TS 9th Class Hindi Guide उपवाचक 4th Lesson अपना स्थान स्वयं बनायें

Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material उपवाचक 4th Lesson अपना स्थान स्वयं बनायें Textbook Questions and Answers.

TS 9th Class Hindi Guide Upavachak 4th Lesson अपना स्थान स्वयं बनायें

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
बादशाह को कैसे आदमी की ज़रूरत थी ?
(చక్రవర్తికి ఎటువంటి వ్యక్తి అవసరమయ్యెను?)
उत्तर :
बादशाह को एक अच्छे आदमी की ज़रूरत थी।
(చక్రవర్తికి మంచివాడైన ఒక వ్యక్తి అవసరమయ్యెను.)

प्रश्न 2.
युवक ने कार्यालय को शाही कार्यालय के रूप में कैसे बदला ?:
(యువకుడు కార్యాలయమును రాజకార్యాలయముగా ఎలా మార్చాడు?)
उत्तर :
बादशाह ने युवक को पंद्रह रुपयों के वेतन पर अपने निजी कार्यालय का चपरासी नियुक्त किया। मंत्री बहुत दुःखित हुआ। युवक को कार्यालय में छोड़ आया। वह युवक तो अपने बादशाह की सेवा करने का मौका दिलाने से बहुत खुश हुआ। वह कार्यालय तो धूल से भरा था। तब युवक ने लगातार कई दिनों तक उस कार्यालय को साफ़कर उसका रूप ही बदल डाला। उसे शाही कार्यालय के रूप में बदल दिया। कार्यालय की छोटी कोठरी की सजावट भी बढिया फ़र्नीचर और चित्रादि लगाकर कर दी।

(చక్రవర్తి యువకుడిని పదిహేను రూపాయల జీతానికి తన స్వంత కార్యాలయానికి బంట్రోతుగా నియమించారు. మంత్రి చాలా బాధపడ్డాడు. యువకుణ్ణి కార్యాలయంలో వదిలివచ్చాడు. ఆ యువకుడైతే తమ చక్రవర్తికి సేవ చేసెడి అవకాశం ఇప్పించినందుకు చాలా సంతోషించాడు. ఆ కార్యాలయము దుమ్ముతో నిండిపోయి ఉంది. అప్పుడు యువకుడు నిరంతరం చాలా రోజులపాటు ఆ కార్యాలయాన్ని శుభ్రము చేసి దాని రూపాన్నే మార్చేశాడు. దానిని రాజకార్యాలయంగా తీర్చిదిద్దాడు. కార్యాలయం యొక్క చిన్న గదిని కూడా గొప్ప ఫర్నీచరు చిత్రములతో అలంకరించాడు.)

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प्रश्न 3.
युवक ने अपना स्थान स्वयं कैसे बनाया ?
(యువకుడు తన స్థానాన్ని స్వయముగా ఎలా నిలబెట్టుకున్నాడు ?)
उत्तर :
युवक तो होशियार और परिश्रमी था। उसने बादशाह के कार्यालय की छोटी कोठरी की जाँच की। वहाँ सोने की पच्चीकारी और रत्नों से जडे लिफ़ाफ़े पडे हुए थे। युवक ने कारीगर लगाकर सब क़ीमती सामान उतरवालिया और बाज़ार में बेच दिया। उसने जो रुपये मिले उनसे बढिया फ़र्नीचर और चित्रादि लगाने में खर्च किये। बाकी रुपये सरकारी खजाने में जमा किये। बेचे माल की और खरीदे माल की रसीद ले ली। बादशाह के पूछने पर सारा परिचय दिया और सच्चाई बता दी। बादशाह ने प्रसन्न होकर उसे अपना वित्तमंत्री बना लिया।

वित्त मंत्री बनने के बाद उसकी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ गयी। वह कभी भी बेइमानी नहीं करता और न किसी को करने देता। वह एक एक पैसे का भी बराबर हिसाब लगाता था। इसी बीच दूर के इलाके से आये राज कर में एक पैसा कम हुआ। बादशाह ने अपनी जेब से एक पैसा देकर हिसाब ठीक करने को कहा लेकिन युवक ने विनयपूर्वक मना करते हुए कहा हुजूर पैसा तो मैं भी डाल सकता हूँ, यदि पैसा कम है और उसके लिए पूछताछ न हुई तो इससे अफ़सरों में ढील और बोईमानी पैदा हो सकती है। इन बातों से बादशाह बहुत खुश हुए और युवक को उन्होंने अपना प्रधान मंत्री बना लिया इस तरह एक साधारण युवक चपरासी पद से प्रधान मंत्री पद तक पहुँचकर अपना स्थान स्वयं बना लिया।

(యువకుడైతే తెలివిగలవాడు, కష్టపడేవాడు. అతను చక్రవర్తిగారి కార్యాలయము యొక్క చిన్న గదిని పరిశీలించాడు. అక్కడ బంగారం, రత్నాలు పొదగబడిన కవర్లు పడి ఉండుట, చూశాడు. యువకుడు పనివాండ్రచే అన్నిటి మీద విలువైన సామానులు తీయించి బజారులో అమ్మేశాడు. వచ్చిన ధనంతో మంచి ఫర్నీచరు, చిత్రములకు ఖర్చుచేసి మిగిలిన ధనాన్ని రాజకోశంలో జమచేశాడు. అమ్మిన, కొన్న సరుకులకు రశీదులు తీసుకున్నాడు. చక్రవర్తి అడిగిన మీదట వివరం అంతా చెప్పి వాస్తవాన్ని వివరించాడు. చక్రవర్తి సంతోషించి అతడ్ని తన ఆర్థికమంత్రిగా నియమించారు.

ఆర్థికమంత్రి అయిన తరువాత అతని బాధ్యత మరింత పెరిగింది. అతడు నమ్మకద్రోహం చెయ్యడు. ఎవరినీ చేయనివ్వడు. ఒక్కొక్క పైసా కూడా లెక్కచూసేవాడు. అప్పుడే దూర ప్రాంతము నుండి వచ్చిన రాజ్య పన్నులో ఒక పైసా తక్కువైంది. చక్రవర్తి తన జేబులో నుండి ఒక పైసా ఇచ్చి లెక్క సరిచేయమని చెప్పారు. కాని యువకుడు వినయంగా తిరస్కరిస్తూ అయ్యా పైసా నేను కూడా వెయ్యగలను. పైసా తక్కువైనప్పుడు దాని గురించి విచారణ జరుగకపోతే అధికారులలో అలసత్వము, నమ్మకద్రోహం కలుగుతాయి అని చెప్పాడు. ఈ మాటలతో చక్రవర్తి మిక్కిలి సంతోషించి ఆ యువకుణ్ణి తన ప్రధానమంత్రిగా చేశారు. ఈ విధముగ ఒక సాధారణ యువకుడు బంట్రోతు పదవి నుండి ప్రధానమంత్రి పదవికి చేరి తన స్థానాన్ని స్వయంగా నిలబెట్టుకున్నాడు.)

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
पठित – वाद्यांश :

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक बाक्य में दीजिए।

I. एक बादशाह था। उसने एक दिन अपने मंत्री से कहा, “मुझे अपने लिए एक आदमी की ज़रूरत है। आपकी दृष्टि में कोई होतो ले आएँ, पर इतना ध्यान रखें की आदमी अच्छा हो।”
बहुत दिनों की जाँच – पड़ताल के बाद मंत्री को एक आदमी सही लगा। उसने उसकी नौकरी छुड़ा दी और उन्नति का आश्वासन देकर बादशाह के सामने पेश किया। बहुत देर तक तो बादशाह को अपने बात ही याद न आई, बाद में बोले, “हहाँ, उस मसय शायद कोई बात मन में थी, पर अब तो कोई बात नहीं है।”

प्रश्न :
1. बादशाह ने एक दिन अपने मंत्री से क्या कहा ?
2. बहुत दिनों की जॉच-पडताल के बाद किसे एक आदमी सही लगा ?
3. मंत्री ने उस आदमी को क्या आश्वासन देकर बादशाह के सामने पेश किया ?
4. बहुत देर तक अपनी बात किसे याद नहीं आयी?
5. उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से दिया गया है?
उत्तर :
1. बादशाह ने एक दिन अपने मंत्री से कहा, मुझे अपने लिए एक आदमी की ज़रूरत है। आप की दृष्टि में कोई हो तो लें आएँ, पर इतना ध्यान रखें कि आदमी अच्छा हो।”
2. बहुत दिनों की जाँच पडताल के बाद मंत्री को एक आदमी सही लगा।
3. मंत्री ने उस आदमी को उन्नति का आश्वासन देकर बादशाह् के सामने पेश किया।
4. बहुत देर तक अपनी बात बादशाह को याद नहीं आयी।
5. उपर्युक्त गद्यांश ‘अपना स्थान स्वयं बनार्ये’ नामक उपवाचक पाठ से दिया गया है।

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II. “यहीं के रुपयों से हुज़ू!”‘ कहकर उसने रह्दी लिफ़ाफ़ों की कहानी सुन्ताई और ख़जांची से गवाही दिलाई कि सामान खरीदने के बाद बचा हुआ रुपया ख़जाने में जमा किया गया है। बादशाह प्रसत्र हुए और उन्होंने युवक को अपने राज्य का वित्तमंत्री बना दिया । दूसरे मंत्री इससे परेशान हुए क्योंकि न वह बेईमानी करता था, न करने देता था। जो भी मंत्री बादशाह के पास जाता, किसी – न – किसी बहाने उस युवक की शिकायत करता जिससे कि वह बादशाह की नज़रों से गिर जाए।

प्रश्न :
1. बादशाह् ने प्रसत्र होकर उस युवक को किस पद पर नियक्त किया ?
2. युवक ने सामान ख़ीदने के बाद बचा हुआ रुपया कहाँ जमा किया ?
3. बादशाह्. ने युवक को वित्तमंत्री बना देने से कौन पेरशान हुए ?
4. दूसरे मंत्री क्यों परेशान हुए?
5. बादशाह को रद्दी लिफ़ाफ़ों की कहानी कौन सुनाई ?
उत्तर :
1. बादशाह् ने प्रसन्न होकर उस युवक को अपने राज्य का वित्तमंत्री पद पर नियुक्त किया।
2. युवक ने सामान खरीदने के बाद बचा हुआ रुपया खजाने में जमा किया।
3. बादशाह ने युवक को वित्तमंत्री बना देने से दूसरे मंत्री परेशान हुए।
4. दूसरे मंत्री इसलिए परेशान हुए कि वह युवक न बेईमानी करता था और न करने देता था।
5. बादशाह को रद्दी लिफ़ाफ़ों की कहानी युवक ने सुनाई।

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III. कुछ ही समय में सब बादशाह के बड़े कमरे में आ गए। आठ में से सात मंत्री नशे में थे। उनमें से कुछ जुआ खेल रहे थे। वित्तमंत्री जी बनियन पहने एक चौकी पर बैटे दिये की रोशनी में कोई कागज़ देख रहे थे। सब मंत्री बुहत लज्रित हुए। तब बादशाह ने वित्तमंत्री से पूछा, “जनाब, रात के दो बजे किस कागज़ में उलझे हुए थे?”‘ उसने उत्तर दिया, “हुजूर, दूर के इलाक़े से इस साल का राज – कर आया है, उसमें पिछले साल से एक पैसा कम है तो बार – बार देख रहा था कि जोड में भूल या सचमुच पैसा कम है।”

प्रश्न :
1. उस समय वित्तमंत्री क्या कर रहे थे ?
2. कुछ ही समय में सब किसके बड़े कमरे में आगये ?
3. कुछ क्या खेल रहे थे ?
4. नशे में कितने मंत्री थे ?
5. बादशाह ने वित्तमंत्री से क्या पूछा ?
उत्तए :
1. उस समय वित्त मंत्री जी बनियन पहने एक चौकी पर बैठ दिये की रोशनी में कोई कागज़ देख रहे थे।
2. कुछ ही समय सब बादशाह के बडे कमरे में आ गये।
3. कुछ जुआ खेल रहे थे।
4. नशे में सात मंत्री थे।
5. बादशाह ने वित्तमंत्री से पूछा कि ‘जनाब रात के दो बजे किस कागज में उलझे हुए थे?”

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IV. एक दिन रात को दो बजे बादशाह ने अपने सेनापति को बुलाकर कहा, हमारे सब मंत्रयों को उनके घरों से उठाकर इस कमरे में ले आओ। हाँ, वे जिस हालत में हो, उसी हालत में लाए जाएँ। समझ लो, हमारे हुक्म को। अगर कोई प्लंग पर सो रहा हो तो उसे पलंग सहित ज्यों का त्यों लाया जाए और कोई कालीन पर बैठा चौपड़ खेल रहा हो तो उसे कालीन समेत लाया जाए।'”
कुछ ही समय में सब बादशाह के बडे कमरे में आ गए। आठ में से सात मंत्री नशें में थे।

प्रश्न :
1. बादशाह ने अपने सेनापति को बुलाकर कब कहा ? (किस समय में कहा?)
2. एक दिन रात को दो बजे बादशाह ने अपने सेनापति को बुलाकर क्या कहा ?
3. कुछ ही समय में सबं कहाँ आ गए ?
4. नशे में कितने मंत्री थे ?
5. उपर्युक्त गद्यांश में किस के हुकुम के बारे में बताया गया है?
उत्तर:
1. रात के दो बजे बादशाह् ने अपने सेनापति को बुलाकर कहा।
2. एक दिन रात को दो बजे बादशाह ने अपने सेनापति को बुलाकर कहा ‘हमारे सब मंत्रियों को उनके घरों से उठाकर इस कमरे में ले आओ। हाँ, वो जिस हालत में हों, उसी हालत में लाया जाएँ। समझ लो, हंमारे हुकुम को।
3. कुछ ही समय में सब बादशाह के बडे कमरे में आ गए।
4. नशे में सात मंत्री थे।
5. उपर्युक्त गद्यांश में बादशाह के हुकुम के बारे में कहा (बताया) गया है।

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సారాంశము :

ఒక చక్రవర్తి ఉండెను. ఆయన ఒకరోజు తన మంత్రిని పిలిచి నాకు, నా కోసం ఒక మనిషి అవసరం. మీ దృష్టిలో ఎవరైనా ఉంటే తీసుకురండి, కాని గుర్తుంచుకోండి అతడు మంచివాడై ఉండాలి అని అన్నారు.

చాలా రోజుల పరిశీలన తరువాత మంత్రికి ఒక వ్యక్తి సరియైన వాడనిపించాడు. ఆయన అతని సేవ (ఉద్యోగము) మాన్పించి, ఉన్నత స్థితి నమ్మకాన్ని కలిగించి చక్రవర్తి ముందు ప్రవేశపెట్టాడు. చాలా సేపటివరకు చక్రవర్తికి తన మాటే గుర్తుకు రాలేదు. తరువాత, అవును, ఆ సమయాన బహుశా ఏదో విషయం మనస్సులో ఉంది. కాని ఇప్పుడైతే ఏమీ లేదు ? అని అనిరి.

అయ్యా, నేను ఇతడిని వేలమందిలో నుండి ఎంపిక చేశాను. ఉన్నతమైన ఉద్యోగమును మాన్పించి ఇతనిని తీసుకువచ్చాను. అని మంత్రి అనెను. చక్రవర్తి కొంత సేపు ఆలోచించి మా దగ్గరైతే ఇప్పుడు ఏ పనీలేదు కాని నీవు ఇంతగా చెబుతున్నావు కాబట్టి మేము మా స్వంత కార్యాలయంలో నియమించగలము. జీతం పదిహేను రూపాయలు. ఇవ్వబడుతుంది అని చెప్పిరి.

మంత్రికి ఇది నచ్చలేదు. కాని ఆ యువకుడు నాకు మీరు చక్రవర్తి సేవ చేసెడి అవకాశం ఇప్పించడమే అన్నిటికన్నా గొప్ప వేతనము అని చెప్పి సిద్ధపడ్డాడు. మంత్రి అతడిని కార్యాలయంలో వదలడానికి వెళ్ళేసరికి అక్కడ దుమ్ము పేరుకుని ఉంది. ఎందుకంటే చక్రవర్తి అక్కడికి ఎప్పుడూ వెళ్ళేవారు కాదు, పని చేసేవారు కాదు. మంత్రి బాధపడ్డాడు. కాని యువకుడు సంతోషంగా ఉన్నాడు. మంచి స్థానాన్ని ఇప్పించినందులకు అతడు మంత్రికి కృతజ్ఞత ప్రకటించాడు. అతడు నిరంతరం చాలా రోజుల వరకు ఆ కార్యాలయాన్ని శుభ్రం చేసి దాన్ని రాజకార్యాలయంగా తీర్చిదిద్దాడు.

ఆ కార్యాలయంలో ఒక చిన్న గది ఉంది. యువకుడు దాన్ని నిశితంగా పరిశీలించగా గడచిన సం॥లలో చక్రవర్తి దగ్గర చాలా కవర్ల మీద బంగారపు నగిషీ పని జరిగి, రత్నాలు పొదగబడి ఉన్నాయని తెలిసింది. ఇవి వివాహము వంటి శుభ సందర్భాలలో ఇతర చక్రవర్తులు, ధనికులైన సామంతుల దగ్గర నుండి వచ్చినవి. యువకుడు నైపుణ్యం గల పనివాళ్ళను నియమించి విలువైన సామానంతటినీ కవర్ల నుండి తొలగింపచేశాడు. బజారులో అమ్మేశాడు. దీనితో అనేక వేలరూపాయలు లభించాయి. వాటిలో నుండి కొన్ని రూపాయలను అతడు గొప్ప ఫర్నీచరు, చిత్రములు వేయుటకు ఖర్చు పెట్టాడు. మిగిలిన రూపాయలను రాజకోశాధిగారంలో జమ చేయించాడు. సామాను అమ్ముడుపోయినచోట రశీదు తీసుకున్నాడు. ఈ సామాను కొన్నచోట కూడా రశీదు తీసుకున్నాడు.

ఇప్పుడు ఆ ప్రదేశం నిజంగా రాజులకు సంబంధించినదైనది. అతడు ధనాన్ని దోచేస్తున్నాడని చాడీకోరులు చక్రవర్తికి అతనిపై ఫిర్యాదులు చేశారు. ఒకనాడు చక్రవర్తి కోపంగా వచ్చి చూచి నిశ్చేష్టులైరి. అయినప్పటికీ ఈ అలంకరణ ఎవరి డబ్బుతో చేశావు ? అని గట్టిగా ప్రశ్నించారు.

అయ్యా ఇక్కడి ధనముతోనే అని చెప్పి అతను పాడైపోయిన కవర్ల కథ చెప్పి సామాను కొన్న తరువాత మిగిలిన ధనం రాజకోశాగారంలో జమ చేయించబడినదని కోశాధికారిచే సాక్ష్యం ఇప్పించాడు. చక్రవర్తి సంతోషించి ఆ యువకుణ్ణి తన రాజ్య ఆర్థికమంత్రిని చేశారు. మిగిలిన మంత్రులు దీనితో వ్యాకులపడ్డారు. ఎందుకంటే అతడు నమ్మకద్రోహం చెయ్యడు, చెయ్యనివ్వడు. చక్రవర్తి దగ్గరికి వెళ్ళిన ప్రతి మంత్రి ఏదో ఒక నెపంతో ఆ యువకుడిని చక్రవర్తిగారి దృష్టిలో చెడ్డవాడిగా నిరూపించాలని అతనిపై ఫిర్యాదులు చేసేవారు.

ఒకరోజు రాత్రి రెండు గంటలకు చక్రవర్తి తన సేనాపతిని పిలిచి మన మంత్రులందరినీ వారి ఇళ్ళ నుండి ఈ గదికి తీసుకురా వెళ్ళు. వారు ఉన్న స్థితిలో ఉన్నట్లుగా తీసుకురా. ఇది మా ఆజ్ఞగా భావించు. ఎవరైనా మంచం మీద నిద్రిస్తున్నా వారిని మంచంతోపాటు ఉన్నవాళ్ళు ఉన్నట్లుగా తీసుకురా, తివాచీ మీద కూర్చొని పచ్చీసు ఆడుతున్నా వారిని తివాచీతో సహా తీసుకురావాలి అని చెప్పిరి.

కొద్ది సమయంలోనే అందరూ చక్రవర్తిగారి పెద్ద గదికి వచ్చారు. ఎనిమిదిలో ఏడుగురు మంత్రులు మత్తులో ఉన్నారు. వారిలో కొద్దిమంది జూదం ఆడుచుండిరి. ఆర్థికమంత్రిగారు బనియన్ ధరించి ఒక పీటమీద కూర్చొని దీపపు వెలుగులో కాగితాలు చూస్తూ ఉండిరి. మంత్రులందరూ సిగ్గుపడ్డారు. అప్పుడు చక్రవర్తి ఆర్థికమంత్రిని – ఏవండీ, రాత్రి రెండు గంటలప్పుడు ఏ కాగితాలలో చిక్కుకుపోయారు ? అని ప్రశ్నించారు. అయ్యా, దూరప్రాంతం నుండి ఈ సంవత్సరపు రాజ్యపన్ను వచ్చిన దానిలో గత సంవత్సరము నుండి ఒక పైసా తక్కువైతే కూడికలో తప్పు ఏదైనా ఉందా లేక నిజంగా -పైసా తక్కువైందా అని చూస్తున్నాను. అని అతడు సమాధానము ఇచ్చాడు.

చక్రవర్తి తన జేబులో నుండి ఒక పైసా విసురుతూ తీసుకో ఇప్పుడు లెక్క సరిచేసి వెళ్ళి విశ్రాంతి తీసుకో అని చెప్పిరి. ఆర్థికమంత్రి వినయంగా పైసా తిరిగి ఇస్తూ అయ్యా పైసా అయితే నేను కూడా వేయగలను. కాని పైసా తక్కువై దాని గురించి విచారణ జరగకపోయినట్లయితే దీనివలన అధికారులలో అలసత్వము, నమ్మకద్రోహం తలెత్తవచ్చు అని చెప్పెను.
చక్రవర్తి మిక్కిలి సంతోషించి ఆ యువకుడిని తన ప్రధానమంత్రిగా చేసుకొనెను.

– కనైయాలాల్ మిశ్రా ప్రభాకర్

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