AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 3 सोना हिरनी

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material गद्य भाग 3rd Lesson सोना हिरनी Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material 3rd Lesson सोना हिरनी

संदर्भ सहित व्याख्याएँ – సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు

प्रश्न 1.
कई वर्ष पूर्व मैंने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालूंगी, परंतु आज उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल प्राण जीव की रक्षा संभव है।
उत्तर:
लेखक परिचय : ये पंक्तियाँ सोना हिरनी नामक रेखाचित्र से दी गयी है। इस की लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आपकी प्रमुख रचनाएँ है – नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि | इनको ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।

संदर्भ : स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता का पत्र पढते अपनी पुरानी यादों के सहारे कह रही है।

व्याख्या : लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता ने पत्र लेखिका को लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । जो उन्हें उसे पालने के लिए दिया था । कुछ ही महीनों में उस हिरन के साथ बहुत स्नेह हो गया था । वह अब बड़ी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थल विस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ पालने देना चाहती है | पत्र पड़ते पडते लेखिका को अचानक ‘सोना’ (हिरन) की यादें ताजा हो जाती है । लेकिन कई वर्षों पूर्व लेखिका ने निश्वय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी। परंतु उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल जीवी की रक्षा संभव नहीं है।

विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है जो मानवीय संवेदना की गत्वर दीप्ती को जागृत करती है।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 3 सोना हिरनी

प्रश्न 2.
कवि गुरु कालिदास ने अपने नाटक में मृगी – मृग – शावक आदि को इतना महत्व क्यों दिया है, यह हिरन पालने के उपरांत ही ज्ञात होता है।
उत्तर:
लेखक परिचय : ये पंक्तियाँ सोना हिरनी नामक रेखाचित्र से दिया गया है। इस की लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रचनाएँ है – नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इनको ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है ।

संदर्भ : महाकवि कालिदास के मृगी-मृग शावक नाटक के बारे में लेखिका बता रही है।

व्याख्या : लेखिका पिछले दिनों में एक सोना नामक हिरनी पाल रही थी बहत कम दिनों में स्नेह हो गया था । जो छात्रावास में छात्राओं के साथ घुल – मिल गयी थी । लेखिका से ही दिन भर किसी न किसी प्रकार लगी रहती थी । इन सब बातों को सोचकर लेखिका मन ही मन कह ने लगती है कि कविगुरु कालिदास ने अपने नाटक में मृगी – मृग – शावक आदि को इतना महत्व क्यों दिया है यह हिरन पालने के उपरान्त ज्ञात होता है ।

विशेषताएँ : लेखिका अपनी पालतु हिरनी ‘सोना’ की स्मृतियों को याद करती हुई कालिदास मृगी-मृग शावक नाटक की रसात्मक अभिव्यक्ति में रम जा रही है।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 3 सोना हिरनी

प्रश्न 3.
यदि सोना को अपने स्नेह की अभिव्यक्ति के लिए मेरे सर के ऊपर कूदना आवश्यक लगेगा तो वह कूदेगी ही।
उत्तर:
लेखक परिचय : ये पंक्तियाँ सोना हिरनी नामक रेखाचित्र से दिया गया है। इस की लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हआ है | हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रचनाएँ है – नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इनको ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।

संदर्भ : लेखिका अपनी पालतू हिरन स्नेह से जुड़े रहने के बारे में बता रही है।

व्याख्या : लेखिका कह रही है – अनेक विद्यार्थियों की भारी भरकम गुरु जी से सोना का क्या लेना – देना था । वह तो उस दृष्टि को पहचान ती थी जिसमें उनका प्यार छलकता था! सोना अपने स्नेह की अभिव्यक्ति के लिए लेखिका के सिर के ऊपर से कूदना आवश्यक लगेगा तो वह कूदेगी ही । लेखिका की किसी अन्य परिस्थितियों से प्रभावित होना उसके लिए संभव ही नहीं था।

विशेषताएँ : जंगल के प्रणि मात्र के प्रति मनुष्य की संवेदना का सजीव चित्रण है । हिरन जंगली जीवी होते हुए भी मनुष्य के साथ मिल कर घुल – मिल जाने की रसात्मक कथा है।

दीर्घ प्रश्न – దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न
1. ‘सोना’ रेखाचित्र का सारांश लिखिए ।
2. ‘सोना’ रेखाचित्र का उद्देश्य समझाइया ?
उत्तर:
कवि – परिचय : इस रचना की लेखिका महादेवी वर्मा जी जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है। हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रयनाएँ है – नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र क्षणदा, श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इन को ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।

सारांश : प्रस्तुत ‘सोना हिरनी’ वर्मा जी का संस्मरणात्मक रेखचित्र है। इस रचना के माध्यम से प्राणिमात्र लिए अद्भुत संवेदनशीलता के दर्शन होते हैं । महादेवी वर्मा जी को आज अचानक ‘सोना की याद आने का कारण है लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु की पौत्री सस्मिता ने लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । जो उन्हें उसे पालने के लिए दिया था । कुछ ही महीनों में उस हिरन के साथ बहुत स्नेह हो गया था । वह अब बडी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थलविस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ पालने देना चाहती है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 3 सोना हिरनी

लेकिन कई वर्षों पूर्व लेखिका ने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी परंतु उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल जीवी की रक्षा संभव नही है | सोना हिरनी भी इसी प्रकार अचानक आयी थी, परंतु वह अब तक शैशवावस्था पार नहीं की हैं । सुनहरे रंग के रेश्मी लच्छों की गांठ के समान उसका लघु शरीर था, छोटा सा मुंह बड़ी आँखें । सब उसके सरल शिशु रूप से प्रभावित हुए कि किसी चंपकवर्णा रूपसी उपयुक्त सोना, सुवर्णा, स्वर्ण लेखा आदि नाम से परिचय बनाया । परंतु इस बेचारी हिरन शावक की कथा – व्यथा थी।

बेचारी ‘सोना’ भी मनुष्य की निष्टुर मनोरंजन प्रियता के कारण अपने अरण्य परिवेश और स्वजाति से दूर मानव समाज में आ पडी है । प्रशांत वनस्थली में जब अलस भाव से रोमान्थन करता हुआ मृग समूह शिकारियों की आहट से चौंक भागा । तब सोना और माँ प्रसूता-मृगशिशू होने के कारण भागने में असमर्थ रहे ऐसी स्थिती में सोना की माँ सोना को सुरक्षित रखने के यज्ञ में प्राण दिए | पता नहीं दया करुणा या कौतुक प्रियता के कारण शिकारी मृत हिरनी के साथ रक्त से सने ‘सोना’ को जीवित उठा लाया और उनमें से किसी की गृहिणि और बच्चों ने दूध पिला कर जीवित रखा | उस अनाथ मृगशावक को मुमूर्षावस्था में किसी लडकी ने लेखिका के पास लाया था ।

सुनहले रंग का होने के कारण हिरण को ‘सोना’ कहने लगे । बहुसुंदर हिरन लेखिका से इतना घुल – मिल गयी कि रात को लेखिका की पलंग के पाये से सट बिना गंदा किए सो जाती थी । छात्रावास की लड़कियों का अटूट स्नेह भाव रहा । लेखिका की बिल्ली – गोधूली, कुत्ते – हेमंत / वसंत, कुत्ती – फ़्लोरा से कुछी दिनों में घुल – मिल गयी | मेस में उस के पहुंचते ही छात्राएँ ही नहीं नौकर-चाकर तक दौड़ आते, सभी उसे कुछ न कुछ खिलाने को उत्साहित होते | उसे छोटे बच्चे अधिक प्रिय थे । उनसे खेलना पसंद था । लेखिका के प्रति कई प्रकार से स्नेह प्रदर्शित करती थी । भीतर आने पर वह लेखिका के परों को अपना शरीर रगडने लगती है, कभी लेखिका की ओर ऐसा देखने लगती है कि हंसी आ जाती है ।

गर्मियों में लेखिका का बद्रीनाथ यात्रा का कार्यक्रम बना । लेखिका ने अपने पालतू जीवों की जिम्मेदारी नौकरों को देकर यात्रा पर चली जाती है | यात्रा पूरी कर के लेखिका छात्रावास आते ही दुखद समाचार मिलता है कि एक दिन सोना बंधन की सीमा भूलकर ऊँचाई तक उछल और रस्सी के कारण मुख के बल धरती पर गिरी अपनी अंतिम सांस तोडदी । उस सुनहली किसी निर्जन वन में जन्मी ‘सोना’ को गंगा में प्रवाहित कर आये । लेखिका ने यह निश्चय किया कि हिरन कभी नहीं पालेंगी । संयोग से फिर हिरन ही पालना पड़ रहा है।

विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है।

लघु प्रश्न – లఘు సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न 1.
हिरन को किन – किन नामों से पुकारते थे?
उत्तर:
लेखिका हिरन को सोना, सुवर्णा, स्वर्ण लेखा आदि नामों से पुकारती है।

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प्रश्न 2.
सोना कहाँ आ पड़ी है ?
उत्तर:
बेचारी ‘सोना’ भी मनुष्य की निष्ठुर मनोरंजन प्रियता के कारण अपने अरण्य परिवेश और स्वजाति से दूर मानव समाज में आ पडी है ।

प्रश्न 3.
कुत्ते का स्वभाव क्या है ?
उत्तर:
कुत्ता स्वामि और सेवक में अंतर जानता है और स्वामी की प्रत्येक मुद्रा से परिचित रहता है । स्नेह से बुलाने पर गद्गद होकर निकट आ जाता है और क्रोध करते ही सभीत और दयनीय बनकर दुबक जाता है ।

एक वाक्य प्रश्न – ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न 1.
‘सोना हिरनी’ पाठ की लेखिका का नाम क्या है ?
उत्तर:
महादेवी वर्मा ।

प्रश्न 2.
सौंदर्य के प्रति किसका आकर्षका नहीं रहता?
उत्तर:
शिकारी।

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प्रश्न 3.
मनुष्य किसको असुंदर और अपवित्र मानता है ?
उत्तर:
मनुष्य मृत्यु को असुन्दर ही नहीं अपवित्र भी मानता है ।

प्रश्न 4.
पशु जगत में निरीह और सुंदर पशु कौन है ?
उत्तर:
हिरन ।

प्रश्न 5.
खिन्ध सुनहले रंग के कारण सब उसे क्या कहने लो?
उत्तर:
सोना ।

लेखक परिचय – రచయిత పరిచయం

इस रचना की लेखिका महादेवी वर्मा जी जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आपकी प्रमुख रचनाएँ है – नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इनको ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है ।

सारांश – సారాంశం

लेखक – परिचय : इस रचना की लेखिका महादेवी वर्मा जी जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रचनाएँ है – नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र क्षणदा, श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इनको ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।

सारांश : प्रस्तुत ‘सोना हिरनी’ वर्मा जी का संस्मरणात्मक रेखाचित्र है | महादेवी वर्मा जी को आज अचानक ‘सोना की याद आने का कारण है लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता ने लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । वह अब बड़ी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थल विस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ पालने देना चाहती है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 3 सोना हिरनी

लेकिन कई वर्षों पूर्व लेखिका ने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी सोना हिरनी भी इसी प्रकार अचानक आयी थी, परंतु वह अब तक शैशवावस्था पार नहीं की हैं । सब उसके सरल शिशु रूप से प्रभावित हुए कि किसी चंपकवर्णा रूपसी उपयुक्त सोना, सुवर्णा, स्वर्ण लेखा आदि नाम से परिचय बनाया । परंतु इस बेचारी हिरन शावक की कथा – व्यथा थी।

बेचारी ‘सोना’ भी मनुष्य की निष्टुर मनोरंजन प्रियता के कारण अपने अरण्य परिवेश और स्वजाति से दूर मानव समाज में आ पडी है। प्रशांत वनस्थली में जब अलस भाव से रोमान्थन करता हुआ मृग समूह शिकारियों की आहट से चौंक भागा । तब सोना और माँ प्रसूता-मृगशिशू होने के कारण भागने में असमर्थ रहे । ऐसी स्थिती में सोना की माँ सोना को सुरक्षित रखने के यज्ञ में प्राण दिए । उस अनाथ मृगशावक को मुमूर्षावस्था में किसी लडकी ने लेखिका के पास लाया था । सुनहले रंग का होने के कारण हिरण को ‘सोना’ कहने लगे । लेखिका की बिल्ली – गोधूली, कुत्ते – हेमंत / वसंत, कुत्ती फ़्लोरा से कुछी दिनों में घुल – मिल गयी । लेखिका के प्रति कई प्रकार से स्नेह प्रदर्शित करती थी।

गर्मियों में लेखिका का बद्रीनाथ यात्रा का कार्यक्रम बना । लेखिका ने अपने पालतू जीवों की जिम्मेदारी नौकरों को देकर यात्रा पर चली जाती है । यात्रा पूरी करके लेखिका छात्रावास आते ही दुखद समाचार मिलता है कि एक दिन सोना बंधन की सीमा भूलकर ऊँचाई तक उछल और रस्सी के कारण मुख के बल धरती पर गिरी अपनी अंतिम सांस तोडदी। उस सुनहली किसी निर्जन वन में जन्मी ‘सोना’ को गंगा में प्रवाहित कर आये | लेखिका ने यह निश्चय किया कि हिरन कभी नहीं पालेंगी । संयोग से फिर हिरन ही पालना पड़ रहा है।

विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है।

తెలుగు సారాంశం

‘సోనా హిరనీ’ యొక్క రచయిత్రి శ్రీమతి మహాదేవీ వర్మ గారు ఉత్తర భారత దేశములోని ఫరూకాబాద్లో జన్మించారు. హిందీ సాహిత్యములో ఛాయావాద కవయిత్రిగా సుపరిచితులు. శ్రీమతి వర్మ గారి రచనలు నీహార్, నీరజా, దీపశిఖా, సంధ్యాగీత్, అతీత్ కే చల చిత్ర, శృంఖలా కీ కడియా, స్మృతి కీ రేఖాయె, మేరాపరివార్ మొ|| శ్రీమతి వర్మ గారి ‘యామా’ కావ్యం జ్ఞానపీఠ పురస్కారం పొందినది.

ప్రస్తుత సోనా హిరనీ’ స్మృత్యాత్మక రచన. ఈ రచన ద్వారా రచయిత్రి మూగజీవుల పట్ల తనకున్న సానుభూతిని తెలియజేస్తున్నది. మహాదేవీ వర్మ గారికి అకస్మాత్తుగా తన సుపరిచితులైన స్వర్గీయ ధీరేంద్రనాథ్ వసుగారి మనుమరాలు సస్మిత నుండి ఉత్తరం రావటం చేత ‘సోనా’ జ్ఞాపకమొచ్చేసింది. ఆ ఉత్తర సారాంశము – సస్మిత వద్ద ఒక జింక పిల్ల ఉందని అది పెరిగే క్షమములో ఉండటము వల్ల చాలినంత స్థలము లేదని రచయిత్రి అయితే ఈ జింకను జాగ్రత్తగా పోషించగలరనే నమ్మకము చేత రచయిత్రికి ఇవ్వాలనుకుంటున్నది.

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కాని, రచయిత్రి కొన్ని సంవత్సరాల క్రితమే జీవితములో ఎప్పుడు జింకను పోషించకూడదని నిర్ణయించుకుంటుంది. కాని ఆ నియమాన్ని మీరకుండా ఈ జీవిని రక్షించటము కష్టం. సోనా అను జింక పిల్ల కూడా ఇదే విధముగా అకస్మాత్తుగా చేరినది. కాని అది శైశవావస్థ దాటని జింక పిల్ల. మేలిమి బంగారు ఛాయపై చారలు, చిన్న మూతి, సుకుమారమైన శరీరము, పెద్ద కళ్ళు కలిగిన ఈ జింక పిల్లను చూచి అందరు ఆకర్షితులైనారు. బంగారు వర్ణం కల ఈ జింక పిల్లను సోనా, సువర్ణ, స్వర్ణలేఖ అనే పేర్లతో ముద్దుగా పిలిచేవారు. కాని దౌర్భాగ్యురాలైన ఈ ‘సోనా’ కథ వ్యథలతో కూడినది.

సోనా కూడా మానవ వినోదాల దాష్టీకానికి బలై అరణ్యము, స్వజాతికి దూరమై మానవారణ్యములోకి వచ్చిపడినది. ఒకప్పుడు ప్రశాంతమైన అడవిలో అలసటతో సేదతీరుతున్న జింకల సమూహము వేటగాళ్ళ అలికిడితో ఉలికిపాటుకు గురై పరుగులు తీసింది. అప్పుడే జన్మనిచ్చిన కారణంగా సోనా తల్లి బలహీనముగా ఉన్న సోనా పరిగెడక పోవటము చేత సోనాను కాపాడుకునే యజ్ఞములో వేటగాడి బాణానికి గురై తుదిశ్వాస వదలినది. వేటగాడు చచ్చిన తల్లి జింక వెంట రక్తముతో నిండిన సోనాను ప్రాణాలతో తీసుకువచ్చాడు. వేటగాడి పిల్లలు ఆ జింక పిల్లకు పాలు పట్టించిన కాపాడారు. పోషణ కొరకు ఆ అనాథ జింక పిల్లను రచయిత్రి వద్దకు తీసుకొచ్చారు.

మేలిమి బంగారు ఛాయ గల ఈ జింక పిల్లను ‘సోనా’ అని పిలవసాగారు. ఈ సుందరమైన జింక పిల్ల అందరితో ఎంత కలివిడిగా ఉంటుందంటే ….. రాత్రిళ్ళు రచయిత్రి మంచము ప్రక్కన అశుభ్రపరచకుండా పడుకొని ప్రొద్దున బైటికి వెళ్ళిపోయేది. హాస్టలు అమ్మాయిలతో విడదీయరాని స్నేహాన్ని ఏర్పరచుకోవటమే కాకుండా రచయిత్రి వద్ద ఉన్న గోధూలి అనే పిల్లి, హేమంత్ – వసంత్ – ఫ్లోరా అనే కుక్కలతో తక్కువ సమయములోనే స్నేహమేర్పరచుకుంది. మెస్సుకు వచ్చే విద్యార్థినులే కాకుండా పనివాళ్ళు కూడా ఏదో ఒకటి తినిపించుటకు ఉత్సాహపడేవారు. చిన్నపిల్లలంటే ఇష్టపడే సోనా రచయిత్రి పట్ల సాన్నిహిత్యాన్ని ప్రదర్శించటమే కాకుండా గదిలో ఉన్న రచయిత్రి కాళ్లను ఆమె శరీరాన్ని స్పృశించేది. ఒక్కొక్కప్పుడు సోనా చేష్టలకు నవ్వు వచ్చేది రచయిత్రికి.

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వేసవిలో రచయిత్రి బద్రీనాథ్ యాత్రకు వెళుతూ పెంపుడు జంతువుల బాధ్యత పని మనుషులకు అప్పగించి జాగ్రత్తలు చెప్పి వెళ్ళింది. యాత్ర పూర్తి చేసుకుని తిరిగి హాస్టలుకు రాగానే సోనా మరణ వార్తను విని ఒక రోజు చాలా ఎత్తైన ప్రాంతానికి ఎక్కి తాడు కారణంగా క్రిందికి పడి తల పగిలి తన చివరి శ్వాసను వదులుతుంది. అందరు కలిసి సోనా పార్ధివ దేహాన్ని గంగానదికి అర్పించారు. అదేరోజు కవయిత్రి ఇకపై జింకను చేరదీయకూడదని నిశ్చయించుకుంటుంది. కాని విధివశాత్తూ ఇప్పుడు జింక పిల్లను – పోషించక తప్పని పరిస్థితి అవకాశం వద్దనుకున్నా రానే వచ్చింది.

कठिन शब्दों के अर्थ – కఠిన పదాలకు అర్ధాలు

कांध – बिजली की चमक, మెరుపుతీగ కాంతి
प्रसाधन – श्रृंगार की सामग्री, అలంకరణ సామగ్రి
शादक – पहाड़, పర్వతం
सना – चिकना, చిక్కిన
मृग छौना – मृग का बच्चा, జింకపిల్ల
बताशे – एक प्रकार की मिठाई, ఒక రకమైన చెక్కర మిఠాయి
दूब चरना – एक प्रकार की घास, ఒక రకమైన గడ్డి
लाभीली – लालपन , ఎరుపుదనం
रोमन्थन – परिवर्तन, మార్పు

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