Telangana SCERT TS 9th Class Hindi Study Material उपवाचक 1st Lesson तारे ज़मीं पर Textbook Questions and Answers.
TS 9th Class Hindi Guide Upavachak 1st Lesson तारे ज़मीं पर
प्रश्न – ప్రశ్నలు :
प्रश्न 1.
बच्चों के प्रति निकुंभ सर के विचार कैसे हैं?
(పిల్లల యెడల నికుంభ్గారి అలోచనలు ఎటువంటివి?)
उत्तर :
रामशंकर निकुंभ सर पाठशाला में काम करनेवाले एक कला अध्यापक थे । वे बडे सहृयी, प्रेममयी, दयालू और होशियार व्यक्ति थे। बच्चों के प्रति उनके विचार बडे उदार थे। वे जानते थे कि बच्चे ओस की बूँदों की तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं। साथ ही हर एक बच्चे को किसी न किसी विषय के प्रति श्रद्धा होती है। इसलिए पढाई के साथ – साथ श्रद्धा रखनेवाले विषय की ओर बचों को प्रोत्साहन दें तो वे जरूर उसमें सफल होते विद्व्त्ता दिखाकर महान व्यक्ति बनते। अपने और देश का नाम उज्वल करते। ज़बरदस्ती बच्चों को पढाने का प्रयन्म करना ठीक नहीं है । ऐसा करने से बच्चा निकम्मा बन जाता है । इतना ही नहीं बच्चों में अच्छे गुण बोने से वे उत्तम चरित्रवाले होते हैं। निकंभ सर इसी विचाए के रखनेवाले हैं। इसीलिए ही ईशान का दिल पहचानकर उसे श्रेष्ठ कलाकार बना दिया ।
(రామశంకర్ నికుంభ్రు పాఠశాలలో పనిచేసే డ్రాయింగ్ (కళ) ఉపాధ్యాయులు. వారు మిక్కిలి సహృదయులు, ప్రేమమూర్తి, దయాళువు, తెలివిగల వ్యక్తి. పిల్లల యెడ ఆయన ఉద్దేశ్యాలు చాలా ఉదారమైనవి. పిల్లలు మంచు బిందువులవలె స్వచ్ఛమైన, పవిత్రమైన వారు అని దానితోపాటు ప్రతి పిల్లవానికి ఏదో ఒక విషయంలో ఆసక్తి ఉంటుందని ఆయనకు తెలుసు. అందువలన చదువుతోపాటు ఆసక్తి ఉన్న విషయంలో పిల్లల్ని ప్రోత్సహిస్తే వారు . తప్పక సఫలీకృతులు అవుతారు. నైపుణ్యం చూపించి గొప్ప వ్యక్తులు అవుతారు. తమకు, దేశానికి మంచిపేరు తెస్తారు. బలవంతంగా పిల్లలను చదివించెడి ప్రయత్నం సరియైనది కాదు. ఆ విధంగా చేయడం వల్ల పిల్లవాడు కొరగానివాడు అవుతాడు.
ఇదియే కాదు పిల్లల్లో మంచి గుణములు నాటుట వలన వారు ఉన్నతమైన శీలవంతులు అవుతారు. నికుంభ గారు ఈ ఆలోచనే (ఉద్దేశ్యము) కలిగిన వారు. అందువలననే ఈశాన్ మనస్సు తెలుసుకొని అతనిని గొప్ప కళాకారునిగా తీర్చిదిద్దారు.)
प्रश्न 2.
बच्चों के जीवन में पाठशाला की क्या भूमिका होनी चाहिए?
(పిల్లల జీవితంలో పాఠశాల పాత్ర ఏమై ఉండాలి?)
उत्तर :
छोटे बच्चे तो ओस की बूँदों की तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं। अकसर वे खेलते – खेलते सब सीख लेते हैं। जब वे ज्ञानार्जन के योग्य बनते हैं तो उन्हें पाठशाला में भर्ती करते हैं। पाठशाला उनके लिए मंदिर जैसा है । यहीं से बच्चों का सर्वांगीण उन्नति आरंभ होती है। ऐसा महत्व रखनेवाली पाठशाला में उनको सदाचार, सहृदयता, भाईचारे क्री भावना, अनुशासन, विषयज्ञान, कलाओं के प्रति आसक्ति आदि अनेक उत्तम गुण सिखाये जाते हैं। पाठशाला में ज्ञानार्जन करते समय ही बच्चे अपने भविष्य जीवन के लिए आवश्यक नीव डालते जाते हैं। अतः पाठशाला ही बच्चों को उनके जीवन में सुनागरिक बनने आवश्यक चरित्र गुण सिखानेवाला सचा पुण्य स्थल है। इस तरह बच्चों के जीवन में पाठशाला की प्रमुख भूमिका रहती है ।
(చిన్న పిల్లలు మంచు బిందువుల వలె స్వచ్ఛమైన ఉత్తములు. సాధారణంగా వారు ఆడుతూ పాడుతూ అన్నీ నేర్చుకుంటారు. వారు జ్ఞానము పొందేందుకు యోగ్యులైనప్పుడు వారిని పాఠశాలలో చేరుస్తారు. పాఠశాల వారికి దేవాలయము వంటిది. ఇక్కడ నుండే పిల్లల సర్వతోముఖాభివృద్ధి ప్రారంభమవుతుంది. అట్టి విలువను కలిగిన పాఠశాలలో వారికి సత్ప్రవర్తన, మంచితనము, సోదరతత్వము, క్రమశిక్షణ, విషయ జ్ఞానము, కళల యెడ అభిరుచి వంటి అనేక గొప్ప గుణాలు నేర్పించబడతాయి. పాఠశాలలో చదివేటప్పుడే పిల్లలు తమ భావి జీవితానికి అవసరమైన పునాదులు వేసుకుంటారు. కనుకనే పాఠశాలే పిల్లలకు వారి జీవితంలో ఉత్తమ పౌరులుగా మారుటకు అవసరమైన మంచి గుణములు నేర్పించెడి నిజమైన పుణ్యక్షేత్రము. ఈ విధముగ పిల్లల జీవితంలో పాఠశాలకు చాలా విలువైన స్థానము ఉన్నది.)
प्रश्न 3.
‘तारे ज़मीं पर’ समीक्षा का संदेश क्या है?
(‘తారే జమీఁ పర్” సమీక్ష సందేశం ఏమిటి ?)
उत्तर :
‘तारे ज़मी पर’ हिंदी के एक संदेशात्मक और विचारात्मक फ़िल्म है। इसमें बाल मनोविज्ञान संबंधी विषयों का स्पष्टीकरण हुआ है।
आज के बच्चे कल के नागरिक हैं। मानव जीवन में बाल्यावस्था ही मुख्य स्थिति है। हर एक बच्चे में कोई न कोई विशेषता छिपी रहती है। घढ़ाई के समय में ही बच्चों की आसक्ति जिस विषय में है, उसे पहचानकर आवश्यक प्रोत्साहन देना है। इससे अपने मनचाहे विषय में निपुणता पाकर आदर्शमय व्यक्ति बनता है। दूसरों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है। अपने ज्ञान से समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करके जाति और देश का गोरव ऊँचा कर सकता है। यही इस फ़िल्म की समीक्षा का संदेश है।
(తారే జమీఁ పర్ హిందీ’ సందేశాత్మక మరియు విచారాత్మక సినిమా. ఇందులో బాలల మానసిక విజ్ఞానం సంబంధించి స్పష్టీకరించబడింది.
ఈనాటి పిల్లలు, రేపటి పౌరులు. మానవ జీవితంలో బాల్యావస్థ ముఖ్యమైన స్థితి. ప్రతి ఒక్క పిల్లవాడిలో ఏదో ఒక ప్రత్యేకత దాగి ఉంటుంది. చదువుకునే సమయంలో పిల్లల ఆసక్తి ఏ విషయంలో ఉందో, దానిని గుర్తించి అవసరమైన ప్రోత్సాహం ఇవ్వాలి. దీనివల్ల ఇష్టమైన విషయంలో నిపుణత సాధించి ఆదర్శ వ్యక్తి అవుతాడు. ఇతరులకు మార్గదర్శకుడు కాగలడు. తమ జ్ఞానం ద్వారా సమాజంలో శ్రేష్ఠ స్థానం పొంది జాతి, దేశ గౌరవాన్ని నిలుపగలడు. ఇదే ఈ సమీక్ష యొక్క సందేశం.)
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
पठित गद्यांश :
निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
I. बच्चे ओस की बूँदों की तरह थुद्ध कौर पवित्र होते हैं। वे कल के नाठरिक हैं। आजकल प्राय: घर – घर से ‘टॉपर्स’ और ‘रैंकर्स’ तैयार करने की कोशिश की जा रही है। कई लोग यह नहीं सोचते कि बच्यों के मन कें क्या है? वे क्या सोचते हैं? उनके क्या विचार हैं?
प्रश्न :
1. बच्चे कैसे होते हैं?
2. कई लोग क्या नहीं सोचते ?
3. आज घर – घर में क्या कोशिश की जा रही है?
4. कल के नागरिक कौन हैं?
5. उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से दिया गया है?
उत्तर :
1. बचे ओस की बूँदों की तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं।
2. कई लोग यह नहीं सोचते कि ‘बच्चों के मन में क्या हैं?’ वे क्या सोचते हैं? उनके विचार क्या हैं?’
3. आज घर – घर में ‘टॉपर्स’, और ‘रैंकर्स’ तैयार करने की कोशिश की जा रही है।
4. आज के बच्चे कल के नागरिक हैं।
5. उपर्युक्त गद्यांश ‘तारे ज़मी पर’ नामक उपवाचक पाठ से लिया गया है।
II. आठ वर्षीय ईथान अवस्थी (दर्शील सफ़ारी) का मन पढ़ाई के बजाय कुत्तों, मछलियों और पेंटिंग कें लगता है। उसके माता – पिता चाहते हैं कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता । ईथान घर पर माता – पिता की डाँट खाता है और स्कूल ‘ में अध्यापकों की । कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि ईशान पढ़ाई पर ध्याज क्यों नहीं दे रहा है। इसके बजाय वे ईशान को बोर्डिंग स्कूल केज देते हैं।
प्रश्न :
1. ईशान अवस्थी का मन किसमें लगता है?
2. ईशान को अपने माता – पिता कहाँ भेज देते हैं?
3. ईशान के माता – पिता क्या चाहते हैं?
4. ईशान घर पर किसकी डाँट खाता है?
5. ईशान कितने वर्ष का लडका है?
उत्तर :
1. ईशान अवस्थी का मन पढ़ाई के अलावा (बजाय) कुत्तों, मछलियों और पेंटिंग में लगता है।
2. ईशान को अपने माता – पिता बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं।
3. ईशान के माता – पिता चाहते हैं कि ईशान अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे।
4. ईशान घर. पर माता -पिता की डॉट खाता है।
5. ईशान आठ वर्ष का लडका है।
III. खिलखिलाता ईशान वहाँ जाकर मुरझा जाता है। वह हमेशा सहमा और उदास रहने लठता है। उस पर निगाह जाती है ‘कला अध्यापक रामशंकर निकुंभ (आमिर खान) की। निकुंभ सर उसकी उदासी का पता लठाते हैं और उन्हें पता चलता है कि ईशान बहुत प्रतिभाशाली है, लेकिन डिसलेक्सिया की समस्या से पीड़ित है। उसे अक्षरों को पढ़ने में तपलीफ़ होती है। अपने प्यार और दुलार से निकुंभ सर ईशान के अंदर छिपी प्रतिभा सबके सामने लाते हैं।
प्रश्न :
1. ईशान किस समस्या से पीडित है ?
2. ईशान की उदासी का पता कौन लगाते हैं?
3. नुकंभ सर ईशान के अंदर छिपी प्रतिभा सबके सामने कैसे लाते हैं?
4. ईशान हमेशा कैसे रहने लगता है?
5. रामशंकर निकुंभ कौन है?
उत्तर :
1. ईशान डिसलेक्सिया की समस्या से पीडित है।
2. ‘ईशान की उदासी का पता ‘कला अध्यापक’ राम शंकर निकुंभ लगाते हैं।
3. अपने प्यार और दुलार से निकुंभ सर ईशान के अंदर छिपी हुई प्रतिभा सब के सामने लाते हैं।
4. ईशान हमेशा सहसा और उदास रहने लगता है।
5. रामशंकर निकुंभ एक कला अध्यापक है।
IV. सबसे बड़ी बात यह है कि ईशान के माध्यम से बच्चे में छिपी प्रतिभा सुंदर ढंग से उभारी गयी है। फ़िल्म के अंत में इसका परिचय ईशान की चित्रकारी से होता है। चित्रकारी प्रतियोगिता में उसे प्रथम पुरस्कार मिलता है। इसी दृश्य में आमिर ने उसकी मासूमियत को अपने चित्र से उभारा है। इस तरह शिष्य अपने अध्यापक की प्रेरणा से किस तरह आगे बढ़ सकता है, इसका प्रमाण ही यह फ़िल्म है।
प्रश्न :
1. सबसे बड़ी बात क्या है?
2. यह फिल्म किसका प्रमाण है ?
3. चित्रकारी प्रतियोगिता में किसे प्रथम पुरस्कार मिलता है?
4. ईशान की चित्रकारी से परिचय कब होता है?
5. उपर्युक्त गद्यांश में एक फ़िल्म के बारे में बताया गया है। उस फ़िल्म का नाम क्या है?
उत्तर:
1. सब से बडी बात यह है कि ईशान के माध्यम से बच्चे में छिपी प्रतिभा सुंदर ढंग से उभारी गयी है।
2. शिष्य अपने अध्यापक की प्रेरणा से किस तरह आगे बढ़ सकता है, इसका प्रमाण ही यह फ़िल्म है।
3. चित्रकारी प्रतियोगिता में ईशान को प्रथम पुरस्कार मिलता है।
4. ईशान की चित्रकारी से परिचय हमें फ़िल्म के अंत में होता है।
5. उपर्युक्त गद्यांश में एक फ़िल्म के बारे में बताया गया है। उस फ़िल्म का नाम है – “तारे जरी पर”
సారాంశము :
పిల్లలు మంచు బిందువుల వలె స్వచ్ఛమైన, పవిత్రమైనవారు. వారు రేపటి పౌరులు. ప్రస్తుతం బహుశ ప్రతి ఇంటి నుండి టాపర్లను, ర్యాంకర్లను తయారుచేసెడి ప్రయత్నము చేయబడుచూ ఉన్నది. పిల్లల మనసులో ఏమున్నది? వారు ఏమి ఆలోచిస్తున్నారు ? వారి ఉద్దేశ్యములు ఏమిటి ? అని చాలా మంది ఆలోచించరు.
ఈ సమస్యలనే ఆమిర్ ఖాన్ తన సినిమా “తారే జమీఁ పర్’లో చూపించాడు. సినిమా కథ ఈ విధముగా ఉన్నది.
ఎనిమిది సంవత్సరముల ఈశాన్ అవస్థీ (దర్శీల్ సఫారీ) మనస్సు చదువుకు బదులుగా కుక్కలు, చేపలు, బొమ్మలు గీయడంపై శ్రద్ధ చూపుతుంది. తమ పిల్లవాడు తన చదువు మీద శ్రద్ధ చూపాలని అతని తల్లి తండ్రి అనుకుంటారు. కాని ఫలితం లేదు. ఈశాన్ ఇంటి దగ్గర తల్లి తండ్రి, స్కూల్లో ఉపాధ్యాయులచే మందలింపబడతాడు. అంతేకాని ఈశాన్ చదువుపై ఎందుకు శ్రద్ధ చూపడం లేదని ఎవరూ తెలుసుకొనే ప్రయత్నం చెయ్యరు. దీనికి బదులుగా వారు ఈశాన్ను బోర్డింగ్ స్కూలుకు పంపుతారు.
నవ్వుతూ ఉండే ఈశాన్ అక్కడికి వెళ్ళి పువ్వులా వాడిపోతాడు. ఎప్పుడూ అతను సంకోచంగా, నిరాశగా ఉంటాడు. డ్రాయింగ్ టీచర్ (ఆర్ట్ టీచర్) రామ్ శంకర్ నికుంభ్ (ఆమిర్ ఖాన్) దృష్టి ఆ బాలునిపై పడుతుంది. నికుంభ రు అతని విరక్తి/అనాసక్తిని తెలుసుకుంటారు. ఈశాన్ చాలా ప్రతిభాసంపన్నుడని, కాని డిస్లెక్సియా సమస్యతో బాధపడుతున్నాడని వారికి తెలుస్తుంది. అతనికి అక్షరములను చదువుట కష్టము అవుతుంది. తన ప్రేమ, వాత్సల్యముతో నికుంభ్ గారు ఈశాన్లో దాగిన ప్రతిభను అందరి ముందు తేటతెల్లం చేస్తారు.
కథ సరళమైనది. ఆమిర్ ఖాన్ దానిని చాలా గొప్పగా తెరకు ఎక్కించాడు. స్క్రీన్ప్లే అద్భుతం. సూటిగా మనస్సుకు హత్తుకుపోయే చిన్నచిన్న దృశ్యాలు ఉన్నాయి.
ఈశాన్ స్కూలు నుండి పారిపోయి రోడ్లమీద తిరగడం, స్వచ్ఛమైన గాలిలో ఊపిరి పీల్చుకోవడం, బిల్డింగ్కు రంగు వేయుట చూడటం. ఫుట్పాత్ మీద నివసించే పిల్లలు స్వేచ్ఛగా ఆడటం చూచి నిరాశ పడటం, మంచి లడ్డూ తినడం వంటి దృశ్యాలు చూచి చాలామందికి తమ బాల్యస్మృతులు గుర్తుకు వస్తాయి.
ఈశాన్ ద్వారా పిల్లవానిలో దాగిన ప్రతిభను చక్కని రీతిలో ప్రకటించారు. సినిమా చివరలో దీని పరిచయం ఈశాన్ వేసిన చిత్రం ద్వారా తెలుస్తుంది. చిత్రకళా పోటీలో అతనికి మొదటి బహుమతి లభిస్తుంది. ఇదే దృశ్యంలో ఆమిర్ ఖాన్ అతని అమాయకత్వాన్ని తన చిత్రం ద్వారా చూపించాడు. ఈ చిత్రానికి కూడా బహుమతి ఇవ్వబడుతుంది. ఈ విధముగ శిష్యుడు తన ఉపాధ్యాయుని ప్రేరణతో ఏ విధముగ అభివృద్ధి సాధించగలడు. దీని నిదర్శనమే ఈ సినిమా.
ఈశాన్ పాత్రలో దర్శీల్ సఫారీ ఈ సినిమాకు ప్రాణం. ఈ పిల్లవాడు నటిస్తూ ఉన్నాడంటే నమ్మకం కలగటం లేదు. అమాయకంగా కనపడే ఈ పిల్లవాడు భయం, కోపం, నిరాశ, హాస్యం వంటి అన్ని భావాలను తన ముఖంలో చూపించాడు. బహుశ ఇందువల్లనే అతనికి డైలాగ్స్ (సంభాషణలు) తక్కువగా ఇవ్వబడినవి.
शब्दार्थ (అర్థములు) (Meanings) :