Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material उपवाचक 2nd Lesson हम सब एक Textbook Questions and Answers.
TS 10th Class Hindi Guide Upavachak 2nd Lesson हम सब एक
प्रश्न – ప్రశ్నలు :
प्रश्न 1.
“हम सब एक हैं” शीर्षक पर अपने विचार लिखिए।
(‘హమ్ సబ్ ఏక్ హైఁ’ శీర్షికపై మీ అభిప్రాయం వ్రాయండి.)
उत्तर :
‘हम सब एक हैं” – शीर्षक मेरे विचार के अनुसार सार्थक बन पडता है। क्योंकि देश में रहने वाले हम सबको जाति पाँति, धर्म, रंग, अस्पृस्यता, नस्ल और असमानताओं के बिना जीने का समान अधिकार हैं। हम में से कोई निम्न तथा कोई उच्च नहीं है। जन्म के साथ ही हम सब भारतवासी हैं।
सबका जन्म एक ही प्रकार से होता है। सब में एक ही रंग का रक्त का प्रवाह होता है। इसलिए कोई भेद भावना नहीं करनी चाहिए। हमें समता ममता सहृदयता के साथ रहना चाहिए। इसी उद्देश्य को लेकर अंबेड्कर ने सम समाज का निर्माण के लिए काम किया है। इसलिए प्रस्तुत पाठ “हम सब एक हैं” शीर्षक सार्थक बन पडा है।
(‘హమ్ సబ్, ఏక్ హైఁ’ శీర్షిక నా అభిప్రాయం ద్వారా ప్రకారం సరైనది. ఎందుకంటే దేశంలో నివసించే మనందరికి జాతి, కులం, మతం, రంగు అస్పృశ్యత, వంశ పరంపర మరియు అసమానతలు లేకుండా జీవించే సమాన అధికారం ఉంది. మనలో ఎవరూ తక్కువ కాదు, ఎక్కువ కాదు. పుట్టుకతోనే మనమంతా భారతీయులం. అందరి పుట్టుక ఒకే విధంగా ఉంటుంది. అందరిలోను ఒకే రంగు రక్తం ప్రవహిస్తోంది. కనుక ఎటువంటి భేదభావాలు ఉండరాదు. మనం సమత – మమత, సహృదయతతో కలసిమెలసి ఉండాలి. ఈ ఉద్దేశ్యంతోనే అంబేద్కర్ సమసమాజ నిర్మాణం కోసం కృషి చేశారు. కనుక ప్రస్తుత పాఠం ‘హమ్ సబ్ ఏక్ హైఁ’ శీర్షిక సరియైనది.)
प्रश्न 2.
डॉ. अंबेड्कर को संविधान निर्माता क्यों कहा जाता है?
(డా. అంబేద్కరు రాజ్యాంగ నిర్మాత అని ఎందుకు పిలుస్తారు ?)
उत्तर :
सन् 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए बनी समिति के अध्यक्ष के रूप में अंबेड्कर को चुना गया। वे भारत के प्रथम विधिमंत्री भी नियुक्त किए गये। उन्होंने संविधान में दलितों, पीडितों और निम्न वर्गों के हित के लिए अनेक विधियों की रचना की और कई मार्गदर्शक सूत्र बनाएँ। सभी लोगों को समान रूप से न्याय दिलाने के अनुकूल उन्होंने संविधान का निर्माण किया। इसलिए डॉ. अंबेड्कर को संविधान निर्माता कहते है।
(1947వ సంవత్సరంలో భారతదేశానికి స్వాతంత్య్రం లభించింది. స్వతంత్ర భారత రాజ్యాంగ రచన కోసం నియమించిన కమిటీకి అధ్యక్షుడిగా అంబేద్కర్ ఎంపికయ్యారు. వారు భారతదేశం యొక్క న్యాయశాఖామంత్రిగా కూడా పనిచేశారు. ఆయన రాజ్యాంగంలో దళితులు, పీడితులు మరియు అట్టడుగు వర్గాల సంక్షేమం కోసం అనేక చట్టాలు చేశారు మరియు పలు మార్గదర్శక సూత్రాలు రూపొందించారు. ప్రజలందరికి సమాన న్యాయం అందించే విధంగా ఆయన రాజ్యాంగాన్ని రూపొందించారు. కనుక డా. అంబేద్కర్ను రాజ్యాంగ నిర్మాత అని అంటారు.)
प्रश्न 3.
‘डॉ. अंबेड्कर मानवीय दृष्टिकोण का सुंदर उदाहरण हैं।’ सिद्ध करें।
(డా. అంబేద్కర్ మానవీయ దృష్టికోణానికి చక్కటి ఉదాహరణ’ నిరూపించండి.)
उत्तर :
डॉ. अंबेड्कर मानवीय दृष्टिकोण का सुंदर उदाहरण है इसे निम्नलिखित कारणों से हम सिद्ध कर सकते हैं-
- अंबेड्कर में समता ममता, सहृदयता और मानवता आदि की भावनाएँ कूट कूट कर भरे हुए हैं।
- उन्होंने धर्म भेद, अस्पृस्यता, असमानता, अछूत, जाति भेद, नस्ल भेद, रंग भेद और अन्य कई तरह के मतभेदों को मिटाकर नव समाज को प्रतिष्ठित करने का निरंतर प्रयास किया हैं।
- शोषित वर्गों के उद्धार के लिए उन्होंने प्रयास किया।
- उन्होंने दलितों, पीडितों और निम्न वर्गों के हित के लिए अनेक विधियों की रचना की
- वे समता ममता से पूरित मानवतावादी थे।
उपर्युक्त कारणों से हम यह सिद्ध करेंगे कि डॉ. अंबेड्कर मानवीय दृष्टिकोण का एक सुंदर उदाहरण हैं।
(డా. అంబేద్కర్ మానవీయ దృష్టికోణానికి చక్కటి ఉదాహరణ. క్రింది కారణాల ద్వారా మనం దానిని నిరూపించవచ్చు.
- అంబేద్కర్ సమత-మమత, సహృదయత మరియు మానవత మొదలైన భావనలు అణువణువునా నిండి ఉన్నాయి.
- ఆయన మత భేదాలు, అస్పృశ్యత, అసమానత, అంటరానితనం, జాతిభేదాలు, వంశ భేదాలు, రంగు భేదాలు మరియు ఇతర అనేక వ్యత్యాసాలను తొలగించి నవసమాజ ప్రతిష్టాపన కొరకు నిరంతరం శ్రమించారు.
- బడుగు, బలహీన వర్గాల ఉద్ధరణ కోసం ఆయన కృషి చేశారు.
- ఆయన దళితులు, పీడితులు మరియు అట్టడుగు వర్ణాల సంక్షేమం కోసం అనేక చట్టాలు రూపొందించారు.
- ఆయన సమత – మమతలు నిండిన మానవతావాది.
పైన పేర్కొన్న కారణాల ద్వారా డా. అంబేద్కర్ మానవీయ దృష్టికోణానికి చక్కటి ఉదాహరణ అని మనం నిరూపించవచ్చు.)
विचार विमर्श :
जब आपको कोई चिढ़ाता है या ताने कसता है, तब आप क्या महसूस करते हैं?
(మిమ్మల్ని ఎవరైనా ఎక్కిరించినా లేదా నిందించినప్పుడు మీరు ఎలా అనుభూతి చెందుతారు ? )
उत्तर :
मैं सीधा सादा विनम्र स्वभाववाला व्यक्ति हूँ। अपने आचरण का मैं बहुत ख्याल करता हूँ। सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करते हुए अपना काम संपन्न करता हूँ। सबकी भलाई चाहते शक्तिभर मदद करनेवाला हूँ। यदि कोई किसी कारण मुझे चिढ़ाता या ताने कसता है तो मैं यह महसूस करता कि किस कारण वह मुझे चिढा रहा है या ताने दे रहा है? मुझ से कोई गलती हुयी है या वह आदत से मजबूर होकर यह कर रहा है? मेरे आचरण या बातों से उसे कोई कष्ट हुआ होगा। फिर भी दिल में किसी दुर्भावना न रखकर उससे अच्छा व्यवहार ही करता। समझ लेता कि उसका स्वभाव ही ऐसा है। अकारण मुझे चिढाया या सताया है ऐसी भावना उसके दिल में आने के जैसा व्यवहार करता। अपने दिल की सफ़ाई या अच्छाई को मैं कभी नहीं छोड़ता।
(నేను సాధారణమైన విధేయత కల వ్యక్తిని. నడత పై నేను చాలా తీసుకుంటాను. అందరితో ప్రేమపూర్వకంగా వ్యవహరిస్తూ నా పని పూర్తి చేస్తాను. అందరి మంచి కోరుతూ, చేతనైనంత సహాయం చేస్తాను. ఒకవేళ ఎవరైనా ఏదేని కారణంచేత నన్ను ఎక్కిరించినా లేదా నిందించినా తను నన్ను అలా ఎందుకు ఎక్కిరిస్తున్నాడు లేదా నిందిస్తున్నాడు అని ఆలోచిస్తాను. నా వల్ల ఏదైనా తప్పు, జరిగిందా? లేక నిస్సహాయ స్థితిలో అలా ఆలోచిస్తున్నాడా అని ఆలోచిస్తాను. నా పద్ధతి లేదా మాటల వల్ల కష్టం కలిగిందా అని ఆలోచించి మనసులో ఎటువంటి దుర్భావన ఉంచకుండా తనతో మంచిగా వ్యవహరిస్తాను. అనవసరంగా తనని తిట్టానే లేదా ఎక్కిరించానే అని తను అనుకునే విధంగా తనతో వ్యవహరిస్తాను. నా మనసులోని స్వచ్ఛతను, మంచితనాన్ని వదలను.)
अर्थव्राह्यता – प्रतिक्रिया :
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य कें लिखिए।
1. एक दिन आप अपने भाई के साथ जा रहे थे। रास्ते में प्यास लगी। एक घर के पास गये और पानी माँगे। उस घर के मालिक ने कहा, “तुम अछूत हो। हम तुम को पानी नहीं पिला सकते!” उसने अपने घरबालों को भी पानी देने से मनाकर दिया और दरवाज़ा बंद कर दिया। दरवाज़े के बंद होते ही अंबेड्रकर को वह मार्ग मिल गया जहाँ अस्पृश्यता और असमानता मिटाकर एक नव समाज की प्रतिष्ठापना कर सकते हैं।
प्रश्न :
1. अंबेड्कर किसके साथ जा रहे थे ?
2. अंबेड्कर से घर के मालिक ने क्या कहा ?
3. अंबेड्कर को क्या मार्ग मिल गया ?
4. भारत के प्रथम विधि मंत्री कौन है ?
5. अंबेड्कर में किस प्रकार के गुण विद्यमान थे ?
उत्तर :
1. अंबेड्कर अपने भाई के साथ जा रहे थे।
2. अंबेड्कर से घर के मलिक ने कहा कि – “तुम लोग – अछूत हो। हम तुम को पानी नहीं पिला सकते।”
3. अस्पृस्यता और असमानता मिटाकर एक नव समाज की प्रतिष्ठापना का मार्ग मिल गया।
4. भारत के प्रथम विधि मंत्री डॉ. अंबेड्कर है।
5. अंबेड्कर श्रेष्ठ चिंतक, ओजस्वी लेखक तथा यशस्वी वक्ता थे।
2. सनू 1923 में मुंबई के उच्च न्यायालय में आपने बकालत शुरु कर दी। अनेक कठिनाइयों के बावजूद आप आगे बढ़ते गये। एक मुकदमे में आपने अपने ठोस तर्कों से अभियुक्त को फाँसी की सज़ा से मुक्त करा दिया। इसके बाद बकालत की दुनिया में भी चार चाँद लग गये। आगे चलकर आप राजनीति की दुनिया में प्रविष्ट हुए। 8 अगस्त, 1930 में एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान अपने भाषण देते हुए कहा, ‘हमें अपना रास्ता स्वयं बनांना होगा और स्वयं राजनीतिक शक्ति शोषितों की निवारण नहीं हो सकती। उनका उद्धार समाज में उचित स्थान पाने में निहित है।’ ऐसे बिचार आगे बढाने के लिए आपने सन् 1920 में ‘मूक नायक’ नामक पत्रिका भी निकाली। सन् 1932 में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया।
प्रश्न :
1. अंबेड़्कर ने वकालत कब शुरू कर दी?
2. अंबेड्कर ने किस नामक पत्रिका निकाली ?
3. अंब्ड़क्र किस न्यायालय में वकालत शुरू किये ?
4. अंबेड्कर समाज में किनके उचित स्थान के बारे में बताये ?
5. अंबेड्कर अपने भाषण में क्या कहा ?
उत्तर :
1. अंबेड्कर सन् 1923 में वकालत शुरु कर दी।
2. मूक नायक नाम की।
3. अंबेड्कर मुंबई के उच्च न्यायालय में वकालत शुरू किये।
4. अंबेड्कर समाज में शोषितों के उचित स्थान के बारे में बताये।
5. अंबेड्कर अपने भाषण में कहा कि – हमें अपना रास्ता स्वयं बनाना होगा और स्वयं राजनींतिक शक्ति शोषितों की निवारण नहीं हो सकती।
3. संन् 1920 में ‘मूक नायक’ नामक पत्रिका भी निकाली। सन् 1932 में लेंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। सन् 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए बनी समिति के आप अध्यक्ष चुने गये। भारत के प्रथम विधिमंत्री भी नियुक्त हुए। आपने संविधान में दलितों, पीड़ितों और निम्न वर्गों के हित के लिए अनेक विधियों की रचना में विशेष भूमिका निभाकर सभी को समान रूप से न्याय दिलाने के अनुकूल संविधान का निर्माण किया।
प्रश्न :
1. डॉ.अंबेड्कर के द्वारा निक्राली गयी पत्रिका का नाम क्या है ?
2. 1932 में डॉ. अंबेड्कर किस सम्मेलन में भाग लिये ?
3. संविधान में किनके हित के लिए मार्गदर्शक सूत्र बनाए ?
4. डॉ. अंबेड्कर किस समिति के अध्यक्ष चुने गय़े ?.
5. संविधान का निर्माण किसके बुनियाद पर हुआ?
उत्तर :
1. डॉ. अंबेड्कर के द्वारा निकाली गयी पत्रिका का नाम मूक नायक है।
2. 1932 में डॉ. अंबेड्कर लंदन में अयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लिये हैं।
3. संविधान में दलितों, पीड़ितों और निम्न वर्गों के हित के लिए मार्गवर्शक सूत्र बनाएँ।
4. डॉ. अंबेड्कर भारत के संविधान की रचना के लिए बनी समिति के अध्यक्ष चुने गये।
5. सभी लोगों को समान रूप से न्याय दिलाने के अनुकूल संविधान का निर्माण हुआ।
4. सन् 1947 में भारत स्सतंत्र हुआ। स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए बनी समिति के आप अध्यक्ष चुने गये। बे भारत के प्रथम विधिमंत्री भी नियुक्त हुए। उन्होंने संविधान में दलितों, पीड़ितों और निम्न वर्गों के हित के लिए अनेक विधियों की रचना में विशेष भूमिका निभाकर सभी को समान रूप से न्याय दिलाने के अनुकूल संविधान का निर्माण किया।
प्रश्न :
1. भारत कब स्वतंत्र हुआ ?
2. भारत के प्रथम विधिमंत्री कौन थे?
3. संविधान समिति के अध्यक्ष कौन थे ?
4. अंबेड्कर जी ने किसका निर्माण किया ?
5. यह गद्यांश किस पाठ से दिया गया है ?
उत्तर :
1. भारत सन् 1947 में स्वतंत्र हुआ।
2. भारत के प्रथम विधिमंत्री श्री डॉ. अंबेड्कर थे।
3. संविधान समिति के अध्यक्ष डॉ. अंबेड्कर थे।
4. अंबेड़कर जी ने संविधान का निर्माण किया।
5. यह गद्यांश ‘हम सब एक हैं’ नामक पाठ से दिया गया है।
5. डॉ.अंबेड्रकर मेधाबी, न्यायशास्त्र के पारंगत, समाज सुधारक, सहददयी और समता – ममता से पूरित मानवताबादी थे। उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। उनका विश्वास है कि जात – पाँत रहित सम – समाज से ही देश में सुख और शांति की स्थापना हो सकती है। ऐसे महामहिम का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ। इनके विचार समय के बीतने के साथ और महत्वपूर्ण बनते गये। ये विचार तत्कालीन समाज, वर्तमान समाज और भावी समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसे सपूतों पर भारत को गर्ब है।
प्रश्न :
1. अंबेड्कर का निधन कब हुआ ?
2. भारत किन पर गर्व करता है?
3. अनेक ग्रंथों की रचना किसने की ?
4. देश में सुख – शांति की स्थापनां किस समाज में हो सकती है ?
5. उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार मानवतावादी कौन थे ?
उत्तर :
1. अंबेड्कर का निधन सन् 06 दिसंबरे, 1956 को हुआ।
2. भारत डॉ. अंबेड्कर पर गर्व करता है।
3. अंबेड़कर ने अनेक ग्रंथों की रचना की।
4. जात – पात रहित सम समाज से ही देश में सुख शांति की स्थापना हो संकृती है।
5. उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार डॉ. अंबेड्कर मानवतावादी थे।
సారాంశము :
అమెరికాకు చెందిన ప్రపంచ ప్రసిద్ధి చెందిన కొలంబియా విశ్వవిద్యాలయ ప్రముఖ (ప్రధాన) ద్వారము వద్దకు వెళ్ళగానే లోపలవైపున ఒక మహాపురుషుని చిత్రపటం కనిపిస్తుంది. ఆ చిత్రపటం వద్ద ‘ఇలాంటి విద్యార్థి మా విశ్వవిద్యాలయంలో చదివి వెళ్ళినందుకు మాకు గర్వంగా ఉంది’, అని వ్రాయబడి ఉంటుంది.
అంతేకాదు కొలంబియా విశ్వవిద్యాలయం 300 సంవత్సరములను పూర్తిచేసుకున్న సందర్భములో, ఇన్ని సంవత్సరాలలో ఈ విశ్వవిధ్యాలయానికి చెందిన విద్యార్థులందరిలో తెలివైన విద్యార్థి ఎవరు ? అనే విషయంపై జరిగిన సర్వేలో 6గురు విద్యార్థుల పేర్లు ముందుకు వచ్చినవి. అందులో ప్రథమ స్థానమును మన భారతీయ మహాత్ముడే పొందెను. ఆ భారతీయుడు కేవలం కొలంబియా విశ్వవిద్యాలయంపైన మాత్రమే తన ముద్రను వేయలేదు కానీ విశ్వవ్యాప్తంగా సమత మమత, సహృదయత మానవత్వమునకు ప్రతీకగా నిలచెను.
మీకు తెలుసా ? ఆయనెవ్వరో ? ఆయన ఎవ్వరో కాదు భారతదేశ రాజ్యాంగ నిర్మాత, దళితుల దేవత, సమత – మమత సహృదయత. – మానవత్వం నిండియున్న మహా మహిమాన్వితుడు డా. భీమ్ రావ్ రాంజీ అంబేద్కర్ గారు.
కొలంబియా విశ్వవిద్యాలయ గోడల నుండి ప్రపంచంలో అందరి హృదయాలలో తన విశేష ముద్రను వేసిన డా. అంబేద్కర్ గారి జీవితం ప్రేరణదాయకమైనది. బాలుడైన అంబేద్కర్ గారు తన ప్రాథమిక విద్యాభ్యాసాన్ని పూర్తి చేసుకుని ఉన్నత పాఠశాలలో మాధ్యమిక విద్యాభ్యాసానికై చేరిన రోజులలోని మాట. ఒక రోజు అతడు తన సోదరునితో వెళుతూ ఉన్నాడు. దారిలో తనకు దాహం వేసినది. ఒక ఇంటి వద్దకు వెళ్ళి మంచినీళ్ళు అడిగెను. దానికి ఆ ఇంటి యజమాని నీవు అంటరానివాడవు. నీచేత మేము మంచినీళ్ళు త్రాగించలేము అని చెప్పెను. అంతేకాదు. ఆ ఇంటిలోని వాళ్ళనెవ్వరినీ మంచినీళ్ళు ఇవ్వవద్దని చెప్పి తలుపు మూసివేసెను. తలుపులు మూయగానే అంబేద్కర్ గారి జీవన తలుపులు తెరచుకున్నాయి. అస్పృశ్యత (అంటరానితనం) అసమానతలు, మతభేదాలు, జాతిభేదాలు, వంశ భేదాలు, రంగుభేదాలు, మరియు అనేక రకాల అభిప్రాయ భేదాలను తొలగించి ఒక నవ సమాజ నిర్మాణాన్ని ప్రతిష్ఠించడం కోసం ఆయన ప్రతిజ్ఞ చేసిరి.
డా. భీమ్మ్ రాంజీ అంబేద్కర్ గారిని గురించి ఎంత చెప్పినా తక్కువే. 20వ శతాబ్దపు శ్రేష్ఠ రచయిత మరియు యశస్వి, వ్యక్త భారతదేశ ప్రథమ న్యాయశాఖామంత్రి డా. భీమ్రావ్ రాంజీ అంబేద్కర్ గారు 14 ఏప్రిల్, 1891న మహారాష్ట్రలోని రత్నగిరి జిల్లాలో అంబేవాడ అను గ్రామంలో జన్మించిరి. ఆయన తల్లిగారు భీమాబాయి మరియు తండ్రిగారు. రాంజీ మాలోజీ సక్పాల్.
1912లో అంబేద్కర్ బి.ఏ. ఉత్తీర్ణత చెందిరి. బరోడా మహారాజుగారగు శ్రీ సయాజీరావ్ గైక్వాడ్ అంబేద్కర్ గారి ప్రతిభ పట్ల ప్రభావితులైరి. ఉన్నత విద్య కోసం వారు అంబేద్కర్ను అమెరికా పంపించిరి. అక్కడి నుండి అంబేద్కర్ వాణిజ్యశాస్త్రంలో M.A. పట్టాను పొందిరి. తదుపరి 1917లో “భారతదేశ జాతీయ లాభం” అను విషయంపై Ph.D పట్టాను పొందిరి.
ఉన్నత విద్యను పూర్తిచేసుకుని అంబేద్కర్ భారతదేశం తిరిగి వచ్చిరి. ఇక్కడ బరోడా మహారాజుగారి వద్ద సైనికాధ్యక్షునిగా నియమితులైరి. తదుపరి ముంబయి వెళ్ళి సీడెన్ హోమ్ కళాశాలలో అర్థశాస్త్ర ప్రొఫెసర్ నియమితులైరి. కానీ కొంతమంది సంకుచిత ఆలోచనా ధార వలన బాధపడి ఉద్యోగమునకు రాజీనామా చేసిరి. ఇంత జరిగినా తన ఆత్మబలం ఏనాడూ తగ్గలేదు. ‘మనస్సు ఓడితే ఓటమి, మనస్సు గెలిస్తే గెలుపు’ అనేది ఆయన దృఢ విశ్వాసం. ఆయన 1919లో లండన్ వెళ్ళిపోయిరి. తన అలుపు ఎరగని కృషితో M.Sc, D.S.C మరియు బారిష్టర్ పట్టాలను పొందిరి.
1923లో ముంబయి ఉన్నత న్యాయస్థానంలో ఆయన న్యాయవాది వృత్తిని ప్రారంభించిరి. అనేక సమస్యలను ఎదుర్కొంటూ ఆయన ముందుకేగిరి. ఒక కేసులో ఆయన తన వాదనా పటిమతో నింద మోపబడిన వ్యక్తిని ఉరిశిక్ష నుండి విముక్తి చేసెను (శిక్ష పడకుండా)’ దీని తర్వాత డా॥ అంబేద్కర్ గారి పేరు ప్రఖ్యాతులు దినదినాభివృద్ధి చెందెను.
కొంతకాలం తర్వాత డా॥ అంబేద్కర్ రాజకీయరంగంలో కాలుమోపిరి, 8 ఆగస్టు, 1930లో ఒక పీడిత (శోషిత) వర్గ సమావేశంలో ఆయన ఉపన్యసిస్తూ “మనం మన దారిని మనమే ఏర్పరుచుకోవాలి. స్వయం రాజకీయ శక్తి శోషితులను నివారించలేదు. వారి అభివృద్ధి సమాజంలో తగిన స్థానాన్ని పొందుటకు సహకరిస్తుంది.” ఇలా ముందుకు నడిపించుటకు ఆయన 1920లో ‘మూక్ నాయక్’ అను పత్రికను ప్రారంభించిరి. 1932లో లండన్ లో ఏర్పాటు చేయబడిన గోల్మేజ్ సమావేశములో పాల్గొనిరి.
1947లో భారతదేశం స్వాతంత్య్రమును పొందినది. స్వతంత్ర భారత రాజ్యాంగమును రచించుటకు ఏర్పడిన సమితికి ఆయన అధ్యక్షులుగా ఎన్నిక కాబడిరి. ఆయన భారతదేశ ప్రథమ న్యాయశాఖామంత్రిగా కూడా నియమింపబడిరి. ఆయన రాజ్యాంగంలో దళితులు, పీడితులు మరియు నిమ్న వర్గాల ప్రజల హితవు కోసం అనేక చట్టాలను రచించెను. అంతేకాక కొన్ని మార్గదర్శక ‘ “సూత్రాలను తయారుచేసెను. అందరికీ సమాన రూపంలో న్యాయం చేయడానికి అనుకూలంగా ఆయన రాజ్యాంగం నిర్మించెను.
డా. అంబేద్కర్ గారు మేధావి, న్యాయశాస్త్ర పారంగతుడు, సంఘసంస్కర్త, సహృదయం కల్గిన వ్యక్తి మరియు సమత మమతలతో మూర్తీభవించిన వ్యక్తి. ఆయన అనేక గ్రంథాలను రచించెను. జాతి ప్రాంత భేదాలు లేని సమ సమాజంతోనే దేశంలో సుఖశాంతి స్థాపన జరుగుతుందని ఆయన నమ్మకం. అలాంటి మహామహిమాత్ములు 6 డిసెంబర్, 1956న స్వర్గస్తులైరి. అంబేద్కర్ ఆలోచనలు సమయం గడిచే కొలది మహత్యమును పొందినవి. ఆయన ఆలోచనలు ఆనాటి సమాజం, నేటి సమాజం మరియు భావి సమాజానికి మార్గదర్శకాలు. అలాంటి మంచి సంతానం కల్గినందులకు భారతదేశం గర్వపడుతుంది.
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :