TS 9th Class Hindi रचना निबंध लेखन

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material रचना निबंध लेखन Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi Rachana निबंध लेखन

1. पुस्तकालय (ग्रन्थालय) (గ్రంధాలయము)

ग्रन्थालय में अनेक प्रकार की पुस्तकें ख्री जाती हैं। कुछ पुस्तकों से केवल मनोविनोद होता है। कुछ पुस्तकों को पढ़ने से ज्ञान प्राप्त होता है। पुस्तकें अच्छे मित्र के समान जीवन भर काम आती हैं। साधारणतया पुस्तकालय में सभी दैनिक पित्रकाओं के साथ कई विशेष पत्रिकाएँ और बडे-बडे ग्रन्थों के साथ सभी आवश्यक किताबें इतिहास, भूगोल विज्ञान आदि किताबों के अतिरिक्त, कहानियाँ, उपन्यास, नाटक आदि किताबों का इन्तजाम होता है। जो लोग इन सब किताबों को खरीदकर नहीं पढ़ सकते हैं, उनके लिए ग्रन्थालय अत्यन्त लाभदायक हैं। हमारे देश में तंजावू के सरस्वती ग्रन्थालय अत्यन्त महत्व का है। ऐसे ग्रन्थालय देश में कई स्थानों पर स्थापित् करने की अत्यन्त आवश्यकता है। साधारणतंः हर एक गाँव में छोटे-छोटे ग्रन्थालयों के होने की अत्यंत आवश्यकता है।

2. समाचार-वय (వార్తాపత్రిక)

आजकल दुनियाँ में समाचार पत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। इनसे हमें संसार के सभी प्रातों के समाचारों के अतिरिक्र राजनैतिक टीका-टिप्पणी, अच्छे-अच्छे लेख वस्तुओं के भाव कई प्रकार के विज्ञापन और सिनेमा संबंधी सचित्र विज्ञान आदि प्रकाशित होते हैं। संसार के सभी प्रांतों के समाचार शीघ्र ही पहुँचाते हैं। समाचार पत्र कई प्रकार के होते हैं। इनमें दैनिक पत्रों की बडी माँग होती है। इसके अलावा साप्ताहिक, मासिक और पाक्षिक पत्र भी देश की विभिन्न भाषाओं में निकलते हैं। दैनिक पत्रों में राजनीति, समाज और विज्ञापन संबंधी सुन्दर लेख प्रकाशित होते हैं। सुन्दर कहानियाँ और धारावाहिक उपन्यास भी प्रकाशित होते रहते हैं। आजकल व्यापार, अर्थशात्र, सिनेमा आदि क्षेत्रों में विशेष पत्र, पत्रिकाएँ भी निकली है। मन बहलाव और ज्ञान -विज्ञान के लिये ये समाचार पत्र बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं।

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3. सिनेमा से लाभ और हानि (సినిమా వల్ల లాభనష్టములు)

सिनेमा या चलन-चित्र से हमें कई लाभ हैं। एक गरीब आदमी घूम फिरकर संसार के सभी सुन्दर दृश्य नहीं देख सकता। लेकिन इनके द्वारा आसानी से थोडा समय और थोडे पैसों से देख सकता हैं। हम काम करते-करते थक जाते हैं। इसलिए मनोरंजन के बिना अपने काम अधिक समय तक नहीं कर सकते हैं। थोडे से मनोरंजन से हम में स्कूर्ति आती है और काम करने का नया उत्साह पैदा होता है। इन चलन चित्रों से हम बहुत विषय सीख सकते हैं। कई चलनचित्रों के द्वारा राष्ट्रीय भाषाओ का प्रचार भी हो रहा है। देश भक्ति संबन्धी कई प्रकार के दृश्य दिखाये जा रहे हैं। इसके ज़रिए समाज सुधार का काम आसानी से हो सकता है। समाज के दुराचार दिखाकर उनको दूर करने का प्रयन्न किया जा सकता है।

सिनेमाओं से बहुत हानियाँ भी है। पैसा कमाने के उद्देश्य से आजकल के निर्माता उत्तम चित्र नहीं बनाते । ताकि दुष्परिणामों का असर युवकों ॠ: गडता है और वे बिगडे जा रहे हैं। सिनेमाओं को अधिक देखने से आँखों के रोग बढ जाते हैं।

विद्यार्थी जीवन (విద్యార్ధి జీవితము)

जो बालक विद्या का आर्जन करता है से द्यार्थी कहते हैं। जो विद्यार्थी महान व्यक्तियों से अच्छी बातों को सीखना चाहता है। वही आदर्श विद्याय्यों बन सकता है। आदर्श विद्यार्थी को अपने हदय में सेवा का भाव रखना चाहिए। उसको अच्छे गुणों को लेना चाहिये। उसको विनम्र और आज्ञाकारी बनना चाहिए। उसको शांतचित्त से अपने गुरु के उपदेशों को सुनना चाहिए। उसको सरलता और सादगी की ओर ध्यान देना चाहिए। उसको स्वच्छ पवित्र जीवन बिताना चाहिए। उसको स्वावलंबी बनना चाहिये। उसको अपने कर्तव्य को निभाना चाहिए। उसको समाज और देश का उपकार करना चाहिए। महापुरुषों की जीवनियों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उसको समय का सदुपयोग करना चाहिये। आदर्श विद्यार्थी को सच्चा और सदाचारी बनना चाहिए।

5. कोई राष्ट्रीय त्योहार (జాతీయ పండుగ) (पन्द्रह अठस्त) (ఆగష్టు 15)

हमारे भारत में कई तरह के त्योहार मनाये जाते हैं। जैसे दीपावली, दशहरा, क्रिसमस, रमज़ान आदि। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे त्योहार हैं जिनका राष्ट्रीय महत्व होता है। उन त्योहारों को सभी धर्मों के लोग समान रूप से मनाते हैं। भारत का गणतंत्र दिवस, अगस्त पन्द्रह का स्वतंत्र दिवस आदि राष्ट्रीय त्योहार है।

हमारे स्कूल में इस वर्ष अगस्त पन्द्रह का स्वतंत्र दिवस बडे धूम-धाम से मनाया गया। विद्यालय में सर्वत्र रंग -बिरंगे झण्डे फहराये गये। सब लडके प्रातःकाल की प्रार्थना के लिए निकल पड़े। आठ बजे राष्ट्रीय झण्डे की वंदना की गयी। स्काऊट तथा एन. सी. सी. संबन्धी विन्यास हुए। इस अवसर पर खेल-कूद की प्रतियोगिताएँ हुयी। विजेताओं को पुरसकार बाँटी गयी। दोपहर को सभा हुई। हमारे प्रधानाध्यापक महोदय और अन्य अध्यापक महोदयों ने राष्ट्रीय त्योहारों के महत्व एवं विद्यार्थियों में देशभक्ति और सेवा की भावनाएँ जागृत की हैं। इन त्योहारों से हमारे नेता और उनकी कुर्बानियों की याद बनी रहती है।

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6. राष्ट्रभाषा हिन्दी (జాతీయ భాష హిందీ)

भारत एक विशाल देश है। इसमें अनेक राज्य हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी प्रादेशिक भाषा होती हैं। राज्य की सीमा के अंदर प्रादेशिक भाषा में काम चलता हैं। परंतु राज्यों के बीच में व्यवहार करने के लिए एक सामान्य संपर्क भाषा की आवश्यकता है। देश की प्रादेशिक भाषाओं में जिसे अधिक लोग बोलते और समझते हैं वही देश की राष्ट्र भाषा बन सकती है। इन सभी गुणों के होने के कारण प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से पूर्ण होने के कारण हिन्दी भाषा राष्ट्रभाषा घोषित की गयी है।

इसलिए देश के करोडों लोगों से बोली जानेवाली हिन्दी को हमारे संविधान ने राष्ट्रभाषा घोषित की अंतर प्रांतीय और अखिल भारतीय व्यवहारों के लिए हिन्दी का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक राज्य में वहाँ की प्रादेशिक भाषा, राज्य-भाषा बनी।

7. समय का मूल्य (సమయము యొక్క విలువ)

हमारे जीवन में जो समय बीत गया है फिर नहीं आयेगा। जो समय का मूल्य नहीं जातने हैं, वे समय का दुरुपयोग करते हैं। जो बचपन में पढाई से जी चुरा लेते हैं उन्हें आगे चलकर पछताना पड़ता है। जो समय का सदुपयोग करते हैं, वे जीवन में उन्नति अवश्य पाते हैं। जो सुस्त रहते हैं वे समय का दुरुपयोग करते हैं और आज का काम कल पर डालते रहते हैं, समय का महत्व नहीं जानते हैं। जो समय का महत्व जानते हैं वे समय का सदुपयोग करते हैं। महात्मा गाँधीजी समय के बडे पाबन्द थे।

छात्रों को समय पालन की बडी आवश्यकता है उन्हें व्यायाम, अध्ययन सैर सपाटे, आदि के लिए समय निश्चित कर लेना चाहिए। समय निश्चित करना पर्याप्त नहीं है। नियमपूर्वक उसका पालन करना अत्यन्य आवश्यक है। बचपन से समय पालन करना अत्यंत आवश्यक है। जो समय पालन का अच्छा अभ्यास करते हैं, वे आगे चलकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

8. व्ययाम से लाभ (వ్యాయామం వలన లాభాలు)

व्यायाम से बहुत लाभ हैं। व्यायाम शक्ति देने वाला है और सफलता का साधन भी है। इसीलिए व्यायाम स्वारथ्य और सफलता की कुँजी कहलाता है। नियम के अनुसार व्यायाम करेंगे तो हमेशा नीरोग रहते है। तंदुरुस्ती बनी रहती है। व्यायाम करने की बहुत रीतियाँ हैं। कुस्ती लडना, कसरत करना, खेलना-कूदना, दन्ड-बैठक आदि व्यायाम के भेद माने जाते हैं। टहलना और घूमना भी एक प्रकार का व्यायाम है। व्यायाम करने से श्वासक्रिया खूब होती है। उससे शरीर का रक्त शुद्ध होता है। शुद्ध रक्त से स्वास्य बना रहता है और जल्दी कोई बीमारी नहीं आती। व्यायाम करने से पाचन शक्ति बढती है और शंरीर में स्फूर्ति आती है।

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9. जनवरी 26 (జనవర 26)

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस कहते है। 1950 में इसी दिन पहले-पहल स्वतंत्र भारत का नया संविधान बनाया गया था। उसकी यादगार में इस दिन सारे देश में आनंद और उत्साह से मनाते हैं क्योंकि 26 जनवरी को ही देश को पूर्ण स्वाधीन की शपथ ली गयी थी। इसके पहले “स्वाधीनता दिवस” नाम से मनाया जा रहा था ।

यह गणतंत्र दिवस सारे भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया ज़ाता है। लेकिन हमारी राजधानी दिल्ली में इसकी शोभा निराली होती है। इस दिन सभी को छुट्टी मिलती है। बाजार बन्द रहते हैं। दिल्ली में जल, सथल और वायुसेना के टुकडियाँ राष्ट्रपति को वंदना करती है। इस समारोह को देखने के लिए दूर-दूर से लोग दिल्ली पहुँचते हैं।
इस दिन राष्ट्रपति सज-धजकर अभिवादन स्वीकार करते हैं। प्रधान मंत्री राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं।

10. दूटदर्शन (టెలివిజన్)

दूरदर्शन को ‘टेलिविजन’ भी कहते हैं। “टेली ‘का अर्थ है दूर और “विज़न” का अर्थ है प्रतिबिब। जिस यन्त्र की सहायता से दूर-दूर के दृश्यों का प्रतिबिब हम घर बैठे देख सकते हैं उसे दूरदर्शन कहते है। देखने में यह रेडियो जैसा होता है। इसमें एक परदा लगा रहता है। परदे पर सारे दृश्य दिखायी देते हैं। फ़िल्म और नाटक भी देख सकते हैं। इसमें दृश्य और ध्वनि दोनों का समन्वय प्रसार किया जाता है। इन्हें प्रसारित करने का साधन रेडियो स्टेशन के समान होता है। इसकी महानता का श्रेय महान वैज्ञानिक डॉ. भाभा के प्रयत्नों से हैं। दूरदर्शन से बहुत लाभ हैं। व्यापार, सामाजिक कार्य, वाद-विवाद, खेल, कृषि विज्ञान, नृत्य आदि इसके द्वारा दिखाये जा सकते हैं। दिन-ब-दिन इसकी माँग बढ रही है। अब गाँवों में भी इसका प्रसार अच्छी तरह हो रही है। इसके सुधार में वैज्ञानिक रातदिन काम कर रहे हैं।

11. त्यौहार (పండుగ) (दीपावली) (దీపావళి)

दीपावली एक राष्ट्रीय त्योहार है। यह किसी न किसी रूप में भारत भर में मनाया जाता है। दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। यह दक्षिण भारत में आश्विन मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह अन्धकार पर प्रकाश डालनेवाला त्योहार है। इस त्योहार के संबन्ध में एक कहानी प्रसिद्ध है कि प्राचीनकाल में नरकासुर नामक एक क्रूर राक्षस रहता था। वह सभी को बहुत सताता था। बहुत स्त्रियों को कारागार में बन्दकर दिया था। लोगों में त्राहि-त्राहि मच गई। सभी लोगों ने जाकर भगवान क्कृष्ण से प्रार्थना की हैं कि उस रांक्षस को मारकर हमारी रक्षा कीजिए। श्रीकृष्ण ने सत्यभामा समेत जाकर नरकासुर को युद्ध में मार डाला। उस दिन की याद में लोग हर साल दीवाली मनाते हैं। उस दिन लोग घरों को साफ़ करके घर-घर में दीप जलाकर खुशी मनाते हैं। बच्चे नये कपडे पहनकर पटाखे आदि छोडते हैं। पकवान खाते है। बन्धु लोग आते है। मंदिर में जाकर भगवान की पूजा करते हैं। खासकर लक्ष्मी की पूजा करते हैं। उस दिन से व्यापारी लोग पुराने हिसाब ठीक करके नये हिसाब शुरू करते हैं।

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12. आपवे प्रिय नेता (తమ ప్రియ నాయకుడు)

महात्मा गाँधीजी मेरे प्रिय नेता हैं। महात्मा गाँधीजी ‘जाति पिता’ के रूप में हम सबको मालूम हैं। आप देश की दास्यता को दर करने के लिए सच्चे सेवक के रूप में काम किये थे। महात्मा गाँधीजी अहिसावादी थे। आप सदा सच ही बोले थे। आपके नेतृत्व में ही भारत आजादी को प्राप्त कर ली। आप हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए बहुत कोशिश करते थे। आप हरिजनोद्धरण के लिए बहुत प्रयन्म करते थे। आप कुटीर उद्योगों और स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन देते थे।

आपने सत्य और अहिसा के द्वारा ही दक्षिण आफ्रिका को भी स्वतन्त्र दिलाये। देश को आज़ादी दिलाने के लिए आपको कई बार जेल जाना पड़ा। आपका समय पालन हमारे लिए अनुकरणीय योग्य बात है। 1948 जनवरी 30 वी. तारीख को आप गाड्से नामक एक व्यक्ति के हाथों मारे गये।

13. पर्यावरण और प्रदूषण (వాతావరణ కాలుష్యము)

पर्यावरण याने वातावरण है। पर्यावरण में संतुलन होना चाहिए। नहीं तो हमें कई हानियाँ होती हैं। पशु, पक्षी और हम सब मनुष्य हवा में से आक्सीजन लेते हैं और कार्बन-डाइ-आक्सइड छोडते हैं। यह इसी रूप में पर्यावरण में फैलता है। पेड-पौधों की सहायता से पर्यावरण संतुलित हो जाता है। पर्यावरण के असंतुलन से मौसम समय पर नहीं आता और वर्षा नियमित रूप से नहीं होते। वर्षा हुई भी तो कहीं अतिवृष्टि कहीं अल्पवृष्टि होती है।

पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने में हम सब सहयोग दे सकते हैं। सबसे पहले तो हम गंदगी न फैलाएँ। अपने आसपास की नालियों को साफ़ रखें। कूडा – कचरा जहाँ-तहाँ न फेंकें। जंगल के वृक्ष न काटें। हमारे यहाँ पेड लगाना पुण्य कार्य माना गया है। पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है। हमारे स्वसथ जीवन का आधार साफ़-सुथरा पर्यावरण ही है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें उपयुक्त कामों को करना चाहिए।

14. शिक्षक दिवस (अध्यापक दिवस) (ఉపాధ్యాయ దినోత్సవం)

डॉ. सर्वेपल्लि राधाकृष्णन् भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति थे। वे अध्यापक के रूप में अपना जीवन प्रारंभ करके बाद में भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। वे एक सफल अध्यापक थे। इसी कारण उनके जन्म दिन सितंबर 5 को शिक्षक दिवस (अध्यापक दिवस) के रूप में सारे देश में मनाया जाता है। इस दिन केन्द्र सरकार और राज्य सरकार उत्तम अध्यापकों का चयन करके उनका सम्मान करती हैं। शिक्षा संस्थाओं में भी अध्यापको का सम्मान किया जाता है। सरकार अध्यापकों के लिए उपयोगी और कल्याणकारी अनेक योजनाएँ प्रारंभ करती है। अध्यापकों के कल्याण के लिए एक निधि है। उससे संबंधित टिकट हर स्कूल में बचे-जाते हैं। उससे जो पैसे प्राप्त होते हैं, उन्हें अध्यापको को विपत्ति के समय या बिमारी संबंधित कारणों के समय ऋण देते हैं।

इस प्रकार एक उत्तम अध्यापक की स्मृति में अध्यापक दिवस का मनाना समीचीन है। इससे विद्यार्थियों में अध्यापकों के प्रति भक्ति, गौरव, श््द्धा भाव उत्पन्न होते हैं। समाज में अध्यापकों को उचित स्थान मिलता है। खेद की बात है कि – आजकल कुछ अध्यापको में नैतिक गुणों का पतन दिखाई पड रहा है। यदि अध्यापक अपने कर्तव्य को ठीक तरह से नहीं निभाएँगे तो “शिक्षक दिवस” मनाने से कोई लाभ नहीं होगा।

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15. पाठशाला में खेलों का महत्व (పాఠశాలలో ఆటల గొప్పదనం)

विद्या का उद्देश्य बालक का सर्वतोमुखी विकास करना है। याने शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक। पाठ्य पुस्तकों के द्वारा विद्यार्थी का मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। मगर शारीरिक रूप से उसे मज़बूत बनाने के लिए व्यायाम की ज़रूरत है। व्यायाम का दूसरा रूप ही खेल है। इसलिए पाठशाला में खोलों का आयोजन किया गया है। खेल सिखाने के लिए विशेष अध्यापकों को नियुक्त भी किया गया है।

कबड्डी, खो-खो, वालीबॉल, हॉकी, टेत्रिस, टेन्नीकाइट, बैटमेंटन आदि तरह-तरह के खेल खेलाये जाते है। इससे विद्यार्थी मजबूत बनते है। उत्साह बढ़ता है। खून साफ़ होता है। पढ़ाई में मन लगा सकता है।

अगर विद्यार्थी बलहीन और बीमारग्रस्त होता है, तो वह पढ़ाई में मन लगा नहीं सकता है। वह पढ़ाई में सब बच्चों से पीछे पड़ जाता है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। इस उक्ति को दृष्टि में रखकर ही पाठशाला में खेलों के लिए स्थान दिया गया है। खेलों का बडा महत्व है। खेलों से छात्रों में होड का भाव बढता है। हर विषय में प्रथम रहने का भाव बढ जाता है।

16. बाल दिवस (బాలల దినోత్సవం)

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधान मंत्री थे। वे आधुनिक भारत के निर्माता हैं। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। बच्चे भी बडे प्यार से उनको चाचा नेहरू कहते थे। उनका जन्म नवंबर 14 को हुआ था। इसलिए हर साल नवंबर 14 को बाल दिवस मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों को छुट्टी दी जाती है।

बाल दिवस के दिन बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। स्कूलों में बच्चों के लिए लेखन, भाषण, चित्रकला आदि में प्रतियोगिता होती है। विजेताओं को पुरस्कार दिये जाते है। बच्चों से संबंधित फ़िल्मों का प्रदर्शन किया जाता है। बच्चों में मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं।

नेहरूजी के जीवन से संबंधित कुछ कार्यक्रम भी होते हैं। नेहरूजी की सेवाओं की याद करते है। कहीकहीं स्वस्थ और सुंदर बालकों को पुरस्कार देते हैं। कुछ शहरों में गरीब बच्चों को कपडे, मिठाइयाँ आदि बाँटते हैं।

17. इंटरनेट से लाभ और हानि (ఇంటర్నెట్ వలన లాభాలు – నష్టాలు)

भूमिका : आज का युग विज्ञान का युग है। वैज्ञानिक उपलब्धियों ने मानव जीवन को एक नयी दिशा प्रदान की है। इंटरनेट संचार का सबसे सरल, तेज़ और सस्ता माध्यम है। कम्प्यूटर के आविष्कार के कारण ही इंटरनेट अस्तित्व में आया। इसका प्रयोग साफ्टवेर माध्यम से किया जाता है। इसका जन्म दाता अमेरिका माना जाता है। इंटरनेट टेलीफोन की लाइनों, उपग्रहों और प्रकाशकीय केबुल द्वारा कम्प्यूटर से जुडा होता है। इसके द्वारा विश्व का समस्त जानकारी एक जगह से दूसरी पढ़ी जा सकती है। इसकी विशेषताओं के कारण ही इसका प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ रहा है।
विशेषता : इंटरनेट तो ज्ञान का अतुलनीय भंडार है। इंटरनेट में संदेश ई – मेल के माध्यम से भेजा जाता है। इसमें विभिन्न लिखित पत्र, चित्र आदि होते हैं। सूचनाएँ एकत्र करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। आज हम “इंटरनेट के माध्यम से हजारों वेब साईट देख सकते हैं।
लाभ : इंटरनेट पर बहुत संभावनाएँ उपलब्ध हैं। खासकर छात्रों के लिए यह बहुत आवश्यक है। किसी भी क्षेत्र से जुडी आवश्यक जानकारी यहाँ से प्राप्त होती है। विभिन्न देशों में फैले अपने कार्यालयों का संज्ञालन एक ही जगह पर इंटरनेट के माध्यम से किया जा सकता है। इंटरनेट असीम सूचनाओं का भंडार, सस्ता, शीघ्रता से पहुँचनेवाला है और मनोरंजन से भरपूर है। नौकरियों की भी बहुत अच्छी संभावनाएँ इसमें मौजूद हैं।
हानि : कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा इंटरनेट का दुरूपयोग किया जा रहा है। ‘कुछ लोग वायरस के द्वारा महत्वपूर्ण वेबसाइटों को नुकसान पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। कम्प्यूटर को हेक करके महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। कई हेकरों द्वारा बैंकों में सेंघ लगाई जाती है। यह देश की अर्थ व्यवस्था और उसकी सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इस तरह के अपराधिक मामलों को निबटाने विभिन्न देश कार्यरत हैं।
उपसंहार : कुछ साइबर क्रमों के होने पर भी इंटरनेट का महत्व घटता नहीं जा सकता है। आज के युग की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है यह भारत में इसका प्रचार – प्रसार तीव्र गति से बढ रहा है।

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18. सवचख भारत अभियान (స్వచ్ఛ భారత్ ప్రయోజనాలు)

भूमिका : स्वच्छ भारत अभियान को स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छता अभियान भी कहा ज़ाता है। यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है। यह भारत सरकार द्वारा 2 अक्तूबर, 2014 को महात्मा गाँधी जी की 145 वें जन्म दिवस के अवसर पर शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत में सफ़ाई के उद्देश्य को पूरा करने के लिए अमल में लाया गया है। यह एक राजनीति मुक्त और देश भक्ति से प्रेरित अभियान है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी के सपने को साकार करनेवाला यह अभियान है।
उद्देश्य : इस अभियान का उद्देश्य भारत के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को साफ़ -सुथरा, स्वच्छ रखना है। खुले में शौच समाप्त करना, अस्वास्थ्यकर शौचालयों को फ्लश शौचालयों में परिवर्तित करना, ठोस और तरल कचरे का पुनः उपयोग, लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करना, अच्छी आदतों के लिए प्रेरित करना, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सफ़ाई व्यवस्था को अनुकूल बनाना, भारत में निवेश के लिए रुचि रखनेवाले सभी निजी क्षेत्रों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना आदि है।
प्रभाव : स्वच्छ भारत बहुत प्रभावशाली और फलप्रद अभियान है। प्रधानमंत्री मोदी जी की प्रेरणा से इस के आरंभ पर लगभग 30 लाख स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों और सरकारी कर्मचारियों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री जी ने नौ हस्तियों के नामों की घोषणा की। उनसे अपने क्षेत्र में सफ़ाई अभियान को बढाने और आम जनता को उससे जुडने के लिए प्रेरित करने को कहा। हम भारतीय इसे एक चुनौती के रूप, में लें और इसे सफल बनाने अपना पूरा प्रयास जारी रखें। स्वच्छ भारत प्राप्त होने तक इस मिशन की कार्यवाही निरंतर चलती रहनी चाहिए। भौतिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक कल्याण के लिए भारतीय लोगों में इसका एहसास होना अत्यंत आवश्यक है।
उपसंहार : स्वच्छ भारत यह शक्तिशाली अभियान है। इसे बापू जी की 150 वी पुण्यतिथि (2 अक्तूबर 2019) तक पूरा करने का लक्ष्य है। अपने अथक प्रयत्नों से स्वच्छता भगवान की ओर अगला कदम है'” कहावत को साकार करके दिखायेंगे। तभी विश्व में भारत का अपना महत्वपूर्ण स्थान अक्षुण्ण रह सकेगा।

19. मोजाइल फोन (కరవాణి)

आजकल के यान्त्रिक युग में मानव को सुख – सुविधा प्रदान करनेवाले अनेक साधनों में मोबाइल फ़ोन’ प्रमुख है। इसे सेलफ़ोन और हाथ फ़ोन भी बुलाया जाता है। यह बिना तारों के लंबी दूरी का इलेक्ट्रानिक उपकरण है। इसके जरिये विश्व के जिस देश में या प्रांत में रिथत लोगों से जब चाहे तब बोलने की सुविधा है। इसे विशेष स्टेशनों के नेटवर्क के आधार पर मोबाइलविशेष आवाज़ या डेटा संचार के लिए उपयोग करते है। वर्तमान मोबाइल फ़ोन में एस.एम.एस. इंटरनेट, रोमिंग, ब्लूटूथ, कैमरा, तस्वीरें, वीडियो भेजने और् प्राप्त करने की अनेक सुविधाएँ हैं।

हमारे भारत देश में सन् 1985 में दिल्ली में मोबाइल सेवाएँ आरंभ हुई हैं। मोबाइल फ़ोन के आविष्कार से देश और विदेशों की दूरी कम हुयी। यह सभी वर्गों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इससे हमें समय, धन; तथा श्रम की बचत होती है। आपात् स्थिति में यह बहुत काम आनेवाला होता है।

इससे मिलनेवाली सुविधाएँ :

  • हम इसे अपने साथ जहाँ चाहे वहाँ ले जा सकते हैं। सब आवश्यक खबरें प्राप्त कर सकते हैं।
  • दुर्घटनाओं के होने पर पुलिस व आंबुलेन्स को तुरंत बुला सकते हैं।
  • इसके ज़रिए मनोविनोद के लिए संगीत, गीत सुन सकते है और अनेक खेल खेल संकते हैं।
  • इसमें संगणक और फ़ोन बुक भी होते हैं।
  • सारे विश्व के लोगों से इंटरनेट द्वारा संबन्ध रख सकते है और बातचीत कर सकते है।
  • वीडियो कान्फ़रेन्स कर सकते हैं।
  • दोस्त और परिवारवालों से संपर्क कर सकते हैं।
  • अपने पॉकेट में रखकर कहीं भी जा सकते हैं।
  • फ़ोन में स्थित कैमरा से चित्र निकाल सकते हैं। और उन्हें तुरंत भेज सकते हैं।

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असुविधाएँ :

अनेक सुविधाओं के होने के बावजूद मोबाइल फ़ोन संबंधी अनेक असुविधाएँ भी है, वे हैं –

  • मोबाइल फ़ोन कीमती होते हैं।
  • अधिक समय सुनते रहने से सुनने की शक्ति घटती जाती है।
  • गाडी या मोटर कार आदि चलाते समय इसके उपयोग करने से अनेक दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।
  • बूढे और बडे लोगों के लिए इस्तेमाल करने में धिक्कत हो सकती है।
  • परिमाण में छोटे होने के कारण आसानी से खो सकते हैं।
  • सब जगहों में इसकी संझाएँ नहीं मिल सकती है।
  • मित्रों व परिवार के सदस्यों के साथ बातें ‘करते ही रहने से अनेक आवश्यक काम बिगड सकते है। इस तरह हम देखते हैं कि मोबाइल फ़ोन से अनेक सुविधाओं के मिलने पर भी कुंछ असुविधाएँ भी हैं। अतः उसका इस्तेमाल सही रूप से करके अपने आवश्यक मुख्य कार्यों को संपन्न करना हमारा मुख्य कर्तव्य है।

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