TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 9 with Solutions

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TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 9 with Solutions

Time : 3 Hours
Maximum Marks: 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना है ।

खंड – ‘क’
(60 अंक)

1. निम्न लिखित किसी एक दोहे का भावार्थ लिखिए । 1 × 6 = 6

कबीर गर्व न कीजिये, काल गहे कर केस ।
ना जानौ कित मारि है, क्या घर क्या परदेश ।।
उत्तर:
भावार्थ : कबीरदास इस दोहे में “जीवन की अनिश्चितता” के बारे में बता रहे है । अपनी शक्ति और संपत्ति देखकर घमंडी मत बनिए । इस शरीर से आत्मा कब निकल जाती है किसी को पता नही । मृत्यु किस रूप मे आती है हमें पता नही । किसी भी क्षण हमें अपने साथ ले जाती है । बाल (या) अपना हाथ पकडकर अपने साथ काल ले जाता है । तब इस दुनिया में तुम्हारा घर (ठिकाना) नही होता । मृत्यु कही भी हो (या) किधर भी हो, चाहे घर में हो या परदेश में भी तुमको आने साथ ले जाती है ।

(अथवा)

साई ज्ञानी साई गुनी जन सोई दाता ध्यानी ।
तुलसी जाके चित्र भई, राग द्वेष की हानि ॥
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास इस दोहे में ‘ईर्ष्या का त्याग करने के लिए कहते हैं । तुलसीदास कहते है कि जिसके मन में अनुराग होती है वहीं गुणवान, ज्ञानी और ध्यानी होता है । अगर मन में ईर्ष्या होती तो वह कभी गुणवान नही होता । मन में ईर्ष्या को अंत करके दुनिया को देखने से सब कुछ हमें समझ में आता हैं । तभी हम ज्ञानवान बनते हैं ।

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2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) समता का संवाद
उत्तर:
समता का संवाद कविता श्री मैथिलिशरण गुप्त के द्वारा लिखी गयी है । इसमें भारत के सभी धर्मो, संस्कृतियों, आचार-विचारों को समान रूप से दिखाकर देश में एकता स्थापित किया गया है | हमारा देश भारत माता का मंदिर है। हम सब उनके संतान है । सबलोग मिलकर सुख दुखों को बाँट देंगे और सब में शत्रुता छोडकर प्रेम की भावना को फैलाएँगे । भारत माता के लिए जपगान करेंगे और उनके प्रति हमारा कर्तव्य निभाएँगे। इससे हमसब का कल्याण होगा और हम सब की इच्छाएँ पूरी जाएँगी ।

(2) दान – बल
उत्तर:
दान बल कविता रश्मिरथी नामक काव्य के चतुर्थि सर्ग से लिया गया है। उसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जो है । इसमें कवि दानकी महानता, उसकी सहजता और समय पर दान देने पर बल देते है | इसके लिए वे वृक्ष अपना फल त्यागने से ही स्वस्थ रहती है और उस फल की बीजों से नये पौधा उत्पन्न होते है । नदि पानी को देकर दूसरें को जीवन देती है और उसके पानी भाष्प बन्कर फिर बरसकर नदी मे ही मिल जाता है दान देना एक सहज प्रवृती है। समय पर देने से उसकी महानता रहती है। मरने के बाद देने से कोई फल नही मिलता । इसलिए दान – बल सबके लिए आवश्यक है ।

3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) समय पर मिलने वाले
उत्तर:
लेखक परिचय : हिंदी गद्य साहित्य के व्यंग्यकारों में हरिशंकर परसाई अग्रगण्य थे । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर आप की दृष्टि सदैव रहती है। समसामयिक जीवन में समय पर मिलना सब के लिए महत्वपूर्ण होता है। परसाई जी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं और अपने जीवन व्यवहार को सुधारने की दिशा में प्रेरित करते हैं । व्यंग्य के अतिरिक्त इन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं पर भी अपनी लेखना चलाई थी, परन्तु इनकी प्रसिद्ध व्यंग्यकार के रूप में ही हुई ।

सारांश : समय पर मिलने वाले हरिशंकर परसाई की गद्य – साहित्य से ली गयी व्यंग्यात्मक निबंध है ।

आदमी तीन तरह के होते हैं –

  1. समय पर घर न मिलने वाले
  2. समय पर किसी के घर न जाने वाले और
  3. समय पर घर पर मिलने वाले और किसी के घर जाते वाले ।

इसके बाद कुछ मुट्ठी – भर जीवधारी बचते हैं, कुछ लोग जो समय पर घर मिलते हैं और समय पर दूसरों के घर भी जाते हैं । सज्जनतावश हम उन्हें भी ‘आदमी’ कह देते हैं । वह असल में टाइमपीस हैं । ये घर में रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर रहेंगे तो हम घड़ी देखते रहेंगे। इन्हें हम बदरित कर लेते हैं, मगर इनकी चर्चा करता व्यर्थ है ।

मारा लेखका एक मित्र है, हमें चर्चा उनकी करनी है, जिन्होंने सुबह आठ बजे घर पर मिलने का वादा किया था, पर वे घर पर नहीं हैं । हम उनकी बैठक में इंतजार कर रहे हैं। हम तनाव कम करने के लिए उसके बडे सडके से पढाई के बारे में पूछ लेते हैं, खेल के बारे में बात कर लेते हैं । वह हमारे सवाल का छोटा सा जवाब देता है। हम अखबार पढने लगते हैं। समाचार पढ़कर विज्ञापन पढ़ने लगते हैं । बीच – बीच में पूछ लेते हैं, “कहाँ गए हैं ?”

वह जवाब देता है, “पता नहीं ।”
“कब तक आएँगे” ?
“पता नहीं ।”
“कुछ कह गए थे ?”
“कुछ नहीं ।”
हम फिर अखबार देखने लगते हैं । लड़का ऊब उठा है । वह चाहता है कि हम टलें । मगर हमें जरूरी काम है ।
पास ही दरवाजा है । भीतर औरतों की बातें सुनाई पड़ती है।
सबेरे से आकर बैठ गया है, तो उठने का नाम ही नहीं लेता । अरे, कह दिया कि घर पर नहीं हैं तो जाता क्यों नहीं है ?”
हमारा चेहरा लाल हो जाता है । कान की लोरियाँ जलने लगती हैं। मगर हमें जरूरी काम है ।
आखिर हम उठते हैं । लड़के से कहते हैं,
अच्छा अब हम जाते हैं । कह देना कि हम आए थे ।”
लडका बहुत कम खुश होकर नमस्ते करता है और हमें विदा देता है ।
दूसरे दिन आठ बजे हम फिर पहुँचते हैं। बड़ा लड़का फाटक पर आकर हमारे पूछने से पहले ही कह देता हैं, “घर में नहीं हैं ।
वह फाटक तक इसलिए भागता आया है कि हम वहीं से लौट जाएँ।
मगर हमें काम है और हम खुद फाटक खोल कर भीतर आ जाते हैं ।
हम बैठक में बैठ जाते हैं। बड़ा लड़का किताब पढ़ने लगा है। हम कल का अखबार पढ़ने लगते हैं । लड़का मुँह छिपाकर हँसता है ।
छोटे बच्चे दरवाजे पर आकर हमें देख जाते हैं ।
भीतर औरतों की बातचीत सुनाई देती है ।
“लो, वह फिर आकर बैठ गया ।”

“काम – काम कुछ हो तो देखें ।” ( सब हँसती हैं) छोटा लड़का सारे परिवार की भावना समझकर दरवाजे पर आकर कहता है । “ए. पापा बाहर गए हैं ।”
हम उठते हैं, कहते हैं, “पता नहीं वे कब आएँगे। अच्छा, हम चलते हैं ।”
सारा परिवार खिड़की और दरवाजे पर है और बड़ी दिलचस्पी से हमें जाते देख रहा है ।
इतनी तपस्या के बाद अगर वे कभी घर मिल गए तो लगता है भगवान को पा लिया । जो लोग समय तथ करके भी घर नहीं मिलते वे मुझे भगवान के एजेंट मालूम होते हैं ।
भगवान के दरवाजे पर तो कई जन्म इंतजार करना पड़ता है । अगर इधर कुछ अभ्यास हो गया, तो उधर आसानी पड़ेगी। दूसरी बात यह है कि इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।
मेरे एक दोस्त हैं | उनसे मैं मिलने का समय तथ कर लेता घर नहीं जाता । यह निश्यित है कि वह घर नहीं होंगे ।
जब उनके मिलने की बिल्कुल संभावना नहीं है और वे मिल जाते हैं । वे किसी कमेटी के सदस्य हैं, जिसकी बैठक में उन्हें होना चाहिए । मगर उस वक्त ने घर मिल जाएँगे ।
जब मेरा उनसे नया परिचय या और कुछ औपचारिकता बाकी थी तब उन्होंने मुझे इसरे दिन “बजे खाने पर बुलाया । मैं ठीक ” बजे पहुँच गया 12 बज गए तो मैं ने उनके लड़के से पूछा,
“कहाँ गए हैं ?” उसने कहा, “कुछ पता नहीं हैं ?”
उसने कहा, “कुछ नहीं बता गए ।”
मैं बैठा रहा । जब । बज गया तब लड़के ने कहा, “आपको कुछ जरूरी काम होगा ?”
मैं उसे कैसे बताता कि क्या काम है । इतना मैं अलबन्ता समझ गया कि रस परिवार में मेरे भोजन का कोई सिलसिला नहीं है । मैं भोड़ी देर और बैठ कर उठ गया । शाम को मालूम हुआ कि, जब मैं उनके घर बैठा था, तब वे खुद दूसरों के घर भोजत कर रहे थे। मुझे मिले तो बहुत दुखी हुए । कहने लगे अरे बड़ी गलती हो गई । मैं भूल ही गया ।

कई सालों के उनके साथ के अनुभवों से सावधानी की दीवार मैं ने अपने आसपास खड़ी कर ली थी । जब वे मेरे घर आने की बात करते तब मैं बेखटके बाहर धूमता । मुझे विश्वास था, वे उस वाक्य नहीं आएँगे। शाम को 7 बजे आने को उन्होंने कहा है तो सुबह 8 बजे तक भी आ सकते हैं। वे घर से इधर आने के लिए ही निकलेंगे, पर रास्ते में जो मिल जाएगा उसी के हो जाएँगे, वहाँ खाना लेंगे और तब उन्हे याद आएगा कि किसी से मिलने का वक्त तथ किया था |

हमारे एक मित्र का तबादला हो गया । जो मेरा पहला मित्रता उसने इस मित्र को भी भोजन पर बुलाया । मुझे भी आने के लिए कहा । दूसरे दिन शाम को उनके घर पहुँचे । वे घर नहीं थे । हम दोनों अब सचेत हो गये । मित्र ने कहा कि तुझे उसके बारे में मालूम हैं ना ? मुझसे क्यों नहीं बताया । मैं उस मित्र के लडके से पूछा आप का पापा कहाँ हैं । लडके ने बोला मुझे मालूम नहीं है । तबादले हु मित्र चले गये । पहला मित्र ने इस विषय के बारे में भूल गया ।

ऐसे लोगों की निंदा भी होती है कि वह समय का कोई खमाल नहीं रखते और अपना तथा दूसरे का वक्त खराब करते हैं । मेरा मत दूसरा है, ऐसे लोग ज्ञानी हैं । वे जानते हैं कि काम अनंत हैं और आत्मा अमर है। जो काम इस जन्म में पूरे नहीं हुए, उन्हें अगले जन्म में पूरे कर लेंगे था उसके बाद वाले में । इस बार आत्मा ने मनुष्य का चोला लिया है । अगली बार वह मेंढ़क का चोला भी ले सकती है । तब मेंढ़क के रूप में हम काम पूरे कर लेंगे ।

विशेषताए :

  1. समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना ह ।
  2. समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है ।
  3. समय किसी की प्रतीक्षा नही करता ।

(2) गिल्लू
उत्तर:
लेखिका परिचय प्रस्तुत पाठ ‘गिल्लू’ की लेखिका श्रीमति महादेवी वर्मा हैं। आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं ख्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका हैं। आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है। ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सन्ध्यागीत’ आदि आपके काव्य हैं । ‘स्मृति की ‘रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य परभारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
प्रस्तुत पाठ में आप एक ‘गिलहरी’ छोटे जीव केबारे में चित्रण करती है।

सारांश : सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है, इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुंचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था, तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज है, परंतु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो ।

अचानक एक दिन सबेरे कमरे से बरामदे में आकर मैने देखा, दो कौवे एक गमले के चोरों ओर चोचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल रहे हैं । गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रफक गई, निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं ।

काकद्वय की चोचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था, सबने कहा, कौए की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नही सकता, अतः इसे ऐसे ही रहने दिया जावे । परंतु मन नही माना – उसे हौंले से उठाकर अपने कमरे में लाई, रूई की पतली बत्री दूध से भिगोकर जैसे – तैसें उसके नन्हे मुँह में लगाइ पर मुँह खुल न सका और दूध – की बूँदें दोनों ओर ढुलक गई ।

कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उंगली अपने दो पंजों से पकड़कर, नीले कांच के मोतियों जैसी आँखों से इधर उधर देखने लगा। तीन चार मास में उसके स्निग्ध रोए, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आंखे सबको विस्मित करने लगीं, हमने उसकी जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया और इस प्रकार हम उसे ‘गिल्लू’ कहकर बुलाने लगे । मैंने फूल रखने की एक हलकी डलिया में रुई बिछाकर उसे तार से खिडकी पर लटका दिया । वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा । वह स्वयं हिलाकर अपने घर में झूलता और अपनी कांच के मनकों – सी आँखों से कमरे के भीतर और खिड़की से बाहर न जाने क्या देखता समझता रहता था।

परंतु उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर सबको आश्चर्य होता था। गिल्लू को एक लंबे लिफाफे में रखकर मै अपना काम करती हूँ । भूख लगने पर चिक चिक करके मानो वह मुझे सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिल जाने पर उस स्थिति में लिफाफे से बाहर वाले पंजों से पकड़कर उसे कुतरता रहता । फिर गिल्लू के जीवन का प्रथम बसंत आया । बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक चिक करके न जाने क्या कहने लगी । गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकते देखकर मुझे लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है । मेरे कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी खिड़की की खुली जाली की राह बाहर चला जाता और दिन भर गिलहरियों से खेलता रहता हैं। मैंने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू ने बाहर जाने पर सचमुच ही मुक्ति की सांस ली। मेरे पास बहुत से पशु पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है, परंतु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत हुई है, ऐसा मुझे स्मरण नही आता, गिल्लू इनमें अपवाद था । वह मेरी थाली में से एक एक चावल उठाकर बडी सफाई से खाता रहता ।

उसी बीच मुझे (लेखिका) मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा, उन दिनों दरवाज़ा खोला जाता तब दूसरों को देखकर अपने घर में जा बैठता । सब उसे काजू दे आते, परंतु अस्पताल से लौटकर जब मैं ने उसके झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिनसे ज्ञात होता था कि वह उन दिनों अपना प्रिय खाहा कितना कम खाता रहा । मेरी अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे – नन्हे पंजों से मेरे सिर और बालों को इतने हौले – हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता । गर्मियों में वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता । गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नही होती, अतः गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया । एक रात झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी वही उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था । पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि मैं ने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया । परंतु प्रभाव की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जगाने के लिए सो गया। सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि दी गई है – इसलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी ।

विशेषताएँ :

  1. सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी ।
  2. लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हे पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता । इस प्रकार वह सच्चे अर्थों मे परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ।
  3. कुछ लोग छोटे प्राणियों को भी अपने बच्चों की तरह पालता हैं ।
  4. ‘गिल्लू’ एक ऐसा पाठ है जिसे पढने से मन में आकर्षित भाव पैदा होता है ।
  5. गिल्लू और लेखिका के बीच की रिश्ता बडी प्रशंसनीय है और सराहनीय है ।

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4. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए । 2 × 4 = 8

1) रवींद्र नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था ?
उत्तर:
रवींद्र के गाँव में एक कारखाने शुरू हो गया । यह कारखाना कार बनाने का है । गाँव के गरीब परिवारों को मजदूरी मिल गई। नौजवान कारखाने में भरती हो रहे थे। रवींद्र के माता पिता भी रवींद्र को नौकरी में भरती होने केलिए कहते थे। लेकिन रवींद्र कारखाने में नौकरी करना नही चाहता था क्यों कि नौकरी करेगा तो क्लर्क हो जाता । अगर. आई. ए. एस पढेगा तो कलक्टर बनेगा । तब वह जिले का मालिक बनेगा । नौकरी करने से उसका सपना कभी पूरा नही होगा । इसलिए रवींद्र नौकरी करने से इनकार करता है।

2) खडगसिंह का चरित्र चित्रण किजिए ?
उत्तर:
खड्गसिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था । लोग उसका नाम सुनकर काँपते थे । होते-होते सुल्तान की कीर्ति उसके कानों तक भी पहुँची । वह एक दिन बाबा भारती के पास आया । उसने घोड़ा देखा, तो उसपर उसे बड़ा मोह हो गया । किसी न किसी सुल्तान को हड़पने की ठान ली । जाते-जाते उसने कहा- बाबाजी इस घोड़े को आपके पास रहने नही दूँगा ।

खड्गसिंह अपाहिज वेष धारण करके बाबा को धोखा दिया । घोड़े को अपना साथ ले गया । बाबा की करुण वचनों से अपना मन परिवर्तित होता है । अंत में उसने सुल्तान (घोड़े ) को बाबा तक पहुँचाता है | डाकू को भी हृदय होता है । डाकू भी सामान्य मानव जैसा सोचता है । इस प्रकार की आलोचना हमें खड्गसिंह चरित्र द्वारा मालूम होता है ।

3) प्रदूषण को रोकने के कुछ उपाय लिखिए ?
उत्तर:
पृथ्वी ग्रह पर रहने वाले हर एक नागरिक केलिए ‘गो ग्रीन’ प्रेरणादायक वाक्य होना चाहिए । पर्यावरण पहले से ही बहुत प्रभावित हुआ है और हो चुके नुकसान की भरपाई करने का यह उपयुक्त समय हैं । जल संरक्षण, प्राकृतिक तरीके से सड़नशील पदार्थों का उपयोग, ऊर्जा की बचत करनेवाले उत्पादों को चुनना जैसे कुछ उपाय हैं जो हमारे पर्यावरण प्रदूषण को कम करनें में योगदान करने केलिए अपनाए जाने चाहिए ।

4) छोटू को सुरंग में जाने की अनुमति नहीं थी ? क्यों ?
सुरक्षा
उत्तर:
छोटू को सुरंग में जाने की इज़ाजत इसलिए नहीं थी, क्यों कि वह थोटा था । और यंत्रों की के बारे में नहीं जानता था । आम व्यक्ति को सुरंग में जाने की मनाही थी । कुछ चुनिंदा लोगों को यह प्रशिक्षण दिया गया था। इस कारण छोटू को सुरंग में जाने की अनुमति नहीं थी ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 2 × 3 = 6

1) यह मेरी गोदी शोभा, सुख सुहाग की है लाली शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली । दीप शिखा है अंधकार की, बनी घटा की उजियाली । उषा है यह कमल – भृंग की है पतझड की हरियाली |
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है। इसकी कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी है। इसमे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट होती है ।

कवइत्री कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है । वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है। माँ जितनी सम्पन्न होने पर भी बालिका के सामने भिखारिन ही है । वह अन्धकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल भौरों में उषा की पहली किरण जैसी है । अपनी बालिका हो जीवन का सूर्योदय है। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

2) दान जगत का प्रकृत धर्म है, मनुज व्यर्थ डरता है, एक रोज तो हमें स्वयं सब कुछ देना पड़ता है । बचत वही, समय पर जो सर्वस्व दान करते हैं, ऋतु का ज्ञान नही जिनको ने देकर भी मरते हैं ।
उत्तर:
यह पद्य ‘दान – बल’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता रश्मिरथी नामक काव्य से लिया गया है इसके कवि रामधारी सिंह दिनकर जी है । कवि का कहना है कि दान देना एक सहज स्वभाव है । इसको देने में व्यक्ति व्यर्थ रूप से डरता है । हम सब को एक दिन सब त्याग करके चले जाना है। लेकिन जो समय पर दान देता है वही महान होता है । जो मरते समय छोडकर जाता है, उसकी कोई महानता नही रहती ।

3) प्रथम रश्मि का आना रंगिण !
तूने कैसे पहचाना ?
कहाँ, कहाँ, हे बाल विहंगिनिं !
पाया तूने वह गाना ?
उत्तर:
यह पद्य ‘प्रथम रश्मि’ नामक कविता से लिया गया है । सुमित्रानंदन पंत इसके कवि है । सूर्योदय को सुन्दर वर्णन कवि इसमे कर रहे है । कवि इसमे बाल विहंगिनि से पूछ रहा है । अभी तुमने नंद से जाग लिया । तुम्हे प्रातः काल के किरणों की पहचान कैसे हुई ? यह जानकर तुम इतना सुन्दर केसे गा रही हो । प्रकृति की सहज सुन्दरता इसमे वर्णित है । भाषा सरल खडीबोली है।

4) सब तीर्थो का एक तीर्थ यह, हृदय पवित्र बना लें हम ।
आओ यहाँ अजातरात्रु बन, सबको मित्र बना लें हम ।
रेखाएँ प्रस्तुत हैं, अपने, मन के चित्र बना लें हम ।
सौ-सौ आदर्शों को लेकर, एक चरित्र बना लें हम ॥
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है । सब को आदर्शमय जीवन बिताने का सन्देश कवि देते हैं ।

कवि का कहना है कि हमारे देश में अनेक तीर्थ स्थल है । उनके समान हमारे हृदय को भी पवित्र बनाएंगे । हम अजातशत्रु बनकर सबसे मित्रता करेंगे । हमारे मनोभावों को एक निश्चित रूप देंगे और उनसे हमारे चरित्र आदर्श बनाएंगे। कवि की भाषा सरल खडीबोली है ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 2 × 3 = 6

(1) यदि कोई कुछ कष्ट या असुविधा उठाकर हमारे लिए कोई काम करता है तो हमें उसके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य प्रकट करनी चाहिए ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘शिष्टाचार’ नामक पाठ से लिया गया है । यह पाठ एक सामाजिक निबंध है । इसके लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ जी हैं। वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे । हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से उन्होंने ‘अवधी’ शब्दकोश का निर्माण किया था । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई कुटकल रचनाएँ भी की हैं।

व्याख्या : कुछ लोग खुद मुसीबतों में रहने पर भी, हम को सहायता करने आते हैं । उन लोगों के प्रति हम अपनी कृतज्ञता अवश्य प्रकट करनी चाहिए । कृतज्ञता कैसा प्रकट करना है यह बात हमारी मन में आता है । इसका सबसे सरल तरीका है उसे धन्यवाद देना । ‘धन्यवाद’ शब्द बोलते समय ऐसा लगना चाहिए कि हम उसे हृदय से धन्यवाद दे रहे हैं, केवल ऊपर-ऊपर से नहीं । जिस आदमी कष्ट में हमारी सहायता किया है उसको याद रखकर कभी उस आदमी को काम आने पर हमें भी उसकी सहायता करनी चाहिए ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत निबंध ‘शिष्टाचार’ एक उपदेशात्मक निबंध है । धन्यवाद तभी बताना चाहिए कि जब किसी मे आपके लिए कछ किया हो । जो किसी बात आपको मालुम नहीं, उसी बात को आप को समझाएँ तो धन्यवाद बताकर कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए । शिष्टाचार का सबसे महान गुण
जो आज हम बच्चों को जरूर समझाना चाहिए कि राष्ट्रगान का आदर करना चाहिए |

(2) हमारी उम्र तो करोड़ों साल है क्योंकि आत्मा कभी मरती नहीं । समय पर मिलने वाले ज.

संदर्भ : ये वाक्य ‘समय पर मिलने वाले’ नामक पाठ से दिये गये हैं । इस पाठ के लेखक ‘हरिशंकर परसाई जी हैं। आप हिंदी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में अग्रगण्य हैं । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर अपना लेख लिखता हैं । परसाई जी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं । प्रस्तुत पाठ एक व्यंग्य रचना है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के समय कैसा बरबाद करते है, इसका व्यंग्यपूर्ण चित्रण मिलता है ।

व्याख्या : एक दिन लेखक के मित्र लेखक से सुबह आठ बजे अपना घर पर मिलने का वादा किया था ; पर मित्र घर पर नही हैं । लेखक मित्र केलिए उस का घर में इंतजार कर रहे हैं | मित्र के पुत्र लेखक के पास बैठकर पुस्तक पढ रहा है । बहुत देर तक रहने पर भी मित्र नही आता है । घर के अंदर से स्त्रियाँ लेखक के बारे में भला-बुरा कहता है । लेखक सभी बातें सुनकर लज्जित हो जाता है । अखिर उठ कर मित्र के पुत्र से कहते है, अच्छा मै अब जा रहा तुम्हारे पिताजी आने के बाद कहदेना कि आपसे मिलने आपका दोस्त आया था ।

विशेषताएँ :

  1. सामान्य आदमी समय को काटने के बारे में सोचता है, जबकि महान व्यक्ति सोचते हैं इसके उपयोग के बारे में ।
  2. दुनिया में जितनी भी चीजे हैं, उन सभी में समय समाया हुआ है ।

(3) ईश्वर सब द्वार एक शाथ बंद नहीं करता । यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अपराजिता’ नामक कहानी से दिया गया है। इसकी लेखिका ‘गौरा पंत शिवानी’ जी है। भारत सरकार ने सन् 1982 में उन्हे हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया । शिवानी जी की अधिकतर कहानियाँ और उपन्यास नारी प्रधान रहे | प्रस्तुत कहानी ‘अपराजिता’ में लेखिका ‘डाँ. चंद्रा’ नामक एक अपंग युवती की जीवन संबंधी विषयों के बारे में हमें बतायी ।

व्याख्या : डॉ. चंद्रा अपनी दुस्थिति पर कभी असंतुष्ट नही होती। भगवान को भी कभी निंदा नही करती थी । चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकरके बेटी की उन्नती चाही। चंद्रा की माँ एक बार भाषण में इस प्रकार कहती है कि – “भगवान हमारे सब द्वार एक साथ बंद नही करता । यदि भगवान एक रास्ता बंद करता भी है, तो दूसरा रास्ता हमें दिखायेगा’ । भगवान अंतर्यामी है ।

मानव अपनी विपत्ति के कठिन क्षणें में विधाता को दोषी कहते हैं । उसका निंदा भी करते हैं । कृपा करके ऐसा कभी नही सोचिए। हमारे जीवन में कितने मुश्किलों आने पर भी धैर्य से उसके सामना करना होगा ।

विशेषताएँ :

  1. भगवान हमेशा दीन लोगों की सहायता करता है ।
  2. तुम एक रास्ते पर मंजिल तक जाना चाहते हो, अचानक उस रास्ता बन्द हो तो, जरूर दूसरा रास्ता खोज देंगे ।
  3. भगवान अपंग लोगों को एक अंग से वंचित करने पर भी दूसरे अंगों की क्षमता इस प्रकार देगा कि सामान्य से अधिक होगा ।

(4) तेलंगणा यदि शरीर है तो बतूकम्मा उसकी आत्मां । बतुकम्मा के बिना तेलंगाणा राज्य की कल्पना करना असंभव है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘बतुकम्मा’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एक निबंध है | त्यौहार समय समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्त करते हैं । ये किसी राष्ट्र एंव जाति-वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करने वाले जीवित तत्व के रूप में प्रकट हुआ करते है ।

व्याख्या : भारत में लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं । उसी तरह ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है । बतुकम्मा त्यौहार विश्व का एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें एक मंच पर 9,292 स्त्रियों ने भाग लेकर अपनी श्रद्धा और भक्ति का अनूठा प्रस्तुत किया है | 8 अक्तूबर, 2016 को तेलंगाणा राज्य का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में सुनहरे अक्षरों से लिखा गया । बतुकम्मा त्यौहार स्त्री शक्ति को पहचानने उनका आदर करने और समाज में उचित स्थान देने पर बल देता है । ‘बतुकम्मा’ त्योहार के द्वारा ‘तेलंगाणा’ विश्व मे प्रसिद्ध हवा है । इसलिए लोग कहते है कि तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । “आत्मा के बिना मनुष्य जीवित नही रह पाते । इसी तरह बतुकम्मा के बिना ‘तेलंगाणा’ राज्य की कल्पना करना असंभव है ।

विशेषताएँ :

  1. त्यौहार मनुष्य के जीवन में उल्लास लाता है ।
  2. बतुकम्मा त्यौहार भारतीय समाज में स्त्रियों के गौरवशाली वैभव का गुणगान करता है ।
  3. गरीब – अमीर जैसे भेद भाव के बिना बतुकम्मा त्यौहार मनाते हैं ।

7. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) तुलसी के अनुसार विपत्ति के साथी कौन है ?
उत्तर:
“तुलसी जी के अनुसार विपत्ति के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे :
आपका ज्ञान या शिक्षा, आप की विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास” ।

2) सुमित्रानंदन पंत का कवि परिचय लिखिए ?
उत्तर:
सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म सन् 1900 ई. मे अल्मोडा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ था । वे कोमलता के कवि कह जाते है । आप शांत स्वभाव के थे । उन्होंने असहयोग आंदोलानों मे भाग लिया । उनपर आध्यात्मिक ग्रन्थों का भी प्रभाव था । उनकी रचनाओं मे प्रकृति सौन्दर्य, आदर्शवादी विचार धारा और अरविंद दर्शन का क्रमशः प्रभाव दिखाई देता है । सन् 1977 में उनकी मृत्यु हो गई । वीणा, ग्रंथि, पल्लाव, युगंत उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है । ‘चिदंबरा’ काव्य के लिए उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। वे प्रकृति सौन्दर्य के अद्वितीय कवि माने जाते है । प्रस्तुत ‘प्रथम रश्मि’ कविता में प्रातः काल के प्रकृति सौन्दर्य का सुंदर वर्णन उन्होंने किया ।

3) माँ के लिए बेटी किसके समान है ?
उत्तर:
माँ के लिए बेटी गोद की शोभ है और सौभाग्य प्रदान करती है । वह अपने अंधकारमय जीवन के लिए दीपशिखा की तरह है। माँ जीवन मन उषा की पहली किरण है। नीरस मन में अमृत की धारा और रस भरने वाली है – वह बालिका नष्ट नयनों की ज्योति है और तपस्वी को मन की सच्चीलगन है । एक माँ के लिए उसकी अपनी संतान है सबकुछ होती है । माँ और बेटी में भेद न करने की भावना समाज को उन्नति के शिखर पर पहुँचा सकती है ।

4) गुप्त जी के अनुसार भारत देश की विशेषता क्या है ?
उत्तर:
गुप्त जी के अनुसार भारत देश अनेक धमों, सस्कृतियों, आचार – विचारों का संगम स्थान है । यहाँ सब लोग मिलकर समता का संवाद करते है । सबलोग मिलजुलकर भारत माता की आराधना करते है और प्रेम भावना के साथ अपने – अपने चरित्र का निर्माण करते है । हम सब उन्ही के सलान है । इसलिए हम सब को साथ रहकर सुख दुखों को बांटना चाहिए और देश के लिए अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। तभी हम सब का कल्याण होगा और भारत माता की कृपा से सब की इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।

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8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) हरिशंकर परसाई के अनुसार आदमी कितने तरह के होते है ?
उत्तर:
हरिशंकर परसाई के अनुसार आदमी तीन तरह होते हैं ।

  1. समय पर घर न मिलने वाले ।
  2. समय पर किसी के घर न जाने वाले और ।
  3. न समय पर घर पर मिलते वाले और न किसी के घर जाने वाले कुछ लोग समय पर घर मिलते है और समय पर दूसरों के घर भी जाते हैं । सज्जनतावश हम उन्हें भी ‘आदमी’ कह देते हैं । वह असल में टाइमपीस हैं । ये घर में रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर रहेंगे तो हाथ घड़ी देखते रहेंगे ।

2) ‘अधिकार का रक्षक’ नामक एकांकी के मुख्य पात्र सेठजी के बारे में संक्षिप्त में लिखिए ।
उत्तर:
अधिकार का रक्षक नामक एकांकी के मुख्य पात्र सेठजी है । सेठ जी प्रांतीय असेंबली के उम्मीदवार हैं | सेठजी जो कुछ भी कहते हैं वह कभी नहीं करते । लोगों से कहते हुए बात अपना जीवन में आचरण नही करते हैं। बच्चों के संबन्ध में कहते है कि बच्चो को प्रेम से देखना चाहिए लेकिन अपने बच्चे को ही दंड देता है। प्रेम से बच्चों के साथ व्यवहार करने की सलाह देता है । खुद अपने बच्चों को मारते हैं। मजदूरों और गरीबों की सहायता करने की बात करते हैं । फिर भी अपना घर में काम करने वाली रसोइया और साफ करने वाली दो महिलाओं को पैसे देने के बिना धकेलता है। खुद सेठजी नौकरों पर हुए अत्याचार के विरुद्ध नौकर यूनियन स्थापित की है ।” असेंबली में जाते ही मजदूरों की अवस्था सुधारने का प्रयास करूँगा” – इस तरह वायदे करते हैं। सेठजी श्रीमती सेठजी से बुरी तरह व्यवहार करते हैं। जब सरला जी फोन करती है तो महिलाओं के पक्ष लड़ने के लिए वादा करते हैं ।

चुनाव में जीतने के लिए और शासक को अपने हाथों में लेने के लिए सेठजी जैसे लोग अनेक प्रकार के व्यूह रचते हैं। नेताओं में बहुत से लोग योग्य नहीं हैं । इसीलिए जनता सोच समझकर अपनी कीमती वोट सही नेता को देना चाहिए ।

3) चंद्रा की माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार क्यों दिया गया ?
उत्तर:
चंद्रा की माँ श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम थी। वह एक साहसी जननी है। चंद्रा की माध्यमिक और काँलेज शिक्षा में बेटी के साथ रहकर पूरी कक्षाओं में अपंग पुत्री की कुर्सी की परिक्रमा स्वयं कराती । बचपन में चंद्रा को देखकर अपनी आत्मशक्ति खो नही बेठी। अपने आप को संभाल कर चंद्रा को भी संभाली। हर एक पल बोटी की कामना पूरी करने की कोशिश किया। चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकर, नित्य छायाबनी । आज चंद्रा जो कुछ नाम प्राप्त किया सबकी वजह उसकी माँ ही है । इसलिए जे. सी. बेंगलूर उसकी माँ को ‘वीर जननी का पुरस्कार दिया । सचमुच चंद्रा की माँ एक वीर जननी है ।

4) बतुकम्मा का अर्थ क्या है और जह त्यौहार कितने दिनों तक मनाजा जाता है ?
उत्तर:
बतुकम्मा तेलुगु भाषा के दो शब्दों से बना है- ‘बतुकु’ और ‘अम्मा’, यहाँ ‘बतुकु’ का अर्थ ‘जीवन’ और ‘अम्मा’ का अर्थ ‘माँ’ है । इस तरह बतुकम्मा का अर्थ है – ‘जीवनप्रदायिनी माता’ । यह त्यौहार तेलंगाणा राज्य की वैभवशाली संस्कृति का प्रतीक है । बतुकम्मा त्यौहार दशहरे की नवरात्रियों में मनाया जाता है। यह कुल नौ दिनों का त्यौहार है। इसका आरंभ भाद्रपद अमावस्या यानी महालया अमावस्या या पितृ अमावस्या से होता है और सद्दुला बतुकम्मा या पेद्दा बतुकम्मा तक चलता है । विशेष रूप से इसे स्त्रियाँ मनाती हैं । इसे मनाने की विशेष विधि है । नौ दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार का हर दिन एक विशेष नैवेद्य रुपी नाम से जाना जाता है ।

9. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) तुलसी ने काया की तुलना किससे की है ?
उत्तर:
खेत से की है ।

2) दान-बल कविता के कवि कौन है ।
उत्तर:
श्रीरामधारी सिंह दिनकर ।

3) प्रथम रश्मि कविता में कैन स्वगत गीत गा रहे है ?
उत्तर:
पेड़ पर रहनेवाला कोयल

4) किसका दिल बेटी को समझ सकते है ?
उत्तर:
माता का दिल

5) मैथिली शरण गुप्त का प्रमुख महाकाव्य कैन सा है ?
उत्तर:
साकेत है ।

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10. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) शिष्टाचार का दूसरा विशेष गुण क्या है ?
उत्तर:
दूसरों की निजी बातों में दखल न देना ।

2) परसाई जी के अनुसार इंतजार से क्या बढ़ता है ?
उत्तर:
इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।

3) सेठजी के रसोइये का नाम क्या है ?
उत्तर:
भगवती ।

4) लेखिका लिखते समय गिल्लू को कहाँ बंद करके रखता था ?
उत्तर:
लिफाफे में ।

5) बतुकम्मा का विसर्जन कहाँ करते हैं ?
उत्तर:
तालाबों, जल, स्त्रोतो में ।

खड – ‘ख’
(60 अंक)

11. निम्नलिखित गद्यांश पढ़ित । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए । 5 × 1 = 5

यह नितांत एक मूर्खता है कि हम प्रगति के नाम पर अपने वनों को नष्ट कर रहे हैं और अपने पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रहे हैं । व्यापक स्तर की दूरगामी योजनाओं के अभाव में शहरीकरण ने अनेक शहरी तथा उपशहरी क्षेत्रों को व्यावसायिक जंगलों में बदल दिया है। जमीन के इस गलग उपयोग का एक गंभीर परिणाम है विभिन्न प्रकार के जीवों की समाप्ति । शहरों की वृद्धि कृषि के प्रसार, बाँधों के निर्माण तथा वनों के विनाश से जंगली जीवों के आवास नष्ट हुए है । जीवों की बहुत सी प्रजातियों और उपप्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है ।

प्रश्न :
1) वनों को काटना कैसा काम है ?
उत्तर:
वनों को काटना मूर्खता वाला काम है ।

2) यहाँ किस संतुलन के बारे में चर्चा हो रही है ?
उत्तर:
यहाँ पारिस्थितिक संतुलन के बारे में चर्चा हो रही है ।

3) किसके गलत उपयोग से गंभीर परिणाम होते हैं ?
उत्तर:
जमीनों के गलत उपयोग से गंभीर परिणाम होते हैं ।

4) किनके आवास नष्ट हुए हैं ?
उत्तर:
जंगली जीवों के आवास नष्ट हुए हैं ।

5) इस अनुच्छेद के लेखक का नाम क्या है ?
उत्तर:
इस अनुच्छेद के लेखक का नाम एन मणिवासकम है ।

12. सूचना के अनुसार लिखिए । 8 × 1 = 8

(12.1) किन्हीं चार (4) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।
(1) उपस्थित
(2) जल
(3) कीर्ति
(4) उल्लास
(5) आकाश
(6) अति
उत्तर:
(1) उपस्थित × अनुपस्थित
(2) जल × थल
(3) कीर्ति × अपकीर्ति
(4) उल्लास × विषाद
(5) आकाश × पाताल
(6) अति × अल्प

(12.2 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।
(1) पृथ्वी
(2) पेड़
(3) आग
(4) सूर्य
(5) पक्षी
(6) मनुष्य
उत्तर:
(1) पृथ्वी = भूमि, धरा, धरती, थरणी, वसुधा, धरित्री
(2) पेड़ = वृक्ष, तरु, झाड़, विपट
(3) आग = अग्नि, अनल, पावक, हुताशन, जातदेव, वैश्वनार
(4) सूर्य = दिनकर, भास्कर, रवि, प्रभाकर, आदित्य, मित्र
(5) पक्षी = खग, विहंग, पखेरु, विहग, परिंदा, अंडज
(6) मनुष्य = मानव, नर, इंसान, आदमी

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13. किन्हीं आठ (8) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए । 8 × 1 = 8

(1) आँक
(2) पुस्तक
(3) उत्तीण
(4) ग्यान
(5) इमलि
(6) बारत
(7) उदहरण
(8) प्रान
(9) स्मरन
(10) गोर
(11) दीजीए
(12) वस्तू
उत्तर:
(1) आँक – आँख
(2) पुस्तक – पुस्तक
(3) उत्तीण – उत्तीर्ण
(4) ग्यान – ज्ञान
(5) इमलि – इमली
(6) बारत – भारत
(7) उदहरण – उदाहरण
(8) प्रान – प्राण
(9) स्मरन – स्मरण
(10) गोर – घोर
(11) दीजीए – दीजिए
(12) वस्तू – वस्तु

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए । 8 × 1 = 8

1) जेब ………………… (में / से) कमल है ।
2) दादा जी चारणई ……………….. (पर / की) बैठे है ।
3) आओ गेंद ……………. (से / के) खेले ।
4) मुकुल ……………… (की / के) पिताजी डाक्टर हैं ।
5) अशोक और अनिल …………….. (के / में) दोस्दी लगी हुई है ।
6) राम ने दलबल सहित लंका ………………. (पर / से) चढ़ाई की।
7) नौकर ………………. (ने / की) काम किया ।
8) घर ……………….. (को / का) अनाज चाहिए |
उत्तर:
1) जेब मे कमल है |
2) दादा जी चारपाई पर बैठे है ।
3) आओ गेंद से खेले ।
4) मुकुल के पिताजी डाक्टर हैं ।
5) अशोक और अनिल में दोस्दी लगी हुई है ।
6) राम ने दलबल सहित लंका पर चढ़ाई की ।
7) नौकर ने काम किया ।
8) घर को अनाज चाहिए ।

15. निर्देश के अनुसार छः (6) वाक्यों को शुद्ध कीजिए । 6 × 1 = 6

1) मै चाय पीते हैं । ( वाक्य शुद्ध कीजिए 1)
उत्तर:
मै चाय पीता हूँ ।

2) नानी घर आयी है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
नाना घर आया है ।

3) दर्जी कपडे सीता है । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
दर्जी कपड़ा सीता है ।

4) देवी गीत गायेगी । (वर्तमान काल में लिखिए ।)
उत्तर:
देवी गीत गा रही है ।

5) विनती खेलना का पसंद करती है । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
नापसंद ।

6) किरण पाँचसा कक्षा में पढ रहा है । (रेखांकित शब्द का प्रत्यय की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
पाँचवाँ ।

7) सीता नियोग में राम दुखी था । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
वियोग

8) वह शिक्षा दिया । (वाक्या शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
उसने शिक्षा दिया ।

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16. किन्हीं पाँच (5) वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए । 5 × 1 = 5

1) Please come here.
उत्तर:
आप यहाँ आइए ।

2) You should get up early in the morning.
उत्तर:
तुमको सबेरे जल्दी उठना चाहिए ।

3) I have got my haircut.
उत्तर:
मैं ने अपने बाल कटवाये हैं ।

4) Boys went to school.
उत्तर:
लडके स्कूल गये।

5) I do not play foot ball.
उत्तर:
मैं फुटबाल नही खेलता हूँ ।

6) Does he eat ?
उत्तर:
क्या वह खाता है ?

7) I had been to patna yesterday.
उत्तर:
मैं कल पटना गया था ।

8) Do the boys know when their examination will be held.
उत्तर:
क्या लड़कों को मालुम है कि उनकी परीक्षा कब होगी ?

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