Telangana SCERT TS 8th Class Hindi Guide Pdf 10th Lesson अनमोल रत्न Textbook Questions and Answers.
TS 8th Class Hindi 10th Lesson Questions and Answers Telangana अनमोल रत्न
प्रश्न : (ప్రశ్నలు) :
प्रश्न 1.
चित्र में क्या-क्या दिखायी दे रहा है?
(చిత్రంలో ఏమేవి కనపడుచున్నాయి?)
उत्तर :
चित्र में कक्षा का दृश्य है। श्यामपट, अध्यापिका,छात्र दिखाई दे रहे हैं।
చిత్రంలో ఒక తరగతి గది దృశ్లము కనబడుచున్నది. నల్లబల్ల (Black Board), ఉపాధ్లాయిని, విద్లార్ధులు కనబడుచున్నారు.
प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं ?
(వారు ఏమ్ చేయుచున్నారు?)
उत्तर :
अध्यापिका हिन्दी पाठ पढ़ा रही है। छात्र अपनी किताबों में देखते हुए बड़े ध्यान से सुन रहे हैं।
ఉపాధ్యాయిని హిందీ పాఠము చెప్పుచున్నది. విద్యార్ధులు తమ పుస్తకాలలో చూస్తూ శ్రద్ధగా వింటున్నారు.
प्रश्न 3.
श्यामपद पर लिखे सुवचन से आप क्या समझते हैं?
(నల్లబల్లమ్ద ఉన్న మాటలను ఐట్టి పీకేమి అర్రమైంది?)
उत्तर :
श्यामपट पर लिखे सुवचन से मुझे ऐसा लगता है कि हर अच्छी बात अमूल्य होती है।
నల్లబల్లమీద ఉన్న మాటలు చూసి నాకు ఏమనిపిస్తుందంటే (ప్రతి మంచి మాట విలువైనదని అనివిస్తుంది.
सुनो-बोलो (వినండి – చెప్పండి) :
प्रश्न 1.
पाठ में दिये गये चित्र के बारे में बातचीत कीजिए ।
(పాఠంలోని చిత్రం గూర్చి సంఖాషించండి.)
उत्तर :
पाठ में तुलसीदासजी और रहीमजी की तस्वीरें हैं। यूँ तो ऐसे लोगों को देखने से ही हमें प्रेरणा मिलती है। इससे हम भी नेक काम करना शुरु कर देते हैं।
పాఠంలో శ్రీ తులసీదాసు మరియు శ్రీ రహీమ్ల బొమ్మలున్నాయి. అలా వారిని చూడగానే మనకు (పేరణ కలుగుతుంది. దీనితో మనం మంచి చేయటం ప్రారంధిస్తాము.
प्रश्न 2.
पाठ का शीर्षक आपको कैसा लगा और क्यों?
(పాఠ० శీర్షిక మీకు ఎలా అనిపించింది? ఎ०డుకు?)
उत्तर :
पाठ का शीर्षक ‘अनमोल रत्त’ मुझे बहुत अच्छा लगा, क्यों कि रत्नों की तरह अनुभवी कवियों की बातें भी अनमोल है।
పాఠం శీర్షిక నాకు చాలా బాగా నచ్చింది. ఎందుకంటే దీనిని చదివితే మంచి (పేరణ లఖిస్తోంది. అసంభవం అనుకునే పనిని కూడా సాధించే శక్తి మనకి లభిస్తుంది. ఒకనాటికి మనము సఫలీకృతులమౌతామని నమ్మకముతో చెప్పగలము.
पढ़ो (చదవండి) :
अ) नीचे दिये गये वाक्यों के भाव बतलाने वाले अंश दोहों में पहचानकर उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।
प्रश्न 1.
हमारा शरीर खेत के समान है।
उत्तर :
तुलसी काया खेत है।
प्रश्न 2.
लाख प्रयत्न करने पर भी बात नहीं बनती है।
उत्तर :
लाख करो किन कोय
आ) नीचे दी गयी पंक्तियों के बाद आने वाली पंक्ति लिखिए।
క్రింది పంక్తుల తర్వాత వచ్చే పంక్తుల వ్రాయండి.
1. तुलसी साथी विपत्ति – विद्या-विनय-विवेक।
2. रहीमन हीरा कब कहै – लाख टका मेरो मोल।
लिखो (రాయండి) :
अ) नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
तुलसीदास ने शरीर की खेत व मन की किसान से तुलना क्यों की होगी ?
(తులసీదాసు తన శరీరాన్ని పొలముగా, మనస్సును రైతుగా ఎందు పోల్చి ఉంటారు?)
उत्तर :
तुलसीदास ने कहा शरीर की तुलना खेत से और मन की तुलना किसान से की। क्योंकि खेत में कुछ फसल उगाना है तो किसान ही कर सकता है। अगर हमारा शरीर भी कुछ करके दिखाना है तो मन उसका संकल्प करेगा। इसीलिए तुलसी ने ऐसा कहा होगा।
తులసీదాసు శరీరాన్ని పొలంతోనూ, మనస్సును రైతుతో పోల్చాడు. ఎందుకంటే పొలంలో ఏదైనా పండించాలంటే రైతు మూత్రమే చేయగలడు. ఒకవేళ మన శరీరం కూడా ఏదైనా చేసి / సాధించి చూపించాలంటే మనస్సు దృఢంగా సంకల్పాన్ని తీసుకోవాలి. అందుకే శ్రీ తులసీదాసు కూడా ఈ విధంగా చెప్పి ఉండవచ్చును.
प्रश्न 2.
रहीम के दोहों के भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(రహీమ్ దోహేల భావం మీ స్వంత మాటల్లో రాయండి.)
उत्तर :
रहीम कहते हैं कि जिस तरह एक बार दूध फट जाता है तो उसे मथने पर भी मक्खन नहीं बनता। रहीम उसी तरह जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख प्रयत्न करने पर भी बनती नहीं है। रहीम जी के अनुसार जो सचमुच बड़े होते हैं, वे अपनी बड़ाई नहीं किया करते। बड़े-बड़े बोल नहीं बोला करते। हीरा स्वयं कभी नहीं कहता कि उसका मोल लाख टके का है।
రహీమ్ చెబుతున్నారు – ఏవిధంగానైతే విరిగిన పాలను చిలికి వెన్న తీయలేమో ఆవిధంగానే ఏ ఇద్దరి వ్యక్తుల మధ్యలోనైనా ఒకసారి మాట తేడా వచ్చి మనస్సు విరిగినట్లైతే, మరి ఎన్ని ప్రయత్నాలు చేసినా పూర్వపు సంబంధాన్ని నెలకొల్పలేము.నిజంగా గొప్పవారు, వారి గొప్పతనాన్ని తమంతట తామే చెప్పుకోరు. డాంబికాలు పలుకరు. వజ్రము దానంతట అదే దాని విలువ లక్ష రూపాయలని చెప్పుకోదు కదా!
शब्द भंडार :
अ) दोहे में आये कुछ शब्द नीचे दिये गये हैं। अब इन शब्दों से एक-एक वाक्य बनाइए।
(దోహాలో వచ్చిన కొన్ని పదాలు క్రింద ఇవ్వబడినవి. ఈ పదాలతో ఒక్కొక్క వాక్యం తయారు చేయండి.) उत्तर :
खेत | किसान खेत में काम करते हैं। |
विपत्ति | विपत्ति के समय हिम्मत से काम करो। |
विनय | सज्जनों केलिए विनय एक आभूषण है। |
दूध | गाय का दूध ताकतवर होता है। |
हीरा | लता हीरों का हार पहनती है। |
आ) नीचे दी गयी पंक्ति पढ़ए। समझिए।
‘लाख टका मेरो मोल।’
इस पंक्ति में ‘टका’ शब्द का प्रयोग विशेष अर्थ के लिए हुआ है। पुराने समय में टके का बड़ा महत्व था। अंग्रेजों के समय यह भारत की मुद्रा थी, जिसका मूल्य दो आना (पैसे) था। इसी शब्द पर कई मुहावरे भी है, जैसे-
1. टका-सा मूँह लेकर रह जाना। (उदास होना) నిరాశచెందుట
जीजाजी के व्यंग्यपूर्ण मजाक से सुनीता टका-सा मुँह लेकर रह गई।
బావగారి ఎగతాళి మాటలతో సునీత ముఖం చిన్నబుచ్చుకున్నది.
2. टके-टके को मोहताज होना (गरीब होना) పేదవాడగుట.
भाग्य का खेल देखिए – राम रतन अपने बचपन में टके-टके का मोहताज रहता था, लेकिन आज वह लखपति बन गया।
రామరతన్ తన బాల్యంలో డబ్బుకు మొహంవాచి ఉండేవాడు, కాని ఇప్పుడు లక్షాధికారి అయ్యాడు, అదే విధి విచిత్రం.
3. टका पास न होना (धन की कमी होना) చిల్లిగవ్వలేకుండుట
टका पास में न होने की वजह से गोपाल अपनी बीमार माता की इलाज नहीं करवा सका।
చిల్లిగవ్వకూడా లేకపోవుట వలన గోపాలుడు అనారోగ్యంతో ఉన్న తల్లికి వైద్యం చేయించలేకపోయాడు.
अब आप पता लगाइए कि टका को इन भाषाओं में क्या कहते हैं ?
1. तेलुगु 2. कन्नड 3. तमिल 4. मराठी
उत्तर :
1. సాణెం – తెలుగు
2. నాణ్య – కన్నడ
3. కాసు – తమిళ్
4. నాణ – మరాఠీ
सृजनात्मक अभिव्यक्ति :
अ) पाठ में बतायी गयी नीतियों के आधार पर नारे बनाइए ।
(పాఠంలో చెప్పబడిన నీతుల ఆధారంగా నినాదాలు తయారు చేయండి.)
उत्तर :
– जैसे बोओगे, वैसे पाओगे।
– विपत्ति को मानो जैसे मेहमान।
करो खातिरदारी उनकी जैसे मेजबान।।
– बात मत बिगडने दो।
काम को मत रुकने दो।
– बड़ा बड़ा करके चिल्लाने से बड़ा नहीं बनोगे।
तेरे बड़े-बड़े कामों को देखकर लोग कहेंगे कि तुम बड़े बन गए हो।
प्रशंसा :
अ) तुलसीदास और रहीम के दोहों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
(తులసీదాస్, రహీమ్ దోహీలు మన జీవితంలో ఏ ప్రాధాన్యత కల్గినవి?)
उत्तर :
दोहा छंद की बड़ी विशेषता है कि देखने में सिर्फ़ दो पंक्तियाँ होती है, लेकिन अर्थ की गहराई ज़्यादा होती है। तुलसी और रहीम के दोहों में उपदेश की गरिमा ज़्यादा होती है। लैकिक और अल्लौकिक चीज़ों के बारे में बताते हुए अच्छे मार्ग पर ले जाते हैं। साधारण सी चीज़ों को उदाहरण के रूप में लेकर बड़ी-बड़ी विषयों को समझाते हैं। इनका आचरण करने से जीवन सफल बनेगा। तुलसी ने अपने दोहों को सुधारस के समान सब को पिलाया।
रहीम के दोहे सब के लिए गले का हार बन गए हैं। भटके हुई कई लोगों की जिंदगी इनके दोहों के द्वारा ठीक हो गयी है। ‘रहीमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।” इस दोहे को पढ़ने मात्र से हमें क्या चाहिए ? इसके बारे में पता चल जाएगा। इतने सरल शब्दों और उदाहरणों के द्वारा गहन विषयों को भी समझा चुके हैं।
దోహా ఛందస్సు చూడటానికి కేవలం రెండు పంక్తులే ఉంటుంది. కానీ చాలా అర్థవంతమైనది. తులసీ, రహీమ్లు దోహాలలో ఉపదేశాన్ని గొప్పగా అందిస్తారు. లౌకిక, అలౌకిక విషయాలను గురించి చెబుతూ మనల్ని సన్మార్గంలో నడిపిస్తారు.
సాధారణమైన వస్తువులను ఉదాహరణగా తీసుకొని పెద్దపెద్ద విషయాలను అర్థమయ్యేలా చెబుతారు. వీటిని ఆచరించటం ద్వారా జీవితం సఫలమౌతుంది. తులసీదాసు తన దోహాలను అమ్ృతధారలుగా అందరికి త్రాగించాడు. రహీమ్ దోహాలు అందరికి ఇష్టమైనవి. చెడుమార్గంలో జీవిస్తున్నవారు కూడా వీటిని చదివి సన్మార్గంలో (్రయాణించటం మొదలుపెట్టారు.
“रहीमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।” ఈ పద్యాన్ని చదివి మనకేం కావాలో తెలుసుకున్నాము. ఇంత సరళమైన శబ్దాలతో ఉదాహరణలతో లోతైన విషయాలను కూడా అర్థం చేసుకోగలిగాము.
परियोजना कार्य :
अ) तुलसी और रहीम के अन्य दोहे ढूँढ़िए। उन्हें लिखिए और कक्षा में लगाइए।
(తిలలసీ, రహీమ్ల ఇతర దోహేలు వెతకండి. వాటిన వ్రాయండి. తరగి గదిలో అమ్మర్చండి )
तुलसी दोहे | रहीम दोहे |
तुलसी संत सुअम्ब तरु, फूलि फलहिं पहरेत। इतते ये पाहन हनत, उतते वे फल देत।। |
एके साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।। |
आवत ही हरषै नहिं, नैनन नहिं सनेह। तुलसी तहाँ न जाइये, कंचन बरसे मेह।। |
धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय। उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।। |
मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक। पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित बिवेक।। |
रहिमन धाग प्रेम का, मत तोड़ो चाटकाय। टूटे बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।। |
एक भरोसा एक बल, एक आस विस्वास। एक राम घनस्याम हित, चातक तुलसीदास।। |
रहिमन निज संपत्ति बिना, कोउ न बिपति सहाय। बिन पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय।। |
तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर। बसीकरन एक मंत्र है, परिहरु वचन कठोर।। |
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय। सुनि अठिलै हैं लोग सब, बाँट न लै हैं कोय।। |
आ) ‘अनमोल रत्न’ दोहों का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(‘విలువైన రత్నాలు’ పాఠ్యసారాంశము రాయండి.)
हिन्दी साहित्य में भक्तिकाल स्वर्णयुग माना जाता है। उस काल में जन्मे बहुत सारे कवियों में श्री तुलसीदास और अब्दुल रहीम खानखाना भी प्रमुख हैं। बड़े अच्छे-अच्छे दोहे वे लिख चुके थे। उनकी हर एक बात अमूल्य होती है। सचमुच उनके दोहे अनमोल रत हैं ।
तुलसीदास जी ने कहा कि शरीर खेत के समान है और मन किसान के समान है। पाप और पुण्य दो बीज हैं। मन रूपी किसान शरीर रूपी खेत में पाप और पुण्य में से जिसे बोता है, उसीका फल प्राप्त करता है। हर व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों के वक्त शिक्षा, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सच्चाई ही साथ देते हैं।
रहीम ने कहा कि जिस तरह एक बार दूध फट जाता है तो उसे मथने पर भी मक्खन नहीं बनता, उसी तरह जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख प्रयत्न करने पर भी बनती नहीं हैं। जो सचमुच बड़े होते हैं, वे अपनी बड़ाई नहीं किया करते। बड़े-बड़े बोल नहीं बोला करते। हीरा स्वयं कभी नहीं कहता कि उसका मोल लाख टके का है।
హిందీ సాహిత్యంలో భక్తి కాలమును స్వర్ణయుగంగా పరిగణిస్తారు. ఆ కాలంలో జన్మించిన చాలామంది కవులలో శ్రీ తులసీదాసు, రహీమ్ కూడా (్రముఖులు. వారు చాలా మంచి మంచి దోహాలు రచించారు. వారి ప్రతి మాట అమూల్యమైనదే. నిజంగానే వారి ప్రతి దోహా విలువైన రత్నమే. శ్రీ తులసీదాసు శరీరాన్ని పొలంతోనూ, మనస్సును రైతుగాను పోల్చి చెప్పారు. పాపపుణ్యాలు రెండు విత్తనాలు లాంటివి. ఎవరు దేనిని నాటితే వారికి అదే లభిస్తుంది. అంటే మంచి పనులు చేస్తే పుణ్యం, చెడు పనులు చేస్తే పాపము అనుభవిస్తాం.
ప్రతి వ్యకికి ఆపదకాలంలో చదువు, వినయము, వివేకము, సాహసము, చేసిన మంచిపనుల ఫలితం, నిజాయితీనే తోడై ఉంటాయని చెప్పారు. ఏవిధంగానైతే విరిగిన పాలను చిలికి వెన్నతీయలేమో అదేవిధంగా ఏ ఇద్దరి వ్యక్తుల మధ్యలోనైనా ఒకసారి మాట తేడా వచ్చి మనస్సు విరిగినట్లైతే, మనము ఎన్ని ప్రయత్నాలు చేసినా పూర్వపు సంబంధాన్ని నెలకొల్పలేమని రహీమ్ చెప్పారు. గౌప్పవారు నిజంగా తమ గొప్పతనాన్ని తామంతటతామే చెప్పుకోరు. డాంబికాలు పలుకరు. వజ్రం దానంతట అదే దాని విలువ లక్షలని చెప్పుకోదు కదా! అదేవిధంగా మన గురించి చుట్టూ అందరూ మంచిగా చెప్పుకొనేటట్లు జీవించాలే కానీ మనము చెబితేగాని గుర్తించే విధంగా జీవించరాదు.
Summary
The lesson “अनमोल रत्न” which meant ‘Invaluable Gems’ is a confluence of two great poets. One of them is Mahatma ‘Tulasidas’ and other is great sage Rahim. They gifted us many precious things through their poems.
Tulsidas in his first poem explains, “If we assume human body as a field, the mind is like a farmer, sin and virtue are the seeds in the hands of farmer. As you sow, so shall you reap”.
Tulsidas in second poem interprets in the time of disasters only education, courage, obedience, good deeds and wisdom will accompany us. No one but they alone will be with us.
Rahim in his first poem says that once the words fail, it won’t matter how many times you try, the word can’t be rectified.
In his second poem, Rahim says that who are really great never proclaim about their greatness. They never boast of themselves. For example a diamond never reveals its greatness saying that its cost is one lakh rupees.
भषा की बात :
अ) पढ़ए – समझिए।
ये तुकांत शब्द हैं। इनकी वज़ह से भाषा की सुंदरता बढ़ती है। पढ़नेवाले भी उस मधुरता को पाते हैं।
आ) ऊपर दिये गये शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए ।
उत्तर :
1. किसान का मेहनत निदान करने वाला कोई नहीं है।
2. पोथी पढ पढ जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का पढे सो पंडित होये।
3. जो काम लोग करै, सो कम लोग न कहै।
4. बिना सोच बोलने से, शत्रुता को मोल लेना होता है ।
5. विवेक लोगों में समाज को एक करने की क्षमता होती है ।
Additional Questions :
प्रश्न 1.
तुलसीदास जी के बारे में लिखिए।
(తులసీదాసు గురించి రాయండి.)
उत्तर :
तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था। उनका जन्म सन् ई.में 1532 राजापुर नामक गाँव में हुआ। उनका विवाह दीनबंधु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ था। पत्नी की ओर उनकी अत्यंत आसक्ति थी। एक समय इसी आसक्ति के कारण वे उसके पीछे पागल होकर बिना सूचना दिये ही यकायक ससुराल पहुँच गये। पत्नी को उनका वहाँ आना बहुत बुरा लगा। उस समय उसने अत्यंत दुखी हो उद्बोधन रूप में कुछ वाक्य कहे। पत्वी का यह उद्बोधन कवि केलिए संजीवनी सिद्ध हुआ। वे राम का भक्ति में सन्यासी होकर घर से निकल पड़े।
వారి వివాహం దీనబంధు పాఠక్ గారి కుమార్తె రత్నావళితో జరిగింది. భార్యంటే అమితమైన [పేమ. ఒకసారి ఆ (పేమ కారణంగా ఆయన ఆమె వెనుక పిచ్చి|పేమతో అకస్మాత్తుగా అత్తగారింటికి వెళ్ళారు. అక్కడికి అలా రావటం భార్యకు ఏమాత్రం నచ్చలేదు. ఆ సమయంలో బాధతో భర్తకి ఉద్బోధన చేసింది.
భార్యమాటలు ఆయనకు సంజీవనిలా పనిచేశాయి. దానితో ఆయన రామభక్తిలో నిమగ్నమై సన్యాసం తీసుకొని ఇంటినుంచి వెళ్ళిపోయారు. ఆయన రామాయణాన్ని రామచరితమానస్ అను పేరుతో రచించారు. అంతేకాక కవితావళి, దోహావళి, వినయపత్రిక, పార్వతీమంగళ్ మొదలైన అనేక గగరథాలను (బ్రజ్ మరియు అవధి భాషలలో రచించారు. గ్రీ.శ 1623లో ఆయన మరణించారు.
उन्होंने रामचरितमानस की दोहावली रचना की। इसके अतिरिक्त उन्होंने कवितावली, दोहावली विनयपत्रिका, पार्वतीमंगल आदि अनेक ग्रंथों की रचना ब्रज और अवधी भाषाओं में की। उनकी मृत्यु सन् 1623 ई.में हुई।
తులసీదాసు తండ్రి ఆత్మారామ్ దుబే, తల్లి హులసీ. ఆయన క్రీ. శ. 1532లో రాజాపూర్ గ్రామంలో జన్మించారు. వారి వివాహం దీనబంధు పాఠక్ గారి కుమార్తె రత్నావళితో జరిగింది. భార్లంటే అమితమైన [పేమ. ఒకసారి ఆ (పేమ కారణంగా ఆయన ఆమె వెనుక పిచ్చి(పేమతో అకస్మాత్తుగా అత్తగారింటికి వెళ్ళారు. అక్కడికి అలా రావటం భార్యకు ఏమాత్రం నచ్చలేదు.
ఆ సమయంలో బాధతో భర్తకి ఉద్బోధన చేసింది. భార్యమాటలు ఆయనకు సంజీవనిలా పనిచేశాయి. దానితో ఆయన రామభక్తిలో నిమగ్నమై సన్యాసం తీసుకొని ఇంటినుంచి వెళ్ళిపోయారు. ఆయన రామాయణాన్ని రామచరితమానస్ అను పేరుతో రచించారు. అంతేకాక కవితావళి, దోహావళి, వినయపత్రిక, పార్వతీమంగళ్ మొదలైన అనేక గ్రంథాలను (బజజ్ మరియు అవధి భాషలలో రచించారు. గ్రీ.శ
प्रश्न 2.
आप विपत्ति का सामना कैसे करेंगे ? क्यों ?
(మీరు ఆపదలను ఎట్లా ఎదుర్కొంటారు? ఎందుకు?)
उत्तर :
विपत्ति ही जीवन की कसौटी है। सच्चे अर्थ में, विपत्ति नहीं आती तो जीवन रसहीन हो जाएगा। अगर विपत्ति आए तो मैं आत्मविश्वास के साथ डटकर उसका मुकाबला करूँगा, कभी पीछे नही हटूँगा। हर समस्या को सुलझाने के लिए अनेक रास्ते होंगे, उनको समझकर जिसमें हमारी और दुनिया की भलाई होगी, उस रास्ते को हमें अपनाना है।
కష్టాలు జీవితానికి గీటురాళ్ళు. నిజంగా చెప్పాలంటే కష్టాలు లేకుంటే జీవితం చాలా నీరసంగా ఉంటుంది. కష్టాలొస్తే ధైర్యంగా ఆత్మవిశ్పాసంతో నిలబడి వాటిని ఎదురించాలి. ఎప్పుడు వెనుతిరగరాదు. (్రతి సమస్యను సాధించటానికి అనేక మార్గాలుంటాయి. కానీ వాటిలో ఏది మనకి మరియు ప్రపంచానికి మేలు చేస్తుందో ఆ దారిని ఎంచుకోవాలి.
I. पठित पद्यांश :
निम्न लिखित पद्यांशों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
1. तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान ।
पाप – पुण्य दोऊ बीज है, बुचै सो लुनै निदान ।।
तुलसी साथी विपत्ति, विद्या-विनय-विवेक ।
साहस, सुकृति, सुसत्य व्रत, राम भरोसे एक ।।
प्रश्न 1.
तुलसी के अनुसार, शरीर किसके समान है ?
उत्तर :
खेत
प्रश्न 2.
तुलसी के अनुसार, मन किसके समान है ?
उत्तर :
किसान
प्रश्न 3.
तुलसी के अनुसार, बीज क्या है ?
उत्तर :
पाप और पुण्य
प्रश्न 4.
विपत्ति के समय क्या साथ देते हैं ?
उत्तर :
शिक्षा, विनय, विवेक, साहस अच्छे कार्य और सच्चाई
प्रश्न 5.
तुलसी की मुख्य रचना क्या है ?
उत्तर :
रामचरितमानस
2. बिगरी बात बनै नहिं लाख करो किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ।।
बड़े बड़ाई न करैं, बड़ो न बोलैं बोल ।
रहीमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल ।।
प्रश्न 1.
रहीम के अनुसार, बात बिगड़ने पर क्या होता है ?
उत्तर :
लाख प्रयत्न करने पर भी बिगड़ी बात नहीं बनती।
प्रश्न 2.
बड़े लोग क्या नहीं करते ?
उत्तर :
अपनी बडाई नहीं करते।
प्रश्न 3.
हीरा क्या करता है ?
उत्तर :
हीरा कभी अपना मोल नहीं कहता।
प्रश्न 4.
रहीम की प्रसिद्ध रचना क्या है ?
उत्तर :
रहीम सतसई
प्रश्न 5.
रहीम का जीवनकाल क्या है ?
उत्तर :
1556 से 1626
II. अपठित पद्यांश / गद्यांश
निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सही उत्तर लिखिए।
3. आ रही रवि की सवारी!
नव किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि सवारी!
विहग, बंदी और चारण,
गा रहे हैं कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी,
तारकों की फौज सारी।
आ रही रवि की सवारी!
प्रश्न 1.
किसकी सवारी आ रही है ?
उत्तर :
रवि
प्रश्न 2.
पथ किससे सजा है ?
उत्तर :
कलि-कुसुम से
प्रश्न 3.
सेवकों ने क्या धारण किया है ?
उत्तर :
स्वर्ण की पोशाक
प्रश्न 4.
किसकी फौज मैदान छोड़कर भाग गई ?
उत्तर :
तारकों की
प्रश्न 5.
विहग, बंदी और चारण किसका गायन गा रहे है ?
उत्तर :
कीर्ति का
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर सही उत्तर लिखिए।
2. सच्चा मित्र एक शिक्षक की भाँति होता है। जिस प्रकार शिक्षक अपने छात्र को सन्मार्ग की ओर अग्रसर करता है उसी प्रकार एक सच्चा मित्र अपने मित्र को पाप के गर्त में गिरने से बचाता है। मानव-जीवन अधिक रहस्यपूर्ण है। कभी-कभी जीवन में ऐसे अवसर उपस्थित हो जाते हैं जब मनुष्य की धर्म-बुद्धि नष्ट हो जाती है। उसका मन द्रुतगति से पाप की ओर दौड़ता है। ऐसे समय में मित्र का ही उपदेश अधिक कल्याणकारी सिद्ध होता है। मित्र के उपदेश का जितना प्रभाव हृदय पर पड़ता है उतना और किसी का नहीं पड़ता।
प्रश्न् 1.
सच्चे मित्र को किसके समान बताया गया है ?
उत्तर :
मार्गदर्शक के समान
प्रश्न् 2.
शिक्षक अपने छात्र को किस मार्ग की ओर अग्रसर करता है ?
उत्तर :
सन्मार्ग की ओर
प्रश्न् 3.
सच्चे मित्र की क्या विशेषताएँ होती हैं ?
उत्तर :
वह मित्र को पतन से बचाता है।
प्रश्न् 4.
किसके उपदेशों का अधिक प्रभाव होता है ?
उत्तर :
मित्र
प्रश्न् 5.
किसका जीवन अधिक रहस्यपूर्ण है ?
उत्तर :
मानव
3. मनुष्य को हर तरह के अनुशासनों का सामान्य ज्ञान होना ही चाहिए। किसी सभा में शोर मचाना अनुचित है। किसी वक्ता को अपनी बात कहने का मौका न देना अशिष्टता है। राष्ट्रगान के अवसर पर बैठे रहना या झूमना अशिष्ट व्यवहार है। जहाँ सब लोग बैठे हों वहाँ लेट जाना या पैर फैलाकर बैठना बहुत अनुचित है। कभी-कभी थक जाने पर इच्छा होती है कि कुर्सी पर पैर रखकर बैठें या चारपाई पर निढाल होकर पड़ जाएँ। अन्य लोगों की उपस्थिति में हमें अपनी ऐसी इच्छा को दबा लेना चाहिए। अपने मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 1.
मनुष्य को किसका सामान्य ज्ञान होना चाहिए ?
उत्तर :
अनुशासन
प्रश्न 2.
सभा में शोर मचाना कैसा माना जाता है ?
उत्तर :
अनुचित
प्रश्न 3.
थक जाने पर क्या इच्छा होती है ?
उत्तर :
कुर्सी पर या चारपाई पर बैठने की
प्रश्न 4.
अन्य लोगों की उपस्थिति में हमें किसे दबा लेना चाहिए ?
उत्तर :
अपनी इच्छा
प्रश्न 5.
शिष्ट व्यवहार हेतु क्या आवश्यक है ?
उत्तर :
मन को संयम में रखना
पाठ : अनमोल रत्ज
1. तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान।
पाप-पुण्य दोऊ बीज है, बुवै सो लुनै निदान।
भाव : तुलसी जी के अनुसार शरीर खेत के समान है और मन किसान के समान। पाप और पुण्य दो बीज हैं, जो बोया जाता है, उसी को प्राप्त करना पडता है।
భావము : తులసీదాసు శరీరాన్ని పొలముతోనూ, మనస్సును రైతుతోనూ పోల్చి చెప్పారు. పాపపుణ్యాలు రెండు విత్తనాలు లాంటివి. ఎవరు దేనిని నాటితే, వారికి అదే లభిస్తుంది. అంటే మంచి పనులు చేస్తే పుణ్యం, చెడ్డ పనులు చేస్తే పాపము అనుభవిస్తాము.
2. तुलसी साथी विपत्ति, विदूया-विनय-विवेक।
साहस, सुकृति, सुसत्य व्रत, राम भरोसे एक॥।
भाव : तुलसीदास जी के अनुसार विपत्ति के समय शिक्षा, विनय, विवेक, साहंस, अच्छे कार्य और सच्चाई ही साथ देते हैं।
భావము : ప్రతి వ్యక్తికి ఆపదకాలంలో చదువు, వినయము, వివేకము, సాహసము, చేసిన మంచి పనుల ఫలితం, నిజాయితీనే తోడై ఉంటాయని శ్రీతులసీదాసు చెప్పారు.
3. बिगरी बात बनै नहिं, लाख करो किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ॥
भाव : रहीम कहते हैं कि जिस तरह एक बार दूध फट जाता है तो उसे मथने पर भी मक्खन नहीं बनता। उसी तरह जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख प्रयत्न करने पर भी बनती नहीं है।
భావము: ఏవిధంగానైతే విరిగిన పాలను చిలికి వెన్న తీయలేమో ఆవిధంగానే ఏ ఇద్దరి వ్యక్తుల మధ్లలోనైనా ఒకసారి మాట తేడా వచ్చి మనస్సు విరిగినట్లెతే, మరి ఎన్ని ప్రయత్నాలు చేసినా పూర్వపు సంబంధాన్ని నెలకొల్పలేము.
4. बड़े बड़ाई न करैं, बड़े न बोलैं बोल।
रहीमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल ।।
भाव : रहीम जी के अनुसार जो सचमुच बड़े होते हैं, वे अपनी बड़ाई नहीं किया करते। बड़े-बड़े बोल नहीं बोला करते। हीरा स्वयं कभी नहीं कहता कि उसका मोल लाख टके का है।
భావము : నిజంగా గొప్పవారు, వారి గొప్పతనాన్ని తమంతట తామే చెప్పుకోరు. డాంిికాలు పలుకరు. వజ్రము దానంతట అదే దాని విలువ లక్ష రూపాయలని చెప్పుకోదు కదా ! అని కవి శ్రీరహీమ్ అన్నారు.