AP Inter 1st Year Hindi Question Paper March 2019

Exploring a variety of AP Inter 1st Year Hindi Model Papers and AP Inter 1st Year Hindi Question Paper March 2019 is key to a well-rounded exam preparation strategy.

AP Inter 1st Year Hindi Question Paper March 2019

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

खण्ड – ‘क’
( 60 अंक)

1. किसी एक दोहे का कवि परिचय देते हुए भावार्थ लिखिए ।
पोथि पढ़ि – पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय |
ढाई अक्षर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ॥

कवि परिचय :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे

भावार्थ :- कवि का कहना है कि केवल बड़े बड़े ग्रंथ पढने से कोई भी पंडित नहीं बन सकता बल्कि समय व्यर्थ होजाता है । यदि कोई भी व्यक्ति प्रेम रूपी अक्षर को पढ सकता है अर्थात जिसे प्रेम की महानता मालूम हो जाती है, वह महान बन सकता है ।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें सबके साथ प्रेम के साथ व्यवहार करने का सन्देश कवि दे रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

अथवा

तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पियहि न पान ।
कहि रहीम परकाज हित, संपत्ति संचहि सुजान ॥
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है। वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
संदर्भ :- इसमें कवि की परोपकार की भावना स्पष्ट होती हैं ।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि जिस प्रकार पेड अपना फल खुद नहीं खाते है और सरोवर अपना पानी खुद नही पीती । ये सब दूसरों के लिए फल और पानी इकट्टा करके रखते है । उसी प्रकार सज्जन लोग भी दूसरों की भलाई के लिए ही अपना धन इकट्टा करके रखते है ।

विशेषताएँ :-

  1. सज्जन लोगों के लक्षणों के बारें में कवि कहते है ।
  2. उनकी भाषा व्रज भाषा है ।

2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए ।

(1) सुख-दुःख
कवि परिचय :- सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म सन् 1900 ई. मे. उत्तर प्रदेश अल्मोडा जिले के कौसानी ग्राम मे हुआ । उन्होने हिन्दी के साथ-साथ संस्कृत, बंगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं का अध्ययन किया । प्रकृति के उपासक होने के कारण उन्हे प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है। पल्लव, वीणा, ग्रथि, ग्राम्या, स्वर्णधूलि आदि प्रमुख रचनाएँ हैं । उनकी भाषा संस्कृत के तत्सम शब्दों से युक्त खडीबोली है ।

सारांश :- कवि का कहना है कि हमेशा सुख और दुख भी जीवन के लिए अच्छा नही । सुख और दुख दोनों के साथ खेल मिचौनी करना चाहिए । अर्थात् जीवन में सुख और दुख एक दूसरे के साथ आना ही चाहिए । सुख और दुख होने के साथ ही जीवन परिपूर्ण होता है । जिस प्रकार आकाश में घने बादलों के बीच चन्द्रमा और चाँदनी से बादल घेरे जाते हैं उसी प्रकार सुख और दुख एक दूसरे के बाद आते जाते है ।

सारा जगत कभी कभी अति दुख से और अति सुख से पीडित होता रहता है । लेकिन मानव जीवन में सुख और ‘दुख दोनों को समान रूप में स्वीकारना चाहिए । हमेशा सुख और हमेशा दुख दोनो भी जीवन के लिए दुखदायक है । जिस प्रकार जीवन में दिन और रात का आना जाना स्वाभाविक है । उसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना भी स्वाभाविक है ।

जिस प्रकार सायंकाल सूर्योदय का आगमन विरह के बाद मिलन जीवन के लिए आनन्ददायक होता है । आनन्द और दुख हमेशा जीवन मे आता जाता रहता है । यही मानव जीवन है ।

इस प्रकार कवि इसमें जीवन मे स्वाभाविक और प्राकृतिक नियमों के बारे मे चित्रण करते हुए जीवन के लिए सुख और दुख जितना स्वाभाविक होते है उनके बारे मे व्यक्त कर रहे है ।

विशेषताए :- सुख और दुख दोनो को समान रूप मे स्वीकारने का सन्देश दे रहे हैं । उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(2) अकाल और उसके बाद
कवि ने इस्के अकाल के समय और अकान के बाद की स्थिती को दो पद्यों के द्वारा विस्तार रूप मे वर्णन किया । अकाल के समय मे घर पर खाने के लिए अनाज का अभाव है इसलिए कई दिनो से जला और अनाज के अभाव से आठा न पीसने के कारण चक्की के भी काम नही किया । चूहे चूल्हा न जलने से घर का एक का अंख वाला कुत्ता उसी के पास सो रही है । खाना न मिलने से सारा घर और आदी जन्तुएँ भी उदास है । घर के लोग उदास से एक बैठे हुए है। और दीवार पर छिपकलियाँ गस्ती देखे हैं । कई दिनों से अकाल से पीडित होते वाले घरों में अनाज न मिलने से चूहो की स्थिति भी बड़ी दयनीय थी ।

अब अकाल चल गया । बहुत दिनों के बाद घर मे अनाज आया । चूल्हे जलने से घर के आंगन मे धुँआ उठा । घर के सभी लोगो की आँखों मे चमक उठी अर्थात सब लोगों मे असाह भर गया । भोजन के बाद केंके हुए अन्न से अपने पेट भरने की आशा से काँठा भी पंख खुजलाकर इत्तर इन्तजार कर रही हैं ।

इस्प्रकार कवि ने अकाल से पीडित जनता की दयनी स्थिति और बाद की स्थिति का मार्मिक रूप से चित्रण किया है। अकल की दुस्थिति केवल लोंगों पर ही नहीं बल्कि उनके चारों ओर वातारिण को किस प्रकार प्रभावित करती है, उस्का स्पश्ट चित्रण किया है । उनकी भाषा सरल खडी बोली है।

AP Inter 1st Year Hindi Question Paper March 2019

3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए |

(1) शिवाजी का सच्चा स्वरूप
उत्तर:
लेखक परिचय : शिवाजी का सच्चा स्वरूप नामक एकांकी के एकांकीकार सेठ गोविंददास जी है । ये हिन्दी के प्रचार और प्रसार केलिए प्रसिद्ध है । हिन्दी में आपको श्रेष्ठ नाटककार के रूप में प्रतिष्ठा मिली है ।

शिवाजी मराठा शासक थे । एक बार सेनापति मोरोपंत पिंगले के नेतृत्व में शिवाजी की सेना ने कल्याण प्रान्त पर आक्रमण किया था । उस किले के सूबेदार अहमद को परास्त कर वहाँ के खजाने को लूटा था । साथ-साथ सुबेदार की पुत्रवधू को भी बन्दी बनाया गया था ।

सुबेदार अहमद की पुत्रवधू बडी सुन्दरी थी। जब वह भेंट के रूप मे प्रस्तुत की गई, तो शिवाजी बहुत हैरान हो गये । उसमें उन्हे बहुत दुख हुआ । ‘माँ’ के रूप में उसको सम्बोधित करते हुए शिवाजी ने अपने सेना द्वारा किये गये इस घृणित कार्य के लिए उससे क्षमा मांगी और कहा कि ‘उसकी खूबसूरती की मात्र पूजा कर सकते है । अहमद की पुत्रवधू को सादर उसके शौहर के पास पहुँचाकर शिवाजी ने यह घोषणा की कि भविष्य में यदि कोई ऐसा कार्य करेंगे तो उन्हे मृत्यु दंड दिया जायेगा ।

इस प्रकार यह एक ऐतिहासिक एकांकी है । इसमें नाटक की तरह पात्र तथा चरित्र चित्रण, वार्तालाप आदि का चित्रण किया गया है एकांकी का नायक शिवाजी के चरित्र को महान और नारी के प्रति सम्मान रखने के रूप में दर्शाया गया है । उनकी भाषा सरल और सुबोध है ।

(2) आन्ध्र संस्कृति
उत्तर:
संस्कृति अर्जित आचरणों की एक व्यवस्था है । संस्कृति मानव की जीवन पद्धति है और विचारों, आचरणों और जीवन के मूल्यों का सामूहिक नाम है । भारतीय संस्कृति के बारे में दिनकर जी का कहना है कि संस्कृति जिंदगी का एक तरीका है और यह तरीका सदियों से जमा होकर एक उस समाज मे छाया रहता है जिसमें हम जन्म लेते है ।

भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । उसका प्रादेशिक रूप तेलुगु संस्कृति है और यही आन्ध्र संस्कृति कहलाती है । आन्ध्र राज्य का इतिहास शातवाहनों से आरंभ होता है । इनके समय मे आंध्र मे आर्य व द्रविड संस्कृतियों का अपूर्व संगम हुआ था । शातवाहनों के बाद आन्ध्र संस्कृति के विकास में इक्ष्वाकु, चोल, चालुक्य, पल्लव, काकतीय, विजयनगर राजाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा । काकतीयों के समय 14 वी शताब्दी में आंध्र मे मुसलमानों का प्रवेश हुआ । जिससे एक और नयी संस्कृति का समावेश हो गया । ऐतिहासिक व राजनीतिक रूप से आंध्र प्रदेश दो भागों में विभक्त है – कोस्ता तटीयान्ध्र तथा रायलसीमा । गोदावरी, कृष्ण, आन्ध्र की प्रमुख जीव- नदियाँ है इनके अलावा छोटी-छोटी नदियों भी प्रवाहि पायी जाती है । आन्ध्रप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और अनाज मुख्य फसल है इसके अलावा मकई, मिर्च, कपास, मूंगफली, तम्बाकू व जूट अन्य फसल है । आंगेलु पशुओं की भारतभर प्रसिद्धि है । आन्ध्र का एक विशेष उद्योग है – नौका निर्माण उद्योग |

आन्ध्र प्रदेश धार्मिक रूप से एक संपन्न राज्य है । यहाँ पर वैदिक, बौद्ध, जैन, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, इस्लाम, सिख, ईसाईधर्म नास्तिक धर्म आदि विराजमान हैं । बौद्ध संस्कृति और जैन धर्म से संबंधित मन्दिर और स्तूप और अनेक विहार यहाँ पर व्याप्त है। हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर भी निर्मित हुए जैसे द्राक्षारामम्, हंपी, ताडिपत्रि, लेपाक्षी आदि। कला और संस्कृति का भी विकास यहां पर हुआ । यहाँ पर नाग, यक्ष जातियों के साथ-साथ अनेक पर्वत और जंगलों जातियों भी विकास हुआ ।

संस्कृति मानव जीवन की आदर्श आचार सहित है । संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकलाओं के साथ हरिकथा, बुर्राकथा, चेंचु नाटक भी प्रचार मे है । अन्नमाचार्य, रामदास, त्यागराज और क्षेत्रच्या के साथ 3 बीसवी राती के मंगलंपल्लि बालमुरली कृष्ण भी प्रसिद्ध वाग्गेयकार थे । कूचिपूडि, भरतनाट्यम, कथकली, कथक नृत्यों के साथ कलंकारी, कोंडपल्लि गुडियाँ, एटिकोप्पाका गुडिया, मंगलगिरि, उप्पाडा, पोंडूरू, वेंकटगिरि वस्त्र आदि प्रसिद्धि है ।

आन्ध्र प्रान्त मे अनेक पर्व और त्योहार मनाये जाते है जैसे संक्रांति, महाशिवरात्रि, उगादि, श्रीरामनवमी एरुवाका पूर्णिमा, विनायक चविति, दशहरा, दीपावली रमजान क्रिसमस आदि बनाया जाता है | विवाह तो जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है । यहाँ के स्त्री-पुरुष कईतरह के आभूषण पहना करते थे । अनेक तरह के खेल खेला करते थे । यहाँ के व्यंजन भी सांप्रदायिक और प्रसिद्ध है | चावल प्रधान भौजन है । अमरावती, अन्नवरम् तिरूपति, कनकदुर्गम्मा नन्दिर, पंचारामम यहाँ के प्रसिद्ध मन्दिर है ।

आंध्रसंस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ । संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्य व नाटक तेलुगु मे अनुदित हुआ है। आंध्र में अष्टावधान नामक एक विशिष्ट साहित्य प्रक्रिया विकसित हुआ । आन्ध्र की राजभाषा तेलुगु है । नन्नया, लिक्कना, एर्राप्रगडा ने महाकाव्य महाभारत का तेलुगु मे अनुवाद किया । प्राचीनकाल के रचनाकारों में पालकुरिक सोमनाथ, श्रीनाथ, पोतना और आधुनिक साहित्यकारों मे गुरजाडा, कंदुकूरी, कृष्णाशास्त्री, श्री श्री, गुर्रम जाषुआ, चिन्नयसूरी जैसे और भी अनेक है ।

इस प्रकार आन्ध्र संस्कृति विभिन्न जाति, धर्म, जाति, व वर्ण के लोगों से मिश्रित है । फिर भी राज्य मे सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक एकरूपता का आभास स्पष्ट झलकता है ।

4. किसी एक कहानी का सारांश लिखिए ।

(1) पूस की रात
उत्तर:
हल्कू एक निर्धन किसान था । मुन्नी उसकी पत्नी थी । हल्कू खेती करता था । किन्तु उसकी उपज इतनी नहीं होती कि उसे बेचकर साहूकार का ऋण चुका सके। सर्दी से बचने के लिये वह एक कम्बल खरीदना चाहता था । इसके लिये उसने पत्नी के पास तीन रूपये जमाकर रखे । लेकिन साहूकार से तुरंत बचने के लिए उसने उन तीन रूपयों को उसे दे दिया । पूस की रात थी । हल्कू खेती की रखवाली करने गया था ।

कड़ी सर्दी थी । वह काँपने लगा । उसके पास का चादर उसे बचा न सकता था । सर्दी से बचने या गर्माई पाने वह बार बार तमाखू पीता रहा । आखिर विवश होकर अपने कुत्ता ‘जबरा’ को उठाकर गोद में सुलाया । इससे कुछ गर्मी मिल रही थी ।

इस बीच नील गायों ने चरकर खेत साफ कर दिया । किन्तु वह उठ न सका । दूसरे दिन वह खुश इसलिए रहा कि अगले दिन से रखवाली केलिये आने की जरूरत नहीं थी ।

(2) बदला
उत्तर:
धम्मपट्टनं एक ऐसा जगह है, वहाँ पर एक अस्पताल है जहाँ कदम-कदम पर भ्रष्टाचार, मामूल वसूल किया जाता है | वहाँ पर कुछ दूरी पर एक गाँव था वहाँ पर कोटय्या एक मामूली किसान, मजदूर था । वह खास पढा लिखा नहीं होने पर भी अखबार पढ लेता है । उसकी पत्नी गर्भवती थी । नौ महीने मे तबियत खराब होने से अपने मालिक की बैलगाडी लेकर धर्मपट्टनं अस्पताल पहुँचता है अस्पताल के अन्दर जाने के लिए भी चवन्नी हाथ मे रखना पडता है । अन्दर जाने के बाद उसकी पत्नी बेहोश होने पर भी कोई भी इसके प्रति ध्यान नहीं देते। शायद वहाँ बेहोशी होना भी मामूली बात है । कुछ देर बाद डाक्टर पद्मा वहाँ आती है। कोटय्या भय, विवशता, अज्ञान अन्धार मे पडकर वही बाहर खडा हो जाता है । बाद में उस पता चलना है कि प्रसव के पहले ही उसकी पत्नी चली गयी । उसकी लाश को लेकर जाने के लिए भी उसे मामूल देना पडता है ।

पत्नी का दहन संस्कार होने के बाद कोटय्या धम्मपट्टनं अस्पताल के सामने सात्याग्रह करना शुरू करता है । पर किसी ने इस पर ध्यान नहीं देता । पाँच दिन बाद डाक्टर पद्मा उसको समझाने आता है। धीरे-धीरे सब का ध्यान इसकी ओर आकृष्ट होता है । डाक्टर पद्मा पर शिकायत रखी जाती है और इस के द्वारा सभी कर्मचारियों के विषय बाहर आने लगते है। सत्याग्रह करते-करते कोटय्या का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और उसी अस्पताल मे दाखिल हो जाता है । इन समस्याओं के बीच डा. पद्मा की हत्या अस्पताल मे हो जाती है इसकी जिम्मेदारी कोटय्या पर पडती है और पुलीस उसको जेल लेजाता है। वह निर्दोष होकर भी अन्त मे उसे दण्ड भोगना पड़ता है । इस प्रकार इस कहानी का नायक एक गरीब मजदूर मामूली व्यक्ति था । आत्याचारों के विरूद्ध स्वर उठाने पर भी उसका कोई नहीं सुनता । निर्दोष होकर भी सजा भुगतनी पड़ती है । तत्कालीन सामाजिक स्थिति को मार्मिक रूप से कहानीकार ने चित्रण किया । उनकी भाषा सरल है ।

5. किन्हीं दो पद्यांशों की संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए ।

(1) मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक ।
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक ||

परिचय :- यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है ।
सन्दर्भ :- कवि फूल की चाह के द्वारा अपनी देशभक्ति भावना को व्यक्त कर रहे हैं ।
व्याख्या :- कवि फूलों के द्वारा अपना विचार व्यक्त कर रहे है कि हे वनवाली ! मुझे अवश्य तोड़ लो। पर तोड़कर उस रास्ते मे मुझे फेंक दो जिस रास्ते पर मातृभूमि के लिए बलिदान करने के लिए वीर जाते है | ताकि उनके चरणों के नीचे पड़कर मैं पवित्र हो जाऊँगी और उनके पैरों को राहत दूँगी ।

विशेषताएँ :

  1. देश के लिए बलिदान करने वाले वीरो के प्रति कवि का गौरव स्पष्ट हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खड़ीबोली है ।

(2) दाने आए घर के अन्द कई दिनों के बाद । .
धुआँ उठा आँगन के ऊपर कई दिनों के बाद ||
कवि परिचय :- यह पद्य को नागार्जुन द्वारा लिखे गयी अकाल और उसके बाद कविता से लिया गया है । वे प्रगतिवादी कवि थे और आधुनिक कबीर से प्रसिद्ध थे ।
सन्दर्भ :- अकाल समाप्त होने के बाद जिसप्रकार की रोशनी घर के चारो ओर दिखाई पडती है, उसका मार्मिक चित्रण इसमें मिलता हैं ।
व्याख्या :- अकाल के बाद अनाज घर को आया । खाना पकाने के लिए घर में चूलहा जलाया गया । इस खुशी मे घर के सारे लोंगों के मन उत्साह से भर गया । भोजन के बाद केंके हुए अन्न से पेट भरने की आशा मे कौए भी पँस खुजलाकर इन्तजार कर रही है ।

विशेषताए :-

  1. कवि की प्रगतिवादी धारणा का चित्रण हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

AP Inter 1st Year Hindi Question Paper March 2019

(3) साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट चलते हैं,
और दाहि दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए ।

कवि परिचय :- यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया. है वे छायावादी कवि है ।
सन्दर्भ :- इसमें एक भिखारी और उसके दो बच्चों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है।
व्याख्या :- एक भिक्षुक रास्ते पर आ रहा है और उसके साथ दो बच्चे भी है । वे अपने बाए हाथ से अपने भूखे पेट को मल रहे है और दाहिने हाथ से दया की भीख माँग रहे है। भूख के कारण उनके ओठ सूख गए है । अपने भाग्य के लिए वे तडप रहे हैं । सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए भी उनके पहले ही कुत्ते उन पत्तलों को लपटने के लिए वहाँ खडे हो रहे है ।

विशेषताएँ :-

  1. शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है।
  2. इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
  3. उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

(4) मैं नहीं चाहता चिर-सुख
मैं नहीं चाहता चिर- दुःख |
सुख दुःख की खेल मिचौनी
खेल जीवन अपना मुख ॥

कवि परिचय :- यह पद्य सुमित्रानंदन पंत के द्वारा लिखी गयी ‘सुख-दुःख’ नामक कविता से लिया गया है । वे प्रकृति का सुकुमार कवि कहे जाते है ।
सन्दर्भ :- इसमें कवि सुख-दुख को समान रूप में स्वीकार करने की बात कह रहे हैं ।.
व्याख्या :- कवि का कहना है कि जीवन मे हमेशा सुख और हमेशा दुख का रहना भी अच्छा नहीं है । सुख और दुख आंख मिचौनी खेल की तरह हमारे जीवन में आते जाते रहना चाहिए ।

विशेषताएँ :

  1. जीवन के लिए सुख और दुख होने की आवश्यकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली हैं ।

6. निम्नलिखित में से किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।

(1) भारतीय संस्कृति का सौदर्य-बोध नारी रूप से अविच्छिन्न संबन्ध से जुड़ा हुआ है ।
प्रसंग :- यह उद्धरण महादेवी वर्मा के द्वारा लिखी गयी “भारतीय संस्कृति और नारी” नामक निबन्ध से लिया गया वे छायावाद से सम्बन्धित प्रमुख साहित्यकार है ।
सन्दर्भ :- इसमें भारतीय संस्कृति और नारी के बीच के अविच्छिन्न सम्बन्ध के प्रति जोर दिया गया है ।
व्याख्या :- भारतीय संस्कृति मे प्राचीनकाल से ही नारी का महत्वपूर्ण स्थान है । भारतीय संस्कृति का सौन्दर्य बोध नारी के रूप से अविच्छिन्न सम्बन्ध से जुडा हुआ है। नारी को देवी, माता जैसे रूपों मे दर्शाया गया है जो प्राचीन आर्य काल से पहले ही मातृसत्ता से जुडा हुआ है।

विशेषताएँ :-

  1. भारतीय संस्कृति मे नारी की महानता के बारे में स्पष्ट किया गया है।
  2. उनकी भाषा खडीबोली है ।

(2) इतना कहने से अब कोई संदेह नहीं रह गया कि घुमक्कड़-धर्म से बढ़कर दुनिया में धर्म नहीं है ।
परिचय :- यह उद्धरण राहुल सांस्कृत्यान के द्वारा लिखी गयी “अथातो घुमक्कड जिज्ञासा” नामक यात्रा वृत्तांत है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और उनका यात्रा साहित्य अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है ।
सन्दर्भ :- लेखक इसमें घुमक्कडी प्रवृत्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है और उसकी महानता को इसमें स्पष्ट करते हैं ।
व्याख्या :- अनेक धर्मावलम्बी लोग घुमक्कडी प्रवृत्ति का अनुकरण करने से ही महान बन गए ।

घुमक्कड होना आदमी के लिए परम सौभाग्य की बात हैं । घुमक्कड होना आदमी के लिए परम सौभाग्य की बात है । घुमक्कड धर्म का अनुकरण करने से देश की उन्नति होती है । हमें कोई संदेह नहीं करना चाहिए कि घुमक्कडी धर्म ही दुनिया में सबसे महान धर्म है ।

विशेषताएँ :- घुमक्कड धर्म को अपनाने का सन्देश लेखक देते हैं ।

(3) 28 फरवरी, 1928 को चन्द्रशोखर वेंकटरामन ने रामन प्रभाव की खोज की, उस खोज के उपलक्ष्य में इस दिन को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
प्रसंग :- यह उद्धरण ‘चन्द्रशेखर वेंकटरमन’ नामक जीवनी से लिया गया, वे बडे वैज्ञानिक तथा राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से प्रतिष्ठित थे ।
सन्दर्भ :- “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ किस दिन मनाते है और क्यों उसी दिन यह दिवस मनाते इसके बारे में बताया ।
व्याख्या :- भारतीय वैज्ञानिकों में श्री चन्द्रशेखर वेंकटरामन महान है । अपने ही घर में प्रयोगशाला बनाकर और भारत परिषद की प्रयोगशाला में अनुसन्धान आरम्भ किया। 28 फरवरी, 1928 को उन्होंने ‘रामन प्रभाव” की खोज की। उस खोज के उपलक्ष्य में इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है । “रामन प्रभाव’ के नाम से पार्थिव वस्तुओं में प्रकाश के बिखरने का नियमित अध्ययन आरम्भ किया और उन्होंने पारक आर्क के प्रकाश का स्पेक्ट्रम आरम्भ किया और उन्होंने पारक आर्क के प्रकाश का स्पेक्ट्रम स्पेक्ट्रोप में निर्मित किया । राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों के द्वारा में प्रतिष्ठित किए गए ।

विशेषताएँ :-

  1. वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरामन की महानता का परिचय हमें मिलता है ।
  2. भाषा सरल है।

(4) आजकल पर्यावरण प्रदूषण के कारण यह संतुलन बिगड़ रहा है ।
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है ।
सन्दर्भ :- पर्यावरण संतुलन के बिगडने से पर्यावरण प्रदूषण कैसे हो रहा है इसका परिचय इसमें दे रहा है ।
व्याख्या :- जैविक पदार्थ जैसे पेड, पशु-पक्षी, मनुष्य और अजैविक पदार्थ जैसे पहाड, पत्थर, पानी, वायु के बीच संतुलन को पर्यावरण संतुलन कहते है । लेकिन आज पर्यावरण प्रदूषण कारण यह संतुलन बिगड जा रहा है। इससे अनेक दुष्परिणाम प्रकृति में हो रहे हैं । समस्त जगत के लिए यह हानिकारक हो रहा है।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे कहा गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

7. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।

(1) कबीरदास के गुरु कौन थे ?
उत्तर:
कबीरदास के गुरू रामानन्द है ।

(2) रहीम का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखान है ।

(3) अकाल में चूल्हे के पास कौन सोया ?
उत्तर:
अकाल में चूल्हे के पास कुतिया (सोने लगी) सोया ।

(4) ‘भिक्षुक’ कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
भिक्षुक कविता के कवि श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला है ।

AP Inter 1st Year Hindi Question Paper March 2019

(5) फूल किसके पैरों के नीचे कुचल जाना चाहते हैं ?
उत्तर:
देश के लिए प्राण अर्पण करने के लिए जो वीर जाते है, उन वीरों के पैरों के नीचे कुचल जाना चाहते हैं ।

8. निम्नलिखित में एक शब्द में उत्तर दीजिए ।

(1) महादेवी वर्मा को किस रचना पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ ?
उत्तर:
‘“थामा’ कविता संग्रह के लिए महदेवी वर्मा को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ ।

(2) शिवाजी कौन थे ?
उत्तर:
शिवाजी मराठा शासक थे ।

(3) प्रदूषण कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर:
प्रदूषण चार प्रकार के होते हैं ।

(4) सी.वी. रामन का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
श्री चन्द्रशेखर वेंकटरामन ।

(5) जैन धर्म के प्रतिष्ठापक कौन थे ?
उत्तर:
जैन धर्म के प्रतिष्ठापक महावीर थे ।

खण्ड – “ख’
(40 अंक)

9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए ।
छुट्टी माँगते हुए प्राचार्य के नाम पत्र लिखिए |
उत्तर:

विजयवाड़ा,
दिनांक 14.10.2018.

सेवा में,
प्राचार्य महोदय,
प्रभत्व जूनियर कलाशाला,
विजयवाड़ा ।

मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि मैं बुखार से पीड़ित होने के कारण आज और कल दो दिन विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता हूँ । मेरी चिकित्सा नियमित रूप से चल रही हैं। डाक्टर ने चार दिन विश्राम करने की सलाह दी है | अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे 15.10.2018 से 18.10.2018 तक चार दिन की छुट्टी देने की कृपा करें ।

धन्यवाद !

आपका आज्ञाकारी शिष्य
बी. धनराज
इंटर प्रथम वर्ष
अनुक्रमांक – 17.

अथवा

पैसे माँगते हुए पिताजी के नाम पत्र लिखिए |
उत्तर:

विजयवाड़ा,
दिनांक 17.07.2018.
पूज्य पिताजी,

सादर प्रणाम ।

मैं यहाँ कुशल हूँ आशा है कि आप सब भी वहाँ कुशल होंगे । यहाँ अच्छे प्राध्यपक हैं । वे हमेशा हमारे संकोचों को दूर करते रहते हैं । मेरी पढाई ठीक से चल रही हैं । हमें इस महीने के अंत तक कॉलेज की फीस भरनी है। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि दो हजार रूपये भेजने की कृपा करें ।

आदरणीय माताजी को मेरा प्रणाम बहन माधुरी को प्यार ।

आपका प्रिय पुत्र,
वी, किरण

सेवा में,
वी. दास,
मकान नं. 11-9-27,
पार्क सेंटर,
नरसरावपेट – 522601.

10. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

(1) अपना × पराया
(2) जय × पराजय
(3) नरक × स्वर्ग
(4) नवीन × प्राचीन
(5) पाप × पुण्य
(6) अस्त × उदय / उदय होना
(7) मान × अपमान
(8) सत्य × असत्य
(9) कुपुत्र × सुपुत्र
(10) सवाल × जवाब

11. किन्ही पाँच (5) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।

(1) आदमी = मनुष्य, मनुज, मानव, इन्सान
(2) पानी = = जल, नीर, सलिल, वारि, अम्बु
(3) स्वर्ण = = कनक, कंचन, सोना, सुवर्ण
(4) वन = कानन, जंगल, अरण्य
(5) पुत्र = बेटा, सुत, तनुज, तनय
(6) सरस्वती = शारदा, वीणापाणि, भारती, वाणी
(7) गृह = घर, मकान, सदन, आवास, भवन
(8) फूल = पुष्प, कुसुम, सुमन
(9) गुरु आचार्य, अध्यापक, शिक्षक
(10) हवा = वायु, पवन, समीर

12. किन्ही पाँच (5) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए ।

(1) सुरज – सूरज
(2) वापिस – वापस
(3) प्रनाम – प्रणाम
(4) परीचय – परिचय
(5) मरन – मरण
(6) भाशा – भाषा
(7) रीती – रीति
(8) नर्क – नरक
(9) कुपा – कृपा
(10) तपश्या – तपस्या

13. किन्हीं पाँच (5) पारिभाषिक शब्दों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए ।

(1) Class – कक्षा
(2) Parliament – संसद
(3) Prime Minister – प्रधानमंत्री
(4) Speaker – सभापति | वक्ता
(5) Island – द्वीप
(6) Editor – संपादक
(7) Technical – तकनीकी
(8) History – इतिहास
(9) Energy – शक्ति
(10) Play Ground – मैदान

AP Inter 1st Year Hindi Question Paper March 2019

14. कारक चिह्नों की सहायता से पाँच (5) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(1) मेज ____ पुस्तक है।
उत्तर:
पर

(2) घर ____ चार कमरे हैं ।
उत्तर:
में

(3) कृष्ण ने कंस _____ मारा ।
उत्तर:
को

(4) मोहन ____ मिठाई खायी ।
उत्तर:
नें

(5) पेड़ ____ पत्ते गिरते हैं ।
उत्तर:
से

(6) हिन्दी भारत ____ राजभाषा है ।
उत्तर:
की

(7) धर्मराज भीम ____ बड़े भाई है ।
उत्तर:
के

(8) सीता गीता ____ फल लायी ।
उत्तर:
के लिए

(9) जेब ___ रुपये हैं ।
उत्तर:
में

(10) लता कलम ____ लिखती है ।
उत्तर:
से

15. सूचना के अनुसार वाक्यं में परिवर्तन कीजिए ।

(1) शेर दौड़ता है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
शेरनी दौड़ती है ।

(2) लड़की गीत गा रही है । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
लडकियाँ गीत गा रही है ।

(3) गोपाल अनपढ़ है । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ?)
उत्तर:
अन

(4) शंकर धनवान आदमी है । (रेखांकित शब्द में प्रत्यय क्या है ?)
उत्तर:
वान

(5) वह काम कर चुका है। (भविष्य काल में बदलिए ।)
उत्तर:
वह काम करेगा ।

16. सूचना के अनुसार भाषा भाग पहचानिए ।

(1) मोनिका पुस्तक पढ़ती है। (वाक्य में संज्ञा क्या है ?)
उत्तर:
मोनिका

(2) आप क्या कर रहे हैं ? (इस वाक्य में सर्वनाम को पहचानिए ।)
उत्तर:
आप

(3) क्रिकेट में ग्यारह खिलाड़ी खेलते हैं। (इस वाक्य में विशेषण क्या है ?)
उत्तर:
ग्यारह

(4) घोड़ा तेज दौड़ता है । (इस वाक्य में क्रिया-विशेषम पहचानकर लिखिए ।)
उत्तर:
तेज

(5) विजयरानी कपड़े सिलाती है । (इस वाक्य में क्रिया शब्द क्या है ?)
उत्तर:
सिलाती

Leave a Comment