TS 10th Class Hindi अपठित गद्यांश

Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material अपठित गद्यांश Questions and Answers, Notes Pdf.

TS 10th Class Hindi अपठित गद्यांश

1. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

वास्तव में मानव की प्रमुख आवश्यकताएँ तीन हैं। उनमें प्रथम और अनिवार्य आवश्यकता है ‘अन्न’। दितीय आवश्यकता है ‘वस्ख’ और तृतीय है ‘गृह’। अत्र शरीर का पोषण बनकर उससे अभित्र हो जाता है ; किंतु बस्र तथा गृह जैसे अपनाये जाते हैं, बैसे त्यागे भी जा सकते हैं। अतः जीवन में इसका स्तान गौण है। आवश्यकता चाहे प्रधान हो चाहे गोण, वह आज अत्यन्त अप्राकृतिक अवस्था को पहुंचायी गयी है। इसी से मानव के सामने आज अनन्त समस्याओं का जाल बिछा हुआ है। आज मनुष्य श्रम नहीं, विश्राम चाहता है। इसी से बह आलसी और विलासी बना हुआ है और ऊँच – नीच तथा मान सम्मान के कृत्रिम घेरे में घिरा हुआ है। जिस दिन कृत्रिमता का यह घेरा हट जायेगा और जिस दिन वह श्रम के महत्य को महसूस करके अपनी अग्राकृतिक आवश्यकताओं का विस्तार छाँटकर प्रकृति के अधिक निक्ट रहने का प्रयत्न करेगा, उस दिन वह दुर्बल – प्राणी क्यों होगा?

प्रश्न 1.
गद्यांश में मानव की किन आवश्यकताओं का उल्लेख है ?
उत्तर :
गद्यांश में मानव की अन्न, वस्त्र, गृह आदि तीन आवश्यकताओं का उल्लेख है।

प्रश्न 2.
जीवन में किनका स्थान गौण है?
उत्तर :
जीवन में वस्त्र, गृह आदि का स्थान गोण है।

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प्रश्न 3.
मनुष्य आलसी और विलासी कैसे बना ?
उत्तर :
श्रम करने की अपेक्षा, विश्राम चाहने के कारण मनुष्य आलसी. और विलासी बना।

प्रश्न 4.
किसके निकट आने का संदेश दिया गया है ?
उत्तर :
प्रकृति के निकट आने का संदेश दिया गया है।

प्रश्न 5.
गद्यांश का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर :
श्रम का महत्व ही गद्यांश का मुख्य विषय है।

2. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।

अपने जीवन में तीन बातों को मैं प्रधान पद देता हूँ। उनमें पहली है – ‘उद्योग’। अपने देश में आलस्य का भारी वाताबरण है। यह आलस्य बेकारी के कारण आया है। शिक्षितों का उद्योग से कोई ताल्लुक ही नहीं रहता, और जहाँ उद्योग नहीं बहाँ सुख कहाँ। दूसरी बात जिसकी मुझे धुन है, वह ‘भक्तिमार्ग’ है। क्वपन से ही मेंरे मन पर यदि कोई संस्कार पड़ा है तो चह भक्तिमार्ग का है। उस समय मुझे माता से शिक्षा मिली। आगे चलकर आश्रम में दोनों वक्त की प्रार्थना करने की आदत पड़ गयी। तीसरी एक और बात को मुझे धुन है, पर सबके काबू की वह चीज़ नहीं हो सकती। वह चीज़ है – ‘खूब सीखना और खूब सिखाना” जिसे जो आता है बह उसे दूसरे को सिखाए और जो सीख सके उसे वह सीखे।

प्रश्न 1.
गद्यांश में किन तीन बातों का उलेखे है?
उत्तर :
गद्यांश में उद्योग, भक्तिमार्ग तथा खूब सीखना और खूब सिखाना तीन बातों का उल्लेख हैं।

प्रश्न 2.
आलस्य का कारण क्या है?
उत्तर :
आलस्य का कारण ‘बेकारी’ है।

प्रश्न 3.
लेखक को उनकी माता ने क्या शिक्षा दी थी ?
उत्तर :
लेखक को उनकी माता ने भक्तिमार्ग की शिक्षा दी थी।

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प्रश्न 4.
किस बात को लेखक ने सबके लिए कठिन माना है?
उत्तर :
लेखक ने ‘खूब सीखना और खूब सिखाना’ बात को सबके लिए कठिन माना है।

प्रश्न 5.
गद्यांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
इस गद्यांश का उचित शीर्षक तीन महत्वपूर्ण बातें या जीवन की तीन महत्वपूर्ण बातें हैं।

3. निम्नलिखित गद्यांट पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

पेड़ हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जीवन प्रदान करता है क्योंकि ये ऑक्सीजन उत्पादन, CO2 उपभोग का स्रोत और बारिश का स्रोत है। प्रकृति की तरफ से धरती पर मानवता को दिया गया ये सबसे अनमोल उपहार है जिसका हमें आभारी होना चाहिए तथा इसको सम्मान देने के साथ ही मानवता की भलाई के लिए सुरक्षित करना चाहिए। हमें अपने जीवन में पेड़ के महत्व को समझना चाहिए और जीवन को बचाने के लिए, धरती पर पर्यावरण को बचाने के लिए और पृथ्वी को हरित पृथ्थी बनाने के लिए पेड़ों को बचाने के लिए अपना सबसे बेहतर प्रयास करना चाहिए। पेड़ सोने की तरह मूल्यवान है इसी बजह से इन्हें धरती पर ‘हरा सोना’ कहा जाता है। संपत्ति के साथ ही हमारी सेहत का ये वास्तविक स्रोत है, क्योंकि ये ऑक्सीजन, ठंडी हवा, फल, फसाले, सब्नी, दवा, पानी, लकडी, फर्नीचर, छाया, जलाने के लिए इंधन, घर, जानवरों के लिए चारा आदि बहुत कुछ उपयोगी देता है।

प्रश्न 1.
पेड़ हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जीवन प्रदान करता है, कैसे ?
उत्तर :
पेड़ ऑक्सीजन उत्पादन, CO2 उपभोग और बारिश का स्रोत होने के कारण हमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जीवन प्रदान करता है।

प्रश्न 2.
हम किसके आभारी है?
उत्तर :
हम पेड़ के आभारी हैं।

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प्रश्न 3.
पेड़ों को हरा सोना क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
पेड़ सोने की तरह मूल्यवान है इसीलिए इन्हें ‘हरा सोना’ कहा जाता है।

प्रश्न 4.
हमें क्या प्रयास करना चाहिए?
उत्तर :
हमें धरती पर पर्यावरण को बचाने, पृथ्वी को हरित पृत्वी बनाने, तथा पेड़ों को बचाने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 5.
इस गद्यांश का एक उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
‘पेड़ों का महत्व’ या ‘पेड़ और पर्यावरण’।

4. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

हाथियों के संरक्षण के लिए किये जा रहे अनेक प्रयासों के बावजूद पिछले पाँच वर्षों में हाथियों की संख्या में लगभग तीस प्रतिश्त की कमी आयी है । मार्च-मई 2017 के दीरान देश में हाथियों की गणना की गयी । पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री ने 12 अगस्त 2017 को विश्व गज दिवस के अवसर पर एक समारोह में बताया कि देश में कुल हाथियों की संख्या 27,312 है। वर्ष 2012 में देश में लगभग तीस हजार हाथी थे। देश में हाथियों की सर्वाधिक संख्या बाला राज्य कर्नाटक है। असम दूसरे और केरल तीसरे स्थान पर है। विश्व में एशियाई हाथियों की कुल संख्या 40-50 हज़ार के बीच है, इनमें से लगभग 60 प्रतिशत तो भारत में ही हैं।

प्रश्न 1.
पिछले पाँच वर्षों में कितने प्रतिशत हाथियों की संख्या घट गयीं ?
उत्तर :
पिछले पाँच वर्षों में लगभग तीस प्रतिशत हाथियों की संख्या घट गयीं।

प्रश्न 2.
किस मंत्री ने हाथियों से संबंधित जानकारी दी ?
उत्तर :
पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री ने हाथियों से संबंधि जानकारी दी।

प्रश्न 3.
विश्व गज दिवस कव मनाया जाता है ?
उत्तर :
विश्व गज दिवस 12 अगस्त को मनाया जाता है।

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प्रश्न 4.
हाथियों की सर्वाधिक संख्या किस राज्य में है ?
उत्तर :
हाथियों की सर्वाधिक संख्या कर्नाटक में है।

प्रश्न 5.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
इस गद्यांश का उचित शीर्षक ‘हाथियों का संरक्षण है।

5. निम्नलिखित गद्यांट पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।

भाषा पर कबीर का जबरदस्त अधिकार था, बे बाणी के डिक्टेटर थे। लिस बात को उन्होने जिस रूप में प्रकट करना चाहा उसे उसी रूप में भाषा से कहलवा लिया। बन गया तो सीधे-सीधे नहीं तो आदेश देकराभाषा कुछ कबीर के सामने लाचार – सी नज़ आती है। उसमें मानों ऐसी हिम्मत नहीं है कि इस लापरवाह फकड़ की किसी फ़रमाइश को पूरा नहीं कर सके और कहनी – अनकहनी को रूप देकर मनोग्राही बना देने की तो जैसी ताकत कबीर की भाषा में है, वैसी बहुत कम लेखकों में पाई जाती है।

प्रश्न 1.
“वाणी के डिक्टेटर”‘ कौन थे ?
उत्तर :
वाणी के डिक्टेटर कबीर थे।

प्रश्न 2.
कंबीर ने बात को किस रूप में प्रकट करना चाहा ?
उत्तर :
कबीर ने बात को जिस रूप में प्रकट करना चाहा उसे उसी रूप में भाषा से कहलवा लिया। बन गया तो सीधे – सीधे नहीं तो आदेश देकर।

प्रश्न 3.
कवीर की भाष में कैसी ताकत थी ?
उत्तर :
कबीर की भाषा में कहनी – अनकहनी को रूप देकर मनोग्राही बना देने की ताकत थी।

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प्रश्न 4.
कबीर को किस पर जबरदस अधिकार था ?
उत्तर :
कबीर को भाषा पर जबरदस्त अधिकार था।

प्रश्न 5.
कवीर के सामने भाषा की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर :
कबीर के सामने भाषा लाचार सी नज़र आती थी।

6. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

1915 में गाँधी जी ने भारत आकर यहाँ की राजनीति में प्रवेश किया। जिस अहिंसा और सत्याग्रह से उन्हें अफ्रीका में सफलता प्राप्त हुई थी, उसी का प्रयोग भारत को स्वाधीन कराने के लिए उन्होंने शुरू किया। पहला सत्याग्रह आंदोलन 1920 में शुरू हुआ। किन्तु उस समय तक लोग गाँधी जी के सिद्धांतों को पूरी तरह समझ नहीं पाए थे। चौरी – चौरा नामक ग्राम में सत्याग्रह के सिलसिले में हिंसात्मक उपद्रब हो गया। गाँधी जी, जो सहे ह्दय से अहिंसा के समर्थक थे, सत्याग्रह को तब तक के लिए स्थगित कर दिया, जब तक कि लोग अहिंसा का पालन करना भली – भांति सीख जाएँ। दस स्मल तक गाँधी जी देश में प्रचार करके सत्ययाह के लिए उपयुक्त बातावरण तैयार करते रहे। 1930 में दुबारा सत्याग्रह शुरू किया गया और इस बार सरकार को झुकना पड़ा।

प्रश्न 1.
गाँधीजी नें पहले अहिंसा और सत्याग्रह का प्रयोग किस देश में किया था ?
उत्तर :
गाँधीजी ने पहले अहिसा और सत्याग्रह का प्रयोग अफ्रीका देश में किया।

प्रश्न 2.
गाँधीजी के सिद्धांतों को लोग कब तक नहीं समझ पाये थे ?
उत्तर :
गाँधीजी के सिद्धांतों को लोग पहले सत्याग्रह आंदोलन 1920 तक नहीं समझ पाये थे।

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प्रश्न 3.
गाँधीजी ने सत्याग्रह को क्यों र्थगित किया?
उत्तर :
चौरी-चौरा नामक ग्राम में हिसात्मक उपद्रव फूट पड़ने के कारण सत्याग्रह को स्थगित किया गया।

प्रश्न 4.
सरकार को क्यों झुकना पड़ा ?
उत्तर :
1930 में सफलतापूर्वक सत्याग्रह शुरु किया गया। इसी कारण सरकार को डुकना पड़ा।

प्रश्न 5.
इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
“सत्याग्रह” या “अहिंस”‘ या “गाँधी जी और अहिंसा”

7. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

कई लोगों को जसरत न होने पर भी चीजों को खरीदने और इकट्ठा करने की आदत होती है। यह आदत टी.बी., अखबार अदि के विज्ञापनों से बहुत प्रभावित होती है। समाज में बड़े पैमाने में मौजूद इस स्थिति को उपभोक्तावाद कहते है। उपभोक्तावाद के विस्फोट पर अब सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि इसने पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ाकर दिया है। उपभोक्तावाद, अति उपभोग, बेहिसाब कचरा, उत्पादन और प्रदूषण का दानव तेल – संसाधनों की नींव पर खड़ा है। इन जीवाश्म ईधनों ने बेहिसाब मात्रा में प्रदूषण पैदा किया है जो जीवन के विविध रूपों के लिए विनाशकारी है। इसके लिए नई सदी में पश्चिमी विकसित जगत अपने भविष्य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्प खोज रहा है। साइकिल – रिका एक ऐसा ही विकल्य है। यह पूरे एशिया और विशेषकर भारतीय उपमहादवीप के परिवहन का एक लोकप्रिय साधन है।

प्रश्न 1.
बिना जरूरत चीज़ों को खरीदने एवं इकद्टा करने की आदत का कारण क्या है?
उत्तर :
टी.वी., अखबार आदि के विज्ञापनों के प्रभाव के कारण लोगों में ज़रूरत न होने पर भी चीजों को खरीदने एवं इकट्टा करने की आदत होती है।

प्रश्न 2.
उपभोक्तावाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
समाज में बड़े पैमाने परु लोगों द्वारा जरूरत न होने पर भी चीजों को खरीदना और इकट्टा करना उपभोक्तावाद कहलाता है।

प्रश्न 3.
जीवन के विविध रूपों के लिए विनाशकारी साधन क्या है ?
उत्तर :
जीवन के विविध रूपों के लिए विनाशकारी साधन जीवाश्म इंधन से उत्पन्न प्रदूषण है।

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प्रश्न 4.
भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का प्रमुख साधन क्या होना चाहिए ?
उत्तर :
भारतीय उपमहाद्वीप में परिवहन का प्रमुख साधन साइकिल – रिव्शा है।

प्रश्न 5.
नई सदी में विकसित जगत किस ओर अपनी दृष्टि फैला रहा है?
उत्तर :
नई सदी में विकसित जगत अपने भविष्य के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्प की खोज की ओर अपनी दृष्टि फैला रहा है।

8. निम्नलिखित गद्यांक प्रढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

उस ज़माने में न तो मकान थे और न कोई दूसरी इमारत थी। लोग गुफ़ाओं में रहते थे। खेती करना किसी को न आता था। लोग जंगली फल बगैरा खाते थे, या जानवरों का शिकार करके मांस खाकर रहते थे। रोटी और भात उन्हें कहाँ मयस्सर होता, क्योंकि उन्हें खेती करनी आती ही न थी। वे पकाना भी नहीं जानते थे, हाँ शायद मांस को आग में गर्म कर लेते हों। उनके पास पकाने के बर्तन जैसे कढ़ाई और पतीली भी न थे। एक बात बड़ी अजीब है। इन जंगली आदमियों को तसवीर खींचना आता था। यह सत्य है कि उनके पास कागज़, क़लमम, पेंसिल या ब्रश न थे। उनके पास सिर्फ़ पत्थर की सुइयाँ और नोकदारें औज़ार थे।

प्रश्न 1.
इस गघांश में किस प्रकार के लोगों की जानकारी है ?
उत्तर :
इस गद्यांश में जंगली आदमियों की जानकारी है।

प्रश्न 2.
वे क्या खाते थे ?
उत्तर :
वे जंगली फल और जानवरों का मांस खाते थे।

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प्रश्न 3.
रोटी और भात उन्हें क्यों मयस्सर न था ?
उत्तर :
रोटी और भात उन्हें मयस्सर न थे क्योंकि उन्हें करनी नहीं आती थी।

प्रश्न 4.
वे मांस कैसे खाते थे ?
उत्तर :
वे मांस आग में गर्म करके खाते थे।

प्रश्न 5.
वे तस्वीर कैसे बनाते थे ?
उत्तर :
वे पत्थर की सुइयें और नोकदार औज़ार से तसवीर बनाते थे।

9. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

प्राचीन भारत का थोड़ा बहत पता जो हमें लगता है, वह ग्रीक और चीनी यात्रियों के यात्रा – वृत्तान्त से लगता है। ग्रीक वाले इस देश में सैनिक अथवा राजदूत बनकर आते थे। इससी से उनके लेखों में अधिकतर भारतीय राजनीन्नि, शासन – पद्धति और भौगोलिक बातों का ही उल्लेख है। उन्होंने भास्तीय धर्म शास्त्रों की छानबीन करने की विशेष परवाह नहीं की। चीनी यात्रियों का कुछ और ही उद्देश्य था, वे बिद्वान थे। उन्होने हजारों मील की यात्रा इसलिए की थी कि बौद्वों के पवित्र स्थानों का दर्शन करें, बौद्ध – धर्म की पुस्तकें एकत्र करें और उस भाषा को पढ़ें, जिसमें बे पुस्तकें लिखी गयी थी।

प्रश्न 1.
प्राचीन काल में किन देशों के यात्री भारत आया करते थे?
उत्तर :
प्राचीन काल में ग्रीक -चीन देशों के यात्री भारत आया करते थे।

प्रश्न 2.
ग्रीक वाले किस रूप में भारत आते थे ?
उत्तर :
ग्रीक वाले सैनिक – राजदूत के रूप में भारत आते थे।

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प्रश्न 3.
चीनी यात्रियों की भारत यात्रा का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर :
चीनी यात्रियों की भारत यात्रा का उद्देश्य भारत के बौद्ध स्थानों के दर्शन करना था।

प्रश्न 4.
चीनी यात्री किस प्रकार के लोग थे ?
उत्तर :
चीनी यात्री विद्वान लोग थे।

प्रश्न 5.
यह गद्यांश किस विषय से संबंधित है?
उत्तर :
यहं गद्यांश इतिहास से संबंधित है।

10. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।

महानगरों में बचों के खेलने – कूदने की बडी समस्या है। हमारे बचों के लिए शहर में खेलने – कूदने के लिए जगह है ही कहाँ ? जो भी खुली जगह थी, बहाँ लोगों ने या तो माँल्स बना लिए या फिर उसे पार्किग एरिया घोषित कर दिया या फिर बिल्डर मुनाफ़। कमाने के लिए इमारतें बनाने के लिए टूट पड़ें। बच्यों के खेलने की जगहों को इस तरह एक के बाद एक समाप्त करना निराशाजनक है। शहरों में खेल के लिए स्थान समाप्त होते जाने के कारण बचों को खेलने के लिए अक्सर सडक पर निकलना पडता है जो खतरनाक होता है। क्योकि ट्रैफिक में या तो हादसे होने का डर होता है या फिर गंदगी के कारण बीमारियाँ लगने का खौफ़ उत्पत्र हो जाता है। आखिर बचे खेलेंगे नहीं तो विकसित कैसे होंगे?

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश में किस महानगरीय स्सम्या का उहेख हुआ है?
उत्तर :
उपर्युक्त गद्यांश में मैदान की समस्या का उक्लेख हुआ है।

प्रश्न 2.
शारीरिक विकास प्रक्रिया में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है?
उत्तर :
शारीरिक विकास प्रक्रिया में पोष्टिक आहार व खेलकूद का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

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प्रश्न 3.
खेलने के लिए ‘मैदान’ के अभाव में शहरों में बच्चे अक्सर कहाँ निकल पडते हैं?
उत्तर :
खेलने के लिए ‘मैदान’ के अभाव में शहरों में बच्चे अक्सर सडकों पर निकल पडते हैं।

प्रश्न 4.
“शहर में खेलने – कूदने के लिए जगह है ही कहाँ?”‘ इस काक्य का तात्पर्य क्या है?
उत्तर :
“शहर में खेलने – कूदने के लिए जगह है ही कहाँ?” इस वाक्य का तात्पर्य है कि – खेलने की जगह नहीं है।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक क्या हो सकता है ?
उत्तर :
उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक ‘महानगरों में मैदान का अभाव’ हो सकता है।

नीचे दिये गये गद्यांग को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।

1. चंदमणी नामक एक लड़का था। उसके माता – पिता का देहांत हो चुका था। लेकिन चह खूब पढ़ना चाहता था। उसका एक मित्र था घनश्याम। पिछलीबार जब घनश्याम, चंद्रमणी से मिला तब उसके माता – पिता जिंदा थे। अब चंदमणी अकेला था। वह दुखी और असहाय था। घनश्याम ने उसे अपने घर पर साथ रहने के लिए निवेदन किया।

प्रश्न :
1. घनश्याम के मित्र का नाम क्या था ?
2. वह खूब पढ़ना चाहता था। वाक्य में ‘वह’ किसका सूचक है ?
3. ‘देहांत’ किन दो शब्दों से बना है ?
4. कौन अकेला था ?
5. चंद्रमणी दुखी क्यों था?
उत्तर :
1. घनश्याम के मित्र का नाम था “चंद्रमणी”।
2. वाक्य में वह “चंच्रमणी” का सूचक है।
3. “देह + अंत”।
4. चंद्रमणी अकेला था।
5. चंद्रमणी के माता – पिता का देहांत हो चुका था। अब वह अकेला था। इसलिए चंद्रमणी दुखी था।

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2. जब गोपत्रा भदाचलम तहसील के अधिकारी बने तो उनकी दृष्टि भदरिरि पर स्थित सीता, राम और लक्ष्मण पर पड़ी। वे स्वयं राम भक्त थे। उन्होंने भदाचलम के राम मंदिर के निर्माण का भार अपने कंधों पर लियों तहसीलदर के रूप में जो धन राजकोश के लिए बसूल करते थे उसका उपयोग करके वे राम मंदिर बनबाने लगो। मंदिर बना। राम, सीता और लक्ष्मण के लिए आभूषण आदि भी बने। सरकार का सारा पैसा इसी में खर्च हो गया।

प्रश्न :
1. गोपन्ना स्वयं किसके भक्त थे ?
2. भद्राचलम के राम मंदिर के निर्माण का भार किन्होंने अपने कंधों पर लिया ?
3. राम, सीता और लक्ष्मण के लिए क्या बने ?
4. भद्राचलम तहसील के अधिकारी कौन थे ?
5. मंदिर शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर :
1. गोपन्ना स्वयं राम भक्त थे।
2. भद्राचलम के राम मंदिर के निर्माण का भार गोपन्ना ने अपने कंधों पर लिया।
3. राम, सीता और लक्ष्मण के लिए आभूषण आदि बने।
4. भद्राचलम तहसील के अधिकारी “गोपन्ना” थे।
5. मंदिर शब्द का अर्थ है “‘देवालय’।

3. खेलकूद और ब्यायाम से हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहता है। खुली हवा के बिना तो मनुष्य का शरीर सूस्थ नहीं बन सकता। इसके लिए घर हवादार होना चाहिए। प्रातः काल खुली हवा में टहलना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। यह हमेशा याद रखना चाहिए कि अच्छा स्वास्थ्य ही सुखमय जीवन का आधार है। एक प्रचलिति कहावत है – “मन चंगा तो कटौती में गंगा।”

प्रश्न :
1. हमारा शरीर और मन किनसे स्वस्थ रहता है ?
2. किसके बिना तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ नहीं बन सकता ?
3. घर कैसा होना चाहिए ?
4. सुखमय जीवन का आधार क्या है?
5. “मन चंगा तो कटौती में गंगा” यह क्या है?
उत्तर :
1. खेलकूद और व्यायाम से हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहता है।
2. खुली हवा के बिना तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ नहीं बन सकता ।
3. घर हवादार होना चाहिए।
4. स्वार्थ सुखमय जीवन का आधार है।
5. “मन चंगा तो कटौती में गंगा”. यह एक कहावत है।

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4. प्रथम पृष्ठ पर मुख्य – मुख्य समाचार होते हैं। ब्यापार और खेलकूद के समाचार दूसरे – तीसरे पृष्ठों पर दिये जाते हैं। साथ ही व्यंग्य चित्र और विज्ञापनों के चित्र भी होते हैं, जिससे समाचार – पत्र और भी आकर्षक लगता है। प्रायः सभी समाचार – पत्रों में बच्चों का भी पृष्ठ होता है, जिसमें मनोरंजक कहानियाँ, कविताएँ तथा चुटकुले आदि होते हैं। बच्चों के लिए समाचार भी दिये जाते हैं। कभी कभी बच्चों के चित्रों के साथ उनके द्वारा लिखी गयी रचनाएँ भी छापी जाती हैं।

प्रश्न :
1. मुख्य – मुख्य समाचार किस पृष्ठ पर होते हैं ?
2. दूसरे – तीसरे पृष्ठों पर किनके बारे में समाचार दिये जाते हैं ?
3. किनसे समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है ?
4. सभी समाचार पत्रों में किनके लिए भी पृष्ठ होते हैं ?
5. इस अनुच्छेद में किसके बारे में बताया गया है ?
उत्तर :
1. मुख्य – मुख्य समाचार प्रथम पृष्ठ पर होते हैं। (या) प्रथम पृष्ठ पर मुख्य – मुख्य समाचार होते।
2. व्यापार और खेल – कूद के समाचार से समाचार पत्र दूसरे – तीसरे पृष्ठों पर दिये जाते हैं।
3. व्यंग्य और विज्ञापनों के चित्रों से समाचार पत्र और भी आकर्षक लगता है।
4. सभी समाचार पत्रों में बच्चों के लिए भी पृष्ठ होते हैं।
5. इस अनुच्छेद में समाचार पत्रों के बारे में बताया गया है।

5. बाबर को कला से बड़ा प्रेम था। बाबर के बाद हुमायूँ सिंहासन पर बैठा। उसे ज्योतिष शास्त्र से बड़ा प्रेम था। बह नक्षत्रों को हिसाब करके उसीके अनुसार अपना दरबार किया करता था। कहते हैं कि एक बार किसी भिश्ती ने उसके प्राण बचाये थे। हुमायूँ ने उसको तीन घंटे के लिए बादशाह बनाया था।

प्रश्न :
1. कलाओं से किन्हें बडा प्रेम था?
2. बाबर के बाद किन्होंने सिंहासन पर बैठा ?
3. नक्षत्रों को हिसाब करके उसीके अनुसार कौन अपना दरबार किया करता था?
4. हुमायूँ ने भिश्ती को कितने घंटे के लिए बादशाह बनाया था ?
5. हुमायूँ के प्राण कौन बचाये ?
उत्तर :
1. बाबर को कलाओं से बड़ा प्रेम था।
2. बाबर के बाद हुमायूँ सिंहासन पर बैठा।
3. नक्षत्रों को हिसाब करके उसीके अनुसार बाबर अपना दरबार किया करता था।
4. हुमायूँ ने भिश्ती को तीन घंटे के लि बादशाह बनाया था।
5. किसी भिश्ती ने हुमायूँ के प्राण बचाये थे।

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6. पुत्र और तरु में भी भेद है, क्योंकि पुत्र को हम स्वर्थ के कारण जन्म देते हैं परन्तु तरु – पुत्र को तो हम परमार्थ के लिए ही बनाते हैं। ऋषि – मुनियों की तरह हमें वृक्षों की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि वृक्ष तो देषवर्जित हैं। जो छेदन करते हैं, उन्हें भी वृक्ष छाया, पुष्प और फल देते हैं। इसीलिए जो बिद्धान पुरुष हैं, उनको वृक्षों का रोपण करना चाहिए और उन्हें जल से सींचना चाहिए।

प्रश्न :
1. पुत्र को हम किस कारण जन्म देते हैं ?
2. किसे तो हम परमार्थ के लिए ही बनाते हैं ?
3. हमें किनकी पूजा करनी चाहिए ?
4. द्वेष वर्जित क्या है?
5. वृक्षों का रोपण किन्हें करना है?
उत्तर :
1. पुत्र को हम स्वार्थ के कारण जन्म देते हैं।
2. ‘तरु पुत्र’ को हम परमार्थ के लिए ही बनाते हैं।
3. हमें ऋषि मुनियों की तरह वृक्षों की पूजा करनी चाहिए।
4. वृक्ष द्वेषवर्जित हैं।
5. जो विद्वान पुरुष हैं उन्हें वृक्षों का रोपण करना है।

7. वर्तमान युग विज्ञान के नाम से जाना जाता है। आज इसकी विजय पताका धरती से लेकर आकाश तक लहरा रही है। सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार व प्रसार है। मनुष्य ने चिज्ञान के द्वारा प्रकृति को जीत लिया है। आज मानव ने विज्ञान के द्वारा विद्युत बाष्प, गैस और कंप्यूटर की खोज करके संपूर्ण बिश्व में अपनी विजय दुंदुभी बजाकर एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।

प्रश्न :
1. वर्तमान युग किस नाम से जाना जाता है ?
2. सर्वत्र किसकी महिमा का प्रचार व प्रसार है?
3. विज्ञान के द्वारा मनुष्य ने किसे जीत लिया है ?
4. इस अनुच्छेद में किसके बारे में बताया गया है ?
5. मानव ने किसके द्वारा क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया ?
उत्तर :
1. वर्तमान युग विज्ञान के नाम से जाना जाता है।
2. सर्वत्र विज्ञान की महिमा का प्रचार व प्रसार है।
3. विज्ञान के द्वारा मनुष्य ने प्रकृति को जीत लिया है।
4. इस अनुच्छेद में वर्तमान युग और विज्ञान के बारे में बताया गया।
5. मानव ने विज्ञान के द्वारा क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया।

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8. सबेरे समय मगर जल के पास रेत में लेटने और सोने के लिए आता है। जाड़ों में तो वह देर तक धूप लेता रहता है। मगर फागुन – चैत में अंडे देता है। अण्डे उसके बड़े – बड़े होते हैं। बह उनको रेत में गहरा गाड़ता है। साधारण तौर पर बह मछलियाँ खाता है। मुँह खोल लिया, पानी फुफकारता रहा, और मछलियों को निगलता रहा।

प्रश्न :
1. मगर जल के पास में लेटने तथा सोने के लिए कब आता है ?
2. किन दिनों में तो वह देर तक धूप लेता रहता है ?
3. मगर के अंडे कैसे होते हैं?
4. साधारण तौर पर मगर किन्हें खाता है?
5. मगर अंडे कब देता है?
उत्तर :
1. सबेरे समय मगर जल के पास में लेटने तथा सोने के लिए आता है।
2. जाडों में तो वह देर तक धूप लेता रहता है।
3. मगर के अंडे बडे – बडे होते हैं।
4. साधारण तौर पर मगर मछलियॉँ खाता है।
5. मगर फ़ागुन – चैत्र में अंडे देता है।

9. दूसरा प्रसंग सातबें दर्जे का है। उस समय दोराबनी एदलजी गीमी हेडमास्टर थे। वे नियमों की पाबंदी कराते थे, बाकायदा काम करते और लेते थे और पढ़ाते अछा थे। ऊपर के दर्जों के बिद्यार्थियों के लिए उन्होंने कसरत और किकेट अनिवार्य कर दिया था। मुझे इन चीज़ों में अरुचि थी। अनिवार्य होने के पहले तो में.कभी कसरत, क्रिकेट या फुटबाल में गया ही नहीं था।

प्रश्न :
1. दूसरा प्रसंग किस दर्जे का है?
2. ऊपर के दर्ज के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य क्या था ?
3. हेड़मास्टर का नाम क्या था ?
4. नियमों की पाबंदी कौन कराते थे ?
5. इस अनुच्छेद में किन खेलों का उल्लेख मिलता है ?
उत्तर :
1. दूसरा प्रसंग सातवें दर्जे का है।
2. ऊपर के दर्जे के विद्यार्थियों के लिए कसरत और क्रिकेट अनिवार्य था।
3. हेडमास्टर का नाम था “दोराबजी एदलजी गीमी’।
4. हेडमास्टर दोराबाजी एदलजी गीमी नियमों की पाबंदी कराते थे।
5. इस अनुच्छेद में क्रिकेट और फुटबॉल खेलों के बारे में उल्केख मिलता है।

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10. दक्षिण ध्रुव में पानी की कमी नहीं थी, पर यहाँ आनेवाले महीनों नहीं नहाते थे। परंतु यह शिबिर बड़ा आधुनिक था – इसमें नहाने के लिए गरम पानी, ठंडा पानी, कपड़े धोने के यंत्र, कपड़े सुखाने के यंत्र, फ़र्श को, साफ़ करने के लिए ‘वेक्युम क्लीनर’, हरेक के सोने की जगह पर एक – एक बिजली की अंगीठी, फ़र्श पर ‘लिनोलियम’ आदि का प्रबंध था।

प्रश्न :
1. पानी की कमी किस ध्रुव में नहीं थी ?
2. शिबिर कैसा था ?
3. शिबिर में फर्श को साफ़ करने के लिए क्या था ?
4. फ़र्श पर किसका प्रबंध था ?
5. शिबिर में नहाने के लिए किसका प्रबंध था ?
उत्तर :
1. दक्षिण ध्रुव में पानी की कमी नहीं थी।
2. शिबिर बड़ा आधुनिक था।
3. शिबिर में फर्श को साफ करने के लिए “वेक्युम क्लीनर” था।
4. फ़र्श पर “लिनोलियम” का प्रबंध था।
5. शिबिर में नहाने के लिए गरम और ठंडा पानी का प्रबंध था।

11. समाज की सेबा करना हमारा कर्तव्य है। समाज हम से ही बनता और बिगड़ता है। समाज को स्वच्छ और सुंदर रखना परम आवश्यक है। संगति का असर मानव पर अत्यधिक पड़ता है। बुरे आदमियों की संगति में हम अच्छा नहीं रह सकते। जब परिवार में सभी आदमी दुःख से पीडित हों उस समय हम हैस नहीं सकते। समाज के साथ तो हमें जीवन पर्यत रहना है। यदि हमें अपने आपको सुखी और स्वच्छ रखना है तो अपने पिरवार को, अपने पड़ोस को सुखी और स्वच्छ बनाना पडेगा। परिबार और पड़ोस समाज से ही जुड़े हैं। कुछ लोगों का कथन है कि समय की कमी के कारण हम समाज की सेवा करने में असमर्थ हैं। यह कथन आधार रहित है। आपका पड़ोसी दु:ख दर्द से कराह रहा है और आप ग्रामोफ़ोन का रिकार्ड सुन रहे हैं। क्या समाज के एक अंग विशेष के लिए आप उसकी सहायता नहीं कर सकते।

प्रश्न :
1. हमारा कर्तव्य क्या है?
2. समाज को कैसा रखना परम आवश्यक है ?
3. किसका असर मानव पर अत्यधिक पडता है ?
4. परिवार और पडोस किससे जुडे हैं ?
5. समाज के साथ तो हमें कब तक रहना है ?
उत्तर :
1. समाज की सेवा करना हमारा कर्तव्य है।
2. समाज को ख्चच्छ और सुंदर रखना परम आवश्यक है।
3. संगति का असर मानव पर अधिक पडता है।
4. परिवार और पडोस समाज से जुडे हैं।
5. समाज के साथ तो हमें जीवन पर्यन्त रहना है।

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12. चर्बी हमारे शरीर को गरमी पहुँचाती. है और साँधों और जोड़ों को चिकना रखती है। घी, तेल इत्यादि सिग्ध पदार्थ देर से हज़म होनेवाले हैं। अतएव इनका उपयोग भी कम ही करना चाहिए। क्सस्पति घी का तो एकदम बहिष्कार करके उसकी जगह शुद्ध तेल का व्यवहार किया जाए।

प्रश्न :
1. चर्बी हमारे शरीर को क्या पहुँचाती है?
2. चर्षी किन – किनको चिकना रखती है?
3. देर से हज् होनेवाले पदार्थ क्या – क्या है ?
4. किस चीज़ को बहिष्कार करना चाहिए ?
5. वनस्पति घी की जगह किसका व्यवहार किया जाय?
उत्तर :
1. चर्बी हमारे शरीर को गरमी पहुँचाती है।
2. चर्बी साँधों और जोडों को चिकना रखती है।
3. घी, तेल इत्यादि स्निग्ध पदार्थ देर से हजम होनेवाले हैं।
4. वनस्पति घी को बहिष्कार करना चाहिए।
5. वनस्पति घी की जगह शुद्ध तेल का व्यवहार किया जाय।

13. सावन मास की छटा भी अनुपम है। यहाँ पर मनभावन दृश्य किसके नेत्रों को आकर्षित नहीं करता। गाँवों की रिमझ्गिम – रिमझिम वर्षा में किसानों के प्राण पुलकित हो उतते हैं। यर्षों में लहलहते खेतों को देखकर उनके हदय में आनंद की बाढ़ आ जाती है। जो प्राणदायक स्वच पवन नगर से दूर है। चह शीतलमन्द, सुग्ध समीर भोले – भाले ग्राम वासियों को अनायास ही प्राप्त होता है।

प्रश्न :
1. सावन मास की छटा कैसी है?
2. मनभावन दृश्य किस मास में नेत्रों को आकर्षित करते हैं?
3. वर्षा में खेत कैसे होते हैं?
4. प्राणदायक स्वच्छ पवन किस़से दूर है ?
5. ग्रामवासी कैसे होते हैं?
उत्तर :
1. सावन मास की छटा अनुपम है।
2. मनभावन दृश्य सावन मास में नेत्रों को आकर्षित करते हैं।
3. वर्षा में खेत लहलहाते हैं।
4. प्राणदायक स्वच्छ पवन नगर से दूर है।
5. ग्रामवासी भोल – भाले होते हैं।

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14. हिन्दी हमारे देश की राजभाषा है और राष्ट्रभाषा भी। हिन्दी को लगभग भारत के सभी प्राँतों के लोग समझते हैं। देशबासियों के बीच व्यवहार के लिए हिन्दी भाषा उपयोगी है। सामान्य ब्यवहार के लिए हिन्दी को सीखने के लिए तुमको पत्र- पत्रिकाएँ पढ़नी है। हमें यह भी जानना चाहिए कि हिन्दी के अलाबा भारत में 21 और भाषाएँ हैं, जो संविधान के द्वारा स्वीकृस हैं – जैसे तेलुगु, तमिल, बंगाली, मराठी, गुजराती आदि। जहाँ तक हो सके इनकी जानकारी प्राप्त करना नागरिकों के लिए ज़रूी है। इससे भाषाओं के प्रति सद्भाबना बनती है और भारत की एकता को बल मिल़ता है।

प्रश्न :
1. हमारे देश की राजभाषा और राष्ट्र भाषा क्या है ?
2. हिंदी के अलावा, भारत में कितनी भाषाएँ हैं, जो संविधान ने स्वीकृत की हैं ?
3. किस भाषा को भारत के लगभग सभी प्रांतों के लोग समझते हैं?
4. देशवासियों के बीच व्यवहार के लिए उपयोगी भाषा क्या है ?
5. सामान्य व्यवहार के लिए हिन्दी सीखने के लिए किन्हें पढ़नी चाहिए ?
उत्तर :
1. हिंदी हमारे देश की राजभाषा और राष्ट्रभाषा है।
2. हिंदी के अलावा भारत में 21 और भाषाएँ हैं जो संविधान के द्वारा स्वीकृत की हैं।
3. हिंदी भाषा को भारत के लगभग सभी प्रांतों के लोग समझते हैं।
4. देशवासियों के बीच व्यवहार के लिए हिंदी भाषा उपयोगी है।
5. सामान्य व्यवहार के लिए हिंदी को सीखने के लिए पत्र – पत्रिकाएँ पढ़नी चाहिए।

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