TS 8th Class Hindi Guide 11th Lesson हार के आगे जीत है

Telangana SCERT TS 8th Class Hindi Guide Pdf 11th Lesson हार के आगे जीत है Textbook Questions and Answers.

TS 8th Class Hindi 11th Lesson Questions and Answers Telangana हार के आगे जीत है

प्रश्न : (ప్రశ్నలు) :

प्रश्न 1.
चित्र में क्या-क्या दिखायी दे रहा है ?
(చిత్రంలో ఏమేమి కనిపిస్తున్నాయి?)
TS 8th Class Hindi Guide 11th Lesson हार के आगे जीत है 7
उत्तर :
चित्र में थोड़े विकलांग दिखाई दे रहे हैं।
చిత్రంలో కొంతమంది వికలాంగులు కనబడుచున్నారు.

प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे है ?
(వారేమి చేస్తున్నారు?)
उत्तर :
वे फुटबाल खेल रहे हैं।
వారు ఫుట్బాల్ ఆడుచున్నారు.

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प्रश्न 3.
इसे देखने पर हमारे मन में क्या विचार उठते हैं ?
(వీటిని చూస్తే మన మనస్సులో కలిగే ఆలోచనలు ఏమిటి?)
उत्तर :
बैसाखियों के सहारे चलनेवाले ये इतना साहस दिखाते हैं तो हमें किसी मौके को हाथ से गँवाना नहीं चाहिए। असंभव को संभव करने तक छोड़ना नहीं चाहिए।

చంక కర్రల సహాయంతో నడిచి వీరే ఇంత సాహసం చూపిస్తున్నారు, మనము చేతికొచ్చిన ఏ అవకాశాన్నీ జారనివ్వకూడదు. అసంభవాన్ని సైతం సాధ్యం చేసేవరకు వదలకూడదు అని మనసులో [పేరణ కలిగింది.

सुनो-बोलो (వినండి – చెప్పండి) :

प्रश्न 1.
पाठ का शीर्षक कैसा लगा और क्यों ?
(పాఠం మొక్క శ్రీకక ఎలా ఉంది? ఎండుకలా ఉంది ?)
उत्तर :
पाठ का शीर्षक मुझे बहुत अच्छा लगा, क्योंकि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए। हार की सीढ़ियाँ चढ़कर ही जीत हासिल कर सकते हैं।

పాఠము యొక్క శీర్షిక నాకు బాగుంది. ఎందుకంటే లక్ష్యాన్ని చేరుకోటానికి ప్రయత్నం చేస్తూ ఉండాలి. ఓటమి అనే మెట్లను ఎక్కితేనే, విజయం చేకూరుతుంది.

प्रश्न 2.
शारीरिक रूप से कमज़ोर लोगों को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है?
(శారీరక రూపంలో బలహీనమైన వారు ఏ ఏ కష్టాలను ఎడుర్కోవలసి వస్తుంది?)
उत्तर :
शारीरिक रूप से कमज़ोर लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वे खुद अपने काम नहीं कर सकते। दूसरों की मदद हर काम में अपेक्षा करते हैं। लोगों की अनाप-शनाप सुनना पड़ता है। मन में उमंग रहने पर भी कार्य रूप में वे रख नहीं पाते। जानकर भी अनजान बनकर जीते हैं।

శారీరకంగా బలహీనులు అనేక సమస్యలు ఎదుక్కాంటారు. వారు స్వయంగా తమ పని తాము చేసుకోలేరు. ఇతరుల సహాయం కోసం ప్రతి పనిలో ఎదురుచూస్తారు. ప్రజల అవాకులు చవాకులు భరిస్తారు. మనస్సులో ఉత్సాహం ఉండి కూడా కార్యరూపంలో వారు పెట్టలేకపోతారు. తెలిసికూడా ఏమీ తెలియనివారిలా జీవిస్తారు.

पढ़ो (చదవండి) :

अ) नीचे दिये गये वाक्य पढ़िए। किसने कहा बताइए।

(క్రింది వాక్యము చదవండి. ఎవరు చెప్పారో చెప్పండి.)

वाक्य किसने कहा ?
अ) मैं क्या कर सकती हूँ जबकि मैं चल ही नहीं पाती हूँ? विल्मा
आ) दौड़ की कला मैं तुम्हें सिखाऊँगा। टेंपल
इ) जमीन पर अपने कदम सीधे नहीं रख पायेगी। डॉक्टर

आ) चित्र देखिए। उससे जुड़े वाक्य पाठ में ढूँढ़ि। रेखांकित कीजिए ।

(చిత్రం చూడండి. డానితో జతకాజడిన వాక్యము పాఠంలో వెతుకండి. గీత గీయండి.)
TS 8th Class Hindi Guide 11th Lesson हार के आगे जीत है 1
1. वह बैसाखियों के सहारे चलती थी।
2. माँ की प्रेरणा व हिम्मत से 9 वर्ष की विल्मा ने बैसाखियाँ उतार फेंकी व चलना प्रारंभ किया।
3. इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गयी कि एक पोलियोग्रस्त महिला 1960 के रोम ओल्प्पिक में दुनिया की सबसे तेज धाविक बन गयी।
4. एक ही ओलंपिक में तीन स्वर्णपदक जीतनेवाली पहली अमेरीकी एथलीट बनी।

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लिखो (రాయండి) :

अ) नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
विल्मा की माँ ने उसे प्रेरणा नहीं दी होती तो क्या होता ? सोचकर लिखो।
(విల్మా తల్లి తనకు (ప్రేణగా నిలవకపోతే ఏవి జరిగేది? ఆలోచించి క్రాయుము.)
उत्तर :
विल्मा की माँ ने उसे प्रेरणा नहीं दी होती, तो-

  • वह बिस्तर से उठी नहीं होती।
  • डॉक्टरों के अनुसार कभी चल नहीं पाती।
  • टेनेसी स्टेट विश्वविद्यालय नहीं जा पाती।
  • कोच एड टेंपल से नहीं मिल पाती।
  • ओलंपिक खेल में हिस्सा नहीं ले पाती।
  • अपना सपना ‘दुनिया की सबसे तेज़ धावक बनना’ साकार नहीं कर पाती।

విల్మాకు తల్లి (ప్రేరణ లభించకపోయినట్లైతే –

  • ఆమె మంచంపై నుంచి లేవగలిగేది కాదు.
  • డాక్టర్లు చెప్పినట్లు ఆమె ఎప్పటికి నడవగలిగేది కాదు.
  • టెనెసీ స్టేట్ యూనివర్శిటీలో చేరేదే కాదు.
  • కోచ్ ఎడ్ టెంపల్ని కలిసి ఉండేది కాదు.
  • ఒలంపిక్ ఆటల్లో పాల్గాని ఉండేదే కాదు.
  • ప్రపంచంలో కెల్లా గొప్ప అథ్లెట్ కావాలనే తన కలను సాకారం చేసుకోగలిగేదే కాదు.

प्रश्न 2.
विल्मा का जीवन प्रेरणादायक है। कैसे ?
(విల్మా జీవితమే ఒక (పేరణ. అది ఎట్లా?)
उत्तर :
चार वर्ष की उम्र में पोलियोग्रस्त विल्मा बैसाखियों के बिना चल भी नहीं सकती। लेकिन माँ की प्रेरणा से भरी बातों और कोच टेंपल के हौंसला बढ़ाने की वजह से तेज़ धावक बनी। इतिहास के पन्नों में इसकी सफलता दर्ज की गयी। इससे पता चलता है कि ईश्वर में विश्वास, स्वयं पर भरोसा, मेहनत और लगन से जिंदगी में कठिन कार्यों में भी सफलता हासिल कर सकते हैं। सचमुच विल्मा का जीवन प्रेरणादायक है।

4 ఏళ్ళ వయస్సులో విల్మా పోలియోవ్యాధికి గురైంది. దీనితో చంక కర్రలు లేనిదే నడవలేకపోయింది. తల్లి స్భూర్తిదాయకమైన మాటలు, కోచ్ ఎడ్ టెంపల్ [పేరణ ఆమె మనోధెర్యాన్ని పెంచి మంచి క్రీడాకారిణిగా తీర్చిదిద్దాయి. ఎవరిలో ఐతే భగవంతుడంటే నమ్మకం, ఆత్మవిశ్వాసం, చశరమ, పట్టుదల ఉంటాయో వారు జీవితంలో కష్టమైన బాధ్యతలలో కూడా సఫలతను పొందుతారు. నిజంగా విల్మా జీవితం ఎంతోమందికి స్ఘూర్తిదాయకం.

आ) इस पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

(ఈ పాఠ० సారా०శ० మీ స్వంత మాటల్లో రాయండి.)
उत्तर :
अमेरिका के टेनेसी प्रांत में एक रेलवे मज़दूर के घर में 23 जून 1940 में विल्मा ने जन्म लिया। चार वर्ष की उम्र में वह पोलियो का शिकार हो गयी। नौ वर्ष तक ज़मीन पर पाँव भी नहीं रखी। तब वह बहुत अधीर हो गयी। लेकिन आत्मविश्वासी माँ ने तो विल्मा का हौंसला बढ़ाया और बोली कि ईश्वर में विश्वास, स्वयं पर भरोसा, मेहनत और लगन से वह जो चाहे प्राप्त कर सकती है। इससे प्रेरित हो कर उसने बैसाखियाँ उतार फेंकीं और चलना प्रारंभ किया। वह दुनिया की सबसे तेज़ धावक बनना चाहती है। इसीलिए निरंतर दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही।

15 वर्ष की उम्र में टेनेसी स्टेट विश्वविद्यालय गयी। वहाँ के कोच एड टेंपल से मिली। दौड़ की कला उनसे सीखी। 1960 के रोम ओलिम्पिक में 100,200 मीटर की दौड़ और 400 मीटर की रिले दौड़ में तीन स्वर्ण पदक जीते। यह उसकी इच्छाशक्ति और कठोर परिश्रम का परिणाम था। ‘सच है, तन, मन और आत्मा से जो मज़बूत होते है, सफलता उसके कदम चूमती है।

అమెరికాలో టెనెసీ ప్రాంతంలో ఒక రైల్వే కూలీకి జూన్ 23, 1940లో విల్మా జన్మించినది. 4 ఏళ్ళ వయస్సులో ఆమె పోలియో వ్యాధికి గురైంది. 9 ఏళ్ళ వరకు కాళ్ళు భూమి మీద పెట్టలేదు. దీనితో ఆమె పూర్తిగా అధైర్యపడినది. కానీ, గట్టినమ్మకంతో తల్లి విల్మామొక్క ధైర్యాన్ని పెంచింది. భగవంతునిపై నమ్మకం, ఆత్మవిశ్వాసం, పట్టుదల, కృషితో ఏమి కావాలంటే అది కాగలవని చెప్పింది. నడవటం ప్రారంఖించింది.

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ప్రపంచంలో కెల్ల గొప్ప అథ్లెట్ కావాలని నిరంతరం పరుగుపందెంలో పాల్గొన్నది. 15 సం1ల వయస్సులో టనెసీ విశ్వవిద్యాలయంలో చేరింది. అక్కడి కోచ్ ఎడ్ టెంపుల్తో కలిసింది. పరుగుపందెంలో 100 వీటర్లు, 200 ఏీటర్ల పరుగుపండెంలోను, 400 మీటర్ల రిలే పరుగుపందెంలో 3 బంగారు పతకాలను గెలిచింది. ఇది కేవలం ఆమె దృఢసంకల్పము, కఠినమైన శ్రమతోకూడిన ప్రయత్నం ద్వారా మాత్రమే సాధ్యమైనది. ‘మనస్సు, శరీరం, ఆత్మ ఎవరిలోనైతే దృఢమైన లక్ష్యసాధనలో నిమగ్నమౌతాయో సాఫల్యం వారి బానిస అవుతుంది.’

शब्द भंडार :

अ) अर्थ लिखिए।
उत्तर :

अर्थ
धावक जो तेज़ दौडता है, उसे धावक कहते हैं।
ओलंपिक सन् 776.सी. ने ग्रीक देश में ओलंपिया प्रांत में ओलंपिक प्रारंभ हुआ ।
रिले दौड़ दो या दो से अधिक प्रतियोगी एक दल बनकर
निश्चित दूरी को बाँटते हुए दौड़ पूरा करते हैं।
बेटन रिले दौड़ में काम आनेवाला लोहे का कोखला ड़ंडा
पोलियो यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से चल नहीं सकते।

 

आ) भारतीय ओलंपिक विजेताओं के चित्र देखिए किसी एक के बारे में तीन वाक्य लिखिए।
(భారతీయ ఒలంపిక్ విజేతల చిత్రాలు చూడండి. ఎవరైనా ఒకరి గూర్చి రాయండి.)
उत्तर :
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1. खाशाबा दादासाहेब जादब : सन् 1952 – हेलेन्क्की, ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीता।
2. लियांडर पेस : सन् 1996 – अट्लांटा, ओलंपिक में टेनिस में कांस्य पदक जीता।
3. करणम मल्लेश्वरी : सन् 2000 – सिड़नी, ओलंपिक में भारो तोलन में कांस्य पदक जीता।
4. राजवर्धन सिंह राथोड़ : सन् 2000 – एथेन्स, ओलंपिक में शूटिंग में रजत पदक जीता।
5. विजेंदर : सन् 2008 – बीजिंग, ओलंपिक में मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीता।
6. अभिनव बिंद्रा : सन् 2008 – बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता।
7. विजयकुमार : सन् 2012 – लंडन ओलंपिक में पिस्तौल शूटिंग में राजतपदक जीता।
8. सुशील कुमार : सन् 2008-बीजिंग ओलंपिक में कांस्य, सन् 2012-लंडन ओलंपिक में रजत पदक जीते।
9. साइना नेह्लाल : बैडमिंटन में चीन, कोरिया, इंडोनेशिया और जापान के धुरंधरों के बीच कोई भारतीय इस कदर छा जाएगा, किसी ने सोचा नहीं होगा लेकिन 20 वर्षीय सायना नेहवाल औरों की तरह आम खिलाड़ी नहीं हैं। सायना औरों के कहीं अलग, कहीं ज्यादा दमदार, प्रतिभाशाली और आत्मविश्वास से लबरेज ऐसी “खास” खिलाड़ी हैं जो जीत हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। तीन अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीतना कोई मामूली बात नहीं है लेकिन सायना ने हाड़तोड़ मेहनत और समर्पण के बल पर उपलब्धि हासिल कर ली जो सपने में भी नहीं सोची जा सकती है।
10. योगेश्वर दत्त : सन् 2012 – लंडन ओलंपिक में कुस्ती में कांस्य पदक जीता।
11. गगन नारंग : सन् 2012 – लंडन ओलंपिक में रायफिल शूटिंग में कांस्य पदक जीता।
12. मेरी कॉम: सन् 2012 – लंडन ओलंपिक में मुक्केवाजी में कांस्य पदक जीता

सृजनात्मक अभिव्यक्ति :

विल्मा का साक्षात्कार लेने के लिए एक प्रश्नावली तैयार कीजिए ।
(విల్మాతో ఇంటర్వ్యూకి ఒక ప్రశ్నావళిని తయారు చేయండి.)
उत्तर :
साक्षात्कार कर्ता : नमस्कार। — నమస్కారము

  • मुझे आपका साक्षात्कार चाहिए। — నాకు మీ ఇంటర్వ్య కావాలి.
  • आपका पूरा नाम क्या है? — మీ పూర్తి పేరు?
  • आप का जन्म कब हुआ ? — మీరు ఎప్పుడు జన్మించారు ?
  • आप का जन्म कहा हुआ ? — మీరు ఎక్కడ జన్మించారు ?
  • आप के माँ-बाप के बारे में बताइए। — మీ తల్లిదండ్రుల గురించి చెప్పండి.
  • कब से आप इस रोग के शिकार बन गए है? — ఎప్పటి నుండి మీరు ఈ వ్యాధికి బాధితులు ?
  • डॉक्टरों ने क्या कहा ? — డాక్టర్లు ఏమన్నారు ?
  • तब आप को कैसे लगा ? — అప్పుడు మీకే మనిపించింది ?
  • आपका हौसला किसने बढ़ाया ? — మీ ధైర్యాన్ని ఎవరు పెంచారు ?
  • तब आप ने क्या किया ? — అప్పుడు మీరు ఏమి చేశారు ?
  • अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कैसे सफलता पायी? — లక్ష్యసాధనలో సాఫల్యాన్ని ఎలా పొందారు ?
  • उस रास्ते पर कोई अडचन है ? — ఆ దారిలో మీ కెదురైన ఇబ్బందులు ఏమిటి ?
  • उन अडचनों को कैसे दूर कर चुकी है ? — ఆ ఇబ్బందులను మీరు ఎలా దూరం చేసుకోహాలనుకున్నారు?
  • आपकी सफलता की राज क्या है ? — మీ విజయానికి రహస్యం ఏమిటి ?
  • लोगों को क्या संदेश देना चाहती है ? — ప్రజలకు మీరు ఏ సందేశాన్ని ఇవ్వాలని అనుకుంటున్నారు?

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परियोजना कार्य :

आप अपने मनपसंद खिलाड़ी के बारे में नीचे दी गयी जानकारियाँ लिखिए।
(మీకు నచ్చిన ఒక ఆటగాడి గూర్చి క్రింద ఇచ్చిన వివాలు రామండి.)

जवाब
1. खिलाड़ी का नाम महेंद्र सिंह धोनी
2. खेल क्रिकेट
3. कितने वर्षों से खेल रहा है ? 2004 – 05
4. सम्मान राजीव खेल रत्न – 08
पद्मश्री – 2009
Doctorate Degree by de Montfort University in 2011
5. क्यों पसंद है ? उसके नेतृत्व में
विश्व कप जीते हैं।


प्रशंसा

खेल में हार-जीत लगी रहती है। हार के प्रति आप कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे
(ఆటలో గెలుపు-ఓటములు ఉంటాయి. ఓటమి పట్ల మీ యొక్క (ప్రతికియ ఎట్లా ఉంటుందో వ్యక్తపర్చండి?)
हार के वक्त मेरी प्रतिक्रिया इस तरह होगी – ఓడిపోయినప్పుడు నా స్పందన ఇలా ఉంటుంది

  • निराश न होकर, मन लगाकर काम करूँगा। (నిరాశ చెందక ఏకాగ్రతతో పనిచేస్తాను.)
  • अभ्यास के द्वारा अपनी क्षमता बढ़ाऊँगा। (సాధన ద్వారా నా యోగ్తతను పెంచుకుంటాను.)
  • विशेषज्ञों से मिलकर अपनी कमियों को सुधारूँगा। (విశేషజ్ఞులను కలిసి నా లోపాలను సరిదిద్దుకుంటాను.)
  • उनसे तरकीबें सीख कर अभ्यास करूँगा। (వారి నుంచి మెళకువలను నేర్చుకుని సాధన చేస్తాను.)
  • लगन और आत्मविश्वास के साथ प्रयास करके अपने संकल्प को साकार करूँगा।
    పట్టుదల, ఆత్మవిశ్వాసంతో ప్రయత్నించి నా సంకల్పాన్ని సాకారం చేసుకుంటాను.

भाषा की बात :

रेखांकित शब्द के स्थान पर बेटा, भाई, बहन, मित्र, छात्र शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य फिर से लिखिए।
(గీత గీసిన పదమున్న చోట बेटा, भाई, बहन, मित्र, छात्र పదాలను ప్రమోగిస్తూ వాక్యాలను మరల రామండి.)
“मेरी बेटी, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकती हो।”

जैसेः मेरे बेटे, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।
उत्तर :
मेरे भाई, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।
मेरी बहन, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकती हो।
मेरे मित्र, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।
मेरे छात्र, जो तुम चाहो प्राप्त कर सकते हो।

Additional Questions :

प्रश्न 1.
विल्मा की सफलता में उसकी माँ का क्या हाथ था ?
(విల్మా యొక్క విజయంలో తన తల్లి పాత్ర ఏమిటి?)
उत्तर :
विल्मा की माँ ने उसमें आत्मविश्वास भरा। ईश्वर में विश्वास, स्वयं पर भरोसा, मेहनत और लगन से प्रयत्न करने पर मिलनेवाली सफलता के बारे में बताया। कामयाब होने तक प्रेरणा देती रही।

విల్మాలో ఆమె తల్లి ఆత్మస్థై్యాన్ని నింపింది. భగవంతునిపై నమ్మకం, ఆత్మవిశ్వాసం, శ్రమించే లక్షణము, పట్టుదల ఉంటే ఖచ్చితంగా జయము నీదేనని తల్లి విల్మాకు చెప్పింది. జీవితంలో జయించేవరకు (పేరణ ఇస్తూనే ఉంది.

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प्रश्न 2.
ओलंपिक में विल्मा का मुक़ाबला किससे था? इस मुकाबले में उसका प्रदर्शन कैसा था ?
(ఒలంపిక్లో విల్మా ఎవరిని ఎదుర్క్న్నది? ఈ ఎదుర్కోవటంలో ఆమె ప్రదర్శన ఎట్లాంటిది?)
उत्तर :
ओलंपिक में विल्मा का मुकाबला जुत्ता हेन से था। पहली दौड़ 100 मी.में. उसने जुत्ता को हराकर अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। इसी प्रकार दूसरी दौड़ 200 मी., तीसरी दौड़ 400 मी.रिल रेस में भी जुत्ता को हराकर स्वर्णपदक जीता। इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो गयी कि एक पोलियोग्रस्त महिला 1960 के रोम ओलंपिक में दुनिया की सब से तेज़ धावक बन गयी।

ఒలంపిక్లో విల్మాకు పోటీదారు సాటిలేని జుత్తా హెన్. మొదటి పరుగుపందెం 100 మీ.లో ఆమెని గెలిచి స్వర్ణపతకాన్ని సంపాదించింది. ఇదే విధంగా రెండవసారి 200 మీ.లు, మూడవసారి 400 మీ.ల రిలే పరుగుపందెంలో కూడా జుత్తాని ఓడించి స్వర్ణపతకాలను పొందింది. దీనితో 1960లో రోమ్లో జరిగిన ఒలంపిక్ క్రీడలలో అత్యంత వేగంగా పెరుగెత్తి 3 బంగారు పతకాలను సాధించిన ఈ పోలియోవ్యాధి బాధితురాలు విల్మా గురించి చరిత్ర పుటల్లో సువర్లాక్షరాలతో రాశారు.

I. पठित गद्यांश

निम्न लिखित गद्यांशों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

1. तन, मन व आत्मा से जो मजबूत होता है, सफलता उसके कदम चूमती है। शक्ति के लिए शरीरिक तंदुरुस्ती चाहिए, निश्चित परिस्थिति में समय पर अपना प्रदर्शन करने के लिए मानसिक सन्तुलन चाहिए व मूल्यों के अनुरूप जीने हेतु आत्म-बल चाहिए। इन तीनों ही प्रकार की क्षमताओं का दूसरा नाम ही ‘विल्मा ग्लोडियन रुडाल्फ’ है।

प्रश्न 1.
सफलता किसके क़दम चूमती है ?
उत्तर :
तन, मन व आत्मा से जो मज़बूत होता है, सफलता उसके क़दम चूमती है।

प्रश्न 2.
शक्ति के लिए क्या चाहिए ?
उत्तर :
शारीरिक तंदुरुस्ती

प्रश्न 3.
निश्चित परिस्तिति में समय पर अपना प्रदर्शन करने के लिए क्या चाहिए ?
उत्तर :
मानसिक संतुलन

प्रश्न 4.
मूल्यों के अनुरूप जीने के लिए क्या चाहिए ?
उत्तर :
आत्म – बल

प्रश्न 5.
यह परिच्छेद किस पाठ से दिया गया है ?
उत्तर :
हार के आगे जीत है

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2. 15 वर्ष की उम्रे में विल्मा टेनेसी स्टेट विश्वविद्यालय गयी, जहाँ वह एड टेंपल नाम के एक कोच से मिली। विल्मा ने अपनी यह इच्छा व्यक्त की कि मैं दुनिया की सबसे तेज धाविका बनना चाहती हूँ। तब टेंपल ने कहा, “तुम्हारी इसी इच्छा शक्ति की वजह से कोई भी तुम्हे नहीं रोक सकता, और साथ में मैं भी तुम्हारी मदद करूँगा। दौड़ की कला मैं तुम्हें सिखाउँगा।

प्रश्न 1.
पंद्रह वर्ष की उम्र में विल्मा कहाँ गयी ?
उत्तर :
टेनेस स्टेट विश्व विद्यालय

प्रश्न 2.
विल्मा किससे मिली ?
उत्तर :
एड टेंपल

प्रश्न 3.
विल्मा की इच्छा क्या थी ?
उत्तर :
तेज धाविका बनने की

प्रश्न 4.
टेंपल ने विल्मा को क्या सिखाने का वादा किया ?
उत्तर :
दौड़ कला

प्रश्न 5.
यह गदूयांश किस पाठ से दिया गया है ?
उत्तर :
हार के आगे जीत है

II. अपठित पद्यांश / गद्यांश

निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर सही उत्तर लिखिए।

3.स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में,
अपनी गति, उड़ान सब भूले।
बस सपनों में देख रहे हैं,
तरु की फुनगी पर के झूले।

ऐसे थे अरमान कि उड़ते,
नीले नभ की सीमा पाने।
लाल किरण-सी चोंच खोल,
चुगते तारक-अनार के दाने।

प्रश्न 1.
पद्य की पंक्तियों में किसके विषय में चर्चा की गई?
उत्तर :
पक्षी

प्रश्न 2.
किसके बंधन में पक्षी अपनी उड़ान को भूल गए हैं ?
उत्तर :
स्वर्ण श्रृंखला में

प्रश्न 3.
पक्षी सपनों में क्या देख रहे हैं ?
उत्तर :
फुनगी के झूले

प्रश्न 4.
पक्षियों का अरमान क्या है?
उत्तर :
खुले आसमान में उड़ना

प्रश्न 5.
पक्षी की चोंच कैसी है ?
उत्तर :
लाल

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निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर सही उत्तर लिखिए।

4. विद्याध्ययन मनुष्य जीवन के संघर्ष का प्रथम सोपान है। इसी काल में इसके मस्तिष्क रूपी स्लेट पर जो लिख दिया गया, वह जीवनपर्यंत नहीं मिट सकता। अतः मानव जीवन की पूर्ण सफलता विद्यार्थी जीवन पर ही निर्भर रहती है। यही वह समय होता है जिसकी नींव पर भावी जीवन की भव्य इमारत खड़ी करनी होती है।

विद्यार्थी देश का भावी कर्णधार है। अतः प्रत्येक विद्यार्थी का यह कर्तव्य है कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप उन जीवन मूल्यों को अपनाए जिन पर जीवन की सफलता या असफलता टिकी होती है। इन्ही जीवन मूल्यों से चरित्र का विकास होता है। उत्तम चरित्र के बिना विद्यार्थी का जीवन उसी प्रकार है जैसे सुगंध के बिना पुष्प।

प्रश्न 1.
मनुष्य जीवन के संघर्ष का प्रथम सोपान क्या है?
उत्तर :
विद्याथ्ययन

प्रश्न 2.
मानव जीवन की पूर्ण सफलता किस पर निर्भर रहती है?
उत्तर :
विद्यार्थी जीवन पर

प्रश्न 3.
विद्यार्था देश का क्या है ?
उत्तर :
भावी कर्णधार

प्रश्न 4.
जीवन मूल्यों से किसका विकास होता है?
उत्तर :
चरित्र का

प्रश्न 5.
विद्युयार्थी के लिए क्या होना जरूरी है?
उत्तर :
उत्तम चरित्र

5. मनुष्य इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि उसमें स्वयं को बदलने की शक्ति है। गधे में यह ताकत नहीं है। बैल एक हजार साल पहले भी गाड़ी में जुतता था, आज भी उसी में जुतता है। गधा पहले भी भार ढोता था, आज भी भार ढोता है। इन प्राणियों में न तो कोई परिवर्तन हुआ, न ये परिवर्तन के लिए प्रयत्नशील हुए और न किसी ने इनके लिए आवाज़ उठाई।

परंतु मनुष्य हर दिन हर पल परिवर्तन के लिए बेचैन है। वह अपनी सभ्यता को तो बदल ही रहा है। सर्जरी के सहारे अपने रंग-रूप को भी बदल रहा है। लेकिन वास्तविक बदलाव तब होगा जब वह भीतर से बदलेगा। वह उसी तरह से जी सकेगा जैसा कि वह जीना चाहता है।

प्रश्न 1.
मानव पशु से क्यों श्रेष्ठ है ?
उत्तर :
स्वयं को बदलने की शक्ति है।

प्रश्न 2.
गधे, बैल प्रगति क्यों नहीं कर पाए ?
उत्तर :
परिवर्तन की चाह न होने के कारण

प्रश्न 3.
कौन हर दिन हर पल परिवर्तन के लिए बेचैन है ?
उत्तर :
मनुष्य

प्रश्न 4.
भीतरी बदलाव का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
मन में

प्रश्न 5.
किसमें परिवर्तन की चाह है ?
उत्तर :
मनुष्य में

पाठ : हार के आगे जीन है

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1960 రోమ్ ఒలంపిక్స్లో సంచలనం. 100 మీ॥, 200 మీ॥ మరియు 400 మీ॥ రిలే పరుగు పందెంలలో వరుసగా మూడు స్వర్ణపతకాలు సాధించిన తొలిమహిళగా విల్మాగ్లోడియన్ రుడాల్ఫ్ చరిత్ర సృష్టించింది.
అమెరికాలోని టెన్నెసీ ఏ్రాంతంలో ఒక రైల్వే కూలీ ఇంట్లో జూన్ 23, 1940వ సంవత్సరంలో జన్మించిన విల్మా శారీరక, మానసిక ఆత్మబలంతో ఏదైనా సాధించవచ్చని నిరూపించింది. విల్మగగ్లోడియన్ రుడాల్ఫ్ తన తొమ్మిదో సంవత్సరం వరకు కాలు నేలమీద పెట్టలేకపోయింది.

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ఎందుకంటే దురదృష్టవశాత్తు తనకు నాలుగవ సంవత్సరంలో పోలియో సోకింది. అప్పటి నుంచి ఆమె చేతికర్రలతోనే నడిచింది. దైవభక్తి పరాయణురాలైన విల్మా తల్లిగారి (ప్రోత్సాహంతో విల్మా తన తొమ్మిదో సంవత్సరంలో చేతికర్రలను విడిచిపెట్టి నడవడానికి (ర్రయత్నించింది. $ఆ$ ర్రమంలో ఎంతో శారీరక ప్రయాసకోర్చి గాయాలను లెక్క చేయక తన ప్రయత్నాన్ని కొనసాగించింది. ఒక సంవత్సరం తరువాత విజయవంతంగా నడిచింది.

విల్మా తన ఎనిమిదో తరగతిలో మొదటి పరుగుపందెంలో పాల్గాని చివరిస్థానంలో నిలిచింది. ఐనా నిరుత్సాహపడకుండా తన (ప్రయత్నాన్ని కొనసాగించింది. (పతి పరుగుపందెంలో పాల్గొంటూ తన (పతిభకు మెరుగు పెట్టుకుంటూ చివరకు ఆమె పరుగు పందెంలో విజయం సాధించింది. తన పదిహేనవ సంవత్సరంలో విల్మా టెన్నెసీ విశ్వవిద్యాలయంలో (ప్రవేశించింది.

ఎడిటెంపుల్ అనే శిక్షకుడి పరిచయంతో ఆమె తన జీవితాశయమైన ఒలంపిక్స్లో పాల్గొని (ప్రపంచంలో అతివేగవంతమైన పరుగరిగా పేరు సాధించాలని కృషి చేయటం మొదలు పెట్టింది. ఎడెటెంపుల్, విల్మాలోని ఆసక్తిని గమనించి, “నీవు నీ ఈ కోరికను (ఆసక్తిని) ఇలాగే నిలుపుకొని కృషి చేస్తే ప్రపంచంలో ఏ శక్తి నీయొక్క ఆశయాన్ని ఆపలేదు. నేను కూడా నీకు ఈ పరుగెత్తే కళను నేర్పిస్తాను” అని ప్రోత్సహించాడు.

1960 రోమ్ ఒలంపిక్స్లో పరుగుపందెంలో అమెరికా తరఫున పాల్గొనేందుకు అర్హత సాధించింది విల్మా. అప్పటికే ఎంతో పేరు సంపాదించుకున్న జుత్తాహేన్తో ఆమె పోటీ పడాల్సి వచ్చింది. మొదట 100 మీ॥ పరుగు పందెంలో హేన్తో టోటీపడి విజయం సాధించి విల్మా స్వర్ణపతకం గెలుచుకుంది. తరువాత 200 మీ11 పరుగు పందెంలోకూడా విల్మా తన ఆధిక్యాన్ని నిలుపుకుంది.

చివరిది 400 మీ॥ రిలే పరుగుపందెం, విల్మా మరోసారి హేన్తో పోటీ పడాల్సి వచ్చింది. విల్మా జట్టులోని మొదటి ముగ్గురు తేలికగా మొదటి మూడు వందల మీటర్లు చుట్టి వచ్చారు. చివరి 100 మీ1 జట్టులో వేగవంతమైన పరుగరి ఐన విల్మా పరుగెత్తాలి. ఆమె బ్యాటన్ సరిగా అందుకోలేక జారవిడిచింది. మరోపక్క హేన్ బ్యాటన్తో వేగంగా పరుగెత్తసాగింది. విల్మా బ్యాటన్ను తన చేతిలోకి తీసుకుని హేన్తో పోటిపడి వేగంగా పరుగెత్తి మూడోసారి ఓడించి స్వర్ణ పతకం సాధించింది.

తన కృషితో పట్టుదలతో 1960 ఒలంపిక్స్లో 100 మీ॥, 200 మీ॥ మరియు 400 మీ॥ రిలే పరుగు పందెంలో పాల్గొని గెలిచి ప్రపంచంలో వేగవంతమైన పరుగరిగా పేరుతెచ్చుకోవాలన్న తన ఆశయాన్ని సాధించుకుంది విల్మా. అలాగే అమెరికా తరఫున ఒకే ఒలంపిక్స్లో మూడు స్వర్డపతకాలను సాధించిన పరుగరిగా చరిత్ర సృష్టించింది.

విల్మా రోమ్ నుంచి అమెరికా తిరిగి వచ్చేసరికి మొత్తం అమెరికా ఆమెకు స్వాగతం పలికేందుకు సిద్ధంగా ఉంది. వారిమధ్లలో విల్మాను ప్రోత్సహించి తన కాళ్ళపై తాను నిలబడేందుకు కృషి చేసిన విల్మా తల్లిగారు కూడా ఉన్నారు. శారీరక బలం కోసం ఆరోగ్యం, తగిన సమయంలో సరైన ప్రదర్శన చేసేందుకు మానసిక సమతౌల్యం మరియు విలువలపై జీవించేందుకు ఆత్మబలం, ఈ మూడు ఉంటే ఎంతటి విజయాన్ని అయినా సునాయాసంగా సాధించవచ్చని విల్మాగ్లోడియాన్ రుడాల్ఫ్ నిరూపించింది. “విజయానికి అపజయాలే సోపానాలు.”

Summary:

Those who are strong in aspects of body, mind and embodiment of three powers health, maturity of mind and soul can attain success. Wilma Glodian Rudalph is the embodiment of three powers, health emotional balance and spiritual Wilma was born in the family of a railway porter on 23rd June 1940. Her mother was a house maid. Wilma was affected with polio when she was only four. Since then, she would walk with the help of crutches. Doctors also said that she could not walk in her lifetime.

Her mother was a charitable, virtuous and brave woman. Wilma asked her mother if she could become the fastest runner in the world. Then her mother inspired that one would acquire what one wanted by hardwork, having perseverance, concentration and faith on God.

By support and inspiration of her mother, Wilma started walking without crutches at the age of 9. She was injured many times, but didn’t lose heart. For the first time, she participated in a running race where she was in 8th class and lagged behind every runner. She failed 4 times and it was the fifth time she got the first place.

At the age of 15, Wilma met a coach named Temple at Tennesse State University. She took a promise from him that he would teach her the art of running. In 1960, she participated in Rome Olympics. Wilma was competing again Jutta Hane who had never defeated. Then, Wilma won two gold medals defeating Jutta in 100m relay and 200m relay. Again she had to compete against Jutta in 400m relay. The ones who run well shall only participate in the final team.

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First three athletes ran well and changed the baton (baton is a small light stick that one member of a team in relay passes to the next person to run) easily. But at the time of Wilma’s run, baton slipped from her hands. On the other hand Jutta was running fast. Wilma took the baton slipped from her hands and ran fast like a machine. Defeating Jutte for the third time, she won the third gold medal also.

She, a woman who was afflicted with polio, became the fastest runner in the world. She set a world record as the first American woman athlete for bagging three gold medals during single Olympic Games. Remember, even crazy looking problems are sometimes real and all problems seem to be simple only when we find the solution with a cool mind. Never let yesterday’s disappointments overshadow tomorrow’s dream.

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