TS 8th Class Hindi रचना पत्र लेखन

Telangana SCERT TS 8th Class Hindi Study Material रचना पत्र लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

TS 8th Class Hindi Rachana पत्र लेखन

प्रश्न 1.
अवकाश माँगते हुए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र :
उत्तर :

दि. XXXX.

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
सेंट आडम्स स्कूल,
चिकढपाल्कि,
हैदराबाद।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मुझे कल रात्री से ज्चर आ रहा है। डॉक्टर ने ‘वायरल फीवर’ बताया है और चार दिन तक पूर्ण विश्राम का परामर्श दिया है। अतः मैं दिनांक ……… से ………. तक चार दिन विद्यालय आने में असमर्थ हूँ।
कृपया मुझे इन चार दिनों का अवकाश प्रदान कर कृतार्थ करें।
धन्यवाद् सहित,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मेहुल रमेश,
कक्षा 8

TS 8th Class Hindi रचना पत्र लेखन

प्रश्न 2.
खोलों का उचित प्रबंध कराने के लिए प्राधानाचार्य को प्रार्थना पत्र :
उत्तर :

दि. XXXX.

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
रमण महर्षी विद्यालय,
वरांगल।
महोदय,
निवेदन है कि मैं आपका ध्यान इस विद्यालय की अपर्याप्त खेल-व्यवस्था की ओर दिलाना चाहता हूँ। हमारे विद्यालय में खेल का सामान छात्रों के अनुपात में बहुत कम है। प्रायः हमें खेल अध्यापक से यही उत्तर मिलता है कि स्कूल में खेल का सामान नहीं है। खेल का मैदान भी बहुत असमतल है। ऐसी दशा में स्कूल में खेलों का स्तर गिरना स्वाभाविक ही है। आपको ज्ञात होगा इस वर्ष अन्तर विद्यालय खेल प्रतियोगिता में हमारा विद्यालय में दसवें स्थान पर रहा है। यह स्थिति निश्चय ही चिंताजनक है।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि बिद्यालय में खेलों का पर्याप्त सामान मंगबाया जाए और छात्रों को खेलने के पर्याप्त दिए जाएं।
धन्यवाद सहित,

आपका आन्ञाकारी शिष्य,
महेश,
सचिव विद्यार्थी संघ।

TS 8th Class Hindi रचना पत्र लेखन

प्रश्न 3.
अपने मोहले की गंदगी हटवाने के लिए स्वास्थ्य अधिकार को पन्न :
उत्तर :

दि. XXXX.

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
नैक्लेस रोड़,
एन.टी.आर. गार्डेन,
हैद्राबाद ।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि एन.टी.आर. गार्डेन क्षेत्र में गंदगी का साम्राज्य है। यहां पिछले एक मास से सफाई ही नहीं हुई है। सफाई-कर्मचारियों से कई बार की, किन्तु उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। सड़कों पर भी गंदगी जमा हो रही है ।
कूड़े के ढेरों पर मच्छरों का प्रकोप बढ़ता रहा है । मल्लेखिया फैलने की पूरी आशंका है ।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि यहाँ सफाई का उचित प्रबंध करवाएं, ताकि हम स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें ।
धन्यवाद सहित,

भबदीय,
गंगाधर,
सचिय, बी ब्लॉक,
निवासी संघ।

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प्रश्न 4.
बिजली की शिकायत करते हुए प्रबंधक को पत्र :
उत्तर :

दि. XXXX.

सेवा में,
महाप्रबंधक महोद्य,
खम्मम विद्युत बोर्ड,
खम्मम।
महोदय,
निवेद्न है कि मैं आपका ध्यान आर.टी.सी. कौलनी में बिजली-संकट की ओर दिलाना चाहता हूँ। इसके कारण हम विद्यार्थियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है।
इन दिनों हमारी वार्षिक परीक्षाएँ चल रही हैं। इसके साथ-साथ बिजली की आँख-मिचौनी चलती रहती है। कई बार तो बिजली एक-एक घंटे तक गायब रहती है। इससे पढ़ाई करने में बहुत असुविधा होती है। इन दिनों आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिजली की सप्लाई नियमित ढंग से होती रहे। यदि आपने ऐसा प्रबंध कर दिया, तो विद्यार्थी वर्ग आपका अति आभारी रहेगा।
धन्यवाद सहित,

भवदीय,
के. रमणाराव,
सचिब,
बी कैंप निवासी संघ।

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प्रश्न 5.
हिन्दी सीखने की ज़रूरत (आवश्यकता) बताते हुए मित्र / छोटे भाई के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर :

वरंगल,
दि. XXXX.

प्रिय मित्र / छोटा भाई,
मैं यहाँ कुशल हूँ।आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ कुशल हो। गर्मी की छुट्टियों में मैं दिल्डी देखने गया। वहाँ तो सभी लोग हिन्दी ही बोलते हैं। मुझे तो बड़ी खुशी हुई है।
हिन्दी सुनने में और बोलने में बहुत अच्छी लगती है। यह हमारी राष्ट्र भाषा और राज भाषा है। दिल़्ी से लौट आने के बाद मुझे हिन्दी सीखने की बड़ी इच्छा हुई। खासकर इसे सीखने से भाईचारे की भावना बढ़ती है ।
इसलिए अब मैं हिन्दी प्रचार सभा की परीक्षायें लिखने की तैयारी कर रहा हूँ। अतः तुम भी हिन्दी सीखने का प्रयत्न करो। परीक्षाएँ देने से और भी अच्छा होगा।

तुम्हारा प्रिय मित्र / प्रिय भाई,
मोहन

पता :
वि. भार्गव,
1-16-35A,
गीता मंदिर,
कजीपेट।

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प्रश्न 6.
आगामी घुट्टियों में विजयवाड़ा नगर आने का निमंत्रण देते हुए मित्र के नाम पत्र लिखिए।
उत्तर :

विजयवाडा,
दि. XXXX.

प्रिय मित्र प्रशाँत।
मैं यहाँ कुशल हूँ। आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ कुशल हो। मैं तुम्हें आगामी छुट्टियों में विजयवाड़ा आने का निमंत्रण दे रहा हूँ।
बिजयवाडा बड़ा सुन्दर नगर है। यह पवित्र कृष्या नदी के तट पर है। इस नगर में अनेक आकर्षक और दर्शनीय स्थान हैं। वे हैं – कनकदुर्गा माता का मंदिर, गाँधी पहाड़, नक्षत्रशाला, कनकदुर्गा वारधि, प्रकाशम बैरेज, राजीवगाँधी पार्क, अनेक मंदिर, विक्टोरिया वस्तुसंग्रहालय आदि।
आशा है कि तुम जरूर आओगे। तुम्हारे आते ही छुट्टियाँ खुशी से बिताएँगे। तुम्हारे पत्र का इन्तज़ार करुँगा। माता-पिता को मेरे प्रणाम कहना। भाई-बहन को आशीश कहना।

तुम्हारा प्रिय मित्र,
रमेश
H.No. 23-1-18,
मुत्यालमपाडु,
विजयवाडा।

पता :
डि. प्रशाँत,
S/o डि. माधवराव,
1-3-4, गांधी बाजार, खम्मम।

प्रश्न 7.
विद्यालय में पीने के पानी की उचित व्यवस्था हेतु प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र ।
उत्तर :

दिनांक XXXX.

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
एस. के. पि. वि. हिन्दू उन्नत पाठशाला,
हनमाकोंडा।
महोद्य,
निवेदन है कि हमारे विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए पानी की उचित व्यवस्था नहीं है। इस विद्यालय में लगभग 100 छात्र हैं, पर उनके लिए केवल एक नल लगा हुआ है, जिसके कारण यहाँ काफी भीड़ जमा हो जाती है। यह नल भी दोपहर 2 से 3 बजे तक बंद रहता है। गर्मी के दिनों में तो हमारा बुरा हाल रहता है।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि विद्यालय में गर्मीयों के लिए वाटर कूलर प्रबंध किया जाए। एक नल के स्थान पर चार-पाँच नलों की व्यवस्था की जाए। पेय जल को एकत्रित करने के लिए एक टंकी बनवाई जानी चाहिए।
आशा है, आप हमारी समस्या पर उचित ध्यान देंगे एवं हमें इससे छुटकारा दिलाएंगे ।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
रमण,
अध्यक्ष, विद्यार्थी संघ

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प्रश्न 8.
आवश्यक पुस्तकों के लिए किसी पुस्तक विक्रेता को नाम पर पत्र लिखिए।
उत्तर :

करीमनगर,
दि. XXXX.

प्रेषक :
पी. भगवान,
दसवीं कक्षा/सी,
केंदी विद्यालय हैस्कुल, करीमनगर.
सेवा में,
श्री ब्यवस्थापक,
पुस्तक बिक्री विभाग,
श्री राघवेन्द्र बुक डिपो, हैदराबाद-4.
मान्य महोदय,
सादर प्रणाम। निवेदन है कि मुझे कुछ पुस्तकों की आवश्यकता है। आपसे प्रार्थना है कि निम्न लिखित पुस्तकें मेंरे पते पर वी.पी.पी. द्वारा भेजने की कृपा करें। अग्रिम के तौर पर डेढ सौ रुपये भेजा रहा हूँ। किताबेंतुरंत भेजिए।

1. हिन्दी निबन्ध प्रवेशिक – 2 प्रतियाँ
2. काव्यमाला – 2 प्रतियाँ
3. हिन्दी तेतुगु कोश – 2 प्रतियाँ
4. व्यासमंजरी – 2 प्रतियाँ

आपका,
पी. भगवान

पता :
श्री व्यवस्थापकजी,
पुस्तक बिक्री विभाग,
श्री राघवेन्द्र बुक डिपो, हैदराबाद-4.

बातचीत :

1. किताब की दूकान में – किताब बेचनेवाले और ग्राहक की बातचीत।

दूकानदार – आइए, आपको, कौन-सी किताबें चाहिए?
ग्राहक – मेरा लड़का मध्यमा पढ़ता है। मुझे मध्यमा की किताबें चाहिए।
दूकानदार – आपको तेलुगु माध्यम की या अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकें चाहिए।
ग्राहक – मुझे तेलुगु माध्यम की किताबें चाहिए।
दूकानदार – अच्छा! आप ले लीजिए। मध्यमा की पाठ्य पुस्तकें।
ग्राहक – आप मध्यमा परीक्षा की संपूर्ण गाइड भी दीजिए।
दूकानदार – अच्छा यह गाइड भी ले लीजिए।
ग्राहक – कमीशन कट कर पूरा रकम बताइयें।
दूकानदार – अच्छा पूरा रकम दो सौ रुपये हैं।
ग्राहक – अच्छा ले लीजिए ये रुपये।

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2. होटल में – होटलवाले और मुसाफिर की बातचीत

मुसाफिर – अजी आप के होटल में क्या-क्या खाने के पदार्थ है?
होटलवाला – हमारे होटल में इड्ली, पूरी, चपाती दोसे आदि है। आप को क्या चाहिए?
मुसाफिर – मुझे दो इड़ली दे दो।
होटलवाला – अच्छा ले लीजिए, आप को चाय, काफी क्या चाहिए?
मुसाफिर – मुझे एक प्याला कॉफी दीजिए।
होटलवाला – लीजिए! गरम-गरम काफी।
मुसाफिर – बिल दे दीजिए।
होटलवाला – लीजिये बिल पूरा बीस रुपये।

3. किसी परीक्षा के बारे में दो विद्यार्थियों के बीच बातचीत।

राम – है मित्र, तुम अब दिखाई नहीं देते हो। कहाँ चले गये।
गोपाल – मैं अपने मित्र के घर गया हूँ। वहाँ उसकी बहन की शादी है।
राम – मैं हिन्दी के वर्ग में भर्ती हुआ हूँ। अब मैं मध्यमा परीक्षा पढ़ रहा हूँ।
गोपाल – तुम ने प्रार्थमिक परीक्षा कब पास हुए?
राम – मैं पिछले साल प्राथमिक परीक्षा पास हुआ हूँ।
गोपाल – तुम भी मेंरे साथ मध्यमा परीक्षा के लिए तैयार होना है।
राम – प्राथमिक परीक्षा के लिए एक ही पेपर सौ अंक के लिए होता है। पर मध्यमा परीक्षा के लिए दो पन्र होते है। दो सौ अंक के होते हैं। अच्छा मैं आज ही पिताजी की अनुमति लेकर वर्ग में भर्ती हो जाऊँगा।
गोपाल – तुम आज ही पिताजी की अनुमति लेकर पुस्तकें भी खरीदों और मेरे साथ पढ़ो।
राम – मेरे पिताजी कहते हैं कि हिन्दी सीखना आसान है। जरूर हिन्दी पढूँगा।

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4. किराये के बारे में – टेक्सीवाले और मुसाफिर की बातचीतः

टैक्सीवाला – आइए साहब, आप को कहाँ जाना है?
मुसाफिर – मुझे रेल्ये स्टेशन जाना है।
टैस्सीवाला – जी, पचास रुपये किराया देना है।
मुसाफिर – पचास रुपये ज़्यादा मालूम होता है। बहुत दूर जाना है क्या?
टैक्सीवाला – सही किराया ही बताया हूँ। आइए।
मुसाफिर – अच्छा रास्ते में फलों की दूकान में ठहरना। फल खरीद कर जाएँगे।
टैक्सीवाला – अच्छा! यही फलों की दूकान है। जल्दी फल खरीद्र कर आइए।
मुसाफिर – अच्छा! यही रेल्वे स्टेशन है। जल्दी पहुँच गये हैं।
टैक्सीवाला – किराया लेते हए मुसाफिर से आप और दस रुपये दीजिए।
मुसाफिर – क्यों अधिक देना है? पचास रुपये ही बताए न।
टैक्सीवाला – बीच में फलों की दूकान में आप ने देरी की हैं।
मसाफिर – अच्छा ये और दस रुपये भी ले लो।

दैनिक – Diary :

1. व्यक्तिगत अभिप्राय, व्यक्त, आलोचना विविध प्रकार के भाव व्यक्तिकरण, भविष्य योजनाएँ आदि प्रकट करनेवाली को “दैनिक” कहते हैं।
వ్తక్తిగతమైన అభిప్రాయాలు వ్యక్తపరచటం, ఆలోచన, వివిధరకాల భావ వ్యక్షీకరణ, భవిష్యత్ ప్రణాళికలు మొదలగునవి ప్రకటించే వాటిని “డైరీ” అని అంటారు.

प्रश्न 1.
आप कोई सडक पर एक दुर्घटना देखी। उस दुर्घटना में दो व्यक्ति मोटार चलाते मर गये। यह घटना आपको कैसे लगी यह बात आप अपने दैनिक में लिख दीजिए।
उत्तर :
दि. XXXX.

9.00 pm

हे भगवान! आज मुझे बुरा दिन लगा। मैं बहुत अचर्ज में पड़ गया। क्योंकि एक सड़क की दुर्घटना मैंने देखी। अपनी आँखों के सामने वह घटना घटी। यह देखकर मुझे दुख हुआ। दो मोटार गाड़ीबाले बहुत तेज़ी से जा रहे हैं। अचानक एक ट्रक सड़क पर आयी। ट्रक को ये दो मोटारवालों के सिर लगे तुरंत वे वहीं मर चुके। यह दुर्घटना मैं भूल नहीं सकता। मेरे मस्तिष्क में अब घूम रहा है। उन दोनों को देखने से मुझे बहुत अफसोस हुआ। इससे सड़क पर जाते समय साबधानी से रहने की बात सीखी।

TS 8th Class Hindi रचना पत्र लेखन

प्रश्न 2.
कल या परसों एक गाँव देखने गया। उसका बर्णन करते हुए अपने दैनिक में लिखिए।
నిన్న లేక మొన్న ఒక గ్రామాన్ని సందర్ళించారు. దాసిన వర్ణస్తూ మీ డైటోలో రాయండి.
उत्तर :
दि, XXXX.

8.00 बजे

कल मैं ‘नवलूर’ नामक गाँव देखने गया। बहाँ तरह तरह की दूकानें हैं। वे हैं चण्पल, मिठाइयाँ, गुडियाँ आदि प्रकार की दूकानें हैं। यहाँ के खेत और लहलहाते फसल मुझे आकर्षित किया। यहाँ भैंस, गाय आदि का दूध बहुत अच्छा लगा। खेत में काम करनेबाली स्त्रियाँ, बैल चलाने या जोतनेवाला किसान आदि को देखते ही रह गया। यहाँ ठंडी हवा बहुत सुहावना लगा। यहाँ से आने की इच्छा भी न हुई। सचमुच गाँब तो देश केलिए रीढ़ है। यह मेरेलिए एक सच्ची और अच्छी अनुभूति है। इसे जीवन में कभी न भूल सकता।

प्रश्न 3.
सम्मक्का-सारक्का जातय को आनेवाले यात्रियों की मदद का वर्णन करते हए दैनिक लिखिए।
సమ్ముక్ర-సారక్క జాతరను దర్శించటానికి వచ్చే యాత్రికుల సహాయాన్ని వర్ణిస్తూ డైరీ వివరించండి.
उत्तर :
दि. XXXX.

9.00 बजे

आज दशहरे का दिन है। विजयवाड़ा के कनकदुर्गा की दर्श़नार्थ भक्त लोग तरह-तरह के गाँब और शहरों से यहाँ आने लगे। इस बीच एक छोटा-सा बच्चा अपने – माँ – बाप को खो बैठा। सडक के किनारे खड़े होकर रोने लगा। मैं ने उसको देखा। उसको पास लेकर विबरण पूछकर मंदिर के पहाड़ के मैक-प्रचार के पास जाकर, बहाँ के मैक से घोषणा करवाकर बच्चे को अपने-माँ-बाप को सौंप दिया। तब इन माँ-बाप और बच्चे में जो आनंद उनके मुँह पर दिखाई पड़ा। बह शब्दों में वर्णन न कर सकता। यह मेंरे जीवन का महत्वपूर्ण कार्य है। ऐसे सेवा कार्य करना मानव धर्म है। इसे मैं ने अविस्मरणीय बात के रूप में लिख लिया।

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