TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 10 with Solutions

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TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 10 with Solutions

Time : 3 Hours
Maximum Marks: 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड – ‘क’
(60 अंक)

1. निम्न लिखित किसी एक दोहे का भावार्थ लिखिए । 1 × 6 = 6

रात गँवाई सोथ करि, दिवस गँवाये खाय ।
हीरा जनम अमोल था, कौडी बदले जाय ॥

उत्तर:
भावार्थ : कबीरदास इस दोहे में “समय का महत्व” के बारे में बता रहे हैं । जो व्यक्ति इस संसार में बिना कोई कर्म किए पूरी रात को सोते हुए और सारे दिन को खाते हुए ही व्यतीत कर देता है, वह अपने हीरे तुल्य अमूल्य जीवन को कौडियों के भाव व्यर्थ ही गवा देता है । समय एक बार अपने हाथ से छूट जाए तो फिर वापस कभी नही आता । इसलिए इस जीवन में समय को व्यर्थ न कीजिए ।

(अथवा )

तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान ।
पाप पुण्य दोउ बीज है, बुवै सो लुनै निदान ।।
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास इस दोहे में “नीति की बात” हमें बता रहे हैं । तुलसीदास जी कहते है कि हमारा शरीर खेत के समान है और मन किसान के समान है । पाप – पुण्य दो बीज हैं, जो बोया जाता है उसी को प्राप्त करना पड़ता है । हम अपने मन में पाप के बारे में सोचकर पाप कार्य करे तो हम पापात्मा बनते है । अगर इसके विपरीत पुण्य कार्य करे तो पुण्यात्मा बनते है । लोग हमें आदर से देखकर इज्जत करते है ।

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2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) समता का संवाद
उत्तर:
समता का संवाद कविता श्री मैथिलिशरण गुप्त के द्वारा लिखी गयी है । इसमें भारत के सभी धर्मो, संस्कृतियों, आचार-विचारों को समान रूप से दिखाकर देश में एकता स्थापित किया गया है। हमारा देश भारत माता का मंदिर है। हम सब उनके संतान है । सबलोग मिलकर सुख दुखों को बाँट देंगे और सब में शत्रुता छोड़कर प्रेम की भावना को फैलाएँगे । भारत माता के लिए जपगान करेंगे और उनके प्रति हमारा कर्तव्य निभाएँगे । इससे हमसब का कल्याण होगा और हम सब की इच्छाएँ पूरी जाएँगी ।

(2) दानबल
उत्तर:
दान बल कविता रश्मिरथी नामक काव्य के चतुर्थि सर्ग से लिया गया है । उसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जो है | इसमें कवि दानकी महानता, उसकी सहजता और समय पर दान देने पर बल देते है । इसके लिए वे वृक्ष अपना फल त्यागने से ही स्वस्थ रहती है और उस फल की बीजों से नये पौधा उत्पन्न होते है । नदि पानी को देकर दूसरे को जीवन देती है और उसके पानी भाष्प बन्कर फिर बरसकर नदी मे ही मिल जाता है दान देना एक सहज प्रवृती है । समय पर देने से उसकी महानता रहती है। मरने के बाद देने से कोई फल नही मिलता । इसलिए दान – बल सबके लिए आवश्यक है ।

3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) शिष्टाचार
उत्तर:
लेखक परिचय : ‘शिष्टाचार’ निबंध का लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ है । आप ‘समीर’ उपनाम से साहित्यक रचनाएँ करते थे । इनका सबसे बड़ा योगदान अवधी भाषा में निर्मित ‘अवधी शब्द कोश’ था । आज भी हिंदी की उपभाषा अवधी से संबंधित किसी भी रचना को अच्छी तरह से समझने केलिए इस शब्दकोश का उपयोग किया जाता है । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं।

सारांश : ‘शिष्टाचार’ दो शब्दों ‘शिष्ट’ एवं ‘आचार’ के मेल से बना है। शिष्ट का अर्थ होता है ‘सभ्य, उचित अथवा सही’ तथा आचार का अर्थ होता है – ‘व्यवहार’ । व्यक्ति को हर समय इस बात ध्यान रखना चाहिए कि वह किससे बात कर रहा है, कहाँ बात कर रहा है एवं क्यों बात कर रहा है । सामान्य व्यवहार ही नही बातचीत करने के ढंग से भी व्यक्ति के व्यवहार का पता चल जाता है । इसलिए किसी भी बातचीत में शिष्टाचार के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए । यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अलग अलग समाजों में शिष्टाचार के नियम भिन्न – भिन्न है यद्यपि उनके आधार प्रायः समान ही हैं ।

शिष्टाचार का सबसे पहला गुण है विनम्रता । हमारी वाणी में, हमारे व्यवहार में विनम्रता घुली होनी चाहिए । इसलिए किसी बड़े के बुलाने पर ‘हाँ’, ‘अच्छा’, ‘क्या’ न कहकर ‘जी हाँ’ या ‘जी नहीं’ कहना चाहिए | किसी की बात का उत्तर ऐसे नहीं देना चाहिए कि सुननेवालों के लगे कि लट्ठ मारा जा रहा है | विनम्र केवल बड़ों के प्रति नही होती । बराबर वालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए। सभी से बोलते हुए हमारी वाणी में मिठास रहनी चाहिए, कटुता या कर्कशता नहीं । विनम्र केवल भाषा की वस्तु नहीं । हमारे कर्म में भी विनम्रता होनी चाहिए | अपने से बड़े व्यक्तियों के बैठ जाने के बाद ही हमें बैठना चाहिए। महिलाओं के प्रति हमारे व्यवहार में और भी विनम्रता का होना आवश्यक है । बस या रेल में किसी महिला को खड़ी देखकर अपनी सीट उन्हें बैठने केलिए दे देना शिष्ट आचरण है । बड़े लोगों के साथ चलते समय उनके आगे चलना भी अशिष्टता है। हाँ, उनकेलिए झट से आगे होकर दरवाज़ा खोल देना या राह दिखाना शिष्ट व्यवहार है ।

शिष्टाचार का दूसरा विशेष गुण है दूसरों की निजी बातों में दखल न देना । हर व्यक्ति का अपना एक निजी जीवन होता है । इसलिए हमें अकारण किसी से उसका वेतन, उम्र, जाति, धर्म आदि पूछने से बचना चाहिए । यदि कोई कुछ लिख रहा है, तो झाँक-झाँककर उसे पढ़ने की चेष्टा करना उजड्डपन कहा जाएगा। किसी के घर या दफतर जाने पर उसकी वस्तुओं को बिना पूछे उलटने पुलटमे लगना अशिष्टता है । किसी का नाम लेने या लिखने के पहले श्री श्रीमती या कुमारी लगाना अच्छी आदत है । कुछ लोग इनके स्थान पर पंडित, डॉक्टर, बाबू, लाला, मियाँ, मिर्ज़ा – जब जैसी आवश्यकता होती है । लगाते हैं । इसी तरह कुछ लोग नाम के बाद ‘जी’ लगाते हैं । यदि कोई कुछ कष्ट या असुविधा उठाकर हमारे लिए कोई काम करता है तो हमें उसके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य प्रकट करनी चाहिए । इसका सबसे सरल तरीका है उसे धन्यवाद देना । यदि बस या रेल में कोई अपनी जगह हमें बैठने केलिए देता है तो उसे धन्यवाद अवश्य देना चाहिए ।

शिष्टता का तीसरा आधार अनुशासन का पालन है । अनुशासन समाज के नैतिक नियमों का भी हो सकता है और कानून की धाराओं का भी । किसी मंदिर, गुरुद्वार या मस्जिद में जाने के पहले जूते उतार देना धार्मिक अनुशासन का पालन है। सड़क पर बाई ओर चलना या जहाँ जाना मना हो, वहाँ न जाना, कानून के अनुशासन का पालन है । हमें हर तरह के अनुशासनों का सामान्य ज्ञान होना ही चाहिए। जैसे किसी सभा में शोर मचाना अनुचित है । किसी वक्ता को अपनी बात कहने का मौका न देना अशिष्टता है । राष्ट्रगान के अवसर पर बैठे रहना या चलना या झूमना अशिष्ट व्यवहार है । जहाँ सब लोग बैठे हो वहाँ लेट जाना या पैर फैलाकर बैठना बहुत अनुचित है । अपने मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार केलिए अत्यंत आवश्यक है ।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि शिष्टाचार वह व्यवहार है जिसके करने पर दूसरों के तथा अपने मन को प्रसन्नता होती है। इसके विपरीत अशिष्ट व्यवहार से दूसरों का दिल दुखता है और उससे अंत में हानि भी होती है। एक बेहतरीन इसान अपनी जुबान से ही पेहचाना जाता है ।

विशेषताए : 1) बड़ों का आदर – सम्मान करना, अपने मित्रों एवं सहयोगियों के प्रति सहयोगात्मक श्वैया, छोटों के प्रति स्नेह की भावना, सकारात्मक विचारधारा, स्थान- विशेष के अनुकूल व्यवहार इत्यादि शिष्टाचार के उदाहरण है। शालीनता एवं विनम्रता शिष्टाचार के ही घटक हैं ।

2) सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान, किसी व्यक्ति से गाली-गलौज, अपने साथियों से अकड़कर बात करना, राह चलते किसी सेबिना वजह झगड़ना इत्यादि अशिष्ट आचरण के उदाहरण है । Good manners and soft words have brought many a difficult thing to pass.

(2) अपराजिता
उत्तर:
लेखिका परिचय : गौरा पंत हिन्दी की प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। वे ‘शिवानी’ उपनाम से लिखा करती थी । शिवानी ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन से बि.ए. किया । साहित्य और संगीत के प्रति एक गहरा रूझान ‘शिवानी’ को अपने माता और पिता से ही मिला । भारत सरकार ने सन् 1982 में उन्हें हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया । उनकी अधिकतर कहानियाँ और उपन्यास नारी प्रधान रहे । इसमें उन्होंने नायिका के सौंदर्य और उसके चरित्र का वर्णन बड़े रोचक ढंग से किया ।

सारांश : ‘अपराजिता’ नामक कहानी में लेखिका हमें ‘चंद्रा’ नामक एक युवती की जीवन के बारे में बतायी । ‘चंद्रा’ एक अपंग स्त्री है, जिन्होंने 1976 में माइक्रोबायोलाजी में डाक्टरेट मिली हैं । अपंग स्त्री पुरुषों में इस विषय में डॉक्टरेट पानेवाली डाँ. चंद्रा प्रथम भारतीय है। डाँ. चंद्रा के बारे में अपनी माँ इस प्रकार बता रही है कि “चंद्रा के बचपन में जब हमें सामान्य ज्वर के चौथे दिन पक्षाघात हुआ तो गरदन के नीचे सर्वांग अचल हो गया था । भयभीत होकर हमने इसे बडे – से बडे डाक्टर को दिखाया । सबने एक स्वर से कहा आप व्यर्थ पैसा बरबाद मत कीजिए आपकी संसार की कोई भी शक्ति इसे रोगमुक्त नही कर – में फिर भी माँ-बाप होने के नाते हम दोनों आशा पुत्री जीवन भर केवल गरदन ही हिला पायेगी ।

सकती’। चंद्रा के हाथों में न गति थी, न पैरों नही छोडी, एक आर्थीपैडिक सर्जन की बडी ख्याति सुनी थी, वही ले गये । वहा चंद्रा को एक वर्ष तक कष्टसाध्य उपचार चला और एक दिन स्वयं ही इसके ऊपरी धड़ में गति आ गयी । हाथ हिलने लगे, नन्हीं उँगलियाँ माँ को बुलने लगी । निर्जीव धड़ से ही चंद्रा को बैठना सिखाया | पाँच वर्ष की हुई, तो माँ ही इसका स्कूल बनी । चंद्रा मेधावी थी । बेंगलूर के प्रसिद्ध माउंट कारमेल में उसे प्रवेश मिली । स्कूल में पूरी कक्षाओं में अपंग पुत्री की कुर्सी की परिक्रमा उसकी माँ स्वयं करती । प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर चंद्रा ने स्वर्ण पदक जीते । बि.एस. सी किया । प्राणि शास्त्र में एम.एस.सी में प्रथम स्थान प्राप्त किया और बेंगलूर के प्रख्यात इंस्टिटयूट ऑफ साइंस में अपने लिए स्पेशल सीट अर्जित की। केवल अपनी निष्ठा, धैर्य एवं साहस से पाँच वर्ष तक प्रोफेसर सेठना के निर्देशन में शोधकार्य किया ।

सब लोग चंद्रा जैसी हँख मुख लडकी को देख अचरज हो जाते । लेखिका चंद्रा को पहली बार अपनी कोठी का अहाते में जुड़ा एक कोठी में कार से उतरते देखा । तो आश्चर्य से देखती ही रह गयी। ड्राइवर ह्वील चेयर निकालकर सामने रख दी, कार से एक युवती ने अपने निर्जीव निचले धड़ को बडी दक्षता से नीचे उतरता, फिर बैसाखियों से ही हवील चेयर तक पहुँच उसमें बैठ गयी। बड़ी तटस्थता से उसे स्वयं चलाती कोठी के भीतर चल गयी थी । छीरे-धीरे लेखिका को उससे परिचय हुवा। चंद्रा की कहानी सुना तो लेखिका दंग रह गयी । चंद्रा लेखिका को किसी देवांगना से कम नही लगी । चंद्रा विधाता को कभी निंदा नही करती | आजकल वह आई.आई.टी मद्रास में काम कर रही है। गर्ल गाइड में राष्ट्रपति का स्वर्ण काई पानेवाली वह प्रथम अपंग बालिका थी । यह नही भारतीय एंव प्राश्चात्य संगीत दोनों में उसकी समान रुचि है ।

डाँ. चंद्रा के प्रोफेसर के शब्दों में “मुझे यह कहने में रंच मात्र भी हिचकिटहट नही होती कि डॉ चंद्रा ने विज्ञान की प्रगति में महान योगदान दिया है । चिकितसा ने जो खोया है, वह -विज्ञान ने पाया है । चंद्रा के पास एक अलबम था । चंद्रा के अलबम के अंतिम पृष्ठ में है उसकी जननी का बड़ा सा चित्र जिसमें वे जे सी बेंगलूर द्वारा प्रदत्त एक विशिष्ट पुरस्कार ग्रहण कर रही हैं “वीर जननी का पुरस्कार” । लेखिका के कानों में उस अद्भुत साहसी जननी शारदा सुब्रह्मण्यम के शब्द अभी भी जैसे गूँज रहे हैं – ” ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नही करता । यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है” । इसलिए अपनी विपत्ति के कठिन क्षणों में विधाता को दोषी नही ठहराता ।

लेखिका चंद्रा जी के बारे में इस तरह कह रही है कि “जन्म के अठारहवे महीने में ही जिसकी गरदन से नीचे पूरा शरीर पोलियो ने निर्जीव कर दिया हो, इसने किस अद्भुत साहस से नियति को अंगूठा दिखा अपनी थीसिस पर डाक्टरेट ली होगी ? उसकी आज की इस पटुता के पीछे है एक सुदीर्घ कठिन अभ्यास की यातनाप्रद भूमिका” । स्वयं डाँ. चंद्रा के प्रोफेसर के शब्दों में “हमने आज तक दो व्यक्तियों द्वारा सम्मानित रूप में नोबेल पुरस्कार पाने के ही विषय में सुना था, किंतु आज हम शायद पहली बार इस पी. एच. डी के विषय में भी कह सकते हैं । देखा जाय तो यह डाक्टरेट भी संयुक्त रूप में मिलनी चाहिए डॉ. चंद्रा और उनकी अद्भुत साहसी जननी श्रीमति टी. सुब्रह्मण्यम को । लेखिका कहती है कि कभी सामान्य सी हड्डी टूटने पर था पैर में मोंच आ जाने पर ही प्राण ऐसे कंठगात हो जाते हैं जैसे विपत्ति का आकाश ही सिर पर टूट पड़ा है और इधर यह लड़की चंद्र को देखो पूरा निचला धड़ सुन्न है फिर भी कैसे चमत्कार दिखायी । सब लोग डॉ. चंद्र से बहुत सीखना है। कभी जीवन में निराश नही होना चाहिए। जितने भी कष्ट आने पर भी, सभी को हसते हुए झेलकर अपना मंजिल तक पहुँचना ही इस कहानी का उद्येश्य है ।

विशेषताएँ :

  1. आधुनिक होने का दावा करनेवाला समाज अब तक अपंगों के प्रति अपनी बुनियादी सोच में कोई खास परिवर्तन नहीं ला पाया है ।
  2. अधिकतर लोगों के मन में विकलांगों के प्रति तिरस्कार या दया भाव ही रहता है, यह दोनों भाव विकलांगों के स्वाभिमान पर चोट करते हैं ।
  3. अपंगों को शिक्षा से जोड़ना बहुत जरूरी है ।
  4. अपंगों ने तमाम बाधाओं पर काबू पा कर अपनी क्षमताएं सिद्ध की है ।
  5. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 27 अंदिसंबर को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक दिव्य क्षमता है और उनके लिए अपंग शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ।
  6. अपंत लोगों को केवल सहयोग चाहिए, सहानुभूति को भीख नहीं ।

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4. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए | 2 × 4 = 6

1) बाबा भारती का सुल्तान के प्रति लगाव कैसा था ?
उत्तर:
माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था । भगवद्-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता | बाबा भारती उसे ‘सुल्तान’ कहकर पुकारते, अपने हाथ से खरहरा करते, खुद दानना खिलाते और देख-देखकर प्रसन्न होते थे। “मैं सुल्तान के बिना नहीं रह सकूँगा, उन्हें ऐसी भ्रान्ति सी हो गई थी । खड्गसिंह उस घोड़े को हड़पने पर छोटे बच्चे जैसे रोता था । फ़िर सुल्तान को अंत में देखकर बेहद खुश हो जाता है ।

2) प्रदूषण को रोकने के कुछ उपाय लिखिए ?
उत्तर:
पृथ्वी ग्रह पर रहने वाले हर एक नागरिक केलिए ‘गो ग्रीन’ प्रेरणादायक वाक्य होना चाहिए । पर्यावरण पहले से ही बहुत प्रभावित हुआ है और हो चुके नुकसान की भरपाई करने का यह उपयुक्त समय हैं। जल संरक्षण, प्राकृतिक तरीके से सड़नशील पदार्थों का उपयोग, ऊर्जा की बचत करनेवाले उत्पादों को चुनना जैसे कुछ उपाय हैं जो हमारे पर्यावरण प्रदूषण को कम करनें में योगदान करने केलिए अपनाए जाने चाहिए ।

3) छोटू को सुरंग में जाने की अनुमति नहीं थी ? क्यों ?
उत्तर:
छोटू को सुरंग में जाने की इज़ाजत इसलिए नहीं थी, क्यों कि वह थोटा था । और यंत्रों की सुरक्षा के बारे में नहीं जानता था । आम व्यक्ति को सुरंग में जाने की मनाही थी । कुछ चुनिंदा लोगों को यह प्रशिक्षण दिया गया था । इस कारण छोटू को सुरंग में जाने की अनुमति नहीं थी ।

4) ध्यान चंद को ‘हाकी का जादूगर’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
26 मई 1928 को ध्यानचंद समेत कई खिलाड़ियों की तबीयत खराब थी। लेकिन उनके हौंसलों में किसी तरह की कमी नही थी। वो टीम वर्ल्ड चैम्पियन बन चुकी थी, जो उधार लेकर ओलंपिक खेलने आई थी । बर्लिन ओलंपिक में लोग मेरे हाँकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे हाँकी का जादूगर कहना शुरु कर दिया । इसी ओलंपिक के बाद पहली बार ध्यानचंद के ‘नाम के साथ ‘जादुगर’ शब्द जोडा गया ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 2 × 3 = 6

1) ऋतु के बाद फलों का रूकता डालों का सड़ना है, मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मघात करना है । देते तरु इसलिए कि रेशों में मत कीट समायें, रहें डालियाँ स्वस्थ और फिर नये-नये फल आये ।
उत्तर:
यह पद्य ‘दान – बल, नामक कविता से लिया गया है । यह कविता रश्मिरथी नामक काव्य से लिया गया है । इसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जो है ।

इसमे दान की महानता को व्यक्त करते हुए कवि वृक्ष का उदाहरण दे रहा है। वृक्ष ऋतु जाने के बाद स्वयं अपने फलों को छोड देती है । यदि नही छोडती तो वे फल डालों पर ही सड जाते है । उससे कीडे निकलकर साश वृक्ष नाश हो जाता है । यदि फल को छोडता है तो उसके बीजों से नये पौधे और नये फल उत्पन्न होते है उसकी भाषा सरल खडीबोली है ।

2) सब तीथों का एक तीर्थ यह, हृदय पवित्र बना लें हम । आओ यहाँ अजातशत्रु बन, रपबको मित्र बना लें हम । रेखाएँ प्रस्तुत हैं, अपने, मन के चित्रं बना लें हम सौ-सौ आदर्शों को लेकर, एक चरित्र बना लें हम ।
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है । सब को आदर्शमय जीवन बिताने का सन्देश कवि देते हैं ।

कवि का कहना है कि हमारे देश मे अनेक तीर्थ स्थल है । उनके समान हमारे हृदय को भी पवित्र बनाएंगे । हम अजातशत्रु बनकर सबसे मित्रता करेंगे । हमारे मनोभावों को एक निश्चित रूप देंगे और उनसे हमारे चरित्र आदर्श बनाएंगे । कवि की भाषा सरल खडीबोली है ।

3) यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सुहाग की है लाली ।
शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली ।
दीपशिखा है अंधकार की, बनी घटा की उजियाली ।
उषा है यह कमल-भुंग की, है पतझड़ की हरियाली ।
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है । इसकी कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी है । इसमे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट होती है ।

कवइत्री कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है। वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है । माँ जितनी सम्पन्न होने पर भी बालिका के सामने भिखारिन ही है | वह अन्धकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल भौरों में उषा की पहली किरण जैसी है । अपनी बालिका हो जीवन का सूर्योदय है। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

4) प्रथम रश्मि का आना रंगिणि ।
तूने कैसे पहचाना ?
कहाँ, कहाँ, हे बाल-विहंगिनि ।
पाया तूने बह गाना ?
उत्तर:
यह पद्य ‘प्रथम रश्मि’ नामक कविता से लिया गया है । सुमित्रानंदन पंत इसके कवि है । सूर्योदय को सुन्दर वर्णन कवि इसमे कर रहे है । कवि इसमे बाल विहंगिनि से पूछ रहा है। अभी तुमने नंद से जाग लिया । तुम्हे प्रातः काल के किरणों की पहचान कैसे हुई ? यह जानकर तुम इतना सुन्दर केसे गा रही हो । प्रकृति की सहज सुन्दरता इसमे वर्णित है। भाषा सरल खडीबोली है ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 2 × 3 = 6

(1) ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नहीं करता । यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अपराजिता’ नामक कहानी से दिया गया है। इसकी लेखिका ‘गौरा पंत शिवानी’ जी है । भारत सरकार ने सन् 1982 में उन्हे हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया । शिवानी जी की अधिकतर कहानियाँ और उपन्यास नारी प्रधान रहे । प्रस्तुत कहानी ‘अपराजिता’ में लेखिका ‘डाँ. चंद्रा’ नामक एक अपंग युवती की जीवन संबंधी विषयों के बारे में हमें बतायी।

व्याख्या : डाँ. चंद्रा अपनी दुस्थिति पर कभी असंतुष्ठ नही होती । भगवान को भी कभी निंदा नही करती थी । चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकरके बेटी की उन्नती चाही। चंद्रा की माँ एक बार भाषण में इस प्रकार कहती है कि – “भगवान हमारे सब द्वार एक साथ बंद नही करता । यदि भगवान एक रास्ता बंद करता भी है, तो दूसरा रास्ता हमें दिखायेगा’ | भगवान अंतर्यामी है | मानव अपनी विपत्ति के कठिन क्षणें में विधाता को दोषी कहते हैं । उसका निंदा भी करते हैं । कृपा करके ऐसा कभी नही सोचिए । हमारे जीवन में कितने मुश्किलों आने पर भी धैर्य से उसके सामना करना होगा ।

विशेषताएँ :

  1. भगवान हमेशा दीन लोगों की सहायता करता है ।
  2. तुम एक रास्ते पर मंजिल तक जाना चाहते हो, अचानक उस रास्ता बन्द हो तो जरूर दूसरा रास्ता खोज देंगे ।
  3. भगवान अपंग लोगों को एक अंग से वंचित करने पर भी दूसरे अंगों की क्षमता इस प्रकार देगा कि सामान्य से अधिक होगा ।

(2) रूई की पतली पत्ती दूध से भिगोकर जैसे- जैसे उसके नन्हें से मुँह में लगाई पर मुँह खुल न सका और दूध की बूँदे दोनों ओर ढुलक गई।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘गिल्लू’ नामक पाठ से दिया गया है । इस पाठ की लेखिका ‘श्रीमती महादेवी’ वर्मा है । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं ख्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका है । आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है । ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सन्ध्यागीत’, आदि आपके काव्य है। ‘स्मृति की रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘रटंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं । आपको ‘यामा’ काव्य पर भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ । प्रस्तुत पाठ में एक छोटी जीव की जीवन का चित्रण करती हैं ।

व्याख्या : महादेवी वर्मा के घर में एक दिन बरामदे से तेज आवाज आने लगा । तब लेखिका बाहर आकर देखती है । दो कौए गिलहरी को खाने का प्रयत्न करते हैं । लेखिका उस छोटे जीव को कौओं से बचाकर घर के अंदर ले आती है। गिलहरी के शरीर पर हुए घावों पर पेंसिलिन मरहम लगाती है । उसे खिलाने या पिलाने की प्रयत्न करती है। दूध पिलाने केलिए रूई को दूध से भिगोकर, उसके नन्हे से मुँह में लगाती है, पर मुँह खुला सका। तब दूध की बूँदे दुलक जाती है । अंत मैं कई घंटे के बाद उसके मुँह में टपकाया जाता है। गिलहरी को बचाने केलिए बहुत प्रयास करती है ।

विशेषताएँ :

  1. किसी भी प्राणी आपत्ति में रहने पर उसकी सहायता करना हमारा कर्तव्य है ।
  2. छोटे जीवों के प्रती भी लेखिका के मन में करुण भावना है ।
  3. कई घंटे उस छोटी जीव की उपचार करती रही, अंत में सफल हुई ।

(3) भारत त्यौहारों का देश है । यहाँ लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘बतुकम्मा’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एक निबंध है | त्यौहार समय समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्ते करते हैं । ये किसी राष्ट्र एवं जाति – वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करनेवाले जीवित तत्व के रुप में प्रकट करते हैं । हुआ

व्याख्या : भारत महान और विशाल देश है । भारत में कई धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं । त्यौहार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – (1) राष्ट्रीय त्यौहार और (2) धार्मिक त्यौहार । भारत त्यौहारों का देश है | भारत में लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व है । सभी त्यौहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है । सभी जन त्यौहारों के आगमन से प्रसन्न होते हैं। प्रत्येक त्योहार में अपनी विधि व परंपरा के साथ समाज, देश व राष्ट्र के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है । जैसे ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है । तेलंगाणा के लोग बतुकम्मा – धूम-धाम, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं ।

विशेषताएँ :

  1. त्यौहार मनुष्य के जीवन को हर्षोल्लास से भर देते हैं ।
  2. लोग संपूर्ण आलस्य व नीरसता को त्याग कर पूरे उत्साह के साथ त्यौहारों की तैयारी व प्रतीक्षा करता है ।
  3. भूखे को भोजन, निर्धनों को वस्त्र आदि बाँटकर लोग सामाजिक समरसता लाने का प्रयास करते हैं ।

(4) विनम्रता केवल बड़ों के प्रति नहीं होती । बराबर वालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘शिष्टाचार’ नामक पाठ से लिया गया है । यह पाठ एक सामाजिक निबंध है । इसके लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ जी हैं। वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे । हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से उन्होंने ‘अवधी’ शब्द कोश का निर्माण किया था । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं।

व्याख्या : विनम्रता शिष्टाचार का लक्षण है । किसी के द्वारा बुलाए जाने पर हाँ जी, नहीं जी, अच्छा जी कहकर उत्तर देना चाहिए । कुछ लोग विनम्रता केवल बड़ों के प्रति ही दिखाते हैं। अपने से छोटों और बराबर वालों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए । बड़ों का आदर-सम्मान करना, अपने मित्रों एवं सहयोगियों के प्रति सहयोगात्मक श्वैया, छोटों के प्रति स्नेह की भावना, स्थान विशेष के अनुकूल व्यवहार इत्यादि शिष्टाचार के उदारहण है । हमारे मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार केलिए अत्यंत आवश्यक है ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत निबंध ‘शिष्टाचार’ एक उपदेशात्मक निबंध है। उम्र में बड़े व्यक्तियों को ‘आप’ कह कर संबोधित करना, बोले तो मधुर बोलो सत्य बोलो, प्रिय बोलो । किसी की निंदा न करना चाहिए । औरतों के प्रती श्रद्धा और गौरभाव रहनी चाहिए । शिष्टाचार व्यक्ति सबसे प्रशंसनीय पात्र बनपाता है ।

7. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) तुलसी के अनुसार मीठे वचन बोलने से क्या लाभ है ?
उत्तर:
तुलसी के अनुसार मीठे वचन बोलने से चारों ओर खुशियाँ फैल जाती हैं सब कुछ खुशहाल रहता है । मीठी वाणी से कोई भी इंसान किसी को भी अपने वश में कर सकता है । शत्रु को भी अपना मित्र बनाते है ।

मधुर वाणी सभी ओर सुख प्रकाशित करती है और यह हर किसी को अपनी ओर सम्मोहित करने का कारगर मंत्र है । इसलिए हर मनुष्य को कटु वाणी त्याग कर मीठे बोल बोलना चाहिए ।

2) मैथिली शरण गुप्त का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
उत्तर:
मैथिलिशरण गुप्त जी का जन्म सन् 1886 में झांसी के चिरगाँव गाँव में हुआ । वे राष्ट्र कवि के रूप में प्रसिद्ध थे । उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनो में भी भाग लिया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण आधि से भी सम्मानित किया । सन् 1964 में उनकी मृत्यु हो गयी । साकेत, जयभारत, यशोधरा, भारत-भारती, उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है । उन्होंने मानवता को अपनी कविता का आदर्श बनाया । त्याग और प्रेम को उन्होंने महानता दी । प्रस्तुत ‘समता का संवाद’ कविता में उन्होंने भारत में सभी धर्मों, संस्कृतियों, आचार-विचारों आदि को समान रूप में बलदेकर देश में एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया । उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

3) कवि ने प्रातः काल का वर्णना किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
पंत जी ने प्रातः काल का सुन्दर वर्णन किया है । उषा काल मे सूरज की प्रथम किरण धरती को छूने से कितने सुन्दर परिवर्तन होते है, उनका सुन्दर वर्णन किया है। सूर्योदय के स्वागत में नन्ही के सी पक्षी की मधुर आवाज मे गाना, नन्ही सी कलियों का चन्द्रके किरण तितलियों के रुप मे स्पर्श करने से मुस्कुराना, रात के चमकीले तारे मन्द पड जाना, सूर्योदय के स्वागत करते हुए कोयल का गाना सभी का सुन्दर वर्णन करके कवि यह प्रश्न कर रहा है कि सुर्योदय के आगमन के बारे मे इन सबको कैसा पता चल रहा है ।

4) दान बल कविता का में फलों का दान करने से पेड को क्या लाभ होता है ?
उत्तर:
दान देना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । इसका समर्थन करते हुए कवि कहते है । कि वृक्ष फल देता है । यह कोई दान नहीं है । यदि ऋतु जाने के बाद वृक्ष फल को नहीं छोडता है तो फल उसी डाल पर सड़ जाते है । इससे कीडे निकलकर सारा वृक्ष ना

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8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) हरिशंकर परसाई की रचनाओं के नाम लिखिए ?
उत्तर:
हरिशंकर परसाई की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं ।
निबंध संग्रह : तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, पगडंडियों का जमाना, सदाचार का तावीज़, वैष्णव की फिसलन, माटे कहे कुम्हार से, शिकायत मुझे भी है और अंत में, अपनी अपनी बिमारी, आवारा भीड के खतरे ऐसा भी सोचा जाता है आदि उनके उल्लेखनीय निबंध संग्रह हैं ।

कहानी संग्रह : जैसे उसके दिन फिरे, दो नाकवाले लोग, हसते हैं रोते हैं, भोलाराम का जीव । उपन्यास : तट की खोज, रानी नागफनी की कहानी, ज्वाला और जल उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं ।

2) अनुशासन के पालन पर विचार व्यक्त कीजिए ?
उत्तर:
हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी एक खुशहाल जीवन नही जी सकता है । कुछ नियमों और फायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है । अनुशासन सब कुछ है, जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं । ये हमें सही राह पर ले जाता है ।

हम अपने रोजमर्श के जीवन में कई प्रकार के नियमों और फायदों के द्वारा अनुशासन पर चलते हैं, इसके कई सारे उदाहरण हैं, जैसे हम सुबर जल्दी उठते हैं । अनुशासन अपने बड़ों, ऑफिस के सीनियर, शिक्षक और माता पिता के हुक्म का पालन करना है जिससे हम सफलता की ओर आगे बढते हैं । हमें अपने जीवन में अनुशासन के महत्व को समझना चाहिए। जो लोग अनुशासनहीन होते हैं, वह अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं को झेलते हैं साथ निराश भी होते हैं ।

3) चंद्रा की किस विषय में रुचि थी ? वह क्या बनना चाहती थी ?
उत्तर:
चंद्रा की रुचि डॉक्टरी में थी । वह एक डॉक्टर बनना चाहती थी। परीक्षा में सर्वेच्च स्थान प्राप्त करने पर भी चंद्रा को मेडिकल में प्रवेश नही मिला क्यों कि उसकी निचला धड़ निर्जीव है । चंद्रा एक सफल शल्य चिकित्सक नही बन पायेगी । बडी डॉक्टर बनना ही चंद्रा की इच्छा थी । डाँ. चंद्रा के प्रोफेसर कहते है कि – ” विज्ञान की प्रगती में चंद्रा महान योगदान दिया है “। ” चिकित्सा ने जो खोया है, वर विज्ञान ने पाया है ।” इसका अर्थ डाक्टर बनकर चिकित्सा क्षेत्र में जो काम चंद्रा करना चाहती थी, वह विज्ञान में करके दिखायी थी ।

4) बतुकम्मा त्यौहार में किन किन फूलों का उपयोग होता है ? उनके नाम लिखिए ।
उत्तर:
बतुकम्मा बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले फूल जैसे तंगेडु (दातुन तेलंगाण का राष्ट्र पुष्प), गुम्मडि पुव्वु (कोहडे का फूल ), बंती (गेंदा), मंदारम (गुड़हल ), गोरिंटा (गुल मेहंदी), पोकाबंती (गुलमखमल), कट्लपाडु ( जडीबूटी पुष्प), गुंट्लागरगर (भृंगराज), कोड़िजुट्टु पुव्वुलु (श्री आई पुष्प), मयूरशिखी ( मयूरशिखा ), चामंती (गुलदाउदी), तामरा (कमल), गन्नेरु ( कनेर), नित्य मल्ले (पटसन के पुष्प ), गुलाबी (गुलाब), वज्रदंतीपुव्वु (वज्रदंतीपुष्प) गड्डी पुव्वु (घांस का फूल) आदि का उपयोग करते हैं ।

9. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) “काल” शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
मृत्यु, समय, वक्त

2) भारत माता के मंदिर में किसका व्यवधान नही है ?
उत्तर:
भारत माता के मंदिर में जाति धर्म या संप्रदाय का व्यवधान नही है ।

3) प्रथम रश्मि कविता में पक्षियों के घोंसलों के पास कौन पहरा दे रहे थे ?
उत्तर:
जुगुनू पहरा दे रहे थे ।

4) दान बल कविता के कवि कौन है ?
उत्तर:
रामधारी सिंह दिनकर ।

5) तुलसी का अमर काव्य कौन सा है ?
उत्तर:
राम चरिन मानस ।

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10. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) सेठ जी के बेटे का नाम क्या है ?
उत्तर:
बलराम |

2) राजा धर्मागद की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर:
सत्यवती ।

3) ‘अपराजिता’ पाठ की लेखिका का नाम क्या है ?
उत्तर:
गौरा पंत “शिवानी” जी है ।

4) परिचारिका की भूमिका कौन निभा रहा था ?
उत्तर:
गिल्लू ।

5) परसाई जी काम पूरा करने के लिए अगले जन्म में कौन सा चोला लेने की बात करते हैं ?
उत्तर:
मेंढक के चोला लेने की बात करते हैं ।

खंड – ‘ख’
(60 अंक)

11. निम्नलिखित गद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए ।

संध्या के समय हम नौका दौड़ देखने गए । आरन्मुला नामक स्थान पर नौका दौड का आयोजन था । लंबी-लंबी नौकाओं में तीस-चालीस नाविक बैठे हुए थे । वे गीत गाते । हुए बडी तेजी से चप्पू चलाकर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में थो। कभी कोई नाव आगे निकल जाती तो, कभी कोई । तट पर खड़े लोग तालियाँ बजा-बजाकर नाविकों का उत्साह बढा रहे थे । जीते हुए नाविकों को फूल-मालाएँ पहनाई गई । हमें इस प्रतियोगिता को देखने में बहुत आनंद आया ।

प्रश्न :
1. नौका दौड कहाँ आयोजित हुई ?
उत्तर:
आरन्मुला नामक स्थान पर नौका दौड़ हुइ |

2. नौकाएँ कैसी हैं ?
उत्तर:
नौकाएँ लंबी-लंबी है ।

3. वे नौका दौड़ देखने कब गये ?
उत्तर:
संध्या के समय वे नौका दौड देखने गये ।

4. जीते हुए नाविकों को क्या पहनाई गई ?
उत्तर:
जीते हुए नाविकों को फूल मालाएँ पहनाई गई ।

5. तट पर खड़े लोग नाविकों को कैसे उत्साह बढ़ा रहे हैं ?
उत्तर:
तट पर खडे लोग तालियाँ बजा-बजाकर नाविकों को उत्साह बढ़ा रहे हैं ।

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12. सूचना के अनुसार लिखिए । 8 × 1 = 8

(12.1) किन्हीं चार (4) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।
(1) नश्वर
(2) कठिन
(3) उल्लास
(4) उत्थान
(5) धूप
(6) ग्राम
उत्तर:
(1) नश्वर × शाश्वत
(2) कठिन × सरल
(3) उल्लास × विषाद
(4) उत्थान × पतन
(5) धूप × छाँव
(6) ग्राम × नगर

(12.2 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।
(1) जल
(2) चाँद
(3) घोडा
(4) नदी
(5) धन
(6) दिन
उत्तर:
(1) जल = पानी, नीर, सलील, वारि, अंबु ।
(2) चाँद = चंद्र, शशि, रजनीश, सोम, कलानिधि ।
(3) घोडा = अश्व, हय, वाजि, घोटक, तुरंग, तुरंगम ।
(4) नदी = सरिता, तटिनी, तरंगीणी, निर्झरिणी, सलिला ।
(5) धन = दौलत, संपत्ति, संपदा, वित्र, अर्थ ।
(6) दिन = दिवस, दिवा, वार, याम ।

13. किन्हीं आठ (8) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए । 8 × 1 = 8

(1) प्रर्दसन
(2) ईक
(3) भादा
(4) आदमि
(5) उध्योग
(6) मचली
(7) धरमात्मा
(8) सीक
(9) स्मरन
10) उननति
(11) धोका
(12) चात्र
उत्तर:
(1) प्रर्दसन – प्रदर्शन
(2) ईक – ईख
(3) भादा – बाधा
(4) आदमि – आदमी
(5) उध्योग – उद्योग
(6) मचली – मछली
(7) धरमात्मा – धर्मात्मा
(8) सीक – सीख
(9) स्मरन – स्मरण
10) उननति – उन्नति
(11) धोका – धोखा
(12) चात्र – छाञ

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14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए । 8 × 1 = 8

1) छत ………………. (केलिए / पर) पंखा लटका है ।
2) मै भारत ………………. (का / की) निवासी हूँ ।
3) आशा ……………… (में/ने) गीत गाया ।
4) सोमू ………………. (की / को) पुस्तक चाहिए ।
5) रमेश ……………… बेटी बीमार है । (की/का)
6) डाल ………………… (पर / में) चिड़िया बैठी है ।
7) ……………. ।(वाह / बाह) कितना सुंदर दृश्य है ।
8) मै तुम ……………….. (पर/से) बडा हूँ ।

उत्तर:
1) छत पर ( केलिए / पर) पंखा लटका है |
2) मै भारत का (का/की) निवासी हूँ ।
3) आशा ने (में/ने) गीत गाया ।
4) सोमू को (की / को) पुस्तक चाहिए ।
5) रमेश की बेटी बीमार है । (की / का)
6) डाल पर ( पर / में) चिड़िया बैठी है ।
7) वाह । (वाह / बाह) कितना सुंदर दृश्य है ।
8) मै तुम से ( पर / से) बडा हूँ ।

15. निर्देश के अनुसार छः (6) वाक्यों को शुद्ध कीजिए ।

1) मेरे को बुला रहा है । (वाक्य शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
वह मुझे बुला रहा है ।

2) माली बगीचे में बैठा है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए | )
उत्तर:
मालिन बगीचे में बैठा है ।

3) उसके घर के पास आम का पेड़ है । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
उसके घर के पास आम के पेड है ।

4) प्रेमचन्द उपन्यास लिखते हैं । (पूर्ण भूतकाल में लिखिए ।)
उत्तर:
प्रेमचन्द ने उपन्यास लिखा था ।

5) वातावरण अपकूल है । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
वातावरण अनुकूल है ।

6) वह चतुरिक से काम करता है । (रेखांकित शब्द का प्रत्यय की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
वह चतुरता से काम करता है ।

7) तिरकाल से राम गाँव में रहता है । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
चिरकाल से राम गाँव में रहता है ।

8) खाना खाके आओ । (वाक्य शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
खाने केलिए आओ ।

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16. किन्हीं पाँच (5) वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए । 5 × 1 = 5

1) Boys went to school.
उत्तर:
लड़के स्कूल गये ।

2 ) I do my work myself.
उत्तर:
मैं अपना काम आप ही करता हूँ ।

3) May I barrow your pen.
उत्तर:
क्या आप की कलम ले सकता हूँ ।

4) Study for two hours everyday.
उत्तर:
रोज दो घंटे पढा करो ।

5) This is my own book.
उत्तर:
यह मेरी अपनी किताब है ।

6) Which boy took the book.
उत्तर:
किस लडके ने किताब ली ।

7) I prefer cricket to football.
उत्तर:
मैं फुटबाल से क्रिकेट को अधिक पसंद परता

8) We shall wear khadi clothes.
उत्तर:
हम खादी कपड़े पहनेंगे ।

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