TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद

Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material 7th Lesson भक्ति पद Textbook Questions and Answers.

TS 10th Class Hindi 7th Lesson Questions and Answers Telangana भक्ति पद

प्रश्न-उत्तर :

प्रश्न 1.
भगवत भक्ति का ज्ञान कौन देता है?
(భగవంతుని గురించిన జ్ఞానాన్నిఎవరు ఇస్తారు ?)
उत्तर :
भगवत भक्ति का ज्ञान. गुरु देता है।
(భగవంతుని గురించిన జ్ఞానాన్ని గురువు ఇస్తారు.)

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प्रश्न 2.
गुरु को किससे श्रेष्ठ बताया गया है? क्यों?
(గురువు ఎవరి కంటే గొప్పవాడని చెప్పారు ? ఎందుకు?)
उत्तर :
गुरु को भगवान से श्रेष्ठ बताया गया है। क्योंकि भगवान के बारे में गुरु ही बताते हैं। इसलिए गुरु और गोविंद में गुरु को ही श्रेष्ठ बताया गया है।
(గురువు భగవంతుని కంటే గొప్పవాడు. ఎందుకంటే భగవంతుని గురించి గురువే మనకు చెప్తారు. అందుకే గురువు, గోవిందులలో గురువే శ్రేష్ఠుడని చెప్పారు.)

प्रश्न 3.
‘निराडंबर भक्ति भावना’ का क्या महत्व है ?
(నిరాడంబర భక్తి భావన యొక్కగొప్పతనం ఏమిటి ?)
उत्तर :
भगवान के प्रति भक्ति निराडंबर ही होनी चाहिए। क्योंकि भगवान तो सच्चे हृदय से ही मिलते हैं, आडंबरता से नहीं। इसलिए भगवान के प्रति निराडंबर भक्ति भावना का ही अधिक महत्व होता है।
(భగవంతుని మీద నిరాడంబర భక్తియే ఉండాలి. ఎందుకంటే భగవంతుడు నిజమైన హృదయంలోనే ఉంటాడు. ఆడంబరంలో కాదు. అందుకే భగవంతుని పట్ల నిరాడంబర భక్తి భావనకే ఎక్కువ గొప్పతనం ఉంటుంది.)

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प्रश्न (ప్రశ్నలు) :

प्रश्न 1.
प्रभुं के प्रति रैदास की भक्ति कैसी है?
(భగవంతుని పట్ల రైదాస్ భక్తి ఎలా ఉంది ?)
उत्तर :
प्रभु के प्रति रैदास की भक्ति इस प्रकार है –
प्रभु स्वामी हो, तो रैदास सेवक बन जाता है।
प्रभु मोती हो, तो रैदास धागा बन जाता है।
प्रभु घन हो, तो रैदास मोर बन जाता है।
प्रभु चंदन हो, तो रैदास पानी बन जाता है।
यानी दोनों का संबंध अटूट है। रैदास की भक्ति भी प्रभु से अटूट है।

(భగవంతుని మీద రైదాస్ భక్తి ఈ విధంగా ఉంది –
భగవంతుడు స్వామి అయితే, రైదాస్ సేవకుడవుతాడు.
భగవంతుడు ముత్యం అయితే, రైదాస్ దారం అవుతాడు.
భగవంతుడు మేఘం అయితే, రైదాస్ నెమలి అవుతాడు.
భగవంతుడు చందనం అయితే, రైదాస్ నీరు అవుతాడు.
అనగా ఇద్దరి సంబంధం విడదీయరానిది. రైదాస్ యొక్క భక్తి కూడా భగవంతుని నుండా విడదీయరానిది.)

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प्रश्न 2.
कवि ने स्वंयं को मोर क्यों माना होगा?
(కవి స్వయంగా తాను నెమలి అని ఎందుకు అనుకొని ఉంటాడు?)
उत्तर :
कवि ने स्वयं को मोर माना है, क्योंकि मोर बादल को देखकर बहुत खुश होता है। वर्षा के समय अपने आपको भूलकर वह नाचता है। उसी प्रकार कवि भी भगवान को मेघ बनने के लिए कहकर वह स्वयं को मोर माना होगा।

(కవి తనను తాను నెమలి అని అనుకున్నాడు. ఎందుకంటే నెమలి మేఘాలను చూచి చాలా సంతోషపడుతుంది. వర్షం పడుతున్నప్పుడు నెమలి తనను తాను మర్చిపోయి నాట్యం చేస్తుంది. అదే .విధంగా కవి భగవంతుడిని మేఘంగా మారమని చెప్పి తనను తాను నెమలిని అనుకొని ఉండవచ్చు.)

प्रश्न 3.
संत किसे कहते हैं?
(సాధువని ఎవరిని అంటారు ?)
उत्तर :
जो हमेशा भगवान का स्मरण करते हुए संसार रूपी भव सागर को पार करता है, उसे संत कहते हैं। संत लोग स्वांतः सुखाय के बदले सर्वजन सुखाय के लिए ही भगवान से प्रार्थना करते रहते हैं।
(ఎవరైతే ఎల్లప్పుడు భగవంతుడిని స్మరిస్తూ సంసారమనే భవసాగరాన్ని దాటుతారో వారినే సాధువులు అంటారు. సాధువులు వారి సుఖానికి బదులుగా సర్వజన సుఖం కోసమే భగవంతుడిని. ప్రార్ధిస్తూ ఉంటారు.)

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प्रश्न 4.
श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति कैसी है ?
(శ్రీకృష్ణుని మీద మీరాభక్తి ఎటువంటిది?)
उत्तर :
श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति भावना ही मीरा के पदों का मूल विषय है। कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति माधुर्य भाव की थी। उनके पदों में प्रेम, त्याग, भक्ति और आराधना के भाव हैं। इन पदों में मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन पाने का उद्देश्य प्रकट करती हैं।

(శ్రీకృష్ణుని మీద భక్తి భావనే మీరా పద్యాలలోని. ముఖ్య విషయం. కృష్ణుని పట్ల ఆమె భక్తి, మాధుర్య భావం కలది. ఆమె పద్యపాదాలలో ప్రేమ, త్యాగం, భక్తి మరియు ఆరాధన అనే భావాలు ఉన్నాయి. ఈ పద్యపాదాలలో మీరాబాయి శ్రీకృష్ణుని దర్శనం పొందాలనే ఉద్దేశ్యాన్ని తెలుపుతుంది.)

अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया (అర్థగ్రహణ – ప్రతిస్పందనన) :

प्रश्न 1.
रैदास व मीरा की भक्ति भावना में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
(రైదాస్, మీరాబాయి భక్తి భావనలలో తేడా ఏమిటి ? వివరించండి.)
उत्तर :
रैदास ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवि हैं। रैदास जी भगवान को ही उनके हंर एक काम का भागीदार बनाकर उनको हमेशा ऊँचे स्थान पर रखना चाहते हैं।
रैदास भगवान को स्वामी बनाकर वह सेवक के रूप में रहना चाहते हैं। रैदास के प्रभु निराकार हैं। मीराबाई कृष्णोपासक कवयित्रियों में श्रेष्ठ हैं और माधुर्य भाव प्रयोग में पटु हैं। उनके पद सरस और मधुर हैं। मीरा श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। बचपन में ही मीरा के मन में कृष्ण के प्रति प्रेम भांव अंकुरित हुआ। वह प्रेम भाव, उम्र के साथ -साथ बढ़ता आया। उनकी भक्ति माधुर्य भक्ति की है। मीराबाई बताती हैं भगवान के नाम रूपी नाव से ही संसार रूपी सागर को पार सकते हैं। इसका सही राह का मार्ग दर्शन गुरु द्वारा होता है। मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए प्राणों तक न्योछावर करती हैं।

(రైదాస్ జ్ఞానమార్గ కవులలో ప్రముఖుడు. రైదాస్ భగవంతుడినే తన ప్రతి ఒక్క పనిలో భాగస్వామిగా చేసుకొని ఆయన్ని ఎల్లప్పుడు ఉన్నత స్థానంలో ఉంచాలనుకున్నాడు. రైదాస్ భగవంతుడిని స్వామిగా చేసి తనను తాను సేవకుడిగా మార్చుకున్నాడు. రైదాస్ ప్రభువు నిరాకారుడు ఆకారం లేనివాడు).

మీరాబాయి కృష్ణోపాసక కవయిత్రులలో శ్రేష్టురాలు మరియు మాధుర్యభావ ప్రయోగంలో ‘నిపుణురాలు. ఆమె పద్యపాదాలు సరసంగా, మధురంగా ఉంటాయి. మీరా శ్రీకృష్ణుని ఆరాధిస్తుంది. చిన్నతనంలోనే మీరా మనస్సులో కృష్జుని పట్ల ప్రేమ భావం అంకురించింది. ఆ ప్రేమ భావన వయస్సుతో పాటు పెరుగుతూ వచ్చింది. ఆమె భక్తి మాధుర్య భక్తి. మీరాబాయి భగవంతుడనే పేరు గల పడవలో మనం సంసారమనే సాగరాన్ని దాటవచ్చు అని చెప్తంది. దీని సరైన మార్గం చూపే వారే సద్గురువులు. మీరా శ్రీకృష్ణుని దర్శనం కోసం తన ప్రాణాలను కూడా త్యాగం చేస్తుంది.)

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प्रश्न 2.
हमारे जीवन में भक्ति भावना का क्या महत्व है? चर्चा कीजिए।
(మన జీవితంలో భక్తి భావన యొక్క గొప్పతనం ఏమిటి ? చర్చించండి.)
उत्तर :
हमारे जीवन में भक्ति भावना का अधिक महत्व है। प्राचीन काल से ही भगवत – समरण, भगवत भक्ति को महत्व दिया गया है। मानव अनजान में कई भूल करते रहते है। उ़न भूलों को क्षमा करने की शक्ति भगवान के प्रति हमारे दिखाने वाली भक्ति में ही होती है। भगवान हमारी भक्ति भावना द्वारा हमारी अनंजान भूलों को माफ कर देता है। इसलिए हमारे जीवन में भक्ति भावना का महत्व अधिक है।

(మన జీవితంలో భక్తి భావనకు గొప్ప మహత్యం ఉంది. ప్రాచీనకాలం నుండి. భగవంతుని స్మరణ. భగవంతుని భక్తికి ఎక్కువ మహత్వం ఇవ్వబడింది. ఆ మనిషి తెలియకుండా చాలా పొరపాట్లు చేస్తూ ఉంటాడు. ఆ తప్పులను క్షమించే శక్తి భగపంతుని పట్ల మనం చూపే భక్తిలోనే ఉంటుంది. భగవంతుడు మన భక్తిభావస ద్వారా మన తెలియని తప్పులను క్షమిస్తాడు. అందుకే మన జీవితంలో భక్తి భావనకు చాలా ఎక్కువ మహత్యం ఉంది.)

आ) पंक्तियाँ उचित क्रम में लिखिए।
(క్రింది పంక్తులను సరైన క్రమంలో వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
प्रभुजी, तुम पानी हम चंदन।
उत्तर :
प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी।

प्रश्न 2.
मीरा के प्रभु नागर गिरिधर, हरख – हरख पायो जस ॥
उत्तर :
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, हरख – हरख जस पायो।

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इ. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
(క్రింద ఇచ్చిన పంక్తుల భావాన్ని వివరించండి.)

प्रश्न 1.
सत की नाँव खेवटिया सतगुरु, भवसमर तर आयो।
उत्तर :
सच नामक नाव के नाविक है सत्गुरु। उन्हीं के सहारे मैंने भवसागर को पार किया है।
(సత్యమనే నావకు నావికుడు సద్గురువు, ఆయన సహాయంతోనే నేను భవసాగరాన్ని దాటాను.)

प्रश्न 2.
प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग – अँग बास समानी।
उत्तर :
भगवान ! पानी में चंदन को मिलाने पर पानी के अंग – अंग में चंदन की सुगंध भर जाती है।
(భగవంతుడా! మీరు గంధం అయితే నేను నీరుగా మారతాను. నీటిలో గంధాన్ని కలిపితే నీరు యొక్క ప్రతి అణువు గంధం సుగంధంతో నిండిపోతుంది.)

ई. पदूयांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(పద్యాలను చదివి ప్రశ్నలకు సమాధానం ఇవ్వండి.)

मैया मोरि मैं नहिं माखन खायो,
भोर भयो. गैयन के पाछे मधुबन मोहि पठायो।
चार पहर बंसीबट भटक्यो साँइन परे घर आयो,
मैं बालक बहिंयन को छोटो छींको केहि विधि पायो।
ठवाल बाल सब बैर परे हैं बरबस मुख लपटायो,
यह ले अपनी लकुटी कमरिया बहुतहि नाच नचायो।
सूरदास तब बिहंसी जसोदा, लै उर कंठ लठायो।

प्रश्न 1.
कृष्ण किनसे बातें कर रहे हैं?
उत्तर :
कृष्ण यशोदा से बातें कर रहे हैं।

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प्रश्न 2.
कृष्ण गायों को चराने कहाँ जाते हैं?
उत्तर :
कृष्ण गायों को चराने मधुबन जाते हैं।

प्रश्न 3.
कृष्ण घर कब लौटते हैं?
उत्तर :
कृष्ण घर शाम को लौटते हैं।

प्रश्न 4.
कृष्ण की बाहें कैसी हैं?
उत्तर :
कृष्ण की बाहें छोटी हैं।

अभिव्यक्ति -सृजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ/ప్రస్తుతీకరణ – నిర్మాణాత్మకత) :

अ. इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार घंत्रियों में लिखिए।
(ఈ ప్రశ్నలకు మూడు లేక నాలుగు వాక్యాలలో సమాధానం వ్రాయండి.)

प्रश्न 1.
रैदास जी ने ईश्वर की तुलना चंदन, बादल और मोती से की है। आप ईश्वर की तुलना किससे करना चाहेंगे? और क्यों ?
(రైదాస్ గారు భగవంతుడిన చందనంతో, మేఘాలతో మరియు ముత్యంతో పోల్చారు. మిరు భగవంతుడిని దేనితో పోల్చాలనుకుంటారు ? ఎందుకు ?
उत्तर :
में भगवान की तुलना दीप से करना चाहूँगा।
भगवान को दीप बनाकर में उस दीप में जलने वाली ज्योति बन जाऊँगा।

मैं भगवान की तुलना पानी से करना चाहूँगा।
भगवान को पानी बनाकर मैं उस पानी में रहनेवाली मछली बन जाना चाहूँगा।पानी के बिना मछली तडप – तडप कर मरजाती है। मैं भी भगवान के बिना नहीं जी सकूँगा।

मैं भगवान की तुलना फूल से करना चाहूँगा।
भगवान को फूल बनाकर मैं धागा बन जाऊ़ँग। धागा और फूल दोनों के मिलने से ही सुंदर माला बन सकेगी।

(నేను భగవంతుడిని దీపంతో పోలుస్తాను.
భగవంతుడిని దీపంగా చేసి నేను ఆ దీపంలో కాలిపోయే వత్తిగా మారతాను.

నేను భగవంతుడిని నీటితో పోలుస్తాను.
భగవంతుడిని నీరుగా మార్చి నేను అందులో ఉండే చేపనవుతాను. నీరు లేకుండా చేప గిలగిలలాడి చనిపోతుంది.. నేను కూడా భగవంతుడు లేకుండా ఉండలేను.

నేను భగవంతుడిని పువ్వుతో పోలుస్తాను.
భగవంతుడిని పువ్వులా మార్చి నేను దారమవుతాను. దారము మరియు పూలు కలిస్తేనే అందమైన మాల తయారవుతుంది.)

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प्रश्न 2.
मीरा की भक्ति भावना कैसी है? अपने शब्दों में लिखिए।
(మీరా భక్తి భావన ఎటువంటిది ? మీ మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
मीरा कृष्ण भक्ति कवयत्री हैं। उनकी भक्ति माधुर्य भक्ति की है। श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति भावना ही मीरा के पदों का मूल भाव है। उनके पदों में प्रेम, त्याग, भक्ति और आराधना के भाव हैं। मीराबाई हिन्दी की श्रेष्ठ कवयित्री हैं।
मीरा के पदों में उनकी अन्तरात्मा की पुकार है। उनमें हृदय की कसक है। वियोगिनी का आर्त क्रंदन है। आत्म निवेदन है और मार्मिकता तथा कोमलता का अद्भुत मिश्रण है। इन पदों में मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन पाने का उद्देश्य प्रकट करती हैं। मीरा की भक्ति महान है।

(మీరా కృష్ణభక్తి కవయిత్తి. ఆమె భక్తి మాధుర్య భక్తి. శ్రీకృష్ణని మీద ఆమెకున్న భక్తి భావనే మీరా పద్యపాదాలలోని మూల భావం. ఆమె పద్యాలలో ప్రేమ, త్యాగం, భక్తి మరియు ఆరాధన అనే భావాలున్నాయి. మీరాబాయి హిందీకి చెందిన శ్రేష్ఠమైన కవయిత్రి. మీరా పద్యపాదాలలో ఆమె అంతరాత్మ యొక్క పిలుపు ఉంది. ఆమె హృదయంలోని కోరిక వాటిలో ఉంది. విరహ వేదనలో ఉన్న స్త్రీ యొక్క ఆక్రందన ఉంది, ఆత్మ నివేదన ఉంది. మరియు మార్మికత్వం, క్కోమలత్వం యొక్క అద్భుత కలయిక ఆమె పద్యపాదాలలో ఉంది. ఈ పద్యపాదాలలో మీరా శ్రీకృష్ణుని దర్శించాలనే ఉద్దేశ్యాన్ని ప్రకటిస్తుంది. మీరాబాయి భక్తి చాలా గొప్పది.)

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आ. ‘मीरा के पद”‘ का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(మీరా పద్యపాదాలలోన భావాన్నిమీ మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
मीराबाई कृष्णोपासक कवयित्रियों में श्रेष्ठ कवयित्री हैं। माधुर्य भाव का प्रयोग करने में पटु भी हैं। मीराबाई श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। बचपन से ही मीरा के मन में कृष्ण के प्रति प्रेम भाव अंकुरित हुआ। वह प्रेम भाव, उम्र के साथ – साथ बढ़ता आया। उनकी भक्ति माधुर्य भाव की है।

मीराबाई कहती हैं कि मुझे मिली है, मुझे भगवान का नाम रूपी रतन संपत्ति मिली है। मेरे सतगुरु ने मुझे यह अमूल्य वस्तु दी हैं। उनकी कृपा से मैंने उसे स्वीकार किया है। जन्म जन्म की भक्ति रूपी मूलधन को मैंने पाया है। लेकिन इसके बदले में संसार के सभी चीजों को खोयी हूँ। फिर भी मैं बहुत खुश हूँ। क्योंकि इसे कोई भी नहीं खर्च कर सकता, कोई भी नहीं लूट सकता है। दिन – ब -दिन उसमें वृद्धि हो रही है। सच रूपी नाव के, नाविक मेरे सत्गुरु है। उन्ही के सहारे मैं भवसागर को पार चुका हूँ। मीरा के प्रभु गिरिधर चतुर है, उन्हीं मीराबाई खुशी – खुशी से गाती है। इस प्रकार मीरा इन पदों में श्रीकृष्ण को सत्गुरु की कीर्ति बनाकर उनका दर्शन करने का उद्देश्य प्रकट करती हैं।

(మీరాబాయి కృష్ణోపాసక భక్తి కవయిత్రులలలో గరేష్ఠమైన కవయిత్రి. మాధుర్య భావ ప్రయోగంలో నిపుణురాలు. మీరాబాయి శ్రీకృష్ణుని హూజిస్తుంది. చిన్నప్పటి నుండే మీరా మనస్సులో కృష్ణుని మీద గపేమ అంకురిస్తుంది. వయస్సుతోపాటు ఆ (పేమ భావం కూడా పెరుగుతూ వచ్చింది. ఆమె భక్తి మాధుర్య భక్తి.

మీరాబాయి నాకు భగవంతుని నామమనే రత్న సంపదలు దొరికాయి అని చెప్తంది. నాసద్గురువు నాకు ఈ అమూల్యమైన వస్తువును ప్రసాదించారు. ఆయన కృపతోనే నేను దానిని స్వీకరించాను. జన్మజన్మలకి సరిపోయే భక్తి అనే మూలధనం నాకు దొరికింది. కాని దీనికి బదులుగా ఈ ప్రపంచంలోని సుఖాలన్నీ పోగొట్టుకున్నాను. అయినప్పటికి నేను చాలా సంతోషంగా ఉన్నాను. ఎంధుకంటే దానిని ఎవ్వరూ ఖర్చు పెట్టలేరు, ఎవ్వరూ దోచుకోలేరు. రోజురోజుకి అభివృద్ధి చెందుతుంది. సత్యమనే పడవలో సద్గురువును నావికునిగా చేసుకొని భవసాగరాన్ని తేలికగా దాటాను. మీరా ప్రభువు శ్రీకృష్ణుడు చాలా చతురుడు. ఆయన కోసం మీరాబాయి ఆనందంతో పాట పాడుతుంది. ఈ విధంగా మీరాబాయి ఈ పద్యంలో శ్రీకృష్ణడిని సద్గురువుగా చేసి ఆయనను దర్శించాలనే ఉద్దేశ్యాన్ని ప్రకదిస్తుంది.)

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इ. भक्ति भावना से संबंधित छोटी-सी कविता का सृजन कीजिए।
(భక్తి భావనకు సంబంధించిన చిన్న కవితను స్హష్టిండండి.)
उत्तर :
भगवान की कृपा से, अंधा देख सकता है।
भगवान की कृपा से, गूँगा बोल सकता है।।
भगवना की कृपा से, पंगु चल सकता है।
भगवान की कृपा से, बहरा सुन सकता है।।
भगवान की कृपा से, दरिद्र राजा बन सकता है।
भगवान की कृपा से, सब कुछ आसानी से पा सकते हैं।
(భగవంతుని కృపతో, గుడ్డవాడు చూడగలడు.
భగవంతుని కృపతో, మూగవాడు మాట్లాడగలడు.
భగవంతుని కృపతో, చెవిటివాడు వినగలడు..
భగవంతుని కృపతో, దరిద్రుడు రాజు అవ్వగలడు.
భగవంతుని కృపతో, మనం అన్ని ఎంతో తేలికగా పొందగలము.)

ई. भक्ति और मानवीय मूल्यों के विकास में भति साहित्य किस प्रकार सहायक हो सकता है?
(భక్తి మరియు మానవ విలువలు వికసించటానికి భక్తి సాహిత్యం ఏ విధంగా సహాయపడగలదు?)
उत्तर :
भक्ति और मानवीय मूल्यों के विकास में भक्ति साहित्य बहुत सहायक हो सकता है। चौदहवी शताब्दी के आते – आते हिन्दी कविता की धारा एक नये मोड पर आ गयी। साहित्य में अवधी और ब्रज भाषा का

  • पानी (నీరు) – वारि, जल, सलिल
  • चंद्र (చంద్రుడు) – शशि, चाँद

2. स्वामी, गुरु, दिन (बिलोम शब्द लिखिए।) (వ్యతిరేక పదం వ్రాయండి.)
उत्तर :

  • स्वामी (యజమాని) × सेवक (సేవకుడు)
  • गुरु (గురువు) × शिष्य (శిష్యుడు)
  • दिन (పగలు) × रात (రాత్రి)

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3. खरच, अमोलक, जनम (शुद्ध ब प्रचलित शब्द लिखिए।) (వర్తనీ స०చేస क्रాయండి.)
उत्तर :

  • खरच = खर्च
  • अमोलक = अमुल्य
  • जनम = जन्म

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

आ. सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए। (సూచన చదవండి, దాని ప్రకారము చేయండి)

1. बन, रतन, किरपा (तत्सम रूप लिखिए।) (తత్సమ రూపాలు వ్రాయండి.)
उत्तर :

  • बन = वन
  • रतन = रत्न
  • किरपा = कृपा

2. जग, नाँव, अमोलक (अर्थ लिखिए।) (అర్థాలు వ్రాయండి.)
उत्तर :

  • जग = दुनिया, ప్రపంచం, world
  • नाँव = नाव, పడవ, boat
  • अमोलक = अमूल्य, వెలకట్టలేనిది, priceless

इ. वचन बदलकर बाक्य फिर से लिखिए।

1. मोती सागर में मिलता है।
उत्तर :
मोती सागर में मिलते हैं। (ముత్యాలు సముద్రంలో దొరుకుతాయి.)

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2. मोर सुदंर पक्षी है।
उत्तर :
मोर सुंदर पक्षी हैं। (నెమళ్ళు అందమైన పక్షులు.)

ई. नीचे दिया गया उदाहरण समझिये। पाठ के अनुसार उचित शब्द लिखिए।
(క్రింద ఇచ్చిన ఉదాహరణ అర్థం చేసుకోండి, పాఠం ప్రకారం సరైన శబ్దాలను వ్రాయండి.)
TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद 1
उत्तर :
TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद 2

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

देव! तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं,
सेवा में बहुमूल्य भेंट, वे कई रंग के लाते हैं।

భగవంతుడా ! నీ యొక్క ఉపాసకులు చాలా రకాలుగా వస్తారు,
నీ సేవకై చాలా విలువైన బహుమతులు రకరకాలు తెస్తారు.

धूमधाम से साज बाज से, वे मंदिर में आते हैं,
मुक्ता-मणि बहुमूल्य वस्तुएँ, लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।

ఆడంబరంగా, అలంకరణతో మందిరానికి వస్తారు,
ముత్యాలు, మణులు విలువైన వస్తువులు తెచ్చిన నీకు అర్పిస్తారు.

धूप दीप नैवेद्य नहीं है, झाँकी का श्रृंगार नहीं,
हाथ, गले में पहनाने को, फूलों का भी हार नहीं।

ధూప-దీప నైవేద్యాలు లేవు, అలంకరణ లేదు
అయ్యో మెడలో వెయ్యటానికి పూలమాల కూడా లేదు.

स्तुति कैसे करूँ तुम्हारी, स्वर में माधुर्य नहीं,
मन का भाव प्रकट करने को, वाणी में चातुर्य नहीं।

స్తుతి ఎలా చెయ్యను ? నాస్వరంలో మాధుర్యం లేదు,
మనస్సులో భావాన్ని తెలపడానికి మాటలో చతురత లేదు.

नहीं दान है, नहीं दक्षिणा, खाली हाथ चली आयी,
पूना की भी विधि न जानती, फिर भी नाथ चली आयी।

దాన దక్షిణలు లేవు వొట్టి చేతులతో వచ్చాను,
పూజ ఎలా చెయ్యాలో తెలియదు, అయినా కూడా వచ్చాను
ఈ వస్తువు నీదే తిరస్కరించు లేక ప్రేమించు.)

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

(విద్యార్థులకు ప్రాచీన సాహిత్యంతో పరిచయం చేస్తూ వారిలో కావ్యరచన యొక్క వివిధ శైలులను పరిచయం చేయటం. భారతీయ సాహిత్యం మరియు సంస్కృతి పట్ల రుచిని కలిగించుట. నిరాడంబర భక్తి మార్గం యొక్క గొప్పతనాన్ని తెలుపుట.)

विधा विशेष (విభాగ-విశేషణము) :

(ఇది ప్రాచీన కవిత. దీనిలో బ్రజ్ భాష ప్రయోగించబడింది.)

कवि परिचय (కవి పరిచయం) :

కవి – రైదాస్
జీవితకాలం – 1482-1527
ప్రసిద్ధ రచనలు – ‘గురు గ్రంథ్ సాహిబ్’ లో ఈయన పద్యాలు పొందుపరచబడినవి.
విశేషత – జ్ఞానమార్గ శాఖ యొక్క ప్రముఖ కవులలో ఒకరు. ఈయన మీరాబాయి యొక్క గురువుగా పిలువబడుచున్నారు.

కవయిత్రి – మీరాబాయి
జీవితకాలం – 1498-1573
ప్రసిద్ధ రచనలు – మీరాబాయి పదావలి
విశేషత – కృష్ణ ఉపాసక కవులలో శ్రేష్ఠురాలు. మాధుర్యభావ ప్రయోగంలో నిపుణురాలు.

TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद

व्याकरणांश (వ్యాకరణాంశాలు)

विलोम शब्द :

  • खर्च × बचत
  • स्वामी × दास
  • खोना × पाना
  • दिन × रात
  • जन्म × मरण
  • गुरु × शिष्य
  • प्राचीन × अर्वाचीन
  • महत्व × महत्वहीन
  • बढ़ना × घटना
  • सही × गलत
  • यश × अपयश
  • सत × असत

वचन :

  • वन – वन
  • रतन – रतन
  • मोती – मोती
  • धन – धन
  • वस्तु – वस्तुएँ
  • मैं – हम
  • गुरु – गुरु
  • स्वामी – स्वामी
  • दास – दास
  • नाव – नावें
  • जग – जग
  • धागा – धागे

लिंग :

  • गुरु – गुरुआइन
  • मोर – मोरनी
  • दास – दासी
  • कवि – कवयित्री
  • सेवक – सेविका
  • चकोर – चकोरिया, चकोर

TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद

उपसर्ग :

  • अमोलक – अ
  • सतगुरु – सत
  • भवसागर – भव
  • प्रयोग – प्र
  • गिरिधर – गिरि

समास :

  • मार्गदर्शन – मार्ग का दर्शन – तत्पुरुष
  • समासअँग – अँग – प्रत्येक अंग – अव्ययीभाव समास
  • अमोलक – जो अनमोल है जिसका मूल्य न हो – कर्मधारय समास
  • सतगुरु – जो गुरु सत हो वह – बहुव्रीहि समास
  • भवसागर – संसार रूपी सागर – कर्मधारय समासस
  • तगुरु – सच्चा गुरु, अच्छा गुरु – कर्मधारय समास

तत्सम रूप :

  • बन – वन
  • पानी – वारि
  • कृपा – किरपा
  • रतन – रत्न
  • मोती – मौक्तिक
  • जस – यश
  • बास – गंध
  • मोर – मयूर

TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद

पर्यायवाची शब्द :

  • प्रभु – ईश्वर, ईश, परमात्मा, ज़गत्पिता
  • पानी – वारि, जल, नीर
  • चंद्र – चाँद, व्योम, मयंक, शशि, शशांक, रजनीश
  • दास – सेवक, भक्त, उपासक, चाकर, नौकर
  • गुरु – आचार्य, प्राध्यापक, शिक्षक, प्रवक्ता
  • रतन – रत्न, हीरा, वज्र
  • सत – सत्य, सचाई, शुद्ध, पवित्र, श्रेष्ठ
  • जग – विश्व, दुनिया, संसार, प्रपंच
  • जनम – जन्म, पैदाइश, उत्पति
  • जग – विश्व, दुनिया, संसार, प्रपंच
  • खरच – खर्च, व्यय, खपत
  • धन – संपत्ति, दौलत, द्रव्य, पूँजी
  • अंग – अवयव, बदन, शरीर, देह, तन, गात्र
  • कृपा – अनुग्रह, दया, मेहरबानी

शब्दार्थ-भावार्थ :

1. प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी ।
जाकी अँठ – अँग बास समानी॥
प्रभुजी, तुम घन – बन हम मोरा।
जैसे चितवहि चंद्र चकोरा॥
प्रभुजी. तुम दीपक हम बाती।
जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभुजी, तुम मोती हम धाठा।
जैसे सोनहि मिलत सुहाठा॥
प्रभुजी, तुम स्वामी हम दासा।
ऐसी भक्ति करै रैदासा॥

शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :

TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद 3

भावार्थ : कवि रैदास जी भगवान से इस प्रकार कहते हैं कि हे भगवान! आप चंदन है तो मैं पानी हूँ। पानी में चंदन को मिलाने पर पानी के अंग – अंग में चंदन की सुगंध भर जाती है। उसी प्रकार मुझ में तुम्हारा सुगंध भर गया है। हे भगवान ! आप काले बादल है, तो में मोर बनता हूँ। जिस प्रकार चकोर पक्षी काले बादल से बरसने वाली स्वाति बिंदुओं को ही पीता हैं, उसी प्रकारं मैं आपके लिए जंगल में इतंजार कर रहा हूँ। आप बरसेंगे तो मैं मोर बनकर नाचूँगा। हे भगवान ! आप मोती बनते-तो मैं धागा बनता हूँ। दोनों के मिलने से सुंदर माला बन जाती है। मोती के बिना या धागे के बिना माला नहीं बनती है। हे भगवान! आप तो स्वामी जी हैं, मैं आपका सेवक हूँ। मेरी भक्ति हमेशा इसीं तरह रहने दीजिए। रैदास हमेशा ऐसी ही भक्ति करताहै।

భావార్థం : కవి రైదాస్ భగవంతునితో ఈ విధంగా చెప్తున్నాడు. ఓ భగవంతుడా! నీవు గంధం అయితే నేను నీరు అవుతాను. నీళ్లల్లో గంధాన్ని కలిపితే ఆ సువాసన నీటిలోని అణువణువులో వ్యాపిస్తుంది. అదే విధంగా నాలో కూడా నీ సుగంధం నిండి ఉంది. ఓ భగవంతుడా నీవు. నల్లని మేఘానివయితే నేను నెమలిని అవుతాను. ఏ విధంగా అయితే చకోర పక్షి వర్షపు నీటి కోసం ఏదురు చూస్తూ ఆ నీటినే త్రాగుతుందో. అదే విధంగా నేను మీ కోసం అడవిలో ఎదురు చూస్తాను. మీరు వాన కురిపిస్తే నేను నెమలిని అయ్యి నాట్యం. చేస్తాను. ఓ భగవంతుడా ! నీవు ముత్యం అయితే నేను దారం అవుతాను. రెండూ కలిస్తేనే అందమైన ముత్యాలహారం తయారవుతుంది.ముత్యాలు లేకుండా, దారం లేకుండా మాల తయారవ్వదు. ఓ భగవంతుడా ! మీరు స్వామి అయితే నేను మీ దాసుడను. నా భక్తి ఎల్లప్పటికి ఇదే విధంగా ఉండేటట్లు చూడండి రైదాస్ ఎల్లప్పుడు అదే విధమైన భక్తిని కలిగి ఉంటాడు.

TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद

2. पायो जी न्हें तो राम् रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।
जनम-जनम की पूँजी पायी, जठ में सभी खोवायो।
खरच न खूटै, चोर न लूटै, दिन – दिन बढ़ते सवायो।
सत की नाँव खेवटिया सतगुरु, भवसाठर तर आयो।
मीरा के प्रभु विरिधर नाठर, हरख-हरख जस वायो।।

शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :

TS 10th Class Hindi Guide 7th Lesson भक्ति पद 4

भावार्थ : मीराबाई कहती है मुझे मिली है, मुझे भगवान का नाम रूपी रतन संपत्ति मिली है। मेरे सतगुरु ने मुझे यह अमूल्य वस्तु दी है। उनकी कृपा से मैं उसे स्वीकार किया जन्म – जन्म की भक्ति रूपी मूलधन कों मैंनें पाया। लेकिन इसके बदले मैं संसार के सभी चीजों को खोयी बैठी हूँ। फिर भी मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि इसे कोई भी नहीं खर्च कर सकता, कोई. भी नहीं लूट सकता। दिन – ब – दिन उसमें वृद्धि हो रही है। सच रूपी नाव के, नाविक मेरे सतगुरु है। उन्हीं के सहारे मैं भवसागर को पार कर चुकी हूँ। मीरा के प्रभु गिरिधर चतुर हैं, उन्हीं की कीर्ति मीराबाई खुशी – खुशी से गाती हैं।

భావార్థం : మీరాబాయి అంటుంది నాకు దొరికాయి. నాకు భగవంతుని నామమనే రత్న సంపదలు దొరికాయి అని నా సద్గురువు నాకు ఈ అమూల్యమైన వస్తువును ప్రసాదించారు. ఆయన కృపతోనే నేను దానిని స్వీకరించాను. జన్మజన్మలకి సరిపోయే భక్తి అనే మూలధనం నాకు దొరికింది. కాని దీనికి బదులుగా ఈ ప్రపంచంలోని సుఖాలన్నీ పోగొట్టు కున్నాను. అయినప్పటికి నేను చాలా సంతోషంగా ఉన్నాను. ఎందుకంటే దానిని ఎవ్వరు ఖర్చు పెట్టలేరు. ఎవ్వరూ దోచుకోలేరు. రోజు రోజుకు. అభివృద్ధి చెందుతుంది. సత్యమనే పడవలో సద్గుగురువును నావికుడుగా చేసుకొని నేను భవసాగరాన్ని తేలికగా దాటాను. మీరా ప్రభువు శ్రీకృష్ణుడు చాలా చతురుడు. ఆయన కోసం మీరాబాయి ఆనందంతో పాటపాడుతుంది.

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