AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

Access to a variety of AP Inter 2nd Year Hindi Model Papers Set 1 allows students to familiarize themselves with different question patterns.

AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खंड – क ( 60 अंक)

1. निम्नलिखित दोहे की पूर्ति करते हुए भावार्थ सहित विशेषताएँ लिखिए । (1 × 8 = 8)

एक भरोसो ……………………
…………………… चातक तुलसीदास ।
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र के बादलों पर विश्वास रखता है क्यों कि वही उसका बल है । इसीलिए वह स्वाती नक्षत्र के बादलों की प्रतीक्षा करता है स्वाती नक्षत्र के वर्षा की, बूँदों को ही पीता है । उसी प्रकार तुलसी भी श्रीरामचंद्र पर विश्वास रखते है । वहीं उनका बल है । वह उनकी प्रतीक्षा में ही रहता है । इसी लिए तुलसी रुपी चातक के लिए राम बादल बन गये ।

अथवा

मेरी भव बाधा ………………….
…………………. दुति होई ||
उत्तर:
भावार्थ : ईस दोहे के माध्यम से कवि बिहारीलाल जी राधा की स्तुति करते हुए कहते है कि – मेरी सामसारिक बाधाएँ वही चतुर जानी राधा दूर करेगी जिसके शरीर कि छाया पड़ने ही काले रंग वाले श्रीकृष्ण गोरे रंग के प्रकाशावाले बन जाते हैं । अर्थात राधा के मिलन से श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं। श्री कृष्ण का रंग काला है और राधा का वर्ण पीला है । पीले और काले रंग के मेल हरे रंग का बनना सहज और स्वाभाविक है । पीला शुभ का, काला दुःख का और हरा खुशहाली या प्रसन्नता का प्रतीक है । इन तीनों रंगों का सम्मिश्रण ही संसार है ।

2. किसी एक कविता का सारांश बीस पंक्तियों में लिखिए | (1 × 6 = 6)

1. हिमाद्रि से
उत्तर:
कवि परिचय : ‘हिमाद्री से’ कविता के कवि जयशंकर प्रसाद जी हैं । प्रसाद जी छायावादी कविता के प्रकाश स्तंभ हैं । इनका जन्म सन् 1881 को काशी में हुआ । आप कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं । आपकी रचनाएँ हैं कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय, झरना आँसू लहरं, कामायनी (महाकाव्य), कंकाल, तितली, इरावती, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त आदि । इनकी भाषा- शैली स्वाभाविक एवं संवेदनशील रहती है । इनका निधन 1937 ई. में हुआ ।

सारांश : प्रस्तुत गीत चंद्रगुप्त नाटक के चौथे अंक के छठे दृश्य से संकलित है । यह एक सामूहिक गीत है । अलका के भाई आम्भिक देशद्रोही . है । गांधार नरेश पुरुषोत्तम के विरुद्ध यवनों को भारत पर हमला करने के लिए सिंधु तट पर सेतु का निर्माण करते वक्त उनके विरुद्ध में उनकी बहन अलका ने सब सैनिकों को युद्ध के लिए उत्साहित करती गाती है । मा भारती गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए वीर सैनिकों को बुला रही है । वह नींद से जगाती है । आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रही है । वह स्वतंत्र हो कर अपनी संपत्ती का सदुपयोग करना चाहती है ।

युद्ध में मरनेवाले अमर हो जाते हैं भारतवासी ऐसे ही अमरों के पुत्र हैं। उन्होंने मातृभूमि को स्वतंत्र बनाने की प्रतिज्ञा की हैं। पूर्वजों से बना मार्ग उनके सामने हैं ।उसको उन्होंने प्रशस्त किया है ।

भारत माता स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है । जागो हे अमर्त्य वीर पुरुषों जागो, भारत – माता के सपूतों जागो । दृढ संकल्प के साथ प्रतिज्ञा करो कि “भारत देश को आजाद बनायेंगे’ इस सर्वश्रेष्ठ, पुण्य, उत्तम मार्ग में निकलो … बढ़ते चलो, बढ़ते चलो । विजयी बनो ।

संसार में इस देश की असंख्याक कीर्ति है । भारत माता के सुपुत्रों पवित्र मशाल बन कर जलते हुए तपते हुए उजालों को फैलाते आगे बढो… आगे बढो । शत्रुओं की सेना समुद्र जैसे अनन्त है । उस को हराना हसी खेल नहीं है । फिर भी देश की स्वतंत्रता के लिए सैनिकों को आगे बढना ही होगा | ‘बाडव’ नामक अग्नि बन कर उस समुंदर को जलाना ही होगा । अर्थात दुश्मनों का अंत करके विजय पाना ही होगा। तुम अच्छे वीर हो, तुम में सच्ची देश भक्ति है आवश्य विजयी बनो… बढ़ते चलो बढ़ते चलो। रुको मत हे वीर पुत्रों । तुम्हारा मार्ग प्रशस्त है । भारतीय कुशल वीर हैं अवश्य विजयी होंगे ।

विशेषताएँ : यह गीत अलका के देशप्रेम, लगन और उत्साह को प्रदर्शित करता है । प्रसाद जी अपने समय में देश की स्थिति से प्रभावित हो कर अलका के मुँह से यह गीत गवाया हैं । यह गीत देशभिमान, जागृति और नवीनता से ओतप्रेत है ।

2. उर्मिला का विरह गान
उत्तर:
कवि परिचय : ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथमं कवि हैं | खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने गुप्त जी का जन्म 1886 ई को झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है । साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ – वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

सारांश : प्रस्तुत कविता साकेत नामक महाकाव्य के नवम सर्ग, से लिया गया है। रामायण में अधिक उपेक्षित तथा अनदेखा नारी पात्र उर्मिला । इस कविता में विरह विदग्ध उर्मिला की मनोदशा का मार्मिक चित्रण है । लक्ष्मण राम और सीता के साथ वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है । उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रह ने कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यंकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है |

हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसू मोती बनते जा रहे हैं। मैं सदा यही मानती रही हूँ कि तुम मेरे देवता हो, तुम ही मेरे सब कुछ हो तथा मेरे आराध्य हो । अपने आप को साबित करना अनिवार्य है कि मैं सोती रहती हूँ या जागती रहती हूँ पर तुम्हें ही याद करती रहती हूँ, तुम्हारे ही स्मरण में जी रही हूँ । तुम्हारे हंस ने में फूल है असीम प्यार है और हमारे रोने में मोती है |

प्रार्थना करती हूँ कि तुम्हारा त्याग सहज हो, सफ़ल हो, मेरा अटूट विश्वास है कि आपके प्रति मेरा अनुराग, प्रेम कभी निष्फल नहीं होगा । बस साधन-भाग स्वयं सिद्धी है । अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती ।

काल चक्र भले ही रूक ना जाय, तुम्हारे और मेरे मिलन को भले ही काल चक्र रोक पाये, पर हमारे लिए बस विरह काल हैं । तुम जहाँ हो वहाँ सृजन, मिलन है, पर यहाँ राजभवन में सुविशाल प्रलय, विनाश सा सूना सूना एकाँत है ।

विशेषताएँ : इतिहास में उपेक्षित उर्मिला नामक नारी पात्र को महत्व देने का प्रयास किया है । गुप्त जी ने उर्मिला के दुख को, उसकी पीड़ा के प्रति अपनी संनेदना, सहानुभुति प्रकट किया है । कविता की भाषा सरल सहज अवं प्रसंगानुकूल शुद्ध खडीबोली है । शैलि लालित्य से भरपूर है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

3. किसी एक पाठ का सारांश 20 पंक्तियों में लिखिए । (1 × 6 = 6)

1. अपना पराया
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत कहानी ‘अपना पराया’ के लेखक श्री जैनेंद्र कुमार जी है । आपका जन्म कौडियागंज, अलीगढ़ में 1905 ई में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ । गाँधीजी के प्रभाव से असहयोग आंदोलन में भागा । लेकर जेल भी गये। आपकी पहली कहानी ‘विशल भारत में प्रकाशित हुई । आपका पहला उपन्यास ‘परख’ है ।

सारांश : जैनेंद्र कुमार जी ने इस कहानी में लंबी अवधी के बाद युद्ध – क्षेत्र से घर लौटते एक सिपाही की मनोभावनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया है ।

एक सिपाही लंबी अवधी के बाद युद्ध – क्षेत्र से घर लौटते हुए एक सराय में टहरकर अपने घर-परिवार की कल्पनाएँ करता है । सिपाही सपने में घर की बातें देखने लगा । उसकी पत्नी पाँच साल से विधवा की भाँती रही, प्रेम-संभाषण के लिए अवकाश नही निकाल पाती । बेचारी कितनी कष्ट उठाती थी । किस प्रकार मेरे पीछे दिन काटे ? बे पैसे, बे- आदमी, साढ़े चार साल का बेटा करनसिंह कैसा है ? जैसे सपने देखता ही था इतने में सिपाही की नींद टूटी। देखा घर की मंजिल अभी दूर है। और बातचीत के लिए सरायवाले को बुलाया और कहा – युद्ध क्षेत्र में हम जितने दुश्मनों को मारते है उतना ही नाम सम्मान और प्रतिष्ठा देते है ।

सिपाही बातें करता रहा, भटियारा सुनता रहा। जब रात हुई सिपाही खा – पीकर सोने लगा । इतने में जोर से एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई पडी । बच्चे को माँ कितनी बार समझाने पर भी रोता ही रहा । आखिर सिपाही को नींद असंभव हो गई । भटियारे को बुलाकर कहा बच्चा और उसकी माँ को यहाँ से कही दूर भेजने का आदेश दिया । बच्चे की माँ के अनुरोध पर भटियार का मन बदलगया। लेकिन सिपाही की खफगी का उसे डर था । बच्चा और प्रबल से रोता रहा |

यह काम भटियारे से न होगा समझकर इस बार स्वयं सिपाही ही उस स्त्री की कोठरी के पास जाकर कहा – “देखो, तुमको इसी वक्त बच्चे को लेकर चले जाना होगा। बच्चा रोता रहा स्त्री चुपचाप उठी, बच्चे को उठाकर सिपाही के पैरों में डालकर मैं चली जाती हूँ | बच्चे को जहाँ चाहे फेंक दो ।” कहती हुई चलने लगी। सिपाही कहता है-” ठहरो ठहरों कहाँ जाती हों । स्त्री ने उत्तर दिया – “मुझे जहाँ मौत मिले वहाँ जाती हूँ ।”

जब सिपाही के मन में एकदम परिवर्तन आजाता है और कहता है “तो तुम कौन हो, कहाँ से आ रही हो, किधर जाती हो’ स्त्री ने कहा – ” पाँच बरस से बच्चे के बाप की तलाश में धूमती हूँ। वह लडाई पर गया । पता नही जिंदा है या मर गया । शायद लौटते हुए रास्ते में मिल जाय । मैं उसी के पास इस बदनगीसीब बच्चे को ले जा रही हूँ ।”
सिपाही की आँखों में आँसू आगये । तब सिपाही को पता चला कि वह बच्चा अपना ही है और वह स्त्री अपनी पत्नी । बच्चे को पैरो पर से उठाया, प्यार किया और वह अत्यंत ममत्वपूर्ण हो उठता है ।

विशेषताएँ : सैनिक के मनोभावनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया गया । यह एक मौलिक चिंतन है जो देश के लिए अपने परिवार को छोडकर सुदूर सीमा पर रहनेवाले सिपाही की है । मनोवैज्ञानिक विश्लेषण जैनेंद्र कुमारजी की कहानियों की विशेषता है ।

2. ग्राम लक्ष्मी की उपासना
उत्तर:
कवि परिचय : ग्राम लक्ष्मी की उपासना नामक निबन्ध के लेखक आचार्य विनोबा भाने जी हैं। आपका जन्म 1895 को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र मे हुआ । भूदान यज्ञ के प्रवर्तक एवं गाँधीवादी चिंतक के रूप में सुपरिचित हैं । आपकी रचनाएँ हैं सर्वोदय विचार, भूदान गंग, कार्यकर्ता वर्ग, गीता प्रवचन आदि प्रमुख हैं ।

सारांश : प्रस्तुत निबन्ध के माध्यम से लेखक विनोबा भावे जी भारतीय जनता को ग्राम की ओर आकर्षित करने का प्रयाम कर रहे हैं । विनोबा जी का कथन है कि आज गावों की बुरी हालत है कारण यह है – किसानों के दो उपास्य देवता हैं, एक पानी बरसाने वाले ईश्वर तथा दूसरा शहरिये भगवान । एक साथ इन दोनों की उपासना असंभव है। शहरिये भगवान की यह उपासना का यह दुष्परिणाम निकला है कि ग्राम लक्ष्मी कई रास्तों से होकर शहरिये भगवान की उपासना के पास पहुंचती है । उनके रास्ते चार . वे हैं । पहला बाजार, दूसरा ब्याह-शादी, तीसरा साहुकार और चौथा व्यसन इसलिए इन रास्तों की बन्द कर देना चाहिए ।

देहात में प्रेम और भाईचारा होता है । देहाती लोग एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल करेंगे। शहर में कोई किसी को नहीं पूछता । शहर में मात्र स्वार्थ और लोभ रहता है । गाँव प्रम से बनता है । यथार्थ लक्ष्मी देहात में है। पेडों में फल लगते हैं। खेतों में गोहूं होता है, गन्ना होता है। यह सब सच्ची लक्ष्मी है । गाँव में चीजें न बनती हो, उनके लिए दूसरे गाँव खोजना है । इस कार्य की जिम्मेदारी पंचायत की है। गांव के झगड़े – टंटे करने का काम पंचायत का होता है। गांव में कौन-कौन सी चीजं बाहर जाती है, कौन-कौन सी है इसका ध्यान भी पंचायत ही रखना चाहिए । फिर बाहर मे क्यों आती है जानकर उन्हें गाँव में ही बनाने की कोशिश करनी चाहिए । फिर दाम ग्राम ही ठहराएगा । जब सब एक दूसरे की चीजें खरिदने लगेंगे तो सब सस्ता होगा | सस्ता और महंगा ये दो शब्द नहीं रहेंगे।

लेखक का मान है कि भगवान श्री कृष्ण ग्राम देवता के सच्चे उपासक थे । गांव से जुड़े उत्पादनों का ही उन्होंने इस्तेमाल करके गावों का वैभव बड़ाया है । गावों की सेवा की । गावों पर प्रेम किया। गांव के पशु-पक्षी, गांव की नदी, गांव का गोवर्धन पर्वत इन सब पर उसने प्रेम किया ।

शहर भोग है, पैसा है, परन्तु आनंद नहीं । अपने गावों को गोकुल बनायेंगे तब नगर के सेठ गाँव की नमक – रोटी के लिए ललायित होकर लौट आयेंगे | देहातों को हरा भरा गोकुल बनाना है … सर्वाश्रयी, स्वावलंबी, आरोग्यशील, उद्योग संपन्न । बाजार में जाना क्यों पड़ता है । जिन चीजों की जरूरत पड़ती है उन्हें भरसक बनाने का निश्चय करो । स्वराज्य यानी स्वदेश का राज्य है, अपने गांव का राज्य । पुराने जमाने में हमारे गाँव स्वावलंबी थे | उन्हें सच्चा स्वराज्य प्राप्त था । इस रवैये को अपनाओ फिर देखो गाँव कैसे लहलहाते हैं ।

शहरी वस्तुओं के प्रति मोह को रोक देना चाहिए । अपने लिए आवश्यक चीजों को देहातों में तैयार कर लेना चाहिए । झगडे फ़सादों के कारण आदालतों में जाने की आदतों से बचो रहना चाहिए तथा देहातों की पंचायतों में ही समस्या को परिष्कृत करना चाहिए । लेखक का मानना है देहाती स्वराज्य देहाती उद्योग धंधों का स्वराज्य है और उसके नष्ट होने से आज देहात वीरान तथा डरावना दिखाई दे रहा है ।

विशेषताएँ : ग्राम के विकास से ही देश का विकास होगा। गाँव ही देश की रीढ़ की हड्डी है | देहाती स्वराज्य देहाती उद्योग धंधों का स्वराज्य है लेखक की भाषा में गाँव की सरलता, सहजता तथा प्रवाहमयता देखने को मिलती है |

AP Inter 2nd Year English Model Paper Set 10 with Solutions

4. किसी एक एकांकी का सारांश लिखिए । (1 × 6 = 6)

1. महाभारत की सांज्ञ
उत्तर:
महाभारत की एक साँझ एकांकी में भारतभूषण अग्रवाल ने दुर्योधन के प्रति सहानुभूति जताया है ।

पाँडवो और कौरवों के बीच महाभारत का युध्द चलता है । युद्ध अंतिम दशा तक पहुँचता है । अपनी दिव्य दृष्टि के द्वारा संजय, धृतराष्ट्र को युद्ध का आँखो दिखा वर्णन करता रहता है । युद्ध के परिणामों को देखकर धृतराष्ट्र अंत मे पछताता है । और संजय से कहता है कि यह किसके पापों का फल है 1. क्या पुत्र प्रेम अपराध है, 2. धृतराष्ट्र के दुःख को देखकर संजय शांत होने के लिए सांत्वना देते है |

युद्ध की अंतिम दशा का विवरण धृतराष्ट्र संजय से पूछते है । संजय बताते है कि आत्मरक्षा का उपाय न मिलने पर सुयोधन कुरुक्षेत्र के निकट द्वैतवन के सरोवर मे घुस गये और जल स्तंभ से छिपकर बैठे है ।

यह समाचार अहीरों के द्वारां पाण्डवो को मालूम हुआ तो वे दुर्योधन को तरह – तरह से ललकार कर युद्ध केलिए उकसाते है । युधिष्ठिर और भीम के उकसाने से सरोवर से बाहर आकर दुर्योधन युद्ध करने केलिए सिद्ध हो जाते है ।

यह विवरण संजय धृतराष्ट्र को बता रहे है । पाण्डवो ने विरक्त. सुयोधन को युद्ध के लिए विवश किया । पाण्डवों की ओर से भीम गदा लेकर रण में उतरे । दोनो वीरो ने भयंकर युद्ध किया । सुयोधन का पराक्रम सबको चकित कर देता था । ऐसा लगता था मानों विजयश्री अंत में सुयोधन का वरण करेगी। पर तभी श्री कृष्ण के संकेत पर भीम ने सुयोधन की जंधा में गदा का भीषण प्रहार किया । कुरूराज सुयोधन आहत होकर चीत्कार करते हुए गिर पडे ।

संजय के द्वारा पुत्र की स्थिति सुनते ही पिता का हृदय बिघल जाता है। पुत्र प्रेम से अंधा होकर धृतराष्ट्र. पांडवो को हत्यारे, अधर्मी कहने लगते है । जब सुयोधन आहत होकर निस्सहाय भूमिपर गिर पड़े तो पाण्डव जय ध्वनि करते और हर्ष मनाते अपने शिविर को लौट गये । संध्या होने पर पहले अश्वत्थामा आए और कुरूराज की यह दशा देखकर बदला लेने का प्रण करते. हुए चले गये । फिर युधिष्ठिर आए । सुयोधन के पास आकर वे झुके और शांत स्वर में उन्हे सांत्वना देने केलिए तरह- तरह से समझाते है

सुयोधन और युधिष्ठिर के बीच धर्माधर्म की काफी लंबी चर्चा होती हैं । – युधिष्ठिर चाहे जितना समझाने पर भी सुयोधन में पश्चत्ताप की लेशमात्र भावना भी नही होती है । ‘

अंत में दुर्योधन कहता है- “मुझे कोई ग्लानी नही, ‘कोई पश्चत्ताप नहीं है, केवल एक — केवल एक दुख मेरे साथ जाएगा —– यही — यही कि मेरे पिता अंधे क्यो हुए ।” इस अंतिम वाक्य से एकांकी समात्प होती है ।

विशेषता : इसमें महाभारत युद्ध के उपरान्त दुर्योधन और पांडवो के . . भावपूर्ण मिलन – अवसरो का चित्रण किया गया ।

2. सर्पदंश
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत एकांकी सर्प दंश की लेखिका शांति मेहरोत्रा है । शांति मेहरोत्रा जीने जनसाधारण से भोगी – झेली यथार्य स्थितियां और घटनाएँ इस एकांकी में प्रस्तुत की है ।

सर्प दंश शब्द अपने आप में एक गंभीर समस्या नजर आती है । जिसके लिए त्वरित इलाज की जरुरत पड़ती है लेखिका ने इस सर्प दंश समस्या को व्यंगात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है ।

सारांश : रीता नामक बाईस साल की एक लडकी सुबह के नौ बजे को पूजा के लिए फूल तोडते समय, बगीचे मे उसे साँप काटता है । घास के ज्यादा उगने के कारण रीता साँप को ठीक से देख नही पाती है । लेकिन अपने पैर को ध्यान पूर्वक जब देखती हैं तो उसे दो गोल गोल बारीक निशान दिखाई देते है जिनमें खून भी छलक आया था। वह तुरंत अस्पताल पहुँचती है । वहाँ क्यू में खडे रहने की नौबत आ पडती है । सर्प – दंश एक गंभीर समस्या है लेकिन रीता को क्यु में खड़े होने के लिए मजबूर करते है । परचा बनाते समय कर्मचारी शर्मा तथा हरीलाल रीता को सताते है । हरीलाल, रीता से कहता है – लाइन में खडे खडे मरने का आर्डर नही है, यहाँ से परचा बनवाकर वार्ड में पहुँच जाओ, जब जी चाहा जियो या जी चाहा मरो ।

इतने में एक नीली साडी वाली औरत सबसे आगे जाकर परचा बनवा लेती है। रीता के पूछने पर हीरालाल जवाब देता है कि वह डाबर की रिश्तेदार है और इसलिए उसको कूय में खडे होने की जरूरत नहीं है । रीता खडी नही हो पाती है। इसलिए हीरालाल के स्टूल पर बैठ जाती है। परचा बनवाने की जब उसकी बारी आती है तब उसको शर्मा से भिड़ना पडता है । शर्मा रीता से पूछने लगता है कि किस जाति का सांप ने उसको काटा ? रीता जब कहने लगती है कि उसने सांप को ध्यान से नही देखा, शर्मा चिढ़कर कहने लगता है कि मैं आपकी भलाई के लिए पूछ रहा हूँ हर जाति के सांप के काटे का प्रति विष अलग होता है । नाग के काटने पर करैत के काटे का इलाज होता है तो मरीज उल्टे इलाज से मरजाता है तो जिम्मेदारी किसकी बनेगी । रीता से पुन: विचार कर परचे पर सर्प दंश लिखकर भेजदेता है ।

रीता जब डां. बहादुर से मिलने जाती है तब उनके दरवाजे पर कर्मचारी रीता को रोकता है। रीता उसके हाथ में दस रुपये थमा याम देती है, रीता को तब कर्मचारी अंदर भेजता है । डॉ. बहादुर भी रीता से पूछने लगता है कि सांप किस जाति का था वह विषैल साँप या कि साधारण ? उसका रूप, धारियाँ रंग कैसा नही था ? ऊँबकर रीता डाक्टर से करने लगते है कि उसने ध्यान नही दिया था कई सवाल जवाब के बाद बहादुर उसे एमर्जेन्सी में जाकर दवा के साथ पट्टी लगवाने की सलाह देता है ।

इतने में कर्मचारी से पता चलता है कि एमर्जेन्सी में एक पूरे बस के घायलों के इलाज के लिए लाया है । वह रीता को अब्जर्वेशन के लिए अस्पताल में भर्ती होने का सलाह देता है । रीता भर्ती होने के लिए सोचती ही है रहती है कि इतने में हीरालाल उसके सामने आता है । रीता के यह कहने पर कि उसके माता पिता बाहर गये, तब हीरालाल यह कहकर रीता को शांत करता है कि वह स्वयं रीता के घर जाकर अगले दिन सुबह उसके माता – पिताजी को रीता का समाचार दे आयेगा । तब रीता उसके हाथ में दस रुपये रख देती है । हीरालाल खुश होकर रीता का खयाल रखने लगता है ।

रीता को दवाई लेने का समय होता है । वह सिस्टर से पानी माँगती. है । सिस्टर चिढ़ – चिढ़कर बोलने लगती है कि घर से पानी आने तक थोडा इंतजार कर लीजिए ? इतने में हीरालाल सिस्टर के सामने आता है । हीरालाल से रीटा का जब समाचार मिलता है तब सस्टिर उससे कहने लगती है कि बेड नं तेरह रीता की मैं भी ख्याल रखूँगी ।
तब
भोर होता है और रीता अस्पताल के बाहर निकलती है। हीरालाल जब सामने आता है तो उससे रीता कहती है कि मेरी जान बची है, अगर कोई सांप काटे का मरीज अस्पताल में इलाज के लिए आता है हीरालाल उसे बोलने से रोकता है और कहता है कि उसे सीधे डाक्टर के पास.भेजूँगा, लाइन में लगने केलिए हरगिज नही कहूँगा । धीरे – धीरे परदा गिरता है और एकांकी समाप्त हो जाती है ।

विशेषताएँ : एक सरकारी अस्पताल की कार्य प्रणाली एवं उसके कर्मचारियों तथा डाक्टरों की मानशिकता को व्यंग्यात्मक ढंग इस एकांकी में प्रस्तुत किया गया ।

AP Inter 2nd Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)

1. अमर्त्य वीर – पुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य – पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
उत्तर:
‘हिमाद्री से’ कविता के कवि जयशंकर प्रसाद जी हैं । प्रसाद जी छायावादी कविता के प्रकाश स्थंभ हैं । इनका जन्म सन् 1881 को काशी में हुआ। आप कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार के रूप में सुप्रसिद्ध हैं । आपकी रचनाएँ हैं – कानन कुसुम, प्रेम पथिक, करुणालय, झरना आँसू लहर, कामायनी (महाकाव्य), कंकाल, तितली, इरावती, स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त आदि । इनकी भाषा- शैली स्वाभाविक एवं संवेदनशील है । इनका निधन 1937 ई. में हुआ ।

संदर्भ : कवि अलका के माध्यम से भारत वासियो को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए उत्तेजित कर रहे है ।

व्याख्या : भारत-माता स्वतंत्रता के लिए पुकार रही है । जागो हे अमर्त्य वीर पुरुषों जागो, भारत माता के सपूतों जागो । दृढ संकल्प के साथ प्रतिज्ञा करों कि “भारत देश को आजाद बनायेंगे”” इस सर्वश्रेष्ठ, पुण्य, उत्तम मार्ग में निकलो बढ़ते चलो, बढ़ते चलो। विजयी बनो । रुको मत हे वीर पुत्रों, तुम्हारा मार्ग प्रशस्त ही नहीं पवित्र तथा पुण्यवाला है ।

विशेषताएँ : यह गीत अलका के देश प्रेम, लगन और उत्साह को प्रदर्शित करता है प्रसाद जी अपने समय में देश की स्थिति से प्रभावित हो कर अलका के मुह से यह गीत गवाया है । यह गीत देशभिमान, जागृति और नवीनता से ओतप्रेत है ।

2. जब किसी जाति का अहं चोट खाता है,
पावक प्रचंड होकर बाहर आता है ।
उत्तर:
कवि परिचय : परशुराम की प्रतीक्षा कविता के कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ और वीर रस के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं । आप का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में सन् 1908 ई. को हुआ । कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा आपके प्रमुख काव्य संग्रह हैं । ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन का निधन 1974 में – हुआ ।

संदर्भ : कवि दिनकर जी इन पंन्तियों के माध्यम से भारत की गारिमा का गान गा रहे हैं |

व्याख्या : यह भी सच है कि जब-जब भारत का गौरव खतरे में पड़ता है तब तब यहाँ के लोग उग्र रूप धारण करके आंखों में आग लिए आते हैं. पर स्वदेश (भारत) का भागय लिए आते है । भारत पर चीन के आक्रमण के समय भारत का गौरव घायल हुआ है । इसीलिए भारत के लोग चोट खाये भुजंग की तरह क्रोधित हो कर सुलगी हुई आग बना देते हैं । जब किसी जाति का आत्म सम्मान चोट खाता हैं, आग प्रचंड हो कर बाहर आती है ।

विशेषताएँ : देश के प्रति प्रेम और भक्तिभावनाओं को जगानेवाली कविता है | कविता की भाषा सरल तथा विषयानुकूल है । शैली सहज तथा प्रवाहमान है ।

3. असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत कविता ‘कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती’ के कवि हरिवंशराय बच्चन जी हैं । आप हिन्दी साहित्य में हालावाद के प्रवर्तक माने जाते हैं । ‘मधुशाला’, ‘मधुकलश’ आपके बहुचर्चित काव्य हैं ।
संदर्भ : प्रस्तुत कविता में मनुष्य को निरंतर प्रयत्नशील बनकर रहने का संदेश दिया गया है ।

व्याख्या : प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं ” असफलता एक चुनौती है और उसे स्वीकार करना चाहिए। पिछले प्रयास में हमने क्या किया और उसमें क्या कमी है – इन बातों की समीक्षा करके अपने आपको सुधारना चाहिए । पुनः उत्साह से प्रयास करना चाहिए । जब तक सफल नहीं होते तब तक- नींद और आराम को छोड़ देना चाहिए ।”

विशेषता : प्रस्तुत कविता में बच्चन जी बहुत ही सरल भाषा में पाठकों को प्रेरणा देते हैं । उनके अनुसार आदमी तभी हार जाता है, जब वह अपनी कोशिश रोक देता है । जब तक वह कोशिश करता रहेगा तब तक वह पराजित नहीं होता |

4. सखे जाओ तुम हँस कर भूल
रहूँ मैं सुध करके रोती ।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता से दी गयी है । इस के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं। गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं । खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है साकेत, यशोधरा, षंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ | गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया । संदर्भ : ये पंक्तियाँ उर्मिला वनवास को गये लक्ष्मण को याद करते हुए दुख भाव से कहती हैं ।

व्याख्या : राम और सीता के साथ लक्ष्मण वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है। उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रहने के कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है।
हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसु मोती बनते जा रहे हैं ।

विशेषताएँ : अपने पती के वियोग विरह में विदग्ध उर्मिला का वर्णन है। वियोग श्रृंगार का सफ़ल प्रस्तुतीकरण है । भाषा शुद्ध खडीबोली हैं ।

6. निम्नलिखित में से किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (2 × 4 = 8)

1. युवा पुरुषों के लिए इससे अच्छा कोई दूसरा उपदेश नहीं है कि ‘कभी आलस्य न करो ।’
उत्तर:
संदर्भ: प्रस्तुत गद्यांश ‘आलस्य और दृढ़ता’ नामक लेख से दिया गया है। इसके लेखक बाबू श्यामसुंदर दास हैं । आप हिन्दी के जाने-माने विद्वान और आलोचक हैं | आप बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्रथम अध्यक्ष थे। काशी नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापकों में आप भी एक थे । प्रस्तुत लेख में आप युवापीढ़ी को आलस्य छोड़ने का संदेश देते हैं ।

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक कहते हैं कि आलस्य को छोड़ने के लिए कहना ही युवापीढ़ी के लिए श्रेष्ठ उपदेश है । क्योंकि आजकल की युवापीढ़ी की प्रबल समस्या आलसीपन ही है। काम को टालने और सुस्ती के कारण बड़े-बड़े कार्य पूरा नहीं हो रहे हैं । लेखक सुझाव देते हैं कि चाहे जितना भी कम समय के लिए हो, एक काम को रोज नियमित रूप से करना चाहिए | बस इतना ध्यान रहे कि नियम का भंग न हो ।

विशेषता : इन पंक्तियों में लेखक युवाओं से आलस्य छोड़ने का आग्रह किया है । यह पाठ प्रबोधात्मक लेख है । भाषा अत्यंत सरल और भाव गंभीर हैं ।

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2. कई वर्ष पूर्व मैंने निश्चय किया कि अब हिरण नहीं पालूंगी, परंतु आज उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल प्राण जीव की रक्षा संभव नहीं है ।
उत्तर:
कवि परिचय : ये पंक्तियाँ सोना हिरनी नामक रेखाचित्र से दी गयी है । इस की लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ है | हिन्दी साहित्य में छायावाद की प्रमुख लेखिका के साथ साथ संस्मरण तथा रेखाचित्र लेखिका के रूप में सुपरिचित है । आप की प्रमुख रचनाएँ है – नीहार, नीरजा, संध्यगीत, दीप शिखा, अतीत के चलचित्र, क्षणदा, श्रृंखला की कडियाँ, स्मृति की रेखाएँ, मेरा परिवार आदि । इन को ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है |

संदर्भ : स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता का पत्र पढते अपनी पुरानी यादों को सहारे कह रही है ।

व्याख्या : लेखिका के परिचित स्वर्गीय धीरेंद्रनाथ वसु पौत्री सस्मिता ने पत्र लेखिका को लिखा है – उनके पडोसी से एक हिरन मिला था । जो उन्हें उसे पालने के लिए दिया था । कुछ ही महीनों में उस हिरन के साथ बहुत स्नेह हो गया था । वह अब बडी हो जाने के कारण अधिक विस्तृत स्थान चाहिए, स्थलविस्तृति के अभाव के कारण विश्वास के साथ लेखिका के यहाँ पालने देना चाहती है । पत्र पड़ते पड़ते लेखिका को अचानक ‘सोना’ (हिरन ) की यादें ताजा हो जाती है । लेकिन कई वर्षो पूर्व लेखिका ने निश्वय किया कि अब हिरन नहीं पालेंगी । परंतु उस नियम को भंग किए बिना इस कोमल जीवी की रक्षा संभव नहीं है ।

विशेषताएँ : इस रेखाचित्र में सोना हिरनी के प्रति लेखिका का स्नेह संपूर्ण आत्मीयता और अंतरंग भाव साकार हुआ है । महादेवी वर्मा अपनी गद्य भाषा के कवित्वपूर्ण विन्यास द्वारा सोना हिरनी के सौन्दर्य का अनुपम चित्रण किया है जो मानवीय संवेदना की गत्वर दीप्ती को जागृत करती है ।

3. आप अगर बुरा न मानें तो मैं आपके हिस्से में से दस ऊँट ले लूँ । आप तो जानते ही हैं कि मेरे जैसे सांसारिक लोगों के लिए धन का ही महत्व होता है ।
उत्तर:
संदर्भ : यह वाक्य अंधे बाबा अब्दुल्ला नामक पाठ से लिया गया है । यह कहानी ‘अलिफ लैला की कहानियाँ’ में से संकलित है। इस कहानी का मुख्य पात्र अब्दुल्ला है ।

व्याख्या : ये वाक्य अब्दुल्ला फकीर से कह रहा है । अब्दुल्ला और फकीर असंख्याक द्रव्य से भरे गुफा से 80 ऊँट पर रत्न अषर्फियाँ लाद कर, वादे के अनुसार दोनो बाँट लिए । फकीर अपने शर्त का हिस्सा और मरहम ले जा रहा था इतने में अब्दुल्ला को दिल में लोभ का शैतान फैल गया । और अपने सारे ऊँटो को वापस लेलिया ।

विशेषता: इन वाक्यों से अब्दुल्ला की अत्याशा के बारे में बता रहे है।

4. उनकी काँपती हुई जबान से केवल इतना ही निकला – साहब, यह तिजोरी ताले से नहीं, नम्बरों से खुलती है ।
उत्तर:
लेखक परिचय : “नंबरोंवाली तिजोरी” नामक हास्य कथा के लेखक कुंवर सुरेश सिंह जी हैं। सुरेश सिंह जी का जन्म 1935 में उत्तर प्रदेश के कालाकाँकर के राज परिवार में हुआ । वे हिन्दी के सुपरिचित साहित्यकार हैं तथा आइ.ए.एस अफिसर भी हैं । आपकी रचनाएँ हैं ‘पंत जी और कालाकाँकर’ अवं ‘यादों के झरोखे से’ । इनकी रचनाएँ भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हैं ।

संदर्भ : ये वाक्य डाकुओंसे डरते हुए मैनेजर कह रहे हैं ।

व्याख्या : मैनेजर साहब को राजा साहब के यहाँ से तोहफ़े में एक नंबरोंवाली तिजोरी मिली थी । जो बंद पडी हुई होती हैं उनके घर में डाकू चोरी के लिए आते हैं । उसे कई प्रयत्नो के बाद भी खोल नहीं पाते तो मैनेजर के सर पर बल्लम अड़ा कर धमकी देते हुए चाबी मांगते हैं । खूब पिटाई करते हैं पिटा गया मैनेजर कांपते हुए स्वर में कहता है कि यह तिजोरी ताले से नही नंबरों से खुलती है ।

विशेषताएँ : यह एक हास्य कथा है। कमरे की रौनख बढाने के लिए लायी गयी तिजोरी के कारण डाकुओं से बेहद पिटे जाने वाले बेकसूर मैनेजर की कथा ह । भाषा सरल तथा उर्दू से भरी है। शैली प्रवाहमान है।

7. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए । (2 × 2 = 4)

1. कौन – सा व्यक्ति संसार में गौरव पा सकता है ?
उत्तर:
वही व्यक्ति संसार में गौरव पा सकता है जो किसी काम में दृढ़ता के साथ लगे रहता है । वह आलस्य से मुक्त रहता है और सारे काम सफलता पूर्वक कर सकता है । अतः दृढ़तापूर्ण व्यक्ति ही संसार में गौरव पाने का योग्य है ।

2. हिरण को किन – किन नामों से पुकारते थे ?
उत्तर:
लेखिका हिरन को सोना, सुवर्णा, स्वर्ण लेखा आदि नामों से पुकारती है ।

3. खलीफा ने क्या कहाँ ?
उत्तर:
खलीफा ने कहा, तुम्हारी मूर्खता तो बहुत बडी थी । भगवान तुम्हे क्षमा करेंगे / अब तुम अपनी सारी कथा भिक्षुक मंडली को सुनाओ कि लालच का क्या फल होता है । अब तुम भीख मांगना छोड दो। तुम्हे हर दिन पाँच रुपये मेरे खजाने में से मिलेंगे । यह व्यवस्था तुम्हारे जीवन भर केलिए होगी ।

4. मैनेजर साहब ने डाकुओं को क्या जवाब दिया ?
उत्तर:
मैनेजर साहब ने डाकुओं से मार खा कर घबराए हुए स्वर में कहा यह तिजोरी तालों से नहीं, नंबरों से खुलती है । और कहा इसका नंबर मुझे भी नहीं मालुम है ।

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8. निम्नलिखित में से किन्हीं दो लघु प्रश्नों के उत्तर लिखिए । (2 × 2 = 4)

1. जल में छिपा बैठा दुर्योधन को युधिष्ठिर ने कैसे पुकारा ?
उत्तर:
जल में छिपे दुर्योधन को युधिष्ठिर, ओ पापी, अरे ओ कपटी, दुरात्मा दुर्योधन कहकर पुकारता है । स्त्रियों की भाँति जल में छिपना नही. बांहर निकलकर आने केलिए युधिष्ठिर कहता है ।

2. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
भारतीय समाज की कई समस्याओं का चित्रण करना ही “रीढ़ की हड्डी’ का मुख्य उद्देश्य है । लड़कियों को लड़कों के बराबर न देखना, जल्दबाजी करके अयोग्य के गले लड़की मढ़ देना, लड़की के पिता की लाचारी, लड़कियों को प्राणहीन वस्तु की तरह देखने की मानसिकता, उच्चशिक्षा प्राप्त युवकों में व्यक्तित्व का अभाव – इत्यादि कई समस्याएँ चित्रित करने में एकांकी का उद्देश्य पूरा हुआ ।

3. डॉ. बहादूर के अनुसार सही निदान और सही इलाज के लिए क्या जानना जरूरी है ?
उत्तर:
डॉ. बहादुर के अनुसार सही निदान और सही इलाज के लिए जानना जरूरी है कि एक तो वह सांप था या नही, दूसरा अगर सांप था तो जहरीला था या नही, तीसरे अगर जहरीला था तो किस जाति का सांप था ।

4. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में उमा के विचारों पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में उमा नायिका है । वह उच्चशिक्षा प्राप्त युवती है । उसका अपना व्यक्तित्व है । वह लड़की देखने की प्रथा के नाम पर होनेवाले अपमान का सहन नहीं करती । उमा के अनुसार लड़कियों का भी दिल होता है और उसे ठेस पहुँचती है । ऐन मौके पर वह अपना मुँह खोलती है और लड़केवालों का मुँहतोड़ जवाब देती है |

9. निम्नलिखित प्रश्नों का वाक्य में उत्तर लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर:
तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर (चित्रकूट) गाँव मे हुआ है ।

2. बिहारी के ग्रंथ का नाम क्या था ?
उत्तर:
बिहारी सत्त्सई ।

3. ‘हिमाद्रि से’ कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद

4. परशुराम में किन – किन महापुरुषों के गुण निहित हैं ?
उत्तर:
गाँधीजी गौतम बुद्ध एवं शंकर ।

5. हालाबाद के प्रवर्तक कौन हैं ?
उत्तर:
हालावाद के प्रवर्तक श्री हरिवंशराय बच्चन हैं !

10. निम्नलिखित प्रश्नों का एक वाक्य में उत्तर लिखिए ।

1. ‘आलस्य और दृढ़ता’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
‘आलस्य और दृढ़ता’ पाठ के लेखक डॉ. श्यामसुंदर दास हैं ।

2. सौंदर्य के प्रति किसका आकर्षण नहीं रहता ?
उत्तर:
शिकारी ।

3. फकीर ने कितने ऊँट लेने का शर्त रखा ?
उत्तर:
फकीर ने चालीस ऊँट लेने की शर्त रखा ।

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4. ‘नंबरों वाली तिजोरी’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
सुरेश सिंह ।

5. देहाती लक्ष्मी कितने रास्तों से भागती है ?
उत्तर:
चार रास्तों में भागती है ।

खंड – ख (40 अंक)

11. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर इसके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीखिए । (5 × 2 = 10)

डॉ.भीमराव रामजी अंबेडकर ‘बाबा साहेब’ के नाम से लोकप्रिय थे । आप भारतीय विधि वेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। वे भारत संविधान के निर्माता थे । उन्होंने भारत के संविधान की रचना करके 26 नवंबर, 1949 में संविधान सभा को समर्पित किया था । बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में स्थित नगर सैन्य छावनी ‘महूँ’ में हुआ था । उनका परिवार मराठी था वे आंबडवे गाँव जो रत्नगिरि जिले में है । बाबा साहेब ने ‘कोलंबिया विश्वविद्यालय’ और ‘लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स’ दोनों विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की । वे भारत के प्रथम कानूनी मंत्री भी थे। मार्च, 1952 में उन्हें संसद के ऊपरी सदन यानि राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया और इसके बाद उनकी मृत्यु 6 दिसंबर, 1956 तक वे इस सदन के सदस्य (एम.पी.) रहे । सन् 1990 में बाबा साहेब के मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से उन्हें सम्मानित किया गया है । प्रति वर्ष 14 अप्रैल को उनका जन्म दिन भारत में ‘अंबेडकर जयंती’ के रूप में मनाया जाता है ।

प्रश्न :
1. भारत के संविधान के निर्माता कौन थे ?
उत्तर:
भारत के संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर जी थे ।

2. अंबेडकर ने संविधान को कब समर्पित किया ?
उत्तर:
‘अंबेडकर ने संविधान को 26 नवंबर, 1949 को समर्पित किया ।

3. अंबेडकर ने किन – किन विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट प्राप्त की ?
उत्तर:
अंबेडकर ने ‘कोलंबिया विश्वविद्यालय’ और ‘लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स विश्वविद्यालयो में अर्थशास्त्र के डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की ।

4. अंबेडकर को भारत रत्न के पुरस्कार से कब सम्मानित किया ?
उत्तर:
अंबेडकर को भारत रत्न के पुरस्कार से सन् 1990 में सम्मनित किया ।

5. अबेडकर जयंती कब मनाया जाता है ?
उत्तर:
अंबेडकर जयंती प्रतिवर्ष 14 अप्रैल को मनायी जाती है ।

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12. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए । (5 × 1 = 5)

1. देवर्षि
2. देवालय
3. मनोहर
4. विद्यालय
5. इत्यादि
6. सद्भावना
7. वागीश
8. महोत्सव
9. महेश
10. सज्जन
उत्तर:
1. देवर्षि = देव + ऋषि
2. देवालय = देव + आलय
3. मनोहर मनः + हर
4. विद्यालय = विद्या + आलय
5. इत्यादि = इति + आदि
6. सद्भावना = सत् + भावना
7. वागीश = वाक + ईश
8. महोत्सव = महा + उत्सव
9. महेश = महा + ईश
10. सज्जन = सत + जन

13. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं पाँच शब्दों के समास के नाम लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. भरपेट
2. माता – पिता
3. दीननाथ
4. नवरस
5. पंकज
6. चक्रधर
7. जलज
8. प्रतिदिन
9. नीली गाय
10. अरुण तारा
उत्तर:
1. भरपेट = ( अव्ययीभाव समास ) ( पेट भरकर )
2. माता-पिता = ( द्वन्द्व समास ) ( मोता और पिता )
3. दीननाथ = (तत्पुरुष समास ) ( दिनों के एि नाथ )
4. नवरस = ( द्विगु समास ) ( नव रसा का समूह )
5. पंकज = ( बहुव्रीहि समास ) ( पंक में जन्म लेनेवाला अर्थात कमल )
6. चक्रधर = ( बहुव्रीहि समास ) ( चक्र का धारण करनेवाला अर्थात् श्रीहरि )
7. जलज = ( बहुव्रीहि समास ) ( जल में जन्म लेनेवाला अर्थात् पद्म )
8. प्रतिदिन = (अव्ययीभाव समास ) ( दिन – दिन )
9. नीली गाय = ( कर्मधारय समास ) ( वह गाय जो नीली हो )
10. अरुण तारा = (कर्मधारय समास ) ( अरुण रंग का तारा)

14. (अ) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं पाँच वाक्यों को हिंदी में अनुवाद कीजिए । (5 × 1 = 5)

1. My name is Mohan.
उत्तर: मेरा नाम मोहन हैं ।

2. Rama killed Ravana.
उत्तर: राम ने रावण को मारा ।

3. Don’t tell lies.
उत्तर: झूठ मत बोलो।

4. Service to man is service to God.
उत्तर: मानव सेवा ही माधव सेवा है ।

5. The Sun rises in the East.
उत्तर: सूरज पूरब में उगता है ।

6. Ramakanth is a brave boy.
उत्तर: रमाकांत एक साहसी लड़का है ।

7. Amaravati is the Capital of Andhra Pradesh.
उत्तर: अमरावती आंध्र प्रदेश की राजधानी है ।

8. Visakhapatnam is a beautiful city.
उत्तर: विशाखापट्टणम एक सुंदर नगर है ।

9. Rakesh is playing in the play ground.
उत्तर: राकेश मैदान में खेल रहा है ।

10. Respect your teachers.
उत्तर: अध्यापकों का सम्मान करो ।

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(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से पाँच वाक्यों का शुद्ध रूप लिखिए । (5 × 1 = 5)

1. मैं स्कूल जाता/जाती है ।
उत्तर: मैं स्कूल जाता/जाती हूँ । (शुद्ध)

2. श्रीदेवी पाठ पढ़ता है ।
उत्तर: श्रीदेवी पाठ पढ़ती है । (शुद्ध)

3. गोदावरी की पानी मीठी हैं ।
उत्तर: गोदावरी का पानी मीठा है । (शुद्ध)

4. धनराज ने चिट्ठी लिखा ।
उत्तर: धनराज ने चिट्ठी लिखा । (शुद्ध)

5. अध्यापक जी ने बोले ।
उत्तर: अध्यापक जी बोले । (शुद्ध)

6. मैं मेरा काम करता हूँ ।
उत्तर: मैं अपना काम करता हूँ । (शुद्ध)

7. आप आपका नाम बताइये ।
उत्तर: आप अपना नाम बताइये । (शुद्ध)

8. हम हिंदी सीखनी चाहिए ।
उत्तर: हमें हिंदी सीखनी चाहिए। (शुद्ध) (हम + को = हमें )

9. राम बन जाना पड़ा ।
उत्तर: राम को वन जाना पड़ा । (शुद्ध)

10. दशरथ की तीन रानियाँ थीं ।
उत्तर: दशरथ के तीन रानियाँ थीं । (शुद्ध) (संबंधी)

15. निम्नलिखित गद्यांश का संक्षिप्तीकरण कीजिए । (1 × 5 = 5)

वर्तमान-काल विज्ञापन का युग माना जाता है । समाचार-पत्रों के अतिरिक्त रेडियो और टेलीविजन भी विज्ञापन के सफल साधन हैं । विज्ञापन का मूल उद्देश्य उत्पादक और उपभोक्ता में सीधा संपर्क स्थापित करना होता है । जितना अधिक विज्ञापन किसी पदार्थ का होगा, उतनी ही उसकी लोकप्रियता बढ़ेगी । इन विज्ञापनों पर धन तो अधिक व्यय होता हैं, पर इनसे बिक्री बढ़ जाती है। ग्राहक जब इन आकर्षक विज्ञापनों को देखता है, तो वह उस वस्तुविशेष के प्रति आकृष्ट होकर उसे खरीदने को बाध्य हो जाता है ।
उत्तर:
यह विज्ञापन का युग है। समाचार-पत्र, रेडियो, टेलिविजन विज्ञापन के मुख्य साधन हैं | विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य है उत्पादन को उपभोक्ता से जोडना । विज्ञापन उत्पादन की लोकप्रियता बडाता है । विज्ञापन से ग्राहक आकर्षित होता है । उत्पादन को अधिक संख्या में खरीदता है ।

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16. निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच वाक्यों का वाच्य बदलिए । (5 × 1 = 5)

1. राम ने रोटी खाई ।
उत्तर: राम से रोटी खाई गई । (कर्म) (रोटी – स्त्रीलिंग)

2. मैंने किताब पढ़ी |
उत्तर: मुझसे किताब पढ़ी गई । (कर्म) (किताब – स्त्रीलिंग)

3. शारदा पाठ पढ़ती है ।
उत्तर: शारदा से पाठ पढ़ा जाता है । (कर्म) (पाठ – पुलिंग )

4. मौनिका गीत गाती है ।
उत्तर: मौनिका से गीत गाया जाता है । (कर्म) (गीत – पुलिंग )

5. मुरली रस पीता है ।
उत्तर: मुरली से रस पीया जाता है। (कर्म) (रस – पुलिंग )

6. मैं प्रतिदिन व्यायाम करता हूँ ।
उत्तर: मुझसे प्रतिदिन व्यायाम किया जाता है । (कर्म) (व्यायाम – पुलिंग)

7. कृष्ण से बाँसुरी बजायी जाती हैं।
उत्तर: कृष्ण बाँसुरी बजाता है। (कर्तृ) (बाँसुरी – स्त्रीलिंग)

8. हम फिल्म देखेंगे ।
उत्तर: हमसे फिल्म देखी जाएगी। (कर्म) (फिल्म स्त्रीलिंग)

9. आप नहीं उठेंगे ।
उत्तर: आपसे उठा नहीं जाता । (भाव)

10. वह नहीं सोता ।
उत्तर: उससे सोया नहीं जाता । (भाव)

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