AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 8 with Solutions

Access to a variety of AP Inter 2nd Year Hindi Model Papers Set 8 allows students to familiarize themselves with different question patterns.

AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 8 with Solutions

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड – क ( 60 अंक)

1. निम्नलिखित दोहे की पूर्ति करते हुए भावार्थ सहित विशेषताएँ लिखिए ।

एक भरोस ……………………..
…………………. चातक तुलसीदास ।।
उत्तर:
एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास |
एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास ॥
भावार्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र के बादलों पर विश्वास रखता है क्यों कि वही उसका बल है । इसीलिए वह स्वाती नक्षत्र के बादलों की प्रतीक्षा करता है स्वाती नक्षत्र के वर्षा की, बूँदों कोही पीता है । उसी प्रकार तुलसी भी श्रीरामचंद्र पर विश्वास रखते है । वही उनका बल है । वह उनकी प्रतीक्षा में ही रहता है । इसी लिए तुलसी रुपी चातक के लिए राम बादल बन गये ।

अथवा

1×8 = 8

मेरी भव बाधा …………………..
……………………. दुति होई ॥
उत्तर:
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरी सोई ।
जा तन की झाई परै, स्यामु हरित दुति होई ॥
भावार्थ : इस दोहे के माध्यम से कवि बिहारीलाल जी राधा की स्तुति करते हुए कहते है कि – मेरी सामसारिक बाधाएँ वही चतुर जानी राधा दूर करेगी जिसके शरीर की छाया पड़ने ही काले रंग वाले श्रीकृष्ण गोरे रंग के प्रकाशावाले बन जाते हैं । अर्थात राधा के मिलन से श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं । श्री कृष्ण का रंग काला है और राधा का वर्ण पीला है। पीले और काले रंग के मेल हरे रंग का बनना सहज और स्वाभाविक है । पीला शुभ का, काला दुःख का और हरा खुशहाली या प्रसन्नता का प्रतीक है। इन तीनों रंगों का सम्मिश्रण ही संसार है ।

2. किसी एक कविता का सारांश बीस पंक्तियों में लिखिए | (1 × 6 = 6)

1. ‘ऊर्मिला का विरह गान कविता का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं। खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई को झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है । सिाकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ – वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

सारांश : प्रस्तुत कविता साकेत नामक महाकाव्य के नवम सर्ग से लिया गया है । रामायण में अधिक उपेक्षित तथा अनदेखा नारी पात्र उर्मिला । इस कविता में विरह विदग्ध उर्मिला की मनोदशा का मार्मिक चित्रण है । लक्ष्मण राम और सीता के साथ वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है । उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रह ने कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है ।

हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसू मोती बनते जा रहे हैं सदा यही मानती रही हूँ कि तुम मेरे देवता हो, तुम ही मेरे सब कुछ हो तथा मेरे आराध्य हो । अपने आप को साबित करना अनिवार्य है कि मैं सोती रहती हूँ या जागती रहती हूँ पर तुम्हें ही याद करती रहती हूँ, तुम्हारे ही स्मरण में जी रही हूँ । तुम्हारे हंस ने में फूल है असीम प्यार है और हमारे रोने में मोती हैं ।

प्रार्थना करती हूँ कि तुम्हारा त्याग सहज हो, सफ़ल हो, मेरा अटूट विश्वास है कि आपके प्रति मेरा अनुराग, प्रेम कभी निष्फल नहीं होगा । बस साधन-भाग स्वयं सिद्धी है । अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती ।
काल चक्र भले ही रूक ना जाय, तुम्हारे और मेरे मिलन को भले ही काल चक्र रोक पाये, पर हमारे लिए बस विरह काल है । तुम जहाँ हो वहाँ सृजन, मिलन है, पर यहाँ राजभवन में सुविशाल प्रलंय, विनाश सा सूना सूना काँत है ।

विशेषताएँ : इतिहास में उपेक्षित उर्मिला नामक नारी पात्र को महत्व देने का प्रयास किया है । गुप्त जी ने उर्मिला के दुख को, उसकी पीड़ा के प्रति अपनी संवेदना, सहानुभुति प्रकट किया है । कविता की भाषा सरल सहज अवं प्रसंगानुकूल शुद्ध खडीबोली है | शैलि लालित्य से भरपूर है ।

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2. परशुराम की प्रतीक्षा’ कविता का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि – परिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी,. परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।

सारांश : परशुराम की प्रतीक्षा एक खंड काव्य है । भारत चीन युद्धानंतर देश की परिस्थितियाँ बदलवगयी । देश में निराशा हताशा कि स्थिति फैली हुई थी, ऐसी स्थिति को दूर करने के लिए परशुराम जैसे वीर के पुनः जन्म की प्रतीक्षा थी इसी प्रतीक्षा को लेकर यह लिखा गया है । परशुराम की प्रतीक्षा काव्य के माध्यम से कवि दिनकर जी ने भारतीय संस्कृति के महत्व का परिचय दिया है। भारत की संस्कृति सर्वोन्नत है ही ।

कवि कह रहे हैं हम कैसी बीज बो रह हैं हमे पता ही नहीं, पर यहाँ की धरती दानी है । मनुष्य उसको जब भी जल कण देता उस के दान वृथा नहीं होने देती, बदले में कुछ न कुछ देती है । यह धरती वज्रों का निर्माण करती है । यह देश और कोई नहीं, केवल हम और तुम है । यह देश किसी और के लिए नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा और तुम्हारा है । भारत में न तो जाति का, न तो गोत्रों का बन्धन है । अनेकता में एकता रखने वाला देश है । इस देश में महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों का जन्म हुआ, इन महा पुरुषों के त्याग की नीव पर इस देश का निर्माण हुआ है, शंकराचार्य का शुद्ध विराग लेकर आते हैं । यह भी सच है कि जब i भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भाग्य लिए आते हैं । भारत पर चीन के आक्रमण के समय भारत का गौरव घायल हुआ है । इसीलिए भारत के लोग चोट खाये भुजंग की तरह क्रोदित हो कर सुलगी हुई आग बना देते हैं । जब किसी जाति का आत्म सम्मान चोट खाता है, आग प्रचंड हो कर बाहर आती है । यह चोट खाये स्वदेश का बल वही है । ऐसी परिस्थिति में देश के उद्धार के लिए परशुराम जैसे वीर आदर्श पुरुष की प्रतीक्षा करते हैं । परशुराम के आदर्शों के बल पर भारत का भाग्योदय संभव है ।

 

3. किसी एक पाठ का सारांश 20 पंक्तियों में लिखिए । (1 × 6 = 6)

1. ‘सोना’ रेखाचित्र का सारांश लिखिए |
उत्तर:
कवि परिचय : इस रचना की लेखिका महादेवी वर्मा जी जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रयनाएँ है नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीपं शिखा, अतीत के चलचित्र क्षणदा, श्रृंखला की कडियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इन को ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है ।

सारांश : प्रस्तुत ‘सोना हिरनी’ वर्मा जी का संस्मरणात्मक रेखचित्र है । इस रचना के माध्यम से प्राणिमात्र लिए अद्भुत संवेदनशीलता के दर्शन होते हैं। महादेवी बर्मा जी को आज अचानक ‘सोना की याद आने का कारण है लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु की पौत्री सस्मिता ने लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । जो उन्हें उसे पालने के लिए दिया था । कुछ ही महीनों में उस हिरन के साथ बहुत स्नेह हो गया था । वह अब बडी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थलविस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ पालने देना चाहती है ।

लेकिन कई वर्षो पूर्व लेखिका ने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी परंतु उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल जीवी की रक्षा संभव नही है। सोना हिरनी भी इसी प्रकार अचानक आयी थी, परंतु वह अब तक शैशवावस्था पार नहीं की हैं। सुनहरे रंग के रेश्मी लच्छों की गांठ के समान उसका लघु शरीर था, छोटा सा मुँह बडी आँखें । सब उसके सरल शिशु रूप से प्रभावित हुए कि किसी चंपकवर्णा रूपसी उपयुक्त सोना, सुवर्णा, स्वर्ण लेखा आदि नाम से परिचय बनाया। परंतु इस बेचारी हिरन शावक की कथा व्यथा थी ।

बेचारी ‘सोना’ भी मनुष्य की निष्टुर मनोरंजनप्रियता के कारण अपने अरण्य परिवेश और स्वजाति से दूर मानव समाज में आ पडी है । प्रशांत वनस्थली में जब अलस भाव से रोमान्थन करता हुआ मृग समूह शिकारियों की आहट से चौंक भागा । तब सोना और माँ प्रसूता- मृगशिशू होने के कारण भागने में असमर्थ रहे ऐसी स्थिती में सोना की माँ सोना को सुरक्षित रखने के यज्ञ में प्राण दिए । पता नहीं दया करुणा या कौतुक प्रियता के कारण शिकारी मृत हिरनी के साथ रक्त से सने ‘सोना’ को जीवित उठा लाया और उनमें से किसी की गृहिणि और बच्चों ने दूध पिला कर जीवित रखा । उस अनाथ मृगशावक को मुमूर्षावस्था में किसी लडकी ने लेखिका के पास लाया था ।

सुनहले रंग का होने के कारण हिरण को ‘सोना’ कहने लगे । बहुसुंदर हिरन लेखिका से इतना घुल मिल गयी कि रात को लेखिका की पलंग के पाये से सट बिना गंदा किए सो जाती थी। छात्रावास की लड़कियों का अटूट स्नेह भाव रहा । लेखिका की बिल्ली – गोधूली, कुत्ते – हेमंत / वसंत, कुत्ती – फ़्लोरा से कुछी दिनों में घुल – मिल गयी । मेस में उस के पहुंचते ही छात्राएँ ही नहीं नौकर-चाकर तक दौड़ आते, सभी उसे कुछ न कुछ खिलाने को उत्साहित होते । उसे छोटे बच्चे अधिक प्रिय थे । उनसे खेलना पसंद था । लेखिका के प्रति कई प्रकार से स्नेह प्रदर्शित करती थी । भीतर आने पर वह लेखिका के पैरों को अपना शरीर रगड़ने लगती है, कभी लेखिका की ओर ऐसा देखने लगती है कि हंसी आ जाती है ।

गर्मियों में लेखिका का बद्रीनाथ यात्रा का कार्यक्रम बना । लेखिका ने अपने पालतू जीवों की जिम्मेदारी नौकरों को देकर यात्रा पर चली जाती है । यात्रा पूरी कर के लेखिका छात्रावास आते ही दुखद समाचार मिलता है कि एक दिन सोना बंधन की सीमा भूलकर ऊँचाई तक उछल और रस्सी के कारण मुख के बल धरती पर गिरी अपनी अंतिम सांस तोडदी । उस सुनहली किसी निर्जन वन में जन्मी ‘सोना’ को गंगा में प्रवाहित कर आये । लेखिका ने यह निश्चय हिया कि हरन कभी नहीं पालेंगी । संयोग से फिर हिरन ही पालना पड़ रहा है ।

विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह- संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है ।

2. ‘अंधे बाबा अब्दुल्ला की कहानी’ पाठ का सारांश लिखिए |
उत्तर:
कवि परिचय : अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक कहानी अलिफ लैला की कहानियाँ में से संकलित है । प्रस्तुत कहानी स्वयं में ही चमत्कृत एवं अद्भुत कहानी है । यह कहानी तिलिस्म और अथ्यारी से परिपूर्ण है जो कथा को मनोरंजक और अय्यारी । रोचक बनाते है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दल्ला है ।

बाबा अब्दुल्ला के माता – पिता के देहांत के बाद उनका धन उत्तराधिकार में अब्दुल्ला पाकर उस धन को भोग विलास में शीर्घ ही गँवा दिया। फिर जी तोडकर धनार्जन किया और उससे अस्सी ऊँट खरीदे । उन ऊँटो को किराए पर व्यापारियों को देकर इतना धन कमाया कि सारा जीवन आराम से बिता सकें ।

सारांश : एक बार हिंदुस्तान जानेवाले व्यापारियों का माल ऊँटो पर लादकर बसरा ले गया । माल जहाजों पर चढाकर ऊँटो के साथ बागदाद वापस आने लग | रास्ते में एक जगह आराम करने लगा । इतने में बसरा से बगदाद को जानेवाला एक फेकीर उसके पास आया और कहा- तुम रात दिन बेकार मेहनत करते हो। मै एक जगह दिखाऊंगाँ जहाँ पर असंख्य द्रव्य भरा पडा है । तुम इन अस्सी ऊँटों को रत्नों और अरार्फियों से लाद सकते हो । इससे अब्दल्ला के मन में लालच पैदा हो गयी ।

फकीर ने आधे ऊँट देने की शर्त से वह खजाने की जगह दिखाने लगा । अब्दुल्ला इस शर्त को मान लिया। दोनो जिनो से बनाये हुए उस भव्य भवन से रत्नो और अशर्फियों को ऊँटो की खुर्जियों में भरने लगे । फकीर एक कमरे में लकडी की डिबिया निकाली और अपनी जेब में रखली । जिसमें मरहम रखा हुआ था । बाद में फकीर मंत्र पढा वह जगह गायब हो गयी । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने मे अब्दुल्ला के दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस ले लिया । इतने से संतुष्ट न होकर उस फकीर से ‘मरहम’ भी देने केलिए कहा । फकीर ने मरहम को उसकी बायी आँख पर लगाया जिससे संसार के गुप्त खजाने दिखने लगे, अत्याशा से फकीर मना करने पर भी दूसरी आँख की पलक पर भी मरहम को लगाने पर मजबूर करदिया । जिससे दोनो आँखों की शेरनी खोकर अंधा हो जाता है । बाद में फकीर सभी ऊँठ लेकर चला गया ।

इस तरह बाबा अब्दुल्ला अपनी मूर्खता और लालच के कारण सब कुछ खो बैठा। इस बुरी दशा को देखकर खलीफ ने कहा- “तुम्हारी मूर्खता तो बहुत बडी है | भगवान तुम्हे क्षमा करेंगे। तुम्हे जीवन भर के लिए हर रोज पाँच रुपयाँ मिला करेंगे । बाबा अब्दुल्ला के खुश होने से कहानी समाप्त हो जाती है ।

विशेषताएँ :
1) इस कहानी में दर्शाया गया है कि लालच का फल बुरा होता है। लोभी व्यक्ति का नाश होना संभव है ।
2) यह शिक्षाप्रद कहानी हँ, भाषा सरल और प्रवाहमान हँ ।

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4. किसी एक एकांकी का सारांश लिखिए । (1 × 6 = 6)

1. ‘सर्प दंश एकांकी का सारांश लिखिए |
उत्तर:
उ. कवि परिचय : प्रस्तुत एकांकी सर्प दंश की लेखिका शांति मेहरोत्रा है । शांति मेहरोत्रा जीने जनसाधारण से भोगी- झेली यथार्य स्थितियां और घटनाएँ इस एकांकी में प्रस्तुत की है ।

सर्प दंश शब्द अपने आप में एक गंभीर समस्या नजर आती है । जिसके लिए त्वरित इलाज की जरुरत पडती है लेखिका ने इस सर्प दंश समस्या को व्यंगात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है ।

सारांश : रीता नामक बाईस साल की एक लडकी सुबह के नौ बजे को पूजा के लिए फूल तोडते समय, बगीचे मे उसे साँप काटता है। घास के ज्यादा उगने के कारण रीता साँप को ठीक से देख नही पाती है । लेकिन अपने पैर को ध्यान पूर्वक जब देखती है तो उसे दो गोल गोल बारीक निशान दिखाई देते है जिनमें खून भी छलक आया था। वह तुरंत अस्पताल पहुँचती है । वहाँ क्यू में खडे रहने की नौबत आ पडती है । सर्प – दंश एक गंभीर समस्या है लेकिन रीता को क्यु में खडे होने के लिए मजबूर करते है । परचा बनाते समय कर्मचारी शर्मा तथा हरीलाल रीता को सताते है । हरीलाल, रीता से कहता है – लाइन में खडे – खडे मरने का आर्डर नही है, यहाँ से परचा बनवाकर वार्ड में पहुँच जाओ, जब जी चाहा जियो या जी चाहा मरो ।

इतने में एक नीली साडी वाली औरत सबसे आगे जाकर परचा बनवा लेती है । रीता के पूछने पर हीरालाल जवाब देता है कि वह डाक्टर की रिश्तेदार है और इसलिए उसको क्यू में खडे होने की जरूरत नहीं है ।

रीता खड़ी नही हो पाती है । इसलिए हीरालाल के स्टूल पर बैठ जाती है । परचा बनवाने की जब उसकी बारी आती है तब उसको शर्मा से भिडना पडता है । शर्मा रीता से पूछने लगता है कि किस जाति का सांप ने उसको काटा ? रीता जब कहने लगती है कि उसने सांप को ध्यान से नही देखा, शर्मा चिढकर कहने लगता है कि मैं आपकी भलाई के लिए पूछ रहा हूँ हर जाति के सांप के काटे का प्रति विष अलग होता है। नाग के काटने पर करैत के काटे का इलाज होता है तो मरीज उल्टे इलाज से मरजाता है तो जिम्मेदारी किसकी बनेगी। रीता से पुन: विचार कर परचे पर सर्प दंश लिखकर भेजदेता है |

रीता जब डां. बहादुर से मिलने जाती है तब उनके दरवाजे पर कर्मचारी रीता को रोकता है। रीता उसके हाथ में दस रुपये थाम देती हैं, रीता को तब कर्मचारी अंदर भेजता है । डॉ. बहादुर भी रीता से पूछने लगता है कि सांप किस जाति का था वह विषैल साँप या कि साधारण ? उसका रूप, धारियाँ रंग कैसा नही था ? ऊँबकर रीता डाक्टर से करने लगते है कि उसने ध्यान नही दिया था कई सवाल जवाब के बाद बहादुर उसे एमर्जेन्सी में जाकर दवा के साथ पट्टी लगवाने की सलाह देता है ।

इतने में कर्मचारी से पता चलता है कि एमर्जेन्सी में एक पूरे बसके घायलो के इलाज के लिए लाया है । वह रीता को अब्जर्वेशन के लिए अस्पताल में भर्ती होने का सलाह देता है। रीता भर्ती होने के लिए सोचती ही रहती हैं कि इतने में हीरालाल उसके सामने आता है । रीता के यह कहने · पर कि उसके माता पिता बाहर गये, तब हीरालाल यह कहकर रीता को शांत करता है कि वह स्वयं रीता के घर जाकर अगले दिन सुबह उसके माता – पिताजी को रीता का समाचार दे आयेगा । तब रीता उसके हाथ में दस रुपये रख देती है। हीरालाल खुश होकर रीता का खयाल रखने लगता है ।

रीता को दवाई लेने का समय होता है। वह सिस्टर से पानी माँगती है । सिस्टर चिढ़ – चिढ़कर बोलने लगती है कि घर से पानी आने तक थोडा इंतजार कर लीजिए ? इतने में हीरालाल सिस्टर के सामने आता है । हीरालाल से रीटा का जंब समाचार मिलता है तब सस्टिर उससे कहने लगती है कि बेड नं तेरह रीता की मैं भी ख्याल रखूँगी ।

भोर होता है और रीता अस्पताल के बाहर निकलती है। हीरालाल जब सामने आता है तो उससे रीता कहती है कि मेरी जान बची है, अगर कोई सांप काटे का मरीज अस्पताल में इलाज़ के लिए आता है तब हीरालाल उसे बोलने से रोकता है और कहता है कि उसे सीधे डाक्टर के पास भेजूँगा, लाइन में लगने केलिए हरगिज नही कहूँगा । धीरे – धीरे परदा गिरता है और एकांकी समाप्त हो जाती है ।

विशेषताएँ : एक सरकारी अस्पताल की कार्य प्रणाली एवं उसके कर्मचारियों तथा डाक्टरों की मानशिकता को व्यंग्यात्मक ढंग इस एकांकी में प्रस्तुत किया गया ।

2. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
लेखक का परिचय : जगदीशचन्द्र माथुर हिन्दी साहित्य के जाने- माने नाटककार और एकांकीकार हैं । आपका साहित्य सृजन भारतीय समाज को आधार बनाकर हुआ । आपने समाज की विविध विसंगतियों और समस्याओं को उजागर किया और विशेषकर नारी की समस्याओं का चित्रण उनके साहित्य में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ‘भोर का तारा’, ‘ओ मेरे सपने’, ‘शारदीय’, ‘पहला राज’ आदि आपकी कृतियाँ हैं ।

सारांश : प्रस्तुत पाठ ‘रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है । इसमें भारतीय समाज में व्याप्त नारी विरोधी विचारधारा का चित्रण किया गया है । एकांकी के मुख्य पात्र उमा, उसके पिता रामस्वरूप, लड़का शंकर और उसके पिता गोपालप्रसाद हैं। प्रेमा और रतन एकांकी के गौण पात्र हैं ।

उमा एक पढ़ी लिखी युवती है । वह मेहनत करके बी.ए. पास करती है और आत्मनिर्भर होना चाहती है । प्रेमा और रामस्वरूप उसके माता-पिता । एक औसत मध्यवर्गीय पिता होने के कारण रामस्वरूप यथाशीघ्र अपनी बेटी का विवाह कर देना चाहता है। जल्दी में वह शंकर नामक युवक से उमा का विवाह तय करता है । शंकर मेडिकल कॉलेज का छात्र है और उसके पिता गोपालप्रसाद वकील है । लेकिन वे नहीं चाहते कि लड़की ज्यादा पढ़ी-लिखी हो । इसलिए रामस्वरूप उनसे झूठ बोलता है कि उसकी बेटी सिर्फ मेट्रिक पास है । दोनों को लड़की देखने घर आमंत्रित करता है । उस दिन वह बहुत घबराहट के साथ सारी तैयारियाँ करवाता है । पत्नी प्रेमा और नौकर रतन को कई काम सौंपता है । प्रेमा कहती है कि यह विवाह उमा को मंजूर नहीं है । किन्तु रामस्वरूप नहीं मानता। वह पत्नी को डाँटता है कि कुछ न कुछ करके लड़की को तैयार रखे। उसे डर है कि कहीं यह रिश्ता हाथ से न जाये ।

निश्चित समय पर शंकर अपने पिता के साथ लड़की को देखने आता है । शंकर एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवक है किन्तु उसका अपना कोई व्यक्तित्व नहीं है । वह अपने पिता की बात पर चलनेवाला युवक है । पिता गोपालप्रसाद तो वकील है किन्तु उसके विचार पुराने हैं। वह चाहता है कि घर की बहू ज्यादा पढ़ी-लिखी न हो। इसलिए वह रामस्वरूप की बात मानकर, लड़की देखने आता है । पिता-पुत्र की बातों से उनका स्वार्थ और चतुराई स्पष्ट होती है । गोपालप्रसाद का विचार है कि लड़की और लड़के में बहु अंतर होता है, इसलिए कुछ बातें लड़कियों को सीखनी नहीं चाहिए। उनमें शिक्षा भी एक है । वह कहता है कि मात्र लड़के ही पढ़ाई के लायक हैं, लड़कियों का काम बस घर को संभालना है ।

रामस्वरूप अपनी बेटी को दोनों के सामने पेश करता है और उमा सितार पर मीरा का भजन गाती है । गोपालप्रसाद उससे कुछ प्रश्न करता है तो वह कुछ जवाब नहीं देती । उमा से जब बोलने को बार-बार कहा जाता है तो वह अपना मुँह खोलती है । वह कहती है कि बाजार में कुर्सी – मेज वगैरा खरीदते समय उनसे बात नहीं की जाती । दूकानदार बस उनको खरीददार के सामने लाकर दिखाता है, पसंद आया तो लोग खरीदते हैं । उसकी बातें सुनकर गोपालप्रसाद हैरान हो जाता है । उमा तेज आवाज में कहती है कि लड़कियों के भी दिल होते हैं और उनका अपना व्यक्तित्व होता है । वे बाजार में देखकर खरीदने के लिए भेड़-बकरियाँ नहीं हैं । वह शंकर की पोल भी खोल देती है कि वह एक बार लड़कियों के हॉस्टल में घुसकर पकड़ा गया और नौकरानी के पैरों पर गिरकर माफी माँगी । इस बात से शंकर भी हैरान चलने लगता है और गोपालप्रसाद को मालूम हो जाता है कि वह पढ़ी-लिखी हैं । उमा हिम्मत से कहती है कि उसने बी. ए. पास की है । यह सुनकर गोपालप्रसाद रामस्वरूप पर नाराज हो जाता है और दोनों चलने लगते हैं । उमा गोपालप्रसाद को सलाह देती है कि ‘ज़रा पता लगाये कि बेटे के रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ।’ यही पर एकांकी समाप्त होता है ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य भारतीय समाज की विविध समस्याओं को उजागर करना है। लड़कियों को लड़कों के बराबर न देखना, जल्दबाजी करके किसी अयोग्य के गले लड़की मढ़ देना, दहेज न दे पाने के कारण लड़की के पिता की लाचारी, लड़कियों को प्राणहीन वस्तु की तरह देखने की मानसिकता, उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों में व्यक्तित्व का अभाव इत्यादि कई समस्याएँ इस एकांकी में चित्रित हैं । लेखक बताते हैं कि इनमें कई समस्याओं का एकमात्र समाधान ‘लड़की – शिक्षा’ है। उन्होंने उमा के पात्र से दिखाया कि पढ़ी-लिखी युवतियाँ कितनी ताकतवर होती हैं। रीढ़ की हड्डी व्यक्तित्व का प्रतीक है किन्तु शंकर का अपना व्यक्तित्व नहीं है इसलिए एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ रखा गया । भाषा बहुत सरल और शैली प्रवाहमान है ।

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)

1. अमर्त्य वीर – पुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य – पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो
उत्तर:
कवि परिचय : ‘हिमाद्री से कविता के कवि जयशंकर प्रसाद जी हैं । प्रसाद जी छायावादी कविता के प्रकाश स्थंभ हैं । इनका जन्म सन् 1881 को काशी में हुआ । आप कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं । आपकी रचनाएँ हैं कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय, झरना आँसू लहर, कामायनी (महाकाव्य), कंकाल, तितली, इरावती, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त आदि। इनकी भाषा शैली स्वाभाविक एवं संवेदनशील है। इनका निधन 1937 ई. में हुआ ।

संदर्भ : कवि परिचय कवि अलका के माध्यम से भारत वासियो को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए उत्तेजित कर रहे है ।
माता स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है । जागो हे अमर्त्य वीर पुरुषों जागो, भारत माता के सपूतों जागो । दृढ संकल्प के साथ प्रतिज्ञा करो कि “भारत देश को आजाद बनायेंगे’ इस सर्वश्रेष्ठ, पुण्य, उत्तम मार्ग में निकलो… बढ़ते चलो, बढ़ते चलो । विजयी बनो । रुको मत हे वीर पुत्रों, तुम्हारा मार्ग प्रशस्त ही नहीं पवित्र तथा पुण्यवाला है ।

विशेषताएँ : यह गीत अलका के देश प्रेम, लगन और उत्साह को प्रदर्शित करता है प्रसाद जी अपने समय में देश की स्थिति से प्रभावित हो कर अलका के मुह से यह गीत गवाया है । यह गीत देशभिमान, जागृति और नवीनता से ओतप्रेत है ।

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2. असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
उत्तर:
कवि – परिचय : प्रस्तुत कविता ‘कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती’ के कवि हरिवंशराय बच्चन जी हैं । आप हिन्दी साहित्य में हालावाद के प्रवर्तक माने जाते हैं । ‘मधुशाला’, ‘मधुकलश’ आपके बहुचर्चित काव्य हैं ।

संदर्भ : प्रस्तुत कविता में मनुष्य को निरंतर प्रयत्नशील बनकर रहने का संदेश दिया गया है ।

व्याख्या : प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं ” असफलता एक चुनौती है और उसे स्वीकार करना चाहिए। पिछले प्रयास में हमने क्या किया और उसमें क्या कमी है – इन बातों की समीक्षा करके अपने आपको सुधारना चाहिए । पुनः उत्साह से प्रयास करना चाहिए । जब तक सफल नहीं होते तब तक नींद और आराम को छोड़ देना चाहिए ।”

विशेषता : प्रस्तुत कविता में बच्चन जी हु ही सरल भाषा में पाठकों को प्रेरणा देते हैं । उनके अनुसार आदमी तभी हार जाता है, जब वह अपनी कोशिश रोक देता है। जब तक वह कोशिश करता रहेगा तब तक वह पराजित नहीं होता ।

3. सखे जाओ तुम हँस कर भूल ।
रहूँ मैं सुध करके रोती ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक से दी गयी है । इस कविता के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं । खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ। गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

संदर्भ : ये पंक्तियाँ उर्मिला वनवास को गये लक्ष्मण को याद करते दुख भाव से कहती है ।

व्याख्या : राम और सीता के साथ लक्ष्मण वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है। उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रहने के कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है ।
हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसु मोती बनते जा रहे हैं ।

विशेषताएँ : अपने पती के वियोग विरह में विदग्ध उर्मिला का वर्णन है। वियोग श्रृंगार का सफ़ल प्रस्तुतीकरण है । भाषा शुद्ध खडीबोली हैं ।

4. यह दान वृथा वह कभी नहीं लेती है,
बदले में कोई दूब हमें देती है ।
उत्तर:
कवि परिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं । ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।

संदर्भ : कवि दिनकर जी इन पंन्तियों के माध्यम से भारत की गारिमा का गान गा रहे हैं ।

व्याख्या : कवि भारत के संदर्भ में कह रहे हैं हम कैसी बीज बो रहे हैं हमे पता ही नहीं, पर यहाँ की धरती दानी है । मनुष्य उसको जब भी जल कण देता उस के दान वृथा नहीं होने देती, बदले में कुछ न कुछ देती है । यह धरती वज्रों का निर्माण करती है । यह देश और कोई नहीं, केवल हम और तुम है यह देश किसी और केलिए नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा और तुम्हारा है ।

विशेषताएँ : कवि भारत के वैशिष्ट्य का गान गा रहे हैं । यह: देशभक्ति भरी कवित है ।

6. निम्नलिखित में से किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)

1. उस व्यक्ति के पैरों में बच्चे को डालकर उसने कहा, “मैं चली जाती हूँ । इस बच्चे को तुम ठोकर मारकर जहाँ चाहे फेंक दो ।
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ” अपना पराया’ नामक कहानी से दी गई है । कहानी के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है। आप हिन्दी कहानी क्षेत्र में मनोविश्लेषणवादी रचनाकार के रूप में सुपरिचित हैं । आपका जन्म 1905 ई – अलीगढ़ के कौडियागंज में हुआ । गांधी जी के प्रभाव से असहयोग आन्दोलन में भागलेने के कारण जेल भी गये ! जेल के वातावरण से ही कहानियाँ लिखने की प्रेरणा मिली! आपने भाषा की सहजता शिल्पगत सूक्ष्मता पर अधिक बल दिया है ।

संदर्भ : एक सिपाही लंबे समय के बाद घर जाते टहरने पर घटित घटना का वर्णन है ।

हुए सराय में रात

व्याख्या : एक सिपाही लंबे समय के बाद परिवार वालों से मिलने.. – हुए एक सराय में रात के समय में टहरता है । परिवार के बारे में कल्पनाएँ करता है, स्वप्न देखता है । रात का भोजन करके गाढ़ी नींद मे सो भटियारे को भेज कर रोनो की आवाज बन्द कराने के प्रयत्न करता है पर विफल रहता है। खुद सिपाही वहाँ पर जाता है, रोते बच्चे को और उसकी माँ को कहीं और जाने के आदेश देन पर उस स्त्री ने सिपाही के पैरों मे अपने बच्चे को डाल कर गिड़गिड़ाते हुए कुछ घंटे की मुहलत मांगती है, कुछ भी ना सुनने पर कहती है- “इस बच्चे को तुम ठोकर मार कर जहाँ चाहे फेंक दो ।”

विशेषता: कुछ वर्ष पूर्व पत्नी और बच्चे को छोड गये पती को खोजती पत्नी और बच्चे की मार्मिक कथा है । जो दिल की सतह को छूने वाली है मानवीय संबंधों को उभारने वाली है ।

2. एक आलसी मनुष्य उस घरवाले के समान है जो अपना घर चोरों के लिए खुला छोड़ देता है ।
उत्तर:
संदर्भ : प्रस्तुत गद्यांश ‘आलस्य और दृढ़ता’ नामक लेख से दिया गया है । इसके लेखक बाबू श्यामसुंदर दास हैं । आप हिन्दी के जाने-माने विद्वान और आलोचक हैं | आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दीविभाग के प्रथम अध्यक्ष थे । काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापकों में आप भी एक थे । आपने विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी को एक पाठ्य-विषय के रूप में स्थान दिलाया । प्रस्तुत लेख में आप युवापीढ़ी को आलस्य छोड़ने का संदेश देते हैं ।

व्याख्या : सुस्ती या आलसीपन के कारण गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । आलसी आदमी उस मकान मालिक के समान है जो अपने घर को चोरों के लिए खुला छोड़कर तमाशा देखता है। क्योंकि आलसीपन अनेक ‘समस्याओं को आश्रय देता है जो संपूर्ण जीवन का नाश कर देती हैं । अतः जीवन में कभी आलसी बनना नहीं चाहिए ।

विशेषता: यहाँ रचइता घर से एक व्यक्ति के जीवन की तुलना करते हैं । आलस्य के कारण हमारा जीवन अनेक समस्याओं का निलय होकर खाली हो जायेगा ।

3. कई वर्ष पूर्व मैंने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालूँगी, परंतु आज उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल प्राण जीव की रक्षा संभव है |
उत्तर:
कवि परिचय : ये पंक्तियाँ सोना हिरनी नामक रेखाचित्र से दी गयी है । इस की लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है। आप की प्रमुख रचनाएँ है नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कडियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इन को ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है ।

संदर्भ : स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता का पत्र पढते अपनी पुरानी यादों को सहारे कह रही है।

व्याख्या : लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता ने पत्र लेखिका को लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । जो उन्हें उसे पालने के लिए दिया था। कुछ ही महीनों में उस हिरन के साथ बहुत स्नेह हो गया था । वह अब बडी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थलविस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ प्रालने देना चाहती हैं । पत्र पड़ते पड़ते लेखिका को अचानक ‘सोना’ (हिरन) की यादें ताजा हो जाती हैं । लेकिन कई वर्षो पूर्व लेखिका ने निश्वय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी । परंतु उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल जीवी की रक्षा संभव नहीं है ।

विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है जो मानवीय संवेदना की गत्वर दीप्ती को जागृत करती है ।

4. आप अगर बुरा न मानें तो मैं आपको हिस्से में से दस ऊँट ले लूँ । आप तो जानते ही हैं कि मेरे जैसे सांसारिक लोगों के लिए धन का ही महत्व होता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक पाठ से लिया गया है । यह कहानी ‘अलिफ लैला की कहानियाँ’ में से संकलित है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दुल्ला है ।

व्याख्या : ये वाक्य अब्दुल्ला फकीर से कह रहा है । अब्दुल्ला और फकीर असंख्याक द्रव्य से भरे गुफा से 80 ऊँट पर रत्न अषर्फियाँ लाद कर, वादे के अनुसार दोनो बाँट लिए । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने में अब्दुल्ला को दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस लेलिया ।

विशेषता : इन वाक्यों से अब्दुल्ला की अत्याशा के बारे में बता रहे है।

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7. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए 1 (2 × 2 = 4)

1. कौन – सा व्यक्ति संसार में गौरव पा सकता है ?.
उत्तर:
वही व्यक्ति संसार में गौरव पा सकता है जो किसी काम में दृढ़ता के साथ लगे रहता है । वह आलस्य से मुक्त रहता है और सारे काम सफलता पूर्वक कर सकता है । अतः दृढ़तापूर्ण व्यक्ति ही संसार में गौरव पाने का योग्य है ।

2. हिरन को किन- किन नामों से पुकारते थे ?
उत्तर:
लेखिका हिरन को सोना, सुवर्णा, स्वर्ण लेखा आदि नामों से पुकारती है ।

3. फकीर ने कितने ऊँट लेने का शर्त रखा ?
उत्तर:
फकीर ने चालीस ऊँट लेने की शर्त रखा ।

4. नंबरों वाली तिजोरी’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
सुरेश सिंह ।

8. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए | (2 × 2 = 4)

1. पश्चात्ताप के बारे में दुर्योधन ने क्या कहा ?
उत्तर:
पश्चात्ताप के बारे में दुर्योधन ने कहा – युधिष्ठिर ! तनिक अपनी ओर तो देखो ! पश्चात्ताप तो तुम्हे होना चाहिए ! मै क्यो पश्चात्ताप करुगा ? मैने ऐसा कौन – सा पाप किया है ? मैं ने अपने मन के भावों को गुप्त नहीं रखा, मैं ने षडयंत्र नही किया, मैं ने गुरजनों का वध नहीं किया ।

2. रीता को फूल तोड़ते समय क्या हुआ ?
उत्तर:
और
रीता बगीचे में पूजा के लिए फूल तोड रही थी । कोने मे घास बहुत ऊँची ऊँची थी। रीता के पैर पर से साँप लहराता हुआ गुजरा सर्र से झाडियों में गायब में गाया हो गया । कुछ ही देर में पैर में झुनझुनी – सी होने लगी । रोशनी में ध्यान से देखा तो बारीक गोल गोल निशान बने दिखायी दिये। उनमें से हलका सा खून भी छलक आया था ।

3. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
भारतीय समाज की कई समस्याओं का चित्रण करना ही ‘रीढ़ की हड्डी’ का मुख्य उद्देश्य है । लड़कियों को लड़कों के बराबर न देखना, जल्दबाजी करके अयोग्य के गले लड़की मढ़ देना, लड़की के पिता की लाचारी, लड़कियों को प्राणहीन वस्तु की तरह देखने की मानसिकता, उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों में व्यक्तित्व का अभाव – इत्यादि कई समस्याएँ चित्रित करने में एकांकी का उद्देश्य पूरा हुआ ।

4. जल में छिपा बैठा दुर्योधन को युधिष्ठिर ने कैसे पुकारा ?
उत्तर:
जल में छिपे दुर्योधन को युधिष्ठिर, ओ पापी, अरे ओ कपटी, दुरात्मा दुर्योधन कहकर पुकारता है । स्त्रियों की भाँति जल में छिपना नही. बाहर निकलकर आने केलिए युधिष्ठिर कहता है ।

9. निम्नलिखित प्रश्नों का वाक्य में उत्तर लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. तुलसी की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर:
तुलसी की पत्नी का नाम रत्नावली था-

2. बिहीरीलाल का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
सन् 1652.

3. प्रसाद जी का प्रमुख काव्य क्या है ?
उत्तर:
कामायनी

4. बच्चन जी का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर:
बच्चन जी का जन्म सन 1907 ई. में इलाहाबाद में हुआ था ।

5. दिनकर जी को किस रचना पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
उत्तर:
ऊर्वशी ।

10. निम्नलिखित प्रश्नों का एक वाक्य में उत्तर लिखिए | (5 × 1 = 5)

1. युद्ध में मारने का काम क्या होता है ?
उत्तर:
युद्ध में मारने का नाम ‘बहादूरी होता है ।

2. डॉ. श्यामसुंदर दास ने आलस्य को दूर करने का मुख्य उपाय क्या बताया ?
उत्तर:
डॉ. श्यामसुंदर दास के अनुसार आलस्य को दूर करने का मुख्य उपाय हैं – किसी निश्चित काम को उचित समय पर निरंतरता से करना ।

3. स्निग्ध सुनहले रंग के कारण सब उसे क्या कहने लगे ?
उत्तर:
सोना ।

4. फ़कीर ने झोली में क्या निकालकर आग में डाला ?
उत्तर:
फकीर ने झोली में से सुगंधित द्रव्य निकालकर आग में डाला ।

5. तिजोरी किससे खुलती है ?
उत्तर:
नंबरों से ।

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खंड – ख (40 अंक)

11. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर इसके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीखिए । (5 × 2 = 10)

अज्ञेय जी का जन्म सन् 1911 ई. में जिला देवरिया के कुशीनगर नामक गाँव में हुआ था । आपका पूरा नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ था । ‘अज्ञेय’ कवि का उपनाम है । आपकी बाल्यावस्था लखनऊ, कश्मीर, नालंदा, पटना और नीलगिरि आदि में व्यतीत हुई और इसी बीच में इन्होंने संस्कृत, फारसी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया । मद्रास तथा लाहौर से आपने बी. एस. सी. तथा अंग्रेजी में एम. ए. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं । अज्ञेय ने ‘दिनमान’, ‘प्रतीक’ तथा ‘तार सप्तक’ पत्रिकाओं का संपादन एवं- प्रकाशन किया । तार सप्तक संपादन के साथ हिंदी में प्रयोगवाद का सूत्रपात हुआ । उपन्यास, कहानी तथा निबंध आदि के अतिरिक्त इनकी कुछ काव्य रचनाएँ हैं – भग्नदूत, चिंता, प्रियजन और हरी घास पर क्षण-भर आदि । उपन्यास के क्षेत्र में ‘शेखर एक जीवनी’ ने उनको विशेष ख्याति प्रदान की । उन्होंने जापान की ‘हाइकू’ कविताओं का अनुवाद किया था । श्री अज्ञेय का देहांत सन् 1987 ई. हुआ था ।

प्रश्न :
1) अज्ञेय का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर:
अज्ञेय का जन्म सन् 1911 ईं में जिला देवरिया के कुशीनगर नामक गाँव में हुआ था ।

2) अज्ञेय का पूरा नाम क्या था ?
उत्तर:
अज्ञेय का पूरा नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय था |

3) अज्ञेय ने किन – किन पत्रिकाओं का संपादन एवं प्रकाशन किया ?
उत्तर:
अज्ञेय ने ‘दिनमान’ ‘प्रतीक’ तथा ‘तार सप्तक’ पत्रिकाओं का संपादन एवं प्रकाशन किया ।

4) अज्ञेय प्रसिद्ध उपन्यास का नाम क्या था ?
उत्तर:
शेखर एक जीवनी अज्ञेय का प्रसिद्ध उपन्यास था ।

5) अज्ञेय ने किनका अनुवाद किया ?
उत्तर:
जपान की ‘हाइकू’ कविताओं का अनुवाद अज्ञेय ने किया ।

12. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए । (5 × 1 = 5)

1. रजनीश
2. महेश्वर
3. अत्युत्तम
4 अजंत
5. आच्छादन
6. जगदानन्द
7. मनोहर
8. नमस्कार
9. पुनः स्मरण
10. पुनर्जन्म
उत्तर:
1. रजनीश = रजनी + ईश
2. महेश्वर = महा + ईश्वर
3. अत्युत्तम = अति + उत्तम
4. अजंत = अच् + अंत
5. आच्छादन = आ + छादन
6. जगदानन्द = जगत् + आनंद
7. मनोहर = मनः + हर
8. नमस्कार = नमः + कार
9. पुनः स्मरण = पुनः + स्मरण
10. पुनर्जन्म = पुनः + जन्म

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13. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों के समास के नाम लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. यथाशक्ति
2. कानों-कान
3. रसोईघर
4. कवि श्रेष्ठ
5. वायुवेग
6. गुरुदेव
7. दशानन
8. दाल – रोटी
9. राजा रंक
10. हलधर
उत्तर:
1. यथाशक्ति = अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : शक्ति के अनुसार )
2. . कानों – कान = अव्ययीभाव समास ( विग्रहवाक्य : कान ही कान में)
3. रसोईघर = तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : रसोई के लिए घर )
4. कवि श्रेष्ठ = तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : कवियों में श्रेष्ठ)
5. वायुवेग = कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : पवन की भांति तेज )
6. गुरुदेव = कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : गुरु रूपी देव)
7. दशानन = द्विगु समास (विग्रहवाक्य : जिसके दस आनन (मुख) हो)
8. दाल – रोटी = द्वंद्व समास (विग्रहवाक्य दाल और रोटी)
9. राजा – रंक = द्वंद्व समास (विग्रहवाक्य राजा और रंक)
10. हलधर = बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : हल को धारण करनेवाला)

14. (अ) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं पाँच वाक्यों को हिंदी में अनुवाद कीजिए । (5 × 1 = 5)

1. He is going.
उत्तर:
वह जा रहा है।

2. Hindi is our official and National Language.
उत्तर:
हिंदी हमारी राजभाषा और राष्ट्रभाषा है ।

3. Don’t tell lies.
उत्तर:
झूठ मत बोलो ।

4. The Sun rises in the East.
उत्तर:
सूरज पूरब में उगता है ।

5. Beauty is Truth.
उत्तर:
सौंदर्य ही सत्य है ।

6. Srikanth ate bread.
उत्तर:
श्रीकांत ने रोटी खाई ।

7. Work is Worship..
उत्तर:
कर्म ही पूजा है ।

8. Respect your teacher.
उत्तर:
अध्यापकों का सम्मान करो ।

9. Cow gives milk.
उत्तर:
गाय दूध देती है ।

10. Peacock is beautiful bird.
उत्तर:
मोर सुंदर पक्षी है ।

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(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से पाँच वाक्यों का शुद्ध रूप लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. तुम पढ़ रहे हैं । (अशुद्ध )
उत्तर:
तुम पढ़ रहे हो । (शुद्ध)

2. गोदावरी की पानी मीठी है । (अशुद्ध )
उत्तर:
गोदावरी का पानी मीठा है । (शुद्ध)

3. मैंने कल गाँव गया । (अशुद्ध )
उत्तर:
मैं कल गाँव गया । (शुद्ध)

4. उसने काम कर चुका । (अशुद्ध )
उत्तर:
वह काम कर चुका (शुद्ध)

5. आप आपका नाम बताइये | (अशुद्ध )
उत्तर:
आप अपना नाम बताइये ! (शुद्ध)

6. हम हिंदी सीखनी चाहिए । (अशुद्ध )
उत्तर:
हमें हिंदी सीखनी चाहिए। (शुद्ध) (हम + को = हमें )

7. राम वन जाना पड़ा । (अशुद्ध )
उत्तर:
राम को वन जाना पड़ा । (शुद्ध)

8. अर्जुन का एक मकान है । (अशुद्ध )
उत्तर:
अर्जुन के एक मकान है । (शुद्ध) (स्थिर संपत्ति)

9. मेज में पुस्तकें रखी हैं । (अशुद्ध )
उत्तर:
मेज पर पुस्तकें रखी हैं । (शुद्ध)

10. मैं स्कूल जाता / जाती है । (अशुद्ध )
उत्तर:
मैं स्कूल जाता / जाती हूँ । (शुद्ध)

15. निम्नलिखित गद्यांश का संक्षिप्तीकरण कीजिए ।
समाचार-पत्रों वर्तमान – काल विज्ञापन का जुग माना जाता है। के अतिरिक्त रेडियो और टेलीविजन भी विज्ञापन के सफल साधन हैं । विज्ञापन का मूल उद्देश्य उत्पादक और उपभोक्ता में सीधा संपर्क स्थापित करना होता है । जितना अधिक विज्ञापन किसी पदार्थ का होगा, उतनी ही उसकी लोकप्रियता बढ़ेगी। इन विज्ञापनों पर धन तो अधिक व्यय होता है, पर इनसे बिक्री बढ़ जाती है। ग्राहक जब इन आकर्षक विज्ञापनों को देखता है, तो वह उस वस्तुविशेष के प्रति आकृष्ट होकर उसे खरीदने को बाध्य हो जाता है ।
उत्तर:
विज्ञापन से लाभ
यह विज्ञापन का युग है । समाचार – पत्र, रेडियो, टेलिविजन विज्ञापन के मुख्य साधन हैं। विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य है उत्पादन को उपभोक्ता से जोडान । विज्ञापन उत्पादन की लोकप्रियता बडाता है । विज्ञापन से ग्राहक आकर्षित होता है । उत्पादन को अधिक संख्या में खरीदता है ।

16. निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच वाक्यों का वाच्य बदलिए । (5 × 1 = 5)

1. राम ने रोटी खाई । (कर्तृ)
उत्तर:
राम से रोटी खाई गई । (कर्म) (रोटी – स्त्रीलिंग)

2. शारदा पाठ पढ़ती है । ( कर्तृ)
उत्तर:
शारदा से पाठ पढ़ा जाता है । (कर्म) (पाठ – पुलिंग)

3. मुरली रस पीता है । (कर्तृ)
उत्तर:
मुरली से रस पीया जाता है । (कर्म) (रस – पुलिंग)

4. कृष्ण से बाँसुरी बजायी जाती हैं । (कर्म)
उत्तर:
कृष्ण बाँसुरी बजाता है । (कर्तृ) (बाँसुरी – स्त्रीलिंग)

5. आप नहीं उठेंगे | (कर्तृ)
उत्तर:
आपसे उठा नहीं जाता । (भाव)

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6. मोहन ने आम खाया । ( कर्तृ)
उत्तर:
मोहन से आम खाया गया । (कर्म) (आम – पुलिंग)

7. माधुरी ने सिनेमा देखा । (कर्तृ)
उत्तर:
माधुरी से सिनेमा देखा गया । (कर्म) (सिनेमा – पुलिंग)

8. वह पत्र लिखता है । (कर्तृ)
उत्तर:
उससे पत्र लिखा जाता है । (कर्म) (पत्र – पुलिंग)

9. नागमणि खाना पकाती है । ( कर्तृ)…
उत्तर:
नागमणि से खाना पकाया जाता है । (कर्म) (खाना – पुलिंग)

10. श्रावणी से फूल लाया जाता है । (कर्म)
उत्तर:
श्रावणी फूल लाती है। (कर्तृ) (फूल – पुलिंग )

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