AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

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AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खण्ड – ‘क’
(60 अंक)

1. साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।
संदर्भ :- इसमे कवि सत्य की महानता के बारे में कह रहे हैं ।
व्याख्या :- कवि का कहना है कि सत्य तपस्या के समान पुण्य है और झूठ पाप है । जिसके हृदय मे सत्य की भावना रहती है, उसके हृदय में हमेशा ईश्वर निवास करता है ।

विशेषताएँ :

  1. हमेशा सत्य बोलने का सन्देश कवि दे रहे है ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

(अथवा)

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो झटकाय ।
टूटे से फिर ना जुरे, जेरे गाँठ पड जाय ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
सन्दर्भ :- इसमें कवि प्रेम की महानता के बारे में कह रहे हैं ।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि प्रेम रूपी कच्चे धागे को खीचकर मत तोडो। क्यों कि उसको फिर ठीक करना आसान नहीं है । यदि टूटे धागे को बाँधा भी जाय, फिर भी उसमे जोडने के गाँठ दिखाई पडते हैं । उसी प्रकार यदि प्रेम की भावना नही होती तो मानव सम्बन्ध भी ठीक से नही चलते |

विशेषताए :-

  1. सब के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करने का सन्देश कवि देते हैं ।
  2. उनकी भाषा व्रज भाषा है ।

2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए ।

(1) सुरज – दुःख
उत्तर:
प्रसंग :- सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म सन् 1900 ई. मे. उत्तर प्रदेश अल्मोडा जिले के कौसानी ग्राम मे हुआ । उन्होने हिन्दी के साथ साथ संस्कृत, बंगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं का अध्ययन किया । प्रकृति के उपासक होने के कारण उन्हे प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है। पल्लव, वीणा, ग्रथि, ग्राम्या, स्वर्णधूलि आदि प्रमुख रचनाएँ हैं । उनकी भाषा संस्कृत के तत्सम शब्दों से युक्त खडीबोली है ।

सारांश :- कवि का कहना है कि हमेशा सुख और दुख भी जीवन के लिए अच्छा नही । सुख और दुख दोनों के साथ खेल मिचौनी करना चाहिए । अर्थात् जीवन में सुख और दुख एक दूसरे के साथ आना ही चाहिए । सुख और दुख होने के साथ ही जीवन परिपूर्ण होता है । जिस प्रकार आकाश में घने बादलों के बीच चन्द्रमा और चाँदनी से बादल घेरे जाते हैं उसी प्रकार सुख और दुख एक दूसरे के बाद आते जाते है ।

सारा जगत कभी कभी अति दुख से और अति सुख से पीडित होता रहता है । लेकिन मानव जीवन में सुख और दुख दोनों को समान रूप में स्वीकारना चाहिए । हमेशा सुख और हमेशा । दुख दोनो भी जीवन के लिए दुखदायक है। जिस प्रकार जीवन में दिन और रात का आना जाना स्वाभाविक है | उसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना भी स्वाभाविक है ।

जिस प्रकार सायंकाल सूर्योदय का आगमन विरह के बाद मिलन जीवन के लिए आनन्ददायक होता है | आनन्द और दुख हमेशा जीवन मे आता जाता रहता है । यही मानव जीवन है ।

इस प्रकार कवि इसमें जीवन मे स्वाभाविक और प्राकृतिक नियमों के बारे मे चित्रण करते हुए जीवन के लिए सुख और दुख जितना स्वाभाविक होते है उनके बारे मे व्यक्त कर रहे है । सुख । और दुख दोनो को समान रूप मे स्वीकारने का सन्देश दे रहे हैं। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(2) अकाल और उसके बाद
उत्तर:
कवि ने इस्के अकाल के समय और अकान के बाद की स्थिती को दो पद्यों के द्वारा विस्तार रूप मे वर्णन किया । अंकाल के समय मे घर पर खाने के लिए अनाज का अभाव है इसलिए कई दिनो से जला और अनाज के अभाव से आठा न पीसने के कारण चक्की के भी काम नही किया । चूहे चूल्हा न जलने से घर का एक का अंख वाला कुत्ता उसी के पास सो रही है । खाना न मिलने से सारा घर और आदी जन्तुएँ भी उदास है । घर के लोग उदास से एक बैठे हुए है । और दीवार पर छिपकलियाँ गस्ती देखे हैं । कई दिनों से अकाल से पीडित होते वाले घरों में अनाज न मिलने से चूहो की स्थिति भी बडी दयनीय थी ।

अब अकाल चल गया | बहुत दिनों के बाद घर मे अनाज आया । चूल्हे जलने से घर के आंगन मे धुँआ उठा । घर के सभी लोगो की आँखों मे चमक उठी अर्थात सब लोगों मे असाह भर गया । भोजन के बाद केंके हुए अन्न से अपने पेट भरने की आशा से काँठा भी पंख खुजलाकर इत्तर इन्तजार कर रही हैं ।

इस्प्रकार कवि ने अकाल से पीडित जनता की दयनी स्थिति और बाद की स्थिति का मार्मिक रूप से चित्रण किया है । अकल की दुस्थिति केवल लोंगों पर ही नहीं बल्कि उनके चारों ओर वातारिण को किस प्रकार प्रभावित करती है, उस्का स्पश्ट चित्रण किया है । उनकी भाषा सरल खडी बोली है।

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3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए |

(1) आन्ध संस्कृति
उत्तर:
संस्कृति अर्जित आचरणों की एक व्यवस्था है। संस्कृति मानव की जीवन पद्धति है और विचारों, आचरणों और जीवन के मूल्यों का सामूहिक नाम है । भारतीय संस्कृति के बारे में दिनकर जी का कहना है कि संस्कृति जिंदगी का एक तरीका है और यह तरीका सदियों से जमा होकर एक उस समाज में छाया रहता है जिसमें हम जन्म लेते है ।

भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । उसका प्रादेशिक रूप तेलुगु संस्कृति है और यही आन्ध्र संस्कृति कहलाती है । आन्ध्र राज्य का इतिहास शातवाहनों से आरंभ होता है । इनके समय मे आंध्र मे आर्य व द्रविड संस्कृतियों का अपूर्व संगम हुआ था । शातवाहनों के बाद आन्ध्र संस्कृति के विकास में इक्ष्वाकु, चोल, चालुक्य, पल्लव, काकतीय, विजयनगर राजाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा । काकतीयों के समय 14 वी शताब्दी में आंध्र मे मुसलमानों का प्रवेश हुआ | जिससे एक और नयी संस्कृति का समावेश हो गया । ऐतिहासिक व राजनीतिक रूप से आंध्र प्रदेश दो भागों में विभक्त है – कोस्ता तटीयान्ध्र तथा रायलसीमा । गोदावरी, कृष्ण, आन्ध्र की प्रमुख जीव- नदियाँ है इनके अलावा छोटी-छोटी नदियों भी प्रवाहि पायी जाती है । आन्ध्रप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और अनाज मुख्य फसल है इसके अलावा मकई, मिर्च, कपास, मूंगफली, तम्बाकू व जूट अन्य फसल है | आंगेलु पशुओं की भारतभर प्रसिद्धि है । आन्ध्र का एक विशेष उद्योग है – नौका निर्माण उद्योग |

आन्ध्र प्रदेश धार्मिक रूप से एक संपन्न राज्य है । यहाँ पर वैदिक, बौद्ध, जैन, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, इस्लाम, सिख, ईसाईधर्म, नास्तिक धर्म आदि विराजमान हैं । बौद्ध संस्कृति और जैन धर्म से संबंधित मन्दिर और स्तूप और अनेक विहार यहाँ पर व्याप्त है । हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर भी निर्मित हुए जैसे द्राक्षारामम्, हंपी, ताडिपत्रि, लेपाक्षी आदि। कला और संस्कृति का भी विकास यहां पर हुआ । यहाँ पर नाग, यक्ष जातियों के साथ-साथ अनेक पर्वत और जंगलों जातियों भी विकास हुआ ।

संस्कृति मानव जीवन की आदर्श आचार सहित है । संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकलाओं के साथ हरिकथा, बुर्राकथा, चेंचु नाटक भी प्रचार मे है । अन्नमाचार्य, रामदास, त्यागराज और क्षेत्रच्या के साथ 3 बीसवी राती के मंगलंपल्लि बालमुरली कृष्ण भी प्रसिद्ध वाग्गेयकार थे । कूचिपूडि, भरतनाट्यम, कथकली, कथक नृत्यों के साथ कलंकारी, कोंडपल्लि गुडियाँ, एटिकोप्पाका गुडिया, मंगलगिरि, उप्पाडा, पोंडूरू, वेंकटगिरि वस्त्र आदि प्रसिद्धि है ।
आन्ध्र प्रान्त मे अनेक पर्व और त्योहार मनाये जाते है जैसे संक्रांति, महाशिवरात्रि, उगादि, श्रीरामनवमी एरुवाका पूर्णिमा, विनायक चविति, दशहरा, दीपावली रमजान क्रिसमस आदि बनाया जाता है | विवाह तो जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है । यहाँ के स्त्री-पुरुष कईतरह के आभूषण पहना करते थे । अनेक तरह के खेल खेला करते थे । यहाँ के व्यंजन भी सांप्रदायिक और प्रसिद्ध है | चावल प्रधान भौजन है । अमरावती, अन्नवरम् तिरूपति कनकदुर्गम्मा नन्दिर, पंचारामम यहाँ के प्रसिद्ध मन्दिर है ।

आंध्रसंस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ। संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्य व नाटक तेलुगु मे अनुदित हुआ है। आंध्र में अष्टावधान नामक एक विशिष्ट साहित्य प्रक्रिया विकसित हुआ । आन्ध्र की राजभाषा तेलुगु है । नन्नया, तिक्कना, एराप्रगडा ने महाकाव्य महाभारत का तेलुगु मे अनुवाद किया। प्राचीनकाल के रचनाकारों में पालकुरिक सोमनाथ, श्रीनाथ, पोतना और आधुनिक साहित्यकारों मे गुरजाडा, कंदुकूरी, कृष्णाशास्त्री, श्री श्री, गुर्रम जाषुआ, चिन्नयसूरी जैसे और भी अनेक है ।

इस प्रकार आन्ध्र संस्कृति विभिन्न जाति, धर्म, जाति, व वर्ण के लोगों से मिश्रित है । फिर भी राज्य मे सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक एकरूपता का आभास स्पष्ट झलकता है ।

(2) पर्यावरण और जीवन
उत्तर:
मानव एक सामाजिक प्राणी है । व्यक्ति और परिवार से समाज का निर्माण होता है । वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक दूसरे भर निर्भर रहता है । मानव समाज के विकास में विज्ञान, वैज्ञानिक आविष्कारों, परिवाहन तथा संचार के साधनों और विविध यंत्रों आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस प्रकार जहाँ मानव सभ्यता के विकास के साथ ही प्रकृति का शोषण आरम्भ हुआ, वहीं जनसंख्या की वृद्धि के साथ पृथ्वी पर प्रदूषण भी बढने लगा । इसके लिए प्रकृति की रक्षा और सुरक्षा को मानव जीवन के लिए अनिवार्य अंग बनाना होगा ।

पर्यावरण हमारे चारों ओर के वातावरण से सम्बंध है । पर्यावरण समस्त जीव-जन्तुओं, प्राणियों और मनुष्य के जीवन का आधार और अधिरचना अर्थात् पर्यावरण सभी के जीवन का अभिन्न अंग है, यही कारण कि आदिकाल से प्रकृति के सान्निध्य मे मानव ने अपने जीवन को विकसित किया है | जब जैविक तथा अजैविक पदार्थों के बीच संतुलन को पर्यावरण संतुलन कहा जाता है । आजकल पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है ।

मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए प्राकृतिक सम्पदाओं को क्षति पहुँचा रहा है । पर्यावरण संकट प्रदूषण और असंतुलन का परिणाम है । यह संकट भूमि, जल वायु, ताप, ऊर्जा, खनिज, ध्वनि तथा वनस्पति आदि सभी क्षेत्रों मे उत्पन्न हो चुका है । यहा प्रदूषण विभिन्न रूपों में देखा जा सकता है । जैसे – भूमिप्रदूषण, वायुप्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि । इन प्रदूषणों ने न केवल मानव जीवन को संकटमय बना दिया है अपितु उसके लिए कई प्रकार की बीमारियों को भी उत्पन्न कर दिया । जैसे कम उम्र के बच्चों और वृद्धों के लिए स्वाँस की समस्या, ब्रोंकाइटिस, फेफडो की टी.बी. कैंसर, त्वचा का रोग आदि समस्याएँ बढती जा रही है । प्रदूषित पानी पीने से उदर संबंधी रोग बढ़ रहे है । ध्वनि प्रदूषण से महानगरों मे बहरेपन की समस्या बढ रही है ? मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन से मनुष्य मे चिड़चिड़ापन, बेचैनी, हाई ब्लडप्रेशर एवं डिप्रेशन आदि मानसिक बीमारियाँ होने लगी है इसके इलावा कारखानों, अस्पतालों, प्लास्टिक से निकलने वाली जहरीली राख और केमीकल्स मिट्टी की उवराशक्ति कम हो रही है और कीटनाशक केमिकल्स स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे है ।

प्रदूषण निवारण के लिए उपाय : सबसे पहले आबादी का नियन्त्रण करना चाहिए । जंगलों को न काटना, औद्योगीकरण के समय में नियमों का पालन, जल की रक्षा, स्वच्छ भारत कार्यक्रम, पेड़ों को रोपना, कारखानों के विष पदार्थ को पानी में फेकने पर पाबंद रखना, प्रदूषण फैलाने वालों को दण्ड देना इन सभी के पालन करने से पर्यावरण की रक्षा और प्रदूषण से मुक्त हो जाएंगे |

4. किसी एक कहानी का सारांश लिखिए ।

(1) चीफ का द्रावत
उत्तर:
मिस्टर शामनाथ अपने घर में ‘चीफ’ को दावत पर बुलाते है । अपनी धर्म पत्नी के साथ मिलकर सारी तैयारियाँ करने लगता है । चीफ अमेरिकन है । उसको खुश करने से शामनाथ को नौकरी में तरक्की होगी । इसलिए दावत की शाम घर की सभी चीजों को चीफ के अनुरूफ बनाने की चेष्टा की जाती है । ड्रिंक का इंतजाम बैठक में कर दिया गया 1 घर का फालतू सामान अलमारियों के पीछे और पलंगों के नीचे छिपाया जाने लगा । तब उसको अपनी बूढ़ी माँ की याद आती है । अब प्रश्न उठता है कि उसको कहाँ छिपाना है । उस बुढ़िया लोगों के सामने आना- जाना, नींद में उठे खर्राटे की आवाज ये सब किसी के सामने प्रस्तुत होना शामनाथ के लिए पसंद नही है | इसलिए माँ को अनेक चेतन चेतावनियाँ देते है कि ठीक से कुर्सी पर बैठकर रहना है, पार्टी खतम होने तक नही सोना है। माँ सब के लिए राजी होकर उसके कहे अनुसार अच्छी साडी पहनकर अपने घर में बैठ जाती है ।

चीफ अपनी पत्नी के साथ दावत पर आते है । सभी अतिथि लोग आते है । दावत शुरु हो जाती है। ड्रिंक होने के बाद बरामदे में आते तो वहाँ उसकी माँ कुर्सी पर पैर रखकर सो रही है । यह दृश्या देखकर शामनाथ कृद्ध हो उठे । पर चीफ और उसकी पत्नी उस पर बडी सहानुभूति देखने है । चीफ माँ को वहाँ से जाने नही देते तथा पंजाबी लोक गीत सुनाने का आग्रह करते है | माँ शामनाथ की सोच के विरुद्ध अच्छी तरह गाकर चीफ एवं मेहमानों को प्रश्न करती है । माँ के हाथों में बनी ‘फुलकारी’ चीफ को बहुत पसंद आता है । उसके हाथों से बनी फुलकारी के लिए वापस आने का वादा करता है । इस प्रकार उसकी बूढ़ी माँ अचानक ही मूल्यवान सिद्ध हो उठती है । जो बेकार थी वही तरक्की का जरिया बन जाती है। उससे फुलकारी बनाने की ताकत नही होने पर भी अपने बेटे की तरक्की के लिए खुद बनाना चाहती है ।

इस प्रकार आजकल माँ-बेटे के संबंध में प्रेम आदर भावनाएँ लुप्त हो रही है। शामनाथ अपनी नौकरी के लिए माँ को आतंक मानता है। लेकिन उसी के द्वारा उसकी इच्छा पूर्ण हो जाती है। माँ के पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव, माँ की ममता का सजीव चित्रण उसमें किया गया है ।

(2) वापसी
उत्तर:
गजाधर बाबू रेल्वे में नौकरी करते है । पैंतीस साल वहाँ क्वार्टरो मे रहकर परिवार से दूर जीवन बिता रहा था । यहाँ पर उसका जीवन गौरवमय और प्रशान्त था । पर उनकी एक ही कमी थी कि परिवार उससे दूर था। अब वह रिटाइर होकर घर वापस जा रहा था। परिवार के साथ मिलकर रहने की खुशी उसमे अधिक है । पर वापस आने के बाद उसको ऐसा लगता है कि परिवार के सदस्थ उसके वापसी पर सन्तृष्ट नही थे । घर आने के बाद सब मे कुछ-न- कुछ परिवर्तन लाना चाहता है । सब को सुखी देखना चाहता है । लेकिन कोई भी इसके लिए तैयार नहीं थे । इतना तक कि पत्नि भी उसके प्रति सन्तुष्ट नही है ।

गजाधर बाबू के मन मे संघर्ष उत्पन्न होता है । वह सभी असंतोष से निराश होकर सभी विषयो से दूर रहना चाहता है । लेकिन अन्त मे वह यह निष्कर्ष पर पहुँचता है कि घर मे रहकर सभी विषयों से दूर रहना आसान नही है । पैंतीस साल से परिवार के सभी लोग उसके अलग रहने से आदत हो गए । अब उसको अपने साथ शामिल करने मे परिवार के सदस्यों को अनेक समस्याए आ रही हैं | यह विषय जानकर गजाधर बाबू फिर घर से दूर होने का निश्चय कर लेता है । सेठ रामजीमल की चीनी मील मे नौकरी प्राप्त कर लेता है । सब से विदा लेते हुए पत्नी से अपने साथ आने का अनुरोध करता है। लेकिन उसकी पत्नी पति को छोडकर परिवार सभी सदस्यों के साथ रहना पसंद करती है । यह विषय जानकर विरक्त होकर गजाधर बाबू घर से दूर एकांत जीवन को बिताने चला जाता है । पत्नी भी इसी मे सबकी भलाई समझती है ।

इस प्रकार इसमे मध्यवगीर्य बदलते पारिवारिक संबंधों की यथार्थ झाँकी प्रस्तुत की गई है । नयी पीढी की आधुनिक जीवन शैली तथा हृदयहीनता पर प्रकाश डाला गया है ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।

(1) मुझे तोड़ लेना वनमाली !
उस पथ पर देना तुम फेंक ।
मातृ भूमि पर शीश चढने,
जिस पभ जावें वीर अनेक ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है ।
सन्दर्भ :- कवि फूल की चाह के द्वारा अपनी देशभक्ति भावना को व्यक्त कर रहे हैं । व्याख्या :- कवि फूलों के द्वारा अपना विचार व्यक्त कर रहे है कि हे वनवाली ! मुझे अवश्य तोड़ लो | पर तोड़कर उस रास्ते मे मुझे फेंक दो जिस रास्ते पर मातृभूमि के लिए बलिदान करने के लिए वीर जाते है । ताकि उनके चरणों के नीचे पड़कर मैं पवित्र हो जाऊँगी और उनके पैरों को मै राहत दूँगी ।

विशेषताएँ :-

  1. देश के लिए बलिदान करने वाले वीरो के प्रति कवि का गौरव स्पष्ट हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(2) दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता
पेट – पीठ दोनों मिलकर है एक
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्टी भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलता –
दो टूक कलेटे के करता पछताता पभ पर आता ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया है वे छायावादी कवि है ।
सन्दर्भ :- इसके एक भिक्षुक की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है ।
व्याख्या : – कवि एक भिक्षुक के जीवन का वर्णन कर रहा है कि एक भिक्षुक अपनी दयनीय स्थिति पर टूटे हृदय से उस पथ पर आ रहा है । भूख के कारण उसका पेट और पीट दोनों मिले हुए है । अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए लकडी टेकता हुआ आ रहा है । वह लकडी के सहारे खडे होकर अपने फटे हुए झोले का मुँह फैलाता है । अपनी दयनीय स्थिति से वह टूटे हृदय से मन ही मन रो रहा हैं ।

विशेषताएँ :-

  1. शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है |
  2. इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
  3. उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

(3) जग पीडित अति दुख से
जग पीडित रे अति – सुख से
मानत – जग में बंद जाएँ
दुख सुख से औ सुख दुख से
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य सुमित्रानंदन पंत के द्वारा लिखी गयी ‘सुख-दुख’ नामक कविता से लिया गया है । वे प्रकृति का सुकुमार कवि कहे जाते है ।

सन्दर्भ :- इसमें कवि सुख-दुख को समान रूप में स्वीकार करने की बात कह रहे हैं ।
व्याख्या :- कवि का कहना है कि यह संसार हमेशा अति दुख से और अति सुख से पीडित होता रहता हैं | लेकिन मानव जीवन मे सुख और दुख समान रूप मे बाँट जाना चाहिए ।

विशेषताएँ :-

  1. जीवन के लिए सुख और दुख होने का आवश्यकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली हैं ।

(4) कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास ।
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास ||
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गरत ।
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकरत ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य को नागार्जुन द्वारा लिखे गयी अकाल और उसके बाद कविता से लिया गया है । वे प्रगतिवादी कवि थे और आधुनिक कबीर से प्रसिद्ध थे ।
सन्दर्भ :- इस्में कवि अकाल के समय देश की स्थिति और लोगों की दयनीय स्थिति की ओर सकेत कर रहे है ।
व्याख्या :- अकाल के समय अनाज न मिलने के कारण घर में चूलहा नही जल रहे हँ । आटा न पिसने के कारण चक्की भी बन्द भी । चूलहे न जलने से उसे घर का कुत्ता सो रहा है । घर के लोगों की उदासी से दीवार के छिपकलियां मस्तसे गस्ती दे रहे है और अनाज न मिलने से घर के चूहों की स्थिति भी दयनीय हो गयी ।

विशेषताएँ :-

  1. कवि की प्रगतिवादी धारणा का चित्रण हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

(1) आंध्र संस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह वाक्य ‘आन्ध्र संस्कृति नामक पाठ से लिया गया है इसमें आन्ध्र संस्कृति पर विभिन्न रूपों में दृष्टि डाला गया है ।
सन्दर्भ :- भारतीय संस्कृति के अंतर्गत आन्ध्र संस्कृति का विकास किस प्रकार हुआ है, इसके प्रति ध्यान दिया गया है ।
व्याख्या :- भारतीय संस्कृति की सुरक्षा को दृष्टि में रखकर ही आन्ध्र संस्कृति का विकास हुआ है । मूल मे भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्य व नाटक तेलुगु मे अनुदित है । चंपु काव्य शैली, गद्य रहित द्विपद, शतक, आदि, तेलुगु मे भी लिखे गये । संस्कृत का महाभारत भी तेलुगु मे अनुदित किया गया है। उससे भारतीय संस्कृति सुरक्षित और सर्वव्याप्त हो जाती है ।

विशेषताएँ :-

  1. भारतीय संस्कृति के प्रति लेखक की रुचि स्पष्ट हो जाती है ।
  2. उनकी भाषा खड़ीबोली है।

(2) प्रकृति के दोहन और शोषण के स्थान पर प्रकृति के पोषण और रक्षण का दायित्व अपनाना होगा ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है ।
सन्दर्भ :- इसमें पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले नष्टों के बारे कहकर उसका निवारण के लिए सुझाव दे रहे हैं।

व्याख्या :- प्रकृति ही हमारे जीवन का आधार और पोषित करने वाली शक्ति है जिसके बिना पृथ्वी पर किसी भी जीव-जन्तु और मानव और पशु के जीवन की कल्पना ही संभव नही है । इसलिए पर्यावरण को सोषित करना और प्रदूषण मुक्त रखना आवश्यक है । इसलिए पर्यावरण प्रदूषण से प्रकृति की हानी को रोककर उसकी सुरक्षा करने का दायित्व हम सब पर है ।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे कहा गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

(3) जिस जाति या देश ने इस धर्म को अपनाया, वह चारों फलों का भाग्यी हुआ और जिसने इसे दुराया, उसके लिए नरक में भी टिकाना नहीं ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण राहुल सांस्कृत्यायन के द्वारा लिखी गयी अथातो घुमक्कड जिज्ञासा नामक यात्रा वृत्तांत है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और उनका यात्रा साहित्य अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है।
सन्दर्भ :- लेखक इसमें घुमक्कडी प्रवृत्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है और उसकी महानता को इसमें स्पष्ट करते हैं ।
व्याख्या :- समाज कल्याण के लिए घुमक्कड धर्म आवश्यक चीज हैं । जिस देश या जाति घुमक्कड धर्म को अपनाती है तो उज्वल भविष्य को प्राप्त कर लेती है यदि घुमक्कड प्रकृति से दूर तो जाते है तो भविष्य अंधकारमय होता है । घुमक्कड धर्म का अनुसरण करने से देश की उन्नति होती है ।

विशेषताएँ :-

  1. घुमक्कड धर्म को अपनाने का सन्देश लेखक देते हैं ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(4) माँ आपकी खूबसुरती को मैं एक ….. सिर्फ एक काम ला सकता हूँ – उसका हिन्दू विधि से पूजन कँरु, उसकी इस्लामी तरीके से इबादत करूँ ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण ‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ नामक एकांकी से लिया गया है। इसके लेखक सेठ गोविन्ददास जी है । आप गाँधी जी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम मे भी भाग लेकर जेल भी गये ।
सन्दर्भ :- इसमें स्त्री के प्रति शिवाजी का सम्मान और हिन्दू-मुस्लिम के बीच एकता की भावना स्पष्ट होती है ।
व्याख्या :- सेनापति मोरोपंत पिंगले के नेतृत्व में शिवाजी की सेना ने कल्याण प्रान्त को परास्त करके उसका खजाना और साथ-साथ अहमद की पुत्र वधू को भी लाकर शिवाजी के सामने प्रस्तुत करता है । वह बहुत खूबसूरत थी । पर शिवाजी उसको देखने होकर क्षमा याचना करता है | उसकी सुन्दरता को वह हिन्दू विधि से पूजा कर इस्लामी तरीके से इबादत करना चाहता है ।

विशेषताएँ :-

  1. स्त्री मे माता के दर्शन करने में भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है ।
  2. इनकी भाषा सरल है ।

7. एक शब्द में उत्तर दीजिए ।

(1) कबीरदास जी ने सच ओर झूठ के महत्व को कैसे बताया है ?
उत्तर:
कबीरदास जी ने सच को तपस्या के समान पुण्य और झूठ को पाप कहा है ।

(2) रहीम ने छोटे का महत्व किस प्रकार स्थापित किया है ?
उत्तर:
रहीम ने कहा कि छोटे लोगों को उपेक्षा करके बड़े लोगों की प्रशंसा करना अच्छा नही है ।

(3) ‘वनमाली’ शब्द का अर्थ बताइये ।
उत्तर:
बागवानी करने वाला ।

(4) किस के मधुर मिलन से यह जीवन परिपूरन हो जाता है ?
उत्तर:
सुख दुख के मधुर मिलन से यह जीवन परिपूरन हो जाता है ।

(5) (‘भिखारी’) कविता के कवि कौन हैं ?
उत्तर:
भिखारी / भिक्षुक कविता के कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी है।

8. एक शब्द में उत्तर लिखिए ।

(1) कौन सी संस्कृति ही आन्ध्र संस्कृति है ?
उत्तर:
तेलुगु संस्कृति ही आन्ध्र संस्कृति है ।

(2) एक बार सेनापति पिंगले के नेतृत्व में शिवाजी की सेना ने किस प्रान्त पर आक्रमण किया था ?
उत्तर:
कल्याण प्रान्त पर आक्रमण किया था ।

(3) दुनिया में मनुष्य का जन्म कितने बार होता है ?
उत्तर:
एक ही बार होता है ।

(4) पर्यावरण दिवस कब मनाते है ?
उत्तर:
जून 5 को पर्यावरण दिवस मनाते है |

(5) श्री चन्द्रशेखर वेंकटरामन को 1930 में कौन सा पुरस्कार दया गया ?
उत्तर:
नोबेल पुरस्कार

खण्ड – ‘ख’
(40 अंक)

9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए ।
नौकरी केलिए आवेदन पत्र लिखिए ।
उत्तर:

नरसराव पेट,
दिनांक 17.07.2018.

प्रेषक :
वी. सहदेवी,

मकान नं. बी – 185
एन. जी. वो कॉलोनी,
नरसराव पेट 522601.

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
एस.के.बीर. आर. कॉलेज,
माचर्ला

विषय : हिन्दी प्राध्यापक के लिए आवेदन पत्र |
संदर्भ : दैनिक ईनाडु में 20.6.2018 को प्रकाशित विज्ञापन ।

दैनिक ईनाडु में प्रकाशित आपके विज्ञापन के द्वारा मुझे पता चला कि आपके कॉलेज में हिन्दी प्राध्यापक की नौकरी खाली है । इसके उत्तर में मैं आपना आवेदन पत्र आपकी सेवा में विचारार्थ भेज रही हूँ । आपसे प्रार्थना है कि मेरा आवेदन स्वीकार करें मेरे संबंध में विवरण साथ संलग्न हैं ।

भवदीय,
वी. सहदेवी

संलग्न :

1. दसवी कक्षा प्रमाण पत्र |
2. इंटरमीडियट प्रमाण पत्र |
3. बी. ए. प्रमाण पत्र |
4. एम. ए. प्रमाण पत्र ।
5. चिकित्सा प्रमाण पत्र |
6. अनुभव प्रमाण पत्र |
7. यू.जी.सी. नेट प्रमाण पत्र |

अनुभव- मैं स्थानीय प्रभुत्व जूनियर कलाशाला में तीन वर्ष से हिन्दी प्राध्यापिका का काम कर रही हूँ | अंग्रेजी माध्यम से पढने वाले छात्रों के आवश्यकतानुसार मैं अंग्रेजी में भी समझा सकती हूँ ।

धन्यवाद !

हस्ताक्षर
वी. सहदेवी

(अथवा )

पुलिस स्टेशन के नाम शिकायती पत्र लिखिए ।
उत्तर:

पिडुगुराला,
दिनांक 25.11.2018.

प्रेषक :
बी. सुरेश,
मकान नं. – 177,
कस्तूरी नगर,
पिडुगुराल्ला – 522413.

सेवा में,
पुलिस इंसपेक्टर,
पुलिस थाना,
पिडुगुराल्ला – 522413,
महोदय,

निवेदन है कि कल रात हमारे घर में चोरी हुई है । आज सुबह हम गुंटुर से लौटे तो देखा कि घर का दरवाजा खुला पड़ा है हम बहुत भयभीत हुए घर के अंदर जाकर देखे तो पूरा सामान बिखरे पड़े हुए हैं । अलमारी का भी दरवाजा खुला पड़ा है । अलमारी में रखे पाँच हजार रूपये, सोने का हार तथा कुछ प्रमाण पत्र की चोरी की गयी है । इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप शीघ्रातिशीघ्र चोरों का पता लगाएँ और हमारी चीजों को दिलवाने की कृपा करें ।

आपका,
बी. सुरेश

AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

10. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

(1) अपना × पराया
(2) गुप्त × प्रकट
(3) विशेष × सामान्य
(4) महात्मा × दुरात्मा
(5) राजा × रंक
(6) आयात × निर्थात
(7) गर्मी × सर्दी
(8) जङ × चेतन
(9) पाप × पुण्य
(10) जीवन × मरण

11. किन्हीं पाँच शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।

(1) राजा = सम्राट, भूपति, नृपति, नरेश
(2) पानी = जल, नीर, सलिल, वारि
(3) वन = कानन, जंगल, अरण्य
(4) शरीर = देह, तनु, तन, कलेवर
(5) कमल = नलिन, अरविंद, पद्म, पंकज
(6) इच्छा = अभिलाषा, अभिप्राय, चाह, कामना
(7) फूल = पुष्प, कुसुम, सुमन, प्रसून
(8) ओंठ = ओष्ठ, होंठ, अधर
(9) अंधकर = तम, तिमिर, तमिस्त्र, अंधेश
(10) आकाश = नभ, गगन, अम्बर, व्योम, आसमान

12. किन्हीं पाँच शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए ।

(a) मरन – मरण
(b) धरम – धर्म
(c) बारत – भारत
(d) पूल – फूल
(e) सुरज – सूरज
(f) नर्क – नरक
(g) जै – जथ
(h) जावो – जाओ
(i) विध्या – विधा
(j) चात्र – छात्र

13. किन्हीं पाँच शब्दों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए ।

(a) Secretary = सचिव
(b) Class = कक्षा, वर्ग
(c) Player = खिलाडी
(d) Parliament = संसद
(e) Typist = टंकण
(f) Senior = वरिष्ठ
(g) Cashier = रोकडिया
(h) Fual = इंधन
(i) Earth Quake = भूकंप
(j) Supreme Court = सर्वोच्च न्यायालय

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।

(1) हिन्दी भारत ____ राजभाषा है ।
(2) कृष्ण ने कंस _____ मारा |
(3) पेड _____ फल गिर गये ।
(4) मेज़ _____ किताबें रखी हैं ।
(5) यह शीला ______ माँ है ।
उत्तर:
(1) हिन्दी भारत की राजभाषा है ।
(2) कृष्ण ने कंस को मारा |
(3) पेड से फल गिर गये ।
(4) मेज़ पर किताबें रखी हैं ।
(5) यह शीला की माँ है ।

AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 1 with Solutions

15. सूचना के अनुसार वाक्य में परिवर्तन कीजिए ।

(1) गाथक गीत गाता है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए |)
उत्तर:
गायिका गीत गाती है ।

(2) छत पर कौआ बैठा है । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए |)
उत्तर:
छत पर कौआ बैठे हैं ।

(3) गोपाल निडर लड़का है । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ?)
उत्तर:
नि – उपसर्ग

(4) दूधवाला दूध बेचता है | (रेखांकित शब्द में प्रत्यय क्या है ?)
उत्तर:
वाला प्रत्यय

(5) गोपाल पुस्तक पढ़ता है । (भविष्यत् काल में लिखिए ।)
उत्तर:
गोपाल पुस्तक पढेगा |

16. सुचना के अनुसार भाषा विभाग को पहाचानिए :

(a) मौनिका पुस्तक पढती है | (इस वाक्य में संज्ञा क्या है)
उत्तर:
मौनिका

(b) आप क्या कर रहे हैं ? (वाक्य में सर्वनाम को सुचित कीजिए)
उत्तर:
आप

(c) कल वेदवात्सव पुस्तक लाएगा । (इस वाक्य में क्रिया क्या है)
उत्तर:
लाना

(d) मोटा आदमी चल रहा है । (इस वाक्य में विशेषण क्या है)
उत्तर:
मोटा

(e) बह धीरे धीरे चलता है । (इस वाक्य में क्रिया विशेषण पहचानकर लिखिए)
उत्तर:
धीरे – धीरे

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