TS 10th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material रचना निबंध-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

TS 10th Class Hindi Rachana निबंध-लेखन

निबंध कैसे लिखें?

निबंध एक ऐसी गद्य रचना है जिसका प्रतिपादन सीमित आकार में पूरी स्वच्छन्दता एवं सजीवता से किया जाता है। इसका क्षेत्र बहुत विस्तृत है। जब कोई मनुष्य किसी घटना, वस्तु अथवा विचार का वर्णन रुचिकर ढंग से करता है, उसे निबंध कहते हैं।

निबंध में जिस विषय का वर्णन किया जाये उसमें एकसूत्रता. तथा क्रमबद्धता होनी चाहिए।इसमें लेखक के विचारों का स्पष्ट प्रतिपादन होना आवश्यक है, तभी लेखक की रचना प्रभावोत्पादक एवं रुचिकर बन पायेगी। निबंध में भाषा – चयन, वाक्य – विन्यास, अनुच्छेद, शब्द – चयन और शैली रुचिकर होनी चाहिए। निबंध की भाषा विषयानुकूल, सरल, सुबोध तथा प्रवाहमय होनी चाहिए। इसके सभी अनुच्छेदों का मुख्य विषय से संबंध किसी न किसी रूप में अवश्य बना रहना चाहिए।

लेखक के विचार निबंध के प्राण होते हैं तथा भाषा और शैली इसके शरीर माने जाते हैं। निबंध कई प्रकार के होते हैं। –

  • किसी वस्तु, स्थान, घटना का.रुचिपूर्ण ढंग से वर्णन किया जाता है।
  • किसी व्यक्ति के जीवन का संक्षेप में प्रभावशाली रूप में वर्णन किया जाता है।
  • कुछ गंभीर विषयों का तर्क – वितर्क द्वारा सूक्ष्म विश्लेषण किया जाता है।
  • किसी घटना, प्रदर्शनी, मैच आदि का विवरण प्रस्तुत किया जाता है।
  • कुछ निबंध ऐसे होते हैं जिनमें लेखक की भावुकता विशेष रूप से झलकती है।

TS 10th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

వ్యాసమెలా వ్రాయాలి ?

“విషయ ప్రతిపాదన క్లుప్తంగా, పూర్తి స్వేచ్ఛతో చేసే, జీవంతో కూడిన గద్యరచనే వ్యాసము” దీని స్థానం వ్యాపకమైనది. ఏ మనిషైనా ఏదేని ఘటన, వస్తువు. అభిప్రాయమును చేయు ఆకర్షణీయ వర్ణనను వ్యాసము అందురు.
వ్యాసములో వర్ణించబడు విషయము ఒక పద్ధతిలో, క్రమానుసారం ఉండవలెను. ఇందులో వ్యాసకర్త అభిప్రాయముల వ్యక్తీకరణ స్పష్టంగా ఉండాలి. అప్పుడే అతని రచన ప్రభావమును కలిగించునదిగనూ, ఆసక్తికరంగా ఉంటుంది.
వ్యాసములో భాషాపటిమ, వాక్యనిర్మాణము, విషయ విభజన, శబ్దక్రమము, శైలి ఆకర్షణీయంగా ఉండాలి.
వ్యాసము యొక్క భాష విషయముననుసరించి సరళంగా, అర్థవంతంగా, ప్రవాహమయంగా ఉండాలి. దీని అన్ని పేరాల సంబంధం ముఖ్య విషయముతో ఏదో ఒక రూపంగా ఏర్పడి ఉండాలి.
వ్యాసకర్త అభిప్రాయాలు వ్యాసానికి ప్రాణం అవుతాయి. భాషా. శైలి దాని శరీరంగా భావించబడతాయి. వ్యాసాలు అనేక
రకములుగా ఉంటాయి.
ఏదేని వస్తువు, ప్రదేశము, ఘటన ఆసక్తికర పద్ధతిలో వర్ణించబడుతుంది.
ఒక వ్యక్తి జీవితాన్ని సంక్షిప్తంగా, ప్రభావోత్పాదకంగా వర్ణించబడుతుంది.
కొన్ని గంభీర విషయాల సూక్ష్మ విశ్లేషణ వాదోపవాదముల ద్వారా చేయబడుతుంది. ఏదేని సంఘటన, ప్రదర్శనశాల, మేచ్ వివరణ పొందుపరచబడుతుంది.
“వ్యాసకర్త యొక్క భావుకత్వము ప్రత్యేకంగా ప్రతిబింబించునట్టివిగా కొన్ని వ్యాసాలు ఉంటాయి.

1. राष्ट्रंभाषा हिंदी का महत्व

राष्ट्रभाषा हिदी का महत्व : यह हम सभी जानते हैं कि अनुच्छेद 343 (1) के तहत हिन्दी को 14 सितंबर, 1949 को राजभाषा के रूप में गौरवान्त किया है। तब से हम हर वर्ष से 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाते हैं।
भारत के अलग – अलग प्रांतों में अलग – अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। हमें भारत के सभी प्रातों से जुडने के लिए एक भाषा की आवश्यकता होती है। सारे भारतवासी जानते हैं कि वैसी भाषा हिन्दी है जो सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बॉधती है। आज केवल न भारत में बल्कि भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यामार, भूटान, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, दक्षिण अफ्रिका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कत्तर, सौदी अरब गणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान मॉरिशस, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में हिन्दी की मॉग बढती ही जा रही है। विदेशों में भी हिन्दी की रचनाएँ लिखी जा रही है। ज़समें वहाँ के साहित्यकारों का भी विशेष योगदान है। विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार का भी विशेष योगदान है। विदेश भारतीयों से आपसी व्यवहार करने के लिए वंहाँ के लोग भी हिन्दी सीख रहे हैं। इस तरह हिन्दी की माँग विश्व भर में बढती जा रही है। इसलिए विदेशी संस्थाएँ भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में जुट गई है।

पाँच नारे :

  1. हिंदी है देश की भाषा, हिंदी सबसे उत्तम भाषा।
  2. हिंदी का सम्मान, राष्ट्र का सम्मान।
  3. हिंदी जोड़ने वाली भाषा है, तोड़ने वाली नहीं।
  4. हिंदी हमारी शान है, देश का मान है।
  5. हिंदी देश है हमारा, हिंदुस्तान है हमारा।

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2. खेलों का महत्य

भूमिका : स्वसंथ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। स्वर्थ शरीर के लिए खेलकूद की ज़रूरत है। हमारे गाँवों में बचे कबड्डी खेलते हैं। इस खेल के लिए पैसों का खर्चा नहीं होता। इसके अतिरिक्त इसे खेलने से अच्छा व्यायाम होता है। आजकल क्रिकेट लोकप्रिय खेल है। इसी प्रकार हॉकी, फुटबॉल, वालीबॉल आदि खेले जाते हैं। ये खर्चीले हैं। हाईजम्प, लान्ग जम्प, दौड़ना आदि से भी अच्छा व्यायाम होता है।

खेलकूद से अनेक लाभ हैं :

  1. सहयोग की भावना बढ़ती है।
  2. आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
  3. अनुशासन की वृद्धि होती है।
  4. कर्तव्य-भावना बढ़ती है।
  5. स्वारथ्य लाभ होता है।
  6. मनोरंजन होता है।

इसलिए विद्यार्थियों को खेलकूद में भाग लेना चाहिए। खासकर पाठशाला में खेलों का अधिक महत्व होता है।

उपसंहार : खेल सारी दुनियाँ में व्याप्त हो गये हैं। इनसे तन्दुरुस्ती के साथ सुख जीवन संभव है। बच्चों को इसका महत्व जानकर तरह-तरह के खेल खेंलने चाहिए। आज कल अच्छे खिलाडियों को इज्जत के साथ धन भी प्राप्त हो रहा है। इन सभी कारणों से हमारे जीवन में खेलकूद का अत्यंत महत्व होता है।

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3. पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका

पर्यावरण का अर्थ है वातावरण। पर्यावरण हर प्राणी का रक्षाकवच है। पर्यावरंण के संतुलन से मानव का स्वारथ्य अच्छा रहता है। विश्व भर की प्राणियों के जीवन पर्यावरण की रिथति पर निर्भर रहते हैं। आजकल ऐसा महत्वपूर्ण पर्यावरण बिगडता जा रहा है। पर्यावरण में भूमि, वायु, जल, ध्वनि न्रामक चार प्रकार के प्रदूषण फैल रहे हैं। इन प्रदूषणों के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगडता जा रहा है। भूमि पर रहनेवाली हर प्राणी को जीने प्राणवायु (आक्सिजन) की आवश्यकता होती है। यह प्राणवायु हमें पेड – पौधों के हरे – भरे पत्तों से ही मिलता है। इन दिनों पेड – पौधों को बेफ़िक्र काट रहे हैं। वास्तव में पेड – पौधे ही पर्यावरण को संतुलन रखने में काम आते हैं। ऐसे. पेड – पौधों को काटने से पर्यावरण का संतुलन तेज़ी से बिगडता जा रहा है। हमारे चारों ओर के कल – कारखानों से धुआँ निकलता है। इससे वायु प्रदूषण बढ रहा है। कूडे – कचरे को नदी – नालों में बहां देने से जल प्रदूषण हो रहा है। वायु – जल प्रदूषणों के कारण कई बीमारियाँ फैल रही हैं। पर्यावरण संरक्षण सब की जिम्मेदारी है। विशेषकर छात्रों की। क्योंकि, आज का बालक कल का नागरिक है।
पर्यावरण संरक्षण में छात्रों को –

  • अपने प्राकृतिक संसाधनों पर ध्यान ‘देना है।
  • अधिक से अधिक पेड लगना है। पर्यावरण के प्रति जागंरुक होना है।
  • प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में कार्य करना है। स्कूल और कालेजों में इको – क्लब होना है।
  • अनुपयोगी पदार्थ प्रबंधन, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील और जागरुक बनाना है।
  • पटाखे न जलाना, प्लास्टिक बैग का इसमाल न करना है।
  • जल और बिजली संरक्षण का संदेश जन – जन तक पहूँचाना है।
  • पर्यावरण प्रशंसा पाठ्यक्रम पर बल देना।
  • पुरानी पुस्तकें पुस्त्रकालयों और ज़रूरत मंद लोगों को भेंट करना।
  • हर प्रकार की जल बचत करना। पेयजल स्त्रोतों के आस पास सफाई रखना।
  • ईधध का उपयोग कम करना। सौर उपकरणों का उपयोग करके ऊर्जा संसाधन बचाना।
  • जंगली जीव – जंतुओं की सुरक्षा करना।

4. बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ एक नई योजना है। जो देश की बेटियों के लिए चलायी गयी है। बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ योजना का उद्धोष ख्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत हरियाणा में किया। भारत देश में जन संख्या तो बडी तादात में फैल रही है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस बढ़ती हुई जनसंख्या में लडकियों का अनुपात कम होता जा रहा है। वर्ष 2001 में की गयी गणना के अनुसार प्रति 1000 लडकों में 927 लडकियाँ थी जो आंकडागिरकर 2011 में 918 हो गया।

आधुनिकीकरण के साथ – साथ जहाँ विचारों में भी आधुनिकता आनी चाहिए वहाँ इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। आगर इसी तरह वर्ष दर वर्ष लडकियों की संख्या होती रही तो एक दिन देश अपने आप ही नष्ट होने की स्थितिं में होगा।
कन्या भूण हत्या को रोकना, बेटियों की सुरक्षा के लिए इस योजना को शुरु किया गया है। आये दिन छेङ-छाड बलात्कार जैसे घिनौने अपराध बढ़ रहे हैं। इनको भी नियंत्रित करने हेतु इस योजना को शुरु किया गया है।

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5. राष्ट्रीय एकता

प्रस्तावना : किसी भी देश की उन्नति के लिए देश में बसे रहे नागरिकों में राष्ट्रीय एकता की भावना कूट कूटकर भरी होनी चाहिए। राष्ट्रीय एकता का मतलब यह है कि भारत के अलग – अलग जगहों में रहनेवाले और अलग – अलग धर्मों का अनुसरण करनेवाले लोग आपस में मिलजुलकर रहना।

विषय विस्तार : किसी देश में या वहाँ के लोगों में राष्ट्रीय एकता की कमी होगी तो लोगों के बीच सहयोग की भावना नहीं रहेगी। सभी लोग एक-दूसरे से लडडेंगे, भ्रष्टाचार कर्ंगे और एक-दूसरे का नुकसान करने में लगे रहेंगे। इससे लोगों को ही नहीं। देश को भी नुकसान होगा। जब लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता की भावना होगी तो वह एक-दूसरे का सम्मान करेंगे और लोग मिलकर काम करेंगे और एक-दूसरे की मदद भी करेंगे।

राष्ट्रीय एकता से लाभ : राष्ट्रीय एकता की वजह से ही गरीब लोगों को अच्छी शिक्षां और विभिन्न तरह का मदद मिल सकता है। इसके कारण पूरे समाज का विकास हो सकता है। राष्ट्रीय एकता के कारण देश के हर क्षेत्र में विकास संभव है। अगर राष्ट्रीय एकता मजबूत हो तो देश के सारे संसाधन राष्ट्रीय विकास की ओर लगेगा। लोगों के बीच सम्मान की भावना बढ़ेगी और एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना बढ़ेगी। हमारे देश में भारत की लोह पुरुष कहे जानेवाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

सरदार वक्लभ भाई पटेल द्वारा देश को हमेशा एकजुट करने के लिए अनेक प्रयास किये गये। इन्हीं के कार्यों को याद करते हुये उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया।

उपसंहार : अनेकता में एकता यही भारत की विशेषता है। ‘अमरावती हो या अमृतसर सारा देश अपना घर” मानकर “भिन्न भाषा, भिन्न वेश-भारत हमारा एक देश” कहते हुये देश की एकता के लिए हम सब को मिलकर काम करना जरूरी है।

6. इंटरनेंट से लाभ – हानि

भूमिका : आज का युग विज्ञान का युंग है। वैज्ञानिक उपलब्धियों ने मानव जीवन को एक नयी दिशा प्रदान की है। इंटरनेट संचार का सबसे सरल, तेज़ और सस्ता माध्यम है। कम्प्यूटर के आविष्कार के कारण ही इंटरनेट अस्तित्व में आया। इसका प्रयोग साफ्टवेर माध्यम से किया जाता है। इसका जन्म दाता अमेरिका माना जाता है। इंटरनेट टेलीफोन की लाइनों, उप्रहों और प्रकाशकीय केबुल द्वारा कम्प्यूटर से जुडा होता है। इसके द्वारा विश्व का समस्त जानकारी एक जगह से दूसरी पढी जा सकती है। इसकी विशेषताओं के कारण ही इसका प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ रहा है।

विशेषता : इंटरनेट तो ज्ञान का अतुलनीय भंडार है। इंटरनेट में संदेश ई – मेल के मांध्यम से भेजा जाता है। इसमें विभिन्न लिखित पत्र, चित्र आदि होते हैं। सूचनाएँ एकत्र करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। आज हम “इंटरनेट के माध्यम से हजारों वेब साईट देख सकते हैं।

लाभ : इंटरनेट पर बहुत संभावनाएँ उपलब्ध हैं। ख़ासकर छात्रों के लिए यह बहुत आवश्यक है। किसी भी क्षेत्र से जुडी आवश्यक जानकारी यहाँ से प्राप्तं होती है। विभिन्न देशों में फैले अपने कार्यालयों का संज्ञालन एक ही जगह पर इंटरनेट के माध्यम से किया जा सकता है। इंटरनेट असीम सूचनाओं का भंडार, सस्ता, शीघ्रता से पहुँचनेवाला है और मनोरंजन से भरपूर है। नौकरियों की भी बहुत अच्छी संभावनाएँ इसमें मौजूद हैं।

हानि : कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा इंटरनेट का दुरूपयोग किया जा रहा है। कुछ लोग वायरस के द्वारा महत्वपूर्ण वेबसाइटों को नुकसान पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। कम्प्यूटर को हेक करके महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। कई हेकरों द्वारा बैंकों में सेंघ लगाई जाती है। यह देश की अर्थ व्यवर्था और – उसकी सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इस तरह के अपराधिक मामलों को निबटाने विभिन्न देश कार्यरत हैं।

उपसंहार : कुछ साइबर क्रमों के होने पर भी इंटरनेट का महत्व घटता नहीं.जा सकता है। आज के युग की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है यह भारत में इसका प्रचार – प्रसार तीव्र गति से बढ रहा है।

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7. मोबाइल फ़ोन

आजकल के यान्त्रिक युग में मानव को सुख – सुविधा प्रदान करनेवाले अनेक साधनों में ‘मोबाइल फ़ोन’ प्रमुख है। इसे सेलफ़ोन और हाथ फ़ोन भी बुलाया जाता है। यह बिना तारों के लंबी दूरी का इलेक्ट्रानिक उपकरण है। इसके जरिये विश्व के जिस देश में या प्रांत में स्थित लोगों से जब चाहे तब बोलने की सुविधा है। इसे विशेष स्टेशनों के नेटवर्क के आधार पर मोबाइलविशेष आवाज़ या डेटा संचार के लिए उपयोग करते हैं। वर्तमान. मोबाइल फ़ोन में एस. एम.एस. इंटरनेट, रोमिंग, ब्लूटूथ, कैमरा, तस्वीरें, वीडियो भेजने और प्राप्त करने की अनेक सुविधाएँ हैं।

हमारे भारत देश में सन् 1985 में दिल्ली में मोबाइल सेवाएँ आरंभ हुई हैं। मोबाइल फ़ोन के आविष्कार से देश और विदेशों की दूरी कम हुयी। यह सभी वर्गों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इससे हमें समय, धन, तथा श्रम की बचत होती है। आपात् स्थिति में यह बहुत काम आनेवाला होता है।

इससे मिलनेवाली सुखिधाएँ

  • हम इसे अपने साथ जहाँ चाहे वहॉँ ले जा सकते हैं। सब आवश्यक खबरें प्राप्त कर सकते हैं।
  • दुर्घटनाओं के होने, पर पुलिस व आंबुलेन्स को तुरंत बुला सकते हैं।
  • इसके ज़रिए मनोविनोद के लिए संगीत, गीत सुन सकते हैं और अनेक खेल खेल सकते हैं।
  • इसमें संगणक और फ़ोन बुक भी होतें हैं।
  • सारे विश्व के लोगों से इंटरनेट द्वारा संबन्ध रख सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं।
  • वीडियो कान्फ़रेन्स कर सकते हैं।
  • दोस्त और परिवारवालों से संपर्क कर सकते हैं।
  • बहुत काम कर सकते हैं। आये ई मेइल्स देख सकते हैं।
  • अपने पॉकेट में रखकर कहीं भी जा सकते हैं।
  • फ़ोन में स्थित कैमरा से चित्र निकाल सकते हैं। और उन्हें तुरंत भेज सकते हैं। असुविधाएँ
  • अनेक सुविधाओं के होने के बावजूद मोबाइल फ़ोन संबंधी अनेक असुविधाएँ भी हैं, वे हैं –
  • मोबाइल फ़ोन कीमती होते हैं।
  • अधिक समय सुनते रहने से सुनने की शक्ति घटती जाती है।
  • गाडी या मोटर कार आदि चलाते समय इसके उपयोग करने से अनेक दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।
  • बूढे और बडे लोगों के लिए इस्तेमाल करने में धिक्कत हो सकती है।
  • मित्रों व परिवार के सदस्यों के साथ बातें ‘करते ही रहने से अनेक आवश्यक काम बिगड सकते हैं।
  • कुर्ते और पतलून के पॉकेटों में रखने से रोगों के शिकार बनने की संभावना है।

इस तरह हम देखते हैं कि मोबाइल फ़ोन से अनेक सुविधाओं के मिलने पर भी कुछ असुविधाएँ भी है। अतः उसका इस्तेमाल सही रूप से करके अपने आवश्यक मुख्य कार्यों को संपन्न करना हमारा मुख्य कर्तव्य है।

TS 10th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

1. हिन्दी दिवसं (హిందీ దినోత్సవము)

प्रर्तावना : भारत हमारा एक् विशाल और महान देश है। यहाँ अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। ऐसी हालत में जन साधारण को आपस में कार्य करने और एक दूसरे को समझने एक शक्तिशाली भाषा की आवश्यकता है। देश के अधिकांश लोगों से बोली जानेवाली और समृद्ध साहित्यवाली आसान भाषा ही राष्ट्र भाषा बन सकती है। हिन्दी में ये सभी गुण विद्यमान हैं। ख़ासकर हिन्दी साहित्य का करीब एक हजार वर्ष का इतिहास है। सूरदास, तुलसी, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि महान साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से हिन्दी को समृद्ध किया है। महत्व : स्वतंत्र भारत की राष्ट्र भाषा बनने का सौभाग्य हिन्दी को मिला है। यह जनता की सेविका है। सारी जनता को एक सूत्र में बांधने की शक्ति रखती है। सन् 1949 सितंबर 14 से हिन्दी को राष्ट्रभाषा का पद दिया गया। सन्. 1965 से हिन्दी प्रचार के विषय में केंद्रीय और प्रांतीय सरकार दोनों अधिक कार्यरत हैं। हिन्दी एक सजीव भाषा है। इस पर अन्य कई भभाषाओं का गहरा प्रभाव है। खासकर स्वतंत्रता संग्राम के वक्त समूल भारत जाति को एकत्रित करने में हिन्दी का सशक्त योगदान प्रशंसनीय रहा।

भारत में हर साल सितंबर 14 को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। विद्यालयों में हिन्दी दिवस के सिलसिले में गीत, नाटक, निबंध आदि भाषा संबंधी प्रतियोगिताएँ संपन्न की जाती हैं। प्रतियोगिताओं में प्रतिभा दिखानेवाले छात्रों को पुरस्कार दिये जाते हैं। खासकर हिन्दी भाषा की मधुरता का आनंद लेते हैं। हम प्रण करते हैं कि शक्ति भर राष्ट्र भाषा के प्रचार व प्रसार में अपना हाथ बँटाएँगे।

उपसंहार : सभी भारतीय भाषाओं में हिन्दी का महत्व अधिक है। ऐसी महान भाषा की उन्नति और प्रचार में सबको अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।

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2. हरियाली और सफ़ाई (పచ్చదనమ – పరిశుభ్రత)

प्रस्तावना : मानव को जीने के लिये हरियाली और सफ़ाई की अत्यंत आवश्यकता है। हरियाली और सफ़ाई की उपेक्षा करने से मानव का जीवन दु:खमय तथा अस्वर्थ बन सकता है। मानव को स्वस्थ तथा आनंदमय जीवन बिताने के लिए इन दोनों की ओर ध्यान देना चहिए।

विषय विश्लेषण – हरियाली : हरियाली मन को तथा आँखों को सुख पहुँचाती है। हरे-भरे खेत देखने से या हरे-भरे पेड देखने से हम अपने आपको भूल जाते हैं। यह हरियाली देखने के लिए हमको कहीं भी जाना पडता है। मगर कुछ मेहनत करके हम यह हरियाली अपने आसपास भी पा सकते हैं। हम अपने चारों ओर कुछ पेडपौधे लगाकर हरियाली बढा सकते हैं। पहले ही जो पेड-पौधे लग चुके हैं, उनको न काटना चाहिये। धरती को हमेशा हरा-भरा रखना है। यह हरियाली बढाने से हमको आक्सिजन मिलता है। हरियाली बढ़ाने का अर्थ होता है कि पेङ-पौधों को बढाना। इससे इतने लाभ हैं कि हम बता नहीं सकते।

सफ़ाई : सफ़ाई का अर्थ होता है कि स्वच्छता।
सफ़ाई के बारे में सोचते वक्त हमक़ो तन की सफ़ाई के बारे में, घर की सफ़ाई के बारे में तथा आसपास की सफ़ाई के बारे में भी सोचना चाहिए।
तन की सफ़ाई तो हमारे हाथों में है। घर की तथा आसपास की सफ़ाई का प्रभाव हमारे ऊपर पडता है। इसलिये हमें हमेशा घर की तथा आसपास के प्रदेशों को साफ़ रखना है। सफ़ाई का पालन करने के उपायं ये हैं –
1. सबसे पहले गन्दगी न फैलाएँ।
2. फैली हुई गन्दगी को साफ़ करें।
3. कूडा-कचरा जहाँ-तहोँ न फेंकें।
हमारे बुजुर्ग यह बताते हैं कि जहाँ सफ़ाई रहती है वहाँ लक्ष्मी का आगमन होता है।
उपसंहार : इस प्रकार हम इन नियमों का पालन करने से अपनी आयु को बढा सकते हैं।
एक नारा हमको मालूम ही है –
“वृक्षो रक्षति रक्षितः”
“घर की सफ़ाई, सबकी भलाई”‘।

3. बांचन का महत्व (చదువు గొప్పదనము)

प्रस्तावना : वाचन का अर्थ है पठन, पढना, कहना या बताना और प्रतिपादन करना भी। मानव जीवन में इसका अत्यंत महत्व है।

विषय विश्लेषण : आजकल सभी के वाचन मानी पढ़ने की अत्यंत आवश्यकता है। नहीं तो मनुष्य पशु कहलाता है। विद्यार्थी को सदा वाचन का महत्व बढाने का प्रयत्न करना चाहिए। जिसमें वाचन शक्ति अधिक होती है, वह जीवन में आगे बढ सकता है। सभी विषयों में सफलता पा सकता है। महात्मा गाँधी, नेहरू, पटेल, सरोजिनी नायुड़, इन्दिरा गाँधी, एन.टी.आर. आदि महान नेताओं ने अपनी वाचन शक्ति से ही इज्ञत पायी है। सरोजिनी नायुडु को उनकी वाचन शक्ति के कारण ‘भारत कोकिल’ की उपाधि मिली है।

विश्लेषण : विद्यार्थियों को बचपन से ही अपनी वाचन शक्ति को बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए। इस आदत के लिए अच्छे अध्यापकों के पास पढ़ाई करना, चरित्रवान, लोगों से मैत्री करना, माता – पिताओं का कहना मानना, उनके जरिए ज्ञानार्जन को बढ़ाना, सदाचार और आध्यात्मिक चिंतन भी होना चाहिए। खासकर मनुष्यों के गुणों से ही वाचन का महत्व बढ़ता है। मनुष्य के जीवन में इस अपार शक्ति की अत्यंत आवश्यकता है। इससे भनुष्य जीवन के सुख – दु:खों में निर्भयता से आगे बढता है। जहाँ भी जाए इज्ञत पाता है। धन पाता है। जीवन भर सुखी बनता है। दूसरों को सुखी बनाता है।

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4. पशु सुरक्षा का महत्व (పసు రక్షణ గొప్పదనము)

प्रस्तावना : भगवान की सृष्टि में पशुओं का विशेष महत्व है। पशु – पक्षी ही प्रकृति की शोभा बढानेवाले हैं। पशु के द्वारा ही मानव जीवन सुखी होता है। इस कारण पशु – सुरक्षा के महत्व पर अधिक ध्यान देना चाहिए। प्राचीन काल में गोधन या गायों का अत्यंत महत्व है। जिसके पास अधिक गायें होती हैं, वही अधिक धनवान या महान कहलाता है। तब घोडे, बैल, हाथी आदि जानवर सवारी का काम आते थे। अब ये काम यंत्रों की सहायता से संपन्न हो रहे हैं।

विषय विश्लेषण : गाय, बकरी आदि कई पशु दूध देते हैं। दूध से मानव जीवन का पोषण होता है। दूध का मानव जीवन में सर्वश्रेष्ठ स्थान है। इससे कई प्रकार के पदार्थ बनाते हैं। खासकर बचपन में सभी शिशुओं के लिए दूध की अत्य्यंत आवश्यकता है। दूसरा इनके गोबर से खाद बनती है। पैदावर अधिक होती है। अब भी बैल खेत जोतते हैं। मजबूत बैलों से अच्छी खेती होती है। बैल गाडी खींचते हैं। किसानों का अनाज घर और बाजार पहुँचाते हैं। घोडे भी खेती के काम में आते हैं। घोडा गाडी खींचता है। उस पर सवारी करते हैं। बहुत से लोग कई पशुओं का मांस खाते हैं। चमडे से चप्पल और जूते बनाते हैं। कुछ जानवरों से ऊन मिलता है।

उपसंहार : हमारे देश में गाय, बैल, बकरी, भेड, भैस, घोडा, सुअर आदि पशुओं को पालते हैं। लेकिन उनके पालन – पोषण में अधिक श्रद्धा नहीं दिखाते हैं। उनको चाहिए कि पशु सुरक्षा के महत्व पर अधिक ध्यान दें। उनको पोष्ठिक आहार दें। उनके रोगों की चिकित्सा करवाऍँ। रहने. खाने – पीने आदि विषय में सफ़ाई का ध्यान दें। पहले से ही पशुओं की संतान पर अधिक ध्यान देने से मानव को बहुत लाभ होता है। इनसे खूब व्यापार होता है। सभी पशु मानव जीवन में अत्यंत उपयोगी हैं। वे मानव के मित्र कहलाते हैं!

5. वृक्ष हमारे साथी (వృక్షాలు మన మిత్రులు)

प्रस्तावना : वृक्ष या पेड हमारे साथी हैं। जीवन की राह में वे हमारी मदद करते ही रहते हैं। वे न केवल हमारे साथी हैं, बल्कि पशु पक्षी के भी साथी हैं। वृक्ष महान होते हैं। उन्हीं के नीचे सिद्धार्थ ने ज्ञान प्राप्त कर लिया है। वे मानव समाज के अनादि से मित्र हैं। प्रकृति की शोभा इनसे ही बढती है। वृक्ष हमारे साथी हैं। वे सदा हमें अपनी छाया प्रदान कर ये लाभ पहुँचाते हैं। मानव को फूल-फल और छाया देते हैं। इंधन देते है। अनेक प्रकार की उपयोगी चीज़ें इनसे मिलती हैं।

विश्लेषण : जैसे दरवाजें, कुर्सियों, गाडियाँ इत्यादि। अपनी हरियाली से पर्यावरण को संतुलित रखते हैं। प्राणवायु प्रदान करते हैं। गृह निर्माण में काम आते हैं।

उपसंहार : हमें वृक्षारोपण कर पर्यावरण को बनाये रखना चाहिए। वृक्षों का संरक्षण करना चाहिए। वृक्षों की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि वे हमारे साथी हैं। हम इनकी रक्षा करें तो वे हमारी रक्षा करेंगे।

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6. यदि मैं प्रधानमंत्री होता (నేనే ప్రధాన మంత్రినైతే)

प्रस्तावना : प्रधानमंत्री का पद एक साधारण पद नहीं है! यह देश का शासन चलाने का प्रधान और मुख्य पद है। लोकसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी का नेता हमारे देश का प्रधानमंत्री बनता है।
उद्देश्य : यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो उस पंद के द्वारा देश और समाज का काया पलट देना चाहूँगा। मेरे सामने कई सपने है। उनके लिए एक प्रणाली तैयार करके, उसके अनुसार काम करते हुए, समाज़ में उन्नति लाऊँगा। विषय : आज हमारें देश में भाषा भेद, जाति भेद, वर्ग भेद, प्रान्त भेद आदि फैल रहे हैं। पहले इनको दूर करके सबके दिलों में “भारत एक है” – इस भावना को जगाने की कोशिश करूंगा। देश को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से आगे ले जाने की कोशिश करूँगा।

किसानों को साक्षर बनाऊँगा। उन्हें सस्ते दामों में बीज, उपकरण आदि पहुँचाऊँगा। सहकारी समितियाँ बनाकर, उनसे कम सूद में ऋण प्राप्त करने की व्यवस्था करूँगा। अनेक मिल, कारखानों का निर्माण करके, जो बेरोज़गारी हैं, उसे दूर करने का प्रयत्न करूँगा।

स्कूलो, कॉलेजों और विश्व विद्यालयों की संख्या बढ़ाकर, देश के सब लडके – लडकियों को साक्षर बनाऊँगा।
गाँवों को जोडने के लिए पक्की सडकें बनाऊँगा। गाँव की उन्नति के लिए आवश्यक योजनाएँ बनाकर, उनको अमल करूँगा। गाँवों की उन्नति में ही देश की उन्नति निर्भर है।

नदियों पर बाँध बनाकर, उनका पानी पूरी तरह उपयोग में लाऊँगा। समाज में जो भेद भाव हैं, उनको दूर करूँगा। आसपास के देशों से मित्रता भाव बढाऊँगा। विश्व के प्रमुख देशों की कतार में भारत को भी बिठाने की कोशिश करूंगा। मैं अपने तन, मन, धन से देश को प्रगति के पथ पर ले’जाने की कोशिश करूँगा, लोगों ने मुझ पर जो जिम्मेदारी रखी है, उसको सुचारू रूप से निभाऊँगा।

उपसंहार : प्रधानमंत्री बनना सामान्य विषय नहीं है, अगर में प्रधानमंत्री बना तो ये सभी कार्य करूँगा।

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7. विद्यार्थी और अनुशासन (విద్యార్థులు క్రమశిక్షణ)

प्रस्तावना : मानव जीवन में अनुशासन का महत्व अत्यधिक है। नियम पालन को अनुशासन कहते हैं। जीवन में विद्यार्थी दशा का महत्व अत्यधिक है। इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन. का महत्व भी अत्यधिक है।

विषय विश्लेषण : हरेक क्षेत्र में कायदे से नियमों का पालन करना ही अनुशासन माना जाता है। पाठशाला में गुरुजनों की आज्ञाओं का पालन, घर में बडे – बूढों की आज्ञाओं का पालन आदि अनुशासन ही है। अनुशासन मानने से ये लाभ होते हैं –
अनुशासन से विद्यार्थी में कर्तव्य का पालन करना,समय का सदुपयोग करना, सत्यप्रियता, प्रेम, परोपकार, आदि उत्तम गुण पनपते हैं।

  1. जीवन में एक प्रकार की व्यवस्था आती है।
  2. परीक्षाओं में सफ़लता आसानी से मिलती है।
  3. अनेक अच्छे गुणों का विकास होता है।
  4. अपना काम सुचारू रूप से कर सकते हैं।

अनुशासन : विद्यार्थी जीवन का प्राण है। अनुशासन हीन विद्यार्थी कभी सच्चा नागरिक नहीं बन सकता। आजकल विद्यार्थियों में अनुशासन हीनता ज्यादा दिखायी पडती है। इसके कई कारण हैं।

  1. पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव
  2. नशीले पदार्थों का सेवन
  3. माँ – बाफ की निगरानी का कम होना
  4. अध्यापकों में बढ़ती अनुशासनहीनता
  5. सिनेमाओं में दिखाये जानेवाले चोरी, डकैती, बलात्कार आदि दृश्यों का प्रभाव
  6. सहशिक्षा

उपसंहार : जो विद्यार्थी अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहता है। उसे उपरोक्त बातों से दूर रहना चाहिए। बिना अनुशासन के जीवन में सफ़लता पाना असंभव की बात है। आज के विद्यार्थी कल के नागरिक ही नहीं बल्कि नेता भी हैं। जो विद्यार्थी अनुशासन का पालन करता है, सफ़लता ज़रूर उसको मिलेगी। केवल व्विद्यार्थी ही नहीं, मानव जीवन में अनुशासन का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

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8. कंप्यूटर-युग (కంప్యూటర్ యుగము)

प्रस्तावना : यह विज्ञान का युग है। कुछ वर्ष पहले संसार के सामने एक नया आविष्कार आया उसे अंग्रेज़ी में कम्प्यूटर और हिन्दी में संगणक कहते हैं।

भूमिका (लाभ) : आज के युग को हम कम्प्यूटर युंग कह सकते हैं। आजकल हर क्षेत्र में इसका जोरदार उपयोग और प्रयोग हो रहा है। चाहे व्यापारिक क्षेत्र हो, राजनैतिक क्षेत्र हो, यहाँ तक कि विद्या, वैद्य और संशोधन के क्षेत्र में भी ये बडे सहायकारी हो गये हैं। इसे हिन्दी में “संगणक” कहते हैं। गणना, गुणना आदि यह आसानी से कर सकता है। मनुष्य की बोद्धिक शक्ति की बचत के लिए इसका निर्माण हुआ है। आधुनिक कम्प्यूटर के निर्माण में चार्लस बाबेज और डॉ. होवर्ड एकन का नाम मशहूर हैं।

विषय प्रवेश : परीक्षा पत्र तैयार करना, उनकी जाँच करना – इसके सहारे आजकल पूरा किया जा रहा है। जिस काम के लिए सैकडों लोग काम करते हैं, उस काम को यह अकेला करं सकता है। हम जिस समस्या का परिष्कार नहीं कर पाते हैं, उसे यह आसानी से सुलझा सकता है।

विश्लेषण : चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसका उपयोग बडे पैमाने पर हो रहा है। इसके द्वारा यह सिद्ध हो गया कि – “सब तरह के काम यह कर सकता है।”

उपसंहार : इसकी प्रगति दिन – ब – दिन हो रही है। रॉकेटों के प्रयोग, खगोल के अनुसंधान में इसके ज़रिये कई प्रयोग हो रहे हैं। यह वैज्ञानिकों के लिए एक वरदान है। हर छात्र को इसका प्रयोग करना सीखना है। इसके द्वारा देश की अभिवृद्धि अवश्य हो सकती है। लेकिन बेरोजगारी बढने की संभावना है।

9. खेलदूद का महत्व (ఆటల యొక్క గొప్పతనం)

भूमिका : स्वरथ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। स्वर्थ शरीर के लिए खेलकूद की ज़रूरत है। हमारे गाँवों में बच्चे कबड्डी खेलते हैं। इस खेल के लिए पैसों का खर्चा नहीं होता। इसके अतिरिक्त इसे खेलने से अच्छा व्यायाम होता है। आजकल क्रिकेट लोकप्रिय खेल है। इसी प्रकार हॉकी, फुटबॉल, वालीबॉल आदि खेले जाते हैं। ये खर्चीले हैं। हाईजम्प, लान्ग जम्प, दौड़ना आदि से भी अच्छा व्यायाम होता है।

खेलकूद से अनेक लाभ हैं :

  1. सहयोग की भावना बढ़ती है।
  2. आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
  3. अनुशास़न की वृद्धि होती है।
  4. कर्तव्य-भावना बढ़ती है।
  5. स्वार्थ्य लाभ होता है।
  6. मनोरंजन होता है।

इसलिए विद्यार्थियों को खेलकूद में भाग लेना चाहिए। खासकर पाठशाला में खेलों का अधिक महत्व होता है।
उपसंहार : खेल सारी दुनियाँ में व्याप्त हो गये हैं। इनसे तन्दुरुस्ती के साथ सुख जीवन संभव है। बच्चों को इसका महत्व जानकर तरह-तरह के खेल खेलने चाहिए। आज कल अच्छे खिलाडियों को इज्जत के साथ धन भी प्राप्त हो रहा है। इन सभी कारणों से हमारे जीवन में खेलकूद का अत्यंत महत्व होता है।

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10. नदियों से लाभ (నదుల వల్ల లాభాలు)

भूमिका : सब प्राणियों के लिए पानी की अत्यंत आवश्यकता है। बिना पानी के कोई जीवित नहीं रह सकता। केवल पीने के लिए ही नहीं मानव के हर एक काम के लिए पानी की अत्यंत आवश्यकता है। इसलिए पानी का अत्यंत महत्व है।

विषय विश्लेषण : खूब वर्षा होने पर बढ़ आती है। साधारणतः नदियाँ पहाडों से निकलकर सेमुद्र में मिल जाती हैं। नदियों से कई प्रयोजन हैं। नदी जहाँ ऊँचे प्रदेश से गिरती है, वहाँ जल प्राप्त का निर्माण होता है। बाँध बनाकर पानी को इकट्टा करके खेतों की सिंचाई करते हैं। वहाँ बिजली उत्पन्न की जाती है। नहरों के द्वारा सभी प्रांतों को पानी पहुँचाया जाता है। नदियों में नावें चलती हैं, जिससे व्यापार होता है। इनमें मछलियाँ मिलती हैं। इनको बहुत लोग खाते हैं। नदी का पानी सब लोग पीते हैं। इसमें स्रान करते हैं। कपडे धोते हैं। गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी आदि भारत की प्रमुख और पवित्र नदियाँ हैं। सभी नदियों पर बाँध बनवाकर करोडों एकड जमीन खेती के काम में लायी गयी है। भारतीय लोग नदियों की पूजा करते हैं। नदियाँ ही सृष्टि में प्रमुख स्थान रखती हैं। सभी प्राणियों और जड – चेतन के लिए आधार – मात्र है।

उपसंहार : नदियाँ केवल मानव के लिए ही उपयोग नहीं, सृष्टि के सभी प्राणियों के लिए जीवनाधार है।

11. एक देखे हुए क्रिकेट मैच का वर्णन (చుసిన క్రికెట్ మ్యాచ్ వర్ణన)

भूमिका : मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है। आजकल क्रिक्रेट विश्व विख्यात है। सब तरह के लोग क्रिकेट मैच देखने और उसकी कामेंट्री सुनने में दिलचस्पी दिखाते हैं। मुझे एक मैच देखने का मौका मिला। मैं उसका वर्णन कर रहा हाँ।

विषयः पिछले साल इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम में एक दिन का क्रिकेंट मैच चला। उसे देखने हज़ारों लोग आयेे थे। मैं भी अपने मित्रों के साथ गया था।

विश्लेषण : ऑस्ट्रेलिया और इंडिया के बीच खेल चला। भोजन विराम तक खेल बहुत अच्छा था। खिलाडी एक से बढकर एक निपुण थे। तेदुंलकर हमारे देश का कप्तान था। उन्होंने सिक्का उछालकर खेल शुरू किया। उन्होंने एक ओवर में बीस रन करके लोगों को चकित कर दिया। पैतीस रन के बाद वे आऊट हुए। द्राविड पूरे चार सिक्सर मारकर आगे बढ़ें। उन्होंने पूरे 50 रन किये। इंडिया ने तीन विकेट खोकरं 215 रन किये।

भोजन विराम के बाद ऑस्ट्रेलिया ने खेल आरंभ किया। शाम के साढे पाँच बजे तक सब आऊट हो गये। वे केवल दो सौ रन कर सके। इसलिए हमारे देश की जीत हुई। मैं आनंद से नाच उठा।

उपसंहार : में भी क्रिकेट को खेल रहा हूँ। इस खेल में अच्छी निपुणता प्राप्त करके कपिलदेव की भाँति अच्छा खिलाडी बनना चाहता हूँ। इस प्रकार देश की ख्याति बढ़ाना चाहता हूँ। इस खेल के द्वारा यश और धन प्राप्त होता है। जीवन सुखमय बन जाता है।

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12. किसी त्यौहार का वर्णन (ఏదేని పండుగ వర్ణన)

भूमिका : दीवाली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। मेरा प्रिय त्यौहार दीवाली है। बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष, धनिकगरीब़ सबके लिए यह प्रिय त्यौहार है। यह पर्व आश्विन अमावास्या को मनाया जाता है।

दीवाली का अर्थ होता है दीपों की पंक्ति। यह वास्तर्य में पाँच त्यौहारों का समूह – रूप है।

विषय : नरक चतुर्दशी के बारे में एक कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में नरकासुर नामक एक राक्षस रहता था। वह बडा दुष्ट था। वह लोगों को बहुत सताता था। लोगों में त्राहि-त्राहि मच गयी। लोगों की प्रार्थना सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने सत्यभामा के साथ नरकासुर पर आक्रमण किया। सत्यभामा ने नरकासुर को मार डाला। इस पर लोगों ने दीप जलाकर अपनी खुशियाँ प्रकट कीं।

विश्लेषण : दीवाली के संबंध में अनेक कथाएँ हैं। एक कथा इस प्रकार है – “रावण-वध के बाद जब राम अयोध्या लौटे तो पुरजनों ने उनके स्वागत में दीवाली का आयोजन किया”। यह बड़ा आनंददायक पर्व है। दीवाली के दिन लोग तडकें उठते हैं। अभ्यंगन स्नान करके नये कपडे पहनते हैं। शाम को दीपों की पूजा और लंक्ष्मी की पूजा करते हैं। बच्चे पटाखें, फुलझडियाँ आदि जलाते हैं। लोग मिठाइयाँ खाते हैं। मारवाडी लोग इस दिन से नये साल का आरंभ मानते हैं। हिन्दु लोग लक्ष्मी की पूजा करते हैं। सभी मंदिर जाते हैं। खासकर व्यापारी लोग अपने पुराने हिसाब ठीक करके नये हिसाब भुरू करते हैं। यह खासकर हिन्दुओं का त्यौहार है। सफ़ाई का त्यौहार है। अन्धकार पर प्रकाश और पाप पर पुण्य की विजय साधना का त्यौहार है।

उपसंहार : यह त्यौहार भारत भर में मनाया जाता है। खासकर यह बच्चों का त्यौहार है। बच्चों के आनंद का ठिकाना नहीं होता है। दीवाली के दिन सर्वत्र प्रसन्नता ही प्रसन्नता दिखाई देती है।

13. उगादि (ఉగాది)

किसी भी जाति का सांस्कृतिक विकास क्रम में उस जाति के पर्व (त्यौहारों) का बहुत बड़ा हाथ रहता है। मनुष्य के सामाजिक व पारिवारिक दैनंदिन ज़ीवन में एकरूपता के कारण सांस्कृतिक चेतना के कुंठित होने की जो संभावना है, उसे रोकने के लिए उसके जीवन में कुछ परिवर्तन अवश्य भावी हैं। सांस्कृतिक चेतना में नयी स्फूर्ति व सजगता लाने के उद्देश्य से समाज में पर्व – त्यौहारों का आयोजन हुआ है, यह मानना उचित ही है।

आन्ध्र प्रदेश के निवासी नववर्षारंभ के दिन को उगादि कहते हैं। “उगादि” शब्द की उत्पत्ति क्या है तथा नवर्षारंभ के दिन को यह नाम कैसे पड़ा है ? – इसका समाधान देना मुश्किल है। यह तो मानी हुई बात है कि बहुत पुराने जमाने से यह आन्ध्रों का प्रमुख व विशिष्ट पर्वदिन रहा है। शायद यह “’युगादि’” शब्द का अपभ्रंश रूप हो सकता है। उगादि – पर्व आन्ध्र जनता के जीवन में बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

आन्ध्रों का नववर्ष चैत्र प्रतिपदा से प्रारंभ होता है तथा फाल्युन कृष्ण अमावास्या को समाप्त होता है। आन्ध्रवास़ी इस उगादि पर्वदिन को अतिपवित्र मानते हैं। उस दिन घर के सब लोग मुँह अंधेरे जाग पड़ते हैं। तेल व उबटन लगाकर गरम पानी से अभ्यंग – स्रान करते हैं। नियमित रूप से उस दिन परिवार के सब लोग नये कपड़े पहनते हैं। पूजा – पाठ आदि के बाद सब लोग नीम के फूलों की चटनी चखते हैं। इस पर्वभोग में छहों रसों का एक विचित्र सम्मिश्रण होता है, जिसे. खाना उगादि पर्व का पहुला व प्रमुख रस्म है।

यों तो उगादि पर्व के शुम अवसर पर कई तरह के मीठे व नमकीन पकवान बनते हैं। पर आन्द्रों के परिवारों में मिष्ठान्न के साथ विशेष तौर पर “बूरेलुल” (मीठी पूड़ियाँ) “बोब्बट्लू”‘ (पुरन पूडियाँ), “बडे”‘ तथा दही बड़े” आदि बनते हैं।

शाम को सी – पुरुष बाल – बच्चों के साथ मंदिरों में जाकर पूजा – पाठ आदि करतें हैं। उसके बाद नये साल के पंचांग का उद्धाटन सभारंभ सम्पन्न होता है। उगादि पर्वदिन का दूसरा प्रमुख रसम नये पंचांग का श्रवण है। लोग सुख – समृद्धि के मधुर स्वप्र देखते उगादि की रात बिताते हैं। इस तरह आँध संसकृति का प्रमुख पर्व उगादि का शुभ दिन देखते – देखते बीत जाता है।

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14. आधुनिक विज्ञान की प्रगति (ఆధునిక విజ్ఞానశాస్త్ర ప్రగతి)

प्रस्तावना : आज का युग विज्ञान का है। विज्ञान ने प्रकृति को जीत लिया है। मानव जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। दिन-ब-दिन विज्ञान में नये-नये आविष्कार हो रहे हैं। इनका सदुपयोग करने से मानव कल्याण होगा। दुर्विनियोग करने से बहुत नष्ट यानी मानव विनाश होगा। विज्ञान से ये लाभ हैं –

  1. मोटर, रेल, जहाज़, हवाई जहाज़ आदि विज्ञान के वरदान हैं। इनकीं सहायता से कुछ ही घंटों में सुदूर प्रांतों को जा सकते हैं।
  2. समाचार पत्र, रेडियो, टेलिविज़न आदि विज्ञान के आविष्कार हैं। ये लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान प्रदान करते हैं।
  3. बिजली हमारे दैनिक जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। बिजली के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  4. बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए आवश्यक आहार पदार्थों की उत्पत्ति में सहायक है।
  5. नित्य जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायकारी है। लोगों के जीवन को सरल तथा सुगम बनाया है।
  6. रोगों को दूर करने के लिए कई प्रकार की दवाओं और अनेक प्रकार के उपकरणों का आविष्कार किया है।
  7. विज्ञान ने अंधों को आँख, बधिरों को कान और गूँगों को ज़बान भी दी है।

विज्ञान से कई नष्ट भी हैं –

1. विज्ञान ने अणुबम, उदजन बम, मेगटन बम आदि अणु अस्त्रों का आविष्कार किया। इनके कारण विश्व में युद्ध और अशांति का वातावरण है।

2. मनुष्य आलसी, तार्किक और ख्वार्थी बन गया है।
उपसंहार : उसका सदुपयोग करेंगे तो वह कल्याणकारी ही होगा। आज दिन-ब-दिन, नये-नये आविष्कार हो रहे हैं। इनसे हमें अत्यंत लाभ है।

15. गणतंत्र दिवस (గణతంత్ర దినోత్సవం (జనవరి 26))

प्रर्तावना : भारत हमारा प्रिय और महान देश है। सन् 1947 अगस्त 15 को हमारा भारत आज़ाद हुआ। मगर उस समय हमारा अपना कोई संविधान नहीं था। संविधान बनाने एक परिषद बनायी गयी। डॉ. अंबेड्कर की अध्यक्षता में एक उपसमिति की नियुक्ति हुयी। उस उपसमिति ने संविध्यन का एक मुसाविदा तैयार किया। फलतः 26 जनवरी 1950 को भारत सर्वसंपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया गया।

उद्देश्य : नये संविधान के द्वारा भारत को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, न्याय विचार की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुयी। तभी से हर साल छब्बीस जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में राष्ट्रपति’मनाया जाता है। उस दिन विद्यालय सरकारी कार्यालय और अन्य संस्थाएँ विशेष आनंदोत्सव मनाते हैं।

देश के प्रमुख नेता लोग भाषण देते हैं। स्वतंत्र भारत प्रगति की विशेषताएँ बतायी जाती हैं। केन्द्र और राज्य सरकारें बडे पैमाने पर गणतंत्र दिवस मनाती हैं। राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति र्राष्ट्रीय झंडा फहराते हैं। जल, थल और वायु सेना के दल राष्ट्रपति की वदंना करते हैं। हर क्षेत्र में उत्तम कार्य करनेवालों को पदक पुरस्कृत किये जाते हैं। विविध सैनिक विन्यास होते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। प्रधानमंत्री सारे विजेताओं को और साझेदारों को शुभकामनाएँ देते हैं।

उस दिन हर राज्य सरकार भी अपनी – अपनी राजधानी में यह गणतंत्र दिवस मनाती है। यहाँ राज्यपाल पताक वंदना करते हैं। इतनां ही नहीं विद्यालयों में भी यह गणतंत्र दिवस खुशी से मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इसे मनाकर हम सब देश की रक्षा करने का प्रण लेते हैं।

“सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दू सिताँ हमाएा”‘
‘सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दू सिताँ हमारा’

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16. व्यायाम या (कसरत) का महत्व (వ్యాయామం యొక్క గొప్పదనం)

प्रस्तावना : महाकवि कालिदास का कथन है – ‘शरीर माद्य खतु धर्म साधतम्’। इसका अर्थ है – धर्म साधन शरीर के द्वारा ही होता है। मानव अनेक सत्कार्य करता रहता है। अतः धार्मिक कार्यक्रमों के लिए सामाजिक सेवा के लिए तथा आत्मोद्धार के लिए शरीर की आवश्यकता बहुत है। अतः हर एक को ख्वस्थ रहने व्यायाम की बडी आवश्यकता है।

उद्देश्य : शरीर के दृढ और स्वस्थ होने पर ही कोई काम कर सकते हैं। शारीरिक स्वास्थ्य के कारण मानसिक उल्लास के साथ आत्मीय आनंद भी प्राप्त होता है। अतः हर एक को ख्वरथ रहने का प्रयत्न करना चाहिए। इसके लिए व्यायाम की बडी ज़रूरत है। व्यायाम के अनेक भेद हैं। विभिन्न प्रकार के योगासन, बैठक, दौडना, घूमना, प्राणायाम, कुश्ती, तैरना आदि सभी व्यायाम के अंतर्गत ही आते हैं। विद्यार्थी जीवन में ही व्यायाम करना बहुत आवश्यक है।

लाभ : व्यायाम से शरीर सदा सक्रिय बना रहता है। रक्त संचार खूब होता है। रक्त के मलिन पदार्थ बाहर चले जाते हैं। पाचन शक्ति बढती है। सारे इंद्रिय अपने – अपने काम ठीक करते रहते हैं। व्यायामशील आदमी आत्मविश्वासी और निडर होकर स्वावलंबी होता है।

नष्ट : व्यायाम तो अनिवार्य रूप से करना है। लेकिन व्यायाम करते समय अपनी आयु का ध्यान रखना चाहिए। व्यक्ति और व्यक्ति में व्यायाम का स्तर बदलता रहता है। इसका ध्यान नहीं है तो लाभ की अपेक्षा नष्ट ही अधिक होगा।

उपसंहार : सब लोगों को व्यायाम प्रिय होना चाहिए। व्यायाम से व्यक्ति स्वर्थ बनकर अपना आयु प्रमाण बढा सकता है। अतः व्यायामशील व्यक्ति का जीवन सदा अच्छा और सुखमय होता है।

17. राष्ट्रभापा हिन्दी (జాతీయ భాష హిందీ)

प्रस्तावना : भारत एक विशाल देश है। इसमें अनेक राज्य हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी प्रादेशिक भाषा होती है। राज्य के अंदर प्रादेशिक भाषा में काम चलता है। परंतु राज्यों के बीच व्यवहार के लिए एक संपर्क भाषा की आवश्यकता है। सारे देश के काम जिस भाषा में चलाये जाते हैं, उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं। राष्ट्रभाषा के ये गुण होते हैं।

  1. वह देश के अधिकांश लोगों से बोली और समझी जाती है।
  2. उंसमें प्राचीन साहित्य होता है।
  3. उसमें देश की सभ्यता और संसककृति झलकती है।

हमारे देश में अनेक प्रादेशिक भाषाएँ हैं। जैसे – हिन्दी, बंगाली, उडिया,, मराठी, तेलुगु, तमिल, कन्नड आदि। इनमें अकेली हिन्दी राष्ट्रभाषा बनने योग्य है। उसे देश के अधिकांश लोग बोलते और समझते हैं। उसमें प्राचीन साहित्य है। तुलसी, सूरदास, जयशंकर प्रसाद जैसे श्रेष्ठ कवियों की रचनाएँ मिलती हैं। उसमें हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति झलकती है। यह संसकृत गर्भित भाषा है। इसी कारण हमारे संविधान में हिन्दी राष्ट्रभाषा बनायी गयी। सरकारी काम – काज हिन्दी में हो रहे हैं। हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है। इस लिपि की यह सुलभ विशेषता है कि – इसमें जो लिखा जाता है वही पढ़ा जाता है।

उपसंहार : भारतीय अखंडता और एकता के लिए हिन्दी का प्रचार और प्रसार अत्यंत अनिवार्य है। हर एक भारतीय को हिन्दी सीखने की अत्यंत आवश्यकता है। इसके द्वारा ही सभी प्रान्तों में एकता बढ सकती है। और आपस में मित्रता भी बढ़ सकती है।

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18. स्वतंत्रता दिवस (స్వాతంత్ర దినోత్సవం)

प्रस्तावना : भारत सैकड़ों वर्ष अंग्रेजों के अधीन में रहा। गाँधीजी, नेहरूज़ी, नेताजी, वस्लुभ भाई पटेलं आदि नेता अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े। उनके अथक परिश्रम से ता 15-08-1947 को भारत आज़ाद हो गया। उस दिन सारे देश में प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।

विषय विश्लेषण : नेहरूजी ने दिल्ली में लाल किले पर ता. 15-08-1947 को राष्ट्रीय झंडा फहराया। उन्होंने जाति को संदेश दिया। स्वतंत्रता समर में मरे हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उस दिन देश के सरकारी कार्यालयों, शिक्षा संस्थाओं और अन्य प्रमुख स्थानों में हमारा राष्ट्रीय झंडा फहराया गया। वंदेमातरम और जनगणमन गीत गाये। सभाओं का आयोजन किया गया। प्रमुख लोगों से भाषण दिये गये। इस तरह के कार्यक्रम आज तक हम मनाते आ रहे हैं।

यह राष्ट्रीय त्यौहार है, क्योंकि इसमें पूरे देश के लोग अपने धर्म, अपनी जाति आदि को भूलकर आनंद के साथ भाग लेते हैं। हर साल अगस्त 15 को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

उपसंहार : हमारे स्कूल में ख्वतंत्रता दिवस बडी धूमधाम से मनाया जाता है। हमारा स्कूल रंग – बिरंगे कागजों से सजाया जाता है। सुबह आठ बजे राष्ट्रीय झंडे की वंदना की जाती है। राष्ट्रीय गीत गाये जाते हैं। हमारे प्रधानाध्यापक स्वतंत्रता दिवस का महत्व बताते हैं। हम अपने नेताओं के त्याग की याद करते हैं। हम अपने राष्ट्रीय झंडे के गौरव की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग करने की प्रतिज्ञा लेते हैं।

19. समाचार पत्र (వార్తాపత్రికలు)

समाचार पत्र आज इतना आवश्यक हो गया है कि इसके बिना कोई देश उन्नति नहीं कर सकता। संसार में कहाँ क्या हो रहा है, इसकी जानकारी हमें समाचार पत्रों के द्वारा मिल़ती है। आज की दुनिया में समाचार पत्र ज्ञान-विज्ञान के प्रचार का बहुत अच्छा साधन बन गया है।

यह जानकर आश्र्र होगा कि आज से दो सौ वर्ष पहले संमाचार पत्र को कोई जानता भी नहीं था। कोई सरकारी सूचना जनता तक पहुँचाने के लिए डुगियाँ बजवाकर जगह-जगह लोगों की भीड़ इकट्ठी की जाती थी। यदि सूचना कहीं दूर की होती तो आदमी द्वारा अथवा पत्र लिखकर भेजते थे। इस प्रकार सूच्नाएँ भिजवाने में कठिनाइयाँ भी बहुत आती थीं और काम भी सुचारु रूप से नहीं होता था।

इस कार्य को सरल बनाने के लिए बहुंत दिनों पहले चीन में इश्तिहार का प्रयोग किया गया। सरकारी सूचनाएँ जनसा तक पहुँचाने के लिए कागज़ के बड़े-बड़े टुकडों पर लिखकर दीवारों पर चिपका दी जाती थीं। धीरे-धीरे छपाई की कला का विकास हुआ। लकड़ी के ठप्पे से छपाई होते-होते सीसे के अक्षर बनने लगे और हाथ से लिखने का काम मशीनों द्वारा होने लगा।

सबसे पहला समाचार पत्र सन् 1806 में जर्मन भाषा में निकला था। उसके पश्चात इंग्लैंड और इटली आदि देशों में समाचार पत्र छपने लगे। आज विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ समाचार पत्र न छपते हों। एक ही रात में कई पृष्ठों का समाचार-पत्र कैसे छपता. है और दूर-दूर के समाचार, लेख और चित्र एकत्र होते रहते हैं, इनकी जानकारी के लिए समाचार-पत्र-कार्यालय और प्रेस देखने जाना चाहिए।

प्रेस में जाकर तुम देखोगे कि देश-विदेश के समाचार भेजने के लिए संवाददाता होते हैं जो वहाँ की घटनाओं को तार, टेलिफ़ोन अथवा डाक के द्वारा भेजते हैं। कई समाचार एजेंसियाँ अपने संवाददाताओं द्वारा समाचार एकत्र करके समाचार पत्रों के कार्यालयों में भेजने का कार्य टेलिप्रिटिरों (दूर मुद्रक मशीन) द्वारा करती हैं।

कार्यालयों में सम्पादक अपने कई सहयोगियों के साथ समाचारों का चयन और सम्पादन करते हैं। उनके शीर्षक लगाते हैं और चित्रों का विवरण देते हैं।

प्रथम पृष्ठ पर मुख्य-मुख्य समाचार होते हैं। व्यापार और खेलकूद के समाचार दूसरे-तीसरे पृष्ठों पर दिये जाते हैं। साथ ही व्यंग्य चित्र और विज्ञापनों के चित्र भी होते हैं, जिससे समाचार-पत्र और भी आकर्षक लगता है। प्रायः सभी समाचार-पत्रों में बच्चों का भी पृष्ठ होता है, जिसमें मनोरंजक कहानियाँ, कविताएँ तथा चुटकुले आदि होते हैं। बच्चों के लिए समाचार भी दिये जाते हैं। कभी-कभी बच्चों के चित्रों के साथ उनके द्वारा लिखी गयी रचनाएँ भी छापी जाती हैं।

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20. पुर्तकालय (గ్రంథాలయం)

प्रस्तावना : पढ़ने के लिए जिस स्थान पर पुस्तकों का संग्रह होता है, उसे पुस्तकालय कहते हैं। भारत में मुम्बई, कलकत्ता , चेन्नै, दिल्ली, हैदाराबाद आदि शहरों में अच्छे पुस्तकालय हैं। तंजाऊर का सरस्वती ग्रंथालय अत्यंत महत्व का है। मानव जीवन में पुस्तकालय का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

विषय विश्लेषण : पुस्तकालय चार प्रकार के हैं।

  1. व्यक्तिगत पुस्तकालय
  2. सार्वजनिक पुस्तकालय
  3. शिक्षा – संस्थाओं के पुस्तकालय
  4. चलते – फिरते पुस्तकालय

पुस्तकों को पढ़ने की रुचि तथा खरीदने की शक्ति रखनेवाले व्यक्तिगत पुस्तकालयों का संचालन करते हैं। इतिहास, पुराण, नाटक, कहानी, उपन्यास, जीवनचरित्र आदि-सभी तरह के ग्रंथ सार्वजनिक पुस्तकालयों में मिलते हैं। इनमें सभी लोग अपनी पसंद की पुस्तकें पढ़ सकते हैं। नियत शुल्क देकर सदस्य होने पर पुस्तकें घर ले जा सकते हैं। शिक्षा संस्थाओं के पुस्तकालयों से केवल तत्संबंधी विद्यार्थी ही लाभ पा सकते हैं। देहातों तथा शहरों के विभिन्न प्रांतों के लोगों को पुर्तकें पहुँचाने में चलते – फिरते पुस्तकालय बहुत सहायक हैं। इनके नियमित रूप से पढ़ने से मनोरंजन के साथ – साथ ज्ञान – विज्ञान की भी वृद्धि होती है। पुस्तकें पढ़ने से ये लाभ हैं :

इनके नियमित रूप से पढ़ने से मनोरंजन के साथ – साथ ज्ञान – विज्ञान की भी वृद्धि होती. है।

  1. अशिक्षा दूर होती है।
  2. बुद्धि का विकास होता है।
  3. कुभावनाएँ दूर होती हैं।

विभिन्न देशों की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक परिस्थितियों का परिचय मिलता है।

उपसंहार : पुस्तकालय हमारा सच्चा मित्र है। इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। इसलिए पुस्तकों को गंदा करना, पन्ने फाडना नहीं चाहिए। अच्छी पुस्तकें सच्चे मित्र के समान हमारे जीवन भर काम आती है। ये सच्चे गुरु की तरह ज्ञान और मोक्ष दायक भी हैं।

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21. विद्यार्थी जीवन (విద్యార్ధి జీవితం)

प्रस्तावना : विद्यार्थी का अर्थ है विद्या सीखनेवाला। इसलिए विद्यार्थी अवस्था में विद्या सीखते जीवन बिताना या ज्ञानार्जन करना उसका परम कर्तव्य है। उत्तम विद्यार्थी ही आदर्श विद्यार्थी कहलाता है।

विषय विश्लेषण : जो बालक विद्या का आर्जन करता है उसे विद्यार्थी कहते हैं। हर विद्यार्थी को महान व्यक्तियों से अच्छी बातों को सीखना चाहिये। तब वह आदर्श विद्यार्थी बन सकता है। आदर्श विद्यार्थी को अपने हृदय में सेवा का भाव रखना चाहिए। उसको अच्छे गुणों को लेना चाहिए। उसको विनम्र और आज्ञाकारी बनना चाहिये। उसे शांत चित्त से अपने गुरु के उुपदेशों को सुनना चाहिये। उसको स्वावलंबी बनना चाहिये। उसको अपने कर्तव्य को निभाना चाहिये। उसको समाज और देश का उपकार करना चाहिये। उसको महापुरुषों की जीवनियों से प्रेरणा लेनी चाहिये। उसको समय का सदुपयोग करना चाहिये।

आदर्श विद्यार्थी को सदाचारी बनना चाहिये। उपसंहार : विद्यार्थी दुष्ट लोगों को पकडने में सरकार की सहायता कर सकते हैं। भारत स्काउट, जूनियर रेडक्रास आदि संस्थाओं में वे भाग ले सकते हैं। उनका धर्म है कि वे हमेशा मानव की सेवा करते रहे। अपने देश की सच्ची सेवा भी करनी है। मांनव जीवन में विद्यार्थी जीवन ही अत्यंत महत्तर और आनंददायक जीवन है। अच्छी पुस्तकें पढनी चाहिए, जिससे चरित्रवान बन सकते हैं। आज का आदर्श विद्यार्थी ही कल का आदर्श नेता, अच्छा नागरिक बन जाता है। इस कारण देश और समाज के लिए आदर्श विद्यार्थियों की अत्यंत आवश्यकता है। हर एक विद्यार्थी को आदर्श विद्यार्थी बनने की आवश्यकता है।

22. दूरदर्शन (దూరదర్శన్)

प्रस्तावना : मानव को मनोरंजन की भी ज़रूरत होती है। मानव शारीरिक काम या मानसिक काम करके थक जाने के बाद कुछ आराम पाना चाहता है। आराम पाने वाले साधनों में खेलना, गाना, कहानी सुनना, सिनेमा या नाटक देखना, मित्रों से मिलकर खुशी मनाना कुछ प्रमुख साधन हैं। आजकल मानव को मनोरंजन देनेवाले साधनों में दूरदर्शन का प्रमुख सथान है।

विषय विश्लेषण : दूरदर्शन ग्रीक भाषा का शब्द है। दूरदर्शन को टी.वी. भी कहते हैं। टी.वी. यानी टेलीविजन है। टेली का अर्थ है दूर तथा विज़न का अर्थ होता है प्रतिबिंब। दूरदर्शन का अर्थ होता है कि दूर के दृश्यों को हम जहाँ चाहे वहाँ एक वैज्ञानिक साधन के द्वारा देख सकना।

दूरदर्शन की भी अपनी कहानी है। पहले-पहले इसको बनाने के लिये जॉन एल. बेयर्ड ने सोचा है। उसके बाद जर्मन के वैज्ञानिक पाल निपकौ ने बेयर्ड के प्रयोगों को आगे बढाया। क्यांबेल, स्विंटन आदि कई वैज्ञानिकों के लगातार परिश्रम से दूरदर्शन को 1927 में एक अच्छा रूप मिला।

लाभ : इस दूरदर्शन से कई लाभ हैं। मानसिक उत्साह बढानेवाले साधनों में आजकल इसका प्रमुख स्थान है। आजकल हमारे देश में सौ प्रतिशत जनता दूरदर्शन की प्रसारण सीमा में है। आजकल इसके द्वारा हर एक विषय का प्रसार हो रहा है। विद्यार्थियों के लिए उपयोगी शिक्षा कार्यक्रम भी प्रसारित किये जा रहे हैं। इसके द्वारा हम समाचार, सिनेमा, नाटक आदि मनोरंजन कार्यक्रम भी सुन और देख सकते हैं।

नष्ट : इसे लगातार देखने से ऑखों की ज्योति भी मंद पडती है। दैनिक कामकाज छोडके इसमें लीन न होना चाहिए। छात्रों को पढाई छोडकर ज़्यादा समय इसके सामने बिताना नहीं चाहिये।

दूरर्शन के प्रसारणों का सदुपयोग करके नियमित रूप से देखने से मानव-जीवन सुखमय होता है।

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23. कृत्रिम उपग्रह (కృత్రిమ ఉపగ్రహం)

प्रर्तावना (भूमिका) : ग्रहों की परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिंडों को उपग्रह कहते हैं। कृत्रिम उपग्रह तो मानव द्वारा बनाये गये ऐसे यंत्र हैं, जो धरती के चारों ओर निरंतर घूमते रहते हैं।

विषय विश्लेषण : अंतरिक्ष के रहस्यों का अध्ययन करने के लिए सर्वप्रथम रूस ने 1957 में स्पुतनिक -1 कृत्रिम उपग्रह को अंतरिक्ष में छोडा था। भारत ने अपना पहला उपग्रह “आर्यभट्ट” को 1975 में अंतरिक्ष में छोडा था। दूसरा भार्कर – 1 को 1979 को छोड़ा था। इसके बाद भारत ने रोहिणी, एप्पल और भास्कर – 2 को भी छोडा था। उन उपग्रहों को अंतरिक्ष में रॉकेटों की सहायता से भेजा जाता है। ये धरती की परिक्रमा करने लगते हैं। परिक्रमा करनेवाले मार्ग को उपग्रह की कक्षा कहते हैं। इन कृत्रिम उपग्रहों से हमें बहुत कुछ प्रगति करने का अवसर मिला। धरती एवं अंतरिक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है।

निक्कर्ष : अनेक प्रकार की वैज्ञानिक खोजों के लिए कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण किया गया। ये कई प्रकार के होते हैं। वैज्ञानिक उपग्रह, मौसमी उपग्रह, भू – प्रेक्षण उपग्रह, संचार उपग्रह आदि। वैज्ञानिक उपग्रह, वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए और रक्षा उपग्रह सैनिकों की रक्षा के लिए काम आते हैं। मौसम उपग्रह से मौसमी जानकारी प्राप्त करते हैं। भू – प्रेक्षण से भू संपदा, खनिज संपदा, वन, फसल, जल आदि की खोज होती है। संचार उपग्रहों से टेलिफ़ोन और टेलिविजन संदेश भेजे जाते हैं और पाये जाते हैं। आजकल के सभी वैज्ञानिक विषय कृत्रिम – उपग्रहों पर आधारित होकर चल रहे हैं।

24. शिक्षक दिवस (ఉపాధ్యాయ దినోత్సవం)

“गुरु गोविंद दोज़ँ खडे, काके लागों पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय”।

प्रस्तावना : कबीर के इस दोहें से गुरु की महानता का परिचय हमें मिलता.है। गुरु का दूसरा नाम ही शिक्षक और अध्यापक है। गुरु तो अज्ञान को मिटाकर ज्ञान प्रदान करनेवाले हैं। आज विद्यार्थी जगत में शिक्षक दिवस का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

उद्देश्य (महत्व) : हमारी परंपरा के अनुसार माता – पिता के बाद गुरु का नाम आदर के साथ लिया जाता है। “मातृ देवोभव, पितृ देवोभव, आचार्य देवोभव” इसका अर्थ है गरु का स्थान ईश्वर से भी बडा होता है। गुरु ही हमारे भविष्य के निर्माता और हमें ज्ञानी बनाकर अच्छा जीवन जीने के योग्य बनाते हैं। अनुशासनयुक्त, उत्तम नांगरिक बनने की सहायता करते हैं। ऐसे महान गुरु (शिक्षक) को ध्यान में रखते शिक्षक दिवस भारत में 5 सितंबर को मना रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण दिवस है। ऐसे महत्वपूर्ण दिवस हमारे भारत के राष्ट्रपति डॉ. सर्वेपलि राधाकृष्णन के जन्म दिन के.शुभ अवसर पर मना रहे हैं।

डॉ. राधाकृष्णन्त बचपन से बहुत परिश्रम करके उन्नत शिखर पहुँच राये हैं। गरीब ब्राहमण परिवार में पैदा होकर अपनी बौद्धिक शक्ति स्मरण.शक्ति और विद्वत्ता से वे इतने महान बन सके। वे सफल अध्यापक थे। अंध्यापक पद के वे एक आभूषण हैं। ऐसे महान व्यक्ति की जन्म तिथि को शिक्षक दिवस के रूप में मनाकर हम सब उनको याद कर लेते हैं। शिक्षा प्रणाली में राधाकृष्णन ने नये-नये सिद्धांत प्रस्तुत किये हैं। वे ही आजकल शिक्षां प्रणाली के, नियम बन गये हैं।

उस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। विद्यार्थी अपने शिक्षकों को आदर के साथ सम्मानित करते हैं। गुरुजनों के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाते हैं। इसी दिन राष्ट्र सरकार भी उत्तम शिक्षकों को सम्मानित करती है।

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25. पचास वर्षों के भारत स्वातंत्य स्वर्णोत्सव (50 వ భారత స్వాతంత్య్ర స్వర్ణోత్సవ వేడుకలు)

भूमिका : हमारा भारत सैकडों वर्ष अंग्रेजों के अधीन में रहने के बाद गाँधी, नेहरू, नेताजी, पटेल आदि नेताओं के त्याग फल से 15-8-1947 को आज़ाद हुआ।

विषय विश्लेषण : अंक 15-08-1947 को आजादी प्राप्त होकर पचासवाँ वर्ष आगया। इसके उपलक्ष्य में सारा भारत पुलकित होकर प्रजातंत्र पालन में पचासवाँ स्वातंत्र्य स्वर्ण महोत्सव मना रहा है। अगस्त 98 को पचास वर्ष बीत जायेंगे। इस कारण अगस्त 97 से अगस्त 98 तक ये रजतोत्सव मनाये गये।

सारे भारत में ये स्वर्णोत्सव बडे धूमधाम से मनाये गये। सभी तरह के लोगों ने, जातियों ने आपस में मिल – जुलकर मनाये हैं, सरकारी और संभी प्रकार के संर्थाओं ने, विद्यालय और सभी कार्घालयों ने उत्सव खूब मनाये हैं। अनेक कार्यक्रम का निर्वाह किया गया है। पचास वर्षों में भारत ने जो प्रगति पायी है, सबका विवरण बताया गया है। सांसकृतिक कार्यक्रमों के साथ सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के बीच निबंध रचना और भाषण संबंधी सभाओं (होड) का निर्वाह करके प्रचार किया गया है। इस विषय में सभी जिलाओं ने और मंडलों ने प्रत्येक रूप से व्यवहार करके कार्यक्रमों को सफल बनाया है।

उपसंहार : देश की अखंडता और स्वतंत्रता बनाये रखने की प्रतिज्ञा और कर्तव्य पालन यह उत्सव याद दिलाता है।

26. हम सब एक हैं। (మనమంతా ఒకటి)

प्रस्तावना : भगवान ने सब प्राणियों को समान रूप से सृष्टि की है। कर्म के अनुसार जन्म प्राप्त होते रहते हैं। लेकिन सब प्राणियों में मानव जन्म सर्वोत्तम है। इसको बार – बार प्राप्त करना मुश्किल है। इसलिए इस जन्म में हमें जानना चाहिए कि हस सब एक है। सभी में परमात्मा है।

विषय विश्लेषण : भूमंडल में अनेक देश हैं। अनेक प्रान्त हैं। अनेक लोग हैं। अनेक जातियाँ हैं। अनेक भाषाएँ हैं। संस्कृति, कलाएँ, सामाजिक, धार्मिक, नैतिक विष्यों में भी फरक है। आचार – व्यवहार और रंग – बिरंगों में फरक है, फिर भी हम सब लोग एक है। भगवान ने सभी को समान रूप से सब कुछ दिया है। उसके पाने में हम में मत – भेद होते हैं, सभी म्नुष्यों के तन, मन, खून और अंग एक ही प्रकार के हैं। लेकिन हमारी आदतों के कारण विविध रूप में दिखाई देते हैं। जिसमें परोपकार की भावना होती है, उसे सभी में परमात्मा दिखार्ड .डता है। वह सभी को एक ही मानता है, संपत्ति, शक्ति, बुद्धि, उदारता सभी भावनाओवाले और सभी मत, सभी जाति के लोग एक ही है। जीवन मार्ग, धार्मिक मार्ग, अध्यात्मिक मार्ग और राजनैतिक मार्ग अनेक हैं। भाषाएँ अनेक हैं। रीतियाँ अनेक हैं। आकार अनेक हैं। लेकिन हम सब एक है।

उपसंहार : सभी में एकता की भावना होती तो देंश में सुख – शांति बढ़जाती है। हिसा भाव छोड़ देते हैं।

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27. संस्कृति का महत्व (సంస్కృతి గొప్పదనం)

प्रर्तावना : संस्कृति का अर्थ है नागरिकता या संस्कार। किसी भी देश के आचार-विचार, रीति-रिवाज, वेशभूषा, ललितकलाएँ, सामाजिक, धार्मिक, नैतिक विषयों का संम्मिलित रूप हीं संस्कृति कहलाती है। संखकृति का संबंध भूत, वर्तमान और भविष्य से होता है।

विषय विश्लेषण : हर एक देश के लिए संसकृति का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। भारतीय संसकृति केवल आर्य या हिन्दू संखकृति ही नही। वह महान संस्कृति है। हमारे भारत में अनेक धर्म और अनेक भाषाएँ हैं। अनेक देशों से आकर बसे हुए लोग हैं। वे अनेक प्रकार के लोग हैं। किन्तु भारतीय संस्कृति में एक बहुत बडी चीज़ है, जो अन्य देशों में बहुत कम पायी जाती है। भारतीय संस्कृति समन्वयात्मक है। वह सारे भारत की एक ही है। अखंड है। अविभाज्य है। इसमें विशाल धर्म-कुटुंब बनाने की क्षमता है। सूफ़ीमत, कबीर पंथ, ब्रह्मसमाज तथा आगरबानी संप्रदाय में भारत की संकृृति का समन्वयात्मक रूप देख सकते हैं। अनेक संसककतियों को आत्मसात करने से भारतीय संस्कृति सबसे आगे है। यह बडी उदार संसकृत है। अनेक संस्कृतियों को अपने में मिला लिया। मानवता का अन्तिम कल्याण ही भारतीय संसकृति का आदर्श है। मिन्नत्व में एकत्व भारतीय संस्कृति की सबसे बडी विशेषता है।

उपसंहार : भारतीय संस्कृति महान है। इससे ही दुनिया में शॉँति की स्थापना हो सकती है।

28. ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा (చారిత్రక స్థలాల సంరక్షణ)

प्रर्तावना : इतिहास से संबद्ध प्राचीन इमारतें, भवन, किला, महल आदि को ऐतिहासिक स्थल कहते हैं। भारत एक सुविशाल और प्राचीन देश है। यहॉं कई ऐतिहासिक स्थल हैं। दिल्ली, आग्रा, जयपुर, हैदराबाद, बुद्ध गया आदि कई सैकडों रथल भारत में हैं।

विषय : ये सब हमारे देश के इतिहास के जीवंत प्रमाण हैं। इनके द्वारा उस समय के लोगों के भवन निर्माण कला का परिचय हमें होता है। प्राचीन काल के लोगों के औजार, वस्त्र और घर की सामग्री आदि के द्वारा हमारी संस्कृति का परिचय प्राप्त होता है। विजयवाडे के मोगलराजपुरम की गुहाएँ, अजंता, एल्लोरा की गुहाएँ आदि भी ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं।

विश्लेषण : कुछ लोग ऐसे स्थलों से कीमती चीजें चुराकर अधिक पैसा कमाना चाहते हैं। इससे हमें नुकसान होता है। कुछ लोग इन जगहों को अनैतिक कार्य करने के लिए केन्द्र बनाते हैं। इससे वे नष्ट हो जायेंगे। इसलिए इनकी सुरक्षा करना चाहिए। हर नागरिक का कर्तव्य यह है कि – “इनकी सुरक्षा अपनी संपत्ति के जैसा करना चाहिए।” ये भूत और वर्तमान के लिए प्रमाण होंगे। भविष्य के लोग इनसे इतिहास का जानकारी रखते हैं।

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29. आदर्श नेता (ఆదర్శ నాయకుడు)

प्रस्तावना : गाँधीजी भारत के सभी लोगों के लिए भी आदर्श नेता थे। उन्होंने लोगों को सादगी जीवन बिताने का उपदेश दिया। स्वयं आचरण में रखकर, हर कार्य उन्होंने दूसरों को मार्गदर्शन किया। नेहरू, पटेल आदि महान नेता उनके आदर्श पर ही चले हैं। महात्मा गाँधीजी मेरे अत्यंत प्रिय नेता हैं।

जीवन परिचय : गाँधीजी का जन्म गुजरात के पोरबन्दर में हुआ। बैरिस्टर पढकर उन्होंनें वकालत शुरू की। दक्षिण अफ्रीका में उनको जिन मुसीबतों का सामना करना पडा। उनके कारण वें आजादी की लडाई में कूद पडे। असहयोग आन्दोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोडो आदि आन्दोलनों के ज़रिए लोगों में जागरूकता लायी। अंग्रेजों के विरुद्ध लडने के लिए लोगों को तैयार किया। वे. अहिंसावादी थे। समय का पालन करनेवाले महान पुरुषों में प्रमुख थे। उनके महान सत्याग्रहों से प्रभावित होकर अंग्रेज़ भारत छोडकर चले गये। अगरत 15,1947 को भारत आज़ाद हुआ। महात्मा गाँधीजी के सतत प्रयत्न से यह संपन्न हुआ।

उपसंहार : गाँधीजी की मृत्यु नाथुरां गाड्से के द्वारा 30-1-1948 को बिरला भवन में हुई। गाँधीजी का जीवन, चरित्र आदि का प्रभाव मेरे ऊपर पडा है। वे हमारे लिए आदर्श नेता ही नहीं, महान प्रिय नेता भी हैं।

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