TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 4 with Solutions

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TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 4 with Solutions

Time : 3 Hours
Maximum Marks: 100 

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड – ‘क’
(60 अंक)

1. निम्न लिखित किसी एक दोहे का भावार्थ लिखिए । 1 × 6 = 6
साच बराबर तप नही, झूठ बराबर पाप ।
जाके हिरदे साच है, ता हिरदे गुरु आप ॥
उत्तर:
भावार्थ : कबीरदास इस दोहे में “सत्य का महत्व” के बारे में बताया । कबीरदास जी कहते है कि इस जगत् में सत्य के मार्ग पर चलने से बड़ी कोई तपस्या नही है और ना ही झूठ बोलने से बड़ा कोई पाप है । क्यों कि जिसके हृदय में सत्य का निवास होता है उसके हृदय में साक्षात् परमेश्वर का वास होता है । सत्य मार्ग में चलनेवालों पर हमेशा भगवान की कृपा होती है ।

(अथवा)

तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग ।
सबसे हम मिल बोलिए, नदी नाव संजोग ||
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास जी इस दोहे “मिल जुलकर ” रहने से क्या लाभ होते है, इसके बारे में हमें बता रहे हैं। इस दुनिया में तरह-तरह के लोग रहते हैं, यानी हर तरह के स्वभाव और व्यवहार वाले लोग रहते है, आप हर किसी से अच्छे से मिलिए और बात करिए। जिस प्रकार नाव नदी से मित्रता कर आसानी से उसे पार कर लेती है, वैसे ही अपने अच्छे व्यवहार से आप भी इस भव सागर को पार कर लेंगे ।

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2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) प्रथम रश्मि
उत्तर:
कवि बाल विहंगिनी को संबोधित करके पूछ रहा है कि उषा काल के सुरज की प्रथम किरण इतनी रंगोली थी, उसे तुमने कैसे पहचान लिया । इस समय मे तुम इतना सुन्दर गा रहे हो, कहाँ से सीख लिया | तुम स्वप्नों के छोंसले मे पंखों मे छिपकर सुख से सो रहे हो । रात भर नाना प्रकार के जुगुनू पहारा देकर तुम्हारे धोंसले के चारो ओर ऊँघते हुए धूम रहे है । तुम ने कैसे जान लिया कि सूर्योदय हुआ है ।

परिवेश के अनुरूप अपना रंग वदलने वाली सुंदर तितलियाँ चन्द किरणों की उतर कर कोमल नवल पत्रों को चूम – चूम कर मुस्कुराना सिखा रही है ।

प्रात : कालमे चारों ओर प्रकृति प्रशान्त थी । रात भर चमकतेवाले तारे अब अपना चमक खो रहे थे | वृक्ष के पत्ते भीं अब निःस्तब्ध थी और शायद स्वप्न मे विचारण कर रहे हैं। चारों ओर अभी अंधकार छाया हुआ था । अचानक उसी समय सहसा कोकिल स्वागत का गीत गाने लगी । कवि पूछ रहा है । कि हे कोचल । तुझे कैसे पता कि सूर्योदय हुआ है ।

इसप्रकार कवि प्रकृति का सुन्दर वर्णन करते हुए ईश्वर की महिमा का गुणगान प्रकृति के माध्यम से कर रहा है । उनकी भाषा सुन्दर खडीवोली है ।

(2) बालिका का परिचय
उत्तर:
इसकी विषय वस्तु एक माँ और उसकी पुत्री पर आधारित है। माँ अपनी के रूप में अनुभव करती हुई । पुत्री को देखकर पुलकित होती है और कवइत्री अपने को कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है। वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है। उसके सामने वह जितना सम्पन्न होने पर भी अपने को भिखारिन मानती है। वह अधिकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल – भौरो में उषा की पहली किरण जाती है। नीरस मन मे ऊमृत धारा का रस भरने वली अन्धे नयनो में ज्योति और तपस्वी के मन की सच्ची लगन है । मेरा बीता हुआ बचपन जहाँ जीवन के बगीचे में किलकिलाकर हँसना मचलना, क सभी मेरे सामने बचपन की घटनाएँ दिखाई पड रहे है । मेरे लिए मंदिर, मसजिद, काबा, काशी वही है। हर प्रकार का तीर्थ, पूजा, पाठ, जप, तह, अपनी बालिका के रूप में ही कवइत्री देख रही है । कृष्ण की बाल लीलाएँ कौशल्या की ममता सभी को वह स्पर्श कर रही है । ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा उसी बालिका में देख रही है। उस बालिका का परिचय देने में भी वह असमर्थ है। क्यों कि कवइत्रि का माननी है कि जिसके पास माँ का हृदय रहता है। वह इस बालिका का परिचय महसूस कर लेते है ।

इस प्रकार इन्हें नारी की भावुकता और कोमलता स्पष्ट हलकती है। संपूर्ण कविता मे कवइत्री का हृदय बोलना थी भाषा सरल खडीबोली है ।

3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) गिल्लू
उत्तर:
लेखिका परिचय : प्रस्तुत पाठ ‘गिल्लू’ की लेखिका श्रीमति महादेवी वर्मा हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं ख्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका हैं । आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है । ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सन्ध्यागीत’ आदि आपके काव्य हैं । ‘स्मृति की ‘रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य परभारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
प्रस्तुत पाठ में आप एक ‘गिलहरी’ छोटे जीव केबारे में चित्रण करती है ।

सारांश : सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है, इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुंचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था, तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज है, परंतु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो ।

अचानक एक दिन सबेरे कमरे से बरामदे में आकर मैने देखा, दो कौवे एक गमले के चोरों ओर चोचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल रहे हैं । गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रफक गई, निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं ।

काकद्वय की चोचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था, सबने कहा, कौए की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नही सकता, अत : इसे ऐसे ही रहने दिया जावे । परंतु मन नही माना- उसे हौंले से उठाकर अपने कमरे में लाई, रूई की पतली बत्री दूध से भिगोकर जैसे – तैसें उसके नन्हे मुँह में लगाइ पर मुँह खुल न सका और दूध की बूँदें दोनों ओर ढुलक गई ।

कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका । तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उंगली अपने दो पंजों से पकड़कर, नीले कांच के मोतियों जैसी आँखों से इधर उधर देखने लगा। तीन चार मास में उसके स्निग्ध रोए, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आंखे सबको विस्मित करने लगीं, हमने उसकी जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया और इस प्रकार हम उसे ‘गिल्लू’ कहकर बुलाने लगे । मैंने फूल रखने की एक हलकी डलिया में रुई बिछाकर उसे तार से खिडकी पर लटका दिया । वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा । वह स्वयं हिलाकर अपने घर में झूलता और अपनी कांच के मनकों – सी आँखों से कमरे के भीतर और खिड़की से बाहर न जाने क्या देखता – समझता रहता था। परंतु उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर सबको आश्चर्य होता था। गिल्लू को एक लंबे लिफाफे में रखकर मै अपना काम करती हूँ ।

भूख लगने पर चिक चिक करके मानो वह मुझे सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिल जाने पर उस स्थिति में लिफाफे से बाहर वाले पंजों से पकड़कर उसे कुतरता रहता । फिर गिल्लू के जीवन का प्रथम बसंत आया । बाहर की गिलहरियाँ खिडकी की जाली के पास आकर चिक – चिक करके न जाने क्या कहने लगी । गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकते देखकर मुझे लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है । मेरे कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी खिड़की की खुली जाली की राह बाहर चला जाता और दिन भर गिलहरियों से खेलता रहता हैं। मैंने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू ने बाहर जाने पर सचमुच ही मुक्ति की सांस ली। मेरे पास बहुत से पशु- पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है, परंतु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत हुई है, ऐसा मुझे स्मरण नही आता, गिल्लू इनमें अपवाद था । वह मेरी थाली में से एक एक चावल उठाकर बडी सफाई से खाता रहता ।

उसी बीच मुझे (लेखिका) मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा, उन दिनों दरवाज़ा खोला जाता तब दूसरों को देखकर अपने घर में जा बैठता । सब उसे काजू आते, परंतु अस्पताल से लौटकर जब मैं ने उसके झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिनसे ज्ञात होता था कि वह उन दिनों अपना प्रिय खाहा कितना कम खाता रहा । मेरी अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे नन्हे पंजों से मेरे सिर और बालों को इतने हौले हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता ।

गर्मियों में वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता । गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नही होती, अतः गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया । एक रात झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी वही उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था । पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि मैं ने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया । परंतु प्रभाव की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जगाने के लिए सो गया । सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि दी गई है इसलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी ।

विशेषताएँ :

  1. सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी।
  2. लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हे पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता । इस प्रकार वह सच्चे अर्थों मे परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ।
  3. कुछ लोग छोटे प्राणियों को भी अपने बच्चों की तरह पालता हैं ।
  4. ‘गिल्लू’ एक ऐसा पाठ है जिसे पढने से मन में आकर्षित भाव पैदा होता है ।
  5. गिल्लू और लेखिका के बीच की रिश्ता बडी प्रशंसनीय है और सराहनीय है ।

(2) अधिकार का रक्षक
उत्तर:
लेखक परिचय : प्रस्तुत पाठ ‘अधिकार का रक्षक’ एक एकांकी है । इसके लेखक ‘उपेंद्रनाथ अश्क’ जी है । ‘अश्क’ जी कहानियाँ, पट कथाएँ, संवाद और गीत लिखे । आप को 1972 के ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया । प्रस्तुत एकांकी में चुनाव में लड़ने वाले एक नेता के बारे में कहा । नेता लोग अधिकार पाने के पहले क्या क्या करेंगे । अधिकार पाने के बाद क्या करेंगे । व्यंग्यात्मक एकांकी है ।

सारांश : एकांकी का प्रारंभ और अंत सेठजी से होता है। सेठजी असेंबली के उम्मीदवार है । प्रातः काल का समय है | सेठ साहब अपना ड्राइंग रूम में बैठे हुए हैं। सी बड़ी कोशिश कर रहा है । कल एक जलसा रखा था । जलसे में के बारे में भाषण दिया। वही मंत्री अभी सेठजी को फोन करते है। बात कर रहे हैं । ‘मंत्रीजी कल आप मेरे पक्ष में भाषप दिये । सब लोग आपकी बातें सुनकर मुझे वोट देने को तैयार हो गए है” । आप को बहुत धन्यवाद ।

सेठजी मंत्रीजी से कहते है कि मै गरीबों का उद्धार करने के लिए तैयार हूँ । अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया। इतना ही नहीं बच्चों के लिए भी बहुत कुछ करने तैयार हूँ । हमारे प्रांत में मै ही ऐसा व्यक्ति हूँ जिसने पाठशालाओं में शारीरिक दंड तत्काल बंद करने पर जोर दिया । बच्चों की लालन-पालन, शिक्षा सब कितनी पुरानी पद्धति का है । बात-बात पर डाँट- फटकार कर रहे हैं । मै (सेठजी) सबकुछ बदलना चाहता हूँ। जब मंत्रीजी से फोन में बातें करते समय सेठजी के छोटे बेटे आकर कुछ बोलने का प्रयास करता है । सेठजी टेलीफोन का चोंगा मेज पर रखकर बच्चे को थप्पड लगाते हैं । सेठजी अपना नौकर रामलखन को आवाज़ लगाते है । भागता हुआ नौकर आता है। छोटे बाबु बलराम को यहाँ से लेजाओ। मै मंत्री से बात कर रहा हूँ । यहाँ आकर नालायक शोर मचा रहा है । रामलखन लड़के का हाथ पकड़कर बाहर ले आता है ।

‘टेलीफोन’ में बातें बच्चों के बारे में कहते हैं । शारीरिक दंड तत्काल बंद करवाना चाहता है । लेकिन अपने बच्चे को इधर मारता है” । बाद में टेलीफोन में बातें करना खतम हो जाता है । रामलखन अंदर आकर सेठजी से कहता है कि – सफाई करने वाली अपनी मजदूरी माँग रही है । उसी समय रसोइया भी आकर पैसे माँगती है । सेठजी कहते हैं कि “बाद में पैसा दूँगा । अब तुम दोनों बाहर जाओं” । तब रसोइया भगवती पूछती है कि “मै अपने बच्चों को कहाँ से खिलाऊँ” । कृपा करके मज़दूरी दीजिए। क्रोध से सेठजी कहते है जाओ, यहाँ से जाओ अगले महीने दूँगा । लेकिन मजदूरी लेने के बिना भगवती वहाँ से जाना नही चाहती । सेठ उस की मुँह पर दो रुपये फेंकते है | दी रुपये लेने से इनकर करती है । सेठ भगवती को पीटते हुए बाहर धकेलता है | रामलखन अखबार लाता है ।

मंत्री (होज़री यूनियन) सेठजी को फोन करता है। सेठ मंत्री जी से नमस्कार कहकर कहते है कि मै आपका अत्यंत आभारी हूँ” । मै ( सेठजी) असेंबली में जाते ही मजदूरों की अवस्था सुधारने का प्रयास करूँगा । “मजदूरों की माँग पूरी करवाऊँगा । काम के घंटे तय होंगे और तनख्वाह भी समय पर देने का और दिलवाने का प्रयास करूँगा । “धन्यवाद कहकर टेलीफोन मेज़ पर रखता है ।

सेठ अभी मज़दूरी न देकर रामदेई और भगवती को भेज़ देता है लेकिन फोन में कैसे कैसे बातें किया । बोलते कुछ और करते कुछ ।

दरवाजा खुलता है । दुबले पतले, आँखो पर चश्मा लगाए संपादक भीतर आते हैं । सेठ समाचार पत्र देख रहा है । संपादक सेठजी से यह बात कहता है कि – “मेरी आँखे बहुत खराब हो रही हैं”। रात को रोज़ दो-तीन बज जाता लेकिन काम पूरा नही हो रहा है । कृपा करके सहायक संपादक का प्रबंध कीजिए । सेठजी कहते है कि – “पाँच रुपए तनख्वाह बढ़ा दूँगा । पूरा काम आप को ही संभालना होगा” । संपादक कहता है कि स्वास्थ्य इजाज़त नहीं देता । सेठ बोलते है कि काम छोडना चाहे तो छोडो । नया संपादक आयेगा ।

रामलखन भीतर आकर सेठजी से कहता है कि आप से मिलने विश्वविद्यालय से लड़के आये, आप चाहे तो अंदर भेज दूँ । सेठजी अंदर भेजने के लिए कहते है । लडकों अंदर प्रवेश करते हैं, सेठजी से नमस्ते कहते हैं और सब छात्र आप को ही वोट देने के लिए सोच रहे हैं । सेठजी बहुत संतुष्ठ हो जाते है । उन दो लड़कों में एक लड़का सेठजी से कहता है कि प्रिंसिपल को हम हटाने चाहते हैं क्यों कि वे बहुत अनुशासनप्रिय और कठोर स्वभाव के हैं। सेठजी लड़कों को संपादक के पास जाकर बयान देने को कहते हैं । लड़के बयान देकर चले जाते हैं। संपादक सेठजी बोलते है कि प्रिंसिपल को हटाना इस समय ठीक नही है । चुनाव हो जाने के बाद सोचेंगे |

श्रीमती सेठ दरवाजे धक्का मारते अंदर आकर पूछती है कि बच्चे को देखो । गाल पर उँगलियों के निशान पड़ गए है । ऐसा मारते क्या ? सेठ जवाब नही देता और सेठानी को बाहर जाने की आज्ञा देता है ।

श्रीमती सेठ कहती है कि तुम बाप नही, दुश्मन हैं। अपने बच्चों को देखना नही आता लेकिन दूसरों के बच्चों से प्रेम करेंगे। मै अभी मायके जाऊँगी कहकर कमरे से बाहर रोती हुई आती है । तेज़ी से बच्चे को लेकर जाती है। दरवाज़ा ज़ोर से बंद होता है। फ़ोन फिर बजता है । श्रीमती सरला देवी जी से मधुर स्वर में सेठ बातें करना शुरु करता है । सेठजी सरला जी से पूछते है कि – “महिला समाज मुझे वोट देने के लिए तैयार है क्या ? मै कुछ आशा रखूँ क्या ?” “आप विश्वास रखे, महिलाओं के हितों की मै पूरी रक्षा करूँगा । महिलाओं के अधिकारों के लिए लडूंगा । मुझ से बढ़िया रक्षक आपको वर्तमान उम्मीदवारों में और कोई न मिलेगा ” । इस से एकांकी समाप्त हो जाती है ।

सेठजी अभी अपनी पत्नी को धकेलता है; ज़रा भी इज्जत नही देता लेकिन महिलाओं के लिए कुछ भी करने का तैयार हो रहा है” । वायदेपर वायदे करते हैं कि हम यह करेंगे और वह करेंगे । यही चुनाव के समय नेताओं के वोट माँगने का विधान है ।

विशेषताएँ :

  1. नेता गण चुनाव के समय अनेक प्रकार के व्यूह रचते हैं ।
  2. जनता के साथ चुनाव के समय विनम्र से बातें करते हैं ।
  3. जगह-जगह पर नेता लोग अपनी विशिष्ट पोशाक पहनकर वोट की भिक्षा माँगते फिरते हैं ।
  4. इस एकांकी में सेठजी के चरित्र से हमें पता चलता है कि नेता कहते कुछ और करते कुछ | कभी उन पर यकीन न करना चाहिए ।
  5. नेताओं में बहुत से लोग योग्य नही हैं ।

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4. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए | 2 × 4 = 8

1) रवींद्र नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था ।
उत्तर:
रवींद्र के गाँव में एक कारखाने शुरू हो गया । यह कारखाना कार बनाने का है । गाँव के गरीब परिवारों को मजदूरी मिल गई। नौजवान कारखाने में भरती हो रहे थे । रवींद्र के माता पिता भी रवींद्र को नौकरी में भरती होने केलिए कहते थे। लेकिन रवींद्र कारखाने में नौकरी करना नही चाहता था क्यों कि नौकरी करेगा तो क्लर्क हो जाता । अगर. आई.ए.एस पढेगा तो कलक्टर बनेगा | तब वह जिले का मालिक बनेगा । नौकरी करने से उसका सपना कभी पूरा नही होगा । इसलिए रवींद्र नौकरी करने से इनकार करता है’।

2) खडग्रसिंह का चरित्र चित्रण कीजिए ।
उत्तर:
खड्गसिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था लोग उसका नाम सुनकर काँपते थे । होते-होते सुल्तान की कीर्ति उसके कानों तक भी पहुँची । वह एक दिन बाबा भारती के पास आया । उसने घोड़ा देखा, तो उसपर उसे बड़ा मोह हो गया । किसी न किसी सुल्तान को हड़पने की ठान ली । जाते-जाते उसने कहा- बाबाजी इस घोड़े को आपके पास रहने नही दूँगा ।

खड्गसिंह अपाहिज वेष धारण करके बाबा को धोखा दिया । घोड़े को अपना साथ ले गया । बाबा की करुण वचनों से अपना मन परिवर्तित होता है । अंत में उसने सुल्तान (घोड़े ) को बाबा तक पहुँचाता है । डाकू को भी हृदय होता है । डाकू भी सामान्य मानव जैसा सोचता है । इस प्रकार की आलोचना हमें खड्गसिंह चरित्र द्वारा मालूम होता है ।

3) वनों को नष्ट करने से होनेवाले दुष्परिणामों के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
वनों की कटाई से मिट्टी, पानी और वायु क्षरण होता है जिसके परिणामस्वरुप हर साल 16,400 करोड़ से अधिक वृक्षों की कमी देखी जाती है। वनों की कटाई भूमि की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव डालती है क्यों कि वृक्ष पहाडियों की सतह को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है तथा तेजी से बढती बारिश के पानी में प्राकृतिक बाधाएँ पैदा करते हैं। नतीजतन नदियों का जल स्तर अचानक बढ़ जाता है जिससे बाढ़ आती है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की हानि होती है। वायु प्रदूषण होता है। प्रजातियां विलुप्त हो जाती है। ग्लोबल वार्मिगं हो जाता है। औषधीय वनस्पति प्राप्त करना दुर्लभ हो जाता है । ओजोन परत को नुकसान हो रहा है । जल संसाधन की कमी होती है ।

4) “सफलता अकेले आगे बढने में नहीं है, बल्कि दुसरों को भी साथ लेकर बढने में है ।” इस कथन का समर्थन करते हुए अपने विचार लिखिए ।
उत्तर:
किसी भी संस्था के परिणामों को बेहतर बनाने केलिए टीम वर्क की अहमियत को समझना बेहद जरुरी है । संकटपूर्ण स्थितियों में टीम भावना से किया काम सफलता को सुनिश्चित करता है । यह वह स्थिति होती है, जिसमें सभी की जीत होती है। पारस्परिक मधुर संबंध टीम की सफलता केलिए जरुरी होते है । सदस्यों के बीच भरोसा मजबूत होना चाहिए । टीम वर्क से कोई भी काम कम वक्त में पूरा हो जाता है । जब कई लोग किसी एक समस्या का समाधान ढूंढने का कोशिश करते है तो बेहतर विचार सामने आते हैं। टीम वर्क में गलती की संभावनाएं कम होती हैं, क्यों कि एक व्यक्ति का काम दूसरे से जुड़ा होता है, इसलिए प्रत्येक स्तर पर काम की जांच होती रहती है । अच्छा टीम वर्क किसी संगठन को कम समय में बेहतर नतीचे तक पहुंचाता है । सफलता एक व्यक्ति का न होकर समस्त व्यक्तियों के होते तो उसका मजा ही और है । हम उस आनंद बातों में नहीं बता सकते ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 2 × 3 = 6

1) यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सुहाग की है लाली । शाही शान भिखारिन की है, मनोकामना मतवाली। दीप – शिखा है अंधकार की, बनी घटा की उजियाली । उषा है यह कमल – भृंग की, है पतझड़ की हरियाली ।
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है। इसकी कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी है। इसमे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट होती है ।

कवी कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है । वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है । माँ जितनी सम्पन्न होने पर भी बालिका के सामने भिखारिन ही है । वह अन्धकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल भौरों में उषा की पहली किरण जैसी है । अपनी बालिका हो जीवन का सूर्योदय है। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

2) सब तीर्थों का ऐक तीर्थ यह, हृदय पवित्र बना ले हम ।
आओ यहाँ अजातशत्रु बन, सब को मित्र बना ले हम |
रेखाएँ प्रस्तुत है, अपने, मन के चित्र बना ले हम ।
सौ सौ आदर्शों को लेकर एक चरित्र बना ले हम ।
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है । सब को आदर्शमय जीवन बिताने का सन्देश कवि देते हैं ।

कवि का कहना है कि हमारे देश मे अनेक तीर्थ स्थल है । उनके समान हमारे हृदय को भी पवित्र बनाएंगे। हम अजातशत्रु बनकर सबसे मित्रता करेंगे। हमारे मनोभावों को एक निश्चित रूप देंगे और उनसे हमारे चरित्र आदर्श बनाएंगे । कवि की भाषा सरल खडीबोली है ।

3) प्रथम रश्मि का आना रंगिणि ।
तूने कैसे पहचाना ?
कहाँ, कहाँ हे बाल विहंगिनि
पाया तूने वह गाना ?
उत्तर:
यह पद्य ‘प्रथम रश्मि नामक कविता से लिया गया है । सुमित्रानंदन पंत इसके कवि है । सूर्योदय को सुन्दर वर्णन कवि इसमे कर रहे है । कवि इसमे बाल विहंगिनि से पूछ रहा है । अभी तुमने नींद से जाग लिया । तुम्हे प्रातः काल के किरणों की पहचान कैसे हुई ? यह जानकर तुम इतना सुन्दर केसे गा रही हो । प्रकृति की सहज सुन्दरता इसमे वर्णित है । भाषा सरल खडीबोली है ।

4) दान जगत का प्रकृत धर्म है, मनुज व्यर्थ डरता है,
एक रोज तो हमे स्वयं सब कुछ देना पडता है ।
बचते वही, समय पर जो सर्वस्व दान करते है,
ऋतु का ज्ञान नही जिनको वे देकर भी मरते है ।
उत्तर:
यह पद्य ‘दान – बल’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता रश्मिरथी नामक काव्य से लिया गया है इसके कवि रामधारी सिंह दिनकर जी है ।

कवि का कहना है कि दान देना एक सहज स्वभाव है । इसको देने में व्यक्ति व्यर्थ रूप से डरता है । हम सब को एक दिन सब त्याग करके चले जाना है। लेकिन जो समय पर दान देता है वही महान होता है । जो मरते समय छोडकर जाता है, उसकी कोई महानता नही रहती ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 2 × 3 = 6

(1) विनम्रता केवल बडों के प्रति नहीं होती । बराबरवालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए |
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘शिष्टाचार’ नामक पाठ से लिया गया है । यह पाठ एक सामाजिक निबंध है । इसके लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ जी हैं । वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे | हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से उन्होंने ‘अवधी’ शब्द कोश का निर्माण किया था । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं ।

व्याख्या : विनम्रता शिष्टाचार का लक्षण है । किसी के द्वारा बुलाए जाने पर हाँ जी, नहीं जी, अच्छा जी कहकर उत्तर देना चाहिए । कुछ लोग विनम्रता केवल बड़ों के प्रति ही दिखाते हैं । अपने से छोटों और बराबर वालों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए । बड़ों का आदर- सम्मान करना, अपने मित्रों एवं सहयोगियों के प्रति सहयोगात्मक श्वैया, छोटों के प्रति स्नेह की भावना, स्थान विशेष के अनुकूल व्यवहार इत्यादि शिष्टाचार के उदारहण है । हमारे मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार केलिए अत्यंत आवश्यक है ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत निबंध ‘शिष्टाचार’ एक उपदेशात्मक निबंध है । उम्र में बडे व्यक्तियों को ‘आप’ कह कर संबोधित करना, बोले तो मधुर बोलो सत्य बोलो, प्रिय बोलो । किसी की निंदा न करना चाहिए | औरतों के प्रती श्रद्धा और गौरभाव रहनी चाहिए । शिष्टाचार व्यक्ति सबसे प्रशंसनीय पात्र बनपाता है ।

(2) मै कहती हूँ, आप बच्चों से प्यार करना. कब सीखेंगे ? जब देखो, पीटते रहते हो । देखतो सही, गाल पर उँगलियों के निशान पड़ गए हैं ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अधिकार का रक्षक’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एकांकी है । इसके लेखक ‘उपेंद्रनाथ अश्क’ जी हैं। 1932 में मुंशी प्रेमचंद की सलाह पर हिंदी में कहानियाँ लिखना शुरु किया । ” औरत का फितरत ” आपकी कहानी संग्रह है । उन्होंने फिल्मों में कहानियाँ, फटकथाएँ, संवाद और गीत लिखे । प्रस्तुत एकांकी में नेता गण के बारे में लिखे । यह एक व्यंग्यात्मक एकांकी है ।

व्याख्या : एकांकी में मुख्य पात्र सेठजी है। सेठ प्रांतीय असेंबली के उम्मीदवार है । मंत्रीजी से फोन में बातें करते समय सेठ जी के छोटे बेटे बलराम कमरे के अंदर आकर पिताजी से कुछ बोलना चाहता है | लेकिन सेठ बलराम की थप्पड देकर नौकर रामलखन के साथ बाहर भेज देता है | बलराम रोते हुए श्रीमती सेठ के पास जाता है । पिताजी पर माँ को शिकायत करता है । तब श्रीमती सेठ अंदर आकर ऊपरियुक्त प्रसंग सेठजी से करती है। बच्चों के मन कोमल होता है । बच्चों से इस तरह बरताव करना छोडिए । प्यार से अपने पास बुलाकर समझायोंगे तो समझ जायेगा । गाल पर उंगलियों की निशान भी पड़ गए है। दुबारा ऐसा नही करना । (पति) सेठजी बातें सुनकर पत्नी को धकेलते हुए बाहर निकालता है । सेठ कोध से पागल हो जाता है ।

विशेषताएँ : माँ बाप बच्चों को अनुशासन के साथ अच्छे बुरे की पहचान करवानी चाहिए। कभी कभी प्रेम व स्नेह ही सबसे अच्छी चीज़ होती जो अपने बच्चों को दे सकते हैं ।

(3) काकद्वय की चोंचों के दो घाव उस लघुप्राण केलिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘गिल्लू’ नामक पाठ से दिया गया है । इस पाठ की लेखिका ‘श्रीमती महादेवी’ वर्मा हैं | आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं रव्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका हैं। आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है। ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सान्ध्यगीत’ आदि आपके काव्य हैं। ‘स्मृति की रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘रटंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य पर भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रस्तुत पाठ में एक छोटी जीव की जीवन का चित्रण करती हैं।

व्याख्या : महादेवी वर्मा के घर में एक दिन बरामदे से (शब्द) तेज आवाज़ आने लगा। तब लेखिका बाहर आकर देखा, दो कौवे एक गमले के चारों और चोंचों से छूआ छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। क्यों कि गमले और दीवार की संधि में एक छोटे जीव है। उस छोटे जीव पर लेखिका की दृष्टि पडी । निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा सा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं । काकद्वय की चोंचों के दो घाव से उस लघुप्राण भयभीत होकर, गमले से चिपटा पडा है। उस छोटे जीव जीवित रहेगी (था) नहीं देखनेवाले सब यही सोच रहे हैं ।

विशेषताएँ :

  1. छोटे लघुप्राण ‘गिल्लू’ है। हमारी लेखिका ने उस को यह नाम दिया ।
  2. किसी भी प्राणी मुसीबत में अपने आप को बचाने केलिए ज़गह ढूँटती है । काकद्वय से बचाने केलिए गिल्लू भी गमले से चिपटा पडा है ।

(4) तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा असकी आत्मा । बतुकम्मा के बिना तेलंगाणा राज्य की कल्पना करना असंभव है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘बतुकम्मा’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एक निबंध है। त्यौहार समय समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्त करते हैं। ये किसी राष्ट्र एंव जाति वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करने वाले जीवित तत्व के रूप में प्रकट हुआ करते है ।

व्याख्या : भारत में लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं । उसी तरह ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है । बतुकम्मा त्यौहार विश्व का एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें एक मंच पर 9,292 स्त्रियों ने भाग लेकर अपनी श्रद्धा और भक्ति का अनूठा प्रस्तुत किया है | 8 अक्तूबर, 2016 को तेलंगाणा राज्य का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में सुनहरे अक्षरों से लिखा गया । बतुकम्मा त्यौहार स्त्री शक्ति को पहचानने उनका आदर करने और समाज में उचित स्थान देने पर बल देता है । ‘बतुकम्मा’ त्योहार के द्वारा ‘तेलंगाणा’ विश्व मे प्रसिद्ध हुवा है । इसलिए लोग कहते है कि तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । “आत्मा के बिना मनुष्य जीवित नही रह पाते । इसी तरह बतुकम्मा के बिना ‘तेलंगाणा’ राज्य की कल्पना करना असंभव है |

विशेषताएँ :

  1. त्यौहार मनुष्य के जीवन में उल्लास लाता है |
  2. बतुकम्मा त्यौहार भारतीय समाज में स्त्रियों के गौरवशाली वैभव का गुणगान करता है ।
  3. गरीब – अमीर जैसे भेद भाव के बिना बतुकम्मा त्यौहार मनाते हैं ।

7. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) गुप्त जी के अनुसार भारत देश की विशेषता क्या है ?
उत्तर:
गुप्त जी के अनुसार भारत देश अनेक धमों, सस्कृतियों, आचार विचारों का संगम स्थान है । यहाँ सब लोग मिलकर समता का संवाद करते है । सबलोग मिलजुलकर भारत माता की आराधना करते है और प्रेम भावना के साथ अपने – अपने चरित्र का निर्माण करते है । हम सब उन्हीं के सलान है । इसलिए हम सब को साथ रहकर सुख दुखों को बांटना चाहिए और देश के लिए अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। तभी हम सब का कल्याण होगा और भारत माता की कृपा से सब की इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।

2) सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं की विशेषताएँ लिखिए ?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ देश प्रेम, वीर भावना और उइबोधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है । आधुनिक काव्य मे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट मुखरित होती है । उनके काव्य में एक ओर नारी की भावुकता तथा कोमलता के दर्शन होते है और दूसरी ओर राष्ट्रीय चेतना स्पष्ट रूप से दिखायी पडती है । प्रस्तुत कविता की विषय वस्तु एक माँ और उसकी पुत्री पर आधारित है। संपूर्ण कविता में कवइत्री का हृदय बोलता है यह समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश होता है ।

3) कवि ने प्रातः काल का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर:
पंत जी ने प्रातः काल का सुन्दर वर्णन किया है । उषा काल मे सूरज की प्रथम किरण धरती को छूने से कितने सुन्दर परिवर्तन होते है, उनका सुन्दर वर्णन किया है । सूर्योदय के स्वागत में नन्ही सी पक्षी की मधुर आवाज मे गाना, नन्ही सी कलियों का चन्द्रके किरण तितलियों के रुप मे स्पर्श करने से मुस्कुराना, रात के चमकीले तारे मन्द पड़ जाना, सूर्योदय के स्वागत करते कोयल का गाना सभी का सुन्दर वर्णन करके कवि यह प्रश्न कर रहा है कि सुर्योदय के आगमन के बारे मे इन सबको कैसा पता चल रहा है ।

4) फलों का दान करने से पेड़ को क्या लाभ होता हैं ?
उत्तर:
दान देना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । इसका समर्थन करते हुए कवि कहते है । कि वृक्ष फल देता है । यह कोई दान नहीं है । यदि ऋतु जाने के बाद वृक्ष फल को नहीं छोडता है तो फल उसी डाल पर सड़ जाते है । इससे कीडे निकलकर सारा वृक्ष नाश हो जाता है । यदि वृक्ष फल को गिरा देता है तो फिर नए फल आते है और उस फल के बीजों से नये पौधों उत्पन्न होते है ।

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8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) गिल्लू किसका नाम है ? उसके बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
गिल्लू एक ‘गिलहरी’ का नाम है। सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी । बचपन में लेखिका गिल्लू को कौओं से बचाती हैं। अपना घर में गिल्लू को रखती थी। गिल्लू केलिए एक हलकी डलिया लेकर, उसके अंदर रूई बिछाकर उसे तार से खिडकी पर लटका दिया । यह रही गिल्लू का घर । गिल्लू डलिया को स्वयं हिलाकर झूलता रहता था । गिल्लू की झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखे सबको विस्मित करते थे । जब लेखिका लिखने बैठती तब पैर तक आकर शोर मचाती थी । लेखिका गिल्लू को लंबे लिफाफे में रख देती थी। दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघुगात लिफाफे के भीतर बंद रहता । बाहर सी गिलहरियों से खेलने जाती थी । लेखिका बाहर जाने के लिए गिल्लू के लिए मार्ग बनाती थी । गिल्लू दो वर्ष तक लेखिका के साथ रहती थी । परंतु एक दिन प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने केलिए सो गया। सुबह होते – होते गिल्लू की मृत्यु हो गई ।

2) चंद्रा की माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार क्यों दिया गया ?
उत्तर:
चंद्रा की माँ श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम थी । वह एक साहसी जननी है । चंद्रा की माध्यमिक और
काँलेज शिक्षा में बेटी के साथ रहकर पूरी कक्षाओं में अपंग पुत्री की कुर्सी की परिक्रमा स्वयं कराती | बचपन में चंद्रा को देखकर अपनी आत्मशक्ति खो नही बेठी | अपने आप को संभाल कर चंद्रा को भी संभाली। हर एक पल बेटी की कामना पूरी करने की कोशिश किया। चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकर, नित्य छायाबनी । आज चंद्रा जो कुछ नाम प्राप्त किया सबकी वजह उसकी माँ ही है । इसलिए जे. सी. बेंगलूर उसकी माँ को ‘वीर जननी का पुरस्कार दिया। सचमुच चंद्रा की माँ एक वीर जननी है ।

3) बतुकम्मा त्यौहार में किन किन फूलों का उपयोग होता है ? उनके नाम लिखिए ?
उत्तर:
बतुकम्मा बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले फूल जैसे तंगेडु (दातुन – तेलंगाण का राष्ट्र पुष्प), गुम्मडि पुव्वु (कोहडे का फूल), बंती (गेंदा), मंदारम (गुड़हल ), गोरिंटा (गुल मेहंदी), पोकाबंती (गुलमखमल), कट्लपाडु (जडीबूटी पुष्प), गुंट्लागरगर (भृंगराज ), कोड़िजुट्टु पुब्वुलु (श्री आई पुष्प), मयूरशिखी ( मयूरशिखा ), चामंती (गुलदाउदी), तामरा (कमल), गन्नेरु ( कनेर), नित्य मल्ले (पटसन के पुष्प ), गुलाबी (गुलाब), वज्रदंतीपुव्वु (वज्रदंतीपुष्प) गड्डी पुव्वु (घांस का फूल) आदि का उपयोग करते हैं ।

4) शिष्टाचार के कितने गुण है, वे कौन कौन से है ?
उत्तर:
शिष्टाचार के मुख्यतः तीन गुण हैं । वे हैं विनम्रता, दूसरों की निजी बातों में दखले न देना, अनुशासन ।

शिष्टाचार का सबसे पहला गुण है, विनम्रता । हमारी वाणी में, हमारे व्यवहार में विनम्रता धुली होनी चाहिए । इसलिए किसी बड़े के बुलाने पर ‘हाँ’, ‘अच्छा’, ‘क्या’ न कहकर ‘जीहाँ’ (या) जीनही कहना चाहिए । विनम्रता केवल बडों के प्रति नहीं होनी चाहिए । बराबरवालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेहकाभाव होना चाहिए ।

शिष्टाचार का दूसरा विशेष गुण है दूसरों की निजी बातों में दखल न देना । हर व्यक्ति का अपना एक निजी जीवन होता है । इसीलिए हमें अकारण किसी से उसका वेतन, उम्र, जाति, धर्म आदि पूछने से बचाना चाहिए । यदि कोई कुछ लिख रहा है तो झाँक झाँक कर उसे पढ़ने की चेष्टा करना अच्छा नहीं है ।

शिष्टाचार का तीसरा आधार अनुशासन का पालन है । अनुशासन समाज के नैतिक नियमों का भी हो सकता है और कानून की धाराओं का भी । जहाँ जाना मना हो, वहाँ न जाना, कानून के अनुशासन का पालन है । ठीक समय पर कहीं पहुँचना अनुशासन भी सिखाता है ।

9. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) कबीरदास समय की तुलना किससे की है ?
उत्तर:
अमोल हीरा से की है ।

2) मैथिलीशरण गुप्त का प्रमुख महाकाव्य कौन सा है ?
उत्तर:
साकेत ।

3) गोदी की शोभा कौन है ?
उत्तर:
अपनी बेटी ।

4) प्रथम रश्मि कविता में पक्षियों के घोंसलों के पास कौन पहरा दे रहे थे ?
उत्तर:
घोंसलों के पास जुगुनू पहरा दे रहे थे ।

5) तुलसी के गुरु कौन थे ?
उत्तर:
नरहरिदास ।

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10. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) शिष्टाचार का सबसे पहला गुण क्या हैं ?
उत्तर:
विनम्रता ।

2) परसाई जी के मत का अनुसार ज्ञानी लोग क्या जानते है ?
उत्तर:
काम अनंत है और आत्मा अमर है ।

3) संपादक सेठजी से क्या निवेदन करता है ?
उत्तर:
सहायक संपादक का प्रबंध कर दे ।

4) जहाँ स्त्रियों का स्ममान और आदर होता है वहाँ साक्षात कौन निवास करते है ?
उत्तर:
भगवान ।

5) परिचारिका की भूमिका कौन निभा रहा था ?
उत्तर:
गिल्लू ।

खंड – ‘ख’,
(40 अंक)

2. निम्न लिखित गद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए । 5 × 1 = 5

11. निम्नलिखित गद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए ।

नीचे दिया गया अनुच्छेद पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए । बारहवी कक्षा की बोर्ड परीक्षा समाप्त हो गई और रिज़ल्ट आने में दो महीने का समय था । कारखाने में भरती पूरे जोश में थी । गाँव के दूसरे नौजवान कारखाने में भरती हो रहे थे। लेकिन रवीन्द्र ने अपना लक्ष्य आई.ए.एस रख लिया था, वह नौकरी के लिए तैयार नहीं था । घर में खाली बैठे पुत्र को कोई बरदाश्त नहीं करता हैं। उसे घर देख माँ ने पिता से कहा, “अजी सुनते हो, गाँव के सारे लड़के कारखाने में भरती हो रहे हैं। अपना रवी घर पड़ा है, कुछ बात करो उससे । अपना रवी तो. प्रथम आता है । बेल लड़के सारे भरती हों गए हैं, सुना है पाँच – पाँच हज़ार रूपये महीना तनखाह मिल रही है, इसको तो अधिक तनखाह मिलेगी ।”

प्रश्न :
1. किस परीक्षा के परिणाम आने में दो महीने का समय था ?
उत्तर:
बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के परिणाम आने में दो महीने का समय था |

2. रवींद्र क्या बनना चाहता था ?
उत्तर:
रवींद्र आई.ए.एस बनना चाहता था ।

3. रवींद्र क्या नहीं करना चाहता था ?
उत्तर:
रवींद्र कारखाने में नौकरी नहीं करना चाहता था ।

4. कारखाने में कितना वेतन मिल रहा है ?
उत्तर:
कारखाने में पाँच हजार रूपये वेतन मिल रहा है ।

5. इस गद्यांश के लेखक का नाम क्या है ?
उत्तर:
इस गद्यांश के लोखक का नाम मनमोहन भाटिया है ।

12. सूचना के अनुसार लिखिए । 8 × 1 = 8

(12.1) किन्हीं चार (4) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।
1) नश्वर
2) बहुत
3) लम्बा
4) सेवक
5) सम्पन्न
6) लाभ
उत्तर:
1) नश्वर × शाश्वत, अनश्वर
2) बहुत × कम
3) लम्बा × नाटा
4) सेवक × स्वामी
5) सम्पन्न × विपन्न
6) लाभ × हानि

(12.2 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के समानार्थ शब्द लिखिए ।

1) माता
2) मछली
3) पति
4) घर
5) राजा
6) सेना
उत्तर:
1) माता = माँ, अम्बा, जननी, जन्मदात्री |
2) मछली = मीन, मकर, मत्स्य ।
3) पति = स्वामी, नाथ, भर्ता, कंत ।
4) घर = गृह, भवन, निकेतन, आलय ।
5) राजा = नृप, नृपति, सम्राट, नरेश |
6) सेना = कंटक, दल, वाहिनी, फौज ।

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13. किन्हीं आठ ( 8 ) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए । 8 × 1 = 8

1) श्रेष्ट
2) टेडा
3) पृष्ट
4) रामायन
5) दुसरा
6) लागान
7) कच्छा कक्षा
8) मर्मग्य
उत्तर:
1) श्रेष्ट – श्रेष्ट
2) टेडा – टेढ़ा
3) पृष्ट – पुष्ठ
4) रामायन – रामायण
5) दुसरा – दूसरा
6) लागान – लगान
7) कच्छा – कक्षा
8) मर्मग्य – मर्मज्ञ
9) विधार्थी – विद्यार्थी
10) कार्यकर्म – कार्यक्रम
11) नोकर – नौकर
12) दिक्षा – दीक्षा

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए । 8 × 1 = 8

1) चोर ने चाकू …………….. (से, के) मारा ।
2) राम …………….. (ने, के) रोटी खायी है ।
3) अध्यापक ………………… (केलिए, के द्वारा) कुर्सी लाओ. ।
4) श्याम ………………. (का, की ) । माता सुंदर चित्र बनाती है ।
5) ………………. ! (वाह, याह) कितना सुंदर दृश्य है ।
6) प्रतिदिन पाँतों ………………… (को, के) साफ करना चाहिए ।
7) मज़दूर जहाज ………………. (से, के) सामान उतार रहे हैं ।
8) दीवार …………………. (पर, में) घडी है ।
उत्तर:
1) चोर ने चाकू से मारा |
2) राम ने रोटी खायी है ।
3) अध्यापक केलिए कुर्सी लाओ ।
4) श्याम की माता सुंदर चित्र बनाती है ।
5) वाह ! कितना सुंदर दृश्य है ।
6) प्रतिदिन पाँतों को साफ करना चाहिए ।
7) मज़दूर जहाज से सामान उतार रहे हैं ।
8) दीवार पर घडी है ।

15. निर्देश के अनुसार छ: (6) वाक्यों को शुद्ध कीजिए। 6 × 1 = 6

1) मेरे को बुला रहा है (वाक्य शुद्ध कीजिए)
उत्तर:
वह मुझे बुला रहा है ।

2) वातावरण अपकूल है । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए)
उत्तर:
वातावरण अनुकूल है ।

3) उसके घर के पास आम का पेड़ है । (रेखांकित शब्द का वचन)
उत्तर:
उसके घर के पास आम के पेड है ।

4) वह शिक्षा दिया । (वाक्य शुद्ध कीजिए)
उत्तर:
उसने शिक्षा दिया ।

5) सीता नियोग में राम दुखी था । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए )
उत्तर:
वियोग

6) गणेश तुम्हारी अमली नाम बताओ । (प्रत्यय की दृष्टी से शुद्ध करो)
उत्तर:
असली

7) हम आँकों से देखते हैं । (शुद्ध कीजिए)
उत्तर:
हम आँखों से

8) मुझे काम करता होगा | (भूतकाल में लिखिए )
उत्तर:
मै ने काम किया ।

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16. किन्हीं पाँच (5) वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए । 5 × 1 = 5

1) You should get up early in the morning.
उत्तर:
तुमको सबेरे जल्दी उठना चाहिए ।

2) I do not play Football.
उत्तर:
मैं फुटबाल नही खेलता हूँ ।

3) He is angry with me.
उत्तर:
वह मुझ पर नाराज है ।

4) He decorated his house.
उत्तर:
उसने अपने घर को सजाया ।

5) Where are you coming from ?
उत्तर:
तुम कहाँ से आ रहे हो ?

6) I have a pen.
उत्तर:
मेरे पास कलम है ।

7) Your books are inside the almirah.
उत्तर:
तुम्हारी किताबें अलमारी में है।

8) It was trribly hot.
उत्तर:
बहुत गरमी पड़ रही थी ।

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