Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material पद्य भाग 6th Poem परशुराम की प्रतीक्षा Textbook Questions and Answers, Summary.
AP Inter 2nd Year Hindi Study Material 6th Poem परशुराम की प्रतीक्षा
संदर्भ सहित व्याख्याएँ – సందర సహిత వ్యాఖ్యలు
प्रश्न 1.
यह दान वृथा वह कभी नहीं लेती है,
बदले में कोई दूब हमें देती है।
उत्तर:
कविपरिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं । आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं | ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पदमभूषण से अलंकुत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।
संदर्भ : कवि दिनकर जी इन पंक्तिये के माध्यम से भारत की गारिमा का गान गा रहे हैं।
व्याख्या : कवि भारत के संदर्भ में कह रहे हैं हम कैसी बीज बो रहे हैं हमे पता ही नहीं, पर यहाँ की धरती दानी है । मनुष्य उसको जब भी जल कण देता उसके दान वृथा नहीं होने देती, बदले में कुछ न कुछ देती है । यह धरती वज्रों का निर्माण करती है। यह देश और कोई नहीं, केवल हम और तुम है यह देश किसी और केलिए नहीं सिर्फ और सिर्फ हमारा और तुम्हारा है ।
विशेषताएँ : कवि भारत के वैशिष्ट्य का गान गा रहे हैं । यह देशभक्ति भरी कविता है ।
प्रश्न 2.
गाँधी – गौतम का त्याग लिये आता है,
शंकर का शुद्ध विराग लिये आता है।
सच है, आँखों में आग लिये आता है,
पर यह स्वदेश का भाग लिये आता है।
उत्तर:
कविपरिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं | ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।
संदर्भ : कवि दिनकर जी इन पंक्तियों के माध्यम से भारत की गारिमा का गान गा रहे हैं।
व्याख्या : इस देश में महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों के त्याग की नीव पर इस देश का निर्माण हुआ है, शंकराचार्य शुद्ध विराग लेकर आते हैं। यह भी सच है कि जब – जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब – तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भाग्य लिए आते हैं।
विशेषताएँ : इस देश के वीर सपूतों के त्याग, बलिदानों तथा वीरत्व का विशेष वर्णन है । ऐसी कविताएँ देश के प्रति भक्ति तथा प्रेम को उभारती है ।
प्रश्न 3.
जब किसी जाति का अहं चोट खाता है,
पावक प्रचंड होकर बाहर आता है।
उत्तर:
कविपरिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं । आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं | ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।
संदर्भ : कवि दिनकर जी इन पंक्तियों के माध्यम से भारत की गारिमा का गान गा रहे हैं।
व्याख्या : यह भी सच है कि जब – जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब – तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भाग्य लिए आते है। भारत पर चीन के आक्रमण के समय भारत का गौरव घायल हआ है । इसीलिए भारत के लोग चोट खाये भुजंग की तरह क्रोधित हो कर सुलगी हुई आग बना देते हैं । जब किसी जाति का आत्म सम्मान चोट खाता हैं, आग प्रचंड हो कर बाहर आती है।
विशेषताएँ : देश के प्रति प्रेम और भक्तिभावनाओं को जगानेवाली कविता है | कविता की भाषा सरल तथा विषयानुकूल है | शैली सहज तथा प्रवाहमान है।
दीर्घ प्रश्न – దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు
प्रश्न
1. ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ कविता का सारांश लिखिए ।
2. ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
कविपरिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं । आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह है । ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ।
सारांश : परशुराम की प्रतीक्षा एक खंड काव्य है । भारत चीन युद्धानंतर देश की परिस्थितियाँ बदल गयी । देश में निराशा हताशा कि स्थिति फैली हुई थी, ऐसी स्थिति को दूर करने के लिए परशुराम जैसे वीर के पुनः जन्म की प्रतीक्षा थी इसी प्रतीक्षा को लेकर यह लिखा गया है । परशुराम की प्रतीक्षा काव्य के माध्यम से कवि दिनकर जी ने भारतीय संस्कृति के महत्व का परिचय दिया है । भारत की संस्कृति सर्वोन्नत है ही।
कवि कह रहे हैं हम कैसी बीज बो रहे हैं हमे पता ही नहीं, पर यहाँ की धरती दानी है। मनुष्य उसको जब भी जल कण देता उस के दान वृथा नहीं होने देती, बदले में कुछ न कुछ देती है । यह धरती वज्रों का निर्माण करती है यह देश और कोई नहीं, केवल हम और तुम है । यह देश किसी और के लिए नहीं सिर्फ और सिर्फ हमारा और तुम्हारा है । भारत में न तो जाति का, न तो गोत्रों का बन्धन है । अनेकता में एकता रखने वाला देश है । इस देश में महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध जैसे महा पुरुषों का जन्म हुआ. इन महा पुरुषों के त्याग की नीव पर इस देश का निर्माण हुआ है, शंकराचार्य का शुद्ध विराग लेकर आते हैं ।
यह भी सच है कि जब – जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भाग्य लिए आते हैं । भारत पर चीन के आक्रमण के समय भारत का गौरव घायल हुआ है । इसीलिए भारत के लोग चोट खाये भुजंग की तरह क्रोधित हो कर सुलगी हुई आग बना देते हैं । जब किसी जाति का आत्म सम्मान चोट खाता है, आग प्रचंड हो कर बाहर आती है। यह चोट खाये स्वदेश का बल वही है । ऐसी परिस्थिति में देश के उद्धार के लिए परशुराम जैसे वीर आदर्श पुरुष की प्रतीक्षा करते हैं । परशुराम के आदर्शों के बल पर भारत का भाग्योदय संभव है।
एक वाक्य प्रश्न – ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు
प्रश्न 1.
दिनकर जी को किस रचना पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
उत्तर:
ऊर्वशी।
प्रश्न 2.
दिनकर जी की रचनाओं में कौन – सा रस पाया जाता है ?
उत्तर:
वीर रस ।
प्रश्न 3.
भारत – भर का मित्र कौन है ?
उत्तर:
परशुराम ।
प्रश्न 4.
परशुराम में किन – किन महापुरुषों के गुण निहित हैं ?
उत्तर:
गाँधी जी गौतम बुद्ध एवं शंकर ।
प्रश्न 5.
परशुराम का आहत किसके समान है ?
उत्तर:
भुजंग के समान है।
कवि परिचय – కవి పరిచయం
परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी. आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं । आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ | कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं । ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया | इन का निधन 1974 में हुआ |
सारांश – సారాంశం
परशुराम की प्रतीक्षा एक खंड काव्य है । भारत चीन युद्धानंतर देश की परिस्थितियाँ बदल गयी । देश में निराशा हताशा की स्थिति फैली हुई थी, ऐसी स्थिति को दूर करने के लिए परशुराम जैसे वीर के पुनः जन्म की प्रतीक्षा थी इसी प्रतीक्षा को लेकर यह काव्य लिखा गया है | परशुराम की प्रतीक्षा काव्य के माध्यम से कवि दिनकर जी ने भारतीय संस्कृति के महत्व का परिचय दिया है । भारत की संस्कृति सर्वोन्नत है ही ।
कवि कह रहे हैं हम कैसी बीज बो रहे हैं हमे पता ही नहीं, पर यहाँ की धरती दानी है । मनुष्य उसको जब भी जल कण देता उसके दान वृथा नहीं होने देती, बदले में कुछ न कुछ देती है । यह धरती वज्रों का निर्माण करती है यह देश और कोई नहीं, केवल हम और तुम है । यह देश किसी और के लिए नहीं सिर्फ और सिर्फ हमारा और तुम्हारा है । भारत में न तो जाति का, न तो गोत्रों का बन्धन है अनेकता में एकता रखने वाला देश है । इस देश में महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध जैसे महा पुरुषो का जन्म हुआ, इन महा पुरुषों के त्याग की नीव पर इस देश का निर्माण हुआ है, शंकराचार्य का शुद्ध विराग लेकर आते हैं ।
यह भी सच है कि जब – जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भाग्य लिए आते हैं। भारत पर चीन के आक्रमण के समय भारत का गौरव घायल हुआ है । इसीलिए भारत के लोग चोट खाये भुजंग की तरह क्रोधित हो कर सुलगी हुई आग बना देते हैं | जब किसी जाति का आत्म सम्मान चोट खाता है, आग प्रचंड होकर बाहर आती है । यह चोट खाये स्वदेश का बल वही है । ऐसी परिस्थिति में देश के उद्धार के लिए परशुराम जैसे वीर आदर्श पुरुष की प्रतीक्षा करते हैं | परशुराम के आदर्शों के बल पर भारत का भाग्योदय संभव है।
विशेषता : इस कविता में भारत के वैशिष्ट का गुणगान किया है। परशुराम के आदर्शों के बल पर राष्ट्र प्रेम राष्ट्रीय भावनाओ को जागृत करने के साथ साथ शांति और त्याग के बल पर ही नये देश के निर्माण की संभावनाओं को याद दिलाने का प्रयास किया गया है।
తెలుగు అనువాదం
‘పరశురామ్ కీ ప్రతీక్షా’ కవితను రామ్ దారీ సింహ్ దినకర్ గారు రచించారు. ఈయన ఆధునిక కావ్య జగత్తులో ‘వీరరస కవి’గా పాఠకులకు సుపరిచితులు. బీహార్ రాష్ట్రంలోని మంగేర్ కు చెందిన సిమారియా అనే గ్రామంలో 1908లో దినకర్ జన్మించారు. కురుక్షేత్ర, రశ్మిరధి, పరశురామ్ కీ ప్రతీక్షా అను కావ్యాలను రచించారు. జ్ఞానపీఠి, పద్మభూషణ్ లాంటి అత్యున్నత పురస్కారాలను పొందారు. వీరు 1974లో పరమపదించారు.
పరశురామ్ కీ ప్రతీక్షా ఒక ఖండ కావ్యము. భారత్ – చైనా యుద్ధం తర్వాత – భారతదేశంలో తీవ్ర మార్పులు చోటుచేసుకున్నాయి. దేశం పూర్తిగా నిరాశ నిస్పృహలలో కూరుకుపోయింది. దేశాన్ని పూర్వ స్థితికి తీసుకురావడానికి పరశురాముడిలాంటి వీరుడు మళ్ళీ జన్మించాలనే ఆకాంక్షతో ఈ కవిత వ్రాయబడింది. ఇందులో కవి భారతీయ సంస్కృతి, దేశ ఔన్నత్యం గురించి వర్ణించడం జరిగింది.
మనం ఈ భూమిలో ఎలాంటి బీజాలు నాటుతున్నామో తెలియదు. కాని ఈ పవిత్ర నేల’ గొప్ప దాన గుణం కలిగినది. విత్తిన విత్తనాలకు జీవ జలానికి కూడా ప్రతిఫలాన్ని ఇస్తుందీ నేల, ఈ దేశంలో జాతిమత గోత్ర బంధనాలు లేవు. భిన్నత్వంలో ఏకత్వం ఈ దేశ లక్షణం మహాత్మగాంధి, గౌతమబుద్ధుడులాంటి మహా పురుషులు త్యాగపు పునాదుల మీద ఈ దేశ నిర్మాణం జరిగింది.
ఎప్పుడైన ఈ దేశ గౌరవానికి భంగం వాటిల్లినప్పుడు ప్రతి పౌరుడు ఉగ్రనేత్రుడై దేశ సమైక్యతను, సమగ్రతను గౌరవాన్ని కాపాడుకొనుటకు ధన మాన ప్రాణాలను ‘బలిదానంగా సమర్పించుటకు వెనుకాడడు. దేశం క్లిష్ట పరిస్థితులు ఎదుర్కొన్నప్పుడు పరశురాముడులాంటి వీర దేశభక్తుడి యొక్క ఆవశ్యకత ఎంతైన ఉంది. పరశురాముడు లాంటి వీరుల ఆదర్శాలపై, త్యాగాలపై, ఈ దేశపు భవిష్యత్తు ఆధారపడి ఉంది.
कठिन शब्दों के अर्थ – కఠిన పదాలకు అర్ధాలు
दूब – एक प्रसिद्ध लंबी नर्म घास, दुर्वा, పూజకు ఉపయోగించే ఒక రకమైన గడ్డి
कृपण – लोभी, పిసినిగొట్టితనం
विराग – · अरुचि, विरक्ति, వైరాగ్య౦
चोट – आघात, గాయం
भजंग – साँप, పాము , సర్పము
सुलग – जलाने की प्रक्रिया, ప్రజ్వలించడం
अनल – आग, అగ్ని