TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 8 with Solutions

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TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 8 with Solutions

Time : 3 Hours
Maximum Marks: 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड – ‘क’
(60 अंक)

1. निम्न लिखित किसी एक दोहे का भावार्थ लिखिए । 1 × 6 = 6

सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार ।
लोचन अनंत उघारिया, अनंत दिखावनहार ॥
उत्तर:
भावार्थ : कबीरदास इस दोहे में “सतगुरु की महिमा” के बारे में बताया। सतगुरु की महिमा अनन्त है और अनेक उपकार भी अनन्त हैं। उन्होंने मेरी अनन्त दृष्टि खोल दी जिससे मुझे उस अनन्त प्रभु का दर्शन प्राप्त हो गया । सतगुरु ही भगवान के बारे में हमें बताते हैं । भगवान तक पहुँचने के मार्ग वही हमें दिखाता हैं ।

(अथवा)

सम कंचन काँचौ गिनत सत्रु मित्र सम होई |
तुलसी या संसार में कहत संतजन सीइ ॥
उत्तर:
भावार्थ : इस दोहे में तुलसीदास हमें “सत्पुरुष की महानता ” के बारे में बता रहे हैं। इस संसार में महान लोग सोना और काँच को एक ही तरह मानते है । याने सोना मुल्यवान और काँच साधारण मुल्यवाली धातु हैं। लेकिन दोनों भगवान की दिया हुइ चीज है। दोनों धातुओं को समान द्वष्टि से देखना चाहिए । उसी तरह इस दुनिया में शत्रु और मित्र दोनों सत्पुरुषों की द्वष्टि में समान है । सत्पुरुषों की द्वष्टि में सब लोग समान है ।

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2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) ‘बालिका का परिचय’ कविता का सारांश पांच – छेः वाक्यों मे लिखिए ।
उत्तर:
‘बालिका का परिचय कविता श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान जी से लिखी गयी है । संपूर्ण कविता मे कवइत्री का हृदय बोलता है। एक माँ के लिए उसकी अपनी संतान हो सब कुछ होती है । इस कविता की विषयवस्तु एक और उसकी पुत्री पर आधारित है माँ के लिए वह बालिका ही गोद की शोभा होती है और अपना सौभाग्य । उसी की चेष्टओं में कवइत्री अपना बचपन की स्मृतियों को देख रही है । उसी को अपना मंदिर, मसजिद, काबा, काशी, समझाती है। कृष्ण की बाल लीलाओं को और कौसल्या की ममता को अपनी और बेटी के बीच मे देख रही है ईसा की क्षमाशीलता, नबी महम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा सभी बेटी मे देख रही है। कवइत्री यही माती है कि जिसके पास सच्ची माँ जी ममता होती है, उस एक बालिका का परिचय मिल जाता है ।

(2) ‘प्रथम रश्मि’ कविता का सरांश पाँच – छः वाक्यों में लिखिए ।
उत्तर:
प्रथम रश्मि कविता सुमित्रानंदन पंत्र जी से लिखी गयी है। प्रकृति की सहज सुन्दरता इसमें वर्जित है । प्रातः काल के समय मे सूर्योदय के किरणों को छूकर बाल विहंगिनी गीत गाते हैं । उनको कैसे मालूम कि सूर्योदय हो गया है । चन्द्र किरण के चूमने से नव कोमल पत्ते मुस्कुराना अर्थात रहे है। रात के तारे मन्द पड गए है । अन्धकार समाप्त होकर सूर्योदय हो रहा है। इसके स्वागत मे कोयल गीत गा रही है । कवि यह प्रश्न कर रहा है कि हे अंतर्योमिनी तुम्हे किसने बताया कि सूर्योदय हुआ है । कवि का हृदय प्रकृति के सहज सुन्दरता का स्पर्श कर रहा है ।

3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) ‘अपराजिता ‘ कहानी का सारांश पाँच छः वाक्यों में लिखिए ।
उत्तर:
लेखिका परिचय : गौरा पंत हिन्दी की प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। वे ‘शिवानी’ उपनाम से लिखा करती थी । शिवानी ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन से बि.ए. किया । साहित्य और संगीत के प्रति एक गहरा रूझान ‘शिवानी’ को अपने माता और पिता से ही मिला । भारत सरकार ने सन् 1982 में उन्हें हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया । उनकी अधिकतर कहानियाँ और उपन्यास नारी प्रधान रहे । इसमें उन्होंने नायिका के सौंदर्य और उसके चरित्र का वर्णन बड़े रोचक ढंग से किया ।

सारांश : ‘अपराजिता’ नामक कहानी में लेखिका हमें ‘चंद्रा’ नामक एक युवती की जीवन के बारे में बतायी । ‘चंद्रा’ एक अपंग स्त्री है, जिन्होंने 1976 में माइक्रोबायोलाजी में डाक्टरेट मिली हैं । अपंग स्त्री पुरुषों में इस विषय में डॉक्टरेट पानेवाली डाँ. चंद्रा प्रथम भारतीय है। डॉ. चंद्रा के बारे में अपनी माँ इस प्रकार बता रही है कि ” चंद्रा के बचपन में जब हमें सामान्य ज्वर के चौथे दिन पक्षाघात हुआ तो गरदन के नीचे सर्वांग अचल हो गया था । भयभीत होकर हमने इसे बडे – से बडे डाक्टर को दिखाया । सबने एक स्वर से कहा आप व्यर्थ पैसा बरबाद मत कीजिए आपकी पुत्री जीवन भर केवल गरदन ही हिला पायेगी । संसार की कोई भी शक्ति इसे रोगमुक्त नही कर सकती’ । चंद्रा के हाथों में न गति थी, न पैरों में फिर भी माँ-बाप होने के नाते हम दोनों आशा नही छोडी, एक आर्थीपेडिक सर्जन की बडी ख्याति सुनी थी, वही ले गये । वहा चंद्रा को एक वर्ष तक कष्टसाध्य उपचार चला और एक दिन स्वयं ही इसके ऊपरी धड़ में गति आ गयी । हाथ हिलने लगे, नन्हीं उँगलियाँ माँ को बुलने लगी । निर्जीव धड़ से ही चंद्रा को बैठना सिखाया | पाँच वर्ष की हुई, तो माँ ही इसका स्कूल बनी ।

चंद्रा मेधावी थी । बेंगलूर के प्रसिद्ध माउंट कारमेल में उसे प्रवेश मिली । स्कूल में पूरी कक्षाओं में अपंग पुत्री की कुर्सी की परिक्रमा उसकी माँ स्वयं करती | प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर चंद्रा ने स्वर्ण पदक जीते। बि.एस. सी किया । प्राणि शास्त्र में एम.एस.सी में प्रथम स्थान प्राप्त किया और बेंगलूर के प्रख्यात इंस्टिटयूट ऑफ साइंस में अपने लिए स्पेशल सीट अर्जित की । केवल अपनी निष्ठा, धैर्य एवं साहस से पाँच वर्ष तक प्रोफेसर सेठना के निर्देशन में शोधकार्य किया । सब लोग चंद्रा जैसी हँख मुख लडकी को देख अचरज हो जाते । लेखिका चंद्रा को पहली बार अपनी कोठी का अहाते में जुड़ा एक कोठी में कार से उतरते देखा ।

तो आश्चर्य से देखती ही रह गयी । ड्राइवर हवील चेयर निकालकर सामने रख दी, कार से एक युवती ने अपने निर्जीव निचले धड़ को बडी दक्षता से नीचे उतरता, फिर बैसाखियों से ही हह्वील चेयर तक पहुँच उसमें बैठ गयी। बड़ी तटस्थता से उसे स्वयं चलाती कोठी के भीतर चल गयी थी । छीरे-धीरे लेखिका को उससे परिचय हवा । चंद्रा की कहानी सुना तो लेखिका दंग रह गयी । चंद्रा लेखिका को किसी देवांगना से कम नही लगी । चंद्रा विधाता को कभी निंदा नही करती । आजकल वह आई.आई.टी मद्रास में काम कर रही है । गर्ल गाइड में राष्ट्रपति का स्वर्ण काई पानेवाली वह प्रथम अपंग बालिका थी । यह नही भारतीय एंव प्राश्चात्य संगीत दोनों में उसकी समान रुचि है ।

डॉ. चंद्रा के प्रोफेसर के शब्दों में “मुझे यह कहने में रंच मात्र भी हिचकिटहट नही होती कि डाँ चंद्रा ने विज्ञान की प्रगति में महान योगदान दिया है । चिकितसा ने जो खोया है, वह विज्ञान ने पाया है | चंद्रा के पास एक अलबम था । चंद्रा के अलबम के अंतिम पृष्ठ में है उसकी जननी का बड़ा सा चित्र जिसमें वे जे सी बेंगलूर द्वारा प्रदत्त एक विशिष्ट पुरस्कार ग्रहण कर रही हैं “वीर जननी का पुरस्कार” । लेखिका के कानों में उस अद्भुत साहसी जननी शारदा सुब्रह्मण्यम के शब्द अभी भी जैसे गूँज रहे हैं – “ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नही करता । यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है” । इसलिए अपनी विपत्ति के कठिन क्षणों में विधाता को दोषी नही ठहराता ।

लेखिका चंद्रा जी के बारे में इस तरह कह रही है कि “जन्म के अठारहवे महीने में ही जिसकी गरदन से नीचे पूरा शरीर पोलियो ने निर्जीव कर दिया हो, इसने किस अद्भुत साहस से नियति को अंगूठा दिखा अपनी थीसिस पर डाक्टरेट ली होगी ? उसकी आज की इस पटुता के पीछे है एक सुदीर्घ कठिन अभ्यास की यातनाप्रद भूमिका” । स्वयं डॉ. चंद्रा के प्रोफेसर के शब्दों में “हमने आज तक दो व्यक्तियों द्वारा सम्मानित रूप में नोबेल पुरस्कार पाने के ही विषय में सुना था, किंतु आज हम शायद पहली बार इस पी. एच. डी के विषय में भी कह सकते हैं । देखा जाय तो यह डाक्टरेट भी संयुक्त रूप में मिलनी चाहिए डाँ. चंद्रा और उनकी अद्भुत साहसी जननी श्रीमति टी. सुब्रह्मण्यम को । लेखिका कहती है कि कभी सामान्य सी हड्डी टूटने पर था पैर में मोंच आ जाने पर ही प्राण ऐसे कंठगात हो जाते हैं जैसे विपत्ति का आकाश ही सिर पर टूट पड़ा है और इधर यह लड़की चंद्र को देखो पूरा निचला धड़ सुन्न है फिर भी कैसे चमत्कार दिखायी । सब लोग डॉ. चंद्र से बहुत सीखना है। कभी जीवन में निराश नही होना चाहिए । जितने भी कष्ट आने पर भी, सभी को हसते हुए झेलकर अपना मंजिल तक पहुँचना ही इस कहानी का उद्येश्य है ।

विशेषताएँ :

  • आधुनिक होने का दावा करनेवाला समाज अब तक अपंगों के प्रति अपनी बुनियादी सोच में कोई खास परिवर्तन नहीं ला पाया है ।
  • अधिकतर लोगों के मन में विकलांगों के प्रति तिरस्कार या दया भाव ही रहता है, यह दोनों भाव विकलांगों के स्वाभिमान पर चोट करते हैं ।
  • अपंगों को शिक्षा से जोड़ना बहुत जरूरी है।
  • अपंगों ने तमाम बाधाओं पर काबू पा कर अपनी क्षमताएं सिद्ध की है ।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 27 अंदिसंबर को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक दिव्य क्षमता है और उनके लिए अपंग शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ।
  • अपंत लोगों को केवल सहयोग चाहिए, सहानुभूति को भीख नहीं ।

(2) 1. प्रस्तावना (बतुकम्मा का अर्थ क्या है) : भारत त्यौहारों का देश है । यहाँ लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं । उसी तरह ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है | तेलंगाणा राज्य सरकार ने 24 जुलाई, 2014 के दिन सरकारी आदेश संख्या 2 के अनुसार इसे राज्य पर्व के रूप में गौरवान्वित किया है । हर वर्ष धूम-धाम, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाये जाने वाले त्योहार ही बतुकम्मा ।

बतुकम्मा तेलुगु भाषा के दो शब्दों से बना है- ‘बतुकु’ और ‘अम्मा’ । यहाँ ‘बतुकु’ का अर्थ ‘जीवन’ और ‘अम्मा’ का अर्थ ‘माँ है । इस तरह बतुकम्मा का अर्थ है – ‘जीवन प्रदायिनी माता’ । बतुकम्मा त्यौहार तेलंगाणा राज्य की वैभवशाली संस्कृति का प्रतीक है । बतुकम्मा त्यौहार दशहरे की नवरात्रियों में मनाया जाता है । यह कुल नौ दिन का त्यौहार है । इसका आरंभ भाद्रपद अमावस्या यानी महालया अमावस्या या पितृ अमावस्या से होता है ।

2. पौराणिक गायाएँ : वेमुलवाडा चालुक्य राजा, राष्ट्रकूट राजा के उप- सामंत थे, चोला राजा और राष्ट्रकूट के बीच हुए युद्ध में चालुक्य राजा ने राष्ट्रकूट का साथ दिया था । 973 AD में राष्ट्रकूट राजा के उपसामंत थैलापुदु द्वितीय ने आखिरी राजा कर्कुदु द्वितीय को हरादिया और अपना एक आजाद कल्याणी चालुक्य साम्राज्य खड़ा किया, अभी जो तेलंगाणा राज्य है, वो यही राज्य है ।

वेमुलवाड़ा के साम्राज्य के समय राजा राजेश्वर का मंदिर बहुत प्रसिद्ध था । तेलंगाणा के लोग इनकी बहुत पूजा आराधना करते थे । चोला के राजा परान्तका सुंदरा, राष्ट्रकूट राजा से युद्ध के समय घबरा गए थे । तब उन्हें किसी ने बोला कि राजाराजेश्वर उनकी मदद कर सकते थे, तो राजा चोला उनके भक्त बन गए । उन्होंने अपने बेटे का नाम भी राजराजा रखा । राजराजा चोला ने 985 – 1014 AD तक शासन किया । उनके बेटे राजेन्द चोला जो सेनापति थे, सत्यास्त्राया में हमला कर जीत हासिल की। अपनी जीत की निशानी के तौर पर उसने राजा राजेश्वरी मंदिर तुड़वा दिया और एकबड़ी शिवलिंग अपने पिता को उपहार के तौर पर दी ।

1006 AD में राजराजा चोला इस शिवलिंग के लिए एक बड़े मंदिर का निर्माण शुरु करते है, 1010 में बृहदीश्वर नाम से मंदिर की स्थापना होती है, वेमुलावाडा से शिवलिंग को तन्जावूरु में स्थापित कर दिया गया, जिससे तेलंगाणा के लोग बहुत दुखी हुए । तेलंगाणा छोड़ने के बाद बृहदम्मा (पार्वती) के दुःख को कम करने के लिए बतुकम्मा की शुरुवात हुई, जिस में फूलों से एक बड़े पर्वत की आकृति बनाई जाती है। इसके सबसे ऊपर हल्दी से गौरम्मा बनाकर उसे रखा जाता है। इस दौरान नाच, गाने होते है । बतुकम्मा का नाम बृहदम्मा से आया है। शिव के पार्वती को खुश करने के लिए थे त्यौहार 1000 साल से तेलंगाणा में बडी धूम धाम से मनाया जा रहा है ।

इसके अतिरिक्त एक पौराणिक कहानी भी है- कहा जाता है कि चोल नरेश धर्मागंद और उनकी पत्नी सत्यवती के सौ पुत्र थे । वे सभी पुत्र एक महायुद्ध में मारे गए। इस दुख से उबरने के लिए राजा धर्मांगद और रानी सत्यवती ने कई पूजा पाठ, यज्ञ आदि पूजन कार्य किए । फलस्वरुप उनके घर में साक्षात लक्ष्मीदेवी का जन्म हुआ । बचपन में घटी कई दुर्घटनाओं के बावजूद वह सुरक्षित बची रही। इसीलिए माता – पिता ने उसका नाम ‘बतुकम्मा’ रख दिया। सभी लोग उसकी पूजा करना आरंभ किया ।

3. बतुकम्मा पर्व का महत्व : बतुकम्मा पर्व के पीछे एक खास उद्देश्य है, वर्षा ऋतु में सभी जगह पानी आ जाता है, जैसे नदी, तालाब एंव कुँए भर जाते हैं, धरती भी गीली महिम सी हो जाती है और इसके बाद फूलों के रुप में पर्यावरण में बहार आती है । इसी कारण प्रकृति का धन्यवाद देने के लिए तरह- तरह के फूलों के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है, इसमें फोक रीजनल साँग अर्थात क्षेत्री गीत गाये जाते है । इन दिनों पूरे देश में ही उत्साह के पर्व मनाये जाते हैं, इन सबका उद्देश्य प्रकृति का अभिवादन करना ही होता है ।

4. बतुकम्मा पर्व कैसे मनाता और कैसे आचरण करता है : इस त्यौहार को मनाने के लिए नव विवाहित अपने मायके आती है। ऐसा कहा जाता हैं उनके जीवन में परिवर्तन के लिए यह प्रथा शुरु की गई,
a) पर्व के शुरुवाती पाँच दिनों में महिलाएँ अपने घर का आँगन स्वच्छ करती है, गोबर से आंगन को लिपा जाता है ।
b) सुबह जल्दी उठकर उस आँगन में सुंदर-सुंदर रंगौली डालती है ।
c) कई जगह पर एपन से चौक बनाया जाता है जिसमें सुंदर कलाकृति बनाई जाती है, चावल के आटे से रंगोली का बहुत महत्व है ।
d) इस उत्सव में घर के पुरुष बाहर से नाना प्रकार के फूल एकत्र करते हैं जिसमें तंगेडु, गुम्मडि पुव्वु, बंती, मंदारम, गोरिंटा, पोकाबंती, कट्लपाडु, गुंलागरगरा, चामंती, तामरा, गन्नेरु, गुलाबी, वज्रदंती, गड्डी पुव्वु आदि फूलों को एकत्र किया जाता हैं ।
e) फूलों के आने के बाद उनको सजाया जाता हैं । तरह-तरह की लेयर बनाई जाती हैं, जिसमें फूलों की पत्तियों को सजाया जाता है। इसे तांबालम (Thambalam) के नाम से जाना जाता है ।
f) बतुकम्मा बनना एक लोक कला है। महिलाएँ बतुकम्मा बनाने की शुरुवात दो पहर से करती है ।

आचरण (Celebration ) :
a) नौ दिन इस त्यौहार में शाम के समय महिलाएँ, लड़कियाँ एकत्र होकर इस त्यौहार को मनाती हैं | इस समय ढोल बजाये जाते हैं ।
b) सब अपने – अपने बतुकम्मा को लेकर आती है ।
c) महिलाएँ पारंपरिक साड़ी और गहने पहनती है । लडकियाँ लहंगा चोली पहनती है ।
d) सभी महिलाएँ बतुकम्मा के चारों ओर गोला बनाकर क्षेत्रीय बोली में गाने गाती हैं, यह गीत एक सुर में गाये जाते हैं, इस प्रकार यह त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता हैं। महिलाएँ अपने परिवार की सुख, समृद्धि, खुशहाली के लिए प्रार्थना करती है ।
e) हर एक दिन का अपना एक नाम है, जो नैवेद्यम (प्रसाद) के अनुसार रखा गया है ।
f) बहुत से नैवैद्यम बनाना बहुत आसान होता है, शुरु के आठ दिन छोटी बड़ी लडकियाँ इसे बनाने मदद करती है ।
g) आखिरी दिन को सहुला बतुकम्मा कहते है, सभी महिलाएँ मिलकर नैवैद्यम बनाती है । इस अंतिम दिन बतुकम्मा को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है ।

5. आनंद का पर्व : बतुकम्मा महीने भर समाज आनन्द मग्न रहता है । नौ दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में स्त्रियों के करताल से सारा वातावरण गूंज उठता है । नीरस भी सरस बन जाता है। चारों तरफ हरियाली, पानी की भरपूर मात्रा, घर आँगन में खुशियों का वातावरण बनाये रखे | जीवन में महीने भर मानों आनन्द ही आनन्द बना रहता है ।

6. उपसंहार : भारत के सारे पर्वदिन आनन्द के ही त्योहार है । बतुकम्मा अधिक आनंदप्रद त्योहार है । रंक से लेकर रईस तक इसे मनाते हैं । बतुकम्मा त्योहार भारतीय समाज में स्त्रियों के गौरवशाली वैभव का गुणगान करता है । इस त्योहार से हमें यह पता चलता है, कि स्त्रियाँ न केवल ममता, प्रेम, समर्पण, त्याग की प्रतीक है, बल्कि समय आने पर समाज के हितों के लिए अपना सर्वस्व थौछावर करने के लिए तत्पर रहती है । यह त्योहार उस रूढिवादिता का विरोध करता है । जहाँ पुरुष को प्रधान माना जाता है । यह त्योहार स्त्री शक्ति को पहचानने, उनका आदर करने और समाज में उचिन स्थान देने पर बल देना है ।

“तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । बतुकम्मा के बिना तेलंगाणा राज्य की कल्पना करना असंभव है” ।

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4. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए । 2 × 4 = 8

1) वनों को नष्ट करने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में लिकिए ?
उत्तर:
वनों की कटाई से मिट्टी, पानी और वायु क्षरण होता है जिसके परिणामस्वरुप हर साल 16,400 करोड़ से अधिक वृक्षों की कमी देखी जाती है। वनों की कटाई भूमि की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव डालती है क्यों कि वृक्ष पहाडियों की सतह को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है तथा तेजी से बढती बारिश के पानी में प्राकृतिक बाधाएँ पैदा करते हैं। नतीजतन नदियों का जल स्तर अचानक बढ़ जाता है जिससे बाढ़ आती है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की हानि होती है। वायु प्रदूषण होती है। प्रजातियां विलुप्त हो जाती है। ग्लोबल वार्मिगं हो जाता है। औषधीय वनस्पति प्राप्त करना दुर्लभ हो जाता है । ओजोन परत को नुकसान हो रहा है । जल संसाधन की कमी होती है ।

2) खड्गसिंह का चरित्र चित्रण कीजिए ?
उत्तर:
खड्गसिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था । लोग उसका नाम सुनकर काँपते थे । होते-होते सुल्तान की कीर्ति उसके कानों तक भी पहुँची । वह एक दिन बाबा भारती के पास आया । उसने घोड़ा देखा, तो उसपर उसे बड़ा मोह हो गया । किसी न किसी सुल्तान को हड़पने की ठान ली । जाते-जाते उसने कहा- बाबाजी इस घोड़े को आपके पास रहने नही दूँगा ।

खड्गसिंह अपाहिज वेष धारण करके बाबा को धोखा दिया । घोड़े को अपना साथ ले गया | बाबा की करुण वचनों से अपना मन परिवर्तित होता है । अंत में उसने सुल्तान (घोड़ें) को बाबा तक पहुँचाता है | डाकू को भी हृदय होता है । डाकू भी सामान्य मानव जैसा सोचता है। इस प्रकार की आलोचना हमें खड्गसिंह चरित्र द्वारा मालूम होता है।

3) ध्यानचंद का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए ?
उत्तर:
हाँकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद सिंह को कौन नहीं जानता है । उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाब्द में हुआ था । वह भारतीय फील्ड हाँकी के भुतपुर्व खिलाडी व कप्तान थे । उन्हें भारत एंव विश्व हाँकी के क्षेत्र में सबसे बेहतरीन खिलाडियों में शुमार किया जाता है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतनेवाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं । इनमें मे 1928 का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, 1932 का लॉस एंजेल्स ओलम्पिक और 1936 का बर्लिन ओलम्पिक शामिल है । 3 दिसंबर 1979 को जब उन्होंने दुनिया से विदा ली तो उनके पार्थिव शरीर पर दो हाँकी स्टिक क्राँस बनाकर रखी गई । ध्यानचंद ने मैदान पर जो ‘जादू’ दिखाए, वे इतिहास में दर्ज है ।

4) ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
उत्तर:
ए. पी. जे अब्दुल कलाम को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के तौर पर अधिक जाना जाता है, जो साल 2002 से लेकर साल 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहे। इस से पहले कलाम विज्ञान क्षेत्र में सक्रिय थे । कलाम ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्म लिया और वही पर उनका पालन पोषण भी हुआ । शिक्षा के लिहाज से उन्होंने अन्तरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की। अपने करियर के अगले करीब चालीस सालों तक, वह भारतीय रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन यानि संक्षेप में कहें तो डी. आर. डी. ओ. और भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन यानि इसरो में वैज्ञानिक और इंजिनियर के पद पर रहे । इन्हें लोगों के दिल में बहुत सम्मान प्राप्त है ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 2 × 3 = 6
1) शशि किरणों से उत्तर – उतरकर,
भू पर कामरुप नभ – चर,
चूम नवल कलियों का मृदु – मुख,
सिखा रहे थे मुसकाना ।
उत्तर:
यह पद्य ‘प्रथम रश्मि’ नामक कविता से लिया गया है। इसके कवि श्री सुमित्रानंदन पंत जी है । इसमे प्रातः काल की सुन्दरता का वर्णन किया गया है ।

कवि कहते है कि परिवेश के अनुरूप अपना इम वदलने वाली तितलियाँ चन्द्र किरणों की तरह जमीन पर उतरकर नव कोमल पत्तों को चूमकर उनको मुस्कुराना सिखा रही है । प्रकृति का कोमल वर्णन इसमें वर्जित है ।

2) दान जगत का प्रकृत धर्म है । मनुज व्यर्थ डरता है, एक रोज तो हमें स्वयं सब कुछ देना पडता है । बचत वही, समय पर जो सर्वस्व दान करते हैं, ऋतु का ज्ञान नहीं जिनको वे देकर भी मरते हैं ।
उत्तर:
यह पद्य ‘दान – बल’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता रश्मिरथी नामक काव्य से लिया गया है इसके कवि रामधारी सिंह दिनकर जी है ।

कवि का कहना है कि दान देना एक सहज स्वभाव है । इसको देने में व्यक्ति व्यर्थ रूप से डरता है । हम सब को एक दिन सब त्याग करके चले जाना है। लेकिन जो समय पर दान देता है वही महान होता है । जो मरते समय छोडकर जाता है, उसकी कोई महानता नही रहती ।

3) कुष्णचद्र की क्रीडाओं को अपने आंगन में देखो । कौशल्या के मातृ – मोद को, अपने ही मन में देखो । प्रभु ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास । जीव – दया जिनकर गौतम की, आओ देखो इसके पास ।
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है। इसकी कवइत्री सुभद्राकुमारी चौहान जी है । इसमें नारी चेतना और बालिका के प्रति माँ की ममता का स्पष्ट चित्रण किया गया है ।

कृष्ण की बाललीलाएँ, कौशल्या की ममता सभी का दर्शन मै अपनी बालिका के देखकर अनुभव करती है । ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा इसी बालक मे दिखाई पड़ रहा है मेरी बालिका इतनी महान है कि सारे सद्गुण उसमें है उनकी भाषा है सरल खडीबोली है ।

4) भारत माता का मंदिर यह, समता का संवाद जहाँ । सबका शिव कल्याण यहाँ है । पावें सभी प्रसाद यहाँ ।
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है । इसमें देश की एकता पर बल दिया गया है ।

कविकां कहना है कि हमारा यह देश भारत माता का मंदिर हैं। यहाँ समता का संवाद किया जाता है । अर्थात् सभी जाति, मत, संप्रदाय में एकता दिखायी पडता है । ऐसे इस देश में हम सब का शुभ होता है | हम सबकी ऊँछाएँ पूरी होती हैं और हम सब पर समान रूप से कृपा दिखायी जाती है । कवि की भाषा सरल खडी बोली है ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 2 × 3 = 6

(1) विनम्रता केवल बड़ों के प्रति नहीं होती । बराबरवालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नोह का भाव होना चाहिए ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘शिष्टाचार’ नामक पाठ से लिया गया है । यह पाठ एक सामाजिक निबंध है । इसके लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ जी हैं। वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे । हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से उन्होंने ‘अवधी’ शब्द कोश का निर्माण किया था । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं ।

व्याख्या : विनम्रता शिष्टाचार का लक्षण है । किसी के द्वारा बुलाए जाने पर हाँ जी, नहीं जी, अच्छा जी कहकर उत्तर देना चाहिए । कुछ लोग विनम्रता केवल बड़ों के प्रति ही दिखाते हैं । अपने से छोटों और बराबर वालों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए । बड़ों का आदर- सम्मान करना, अपने मित्रों एवं सहयोगियों के प्रति सहयोगात्मक श्वैया, छोटों के प्रति स्नेह की भावना, स्थान विशेष के अनुकूल व्यवहार इत्यादि शिष्टाचार के उदारहण है । हमारे मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार केलिए अत्यंत आवश्यक है ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत निबंध ‘शिष्टाचार’ एक उपदेशात्मक निबंध है । उम्र में बडे व्यक्तियों को ‘आप’ कह कर संबोधित करना, बोले तो मधुर बोलो सत्य बोलो, प्रिय बोलो । किसी की निंदा न करना चाहिए | औरतों के प्रती श्रद्धा और गौरभाव रहनी चाहिए । शिष्टाचार व्यक्ति सबसे प्रशंसनीय पात्र बनपाता है ।

(2) आखिर हम उठते हैं। लड़के से कहते हैं, “अच्छा अब हम जाते हैं। कह देना कि हम आए थे।”
उत्तर:
संदर्भ : ये वाक्य ‘समय पर मिलने वाले नामक पाठ से दिये गये हैं । इस पाठ के लेखक ‘हरिशंकर परसाई जी हैं। आप हिंदी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में अग्रगण्य हैं । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर अपना लेख लिखता हैं । परसाई जी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं । प्रस्तुत पाठ एक व्यंग्य रचना है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के समय कैसा बरबाद करते है, इसका व्यंग्यपूर्ण चित्रण मिलता है ।

व्याख्या : एक दिन लेखक के मित्र लेखक से सुबह आठ बजे अपना घर पर मिलने का वाद किया था ; पर मित्र घर पर नही हैं । लेखक मित्र केलिए उस का घर में इंतजार कर रहे हैं। मित्र पुत्र लेखक के पास बैठकर पुस्तक पढ रहा है । बहुत देर तक रहने पर भी मित्र नही आता है । घर के अंदर से स्त्रियाँ लेखक के बारे में भला-बुरा कहता है । लेखक सभी बातें सुनकर लज्जित हो जाता है । अखिर उठ कर मित्र के पुत्र से कहते है, अच्छा मै अब जा रहा | तुम्हारे पिताजी आने के बाद कहदेना कि आपसे मिलने आपका दोस्त आया था ।

विशेषताएँ :

  1. सामान्य आदमी समय को काटने के बारे में सोचता है, जबकि महान व्यक्ति सोचते हैं इसके उपयोग के बारे में ।
  2. दुनिया में जितनी भी चीजे हैं, उन सभी में समय समाया हुआ है ।

(3) मै कह रहा था कि पूरे प्रांत में मैं ही ऐसा व्यक्ति हूँ जिसने पाठशालाओं में शारीरिक दंड तत्काल बंद करने पर जोर दिया है।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अधिकार का रक्षक’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एकांकी है । इसके लेखक ‘उपेंद्रनाथ अश्क’ जी हैं। 1932 में मुंशी प्रेमचंद की सलाह पर हिंदी में कहानियाँ लिखना शुरु किया । “औरत का फितरत ” आपकी कहानी संग्रह है। उन्होंने फिल्मों की कहानियाँ, पटकथाएँ, संवाद और गीत लिखे । प्रस्तुत एकांकी में नेतगण के बारे में कहा । यह एक व्यंग्यात्मक एकांकी है।

व्याख्या : एकांकी में मुख्य पात्र सेठ जी है। सेठ प्रांतीय असेंबली के उम्मीदवार है। सेठ के समय होने के कारण सबसे विनम्र से बातें कर रहे हैं। मंत्रीजी सेठ को फोन करके बातें करते समय सेठजी मंत्रीजी से उपरियुक्त वाक्य कहते हैं। सेठजी सब इलाकों में पाठशालाओं में शारीरिक दंड तत्काल बंद करने पर जोर दिया है। बच्चों को स्कूलों में शारीरिक दंड देना मना किया । अगर किसी बच्चे को दंड दिया तो शिक्षक को नौकरी से निकाल देंगे या जेल भिजवाना पडेगा । बच्चों के लालन पालन में परिवर्तन लाने केलिए बहुत जोर से बातें करते हैं। बच्चों पर बात बात पर डाँट-फटकार कर रहे हैं । इसे बदलना पडेगा ।

विशेषताएँ : बच्चों को शारीरिक दंड देना सरकार ने मना किया । इस तरह सोचकर लाप्यार देंगे तो बच्चे बिगड़ भी जायेंगे । बच्चों को सही – गलत का ज्ञान करवाना हमारी जिम्मेदारी हैं ।

(4) मेधावी पुत्री की विलक्षण बुद्धि ने फिर मुझे चमत्कृत कर दिया है। सरस्वती जैसे आकर जिह्वाग्र पर बैठ गयी थी ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अपराजिता’ नामक कहानी से दिया गया है। इसकी लेखिका ‘गौरा पंत शिवानी’ जी है । भारत सरकार ने सन् 1982 में उन्हे हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्ममश्री पुरस्कार से सम्मानित किया । शिवानी जी की अधिकरतर कहानियाँ और उपन्यास नारी प्रधान रहे । प्रस्तुत कहानी अपराजिता में लेखिका ‘डॉ. चंद्रा’ नामक एक अपंग युवती की जीवन संबंधी विषयों के बारे में हमें बतायी ।

व्याख्या : डॉ. चंद्रा की माँ श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम चंद्रा के बारे में इस तरह कह रही है कि – “चंद्रा की अठारह वी महीने में ज्वर आया । बाद में पक्षाघात हुआ । गरदन के नीचे सर्वांग अचल हो गया था । बड़े-से-बड़े डाक्टर को दिखाया, कोई लाभ नही हुआ । अंत में एक सुप्रसिद्ध आर्थोपेडिक के पास लेगया। एक वर्ष तक कष्टसाध्य उपाचार चला। अचानक एक दिन चंद्रा की ऊपरी धड़ में गति आगयी” । पाँच वर्ष तक (टी श्रीमती सुब्रह्मण्यम ) माँ ही बेटी को शिक्षिका बनकर पढायी । चंद्रा बहुत मेथावी थी । चंद्रा की विलक्षण बुद्धि को देखकर अपनी माँ आश्चर्य हो जाती थी। स्वयं सरस्वती ही चंद्रा की जिह्वा पर बैठी थी ऐसी सोचती थी। चंद्रा एक बार सुनती तो कभी नही भूलती थी । चंद्रा ‘ एकाग्रचित्र’ थी ।

विशेषताएँ :

  1. अपंगों को शिक्षा से जोड़ना बहुत जरूरी है ।
  2. शिवानी की कृतियों में चरित्र – चित्रण में एक तरह का आवेग दिखाई देता है ।
  3. डॉ. चंद्रा जैसे अपंग युवती सबकी मार्गदर्शिका है ।

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7. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) सत्गुरु के विषय में कबीर के क्या विचार है ?
उत्तर:
कबीरदास गुरु का बड़ा मान रखते थे । उनकी दृष्टि में गुरु का स्थान भगवान से भी बढकर है । गुरु की महिमा अपार और अनंत है, जो शब्दों से बयान नही होती । गुरु ही अपने अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान रूपी दीप (ज्योती) जलाते है। सत्गुरु ही भगवान के बारे में हमें बताते है | भगवान तक पहुँचने के मार्ग हमें दिखाते हैं ।

2) दिनकर के अनुसार दान देने से नदी को क्या लाभ होता है
उत्तर:
दिनकर दान की महानता मे नदी का उदाहरण देते हुए कहते है की नदी अपने में पानी को शोककर नही रखती । वह पानी का त्याग करके लोगों को जीवन देती है। नदी का पानी भाप बनकर बादलों का रुप लेता है और बरसकर उसी नदी में मिल जाता है । उसी प्रकार मनुष्य को भी दान देने से लाभ होता है ।

3) सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ देश प्रेम, वीर भावना और उइबोधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है | आधुनिक काव्य मे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट मुखरित होती है । उनके काव्य मे एक ओर नारी की भावुकता तथा कोमलता के दर्शन होते है और दूसरी ओर राष्ट्रीय चेतना स्पष्ट रूप से दिखायी पडती है । प्रस्तुत कविता की विषय वस्तु एक माँ और उसकी पुत्री पर आधारित है। संपूर्ण कविता में कवइत्री का हृदय बोलता है यह समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश होता है ।

4) कवि ने प्रातः काल का वर्णना किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
पंत जी ने प्रातः काल का सुन्दर वर्णन किया है । उषा काल मे सूरज की प्रथम किरण धरती को छूने से कितने सुन्दर परिवर्तन होते है, उनका सुन्दर वर्णन किया है। सूर्योदय के स्वागत में नन्ही सी पक्षी की मधुर आवाज में गाना, नन्ही सी कलियों का चन्द्रके किरण तितलियों के रुप मे स्पर्श करने से मुस्कुराना, रात के चमकीले तारे मन्द पड जाना, सूर्योदय के स्वागत करते हुए कोयल – का गाना सभी का सुन्दर वर्णन करके कवि यह प्रश्न कर रहा है कि सुर्योदय के आगमन के बारे मे इन सबको कैसा पता चल रहा है ।

8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) शिष्टाचार के कितने गुण हैं, वे कौन कौन से हैं ?
उत्तर:
शिष्टाचार के मुख्यतः तीन गुण हैं । वे हैं विनम्रता, दूसरों की निजी बातों में दखले न देना, अनुशासन ।

शिष्टाचार का सबसे पहला गुण है, विनम्रता । हमारी वाणी में, हमारे व्यवहार में विनम्रता धुली होनी चाहिए । इसलिए किसी बड़े के बुलाने पर ‘हाँ’, ‘अच्छा’, ‘क्या’ न कहकर ‘जीहाँ’ (या) जीनही कहना चाहिए | विनम्रता केवल बडों के प्रति नहीं होनी चाहिए । बराबरवालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेहकाभाव होना चाहिए ।

शिष्टाचार का दूसरा विशेष गुण है दूसरों की निजी बातों में दखल न देना | हर व्यक्ति का अपना एक निजी जीवन होता है । इसीलिए हमें अकारण किसी से उसका वेतन, उम्र, जाति, धर्म आदि पूछने से बचाना चाहिए । यदि कोई कुछ लिख रहा है तो झाँक झाँक कर उसे पढ़ने की चेष्टा करना अच्छा नहीं है ।

शिष्टाचार का तीसरा आधार अनुशासन का पालन है । अनुशासन समाज के नैतिक नियमों का भी हो सकता है और कानून की धाराओं का भी । जहाँ जाना मना हो, वहाँ न जाना, कानून अनुशासन का पालन है। ठीक समय पर कहीं पहुँचना अनुशासन भी सिखाता है ।

2) उपेंद्रनाथ ‘अश्क’ का संक्षिप्त परिचय लिखिए ?
उत्तर:
उपेंद्रनाथ जी का जन्म 14 दिसंबर 1910 को जालंधर में हुआ । आपने लाहौर से कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की । बाद में, स्कूल में अध्यापक हो गए । 1933 में साप्ताहिक ‘भूचाल’ का प्रकाशन आरंभ किया । अश्क जी को अध्यापन, पत्रकारिता, वकालत, रंगमंच, रेडियो, प्रकाशन और स्वतंत्र लेखन का व्यापक अनुभव था । 1936 में पहली पत्नी का निधन हो गया व 1941 में कौशल्याजी से दूसरा विवाह किया ।

उर्दू में ‘जुदाई की शाम का गीत’, ‘नवरत्न’, व ‘औरत की फितरत’ संग्रह प्रकाशित हुए हैं । अश्कजी ने आठ नाटक, अनेक एकांकी, सात उपन्यास, दौ सौ से भी अधिक कहानियाँ, अनेक संस्मरण लिखे |

आपके उपन्यास ‘सितारों के खेल’, ‘गिरती दीवारे’, ‘गर्म राख’, ‘पत्थर अल पत्थर’, ‘शहर में
घूमता आईना’, ‘एक नन्ही कंदील’, ‘बड़ी-बड़ी आँखे’ चर्चित रहे ।

3) चंद्रा की किस विषय में रुचि थी ? वह क्या बनना चाहती थी ?
उत्तर:
चंद्रा की रुचि डॉक्टरी में थी । वह एक डॉक्टर बनना चाहती थी। परीक्षा में सर्वेच्च स्थान प्राप्त करने पर भी चंद्रा को मेडिकल में प्रवेश नही मिला क्यों कि उसकी निचला धड़ निर्जीव है | चंद्रा एक सफल शल्य चिकित्सक नही बन पायेगी । बडी डॉक्टर बनना ही चंद्रा की इच्छा थी । डाँ. चंद्रा के प्रोफेसर कहते है कि “विज्ञान की प्रगती में चंद्रा महान योगदान दिया है “। “चिकित्सा ने जो खोया है, वर विज्ञान ने पाया है ।” इसका अर्थ डाक्टर बनकर चिकित्सा क्षेत्र में जो काम चंद्रा . करना चाहती थी, वह विज्ञान में करके दिखायी थी ।

4) गिल्लू किसका नाम है ? उसके बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
गिल्लू एक ‘गिलहरी’ का नाम है। सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में
छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी । बचपन में लेखिका गिल्लू को कौओं से बचाती हैं | अपना घर में गिल्लू को रखती थी। गिल्लू केलिए एक हलकी डलिया लेकर, उसके अंदर रूई बिछाकर उसे तार से खिडकी पर लटका दिया । यह रही गिल्लू का घर । गिल्लू डलिया को स्वयं हिलाकर झूलता रहता था । गिल्लू की झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखे सबको विस्मित करते थे । जब लेखिका लिखने बैठती तब पैर तक आकर शोर मचाती थी । लेखिका गिल्लू को लंबे लिफाफे में रख देती थी। दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघुगात लिफाफे के भीतर बंद रहता । बाहर सी गिलहरियों से खेलने जाती थी । लेखिका बाहर जाने के लिए गिल्लू के लिए मार्ग बनाती थी । गिल्लू दो वर्ष तक लेखिका के साथ रहती थी । परंतु एक दिन प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने केलिए सो गया। सुबह होते – होते गिल्लू की मृत्यु हो गई ।

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9. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) कबीर के गुरु कौन थे ?
उत्तर:
रामानन्द

2) गोदी की शोभा कौन है ?
उत्तर:
अपनी बेटी ही है ।

3) किस काव्य केलिए पंत जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
उत्तर:
चिदम्बरा ।

4) समता शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
समानता या बराबरी ।

5) तुलसी के दृष्टि में ज्ञानी और गुणी कौन है ?
उत्तर:
ईर्ष्या का त्याग करनेवाला ।

10. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) परसाई जी के मित्र ने उन्हें कितने बजे खाने पर बुलाया ?
उत्तर:
11 बजे खाने पर बुलाया ।

2) सेठजी का व्यवहार कैसा है ?
उत्तर:
धोखेबाज |

3) कौन डाक्टर बनना चाहती थी ?
उत्तर:
चंद्रा ।

4) गिल्लू का प्रिय खाहा क्या था ?
उत्तर:
काजू ।

5) बतुकम्मा विशेषकर किसका त्यौहार है ?
उत्तर:
स्त्रियों ।

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खंड – ‘क’
(60 अंक)

11. निम्न लिखित गद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए । 5 × 1 = 5

सुनिता घास लेकर घर जा रही थी । उसके साथ माँ भी थी। रास्ते में रेल की पटरी थी । वहाँ से रेलगाड़ी के निकलने का समय हो गया था । सुनीता और उसकी माँ पटरी के पास रूक गयीं । तभी सुनीता की नजर रेल की पटरी पर पडी । उसे वह पटरी टूटी हुई लगी । सुनीता की माँ पटरी देखकर बोली – “यह पटरी तो टूटी है ।” दोनों इधर-उधर देखने लगीं। रेलवे स्टेशन भी वहाँ से बहुत दूर था ।

प्रश्न :
1) कौन घास लेकर घर जा रही थी ?
उत्तर:
सुनीता घास लेकर घर जा रही थी ।

2) रास्ते में क्या थी ?
उत्तर:
रास्ते में रेल की पटरी थी ।

3) रेल की पटरी कैसी लगी ?
उत्तर:
रेल की पटरी टूटी हुई लगी ।

4) रेलवे स्टेशन वहाँ से कितने दूर था ?
उत्तर:
रेलवे स्टेशन वहाँ से बहुत दूर था |

5) सुनीता की नज़र किस पर पडी ?
उत्तर:
सुनीता की नज़र टूटी हुई रेल की पटरी पर पड़ी ।

12. सूचना के अनुसार लिखिए । 8 × 1 = 8

(12.1) किन्हीं चार (4) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

(1) दिन
(2) घृणा
(3) निरक्षर
(4) उषा
(5) कमजोर
(6) इच्छा
उत्तर:
(1) दिन × रात
(2) घृणा × प्रेम
(3) निरक्षर × साक्षर
(4) उषा × संध्या
(5) कमजोर × बलवान
(6) इच्छा × अनिच्छा

(12.2 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।

(1) अनुपम
(2) नदी
(3) फूल
(4) दिन
(5) घर
(6) जल
उत्तर:
(1) अनुपम = अनुप, अपूर्व, अतुल, अनोखा, अदभूत, अनन्य
(2) नदी = सरिता, तटिनी, तरंगीणी, निर्झरिणी, सलिला
(3) फूल = पुष्प, सुमन, कुसुम
(4) दिन = दिवस, दिवा, वार, याम
(5) घर = भवन, सदन, मकान, गृह, आवास, निलय
(6) जल = पानी, नीर, सलील, वारि, अंबु

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13. किन्हीं आठ (8) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए । 8 × 1 = 8

(1) शकती
(2) दूद
(3) उपगृह
(4) सोर
(5) अदिकार
(6) प्रयन्त
(7) ब्याँक
(8) उज्वल
(9) तयार
(10) रात्री
(11) पेठ
उत्तर:
(1) शकती – शक्ति
(2) दूद – दूध
(3) उपगृह – उपग्रह
(4) सोर – शोर
(5) अदिकार – अधिकार
(6) प्रयन्त – प्रयत्न
(7) ब्याँक – बैंक
(8) उज्वल – उज्ज्वल
(9) तयार – तैयार
(10) रात्री – रात्रि
(11) पेठ – पेट
(12) पुरुस – पुरुष

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए । 8 × 1 = 8

1) दीवार …………… (पर / में) धड़ी है ।
2) मज़दूर जहाज ……………….. (से / के) सामान उतार रहे हैं ।
3) प्रतिदिन दाँतों ……………….. (के / को) साफ करना चाहिए ।
4) श्याम …………….. (का / की) माता सुंदर चित्र बनाती है ।
5) …………….. ! (वाह / याह) कितना सुंदर दृश्य है ।
6) अध्यापक ……………….. (केलिए / केद्वारा) कुर्सी लाओ ।
7) राम …………………. (ने / के) रोटी खायी है ।
8) चोर ने चाकू ……………… (से / के) मारा ।
उत्तर:
1) दीवार पर ( पर में) घड़ी है।
2) मज़दूर जहाज से ( से / के) सामान उतार रहे हैं ।
3) प्रतिदिन दाँतों को (के/को) साफ करना चाहिए ।
4) श्याम की (का / की) माता सुंदर चित्र बनाती है ।
5) वाह ! (वाह/याह) कितना सुंदर दृश्य है ।
6) अध्यापक केलिए (केलिए / केद्वारा) कुर्सी लाओ ।
7) राम ने (ने/के) रोटी खायी है ।
8) चोर ने चाकू से (से/के) मारा ।

15. निर्देश के अनुसार छः (6) वाक्यों को शुद्ध कीजिए । 6 × 1 = 6

1) वह घर को चला गया । (वाक्य शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
वह घर चला गया ।

2) छात्र पढ़ रहा है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
छात्रा पंढ़ रही है ।

3) बिल्ली दूध पीती है । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
बिल्लियाँ दूध पीती है ।

4) वह दिल्ली गया । (वर्तमान काल में लिखिए ।)
उत्तर:
वह दिल्ली जाता है ।

5) बच्चों को भरपर खिलाओ । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग शुद्ध करो ।)
उत्तर:
भरपूर ।

6) गणेश तुम्हारी अमली नाम बताओ । (प्रत्यय की दृष्टी से शुद्ध करो ।)
उत्तर:
असली ।

7) मुझे काम करता होगा । (भूतकाल में लिखिए ।)
उत्तर:
मै ने काम किया ।

8) हम आँको से देखते हैं । (शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
हम आँखों से देखते हैं ।

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16. किन्हीं पाँच (5) वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए । 5 × 1 = 5

1) I am memorising the lesson.
उत्तर:
मै पाठ याद कर रही हूँ ।

2) You must walk in the morning.
उत्तर:
आपको सबेरे टहलना चाहिए ।

3) The teacher finished teaching all the lessons.
उत्तर:
अध्यापक सब पाठ पढ़ा चुके ।

4) He is angry with me.
उत्तर:
वह मुझ पर नाराज है ।

5) This is the house of Rama.
उत्तर:
यह राम का घर है ।

6) When I reached home, father was reading News paper.
उत्तर:
जब मैं घर पहुँया, पिताजी अखबार पढ़ रहे थे ।

7) India is a country of villages.
उत्तर:
भारत गाँवों का देश है ।

8) I have got my hair cut.
उत्तर:
मैंने अपने बाल कटवायें है ।

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