TS Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions

Self-assessment with TS Inter 2nd Year Hindi Model Papers Set 3 allows students to take charge of their own learning.

TS Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions

Time : 3 Hours
Max. Marks: 100

सूचनाएँ :
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खण्ड – ‘क’ (60 अंक)

1. निम्नलिखित किसी एक पद्य का भावार्थ लिखिए । (1 × 6 = 6)

1. खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान ।
रहिमन दाबै ना दबै, जानत सकल जहान ।।
उत्तर:
भावार्थ : कवि रहीम का कहना है कि “संसार में खैरियत (स्वास्थ्य), खून (हत्या), खाँसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और शराब का नशा छिपाने पर भी छिपाया नहीं जा सकता ।

భావార్థము : రహీమ్ ఈ దోహాలో “ప్రపంచంలో ఆరోగ్యం, హత్య, దగ్గు, సంతోషం / ఆనందం, శతృత్వం, ప్రేమ మరియు మద్యం మత్తును దాచినా దాగవు” అని చెప్పారు.

अथवा

2. मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय ।
जा तन की झांई परै, स्यामु हरितदुति होय ॥
उत्तर:
भावार्थ : बिहारी इस दोहे में राधा की स्तुति करते चतुर राधा सांसारिक पीडाओं को दूर करती है । वह इतनी प्रभावशाली है. कि उनकी शरीर की परछाई पडने मात्र से श्याम / साँवला रंग के श्रीकृष्ण उज्जवल हरे रंग में बदल जाते हैं ।

భావార్ధము : బిహారి ఈ దోహాలో రాధను స్తుతిస్తూ / స్మరిస్తూ ఈ విధంగా చెప్పారు. వివేకి అయిన రాధ సంసార బాధలను దూరం చేస్తుంది. ఆమె ఎంత ప్రభావశాలి అంటే ఆమె యొక్క శరీర ఛాయ పడినంతనే నల్లని వర్ణం (నీల మేఘశ్యాముడు) గల శ్రీకృష్ణుడు ప్రకాశవంతమైన ఆకుపచ్చ వర్ణంలోకి మారిపోతాడు.

2. निम्नलिखित किसी एक कविता का सारांश 5-6 वाक्यों में लिखए । (1 × 6 = 6)

(1) जो बीत गई ।
उत्तर:
सारांश कवि परिचय : हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद के समीप प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी गाँव में हुआ था । उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी.हेच.डी पूरी की। ये हालावादी कवि हैं। दो चट्टानें’ रचना केलिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ ।

सारांश : प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को अप्रिय बातें भूलकर जीवन में आगे बढने की प्रेरणा दी । जो चीज समाप्त हो गयी उस पर निरंतर शोकाकुल होना व्यर्थ है । कवि संदेश देते हैं कि जीवन में कष्टों के समय धीरज बाँधना चाहिए। जैसे कि रोज आकाश की ओर एक बार देखिये । शाम को अनेक तारें आकाश में आती हैं। फिर सबेरे एक – एक होकर छूट जाते हैं । रात के समय अनेक तारों के आने पर आकाश आनंदित नहीं होता और सबेरे एक – एक छूट जाने से दुखी नहीं होता । एक के छूट जाने पर उसकी जगह दूसरे नये तारें आसकती हैं । इस धीरज के कारण आकाश हमेशा निर्मल और निश्चिंत रहता है । उसी प्रकार हम को भी अपने प्यारे व्यक्तियों या चीजों के खो जाने पर चिंतित नहीं होना चाहिए। उनकी जगह नयी नयी आयोंगी । इस तरह धीरज से आगे बढना चाहिये।

कुसुमों के सूखे जाने पर, अनेक कलियों के और बल्लरियों के मुरझाने पर मधुवन नहीं शोर मचाता । क्यों कि वह इस आशा में बना रहता है कि मौसम आने पर वे कलियाँ, फूल, पत्ते और बल्लरियाँ फिर खिलेंगे । इस धीरज के कारण मधुवन हमेशा बहार छा जाता है । उसी प्रकार हम को भी हमारे प्रिय व्यक्तियों तथा चीजों के खो जाने पर अधीर नहीं बनना चाहिये ।

संदेश : इस पाठ से हम यह सीखना चाहिए कि कष्ट और सुख में एक ही तरह रहना । 3
(या)
जो व्यक्ति जीवन की नश्वरता को समझलेता है वह हर दुःख से ऊपर उठ जाता है ।

(2) ये कौन चित्रकार है ।
उत्तर:
कवि परिचय : पंडित भरत व्यास का जन्म सन् 1918 को राजस्थान के बिकानेर में हुआ । वे प्रसिद्ध नाटककार और गीतकार हैं । इन्होंने ‘दो आँखे बारह हाथ’, “नवरंग”, “रानी रूपमती”, आदि प्रसिद्ध फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं । वे अपने गीतों में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और बलिदान का संदेश दिया । सन् 1982 में उनकी मृत्यु हुई ।

सारांश : कवि ने प्रकृति की सुंदरता का वर्णन बडे ही सुंदर शब्दों में किया है और ईश्वर को ही इस सृष्टि का चित्रकार माना है । हरीभरी धरती पर नील आकाश को, बादलों की पालकी उडानेवाले पवन को, रंग भरे फूलों से दिशाओं को सजानेवाले चित्रकार ईश्वर ही है ।
कण से

तुम प्रकृति की इस पवित्रता को देखो । इनके गुणों को तुम अपने मन में स्मरण करो । आज अपने ललाट की लालिमा चमका दो । कण दिखाई देनेवाली भगवान की सुंदरता को देखने के लिए अपनी दो आँखें काफी नहीं हैं ।

पर्वत की ये चोटियाँ ऋषि मुनियों की जैसी हैं । ये बर्फ की घाटियाँ घूमेरदार और घेरदार हैं । देवदार वृक्ष ध्वज के जैसे खडे हैं । ये गुलाब के बगीचे बहार के चादर जैसे हैं । यह किसी कवि को कल्पना का चमत्कार नहीं है । सिर्फ भगवान की सृष्टि है ।

3. निम्नलिखित किसी एक पाठ का सारांश 5-6 वाक्यों में लिखिए । (1 × 6 = 6)

(1) सयानी बुआ
उत्तर:
सयानी बुआ कठोरता से समय पालन करनेवाली एवं अनुशासन रखनेवाली नारी है । कहानीकार को पढ़ाई के लिए उनके घर में रहना पड़ता । कठोरता के कारण उनकी नन्ही बेटी अन्नू डरती है । डॉक्टर सलह देते हैं कि बुआ के बिना अन्नू को पर ले जाया जाए । तदनुसार उनके पति अन्नू को पहाड़ पर लेजाते हैं। बेटी की तबीयत के बारे में बुआ और उनके पति के बीच रोज पत्रव्यवहार चलता रहता है । एक महीने के बाद पति से देर से पत्र आता है, जिसमें लिखगया है कि सारी सतर्कता के बावजूद मैं उसे नहीं बचासका, इस चोट को धैर्य पूर्वक सहलेना…। यहाँ तक पढ़ते ही बुआजी और कहानीकार जी यह समझकर चीखकर रो पड़ती कि अन्नू मरगईं । लेकिन वे अंतिम हिस्सा पढ़कर रोते रोते हँस पड़ती हैं, क्योंकि पति पचास रूपएवाले प्याले सेट को बचा न सका, अन्नू तो अच्छी है ।

(2) तेलंगाना के दर्शनीय स्थल
उत्तर:
तेलंगाना 14 जून, 2014 को स्थापित भारत का 29 वाँ राज्य है । इसकी राजधानी हैदराबाद है । इस राज्य की सुंदरता असीम, अवर्णनीय तथा वैभवशाली है । इस राज्य का कण कण दर्शनीय स्थल – सा प्रतीत होता है । चलिए, इस राज्य के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सैर पर्यटन की अनुभूति को प्राप्त करेंगे ।

हैदराबाद : हैदराबाद तेलंगाना राज्य की राजधानी है । यह एक ऐतिहासिक नगर है । कुली कुतुबशाही और निजाम शासकों के द्वारा बसाया श्रेष्टतम नगर है । इसे भाग्य नगर तथा मोती का शहर भी कहते हैं । यहाँ के ऐतिहासिक दर्शनीय स्थलों में चारमीनार, गोलकोंडा, मक्का मसजिद, सालारजंग संग्रहालय, हुसेनसागर, टॉकबंड, नेहरु चिडियाघर, हाइटेक सिटी आदि देखने लायक हैं ।

मेड्चल – मलकाजगिरी : मेडचल मलकाजगिरी जिला के मुख्यालय है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 27 कि.मी. है। यहाँ पर स्थित कीसर गुट्टा शिव भक्तों का प्रमुख मंदिर है ।
रंगारेड्डी : रंगारेड्डी जिला का नाम संयुक्त आंध्र प्रदेश के उप- मुख्य मंत्री तथा स्वतंत्र तेलंगाना आंदोलन के सेनानी कोंडा वेंकट रंगारेड्डी का नाम पर पड़ा । इस जिले में हिमायत सागर रामोजी फिल्मसिटी, चेवेल्ला, कंदुकूर और शादनगर प्रमुख पर्यटन स्थल हैं ।

यादाद्रि – भुवनगिरि: हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 50 कि.मी. है। यहाँ वैष्णव धर्मावलंबियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल यादगिरी गुट्टा है । चालुक्य नरेशों द्वारा निर्मित भुवनगिरी का किला अद्भुत कलाखंड है। एक ही शिला से निर्मित इसकी ऊँचाई लगभग 700 फीट है ।

संगारेड्डी : तेलंगाना के उत्तर पश्चिमी हिस्से में स्थित संगारेड्डी हैदराबाद से 66 कि.मी. दूरी पर है । इस जिले में बी. एच.ई.एल. बी. डी. एल और आई.आई.टी भारत भर में प्रसिद्ध हैं ।

विकाराबाद : तेलंगाना के पश्चिम हिस्से में स्थित विकाराबद हैदराबाद से 76 कि.मी. दूरी पर है । इस जिलें में अनंतगिरी की पहाडियाँ और अनंत पद्मनाभ स्वामी का मंदिर है । इसके अतिरिक्त रामलिंगेश्वर, भूकैलाश, कोडंगल वेंकटेश्वर, एकांबेश्वर भगवान का मंदिर दर्शनीय हैं ।

मेदक : हैदराबाद से मेदक की दूरी लगभग 77 कि.मी. है । मेदक शब्द तेलुगु भाषा के मेतुकु शब्द से बना है । मेतुकु का अर्थ है – धान । इस जिले में धान की पैदावर अधिक होने के कारण आगे चलकर इस प्रांत का नाम मेदक पड गया । यहाँ का डायोसिस चर्च का पूरे एशिया में प्रसिद्ध है । जोगिनाथ मंदिर, एडुपायला दुर्गा भवानी मंदिर प्रसिद्ध हैं ।

सिद्दिपेट : हैदराबाद से सिद्दिपेट की दूरी लगभग 87 कि.मी. है। अधिक जनसंख्या की दृष्टि से यह जिला महत्वपूर्ण है । शरभेखर मंदिर, रामसमुद्रम मिनी टैंकबंड, बोटिंग पांइट आदि पर्याटक स्थाल हैं ।

जनगाँव : जनगाँव का दूसरा नाम जनगाम भी है । जनगाँव शब्द की उत्पत्ति “जैनगाँव से हुई है । कहा जाता है कि किसी समय यहाँ जैन धर्मावलंबियों की संख्या अधिक थीं । हैदराबाद से जनगाँव की दूरी लगभग 87 कि.मी. है । ऐतिहासिक दृष्टि से कोलनुपाका सर्वप्रसिद्ध तीर्थ व पर्याटन स्थल है। जैनों की आराध्य स्थल होने के कारण दूर दूर भक्त आते हैं । विश्व प्रसिद्ध पीतल कारीगरी के लिए “पेंबर्ती” यहीं पर स्थित है । कहा जाता है कि जनगाँव में प्रभु श्रीरामचंद्र स्वर्ण हिरण (मारिच) की खोज में निकले थे ।

नलगोंडा : नलगोंडा दक्षिण तेलंगाण का प्रांत है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 95 कि.मी. हैं । नलगोंडा – नल्ला और कोंडा शब्दों से हुई है । नल्ला का अर्थ काला और कोंडा का अर्थ पहाड । अर्थात् काले पहाडों का प्रांत । कृष्णा, मूसी, आले, पेद्दवागु पालेरू जैसी नदियाँ यहाँ से होकर गुजरती हैं । पानगल में त्रिकुटालयम ( सोमेश्वर स्वामी का मंदिर) प्रसिद्ध शैव क्षेत्र है । नागर्जुन सागर, नंदिकोंडा, बौद्ध संग्रहालय प्रसिद्ध हैं ।

महबूब नगर : पहले यह पालमुरु के नाम से जाना जाता है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 110 कि.मी. है । यह प्रांत शातवाहन चालुक्य और गोलकोंडा शासकों के आकर्षण केंद्र बना रहा । यह प्रसिद्ध मंदिर की धरती है । यहाँ पर 700 वर्ष पुराना पिल्ललमर्री नामक बरगद पेड है । कोयलसागर बाँध सबका मन मोह लेती है ।

कामारेड्डी : कुछ समय पूर्व तक यह निजामाबाद जिले का अंग था । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 110 कि.मी. है । यहाँ स्थित पोचाराम परियोजना (project) राज्य में प्रसिद्ध है । यह सुंदर पर्याटक जलक्रीडा क्षेत्र है । सर्दी के दिनों में कोऊल झील विदेशी पक्षियों का केंद्र बनता है । दोमकोंडा और कोऊल किला ऐतिहासिक स्थल हैं ।

राजन्ना सिरसिल्ला : इस जिले के नाम में राजन्ना शब्द प्रभु : राजराजेश्वर तथा सिरिसिल्ला हथकर उद्योग का प्रतीक है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 133 कि.मी. है । यहाँ से बहनेवाली मानेरू नदी सुंदर लगती है । प्रसिद्ध शैव क्षेत्र वेमुलवाडा यहीं पर स्थित है। इसे तेलंगाना का दक्षिण कासी भी करते हैं । लक्ष्मीनरसिंहस्वामी का मंदिर तथा सिरिसिल्ला टेक्स्टाइल पार्क महत्वपूर्ण पर्याटक स्थल हैं ।

नागरकर्नूल : तेलंगाना के दक्षिणी प्रांत के इस स्थान की दूरी हैदराबाद से लगभग 33 कि.मी. है। इसका इतिहास 500 वर्ष पुरानी है । यहाँ पर नागार्जुन सागर श्रीशैलम बाघ (Tiger) संरक्षण केंद्र है । यह क्षेत्र उमामहेश्वर स्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । सोमशिला परियोजना एवं श्रीशैलम बाँध की दर्शन के लिए प्रतिदिन संख्या में पर्याटक आते हैं ।

सूर्यापेट : तेलंगाना के दक्षिणी प्रांत में स्थित इसकी दूरी हैदराबाद से लगभग 137 कि.मी. है। यह प्रांत कृष्णा नदी की कृपा से दक्षिण भारत में सिमेंट उद्योग का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। दूसरी ओर नागार्जुन सागर बाँध के द्वारा प्राप्त जल से यहाँ की कृषि की सुंदरता दिखाई देती है । उडुगोंडा लक्ष्मीनारसिंह स्वामी, अर्वपल्ली और मट्टपल्ली लक्ष्मीनारसिंह स्वामियों के मंदिर, सूर्यापेट वेंकटेश्वर स्वामी, मिर्याला सीतारामचंद्र स्वामियों के मंदिर देखने योग्य हैं ।

वनपर्ति : तेलंगाना के दक्षिण प्रांत में स्थित वनपर्ति की दूरी हैदराबाद से लगभग 147 कि.मी. है । निजाम के शासन काल में वनपर्ति संस्थान के नाम से प्रसिद्ध था । यह संस्थान तेलंगाना के प्राचीन संस्थानों में एक है । वनपर्ति महल देखने लायक पर्याटक स्थान है । इसे मुस्तफा महल भी कहा जाता है । आगे चलकर इस महल को पॉलिटेकनीक विश्वविद्यालय के रूप में बदल दिया गया । यहाँ से कुछ दूर पर श्रीरंगपुर प्रांत है । यहाँ श्रीरंगनायकस्वामी मंदिर है ।

वरंगल (ग्रामीण तथा शहरी) : तेलंगाना के प्रमुख नगरों में वरंगल एक है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 147 कि. मी. है। काकतीय शासनकाल में यह नगर उनकी राजधानी हुआ करती थी । इसीको ओरुगल्लू या एकशिलानगर के नाम से भी जाना जाता है, । यहाँ पर स्थित हजार खंभा: मंदिर, भद्रकाली मंदिर, पद्माक्षी मंदिर आदि देखने योग्य हैं ।

करीमनगर : इसका वास्तविक नाम एलगंडाला है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 158 कि. मी. है । निजाम शासक सैयद करीमुल्ला शाह साहेब किलादार नाम से करीमनगर नाम पडा । मानेरु यहाँ पर बहनेवाली प्रमुख नदी है । एलगंडाला किले की विशेषता यह है कि इस में दो पत्थरों की बडी दीवारें, दो मस्जिदें, दो मंदिर, कारागृह, कुएँ तथा अन्य महत्वपूर्ण निर्माण देखने को मिलते हैं। लोअर मानेरू बाँध के पास राजीव गाँधी हिरण उद्यान है । शिवराम उद्यान भी देखने योग्य हैं ।

नारायण पेट : वर्ष 2019 में नवनिर्मित जिलों में यह प्रमुख है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 165 कि. मी. है। सन् 1630 में मराठा सम्राट शिवाजी यहाँ आकर जुलाहों की विशेषता देखकर आश्चर्यचकितं रह गए थे । उन्हीं के प्रभाव से मराठा लोग यहाँ आकर बस गए। नारायण पेट की सूती और रेशमी साडियों में तेलंगाना – महाराष्ट्र संस्कृति का प्रभाव दिखायी देता है । नारायणपेट की साडियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं ।

निजामाबाद : यह तेलंगाना का तीसरा सबसे बड़ा नगर है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 170 कि.मी है । हैदराबाद राज्य के चौथे शासक निजामुल मुल्क के नाम पर इस प्रांत का नाम निजामाबाद पडा । यह नगर धार्मिक सद्भावना तथा सौहार्द का प्रतीक है । निजामाबाद का किलार अशोक सागर झील पर्याटको को अकर्षित करते हैं । अलीसागर हिरण उद्यान और झील तथा मल्लाराम जंगल मनोरंजन का एक अच्छा विकल्प है ।

जगत्याल : हैदराबाद से लगभग 186 कि. मी. दूरी पर स्थित जगित्याला गोदावरी नदी की सुंदर देन है । श्रीरामसागर परियोजना बाँध पर्याटकों के आकर्षण केंद्र है । ओदेला में मल्लिखार्जुन स्वामी और कमानपुर में श्री वराहास्वामी के मंदिरों के लिए विख्यात है । गोदावरी के तट पर बसे धर्मपुरी में श्री लक्ष्मीनारसिंह स्वामी का मंदिर, कोटिलिंगाला ग्राम में कोटेश्वर स्वामी, का मंदिर, आंजनेयस्वामी मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध हैं ।

पेद्दपल्लि : हैदराबाद से लगभग 192 कि. मी. पर पेद्दपल्लि स्थित है । यह उत्तर और दक्षिण भारत को जोडनेवाला प्रमुख रेल्वे केंद्र है। एन. टी. पी. सी रामगुंडम में स्थित है । गोदावरी नदी से प्राप्त जल की वजह से उत्पन्न कपास अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है । रामगिरी किला यहाँ की ऐतिहासिक इमारत है । पेद्दापल्ली को भारत का प्रथम ISO 14001 प्रामाणित इकाई होने का गौरव प्राप्त है ।

जोगुलांबा – गवाल : हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 192 कि. मी. है । गवाल किले का निर्माण 17 वीं शताब्दी में पेदसोमा भूपालुडु ने करवाया । गवाल विश्वप्रसिद्ध हथकरद्या जरी साडियों के लिए प्रसिद्ध है । जूराला कृष्णा नदी पर बनाया गया सुंदर बाँध है। आलमपुर के पास तुंगभद्रा नदी के तट पर जोगुलांबा देवी का शक्तिपीठ मंदिर है। जोगुलांबा देवी शक्ति पीठ आठारह (18) शक्तिपीठों में से एक है ।

मुलुगु : वर्ष 2019 में भूपालपल्ली जिले के कुछ भागों को अलग कर बनाया गया जिला ही मुलुगु है । हैदराबाद से इसकी दूरी लगभग 193 कि. मी. है। इसी प्रांत में विश्वप्रसिद्ध जनजाति उत्सव सम्मक्का सारक्का जातरा या मेडाराम जातरा का आयोजन प्रति दो वर्ष में एक बार किया जाता है ।

खम्मम : हैदराबाद से खम्मम की दूरी लगभग 200 कि. मी. है । खम्मम शब्द का उद्भव पहाडी स्तंभाद्री से हुआ है। यहाँ पर नरसिंह स्वामी का मंदिर है । शहर का नाम पहले स्तंभाद्र बाद में खंभाद्री, खंभमेट्टु तथा अंत में खम्मम : होगया । यह शहर [कृष्णा नदी की सहायक नदी] मुन्नेर नदी के तट पर बसा है । खम्मम किले का निर्माण 950 ई. में काकतीय शासकों ने किया । जमलापुरम नामक छोटा सा गाँव में भगवान वेंकटेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर है । कूसुमांची में गणपेश्वरालयम और मुक्केटश्वरालयम जैसे प्रसिद्ध शैव मंदिर हैं ।

महबूबाबाद : हैदराबाद से महबूबाबाद की दूरी, लगभग 212 कि. मी. है । तेलुगु भाषी इस प्रांत को मनुकोटा कहते हैं । मनुंकोटा शब्द का उद्भव तेलुगु के म्रनु यानी पेट तथा कोटा यानी किला शब्द से हुआ है । इसका अर्थ है – पेडवाला किला । आगे चलकर महबूब नामक शासक के नाम पर महबूबाबाद पड गया । यहाँ का बय्यारम मंडल लोह खनिज का प्रचुर उत्पादक है । वीरभद्रस्वामी मंदिर में वीरभद्र की मूर्ति क्रोधी भंगिमा के साथ त्रिनेत्री तथा दस हाथों वाले हैं ।

भूपालपल्ली : (आचार्य जयशंकर) : हैदराबाद से भूपालपल्ली की दूरी लगभग 216 कि. मी. है। इस जिले का नाम तेलंगाना राज्य आंदोलन के सिद्धांतकर्ता प्रो. जयशंकर के नाम पर रखा गया है। इस प्रांत में कई सारे आध्यात्मिक दर्शनीय स्थल है । यहीं पर स्थित कालेश्वरम दक्षिण का त्रिवेणी संगम कहलाता हैं । यहाँ पर गोदावरी, प्राणहिता और भूतल में बहनेवाली अंतर्वाहिनी का संगम होता है । रामप्पा मंदिर काकतीय नरेशों की कलाप्रियता का उदाहरण है । यहाँ पर रामप्पा और लकनावरम झील प्रकृति की सुंदर छटा बिखेरती है ।

निर्मल : हैदराबाद से निर्मल की दूरी लगभग 222 कि. मी. है । यह प्रांत गोदावरी नदी के कारण अत्यंत उपजाऊ है । यह प्रांत बाँस और लकडी के बने खिलौने के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं । प्रकृति एवं शिक्षा प्रेमी इस जिले के ज्ञान सरस्वती बासरा के लिए सदा याद करते हैं । गोदावरी के तट पर स्थित बासरा पर्याटकों को अपनी और आकर्षित करता है ।

मंचिरियाल : मंचिरियाल, हैदराबाद से 256 कि. मी दूरी पर स्थित है । यह प्रांत गोदावरी और प्राणहिता नदियों के आशीर्वाद से हरा भरा है । यह प्रांत सिंगरेणी कोयला खदान और सिमेंट उत्पादन के कई कारखानों के लिए प्रसिद्ध हैं । इस जिले के चेन्नूर में मगर मछ संरक्षण उद्यान का केंद्र हैं । घने जंगलों के बीच बसा कवाल बाध संरक्षण केंद्र बहुत ही सुंदर है । गुडेम श्री सत्यनारायण स्वामी का मंदिर पूजनीय और दर्शनीय है ।

भद्राद्रि – कोत्तागुड़ेम : भद्राद्रि कोत्तागुड़ेम, हैदराबाद से 284 कि. मी. की दूरी पर स्थित है । भद्राचलम गोदावरी के तट पर बसा अत्यंत मनोहर. तीर्थस्थान है । कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध है । किन्नरसानी, पर्णशाला आदि आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं । किन्नरसानी परियोजना बाँध किन्नरसानी सहायक नदी पर बना है। पुराणों के अनुसार रानण द्वारा सीता की अपहरणस्थली के रूप में दुम्मुगुडेम प्रसिद्ध हैं ।

आसिफाबाद : यह एक जनजाति जिला है । हैदराबाद से इसकी दूरी 291 किं.मी. है । कोमरमभीम नामक जनजाति युवक द्वारा की गई जल, जंगल, जमीन आंदोलन में जनजाति को न्याय मिल सका । इसलिए इस प्रांत को आसिफाबाद कोमरमभीम जिला भी कहा जाता है । पेद्दवागु एक परियोजना है, जो प्राणहित नदी की सहायक नदी पेद्दवाग़ पर निर्मित है । वट्टी वागु व कोमरमभीम परियोजनाएँ, सप्तगुंडा, पिट्टगुंड और मिट्टेवाटर जलप्रपात तथा सिरपुर कागजनगर आदि प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं ।

आदिलाबाद : हैदराबाद से आदिलाबाद की दूरी लगभग 305 कि. मी. है। इस प्रांत का नाम वीजापुर के शासक अली आदिल शाह के नाम पर पडा । इस प्रांत को दक्षिण भारत का प्रवेश द्वारा कहा जाता है । सह्याद्री पर्वत श्रेणियों तथा उत्तर- पश्चिम मानसून के प्रभाव से यह प्रांत हमेशा आनंददायी रहता है । कडेम बाँध, पापहरेश्वर मंदिर, जैनाथ मंदिर तथा कलवा नरसिंह स्वामी मंदिर यहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं ।

इस तरह तेलंगाना राज्य का प्रत्येक प्रांत अपनी मनोहरी छटा से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है ।

4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर तीन – चार वाक्यों में लिखिए । (2 × 4 = 8)

(1) ‘गाँव का ईश्वर’ प्रकांकी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
अशिक्षा से ग्रामीण प्रांतों में कई दुष्परिणाम होते रहते हैं । उनमें बेमेल विवाह, बाल्यविवाह, लड़कियों को समान अधिकार न देना, शिक्षित संतान की भावनाओं को प्राथमिकता न देना, बडों की पसंद को छोटों की पसंद बनाकर थोपना, बड़ा आदमी चाहे कैसे भी हो, गाँव का ईश्वर समझना आदि हैं । इन बिंदुओं की ओर पाठकों की दृष्टि आकृष्ट कर इन दुष्परिणामों को दूर कराने की कोशिश करना ही इस एकांकी का मुख्य उद्देश्य है ।

(2) अशोक ने शस्त्रों का त्याग क्यों किया ?
उत्तर:
अशोक स्वयं अपनी सेना का संचालन करते समय शत्रु- कलिंग की सभी सेना महिलाएँ हैं । उसकी संचालन करनेवाली राजकुमारी पद्मा भी स्त्री है । स्त्रियों पर शस्त्र चलाना शास्त्र – विरुद्ध है । इसे दृष्टि में रखने और स्त्री – सेना को देखकर अपना हृदय परिवर्तित होने के कारण अशोक ने शस्त्रों का त्याग किया ।

(3) “अंधेर नगरी’ एकांकी के अंत में फाँसी पर कौन चढा ? और क्यों ?
उत्तर:
”अंधेर नगरी’ एकांकी के अंत में चौपट राजा खुद फाँसी पर चढता है और मरजाता है । क्यों कि गुरू महंत ने गोबरधनदास को बचाने के लिए कहा कि इस शुभ घडी में मरनेवाला सीधे स्वर्ग जाएगा। सीधे स्वर्ग जाने की लालच में राजा फाँसी पर चढा । गोबर धनदास मोटा आदमी होने के वजह से सिपाही उसको पकड लेते हैं ।

5. निम्नलिखित पद्यांशों में से किन्हीं दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 3 = 6)

(1) हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ
वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे
वरना किसे नहीं भाएँगी ?
नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ !
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत पद्यांश / कविता “गुलाबी चूडियाँ” नामक कविता से दिया गया है । इसके कवि श्री नागार्जुन हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काव्य के प्रमुख कवि हैं । प्रस्तुत कविता में आप बेटी के प्रति पिता का प्रेम और वात्सल्य को दिखाते हैं ।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियाँ “गुलाबी चूडियाँ” कविता के हैं । कवि ड्राइवर से कहता है मैं ने (कवि) झुककर कहा हाँ भाई ! आखिर मैं भी एक पिता हूँ । बस यूँही आपसे पूछ लिया । वरना कौन नहीं पसंद करते छोटी – छोटी कलाइयों की गुलाबी चूडियाँ ?

(2) कुदरत की इस पवित्रता को तुम निहार लो
इनके गुणों को अपने मन में तुम उतार लो
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ “ये कौन चित्रकार हैं” नामक कविता से दी गयी हैं । इसके कवि श्री भरत व्यास हैं । वे प्रसिद्ध नाटककार और गीतकार हैं । प्रस्तुत कविता में आप प्रकृति की सुंदरता का वर्णन सुंदर शब्दों में किये हैं ।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियाँ “ये कौन चित्रकार है” कविता से दी गयी. हैं । तुम प्रकृति की इस पवित्रता को देखो । इनके गुणों को अपने मन में स्मरण करो । प्रकृति को निहारने से हमें सृजन की विविधता दिखाई देती है ।

(3) कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ “जो बीत गयी” कविता पाठ से दी गयी हैं । इसके कवि श्री हरिवंशराय बच्चन जी हैं। ये हालावादी कवि हैं । इस कविता के द्वारा कवि कहते हैं कि बीती हुई बातें कभी भी नहीं लौटते । इसलिए उनको भूलकर धीरज के साथ आगे बढ़ने का संदेश देते हैं ।

ब्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहना चाहता है – शाम होते ही नयी नयी तारें आती हैं। सबेरे होते ही कई छूट जाती हैं। तो भी आकाश छूटनेवालों की चिंता नहीं करता । क्यों कि वह इस आशा में बना रहता है कि शाम को सबेरे डूबे हुए सितारों की जगह नये नये सितारें आयेंगे। इस धीरज के कारण आकाश हमेशा निर्मल और निश्चिंत रहता है ।”

विशेषता: प्रस्तुत पंक्तियों में “आकाश के कई तारे टूट जाने पर भी आकांश उन पर शोक नहीं मनाता ।

(4) कोहरे से ढकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह – सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ “बच्चे काम पर जा रहे हैं” कविता से दिये गये हैं । इस कविता के कवि श्री राजेश जोशी हैं। आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काव्य के प्रसिद्ध कवि हैं ।” कवि ने बाल मजदूरी की समस्या की ओर आकर्षित करने की कोशिश की ।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने लिखा है कि बहुत ही ठण्ड का मौसम है और सुबह – सुबह का वख्त है। चारों तरफ और सडकें भी कोहरे से ढँकी हुई है। परंतु इतनी ठण्ड में भी छोटे – छोटे बच्चे अपने – अपने काम पर जाने केलिए मजबूर हैं ।

विशेषता: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि काम पर जानेवाले बच्चों की स्तिति को देखकर विचलित हो जाते हैं और प्रश्न पूछ रहे हैं कि आखिर बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं ?

6. निम्नलिखित गद्यांशों में से किन्हीं दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 3 = 6)

(1) पहाड़ मुझे उतना ऊँचा कभी नही लगा जितना लोग बताते हैं । मनुष्य से ज़्यादा ऊँचा कोई नहीं होता ।
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत पाठ्यांश सफल लेखक, संपादक, अनुवादक, सक्रिय सांस्कृतिक विचारक एवं सच्चे सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गाताडे के पाठ ‘पहाड़ से ऊँचा आदमी से उद्धतृ है ।
दशरथ माँझी की तुलना प्रोमेथियस और भगीरथ से करते हुए उस संदर्भ में, पाठ के अंत में, लेखक ये वाक्य करते हैं ।

व्याख्या : लेखक करते हैं कि दशरथ माँझी ने एक पत्रकार से अपने जीवन के दर्शन का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि पहाड़ की ऊँचाई जितनी लोग कहते हैं, मुझे उतनी ऊँचाई कभी नहीं लगी। मनुष्य से अधिक ऊँचाई कोई भी नहीं होती । कर्मशील मनुष्य ही सबसे ऊँचा है ।

विशेषताएँ : यह उद्धरण ‘जहाँ चाह वहाँ राह’ लोकोक्ति की याद दिलाता है और दशरथ का दृढ निश्चय और उनकी आत्मनिर्भरता का परिचायक है । हाँ, कर्मवीर जंगल में भी मंगल मचा देता है । उसे असंभव कार्य नहीं होता ।

(2) बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है । बूढ़ी काकी जिह्वा स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी और न अपने कष्टों की ओर आकर्षित करने का, रोने के अतिरिक्त कोई दूसरा सहारा ही ।
उत्तर:
संदर्भ : यह कथा-सम्राट एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की सफल कहानी ‘बूढ़ी काकी’ के आरंभिक उद्धरण है। बुढ़ापा और बचपन में कोई अंतर नहीं, बताते हुए कहानीकार इस कहानी का आरंभ करते हैं ।

व्याख्या : प्रेमचंद कहते हैं कि प्रायः बुढ़ापन और बचपन का कोई. अंतर नहीं होता । बुढ़ापन की चेष्टाएँ बचपन की चेष्टाएं जैसी होती हैं । बुढ़ापे में बचपन फिर से आता है । बूढ़ी काकी में जीभ का स्वाद जैसा – का – तैसा है, लेकिन बाकी चेष्टाओं में एक भी न बची थी। उसका सहारा सिर्फ रोना ही है, कोई दूसरा नहीं है । वह दीन स्थिति में थी ।

विशेषताएँ : आरंभिक पंक्ति एक सूक्ति जैसी है, जो पाठकों को उत्सुकता पैदा करती है । भाषा सरल और सुगम है ।

(3) कहते हैं, जो पंसिल वे एक बार खरीदती थीं, वह जब तक इतनी छोटी न हो जाती कि उनकी पकड़ में भी न आए तब तक उससे काम लेती थीं ।
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत कथा – अंश सुप्रसिद्ध कहानीकार एवं उपन्यासकार श्रीमती मन्नू भंडारी की सफल कहानी, ‘सयानी बुआ’ से लिया गया है । बचपन में ही बुआ कितनी सुव्यवस्थता और पाबंदी से कितने अनुशासन से रहती है, उसका एक उदाहरण के रूप में कहानीकार यह उद्धरण देती है ।

व्याख्या : कहा जाता है कि सयानी बुआ बचपन में, पढ़ाई के समय, पेंसिल का पूरी तरह उपयोग में लाती थीं। छोटी होते हुए पकड़ में न आने तक पेंसिल का इस्तेमाल करती थीं ।

विशेषताएँ : इस उद्धरण मे स्पष्ट होता है कि सयानी बुआ के सयानापन का बीज बचपन में ही बोया गया । कहा जाता है कि बचपन की आदतें आजीवन जारी होती हैं ।

(4) परमात्मा, मेरे बच्चों पर दया करो। इस अधर्म का दंड मुझे मत दो, नहीं तो मेरा सत्यानाश हो जाएगा ।
उत्तर:
संदर्भ : ये वाक्य महान कहानीकार एवं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की सफल कहानी ‘बूढ़ी काकी’ से दिए गए हैं। रात को रूपा की लड़की लाड़ली अपनी चारपाई में न पाकर इधर उधर ढूँढ़ती और देखती कि । जूठे पत्तलों पर से पूडियों के टुकड़े खा रही बूढ़ी काकी के पास खड़ी है । करुणा और भय से रूपा का हृदय द्रवित होता है । वह सच्चे दिल से अकाश की ओर हाथ उठाकर ये वाक्य कहती है ।

व्याख्या : हे भगवान ! बूढ़ी काकी से किया जा रहा इस दुर्व्यवहार, इस दुस्थिति का कारण पति महित मैं और बच्चे हैं । इस विधर्म चेष्टा की सजा मुझे और बच्चों को मत दो। हम पर रहम करो ।

विशेषता : यह उद्धरण रूपा में स्थित पाप भीति एवं उससे हुआ हृदय – परिवर्तन का परिचायक है ।

7. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दों वाक्यों में लिखिए । (2 × 3 = 6)

(1) रहीम के अनुसार अपने दुःख क्यों छिपाना चाहिए ?
उत्तर:
रहीम के अनुसार अपने दुःख को अपने मन में ही छिपा रखना चाहिए | क्यों कि दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मज़ाक उडाते हैं, परंतु दुःख को बाँटते नहीं है |

(2) “गुलाबी चूडियाँ” कविता में निहित मूल भावना का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
गुलाबी चूडियाँ कविता में निहित मूल भावना यह है कि बेटी के प्रति पिता का वात्सल्य दिखाई देता है। विशेषकर एक ऐसे पिता का वात्सल्य जो परदेश में रहता है | अधिकतर पिता रोजगार की चिंता में अपने परिवार को पीछे छोड आते हैं । साधारणता मनुष्यों में अपनी संतान के प्रति प्रेम और वात्सल्य होता है ।

(3) हरिवंशराय बच्चन का संक्षिप्त परिचय दीजिए ।
उत्तर:
हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर सन् 1907 को इलाहाबाद के समीप प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में हुआ था । इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था । उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी. हेच.डी पूरी की। ये हालावादी कवि हैं । 18 जनवरी सन् 2003 को मुंबई में आपका निधन हो गया !

(4) कवि “भरत व्यास” के अनुसार प्रकृति की सुंदरता कैसी है ?
उत्तर:
कवि भरत व्यास के अनुसार प्रकृति का सृजन सृष्टिकर्ता ने किया है । ईश्वर को इस सृष्टि का चित्रकार मानते हुए दार्शनिकता दर्शाई है | नीला- नीलगगन, रंगभरी दिशाएँ, पेड-पौधों के फूल मनमोहक होते हैं । प्रकृति को निहारने से हमें सृजन की विविधता दिखाई देती है । धरती के पर्वत, घाटियाँ, वृक्ष, सृष्टिकर्ता के चमत्कार बनकर हमारे सामने आते हैं । प्रकृति से मन प्रसन्न हो जाता है । प्रकृति की सुंदरता अद्वितीय है ।

8. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन – चार वाक्यों में लिखिए । (2 × 3 = 6)

(1) उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ के अनुसार उपभोक्ताओं को कैसे जागरूक रहना चाहिए ?
उत्तर:
उपभोक्तावाद की संस्कृति ‘पाठ के अनुसार उपभोक्ताओं को विज्ञापनों की चमक दमक के चंगुल में नहीं फँसना चाहिए । उनकी दृष्टि आवश्यक गुणवत्त वस्तुओं पर ही होनी चाहिए । विदेशी घटिया ख्याद्यव पेय पदार्थों को तक्षण त्याग करना चाहिए ।

(2) भारतीय किसान के जीवन की कुछ विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर:
भारतीय किसान भारत माँ की आशा है । वे धरती के बेटे हैं । वे गाँवों में, अपने लिपे-पुते कच्चे घरों में रहकर सादगी से जीवन बिताते हैं । वे स्वावंलबी होकर परस्पर सहयोगिता से जीवन यापन करते हैं । वे कथा वार्ता और लोकगीत – लोकनृत्य से अपना मनोरजन करते हैं । किसान के बलिष्ठ शरीर ही उनकी संपत्ति है, उसकी लक्ष्मी है । परिश्रमयुत एवं संतोषमय भारतीय किसानों का जीवन सर्वोपरि है ।

(3) मन्नू भंडारी के बहुचर्चित उपन्यास कौन से हैं। उनकी विशेषता क्या है ?
उत्तर:
मन्नू भंडारी के बहुचर्चित उपन्यास हैं – एक इंच मुस्कान (उनका पहला उपन्यास), महाभोज, एक कहानी है भी आपका बंटी आदि । इनमें नारी जीवन की समस्याएँ, उनकी मानसिक स्थिति का विश्लेषण, युगीनं समाज की यथार्थता आदि प्रतिबिंबित हैं । इनकी भाषा सरल व सुबोध है । ये सब मन्नू भंडारी जी के उपन्यासों की विशेषता है ।

(4) प्रेमचंद की कुछ रचनाओं के नाम लिखिए ।
उत्तर:
कथा – सम्राट एंव उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने यथार्थवाद एवं आदर्शवाद से संबंधित लगभग 300 कदानियाँ और एक दर्जन उपन्यास लिखे । पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफेन, बूढी काकी आदि कहानियाँ प्रसिद्ध हैं । गोदान, गबन, प्रेमाश्रम, सेवा सदन, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, प्रतिज्ञा, कायाकल्प आदि प्रसिद्ध उपन्यास हैं । गोदान इनका अंतिम तथा सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है । इनकी श्रेष्ठ वचनाएँ देश – विदेशी भाषाओं में अनूदित हुई और फिल्में भी बनाई गई ।

9. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखिए । (1 × 5 = 5)

(1) रहीम के अनुसार विद्याहीन मनुष्य किस के समान है ?
उत्तर:
बिना पूँछ और सिंग पशु के

(2) बिहारी किनके दरबारी कवि थे ?
उत्तर:
जयपुर के राजा जयसिंह के

(3) टूटे तारों पर कौन शोक नहीं मानता ?
उत्तर:
आकाश

(4) सारी गेंद कहाँ गिर गई ?
उत्तर:
अंतरिक्ष (आकाश)

(5) हालावाद के प्रवर्तक कौन थे ?
उत्तर:
श्री. हरिवंशराय बच्चन

10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखिए । (1 × 5 = 5)

(1) दशरथ माँझी ने पहाड़ को किससे काटा ?
उत्तर:
छैनी और हथौड़े से

(2) ‘सयानी बुआ’ नामक कहानी की लेखिका कौन हैं ?
उत्तर:
मन्नू भंडारी

(3) भारतीय किसान अपना मनोरंजन कैसे करता है ?
उत्तर:
कथा-वार्ता और लोकगीत – लोकनृत्य द्वारा

(4) उपन्यास सम्राट किन्हें कहा जाता है ?
उत्तर:
प्रेमचंद को

(5) किन खाद्यों को लेखक फूहड़ खाद्य मानते हैं ?
उत्तर:
पीज़ा और बर्गर को

खण्ड – ‘ख’ (40 अंक)

11. निम्नलिखित में से एक पत्र लिखिए । (1 × 5 = 5)

(1) परीक्षा में अच्छे अंक पाने पर भाई को बधाई देते हुए पत्र लिखिए ।
उत्तर:

दिनांक : 23.07.2019
स्थान : हैदराबाद ।

प्रिय राकेश,
शुभाशीष । आशा करता हूँ कि तुम वहाँ सकुशल होगे। तुम्हारा पत्र मिला । मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुमने पिछली परीक्षा की तुलना में इस परीक्षा में खूब मेहनत की। इसी का परिणाम है कि तुम्हें अच्छे अंक प्रात्प हुए । मैं तुम्हें इस सफलता के लिए ढेर सारी बधाई देता हूँ । आशा करता हूँ कि भविष्य में भी इसी तरह अच्छे अंक प्रात्प करोगे ।

तुम्हारा भैया
अभिनव कुमार,

पता :
सेवा में,
राकेश कुमार,
कक्षा : नवीं, क्र.सं. 15,
सरकारी उच्च पाठशाला,
वरंगल, तेलंगाना ।

अथवा

(2) समय का महत्व बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए ।
उत्तर:

दिनांक : 23.07.2019
स्थान : हैदराबाद |

प्रिय नरेश,

मैं यहाँ कुशल हूँ । तुम्हारी कुशलता की प्रार्थना करता हूँ । तुमने पिछली बार परीक्षा की तैयारी के लिए उपाय पूछे थे । मुझे यह बताते अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे पहला नियम समय का पालन होता है । जो व्यक्ति समय का पालन करता है, वह सदैव सफलता- प्राप्त करता है। रात को जल्दी सोना और सुबह समय पर उठना एक अच्छे छात्र का लक्षण होता है । मैं भी तुम्हें परीक्षा की तैयारी के लिए समय पालन करते हु । आशा समय सारिणी बनाकर आगे बढ़ने का सुझाव देना चाहता हूँ । आशा करता हूँ कि तुम मेरे सुझाव का अवश्य पालन करोगे ।

तुम्हारा मित्र
अभिनव कुमार,

पता :
सेवा में,
नरेश कुमार,
म. नं. 8.7.69,
गाँधीनगर, महबूबाबाद ।

12. निम्नलिखित में से किन्हीं आठ शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए । (8 × 1 = 8)

(1) विधुदय
(2) नयन
(3) अन्वेषण
(4) हिमालय
(5) एकैक
(6) नरेश
(7) सदैव
(8) मतैक्य
(9) देवर्षि
(10) मनोबल
(11) दुश्शासन
(12) नीरस
उत्तर:
(1) विधु + उदय = विधूदय
(2) ने + अन = नयन
(3) अनु + एषण = अन्वेषण
(4) हिम + आलय = हिमालय
(5) एक + एक = एकैक
(6) नर + ईश = नरेश
(7) सदा + एव = संदैव
(8) मत + ऐक्य = मतैक्य
(9) देव + ऋषि = देवर्षि
(10) मनः + बल = मनोबल
(11) दु: + शासन = दुश्शासन
(12) निः + रस = नीरस

13. निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच शब्दों के समास के नाम लिखिए । (5 × 1 = 5)

(1) आजीवन
(2) निडर
(3) सुख-दुःख
(4) चौमासा
(5) भरपेट
(6) चक्रधर
(7) जलज
(8) राजकुमार
उत्तर:
(1) आजीवन – अव्ययीभाव समास
(2) निडर – अव्ययीभाव समास
(3) सुख-दुःख – द्वन्द्व समास
(4) चौमास – द्विगु समास
(5) भरपेट – अव्ययीभाव समास
(6) चक्रधर – बहुव्रीहि समास
(7) जलज – बहुव्रीहि समास
(8) राजकुमार – संबंध तत्पुरुषं समास

14. (अ) निम्नलिखित विज्ञापन पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखिए । (4 × 1 = 4)

TS Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions - 1
प्रश्न:
1) यह विज्ञापन किसके बारे में है ?
उत्तर:
यह विज्ञापन ग्राहकों को जागरुक रखने के लिए हैं ।

2) किसे जागरुक बनना चाहिए ?
उत्तर:
ग्राहक जागरुक बनना चाहिए ।

3) शिकायत या सुझाव के लिए टोल फ्री नंबर क्या है ?
उत्तर:
1800-11-4000

4) यह विज्ञापन किसके द्वारा दिया गया है ?
उत्तर:
उपभोक्ता मामले विभाग – भारत सरकार – नई दिल्ली ।

(आ) गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए । (4 × 1 = 4)

गोदावरी दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है । यह नदी दूसरी प्रायद्वीपीय नदियों में से सबसे बड़ी नदी है । इसे दक्षिण गंगा भी कहा जाता है । इसकी उत्पत्ति पश्चिमी घाट में त्र्यंबक पहाड़ी से हुई है । यह महाराष्ट्र नासिक जिले से निकलती है । इसकी लम्बाई प्रायः 1465 किलोमीटर है । इस नदी का पाट बहुत बड़ा है । गोदावरी की उपनदियों में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजिरा । यह महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बहते हुए राजहमहेन्द्री शहर के समीप बंगाल की खाड़ी मे जाकर मिलती. है । कुछ विद्वानों के अनुसार, इसका नामकरण तेलुगु भाषा के शब्द ‘गोद’ से हुआ है, जिसका अर्थ मर्यादा होता है। एक बार महर्षि गौतम ने घोर तप किया । इससे रुद्र प्रसन्न हो गए और उन्होंने एक बाल के प्रभाव से गंगा को प्रवाहित किया। गंगाजल के स्पर्श से एक मृत गाय पुनर्जीवित हो उठी । इसी कारण इसका नाम गोदावरी पड़ा । गौतम से संबंध जुड जाने के कारण इसे गौतमी भी कहा जाने लगा । इसमें नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं । गोदावरी की सात धारा वसिष्टा, कौशिकी, वृद्ध गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी और तुल्या अतीव प्रसिद्ध है । पुराणों में इनका वर्णन मिलता है ।

प्रश्न:
1) गोदावरी कहाँ की प्रमुख नदी है ?
उत्तर:
गोदावरी दक्षिण भारत की प्रमुख नदी है ।

2) इस नदी की लंबाई कितनी है ?
उत्तर:
इस नदी की लंबाई 1465 किलोमीटर है |

3) गोदावरी शब्द का नाम करण किस शब्द से हुआ ?
उत्तर:
गोदावरी शब्द का नामकरण तेलुगु भाषा के शब्द ‘गोद’ से हुआ है।

4) गोदावरी का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर:
गोदावरी का दूसरा नाम गौतमी भी है !

15. (अ) निम्नलिखित में से किन्ही चार मुहावरों के अर्थ लिखिए । (1 × 6 = 6)

(1) ईद का चाँद
उत्तर:
बहु दिनों के बाद दिखाई देना ।

(2) कमर कसना
उत्तर:
किसी काम के लिए तैयार होना

(3) खून चूसना
उत्तर:

(4) इशारे पर नाचना
उत्तर:
वश में हो जाना

(5) अँगूठा दिखाना
उत्तर:
मना करना या चिढ़ाना

(6) आँखों का तारा
उत्तर:
बहुत प्रिय

(7) तारे तोड़ लाना
उत्तर:
मुश्किल काम करना

(8) पेट में चूहे कूदना
उत्तर:
बहुत भूख लगना

(आ) किन्हीं चार लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए । (1 × 6 = 6)

(1) अन्धा क्या चाहे दो आँखे
उत्तर:
मनचाही बात हो जाना

(2) एक हाथ से ताली नही
उत्तर:
झगडा एक ओर से नहीं होता ।

(3) आ बैल मुझे मार
उत्तर:
स्वयं मुसीबत मोल लेना

(4) आग में घी डालना
उत्तर:
पहले से हो रहे झगडे को भड़काने की क्रिया

(5) काला अक्षर भैस बराबर
उत्तर:
अनपढ़ व्यक्ति

(6) यथा राजा, तथा प्रजा
उत्तर:
जैसा स्वामी वैसा ही सेवक

(7) कंगाली में आटा गीला
उत्तर:
परेशानी पर पेरशानी आना

(8) जान है तो जहान है ।
उत्तर:
संसार में जान सबसे यही वस्तु है ।

16. नीचे दिए गए वाक्यों में से किन्हीं तीन के वाच्य बदलिए । (3 × 2 = 6)

(1) सीता नहीं बैठती है ।
उत्तर:
सीता से बैठा नहीं जाता

(2) वह पत्र देता है ।
उत्तर:
उससे पत्र दिया जाता है ।

(3) उससे कविता सुना जाता है ।
उत्तर:
वह कविता सुनाता है ।

(4) वह खेलता है ।
उत्तर:
उससे खेल खेलाजाता है ।

(5) राम नही सोता है ।
उत्तर:
राम से सोया नहीं जाता है ।

(6) वह रोटी खाता है ।
उत्तर:
रोटी उससे खाया जायेगा ।

Leave a Comment