Exploring a variety of TS Inter 1st Year Hindi Model Papers Set 7 is key to a well-rounded exam preparation strategy.
TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 7 with Solutions
Time : 3 Hours
Maximum Marks: 100
सूचनाएँ :
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
- जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।
खंड- ‘क’
(60 अंक)
1. निम्न लिखित किसी एक दोहे का भावार्थ लिखिए । 1 × 6 = 6
साच बराबर तप नही, झूठ बराबर पाप ।
जाके हिरदे साच है, ता हिरदे गुरु आप ॥
उत्तर:
भावार्थ : कबीरदास इस दोहे में “सत्य का महत्व” के बारे में बताया । कबीरदास जी कहते है कि इस जगत् में सत्य के मार्ग पर चलने से बड़ी कोई तपस्या नही है और ना ही झूठ बोलने से बड़ा कोई पाप है । क्यों कि जिसके हृदय में सत्य का निवास होता है उसके हृदय में साक्षात् परमेश्वर का वास होता है। सत्य मार्ग में चलनेवालों पर हमेशा भगवान की कृपा होती है ।
(अथवा)
तुलसी साथी विपत्ति के, विधा, विनय, विवेक ।
साहस, सुकृति, सुसत्य क्रत, राम भरोसो एक ॥
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास इस दोहे में “विधा, विनय, विवेक जैसे गुणों के महत्व” के बारे में बता रहे
हैं । तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में ये चीजे मनुष्य का साथ देती है, वे है ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम (भगवान) का नाम | विपत्ति के समय शिक्षा, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सच्चाई ही साथ देते हैं । ये सभी मुश्किलों से हमें बचाते हैं ।
2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6
(1) बालिका का परिचय
उत्तर:
‘बालिका का परिचय कविता श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान जी से लिखी गयी है । संपूर्ण कविता मे कवइत्री का हृदय बोलता है। एक माँ के लिए उसकी अपनी संतान हो सब कुछ होती है | इसकविता की विषयवस्तु एक और उसकी पुत्री पर आधारित है माँ के लिए वह बालिका ही गोद की शोभा होती है और अपना सौभाग्य । उसी की चेष्टओं में कवइत्री अपना बचपन की स्मृतियों को देख रही है। उसी को अपना मंदिर, मसजिद, काबा, काशी, समझाती है। कृष्ण की बाल लीलाओं को और कौसल्या की ममता को अपनी और बेटी के बीच मे देख रही है ईसा की क्षमाशीलता, नबी महम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा सभी बेटी मे देख रही है । कवइत्री यही मान्ती है कि जिसके पास सच्ची माँ जी ममता होती है, उस एक बालिका का परिचय मिल जाता है ।
(2) प्रथम रश्मि
उत्तर:
प्रथम रश्मि कविता सुमित्रानंदन पंत्र जी से लिखी गयी है । प्रकृति की सहज सुन्दरता इसमें वर्जित है | प्रातः काल के समय मे सूर्योदय के किरणों को छूकर बाल विहंगिनी गीत गाते हैं । उनको कैसे मालूम कि सूर्योदय हो गया है । चन्द्र किरण के चूमने से नव कोमल पत्ते मुस्कुराना अर्थात रहे है । रात के तारे मन्द पड गए है । अन्धकार समाप्त होकर सूर्योदय हो रहा है । इसके स्वागत मे कोयल गीत गा रही है । कवि यह प्रश्न कर रहा है कि हे अंतर्योमिनी तुम्हे किसने बताया कि सूर्योदय हुआ है । कवि का हृदय प्रकृति के सहज सुन्दरता का स्पर्श कर रहा है ।
3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6
(1) अधिकार का रक्षक
उत्तर:
लेखक परिचय : प्रस्तुत पाठ ‘अधिकार का रक्षक’ एक एकांकी है । इसके लेखक ‘उपेंद्रनाथ अश्क’ जी है। ‘अश्क’ जी कहानियाँ, पट कथाएँ, संवाद और गीत लिखे। आप को 1972 के ‘सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया । प्रस्तुत एकांकी में चुनाव में लड़ने वाले एक नेता के बारे में कहा । नेता लोग अधिकार पाने के पहले क्या क्या करेंगे | अधिकार पाने के बाद क्या करेंगे । व्यंग्यात्मक एकांकी है ।
सारांश : एकांकी का प्रारंभ और अंत सेठजी से होता है। सेठजी असेंबली के उम्मीदवार है । प्रातः काल का समय है । सेठ साहब अपना ड्राइंग रूम में बैठे हुए हैं। सेठ अपनी जीत के लिए बडी सी बड़ी कोशिश कर रहा है । कल एक जलसा रखा था । जलसे में मंत्री जी आये। मंत्री सेठजी के बारे में भाषण दिया । वही मंत्री अभी सेठजी को फोन करते है । सेठजी, मंत्रीजी से कोन मे बात कर रहे हैं । “मंत्रीजी कल आप मेरे पक्ष में भाषप दिये । सब लोग आपकी बातें सुनकर मुझे वोट देने को तैयार हो गए है” । आप को बहुत धन्यवाद ।
सेठजी मंत्रीजी से कहते है कि मै गरीबों का उद्धार करने के लिए तैयार हूँ। अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया। इतना ही नहीं बच्चों के लिए भी बहुत कुछ करने तैयार हूँ। हमारे प्रांत में मै ही ऐसा व्यक्ति हूँ जिसने पाठशालाओं में शारीरिक दंड तत्काल बंद करने पर जोर दिया । बच्चों की लालन-पालन, शिक्षा सब कितनी पुरानी पद्धति का है । बात-बात पर डाँट-फटकार कर रहे हैं। मै (सेठजी) सबकुछ बदलना चाहता हूँ । जब मंत्रीजी से फोन में बातें करते समय सेठजी के छोटे बेटे आकर कुछ बोलने का प्रयास करता है। सेठजी टेलीफोन का चोंगा मेज पर रखकर बच्चे को थप्पड लगाते हैं । सेठजी अपना नौकर रामलखन को आवाज़ लगाते है । भागता हुआ नौकर आता है। छोटे बाबु बलराम को यहाँ से लेजाओ । मै मंत्री से बात कर रहा हूँ। यहाँ आकर नालायक शोर मचा रहा है। रामलखन लड़के का हाथ पकड़कर बाहर आता है ।
‘टेलीफोन’ में बातें बच्चों के बारे में कहते हैं । शारीरिक दंड तत्काल बंद करवाना चाहता है । लेकिन अपने बच्चे को इधर मारता है” । बाद में टेलीफोन में बातें करना खतम हो जाता है । रामलखन अंदर आकर सेठजी से कहता है कि – सफाई करने वाली अपनी मजदूरी माँग रही है । उसी समय रसोइया भी आकर पैसे माँगती है। सेठजी कहते है कि “बाद में पैसा दूँगा । अब तुम दोनों बाहर जाओं” । तब रसोइया भगवती पूछती है कि ” मै अपने बच्चों को कहाँ से खिलाऊँ” । कृपा करके मज़दूरी दीजिए । क्रोध से सेठजी कहते है जाओ, यहाँ से जाओ अगले महीने दूँगा । लेकिन मजदूरी लेने के बिना भगवती वहाँ से जाना नही चाहती। सेठ उस की मुँह पर दो रुपये फेंकते है । दी रुपये लेने से इनकर करती है । सेठ भगवती को पीटते हुए बाहर धकेलता है । रामलखन अखबार लाता है ।
मंत्री (होज़री यूनियन) सेठजी को फोन करता है। सेठ मंत्री जी से नमस्कार कहकर कहते है कि मै आपका अत्यंत आभारी हूँ” । मै (सेठजी) असेंबली में जाते ही मजदूरों की अवस्था सुधारने का प्रयास करूँगा । “मजदूरों की माँग पूरी करवाऊँगा । काम के घंटे तय होंगे और तनख्वाह भी समय पर देने का और दिलवाने का प्रयास करूँगा । “धन्यवाद कहकर टेलीफोन मेज़ पर रखता है ।
सेठ अभी मज़दूरी न देकर रामदेई और भगवती को भेज़ देता है लेकिन फोन में कैसे कैसे बातें किया । बोलते कुछ और करते कुछ।
दरवाजा खुलता है । दुबले – पतले, आँखो पर चश्मा लगाए संपादक भीतर आते हैं । सेठ संपादक सेठजी से यह बात कहता है कि समाचार पत्र देख रहा है । “मेरी आँखे बहुत खराब हो रही हैं” । रात को रोज़ दो-तीन बज जाता लेकिन काम पूरा नही हो रहा है । कृपा करके सहायक संपादक का प्रबंध कीजिए । सेठजी कहते है कि – “पाँच रुपए तनख्वाह बढ़ा दूँगा । पूरा काम आप को ही संभालना होगा” । संपादक कहता है कि स्वास्थ्य इजाज़त नहीं देता । सेठ बोलते है कि काम छोडना चाहे तो छोडो । नया संपादक आयेगा ।
रामलखन भीतर आकर सेठजी से कहता है कि – आप से मिलने विश्वविद्यालय से लड़के आये, आप चाहे तो अंदर भेज दूँ । सेठजी अंदर भेजने के लिए कहते है । लडकों अंदर प्रवेश करते हैं, सेठजी से नमस्ते कहते हैं और सब छात्र आप को ही वोट देने के लिए सोच रहे हैं। सेठजी बहुत संतुष्ठ हो जाते है । उन दो लड़कों में एक लड़का सेठजी से कहता है कि प्रिंसिपल को हम हटाने चाहते हैं क्यों कि वे बहुत अनुशासनप्रिय और कठोर स्वभाव के हैं। सेठजी लड़कों को संपादक के पास जाकर बयान देने को कहते हैं । लड़के बयान देकर चले जाते हैं । संपादक सेठजी बोलते है कि प्रिंसिपल को हटाना इस समय ठीक नही है । चुनाव हो जाने के बाद सोचेंगे ।
श्रीमती सेठ दरवाजे धक्का मारते अंदर आकर पूछती है कि बच्चे को देखो । गाल पर उँगलियों के निशान पड़ गए है । ऐसा मारते क्या ? सेठ जवाब नही देता और सेठानी को बाहर जाने की आज्ञा देता है ।
श्रीमती सेठ कहती है कि तुम बाप नही, दुश्मन हैं । अपने बच्चों को देखना नही आता लेकिन दूसरों के बच्चों से प्रेम करेंगे। मै अभी मायके जाऊँगी कहकर कमरे से बाहर रोती हुई आती है । तेज़ी से बच्चे को लेकर जाती है। दरवाज़ा ज़ोर से बंद होता है। फ़ोन फिर बजता है । श्रीमती सरला देवी जी से मधुर स्वर में सेठ बातें करना शुरु करता है । सेठजी सरला जी से पूछते है कि – ‘महिला समाज मुझे वोट देने के लिए तैयार है क्या ? मै कुछ आशा रखूँ क्या ?” ”आप विश्वास रखे, महिलाओं के हितों की मै पूरी रक्षा करूँगा। महिलाओं के अधिकारों के लिए लडूंगा । मुझ से बढ़िया रक्षक आपको वर्तमान उम्मीदवारों में और कोई न मिलेगा ” । इस से एकांकी समाप्त हो जाती है ।
सेठजी अभी अपनी पत्नी को धकेलता है; ज़रा भी इज्जत नही देता लेकिन महिलाओं के लिए कुछ भी करने का तैयार हो रहा है”। वायदेपर वायदे करते हैं कि हम यह करेंगे और वह करेंगे । यही चुनाव के समय नेताओं के वोट माँगने का विधान है ।
विशेषताएँ :
- नेता गण चुनाव के समय अनेक प्रकार के व्यूह रचते हैं ।
- जनता के साथ चुनाव के समय विनम्र से बातें करते हैं ।
- जगह-जगह पर नेता लोग अपनी विशिष्ट पोशाक पहनकर वोट की भिक्षा माँगते फिरते हैं ।
- इस एकांकी में सेठजी के चरित्र से हमें पता चलता है कि नेता कहते कुछ और करते कुछ । कभी उन पर यकीन न करना चाहिए ।
- नेताओं में बहुत से लोग योग्य नही हैं ।
(2) गिल्लू
उत्तर:
लेखिका परिचय : प्रस्तुत पाठ ‘गिल्लू’ की लेखिका श्रीमति महादेवी वर्मा हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं ख्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका हैं । आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है । ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सन्ध्यागीत’ आदि आपके काव्य हैं। ‘स्मृति की ‘रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कडियाँ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य परभारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ । प्रस्तुत पाठ में आप एक ‘गिलहरी’ छोटे जीव केबारे में चित्रण करती है ।
सारांश : सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है, इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुंचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था, तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज है, परंतु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो ।
अचानक एक दिन सबेरे कमरे से बरामदे में आकर मैने देखा, दो कौवे एक गमले के चोरों ओर चोचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल रहे हैं । गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे से जीव पर मेरी दृष्टि रफक गई, निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं ।
काकद्वय की चोचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था, सबने कहा, कौए की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नही सकता, अतः इसे ऐसे ही रहने दिया जावे । परंतु मन नही माना – उसे हौंले से उठाकर अपने कमरे में लाई, रूई की पतली बत्री दूध से भिगोकर जैसे तैसें उसके नन्हे मुँह में लगाइ पर मुँह खुल न सका और दूध की बूँदें दोनों ओर ढुलक गई ।
कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उंगली अपने दो पंजों से पकड़कर, नीले कांच के मोतियों जैसी आँखों से इधर उधर देखने लगा । तीन चार मास में उसके स्निग्ध रोए, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आंखे सबको विस्मित करने लगीं, हमने उसकी जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया और इस प्रकार हम उसे ‘गिल्लू’ कहकर बुलाने लगे । मैंने फूल रखने की एक हलकी डलिया में रुई बिछाकर उसे तार से खिडकी पर लटका दिया । वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा। वह स्वयं हिलाकर अपने घर में झूलता और अपनी कांच के मनकों – सी आँखों से कमरे के भीतर और खिड़की से बाहर न जाने क्या देखता – समझता रहता था। परंतु उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर सबको आश्चर्य होता था। गिल्लू को एक लंबे लिफाफे में रखकर मै अपना काम करती हूँ । भूख लगने पर चिक चिक करके मानो वह मुझे सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिल जाने पर उस स्थिति में लिफाफे से बाहर वाले पंजों से पकड़कर उसे कुतरता रहता ।
फिर गिल्लू के जीवन का प्रथम बसंत आया । बाहर की गिलहरियाँ खिडकी की जाली के पास आकर चिक – चिक करके न जाने क्या कहने लगी । गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकते देखकर मुझे लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है । मेरे कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी खिड़की की खुली जाली की राह बाहर चला जाता और दिन भर गिलहरियों से खेलता रहता हैं । मैंने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू ने बाहर जाने पर सचमुच ही मुक्ति की सांस ली। मेरे पास बहुत से पशु- पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है, परंतु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत हुई है, ऐसा मुझे स्मरण नही आता, गिल्लू इनमें अपवाद था। वह मेरी थाली में से एक एक चावल उठाकर बडी सफाई से खाता रहता।
उसी बीच मुझे (लेखिका) मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा, उन दिनों दरवाज़ा खोला जाता तब दूसरों को देखकर अपने घर में जा बैठता । सब उसे काजू दे आते, परंतु अस्पताल से लौटकर जब मैं ने उसके झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिनसे ज्ञात होता था कि वह उन दिनों अपना प्रिय खाहा कितना कम खाता रहा । मेरी अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे नन्हे पंजों से मेरे सिर और बालों को इतने हौले हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता।
गर्मियों में वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता । गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नही होती, अतः गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया । एक रात झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी वही उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था । पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि मैं ने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया । परंतु प्रभाव की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जगाने के लिए सो गया । सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि दी गई है इसलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी ।
विशेषताएँ :
- सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी ।
- लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हे पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता । इस प्रकार वह सच्चे अर्थों मे परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ।
- कुछ लोग छोटे प्राणियों को भी अपने बच्चों की तरह पालता हैं ।
- ‘गिल्लू’ एक ऐसा पाठ है जिसे पढने से मन में आकर्षित भाव पैदा होता है ।
- गिल्लू और लेखिका के बीच की रिश्ता बडी प्रशंसनीय है और सराहनीय है ।
4. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए । 2 × 4 = 8
1) रवींद्र का लक्ष्य क्या था ?
उत्तर:
रवींद्र एक छोठी से गाँव का लड़का था । गरीब परिवार का रवींद्र खुद अपने बलबूते पर पढ़ता चला गया । हर परिक्षा में प्रथम रहता था। दसवी कक्षा में प्रथम आने पर रवींद्र का उत्साह दुगना हो गया और अधिक लगन से पढ़ने लगा । उसका एक मात्र लक्ष्य खूब पढकर आई. ए. एस बनना है | उसने अपना ध्यान आई. ए. एस की परीक्षा पास कर एक अधिकारी बनने पर केन्दित किया । अंत में कलक्टर बन जाता है ।
2) बाबा भारती का सुल्तान के प्रति लगाव कैसा था ?
उत्तर:
माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था । भगवद्-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता । बाबा भारती उसे ‘सुल्तान’ कहकर पुकारते, अपने हाथ से खरहरा करते, खुद दानना खिलाते और देख-देखकर प्रसन्न होते थे। “मैं सुल्तान के बिना नहीं रह सकूँगा’, उन्हें ऐसी भ्रान्ति सी हो गई थी। खड्गसिंह उस घोड़े को हड़पने पर छोटे बच्चे जैसे रोता था । फ़िर सुल्तान को अंत में देखकर बेहद खुश हो जाता है ।
3) वनों को नष्ट करने से होनेवाले दुष्परिणामों के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
वनों की कटाई से मिट्टी, पानी और वायु क्षरण होता है जिसके परिणामस्वरूप हर साल 16,400 करोड़ से अधिक वृक्षों की कमी देखी जाती है । वनों की कटाई भूमि की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव डालती है क्यों कि वृक्ष पहाडियों की सतह को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है तथा तेजी से बढती बारिश के पानी में प्राकृतिक बाधाएँ पैदा करते हैं। नतीजतन नदियों का जल स्तर अचानक बढ़ जाता है जिससे बाढ़ आती है । मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की हानि होती है । वायु प्रदूषण होता है। प्रजातियां विलुप्त हो जाती है। ग्लोबल वार्मिगं हो जाता है। औषधीय वनस्पति प्राप्त करना दुर्लभ हो जाता है । ओजोन परत को नुकसान हो रहा है । जल संसाधन की कमी होती है ।
4) ध्यानचंद को ‘हाकी का जादूगर’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
26 मई 1928 को ध्यानचंद समेत कई खिलाड़ियों की तबीयत खराब थी । लेकिन उनके हौंसलों में किसी तरह की कमी नही थी। वो टीम वर्ल्ड चैम्पियन बन चुकी थी, जो उधार लेकर ओलंपिक खेलने आई थी । बर्लिन ओलंपिक में लोग मेरे हाँकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे हाँकी का जादूगर कहना शुरु कर दिया । इसी ओलंपिक के बाद पहली बार ध्यानचंद के नाम के साथ ‘जादुगर’ शब्द जोडा गया ।
5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 2 × 3 = 6
1. भारत माता का मंदिर यह, समता का संवाद जहाँ ।
सबका शिव कल्याण यहाँ है । पावें सभी प्रसाद यहाँ ।
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण है गुप्त जी । इसमें देश की एकता पर बल दिया गया है ।
कविकां कहना है कि हमारा यह देश भारत माता का मंदिर हैं। यहाँ समता का संवाद किया जाता है । अर्थात् सभी जाति, मत, संप्रदाय में एकता दिखायी पडता है । ऐसे इस देश में हम सब का शुभ होता है । हम सबकी ऊँछाएँ पूरी होती हैं और हम सब पर समान रूप से कृपा दिखायी जाती है । कवि की भाषा सरल खडी – बोली है ।
2) यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सुहाग की है लाली । शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली । दीप – शिखा है अंधकार की, बनी घटा की उजियाली । उषा है यह कमल – भृंग की, है पतझड़ की हरियाली ।
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है । इसकी कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी है। इसमे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट होती है ।
कवी कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है । वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है । माँ जितनी सम्पन्न होने पर भी बालिका के सामने भिखारिन ही है । वह अन्धकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल भौरों में उषा की पहली किरण जैसी है । अपनी बालिका हो जीवन का सूर्योदय है। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
3) शशि – किरणों से उत्तर – उतरकर,
भू पर कामरूप नभ – पर,
पूम नवल कलियों का मृदु – मुख
सिखा रहे थे मुसकाना ।
उत्तर:
यह पद्य ‘प्रथम रश्मि’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि श्री सुमित्रानंदन पंत जी है । इसमे प्रातः काल की सुन्दरता का वर्णन किया गया है ।
कवि कहते है कि परिवेश के अनुरूप अपना इम वदलने वाली तितलियाँ चन्द्र किरणों की तरह जमीन पर उतरकर नव कोमल पत्तों को चूमकर उनको मुस्कुराना सिखा रही है । प्रकृति का कोमल वर्णन इसमे वर्जित है ।
4) ऋतु के बाद फलों का रुकना डालों का सड़ना है, मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मघात करना है । देते तरु इसलिए कि रेशों में मत कीट समायें, रहें डालियाँ स्वस्थ और फिर नये नये फल आयें ।
उत्तर:
यह पद्य ‘दान बल, नामक कविता से लिया गया है । यह कविता रश्मिरथी नामक काव्य से लिया गया है। इसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी है।
इसमे दान की महानता को व्यक्त करते हुए कवि वृक्ष का उदाहरण दे रहा है । वृक्ष ऋतु जाने के बाद स्वयं अपने फलों को छोड देती है । यदि नही छोडती तो वे फल डालों पर ही सड जाते है । उससे कीडे निकलकर सारा वृक्ष नाश हो जाता है । यदि फल को छोड़ता है तो उसके बीजों से नये पौधे और नये फल उत्पन्न होते है उसकी भाषा सरल खडीबोली है।
6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 2 × 3 = 6
(1) मित्र ने कहा “आजकल मेरा बिलकुल अनिश्चित है । इसलिए समय तथ करना ठीक नही होगा | मैं किसी भी दिन आ जाऊँगा।”
उत्तर:
संदर्भ : ये वाक्य ‘समय पर मिलनेवाले’ नामक पाठ से दिये गये है । इस पाठ के लेखक श्री ‘हरिशंकर परसाई जी है । आप हिन्दी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में अग्रगण्य हैं । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर अपना लेख लिखता है । परसाईजी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते है । प्रस्तुत पाठ एक व्यंग्य रचना है । जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के समय कैसा बारबाद करते हैं, इसका व्यग्यपूर्ण चित्रण मिलता है ।
व्याख्या : लेखक के दूसरा मित्र को तबादला हो गया । तब पहला मित्र ने लेखक और दूसरे मित्र दोनों को भोजन पर बुलाया । लेखक और दूसरे मित्र दोनों दूसरे दिन शाम को मित्र के घर पहुँच गए । मित्र घर में नही थे । लेखक ने मित्र के लडके से पूछा कि क्या तुम्हारा पापा तुम से कुछ कह गए है ? लड़का बोला ‘जी नहीं वे तो कुछ नही कह गए हैं। लेखक और दूसरा मित्र घर से बाहर आकर उस मित्र की व्यवहार से दुखित हो गए । हम दोनों जीते समय पहला मित्र मिलकर कहाँ ‘“हे मित्र तुम जाने के पहले हमारे साथ भोजन जरूर करना’ । तब दूसरा मित्र मे कहा कि अब मेरे पास ( वक्त ) समय नही हैं, मै किसी भी दिन आ जाऊँगा । तब पहला मित्र ने कहा जरूर आना। तुम्हारा तो घर है और मै तो हमेशा घर पर ही रहता और दूसरा मित्र इस वाक्य सुनकर मुस्कुराते हैं ।
विशेषताएँ : समय तथ करके दूसरों को भोजन पर बुलाकर घर परन रहनेवालों को लेखक ज्ञानी कहते हैं । ऐसे लोगों की निंदा भी होती है ।
(2) मैं कह रहा था कि पूरे प्रांत में मैं ही ऐसा व्यक्ति हूँ जिसने पाठशालाओं में शारीरिक दंड तत्काल बंद करने पर ज़ोर दिया है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अधिकार का रक्षक’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एकांकी है । इसके लेखक ‘उपेंद्रनाथ अश्क’ जी हैं। 1932 में मुंशी प्रेमचंद की सलाह पर हिंदी में कहानियाँ लिखना शुरु किया । “औरत का फितरत” आपकी कहानी संग्रह है। उन्होंने फिल्मों की कहानियाँ, पटकथाएँ, संवाद और गीत लिखे । प्रस्तुत एकांकी में नेतगण के बारे में कहा । यह एक व्यंग्यात्मक एकांकी है।
व्याख्या : एकांकी में मुख्य पात्र सेठ जी है। सेठ प्रांतीय असेंबली के उम्मीदवार है । सेठ चुनाव के समय होने के कारण सबसे विनम्र से बातें कर रहे हैं। मंत्रीजी सेठ को फोन करके बातें करते समय सेठजी मंत्रीजी से उपरियुक्त वाक्य कहते हैं । सेठजी सब इलाकों में पाठशालाओं में शारीरिक दंड तत्काल बंद करने पर जोर दिया है। बच्चों को स्कूलों में शारीरिक दंड देना मना किया । अगर किसी बच्चे को दंड दिया तो शिक्षक को नौकरी से निकाल देंगे या जेल भिजवाना पडेगा । बच्चों के लालन पालन में परिवर्तन लाने के लिए बहुत जोर से बातें करते हैं। बच्चों पर बात बात पर डाँट-फटकार कर रहे हैं । इसे बदलना पडेगा ।
विशेषताएँ : बच्चों को शारीरिक दंड देना सरकार ने मना किया। इस तरह सोचकर लाड़प्यार देंगे तो बच्चे बिगड़ भी जायेंगे । बच्चों को सही – गलत का ज्ञान करवाना हमारी जिम्मेदारी हैं ।
(3) काकद्वय की चोचों के दो घाव उस लघुप्राण केलिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘गिल्लू’ नामक पाठ से दिया गया है। इस पाठ की लेखिका ‘श्रीमती महादेवी’ वर्मा हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं रव्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका हैं। आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है। ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सान्ध्यगीत’ आदि आपके काव्य हैं। ‘स्मृति की रखाएँ, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘रटंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य पर भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रस्तुत पाठ में एक छोटी जीव की जीवन का चित्रण करती हैं।
ब्याख्या : महादेवी वर्मा के घर में एक दिन बरामदे सें (शब्द) तेज आवाज़ आने लगा। तब लेखिका बाहर आकर देखा, दो कौवे एक गमले के चारों और चोंचों से छूआ छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। क्यों कि गमले और दीवार की संधि में एक छोटे जीव है। उस छोटे जीव पर लेखिका की दृष्टि पडी । निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा सा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं । काकद्वय की चोंचों के दो घाव से उस लघुप्राण भयभीत होकर, गमले से चिपटा पडा है। उस छोटे जीव जीवित रहेगी (था) नहीं देखनेवाले सब यही सोच रहे हैं ।
विशेषताएँ :
- छोटे लघुप्राण ‘गिल्लू’ है। हमारी लेखिका ने उस को यह नाम दिया ।
- किसी भी प्राणी मुसीबत में अपने आप को बचाने केलिए ज़गह ढूँटती है। काकद्वय से बचाने केलिए गिल्लू भी गमले से चिपटा पड़ा है ।
(4) ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नहीं करता । यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अपराजिता’ नामक कहानी से दिया गया है। इसकी लेखिका ‘गौरा पंत शिवानी जी है। भारत सरकार ने सन् 1982 में उन्हे हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया | शिवानी जी की अधिकतर कहानियाँ और उपन्यास नारी प्रधान रहे । प्रस्तुत कहानी ‘अपराजिता’ में लेखिका ‘डॉ. चंद्रा’ नामक एक अपंग युवती की जीवन संबंधी विषयों के बारे में हमें बतायी ।
व्याख्या : डॉ. चंद्रा अपनी दुस्थिति पर कभी असंतुष्ट नही होती। भगवान को भी कभी निंदा नही करती थी । चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकरके बेटी की उन्नती चाही । चंद्रा की माँ एक बार भाषण में इस प्रकार कहती है कि – “भगवान हमारे सब द्वार एक साथ बंद नही करता । यदि भगवान एक रास्ता बंद करता भी है, तो दूसरा रास्ता हमें दिखायेगा ” । भगवान अंतर्यामी है | मानव अपनी विपत्ति के कठिन क्षण में विधाता को दोषी कहते हैं । उसका निंदा भी करते हैं । कृपा करके ऐसा कभी नही सोचिए । हमारे जीवन में कितने मुश्किलों आने पर भी धैर्य से उसके सामना करना होगा ।
विशेषताएँ :
- भगवान हमेशा दीन लोगों की सहायता करता है ।
- तुम एक रास्ते पर मंजिल तक जाना चाहते हो, अचानक उस रास्ता बन्द हो तो, जरूर दूसरा रास्ता खोज देंगे |
- भगवान अपंग लोगों को एक अंग से वंचित करने पर भी दूसरे अंगों की क्षमता इस प्रकार देगा कि सामान्य से अधिक होगा ।
7. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6
1) कबीर का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
उत्तर:
कबीरदास का स्थान भक्तिकाल के ज्ञानाश्रयी शाखा में सर्वोन्नत है । वे ज्ञानाश्रयी शाखाः के प्रवर्तक माने जाते हैं। कबीरदास के जन्म और मृत्यु को लेकर विभिन्न मत प्रचलित हैं । किंतु अधिकार विद्वानों के मतानुसार कबीर का जन्म काशी में संवत् 1455 (सन् 1398 ) में हुआ। कबीर का देहातं संवत् 1575 ( सन् 1518 ) में मगहर में हुआ । कबीर अनपढ़ और निरक्षर थे । उनके गुरु रामानंद थे । कबीर समाज सुधारक महान कवि और दार्शनिक माने जाते हैं । उनकी वाणी ‘बीजक’ नाम से संग्रहित की गयी है । इसके तीन भाग हैं-
- साखी
- सबद
- रमैनी
कबीर का विवाह लोई नामक स्त्री से हुआ । उनके दो बच्चे भी हुए जिनेक नाम हैं कमाल और कमाली ।
2) गुप्त जी के अनुसार भारत देश की विशेषता क्या है ?
उत्तर:
गुप्त जी के अनुसार भारत देश अनेक धमों, सस्कृतियों, आचार – विचारों का संगम स्थान है । यहाँ सब लोग मिलकर समता का संवाद करते है । सबलोग मिलजुलकर भारत माता की आराधना करते है और प्रेम भावना के साथ अपने – अपने चरित्र का निर्माण करते है । हम सब उन्ही के सलान है । इसलिए हम सब को साथ रहकर सुख दुखों को बांटना चाहिए और देश के लिए अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। तभी हम सब का कल्याण होगा और भारत माता की कृपा से सब की इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।
3) माँ के लिए बेटी किसके समान है ?
उत्तर:
माँ के लिए बेटी गोद की शोभ है और सौभाग्य प्रदान करती है । वह अपने अंधकारमय जीवन के लिए दीपशिखा की तरह है। माँ जीवन मन उषा की पहली किरण है। नीरस मन में अमृत की धारा और रस भरने वाली है वह बालिका नष्ट नयनों की ज्योति है और तपस्वी को मन की सच्चीलगन है । एक माँ के लिए उसकी अपनी संतान है सबकुछ होती है । माँ और बेटी में भेद न करने की भावना समाज को उन्नति के शिखर पर पहुँचा सकती है।
4) कवि ने प्रातः काल का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
पंत जी ने प्रातः काल का सुन्दर •वर्णन किया है । उषा काल मे सूरज की प्रथम किरण धरती को छूने से कितने सुन्दर परिवर्तन होते है, उनका सुन्दर वर्णन किया है । सूर्योदय के स्वागत नन्ही सी पक्षी की मधुर आवाज मे गाना, नन्ही सी कलियों का चन्द्रके किरण तितलियों के रूप मे स्पर्श करने से मुस्कुराना, रात के चमकीले तारे मन्द पड जाना, सूर्योदय के स्वागत करते हुए कोयल का गाना सभी का सुन्दर वर्णन करके कवि यह प्रश्न कर रहा है कि सुर्योदय के आगमन के बारे मे इन सबको कैसा पता चल रहा है ।
8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6
1) हरिशंकर परसाई के अनुसार आदमी कितने तरह के होते हैं ?
उत्तर:
हरिशंकर परसाई के अनुसार आदमी तीन तरह होते हैं ।
- समय पर घर न मिलने वाले ।
- समय पर किसी के घर न जाने वाले और ।
- न समय पर घर पर मिलते वाले और न किसी के घर जाने वाले कुछ लोग समय पर घर मिलते है और समय पर दूसरों के घर भी जाते हैं । सज्जनतावश हम उन्हें भी ‘आदमी’ कह देते हैं । वह असल में टाइमपीस हैं। ये घर में रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर रहेंगे तो हाथ घड़ी देखते रहेंगे ।
2) बतुकम्मा का अर्थ क्या है और यह त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है ?
उत्तर:
बतुकम्मा तेलुगु भाषा के दो शब्दों से बना है- ‘बतुकु’ और ‘अम्मा’, यहाँ ‘बतुकु’ का अर्थ ‘जीवन’ और ‘अम्मा’ का अर्थ ‘माँ’ है । इस तरह बतुकम्मा का अर्थ है – ‘जीवनप्रदायिनी माता’ । यह त्यौहार तेलंगाणा राज्य की वैभवशाली संस्कृति का प्रतीक है । बतुकम्मा त्यौहार दशहरे की नवरात्रियों में मनाया जाता है । यह कुल नौ दिनों का त्यौहार है । इसका आरंभ भाद्रपद अमावस्या यानी महालया अमावस्या या पितृ अमावस्या से होता है और सहुला बतुकम्मा या पेद्दा बतुकम्मा तक चलता है । विशेष रूप से इसे स्त्रियाँ मनाती हैं । इसे मनाने की विशेष विधि है । नौ दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार का हर दिन एक विशेष नैवेद्य रूपी नाम से जाना जाता है ।
3) महादेवी वर्मा ने गिल्लू की किस प्रकार से सहायता की थी ?
उत्तर:
लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरें में ले आई उसका घाव रूई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई किर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की । परन्तु उसका मुँह खुल नही सका, कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया । तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे – धीरे स्वस्थ हुआ । गिल्लू को अंत तक याने मरण तक लेखिका अपने साथ ही रखी। बडे प्रेम से पालन पोषण किया ।
4) चंद्रा की माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार क्यों दिया गया ?
उत्तर:
चंद्रा की माँ श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम थी । वह एक साहसी जननी है । चंद्रा की माध्यमिक और काँलेज शिक्षा में बेटी के साथ रहकर पूरी कक्षाओं में अपंग पुत्री की कुर्सी की परिक्रमा स्वयं कराती | बचपन में चंद्रा को देखकर अपनी आत्मशक्ति खो नही बेठी । अपने आप को संभाल कर चंद्रा को भी संभाली। हर एक पल बोटी की कामना पूरी करने की कोशिश किया | चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकर, नित्य छायाबनी । आज चंद्रा जो कुछ नाम प्राप्त किया सबकी वजह उसकी माँ ही है । इसलिए जे. सी. बेंगलूर उसकी माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार दिया । सचमुच चंद्रा की माँ एक वीर जननी है ।
9. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5
1) तुलसी के अनुसार वशीकरण मंत्र क्या है ?
उत्तर:
मीठे वचन
2) किस काव्य के लिए पंत जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
उत्तर:
चिदम्बरा
3) दान-बल कविता में कवि के अनुसार किसकी कीर्ति प्रतिष्ठा हमेशा रहती है ?
उत्तर:
दानी व्यक्ति की प्रतिष्ठा
4) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार कबीर को क्या कहते थे ?
उत्तर:
वाणी के डिक्टेटर
5) समता शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
समानता था बराबरी
10. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5
1) परसाई जी के अनुसार इंतजार से क्या बढ़ता है ?
उत्तर:
इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।
2) सेठजी के रसोइये का नाम क्या है ?
उत्तर:
भागवती
3) डाँ चंद्रा को शोधनाकार्य में निर्देशन कौन दिया ?
उत्तर:
प्रोफेसर सेठना
4) गिल्लू किसका बच्चा है ?
उत्तर:
गिलहरी का बच्चा है ।
5) तेलंगाणा की राष्ट्रपुष्प क्या है ?
उत्तर:
दातुन (तंगेडु)
खंड- ‘ख’
(40 अंक)
11. निम्नलिखित गद्यांश पढ़ित । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए । 5 × 1 = 5
अपने निर्माण के दौर में टीमें बच्चों की तरह ही होती हैं । वे एकदम उत्तेजनशील, ओजस्विता, उत्साह एवं उत्सुकता से भरपूर और अपने को विशिष्टा दिखाने की इच्छा लिये होती हैं | हालाँकि बहकाए हुए अभिभावक अपने व्यवहार से इन बच्चों की सकारात्मक विशेषताओं, गुणों को नष्ट कर सकते है। टीमों की सफलता के लिए काम का माहौल ऐसा होना चाहिए जो कुछ नया करने का अवसर प्रदान करे। डी.टी.डी.एंड. पी. ( एयर), इससे डी. आर. डी. ओ और दूसरी जगहों पर काम करने के दौरान मै ने ऐसी चुनौतियों का मुकाबला किया है । लेकिन अपनी टीमों को हमेशा ऐसा माहौल देना सुनिश्चित किया जिसमें वे कुछ नया कर सकें और जोखिम उठा सके ।
प्रश्न :
1. टीमें किनकी तरह होती है ?
उत्तर:
टीमें बच्चों की तरह होती है ।
2. बच्चों की विशेषताएँ कैसी होती हैं ?
उत्तर:
बच्चों की विशेषताएँ सकारात्मक होती हैं ।
3. टीमों को कैसा अवसर देना चाहिए ?
उत्तर:
टीमों को कुछ नया करने का अवसर देना चाहिए ।
4. यहाँ किन संस्थाओं के नाम बताए गए हैं ?
उत्तर:
यहाँ डी.टी.डी.एड. पी. (एयर), इससे डी.आर.डी.ओ के नाम बताए गए हैं ।
5. यहाँ ‘मैं ने’ शब्द का उपयोग किसके लिए हुआ है ?
उत्तर:
यहाँ मैं ने शब्द का उपयोग ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के लिए हुआ है ।
12. सूचना के अनुसार लिखिए । 8 × 1 = 8
(12.1) किन्हीं चार (4) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।
(1) अनन्त
(2) अमृत
(3) कडुवा
(4) दुर्गन्ध
(5) हिंसा
(6) अर्वाचीन
उत्तर:
(1) अनन्त × अन्त
(2) अमृत × विष
(3) कडुवा × मीठा
(4) दुर्गन्ध × सुगन्ध
(5) हिंसा × अहिंसा
(6) अर्वाचीन × प्राचीन
(12.2 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।
(1) इच्छा
(2) समुद्र
(3) वायु
(4) नारी
(5) माता
(6) शिक्षक
उत्तर:
(1) इच्छा = चाह, अभिलाषा, कामना, वांछा, आकांक्षा, मनोरथ
(2) समुद्र = सागर, जलधि, रुनाकर, पयोधि, जलनिधि
(3) वायु = पवन, समीर, हवा, मारुत, अनील
(4) नारी = औरत, महिला, स्त्री, सबला
(5) माता = माँ, जननी, अम्मा, अंबा
(6) शिक्षक = गुरु, अध्यापक, आचार्य
13. किन्हीं आठ (8) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए । 8 × 1 = 8
(1) उपगुह
(2) मालुम
(3) रवीवार
(4) भासा
(5) पड़ाई
(6) बालीका
(7) ब्याँक
(8) परचित (9) नारि
(10) उर्दु
(11) सन्मान
(12) कोशीश
उत्तर:
(1) उपगृह – उपग्रह
(2) मालुम – मालूम
(3) रवीवार – रविवार
(4) भासा – भाषा
(5) पड़ाई – पढाई
(6) बालीका – बालिका
(7) ब्याँक – बैंक
(8) परचित – परिचित
(9) नारि – नारी
(10) उर्दु – उर्दू
(11) सन्मान – सम्मान
(12) कोशीश – कोशिश
14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए । 8 × 1 = 8
1) लड़के …………………. (की / को) यहाँ बुलाओ ।
2) रामू ………………… (का / की) घर है ।
3) कक्षा में एक ………………… (पर / से) बढकर एक छात्र है ।
4) मेरी कलम जेब ……………….. (में / से) है।
5) रमेश ………………… बेटी बीमार है । (की / का)
6) ……………….. (हे / है) भगवान । अब मै क्या करूँ ।
7) आशा ने …………….. (के/ने) गीत गाया ।
8) मै भारत ………………. (के / का) निवासी हूँ ।
उत्तर:
1) लड़के को (की / को) यहाँ बुलाओ ।
2) रामू का (का / की) घर है ।
3) कक्षा में एक से ( पर / से) बढकर एक छात्र है ।
4) मेरी कलम जेब में ( में / से) है ।
5) रमेश की बेटी बीमार है । ( की / का)
6) हे (हे / है) भगवान । अब मै क्या करूँ ।
7) आशा ने (के/ने) गीत गाया ।
8) मै भारत का (के/का) निवासी हूँ ।
15. निर्देश के अनुसार छः (6) वाक्यों को शुद्ध कीजिए । 6 × 1 = 6
1) वह सबसे श्रेष्ठतम है । (वाक्य शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
वह सबसे क्षेष्ठ है ।
2) शेर मांसाहारी जानवर है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
शेरनी मांसाहारिणी जानवर है ।
3) गरम पूडी खाओ । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
गरम पूडियाँ खाओ ।
4) डॉ. चंद्रा कमज़ोर नही थी । (वर्तमान काल में लिखिए ।)
उत्तर:
डाँ. चंद्रा कमज़ोर नही है ।
5) राम निडर लडका है । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ।)
उत्तर:
नि
6) लडकी सिमाई करती है । (रेखांकित शब्द में प्रत्यय सही लिखिए ।)
उत्तर:
लडकी सिलाई करती है ।
7) मेरे को कुछ ना बोलो । (शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
मुझ से कुछ ना बोलो ।
8) राम ने अमुचित काम किया। (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए | )
उत्तर:
अनुचित
16. किन्हीं पाँच (5) वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए । 5 × 1 = 5
1) I have a pen.
उत्तर:
मेरे पास कलम है ।
2) I shall play foot ball.
उत्तर:
मै फुटबाल खेलूँगा ।
3) Don’t go home.
उत्तर:
घर मत जाओ ।
4) He reads
उत्तर:
वह पढता है ।
5) I went to Delhi by plane.
उत्तर:
मैं हवाई जहाज से दिल्ली गया ।
6) Does he eat?
उत्तर:
वह क्या खाता है ।
7) He has helped me
उत्तर:
उसने मेरी मदद की है ।
8) We should be good citizens.
उत्तर:
हमें अच्छा नागरिक बनना चाहिए ।