TS 10th Class Hindi Guide उपवाचक 3rd Lesson अपने स्कूल को एक उपहार

Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material उपवाचक 3rd Lesson अपने स्कूल को एक उपहार Textbook Questions and Answers.

TS 10th Class Hindi Guide Upavachak 3rd Lesson अपने स्कूल को एक उपहार

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
राजू को उसका पुराना स्कूल कैसा लगता था?
(రాజుకి తన పాత పాఠశాల ఎలా అనిపించేది ?)
उत्तर :
राजू अपने पुराने स्कूल में वह एक मेधावी छात्र रहा था। पिछले पाँच वर्ष से वह हर वर्ष कक्षा में सबसे आगे था। अध्यापक के बोर्ड पर पूरा प्रश्न लिखने से पूर्व ही वह उसका उत्तर बताने के लिए अधीर हो हाथ उठा देता। पुराने स्कूल में उसके बहुत सारे मित्र थे और सभी अध्यापक भी उसे पसंद किया करते थे। जब भी कोई कठिनाई होती तो राजू सबसे पहले उसकी मदद के लिए पहुँच जाता। उसकी टाँगें बहुत दुर्बल थीं, इस कारण उसे खेलने में रुचि न थी। जब भी उनके स्कूल में मैच होता, राजू अपने साथियों को खेलते हुए देखता और जोर शोर से उनका उत्साह बढ़ाता। राजू का विचार था कि यदि स्वर्ग में भी स्कूल हो तो वह भी उसके पुराने स्कूल से ज्यादा अच्छा तो नहीं हो सकता।
राजू के स्कूल छोडते वक्त सभी मित्र बहुत रोये थे। उसके संगी साथी, अध्यापक गण और यहाँ तक कि प्रधानाचार्य ने भी उसके पिताजी से उसे वहीं छोड जाने अनुरोध किया था। राजू को भी वह स्कूल बहुत पसंद था।

(రాజు తన పాత పాఠశాలలో ఒక మేధావి విద్యార్థి. గత ఐదు సంవత్సరాల నుండి అతను ప్రతి సంవత్సరం తరగతిలో అందరికంటే ఫస్టు వస్తాడు. అధ్యాపకుడు బోర్డు మీద ప్రశ్న సగం వ్రాయగానే చాలా ధైర్యంతో సమాధానం చెప్పడానికి చెయ్యెత్తుతాడు. పాత పాఠశాలలో అతనికి చాలా మంది మిత్రులు ఉన్నారు మరియు అధ్యాపకులు కూడా అతనిని బాగా ఇష్టపడతారు. ఎవరికైన కష్టం వస్తే రాజు అందరికంటే ముందు వారికి సహాయం చేయటానికి తయారుగా ఉంటాడు. అతని కాళ్ళు చాలా బలహీనంగా, సన్నగా ఉన్నాయి. అందువల్ల అతనికి ఆటలంటే ఇష్టం లేదు. అతని పాఠశాలలో మ్యాచ్ జరుగుతున్నప్పుడు తన స్నేహితులలో అరుపులతో ఉత్సాహాన్ని నింపుతాడు. రాజు అభిప్రాయం ప్రకారం స్వర్గంలో ఉన్న పాఠశాల కూడా తన పాత పాఠశాల కంటే గొప్పగా ఉండదు. రాజు పాఠశాల వదిలి వచ్చే సమయంలో అతని మిత్రులందరూ చాలా ఏడ్చారు. అతనితో ఉండే స్నేహితులు, అధ్యాపకులు మరియు చివరికి ప్రధానాధ్యాపకుడు కూడా తన తండ్రితో రాజుని అక్కడే వదిలి వెళ్ళమని ప్రార్థించారు. రాజుకి కూడా ఆ పాఠశాల చాలా ఇష్టం.)

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प्रश्न 2.
राजू के प्रति नए स्कूल के साथियों का व्यवहार कैसा था ?
(రాజు పట్ల క్రొత్త పాఠశాల విద్యార్థుల ప్రవర్తన ఎలా ఉండేది ?)
उत्तर :
राजू नये स्कूल में प्रेवश करते ही सभी बच्चे उसके टंगों की ओर संकेत करके हँस रहे थे, और उसका मजाक उड़ाते थे। कुछ ही क्षणों में पूरा मैदान और बरामदे कौतूहल से देखने और उसकी ओर इशारा करके हँसनेवालों से भर गये। स्कूल के अध्यापक भी पास से ऐसे गुजरे जैसे कुछ हो ही नहीं रहा है। अध्यापक के राजू से पूछने पर उसने बताया कि वह एक गाँव के स्कूल से आया है। यह सुनकर सभी छात्र बहुत हँसे। लेकिन मधुर स्वभाव वाले राजू को गुस्सा नहीं आया। अगले दिन उससे और अगला दिन और फिर महीने का हर दिन उसके लिए ऐसा ही रहा। उसका कोई मित्र भी नहीं बन पाया था। आधी छुट्टी में जब बाकी सभी लडके खेलने जाते तो वह कक्षा में ही बैठा रहता। अब तक पूरा स्कूल जान गया था कि राजू एक गंवार’ लडका है और उसे अपने गाँव के स्कूल का बडा ‘घमंड’ है।

(రాజు పాఠశాలలో ప్రవేశించటంతోనే పిల్లలందరూ అతని కాళ్ళవైపు చూసి నవ్వుతూ ఉండెను. మరియు ఎగతాళి చేసెను. కొద్ది క్షణాలలోనే మైదానం మరియు వరండా పిల్లలతో నిండి పోయింది. అందరూ కూడా రాజు కాళ్ళను చూచి నవ్వుకుంటున్నారు. పాఠశాల అధ్యాపకులు కూడా ఏమి జరగనట్లే అక్కడి నుండి వెళుతున్నారు. అధ్యాపకుడు రాజు గురించి అడిగినప్పుడు రాజు తను ఒక గ్రామంలో స్కూల్ నుండి వచ్చినట్లు చెప్పాడు. అది విని పిల్లలందరూ బాగా నవ్వారు. కాని మధుర స్వభావం కల రాజుకి మాత్రం కోపం రాలేదు. మరొకరోజు, ఇంకొకరోజు మరియు నెలవరకు ప్రతిరోజు ఇదే పరిస్థితి. అతనితో ఎవ్వరూ స్నేహం కూడా చేయుటలేదు. విరామ సమయంలో పిల్లలందరూ ఆడుకోటానికి వెళితే రాజు మాత్రం ఒంటరిగా క్లాసులోనే కూర్చుని ఉండేవాడు. ఇప్పటివరకు పాఠశాలలో అందరికి రాజు ఒక పల్లెటూరివాడని అతనికి తాను చదువుకున్న పల్లెటూరి పాఠశాలంటే చాలా గర్వం అని తెలుసు.)

प्रश्न 3.
राजू ने अपने स्कूल को उपहार कैसे दिया ?
(రాజు తన పాఠశాలకి బహుమతిని ఎలా సమర్పించాడు ?)
उत्तर :
राजू बहुत मेधावी छात्र था। वह गाँव के स्कूल से शहर के स्कूल में पढ़ने के लिए आया था। उसकी दो टांगें बहुत दुर्बल और पतली थीं। वह जल्दी नहीं चल सकता था। इसलिए सभी छात्र उसका बहुत मजाक उडाते थे। सभी छात्र जान गये थे कि राजू एक गंवार लडका है और उसे अपने गाँव के स्कूल का बडा आखिर राजू ने इस स्थिति से निबटने के लिए बड़ी चतुराई से एक योजना बनायी। राजू यह जानता था कि एक महीने के बाद उसकी वार्षिक परीक्षा होने वाली है। इसलिए उसने घर पर अधिक परिश्रम किया। आखिर उसे नये स्कूल के समक्ष प्रमाणित करना था कि उसका पुराना गाँव का स्कूल कोई कम राजू अब बहुत धैर्यवान हो गया था और चुप चाप मन में मुस्कुराता हुआ अपनी पढ़ाई करता रहा। उसने परीक्षाएँ अच्छी तरह लिखीं। परिणाम निकलने के दिन पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा फल देखने गया। फिर वह कक्षा में प्रथम आया था। प्रथम आने पर वह इतना प्रसन्न कभी नहीं हुआ था, क्योंकि अब उसने अपने स्कूल को सुंदर और समुचित उपहार समर्पित किया है।

(రాజు చాలా తెలివి గలవాడు. అతను గ్రామంలోని పాఠశాల నుండి పట్టణంలోని పాఠశాలకి చదువుకోవడానికి వచ్చాడు. అతని రెండు కాళ్ళు చాలా బలహీనంగా, సన్నగా ఉన్నాయి. అతను త్వరగా నడవలేడు. అందుకని పిల్లలందరు రాజుని బాగా ఎగతాళి చేశారు. పిల్లలందరికి రాజు ఒక పల్లెటూరి వాడని, అతనికి తాను చదువుకున్న పాఠశాలంటే చాలా గర్వమని తెలుసు.

చివరకు రాజు ఈ స్థితి నుండి తప్పించుకోవటానికి ఒక మంచి పథకాన్ని ఆలోచించాడు. రాజుకి ఒక నెలరోజుల తర్వాత వార్షిక పరీక్షలు వస్తాయని తెలుసు. అందుకే అతను ఇంటి దగ్గర చాలా కష్టపడి చదువుకొనేవాడు. చివరకు అతను తన గ్రామంలో చదువుకున్న పాఠశాల, పట్టణంలోని పాఠశాలకి ఏ మాత్రం తీసిపోదని నిరూపించాలనుకున్నాడు.

రాజు ఇప్పుడు చాలా ధైర్యవంతుడయ్యాడు. మరియు నిశ్శబ్దంగా మనసులో నవ్వుకుంటూ తన చదువును చదువుకునేవాడు. అతను పరీక్షలు చాలా బాగా రాశాడు. ఫలితాలు వచ్చేరోజున పూర్తి ఆత్మవిశ్వాసంతో పరీక్ష. ఫలితాలు చూడటానికి వెళ్ళాడు. మరలా అతనే తరగతిలో ఫస్ట్ వచ్చాడు. ఫస్ట్ వచ్చినందుకు అతను ఇప్పుడు పొందే ఆనందం ఇంతకు ముందెప్పుడూ పొందలేదు. ఎందుకంటే అతను తన పాఠశాలకి ఒక అందమైన తగిన బహుమతిని సమర్పించాడు.)

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अर्थग्राह्यता – प्रतिक्रिया :

1. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

आखिरकार राजू ने इस स्थिति से निबटने के लिए बड़ी चतुराई से एक योजना बनायी। कक्षा के अध्यापकों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उसने हाथ उठाना ही बंद कर दिया। प्ररिणामस्वरूप बहुत शीघ्र ही अध्यापकों और छात्रों ने उस पर ध्यान देना बंद कर दिया राजू यह जानता था कि एक महीने के बाद उसकी बार्षिक परीक्षा होनेवाली है। इसलिए उसने घर पर अधिक परिश्रम किया। आखिर उसे नये स्कूल के समक्ष प्रमाणित करना था कि उसका पुराना गाँव का स्कूल कोई कम नहीं था। सबने मान लिया था कि राजू को तो फेल होना ही है। जैसे – जैसे समय पास आता गया, सभी लड़के पढ़ने में व्यस्त होते गये पर राजू को किताबें लिए देखकर उस पर हैंसे और मज़ाक उड़ाने का समय फिर भी निकाल ही लेते। राजू अंब बहुत धैर्यबान हो गया था और चुपचाप मन में मुस्कुराता हुआ अपनी पढ़ाई करता रहा। एक सप्ताह में ही वार्षिक परीक्षा समाप्त हो गयी। राजू दो सप्ताह की छुटी के लिए गाँव वापस गया। उसके बाद ही परीक्षा परिणाम निकलना था।

परिणाम निकलने के पहले दिन राजू लौट आया और अगले दिन पूरे आत्मविश्वास से अपने पिता के साथ परीक्षा – फल देखने गया। एक बार फिर वह कक्षा में प्रथम आया था। उसके पिताजी खुश थे लेकिन राजू के हर्ष की तो सीमा ही नहीं थी। प्रथम आने पर बह इतना प्रसत्र कभी नहीं हुआ था, क्योंकि अब उसने अपने स्कूल को सुंदर और समुचित उपहार समर्पिंत किया है।

प्रश्न 1.
राजू को किस बात का आत्मविश्वास था ?
उत्तर :
राजू को वार्षिक परीक्षा में सर्व प्रथम आने की बात का आत्मविश्वास था।

प्रश्न 2.
राजू ने क्या योजना बनायी?
उत्तर :
राजू ने चतुराई से एक योजना बनाई। कंक्षा के अध्यापकों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उसने हाथ उठाना बंद्नकर दिया। फलतः अध्यापकों और छात्रों ने उसपर ध्यान देना बंदकर दिया।

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प्रश्न 3.
सबने क्या मान लिया था ?
उत्तर :
सब ने मान लिया था कि राजू को तो फेल होना ही है।

प्रश्न 4.
राजू गाँव क्यों गया?
उत्तर :
दो सप्ताह की छुट्टी के लिए राजू गाँव गया।

प्रश्न 5.
राजू क्यों प्रसन्न था?
उत्तर :
वार्षिक परीक्षा में कक्षा में प्रथम आने से राजू प्रसन्न था।

2. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

अपने पुराने स्कूल में वह एक मेधावी छात्र रहा था। पिछले पाँच वर्ष से वह हर वर्ष, कक्षा में सबसे आगे था। उसे कहानियों की किताबें पढ़ने का शौक़ था। अतः उसकी अंग्रेजी और हिंदी बहुत अच्छी थी। उसे सामान्य ज्ञान की पुस्तकें पढ़ना भी बहुत पसंद था और इससे उसका बिन्ञान और इतिहास का ज्ञान भी विकसित हो गया। गणित का तो बह जादूगर था ही। अध्यापक के बोर्ड पर पूरा प्रश्न लिखने से पूर्ब ही बह उसका उत्तर बताने के लिए अधीर हो हाथ उठा देता।

पुराने सूल में उसके बहुत सारे मित्र थे और सभी अध्यापक भी उसे पसंद किया करते थे। वह सबसे खुशी-खुशी मिलता और मुस्कुराकर ‘हैलो’ कहता। जब भी कोई कठिनाई में होता तो राजू सबसे पहले उसकी मदद के लिए पहुँच जाता। उसके पुराने स्कूल में कभी किसी ने उसकी कमजोरी की और भी ध्यान नहीं दिया – उसकी टांगें बहुत पतली और दुर्घल थीं। उसके घुटनों में शक्ति नहीं थी और अधिक समय तक बे उसके शरीर का भार बर्दाशत नहीं कर पाती थीं। अतः बह ज्यादा देर तक खड़ा नहीं रह पाता था इसीलिए उसे खेलने की मनाही थी। जब भी उनके स्कूल में मैच होता, राजू अपने साथियों को खेलते हुए देखता और जोर-शोर से उनका उत्साह बढ़ाता। जब उसके मित्र मैच हारने लगते तो राजू के प्रेरणादायक शब्दों से उनमें आशा का संचार होता और वे नयी स्फूर्ति से खेलने लगते।

प्रश्न 1.
गद्यांश में राजू की किस कमजोरी का उल्लेख किया गया है?
उत्तर :
उसकी टांगें बहुत पतली और दुर्बल थी।

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प्रश्न 2.
कितने वर्षों तक राजू कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होता रहा ?
उत्तर :
पाँच वर्ष तक राजू कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होता रहा।

प्रश्न 3.
‘गणित का तो वह जादूगर था ही’ – इसका भाव क्या है?
उत्तर :
‘गणित का तो वह जादूगर था ही’ इसका भाव यह है कि वह गणित विषय में निपुण था।

प्रश्न 4.
राजू सबसे कैसे मिलता था ?
उत्तर :
वह सबसे खुशी-खुशी मिलता और मुस्कुराकर ‘हैलो’ कहता था।

प्रश्न 5.
स्कूल में जब मैच होता तो राजू क्या करता ?
उत्तर :
स्कूल में जब मैच होता तो राजू अपने साथियों को खेलते हुए देखता और जोर-शोर से उनका उत्साह बढ़ाता था।

3. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिये।

पुराने स्कूल में राजू के बहुत सारे मित्र थे और सभी अध्यापक भी उसे पसंद किया करते थे। वह सबसे खुशी-खुशी मिलता और मुस्कुराकर ‘हैलो’ कहता। जब भी कोई कठिनाई में होता तो राजू सबसे पहले उसकी मदद के लिए पहुँच जाता। उसके पुराने स्कूल में कभी किसी ने उसकी कमज़ोरी की ओर भी ध्यान नहीं दिया – उसकी ढांगे बहुत पतली और दुर्वल थीं। उसके घुटनों में शक्ति नहीं थीं और अधिक समय तक वे उसके शरीर का भार बर्दाशत नहीं कर पाती थीं । अतः बह ज्यादा देर तक खड़ा नहीं रह पाता था इसलिए उसे खेलने की मनाही थी। जब भी उनके स्कूल में मैच होता, राजू अपने साथियों को खेलते हुए देखता और जोर-शोर से उनका उत्साह बढ़ाता। जब उसके मित्र मैच हारने लगते तो राजू के प्रेरणादायक शब्दों से उनमें आशा का संचार होता और वे नयी स्फूर्ति से खेलने लगते।

प्रश्न 1.
राजू की क्या कमजोरी थी ?
उत्तर :
उसकी टांगे बहुत पतली और दुर्बल थीं।

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प्रश्न 2.
गद्यांश में किस घटना का उल्लेख है ?
उत्तर :
गद्यांश में स्कूल के मैच का उल्लेख है।

प्रश्न 3.
राजू को किस बात की मनाही थी ?
उत्तर :
राजू को खेलने की मनाही थी।

प्रश्न 4.
मैच हारने वालों में आशा का संचार कैंसे होता था ?
उत्तर :
राजू के प्रेरणादयक शब्दों से मैच हारने वालों में आशा का संचार होता था।

प्रश्न 5.
कौन, किसे हैलो’ कहता है ?
उत्तर :
राजू अपने सारे मित्रों और सभी अध्यापकों को ‘ हैलो’ कहता है।

4. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों कें लिखिए।

सारी रात राजू अपने पुराने स्कूल के विषय में सोचता रहा और उसने सच्छे मन से प्रर्थना की, कि उसका नया स्कूल भी उसके पुराने स्कूल जितना ही अचा हो। बैसे राजू यह बात भली – भाति जानता था कि यदि स्वर्ग में भी स्कूल हो तो बह भी उसके पुराने सूूल से ज़्यादा अच्छा तो नही हो सकता उसके स्कूल छोड़ते समय सभी मित्र कितने रो रहे थे? उसके संगी-साथी, अध्यापकगण और यहाँ तक कि प्रधानाचार्य ने भी उसके पिता जी से उसे वहीं छोड़ जाने का अनुरोध किया था। लेकिन उनकी किसी बात पर थ्यान नहीं दिया जा सका। उसके पिता जी का तबादला हो गया था और अपने इकलोते बेटे को वहीं पर छोड़ जाने की बात सोच भी नहीं सकते थे।

प्रश्न 1.
राजू को नये स्कूल क्यों जाना पड़ा ?
उत्तर :
राजू के पिताजी का तबादला हो गया था इसीलिए उसे नये स्कूल को जाना पड़ा।

प्रश्न 2.
पुराने स्कूल के प्रति राजू के क्या विचार थे ?
उत्तर :
राजू का यह विचार था कि यदि स्वर्ग में भी स्कूल हो तो वह भी उसके पुराने स्कूल से ज्यादा अच्छा तो नहीं हो सकता।

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प्रश्न 3.
राजू को गॉव में छोड़कर जाने की इच्छा किसने प्रकट की ?
उत्तर :
राजू को गाँव में छोड़कर जाने की इच्छा उसके संगी – साथियों. अध्यापक गण और प्रधानाचार्य ने प्रकट की ।”

प्रश्न 4.
राजू के स्कूल से विदाई लेते समय किनकी आँखों में आँसू थे ?
उत्तर :
राजू के स्कूल से विदाई लेते समय उसके मित्रों की ऑखों में आँसू थे।

प्रश्न 5.
यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर :
यह गद्यांश ‘अपने स्कूल को एक उपहार’ पाठ से लिया गया है।

5. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।

अगला दिन, उससे और अगला, और फिर महीने का हर दिन उसके लिए ऐसा ही रहा। उसकी कक्षा में उसके हाथ उठाने पर भी उसे प्रश्नों के उत्तर नहीं देने दिया गया। उसका कोई मित्र भी नहीं बन पाया था। आधी छुट्टी में जब बाक़ी सभी लड़के खेलने जाते तो बह कक्षा में ही बैठा रहता। अब तक पूरा स्कूल जान गया था कि राजू एक गंवार लड़का है और उसे अपने गाँब के स्कूल का बड़ा ‘घमंड’ है। आखिरकार राजू ने इस स्थिति से निपटने के लिए बड़ी चतुराई से एक योजना बनायी। कक्षा के अध्यापकों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उसने हाथ उठाना ही बंद कर दिया।

प्रश्न 1.
राजू के साथ हर दिन क्या होता रहा ?
उत्तर :
हर दिन कक्षा में राजू के हाथ उठाने पर भी उसे प्रश्नों के उत्तर नही देने दिया गया।

प्रश्न 2.
आधी छुट्टी में राजू खेलने क्यों नहीं जाता था?
उत्तर :
राजू का कोई भी मित्र नहीं था। इसीलिए वह खेलने नहीं जाता था।

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प्रश्न 3.
राजू ने क्या योजना बनायी थी ?
उत्तर :
कक्षा के अध्यापकों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उसने हाथ उढाना बंद कर दिया।

प्रश्न 4.
वारतव में क्या राजू एक ‘गंवार’ लड़का था?
उत्तर :
वास्तव में राजू एक गंवार लड़का नहीं था।

प्रश्न 5.
यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर :
यह गद्यांश “अपने सकूल को एक उपहार” पाठ से लिया गया है।

6. अपने पुराने स्कूल में वह एक मेधावी छात्र रहा था। पिछले पाँच वर्ष से वह हर वर्ष, कक्षा में सबसे आगे था। उसे कहानियों की किताबें पढने का शौक़ था। अतः उसकी अंग्रेजी और हिंदी बहुत अच्छी थी। उसे सामान्य ज्ञान की पुस्तकें पढ़ना भी बहुत पसंद था और इससे उसका विज्ञान और इतिहास का ज्ञान भी बिकसित हो गया। गणित का तो बह जादूगर था ही। अध्यापक के बोर्ड पर पूरा प्रश्न लिखने से पूर्व ही बह उसका उत्तर बनाने के लिए अधीर हो हाथ उठा देता।

प्रश्न 1.
यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
उत्तर :
यह गद्यांश ‘अपने स्कूल को एक उपहार’ पाठ से लिया गया है।

प्रश्न 2.
‘वह एक मेधावी छात्र रहा था।’ इसका भाव क्या है?
उत्तर :
‘वह एक मेधावी छात्र रहा था।’ इसका भाव वह चतुर था।

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प्रश्न 3.
उसकी अंग्रेजी ओर हिन्दी बहुत अच्छी क्यों थीं?
उत्तर :
उसे कहहानियों की किताबें पढने का शौक था।

प्रश्न 4.
वह किस विषय का जादूगर था ?
उत्तर :
वह गणित का जादूगर था।

प्रश्न 5.
अध्यापक के बोर्ड पर पूरा प्रंश्न लिखने से पूर्व ही वह उसका उत्तर बताने के लिए क्यों अधीर हो हाथ उठा देता ?
उत्तर :
वह प्रश्न के उत्तर पहले से ही जानता था।

नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कए प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।

1. सारी रात राजू अपने पुराने स्कूल के विष्य में सोचता रहा और उसने सच्चे मन से प्रार्थना की कि उसका नया स्कूल भी उसके पुराने स्कूल जितना ही अच्छा हो। वैसे राजू यह बात भली – भॉँति जानता था कि यदि स्वर्ग में भी स्कूल हो तो वे भी उसके पुराने स्कूल से ज़्यादा अच्छे तो नहीं हो सकता। उसके स्कूल छोड़ते समय सभी मित्र कितने रो रहे थे? उसके संगी-साथी, अध्यापकगण और यहाँ तक कि प्रधानाचार्य ने भी उसके पिता जी से उसे वहीं छोड़ जाने का अनुरोध किया था। लेकिन उनकी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया जा सका। उसके पिता जी का तबादला हो गया था और अपने इकलौते बेटे को बहीं पर छोड़ जाने की बात बे सोच भी नहीं सकते थे।

प्रश्न :
1. राजू सारी रात किसके बारे में सोचता रहा ?
2. राजू मन ही मन क्या प्रार्थना की ?
3. राजू क्या जानता था ?
4. प्रधानाचार्य ने राजू के पिता से क्या अनुरोध किया था ?
5. किसका तबादला हो गया था ?
उत्तर :
1. रोजू सारी रात अपने पुराने स्कूल के बारे में सोचता रहा।
2. राजू मन ही मन यह प्रार्थना की कि उसका नया स्कूल भी उसके पुराने स्कूल जितना ही अच्छा हो।
3. राजू यह जानता था कि अगर स्वर्ग में भी सकूल हो तो उसके पुराने स्कूल से ज़्यादा अच्छा नहीं हो सकता है।
4. प्राधानाचार्य ने राजू के पिता से राजू को वहीं छोड़ देने का अनुरोध किया था।
5. राजू के पिता का तबादला हो गया था।

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2. जब पहला पीरियड आरंभ हुआ तो अध्यापक ने राजू को कक्षा में सबसे पीछे बिठा दिया। जब राजु से उसका परिचय पूछा गया तो उसने बताया कि वह एक गाँव के स्कूल से आया है। इस पर छात्रों को हँसी आयी। मधुर स्वभाव वाले राजू ने इसके पहले गुस्से को कभी भी महसूस नहीं किया था। वह स्वयं को यही समझाता रहा कि अभी धैर्य रखने की ज़रूत है, जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन पूरे दिन हर पीरियड में यही व्यवहार दुहराया जाता रहा। राजू तो किसी अलग ही मिट्टी का बना हुआ था। उसने यह प्रमाणित करने का निश्चय किया धा कि गाँवों के स्कूल शहरों के बराबर ही अच्छे होते हैं। उस शाम राजू ने.अपने माता – पिता को कुछ नहीं बबताया। उनके जिज्ञासापूर्ण प्रश्नों पर मुस्कुराकर रह गया। क्योंकि बह झूठ भी नहीं बोलना चाहता था।

प्रश्न :
1. राजू का स्वभाव कैसा था ?
2. राजू अपने आपको क्यां समझाता रहा ?
3. अध्यापक राजू को कहाँ बिठाये ?
4. राजू ने क्या निश्चय किया था ?
5. राजू क्या नहीं कर सकता था ?
उत्तर :
1. राजू मधुर स्वभाव वाला लड़का था।
2. राजू अपने आपको यह समझाता रहा कि “अभी धैर्य रखने की जरूरत है, जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।
3. अध्यापक राजू को कक्षा में सबसे पीछे बिठा दिये।
4. राजू यह प्रमाणित करने का निश्चय किया था कि गाँवों के स्कूल शहरों के बराबर ही अच्छे होते हैं।
5. राजू झूठ नहीं बोल सकता था।

3. पुराने स्कूल में उसके बहुत सारे मित्र थे और सभी अथ्यापक भी उसे पसंद किया करते थे। बह सब से खुशी – खुशी मिलता और मुस्कुराकर ‘हैलो’ कहता। जब भी कोई कठिनाई में होता तो राजू सबसे पहले उसकी मदद के लिए पहुँच जाता। उसके पुराने स्कूल में कभी किसी ने उसकी कमज़ोरी की ओर भी ध्यान नहीं दिया – उसकी टांगें बहुत पतली और दुर्ఖल थीं। उसके घुटनों में शक्ति नहीं थी और अधिक समय तक वे उसके शरीर का भार बर्दाश्त नहीं कर पाती थीं। अतः बू ज़्यादा देर तक खड़ा नहीं रह पाता था। इसीलिए उसे खेलने की मनाही थी। जब भी उनके स्कूल में मैच होता, राजू अपने साथियों को खेलते हुए देखता और ज़ोर – शोर से उनका उत्साह बढ़ाता। जब उसके मित्र मैच हारने लगते तो राजू के प्रेरणादायक शब्दों से उनमें आशा का संचार होता और बे नयी स्फूर्ति से खेलने लगते।

प्रश्न :
1. पुराने स्कूल में राजू की क्या स्थिति थी?
2. राजू सबसे क्या कहता है?
3. दूसरों की मदद करने कौन पहले पहुँचता है?
4. साथियों को खेलते हुए देख राजू क्या करता है?
5. राजू के शब्दों से खेलनेवालों में किस प्रकार उत्साह बढता है?
उत्तर :
1. पुराने स्कूल में राजूं के बहुत सारे मित्र थे। उसके अध्यापक भी बहुत चाहते थे।
2. राजू सबसे खुशी – खुशी मिलता और ‘हैलो’ कहता है।
3. दूसरों की मदद करने राजू पहले पहुँचता है।
4. साथियों को खेलते हुए देखकर राजू जोर – शोर से उनका उत्साह बढ़ाता है।
5. राजू के शब्दों से खेलनेवालों में प्रेरणा बढ़ती और नयी स्फूर्ति से खेलने लगते हैं।

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4. अपने पुराने स्कूल में बह एक मेधावी छात्र रहा था। पिछले पाँच वर्ष से वह हर वर्ष, कक्षा में सबसे आगे था। उसे कहानियों की किताबें पढने का शौक़ था। अतः उसकी अंग्रेज़ी और हिंदी बहुत अच्छी थी। उसे सामान्य ज्ञान की पुंस्तकें पढ़ना भी बहुत पसंद था और इससे उसका विज्ञान और इतिहास का ज्ञान भी विकसित हो गया। गणित का तो बह जादूगर था ही। आखिरकार राजू ने इस स्थिति से निबटने के लिए बड़ी चतुराई से एक योजना बनायी। कक्षा के अध्यापकों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उसने हाथ उठाना ही बंद कर दिया। परिणामस्वरूप बहुत शीघ्र ही अध्यापकों और छात्रों ने उस पर ध्यान देना बंद कर दिया। राजू यह जानता था कि एक महीने के बाद उसकी वार्षिक परीक्षा होनेवाली है। इसलिए उसने घर पर अधिक परिश्रम किया – आखिर उसे नये स्कूल के समक्ष प्रमाणित करना था कि उसका पुराना गाँव का स्कूल कोई कम नहीं था।

प्रश्न :
1. राजू पुराने स्कूल में क्या कहलाया जाता था ?
2. लड़के को किस प्रकार की पुस्तकें पढने में रुचि थी ?
3. किस विषय का वह जादूगर था ?
4. राजू क्या जानता था ?
5. राजू को क्या प्रमाणित करना था ?
उत्तर :
1. रानू पुराने स्कूल में मेधावी छात्र कहलाया जाता था।
2. लड़के को कहानियों की किताबें पढ़ने का शौक था।
3. गणित का तो वह जादूगर था।
4. राजू यह जानता था कि – एक महीने के बाद उसकी वार्षिक परीक्षा होनेवाली है।
5. राजू को इस विषय को प्रमाणित करना था कि – उसके नये स्कूल से पुराना स्कूल कोई कम नहीं था।

TS 10th Class Hindi Guide उपवाचक 3rd Lesson अपने स्कूल को एक उपहार

సారాంశము :

తన పాత పాఠశాలలో అతను ఒక తెలివి గల విద్యార్థి. గత ఐదు సంవత్సరాలుగా ప్రతి సంవత్సరం తరగతిలో అందరికంటే ముందు ఉండేవాడు. అతనికి కథల పుస్తకాలు చదివే అలవాటు ఉంది. అందుకనే అతని ఇంగ్లీషు, హిందీ బాగుంటుంది. అతనికి జనరల్ నాలెడ్జి పుస్తకాలు చదవడమన్నా చాలా ఇష్టం. దీని వలన అతని చరిత్ర మరియు విజ్ఞాన జ్ఞానం కూడా పెరిగింది. గణితం చేయటంలో అతను ఒక మాంత్రికుడు. ఉపాధ్యాయుడు బోర్డు మీద ప్రశ్న మొత్తం రాసేలోపే దానికి సమాధానం చెప్పటానికి ధైర్యంగా చేయి పైకెత్తుతాడు. పాత పాఠశాలలో అతనికి చాలా మంది స్నేహితులు ఉండేవారు. అధ్యాపకులు అందరూ కూడా అతన్ని ఎంతగానో ఇష్టపడేవారు. అందరినీ ఆనందంగా కలుసుకొని అందరికీ నవ్వుతూ హలో చెపుతాడు.

ఎవరికైనా కష్టం కలిగితే రాజు వాళ్ళకి సహాయం చేయడానికి ముందుంటాడు. అతను ఇంతకుముందు చదువుకున్న పాఠశాలలో కూడా ఎవ్వరూ అతని బలహీనతను కనిపెట్టలేకపోయారు. అతని కాళ్ళు చాలా సన్నగా, బలహీనంగా ఉండేవి. అతని మోకాళ్లలో శక్తి ఉండేది కాదు. ఎక్కువసేపు తన శరీర బరువును మోయగలిగేవి కాదు. అందుకే అతను ఎక్కువసేపు నిలబడలేకపోయేవాడు. ఆడాలని ధ్యాస ఉండేది కాదు. తన పాఠశాలలో ఎప్పుడు మ్యాచ్ జరిగినా రాజు తన స్నేహితులు ఆడటం చూసి అరుస్తూ వాళ్ళని ఉత్సాహపరిచేవాడు. తన స్నేహితులు మ్యాచ్ ఓడిపోతున్న ట్లయితే రాజు ఇచ్చే ప్రేరణతో వారిలో ఆశ కలిగేది. వారు కొత్త శక్తితో ఆడేవారు.

రాత్రంతా తన పాత పాఠశాల గురించే ఆలోచిస్తూ ఉన్నాడు. మనస్సులో తన కొత్త పాఠశాల కూడా పాత పాఠశాలలాగే ఉండాలని అనుకున్నాడు. రాజుకి ఈ విషయం బాగా తెలుసు. ఒకవేళ స్వర్గంలో పాఠశాల ఉన్నా తన పాత పాఠశాల కంటే బాగా ఉండదని. అతను పాఠశాల వదిలి పెడుతున్నప్పుడు తన మిత్రులందరూ ఎంత !

తన స్నేహితులు, ఇతర ఉపాధ్యాయులు, చివరికి ప్రధానోపాధ్యాయుడు కూడా రాజుని అక్కడ వదిలిపెట్టి వెళ్ళమని వాళ్ళ నాన్నగారిని ఎంతో బతిమిలాడారు. కాని వాళ్ళ నాన్నగారు ఎవరి మాట వినిపించుకోలేదు. వాళ్ళ నాన్నగారికి ట్రాన్స్ఫర్ అయింది. తన ఒక్కగానొక్క కొడుకుని అక్కడ వదిలివేయాలని ఎప్పుడూ ఆలోచించలేదు. తరువాతి రోజు ఉదయాన్నే రాజు తొందరగా లేచాడు. వెంటనే తన యూనిఫామ్ను కూడా వేసుకున్నాడు. అద్దంలో తనని తను చూసుకుని యూనిఫామ్ బాగుంది అని అనుకున్నాడు. పాఠశాల కూడా బాగుండవచ్చు. కాని అతను టిఫిన్ చేయలేకపోయాడు. తల్లిదండ్రులకి అర్ధమయింది. అందుకని వాళ్ళు బలవంతం చెయ్యలేదు. రాజు వాళ్ళ నాన్న తన బండిలో పాఠశాల గేటు వరకు దించి నవ్వుతూ వీడ్కోలు చెప్పాడు.

రాజు నెమ్మదిగా వెళ్తున్నాడు. ఎందుకంటే అతను వేగంగా నడవలేడు. అతని అందమైన చిరునవ్వుని చూచి అక్కడున్న వారంతా రాజుని అలాగే చూస్తున్నారు. మరికొంతమంది రాజు కాళ్ళను చూచి అతనిని ఎగతాళి చేస్తున్నారు.
కొద్ది క్షణాలలోనే మైదానమంతా, వరండా అంతా కోలాహలంతో తనని ఎగతాళి చేసేవాళ్లతో నిండిపోయింది. పాఠశాల ఉపాధ్యాయులు కూడా ఏమీ జరగనట్లుగానే ప్రక్కనుంచే వెళ్తున్నారు.
మొదటి పీరియడ్ మొదలవగానే అధ్యాపకుడు రాజును తరగతిలో అందరికంటే చివర కూర్చోపెట్టాడు. అధ్యాపకుడు రాజును గురించి అడగగా రాజు ఒక ఫల్లెటూరి పాఠశాల నుంచి వచ్చినట్లు చెప్పాడు. ఈ సమాధానం విని పిల్లలకు నవ్వొచ్చింది. సున్నిత స్వభావం కల రాజు దీనికి ముందు ఎప్పుడూ కోపం తెచ్చుకోలేదు. ఇప్పుడు కూడా తనకు తాను ధైర్యంగా ఉండాలి. తొందరలోనే అన్నీ సర్దుకుంటాయి అని నచ్చజెప్పుకున్నాడు. కానీ రోజంతా ప్రతి పీరియడ్లో ఇదే మరలా మరలా జరుగుతూ ఉంది.
రాజు ప్రత్యేకంగా తయారు చేయబడినటువంటి బాలుడు. అతను పల్లెటూరులో చదువుకున్న వాళ్ళు, పట్టణంలో చదువుకున్న వారికి ఏ మాత్రం తీసిపోరని నిరూపిద్దామనుకున్నాడు. ఆ రోజు సాయంత్రం వాళ్ల అమ్మనాన్నకి ఏమీ చెప్పలేదు. వాళ్ళు ఆత్రంగా అడిగిన ప్రశ్నలకు సమాధానంగా నవ్వాడు. ఎందుకంటే అతను అబద్ధం చెప్పాలని అనుకోలేదు.
తరువాతి రోజు ఆ తరువాతి రోజు ఒక నెల వరకు అతనికి అలానే జరిగింది. క్లాసులో చెయ్యి ఎత్తినప్పటికి సమాధానం చెప్పే అవకాశం తనకి ఇవ్వలేదు. అతనికి ఎవరూ స్నేహితులు కూడా లేరు.
విరామ సమయంలో పిల్లలందరూ ఆడుకోవడానికి వెళ్ళినప్పుడు రాజు తరగతిలోనే కూర్చునేవాడు. ఇప్పటి వరకూ పాఠశాలలో వారందరూ తను ఒక గ్రామీణ బాలుడని తన ఊరి పాఠశాలంటే తనకెంతో గర్వమని ‘ తెలుసుకున్నారు.

చివరకు రాజు ఈ స్థితి నుండి తప్పించుకోవడానికి చాలా తెలివితో ఒక పథకం తయారుచేశాడు. తరగతిలో అధ్యాపకులు ప్రశ్నలడిగినప్పుడు చెయ్యి ఎత్తడం మానేశాడు. దీని ఫలితంగా అధ్యాపకులు, విద్యార్థులు తన మీద దృష్టి పెట్టడం మానేశారు. ఒక నెల తరువాత వార్షిక పరీక్షలు జరుగుతాయని రాజుకి తెలుసు. అందుకే అతను ఇంటి దగ్గర బాగా కష్టపడ్డాడు. అతను తను కొత్త పాఠశాలలో గ్రామంలోని తన పాత పాఠశాల ఏ మాత్రం తక్కువ కాదని నిరూపించాలనుకున్నాడు.

అందరూ రాజు ఫెయిల్ అవుతాడని అనుకున్నారు. పరీక్షలు దగ్గరకు రావడంతో పిల్లలందరూ చదువులో మునిగిపోయారు. కానీ మధ్యమధ్యలో రాజు చదువుకోవడం చూసి అతనిని చేస్తూనే ఉన్నారు. రాజు ఇప్పుడు చాలా ధైర్యంగా ఉన్నాడు. మనసులో నవ్వుతూ తన చదువుకు నన్నాడు. ఒక వారంలోనే వార్షిక పరీక్షలు ముగిశాయి. రాజు రెండు వారాల సెలవులకు తిరిగి గ్రామానికి వెళ్ళాడు. దాని తరువాతే పరీక్షా ఫలితాలు వస్తాయి.

ఫలితాలు రావడానికి ఒకరోజు ముందు రాజు తిరిగి వచ్చాడు. ఆ రోజు చాలా ఆత్మవిశ్వాసంతో వాళ్ళ నాన్నతో కలసి పరీక్షా ఫలితాలు చూడడానికి వెళ్ళాడు. మళ్ళీ తరగతిలో ప్రథమ స్థానంలో వచ్చాడు. వాళ్ళ నాన్నగారు ఆనందంగా ఉన్నారు. కాని రాజు ఆనందానికి హద్దుల్లేవు. ప్రథమ స్థానం వచ్చినందుకు అతను ఎప్పుడూ ఇంత ఆనందంగా లేదు. ఇప్పుడెందుకు అంత ఆనందంగా ఉన్నాడంటే తన పాఠశాలకు అతను తగిన అందమైన బహుమతిని సమర్పించాడు.

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