TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions

Exploring a variety of TS Inter 1st Year Hindi Model Papers Set 3 is key to a well-rounded exam preparation strategy.

TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions

Time : 3 Hours
Maximum Marks: 100 

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड – ‘क’
(60 अंक)

1. निम्न लिखित किसी एक दोहे का भावार्थ लिखिए । 1 × 6 = 6

बोली तो अनमोल है, जो कोइ जानै बोल ।
हिये तराजु तोलि के, तब मुख बाहर खोल ||
उत्तर:
भावार्थ : कबीरदास इस दोहे में “मधुरवाणी’ की महानता के बारे हमें बता रहे हैं । यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है । इसलिए वह हृदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुँह से बाहर आने देता है ।

(अथवा)

तुलसी खाया खेत है, मनसा भयो किसान |
पाप पुण्य दोउ बीज है, बुवै सो लुनै निदान ||
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास इस दोहे में “नीति की बात” हमें बता रहे हैं । तुलसीदास जी कहते है कि हमारा शरीर खेत के समान है और मन किसान के समान है । पाप-पुण्य दो बीज हैं, जो बोया जाता है उसी को प्राप्त करना पड़ता है । हम अपने मन में पाप के बारे में सोचकर पाप कार्य करे तो हम पापात्मा बनते है । अगर इसके विपरीत पुण्य कार्य करे तो पुण्यात्मा बनते है । लोग हमें आदर से देखकर इज्जत करते है ।

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2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) समता का संवाद
उत्तर:
हमारा देश भारत माता का मंदिर है । यहाँ सबलोग समान है और सबकी वाणी एक ही है । यहाँ पर सबका शुभ हो जाएगा और सभी को भारतमाता की कृपा मिलेगी ।

इसदेश में जाति, धर्म, संप्रदाय का कोई भेदभाव नही है । सभी को समान रूप में स्वागत किया जाता है और सब का समान आदार मिलजाता है । राम रहीम, बुद्ध, ईसा का सबकी पूजा की जाती है । भिन्न भिन्न संस्कृतियां होने पर भी सभी का समान गौरव और सभी से समान ज्ञान प्राप्त होता है। सभी लोग प्रेम को चाहते है, पर शत्रुता को नहीं । इसदेश में सभी का शुभ मंगल होगा और सबकी इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।

इसदेश में अनेक तीर्थस्थल है । पर हम अपने हृदय को ही पवित्र बनाकर तीर्थस्थल बनाएँगे । यहाँ पर हम अजातशत्रु बनकर सब को मित्र बनाएँगे । हम अपने मन की रेखाओं से एक मित्र बनाते है । अनेक आदर्शों से हम अपने चरित्र का निर्माण करते है ।

भारत माता के समक्ष रहने वाले हम सब भाई – बहन है । हम सब उसी माँ के गोद से पले सन्तान है | हम सब लोग मिलकर सुख – दुख को बाँट देंगे। सभी का कल्याण होगा और सभी की ऊँछाएँ पूरी हो जाएँगी ।

भारत माँ की सेवा में हम पूजारी है। उन्ही के कहने पर सब काम करते है । इस जीवन से लाभ उठाकर मुक्ति पाना हमारा कर्तव्य है । हम सब उसके अनुचर है । इस देश के करोडों लोग मिलकर भारतमाता का जयगान करेंगे । इस देश में हम सब का कल्याण होगा और हम सब पर उनकी कृपा रहेगी ।

इसप्रकार भारतदेश की महानता और भारतमाता को एक देवी के रूप में चित्रण करके उसके प्रति हमारा कर्तव्य निभाने का सन्देश कवि दे रहे है उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(2) प्रथम रश्मि
उत्तर:
प्रथम रश्मि कविता सुमित्रानंदन पंत्र जी से लिखी गयी है । प्रकृति की सहज सुन्दरता इसमें वर्जित है | प्रातः काल के समय मे सूर्योदय के किरणों को छूकर बाल विहंगिनी गीत गाते हैं । उनको कैसे मालूम कि सूर्योदय हो गया है । चन्द्र किरण के चूमने से नव कोमल पत्ते मुस्कुराना अर्थात रहे है । रात के तारे मन्द पड गए है । अन्धकार समाप्त होकर सूर्योदय हो रहा है | इसके स्वागत मे कोयल गीत गा रही है । कवि यह प्रश्न कर रहा है कि हे अंतर्योमिनी तुम्हे किसने बताया कि सूर्योदय हुआ है । कवि का हृदय प्रकृति के सहज सुन्दरता का स्पर्श कर रहा है ।

3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए | 1 × 6 = 6

(1) समय पर मिलने वाले
उत्तर:
लेखक परिचय : हिंदी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में हरिशंकर परसाई अग्रगण्य थे । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर आप की दृष्टि सदैव रहती है। समसामयिक जीवन में समय पर मिलना सब के लिए महत्वपूर्ण होता है। परसाई जी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं और अपने जीवन व्यवहार को सुधारने की दिशा में प्रेरित करते हैं । व्यंग्य के अतिरिक्त इन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं पर भी अपनी लेखना चलाई थी, परन्तु इनकी प्रसिद्ध व्यंग्यकार के रूप में ही हुई ।

सारांश : समय पर मिलने वाले हरिशंकर परसाई की गद्य साहित्य से ली गयी व्यंग्यात्मक निबंध है |

आदमी तीन तरह के होते हैं –

  1. समय पर घर न मिलने वाले
  2. समय पर किसी के घर न जाने वाले और
  3. समय पर घर पर मिलने वाले और किसी के घर जाते वाले ।

इसके बाद कुछ मुट्ठी भर जीवधारी बचते हैं, कुछ लोग जो समय पर घर मिलते हैं और समय पर दूसरों के घर भी जाते हैं । सज्जनतावश हम उन्हें भी ‘आदमी’ कह देते हैं | वह असल में टाइमपीस हैं । ये घर में रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर रहेंगे तो हम घड़ी देखते रहेंगे । इन्हें हम बदरित कर लेते हैं, मगर इनकी चर्चा करता व्यर्थ है ।

रमारा लेखका एक मित्र है, हमें चर्चा उनकी करनी है, जिन्होंने सुबह आठ बजे घर पर मिलने का वादा किया था, पर वे घर पर नहीं हैं । हम उनकी बैठक में इंतजार कर रहे हैं । हम तनाव कम करने के लिए उसके बडे सडके से पढाई के बारे में पूछ लेते हैं, खेल के बारे में बात कर लेते हैं | वह हमारे सवाल का छोटा सा जवाब देता है । हम अखबार पढने लगते हैं। समाचार पढ़कर विज्ञापन पढ़ने लगते हैं। बीच-बीच में पूछ लेते हैं, “कहाँ गए हैं ?”

वह जवाब देता है, “पता नहीं ।”
” कब तक आएँगे” ?
“पता नहीं ।”
” कुछ कह गए थे ?”
“कुछ नहीं ।”

हम फिर अखबार देखने लगते हैं । लड़का ऊब उठा है । वह चाहता है कि हम टलें । मगर हमें जरूरी काम है ।
पास ही दरवाजा है । भीतर औरतों की बातें सुनाई पड़ती है।
सबेरे से आकर बैठ गया है, तो उठने का नाम ही नहीं लेता । अरे, कह दिया कि घर पर नहीं हैं तो जाता क्यों नहीं है ?”
हमारा चेहरा लाल हो जाता है । कान की लोरियाँ जलने लगती हैं। मगर हमें जरूरी काम है ।
आखिर हम उठते हैं । लड़के से कहते हैं,
अच्छा अब हम जाते हैं । कह देना कि हम आए थे ।”
लडका बहुत कम खुश होकर नमस्ते करता है और हमें विदा देता है ।
दूसरे दिन आठ बजे हम फिर पहुँचते हैं। बड़ा लड़का फाटक पर आकर हमारे पूछने से पहले ही कह देता हैं, घर में नहीं हैं ।
वह फाटक तक इसलिए भागता आया है कि हम वहीं से लौट जाएँ ।
मगर हमें काम है और हम खुद फाटक खोल कर भीतर आ जाते हैं ।
हम बैठक में बैठ जाते हैं। बड़ा लड़का किताब पढ़ने लगा है । हम कल का अखबार पढ़ने लगते हैं। लड़का मुँह छिपाकर हँसता है ।
छोटे बच्चे दरवाजे पर आकर हमें देख जाते हैं ।
भीतर औरतों की बातचीत सुनाई देती है ।
“लो, वह फिर आकर बैठ गया ।”
” काम – काम कुछ हो तो देखें ।” (सब हँसती हैं) छोटा लड़का सारे परिवार की भावना समझकर दरवाजे पर आकर कहता है । ” ए. पापा बाहर गए हैं ।”
हम उठते हैं, कहते हैं, “पता नहीं वे कब आएँगे। अच्छा, हम चलते हैं ।”
सारा परिवार खिड़की और दरवाजे पर है और बड़ी दिलचस्पी से हमें जाते देख रहा है । इतनी तपस्या के बाद अगर वे कभी घर मिल गए तो लगता है भगवान को पा लिया । जो लोग समय तथ करके भी घर नहीं मिलते वे मुझे भगवान के एजेंट मालूम होते हैं ।

भगवान के दरवाजे पर तो कई जन्म इंतजार करना पड़ता है । अगर इधर कुछ अभ्यास हो गया, तो उधर आसानी पड़ेगी। दूसरी बात यह है कि इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।
मेरे एक दोस्त हैं। उनसे मैं मिलने का समय तथ कर लेता घर नहीं जाता । यह निश्यित है कि वह घर नहीं होंगे ।

जब उनके मिलने की बिल्कुल संभावना नहीं है और वे मिल जाते हैं । वे किसी कमेटी के सदस्य हैं, जिसकी बैठक में उन्हें होना चाहिए। मगर उस वक्त ने घर मिल जाएँगे ।

जब मेरा उनसे नया परिचय या और कुछ औपचारिकता बाकी थी तब उन्होंने मुझे इसरे दिन ” बजे खाने पर बुलाया। मैं ठीक “बजे पहुँच गया 12 बज गए तो मैं ने उनके लड़के से पूछा, “कहाँ गए हैं ?” उसने कहा, “कुछ पता नहीं हैं ?”
उसने कहा, “कुछ नहीं बता गए ।”

मैं बैठा रहा । जब । बज गया तब लड़के ने कहा, “आपको कुछ जरूरी काम होगा ?” मैं उसे कैसे बताता कि क्या काम है । इतना मैं अलबन्ता समझ गया कि रस परिवार में मेरे भोजन का कोई सिलसिला नहीं है । मैं भोड़ी देर और बैठ कर उठ गया । शाम को मालूम हुआ कि, जब मैं उनके घर बैठा था, तब वे खुद दूसरों के घर भोजत कर रहे थे। मुझे मिले तो बहुत दुखी हुए। कहने लगे अरे बड़ी गलती हो गई । मैं भूल ही गया ।

कई सालों के उनके साथ के अनुभवों से सावधानी की दीवार मैं ने अपने आसपास खड़ी कर ली थी । जब वे मेरे घर आने की बात करते तब मैं बेखटके बाहर धूमता । मुझे विश्वास था, वे उस वाक्य नहीं आएँगे | शाम को 7 बजे आने को उन्होंने कहा है तो सुबह 8 बजे तक भी आ सकते हैं । वे घर से इधर आने के लिए ही निकलेंगे, पर रास्ते में जो मिल जाएगा उसी के हो जाएँगे, वहाँ खाना लेंगे और तब उन्हे याद आएगा कि किसी से मिलने का वक्त तथ किया था ।

हमारे एक मित्र का तबादला हो गया। जो मेरा पहला मित्रता उसने इस मित्र को भी भोजन पर बुलाया। मुझे भी आने के लिए कहा। दूसरे दिन शाम को उनके घर पहुँचे। वे घर नहीं थे । हम दोनों अब सचेत हो गये। मित्र ने कहा कि तुझे उसके बारे में मालूम हैं ना ? मुझसे क्यों नहीं बताया । मैं उस मित्र के लडके से पूछा आप का पापा कहाँ हैं । लडके ने बोला मुझे मालूम नहीं है । तबादले हुए मित्र चले गये। पहला मित्र ने इस विषय के बारे में भूल गया ।

ऐसे लोगों की निंदा भी होती है कि वह समय का कोई खमाल नहीं रखते और अपना तथा दूसरे का वक्त खराब करते हैं । मेरा मत दूसरा है, ऐसे लोग ज्ञानी हैं । वे जानते हैं कि काम अनंत हैं और आत्मा अमर है। जो काम इस जन्म में पूरे नहीं हुए, उन्हें अगले जन्म में पूरे कर लेंगे था उसके बाद वाले में । इस बार आत्मा ने मनुष्य का चोला लिया है। अगली बार वह मेंढ़क का चोला भी ले सकती है । तब मेंढ़क के रूप में हम काम पूरे कर लेंगे ।

विशेषताए :

  1. समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना ह ।
  2. समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है ।
  3. समय किसी की प्रतीक्षा नही करता ।

(2) गिल्लू
उत्तर:
लेखिका परिचय : प्रस्तुत पाठ ‘गिल्लू’ की लेखिका श्रीमति महादेवी वर्मा हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं ख्यातिप्राप्त गद्य – लेखिका हैं। आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है । ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सन्ध्यागीत’ आदि आपके काव्य हैं। ‘स्मृति की ‘रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘शृंखला की कडियाँ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य परभारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
प्रस्तुत पाठ में आप एक ‘गिलहरी’ छोटे जीव केबारे में चित्रण करती है।

सारांश : सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है, इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुंचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था, तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज है, परंतु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौकाने ऊपर आ गया हो ।

अचानक एक दिन सबेरे कमरे से बरामदे में आकर मैने देखा, दो कौवे एक गमले के चोरों ओर चोचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल रहे हैं । गमले और दीवार की संधि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रफक गई, निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं ।

काकद्वय की चोचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था, सबने कहा, कौए की चोंच का घाव लगने के बाद यह बच नही सकता, अतः इसे ऐसे ही रहने दिया जावे । परंतु मन नही माना – उसे हौंले से उठाकर अपने कमरे में लाई, रूई की पतली बत्री दूध से भिगोकर जैसे तैसें उसके नन्हे मुँह में लगाइ पर मुँह खुल न सका और दूध की बूँदें दोनों ओर दुलक गई ।

कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उंगली अपने दो पंजों से पकड़कर, नीले कांच के मोतियों जैसी आँखों से इधर उधर देखने लगा। तीन चार मास में उसके स्निग्ध रोए, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आंखे सबको विस्मित करने लगीं, हमने उसकी जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया और इस प्रकार हम उसे ‘गिल्लू’ कहकर बुलाने लगे। मैंने फूल रखने की एक हलकी डलिया में रुई बिछाकर उसे तार से खिडकी पर लटका दिया । वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा । वह स्वयं हिलाकर अपने घर में झूलता और अपनी कांच के मनकों – सी आँखों से कमरे के भीतर और खिड़की से बाहर न जाने क्या देखता – समझता रहता था। परंतु उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर सबको आश्चर्य होता था। गिल्लू को एक लंबे लिफाफे में रखकर मै अपना काम करती हूँ ।

भूख लगने पर चिक – चिक करके मानो वह मुझे सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिल जाने पर उस स्थिति में लिफाफे से बाहर वाले पंजों से पकड़कर उसे कुतरता रहता । फिर गिल्लू के जीवन का प्रथम बसंत आया । बाहर की गिलहरियाँ खिडकी की जाली के पास आकर चिक – चिक करके न जाने क्या कहने लगी । गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकते देखकर मुझे लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है | मेरे कमरे से बाहर जाने पर गिल्लू भी खिड़की की खुली जाली की राह बाहर चला जाता और दिन भर गिलहरियों से खेलता रहता हैं । मैंने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू ने बाहर जाने पर सचमुच ही मुक्ति की सांस ली। मेरे पास बहुत से पशु- पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है, परंतु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत हुई है, ऐसा मुझे स्मरण नही आता, गिल्लू इनमें अपवाद था । वह मेरी थाली में से एक एक चावल उठाकर बडी सफाई से खाता रहता ।

उसी बीच मुझे (लेखिका) मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा, उन दिनों दरवाज़ा खोला जाता तब दूसरों को देखकर अपने घर में जा बैठता । सब उसे काजू दे आते, परंतु अस्पताल से लौटकर जब मैं ने उसके झूले की सफाई की तो उसमें काजू भरे मिले, जिनसे ज्ञात होता था कि वह उन दिनों अपना प्रिय खाहा कितना कम खाता रहा। मेरी अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे नन्हे पंजों से मेरे सिर और बालों को इतने हौले – हौले सहलाता रहता कि उसका हटना एक परिचारिका के हटने के समान लगता ।

गर्मियों में वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता। गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नही होती, अतः गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया । एक रात झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी वही उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था । पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि मैं ने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया । परंतु प्रभाव की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जगाने के लिए सो गया । सोंनजुही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि दी गई है – इसलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी ।

विशेषताएँ :

  1. सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में छोटे से जीव गिलहरी की याद आ गई, जिसे वह गिल्लू कहती थी ।
  2. लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हे पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता । इस प्रकार वह सच्चे अर्थों मे परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ।
  3. कुछ लोग छोटे प्राणियों को भी अपने बच्चों की तरह पालता हैं ।
  4. ‘गिल्लू’ एक ऐसा पाठ है जिसे पढने से मन में आकर्षित भाव पैदा होता है ।
  5. गिल्लू और लेखिका के बीच की रिश्ता बडी प्रशंसनीय है और सराहनीय है ।

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4. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए । 2 × 4 = 8

1) बाबा भारती को सुलतान के प्रती लगाव कैसा था ?
उत्तर:
माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था । भगवद्-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता । बाबा भारती उसे ‘सुल्तान’ कहकर पुकारते, अपने हाथ से खरहरा करते, खुद दानना खिलाते और देख-देखकर प्रसन्न होते थे । “मैं सुल्तान के बिना नहीं रह सकूँगा”, उन्हें ऐसी भ्रान्ति सी हो गई थी । खड्गसिंह उस घोड़े को हड़पने पर छोटे बच्चे जैसे रोता था । फ़िर सुल्तान को अंत में देखकर बेहद खुश हो जाता है ।

2) छोटू को सुरंग में जाने की अनुमति नही थी ? क्यों ?
उत्तर:
छोटू को सुरंग में जाने की इज़ाजत इसलिए नहीं थी, क्यों कि वह थोटा था । और यंत्रों की सुरक्षा के बारे में नहीं जानता था । आम व्यक्ति को सुरंग में जाने की मनाही थी । कुछ चुनिंदा लोगों को यह प्रशिक्षण दिया गया था । इस कारण छोटू को सुरंग में जाने की अनुमति नहीं थी ।

3) ध्यानचंद को ‘हाकी का जादूगर’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
26 मई 1928 को ध्यानचंद समेत कई खिलाड़ियों की तबीयत खराब थी । लेकिन उनके हौंसलों में किसी तरह की कमी नही थी। वो टीम वर्ल्ड चैम्पियन बन चुकी थी, जो उधार लेकर ओलंपिक खेलने आई थी । बर्लिन ओलंपिक में लोग मेरे हाँकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे हाँकी का जादूगर कहना शुरु कर दिया । इसी ओलंपिक के बाद पहली बार ध्यानचंद के नाम के साथ ‘जादुगर’ शब्द जोडा गया |

4) ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
उत्तर:
ए.पी.जे अब्दुल कलाम को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के तौर पर अधिक जाना जाता है, जो साल 2002 से लेकर साल 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहे। इस से पहले कलाम विज्ञान क्षेत्र में सक्रिय थे | कलाम ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्म लिया और वही पर उनका पालन पोषण भी हुआ । शिक्षा के लिहाज से उन्होंने अन्तरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की। अपने करियर के अगले करीब चालीस सालों तक, वह भारतीय रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन यानि संक्षेप में कहें तो डी. आर. डी. ओ. और भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन यानि इसरो में वैज्ञानिक और इंजिनियर के पद पर रहे। इन्हें लोगों के दिल में बहुत सम्मान प्राप्त है |

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 2 × 3 = 6

1) शशि – किरणों से उतर – उतरकर,
भू पर कामरूप नभ चर,
चूम नवल कलियों का मृदु – मुख,
सिखा रहे थे मुसकाना ।
उत्तर:
यह पद्य ‘प्रथम रश्मि नामक कविता से लिया गया है। इसके कवि श्री सुमित्रानंदन पंत जी है । इसमे प्रातः काल की सुन्दरता का वर्णन किया गया है ।

कवि कहते है कि परिवेश के अनुरूप अपना इम वदलने वाली तितलियाँ चन्द्र किरणों की तरह जमीन पर उतरकर नव कोमल पत्तों को चूमकर उनको मुस्कुराना सिखा रही है । प्रकृति का कोमल वर्णन इसमे वर्जित है ।

2) कृष्णचंद की क्रीडाओं को अपने आंगन में देखो,
कौशल्या के मातृ-मोद को, अपने ही मन में देखो,
प्रभु ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास,
जीव दया जिनवर गौतम की, आओ देखो इसके पास ।
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है । इसकी कवइत्री सुभद्राकुमारी चौहान जी है। इसमें नारी चेतना और बालिका के प्रति माँ की ममता का स्पष्ट चित्रण किया गया है ।

कृष्ण की बाललीलाएँ, कौशल्या की ममता सभी का दर्शन मै अपनी बालिका के देखकर अनुभव करती है। ईसा की क्षमाशीलता, नबी मुहम्मद का विश्वास, गौतम की अहिंसा इसी बालक मे दिखाई पड रहा है मेरी बालिका इतनी महान है कि सारे सद्गुण उसमें है उनकी भाषा है सरल खडीबोली है ।

3) भारत माता का संवाद यह, समता का संवाद जहाँ सबका शिव कल्याण यहाँ है । पावे सभी प्रसाद यहाँ ।
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है । इसमें देश की एकता पर बल दिया गया है ।

कविकां कहना है कि हमारा यह देश भारत माता का मंदिर हैं। यहाँ समता का संवाद किया जाता है | अर्थात् सभी जाति, मत, संप्रदाय में एकता दिखायी पडता है । ऐसे इस देश में हम सब का शुभ होता है । हम सबकी ऊँछाएँ पूरी होती हैं और हम सब पर समान रूप से कृपा दिखायी जाती है । कवि की भाषा सरल खडी – बोली है ।

4) दान जगत का प्रकृत धर्म है मनुज व्यर्थ डरता है,
एक रोज तो हमें स्वयं सब कुछ देना पड़ता है ।
बचते वही समय पर जो सर्वस्व दान करते है,
ऋतु का ज्ञान नही जिनको वेदेकर भी मरते है ।
उत्तर:
यह पद्य ‘दान बल’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता रश्मिरथी नामक काव्य से लिया गया है इसके कवि रामधारी सिंह दिनकर जी है।

कवि का कहना है कि दान देना एक सहज स्वभाव है । इसको देने में व्यक्ति व्यर्थ रूप से डरता है । हम सब को एक दिन सब त्याग करके चले जाना है। लेकिन जो समय पर दान देता है वही महान होता है । जो मरते समय छोडकर जाता है, उसकी कोई महानता नही रहती ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 2 × 3 = 6

(1) विनम्रता केवल बड़ों के प्रति नही होती । बराबरवालों और अपने से छोटों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘शिष्टाचार’ नामक पाठ से लिया गया है । यह पाठ एक सामाजिक निबंध है | इसके लेखक रामाज्ञा द्विवेदी ‘समीर’ जी हैं। वे ‘समीर’ उपनाम से साहित्यिक रचनाएँ करते थे | हिंदी के शब्द भंडार को समृद्ध करने की दृष्टि से उन्होंने ‘अवधी’ शब्द कोश का निर्माण किया था । इसके अतिरिक्त उन्होंने कई फुटकल रचनाएँ भी की हैं ।

व्याख्या : विनम्रता शिष्टाचार का लक्षण है। किसी के द्वारा बुलाए जाने पर हाँ जी, नहीं जी, अच्छा जी कहकर उत्तर देना चाहिए । कुछ लोग विनम्रता केवल बड़ों के प्रति ही दिखाते हैं। अपने से छोटों और बराबर वालों के प्रति भी नम्रता और स्नेह का भाव होना चाहिए । बड़ों का आदर- सम्मान करना, अपने मित्रों एवं सहयोगियों के प्रति सहयोगात्मक श्वैया, छोटों के प्रति स्नेह की भावना, स्थान विशेष के अनुकूल व्यवहार इत्यादि शिष्टाचार के उदारहण है । हमारे मन को संयम में रखना शिष्ट व्यवहार केलिए अत्यंत आवश्यक है ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत निबंध ‘शिष्टाचार’ एक उपदेशात्मक निबंध है। उम्र में बडे व्यक्तियों को ‘आप’ कह कर संबोधित करना, बोले तो मधुर बोलो सत्य बोलो, प्रिय बोलो। किसी की निंदा न करना चाहिए । औरतों के प्रती श्रद्धा और गौरभाव रहनी चाहिए । शिष्टाचार व्यक्ति सबसे प्रशंसनीय पात्र बनपाता है ।

(2) मै कहती हूँ, आप बच्चों से प्यार करना कब सीखेंगे ? जब देखो पीटते रहते हो । देखो तो सही, गाल पर उँगलियों के निशान पड़ गए हैं ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अधिकार का रक्षक’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एकांकी है । इसके लेखक ‘उपेंद्रनाथ अश्क’ जी हैं। 1932 में मुंशी प्रेमचंद की सलाह पर हिंदी में कहानियाँ लिखना शुरु किया । “औरत का फितरत” आपकी कहानी संग्रह है । उन्होंने फिल्मों में कहानियाँ, फटकथाएँ, संवाद और गीत लिखे । प्रस्तुत एकांकी में नेता गण के बारे में लिखे । यह एक व्यंग्यात्मक एकांकी है ।

व्याख्या : एकांकी में मुख्य पात्र सेठजी है। सेठ प्रांतीय असेंबली के उम्मीदवार है। मंत्रीजी से फोन में बातें करते समय सेठ जी के छोटे बेटे बलराम कमरे के अंदर आकर पिताजी से कुछ बोलना चाहता है । लेकिन सेठ बलराम की थप्पड देकर नौकर रामलखन के साथ बाहर भेज देता है । बलराम, रोते हुए श्रीमती सेठ के पास जाता है । पिताजी पर माँ को शिकायत करता है । तब श्रीमती सेठ अंदर आकर ऊपरियुक्त प्रसंग सेठजी से करती है। बच्चों के मन कोमल होता है। बच्चों से इस तरह बरताव करना छोडिए । प्यार से अपने पास बुलाकर समझायोंगे तो समझ जायेगा । गाल पर उंगलियों की निशान भी पड़ गए है। दुबारा ऐसा नही करना । (पति) सेठजी बातें सुनकर पत्नी को धकेलते हुए बाहर निकालता है । सेठ कोध से पागल हो जाता है ।

विशेषताएँ : माँ बाप बच्चों को अनुशासन के साथ अच्छे बुरे की पहचान करवानी चाहिए । कभी कभी प्रेम व स्नेह ही सबसे अच्छी चीज़ होती जो अपने बच्चों को दे सकते हैं ।

(3) भारत त्यौहारों का देश है । यहाँ लगभग हर राज्य के अपने अपने राज्य पर्व हैं ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘बतुकम्मा’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एक निबंध है। त्यौहार समय समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्ते करते हैं । ये किसी राष्ट्र एवं जाति वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करनेवाले जीवित तत्व के रुप में प्रकट हुआ करते हैं ।

व्याख्या : भारत महान और विशाल देश है। भारत में कई धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं । त्यौहार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – (1) राष्ट्रीय त्यौहार और (2) धार्मिक त्यौहार | भारत त्यौहारों का देश है। भारत में लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व है । सभी त्यौहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है। सभी जन त्यौहारों के आगमन से प्रसन्न होते हैं । प्रत्येक त्योहार में अपनी विधि व परंपरा के साथ समाज, देश व राष्ट्र के लिए कोई न कोई विशेष संदेश निहित होता है। जैसे ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है | तेलंगाणा के लोग बतुकम्मा – धूम-धाम, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं ।

विशेषताएँ :

  1. त्यौहार मनुष्य के जीवन को हर्षोल्लास से भर देते हैं ।
  2. लोग संपूर्ण आलस्य व नीरसता को त्याग कर पूरे उत्साह के साथ त्यौहारों की तैयारी व प्रतीक्षा करता है ।
  3. भूखे को भोजन, निर्धनों को वस्त्र आदि बाँटकर लोग सामाजिक समरसता लाने का प्रयास करते हैं ।

(4) काकद्वय की चोंचों के दो घावउस लघुप्राणं केलिए बहुत थे, अतः वह निश्चेष्ट – सा गमले से चिपटा पड़ा था |
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘गिल्लू’ नामक पाठ से दिया गया है । इस पाठ की लेखिका ‘श्रीमती महादेवी’ वर्मा हैं । आप हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग की प्रसिद्ध कवइत्री एवं व्यातिप्राप्त गद्य लेखिका हैं। आपको ‘आधुनिक मीराबाई’ कहा जाता है। ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘रश्मी’, ‘सान्ध्यगीत’ आदि आपके काव्य हैं। ‘स्मृति की रखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘रटंखला की कडियाँ’ आदि आपकी प्रख्यात गद्य रचनाएँ हैं। आपको ‘यामा’ काव्य पर भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रस्तुत पाठ में एक छोटी जीव की जीवन का चित्रण करती हैं।

व्याख्या : महादेवी वर्मा के घर में एक दिन बरामदे से (शब्द) तेज आवाज़ आने लगा। तब लेखिका बाहर आकर देखा, दो कौवे एक गमले के चारों और चोंचों से छूआ – छुऔवल जैसा खेल खेल रहें हैं। क्यों कि गमले और दीवार की संधि में एक छोटे जीव है। उस छोटे जीव पर लेखिका की दृष्टि पडी । निकट जाकर देखा, गिलहरी का छोटा सा बच्चा है जो संभवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं । काकद्वय की चोंचों के दो घाव से उस लघुप्राण भयभीत होकर, गमले से चिपटा पड़ा है। उस छोटे जीव जीवित रहेगी (था) नहीं देखनेवाले सब यही सोच रहे हैं ।

विशेषताएँ :

  1. छोटे लघुप्राण ‘गिल्लू’ है। हमारी लेखिका ने उस को यह नाम दिया ।
  2. किसी भी प्राणी मुसीबत में अपने आप को बचाने केलिए ज़गह ढूँटती है। काकद्वय से बचाने केलिए गिल्लू भी गमले से चिपटा पडा है ।

7. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं की विशेषताएँ लिखिए ?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएँ देश प्रेम, वीर भावना और उइबोधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है । आधुनिक काव्य मे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट मुखरित होती है। उनके काव्य मे एक ओर नारी की भावुकता तथा कोमलता के दर्शन होते है और दूसरी ओर राष्ट्रीय चेतना स्पष्ट रूप से दिखायी पडती है । प्रस्तुत कविता की विषय वस्तु एक माँ और उसकी पुत्री पर आधारित है। संपूर्ण कविता में कवइत्री का हृदय बोलता है यह समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश होता है ।

2) दिनकर के अनुसार दान देने से नदी को क्या लाभ होता है ?
उत्तर:
दिनकर दान की महानता मे नदी का उदाहरण देते हुए कहते है की नदी अपने में पानी को शोककर नही रखती । वह पानी का त्याग करके लोगों को जीवन देती है। नदी का पानी भाप बनकर बादलों का रुप लेता है और बरसकर उसी नदी में मिल जाता है । उसी प्रकार मनुष्य को भी दान देने से लाभ होता है ।

3) तुलसी के अनुसार विपत्ति के साथी कौन है ?
उत्तर:
“तुलसी जी के अनुसार विपत्ति के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे :
आपका ज्ञान या शिक्षा, आप की विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास” |

4) गुप्त जी के अनुसार भारत देश की विशेषता क्या है ?
उत्तर:
गुप्त जी के अनुसार भारत देश अनेक धमों, सस्कृतियों, आचार – विचारों का संगम स्थान है । यहाँ सब लोग मिलकर समता का संवाद करते है । सबलोग मिलजुलकर भारत माता की आराधना करते है और प्रेम भावना के साथ अपने – अपने चरित्र का निर्माण करते है । हम सब . उन्ही के सलान है । इसलिए हम सब को साथ रहकर सुख दुखों को बांटना चाहिए और देश के लिए अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। तभी हम सब का कल्याण होगा और भारत माता की कृपा से सब की इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।

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8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए | 2 × 3 = 6

1) हरिशंकर परसाई की रचनाओं के नाम लिखिए ?
उत्तर:
हरिशंकर परसाई की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं ।

निबंध संग्रह : तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, पगडंडियों का जमाना, सदाचार का तावीज, वैष्णव की फिसलन, माटे कहे कुम्हार से शिकायत मुझे भी है और अंत में, अपनी अपनी बिमारी, आवारा भीड के खतरे ऐसा भी सोचा जाता है आदि उनके उल्लेखनीय निबंध संग्रह हैं ।

कहानी संग्रह : जैसे उसके दिन फिरे, दो नाकवाले लोग, हसते हैं रोते हैं, भोलाराम का जीव । उपन्यास : तट की खोज, रानी नागफनी की कहानी, ज्वाला और जल उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं ।

2) चंद्रा की माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार क्यों दिया गया ?
उत्तर:
चंद्रा की माँ श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम थी । वह एक साहसी जननी है । चंद्रा की माध्यमिक और काँलेज शिक्षा में बेटी के साथ रहकर पूरी कक्षाओं में अपंग पुत्री की कुर्सी की परिक्रमा स्वयं कराती । बचपन में चंद्रा को देखकर अपनी आत्मशक्ति खो नही बेठी। अपने आप को संभाल कर चंद्रा को भी संभाली। हर एक पल बोटी की कामना पूरी करने की कोशिश किया। चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकर, नित्य छायाबनी । आज चंद्रा जो कुछ नाम प्राप्त किया सबकी वजह उसकी माँ ही है । इसलिए जे. सी. बेंगलूर उसकी माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार दिया । सचमुच चंद्रा की माँ एक वीर जननी है ।

3) बतुकम्मा का अर्थ क्या है और यह त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है ?
उत्तर:
बतुकम्मा तेलुगु भाषा के दो शब्दों से बना है- ‘बतुकु’ और ‘अम्मा’, यहाँ ‘बतुकु’ का अर्थ ‘जीवन’ और ‘अम्मा’ का अर्थ ‘माँ’ है । इस तरह बतुकम्मा का अर्थ है – ‘जीवनप्रदायिनी माता’ । यह त्यौहार तेलंगाणा राज्य की वैभवशाली संस्कृति का प्रतीक है । बतुकम्मा त्यौहार दशहरे की नवरात्रियों में मनाया जाता है । यह कुल नौ दिनों का त्यौहार है । इसका आरंभ भाद्रपद अमावस्या यानी महालया अमावस्या या पितृ अमावस्या से होता है और सद्दुला बतुकम्मा या पेद्दा बतुकम्मा तक चलता है । विशेष रूप से इसे स्त्रियाँ मनाती हैं । इसे मनाने की विशेष विधि है । नौ दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार का हर दिन एक विशेष नैवेद्य रूपी नाम से जाना जाता है ।

4) उपेंद्रनाथ ‘अश्क’ का संक्षिप्त परिचय लिखिए ?
उत्तर:
उपेंद्रनाथ जी का जन्म 14 दिसंबर 1910 को जालंधर में हुआ । आपने लाहौर से कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की । बाद में, स्कूल में अध्यापक हो गए । 1933 में साप्ताहिक ‘भूचाल’ का प्रकाशन आरंभ किया । अश्क जी को अध्यापन, पत्रकारिता, वकालत, रंगमंच, रेडियो, प्रकाशन और स्वतंत्र लेखन का व्यापक अनुभव था । 1936 में पहली पत्नी का निधन हो गया व 1941 में कौशल्याजी से दूसरा विवाह किया ।

उर्दू में ‘जुदाई की शाम का गीत’, ‘नवरत्न’, व ‘औरत की फितरत’ संग्रह प्रकाशित हुए हैं । अश्कजी ने आठ नाटक, अनेक एकांकी, सात उपन्यास, दौ सौ से भी अधिक कहानियाँ, अनेक संस्मरण लिखे ।

आपके उपन्यास ‘सितारों के खेल’, ‘गिरती दीवारे’, ‘गर्म राख’, ‘पत्थर अल पत्थर’, ‘शहर में घूमता आईना’, ‘एक नन्ही कंदील’, ‘बड़ी-बड़ी आँखे’ चर्चित रहे ।

9. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) कबीर के अनुसार सज्जन किसके समान है ?
उत्तर:
सोना

2) समता शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
समता शब्द का अर्थ समानता या बराबरी है ।

3) किस काव्य केलिए पंत जी को ज्ञान पीठ पुरस्कार मिला ?
उत्तर:
‘चिदम्बरा’ काव्य केलिए पंत जी को ज्ञान पीठ पुरस्कार मिला ।

4) पावस ऋतु में कौन बोलने लगते है ?
उत्तर:
मेंढ़क |

5) दान – बल कविता के कवि कौन है ?
उत्तर:
श्री रामधारी सिंह दिनकर ।

10. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) सेठजी का व्यवहार कैसा है ?
उत्तर:
धोखेबाज |

2) कौन डॉक्टर बनना चाहती थी ?
उत्तर:
चंद्रा ।

3) लेखिका लिखते समय गिल्लू को कहाँ बंद करके रखता था ?
उत्तर:
लिफाफे में ।

4) बतुकम्मा विशेषकर किसका त्योहार है ?
उत्तर:
स्त्रियों ।

5) परसाई जी के अनुसार इंतजार से क्या बढ़ता है ?
उत्तर:
इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।

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खंड – ‘ख’
(40 अंक)

11. निम्नलिखित गद्यांश पढ़ित । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए । 5 × 1 = 5

यह नितांत एक मूर्खता है कि हम प्रगति के नाम पर अपने वनों को नष्ट कर रहे हैं और पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रहे हैं । व्यापक स्तर की दूरगामी योजनाओं के अभाव में शहरीकरण ने अनेक शहरी तथा उपशहरी क्षेत्रों को व्यावसायिक जंगलों में बदल दिया है । जमीन के इस गलत उपयोग का एक गंभीर परिणाम है विभिन्न प्रकार के जीवों की समाप्ति | शहरों की वृद्धि कृषि के प्रसार, बाधों के निर्माण तथा वनों के विनाश से जंगली जीवों के आवास नष्ट हुए है । जीवों की बहुत सी प्रजातियों और उपप्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है |

प्रश्न :
1) वनों को काटना कैसा काम है ?
उत्तर:
वनों को काटना मूर्खता वाला काम है ।

2) यहाँ किस संतुलन के बारे में चर्चा हो रही है ?
उत्तर:
यहाँ पारिस्थितिक संतुलन के बारे में चर्चा हो रही है ।

3) किसके गलत उपयोग से गंभीर परिणाम होते हैं ?
उत्तर:
जमीनों के गलत उपयोग से गंभीर परिणाम होते हैं ।

4) किनके आवास नष्ट हुए हैं ?
उत्तर:
जंगली जीवों के आवास नष्ट हुए हैं ।

5) इस अनुच्छेद के लेखक का नाम क्या है ?
उत्तर:
इस अनुच्छेद के लेखक का नाम एन मणिवासकम है ।

12. सूचना के अनुसार लिखिए । 8 × 1 = 8

(12.1 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

(1) अल्पज्ञ
(2) आरोह
(3) जीवन
(4) तीक्षण
(5) नरक
(6) भाव
उत्तर:
(1) अल्पज्ञ × सर्वज्ञ
(2) आरोह × अवरोह
(3) जीवन × मरण
(4) तीक्षण × कुंठित
(5) नरक × सवर्ग
(6) भाव × अभाव

(12.2 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए |

(1) अन्नति
(2) किरण
(3) असुर
(4) आदमी
(5) अंधेरा
(6) अलि
उत्तर:
(1) अन्नति = प्रगति, विकास, उत्थान, उत्कर्ष ।
(2) किरण = कर, मरीचि, रश्मि, अंशु |
(3) असुर = राक्षस, दानव, दैत्य, निशाचर ।
(4) आदमी = मनुष्य, मानव, जन, ईसान |
(5) अंधेरा = अंधकार, तम, तिमिर, तमिस ।
(6) अलि = भौंरा, भ्रमर, मधुय, मधुकर ।

13. किन्हीं आठ ( 8 ) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए | 8 × 1 = 8
(1) आधीन
(2) नदीयाँ
(3) बिमार
(4) आंख
(5) पांचवाँ
(6) छटांक
(7) सृष्टी
(8) शुन्य
(9) देहिक
(10) गड़ना
उत्तर:
(1) आधीन – अधीन
(2) नदीयाँ – नदियाँ
(3) बिमार – बीमार
(4) आंख – आँख
(5) पांचवाँ – पाँचवा
(6) छटांक – छटाँक
(7) सृष्टी – सृष्टि
(8) शुन्य – शून्य
(9) देहिक – दैहिक
(10) गड़ना – गणना
(11) चरन – चरण
(12) दर्पन – दर्पण

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14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए । 8 × 1 = 8

1) रमेश ………………. बेटी बीमार है । (की / का)
2) ……………….. ! (वाह / बाह) कितना सुंदर दृश्य है ।
3) मैं तुम …………………. (पर / से) बडा हूँ |
4) डाल ……………….. (पर / में) चिडिया बैठी है ।
5) सोमू ………………. (की / को) पुस्तक चाहिए ।
6) छत …………………. (केलएि | पर) पंखा लटका है ।
7) मैं भारत ………………… (का / की) निवासी हूँ ।
8) आशा ………………. (में / ने) गीत गाया |
उत्तर:
1) रमेश की बेटी बीमार है ।
2) वाह ! कितना सुंदर दृश्य है ।
3) मैं तुम से बडा हूँ ।
4) डाल पर चिडिया बैठी है ।
5) सोमू को पुस्तक चाहिए ।
6) छत पर पंखा लटका है ।
7) मैं भारत का निवासी हूँ ।
8) आशा ने गीत गाया ।

15. निर्देश के अनुसार छः (6) वाक्यों को शुद्ध कीजिए । 6 × 1 = 6

1) वह सबसे श्रेष्ठतम है । (वाक्य शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
वह सबसे श्रेष्ठ है ।

2) राम निडर लडका है । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ?)
उत्तर:
नि

3) डाँ. चंद्रा कमजोर नही थी । (वर्तमान काल में लिखिए ।)
उत्तर:
डाँ. चंद्रा कमजोर नही है ।

4) शेर मांसाहारी जानवर है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
शेरनी मांसहारिणी जानवर है ।

5) गरम पुडी खाओ । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
गरम पूडियाँ खाओ |

6) मेरे को कुछ ना बोलो । (वाक्य शुद्ध कीजिए 1)
उत्तर:
मुझ से कुछ ना बोलो ।

7) राम ने अमुचित काम किया । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
अवचित ।

8) वे मैदान में खेलते हैं । (भविष्यत काल में लिखिए ।)
उत्तर:
वे मैदान में खेलेंगे ।

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16. किन्हीं पाँच (5) वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए । 5 × 1 = 5

1) I have a pen.
उत्तर:
मेरे पास कलम है ।

2) We should be good citizens.
उत्तर:
हमें अच्छा नागरिक बनना चाहिए ।

3) Study for two hours everyday.
उत्तर:
रोज दो घंटे पढा करो ।

4) I prefer cricket to football.
उत्तर:
मैं फुटबाल से क्रिकेट को अधिक पसंद करता हूँ ।

5) Iam memorising the lesson.
उत्तर:
मैं पाठ याद कर रही हूँ ।

6) I have got my haircut.
उत्तर:
मैं ने अपने बाल कटवायें है ।

7) Please come here.
उत्तर:
आप यहाँ आइए ।

8) Boys went to school.
उत्तर:
लडके स्कूल गये ।

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