Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material गद्य भाग 3rd Lesson अथातो घुमक्कड जिज्ञासा Textbook Questions and Answers, Summary.
AP Inter 1st Year Hindi Study Material 3rd Lesson अथातो घुमक्कड जिज्ञासा
सारांश
प्रश्न 1.
अथातो घुमक्कड जिज्ञासा पाठ का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
शास्त्रों में व्यक्ति और समाज के लिए जिज्ञासा को हितकारी माना गया है । लेकिन लेखक के अनुसार घुमक्कडी से अधिक सर्वश्रेष्ठ वस्तु समाज के लिए और कोई नहीं है । प्राकृतिक आदिम मनुष्य परम घुमक्कड था जिस ने आज की दुनिया को बनाया है । आदिम घुमक्कडों में से आयों, शको और हणों ने अपने शूनी पथों द्वारा मानवता के पथ को प्रशस्त किया । मंगोल घुमक्कड़ों के द्वारा वैज्ञानिक युग का आरम्भ हुआ ।
कोलम्बस और वास्को डि गामा अपनी घुमक्कडी प्रकृति से अमेरिका पर झंडी गाडकर पश्चिमी देशो को आगे बडाया । सदियों पहले चीन और भारत घुमक्कड धर्म से विमुख रहने से ही आस्ट्रेलिया की अपार संपत्ति और अपार भूमि से वंचित रहे ।
दुनिया के अधिकांश धर्मनायक घुमक्कड थे । धर्माचार्यों में आचारविचार, बुद्धि और तर्क तथा सहृदयता से सर्वश्रेष्ट बुद्ध घुमक्कड राजा थे । बुद्ध ने सिर्फ पुरुषों के लिए घुमक्कडी करने का आदेश नहीं दिया, बल्कि स्त्रियों के लिए भी यही उपदेश उन्होंने दिया ।
जैन धर्म भी प्राचीन धर्म है जिसके श्रमण महावीर भी प्रथम श्रेणी के घुमक्कड थे । वे आजीवन घूमते ही रहे । शंकराचार्य जो साक्षात् ब्रह्मस्वरूप थे, जिन्हे बडा बनानेवाला धर्म यही घुमक्कडी धर्म था । अपने थोड़े से जीवन मे उन्होंने तीन भाष्य भी लिखे और अपने आचरण से अनुनायियों को घुमक्कडी पाठ भी पढाया । रामानुज, माध्वाचार्य जैसे धार्मिक अनुयायी अपनी धार्मिक पाखण्डता से दूसरी श्रेणी के घुमक्कड बन गए । इसलिए शैव हो या वैष्णव, वेदान्ती हो या सदान्ती, सभी को केवल घुमक्कडी धर्म ने ही आगे बढाया ।
गुरूनानक, स्वामी दयानन्द, अपनी घुमक्कडी धर्म से ही महान बन गए । बीसवी शताब्दी में भारत देश में अनेक धार्मिक सम्प्रदायों का आना-जाना हो गया । जैसे यहूदी, मारवाडी जैसे लोग अपनी हस घुमक्कडी धर्म से केवल व्यापार कुशल, उद्योग-निष्णात ही नही बल्कि विज्ञान, दर्शन, साहित्य, संगीत सभी क्षेत्रों को आगे बढाया ।
इस प्रकार घुमक्कड होना आदमी के लिए परम सौभाग्य की बात है । घुमक्कडी के लिए चिन्ताहीन होना और चिन्ताहीन के लिए घुमक्कडी होना आवश्यक है । जाति का भविष्य घुमक्कडी पर निर्भर करता है । घुमक्कडी की गति को रोकनेवाला इस दुनिया में कोई नहीं है । सभी को घुमक्कड की दीक्षा लेनी चाहिए ।
इस प्रकार निबन्धकार इसमें कहते है कि दुनिया मे मनुष्य जन्म एक ही बार होता है और जवानी भी केवल एक ही बार आती है । इसलिए साहसी स्त्री और पुरुष दोनों को घुमक्कड धर्म को स्वीकारना चाहिए । उनकी भाषा शुद्ध खडी बोली है ।
संदर्भ सहित व्याख्या
प्रश्न 1.
शंकर को शंकर किसी ब्रह्म ने नहीं बनाया, उन्हे बडा बनानेवाला था यही घुमक्कडी – धर्म ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण राहुल सांस्कृत्यायन के द्वारा लिखी गयी अथात घुमक्कड जिज्ञासा नामक यात्रा वृत्तांत है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और उनका यात्रा साहित्य आयन्त महत्वपूर्ण रहा है ।
सन्दर्भ :- लेखक इसमें घुमक्कडी प्रवृत्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है और उसकी महानता को इसमें स्पष्ट करते हैं।
व्याख्या :- अनेक धर्मावलम्बी बुद्ध, महावीर के साथ-साथ शंकराचार्य जी ने भी घुमक्कडी प्रवृत्ति का अनुकरण करने से ही महान बन गए । शंकराचार्य इतने महान थे कि उनको महान बनाने का श्रेय ब्रह्मा को नहीं घुमक्कडी धर्म को दिया जाता है । इसी प्रवृत्ति से उन्होंने अपने छोटे उम्र में ही अपने अनुयायियों को भी घुमक्कडी का पाठ पढाया ।
विशेषताएँ :
- घुमक्कड धर्म को अपनाने का सन्देश लेखक देते हैं।
- उनकी भाषा सरल खडीबोली है।
प्रश्न 2.
कोलम्बस और वास्को …. द …. गामा दो घुमक्कड ही थे जिन्होंने पश्चिमी देशों को आगे बढ़ने का रास्ता खोला ।
उत्तर:
परिचय :- प्रस्तुत वाक्य राहुल सांकृत्यायन से लिखित अथातो घुमक्कड जिज्ञासा नामक पाठ से दिया गया है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे है । आप पद्मभूषण उपाधि से सम्मानित किये गये ।
सन्दर्भ :- लेखक घुमक्कडी प्रवृत्ति सर्वश्रेष्ठ मानकर, उसकी महानता को स्पष्ट कर रहे है।
व्याख्या :- कोलम्बस ने अमेरिका नामक निर्जन खंड का आविष्कार किया । यूरोप के लाखों लोग वहाँ जाकर बस गये । वास्को-द-गामा ने भारत के लिए जलमार्ग का आविष्कार किया तो पश्चिमी लोग उस पर भारत पहुंचे तथा यहाँ तो अपना राज ही बना लिया ।
विशेषताएँ :- घुमक्कड धर्म को अपनाने का संदेश लेखक देते है ।
प्रश्न 3.
इतना कहने से अब कोई संदेह नही रह गया कि घुमक्कड – धर्म से बढ़कर दुनिया में कोई धर्म नही है।
उत्तर:
परिचय :- प्रस्तुत वाक्य राहुल सांकृत्यायन से लिखित अथातो घुमक्कड जिज्ञासा नामक पाठ से दिया गया है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे है । आप पद्मभूषण उपाधि से सम्मानित किये गये ।
सन्दर्भ :- लेखक घुमक्कडी प्रवृत्ति सर्वश्रेष्ठ मानकर, उसकी महानता को स्पष्ट कर रहे है।
व्याख्या :- दुनिया में घुमक्कड धर्म से बढकर कोई बड़ा धर्म नही है। इसीसे मनुष्य के ज्ञान की वृद्धि होती है । वह कुछ बनकर दूसरों को आगे बढाने का रास्ता दिखा सकता है ।
विशेषताएँ :- घुमक्कड धर्म को अपनाने का संदेश लेखक देते है ।
एक शब्द में उत्तर
प्रश्न 1.
अथातो घुमक्कड जिज्ञासा पाठ के लेखक कौन है ?
उत्तर:
राहुल सांस्कृत्यायन ।
प्रश्न 2.
राहुल सांस्कृत्यायन का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर:
आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)।
प्रश्न 3.
राहुल जी ने किस आधुनिक वैज्ञानिक की चर्चा की है ?
उत्तर:
चर्ल्स डार्विन ।
प्रश्न 4.
जैन धर्म के प्रतिष्ठापक कौन है ?
उत्तर:
वर्धमान महावीर ।
प्रश्न 5.
राहुल जी के अनुसार कौनसा धर्म श्रेष्ठ है ?
उत्तर:
घुमक्कडी धर्म ।
निबंधकार का परिचय
महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन का जन्म सन् 1893 ई. में आजगढ़, उत्तरप्रदेश में हुआ । साहित्य की सभी विधाओं ने उन्होंने अपनी लेखनी चलाई । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और इनका यात्रा साहित्य अत्यन्त महात्वपूर्ण रहा है । उन्होंने अनेक उपन्यास, कहानी संग्रह, यात्रावृत्त, आत्मकथा, जीवनियां लिखा । ‘वोलगा से गंगा तक’ उनका प्रमुख कहानी संग्रह है जिसमें भारतीय संस्कृत का संपूर्ण अवलोकन किया गया है। प्रस्तुत निबन्ध में घुमक्कडी प्रवृत्ति की महानता और इससे ज्ञान का विकास और मानव जीवन के विकास मे इसकी आवश्यकता के बारे मे जोर दिया गया है ।
సారాంశము
శాస్త్రానుసారము ఏదో తెలుసుకోవాలనే కుతూహలమే మనిషికి, సమాజానికి ఎంతో మేలైనది. కాని రచయిత ఉద్దేశ్యం ప్రకారము భ్రమణ చేయటం సమాజానికి ఎంతో ఉపయోగకరము. ఆదిమానవుడు తన తిరుగుడే ప్రవృత్తి ద్వారానే ఈ ఆధునిక ప్రపంచాన్ని ఏర్పరిచాడు. ఆది మానవులలో ఆర్యులు, శకులు, హూణులు ఎన్నో ప్రమాదాలను ఎదుర్కొని మనవత్వాన్ని నిర్మించారు. మంగోలులు పరిభ్రమణ వలననే ఆధునిక యుగం ఆరంభమైనది.
కొలంబస్, వాస్కోడిగామా అని ప్రాంతాలకు తిరుగుతూ అమెరికాను కనుగొన్నారు. ఏ చైనీయులు, భారతీయులు ఈ తిరుగాడే ప్రవృత్తి లేనందు వలననే ఆస్ట్రేలియా వంటి గొప్ప సంపత్తిని పోగొట్టుకున్నారు.
ఈ ప్రపంచంలోని ధార్మిక మత ప్రవర్తకులందరు భ్రమణము చేసేవారే. బుద్ధుడు ఒక గొప్ప జ్ఞాన మరియు తార్కిక శాస్త్రవేత్త. ఆయన కేవలం పురుషులే కాదు స్త్రీలు కూడా భ్రమణము చేయవచ్చునని వివరించారు, జైనధర్మము వంటి ప్రాచీన మతములోని మహావీరుడు కూడా గొప్ప భ్రమణకారుడుగా చెప్పవచ్చు. ఆయన జీవితమంతా ఆయన దేశమంతా పరిభ్రమించారు, శంకరాచార్యులు బ్రహ్మ స్వరూపులు. ఆయన తన భ్రమణ ప్రవృత్తిమూలంగానే ఎంతో గొప్పవారు అయినారు. తన స్వల్ప జీవనంలోనే ఆయన 3 భాష్యాలు రచించారు. తన అనుచరులను తన మార్గంలో నడిపారు. శైవులు, వైష్ణవులు, వేదాంతులు అందరూ భ్రమణ ప్రవృత్తిని కొనసాగించారు.
గురునానక్, స్వామి దయానంద్ కూడా అన్ని ప్రాంతాలకు పరిభ్రమిస్తూ గొప్ప వారయినారు. 20వ శతాబ్దంలో ఎన్నో మతాలు మన భారతదేశంలో కలిసిపోయినాయి. వారిలో యూదులు, మర్వాడీలు ఇక్కడికి తీకాక, సైన్స్, వేదాంతము, సాహిత్యము, సంగీతాలలో కూడా అభివృద్ధి చేశారు. . ఈవిధంగా భ్రమణ చేయటం మనిషి యొక్క అదృష్టము, భ్రమణచేసేవానికి బాధలు వుండవు. బాధలు లేని వారే భ్రమణ చేయగలరు. జాతి యొక్క భవిష్యత్తు దీని మీదే ఆధారపడి వుంది. ఈ భ్రమణ ప్రవృత్తిని ఆపడం ఎవరివలన సాధ్యం కాదు. అందరూ ఈ దీక్షను తీసుకోవాలి.