Telangana SCERT 8th Class Hindi Study Material Telangana Pdf 8th Lesson चावल के दाने Textbook Questions and Answers.
TS 8th Class Hindi 8th Lesson Questions and Answers Telangana चावल के दाने
प्रश्न : (ప్రశ్నలు) :
प्रश्न 1.
चित्र में क्या-क्या दिखायी दे रहा है ?
(చిత్రంలో ఏమేమి కనిపిస్తున్నాయి?)
उत्तर :
चित्र में एक सड़क, उस पर एक बैलगाड़ी, उस पर एक किसान, बगल में पेड़ पौधे, दूर से पहाड़ दिखाई दे रहे हैं।
చిత్రంలో ఒక రోడ్డు, దానిపై ఒక ఎద్దుల బండి, దానిపై ఒక రైతు, ప్రక్కనే మొక్కలు-చెట్లు, దూరంగా కొండలు కనబడుతున్నాయి.
प्रश्न 2.
कौन क्या कर रहा है ?
(ఎవరు ఏమి చేస్తున్నారు?)
उत्तर :
बैल गाड़ी खींच रहे हैं। किसान गाड़ी चला रहा है। वह फ़सल घर ले जा रहा है।
ఎద్దులు బండి లాగుతున్నాయి. రైతు బండి నడుపుతున్నాడు. అతను పంటను ఇంటికి తీసుకు వెళ్ళుచున్నాడు.
प्रश्न 3.
किसान के सिर पर बोझा देखकर तुम्हें क्या लगता है ?
(రైతు తలపై ఉన్న బరువు చూసి మీకు ఏమనిపించింది ?)
उत्तर :
वह आदमी बहुत खुशी से घर आता होगा। कड़ी मेहनत की कमाई फ़सल के रूप में प्राप्त किया होगा। उसे बड़े प्यार से घर लाता होगा।
ఆ వ్యక్తి ఎంతో సంతోషంగా ఇంటికి వస్తున్నట్లుంది. కష్టించి పనిచేసిన శ్రమ పంటరూపంలో వచ్చి ఉండవచ్చు. అతను దాన్ని ఎంతో (పేమతో ఇంటికి తీసుకెళ్తుండవచ్చు.
सुनो-बोलो (వినండి – చెప్పండి) :
प्रश्न 1.
पाठ में दिये गये चित्रों के बारे में बातचीत कीजिए ।
(పాఠములోని చిత్రాలకు సంబంధించి మాట్లాడండి.)
उत्तर :
दरबार का दृश्य तो बड़ा ही मनोहर है। उसमें राजा बडे दर्प से बेठे हैं, बगल में एक सैनिक खड़ा है। शतरंज की बिसात बिछी हुई है। चावल के दाने दरबार में लाए गए हैं। तेनालीराम अपनी चतुराई दिखा रहा है।
సభదృశ్యాలు చాలా మనోహరంగా ఉన్నవి. అందులోని రాజు చాలా ఠీవీతో కూర్చున్నాడు. రాజుకు దగ్గరగా ఒక సైనికుడు నుంచుని ఉన్నాడు. చదరంగంలో చదరంగపు గడులు గీసి ఉన్నాయు. ధాన్యపు గింజలను దర్బారులోకి తీసుకు వచ్చారు. తెనాలి తన చతురతను చూపిస్తున్నారు.
प्रश्न 2.
कहानी का शीर्षक आपको कैसा लगा और क्यों ?
(కథయొక్క శీర్షిక మీకు ఎలా ఉంది ? ఎందుకు ?)
उत्तर :
कहानी का शीर्षक मुझे अच्छा लगा क्योंकि हम बहुत उपेक्षा की दृष्टि से देखनेवाले चावल के दानों से बहुत बड़ा उपदेश दिया। सोचे-समझे बिना हमें कोई भी काम नहीं करना चाहिए। सतर्क रहना चाहिए।
కథయొక్క శీర్షిక నాకు నచ్చింది. ఎందుకనగా మనము చాలా నిర్లక్ష్యదృష్టితో చూసే ధాన్యపు గింజలనుండి చాలా పెద్ద ఉపదేశాన్ని ఇచ్చారు. ఆలోచించకుండా మనము ఏ పని చేయకూడదు. మనము జాగ్రత్తగా ఉండాలి.
पढ़ो (చదవండి) :
अ. नीचे दियेगये वाक्यों की गलतियाँ पहचानिए। शुद्ध वाक्य अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।
(ఈ వాక్యాలను చదివి తప్పులు గుర్తించి సరిచేయండి.)
प्रश्न 1.
एक दिन बे राजा अकबर से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे।
उत्तर :
एक दिन वे राजा कुष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे।
प्रश्न 2.
पहले खाने में 8 दाने रखे गये।
उत्तर :
पहले खाने में एक दाना रखा गया।
प्रश्न 3.
राजा को उनका भाषण पसंद आया।
उत्तर :
राजा को उनकी कविता पसंद आयी।
आ. पाठ के आधार पर नीचे दी गयी पंक्तियाँ सही क्रम में लिखिए।
(పాఠం ఆథారంగా కింది పంక్తులను సరియైన వరుసలో రాయండి.)
1. तेनालीराम हंपी पहुँचे।
2. उन्होंने तुरंत तेनाली को सम्मान के साथ अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
3. “हाँ, महाराज!” – तेनालीराम ने विनम्रता से कहा।
उत्तर :
1. तेनालीराम हंपी पहुँचे।
2. “हाँ, महाराज!” – तेनालीराम ने विनम्रता से कहा।
3. उन्होंने तुरंत तेनाली को सम्मान के साथ अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
लिखो (రాయండి) :
अ. नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
तेनालीराम के व्यक्तित्व के बारे में लिखिए।
(తెనాలి రామలింగని వ్కక్తిత్వం గూర్చి రాయండి.)
उत्तर :
तेनालीराम तेनाली के रहनेवाले थे। वे बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। श्रीकृष्णदेवराय के दरबार के अष्टदिग्गजों में वे एक थे। अपनी चतराई से सुझाव देकर राजा को मार्ग-दर्शन करते थे।
తెనాలి రామకృష్ణుడు తెనాలికి చెందినవాడు. అతడు గొప్ప విద్వాంసుడు మరియు తెలివైనవాడు. కృష్ణదేవరాయలు ఆస్థానంలో అష్టదదగగ్గజాలలో ఒకడు. తన తెలివితేటలతో మంచి సలహాలనిచ్చి రాజు గారికి మంచి మార్గదర్శకునిగా వ్యవహరించేవాడు.
प्रश्न 2.
तेनालीराम की जगह यदि आप होते तो इनाम के रूप में क्या माँगते ?
(ఒకవేళ మీరే గనుక తెనాలిరాముడైతే బహుమతిగా ఏమి అడుగుతారు?)
उत्तर :
तेनालीराम की जगह यदि मैं होता, तो ज़रूर मैं कुछ ज़मीन या सोना इनाम के रूप में ले लेता। लेकिन तेनालीराम की बुद्धिधत्ता कुछ अच्छा लगा। इस कहानी को जानने के बाद मैं भी इसी तरह करना चाहता हूँ।
తెనాలిరామునికి బదులు ఆ స్థానంలో నేనుంటే, తప్పక కొంత భూమి లేదా బంగారం బహుమతిగా తీసుకునేవాడిని. కానీ తెనాలి రామ్ యొక్క బుద్ధిబలం నాకు నచ్చింది. ఈ కథను తెలుసుకున్నాక నేను కూడా ఇదే విధంగా చేయాలని కోరుకున్నాను.
आ. ‘चावल के दाने’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।
(‘चावल के दाने’ పాఠం యొక్క సారాంశమును మీ మాటల్లో రాయండి.)
उत्तर :
तेनाली का रहनेवाला तेनालीराम बहुत चतुर और ज्ञानी था। उसने सुना था कि राजा कृष्णदेवराय ज्ञानी लोगों का बड़ा आदर – सत्कार करते हैं। इसीलिए उनसे मिलने केलिए उनकी राजधानी हंपी पहुँचा। दरबार में जाकर तेनालीराम ने राजा को एक कविता सुनाई। राजा बहुत खुश हुए। इनाम माँगने केलिए कहा।
तेनालीराम ने राजा के सामने रखे शतरंज की बिसात की ओर दिखाकर उसके पहले खाने में एक, अगले खाने में दुगुने चावल के दाने रखने केलिए कहा। उसने उसे ही अपना ईनाम के रूप में माँगा।
यह सुनकर राजा ने तेनालीराम का मज़ाक किया। बाद में सेवकों से चावल के दानें खानों में रखने केलिए कहा। इस तरह करते-करते पूरे राजभंडार को ही तेनाली के हवाले करना पड़ा। तब राजा समझ गये कि छोटीछोटी चीज़ें भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। महान विजय की प्राप्ति केलिए कैसे कदम बढ़ाएँ ?
तेनालीराम की चतुराई से संतुष्ट होकर उसे अपने अष्टदिग्गजों में एक बनाकर उसका सम्मान बढ़ाया।
తెనాలిలో నివసించే తెనాలి రామలింగడు చాలా తెలివైనవాడు, విద్వాంసుడు. శ్రీకృష్ణదేవరాయలు విద్వాంసులను ఆదరించి సత్కరిస్తాడని తెలుసుకొని తెనాలి రామలింగడు రాజును కలవటానికి రాజధాని నగరమైన హంపికి చేరాడు. ఆస్థానానికి చేరి చక్కని కవిత వినిపించి రాజును సంతోషపరిచాడు. బహుమతిని కోరమని రాజు అడిగాడు.
దానితో తెనాలి రామలింగడు రాజు ఎదుట పెట్టి ఉన్న చదరంగాన్ని చూపి దాని మొదటి గడిలో ఒకటి, తరువాత గడి నుండి రెట్టింపు సంఖ్యలో ధాన్యపు గింజలను పెట్టి చివరిగా ఆ ధాన్యాన్ని తనకు బహుమతిగా ఇవ్వమన్నాడు.
ఇది విని రాజు తెనాలి రామలింగడిని ఎగతాళి చేసాడు. తరువాత సేవకులతో ధాన్యపు గింజలను పెట్టమని ఆజ్ఞాపించాడు. దీనిలో భాగంగా చివరకు రాజభాండారాన్ని పూర్తిగా తెనాలి రామలింగడికి ఇవ్వవలసి వచ్చినది. అప్పుడు రాజు ఎంతటి గొప్ప విజయానికైనా మొదటి అడుగే చాలా విలువైనదనీ, చిన్న చిన్న వస్తువులకు కూడా చాలా ప్రాముఖ్యత ఉంటుందని తెలుసుకున్నాడు.
తెనాలి రామలింగని తెలివితేటలకు సంతోషించి అతనిని తన అష్టదిగ్గజాలలో ఒకనిగా ప్రకటించి గౌరవించాడు.
शबन भंडार :
अ. नीचे दिये गये संख्या-शब्द पढ़िए। समझिए। गलत संख्या शब्द पर गोला लगाइए। लगाओ और सही शब्द लिखिए।
(క్రింది సంఖ్యాపదాలను చదవండి. అర్థం చేసుకోండి. తప్పడు సంఖ్యా శబ్దాలకు గుండ్రం చుట్టండి. సరియైన శబ్దము వ్రాయండి.)
उत्तर :
25. पच्चीस
28. अट्ठाईस
32. बत्तीस
36. छत्तीस
44. चौवालीस
46. छियालीस
47. सैंतालीस
आ. इन्हें भी समझो।
उत्तर :
100 = सौ వంద
1000 = एक हज़ार ఒక వేయి
10000 = दस हज़ार పదివేలు
100000 = एक लाख ఒకలక్ష
1000000 = दस लाख పది లక్షలు
10000000 = एक करोड़ ఒకకోటి
सृजनात्मक अभिव्यक्ति :
नीचे दिये गये वार्तालाप को आगे बढ़ाइए।
(క్రింది సంభాషణను ముందుకు నడపండి.)
तेनालीराम – महाराज! प्रणाम।
श्रीकृष्णदेवराय – प्रणाम! बताओ, तुम कौन हो ?
उत्तर :
तेनालीराम – मैं तेनाली से आया हूँ। लोग मुझे तेनालीराम कहते हैं। मैं अब एक कविता को प्रस्तुत करना चाहता हूँ।
श्रीकृष्णदेवराय – अच्छा, अब आप पेश कीजिए।
(कविता सुनाता है) बहुत खूब! कविता बहुत अच्छी है। कहिए, इनाम के रूप में क्या चाहिए ?
तेनालीराम – बस, मुझे कुछ नहीं चाहिए, आपके दर्शन केलिए आया हूँ।
श्रीकृष्णदेवराय – आपकी निस्वार्थ भावना अच्छी लगी। आप मेरे अष्टदिग्गजों में एक बनकर हमारे साथ रहिए।
तेनालीराम – महाभाग्य! राजा की जय! ‘धन्य है तेनालीराम!’
प्रशंसा :
अ. तेनालीराम की बुद्धिमता के बारे में बताइए।
(తెనాలి రాముని తెలివితేటలను గూర్చి చెప్పండి.)
उत्तर :
तेनालीराम श्री कृष्णदेवराय के दरबारी कवि थे। वह बड़ा ही चतुर था। हाज़िर जवाब था। राजा के लिए बहुत प्रिय था।
राज्य की हर समस्या को बड़ी चतुराई के साथ सुलझाने का प्रयास करता था। कभी किसी गंभीर समस्या आने पर भी वह अपनी बुद्धिमता से सोच समझकर राजा को सुझाव देता था। कई बार वह खुद वेष बदलकर उस विषम परिस्थिति को ठीक करने के लिए जाता था।
इस प्रकार कई बार अपनी बुद्धिमता से राज्य को और श्रीकृष्ण देवराय को बचाया था।
తెనాలి రామకృష్ణుడు శ్రీకృష్ణదేవరాయల ఆస్థానకవి. ఆయన చాలా తెలివైనవాడు. సమయస్ఫూర్తితో జవాబిచ్చేవాడు. రాజుకు అత్యంత ప్రియమైన వ్యక్తి. రాజ్యం యొక్క ప్రతి సమస్యను చాలా తెలివిగా సమాధానపరిచే (ప్రయత్నం చేసేవాడు. ఎప్పుడైనా విపత్కర పరిస్థితి ఎదురైతే తన తెలివితేటలతో ఆలోచించి రాజుకు సలహా ఇచ్చేవాడు. చాలాసార్లు అతను మారువేషంలో ఎన్న సమస్యలను పరిష్కరించాడు.
ఈ విధంగా చాలాసార్లు తన తెలివితేటలతో రాజ్యాన్ని, రాయలును కాపాడాడు.
परियोजना कार्य :
अ. अपनी पाठशाला के पुस्तकालय से तेनालीराम की एक और कहानी पढ़िए और उसका भाव सुनाइए।
(మీ పాఠశాలలోన గ్రంథాలయంటో తెనాల రాముని చెందిన మరొక కథ చదవండి. దాని భావము వినవంచండి.,
उत्तर :
परीक्षा
विजयनगर के न्यायाधीश की मृल्यु हो गई। राजा ने तेनालीराम को बुलाकर कहा, राज्य के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति की तलाश करो। उसे ही न्यायाधीश बनाया जाएगा।
रानी उस पद पर अपने किसी रिश्रेदार को नियुक्त कराना चाहती थीं। राजा ने तेनालीराम को बुलवाया। उससे उसी व्यक्ति के चुनाव के लिए कहा। तेनलीराम बड़े असमंजस में पड़ गया। राजा की आज्ञा का पालन करे या रानी की ? सोच-समझकर उसने एक काम किया। उसने सारे उम्मीदवारों को अपने घर बुलाया। उनको आंगन में ले गया। वहाँ एक बड़े डेग में पानी उबल रहा था। उसे दिखाकर वह बोला, ‘आप में से हरेक इस खौलते पानी में गोता लगाए। जो गोता लगाकर सकुशल बाहर आ जाएगा, वही न्यायाधीश बनेगा।’
सुनते ही सारे उम्मीदवार वहाँ से चुपचाप खिसक गए। यह समाचार राजा-रानी को मिला। वे इस अनोखी परीक्षा पर झल्ला उठे। तुरंत तेनालीराम को बुलाया गया। राजा उससे नाराज हुए। बोले, ‘सच बताओ, तुम उन सब लोगों की जान क्यों लेना चाहते थे?
तेनलीराम कुछ नहीं कहा था, इसके पहले ही रानी बोल उठी, ‘यह उनकी नहीं, मेरे एक रिश्तेदार की जान लेना चाहता था। इसे पता था कि वही सबसे चतुर है। उसे मारकर यह अपनी राह का कांटा दूर करना चाहता था।
राजा ने अचकचा कर तेनालीराम की ओर देखा। तेनालीराराम मंद मुखुरा रहा था। राजा सब-कुछ समझ गए। रानी वहाँ से चली गईं। राजा ने तेनालीराम की पीठ ठोंकी। कहा, ‘मैं तुम से बहुत खुश हूँ।’
విజయనగర సామ్రాజ్యానికి చెందిన న్యాయాధ్యక్షుడు చనిపోయాడు. రాజుగారు తెనాలి రామలింగడిని పిలిచి తెలివైన వ్యక్తిని ఆ పదవి కొరకు వెతకమన్నారు.
రాణీగారు ఆ పదవిలో తమ బంధువును నియమించాలని అనుకొన్నది. ఆవిడ కూడా తెనాలి రామలింగడిని పిలిపించింది. తమ బంధువునే ఎంపిక చేయమని చెప్పింది. తెనాలి సందిగ్ధంలో పడ్డాడు. ఎవరు చెప్పిన వారిని ఎంపిక చేయాలి రాజు చెప్పినట్లా? రాణిగారి బంధువునా ? ఆయన ఆ వచ్చినవారందరినీ తన ఇంటికి తీసుకు వెళ్ళాడు. పెరట్లో కాగుతున్న పెద్ద పాత్రలోని నీటిని చూపించాడు. ఎవరైతే ఈ నీటిలో మునక వేసి కుశలంగా బయటకు వస్తారో, వారే న్యాయాధ్యక్షుడవుతాడని చెప్పాడు.
వినగానే వచ్చిన వారందరూ మెల్లగా జారుకున్నారు. రాజుగారికి, రాణీగారికి విషయం తెలిసి ఆయన చేసిన దానికి మండిపడ్డారు. నిజం చెప్పు, వారి ప్రాణాలను తీయాలనుకున్నావా ? అని రాజుగారు అడిగారు.
ఇంకా తెనాలి రామలింగడు ఏమీ మాట్లాడనేలేదు. వారందరినీ కాదు, వారిలో ఉన్న మా బంధువును మాత్రమే చంపి వారి దారిని సుగమం చేసుకోవాలనుకుంటున్నాడు, అని రాణీగారు చెప్పి అక్కడి నుండి వెళ్ళిపోయారు. దానితో తెనాలి మెల్ల మెల్లగా నవ్వసాగాడు. అప్పటిదాకా ఇదేమీ తెలియని రాజుగారికి విషయం అర్థమైనది. వెన్ను తట్టి, నీపని నాకు బాగా నచ్చింది. నిష్పక్షపాతంగా న్యాయాధ్యక్షుడిని ఎన్నుకోమని రాజుగారు తెలిపారు.
भषा की बात :
अ. नीचे दिया गया अनुच्छेद पढ़िए।
उत्तर :
तेनालीराम तेनाली के रहने वाले थे। वे बुहत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। यह घटना उन दिनों की है, जब उनकी मुलाकात राजा श्रीकृष्णदेवराय से नहीं हुई थी। एक दिन वे राजा कृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे। उन्होंने सुना था कि राजा ज्ञानी लोगों का बड़ा आदर सत्कार करते हैं।
ऊपर दिये गये अनुच्छेद से संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्द ढूँढ़िए।
संज्ञा शब्द = तेनालीराम, तेनाली, व्यक्ति, राजा श्रीकृष्णदेवराय, हंपी, मुलाकात, राजधानी।
सर्वनाम शब्द = वे
विशेषण शब्द = बहुत चतुर, ज्ञानी, यह घटना, बडा।
आ. अब इन शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
तेनालीराम = तेनालीराम की कहानियाँ बहुत मज़ेदार होती हैं।
तेनाली = तेनाली विजयवाड़ा से 30 किलोमीटर की दूरी पर है।
राजधानी = भारत की राजधानी दिल्धी है।
राजा श्रीकृष्णदेवराय = अपनी रचनाओं में राजा श्रीकृष्णदेवराय ने तेलुगु भाषा का गुणगान किया।
हंपी = हंपी बेंगलूर के पास है।
मुलाकात = कल उत्सव में मेरे पुराने मित्रों की मुलाकात हुई।
वे = वे बहुत गुणी हैं।
ज्ञानी = कबीर ज्ञानी थे।
बहुत चतुर = राजा बीरबल बहुत चतुर थे।
यह घटना = यह घटना बहुत निराली है।
बड़ा = मेरे स्कूल का मैदान बहुत बड़ा है।
Additional Questions :
प्रश्न 1.
तेनालीराम ने इनाम में सोना क्यों नहीं लिया होगा ?
(తెనాలిరామకృష్ణడు బహుమతిగా బంగారాన్ని ఎందుకు కోరుకొనలేదు ?)
उत्तर :
तेनालीराम हंपी आये थे, सिर्फ़ अपनी चतुराई दिखाने केलिए। उसको पैसे लेने की इच्छा नहीं थी। इसीलिए कविता सुनकर राजा ने खुशी से इनाम माँगने केलिए कहा तो मौका पाकर उसने अपनी चतुराई दिखायी। अगर तेनालीराम पहले ही राजा से सोना माँगते, तो राजा उसकी इतना आदर नहीं करते। इसीलिए उसने एक योजना के साथ आगे बढ़कर चावल के दाने माँगे और बाद में अपनी चतुराई का प्रदर्शन किया।
తెనాలి రామకృష్ణుడు హంపి వచ్చింది కేవలము తన తెలివితేటలను చూపటానికి. అతనికి డబ్బు సంపాదించాలని కోరికలేదు. అందువలన కవిత విని రాజు సంతోషంతో బహుమతి కోరుకోమన్నాడు. అవకాశం చూసుకొని అతను తన తెలివితేటలను చూపించాడు.
प्रश्न 2.
श्रीकृष्णदेवराय की जगह अगर तुम होते, तो क्या करते ?
(శీకృష్ణదేవరాయల స్థానంలో మీరుంటే ఏమి చేసి ఉంటారు?)
उत्तर :
श्रीकृष्णदेवराय की जगह अगर मैं होता तो दूरदर्शिता के साथ कदम बढ़ाता। अनजान व्यक्ति के साथ बातें हों या खेल-बड़ी होशियारी के साथ पेश आता। सामनेवाले को कमज़ोर नहीं समझता। उपाय के साथ आगे बढ़ जाता।
శ్రీకృష్ణదేవరాయల స్థానంలో నేనున్నట్లయితే దూరదృష్టితో ముందడుగు వేస్తూ, తెలియని వ్యక్తితో మాట్లాడేటప్పుడు, ఆటలోను తెలివిగా ముందుకు నడిపించేటప్పుడు, ఎదుటివాడు బలహీనుడని అనుకోను. ఉపాయంతో ముందుకు వెళతాను.
प्रश्न 3.
तेनालीराम हंपी क्यों गये ?
(తెనాలి రామలింగడు హంపీ ఎందుకు వెళ్ళాడు ?)
उत्तर :
तेनालीराम ने सुना था कि राजा श्री कृष्णदेवराय ज्ञानी लोगों को बड़ा आदर और सत्कार करते हैं। इसीलिए चतुर और ज्ञानी तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी गये।
శ్రీకృష్ణదేవరాయలు విద్వాంసులను గౌరవించి సత్కరిస్తాడని తెనాలి రామలింగడు విన్నాడు. అందుకని తెలివైనవాడు, విద్వాంసుడైన తెనాలి రామలింగడు రాజుని కలవటానికి అతని రాజధాని నగరమైన హంపికి వెళ్ళాడు.
प्रश्न 4.
तेनालीराम ने राजा से क्या निवेदन किया ?
(తెనాలి రామలింగడు రాజుకు ఏమి విన్నవించాడు?)
उत्तर :
तेनालीराम ने राजा के सामने रखे शतरंज की बिसात की ओर दिखाते हुए कहा कि शतरंज के पहले खाने में चावल का एक दाना रखे तो अगले खाने में दुगना रखते हुए पूरा करके उनको इनाम में दें। తెనాలి రామలింగడు రాజుగారి ఎదుట పరచబడిన చదరంగాన్ని చూపుతూ దాని మొదటి గడిలో ఒక ధాన్యపు గింజను పెడితే తరువాతి గడిలో రెట్టింపును పెడుతూ వెళ్ళాలని, అది పూర్తి చేసి ఆ ధాన్యమును తనకు బహుమానంగా ఇవ్వాలని తెలిపాడు.
प्रश्न 5.
श्रीकृष्णदेवराय ने तेनालीराम का सम्मान किस तरह किया ?
(శ్రీకృష్ణదేవరాయలు తెనాలి రామలింగని ఎలా సన్మానించాడు?)
उत्तर :
तेनालीराम ने श्रीकृष्णदेवराय को चावल के एक दाने से जीवन का महत्व समझाया। इससे खुश होकर राजा ने तेनालीराम को अपने अष्टदिग्गजों में शामिल किया और उसका सम्मान बढाया।
తెనాలి రామలింగడు శ్రీకృష్ణదేవరాయలకు ధాన్యపు గింజతో జీవితము యొక్క గొప్పదనాన్ని తెలిపాడు. దీనితో సంతోషించి రాజు అతనిని అష్టదిగ్గజాలలో ఒకనిగా స్థానాన్ని కల్పించి గౌరవించాడు.
I. पठित गद्यांश :
निम्न लिखित गद्यांशों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
1. तेनालीराम तेनाली के रहनेवाले थे। वे बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। एक दिन तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे। उन्होंने सुना था कि राजा ज्ञानी लोगों का बडा आदर, सत्कार करते हैं।
प्रश्न 1.
तेनाली राम कहाँ के रहनेवाले थे ?
उत्तर :
तेनाली
प्रश्न 2.
चतुर और ज्ञानी व्यक्ति कौन थे ?
उत्तर :
तेनाल्लीराम
प्रश्न 3.
एक दिन तेनाल्लीराम किससे मिलने गये थे ?
उत्तर :
राजा कृण्णदेवराय
प्रश्न 4.
कृष्णदेवराय की राजधानी का नाम क्या था ?
उत्तर :
हंपी
प्रश्न 5.
ज्ञानी लोगों का आदर, सत्कार कौन करते थे ?
उत्तर :
राजा कृष्णदेवराय
2. “महाराजा! मैं आपसे कुछ नहीं चाहता मैं तो सिर्फ़ आपको दिखाना चाहता था कि छोटीछोटी चीज़ें भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। एक महान विजय हासिल करने के लिए पहले कदम उठाना आवश्यक है। मेरी हार्दिक कामना है कि आप इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए और अधिक विजय प्राप्त करें।”
प्रश्न 1.
उपरोक्त बातें कौन किससे कह रहे थे ?
उत्तर :
तेनाली रामकृष्ण ने श्रीकृष्णदेवराय से
प्रश्न 2.
तेनाली क्या बताना चाहते थे ?
उत्तर :
छोटी-छोटी चीजें भी महत्त्वपूर्ण होती हैं।
प्रश्न 3.
महान विजय हासिल करने के लिए क्या करना आवश्यक है ?
उत्तर :
पहले कदम उठाना
प्रश्न 4.
यह गद्यांश किस पाठ से दिया गया है ?
उत्तर :
चावल के दाने
प्रश्न 5.
तेनाली की कामना क्या है ?
उत्तर :
राजा से तेनाली की हार्दिक कामना है कि आप इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए और अधिक विजय प्राप्त करें।
II. अपठित पद्यांश / गद्यांश
निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सही उत्तर लिखिए।
3. मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ, एक दिन जब था मुंडेर पर खड़ा। आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा लाल होकर आँख भी दुखने लगी। मूँठ देने लोग कपड़े की लगे, ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगीं।
प्रश्न 1.
लेखक कहाँ पर खड़ा है ?
उत्तर :
छज्जे पर मुंडेर पर
प्रश्न 2.
लेखक की आँख में क्या गिरा ?
उत्तर :
तिनका
प्रश्न 3.
कौन बैचैन हो गया ?
उत्तर :
कवि
प्रश्न 4.
आँख कैसे हो गई ?
उत्तर :
लाल्न
प्रश्न 5.
लोग क्या करने लगे ?
उत्तर :
मूँठ देने लगे
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर सही उत्तर लिखिए।
4. साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखनेवाले लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला मनुष्य दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होता है तथा मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना, साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न ही अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम करते हैं।
प्रश्न 1.
साहस की जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान क्या होती है ?
उत्तर :
बिना किसी पनावाह के लक्ष्य की ओर बढ़ना
प्रश्न 2.
कैसा मनुष्य दुनिया की ताकत होता है ?
उत्तर :
जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला मनुप्य
प्रश्न 3.
साधारण जीव का काम क्या है ?
उत्तर :
अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना
प्रश्न 4.
अपने उदूदेश्य की तुलना पड़ोसियों से न करनेवाले लोग कौन हैं ?
उत्तर :
क्रांति करने वाले
प्रश्न 5.
साधारण जीव तथा साहसी व्यक्ति में क्या अंतर होता है ?
उत्तर :
जनमत की उपेक्षा न करके दूसरों को प्रकाश देना
5. अनुशासन मानव-जीवन का आवश्यक अंग है। मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में, चाहे वह खेल का मैदान हो अथवा विद्यालय, घर हो अथवा घर से बाहर कोई सभा-सोसइटी; सभी जगह अनुशासन के नियमों का पालन करना पड़ता है। पूर्ण निष्ठा के साथ उन पर आचरण करना पड़ता है और जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों को उनके अनुकूल ढालना पड़ता है। इसी में उसकी सफलता होती है। जिस जाति, संस्था, समाज या राष्ट्र के सदस्य अनुशासित जीवन के नियमों का पालन नहीं करते, वह जाति या समाज शीघ्र ही पतनोन्मुख हो जाता है।
प्रश्न 1.
अनुशासन क्या है ?
उत्तर :
मानव जीवन का आवश्यक अंग
प्रश्न 2.
किसी जाति या समाज का पतन कब होता है ?
उत्तर :
जब राष्ट्र के सदस्य नियमों का पालन नहीं करते
प्रश्न 3.
अनुशासन के नियमों का पालन कहाँ करना चाहिए ?
उत्तर :
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में
प्रश्न 4.
पूर्ण निष्ठा से अनुशासन का आचरण करना और जीवन के क्रियाकलापों को उनके अनुकूल ढलने से क्या होता है?
उत्तर :
सफलता मिलती है
प्रश्न 5.
जिस जाति, संस्था, समाज या राष्ट्र के सदस्य अनुशासित जीवन के नियमों का पालन नहीं करने उस समाज की हालत क्या है ?
उत्तर :
पतनोन्मुख हो जाता है।
पाठ : चाकल के दाजे
तेनालीराम ……………………………….. सत्कार करते हैं।
తెనాలి రాముడు తెనాలిలో ఉండేవాడు. ఆయన చాలా తెలివైనవాడు, గొప్పజ్ఞాని. ఆయన పరిచయం శ్రీకృష్ణదేవరాయలుతో కాని రోజులలోని ఒక సంఘటన ఇది. ఒకరోజు తెనాలి రామలింగడు శ్రీకృష్ణదేవరాయలును కలవటానికి రాజధాని హంపికి చేరాడు. రాజు జ్ఞానులను గౌరవించి సత్కరిస్తాడు అని తెనాలి రాముడు విన్నాడు.
तेनालीराम ……………………….. निवेदन है।
తెనాలిరాముడు హంపికి చేరి, రాజసభలో (్రవేశించాడు. రాజుకు ఒక మంచి కవితను వినిపించాడు. రాజు అతని కవితను మెచ్చి బహుమతిని కోరుకోమన్నాడు. “మహారాజా, క్షమించండి. నాదొక మనవి” అని అన్నాడు.
राजा “कहो, है?”
రాజు : “చెప్పు ఏమిటో?”
तेनाल्लीराम ………………………… समझूँगा।
తెనాలి రాముడు రాజు ముందున్న చదరంగం బోర్డు చూపుతూ ఈ విధంగా అన్నాడు – రాజా, మీరు ఒక బియ్యపుగింజను చదరంగపు గడిలో పెట్టండి. తరువాత గడిలో మొదటి దానికి రెట్టింపు గింజలు పెట్టండి. దీనినే నేను బహుమతిగా భావిస్తాను.
“क्या ………………………… से पूछा ।
“నీకు కేవలం బియ్యపు గింజలే చాలా! బంగారం వద్దా,” అని రాజు ఆశ్చర్యంతో అడిగాడు.
“हाँ ……………………….. कहा।
“అవును, మహారాజ”” అని వినయంగా తెనాలి రాముడు పలికాడు.
तो ऐसा ……………………… चुकी थी।
“సరే, అలాగే” అని రాజు సేవకులను ఆజ్ఞాపించాడు. సేవకులు చదరంగపు గడులలో బియ్యపు గింజలు పెట్టడం మొదలుపెట్టారు. మొదటి గడిలో 1 , రెండవ గడిలో 2 , మూడవ గడిలో 4 , నాలుగవ గడిలో 16 , ఈ రకంగా లెక్క పెరిగింది. పదవగడికి చేరేటప్పటికి 512 బియ్యపు గింజలు పెట్టారు. ఇరవయ్యోవ గడిలో $5,24,288$ గింజలు పెట్టారు. ఈ విధంగా చదరంగపు గడులలో సగం అనగా 32వ గడి చేరేటప్పటికి గింజల సంఖ్య 214 కోట్లకు పైగా చేరింది.
यह ………………………………….. रहा।
పరిస్థితి చూసిన సభికులందరు గాబరా చెందారు. చివరకు పరిస్థితి ఎలా అయినదంటే రాజుగారు తన వంటశాలలోని మొత్తం ధాన్యాన్ని తెనాలి రామునికి అప్పచెప్పటం తప్ప వేరే మార్గం లేదు.
तभी तेनाली ……………………………… प्राप्त करें।
అపుడు తెనాలి రాముడు రాజుతో ఇలా అన్నాడు. రాజా, నేను మీ నుంచి ఏమీ ఆశించలేదు. చిన్నచిన్న విషయాలు కూడా ఎంత మహత్తరంగా ఉంటాయో మీకు చూపించటం కోసం చేసాను. ఒక గొప్ప విజయాన్ని పొందాలని మనసారా కోరుకుంటున్నాను.
यह सुनकर …………………………. कर लिया।
ఇది విన్న శ్రీకృష్ణదేవరాయలు ఎంతో సంతోషించాడు, తెనాలి రాముడు బియ్యపు గింజలతోనే జీవితపు గొప్పదనాన్ని తెలియచెప్పాడు. ఆయన తెనాలిని తన అష్టదిగ్గజకవులలో చేర్చుకొని సన్మానించాడు.
Summary :
Tenali Rama who lived in Tenali was a clever and learned person. He arrived in Hampi, the capital city to meet Sri Krishna Devaraya. There was a talk that the king honoured the learned persons.
In the court of Sri Krishna Devaraya, Tenali Ram read a lovely poem. The king liked the poem and offered Tenali Ram a reward. Showing a chess-board laid in front of them Tenali Rama requested king to give the rice placing one grain in first square and two in next like that doubling in every square of chess board. The king asked whether he wanted the same reward. Tenali Ram answered quietly saying yes.
Ordered by king, a servant started keeping grains of rice in squares. 1 grain of rice in first square, 2grains in 2nd, 4 grains in 3rd, 8 grains in 4th, 16 grains in 5th and so on 512 grains were counted at 10 th square. At 20 th square the grains are $5,24,288$ in number. In this way, half of the chess board was completed.
Looking at the scene, everyone in court were shocked. 214 crores grains were counted upto 32 nd square, it means entire treasure of the king had to be given to Tenali Rama which would be not enough.
Then Tenali Rama told the king that he had required nothing but wanted to show king the value of small things. He said that one needed to take the first step to achieve a great success.
The king felt happy for Tenali Rama who showed him the value of life with a little grain of rice and eventually offered Tenali Rama a place in his Asta Diggajas. Knowledge is vast. Nobody, however studious he may be, ever learns everything. The wise man knows more today than yesterday. Everyday he increases his knowledge.