TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 6 with Solutions

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TS Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 6 with Solutions

Time : 3 Hours
Maximum Marks: 100 

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड- ‘क’
(60 अंक)

1. निम्न लिखित किसी एक दोहे का भावार्थ लिखिए । 1 × 6 = 6

तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या, विनय, विवेक ।
साहस, सुकृति, सुसत्य व्रत, राम भरोसा एक ॥
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास इस दोहे में “विधा, विनय, विवेक. जैसे गुणों के महत्व” के बारे में बता रहे हैं । तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में ये चीजे मनुष्य का साथ देती व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम समय शिक्षा, विनय, विवेक, साहस, अच्छे कार्य और सच्चाई ही है, वे है ज्ञान, विनम्रता पूर्वक (भगवान) का नाम । विपत्ति के साथ देते हैं । ये सभी मुश्किलों से हमें बचाते हैं ।

(अथवा)

जहाँ दया तहँ धर्म है । जहाँ लोभ तहँ पाप ।
जहाँ क्रोध तहँ काल है । जहाँ धिमा तहँ आप ॥
उत्तर:
भावार्थ : कबीरदास इस दोहे में “दया और क्षमा’ जैसे गुणों का महत्व के बारे में बता रहे हैं । जहाँ तया भाव है वहाँ धर्म व्यवहार होता है । जहाँ क्षमा और सहानुभूति होती है वहाँ भगवान रहते है । दया और क्षमा दोनों इस दुनिया में सबसे महान गुण हैं ।

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2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) प्रथम रश्मि
उत्तर:
कवि बाल विहंगिनी को संबोधित करके पूछ रहा है कि उषा काल के सुरज की प्रथम किरण इतनी रंगोली थी, उसे तुमने कैसे पहचान लिया । इस समय मे तुम इतना सुन्दर गा रहे हो, कहाँ से सीख लिया । तुम स्वप्नों के छोंसले में पंखों मे छिपकर सुख से सो रहे हो । रात भर नाना प्रकार के जुगुनू पहारा देकर तुम्हारे धोंसले के चारो ओर ऊँघते हुए धूम रहे है । तुम ने कैसे जान लिया कि सूर्योदय हुआ है ।

परिवेश के अनुरूप अपना रंग वदलने वाली सुंदर तितलियाँ चन्द किरणों की तरह जमीन पर उतर कर कोमल नवल पत्रों को चूम – चूम कर मुस्कुराना सिखा रही है ।

प्रातः कालमे चारों ओर प्रकृति प्रशान्त थी । रात भर चमकतेवाले तारे अब अपना चमक खो रहे थे । वृक्ष के पत्ते भी अब निःस्तब्ध थी और शायद स्वप्न मे विचारण कर रहे हैं। चारों ओर अभी अंधकार छाया हुआ था । अचानक उसी समय सहसा कोकिल स्वागत का गीत गाने लगी | कवि पूछ रहा है । कि हे कोचल । तुझे कैसे पता कि सूर्योदय हुआ है ।

इसप्रकार कवि प्रकृति का सुन्दर वर्णन करते हुए ईश्वर की महिमा का गुणगान प्रकृति के माध्यम से कर रहा है । उनकी भाषा सुन्दर खडीवोली है ।

(2) समता का संवाद
उत्तर:
हमारा देश भारत माता का मंदिर है । यहाँ सबलोग समान है और सबकी वाणी एक ही है । यहाँ पर सबका शुभ हो जाएगा और सभी को भारतमाता की कृपा मिलेगी ।

इसदेश में जाति, धर्म, संप्रदाय का कोई भेदभाव नही है । सभी को समान रूप में स्वागत किया जाता है और सब का समान आदार मिलजाता है। राम रहीम, बुद्ध, ईसा का सबकी पूजा की जाती है | भिन्न-भिन्न संस्कृतियां होने पर भी सभी का समान गौरव और सभी से समान ज्ञान प्राप्त होता है । सभी लोग प्रेम को चाहते है, पर शत्रुता को नहीं । इसदेश में सभी का शुभ मंगल होगा और सबकी इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी ।

इसदेश में अनेक तीर्थस्थल है । पर हम अपने हृदय को ही पवित्र बनाकर तीर्थस्थल बनाएँगे । यहाँ पर हम अजातशत्रु बनकर सब को मित्र बनाएँगे । हम अपने मन की रेखाओं से एक मित्र बनाते है । अनेक आदर्शों से हम अपने चरित्र का निर्माण करते है ।

भारत माता के समक्ष रहने वाले हम सब भाई – बहन है । हम सब उसी माँ के गोद से पले सन्तान है | हम सब लोग मिलकर सुख – दुख को बाँट देंगे। सभी का कल्याण होगा और सभी की इछाएँ पूरी हो जाएँगी ।

भारत माँ की सेवा में हम पूजारी है। उन्ही के कहने पर सब काम करते है । इस जीवन से लाभ उठाकर मुक्ति पाना हमारा कर्तव्य है । हम सब उसके अनुचर है । इस देश के करोडों लोग मिलकर भारतमाता का जयगान करेंगे । इस देश में हम सब का कल्याण होगा और हम सब पर उनकी कृपा रहेगी ।

इसप्रकार भारतदेश की महानता और भारतमाता को एक देवी के रूप में चित्रण करके उसके प्रति हमारा कर्तव्य निभाने का सन्देश कवि दे रहे है उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए । 1 × 6 = 6

(1) अधिकार का रक्षक
उत्तर:
लेखक परिचय : प्रस्तुत पाठ ‘अधिकार का रक्षक’ एक एकांकी है । इसके लेखक ‘उपेंद्रनाथ अश्क’ जी है। ‘अश्क’ जी कहानियाँ, पट कथाएँ, संवाद और गीत लिखे। आप को 1972 के ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया । प्रस्तुत एकांकी में चुनाव में लड़ने वाले एक नेता के बारे में कहा । नेता लोग अधिकार पाने के पहले क्या क्या करेंगे | अधिकार पाने के बाद क्या करेंगे । व्यंग्यात्मक एकांकी है ।

सारांश : एकांकी का प्रारंभ और अंत सेठजी से होता है । सेठजी असेंबली के उम्मीदवार है । प्रातः काल का समय है | सेठ साहब अपना ड्राइंग रूम में बैठे हुए हैं। सेठ अपनी जीत के लिए बडी सी बड़ी कोशिश कर रहा है । कल एक जलसा रखा था । जलसे में मंत्री जी आये। मंत्री सेठजी के बारे में भाषण दिया। वही मंत्री अभी सेठजी को फोन करते है। सेठजी, मंत्रीजी से कोन मे बात कर रहे हैं । “मंत्रीजी कल आप मेरे पक्ष में भाषप दिये । सब लोग आपकी बातें सुनकर मुझे वोट देने को तैयार हो गए है” । आप को बहुत धन्यवाद ।

सेठजी मंत्रीजी से कहते है कि मै गरीबों का उद्धार करने के लिए तैयार हूँ | अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया । इतना ही नहीं बच्चों के लिए भी बहुत कुछ करने तैयार हूँ । हमारे प्रांत में मै ही ऐसा व्यक्ति हूँ जिसने पाठशालाओं में शारीरिक दंड तत्काल बंद करने पर जोर दिया। बच्चों की लालन-पालन, शिक्षा सब कितनी पुरानी पद्धति का है । बात-बात पर डाँट – फटकार कर रहे हैं । मै (सेठजी) सबकुछ बदलना चाहता हूँ | जब मंत्रीजी से फोन में बातें करते समय सेठजी के छोटे बेटे आकर कुछ बोलने का प्रयास करता है। सेठजी टेलीफोन का चोंगा मेज पर रखकर बच्चे को थप्पड लगाते हैं । सेठजी अपना नौकर रामलखन को आवाज़ लगाते है । भागता हुआ नौकर आता है । छोटे बाबु बलराम को यहाँ से लेजाओ। मै मंत्री से बात कर रहा हूँ । यहाँ आकर नालायक शोर मचा रहा है । रामलखन लड़के का हाथ पकड़कर बाहर ले आता है ।

‘टेलीफोन’ में बातें बच्चों के बारे में कहते हैं। शारीरिक दंड तत्काल बंद करवाना चाहता है । लेकिन अपने बच्चे को इधर मारता है” । बाद में टेलीफोन में बातें करना खतम हो जाता है । रामलखन अंदर आकर सेठजी से कहता है कि सफाई करने वाली अपनी मजदूरी माँग रही है । उसी समय रसोइया भी आकर पैसे माँगती है। सेठजी कहते है कि “बाद में पैसा दूँगा । अब तुम दोनों बाहर जाओं” । तब रसोइया भगवती पूछती है कि “मै अपने बच्चों को कहाँ से खिलाऊँ” । कृपा करके मज़दूरी दीजिए । क्रोध से सेठजी कहते है जाओ, यहाँ से जाओ अगले महीने दूँगा | लेकिन मजदूरी लेने के बिना भगवती वहाँ से जाना नही चाहती । सेठ उस की मुँह पर दो रुपये फेंकते है | दी रुपये लेने से इनकर करती है । सेठ भगवती को पीटते हुए बाहर धकेलता है | रामलखन अखबार लाता है।

मंत्री (होज़री यूनियन) सेठजी को फोन करता है । सेठ ‘मंत्री जी से नमस्कार कहकर कहते है कि मै आपका अत्यंत आभारी हूँ” । मै (सेठजी) असेंबली में जाते ही मजदूरों की अवस्था सुधारने का प्रयास करूँगा । “मजदूरों की माँग पूरी करवाऊँगा । काम के घंटे तय होंगे और तनख्वाह भी समय पर देने का और दिलवाने का प्रयास करूँगा । “धन्यवाद कहकर टेलीफोन मेज़ पर रखता है ।

सेठ अभी मज़दूरी न देकर रामदेई और भगवती को भेज़ देता है लेकिन फोन में कैसे कैसे बातें किया । बोलते कुछ और करते कुछ।

दरवाजा खुलता है । दुबले – पतले, आँखो पर चश्मा लगाए संपादक भीतर आते हैं । सेठ संपादक सेठजी से यह बात कहता है कि – “मेरी आँखे समाचार पत्र देख रहा है। बहुत खराब हो रही हैं”। रात को रोज़ दो-तीन बज जाता लेकिन काम पूरा नही हो रहा है । कृपा करके सहायक संपादक का प्रबंध कीजिए । सेठजी कहते है कि – “पाँच रुपए तनख्वाह बढ़ा दूँगा । पूरा काम आप को ही संभालना होगा” । संपादक कहता है कि स्वास्थ्य इजाज़त नहीं देता । सेठ बोलते है कि काम छोडना चाहे तो छोडो । नया संपादक आयेगा ।

रामलखन भीतर आकर सेठजी से कहता है कि – आप से मिलने विश्वविद्यालय से लड़के आये, आप चाहे तो अंदर भेज दूँ । सेठजी अंदर भेजने के लिए कहते है । लडकों अंदर प्रवेश करते हैं, सेठजी से नमस्ते कहते हैं और सब छात्र, आप को ही वोट देने के लिए सोच रहे हैं । सेठजी बहुत संतुष्ट हो जाते है । उन दो लड़कों में एक लड़का सेठजी से कहता है कि प्रिंसिपल को हम हटाने चाहते हैं क्योंकि वे बहुत अनुशासनप्रिय और कठोर स्वभाव के हैं । सेठजी लड़कों को संपादक के पास जाकर बयान देने को कहते हैं । लड़के बयान देकर चले जाते हैं। संपादक सेठजी बोलते है कि प्रिंसिपल को हटाना इस समय ठीक नही है । चुनाव हो जाने के बाद सोचेंगे ।

श्रीमती सेठ दरवाजे धक्का मारते अंदर आकर पूछती है कि बच्चे को देखो । गाल पर उँगलियों के निशान पड़ गए है । ऐसा मारते क्या ? सेठ जवाब नही देता और सेठानी को बाहर जाने की आज्ञा देता है ।

श्रीमती सेठ कहती है कि तुम बाप नही, दुश्मन हैं । अपने बच्चों को देखना नही आता लेकिन दूसरों के बच्चों से प्रेम करेंगे। मै अभी मायके जाऊँगी कहकर कमरे से बाहर रोती हुई आती है । तेज़ी से बच्चे को लेकर जाती है। दरवाज़ा ज़ोर से बंद होता है। फ़ोन फिर बजता है । श्रीमती सरला देवी जी से मधुर स्वर में सेठ बातें करना शुरु करता है। सेठजी सरला जी से पूछते है कि – ”महिला समाज मुझे वोट देने के लिए तैयार है क्या ? मै कुछ आशा रखूँ क्या ?” ”आप विश्वास रखे, महिलाओं के हितों की मै पूरी रक्षा करूँगा। महिलाओं के अधिकारों के लिए लडूंगा । मुझ से बढ़िया रक्षक आपको वर्तमान उम्मीदवारों में और कोई न मिलेगा । इस से एकांकी समाप्त हो जाती है ।

सेठजी अभी अपनी पत्नी को धकेलता है; ज़रा भी इज्जत नही देता लेकिन महिलाओं के लिए कुछ भी करने का तैयार हो रहा है” । वायदेपर वायदे करते हैं कि हम यह करेंगे और वह करेंगे । यही चुनाव के समय नेताओं के वोट माँगने का विधान है ।

विशेषताएँ :

  1. नेता गण चुनाव के समय अनेक प्रकार के व्यूह रचते हैं ।
  2. जनता के साथ चुनाव के समय विनम्र से बातें करते हैं ।
  3. जगह-जगह पर नेता लोग अपनी विशिष्ट पोशाक पहनकर वोट की भिक्षा माँगते फिरते हैं ।
  4. इस एकांकी में सेठजी के चरित्र से हमें पता चलता है कि नेता कहते कुछ और करते कुछ । कभी उन पर यकीन न करना चाहिए।
  5. नेताओं में बहुत से लोग योग्य नही हैं ।

(2) बतुकम्मा।
उत्तर:
1. प्रस्तावना (बतुकम्मा का अर्थ क्या है) : भारत त्यौहारों का देश है । यहाँ लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं । उसी तरह ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है | तेलंगाणा राज्य सरकार ने 24 जुलाई, 2014 के दिन सरकारी आदेश संख्या 2 के अनुसार इसे राज्य पर्व के रूप में गौरवान्वित किया है । हर वर्ष धूम-धाम, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाये जाने वाले त्योहार ही बतुकम्मा ।

बतुकम्मा तेलुगु भाषा के दो शब्दों से बना है- ‘बतुकु’ और ‘अम्मा’ । यहाँ ‘बतुकु’ का अर्थ ‘जीवन’ और ‘अम्मा’ का अर्थ ‘माँ’ है । इस तरह बतुकम्मा का अर्थ है – ‘जीवन प्रदायिनी माता’ । बतुकम्मा त्यौहार तेलंगाणा राज्य की वैभवशाली संस्कृति का प्रतीक है । बतुकम्मा त्यौहार दशहरे की नवरात्रियों में मनाया जाता है । यह कुल नौ दिन का त्यौहार है । इसका आरंभ भाद्रपद अमावस्या यानी महालया अमावस्या या पितृ अमावस्या से होता है ।

2. पौराणिक गायाएँ : वेमुलवाडा चालुक्य राजा, राष्ट्रकूट राजा के उप-सामंत थे, चोला राजा और राष्ट्रकूट के बीच हुए युद्ध में चालुक्य राजा ने राष्ट्रकूट का साथ दिया था । 973 AD में राष्ट्रकूट राजा के उपसामंत थैलापुदु द्वितीय ने आखिरी राजा कर्कदु द्वितीय को हरादिया और अपना एक आजाद कल्याणी चालुक्य साम्राज्य खड़ा किया, अभी जो तेलंगाणा राज्य है, वो यही राज्य है ।

वेमुलवाड़ा के साम्राज्य के समय राजा राजेश्वर का मंदिर बहुत प्रसिद्ध था। तेलंगाणा के लोग इनकी बहुत पूजा आराधना करते थे । चोला के राजा परान्तका सुंदरा, राष्ट्रकूट राजा से युद्ध के समय घबरा गए थे । तब उन्हें किसी ने बोला कि राजाराजेश्वर उनकी मदद कर सकते थे, तो राजा चोला उनके भक्त बन गए । उन्होंने अपने बेटे का नाम भी राजराजा रखा । राजराजा चोला ने 9851 – 014 AD तक शासन किया | उनके बेटे राजेन्द चोला जो सेनापति थे, सत्यास्त्राया में हमला कर जीत हसिल की। अपनी जीत की निशानी के तौर पर उसने राजा राजेश्वरी मंदिर तुड़वा दिया और एकबड़ी शिवलिंग अपने पिता को उपहार के तौर पर दी ।

1006 AD में राजराजा चोला इस शिवलिंग के लिए एक बड़े मंदिर का निर्माण शुरु करते है, 1010 में बृहदीश्वर नाम से मंदिर की स्थापना होती है, वेमुलावाडा से शिवलिंग को तन्जावूरु में स्थापित कर दिया गया, जिससे तेलंगाणा के लोग बहुत दुखी हुए । तेलंगाणा छोड़ने के बाद बृहदम्मा (पार्वती) के दुःख को कम करने के लिए बतुकम्मा की शुरुवात हुई, जिस में फूलों से एक बड़े पर्वत की आकृति बनाई जाती है। इसके सबसे ऊपर हल्दी से गौरम्मा बनाकर उसे रखा जाता है। इस दौरान नाच, गाने होते है । बतुकम्मा का नाम बृहदम्मा से आया है। शिव के पार्वती खुश करने के लिए थे त्यौहार 1000 साल से तेलंगाणा में बडी धूम धाम से मनाया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त एक पौराणिक कहानी भी है – कहा जाता है कि चोल नरेश धर्मागंद और उनकी पत्नी सत्यवती के सौ पुत्र थे । वे सभी पुत्र एक महायुद्ध में मारे गए। इस दुख से उबरने के लिए राजा धर्मांगद और रानी सत्यवती ने कई पूजा-पाठ, यज्ञ आदि पूजन कार्य किए । फलस्वरुप उनके घर में साक्षात लक्ष्मीदेवी का जन्म हुआ । बचपन में घटी कई दुर्घटनाओं के बावजूद वह सुरक्षित बची रही। इसीलिए माता – पिता ने उसका नाम ‘बतुकम्मा’ रख दिया। सभी लोग उसकी पूजा करना आरंभ किया ।

3. बतुकम्मा पर्व का महत्व : बतुकम्मा पर्व के पीछे एक खास उद्देश्य है, वर्षा ऋतु में सभी जगह पानी आ जाता है, जैसे नदी, तालाब एंव कुँए भर जाते हैं, धरती भी गीली महिम सी हो जाती है और इसके बाद फूलों के रुप में पर्यावरण में बहार आती है। इसी कारण प्रकृति का धन्यवाद देने के लिए तरह- तरह के फूलों के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है, इसमें फोक रीजनल साँग अर्थात क्षेत्री गीत गाये जाते है । इन दिनों पूरे देश में ही उत्साह के पर्व मनाये जाते हैं, इन सबका उद्देश्य प्रकृति का अभिवादन करना ही होता है ।

4. बतुकम्मा पर्व कैसे मनाता और कैसे आचरण करता है : इस त्यौहार को मनाने के लिए नव विवाहित अपने मायके आती है। ऐसा कहा जाता हैं उनके जीवन में परिवर्तन के लिए यह प्रथा शुरु की गई,
a) पर्व के शुरुवाती पाँच दिनों में महिलाएँ अपने घर का आँगन स्वच्छ करती है, गोबर से आंगन को लिपा जाता है ।
b) सुबह जल्दी उठकर उस आँगन में सुंदर-सुंदर रंगौली डालती है ।
c) कई जगह पर एपन से चौक बनाया जाता है जिसमें सुंदर कलाकृति बनाई जाती है, चावल के आटे से रंगोली का बहुत महत्व है ।
d) इस उत्सव में घर के पुरुष बाहर से नाना प्रकार के फूल एकत्र करते हैं जिसमें तंगेडु, गुम्मडि पुव्वु, बंती, मंदारम, गोरिंटा, पोकाबंती, कट्लपाडु, गुंट्लागरगरा, चामंती, तामरा, गन्नेरु, गुलाबी, वज्रदंती, गड्डी पुव्वु आदि फूलों को एकत्र किया जाता हैं ।
e) फूलों के आने के बाद उनको सजाया जाता हैं । तरह-तरह की लेयर बनाई जाती हैं, जिसमें फूलों की पत्तियों को सजाया जाता है । इसे तांबालम (Thambalam) के नाम से जाना जाता है ।
f) बतुकम्मा बनना एक लोक कला है। महिलाएँ बतुकम्मा बनाने की शुरुवात दो पहर से करती है ।

आचरण (Celebration) :
a) नौ दिन इस त्यौहार में शाम के समय महिलाएँ, लड़कियाँ एकत्र होकर इस त्यौहार को मनाती हैं । इस समय ढोल बजाये जाते हैं ।
b) सब अपने – अपने बतुकम्मा को लेकर आती है ।
c) महिलाएँ पारंपरिक साड़ी और गहने पहनती है । लडकियाँ लहंगा चोली पहनती है ।
d) सभी महिलाएँ बतुकम्मा के चारों ओर गोला बनाकर क्षेत्रीय बोली में गाने गाती हैं, यह गीत एक सुर में गाये जाते हैं, इस प्रकार यह त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता हैं। महिलाएँ अपने परिवार की सुख, समृद्धि, खुशहाली के लिए प्रार्थना करती है ।
e) हर एक दिन का अपना एक नाम है, जो नैवेद्यम (प्रसाद) के अनुसार रखा गया है ।
f) बहुत से नैवैद्यम बनाना बहुत आसान होता है, शुरु के आठ दिन छोटी बड़ी लडकियाँ इसे बनाने में मदद करती है ।
g) आखिरी दिन को सहुला बतुकम्मा कहते है, सभी महिलाएँ मिलकर नैवैद्यम बनाती है । इस अंतिम दिन बतुकम्मा को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है ।

5. आनंद का पर्व : बतुकम्मा महीने भर समाज आनन्द मग्न रहता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में स्त्रियों के करताल से सारा वातावरण गूंज उठता है । नीरस भी सरस बन जाता है। चारों तरफ हरियाली, पानी की भरपूर मात्रा, घर आँगन में खुशियों का वातावरण बनाये रखे । जीवन में महीने भर मानों आनन्द ही आनन्द बना रहता है ।

6. उपसंहार : भारत के सारे पर्वदिन आनन्द के ही त्योहार है । बतुकम्मा अधिक आनंदप्रद त्योहार है । रंक से लेकर रईस तक इसे मनाते हैं । बतुकम्मा त्योहार भारतीय समाज में स्त्रियों के गौरवशाली वैभव का गुणगान करता है । इस त्योहार से हमें यह पता चलता है, कि स्त्रियाँ न केवल ममता, प्रेम, समर्पण, त्याग की प्रतीक है, बल्कि समय आने पर समाज के हितों के लिए अपना सर्वस्व थौछावर करने के लिए तत्पर रहती है । यह त्योहार उस रूढिवादिता का विरोध करता है । जहाँ पुरुष को प्रधान माना जाता है । यह त्योहार स्त्री शक्ति को पहचानने, उनका आदर करने और समाज में उचिन स्थान देने पर बल देना है ।

“तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । बतुकम्मा के बिना तेलंगाणा राज्य की कल्पना करना असंभव है” ।

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4. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए । 2 × 4 = 8

1) रवींद्र का लक्ष्य क्या था ?
उत्तर:
रवींद्र एक छोटी से गाँव का लड़का था । गरीब परिवार का रवींद्र खुद अपने बलबूते पर पढ़ता चला गया । हर परिक्षा में प्रथम रहता था । दसवी कक्षा में प्रथम आने पर रवींद्र का उत्साह दुगना हो गया और अधिक लगन से पढ़ने लगा । उसका एक मात्र लक्ष्य खूब पढकर आई.ए.एस बनना है | उसने अपना ध्यान आई. ए. एस की परीक्षा पास कर एक अधिकारी बनने पर केन्दित किया । अंत में कलक्टर बन जाता है ।

2) प्रदूषण को रोकने के कुछ उपाय लिखिए ।
उत्तर:
पृथ्वी ग्रह पर रहने वाले हर एक नागरिक केलिए ‘गो ग्रीन’ प्रेरणादायक वाक्य होना चाहिए । पर्यावरण पहले से ही बहुत प्रभावित हुआ है और हो चुके नुकसान की भरपाई करने का यह उपयुक्त समय हैं । जल संरक्षण, प्राकृतिक तरीके से सड़नशील पदार्थों का उपयोग, ऊर्जा की बचत करनेवाले उत्पादों को चुनना जैसे कुछ उपाय हैं जो हमारे पर्यावरण प्रदूषण को कम करनें में योगदान करने केलिए अपनाए जाने चाहिए ।

3) पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी का अध्ययन करने के लिए क्यों उत्सुक थे ।
उत्तर:
अंतरिक्षयान को पृथ्वी के वैज्ञानिकों ने भेजा था। वे पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह पर भी जीव सृष्टि का अस्तित्व है पता लगाना चाहते थे । इसलिए पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगलग्रह की मिट्टी का अध्ययन करने केलिए बड़े उत्सुक थे । यह प्रश्न आज भी एक रहस्य है ।

4) ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
उत्तर:
ए.पी.जे अब्दुल कलाम को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के तौर पर अधिक जाना जाता है, जो साल 2002 से लेकर साल 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहें। इस से पहले कलाम विज्ञान क्षेत्र में सक्रिय थे । कलाम ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्म लिया और वही पर उनका पालन पोषण भी हुआ । शिक्षा के लिहाज से उन्होंने अन्तरिक्ष विज्ञान और भौतिक विज्ञान की पढ़ाई की। अपने करियर के अगले करीब चालीस सालों तक, वह भारतीय रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन यानि संक्षेप में कहें तो डी. आर. डी. ओ. और भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन यानि इसरो में वैज्ञानिक और इंजिनियर के पद पर रहे। इन्हें लोगों के दिल में बहुत सम्मान प्राप्त है |

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । 2 × 3 = 6

1) भारतमाता का मंदिर यह, समता का संवाद जहाँ । सबका शिव कल्याण यहाँ है, पावें सभी प्रसाद यहाँ ।
उत्तर:
यह पद्य ‘समता का संवाद’ नामक कविता से लिया गया है । इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है । इसमें देश की एकता पर बल दिया गया है ।

कविकां कहना है कि हमारा यह देश भारत माता का मंदिर हैं। यहाँ समता का संवाद किया जाता है । अर्थात् सभी जाति, मत, संप्रदाय में एकता दिखायी पड़ता है । ऐसे इस देश में हम सब का शुभ होता है । हम सबकी ऊँछाएँ पूरी होती हैं और हम सब पर समान रूप से कृपा दिखायी जाती है । कवि की भाषा सरल खडी बोली है ।

2) यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सुहाग की है लाली । शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली । दीप – शिखा है अंधकार की, बनी घटा की उजियाली । उषा है यह कमल – भृंग की, है पतझड़ की हरियाली ।
उत्तर:
यह पद्य ‘बालिका का परिचय’ नामक कविता से लिया गया है । इसकी कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी है । इसमे नारी चेतना का स्वर स्पष्ट होती है ।

कवी कहती है कि बालिका मेरी गोद की शोभा है और सौभाग्य प्रदान करनेवाली है। वह मेरी मनोकामना का प्रतिफल है । माँ जितनी सम्पन्न होने पर भी बालिका के सामने भिखारिन ही है । वह अन्धकार में दीपशिखा की तरह, कालीघटा में प्रकाश की तरह है । वह पतझड की हरियाली में, कमल भौरों में उषा की पहली किरण जैसी है। अपनी बालिका हो जीवन का सूर्योदय है। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

3) शशि – किरणों से उतर – उतरकर,
भू पर कामरुप नभचर,
चूम नवल कलियों का मृदु – मुख,
सिख रहे थे मुसकाना ।
उत्तर:
यह पद्य ‘प्रथम रश्मि नामक कविता से लिया गया है। इसके कवि श्री सुमित्रानंदन पंत जी है। इसमे प्रातः काल की सुन्दरता का वर्णन किया गया है ।

कवि कहते है कि परिवेश के अनुरूप अपना इम वदलने वाली तितलियाँ चन्द्र किरणों की तरह जमीन पर उतरकर नव कोमल पत्तों को चूमकर उनको मुस्कुराना सिखा रही है । प्रकृति का कोमल वर्णन इसमे वर्जित है ।

4) ऋतु के बाद फलों का रुकना डालों का सड़ना है। मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मधान करना है । देते तरु इसलिए कि रेशों में मत कीट समायें । रहें डालियाँ स्वस्थ और फिर नये नये फल आये ।
उत्तर:
यह पद्य ‘दान – बल, नामक कविता से लिया गया है । यह कविता रश्मिरथी नामक काव्य से लिया गया है । इसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जो है ।

इसमे दान की महानता को व्यक्त करते हुए कवि वृक्ष का उदाहरण दे रहा है । वृक्ष ऋतु जाने के बाद स्वयं अपने फलों को छोड देती है । यदि नही छोडती तो वे फल डालों पर ही सड जाते है। उससे कीडे निकलकर साश वृक्ष नाश हो जाता है । यदि फल को छोडता है तो उसके बीजों से नये पौधे और नये फल उत्पन्न होते है उसकी भाषा सरल खडीबोली है ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 2 × 3 = 6

(1) तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । बतुकम्मा के बिना तेलंगाणा राज्य की कल्पना करना असंभव है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘बतुकम्मा’ नामक पाठ से दिया गया है । यह पाठ एक निबंध है। त्यौहार समय समय पर आकर हमारे जीवन में नई चेतना, नई स्फूर्ति, उमंग तथा सामूहिक चेतना जगाकर हमारे जीवन को सही दिशा में प्रवृत्त करते हैं । ये किसी राष्ट्र एंव जाति-वर्ग की सामूहिक चेतना को उजागर करने वाले जीवित तत्व के रूप में प्रकट हुआ करते है ।

व्याख्या : भारत में लगभग हर राज्य के अपने – अपने राज्य पर्व हैं । उसी तरह ‘बतुकम्मा’ तेलंगाणा राज्य का राज्य पर्व है । बतुकम्मा त्यौहार विश्व का एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसमें एक मंच पर 9,292 स्त्रियों ने भाग लेकर अपनी श्रद्धा और भक्ति का अनूठा प्रस्तुत किया है । 8 अक्तूबर, 2016 को तेलंगाणा राज्य का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में सुनहरे अक्षरों से लिखा गया । बतुकम्मा त्यौहार स्त्री शक्ति को पहचानने उनका आदर करने और समाज में उचित स्थान देने पर बल देता है । ‘बतुकम्मा’ त्योहार के द्वारा ‘तेलंगाणा’ विश्व मे प्रसिद्ध हुवा है । इसलिए लोग कहते है कि तेलंगाणा यदि शरीर है तो बतुकम्मा उसकी आत्मा । “आत्मा के बिना मनुष्य जीवित नही रह पाते। इसी तरह बतुकम्मा के बिना ‘तेलंगाणा’ राज्य की कल्पना करना असंभव है ।

विशेषताएँ :

  1. त्यौहार मनुष्य के जीवन में उल्लास लाता है ।
  2. बतुकम्मा त्यौहार भारतीय समाज में स्त्रियों के गौरवशाली वैभव का गुणगान करता है ।
  3. गरीब अमीर जैसे भेद भाव के बिना बतुकम्मा त्यौहार मनाते हैं ।

(2) हमारी उम्र तो करोडों साल है क्यों कि आत्मा कभी मरती नहीं ।
उत्तर:
संदर्भ : ये वाक्य ‘समय पर मिलनेवाले’ नामक पाठ से दिये गये है । इस पाठ के लेखक श्री ‘हरिशंकर परसाई जी है। आप हिन्दी गद्य साहित्य के व्यंग्यकारों में अग्रगण्य हैं। सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर अपना लेख लिखता है । परसाईजी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते है । प्रस्तुत पाठ एक व्यंग्य रचना है । जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के समय कैसा बारबाद करते हैं, इसका व्यग्यपूर्ण चित्रण मिलता है ।

व्याख्या : लेखक के दूसरा मित्र को तबादला हो गया । तब पहला मित्र ने लेखक और दूसरे मित्र दोनों को भोजन पर बुलाया । लेखक और दूसरे मित्र दोनों दूसरे दिन शाम को मित्र के घर पहुँच गए । मित्र घर में नही थे । लेखक ने मित्र के लडके से पूछा कि क्या तुम्हारा पापा तुम से कुछ कह गए है ? लड़का बोला ‘जी नही’ वे तो कुछ नही कह गए हैं। लेखक और दूसरा मित्र घर से बाहर आकर उस मित्र की व्यवहार से दुखित हो गए । हम दोनों जीते समय पहला मित्र मिलकर कहाँ ” हे मित्र तुम जाने के पहले हमारे साथ भोजन जरूर करना” । तब दूसरा मित्र मे कहा कि अब मेरे पास ( वक्त ) समय नही हैं, मै किसी भी दिन आ जाऊँगा । तब पहला मित्र ने कहा जरूर आना। तुम्हारा तो घर है और मैं तो हमेशा घर पर ही रहता हूँ । लेखक और दूसरा मित्र इस वाक्य सुनकर मुस्कुराते हैं ।

विशेषताएँ : समय तथ करके दूसरों को भोजन पर बुलाकर घर परन रहनेवालों को लेखक ज्ञानी कहते हैं । ऐसे लोगों की निंदा भी होती है ।

(3) ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नही करता । यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य ‘अपराजिता’ नामक कहानी से दिया गया है । इसकी लेखिका ‘गौरा पंत शिवानी’ जी है । भारत सरकार ने सन् 1982 में उन्हे हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया | शिवानी जी की अधिकतर कहानियाँ और उपन्यास नारी प्रधान रहे । प्रस्तुत कहानी ‘अपराजिता’ में लेखिका ‘डाँ. चंद्रा’ नामक एक अपंग युवती की जीवन संबंधी विषयों के बारे में हमें बतायी ।

व्याख्या : डाँ. चंद्रा अपनी दुस्थिति पर कभी असंतुष्ठ नही होती । भगवान को भी कभी निंदा नही करती थी। चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकरके बेटी की उन्नती चाही। चंद्रा की माँ एक बार भाषण में इस प्रकार कहती है कि – “भगवान हमारे सब द्वार एक साथ बंद नही करता । यदि भगवान एक रास्ता बंद करता भी है, तो दूसरा रास्ता हमें दिखायेगा” । भगवान अंतर्यामी है । मानव अपनी विपत्ति के कठिन क्षण में विधाता को दोषी कहते हैं । उसका निंदा भी करते हैं । कृपा करके ऐसा कभी नही सोचिए। हमारे जीवन में कितने मुश्किलों आने पर भी धैर्य से उसके सामना करना होगा ।

विशेषताएँ :

  1. भगवान हमेशा दीन लोगों की सहायता करता है ।
  2. तुम एक रास्ते पर मंजिल तक जाना चाहते हो, अचानक उस रास्ता बन्द हो तो, जरूर दूसरा रास्ता खोज देंगे ।
  3. भगवान अपंग लोगों को एक अंग से वंचित करने पर भी दूसरे अंगों की क्षमता इस प्रकार देगा कि सामान्य से अधिक होगा ।

(4) आखिर हम उठते हैं । लड़के से कहते हैं, “अच्छा अब हम जाते हैं । कह देना कि हम आए थे ।
उत्तर:
संदर्भ : ये वाक्य ‘समय पर मिलने वाले’ नामक पाठ से दिये गये हैं । इस पाठ के लेखक
‘हरिशंकर परसाई जी हैं। आप हिंदी गद्य – साहित्य के व्यंग्यकारों में अग्रगण्य हैं । सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में फैली विसंगतियों पर अपना लेख लिखता हैं । परसाई जी के व्यंग्यपरक निबंध पाठकों को सचेत करते हैं । प्रस्तुत पाठ एक व्यंग्य रचना है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के समय कैसा बरबाद करते है, इसका व्यंग्यपूर्ण चित्रण मिलता है ।

ब्याख्या : एक दिन लेखक के मित्र लेखक से सुबह आठ बजे अपना घर पर मिलने का वाद किया था ; पर मित्र घर पर नही हैं । लेखक मित्र केलिए उस का घर में इंतजार कर रहे हैं। मित्र के पुत्र लेखक के पास बैठकर पुस्तक पढ रहा है । बहुत देर तक रहने पर भी मित्र नही आता है । घर के अंदर से स्त्रियाँ लेखक के बारे में भला-बुरा कहता है । लेखक सभी बातें सुनकर लज्जित हो जाता है । अखिर उठ कर मित्र के पुत्र से कहते है, अच्छा मै अब जा रहा हूँ। तुम्हारे पिताजी आने के बाद कहदेना कि आपसे मिलने आपका दोस्त आया था ।

विशेषताएँ :
1) सामान्य आदमी समय को काटने के बारे में सोचता है, जबकि महान व्यक्ति सोचते हैं इसके उपयोग के बारे में ।
2) दुनिया में जितनी भी चीजे हैं, उन सभी में समय समाया हुआ है ।

7. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) तुलसी के अनुसार मीठे वचन बोलने से क्या लाभ है ?
उत्तर:
तुलसी के अनुसार मीठे वचन बोलने से चारों ओर खुशियाँ फैल जाती हैं सब कुछ खुशहाल रहता है। मीठी वाणी से कोई भी इंसान किसी को भी अपने वश में कर सकता है । शत्रु को भी अपना मित्र बनाते है ।

मधुर वाणी सभी ओर सुख प्रकाशित करती है और यह हर किसी को अपनी ओर सम्मोहित करने का कारगर मंत्र है। इसलिए हर मनुष्य को कटु वाणी त्याग कर मीठे बोल बोलना चाहिए ।

2) माँ के लिए बेटी किसके समान है ?
उत्तर:
माँ के लिए बेटी गोद की शोभ है और सौभाग्य प्रदान करती है । वह अपने अंधकारमय जीवन के लिए दीपशिखा की तरह है। माँ जीवन मन उषा की पहली किरण है। नीरस मन में अमृत की धारा और रस भरने वाली है – वह बालिका नष्ट नयनों की ज्योति है और तपस्वी को मन की सच्चीलगन है। एक माँ के लिए उसकी अपनी संतान है सबकुछ होती है। माँ और बेटी में भेद न करने की भावना समाज को उन्नति के शिखर पर पहुँचा सकती है ।

3) सुमित्रानंदन पंत का कवि परिचय लिखिए ।
उत्तर:
सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म सन् 1900 ई. मे अल्मोडा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ था | वे कोमलता के कवि कह जाते है । आप शांत स्वभाव के थे । उन्होंने असहयोग आंदोलानों मे भाग लिया । उनपर आध्यात्मिक ग्रन्थों का भी प्रभाव था उनकी रचनाओं मे प्रकृति सौन्दर्य, आदर्शवादी विचार धारा और अरविंद दर्शन का क्रमशः प्रभाव दिखाई देता है । सन् 1977 में उनकी मृत्यु हो गई । वीणा, ग्रंथि, पल्लाव, युगंत उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है । ‘चिदंबरा’ काव्य के लिए उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला । वे प्रकृति सौन्दर्य के अद्वितीय कवि माने जाते है । प्रस्तुत ‘प्रथम रश्मि’ कविता में प्रातः काल के प्रकृति सौन्दर्य का सुंदर वर्णन उन्होंने किया ।

4) दिनकर के अनुसार दान देने से नदी को क्या लाभ है ?
उत्तर:
दिनकर दान की महानता मे नदी का उदाहरण देते हुए कहते है की नदी अपने में पानी को शोककर नही रखती । वह पानी का त्याग करके लोगों को जीवन देती है । नदी का पानी भाप बनकर बादलों का रुप लेता है और बरसकर उसी नदी में मिल जाता है । उसी प्रकार मनुष्य को भी दान देने से लाभ होता है ।

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8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 × 3 = 6

1) चंद्रा की माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार क्यों दिया गया ?
उत्तर:
चंद्रा की माँ श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम थी । वह एक साहसी जननी है । चंद्रा की माध्यमिक और काँलेज शिक्षा में बेटी के साथ रहकर पूरी कक्षाओं में अपंग पुत्री की कुर्सी की परिक्रमा स्वयं कराती | बचपन में चंद्रा को देखकर अपनी आत्मशक्ति खो नही बेठी। अपने आप को संभाल कर चंद्रा को भी संभाली। हर एक पल बेटी की कामना पूरी करने की कोशिश किया । चंद्रा की माँ अपने सारे सुख त्यागकर, नित्य छायाबनी । आज चंद्रा जो कुछ नाम प्राप्त किया सबकी वजह उसकी माँ ही है। इसलिए जे. सी. बेंगलूर उसकी माँ को ‘वीर जननी’ का पुरस्कार दिया । सचमुच चंद्रा की माँ एक वीर जननी है ।

2) अनुशासन के पालन पर विचार व्यक्त कीजिए ?
उत्तर:
हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण चीज है । बिना अनुशासन के कोई भी एक खुशहाल जीवन नही जी सकता है । कुछ नियमों और फायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है । अनुशासन सब कुछ है, जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही राह पर ले जाता है ।

हम अपने रोजमर्श के जीवन में कई प्रकार के नियमों और फायदों के द्वारा अनुशासन पर चलते हैं, इसके कई सारे उदाहरण हैं, जैसे हम सुबर जल्दी उठते हैं । अनुशासन अपने बड़ों, ऑफिस के सीनियर, शिक्षक और माता पिता के हुक्म का पालन करना है जिससे हम सफलता की ओर आगे बढते हैं। हमें अपने जीवन में अनुशासन के महत्व को समझना चाहिए। जो लोग अनुशासनहीन होते हैं, वह अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं को झेलते हैं साथ निराश भी होते हैं ।

3) ‘अधिकार का रक्षक’ नामक एकांकी के मुख्य पात्र सेठ जी के बारे में संक्षिप्त में लिखो ?
उत्तर:
अधिकार का रक्षक नामक एकांकी के मुख्य पात्र सेठजी है । सेठ जी प्रांतीय असेंबली के उम्मीदवार हैं । सेठजी जो कुछ भी कहते हैं वह कभी नहीं करते । लोगों से कहते हुए बात अपना जीवन में आचरण नही करते हैं। बच्चों के संबन्ध में कहते है कि बच्चो को प्रेम से देखना चाहिए लेकिन अपने बच्चे को ही दंड देता है । प्रेम से बच्चों के साथ व्यवहार करने की सलाह देता है । खुद अपने बच्चों को मारते हैं। मजदूरों और गरीबों की सहायता करने की बात करते हैं । फिर भी अपना घर में काम करने वाली रसोइया और साफ करने वाली दो महिलाओं को पैसे देने के बिना धकेलता है । खुद सेठजी नौकरों पर हुए अत्याचार के विरुद्ध नौकर यूनियन स्थापित की है । “असेंबली में जाते ही मजदूरों की अवस्था सुधारने का प्रयास करूँगा ” – इस तरह वायदे करते हैं। सेठजी श्रीमती सेठजी से बुरी तरह व्यवहार करते हैं । जब सरला जी फोन करती है तो महिलाओं के पक्ष लड़ने के लिए वादा करते हैं ।

चुनाव में जीतने के लिए और शासक को अपने हाथों में लेने के लिए सेठजी जैसे लोग अनेक प्रकार के व्यूह रचते हैं। नेताओं में बहुत से लोग योग्य नहीं हैं । इसीलिए जनता सोच समझकर अपनी कीमती वोट सही नेता को देना चाहिए ।

4) महादेवी वर्मा ने गिल्लू की किस प्रकार से सहायता की थी ?
उत्तर:
लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरें में ले आई उसका घाव रूई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई किर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की । परन्तु उसका मुँह खुल नही सका, कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया । तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे – धीरे स्वस्थ हुआ । गिल्लू को अंत तक याने मरण तक लेखिका अपने साथ ही रखी। बडे प्रेम से पालन पोषण किया ।

9. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) कबीर के गुरु कौन थे ?
उत्तर:
रामानन्द ।

2) समता का संवाद कविता के कवि कौन है ?
उत्तर:
समता का संवाद कविता के कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त जी है ।

3) माँ की मनोकामना कैसी है ?
उत्तर:
माँ की मनोकामना मन को मस्त देने वाली है ।

4) किस काव्य केलिए दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
उत्तर:
उर्वशी ।

5) तुलसी के अनुसार नाव किससे मित्रता करती है ?
उत्तर:
नदी से ।

10. एक शब्द में उत्तर लिखिए । 5 × 1 = 5

1) कृतज्ञता प्रकट करने का सबसे सरल तरीका क्या है ?
उत्तर:
धन्यवाद देना ।

2) परसाई जी के अनुसार इंतजार से क्या बढ़ता है ?
उत्तर:
इंतजार से प्रेम बढ़ता है ।

3) सेठजी का व्यवहार कैसा है ?
उत्तर:
धोखेबाज ।

4) तेलंगाणा का राज्य पर्व क्या है ?
उत्तर:
बतुकम्मा ।

5) गिल्लू का प्रिय खाद्य क्या था ?
उत्तर:
काजू ।

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खड – ‘ख’
(40 अंक)

11. निम्नलिखित गद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए । 5 × 1 = 5

सुनीता घास लेकर घर जा रही थी । उसके साथ माँ भी थी। रास्ते में रेल की पटनी थी । वहाँ से रेलगाड़ी के निकलने का समय हो गया था। सुनीता और उसकी माँ पटरी के पास रूक गयीं । तभी सुनीता की नज़र रेल की पटरी पर पड़ी। उसे वह पटरी टूटी हुई लगी। सुनीता की माँ पटरी देखकर बोली – “यह पटरी तो टूटी है ।” दोनों इधर-उधर देखने लगीं । रेलवे स्टेशन भी वहाँ से बहुत दूर था ।

प्रश्न :
1) कौन घास लेकर घर जा रही थी ?
उत्तर:
सुनीता घास लेकर घर जा रही थी ।

2) रास्ते में क्या थी ?
उत्तर:
रास्ते में रेल की पटरी थी ।

3) रेल की पटरी कैसी लगी ?
उत्तर:
रेल की पटरी टूटी हुई लगी ।

4) रेलवे स्टेशन वहाँ से कितने दूर था ?
उत्तर:
रेलवे स्टेशन वहाँ से बहुत दूर था |

5) सुनीता की नज़र किस पर पडी ?
उत्तर:
सुनीता की नज़र टूटी हुई रेल की पटरी पर पड़ी ।

12. सूचना के अनुसार लिखिए । 8 × 1 = 8

(12.1) किन्हीं चार (4) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

(1) चेतना
(2) गर्मी
(3) गरम
(4) गत
(5) घर
(6) आभा
उत्तर:
(1) चेतना × मूर्च्छा
(2) गर्मी × सर्दी
(3) गरम × ठंडा
(4) गत × आगत
(5) घर × बाहर
(6) आभा × अनर्थ

(12.2 ) किन्हीं चार (4) शब्दों के समानार्थ शब्द लिखिए ।

1) दूध
(2) सेवक
(3) सरस्वती
(4) चंन्द्रमा
(5) तालाब
(6) आभा
उत्तर:
(1) दूध = दुग्ध, क्षीर, गोरस, पय ।
(2) सेवक = नौकर, दास, भृत्य, अनुचर ।
(3) सरस्वती = गिरा, वाणी, शारदा, भारती ।
(4) चंन्द्रमा = चंद्र, शशि, राकेश, चाँद ।
(5) तालाब = सर, सरोवर, जलाश्य, ताल ।
(6) आभा = चमक, कांति, प्रभा, दीप्ति ।

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13. किन्हीं आठ (8) शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए । 8 × 1 = 8

(1) बाल
(2) जमीन
(3) ठंढा
(4) अतह
(5) प्रसंशा
(6) बन
(7) पुनह
(8) संसारिक
(9) सन्यासी
(10) गयी
(11) तृन
(12) स्मरन
उत्तर:
(1) बाल – बाँल
(2) जमीन – ज़मीन
(3) ठंढा – ठंडा
(4) अतह – अतः
(5) प्रसंशा – प्रशंसा
(6) बन – वन
(7) पुनह – पुनः
(8) संसारिक – सांसारिक
(9) सन्यासी – संन्यासी
(10) गयी – गई
(11) तृन – तृण
(12) स्मरन – स्मरण

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए । 8 × 1 = 8

1) मैं भारत ……………… (के / का) निवासी हूँ ।
2) अध्यापक …………….. (केलिए / के द्वारा) कुर्सी लाओ ।
3) रमेश ……………….. ( की / का) बेटी बीमार है ।
4) श्याम ………………. (का / की) माता सुंदर चित्र बनाती है ।
5) कक्षा में एक ……………….. ( पर / से) बढकर एक छात्र है ।
6) राम ………………….. (ने / के) रोटी खायी है ।
7) आशा ………………… (के / ने) गीत गाया ।
8) चोर ने चाकू …………………. (से / के) मारा ।
उत्तर:
1) मैं भारत का निवासी हूँ ।
2) अध्यापक केलिए कुर्सी लाओ ।
3) रमेश की बेटी बीमार है ।
4) श्याम की माता सुंदर चित्र बनाती है ।
5) कक्षा में एक से बढकर एक छात्र है ।
6) राम ने रोटी खायी है ।
7) आशा ने गीत गाया ।
8) चोर ने चाकू से मारा ।

15. निर्देश के अनुसार छः (6) वाक्यों को शुद्ध कीजिए । 6 × 1 = 6

1) वह दिल्ली गया । (वर्तमान काल में लिखिए ।)
उत्तर:
वह दिल्ली जाता है ।

2) बच्चों को भरपर खिलाओ । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग शुद्ध करो ।)
उत्तर:
भरपूर ।

3) छात्र पढ़ रहा है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
छात्रा पढ़ रही है ।

4) किरण पाँचसा कक्षा में पढ रहा है । (रेखांकित शब्द का प्रत्यय की दृष्टि से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
पाँचवाँ ।

5) वह शिक्षा दिया । (वाक्य शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
उसने शिक्षा दिया ।

6) सीता नियोग में राम दुखी था । (रेखांकित शब्द का उपसर्ग की दृष्टी से सही वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
वियोग ।

7) मेरे को कुछ ना बोलो । (वाक्य शुद्ध कीजिए ।)
उत्तर:
मुझ से कुछ ना बोलो ।

8) लडकी सिमाई करती है ।
उत्तर:
लडकी सिलाई करती है । (रेखांकित शब्द में प्रत्यय सही लिखिए ।)

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16. किन्हीं पाँच (5) वाक्यों का हिंदी में अनुवाद कीजिए ।

1) Don’t go home.
उत्तर:
घर मत जाओ ।

2) He has helped me.
उत्तर:
उसने मेरी मदद की है ।

3) We should be good citizens.
उत्तर:
हमें अच्छा नागरिक बनना चाहिए |

4) Please come here.
उत्तर:
आप यहाँ आइए ।

5) Does he eat.
उत्तर:
क्या वह खाता है ?

6) Boys went to school.
उत्तर:
लडके स्कूल गये ।

7) I do my work myself.
उत्तर:
मैं आपना काम आप ही करता हूँ ।

8) Which boy took the book.
उत्तर:
किस लडके ने किताब ली ।

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