Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material गद्य भाग 4th Lesson अंधे बाबा अब्दुल्ला (संकलित) Textbook Questions and Answers, Summary.
AP Inter 2nd Year Hindi Study Material 4th Lesson अंधे बाबा अब्दुल्ला (संकलित)
संदर्भ सहित व्याख्याएँ – సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు
प्रश्न 1.
यहाँ से कुछ दूर पर एक ऐसी जगह है जहाँ असंख्य द्व्य भरा है। तुम इन अस्सी ऊँटों को रत्नों और अशर्फियों से लाद सकते हो। और वह धन तुम्हारे जीवन भर को काफी होगा।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक पाठ से लिया गया है । यह कहानी ‘अलिफ लैला की कहानियाँ’ में से संकलित है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दुल्ला है।
व्याख्या : ये वाक्य अब्दुल्ला से फकीर कह रहा है | बाबा अब्दुल्ला अस्सी ऊँटो का मालिक है। अपनी ऊँटो को किराये पर देता था । एक बार हिन्दुस्तान जानेवाले व्यापारियों का माल ऊँटो पर लादकर बसरा ले गया । माल जहाजो में चढाकर, वापस बगदाद आने लगा रास्ते में एक फकीर मिलकर एक असंख्य द्रव्य भंडार के बारे में बताते हुए अब्दुल्ला को अषर्फिरत्नो की लालच पैदा करता हैं ।
विशेषता : एक मेहनती आदमी अधिक धन संपत्ति के प्रति लालची बनने की कथा है जो उसके अस्तित्व को ही खतरे में डाल देती हैं।
प्रश्न 2.
उसने डिबिया बंद करके अपनी जेब में रख ली । फिर उसने आग जलाकर उस में सुगंध डाली और मंत्र पढ़ा जिससे वह महल गायब हो गया और गुफा और टीला भी गायब हो गया।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक पाठ से लिया गया है। यह कहानी ‘अलिफ लैला की कहानियाँ’ में से संकलित है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दुल्ला है।
व्याख्या : अब्दुल्ला और फकीर 80 ऊँटो में रत्न और अपर्फियाँ लादते समय बाजूवाले कमरे के संदूक से एक लकडी की डिबिया मिलती है जिसमें मरहम रहता है । उस डिबिया को लेकर गुफा से बाहर आते ही मंत्र पढकर फकीर गुफा को गायब कर देता है।
विशेषता : यह दृश्य चमत्कृत एव अद्भुत है । यह कहानी तिलिस्म और अय्यारी से मनोरंजक और रोचक बनगयी है।
प्रश्न 3.
आप अगर बुरा न मानें तो मैं आपको हिस्से में से दस ऊँट ले लूँ। आप तो जानते ही हैं कि मेरे जैसे सांसारिक लोगों के लिए धन का ही महत्व होता है।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक पाठ से लिया गया है । यह कहानी ‘अलिफ लैला की कहानियाँ’ में से संकलित है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दुल्ला है।
व्याख्या : ये वाक्य अब्दुल्ला फकीर से कह रहा है । अब्दुल्ला और फकीर असंख्याक द्रव्य से भरे गुफा से 80 पर रत्न अषर्फियाँ लाद कर, वादे के अनुसार दोनो बाँट लिए । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने में अब्दुल्ला को दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस ले लिया
विशेषता : इन वाक्यों से अब्दुल्ला की अत्याशा के बारे में बता रहे है।
दीर्घ प्रश्न – దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు
प्रश्न 1. ‘अंधे बाबा अब्दुल्ला की कहानी’ पाठ का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक कहानी अलिफ लैला की कहानियाँ में से संकलित है । प्रस्तुत कहानी स्वयं में ही चमत्कृत एवं अद्भुत कहानी है । यह कहानी तिलिस्म और अश्यारी से परिपूर्ण है जो कथा को मनोरंजक और रोचक बनाते है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दल्ला है ।
बाबा अब्दुल्ला के माता – पिता के देहांत के बाद उनका धन उत्तराधिकार में अब्दुल्ला पाकर उस धन को भोग – विलास में शीर्घ ही गँवा दिया। फिर जी तोडकर धनार्जन किया और उससे अस्सी ऊँट खरीदे | उन ऊँटो को किराए पर व्यापारियों को देकर इतना धन कमाया कि सारा जीवन आराम से बिता सकें।
एक बार हिंदुस्तान जानेवाले व्यापारियों का माल ऊँटो पर लादकर बसरा ले गया । माल जहाजों पर चढाकर ऊँटो के साथ बागदाद वापस आने लग | रास्ते में एक जगह आराम करने लगा। इतने में बसरा से बगदाद को जानेवाला एक फकीर उसके पास आया और कहा – तुम रात – दिन बेकार मेहनत करते हो । मै एक जगह दिखाऊगा जहाँ पर असंख्य द्रव्य भरा पड़ा है | तुम इन अस्सी ऊँटो को रत्नों और अशर्फियों से लाद सकते हो । इससे अब्दल्ला के मन में लालच पैदा हो गयी ।
फकीर ने आधे ऊँट देने की शर्त से वह खजाने की जगह दिखाने लगा। अब्दुल्ला इस इस शर्त को मान लिया । दोनो जिनो से बनाये हुए उस भव्य भवन से रत्नो और अशर्फियों को ऊँटो की खुर्जियों में भरने लगे । फकीर एक कमरे में लकडी की डिबिया निकाली और अपनी जेब में रखली । जिसमें मरहम रखा हुआ था । बाद में फकीर मंत्र पढा वह जगह गायब हो गयी । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने मे अब्दुल्ला के दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस ले लिया । इतने से संतुष्ट न होकर उस फकीर से ‘मरहम’ भी देने केलिए कहा । फकीर ने मरहम को उसकी बायी आँख पर लगाया जिससे संसार के गुप्त खजाने दिखने लगे, अत्याशा से फकीर मना करने पर भी दूसरी आँख की पलक पर भी मरहम को लगाने पर मजबूर करदिया । जिससे दोनो आँखों की रोगनी खोकर अंधा हो जाता है । बाद में फकीर सभी ऊँठ लेकर चला गया ।
इस तरह बाबा अब्दुल्ला अपनी मूर्खता और लालच के कारण सब कुछ खो बैठा । इस बुरी दशा को देखकर खलीफ ने कहा – “तुम्हारी मूर्खता तो बहुत बडी है । भगवान तुम्हे क्षमा करेंगे । तुम्हे जीवन भर केलिए हर रोज पाँच रुपयाँ मिला करेंगे । बाबा अब्दुल्ला के खुश होने से कहानी समाप्त हो जाती है ।
विशेषता:
- इस कहानी में दर्शाया गया है कि लालच का फल बुरा होता है । लोभी व्यक्ति का नाश होना संभव है।
- यह शिक्षाप्रद कहानी है, भाषा सरल और प्रवाहमान हैं।
लघु प्रश्न – లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు
प्रश्न 1.
फकीर ने कौन सी शर्त रखी।
उत्तर:
फकीर ने अब्दल्ला को सबक सिखाना चाहा । फकीर ने कहा कि मै एक ऊँट को लेकर क्या करूँ। तुम खजाने से भरे अपने ऊँटो में से आधे यानी चालीस ऊँटों को मुझे दे दो।
प्रश्न 2.
मरहम की विशेषता क्या है ? ।
उत्तर:
‘मरहम’ जख्म होने पर लगाया जानेवाला एक लेप है । मगर यहाँ इसकी विशेषता है कि – मरहम को एक बाई आँख में लगाओंगे तो सारे संसार के गुप्त कोश दिखाई देने लगेंगे । किन्तु अगर इसे दाहिनी आँख में लगायेंगे तो सर्देव केलिए अंधे हो जायेंगे ।
प्रश्न 3.
खलीफा ने क्या कहा ?
उत्तर:ख
लीफा ने कहा, तुम्हारी मूर्खता तो बहुत बड़ी थी । भगवान तुम्हे क्षमा करेंगे | अब तुम अपनी सारी कथा भिक्षुक मंडली को सुनाओ कि लालच का क्या फल होता है । अब तुम भीख मांगना छोड दो । तुम्हे हर दिन पाँच रुपये मेरे खजाने में से मिलेंगे। यह व्यवस्था तुम्हारे जीवन भर केलिए होगी ।
एक वाक्य प्रश्न – ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు
प्रश्न 1.
‘अंधे बाबा अब्दुल्ला’ पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उत्तर:
अज्ञातवासी ।
प्रश्न 2.
बाबा अब्दुल्ला कहाँ पैदा हुआ था ?
उत्तर:
बाबा अब्दुल्ला ‘बगदाद‘ में पैदा हुआ था ।
प्रश्न 3.
फकीर ने कितने ऊँट लेने का शर्त रखा ?
उत्तर:
फकीर ने चालीस ऊँट लेने की शर्त रखा।
प्रश्न 4.
फकीर ने झोली में क्या निकालकर आग में डाला ?
उत्तर:
फकीर ने झोली में से सुगंधित द्रव्य निकालकर आग में डाला ।
प्रश्न 5.
लकड़ी की डिबिया में क्या रखा हुआ था ? ।
उत्तर:
लकड़ी की डिबिया में ‘मरहम‘ रखा हुआ था।
सारांश – సారాంశం
अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक कहानी अलिफ लैला की कहानियाँ में से संकलित है । प्रस्तुत कहानी स्वयं में ही चमत्कृत एवं अद्भुत कहानी है । यह कहानी तिलिस्म और अय्यारी से परिपूर्ण है जो कथा को मनोरंजक और रोचक बनाते हैं । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दल्ला हूँ।
बाबा अब्दुल्ला के माता – पिता के देहांत के बाद उनका धन उत्तराधिकार में अब्दुल्ला पाकर उस धन को भोग – विलास में शीर्घ ही गँवा दिया । फिर जी तोडकर धनार्जन किया और उससे अस्सी ऊँट खरीदे । उन ऊँटो को किराए पर व्यापारियों को देकर इतना धन कमाया कि सारा जीवन आराम से बिता सकें।
एक बार हिंदुस्तान जानेवाले व्यापारियों का माल ऊँटो पर लादकर बसरा ले गया | माल जहाजों पर चढाकर ऊँटो के साथ बागदाद वापस आने लगा । रास्ते में एक जगह आराम करने लगा। इतने में बसरा से बगदाद को. जानेवाला एक फकीर उसके पास आया और कहा – तुम रात – दिन बेकार मेहनत करते हो । मै एक जगह दिखाऊगा जहाँ पर असंख्य द्रव्य भरा पड़ा है। तुम इन अस्सी ऊँटो को रत्नों और अरार्फियों से लाद सकते हो । इससे अब्दुल्ला के मन में लालच पैदा हो गयी ।
फकीर ने आधे ऊँट देने की शर्त से वह खजाने की जगह दिखाने लगा। अब्दुल्ला ने इस शर्त को मान लिया ! दोनो जिनो से बनाये हुए उस भव्य भवन से रत्नो और अशर्फियों को ऊँटो की खुर्जियों में भरने लगे । फकीर एक कमरे में लकडी की डिबिया निकाली और अपनी जेब में रखली । जिसमें मरहम रखा हुआ था । बाद में फकीर मंत्र पढा वह जगह गायब हो गयी । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने मे अब्दुल्ला के दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस ले लिया । इतने से संतुष्ट न होकर उस फकीर से ‘मरहम भी देने केलिए कहा ! फकीर ने मरहम को उसकी बायी आँख पर लगाया जिससे संसार के गुप्त खजाने दिखने लगे, अत्याशा से फकीर मना करने पर भी दूसरी आँख की पलक पर भी मरहम को लगाने पर मजबूर करदिया । जिससे दोनो आँखों की रोशनी खोकर अंधा हो जाता है। बाद में फकीर सभी ऊँठ लेकर चला गया
इस तरह बाबा अब्दुल्ला अपनी मूर्खता और लालच के कारण सब कुछ खो बैठा । इस बुरी दशा को देखकर खलीफ ने कहा – “तुम्हारी मूर्खता तो बहुत बडी है । भगवान तुम्हे क्षमा करेंगे । तुम्हे जीवन भर केलिए हर रोज पाँच रुपयाँ मिला करेंगे । बाबा अब्दुल्ला के खुश होने से कहानी समाप्त हो जाती है ।
विशेषता:
- इस कहानी में दर्शाया गया है कि लालच का फल बुरा होता है । लोभी व्यक्ति का नाश होना संभव है।
- यह शिक्षाप्रद कहानी हैं, भाषा सरल और प्रवाहमान हैं ।
తెలుగు సారాంశం
‘అలిఫ్ లైలా’ కథా సంపుటిలో అంధేబాబా అబ్దుల్లా కథ ప్రముఖమైనది. ఇది ఒక నీతి కథ. అత్యాశకు పోయి అంధుడైన అబ్దుల్లా దీన గాధ. ఈ కథ ఇరాక్ దేశంలోని బాగ్దాద్, బస్రా పట్టణాలలో జరిగినట్లు రచయిత వ్రాశారు.
అబ్దుల్లా ‘తల్లిదండ్రులు మరణానంతరం వారి నుండి సంక్రమించిన ఆస్తిని తన దుర్వ్యసనాలతో ‘తక్కువ సమయంలోనే పోగొట్టుకుంటాడు. తిరిగి తన ‘స్వయంకృషితో , సంపాదించిన ధనంతో 80 ఒంటెలను కొనుగోలు చేస్తాడు. ఆ ఒంటెల సాయంతో తన . జీవితకాలానికి సరిపడేంత ధనాన్ని సంపాదిస్తాడు.
ఒకసారి భారతదేశానికి వెళ్ళే వ్యాపారుల సరుకులను తన ఒంటెల మీద బస్రా అనే పట్టణానికి తీసుకువెళ్తాడు. తీసుకువెళ్ళిన సరుకులను ఓడల మీదకు చేర్చి, ఒంటెలతో బాగ్దాదకు తిరుగు ప్రయాణం అవుతాడు. అలసట వల్ల మధ్య మార్గంలో విశ్రాంతి తీసుకొనుచుండగా, అదే మార్గంలో బాగ్దాద్ కు వెళుతున్నటువంటి ఫకీర్లు, అబ్దుల్లా,దగ్గరకు వచ్చి కష్టపడకుండా సిరిసంపదలను పొందే మార్గం గురించి చెప్తాడు. ఒక రహస్య ప్రదేశంలో వజ్ర, వైఢూర్యాలు ఉన్నాయని, వాటి ద్వారా జీవితాంతం విలాసవంతంగా గడపవచ్చునని చెబుతూ, ఆ ప్రదేశాన్ని చూపెట్టడానికి ఒక షరతును విధిస్తాడు. అబ్దుల్లా 80 ఒంటెలకు సంపద నింపి, అందులో సగం ఒంటెలు అనగా 40 ఒంటెలు తనకు ఇవ్వాలనే షరతును విధిస్తాడు.
సిరిసంపదల మీద మోహం పెంచుకున్న అబ్దుల్లా ఫకీరు షరతుకు ఒప్పుకోవడంతో, ఇద్దరు కలసి నిర్మింపబడిన భవనంలోకి వెళ్ళి ఒంటెలపై ఉన్న సంచుల నిండా వజ్ర వైఢూర్యాలతో నింపుకుంటాడు. ఫకీరు ఒక గదిలోకి వెళ్ళి అక్కడ ఉన్న చిన్న చెక్కపెట్టెను తన కుర్తా జేబులో పెట్టుకుంటాడు. ఆ చెక్క పెట్టెలో అద్భుత శక్తులు గల లేపనం వుంటుంది. ఆ భవనం నుండి బయటకు వచ్చిన తర్వాత తన మంత్రశక్తుల ద్వారా ఆ దివ్య భవనాన్ని మాయం చేస్తాడు.
ఒప్పందం ప్రకారం వజ్ర వైఢూర్యాల సంచులతో ఉన్న ఒంటెలను చెరోసగం పంచుకోవడం జరుగుతుంది. తన భాగంలో వచ్చినటువంటి 40 ఒంటెలతో కూడిన సంపదతో ఫకీరు వెళుతుండగా అబ్దుల్లాకు అత్యాశ పెరిగి, ఫకీరు దగ్గరకు వెళ్ళి మహాశయా! సర్వసంగ పరిత్యాగులైన మీకు 40 ఒంటెల ధనరాశులతో పని ఏమి, భగవతారాధనకు ఈ సంపద ఆటంకం కదా. 40 ఒంటెల సంపద నుంచి 10 ఒంటెలు ఇవ్వమని అబ్దుల్లా ప్రాధేయపడగా, ఫకీరు నవ్వి 10 ఒంటెల సంపద ఇచ్చేశాడు…. కాని అత్యాశ చావని అబ్దుల్లా మళ్ళీ ….. మళ్ళీ అడిగి మిగిలిన 30 ఒంటెల సంపదను తీసుకున్నాడు.
ఫకీరు దగ్గర ఉన్న లేపనం కూడా తీసుకుంటాడు. ఆ లేపనం ఎవరైతే ఎడమ కంటి రెప్ప మీద పూసుకుంటారో, అతనికి ప్రపంచంలోని గుప్త నిధులన్నీ కనపడతాయని, ఒకవేళ కుడి కంటికి పూసుకుంటే గుడ్డివాడైపోతాడని ఫకీరు వివరిస్తాడు.
అబ్దుల్లా కోరిక మేరకు ఫకీరు ‘ఆ’ లేపనం “అబ్దుల్లా ఎడమ కంటికి పూస్తాడు. వెంటనే గుప్త నిధులన్నీ కనపడతాయి. కాని అబ్దుల్లా అత్యాశకు పోయి కుడి కంటి కనురెప్పకు పూసుకుంటే ఇంకా నిధులు కనపడతాయని భావించి ఫకీరు మాటలు లెక్కపెట్టకుండా కుడి కంటికి పూయించుకుంటాడు. ఫలితంగా గుడ్డివాడైపోతాడు. ఫకీరు అన్ని ఒంటెలను తీసుకొని వెళ్ళిపోతాడు.
గుడ్డివాడైన అబ్దుల్లా ఇతర వ్యాపారస్తుల సహాయంతో బాగ్దాద్ పట్టణం చేరుకొని, తన వృత్తాంతాన్ని అక్కడి ఖలీఫా (పరిపాలకునికి) వివరిస్తాడు. అబ్దుల్లా విషాద గాధను విన్న ఖలీఫా ….. అత్యాశకు పోతే జీవితం ఎలా దుర్భరమవుతుందోనని ప్రపంచానికి నీ కథ ద్వారా చక్కగా తెలుస్తుంది…. కాబట్టి, ఇకపై నువ్వు భిక్షాటన మాని మా కొలువులోనే వుండు, ప్రతిరోజు ఐదు రూపాయలు నీకు మా ధనాగారం నుంచి అందే ఏర్పాటు చేస్తానని ఖలీఫా చెప్పడంతో కథ ముగుస్తుంది.
कठिन शब्दों के अर्थ – కఠిన పదాలకు అర్ధాలు
टीला – छोटी पहाड़ी, గుట్ట
जिन्नों – भूत साधन करनेवाला, భూత సాధన చేయువాడు
हज्जत – विवाद, తగువు
खोट – दोष, దోషం
धौल – थप्पड, లెంపకాయ
हील – बहाना, నెపం