంగా ఉండగలడు. సంతోషంగానున్న వ్యక్తి సుఖము, దుఃఖము రెంటిని సమాన దృష్టితో చూడగలడు. దుఃఖము లేకుండా సుఖము లభించదు. ఈ తత్వాన్ని అర్థం చేసుకొని సుఖమయ జీవితాన్ని గడిపే వ్యక్తి గొప్పవాడు అవుతాడు. అతడు ఎన్నడూ దుఃఖించడు.)
आ. कविता पढकर नीचे दिये गये अभ्यास पूरे कीजिए।
(కవిత చదివి క్రింద ఇవ్వబడిన అభ్యాసములు పూర్తి చెయ్యండి.
इन पंक्तियों का उचित क्रम बताइए। (ఈ పంక్తుల సరియైన వరుస చెప్పండి)
1. उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में। ( )
2. उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से। ( )
3. ज़ंग है असार सुनती हूँ मुझको सुख सार दिखाता। ( )
4. मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता। ( )
उत्तर :
1. 3
2. 4
3. 1
4. 2
इ. नीचे दी गयीं पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన పంక్తుల భావములు స్పష్టం చెయ్యండి.)
प्रश्न 1.
हँस हँस जीवन में कैसे करती है चिंता क्रीडा ?
उत्तर :
कवयित्री कहती हैं कि जीवन तो हँसते खुशी से बिताना है। चिंता का खुशी के जीवन में कोई महत्व नहीं रहता है। इसलिए हँसते हुए जीवन बितानेवाले के जीवन पर दुःख कोई असर नहीं डाल सकता।
प्रश्न 2.
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्तर :
कवयित्री कहती हैं कि मैं तो सदा सुखी और खुश ही रहती थी। सुख की आशा में ही मैं जीवन बिताती थी। इसी के अनुरूप मेरी आँखों के सामने सदा सुख रूबी सागर लहराता रहता था। सुख की आशा में मैं रहती थी।
प्रश्न 3.
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
उत्तर :
कवयित्री कहती हैं कि मैं हर पल सुख से ही जीवन बिताती थी। मैं ने कभी दुःख का अनुभव नहीं किया। हर विषय को मैं अपने लिए सुखदायक बनाती रही। इसलिए मेरा जीवन सदा सुखी ही रहा।
प्रश्न 4.
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
उत्तर :
कवयित्री कहती है कि यह मानव जीवन अमूल्य और फिर से प्राप्त होनेवाला नहीं है। ऐसे मूल्यवान जीवन को मैं ने सुखदायी बना लिया। मेरे जीवन में दुःख कभी अपना प्रभाव नहीं दिखा सका। क्योंकि भरोसा, प्यार, धीरज आदि उत्तम गुण मेरे जीवन के साथी रहे थे। इन्हीं के कारण मैं ने अपना जीवन सुखमय बना लिया।
ई. नीचे दिया गया पद्यांश पढ़कर इसका भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన పద్యాంశాన్ని చదివి దీని భావాన్ని స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
बार बार आती है मुझको,
मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया जीवन की,
सबसे मस्त खुशी मेरी॥
उत्तर :
यह पद्यांश कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “मेरा बचपन” का पद्य है। कवयित्री अपने मधुरमय बचपन को याद करती कहती हैं। हे बचपन ! मुझे तुम्हारी याद बार बार आती है। क्योंकि बचपन मेरा सुखदायी और नहीं खेलते-कूदते, बाधा के बिना, खुशी से मैं ने अपना बचपन बिताया। बचपन के दिन जीवन में फिर कभी नहीं आते। अब मैं बडी हो गयी हूँ। इससे मेरे जीवन की मस्त खुशी मुझसे दूर हो गयी है।
अभिव्यव्ति-सुजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ-నిర్మాణాత్మకత)
अ. पाठ के आधार पर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(పాఠము ఆధారంగా క్రింద ఇవ్వబడిన ప్రశ్నలకు సమాధానములు వ్రాయండి.)
प्रश्न 1.
कवयित्री ने जीवन में हँसने को क्यों महत्व दिया है?
(కవయిత్రి జీవితంలో నవ్వడానికి ఎందుకు ప్రాధాన్యతనిచ్చినిది?)
उत्तर :
कवयित्री मानव जीवन का महत्व खूब जानने वाली हैं। अपना जीवन सुखमय बना लेने आवश्यक विषय सीख लिये हैं। वे हैं – बाधाओं को हँसते सहना, संसार और सब लोगों को सुख पहुँचाने वाले समझना। उत्साह, उमंग के साथ हर पल बिताना, आशावान होकर असफलताओं से दुःखी न होते, विश्वास, प्रेम, साहस आदि गुणों से जीवन सुखमय बना लेना आदि। इस तरह उसने अपना जीवन सुखदायी बना लिया है।
(కవయిత్రి మానవ జీవిత విలువను బాగా తెలిసిన వ్యక్తి. తన జీవితమును సుఖమయం చేసుకొనుటకు అవసరమైన విషయములను నేర్చినది. అవీ బాధలను నవ్వుతూ సహించుట, ప్రపంచాన్ని, ప్రజలందరికీ సంతోషం కలిగించే వారుగానే భావించుట, ఉత్సాహము, ఉప్పొంగుతో ప్రతి క్షణం గడుపుట, ఆశావాదిగా ఉంటూ వైఫల్యాలు కలిగినా బాధ పడకుండా, నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యము మొదలగు గుణములతో జీవితాన్ని సుఖమయం చేసుకొనుట మొదలగునవి. ఈ విధముగ ఆమె తన జీవితాన్ని సుఖమయం చేసుకున్నది.)
प्रश्न 2.
आपको यह संसार कैसा लगता है ?
(మీకు ఈ ప్రపంచం ఎలా అనిపిస్తుంది ?)
उत्तर :
मैं ने सुन लिया है कि यह संसार तो सारहीन और अशाश्वत है। लेकिन मैं तो विश्वास, प्रेम, धैर्य से सुख की आशा में ही रहती हूँ। निराश न होते हुए आशावान होकर जीवन बिताते रहने के कारण हमें यह संसार सुखदायी ही लगता है।
(ఈ ప్రపంచం సారము లేనిదని అశాశ్వతమైనదని నేను విని ఉంటిని. కాని నేను మాత్రం నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యముతో సుఖము కలుగుతుందనే ఆశలోనే ఉంటాను. నిరాశ చెందకుండ, ఆశావాదిగా జీవనం గడుపుతూ ఉండుట వలననే మనకు ఈ ప్రపంచం సుఖదాయకమైనదని అనిపిస్తుంది.)
प्रश्न 3.
अपने जीवन को खुशहाल कैसे बनाया जा सकता है ?
(మీ జీవితాన్ని ఎలా సుఖమయం చేసుకుంటారు?)
उत्तर :
मैं अपने जीवन को सदा हँसते हुए साहस, प्यार, विश्वास, आदि अच्छे गुणों से बाधाओं और कष्टों की परवाह न करते धीरज के साथ जीवन के प्रति आशा से रहते खुशहाल बनाता हूँ।
(నేను నా జీవితాన్ని ఎల్లప్పుడూ నవ్వుతూ సాహసం, ప్రేమ, నమ్మకం (విశ్వాసం) మొ॥గు మంచి గుణాలతో బాధలను, కష్టాలను లెక్కచేయక ధైర్యంతో జీవితం పట్ల ఆశతో నివసిస్తూ జీవితాన్ని సుఖమయం చేసుకుంటాను.)
प्रश्न 4.
कवयित्री ने जीवन का साथी किसे बताया है? और क्यों ?
(కవయిత్రి జీవిత మిత్రునిగా ఎవరిని చెప్పింది ? ఎందుకు ?)
उत्तर :
मानव जीवन अति मूल्यवान है। सच्चा मानव दुःखों की परवाह न करते हुए सुख की आशा में ही जीवन बिताता है। इसलिए कवयित्री विश्वास, प्रेम, साहस, उत्साह, उल्लास आदि महान गुणों से रहती थी। उन्होंने तो आशा को ही अपना साथी बना लिया। क्योंकि जीवन तो आशा से ही गुज़ारा जाता है।
(మానవ జీవితం మిక్కిలి విలువైనది. అసలైన మానవుడు దుఃఖములను లక్ష్యపెట్టక సుఖమును పొందే ఆశతోనే జీవితాన్ని గడుపుతాడు. ఇందువలన కవయిత్రి నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యము, ఉత్సాహము, ఉల్లాసము వంటి గొప్ప గుణములు కలిగి ఉన్నది. ఆమైతే ఆశనే తన జీవిత మిత్రునిగా చేసుకున్నది. ఎందుకంటే జీవితం ఆశతోనే గడపబడుతుంది.)
आ. ‘मेरा जीवन’ कबिता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(“మేరా జీవన్” కవితా సారాంశమును స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
आधुनिक हिन्दी की प्रमुख कवयित्री हैं श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान। आप हिन्दी की राष्ट्रीय कवयित्री हैं। प्रस्तुत “मेरा जीवन” आपकी लिखी प्रभावशाली कविता है। इसमें कवयित्री ने यह संदेश दिया कि लक्ष्य साधना की राह में खुश रहते सदा सुखमय जीवन बिताना है।
कवयित्री कहती हैं – अपने पूरे जीवन में मैं ने हँसना ही सीखा है। अर्थात् मैं ने सुखमय जीवन ही बिताया है। रोना या दुःखी होना मैं नहीं जानती। मेरे जीवन में सदा सुख रूपी सोना ही बरसा करता था। अर्थ है कि मैं सदा प्रसन्न रहती थी। पीडा कैसी होती है यह मैं जानती ही नहीं। मेरे सुखदायी जीवन में चिंता का महत्व ही नहीं रहा।
मैं सुनती हूँ कि यह जग (संसार) तो सारहीन है। लेकिन वह तो मुझे सुख सार ही दिखाता है। माने मुझे सुख पहुँचानेवाला ही है। मेरी आँखों के सामने हमेशा सुख रूपी समुद्र लहराता ही रहा। मेरे जीवन में सदा उत्साह और उमंग ही रहे। मेरा दिल तो हमेशा मतवाले होकर विजय की खुशी में हँसता रहा। माने मेरा दिल विजय के उल्लास से नाच उठा।
मानव जीवन में आशा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि आशा ही सुखमय जीवन का प्रथम सोपान है। आशा ही मानव को लक्ष्य साधना की ओर आगे बढने की प्रेरणा देती है। ऐसी प्रभावशाली आशा मेरे जीवन को हर पल प्रकाशित करती रहती है। मेरी असफलता रूपी संपत्ति सुनहरे धागे से घेरी हुयी है। अर्थ है कि असफलता मुझ पर कभी प्रभाव डाल न सकी। मेरे चारों ओर सुख रूपी सुनहरे बादल ही छाये रहते हैं। क्योंकि सुख के साथी भरोसा, प्यार, धीरज मेरे जीवन के साथ रहे।
इ. इस कविता को “आत्मकथा” के रूप में लिखिए।
(ఈ కవితను ఆత్మకథ రూపంలో వ్రాయండి)
उत्तर :
मेरा जीवन
मैं हँसना सीखा है। मैं रोना नहीं जानती है। मेरे जीवन में हर क्षण सोना बरसा करता है। “पीडा कैसी होती है” ? – इसे मैं अब तक जान न पाई हूँ। मेरे हँस-हँस जीवन में चिंता क्रीड़ा कैसी करती है ?
मैं इस जग के बारे में असार सुनती हूँ। लेकिन यह जग मुझे सुख सार दिखाता है। सदा मेरे आँखों के सामने सुख का सागर ही लहराता है मेरे जीवन में उत्साह और उमंग सदा (निरंतर) रहते हैं। मेरे मतवाले मन में उल्लास और विजय हँसते रहते हैं।
मेरे जीवन को प्रतिक्षण आशा से आलोकित करती रहती हूँ। हमेशा मुझे सुख भरे सुनहरे बादल घेरे रहते हैं। मेरे जीवन के साथी हैं विश्वास, प्रमे और साहस।
నా జీవితం
(నేను నవ్వడం నేర్చుకున్నాను. నాకు ఏడవడం అంటూ తెలీదు. నా జీవితంలో ప్రతి క్షణం బంగారం కురుస్తుంది. బాధ అంటే ఏమిటో నాకు ఇప్పటివరకు తెలీదు. నా నవ్వుల జీవితంలో దిగులు అనే ఆట ఎందుకు ఉంటుంది?
నేను ఈ ప్రపంచాన్ని గురించి సారహీనమైనదని విన్నాను. కానీ ఈ ప్రపంచం నాకు సుఖ సారాన్ని చూపుతోంది. ఎల్లప్పుడూ నా కనుల ముందు సుఖసాగరమే ఎగసిపడుతోంది. నా జీవితంలో ఉత్సాహం, ఉల్లాసం నిరంతరం ఉంటాయి. నా మత్తెక్కిన మనస్సు ఎల్లప్పుడూ ఉత్సాహం, విజయాలతో నవ్వుతూ ఉంటుంది.
నేను నా జీవితంలో ప్రతిక్షణం ఆశతోనే జీవిస్తాను. ఎల్లప్పుడు నన్ను సుఖమైన బంగారు వలయాలు చుట్టుముట్టుతూ ఉంటాయి. విశ్వాసం (నమ్మకం), ప్రేమ, సాహసం అనేవే నా జీవిత స్నేహితులు.)
ई. विश्वास, प्रेम और साहस का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। इस पर अपने विचार लिखिए।
(నమ్మకం, ప్రేమ మరియు సాహసం అనే వాటికి మన జీవితంలో గొప్ప మహత్యం కలదు. దీనిపై మీ అభిప్రాయాన్ని వ్రాయండి.)
उत्तर :
विश्वास : विश्वास से हमारा जीवन सफल बनता है। हर एक आदमी को अपने पर, बंधु बांधवों पर मित्रों पर अवश्य विश्वास रखना चाहिए। विश्वास के बिना हम निश्चिंता से जीवित नहीं रह सकते। हर काम पर हमें ज़रूर विश्वास रखना चाहिए। विश्वास हमें जीवन में आगे बढ़ाता है। अविश्वास तो हमारे जीवन का रोकडा है।
प्रेम : हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश या अंग प्रेम ही है। प्रेम के बिना भी हम जीवित नहीं रह सकते। हर एक को अपने ऊपर, अपने परिजनों के ऊपर, अपने परिवार के ऊपर, अपने पुत्र तथा पत्नी आदि के ऊपर प्रेम अवश्य रहता है। प्रेम के बिना जीवन असार तथा सून लगता है। प्रेम के सहारे हम कुछ कर सकते हैं। प्रेम के बिना कुछ नहीं कर सकते। प्रेम जीवन देता है। प्रेम दूसरों को जिलाता है।
साहस : हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश साहस है। यह जीवन में महत्वपूर्ण स्थान पाता है। साहस हमें आगे बढ़ाता है। साहसवाला हर एक काम पूरा करके विजय पाता है। साहस के बिना हम कुछ नहीं कर सकते। साहस के सहारे ही हम हर क्षेत्र में सफलता पा सकेंगें। इसीलिए कहा गया है कि साहस और धैर्य ही लक्ष्मी है।
(నమ్మకం: నమ్మకం వలననే మన జీవితం విజయవంతమవుతుంది. ప్రతి మనిషికి తనపైన, తన బంధువులపైన, తన మిత్రులపైన తప్పనిసరిగా నమ్మకం ఉండాలి. నమ్మకం లేకపోతే మనం నిశ్చింతగా జీవించలేం. ప్రతి పనిపైన మనకు తప్పనిసరిగా నమ్మకం ఉండాలి. నమ్మకం మనల్ని జీవితంలో ముందుకు నడుపుతుంది. అపనమ్మకం అనేది మన జీవితానికి అవరోధం.
ప్రేమ : మన జీవితంలో మరియొక అవసరమైన అంశం ప్రేమ: ప్రేమ లేకుండా కూడా మనం జీవించలేము. ప్రతి వ్యక్తికి తనపైన, తనవారిపైన, తన కుటుంబంపైన, తన పుత్రులు, తన భార్యపైన తప్పనిసరిగా ప్రేమ ఉండాలి, ఉంటుంది. ప్రేమ లేకుండా జీవితం నిస్సారంగా, శూన్యంగా ఉంటుంది. ప్రేమతో మనం ఏమైనా సాధించగలం. ప్రేమ లేకుండా ఎవరూ ఏమీ సాధించలేరు. ప్రేమ జీవితాన్ని ఇస్తుంది. ప్రేమ ఇతరులను బ్రతకనిస్తుంది.
సాహసం : మన జీవితంలో మరియొక అవసరమైన అంశం. ఇది జీవితంలో గొప్ప స్థానాన్ని ఆక్రమిస్తుంది. సాహసం మనల్ని ముందుకు నడుపుతుంది. సాహసవంతుడు ప్రతి పనిని పూర్తిచేసి విజయాన్ని పొందుతాడు. సాహసం లేకుండా మనం ఏమీ చేయలేం. సాహసంతోనే మనం ఏ రంగంలోనైన విజయాన్ని పొందగలం. అందువల్లనే సాహసమే ధైర్యమే లక్ష్మీ అని చెప్పబడినది.)
भाषा की बात (భాషా విషయము) :
अ. निम्न शब्दों पर ध्यान दीजिए। (క్రింది శబ్దములను గమనించండి.)
सुख का सार = सुख सार
సుఖము యొక్క సారము = సుఖసారము
बिना किसी अंतर के = निरंतर
ఎట్టి అంతరము లేకుండా = నిరంతరము
हर एक क्षण = प्रतिक्षण
ప్రతి ఒక్క క్షణము = ప్రతి క్షణము
सुख और दुःख = सुख दुःख
సుఖము, దుఃఖము = సుఖ దుఃఖాలు
जो कानों को मधुर लगें = कर्णमधुर
చెవులకు ఇంపైనది = కర్ణ మధురము
इस तरह दो या उससे अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द को समास कहते हैं।
(ఈ విధముగ రెండు లేక అంతకన్నా ఎక్కువ శబ్దముల కలయికతో ఏర్పడిన శబ్దమును సమాసము అందురు.)
समास के प्रकार : సమాస భేదములు
उत्तर :
आ. नीचे दिये गये शब्दों को सामासिक रूप में बताइए।
(దిగువ ఇవ్వబడిన శబ్దముల సామాసిక రూపములు తెలపండి.)
उत्तर :
इ. विश्वास, साहस, निरंतर इन शब्दों के वाक्य प्रयोग कीजिए।
(విశ్వాస్, సాహస్, నిరంతర్ ఈ పదాలకు వాక్యప్రయోగం చేయండి.)
उत्तर :
1. विश्वास : विश्वास से हमारा जीवन सफल बनता हैं।
2. साहस : हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश साहस है।
3. निरंतर : निरंतर अध्ययन करना अच्छा है।
ई. ऊपर दिये गये शब्दों के विग्रह कीजिए।
उत्तर :
1. विश्वास : दृढ संकल्प
2. साहस : हिम्मत से आगे बड़ना।
3. निरंतर : हमेशा / सदा.
परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :
कोई एक प्रेरणादायक कविता का संकलन कीजिए।
(ఏదైన ఒక ప్రేరణనిచ్చే కవితను సంకలనం చేయండి.)
उत्तर :
देव ! तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं,
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग के लाते हैं।
धूम-धाम से, साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं।
मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुएँ लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी, जो कुछ साथ नहीं लायी,
फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने को आयी।
धूप-दीप, नैवेद्य नहीं है, झाँकी का श्रृंगार नहीं,
हाय, गले में पहनाने को, फूलों का भी हार नहीं।
स्तुति कैसे करूँ तुम्हारी, स्वर में है माधुर्य नहीं,
मन का भाव प्रकट करने को, वाणी में चातुर्य नहीं।
नहीं दान है, नहीं दक्षिणा, खाली हाथ चली आयी,
पूजा की भी विधि न जानती, फिर भी नाथ चली आयी।
पूजा और पुजापा प्रभुवर! इसी पुजारिन को समझो,
दान-दक्षिणा और निछावर इसी भिखारिन को समझो।
मैं उन्मत्त प्रेम की लोभी, हृदय दिखाने आयी हूँ,
जो कुछ है बस यही पास है, इसे चढ़ाने आयी हूँ।
चरणों में अर्पित है, इसको चाहो तो स्वीकार करो,
यह तो ‘वस्तु तुम्हारी ही है, ठुकरा दो या प्यार करो।
प्रश्न-II
प्रश्न 1.
कवयित्री ने खुशहाल जीवन का क्या कारण बताया है ?
(కవయిత్రి సుఖమయ జీవితానికి కారణము ఏమని చెప్పింది?)
उत्तर :
खुशहाल जीवन तो सौभाग्य और अपने साहस, प्यार, विश्वास आदि अच्छे गुणों से प्राप्त होता है। बाधाओं और कष्टों की परवाह न करते हुए धीरज के साथ जीवन के प्रति आशा से रहना ही कवयित्री ने खुशहाल जीवन का कारण बताया है।
సుఖమయ జీవితం, అదృష్టము మరియు తన ధైర్యము, ప్రేమ, నమ్మకము వంటి మంచి గుణముల వలననే లభిస్తుంది. బాధలను, కష్టాలను లక్ష్యపెట్టక ధైర్యంగా, జీవితమంటే ఆశను కలిగి ఉండటమే కవయిత్రి సుఖమయ జీవితానికి కారణము అని చెప్పినది.)
प्रश्न 2.
कवयित्री ने अपनी कविता में आशावादी भावना कैसे उभारी है?
(కవయిత్రి తన కవితలో ఆశావాద భావమును ఎట్లు తెలిపింది?)
उत्तर :
मानव जीवन में आशा का महत्वपूर्ण स्थान है। बिना आशा के या निराशा से मानव जीवन खुशहाल नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन के प्रति विश्वास रखते, आशावादी होकर, कष्टों को हँसते सहकर, धैर्य और विश्वास के साथ जीवन बिताना है। यही आशावादी भावना कवयित्री ने इस कविता में उभारी है।
(మానవ జీవితంలో ఆశకు గొప్ప స్థానము ఉన్నది. ఆశ లేకుండా నిరాశతో మానవ జీవితము సుఖమయము కాజాలదు. ఇందువలన జీవితమంటే నమ్మకం కలిగి ఉండి, ఆశావాదిగా మారి, కష్టాలను నవ్వుతూ సహించి, ధైర్యము, విశ్వాసంతో జీవితం గడపాలి. ఈ ఆశావాద భావననే కవయిత్రి ఈ కవితలో తెలిపింది.)
समास के भेद : (సమాస భేదములు)
प्रश्न 1.
अव्ययीभाव समास (అవ్యయీభావ సమాసము)
जिस समास का पहला खंड प्रधान हो, वह अव्ययीभाव समास होता है। साधारण रूप से पहला खंड अव्यय होता है।
(మొదటి పదము (అవ్యయము) ప్రధానముగా ఉండు సమాసమును అవ్యయీభావ సమాసము అంటారు.)
उदा : प्रतिक्षण, निरंतर, प्रत्येक
2. कर्मधारय समास : (కర్మధారయ సమాసము )
जिस समास के दोनों पदों में से एक पद विशेषण होता है और दूसरा विशेष्य उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
(ఒక పదము విశేషణము, రెండవ పదము విశేష్యముగా ఉండు సమాసము కర్మధారయ సమాసము.) उदा : घनश्याम, नील कमल स्वर्ण सूत्र, सुनहले बादल।
3. तत्पुरुष समास : (తత్పురుష సమాసము)
जिस समास में उत्तर पद (दूसरा या अंतिम पद) प्रधान हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
(ఉత్తర పదము (రెండవ పదము) ప్రధానముగా ఉండు సమాసమును తత్పురుష సమాసము అందురు.)
उदा: सुखसार, सुख सागर, वनवास
4. द्वंद्व समास (ద్వంద్వ సమాసము) जिस समास में दोनों खंड प्रधान होते हैं और विग्रह करने में जिसमें
‘और’ या ‘अथवा’ लगता है, उसे द्वंद्वं समास कहते हैं।
(రెండు పదములు ప్రధానములై ఉండు సమాసమును ద్వంద్వ సమాసము అందురు. సమాసములోని పదములు )
उदा : माता पिता, दिन रात, सुख दुःख
5. द्विगु समास : (ద్విగు సమాసము) जिसमें पूर्व पद संख्यावाचक होता है और जिसके समस्त पद किसी समूह का बोध करता है।
(పూర్వపదము సంఖ్యను సూచించును మరియు సమస్తపదము సమూహమును సూచించును.)
उदा : चौराहा, त्रिभुज, दुपहर
6. बहुव्रीहि समास : (బహువ్రీహి సమాసం) जिस समास में दोनों खंड प्रधान न हो और समस्त पद अपने पदों से भिन्न अन्य संज्ञा का बोधक हो, उसे “बहुव्रीहि समास कहते हैं।
(సమాసములోని రెండు పదములు అప్రధానములై ఉండును. విగ్రహ వాక్యములలో రెండు పదములకు సంబంధం లేని ఇతర నామవాచక శబ్దమును సూచించిన దానిని బహువ్రీహి సమాసము అందురు.).
उदा : पंकज, गोपाल, पीताबंर, अनंग
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया :
पठित पद्यांश
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
I. मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा॥
प्रश्न :
1. उपर्युक्त पद्यांश की कवयित्री कौन है ?
2. कवयित्री के जीवन में पल पल पर क्या बरसा करता है?
3. कवयित्री क्या नहीं जानती है ?
4. कवयित्री ने क्या सीखा है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
उत्तर :
1. उपर्युक्त पद्यांश की कवयित्री हैं श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान।
2. कवयित्री के जीवन में पल पल पर सोना बरसा करता है।
3. कवयित्री “पीडा कैसी होती है” – इसे नहीं जानती है।
4. कवयित्री ने हँसना सीखा है।
5. उपर्युक्त पद्यांश ‘मेरा जीवन’ नामक पाठ से लिया गया है।
II. मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा॥
प्रश्न :
1. कवयित्री अब तक क्या जान न पाई ?
2. हँस हँस जीवन में कौन-सी क्रीडा नहीं होती ?
3. ‘पल’ शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
4. हँस शब्द का विलोम शब्द क्या है ?
5. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर :
1. कवयित्री अब तक यह जान ना पाई कि “पीडा कैसी होती है?”
2. हँस हँस जीवन में चिंता क्रीडा नहीं होती।
3. ‘पल’ शब्द का पर्याय शब्द है “क्षण।
4. हँस शब्द का विलोम शब्द है “रोना”।
5. उपर्युक्त पद्यांश ‘मेरा जीवन’ पाठ से लिया गया है।
III. आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
प्रश्न :
1. कवयित्री के जीवन को प्रतिक्षण क्या अलोकित करती है?
2. कवयित्री को कैसे बादल घेर कर रहते हैं?
3. कवयित्री के साथी कौन है ?
4. कवयित्री की असफलता के धन किस सूत्र में वलयित है ?
5. इस पद्यांश की कवयित्री कौन है ?
उत्तर :
1. कवयित्री के जीवन को आशा आलोकित करती है।
2. कवयित्री को सुनहरे बादल घेर कर रहते हैं।
3. विश्वास, प्रेम, साहस आदि कवयित्री के साथी हैं।
4. कवयित्री की असफलता के धन स्वर्ण सूत्र से वलयित है।
5. इस पद्यांश की कवयित्री है श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान।
IV. जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख सार दखाता।
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से।
प्रश्न :
1. जग के बारे में कवयित्री क्या सुनती है ?
2. कवयित्री के जवीन में निरंतर क्या क्या रहते हैं ?
3. कवयित्री के मतवाले मन से क्या हँसता है ?
4. कवयित्री को जग कैसा दिखाता है?
5. इस पद्य की कवयित्री कौन है ?
उत्तर :
1. जग के बारे में कवयित्री यह सुनती है कि यह जग असार है।
2. कवयित्री के जीवन में निरंतर उत्साह और उमंग रहते हैं।
3. उल्लास विजय का हँसता है।
4. कवयित्री को जग सुख सार जैसा दिखाता है।
5. इस पद्य की कवयित्री श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।
V. मैंने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा॥
आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
प्रश्न :
1. किसके जीवन में आशा आलोकित करती है ?
2. मैं ने हँसना सीखा है – यहाँ “मैं ने” कौन है ?
3. कवयित्री के जीवन में – पल पल पर क्या बरसा करता है
4. यह पद्यांश किसं पाठ से दिया गया है ?
5. प्रेम शब्द का पर्याय लिखिए।
उत्तर :
1. कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी के जीवन में आशा आलोकित करती है।
2. मैं ने हँसना सीख है। यहाँ “मैं ने” सुभद्रा कुमारी चौहान (कवयित्री) जी है।
3. कवयित्री के जीवन में पल पल सोना बरसा करता है।
4. ये पद्यांश “मेरा जीवन” नामक पद्य पाठ से दिया गया है।
5. प्रेम शब्द का पर्याय है प्यार / मोहब्बत।
अपठित पद्यांश :
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
1. सूर्य बने मधु का विक्रेता, सिंधु बने घट, जल हाला
बादल बन बन आये साकी, भूमि बने मधु का प्याला।
झडी लगाकर बरसे मदिरा रिमझिम – रिमझिम – रिमझिम कर,
बेलि, बिटप, तृण बन मैं पीऊँ, वर्षा – ऋतु हो मधुशाला।
प्रश्न :
1. मधु के विक्रेता कौन बने हैं ?
2. मधु का प्याला क्या बना है ?
3. मैं क्या बनकर पीऊँ?
4. झडी लगाकर रिमझिम रिमझिम रिमझिम कर क्या बरसा ?
5. सिंधु क्या बना है?
उत्तर :
1. मधु के विक्रेता सूर्य बने हैं।
2. मधु का प्याला भूमि बना है।
3. बेलि, बिटप, तृण बनकर पीऊँ।
4. मदिरा बरसा है।
5. सिंधु घट बना है।
II. मित्रता बडा अनमोल रतन
कब इसे तोल सकता है धन ?
धरती की तो है क्या बिसात ?
आ जाय अगर वैकृण्ट हाथ,
उसको भी न्यौछावर कर दूँ,
कुरुपति के चरणों पर धर दूँ।
प्रश्न :
1. बडा अनमोल रतन क्या है?
2. कभी भी धन से किसे नहीं तोल सकते ?
3. कुरुपति कौन है ?
4. धरती शब्द का पर्याय शब्द क्या है ?
5. कर्ण किसे धर देना चाहते हैं ?
उत्तर :
1. बड़ा अनमोल रतन मित्रता है।
2. कभी भी धन से मित्रता को तोल नहीं सकते।
3. दुर्योधन कुरुपति है।
4. धरती शब्द का पर्याय शब्द है “पृथ्वी”।
5. कुरुपति के चरणों पर कर्ण अगर वैकुंठ आ जाने पर उसे धर देना चाहते हैं।
III. चरण कमल बंदौ हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे, अंधे को सब कुछ दरसाई॥
बहिरौ सुनै मूक पनिबोलै, रंक चलै सिर छत्र धराई।
सूरदास स्वामी करुणामय, बार बार बन्दौ तेहि पाई॥
प्रश्न :
1. कमल जैसा चरण वाला कौन है ?
2. सूरदास का स्वामी कैसा है ?
3. किनकी कृपा से लंगडा गिरि को लांघता है ?
4. भगवान हरि की कृपा से मूक क्या कर सकता है ?
5. “बंदौ ” शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर :
1. हरि कमल जैसा चरण वाला है। (या) कमल जैसा चरण वाला हरि है।
2. सूरदास का स्वामी करुगामय है।
3. हरि की कृपा से लंगडा गिरि को लाँघता है।
4. भगवान हरि की कृपा से मूक बोल सकता है।
5. बंदौ शब्द का अर्थ है : ” वंदन”
IV. भेद भाव अपने दिल से, साफ़ कर सकें
दूसरों से भूल हों तो, माफ़ कर सकें
झूठे से बचे रहें सच का दम भरें
दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें॥
प्रश्न :
1. अपने दिल से क्या साफ़ कर सकें ?
2. हम किस से बचे रहते हैं ?
3. हम दूसरों के किन्हें माफ़ कर सकें ?
4. दूसरों की जय से पहले किसकी जय करें?
5. हम सदा किसका दम भर सकेंगे ?
उत्तर :
1. अपने दिल से भेद भाव को साफ़ कर सकें।
2. हम झूठ से बचे रहते हैं।
3. हम दूसरों के भूलों को माफ़ कर सकते हैं।
4. दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें।
5. हम सदा सच का दम भर सकेंगे।
उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :
कविता के प्रति रुचि रखते काव्य सृजन का प्रयास करना।
लक्ष्य की राह में खुशहाल, सुखी जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा पाना।
(కవితల పట్ల అభిరుచి కలిగి కావ్య సృజన కొరకు ప్రయత్నించుట.
లక్ష్య సాధన మార్గములో సుఖమయ జీవనము గడిపెడి ప్రేరణ ఇచ్చుట.)
शब्दार्थ – भावार्थ :
1. मैंने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान नपाई, कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे, करती हैं चिंता क्रीड़ा।।
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :
- हँसना = నవ్వుట, to laugh
- रोना = ఏడ్చుట, to cry
- बरसना = కురీయుట, raining
- पल = క్షణము, second
- सोना = బంగారము, gold
- पीडा = బాధ, pain
- चिंता = దిగులు, worry
भावार्थ : आधुनिक हिन्दी की ! प्रमुख। कवयित्री हैं श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान। आप हिन्दी की राष्ट्रीय कवयित्री हैं। प्रस्तुत “मेरा जीवन” आपकी लिखी प्रभावशाली कविता है। इसमें कवयित्री ने यह संदेश दिया कि लक्ष्य साधना की राह में खुश रहते सदा सुखमय जीवन बिताना है।
कवयित्री कहती हैं अपने पूरे जीवन में मैं ने हँसना ही सीखा है। अर्थात् मैं ने सुखमय जीवन ही बिताया है। रोना या दुःखी होना मैं नहीं जानती। मेरे जीवन में सदा सुख रूपी सोना ही बरसा करता था। अर्थ है कि मैं सदा प्रसन्न रहती थी। पीडा कैसी होती है यह मैं जानती ही नहीं। मेरे सुखदायी जीवन में चिंता का महत्व ही नहीं रहा।
భావార్థము : ఆధునిక హిందీలో శ్రీమతి సుభద్రా కుమారి చౌహాన్, గొప్ప కవయిత్రి. ఈమె జాతీయ కవయిత్రి. “మేరా జీవన్” ఈమె వ్రాసిన ప్రతిభా వంతమైన కవిత. లక్ష్యసాధన మార్గంలో సంతోషంగా ఉంటూ ఎల్లప్పుడూ సుఖమయ జీవితాన్నే గడపాలని కవయిత్రి ఈ కవితలో సందేశం ఇచ్చారు. నా సంపూర్ణ జీవితంలో నేను ఎప్పుడూ నవ్వడమే (సంతోషంగా ఉండడమే) నేర్చుకున్నాను. అంటే నేను సుఖమయ జీవితాన్నే గడిపాను. ఏడ్వడం గాని, దుఃఖించడంగాని నేను ఎరుగను. నా జీవితంలో సదా సుఖకర స్థితి ఉన్నది.
2. जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख – सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले
मन से।
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :
- जग = ప్రపంచము, world
- असार = సారము లేన, insubstantial
- दिखाना = చూపించుట, to show
- सागर = సముద్రము, the sea
- लहराना = అలలు ఉప్పొంగుట, to ripple
- उमंग = ఆశ, ambition
- मतवाला = మత్తెక్కిన, intoxicated
भावार्थ : (कवयित्री कहती हैं) मैं सुनती हूँ कि यह जंग (संसार) तो सारहीन है। लेकिन वह तो मुझे सुख सार ही दिखाता है। माने मुझे सुख पहुँचानेवाला ही है। मेरी आँखों के सामने हमेशा सुखरूपी समुद्र लहराता ही रहा। मेरे जीवन में सदा उत्साह और उमंग ही रहे। मेरा दिल तो हमेशा मतवाले होकर विजय की खुशी हँसता रहा। माने मेरा दिल विजय के उल्लास से नाच उठा।
భావార్థము: : ఈ ప్రపంచం నిస్సారమైనదని నేను -వినుచున్నాను. కాని అదైతే నాకు సుఖసారాన్నే చూపుతున్నది. అనగా నాకు సుఖాన్ని కలిగించేది. నా కన్నుల ముందు సదా సుఖమనే సముద్రము ఉప్పొంగుచూనే ఉన్నది. నా జీవితములో ఎల్లప్పుడూ మనస్సు సదా విజయపు ఆనందంతో నవ్వుతూనే ఉంది. అనగా నా మనస్సు విజయోల్లాసంతో నాట్యము చేసింది.
3. आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है. स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :
- आल्लोकित करना = ప్రకాశింపచేయుట, lightened
- वलयित = చుట్టబడిన, encircled
- असफलता = విఫలత్వము, failure
- सुनहरा = బంగారపువన్నె గల, golden
- घेरना =చుట్టూ చేరుట, to surround
- साथी = చెలికాడు, campanion
भावार्थ : (कंवयित्री कहती हैं कि) मानव जीवन में आशा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि आशा हीं सुखमय जीवन का प्रथम सोपान है। आशा ही मानव को लक्ष्य साधना की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। ऐसी प्रभावशाली आशा मेरे जीवन को हर पल प्रकाशित करती रहती है। मेरी असफलता रूपी संपत्ति सुनहरे धागे से घेरी हुयी है। अर्थ है कि असफलता मुझ पर कभी प्रभाव डाल न सकी। मेरे चारों ओर सुख रूपी सुनहरे बादल ही छाये रहते हैं। क्योंकि सुख के साथी भरोसा, प्यार, धीरज, मेरे जीवन के साथ रहे।
‘భావార్థము : మానవ జీవితంలో ఆశకు చాలా గొప్ప స్థానము ఉన్నది. ఎందుకంటే ఆశే సుఖమయ జీవితపు మొదటి మెట్టు. ఆశే మానవుడిని లక్ష్య సాధనకై ముందుకు సాగెడి ప్రేరణ కలిగిస్తుంది. అట్టి ప్రభావశాలియైన ఆశ నా జీవితాన్ని ప్రతి క్షణం ప్రకాశింపచేస్తూనే ఉన్నది. నా అసఫలత్వపు సంపద బంగారపు త్రాటితో చుట్టబడి ఉన్నది. అసఫలత్వము ఎన్నడూ నాపై ప్రభావం చూపలేకపోయిందని దీని అర్ధము. నా నలువైపులా సుఖకర బంగారు వన్నెగల మేఘాలు వ్యాపించి ఉన్నాయి. ఎందుకంటే సుఖమునకు మిత్రులైన నమ్మకము, ప్రేమ, ధైర్యము నా జీవితంలో తోడున్నాయి.