Access to a variety of AP Inter 2nd Year Hindi Model Papers Set 6 allows students to familiarize themselves with different question patterns.
AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 6 with Solutions
Time : 3 Hours
Max Marks : 100
सूचनाएँ :
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
- जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।
खंड – क ( 60 अंक)
1. निम्नलिखित दोहे की पूर्ति करते हुए भावार्थ सहित विशेषताएँ लिखिए। (1 × 8 = 8)
कोऊ कोटिक संग्रहौं, कोऊ लाख हजार ।
मो संपति जदूपति सदा, बिपति बिदारन हार ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि “कोई लाखों करोडों रूपये कमा लेते हैं, कोई लाखों या हजारों रूपये कमा लेते हैं । मेरी दृष्टि में धन का कोई महत्व नहीं है । मेरी दृष्टि में इस संसार की सबसे अनमोल संपत्ति मात्र श्रीकृष्णा ही है जो हमेशा मेरी विपत्तियों को नष्ट कर देते हैं, मुझे सदा सुखी रखते हैं । इसलिए सदा श्रीकृष्ण का नाम स्मरण करना चाहिए ।
अथवा
एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास ।
एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास |
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र के बादलों पर विश्वास रखता है क्यों कि वही उसका बल है । इसीलिए वह स्वाती नक्षत्र के बादलों की प्रतीक्षा करता है स्वाती नक्षत्र के वर्षा की, बूँदों को ही पीता है । उसी प्रकार तुलसी भी श्रीरामचंद्र पर विश्वास रखते है । वही उनका बल है । वह उनकी प्रतीक्षा में ही रहता है । इसी लिए तुलसी रुपी चातक के लिए राम बादल बन गये ।
II. किसी एक कविता का सारांश बीस पंक्तियों में लिखिए । (1 × 6 = 6)
1. ‘ऊर्मिला का विरह गान कविता का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं। खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई को झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है । साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ – वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।
सारांश : प्रस्तुत कविता साकेत नामक महाकाव्य के नवम सर्ग से लिया गया है । रामायण में अधिक उपेक्षित तथा अनदेखा नारी पात्र उर्मिला इस कविता में विरह विदग्ध उर्मिला की मनोदशा का मार्मिक चित्रण है । लक्ष्मण राम और सीता के साथ वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है । उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रहने कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है |
हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसू मोती बनते जा रहे हैं। मैं सदा यही मानती रही हूँ कि तुम मेरे देवता हो, तुम ही मेरे सब कुछ हो तथा मेरे आराध्य हो । अपने आप को साबित करना अनिवार्य है कि मैं सोती रहती हूँ या जागती रहती हूँ पर तुम्हें ही याद करती रहती हूँ, तुम्हारे ही स्मरण में जी रही हूँ । तुम्हारे हंस ने में फूल है असीम प्यार है और हमारे रोने में मोती है ।
प्रार्थना करती हूँ कि तुम्हारा त्याग सहज हो, सफ़ल हो, मेरा अटूट विश्वास है कि आपके प्रति मेरा अनुराग, प्रेम कभी निष्फल नहीं होगा । बस साधन-भाग स्वयं सिद्धी है । अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती।
काल चक्र भले ही रूक ना जाय, तुम्हारे और मेरे मिलन को भले ही काल चक्र रोक पाये, पर हमारे लिए बस विरह काल है। तुम जहाँ हो वहाँ सृजन, मिलन है, पर यहाँ राजभवन में सुविशाल प्रलय, विनाश सा सूना सूना एकाँत है ।
विशेषताएँ : इतिहास में उपेक्षित उर्मिला नामक नारी पात्र को महत्व देने का प्रयास किया है। गुप्त जी ने उर्मिला के दुख को, उसकी पीड़ा के प्रति अपनी संनेदना, सहानुभुति प्रकट किया है । कविता की भाषा सरल सहज अवं प्रसंगानुकूल शुद्ध खडीबोली है । शैलि लालित्य से भरपूर है।
2. ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ कविता का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं । आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं । ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।
सारांश : परशुराम की प्रतीक्षा एक खंड काव्य है । भारत चीन युद्धानंतर देश की परिस्थितियाँ बदलवगयी । देश में निराशा हताशा कि स्थिति फैली हुई थी, ऐसी स्थिति को दूर करने के लिए परशुराम जैसे वीर के पुनः जन्म की प्रतीक्षा थी इसी प्रतीक्षा को लेकर यह लिखा गया है । परशुराम की प्रतीक्षा काव्य के माध्यम से कवि दिनकर जी ने भारतीय संस्कृति के महत्व का परिचय दिया है। भारत की संस्कृति सर्वोन्नत है ही ।
कवि कह रहे हैं हम कैसी बीज बो रह हैं हमे पता ही नहीं, पर यहाँ की धरती दानी है । मनुष्य उसको जब भी जल कण देता उस के दान वृथा नहीं होने देती, बदले में कुछ न कुछ देती है । यह धरती वज्रों का निर्माण करती है यह देश और कोई नहीं, केवल हम और तुम है । यह देश किसी और के लिए नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारा और तुम्हारा है । भारत में न तो जाति का, न तो गोत्रों का बन्धन है । अनेकता में एकता रखने वाला देश है । इस देश में महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध जैसे महा पुरुषों का जन्म हुआ, इन महा पुरुषों के त्याग की नीव पर इस देश का निर्माण हुआ है, शंकराचार्य का शुद्ध विराग लेकर आते हैं ।
यह भी सच है कि जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भाग्य लिए आते हैं । भारत पर चीन के आक्रमण के समय भारत का गौरव घायल हुआ है । इसीलिए भारत के लोग चोट खाये भुजंग की तरह क्रोदित हो कर सुलगी हुई आग बना देते हैं । जब किसी जाति का आत्म सम्मान चोट खाता है, आग प्रचंड हो कर बाहर आती है। यह चोट खाये स्वदेश का बल वही है । ऐसी परिस्थिति में देश के उद्धार के लिए परशुराम जैसे वीर आदर्श पुरुष की प्रतीक्षा करते हैं । परशुराम के आदर्शों के बल पर भारत का भाग्योदय संभव है ।
III. किसी एक पाठ का सारांश 20 पंक्तियों में लिखिए । (1 × 6 = 6)
1. ‘नंबरोंवाली तिजोरी’ कहानी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : ‘नंबरोंवाली तिजोरी’ नामक हास्य कथा के लेखक कुंवर सुरेश सिंह जी हैं। सुरेश सिंह जी का जन्म 1935 में उत्तर प्रदेश के कालाकाँकर के राज परिवार में हुआ । वे हिन्दी के सुपरिचित साहीत्यकार हैं तथा आइ.ए.एस अफिसर भी हैं । आपकी रचनाएँ हैं ‘पंत जी और कालाकाँकर’ अवं ‘यादों के झरोखे से’ । इनकी रचनाएँ भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हैं ।
सारांश : यह एक तिजोरी को लेकर लिखी गई हास्य रचना है । राजा – रईस तो अब नहीं रहे पर उनकी यादें अभी तक नहीं भूली गई, राजा रईसों के यहाँ नौकरी करना हंसी – खेल की बात नहीं । कहानी के मुख्य पात्र “मैं” के चाचा छुईखदान महाराजा के यहाँ नौकर थे, उन्हीं की शिफ़ारिश से “मैं” को नौकरी मिल गयी । रियासत में दस साल सर्वीस करने के बाद जमीन्दारी खत्म हो गयी । राजा साहब द्वारा कटाई गई टिकट के सहारे बिना कौडी के “मै’ अपने घर वापस आ गये। आते आते राजा साहव से भेंट में मिली खाली, बंद तिजोरी के साथ। यह तिजोरी आज भी. नीम के नीचे पड़ी है जिस पर दिन भर लड़के उछल-कूद मचाया करते हैं ।
आखिर यह तिजोरी आयी तो क्यों आयी, इसे मकान के बाहर क्यों फेंका गया इस के बारे में “मैं’ पात्र बता रहा है । राजा साहब ने तिजोरी मैनेजर को तोहफ़े में दिया था । यह राय साहब की एक मात्र यादगार है इसलिए इसे संभाल कर रखना भी जरूरी हो गया । यह तिजोरी रौनख बढ़ाने के अलावा किसी काम की नहीं रही। यहाँ तक कि अचार, चटनी, दूध बिल्ली से बचाने में भी बेकाम है । इस तिजोरी को राजा साहब के वालिद साहब ने रियासत में ला रखा था और यह नंबरों वाली तिजोरी हैं। इसे खोलने के नंबर राजा साहब के वालिद के अलावा किसी को पता नहीं । मैनेजर ने इसे अपनी कोठी में रखना बढ़प्पन मानते थे। कई दिनों तक इस तिजोरी के कारण मैनेजर की खूब चर्चा चलती रही ।
एक दिन मैनेजर कुंभकर्ण की तरह गहरी नींद में खर्राटे भर रहे थे । डाक घर में चोरी के लिए घुसे । खोज – बीन के बाद डाकुओं को कुछ भी न मिलने कारण तलाशी मे मैनेजर के कमरे में गये । डाकुओं के हाथों में बल्लम तने हुए थे उन्हें देख कर मैनेजर कांपने लगा | डाकुओं की निगाह तिजोरी पर पड़ी । तिजोरी को फोड़ने शताधिक प्रयत्न करके विफल रहे । तिजोरी की चाबी के लिए मैनेजर की खूब पिटाई की। मैनेजर ने कहा यह ताले से नहीं बलकी नंबरों से खुलती है। नंबरों के लिए बेहद पिटाई की, यहाँ तक कि जलाने के लिए गर्म सलाखा मंगवाया । इतने में चौकीदार चौंक कर हल्ला मचाते वहाँ पहुंचता है तो डाकू भाग जाते हैं । दूसरे दिन ही उठा कर मैनेजर ने तिजोरी महल में पहुंचा दी । यह राजा साहब के तोहफ़े की शकल मे “मैं’ के घर पहुंची, उसे घर में रखने की हिम्मत न होने कारण “मैं” ने नीम के पेड़ नीचे फेंकवा दिया ।
विशेषताएँ : यह एक हास्य कथा है। कमरे की रौनख बढाने के लिए लायी गयी तिजोरी के कारण डाकुओं से बेहद पिटे जाने वाले बेकसूर मैनेजर की कथा है । भाषा सरल तथा उर्दू से भरी है । शैली प्रवाहमान है।
2. ‘ग्राम लक्ष्मी की उपासना’ पाठ का सारांश लिखिए |
उत्तर:
कवि परिचय : ग्राम लक्ष्मी की उपासना नामक निबन्ध के लेखक आचार्य विनोबा भाने जी हैं। आपका जन्म 1895 को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र मे हुआ । भूदान यज्ञ के प्रवर्तक एवं गाँधीवादी चिंतक के रूप में सुपरिचित हैं । आपकी रचनाएँ हैं सर्वोदय विचार, भूदान गंग, कार्यकर्ता वर्ग, गीता प्रवचन आदि प्रमुख हैं ।
सारांश : प्रस्तुत निबन्ध के माध्यम से लेखक विनोबा भावे जी भारतीय जनता को ग्राम की ओर आकर्षित करने का प्रयाम कर रहे हैं । विनोबा जी का कथन है कि आज गावों की बुरी हालत है कारण यह है – किसानों के दो उपास्य देवता हैं, एक पानी बरसाने वाले ईश्वर तथा दूसरा शहरिये भगवान । एक साथ इन दोनों की उपासना असंभव है । शहरिये भगवान की यह उपासना का यह दुष्परिणाम निकला है कि ग्राम लक्ष्मी कई रास्तों से होकर शहरिये भगवान की उपासना के पास पहुंचती है । उनके रास्ते चार वे हैं । पहला बाजार, दूसरा ब्याह-शादी, तीसरा साहुकार और चौथा व्यसन | इसलिए इन रास्तों की बन्द कर देना चाहिए ।
देहात में प्रेम और भाईचारा होता है। देहाती लोग एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल करेंगे। शहर में कोई किसी को नहीं पूछता। शहर में मात्र स्वार्थ और लोभ रहता है। गाँव प्रम से बनता है । यथार्थ लक्ष्मी देहात में है। पेड़ों में फल लगते हैं । खेतों में गोहूं होता है, गन्ना होता है। यह सब सच्ची लक्ष्मी है । गाँव में चीजें न बनती हो, उनके लिए दूसरे गाँव खोजना है। इस कार्य की जिम्मेदारी पंचायत की है। गांव के झगड़े टंटे करने का काम पंचायत का होता है। गांव में कौन-कौन सी चीज बाहर जाती है, कौन-कौन बाहर से आती है इसका ध्यान भी पंचायत ही रखना चाहिए । फिर बाहर मे क्यों आती है जानकर उन्हें गाँव में ही बनाने की कोशिश करनी चाहिए । फिर दाम ग्राम ही ठहराएगा। जब सब एक दूसरे की चीजें खरिदने लगेंगे तो सब सस्ता होगा | सस्ता और महंगा ये दो शब्द नहीं रहेंगे।
लेखक का मान है कि भगवान श्री कृष्ण ग्राम देवता के सच्चे उपासक थे । गांव से जुडे उत्पादनों का ही उन्होंने इस्तेमाल करके गावों का वैभव बड़ाया है । गावों की सेवा की। गावों पर प्रेम किया । गांव के पशु-पक्षी, गांव की नदी, गांव का गोवर्धन पर्वत इन सब पर उसने प्रेम किया ।
शहर भोग है, पैसा है, परन्तु आनंद नहीं । अपने गावों को गोकुल बनायेंगे तब नगर के सेठ गाँव की नमक – रोटी के लिए ललायित होकर लौट आयेंगे । देहातों को हरा भरा गोकुल बनाना है… सर्वाश्रयी, स्वावलंबी, आरोग्यशील, उद्योग संपन्न । बाजार में जाना क्यों पड़ता है । जिन चीजों की जरूरत पड़ती है उन्हें भरसक बनाने का निश्चय करो । स्वराज्य यानी स्वदेश का राज्य है, अपने गांव का राज्य । पुराने जमाने में हमारे गाँव स्वावलंबी थे । उन्हें सच्चा स्वराज्य प्राप्त था । इस रवैये को अपनाओ फिर देखो गाँव कैसे लहलहाते हैं ।
शहरी वस्तुओं के प्रति मोह को रोक देना चाहिए। अपने लिए आवश्यक चीजों को देहातों में तैयार कर लेना चाहिए। झगडें फ़सादों के कारण आदालतों में जाने की आदतों से बचो रहना चाहिए तथा देहातों की पंचायतों में ही समस्या को परिष्कृत करना चाहिए | लेखक का मानना है देहाती स्वराज्य देहाती उद्योग धंधों का स्वराज्य है और उसके नष्ट होने से आज देहात वीरान तथा डरावना दिखाई दे रहा है ।
विशेषताएँ : ग्राम के विकास से ही देश का विकास होगा। गाँव ही देश की रीढ़ की हड्डी है | देहाती स्वराज्य देहाती उद्योग धंधों का स्वराज्य है लेखक की भाषा में गाँव की सरलता, सहजता तथा प्रवाहमयता देखने को मिलती है ।
IV. किसी एक एकांकी का सारांश लिखिए । (1 × 6 = 6)
1. ‘सर्प दंश एकांकी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत एकांकी सर्प दंश की लेखिका शांति मेहरोत्रा है । शांति मेहरोत्रा जीने जनसाधारण से भोगी – झेली यथार्य स्थितियां और घटनाएँ इस एकांकी में प्रस्तुत की है ।
सर्पदंश शब्द अपने आप में एक गंभीर समस्या नजर आती है । जिसके लिए त्वरित इलाज की जरुरत पडती है लेखिका ने इस सर्प दंश समस्या को व्यंगात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है ।
सारांश : रीता नामक बाईस साल की एक लडकी सुबह के नौ बजे को पूजा के लिए फूल तोडते समय, बगीचे मे उसे साँप काटता है । घास के ज्यादा उगने के कारण रीता साँप को ठीक से देख नहीं पाती है । लेकिन अपने पैर को ध्यान पूर्वक जब देखती है तो उसे दो गोल गोल बारीक निशान दिखाई देते है जिनमें खून भी छलक आया था । वह तुरंत अस्पताल पहुँचती है । वहाँ क्यू में खडे रहने की नौबत आ पडती है । सर्प – दंश एक गंभीर समस्या है लेकिन रीता को क्यु में खडे होने के लिए मजबूर करते है । परचा बनाते समय कर्मचारी शर्मा तथा हरीलाल रीता को सताते है । हरीलाल, रीता से कहता है – लाइन में खडे – खडे मरने का अर्डर नही है, `यहाँ से परचा बनवाकर वार्ड में पहुँच जाओ, जब जी चाहा जियो या जी चाहा मरो ।
इतने में एक नीली साडी वाली औरत सबसे आगे जाकर परचा बनवा लेती है । रीता के पूछने पर हीरालाल जवाब देता है कि वह डाक्टर की रिश्तेदार है और इसलिए उसको क्यू में खडे होने की जरूरत नही है ।. रीता खडी नही हो पाती है । इसलिए हीरालाल के स्टूल पर बैठ जाती है ।
परचा बनवाने की ज़ब उसकी बारी आती है तब उसको शर्मा से भिडना पडता है । शर्मा रीता से पूछने लगता है कि किस जाति का सांप ने उसको काटा ? रीता जब कहने लगती है कि उसने सांप को ध्यान से नही देखा, शर्मा चिढकर कहने लगता है कि मैं आपकी भलाई के लिए पूछ रहा, हूँ हर जाति के सांप के काटे का प्रति विष अलग होता है । नाग के काटने पर करैत के काटे का इलाज होता है तो मरीज उल्टे इलाज से मरजाता है तो जिम्मेदारी किसकी बनेगी । रीता से पुन: विचार कर परचें पर सर्प दंश लिखकर भेजदेता है |
रीता जब डां. बहादुर से मिलने जाती है – तब उनके दरवाजे पर कर्मचारी रीता को रोकता है। रीता उसके हाथ में दस रुपये थमा देती है, रीता को तब कर्मचारी अंदर भेजता है । डॉ. बहादुर भी रीता से पूछने लगता है कि सांप किस जाति का था वह विषैल साँप या कि साधारण ? उसका रूप, धारियाँ रंग कैसा नही था ? ऊँबकर रीता डाक्टर से करने लगते है कि उसने ध्यान नही दिया था कई सवाल जवाब के बाद बहादुर उसे एमर्जेन्सी में जाकर दवा के साथ पट्टी लगवाने की सलाह देता है |
इतने में कर्मचारी से पता चलता है कि एमर्जेन्सी में एक पूरे बस के घायलो के इलाज के लिए लाया हैं । वह रीता को अब्जर्वेशन के लिए अस्पताल में भर्ती होने का सलाह देता है। रीता भर्ती होने के लिए सोचती ही रहती है कि इतने में हीरालाल उसके सामने आता है। रीता के यह कहने पर कि उसके माता पिता बाहर गये, तब हीरालाल यह कहकर रीता को शांत करता है कि वह स्वयं रीता के घर जाकर अगले दिन सुबह उसके माता – पिताजी को रीता का समाचार दे आयेगा । तब रीता उसके हाथ में दस रुपये रख देती है। हीरालाल खुश होकर रीता का खयाल रखने लगता है ।
रीता को दवाई लेने का समय होता है । वह सिस्टर से पानी माँगती है । सिस्टर चिढ़ – चिढ़कर बोलने लगती है कि घर से पानी आने तक थोडा इंतजार कर लीजिए ? इतने में हीरालाल सिस्टर के सामने आता है । हीरालाल से रीटा का जब समाचार मिलता है तब सस्टिर उससे कहने लगती है कि बेड नं तेरह रीता की मैं भी ख्याल रखूँगी ।
भोर होता है और रीता अस्पताल के बाहर निकलती है । हीरालाल जब सामने आता है तो उससे रीता कहती है कि मेरी जान बची है, अगर कोई सांप काटे का मरीज अस्पताल में इलाज के लिए आता है …. तब हीरालाल उसे बोलने से रोकता है और कहता है कि उसे सीधे डाक्टर के पास भेजूँगा, लाइन में लगने केलिए हरगिज नही कहूँगा । धीरे – धीरे परदा गिरता है और एकांकी समाप्त हो जाती है ।
विशेषताएँ : एक सरकारी अस्पताल की कार्य प्रणाली एवं उसके कर्मचारियों तथा डाक्टरों की मानशिकता को व्यंग्यात्मक ढंग इस एकांकी में प्रस्तुत किया गया ।
2 रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का सारांश लिखिए |
उत्तर:
लेखक का परिचय : जगदीशचन्द्र माथुर हिन्दी साहित्य के जाने- माने नाटककार और एकांकीकार हैं । आपका साहित्य सृजन भारतीय समाज को आधार बनाकर हुआ। आपने समाज की विविध विसंगतियों और समस्याओं को उजागर किया और विशेषकर नारी की समस्याओं का चित्रण उनके साहित्य में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । ‘भोर का तारा’, ‘ओ मेरे सपने’, ‘शारदीय’, ‘पहला राज’ आदि आपकी कृतियाँ हैं ।
सारांश : प्रस्तुत पाठ ‘रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है । इसमें भारतीय समाज में व्याप्त नारी विरोधी विचारधारा का चित्रण किया गया है । एकांकी के मुख्य पात्र उमा, उसके पिता रामस्वरूप, लड़का शंकर और उसके पिता गोपालप्रसाद हैं । प्रेमा और रतन एकांकी के गौण पात्र हैं ।
उमा एक पढ़ी लिखी युवती है । वह मेहनत करके बी.ए. पास करती है और आत्मनिर्भर होना चाहती है । प्रेमा और रामस्वरूप उसके माता-पिता हैं । एक औसत मध्यवर्गीय पिता होने के कारण रामस्वरूप यथाशीघ्र अपनी बेटी का विवाह कर देना चाहता है। जल्दी में वह शंकर नामक युवक से उमा का विवाह तय करता है । शंकर मेडिकल कॉलेज का छात्र है और उसके पिता गोपालप्रसाद वकील है । लेकिन वे नहीं चाहते कि लड़की ज्यादा पढ़ी-लिखी हो । इसलिए रामस्वरूप उनसे झूठ बोलता है कि उसकी बेटी सिर्फ मेट्रिक पास है । दोनों को लड़की देखने घर आमंत्रित करता है । उस दिन वह बहुत घबराहट के साथ सारी तैयारियाँ करवाता है । पत्नी प्रेमा और नौकर रतन को कई काम सौंपता है । प्रेमा कहती है कि यह विवाह उमा को मंजूर नहीं है । किन्तु रामस्वरूप नहीं मानता । वह पत्नी को डाँटता है कि कुछ न कुछ करके लड़की को तैयार रखे। उसे डर है कि कहीं यह रिश्ता हाथ से न जाये ।
निश्चित समय पर शंकर अपने पिता के साथ लड़की को देखने आता है । शंकर एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवक है किन्तु उसका अपना कोई व्यक्तित्व नहीं है । वह अपने पिता की बात पर चलनेवाला युवक है। पिता गोपालप्रसाद तो वकील है किन्तु उसके विचार पुराने हैं । वह चाहता है कि घर की बहू ज्यादा पढ़ी-लिखी न हो। इसलिए वह रामस्वरूप की बात मानकर, लड़की देखने आता है । पिता पुत्र की बातों से उनका स्वार्थ और चतुराई स्पष्ट होती है । गोपालप्रसाद का विचार है कि लड़की और लड़के में अंतर होता है, इसलिए कुछ बातें लड़कियों को सीखनी नहीं चाहिए | उनमें शिक्षा भी एक है । वह कहता है कि मात्र लड़के ही पढ़ाई के लायक हैं, लड़कियों का काम बस घर को संभालना है ।
रामस्वरूप अपनी बेटी को दोनों के सामने पेश करता है और उमा सितार पर मीरा का भजन गाती है। गोपालप्रसाद उससे कुछ प्रश्न करता है तो वह कुछ जवाब नहीं देती । उमा से जब बोलने को बार-बार कहा जाता है तो वह अपना मुँह खोलती है । वह कहती है कि बाजार में कुर्सी – मेज वगैरा खरीदते समय उनसे बात नहीं की जाती । दूकानदार बस उनको खरीददार के सामने लाकर दिखाता है, पसंद आया तो लोग खरीदते हैं. । उसकी बातें सुनकर गोपालप्रसाद हैरान हो जाता है ।
उमा तेज आवाज में कहती है कि लड़कियों के भी दिल होते हैं और उनका अपना व्यक्तित्व होता है । वे बाजार में देखकर खरीदने के लिए भेड़-बकरियाँ नहीं हैं । वह शंकर की पोल भी खोल देती है कि वह एक बार लड़कियों के हॉस्टल में घुसकर पकड़ा गया और नौकरानी के पैरों पर गिरकर माफी माँगी । इस बात से शंकर भी हैरान चलने लगता है और गोपालप्रसाद को मालूम हो जाता है कि वह पढ़ी-लिखी है । उमा हिम्मत से कहती है कि उसने बी. ए. पास की है । यह सुनकर गोपालप्रसाद रामस्वरूप पर नाराज हो जाता है और दोनों चलने लगते हैं | उमा गोपालप्रसाद को सलाह देती है कि ज़रा पता लगाये कि बेटे के रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ।’ यही पर एकांकी समाप्त होता है ।
विशेषताएँ : प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य भारतीय समाज की विविध समस्याओं को उजागर करना है। लड़कियों को लड़कों के बराबर न देखना, जल्दबाजी करके किसी अयोग्य के गले लड़की मढ़ देना, दहेज न दे पाने के कारण लड़की के पिता की लाचारी, लड़कियों को प्राणहीन वस्तु की तरह देखने की मानसिकता, उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों में व्यक्तित्व का • अभाव इत्यादि कई समस्याएँ इस एकांकी में चित्रित हैं । लेखक बताते हैं कि इनमें कई समस्याओं का एकमात्र समाधान ‘लड़की – शिक्षा’ है । उन्होंने उमा के पात्र से दिखाया कि पढ़ी-लिखी युवतियाँ कितनी ताकतवर होती हैं। रीढ़ की हड्डी व्यक्तित्व का प्रतीक है किन्तु शंकर का अपना व्यक्तित्व नहीं है । इसलिए एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ रखा गया । भाषा बहुत सरल और शैली प्रवाहमान है ।
5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)
1. नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती ।
उत्तर:
कवि – परिचय : प्रस्तुत कविता ‘कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती’ के कवि हरिवंशराय बच्चन जी हैं । आप हिन्दी साहित्य में हालावाद के प्रवर्तक माने जाते हैं । ‘मधुशाला’, ‘मधुकलश’ आपके बहुचर्चित काव्य हैं । प्रस्तुत कविता में मनुष्य को निरंतर प्रयत्नशील बनकर रहने का संदेश दिया गया है ।
संदर्भ : प्रस्तुत कविता में मनुष्य को निरंतर प्रयत्नशील रहने संदेश दिया गया है ।
व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहते है कि जब नन्हीं चींटी दाना लेकर दीवारों पर चढ़ती है, कई बार फिसलकर नीचे गिर जाती है । फिर भी वह अपनी लगन नहीं छोड़ती और मंजिल पहुँचने तक उसका प्रस्थान नहीं रुकता । चींटी की कोशिश कभी व्यर्थ नहीं जाती । जिनके मन का विश्वास, रगों में साहस को भरता है – वे चढ़ने और गिरने में संकोच नहीं करते । कोशिश करनेवालों की हार कभी नहीं होती ।
विशेषता: प्रस्तुत कविता का संदेश स्पर्धा से युक्त आधुनिक युग में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । कवि चींटी जैसे छोटे और सरल उदाहरण से गंभीर विषय को समझाते हैं | कविता उपदेशात्मक एवं प्रभावशाली है । भाषा बहुत सरल है ।
2. जब किसी जाति का अहं चोट खाता है,
पावक प्रचंड होकर बाहर आता है ।
उत्तर:
कवि परिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं | आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी,. परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं । ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में हुआ ।
संदर्भ : कवि दिनकर जी इन पंन्तियों के माध्यम से भारत की गारिमा का गान गा रहे हैं ।
व्याख्या : यह भी सच है कि जब जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं पर स्वदेश (भारत) का भागय लिए आते है । भारत पर चीन के आक्रमण के समय भारत का गौरव घायल हुआ है । इसीलिए भारत के लोग चोट खाये भुजंग की तरह क्रोधित हो कर सुलगी हुई आग बना देते हैं । जब किसी जाति का आत्म सम्मान चोट खाता हैं, आग प्रचंड हो कर बाहर आती है ।
विशेषताएँ : देश के प्रति प्रेम और भक्तिभावनाओं को जगानेवाली कविता है । कविता की भाषा सरल तथा विषयानुकूल है । शैली सहज तथा प्रवाहमान है ।
3. अमर्त्य वीर – पुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य – पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो |
उत्तर:
कवि परिचय : ‘हिमाद्री से कविता के कवि जयशंकर प्रसाद जी हैं । प्रसाद जी छायावादी कविता के प्रकाश स्थंभ हैं । इनका जन्म सन् 1881 को काशी में हुआ । आप कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं । आपकी रचनाएँ हैं- कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय, झरना आँसू लहर, कामायनी (महाकाव्य), कंकाल, तितली, इरावती, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त आदि । इनकी भाषा- शैली स्वाभाविक एवं संवेदनशील है । इनका निधन 1937 ई. में हुआ ।
संदर्भ : कवि अलका के माध्यम से भारत वासियो को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए उत्तेजित कर रहे है ।
व्याख्या : भारत – माता स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है । जागो हे अमर्त्य वीर पुरुषों जागो, भारत माता के सपूतों जागो । दृढ संकल्प के साथ प्रतिज्ञा करो कि “भारत देश को आजाद बनायेंगे’ इस सर्वश्रेष्ठ, पुण्य, . उत्तम मार्ग में निकलो… बढ़ते चलो, बढ़ते चलो। विजयी बनो । रुको मत हे वीर पुत्रों, तुम्हारा मार्ग प्रशस्त ही नहीं पवित्र तथा पुण्यवाला है !
विशेषताएँ : यह गीत अलका के देश प्रेम, लगन और उत्साह को प्रदर्शित करता है प्रसाद जी अपने समय में देश की स्थिति से प्रभावित हो कर अलका के मुह से यह गीत गवाया है । यह गीत देशभिमान, जागृति और नवीनता से ओतप्रेत है ।
4. सफल हो सहज हो तुम्हारा त्याग,
नहीं निष्फल मेरा अनुराग,
सिद्धि है स्वयं साधन – भाग,
सुधा क्या, क्षुधा न जो होती ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता से दी गयी है | इस के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं । खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई को झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध, नहुष, भारत भारती, क़ाबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया। संदर्भ : ये पंक्तियाँ उर्मिला वनवास को गये लक्ष्मण को याद करती हुई. दुःख भाव से कहती है ।
व्याख्या : हे प्रियतम ! मुझे आयोध्या के राजभवन में छोड़ कर तुम राज्य के भोगों को त्याग कर श्रीराम, सीतादेवी के साथ वनवास को सुख चले गये | तुम्हारा त्याग सहज तथा सरल, सफल होने की कामना करती हूँ । और आपके प्रति मेरा अनुराग कभी भी निष्फल नहीं जायेगा । आपको स्वयं सिद्धि भाग कर आपके पास पहुंचेगी। अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती ।
विशेषताएँ : अपने पती के वियोग, विरह में विदग्ध उर्मिला का वर्णन है । वियोग श्रृंगार का सफ़ल प्रस्तुतीकरण है । भाषा शुद्ध खडीबोली है।
6. निम्नलिखित में से किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)
1. उस व्यक्ति के पैरों में बच्चे को डालकर उसने कहा, “मैं चली जाती हूँ । इस बच्चे को तुम ठोकर मारकर जहाँ चाहे फेंक दो ।
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ “अपना पराया” नामक कहानी से दी गई है । कहानी के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है। आप हिन्दी कहानी क्षेत्र में मनोविश्लेषणवादी रचनाकार के रूप में सुपरिचित हैं । आपका जन्म 1905 ई – अलीगढ़ के कौडियागंज में हुआ + गांधी जी के प्रभाव से असहयोग आन्दोलन में भागलेने के कारण जेल भी गये ! जेल के वातावरण से ही कहानियाँ लिखने की प्रेरणा मिली! आपने भाषा की सहजता शिल्पगत सूक्ष्मता अधिक बल दिया है ।
संदर्भ : एक सिपाही लंबे समय के बाद घर जाते हुए सराय में रात टहरने पर घटित घटना का वर्णन है ।
व्याख्या : एक सिपाही लंबे समय के बाद परिवार वालों से मिलने जाते हुए एक सराय में रात के समय में टहरता है । परिवार के बारे में कल्पनाएँ करता है, स्वप्न देखता है। रात का भोजन करके गाढ़ी नींद मे सो जाता है। रात के सन्नाट को चीरती हुई बच्चे की रोने की आवाज आती है। भटियारे को भेज कर रोनो की आवाज बन्द कराने के प्रयत्न करता है पर विफल रहता है । खुद सिपाही वहाँ पर जाता है, रोते बच्चे को और उसकी माँ को कहीं और जाने के आदेश देन पर उस स्त्री ने सिपाही के पैरों में अपने बच्चे को डाल कर गिडगिड़ाते हुए कुछ घंटे की मुहलत मांगती है, कुछ भी ना सुनने पर कहती है- “इस बच्चे को तुम ठोकर मार कर जहाँ चाहे फेंक दो ।”
विशेषता: कुछ वर्ष पूर्व पत्नी और बच्चे को छोड़ गये पती को खोजती पत्नी और बच्चे की मार्मिक कथा है। जो दिल की सतह को छूने वाली है मानवीय संबंधों क्नो उभारने वाली है ।
2. एक आलसी मनुष्य उस घरवाले के समान है जो अपना घर चोरों के लिए खुला छोड़ देता है ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत गद्यांश ‘आलस्य और दृढ़ता’ नामक लेख से दिया गया है । इसके लेखक बाबू श्यामसुंदर दास हैं । आप हिन्दी के जाने- माने विद्वान और आलोचक हैं। आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दीविभाग के प्रथम अध्यक्ष थे । काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापकों में आप भी एक थे । आपने विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी को एक पाठ्य विषय के रूप स्थान दिलाया। प्रस्तुत लेख में आप युवापीढ़ी को आलस्य छोड़ने का संदेश देते हैं ।
संदर्भ : सुस्ती या आलसीपन के कारण गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । आलसी आदमी उस मकान मालिक के समान है जो अपने घर को चोरों के लिए खुला छोड़कर तमाशा देखता है । क्योंकि आलसीपन अनेक समस्याओं को आश्रय देता है जो संपूर्ण जीवन का नाश कर देती हैं । अतः जीवन में कभी आलसी बनना नहीं चाहिए ।
विशेषता : यहाँ रचइता घर से एक व्यक्ति के जीवन की तुलना करते हैं । आलस्य के कारण हमारा जीवन अनेक समस्याओं का निलय होकर खाली हो जायेगा ।
3. कई वर्ष पूर्व मैंने निश्चय किया कि अब हिरन नहीं पालूँगी, परंतु आज उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल प्राण जीव की रक्षा संभव है ।
उत्तर:
कवि परिचय : ये पंक्तियाँ सोना हिरनी नामक रेखाचित्र से दी गयी है। इस की लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है । हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रचनाएँ है- नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कडियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इन को ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है ।
संदर्भ : स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता का पत्र पढते अपनी पुरानी यादों को सहारे कह रही है।
व्याख्या : लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता लेखक को लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । जो उन्हें उसे पालने के लिए दिया था। कुछ ही महीनों में उस हिरन के साथ बहुत स्नेह हो गया था । वह अब बडी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थलविस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ पालने देना चाहती है । पत्र पड़ते पड़ते लेखिका को अचानक ‘सोना (हिरन ) की यादें ताजा हो जाती है। लेकिन कई वर्षो पूर्व लेखिका ने निश्वय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी । परंतु उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल जीवी की रक्षा संभव नहीं है ।
विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है जो मानवीय संवेदना की गत्वर दीप्ती को जागृत करती है।
4. आप अगर बुरा न मानें तो मैं आपको हिस्से में से दस ऊँट ले लूँ । आप तो जानते ही हैं कि मेरे जैसे सांसारिक लोगों के लिए धन का ही महत्व होता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक पाठ से लिया गया है | यह कहानी ‘अलिफ लैला की कहानियाँ’ में से संकलित है । इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दुल्ला है ।
व्याख्या : ये वाक्य अब्दुल्ला फकीर से कह रहा है । अब्दुल्ला और फकीर असंख्याक द्रव्य से भरे गुफा से 80 ऊँट पर रत्न अषर्फियाँ लाद कर, वादे के अनुसार दोनो बाँट लिए । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने में अब्दुल्ला को दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस लेलिया ।
विशेषता : इन वाक्यों से अब्दुल्ला की अत्याशा के बारे में बता रहे है ।
7. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए । (2 × 2 = 4)
1. बहादूर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
फौज में सिपाही दुश्मनो को मारकर हराता है। उसी मारने का नाम वहाँ (युद्ध में) बहादूर बन जाता है । युद्ध में दुश्मनो के आगे डट कर रहना और उनके दाँत खट्टे करने को बहादूरी कहते है ।
2. कौन – सा व्यक्ति संसार में गौरव पा सकता है ?
उत्तर:
वही व्यक्ति संसार में गौरव पा सकता है जो किसी काम में दृढ़ता के साथ लेगे रहता है । वह आलस्य से मुक्त रहता है और सारे काम सफलता पूर्वक कर सकता है । अतः दृढ़तापूर्ण व्यक्ति ही संसार में गौरव पाने का योग्य है ।
3. सोना कहाँ आ पड़ी है ?
उत्तर:
बेचारी ‘सोना’ भी मनुष्य की निष्टुर मनोरंजन प्रियता के कारण अपने अरण्य परिवेश और स्वजाति से दूर मानव समाज में आ पडी है ।
4. खलीफा ने क्या कहा ?
उत्तर:
खलीफा ने कहा, तुम्हारी मूर्खता तो बहुत बडी थी । भगवान तुम्हें क्षमा करेंगे / अब तुम अपनी सारी कथा भिक्षुक मंडली को सुनाओ कि लालच का क्या फल होता है । अब तुम भीख मांगना छोड दो। तुम्हे हर दिन पाँच रुपयें मेरे खजाने में से मिलेंगे । यह व्यवस्था तुम्हारे जीवन भर केलिए होगी ।
8. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए । 2 x 2 = 4
1. पश्चात्ताप के बारे में दुर्योधन ने क्या कहा ?
उत्तर:
पश्चात्ताप के बारे में दुर्योधन ने कहा – युधिष्ठिर ! तनिक अपनी ओर तो देखो ! पश्चात्ताप तो तुम्हे होना चाहिए ! मै क्यो पश्चात्ताप करुगा ? मै ने ऐसा कौन – सा पाप किया है ? मैं ने अपने मन के भावों को गुप्त नहीं रखा, मैं ने षडयंत्र नही किया, मैं ने गुरजनों का वध नहीं किया ।
2. रीता को फूल तोड़ते समय क्या हुआ ?
उत्तर:
रीता बगीचे में पूजा के लिए फूल तोड रही थी । कोने मे घास बहुत ऊँची – ऊँची थी । रीता के पैर पर से साँप लहराता हुआ गुजरा और सर से झाडियों में गायंब में गाया हो गया। कुछ ही देर में पैर में झुनझुनी – सी होने लगी । रोशनी में ध्यान से देखा तो बारीक गोल गोल निशान बने दिखायी दिये। उनमें से हलका सा खून भी छलक आया था ।
3. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
भारतीय समाज की कई समस्याओं का चित्रण करना ही ‘रीढ़ की हड्डी’ का मुख्य उद्देश्य है । लड़कियों को लड़कों के बराबर न देखना, जल्दबाजी करके अयोग्य के गले लड़की मढ़ देना, लड़की के पिता की लाचारी, लड़कियों को प्राणहीन वस्तु की तरह देखने की मानसिकता, उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों में व्यक्तित्व का अभाव – इत्यादि कई समस्याएँ चित्रित करने में एकांकी का उद्देश्य पूरा हुआ ।
4. जल में छिपा बैठा दुर्योधन को युधिष्ठिर ने कैसे पुकारा ?
उत्तर:
जल में छिपे दुर्योधन को युधिष्ठिर, ओ पापी, अरे ओ कपटी, दुरात्मा दुर्योधन कहकर पुकारता है । स्त्रियों की भाँति जल में छिपना नही. बाहर निकलकर आने केलिए युधिष्ठिर कहता है ।
9. निम्नलिखित प्रश्नों का वाक्य में उत्तर लिखिए । (5 × 1 = 5)
1. तुलसी के आराध्य कौन थे ?
उत्तर:
तुलसी के आराध्य भगवान श्रीरामचंद्र जी हैं
2. बिहारी के ग्रंथ का नाम क्या था ?
उत्तर:
बिहारी सत्तसई ।
3. ‘हिमाद्रि से’ गीत किस संकलन से लिया गया है ?
उत्तर:
चंद्रगुप्त नाटक से
4. परशुराम में किन – किन महापुरुषों के गुण निहित हैं ?
उत्तर:
गाँधीजी, गौतम बुद्ध एवं शंकर
5. दिनकर जी की रचनाओं में कौन सा रस पाया जाता है ?
उत्तर:
वीर रस
10. निम्नलिखित प्रश्नों का एक वाक्य में उत्तर लिखिए । (5 × 1 = 5)
1. कितने रुपये सिपाही की कमर में बंधा है ?
उत्तर:
‘दो हजार रुपये सिपाही कमर में बांधा है ।
2. लोगों को किस बात का ध्यान बचपन से ही रखना चाहिए ?
उत्तर:
लोगों को इस बात का ध्यान बचपन से ही रखना चाहिए कि समय व्यर्थ न जाये ।
3. ‘सोना हिरनी’ पाठ की लेखिका का नाम क्या है ?
उत्तर:
महादेवी वर्मा
4. ‘अंधे बाबा अब्दुल्ला’ पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उत्तर:
अज्ञातवासी
5. मैनेजर पर कौन आकर पिटाई करते हैं ?
उत्तर:
डाकू कुँवर
खंड – ख (40 अंक)
11. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर इसके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीखिए । (5 × 2 = 10)
अज्ञेय जी का जन्म सन् 1911 ई. में जिला देवरिया के कुशीनगर नामक गाँव में हुआ था । आपका पूरा नाम सच्चिदानंद हीरानंद ‘वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ था । ‘अज्ञेय’ कवि का उपनाम है । आपकी बाल्यावस्था लखनऊ, कश्मीर, नालंदा, पटना और नीलगिरि आदि में व्यतीत हुई और इसी बीच में इन्होंने संस्कृत, फारसी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का अध्ययन किया । मद्रास तथा लाहौर से आपने बी.. एस. सी. तथा अंग्रेजी में एम. ए. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं । अज्ञेय ने ‘दिनमान’, ‘प्रतीक’ तथा ‘तार सप्तक’ पत्रिकाओं का संपादन एवं प्रकाशन किया । तार सप्तक संपादन के साथ हिंदी में प्रयोगवाद का सूत्रपात हुआ । उपन्यास, कहानी तथा निबंध आदि के अतिरिक्त इनकी कुछ काव्य रचनाएँ हैं- भग्नदूत, चिंता, प्रियजन और हरी घास पर क्षण भर आदि । उपन्यास के क्षेत्र में ‘शेखर एक जीवनी’ ने उनको विशेष ख्याति प्रदान की । उन्होंने जापान की ‘हाइकू’ कविलाओं का अनुवाद किया था । श्री अज्ञेय का देहांत सन् 1987 ई. हुआ था ।
प्रश्न :
1) अज्ञेय का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर:
अज्ञेय का जन्म सन् 1911 ईं में जिला देवरिया के कुशीनगर नामक गाँव में हुआ था ।
2) अज्ञेय का पूरा नाम क्या था ?
उत्तर:
अज्ञेय का पूरा नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय था ।
3) अज्ञेय ने किन – किन पत्रिकाओं का संपादन एवं प्रकाशन किया ?
उत्तर:
अज्ञेय ने ‘दिनमान’ ‘प्रतीक’ तथा ‘तार सप्तक’ पत्रिकाओं का संपादन एवं प्रकाशन किया ।
4) अज्ञेय प्रसिद्ध उपन्यास का नाम क्या था ?
उत्तर:
शेखर एक जीवनी अज्ञेय का प्रसिद्ध उपन्यास था ।
5) अज्ञेय ने किनका अनुवाद किया ?
उत्तर:
जपान की ‘हाइकू’ कविताओं का अनुवाद अज्ञेय ने किया ।
12. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए । (5 × 1 = 5)
1. देवालय
2. पितृण
3. देवर्षि
4. गायक
5. सन्मार्ग
6. संभावना
7. प्रमाण
8. तपोबल
9. निस्सार
10. दुरात्मा
उत्तर:
1. देवालय = देव + आलय
2. पितॄण = पितृ + ऋण
3. देवर्षि = देव + ऋषि
4. गायक = गै + अक
5. सन्मार्ग = सन् + मार्ग
6. संभावना = सम् + भावना
7. प्रमाण = प्र + मान
8. तपोबल = तपः + बल
9. निस्सार निः + सार
10. दुरात्मा = दुः + आत्मा
13. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों के समास के नाम लिखिए। (5 × 1 = 5)
1. आजीवन
2. सीता पति
3. पवन पुत्र
4. असंभव
5. दीनदयालु
6. त्रिवेणी
7. चौमासा
8. बीस-पच्चीस
9. लम्बोदर
10. बजरंगी
उत्तर:
1. आजीवन = अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : जीवन भर)
2. सीता पति = तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : सीता का पति)
3. पवन पुत्र = तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : पवन का पुत्र)
4. असंभव = नञ तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : जो संभव न हो)
5. दीनदयालु = कर्मधारय समास(विग्रहवाक्य : दीनों पर दयालु)
6. त्रिवेणी = द्विगु समास (विग्रहवाक्य : तीन नदियों का समाहार)
7. चौमासा = द्विगु समास (विग्रहवाक्य : चार मासों का समूह)
8. बीस-पच्चीस = द्वंद्व समास ( विग्रहवाक्य : बीस या पच्चीस )
9. लम्बोदर = बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : जिसका उदर लम्बा हो)
10. बजरंगी = बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : बलशाली (या) जनेऊ धारण करनेवाला)
14. (अ) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं पाँच वाक्यों को हिंदी में अनुवाद कीजिए । (5 × 1 = 5)
1. My name is Mohan.
उत्तर:
मेरा नाम मोहन है ।
2. Madhuri, Rani are singing a song.
उत्तर:
माधुरी, रानी गीत गा रही है ।
3. Peacock is beautiful bird.
उत्तर:
मोर सुंदर पक्षी है ।
4. The pen is on the table.
उत्तर:
कलम मेज पर है ।
5. Ramakanth is a brave boy.
उत्तर:
रमाकांत एक साहसी लड़का है ।
6. What is your Name ?
उत्तर:
तुम्हारा / आपका नाम क्या है ?
7. Amaravati is the Capital of Andhra Pradesh.
उत्तर:
अमरावती आंध्र प्रदेश की राजधानी है ।
8. Rakesh is playing in the play ground.
उत्तर:
राकेश मैदान में खेल रहा है ।
9. Work is Worship.
उत्तर:
कर्म ही पूजा है ।
10. Joshi is a good administrator.
उत्तर:
जोशी एक अच्छा प्रशासक है ।
(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से पाँच वाक्यों का शुद्ध रूप लिखिए । (5 × 1 = 5)
1. तू क्या कर रहे हो ? (अशुद्ध)
उत्तर:
तू क्या कर रहा है ? (शुद्ध)
2. वह पूस्तक मेरा है । (अशुद्ध)
उत्तर:
वह पूस्तक मेरी है । (शुद्ध)
3. मौनिका सहानी ने मौसमी सहानी को पुस्तक दी। (अशुद्ध)
उत्तर:
मौनिका सहानी ने मौसमी सहानी को पुस्तक दिया । (शुद्ध)
4. विजयश्री ने फूल लायी । (अशुद्ध)
उत्तर:
विजयश्री फूल लायी । (शुद्ध)
5. देवेश देवेश की पुस्तक पढ़ता है। (अशुद्ध)
उत्तर:
देवेश अपनी पुस्तक पढ़ता है । (शुद्ध)
6. मेरे को एक कलम चाहिए । (अशुद्ध)
उत्तर:
मुझे एक कलम चाहिए | (शुद्ध) (मेरे+को-मुझे)
7. मैं छुट्टियों में नागार्जुन सागर जाना होगा। (अशुद्ध)
उत्तर:
मुझे छुट्टियों में नागार्जुन सागर जाना होगा। (शुद्ध) (मै+ को = मुझे )
8. तुम यहाँ नहीं लिखो । (अशुद्ध )
उत्तर:
तुम यहाँ मत लिखो। (शुद्ध)
19. शेषुकुमार किससे रुपया पूछा ? (अशुद्ध)
उत्तर:
शेषुकुमार ने किससे रुपया माँगा ? (शुद्ध)
10. तुम पढ़ रहे हैं। (अशुद्ध )
उत्तर:
तुम पढ़ रहे हो । (शुद्ध)
15. निम्नलिखित गद्यांश का संक्षिप्तीकरण कीजिए । (1 × 5 = 5)
वैदिक काल से हिमालय के पहाड़ बहुत पवित्र माने जाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि हिमालय के पहाड़ों का दृश्य अति सुंदर है । उनकी विशालता को देखकर मन में आनंद और कृतज्ञता की लहर उठती है । ऐसा लगता है कि यह विशाल सृष्टि कैसी अनुपम देन है । सारी सृष्टि के प्रति समभाव जागृत होता है । वस्तुतः यह दृष्टि कोरी कल्पनात्मक या आध्यात्मिक नहीं है । देखा जाए तो सारे भारत की जलवायु का समतौल करने वाले यह हिमालय श्रृंग हैं, विशेषकर उत्तरी भारत को वर्षा और पानी देने वाले यही हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्री, केदार को तीर्थ माना जाता है, जो व्यर्थ कल्पना नहीं है । उन स्थानों से निकलने वाली पवित्र नदियाँ ही वास्तव में हमारी प्राणदायिनी रही हैं ।
उत्तर:
हिमालय की गरिमा
वैदिक काल से हिमालय पर्वत पवित्र, सुंदर एवं विशाल हैं । इन्हें देख में आनंद होता है । मानो विशाल सृष्टि की अनुपम देन है । यह समानता का प्रतीक है। यह उत्तर भारत को वर्षा देनेवाली प्राणदायिनी है । गंगा, यमुना, सरस्वती का जन्मस्थान हिमालय ही है, ये निदियाँ पुण्य तीर्थ है।
16. निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच वाक्यों का वाच्य बदलिए । (5 × 1 = 5)
1. राम ने रोटी खाई । (कर्तृ)
उत्तर:
राम से रोटी खाई गई। (कर्म) (रोटी – स्त्रीलिंग)
2. वह नहीं सोता (कर्तृ)
उत्तर:
उससे सोया नहीं जाता । (भाव)
3. आप नहीं उठेंगे। (कर्तृ)
उत्तर:
आपसे उठा नहीं जाता । (भाव)
4. वह पत्र लिखता है । (कर्तृ)
उत्तर:
उससे पत्र लिखा जाता है । (कर्म) (पत्र – पुलिंग)
5. मुरली रस पीता है । (कर्तृ)
उत्तर:
मुरली से रस पीया जाता है। (कर्म) (रस – पुलिंग)
6. हम फिल्म देखेंगे । (कर्तृ)
उत्तर:
हमसे फिल्म देखी जाएगी। (कर्म) (फिल्म- स्त्रीलिंग)
7. कवि कविता लिखेगा । ( कर्तृ)
उत्तर:
कवि से कविता लिखी जाएगी। (कर्म) (कविर्ता – स्त्रीलिंग)
8. शारदा पाठ पढ़ती है । (कर्तृ)
उत्तर:
शारदा से पाठ पढ़ा जाता है। (कर्म) (पाठ – पुलिंग)
9. मुझसे कहानी लिखी जाती है । (कर्म) (कहानी – स्त्रीलिंग)
उत्तर:
मैं कहानी लिखता हूँ । (कर्तृ) हूँ
10. मैंने किताब पढ़ी | (कर्तृ)
उत्तर:
मुझसे किताब पढ़ी गई । (कर्म) (किताब – स्त्रीलिंग)