AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 1 अपना-पराया

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material गद्य भाग 1st Lesson अपना-पराया Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material 1st Lesson अपना-पराया

संदर्भ सहित व्याख्याएँ – సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు

प्रश्न 1.
उसकी पत्नी जो पाँच साल से विधवा की भाँति रह रही है, उसके पहुंचने पर काम – धाम में बहुत व्यस्त है, प्रेम-संभाषण के लिए तनिक अवकाश नहीं निकाल पाती। .
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ “अपना पराया’ नामक कहानी से दी गई है । कहानी के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है । आप हिन्दी कहानी क्षेत्र में मनोविश्लेषणवादी रचनाकार के रूप में सुपरिचित हैं । आपका जन्म 1905 ई – अलीगढ़ के कौडियागंज में हुआ | आपने भाषा की सहजता शिल्पगत सूक्ष्मता पर अधिक बल दिया है।

संदर्भ : एक सिपाही लंबे समय के बाद घर लौटते समय अपनी पत्नी परिवार के बारे में स्वप्न देखता है ।

व्याख्या : एक सिपाही युद्ध क्षेत्र से लंबी अवधी के बाद घर लौटते समय सडक के किनारे एक सराय में टहरता है। उसे जल्दी नींद आजाती है । सपने में घर की बातें देखने लगता है … उसकी पत्नी जो पाँच साल से विधवा जैसे रह रही है! उसके पहुंचने पर भी काम धाम में व्यस्त रहती है। प्रेम – संभाषण . के लिए तनिक समय नहीं निकाल पाती है । पती से बची – बची काम कर रही है । और कल्पना करता है कि…इस बेचारी ने उसके बगैर विपदाओं में किस प्रकार समय काटा होगा ।

विशेषताएं : इन पंक्तियों के माध्यम से जैनेंद्र जी ने एक सिपाई की परिवार के प्रति आकांक्षाओं को प्रस्तुत किया है । भाषा सरल एवं सहज है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 1 अपना-पराया

प्रश्न 2.
यह बेमतलब का क्रंदन, बेराग, बेस्वर, सन्नाटे को चीरकर आता हुआ उसके कानों में बहुत अप्रिय लगा।
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ “अपना पराया’ नामक कहानी से दी गई है । कहानी के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है । आप हिन्दी कहानी क्षेत्र में मनोविश्लेषण वादी रचनाकार के रूप में सुपरिचित हैं । आपका जन्म 1905 ई – अलीगढ़ के कौडियागंज में हुआ | आपने भाषा की सहजता शिल्पगत सूक्ष्मता पर अधिक बलदिया है।

संदर्भ : लंबे समय के बाद परिवार से निकले सिपाही को एक बच्चे के रोने की आवाज आती है और सिपाही की प्रतिक्रिया ।

व्याख्या : एक सिपाही युद्ध क्षेत्र से लंबी के बाद घर लौटने समय सड़क के किनारे एक सराय में टहरता है । परिवार के बारे में ख्वाब देखता है, रात का भोजन करके गाढी नींद में सो जाता है। पास की कोठरी से बच्चे की रोने की आवाज लगातार आती है । उस बच्चे को माँ चुप कराने बहुत मनाती है, पर रोना नहीं बन्द होता । पत्नी से मिलने के सुखद स्वप्न देखने वाले सिपाही को यह रोना अप्रिय लगता है | भटियारे को बुलाकर आदेश देता है कि इस शोर को बन्द कराओ ताकि नींद ठीक से लगे।

विशेषता : लंबे के समय मे बाद परिवार से मिलने की आशा, उमंगों वाले सिपाही की मनोदशा का सजीव चित्रण है ।

प्रश्न 3.
उस व्यक्ति के पैरों में बच्चे को डालकर उसने कहा, “मैं चली जाती हूँ । इस बच्चे को तुम ठोकर मारकर जहाँ चाहे फेंक दो।
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ “अपना पराया” नामक कहानी से दी गई है । कहानी के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है । आप हिन्दी कहानी क्षेत्र में मनोविश्लेषणवादी रचनाकार के रूप में सुपरिचित हैं । आपका जन्म 1905 ई – अलीगढ़ के कौडियागंज में हआ । गांधी जी के प्रभाव से असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल भी गये! जेल के वातावरण से ही कहानियाँ लिखने की प्रेरणा मिली! आपने भाषा की सहजता शिल्पगत सूक्ष्मता पर अधिक बल दिया है।

संदर्भ : एक सिपाही लंबे समय के बाद घर जाते हुए सराय में रात टहरने पर घटित घटना का वर्णन है।

व्याख्या : एक सिपाही लंबे समय के बाद परिवार वालों से मिलने जाते हुए एक सराय में रात के समय में टहरता है । परिवार के बारे में कल्पनाएँ करता है, स्वप्न देखता है । भटियारे को भेज कर रोनो की आवाज बन्द कराने का प्रयत्न करता है पर विफल रहता है । खुद सिपाही वहाँ पर जाता है, रोते बच्चे को और उसकी माँ को कहीं और जाने के आदेश देन पर उस स्त्री ने सिपाही के पैरों मे अपने बच्चे को डाल कर गिडगिड़ाते हुए कुछ घंटे की मुहलत मांगती है, कुछ भी ना सुनने पर कहती है – “इस बच्चे को तुम ठोकर मार कर जहाँ चाहे फेंक दो ।”

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 1 अपना-पराया

विशेषता : कुछ वर्ष पूर्व पत्नी और बच्चे को छोड गये पती को खोजती पत्नी और बच्चे की मार्मिक कथा है | जो दिल की सतह को छूने वाली है मानवीय संबंधों को उभारने वाली है।

दीर्घ प्रश्न – దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न
1. ‘अपना – पराया’ पाठ का साराँश लिखिए ।
2. ‘अपना – पराया’ कहानी के प्रमुख पात्रों की समीक्षा कीजिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत कहानी ‘अपना – पराया’ के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है । आपका जन्म कौडियागंज, अलीगढ़ में 1905 ई में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ । गाँधीजी के प्रभाव से असहयोग आंदोलन में भाग लेकर जेल भी गये । आपकी पहली कहानी विशल भारत’ में प्रकाशित हुई। आपका पहला उपन्यास ‘परख है।

सारांश : जैनेंद्र कुमार जी ने इस कहानी में लंबी अवधी के बाद युद्ध – क्षेत्र से घर लौटते एक सिपाही की मनोभावनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया है।

एक सिपाही लंबी अवधी के बाद युद्ध – क्षेत्र से घर लौटते हुए एक सराय में ठहरकर अपने घर-परिवार की कल्पनाएँ करता है ।सिपाही सपने में घर की बातें देखने लगा उसकी पत्नी पाँच साल से विधवा की भाँती रही, प्रेम-संभाषण के लिए अवकाश नहीं निकाल पाती । बेचारी कितनी कष्ट उठाती थी। किस प्रकार मेरे पीछे दिन काटे ? बे – पैसे, बे – आदमी, साढे चार साल का बेटा करनसिंह कैसा है ? जैसे सपने देखता ही था इतने में सिपाही की नींद टूटी । देखा घर की मंजिल अभी दूर है । और बातचीत के लिए सरायवाले को बुलाया और कहा – युद्ध क्षेत्र में हम जितने दुश्मनों को मारते है उतना ही नाम सम्मान और प्रतिष्ठा देते है।

सिपाही बातें करता रहा, भटियारा सुनता रहा । जब रात हुई सिपाही खा – पीकर सोने लगा । इतने में जोर से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई पडी | बच्चे को माँ कितनी बार समझाने पर भी रोता ही रहा । आखिर सिपाही को नींद असंभव हो गई । भटियारे को बुलाकर कहा – बच्चा और उसकी माँ को यहाँ से कही दूर भेजने का आदेश दिया । बच्चे की माँ के अनुरोध पर भटियारे का मन बदलगया। लेकिन सिपाही की खफगी का उसे डर था । बच्चा और प्रबल से रोता रहा ।

यह काम भटियारे से न होगा समझकर इस बार स्वयं सिपाही ही उस स्त्री की कोठरी के पास जाकर कहा – “देखो, तुमको इसी वक्त बच्चे को लेकर चले जाना होगा । बच्चा रोता रहा स्त्री चुपचाप उठी, बच्चे को उठाकर सिपाही के पैरों में डालकर – ” मैं चली जाती हूँ | बच्चे को जहाँ चाहे फेंक दो।” कहती हुई चलने लगी। सिपाही कहता है – ” ठहरो – ठहरों कहाँ जाती हो । स्त्री ने उत्तर दिया – “मुझे जहाँ मौत मिले वहाँ जाती हूँ।” स्त्री ने कहा ।

जब सिपाही के मन में एकदम परिवर्तन आजाता है और कहता है -” तो तुम कौन हो, कहाँ से आ रही हो, किधर जाती हो’ स्त्री ने कहा -‘ पाँच बरस से बच्चे के बाप की तलाश में घूमती हूँ। वह लडाई पर गया | पता नही जिंदा है या मर गया । शायद लौटते हए रास्ते में मिल जाय । मैं उसी के पास इस बदनसीब बच्चे को ले जा रही हूँ ।”

सिपाही की आँखो में आँसू आगये | तब सिपाही को पता चला कि वह बच्चा अपना ही है और वह स्त्री अपनी पत्नी । बच्चे को पैरो पर से उठाया, प्यार किया और वह अत्यंत ममत्वपूर्ण हो उठता है ।

विशेषताएँ : सैनिक के मनोभावनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया गया । यह एक मौलिक चिंतन है जो देश के लिए अपने परिवार को छोडकर सुदूर सीमा पर रहनेवाले सिपाही की है । मनोवैज्ञानिक विश्लेषण जैनेंद्र कुमार जी की कहानियों की विशेषता है ।

लघु प्रश्न – స్వల్ప సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न 1.
सिपाही की पत्नी का क्या हाल है ?
उत्तर:
सिपाही की पत्नी, अपने पति की तलाश में एक सराय की कोठरी में दुर्भर अवस्या में गरीबी हालत में और अपने बीमार बच्चे को साथ लिए हुई है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 1 अपना-पराया

प्रश्न 2.
बहादूर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
फौज में सिपाही दुश्मनो को मार कर हराता है। उसी मारने का नाम वहाँ (युद्ध में) बहादूर बन जाता है । युद्ध में दुश्मनो के आगे डट कर रहना और उनके दाँत खट्टे करने को बहादूरी कहते है ।

प्रश्न 3.
स्त्री ने सिपाही से क्या कहा ?
उत्तर:
स्त्री ने सिपाही से कहा कि – पाँच बरस से इस बच्चे का बाप नही लौटा । वह लडाई पर गया । कौन जाने मर गया हो । कौन जाने शायद लौटते समय रास्ते में मिल जाय । मै उसी के पास इस बदनसीब बच्चे को ले जा रही हूँ।

एक वाक्य प्रश्न – ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न 1.
‘अपना – पराया’ कहानी के कहानीकार कौन हैं ?
उत्तर:
अपना – पराया कहानी के कहानीकार जैनेंद्र कुमार जी हैं।

प्रश्न 2.
कितने रुपये सिपाही की कमर में बंधा है ?
उत्तर:
‘दो हजार रुपये सिपाही कमर में बांधा है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 1 अपना-पराया

प्रश्न 3.
सिपाही के बेटे का नाम क्या है ?
उत्तर:
सिपाही के बेटे का नाम ‘करनसिंह’ है

प्रश्न 4.
युद्ध में मारने का काम क्या होता है ?
उत्तर:
युद्ध में मारने का नाम ‘बहादूरी होता है ।

प्रश्न 5.
फौजी किस पर सवार होकर आता है ?
उत्तर:
फौजी घोडे पर सवार होकर आता है।

लेखक परिचय – రచయిత పరిచయం

प्रस्तुत कहानी ‘अपना – पराया’ के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है। आपका जन्म कौडियागंज, अलीगढ़ में 1905 ई में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ । गाँधीजी के प्रभाव से असहयोग आंदोलन में भाग लेकर जेल भी गये । आपकी पहली कहानी ‘विशाल भारत’ में प्रकाशित हुई । आपका पहला उपन्यास ‘परख’ है।

सारांश – సారాంశం

जैनेंद्र कुमार जी ने इस कहानी में लंबी अवधी के बाद युद्ध – क्षेत्र से घर लौटते एक सिपाही की मनोभावनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया है।

एक सिपाही लंबी अवधी के बाद युद्ध – क्षेत्र से घर लौटते हुए एक सराय में टहर कर अपने घर-परिवार की कल्पनाएँ करता है । सिपाही सपने में घर की बातें देखने लगा। उसकी पत्नी पाँच साल से विधवा की भाँती रही, प्रेम-संभाषण के लिए अवकाश नही निकाल पाती । बेचारी कितनी कष्ट उठाती थी। किस प्रकार मेरे पीछे दिन काटे ? बे – पैसे, बे – आदमी, साढे चार साल का बेटा करनसिंह कैसा है ?

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 1 अपना-पराया

सिपाही बातें करता रहा, भटियारा सुनता रहा । जब रात हुई सिपाही खा – पीकर सोने लगा । इतने में जोर से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई पडी । बच्चे को माँ कितनी बार समझाने पर भी रोता ही रहा । आखिर सिपाही को नींद असंभव हो गई । भटियारे को बुलाकर कहा – बच्चा और उसकी माँ को यहाँ से कही दूर भेजने का आदेश दिया । बच्चे की माँ के अनुरोध पर भटियारे का मन बदल गया । लेकिन सिपाही की खफगी का उसे डर था । बच्चा और प्रबल से रोता रहा ।

यह काम भटियारे से न होगा समझकर इस बार स्वयं सिपाही ही उस स्त्री की कोठरी के पास जाकर कहा – “देखो, तुमको इसी वक्त बच्चे को लेकर चले जाना होगा । बच्चा रोता रहा स्त्री चुपचाप उठी, बच्चे को उठाकर सिपाही के पैरों में डालकर – ” मैं चली जाती हूँ | बच्चे को जहाँ चाहे फेंक दो।” कहती हुई चलने लगी।

जब सिपाही के मन में एकदम परिवर्तन आजाता है और कहता है -” तो तुम कौन हो, कहाँ से आ रही हो, किधर जाती हो” स्त्री ने कहा -” पाँच बरस से बच्चे के बाप की तलाश में घूमती हूँ । वह लडाई पर गया । पता नही जिंदा है या मर गया । शायद लौटते हुए रास्ते में मिल जाय । मैं उसी के पास इस बदनसीब बच्चे को ले जा रही हूँ।”

सिपाही की आँखो में आँसू आगये | तब सिपाही को पता चला कि वह बच्चा अपना ही है और वह स्त्री अपनी पत्नी । बच्चे को पैरो पर से उठाया, प्यार किया और वह अत्यंत ममत्वपूर्ण हो उठता है ।

विशेषताएँ : सैनिक के मनोभावनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया। गया । मनोवैज्ञानिक विश्लेषण जैनेंद्र कुमार जी की कहानियों की विशेषता है।

తెలుగు సారాంశం

ప్రస్తుతం మనం చదువుతున్న ‘అపనా – పరాయా’ అనే పాఠ్యభాగ రచయిత జైనేంద్ర కుమార్ గారు. వీరు 1905 సంవత్సరంలో అలీగఢ్ లోని ఒక మధ్య తరగతి కుటుంబంలో జన్మించారు. మహాత్ముని ఆశయాలతో ప్రభావితులై సహాయ నిరాకరణ ఉద్యమంలో పాల్గొని జైలు శిక్షను కూడా అనుభవించారు.

సుధీర్ఘ సమయం తర్వాత యుద్ధ రంగం నుండి తిరిగి ఇంటికి వెళ్తున్న ఓ సిపాయి మనోభావాల గురించి జైనేంద్ర కుమార్ గారు ఈ కథలో వివరించారు.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Chapter 1 अपना-पराया

ఓ సిపాయి చాలా కాలం తర్వాత యుద్ధ రంగం నుండి ఇంటికి వెళుతూ మార్గమధ్యంలో విశ్రాంతి కొరకు ఒక ధర్మసత్రంలో రాత్రికి బస చేస్తాడు. నిద్రలో తన కుటుంబం కనబడుతుంది. పాపం తన భార్య, తన గురించి సమాచారం తెలియక 5 సంవత్సరాలుగా ఒక వితంతువులాగా జీవితం గడుపుతుంది. తండ్రిని ఒకసారి కూడా చూడని నాలుగున్నర సం|| కుమారుడైన కరణ్ సింహ్ పెద్దవాడైపోయాడు. కల మధ్యలోనే మెలుకువ వస్తుంది. తాను చేరాల్సిన గమ్యం చాలా దూరం ఉంది అనుకున్నాడు. సత్రంలో పనిచేసే వ్యక్తితో సైనికుడిగా తన అనుభవాలను పంచుకుంటాడు. యుద్ధ రంగంలో ఎంత మంది ప్రత్యర్థులను చంపితే అంత గొప్ప వీరుడిగా చెప్పుకుంటారని తెలియజేస్తాడు.

రాత్రి కావడంతో సిపాయి భోజనం చేసి నిద్రకు ఉపక్రమిస్తాడు. ఇంతలోనే ఒక బాలుడి ఏడుపు, శబ్దాలు వినపడతాయి. బాలుడి తల్లి ఎంత నచ్చజెపుతున్న బాలుడు ఏడ్పును ఆపడం లేదు. ఆ బాలుడి ఎడ్పుతో సిపాయికి నిద్రపట్టడం కష్టం అయిపోయింది. సత్రం మేనేజర్ ని పిలిచి బాలుడు మరియు ఆ బాలుడి తల్లిని సత్రం నుండి బయటకు పంపమని సిపాయి ఆదేశిస్తాడు. మేనేజర్ ఆ స్త్రీ దగ్గరకు వెళ్ళి, తన కుమారుడిని తీసుకొని ఇక్కడి నుండి బయటకు వెళ్ళమని చెప్పగా, ఆ స్త్రీ తన దీనస్థితిని, తన కుమారుడి అనారోగ్యం గురించి చెప్తూ, ఉదయం వరకు సత్రంలో ఉండటానికి అవకాశం ఇవ్వమని ప్రాధేయపడుతుంది.

మేనేజర్ మనసు కరిగి సిపాయికు నచ్చజెప్పే ప్రయత్నం చేస్తాడు. సిపాయి మాత్రం చాలా కఠినంగా ప్రవర్తిస్తాడు. స్వయంగా ఆ స్త్రీ ఉన్న చీకటి గదిలోకి వెళ్ళి, ఆ స్త్రీను అర్థరాత్రి సమయంలో బయటకు వెళ్ళమని ఆజ్ఞాపిస్తాడు. ఎంత నచ్చజెప్పిన కనికరించడు. చివరకు బాలుడుని సిపాయి కాళ్ళ దగ్గర పెట్టి, చావడానికి బయటకు వెళ్తుండగా, సిపాయి ఆ స్త్రీ వివరాలు అడగగా, తన భర్త 5 సం||రాల క్రితం తనను, తన కుమారుణ్ణి వదిలి యుద్ధరంగానికి వెళ్ళాడని, అతని ఆ చూకి ఇంతవరకు తెలియదని చెప్పడంతో సిపాయి కన్నీటి పాలవుతాడు. ఆ స్త్రీ ఎవరోకాదు తన భార్యనే, ఆ బాలుడు తన కుమారుడునని చివరికి తన కాళ్ళ దగ్గర ఉన్న కుమారుణ్ణి హత్తుకుంటాడు.

कठिन शब्दों के अर्थ – కఠిన పదాలకు అర్ధాలు

वास्ता – न लेना न देना, సంబంధం
नागवार – अप्रिय, ప్రశాంతత లెకుండుట
मुलाज़मत – किसी की सेवा में रहना, పరాయి ఇంట్లో సేవచేస్తూ ఉండుట
खफ़ा – नाराज़, కోపం
खफ़गी – क्रोध, క్రోదం
तशरीफ – आदर, కూర్చొనుట
फरेब – छल , వెళ్ళు

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