AP Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 4 पर्यावरण और प्रदूषण

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material गद्य भाग 4th Lesson पर्यावरण और प्रदूषण Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 1st Year Hindi Study Material 4th Lesson पर्यावरण और प्रदूषण

सारांश

प्रश्न 1.
पर्यावरण और प्रदूषण पाट का सारांश अपने शब्दों में लिखए !
उत्तर:
मानव एक सामाजिक प्राणी है । व्यक्ति और परिवार से समाज का निर्माण होता है । वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक दूसरे भर निर्भर रहता है । मानव समाज के विकास में विज्ञान, वैज्ञानिक आविष्कारों, परिवाहन तथा संचार के साधनों और विविध यंत्रों आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही । इस प्रकार जहाँ मानव सभ्यता के विकास के साथ ही प्रकृति का शोषण आरम्भ हआ, वहीं जनसंख्या की वृद्धि के साथ पृथ्वी पर प्रदूषण भी बढने लगा। इसके लिए प्रकृति की रक्षा और सुरक्षा को मानव जीवन के लिए अनिवार्य अंग बनाना होगा।

पर्यावरण हमारे चारों ओर के वातावरण से सम्बंध है । पर्यावरण समस्त जीव-जन्तुओं, प्राणियों और मनुष्य के जीवन का आधार और अधिरचना अर्थात् पर्यावरण सभी के जीवन का अभिन्न अंग है, यही कारण कि आदिकाल से प्रकृति के सान्निध्य मे मानव ने अपने जीवन को विकसित किया है । जब जैविक तथा अजैविक पदार्थों के बीच संतुलन को पर्यावरण-संतुलन कहा जाता है । आजकल पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है।

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 4 पर्यावरण और प्रदूषण

मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए प्राकृतिक सम्पदाओं को क्षति पहुँचा रहा है । पर्यावरण संकट प्रदूषण और असंतुलन का परिणाम है। यह संकट भूमि, जल वायु, ताप, ऊर्जा, खनिज, ध्वनि तथा वनस्पति आदि सभी क्षेत्रों में उत्पन्न हो चुका है । यहा प्रदूषण विभिन्न रूपों मे देखा जा सकता है । जैसे – भूमिप्रदूषण, वायुप्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि । इन प्रदूषणों ने न केवल मानव जीवन को संकटमय बना दिया है अपितु उसके लिए कई प्रकार की बीमारियों को भी उत्पन्न कर दिया ।

जैसे कम उम्र के बच्चों और वृद्धों के लिए स्वाँस की समस्या, ब्रोंकाइटिस, फेफडो की टी.बी. कैंसर, त्वचा का रोग आदि समस्याएँ बढ़ती जा रही है । प्रदूषित पानी पीने से उदर संबंधी रोग बढ रहे है । ध्वनि प्रदूषण से महानगरों मे बहरेपन की समस्या बढ़ रही है । मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन से मनुष्य मे चिड़चिड़ापन, बेचैनी, हाई ब्लडप्रेशर एवं डिप्रेशन आदि मानसिक बीमारियाँ होने लगी है इसके इलावा कारखानों, अस्पतालों, प्लास्टिक से निकलने वाली जहरीली राख और केमीकल्स मिट्टी की उवराशक्ति कम हो रही है और कीटनाशक केमिकल्स स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे है।

प्रदूषण निवारण के लिए उपाय : सबसे पहले आबादी का नियन्त्रण करना चाहिए । जंगलों को न काटना, औद्योगीकरण के समय में नियमों का पालन, जल की रक्षा, स्वच्छ भारत कार्यक्रम, पेड़ों को रोपना, कारखानों के विष पदार्थ को पानी में फेकने पर पाबंद रखना, प्रदूषण फैलाने वालों को दण्ड देना इन सभी के पालन करने से पर्यावरण की रक्षा और प्रदूषण से मुक्त हो जाएंगे ।

संदर्भ सहित व्याख्या

प्रश्न 1.
आजकल पर्यावरण प्रदूषण के कारण यह संतुलन बिगड रहा है।
उत्तर:
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है।

सन्दर्भ :- पर्यावरण संतुलन के बिगडने से पर्यावरण प्रदूषण कैसे हो रहा है इसका परिचय इसमें दे रहा है।

व्याख्या :- जैविक पदार्थ जैसे पेड, पशु-पक्षी, मनुष्य और अजैविक पदार्थ जैसे पहाड, पत्थर, पानी, वायु के बीच संतुलन को पर्यावरण संतुलन कहते है । लेकिन आज पर्यावरण प्रदूषण के कारण यह संतुलन बिगड जा रहा है । इससे अनेक दुष्परिणाम प्रकृति में हो रहे हैं । समस्त जगत के लिए यह हानिकारक हो रहा है ।

विशेषताएँ :

  1. इसमें पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे कहा गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल है।

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प्रश्न 2.
ओजोन की सुरक्षात्मक परत को नुकसान होने से उससे निकलने वाली किरणों से त्वचा को हानि होने लगी है और त्वचा कैंसर जैसी बीमारियों का जन्म हो रहा है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है ।

सन्दर्भ :- ओजोन परत के प्रति वैज्ञानिक दृष्टि कोण इसमें वर्णन किया गया है।

व्याख्या :- ओजोन जो पृथ्वी का सुरक्षा कवच है जो कास्मिक विकिरणों से हमें सुरक्षा देती है । लेकिन आज पर्यावरण प्रदूषण से आजोन की सुरक्षात्मक परत को नुकसान हो रहा है और उससे निकल वाली कास्मिक विकिरणों से त्वचा को हानि पहुँच रही है । इससे त्वचा कैंसर जैसी बीमारियाँ हो रही हैं ।

विशेषताएँ :

  1. पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे लेखक कह रहे है ।
  2. उनकी भाषा सरल है।

प्रश्न 3.
प्रकृति के दोहन और शोषण के स्थान पर प्रकृति के पोषण और रक्षण का दायित्व अपनाना होगा।
उत्तर:
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है।

सन्दर्भ :- इसमें पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले नष्टों के बारे कहकर उसका निवारण के लिए सुझाव दे रहे हैं।

व्याख्या :- प्रकृति ही हमारे जीवन का आधार और पोषित करने वाली शक्ति है जिसके बिना पृथ्वी पर किसी भी जीव-जन्तु और मानव और पशु के जीवन की कल्पना ही संभव नही है । इसलिए पर्यावरण को सोषित करना और प्रदूषण मुक्त रखना आवश्यक है । इसलिए पर्यावरण प्रदूषण से प्रकृति की हानी को रोककर उसकी सुरक्षा करने का दायित्व हम सब पर है ।

विशेषताएं :-

  1. इसमें पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे कहा गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल है।

एक शब्द में उत्तर

प्रश्न 1.
मानव जीवन का अभिन्न अंग क्या है ?
उत्तर:
पर्यावरण ।

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 4 पर्यावरण और प्रदूषण

प्रश्न 2.
प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
4 प्रकार के ।

प्रश्न 3.
पृथ्वी का सुरक्षा कवच क्या है ?
उत्तर:
ओजोन ।

प्रश्न 4.
पर्यावरण दिवस कब मनाते है ?
उत्तर:
5 जून को ।

प्रश्न 5.
पर्यावरण किन दो शब्दों से बना है ?
उत्तर:
परि तथा आवरण शब्दों से ।

సారాంశం

మానవుడు సంఘజీవి. తను, తన కుటుంబముతో సమాజాన్ని ఏర్పరుచు కుంటాడు. తన అవసరాలను తీర్చుకొనుటకు ఇతరులపై ఆధార పడతాడు. మానవ సమాజ అభివృద్ధిలో సైన్స్, ఎన్నో నూతన ఆవిష్కరణములు, రవాణా వ్యవస్థ, వివిధ యంత్రాలు ముఖ్య భూమికను నిర్వహిస్తాయి. మానవ వికాస క్రమములో వినాశనము జరుగుతోంది. జన సంఖ్య పెరగడంతోపాటు భూమి మీద కాలుష్యము కూడా అధికమయింది. కాబట్టి ప్రకృతిని సురక్షితముగా వుంచాల్సిన అవసరము మనిషికి ఎంతో వుంది.

పర్యావరణము అనగా మన చుట్టూ వాతావరణము, అందులోని జీవులు, జంతువులు అన్ని ప్రాణుల జీవనమునకు సంబంధించినది. పర్యావరణము ప్రతి ఒక్కరికి అవసరమైనది. అందువలనే ప్రకృతి యొక్క సన్నిధిలోనే మనిషి తన జీవితాన్ని ఆరంభించాడు. సజీవులు, నిర్జీవులు వీటి మధ్య సమతుల్యత పైనే పర్యావరణము ఆధారపడివుంది.

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మనిషి తన సుఖ సంతోషాల కొరకు ప్రకృతి సంపదకు హాని కలిగిస్తున్నాడు. పర్యావరణములోని సమస్య కాలుష్యము వలన ఎక్కువ అవుతోంది. భూమి, నీరు, గాలి, ఖనిజాలు, ధ్వని అన్నింటా ఈ కాలుష్యము ఏర్పడుతోంది. అనగా భూకాలుష్యము, వాయు కాలుష్యము, జల కాలుష్యం, ధ్వని కాలుష్యము. ఇవి కేవలం మానవ జీవితాలపై ప్రభావము చూపటమేకాదు, ఎన్నో రోగాలకు కూడా కారణమవుతున్నది. చిన్న పిల్లలలో, వృద్ధులలో శ్వాస సమస్యలు, టి.బి, కేన్సర్, చర్మ రోగాలు ఎక్కువ అవుతున్నాయి. ధ్వని కాలుష్యం వలన నగరాలలో వినికిడి శక్తి తగ్గిపోతోంది. ముబైల్ ఫోన్స్ కారణంగా రేడియేషన్ వృద్ధి చెంది మనుషులలో ‘చిరాకులు, ఆందోళనలు, రక్తపోటు, డిప్రెషన్ అన్ని ఎక్కువ అవుతున్నాయి. దీనితోపాటు కర్మాగారాలలో, హాస్పిటల్స్ లో ప్లాస్టిక్ వాడకాలు, వాటి నుండి వెలువడే విషపు గాలులు, నీరు ఇవి అన్ని నేలలో కలిసి నేలలోని సారాన్ని తగ్గించి వేస్తున్నాయి. క్రిమి సంహారక ఎరువుల వలన అనారోగ్యాలు కలుగుతున్నాయి.

కాబట్టి ఈ పర్యావరణ కాలుష్యం తగ్గాలంటే ముఖ్యంగా జనాభా సమస్యను అదుపుచేయాలి. అడవుల సంరక్షణ, ఫ్యాక్టరీలు పెట్టేటప్పుడు ప్రభుత్వ నియమాలు పాటించడం, నీటిని సంరక్షించడం, స్వచ్ఛతా కార్యక్రమములు, చెట్లు నాటడం, ఫ్యాక్టరీల నుండి వచ్చే వ్యర్థ జలాలను మంచి నీటిలో కలవకుండా చేయటం, వీటన్నింటి ద్వారా కాలుష్యాన్ని అరికట్టవచ్చు.

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