AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 10 with Solutions

Access to a variety of AP Inter 2nd Year Hindi Model Papers Set 10 allows students to familiarize themselves with different question patterns.

AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 10 with Solutions

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड – क ( 60 अंक)

1. निम्नलिखित दोहे की पूर्ति करते हुए भावार्थ सहित विशेषताएँ लिखिए । (1 × 8 = 8)

तुलसी मीठे वचन तै, सुख उपजत चाहूँ ओर ।
बसीकरन यह मंत्र है, परिहरु वचन कठोर ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि तुलसीदास इस दोहे माध्यम से कह रहे हैं – कोई भी व्यक्ति मीठे वचन बोलने से सब को अपने वश में कर ले सकते हैं अपनी ओर अकर्षित कर सकते हैं। अच्छी वाणी वशीकरण मंत्र के समान है। अच्छी वाणी से चारों ओर सुःख शांती फैली रहती है। अच्छी वाणी के कारण शत्रुता कभी भी पैदा नहीं होगी । इसलिए कठोर वचन को हमेशा के लिए त्याग कर वाणी में माधुर्य लाना चाहिए ।

अथवा

2. या अनुरागी चित्त की गति समझौ नहिं कोई ।
ज्यों-ज्यों बूडै स्याम रंग, त्यौं – त्यौं उज्ज्वलु होई ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से श्रीकृष्ण के प्रति अपने अट्टू प्रेम को प्रकट करते हुए कह रहे हैं “इस प्रेमी मन की. स्थिति को कोई समझ नहीं सकता । जैसे- जैसे मेरा मन कृष्ण के रंग में रंगता जाता है, वैसे-वैसे उज्ज्वल होता जाता है । अर्थात श्रीकृष्ण के प्रेम में रमने के बाद अधिक निर्मल हो जाता है । यही श्रीकृष्ण के प्रेम का महत्व है । अपने आप को निर्मल बनाने के लिए श्रीकृष्ण के प्रेम में रमने की अधिक आवश्यकता है ।”

AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 10 with Solutions

2. किसी एक कविता का सारांश बीस पंक्तियों में लिखिए | (1 × 6 = 6)

1. ‘हिमाद्रि से’ कविता का सारांश लिखिए |
उत्तर:
कवि परिचय : ‘हिमाद्री से कविता के कवि जयशंकर प्रसाद जी हैं । प्रसाद जी छायावादी कविता के प्रकाश स्तंभ हैं । इनका जन्म सन् 1881 को काशी में हुआ । आप कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं । आपकी रचनाएँ हैं- कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय, झरना आँसू लहर, कामायनी (महाकाव्य), कंकाल, तितली, इरावती, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त आदि। इनकी भाषां शैली स्वाभाविक एवं संवेदनशील है । इनका निधन 1937 ई. में हुआ

सारांश : प्रस्तुत गीत चंद्रगुप्त नाटक के चौथे अंक के छठे दृश्य से संकलित है । यह एक सामूहिक गीत है । अलका के भाई आम्भिक देशद्रोही है। गांधार नरेश पुरुषोत्तम के विरुद्ध यवनों को भारत पर हमला करने के लिए सिंधु तट पर सेतु का निर्माण करते वक्त उनके विरुद्ध में उनकी बहन अलका ने सब सैनिकों को युद्ध के लिए उत्साहित करती गाती है । मा भारती गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए वीर सैनिकों को बुला रही है । वह नींद से जगाती है । आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रही है । वह.. स्वतंत्र हो कर अपनी संपत्ती का सदुपयोग करना चाहती है ।

युद्ध में मरनेवाले अमर हो जाते हैं भारतवासी ऐसे ही अमरों के हैं। उन्होंने मातृभूमि को स्वतंत्र बनाने की प्रतिज्ञा की है । पूर्वजों से बना मार्ग उनके सामने हैं उसको उन्होंने प्रशस्त किया है !

भारत माता स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है । जागो हे अमर्त्य वीर पुरुषों जागो, भारत-माता के सपूतों जागो । दृढ संकल्प के साथ प्रतिज्ञा करो कि “भारत देश को आजाद बनायेंगे” इस सर्वश्रेष्ठ, पुण्य, उत्तम मार्ग में निकलो बढ़ते चलो, बढ़ते चलो । विजयी बनो ।

संसार में इस देश की असंख्याक कीर्ति है । भारत माता के सुपुत्रों पवित्र मशाल बन कर जलते हुए तपते हुए उजालों को फैलाते आगे बढो… आगे बढो । शत्रुओं की सेना समुद्र जैसे अनन्त है । उस को हराना हसी खेल नहीं है । फिर भी देश की स्वतंत्रता के लिए सैनिकों को आगे बढ़ना ही होगा । ‘बाडव’ नामक अग्नि बन कर उस समुंदर को जलाना ही होगा | अर्थात दुश्मनों का अंत करके विजय पाना ही होगा। तुम अच्छे वीर हो, तुम में सच्ची देश भक्ति है आवश्य विजयी बनो… बढ़ते चलो बढ़ते चलो । रुको मत हे वीर पुत्रों । तुम्हारा मार्ग प्रशस्त है । भारतीय कुशल वीर हैं अवश्य विजयी होंगे |

विशेषताएँ : यह गीत अलका के देशप्रेम, लगन और उत्साह को प्रदर्शित करता है । प्रसाद जी अपने समय में देश की स्थिति से प्रभावित हो कर अलका के मुह से यह गीत गवाया है । यह गीत देशभिमान, जागृति और नवीनता से ओतप्रेत है ।

2. कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती’ – कविता का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि है । खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वा गुप्त जी का जन्म 1886 ई को झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है । साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ – वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

सारांश : प्रस्तुत कविता साकेत नामक महाकाव्य के नवम सर्ग से लिया गया है । रामायण में अधिक उपेक्षित तथा अनदेखा नारी पात्र उर्मिला । इस कविता में विरह विदग्ध उर्मिला की मनोदशा का मार्मिक चित्रण है । लक्ष्मण राम और सीता के साथ वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है । उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रह ने कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है |

हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता. है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसू मोती बनते जा रहे हैं। मैं सदा यही मानती रही हूँ कि तुम मेरे देवता हो, तुम ही मेरे सब कुछ हो तथा मेरे आराध्य हो । अपने आप को साबित करना अनिवार्य है कि मैं सोती रहती हूँ या जागती रहती हूँ पर तुम्हें ही याद करती रहती हूँ, तुम्हारे ही स्मरण में जी रही हूँ. । तुम्हारे हंस ने में फूल है असीम प्यार है और हमारे रोने में मोती है ।

प्रार्थना करती हूँ कि तुम्हारा त्याग सहज हो, सफ़ल हो, मेरा अटूट विश्वास है कि आपके प्रति मेरा अनुराग, प्रेम कभी निष्फल नहीं होगा | बस साधन-भाग स्वयं सिद्धी है । अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती । काल चक्र भले ही रूक ना जाय, तुम्हारे और मेरे मिलन को भले ही काल चक्र रोक पाये, पर हमारे लिए बस विरह काल है । तुम जहाँ हो वहाँ सृजन, मिलन है, पर यहाँ राजभवन में सुविशाल प्रलय, विनाश सा सूना सूना काँत है ।

विशेषताएँ : इतिहास में उपेक्षित उर्मिला नामक नारी पात्र को महत्व देने का प्रयास किया है । गुप्त जी ने उर्मिला के दुख को, उसकी पीड़ा के प्रति अपनी संवेदना, सहानुभुति प्रकट किया है । कविता की भाषा सरल सहज अवं प्रसंगानुकूल शुद्ध खडीबोली है। शैलि लालित्य से भरपूर है ।

3. किसी एक पाठ का सारांश 20 पंक्तियों में लिखिए । (1 × 6 = 6)

1. ‘आलस्य और दृढ़ता पाठ का सारांश लिखिए !
उत्तर:
लेखक-परिचय : प्रस्तुत पाठ ‘आलस्य और दृढ़ता’ के लेखक बाबू श्यामसुंदर दास हैं । आप हिन्दी के जाने-माने विद्वान और आलोचक हैं । आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्रथम अध्यक्ष थे । काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापकों में आप भी एक थे । आपने विश्वविद्यालयों में हिन्दी को एक पाठ्य विषय के रूप में स्थान दिलाया । प्रस्तुत लेख में आप युवापीढ़ी को आलस्य छोड़ने का संदेश देते हैं ।

सारांश : प्रस्तुत पाठ एक प्रबोधात्मक लेख है । लेखक ने इस लेख के द्वारा जीवन में आलस्य को छोड़ने तथा दृढ़ता को अपनाने का संदेश दिया है । उनके अनुसार आज की युवापीढ़ी के लिए इससे अच्छा संदेश दूसरा नहीं होगा कि ‘कभी आलस्य न करें।’ आलस्य का अर्थ है सुस्ती । लेखक सुझाव देते हैं कि चाहे जितना भी कम समय के लिए हो, एक काम को रोज नियमित रूप से करना चाहिए । इस प्रकार किसी काम को रोज नियमित ढंग से करने से एक वर्ष के बाद हम उस काम में माहिर बन जायेंगे । इस नियम के द्वारा हमारे सामने चाहे जितना भी बड़ा लक्ष्य हो, उसे आसानी से पूरा किया जा सकता है। बीज तो देखने में छोटा ही है किन्तु उसीमें एक बड़ा वृक्ष छिपा रहता है ।

लेखक कहते हैं – “जल्दबाजी और अस्थिरता जीवन में आलस्य की तरह बुरे गुण हैं। आलसी आदमी व्यर्थ ही मुश्किलों का आह्वान करता है । जिन्दगी में वही सफल मनुष्य कहलायेगा जो व्यर्थ प्रलापों में समय नष्ट नहीं करता और हर समय काम में लगा रहता । जो समय नष्ट करता है वह अपने घर को चोरों के लिए छोड़ रखे मकान मालिक जैसा ही मूर्ख है ! एक काम के पूरा होने के बाद ही दूसरे काम में लगना श्रेष्ठता की पहचान है । परिश्रम के बिना संसार में कोई काम नहीं बन सकता । यह संसार मेहनती लोगों के लिए है । इसलिए सबको परिश्रम का मूल्य जानना होगा । दृढ़ता के साथ किसी काम में लगे रहनेवाला मनुष्य ही आगे चलकर गौरव पा सकता है । आलस्य को छोड़ने से मन की दृढ़ता अपने आप आ जाती है |

दृढ़ता से परिपूर्ण व्यक्ति भविष्य में आनेवाली विघ्न-बाधाओं के बारे में नहीं सोचता । वह पक्के मन से कार्यक्षेत्र में उतरता हैं। ऐसे दृढ़वान मनुष्य की लगन के सामने चाहे कितना भी बड़ा संकट हो, टिक नहीं सकता । सामने की कठिनाई को देखकर हमें साहस छोड़ना नहीं चाहिए । दृढ़ता से एक-एक कदम आगे बढ़ायेंगे तो चाहे पहाड़ जितना भी बड़ा हो, आसानी से उसकी चढ़ाई की जा सकती है। विशेषकर, किसी कार्य के आरंभ होने से पहले उस कार्य की विघ्न-बाधाओं को देखकर डरना नहीं चाहिए । क्योंकि आरंभ में सभी कार्य कठिन होते हैं । वह आदमी जिन्दगी में कुछ भी नहीं कर सकता जो यह सोचकर पासा पटक देता है कि पहली बार ही उसे खेल में जीत नहीं मिली । परिश्रम और सबर जिन्दगी के खेल में बहुत महत्वपूर्ण हैं ।”

विशेषताएँ: इस लेख के द्वारा रचइता ने जीवन के कई मूल्यों को बहुत प्रभावशाली ढंग से सिखाया । लेख में अंग्रेजी साहित्य से भी कई उदाहरण दिये गये । इससे लेखक के गहन अध्ययन का पता चलता है । यह पाठ युवाओं के लिए अत्यंत मूल्यवान है । भाषा सरल व गंभीर है और शैली प्रवाहमान है ।

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2. ‘नंबरोंवाली तिजोरी’ कहानी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : ‘नंबरोंवाली तिजोरी’ नामक हास्य कथा के लेखक कुंवर सुरेश सिंह जी हैं। सुरेश सिंह जी का जन्म 1935 में उत्तर प्रदेश के कालाकाँकर के राज परिवार में हुआ । वे हिन्दी के सुपरिचित साहीत्यकार हैं तथा आइ.ए.एस अफिसर भी हैं । आपकी रचनाएँ हैं ‘पंत जी और कालाकाँकर’ अवं ‘यादों के झरोखे से’ । इनकी रचनाएँ भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हैं ।

सारांश : यह एक तिजोरी को लेकर लिखी गई हास्य रचना है । राजा – रईस तो अब नहीं रहे पर उनकी यादें अभी तक नहीं भूली गई, राजा रईसों के यहाँ नौकरी करना हंसी – खेल की बात नहीं । कहानी के मुख्य पात्र “मैं” के चाचा छुईखदान महाराजा के यहाँ नौकर थे, उन्हीं की शिफ़ारिश से “मैं” को नौकरी मिल गयी । रियासत में दस साल सर्वीस करने के बाद जमीन्दारी खत्म हो गयी । राजा साहब द्वारा कटाई गई टिकट के सहारे बिना कौडी के “मै’ अपने घर वापस आ गये। आते आते राजा साहव से भेंट में मिली खाली, बंद तिजोरी के साथ। यह तिजोरी आज भी. नीम के नीचे पड़ी है जिस पर दिन भर लड़के उछल-कूद मचाया करते हैं ।

आखिर यह तिजोरी आयी तो क्यों आयी, इसे मकान के बाहर क्यों फेंका गया इस के बारे में “मैं’ पात्र बता रहा है । राजा साहब ने तिजोरी मैनेजर को तोहफ़े में दिया था । यह राय साहब की एक मात्र यादगार है इसलिए इसे संभाल कर रखना भी जरूरी हो गया । यह तिजोरी रौनख बढ़ाने के अलावा किसी काम की नहीं रही। यहाँ तक कि अचार, चटनी, दूध बिल्ली से बचाने में भी बेकाम है । इस तिजोरी को राजा साहब के वालिद साहब ने रियासत में ला रखा था और यह नंबरों वाली तिजोरी हैं। इसे खोलने के नंबर राजा साहब के वालिद के अलावा किसी को पता नहीं । मैनेजर ने इसे अपनी कोठी में रखना बढ़प्पन मानते थे। कई दिनों तक इस तिजोरी के कारण मैनेजर की खूब चर्चा चलती रही ।

एक दिन मैनेजर कुंभकर्ण की तरह गहरी नींद में खर्राटे भर रहे थे । डाक घर में चोरी के लिए घुसे । खोज – बीन के बाद डाकुओं को कुछ भी न मिलने कारण तलाशी मे मैनेजर के कमरे में गये । डाकुओं के हाथों में बल्लम तने हुए थे उन्हें देख कर मैनेजर कांपने लगा | डाकुओं की निगाह तिजोरी पर पड़ी । तिजोरी को फोड़ने शताधिक प्रयत्न करके विफल रहे । तिजोरी की चाबी के लिए मैनेजर की खूब पिटाई की। मैनेजर ने कहा यह ताले से नहीं बलकी नंबरों से खुलती है। नंबरों के लिए बेहद पिटाई की, यहाँ तक कि जलाने के लिए गर्म सलाखा मंगवाया । इतने में चौकीदार चौंक कर हल्ला मचाते वहाँ पहुंचता है तो डाकू भाग जाते हैं । दूसरे दिन ही उठा कर मैनेजर ने तिजोरी महल में पहुंचा दी । यह राजा साहब के तोहफ़े की शकल मे “मैं’ के घर पहुंची, उसे घर में रखने की हिम्मत न होने कारण “मैं” ने नीम के पेड़ नीचे फेंकवा दिया ।

विशेषताएँ : यह एक हास्य कथा है। कमरे की रौनख बढाने के लिए लायी गयी तिजोरी के कारण डाकुओं से बेहद पिटे जाने वाले बेकसूर मैनेजर की कथा है । भाषा सरल तथा उर्दू से भरी है । शैली प्रवाहमान है।

4. किसी एक एकांकी का सारांश लिखिए । (1 × 6 = 6)

1. ‘सर्प दंश एकांकी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत एकांकी सर्प दंश की लेखिका शांति मेहरोत्रा है । शांति मेहरोत्रा जीने जनसाधारण से भोगी – झेली यथार्य स्थितियां और घटनाएँ इस एकांकी में प्रस्तुत की है ।
सर्पदंश शब्द अपने आप में एक गंभीर समस्या नजर आती है । जिसके लिए त्वरित इलाज की जरुरत पडती है लेखिका ने इस सर्प दंश समस्या को व्यंगात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है ।

सारांश : रीता नामक बाईस साल की एक लडकी सुबह के नौ बजे को पूजा के लिए फूल तोडते समय, बगीचे मे उसे साँप काटता है । घास के ज्यादा उगने के कारण रीता साँप को ठीक से देख नहीं पाती है । लेकिन अपने पैर को ध्यान पूर्वक जब देखती है तो उसे दो गोल गोल बारीक निशान दिखाई देते है जिनमें खून भी छलक आया था । वह तुरंत अस्पताल पहुँचती है । वहाँ क्यू में खडे रहने की नौबत आ पडती है । सर्प – दंश एक गंभीर समस्या है लेकिन रीता को क्यु में खडे होने के लिए मजबूर करते है । परचा बनाते समय कर्मचारी शर्मा तथा हरीलाल रीता को सताते है । हरीलाल, रीता से कहता है – लाइन में खडे – खडे मरने का अर्डर नही है, `यहाँ से परचा बनवाकर वार्ड में पहुँच जाओ, जब जी चाहा जियो या जी चाहा मरो ।

इतने में एक नीली साडी वाली औरत सबसे आगे जाकर परचा बनवा लेती है । रीता के पूछने पर हीरालाल जवाब देता है कि वह डाक्टर की रिश्तेदार है और इसलिए उसको क्यू में खडे होने की जरूरत नही है ।. रीता खडी नही हो पाती है । इसलिए हीरालाल के स्टूल पर बैठ जाती है ।

परचा बनवाने की ज़ब उसकी बारी आती है तब उसको शर्मा से भिडना पडता है । शर्मा रीता से पूछने लगता है कि किस जाति का सांप ने उसको काटा ? रीता जब कहने लगती है कि उसने सांप को ध्यान से नही देखा, शर्मा चिढकर कहने लगता है कि मैं आपकी भलाई के लिए पूछ रहा, हूँ हर जाति के सांप के काटे का प्रति विष अलग होता है । नाग के काटने पर करैत के काटे का इलाज होता है तो मरीज उल्टे इलाज से मरजाता है तो जिम्मेदारी किसकी बनेगी । रीता से पुन: विचार कर परचें पर सर्प दंश लिखकर भेजदेता है |

रीता जब डां. बहादुर से मिलने जाती है = तब उनके दरवाजे पर कर्मचारी रीता को रोकता है। रीता उसके हाथ में दस रुपये थमा देती है, रीता को तब कर्मचारी अंदर भेजता है । डॉ. बहादुर भी रीता से पूछने लगता है कि सांप किस जाति का था वह विषैल साँप या कि साधारण ? उसका रूप, धारियाँ रंग कैसा नही था ? ऊँबकर रीता डाक्टर से करने लगते है कि उसने ध्यान नही दिया था कई सवाल जवाब के बाद बहादुर उसे एमर्जेन्सी में जाकर दवा के साथ पट्टी लगवाने की सलाह देता है |

इतने में कर्मचारी से पता चलता है कि एमर्जेन्सी में एक पूरे बस के घायलो के इलाज के लिए लाया हैं । वह रीता को अब्जर्वेशन के लिए अस्पताल में भर्ती होने का सलाह देता है। रीता भर्ती होने के लिए सोचती ही रहती है कि इतने में हीरालाल उसके सामने आता है। रीता के यह कहने पर कि उसके माता पिता बाहर गये, तब हीरालाल यह कहकर रीता को शांत करता है कि वह स्वयं रीता के घर जाकर अगले दिन सुबह उसके माता – पिताजी को रीता का समाचार दे आयेगा । तब रीता उसके हाथ में दस रुपये रख देती है। हीरालाल खुश होकर रीता का खयाल रखने लगता है ।

रीता को दवाई लेने का समय होता है । वह सिस्टर से पानी माँगती है । सिस्टर चिढ़ – चिढ़कर बोलने लगती है कि घर से पानी आने तक थोडा इंतजार कर लीजिए ? इतने में हीरालाल सिस्टर के सामने आता है । हीरालाल से रीटा का जब समाचार मिलता है तब सस्टिर उससे कहने लगती है कि बेड नं तेरह रीता की मैं भी ख्याल रखूँगी ।

भोर होता है और रीता अस्पताल के बाहर निकलती है । हीरालाल जब सामने आता है तो उससे रीता कहती है कि मेरी जान बची है, अगर कोई सांप काटे का मरीज अस्पताल में इलाज के लिए आता है …. तब हीरालाल उसे बोलने से रोकता है और कहता है कि उसे सीधे डाक्टर के पास भेजूँगा, लाइन में लगने केलिए हरगिज नही कहूँगा । धीरे – धीरे परदा गिरता है और एकांकी समाप्त हो जाती है ।

विशेषताएँ : एक सरकारी अस्पताल की कार्य प्रणाली एवं उसके कर्मचारियों तथा डाक्टरों की मानशिकता को व्यंग्यात्मक ढंग इस एकांकी में प्रस्तुत किया गया ।

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2. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
लेखक का परिचय : जगदीशचन्द्र माथुर हिन्दी साहित्य के जाने- माने नाटककार और एकांकीकार हैं । आपका साहित्य सृजन भारतीय. समाज को आधार बनाकर हुआ । आपने समाज की विविध विसंगतियों और समस्याओं को उजागर किया और विशेषकर नारी की समस्याओं का चित्रण उनके साहित्य में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ‘भोर का तारा’, ‘ओ मेरे सपने’, ‘शारदीय’, ‘पहला राज’ आदि आपकी कृतियाँ हैं ।

सारांश : प्रस्तुत पाठ ‘रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है । इसमें भारतीय समाज में व्याप्त नारी विरोधी विचारधारा का चित्रण किया गया है । एकांकी के मुख्य पात्र उमा, उसके पिता रामस्वरूप, लड़का शंकर और उसके पिता गोपालप्रसाद हैं। प्रेमा और रतन एकांकी के गौण पात्र हैं ।

उमा एक पढ़ी लिखी युवती है । वह मेहनत करके बी. ए. पास करती है और आत्मनिर्भर होना चाहती है । प्रेमा और रामस्वरूप उसके माता-पिता हैं। एक औसत मध्यवर्गीय पिता होने के कारण रामस्वरूप यथाशीघ्र अपनी बेटी का विवाह कर देना चाहता है। जल्दी में वह शंकर नामक युवक से उमा का विवाह तय करता है । शंकर मेडिकल कॉलेज का छात्र है और उसके पिता गोपालप्रसाद वकील है। लेकिन वे नहीं चाहते कि लड़की ज्यादा पढ़ी-लिखी हों । इसलिए रामस्वरूप उनसे झूठ बोलता है कि उसकी बेटी सिर्फ़ मेट्रिक पास है । दोनों को लड़की देखने घर आमंत्रित करता है । उस दिन वह बहुत घबराहट के साथ सारी तैयारियाँ करवाता है । पत्नी प्रेमा और नौकर रतन को कई काम सौंपता है । प्रेमा कहती है कि यह विवाह उमा को मंजूर नहीं है । किन्तु रामस्वरूप नहीं मानता । वह पत्नी को डाँटता है कि कुछ न कुछ करके लड़की को तैयार रखे। उसे डर है कि कहीं यह रिश्ता हाथ से न जायें ।

निश्चित समय पर शंकर अपने पिता के साथ लड़की को देखने आता है । शंकर एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवक है किन्तु उसका अपना कोई व्यक्तित्व नहीं है । वह अपने पिता की बात पर चलनेवाला युवक है । पिता गोपालप्रसाद तो वकील है किन्तु उसके विचार पुराने हैं । वह चाहता है कि घर की बहू ज्यादा पढ़ी-लिखी न हो। इसलिए वह रामस्वरूप की बात मानकर, लड़की देखने आता है । पिता-पुत्र की बातों से उनका स्वार्थ और चतुराई स्पष्ट होती है। गोपालप्रसाद का विचार है कि लड़की और लड़के में बहुत अंतर, में होता है, इसलिए कुछ बातें लड़कियों को सीखनी नहीं चाहिए | उनमें शिक्षा भी एक है । वह कहता है कि मात्र लड़के ही पढ़ाई के लायक हैं, लड़कियों का काम बस घर को संभालना है ।

रामस्वरूप अपनी बेटी को दोनों के सामने पेश करता है और उमा सितार पर मीरा का भजन गाती है। गोपालप्रसाद उससे कुछ प्रश्न करता है तो वह कुछ जवाब नहीं देती । उमा से जब बोलने को बार-बार कहा जाता है तो वह अपना मुँह खोलती है । वह कहती है कि बाजार में कुर्सी – मेज वगैरा खरीदते समय उनसे बात नहीं की जाती । दूकानदार बस …. उनको खरीददार के सामने लाकर दिखाता है, पसंद आया तो लोग खरीदते हैं । उसकी बातें सुनकर गोपालप्रसाद हैरान हो जाता है । उमा तेज आवाज में कहती है कि लड़कियों के भी दिल होते हैं और उनका अपना व्यक्तित्व होता है । वे बाजार में देखकर, खरीदने के लिए भेड़-बकरियाँ नहीं हैं । वह शंकर की पोल भी खोल देती है कि वह एक बार लड़कियों के हॉस्टल में घुसकर पकड़ा गया और नौकरानी के पैरों पर गिरकर माफी माँगी । इस बात से शंकर भी हैरान चलने लगता है और गोपालप्रसाद को मालूम हो जाता है कि वह पढ़ी-लिखी है । उमा हिम्मत से कहती है कि उसने बी. ए. पास की हैं । यह सुनकर गोपालप्रसाद रामस्वरूप पर नाराज हो जाता है और दोनों चलने लगते हैं | उमा गोपालप्रसाद को सलाह देती है कि ‘ज़रा पता लगाये कि बेटे के रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ।’ यही पर एकांकी समाप्त होता है ।

विशेषताएँ : प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य भारतीय समाज की विविध समस्याओं को उजागर करना है। लड़कियों को लड़कों के बराबर न देखना, जल्दबाजी करके किसी अयोग्य के गले लड़की मढ़ देना, दहेज न दे पाने के कारण लड़की के पिता की लाचारी, लड़कियों को प्राणहीन वस्तु की तरह देखने की मानसिकता, उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों में व्यक्तित्व का अभाव इत्यादि कई समस्याएँ इस एकांकी में चित्रित हैं । लेखक बताते हैं कि इनमें कई समस्याओं का एकमात्र समाधान ‘लड़की – शिक्षा’ है। उन्होंने उमा के पात्र से दिखाया कि पढ़ी-लिखी युवतियाँ कितनी ताकतवर होती हैं। रीढ़ की हड्डी व्यक्तित्व का प्रतीक है किन्तु शंकर का अपना व्यक्तित्व नहीं है । इसलिए एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ रखा गया | भाषा . और शैली प्रवाहमान है ।

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)

1. अमर्त्थ वीर – पुत्र हो, दृढ़ प्रतिझ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य – पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो।
उत्तर:
कवि परिचय : ‘हिमाद्री से कविता के कवि जयशंकर प्रसाद जी हैं । प्रसाद जी छायावादी कविता के प्रकाश स्थंभ हैं । इनका जन्म सन् 1881 को काशी में हुआ । आप कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं । आपकी रचनाएँ हैं कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय, झरना आँसू लहर, कामायनी (महाकाव्य), कंकाल, तितली, इरावती, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त आदि । इनकी भाषा शैली स्वाभाविक एवं संवेदनशील है । इनका निधन 1937 ई. में हुआ |

संदर्भ : कवि अलका के माध्यम से भारत वासियो को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए उत्तेजित कर रहे है ।

व्याख्या : भारत-माता स्वतंत्रता के लिए पुकार रही हैं । जागो हे अमर्त्य वीर पुरुषों जागो, भारत माता के सपूतों जागो । दृढ संकल्प के साथ प्रतिज्ञा करो कि “भारत देश को आजाद बनायेंगे” इस सर्वश्रेष्ठ, पुण्य, उत्तम मार्ग में निकलो….. बढ़ते चलो, बढ़ते चलो । विजयी बनो । रुको मत. हे वीर पुत्रों, तुम्हारा मार्ग प्रशस्त ही नहीं पवित्र तथा पुण्यवाला है । विशेषताएँ : यह गीत अलका के देश प्रेम, लगन और उत्साह को प्रदर्शित करता है प्रसाद जी अपने समय में देश की स्थिति से प्रभावित हो कर अलका के मुह से यह गीत गवाया है । यह गीत देशभिमान, जागृति और नवीनता से ओतप्रेत है ।

2. सखे जाओ तुम हँस कर भूल ।
रहूँ मैं सुध करके रोती ॥
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता से दी गयी है । इस के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं । खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ। गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान- है साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

संदर्भ : ये पंक्तियाँ उर्मिला वनवास को गये लक्ष्मण को याद करते हुए दुख भाव से कहती है ।

व्याख्या : राम और सीता के साथ लक्ष्मण वनवास के लिए चल पड़ते हैं, । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है । उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रहने के कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है।
हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसु मोती बनते जा रहे हैं ।

विशेषताएँ : अपने पती के वियोग विरह में विदग्ध उर्मिला का वर्णन है। वियोग श्रृंगार का सफ़ल प्रस्तुतीकरण है । भाषा शुद्ध खडीबोली हैं ।

3. डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगुना उत्साह इसी हैरानी में ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत कविता ‘कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती’ के कवि हरिवंशराय बच्चन जी हैं। आप हिन्दी साहित्य में हालावाद के. प्रवर्तक माने जाते हैं । ‘मधुशाला’, ‘मधुकलश’ आपके बहुचर्चित काव्य हैं ।
संदर्भ : प्रस्तुत कविता में मनुष्य को निरंतर प्रयत्नशील बनकर रहने का संदेश दिया गया है ।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहते है” समुंदर में डुबकी लगाकर मोतियों का अन्वेषण करते गोताखोरो को देखिए कितनी बार खाली हाथ लौटकर आते हैं। पर हर डार के बाद वे दुगुना उत्साह लेकर कोशिश करते है । वे तब एक लगातार प्रयास करते रहते है। जब तक मोती उनके हाथ नही आते । किसी न किसी दिन उनकी मुटिठयां मोतियों से भर जाती है ।

विशेषता: प्रस्तुत कविता पाठकों में आशावाद एवं उत्साह भरनेवाली है । कविता उपदेशात्मक एवं प्रभावशाली है । भाषा बहुत सरल है ।

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4. गाँधी – गौतम का त्याग लिये आता है,
शंकर का शुद्ध विराग लिये आता है ।
सच है, आँखों में आग लिये आता है,
पर यह स्वदेश का भाग लिये आता है ।
उत्तर:
कवि परिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं | आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं । ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।

संदर्भ : कवि दिनकर जी इन पंन्तियों के माध्यम से भारत की गारिमा का गान गा रहे हैं ।

व्याख्या : इस देश में महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों के त्याग की नीव पर इस देश का निर्माण हुआ है, शंकराचार्य शुद्ध विराग लेकर आते हैं । यह भी सच है कि जब- जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब – तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भाग्य लिए आते हैं ।

विशेषताएँ : इस देश के वीर सपूतों के त्याग, बलिदानों तथा वीरत्व का विशेष वर्णन है । ऐसी कविताएँ देश के प्रति भक्ति तथा प्रेम को उभारती है ।

6. निम्नलिखित में से किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)

1. उस व्यक्ति के पैरों में बच्चे को डालकर उसने कहा, ‘ मैं चली जाती हूँ। इस बच्चे को तुम टोकर मारकर जहाँ चाहे फेंक दो ।
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘अपना पराया” नामक कहानी से दी गई है। कहानी के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है। आप हिन्दी कहानी क्षेत्र में मनोविश्लेषणवादी रचनाकार के रूप में सुपरचित हैं। आपका जन्म 1905 ई – अलीगढ़ के कौडियागंज में हुआ। गांधी जी के प्रभाव से असहयोग आन्दोलन में भागलेने के कारण जेल भी गये! जेल के वातावरण से ही कहानियाँ लिखने की प्रेरणा मिली! आपने भाषा की सहजता शिल्पगत सूक्ष्मता अधिक बल दिया है ।

संदर्भ : एक सिपाही लंबे समय के बाद घंर जाते हुए सराय में रात टहरने पर घटित घटना का वर्णन है ।

व्याख्या : एक सिपाही लंबे समय के बाद परिवार वालों से मिलने जाते हुए एक सराय में रात के समय में टहरता है । परिवार के बारे में कल्पनाएँ करता है, स्वप्न देखता है । रात का भोजन करके गाढ़ी नींद मे सोजाता है । रात के सन्नाट को चीरती हुई बच्चे की रोने की आवाज आती है । भटियारे को भेज कर रोनो की आवाज बन्द कराने क प्रयन्न करता है पर विफल रहता है । खुद सिपाही वहाँ पर जाता है, रोते बच्चे को और उसकी माँ को कहीं और जाने कें आदेश देन पर उस स्त्री ने सिपाही के पैरों मे अपने बच्चे को डाल कर गिडगिड़ाते हुए कुछ घंटे की मुहलत मांगती है, कुछ भी ना सुऩने पर कहती है – ‘इस बच्चे को तुम् ठोकर मार कर जहाँ चाहे फेंक दो ।”

विशेषता : कुछ वर्ष पूर्व पत्नी और बच्चे को छोड गये पती को खोजती पत्नी और बच्चे की मार्मिक कथा है । जो दिल की सतह को छूने वाली है मानवीय संबंधों को उभारने वाली है ।

2. एक आलसी मनुष्य उस घरवाले के समान है जो अपना घर चोरों के लिए खुला छोड़ देता है ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत गद्यांश ‘आलस्य और दृढ़ता’ नामक लेख से दिया गया है । इसके लेखक बाबू श्यामसुंदर दास हैं । आप हिन्दी के जाने- माने विद्वान और आलोचक हैं। आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दीविभाग के प्रथम अध्यक्ष थे । काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापकों में आप भी एक थे । आपने विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी को एक पाठ्य विषय के रूप स्थान दिलाया। प्रस्तुत लेख में आप युवापीढ़ी को आलस्य छोड़ने का संदेश देते हैं ।

संदर्भ : सुस्ती या आलसीपन के कारण गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । आलसी आदमी उस मकान मालिक के समान है जो अपने घर को चोरों के लिए खुला छोड़कर तमाशा देखता है । क्योंकि आलसीपन अनेक समस्याओं को आश्रय देता है जो संपूर्ण जीवन का नाश कर देती हैं । अतः जीवन में कभी आलसी बनना नहीं चाहिए ।

विशेषता : यहाँ रचइता घर से एक व्यक्ति के जीवन की तुलना करते हैं । आलस्य के कारण हमारा जीवन अनेक समस्याओं का निलय होकर खाली हो जायेगा ।

3. कई वर्ष पूर्व मैंने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालूँगी, परंतु आज उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल प्राण जीव की रक्षा संभव है ।
उत्तर:
कवि परिचय : ये पंक्तियाँ सोना हिरनी नामक रेखाचित्र से दी गयी है। इस की लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रचनाएँ है- नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कडियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इन को ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है ।

संदर्भ : स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता का पत्र पढते अपनी पुरानी यादों को सहारे कह रही है।

व्याख्या : लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता लेखक को लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । जो उन्हें उसे पालने के लिए दिया था। कुछ ही महीनों में उस हिरन के साथ बहुत स्नेह हो गया था । वह अब बडी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थलविस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ पालने देना चाहती है । पत्र पड़ते पड़ते लेखिका को अचानक ‘सोना (हिरन ) की यादें ताजा हो जाती है। लेकिन कई वर्षो पूर्व लेखिका ने निश्वय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी । परंतु उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल जीवी की रक्षा संभव नहीं है ।

विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है जो मानवीय संवेदना की गत्वर दीप्ती को जागृत करती है।

4. आप अगर बुरा न मानें तो मैं आपको हिस्से में से दस ऊँट ले लूँ । आप तो जानते ही हैं कि मेरे जैसे सांसारिक लोगों के लिए धन का ही महत्व होता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक पाठ से लिया गया है | यह कहानी ‘अलिफ लैला की कहानियाँ’ में से संकलित है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दुल्ला है ।

व्याख्या : ये वाक्य अब्दुल्ला फकीर से कह रहा है । अब्दुल्ला और फकीर असंख्याक द्रव्य से भरे गुफा से 80 ऊँट पर रत्न अषर्फियाँ लाद कर, वादे के अनुसार दोनो बाँट लिए । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने में अब्दुल्ला को दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस लेलिया ।

विशेषता : इन वाक्यों से अब्दुल्ला की अत्याशा के बारे में बता रहे है ।

7. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए । (2 × 2 = 4)

1. काम में दृढ़ता से लगे रहने से क्या प्रयोजन है ?
उत्तर:
काम में दृढ़ता लगे रहने से काम आसानी से पूरा हो जाता है । दृढ़ता के कारण सुस्ती नहीं आती और कार्य में निरंतरता बनी रहती है । दृढ़ता से युक्त मनुष्य ही संसार में यथार्थ गौरव पा सकता है ।

2. कुत्ते का स्वभाव क्या है ?
उत्तर:
कुत्ता स्वामि और सेवक में अंतर जानता है और स्वामी की प्रत्येक मुद्रा से परिचित रहता है। स्नेह से बुलाने पर गद्गद होकर निकट आ जाता है और क्रोध करते ही सभीत और दयनीय बनकर दुबक जाता है ।

3. मरहम की विशेषता क्या है ?
उत्तर:
‘मरहम’ जख्म होने पर लगाया जानेवाला एक लेप है । मगर यहाँ इसकी विशेषता है कि – मरहम को एक बाई अँख में लगाओंगे तो सारे संसार के गुप्त कोश दिखाई देने लगेंगे । किन्तु अगर इसे दाहिनी आँख में लगायेंगे सर्देव केलिए अंधे हो जायेंगे ।

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4. डाकुओं के सरदार ने क्या कहा ?
उत्तर:
डाकुओं के सरदार ने कहा- हमें उल्लू बनाना चाहता है ? अपने घर की तिजोरी का नंबर इसे नहीं मालूम है ? लातों के भूत बातों से नहीं मानते।

8. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 x 2 = 4

1. पश्चात्ताप के बारे में दुर्योधन ने क्या कहा ?
उत्तर:
पश्चात्ताप के बारे में दुर्योधन ने कहा – युधिष्ठिर ! तनिक अपनी ओर तो देखो ! पश्चात्ताप तो तुम्हे होना चाहिए ! मै क्यो पश्चात्ताप करुगा ? मै ने ऐसा कौन – सा पाप किया है ? मैं ने अपने मन के भावों को गुप्त नहीं रखा, मैं ने षडयंत्र नही किया, मैं ने गुरजनों का वध नहीं किया ।

2. रीता को फूल तोड़ते समय क्या हुआ ?
उत्तर:
रीता बगीचे में पूजा के लिए फूल तोड रही थी । कोने मे घास बहुत ऊँची – ऊँची थी । रीता के पैर पर से साँप लहराता हुआ गुजरा और सर से झाडियों में गायंब में गाया हो गया। कुछ ही देर में पैर में झुनझुनी – सी होने लगी । रोशनी में ध्यान से देखा तो बारीक गोल गोल निशान बने दिखायी दिये। उनमें से हलका सा खून भी छलक आया था ।

3. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
भारतीय समाज की कई समस्याओं का चित्रण करना ही ‘रीढ़ की हड्डी’ का मुख्य उद्देश्य है । लड़कियों को लड़कों के बराबर न देखना, जल्दबाजी करके अयोग्य के गले लड़की मढ़ देना, लड़की के पिता की लाचारी, लड़कियों को प्राणहीन वस्तु की तरह देखने की मानसिकता, उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों में व्यक्तित्व का अभाव – इत्यादि कई समस्याएँ चित्रित करने में एकांकी का उद्देश्य पूरा हुआ ।

4. जल में छिपा बैठा दुर्योधन को युधिष्ठिर ने कैसे पुकारा ?
उत्तर:
जल में छिपे दुर्योधन को युधिष्ठिर, ओ पापी, अरे ओ कपटी, दुरात्मा दुर्योधन कहकर पुकारता है । स्त्रियों की भाँति जल में छिपना नही. बाहर निकलकर आने केलिए युधिष्ठिर कहता है ।

9. निम्नलिखित प्रश्नों का वाक्य में उत्तर लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. तुलसी की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर:
तुलसी की पत्नी का नाम रत्नावली था-

2. बिहीरीलाल का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
सन् 1652.

3. प्रसाद जी का प्रमुख काव्य क्या है ?
उत्तर:
कामायनी

4. बच्चन जी का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर:
बच्चन जी का जन्म सन 1907 ई. में इलाहाबाद में हुआ था ।

5. दिनकर जी को किस रचना पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
उत्तर:
ऊर्वशी ।

10. निम्नलिखित प्रश्नों का एक वाक्य में उत्तर लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. सिपाही के बेटे का नाम क्या है ?
उत्तर:
करनसिंह

2. लोगों को किस बात का ध्यान बचपन से ही रखना चाहिए ?
उत्तर:
लोगों को इस बात का ध्यान बचपन से ही रखना चाहिए कि समय व्यर्थ न जाये ।

3. पशु जगत में निरीह और सुंदर पशु कौन है ?
उत्तर:
हिरन ।

4. तिजोरी किससे खुलती है ?
उत्तर:
नंबरों से ।

5. देहाती लक्ष्मी कितने रास्तों से भागती है ?
उत्तर:
चार रास्तों में भागती है ।

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खंड – ख (40 अंक)

11. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर इसके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीखिए। (5 × 2 = 10)

भारंत एक प्रजातांत्रिक देश है । इस विशाल भारत में 1652 भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत की मुख्य भाषा हिंदी है । हिंदी सभी देशवासियों को एक सूत्र में जोड़ती है । हिंदी मीठी तथा जनमानस की भाषा है । यह एक वैज्ञानिक भाषा भी है। इसमें जो बोला जाता है वही लिखा जाता है। हिंदी भारत की राजभाषा तथा राष्ट्रभाषा है। हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में 14 सितंबर, 1949 को स्वींकांर किया गया। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के संबंध में व्यवस्था की गई। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिए या स्मृति के रूप में 14 सितंबर का दिन हर साल ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । धारा 341(1) के अनुसार भारतीय संघ की भाषा ‘हिंदी’ एवं लिपि ‘देवनागरी’ है और संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होनेवाले अंकों का रूप, भारतीय अंकों का रूप अंतराष्ट्रीय रूप होगा। भारतीय संविधान की धारा 341 के अनुसार 14 सितंबर, 1950 को राष्ट्रभाषा को रूप में हिदी को घोषित किया गया। भारत में सैकड़ों भाषाएँ बोले जाने पर भी जिनमें से 15 भाषाओ को संविधान में राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दी गई है जो भारत की करेंसी या मुद्रा पर हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 15 भाषाओं का

1) भारत की राजभाषा तथा राष्ट्रभाषा क्या थी ?
उत्तर:
हिंदी भारत की राजभाषा तथा राष्ट्रभाषा थी ।

2) हिंदी को राजभाषा के रूप में कब स्वीकार किया गया ?
उत्तर:
14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया ।

3) हिंदी दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर:
प्रति वर्ष 14 सितंबर 1949 को हिंदी दिवस मनाया जाता है ।

4) भारत की करेंसी या मुद्रा पर कितनी भाषाओं का प्रयोग होता है ?
उत्तर:
भारत की करेंसी या मुद्रा पर हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 15 भाषाओं का प्रयोग होता है ।

5) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए ।
उत्तर:
राजभाषा हिंदी |

12. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए । (5 × 1 = 5)

1. हिमालय
2. पुनर्जन्म
3. गायक
4. मनोहर
5. विद्यार्थी
6. तपोबल
7. देवर्षि
8. तिरस्कार
9. पितृण
10. प्रतःकाल
उत्तर:
1. हिमालय = हिम + आलय
2. पुनर्जन्म = पुनः + जन्म
3. गायक = गै+ अक
4. मनोहर = मनः + हर
5. विद्यार्थी = विद्या + अर्थी
6. तपोबल = तपः + बल
7. देवर्षि = देव + ऋषि
8. नमस्कार = निः + सार
9. पितृ = पितृ + ऋण
10. प्रातः काल = प्रातः + काल

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13. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों के समास के नाम लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. आजीवन
उत्तर:
अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : जीवन भर)

2. कानों कान
उत्तर:
अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : कान ही कान में)

3. जयचंद्रकृत
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : जयचंद्र से कृत)

4. पवन पुत्र
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : पवन का पुत्र)

5. कवि श्रेष्ठ
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : कवियों में श्रेष्ठ)

6. अनाचार
उत्तर:
नत्र तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : न आचार)

7. दीनदयालु
उत्तर:
कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : दीनों पर दयालु)

8. गुरुदेव
उत्तर:
कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : गुरु रूपी देव)

9. नव रत्न
उत्तर:
द्विगु समास (विग्रहवाक्य : नौ रत्नों का समाहार)

10. पाप-पुण्य
उत्तर:
द्वंद्व समास (विग्रहवाक्य : पाप और पुण्य )

14. (अ) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं पाँच वाक्यों को हिंदी में अनुवाद कीजिए । (5 × 1 = 5)

1. My name is Mohan.
उत्तर:
मेरा नाम मोहन है ।

2. Madhuri, Rani are singing a song.
उत्तर:
माधुरी, रानी गीत गा रही है ।

3. Peacock is beautiful bird.
उत्तर:
मोर सुंदर पक्षी है ।

4. The pen is on the table.
उत्तर:
कमल मेज पर है ।

5. Ramakanth is a brave boy.
उत्तर:
रमाकांत एक साहसी लड़का है ।

6. What is your Name ?
उत्तर:
तुम्हारा / आपका नाम क्या है ?

7. Amaravati is the Capital of Andhra Pradesh.
उत्तर:
अमरावती आंध्र प्रदेश की राजधानी है ।

8. Rakesh is playing in the play ground.
उत्तर:
राकेश मैदान में खेल रहा है ।

9. Joshi is a good administrator.
उत्तर:
जोशी एक अच्छा प्रशासक है ।

10. He is going.
उत्तर:
वह जा रहा है |

(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से पाँच वाक्यों का शुद्ध रूप लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. मैं मेरा काम करता हूँ । (अशुद्ध)
उत्तर:
मैं अपना काम करता हूँ । (शुद्ध)

2. मेरे को एक कलम चाहिए । (अशुद्ध)
उत्तर:
मुझे एक कलम चाहिए । (शुद्ध) (मेरे + का े = मुझे )

3. आप आपका नाम बताइये । (अशुद्ध )
उत्तर:
आप अपना नाम बताइये । (शुद्ध)

4. हम हिंदी सीखनी चाहिए । (अशुद्ध)
उत्तर:
हमें हिंदी सीखनी चाहिए । (शुद्ध) (हम + को)

5. देवेश देवेश की पुस्तक पढ़ता है । (अशुद्ध)
उत्तर:
देवेश अपनी पुस्तक पढ़ता है । (शुद्ध)

6. तू क्या कर रहे हो ? (अशुद्ध)
उत्तर:
तू क्या कर रहा है ? (शुद्ध)

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7. मेज में पुस्तकें रखी हैं। (अशुद्ध)
उत्तर:
मेज पर पुस्तकें रखी हैं । (शुद्ध)

8. मल्लेश्वरी गाना चाहिए । (अशुद्ध)
उत्तर:
मल्लेश्वरी को गाना चाहिए | (शुद्ध)

9. मैं स्कूल जाता / जाती है । (अशुद्ध)
उत्तर:
मैं स्कूल जाता / जाती हूँ । (शुद्ध)

10. वह पूस्तक मेरा है । (अशुद्ध)
उत्तर:
वह पूस्तक मेरी है । (शुद्ध)

15. निम्नलिखित गद्यांश का संक्षिप्तीकरण कीजिए । (1 × 5 = 5)

मनुष्य के लिए प्रतिभा नहीं, उद्देश्य आवश्यक है। विश्वास करिए, आँख मींच कर फेंका हुआ तीर अपना लक्ष्य नहीं बेध सकता, अंधे होकर भागने से मार्ग नहीं कट सकता, आँख मूंद कर बेमोस्म बीज फेंकनेवाला किसान कभी सफल नहीं होता। भला आप उस व्यक्ति के बारे में क्या सोचेंगे जो गाड़ी में सवार होने के लिए स्टेशन पर पहुँचा हुआ है, पर जिसे यह नहीं मालूम कि उसे कहाँ जाना है। हम सब भी विश्व के रंगमंच पर आए हुए हैं। जीवन की नौका को संसार में खेने से पूर्व हमें जान लेना चाहिए कि हमें जाना कहाँ है। अतः हम अपनी इन बंद आँखों को खोल लें, उद्देश्य बनाएँ और चल पढ़ें। जिस नायिक ने लक्ष्य स्थिर नहीं किया उसके अनुकूल हवा कभी नहीं चलेगी। तुम शव नहीं हो कि संसार – सागर की लहरें जिस किनारे चाहें तुम्हें पटक दें, परिस्थितियाँ जिधर चाहें ले चलें। भाग्य के नाम पर तुमकों प्रवाह में बहना नहीं है अपितु प्रवाह का रुख बदलना है ।
उत्तर:
मानव जीवन का उद्देश्य
मनुष्य के विषय में प्रतिभा की तुलना उद्देश्य अहं है । बिना उद्देश्य के चलनेवाले का रास्ता कठिन बन जाता है । जीवन के आरंभ से ही उद्देश्य तथा लक्ष्य को निर्धारित करना है । उद्देश्य को तय करने से भाग्य के प्रभाव को भी बदला जा सकता है ।

16. निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच वाक्यों का वाच्य बदलिए । (5 × 1 = 5)

1. शारदा पाठ पढ़ती है । (कर्तृ)
उत्तर:
शारदा से पाठ पढ़ा जाता है । (कर्म) (पाठ – पुलिंग)

2. वह नहीं सोता (कर्तृ)
उत्तर:
उससे सोया नहीं जाता । (भाव)

3. कृष्ण से बाँसुरी बजायी जाती है। (कर्म)
उत्तर:
कृष्ण बाँसुरी बजाता है। (कर्तृ) (बाँसुरी – स्त्रीलिंग)

4. आप नहीं उठेंगे । (कर्तृ)
उत्तर:
आपसे उठा नहीं जाता । (भाव)

5. कवि कविता लिखेगा । (कर्तृ)
उत्तर:
कवि से कविता लिखी जाएगी। (कर्म) (कविर्ता – स्त्रीलिंग)

6. मैं नहीं चल सकता । (कर्तृ)
उत्तर:
मुझसे चला नहीं जाता । (भाव)

7. मौनिका गीत गाती है । (कर्तृ)
उत्तर:
मौनिका से गीत गाया जाता है । (कर्म) (गीत – पुलिंग)

8. रामबाबू मिठाई खाएगा । ( कर्तृ)
उत्तर:
रामबाबू से मिठाई खायी जाएगी । (कर्म) (मिठाई – स्त्रीलिंग)

9. वह पत्र लिखता है । (कर्तृ)
उत्तर:
उससे पत्र लिखा जाता है । (कर्म) (पत्र – पुलिंग)

10. श्रावणी से फूल लाया जाता है । (कर्म)
उत्तर:
श्रावणी फूल लाती है। (कर्तृ) (फूल पुलिंग)

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