Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material 10th Lesson नीति दोहे Textbook Questions and Answers.
TS 10th Class Hindi 10th Lesson Questions and Answers Telangana नीति दोहे
प्रश्न उत्तर :
प्रश्न 1.
कवि ने बिना फलवाले वृक्षों के विषय में क्या कहा है?
కవి పండ్లు కాయని వృక్షముల గురించి ఏమి చెప్పెను?)
उत्तर :
कवि ने बिना फलवाले वृक्षों के विषय में यह कहा है कि ये बिना फलवाले वृक्ष व्यर्थ ही अपना अकड़ दिखाते हैं। इससे दूसरों को कोई लाभ नहीं होता। ऐसे व्यवहार पर कोई आदर भी नहीं दिखाता।)
(పండ్లు కాయని చెట్లు వ్యర్థంగా తన గర్వాన్ని చూపెడతాయి. వాటి వల్ల ఎవరికీ ఉపకారం కానీ, ప్రయోజనం కానీ ఉండదు. అటువంటి వ్యవహారం వల్ల గౌరవం కూడా లభించదని కవి చెప్పెను.)
प्रश्न 2.
फलदार वृक्ष की विशेषता बताइए।
(పండ్ల వృక్షముల ప్రత్యేకతను తెల్పుము.)
उत्तर :
कवि कहता है कि फलदार वृक्ष धरती तक झुके रहते हैं। अपने ऊपर फलों का भार रहने पर भी ये झुके रहते हैं। तब कोई भी आदमी आसानी से उन फलों को काट लेता है। अपनी भूख मिटा लेता है। ऐसे वृक्ष दूसरों की सहायता करते हैं। विनम्रता की भावना व्यक्ति को महान बनाती है।
(పండ్లు కాచే చెట్లు, భూమి వరకు వంగి ఉంటాయి. తనపై బరువు ఉన్నప్పటికీ అవి వంగియుంటాయి. అప్పుడు. ఏ వ్యక్తి అయినా సులభంగా ఆ పండ్లను కోసుకోగల్గుతాడు. తన ఆకలిని తీర్చుకోగల్గుతాడు. ఇటువంటి వృక్షములు ఇతరులకు సహాయపడతాయి. వినయం అనే భావన మనిషిని గొప్పగా మార్చుతుందని కవి చెప్పాడు.)
प्रश्न 3.
बुलबुल और कौए में अंतर स्पष्ट कीजिए।
(బుల్ బుల్ మరియు కాకిలో ఉన్న భేదాన్ని స్పష్టం చేయండి.)
उत्तर :
बुलबुल की बोली मीठी होती है। इसलिए लोग उसका आदर करते हैं। परंतु कौए की वाणी कर्कश या कठोर होती है। अतः लोग उसकी वाणी का तिरस्कार करते हैं। मीठी आवाज़ को सुनने की चाह हर एक रखता है, लेकिन कठोर आवाज़ को सुनने की इच्छा कोई नहीं रखता।
(బుల్బుల్ యొక్క స్వరం మధురంగా ఉంటుంది. ఇందువలన అందరు దానిని ఆస్వాదిస్తారు మరియు ఆదరిస్తారు. కాని కాకి స్వరం కర్కశంగా మరియు కఠోరంగా ఉంటుంది. అందువలన దీనిని ప్రజలు తిరస్కరిస్తారు. మధుర స్వరాన్ని అందరు కోరుకుంటారు. కాని కఠోర స్వరాన్ని ఎవరు కోరుకోరు.)
प्रश्न (ప్రశ్నలు) :
प्रश्न 1.
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?
(రహీంననుసరించి నిజమైన మిత్రుని గుర్తింపు ఎప్పుడు అవుతుంది ?)
उत्तर :
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान उस समय होती है, जबकि उस पर कोई विपत्ति आती है। विपत्ति में जो मित्र साथ रहता है, वही सच्चा मित्र है। विपत्ति सच्चे मित्र की पहचान की कसौटी है।
(రహీంననుసరించి నిజమైన మిత్రుని గుర్తింపు అతనికి ఆపద సంభవించినప్పుడే తెలుస్తుంది. ఆపదలో నిజమైన మిత్రుడు ఎపుడూ వెంట ఉంటాడు. కాని ఆపద నిజమైన మిత్రుని గుర్తించుటకు గీటురాయి వంటిది.)
प्रश्न 2.
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून पंक्ति का भाव बताइए ।
(పానీ గయే న ఊబరై, మోతీ మానుష్ చూన్ – పంక్తి యొక్క భావాన్ని తెల్పండి.).
उत्तर :
इस पंक्ति का भाव यह है कि आदमी के गौरव के नष्ट होने के बाद समाज में कोई मूल्य नहीं होता । चूना तैयार होने के लिए और मोती में चमक के लिए जल ही आधार है।
(మనిషికి గౌరవం నశించినప్పుడు అతనికి సమాజంలో విలువ ఉండదు. సున్నం మరియు ముత్యం తయారవ్వాలంటే నీరే ఆధారం.)
प्रश्न 3.
बिहारी ने नर की तुलना किससे की है?
(బిహారీ నరుడుని దేనితో పోల్చెను?)
उत्तर :
बिहारी ने नर की तुलना नल के पानी से की है, क्योंकि दोनों की दशा एक ही प्रकार की है। दोनों नीचे की तरह ही चलते हैं।
(బిహారీ నరుడిని నీటి కుళాయితో పోల్చెను. ఎందుకంటేయ్ ఇవి రెండూ క్రిందకు వంగి నడుస్తాయి. రెండింటి దశ ఒకే విధంగా ఉంటుంది.)
प्रश्न 4.
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को कैसा होना चाहिए?
(బిహారీనిననుసరించి మనిషి ఎహ్ విధంగా ఉండాలి?)
उत्तर :
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए। क्योंकि जो विनम्र होता है वह जीवन में उन्नति पाता है।
(బిహారీననుసరించి వ్యక్తి వినయవిధేయతలు కలిగి ఉండాలి. ఎందుకంటే వినయవిధేయతలు కల్గినవాడు జీవితంలో అభివృద్ధి చెందుతాడు.)
अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया (అర్థగ్రహణ – ప్రతిస్పందనన) :
अ. प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి)
प्रश्न 1.
नीति वचनों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है?
(నీతి వాక్యాలు మన జీవితం పై ఎటువంటి ప్రభావాన్ని చూపుతాయి?)
उत्तर :
नीति वंचनों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। इन वचनों से हमारे जीवन में बहुत परिवर्तन होते हैं। नैतिक भावनाओं का विकास होता है। हम बुरे मार्ग से अच्छे मार्ग पर आ जाते हैं। समाज में अच्छे. नागरिक कहलाते हैं।
(నీతి వాక్యాలు, మన జీవితంపై గట్టి ప్రభావాన్ని చూపెడతాయి. ఈ వాక్యాల వల్ల మన జీవితంలో చాలా మార్పులు వస్తాయి. నైతిక భావాలు పెంపొందుతాయి. మనం చెడు మార్గం నుండి మంచి మార్గం వైపుకు వస్తాము. సమాజంలో మంచి పౌరులు అనబడతాము. )
प्रश्न 2.
मनुष्य को विनम्र क्यों रहना चाहिए?
(మనుష్యలు వినమ్రంగా ఎందుకు ఉండాలి ?)
उत्तर :
किसी लक्ष्य को प्राप्त करने मनुष्य को विनम्र रहना चाहिए।
घमंडी विनाश का-हेतु है इसलिए हमें विनम्र रहना चाहिए।
हमें उन्नति प्राप्त करने हम विनम्र से रहना चाहिए।
विनम्र हमें ऊँचे स्थान पर ले जाता है। हमें उत्रत बनाता है।
विनम्र के सहारे हम ज्ञान भी पा सकते हैं।
इसलिए सदा मनुष्य को विनम्र रहना चाहिए।
ఏ లక్ష్యం సాధించాలన్నా మనుష్యలు వినక్రంగా ఉండాలి.
గర్వం వినాశ హేతువు కనుక మనం వినమ్రంగా ఉండాలి.
మనం అభివృద్ధి సాధించడానికి అణుకువతో ఉండాలి.
వినమ్రత మనల్ని ఉన్నత స్థానానికి తీసుకెళుతుంది. మనల్ని ఉన్నతులుగా తీర్చిదిద్దుతుంది.
వినమ్రత సహాయంతో మనం జ్ఞ్ఞార్జన కూడా చేయగలం.
కావున మనుష్యులు ఎల్లప్పుడూ వినమ్రతతో మెలగాలి.)
आ. पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए।
(పాఠము చదవండి. అభ్యాస కార్యములు చేయండి)
प्रश्न 1.
पाठ से ‘ध्वनि साम्य’ वाले शब्द चुनकर लिखिए। जैसे : रीत, मीत
उत्तर :
सून – चून; अधिकाई – बौराई, जोइ – होइ
प्रश्न 2.
रहीम के दोहे में ‘पानी’ शब्द का प्रयोग कितनी बार हुआ है? उसके अलग-अलग अर्थ क्या हैं?
उत्तर :
रहीम के अनुसार ‘पानी’ शब्द का अर्थ तीन बार हुआ है।
उसके अलग – अलग अर्थ हैं। 1. चमक 2. प्रतिष्ठा 3. जल
इ. भाव स्पष्ट कीजिए। (భావాన్ని స్పష్టం చేయండి.)
1. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ॥
भाव : व्यक्ति को अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखनी चाहिए। प्रतिष्ठा के खोने पर समाज में व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं रहता।
2. कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।
उहि खाए बौराइ जग, इहिं फाए बौराइ।
भाव : सोना और धतूरा दोनों व्यक्ति को मादकता अर्थात पागल बनाते हैं। एक को खाने से आता है, दूसरे को पाने से ही आता है। अतः दोनों से सचेत रहना चाहिए।
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ/ప్రస్తుతీకరణ – నిర్మాణాత్మకత) :
अ. इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।
(ఈ ప్రశ్నలకు జవాబులు 3-4 వాక్యములలో వ్రాయండి)
प्रश्न 1.
अच्छे मित्र की क्या विशेषता है ?
(మంచి మిత్రుని ప్రత్యేకత ఏమిటి?)
उत्तर :
अच्छे मित्र हमारी विपत्तियों में साथ देते हैं। आवश्यकता आने पर अच्छे मित्र हमारी मदद करते हैं। हमारी गलतियों को बताकर हमें अच्छे मार्ग पर अच्छे मित्र ही चलाते हैं। अच्छे मित्र हर समय हमारे साथ ही रहते हैं। अच्छे मित्रों के सहारे ही हम उन्नति पाएँगे।
(మంచి మిత్రుడు ఆపద సమయాలలో మనకు తోడుగా ఉంటాడు. అవసరం వచ్చినప్పుడు మంచి మిత్రుడు మనకు సహాయం చేస్తాడు. మంచి మిత్రుడు మన పొరపాట్లు తెలియజెప్పి, మనల్ని మంచి మార్గంలో నడిపిస్తాడు. మంచి మిత్రుడు అన్ని సమయాలలో మన వెన్నంటే ఉంటాడు. మంచి మిత్రుల సహాయంతోనే మనం అభివృద్ధి సాధిస్తాం.)
प्रश्न 2.
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से क्यों की होगी?
(బిహారీ బంగారాన్ని ఉమ్మెత్తతో ఎందుకు పోల్చి ఉండవచ్చు?
उत्तर :
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से इसलिए की होगी कि दोनों व्यक्ति को पागल बनाते हैं। धतूरे को खाने से व्यक्ति पागल होता है जबकि सोने को पाने से।
(బిహారీ బంగారాన్ని ఉమ్మెత్తతో ఇందువలన పోల్చి ఉండవచ్చు, ఎందుకంటే రెండూ వ్యక్తిని పిచ్చెక్కిస్తాయి. ఉమ్మెత్తను తింటే వ్యక్తి పిచ్చివాడవుతాడు కాని బంగారాన్ని పొందితే చాలు.)
आ. किन्हीं दो दोहों के भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(ఏవైనా రెండు దోహాల భావాన్ని స్వరత పదాల్లో వ్రాయండి.)
उत्तर :
काल करै सो आजकर, आज करै सो अब।
पल में परलै होयगो, बहुरी करैगो कब॥
भाव: कीबरदास कहते हैं कि हमें कल का काम आज करना चाहिए। आज का जो काम है, उसे अभी पूरा करना चाहिए। क्योंकि यदि हम अपना काम समय पर नहीं करेंगे, तो समय चला जाएगा और काम अधूरा रह जाएगा। फिर हमें उस काम को करने का अवसर नहीं मिलेगा।
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरनं को शीतल करें, आपहु शीतल होय॥
भाव : कबीरदास कहते हैं कि चाहिए। अहंकार रहित वाणी से हमारा मान भी बढ़ता है। हमें मीठी वाणी बोलनी चाहिए। हमारी वाणी अहंकार रहित होनी हम स्वयं और दूसरों को खुश रख सकते हैं। ऐसी वाणी से समाज में हमारा मान भी बढ़ता है।
इ. पाठ में दिए गए दोहों के आधार पर कुछ सूक्तियाँ लिखिए।
(పాఠంలో ఇవ్వబడిన పద్యాల ఆధారంగా కొన్ని సూక్తులను వ్రాయండి.)
उत्तर :
1. व्यक्ति को अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखनी चाहिए।
2. विपत्ति सच्चे मित्र की पहचान करती है।
3. उन्माद (पागल) बनाने’ वाली चीजों से दूर रहना चाहिए।
4. विनम्रता से व्यक्ति गौरव प्राप्त करता है
5. विनम्र व्यक्ति महान बनता है।
ई. पाठ में दिये गए दोहों में आपको कौनसा दोहा बहुत अच्छा लगा? क्यों?
(పాఠంలో ఇవ్వబడిన పద్యాలలో మీకు ఏ దోహా బాగా నచ్చింది ? ఎందుకు ? )
उत्तर :
पाठ में दिये गये दीहों में मुझे रहीम का दोहा अच्छा लगा।
कहि रहीम संपति सठो, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत॥
क्योंकि विपत्ति में ही हम सच्चे मित्र की पहचान कर सकते हैं। संपत्ति में नहीं। संपत्ति में पराये भी अपने बन जाते हैं। विपत्ति में तो दूर हो जाते हैं।
भाषा की बात (భాషా విషయము) :
1. नीर, पीर, जल, पानी – …….. (पीर)
2. मीत, रीत, मित्र, दोरत – …….. (रीत)
3. जग, संसार, विश्व, मग – ………. (मग)
आ. 1. संपत्ति, 2. विपत्ति, 3. गति समानार्थी शब्द लिखिए।
(1. సంపత్తి 2. విపత్తి 3. గతి పదాలకు సమానార్థాలు వ్రాయండి.)
उत्तर :
1. संपत्ति = संपदा, धन
2. विपत्ति = कष्ट, आपत्ति
3. गति = चलन, उपाय, रास्ता
इ. मनुस्य, समाझ, झल शब्दों की (बर्तनी सुधार कर लिखिए।) (వర్తనీ సరిచేసి వ్రాయండి.)
उत्तर :
1. मनुस्य – मनुष्य
2. समाझ – समाज
3. कल – जल
ई. 1. लौकिक 2. नैतिक 3. पौराणिक (वाक्य प्रयोग कीजिए।)
(1. లౌకిక్ 2. నైతిక్ 3. పౌరాణిక్ వాక్యప్రయోగం చేయండి.)
उत्तर :
1. लौकिक – व्यक्ति को लौकिक अनुभूतियों में ही लीन नहीं होना चाहिए।
2. नैतिक – बच्चों में नैतिक भावनाओं का विकास करना बड़ों का काम है।
3. पौराणिक – मुझे पौराणिक नाटक बहुत पसंद हैं।
परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :
इस पुस्तक में हर पृष्ठ पर एक एक नीति वाक्य दिया गया है। उनमें से अपने मनपसंद दस नीतियों की सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
(ఈ పుస్తకంలో ప్రతి పేజీపై ఒక్కొక్క నీతి వాక్యం యివ్వబడింది. అందులో నుండి మీకు నచ్చిన 10 నీతి వాక్యముల సూచిక తయారుచేసి మీ తరగతి గదిలో ప్రదర్శించండి.)
उत्तर :
सूक्तियाँ (नीति वाक्य)
సూక్తులు (నీతివాక్యాలు)
1. जो निस्वार्थ भाव से किसी का उपकार करता है, वही साधु कहलाता है। – स्कंद पुराण
(నిస్వార్థంగా ఎవరైతే ఒకరికి ఉపకారం చేస్తారో, వారే సజ్జనులు అనిపించుకుంటారు.) – స్కంద పురాణం
2. नीतिशास्र ही इस पृथ्वी का अमृत है। – महाभारत
నీతి శాస్త్రమే ఈ పృథ్వి యొక్క అమృతం.) – (మహాభారతం)
3. परोपकार का प्रत्येक कार्य स्वर्ग की ओर एक कदम है। – वीवर
(పరోపకారం అనే ప్రతి ఒక కార్యం స్వర్గం వైపుకి ఒక అడుగు వేయిస్తుంది.) – వీవర్
4. परिश्रम से ही व्यक्ति अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। ईश्वर निष्क्रिय व्यक्ति से मित्रता नहीं बनाता। – ऋग्वेद
(కష్టపడడం వలనే మనిషి తన లక్ష్యాన్ని చేరుకోగల్గుతాడు.
ఈశ్వరుడు కష్టపడని వ్యక్తితో స్నేహాన్ని కలిగి ఉండడు.) – ఋగ్వేదం
5. हमेशा डरते रहने से अच्छा है कि खतरे का एक बार सामना कर लिया जाए। – नीतिसूत्रं
(ఎప్పుడూ భయపడుతూ ఉండటం కంటే, ఆపదని ఒక్కసారి ఎదుర్కోవటం మంచిది.) – నీతి సూత్రం
6. जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती। उसी तरह रात और दिन मनुष्य की जाते हैं फिर नहीं आते। – महाभारत
(ఎలాగైతే నదులు, ప్రవహిస్తూ తిరిగి వెనుకకి రావో, అలానే పగలు, రాత్రి మనిషి యొక్క ఆయువు తీసుకుని వెళ్ళిపోతాయి మరలా రావు.) – మహాభారతం
7. तुम में सबसे अधिक प्रतिष्ठित वह है जो सबसे अधिक खुदा से डरता है। – खुरान
(మీలో ఎవడైతే భగవంతుడికి ఎక్కువగా భయపడతాడో వాడే గౌరవించబడతాడు.) – ఖురాన్
8. जैसे तुम्हारा जीवन लक्ष्य होगा, वैसा तुम्हारा जीवन होगा। – राहुल सांकृत्यायन
ఎలాగైతే నీ జీవిత లక్ష్యం ఉంటుందో అలాగే నీ జీవితం ఉంటుంది.) – రాహుల్ సాంకృత్యాయన్
9. मनुष्य के हृदय में ईमान और ईर्ष्या दोनों इकट्टे नहीं रह सकते। – हजरत मुहम्मद
(మనిషి హృదయంలో నిజాయితీ, ఈర్ష్యా రెండూ కలసి ఉండలేవు.) – హజరత్ ముహమ్మద్
10. इच्छा ही दु:ख का कराण है, अतः इच्छा नहीं करनी चाहिए। – गौतम बुद्ध
(కోరికే దుఃఖానికి కారణం. అందువల్ల కోరికలను అదుపులో ఉంచుకొనవలెను.) – గౌతమ బుద్ధుడు
उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :
(విద్యార్థులకు కార్యరచనలో దోహాలను పరిచయం చేయటం, దోహ (పద్యము) వ్రాయటానికి ప్రేరణ ఇవ్వడం మరియు వారిలో నైతిక భావాలను పెంపొందించటం ఈ పాఠము యొక్క ముఖ్య ఉద్దేశ్యము.)
विधा विशेष (విభాగ-విశేషణము) :
(పద్య రచనలో దోహా ఒక ప్రత్యేకమైన పద్ధతి. దోహాలు చాలా ప్రభావవంతమైనవి.)
विषय प्रवेश (విషయ ప్రవేశము) :
(నైతిక గుణాల ద్వారానే మనం మంచి చెడు, ఒప్పు – తప్పులలో భేదాన్ని వివరించగల్గుతాము.)
कवि परिचय (కవి పరిచయము) :
कवि – रहीम
जीवनकाल – 1556-1626
प्रसिद्ध रचनाएँ – रहीम सतसई, बरवै नायिका भेद, श्रृंगार सोरठ
विशेष – वे संस्कृत, अरबी, पारसी के विद्वान थे। वे अकबर के दरबार के नवरत्नों में एक थे। वे उनके प्रधान सेनापति व मंत्री भी थे।
माना जाता है कि बड़े दानवीर थे।
కవి – రహీం
జీవితకాలం – 1556-1626
ప్రసిద్ధ రచనలు – రహీం సత్సీయీ, బరవై నాయికా భేద్, శృంగార సోరత్
ప్రత్యేకలు – వీరు సంస్కృతం, అరబ్బి, ఫారసీ భాషలలో విద్వాంసుడు. వీరు అక్బరు ఆస్థానంలో గల నవరత్నములలో ఒకరు. వీరు అతని యొక్క ప్రధాన సేనాపతి మరియు మంత్రి. ఆయన గొప్ప దానవీరుడని ప్రసిద్ధి
कवि – बिहारी
जीवनकाल – 1595-1663
प्रसिद्ध रचना – बिहारी सतसई
विशेष – इनके दोहे नीतिपरक होते हैं। इनके दोहों के लिए ‘गागर में सागर’ भर देने वाली बात कही जाती है।
కవి – బీహారీ
జీవితకాలం – 1595-1663
ప్రసిద్ధ రచనలు – బీహారీ సత్సయీ
ప్రత్యేకలు – వీరి దోహాలు నీతికి సంబంధించినవిగా ఉంటాయి. వీరి దోహాల గురించి “చిన్న కుండలో సముద్రాన్ని” నింపే మాట అని చెప్పబడినది.
व्याकरणांश (వ్యాకరణాంశాలు) :
प्रत्यय :
- फलवाले – वाले
- फलदार – दार
- सेनापति – पति
- लौकिक – इक़
- मात्रिक – इक
- नैतिक – इक
- नीतिपरक – परक
- पौराणिक – इक
- प्रभावशाली – शाली
- अपमानित – इत
- मादकता – ता
उपसर्ग :
- परिचित – परि
- अपमानित – अप
- विशेष – वि
- अनुसार – अनु
- अर्धसम – अर्ध
- नीतिपरक – नीति
विलोम शब्द :
- बहुत × कम
- ऊँचा × नीचा
- अच्छा × बुरा
- मीत × शत्रु
- एक × अनेक
- मानव × दानव
- बिगड़ना × बनना
पर्यायवाची शब्द :
- रीति – ढंग, ढब, वजह, रस्म, रिवाज़
- संपत्ति – धन, दौलत, संपदा
- विपत्ति – दुख, संकट, आफ़त
- मोती – मौक्तिक, मुत्य
- मीत – मित्र, सखा, दोस्त, सहचर, यार
- नीर – जल, पानी, वारि
- कनक – कंचन, स्वर्ण, सुवर्ण, सोना, हेम
- सागर – समुद्र, जलधि, वारिधि, रत्नाकर
वचन :
- रीति – रीतियाँ
- विपत्ति – विपत्तियाँ
- साँचा – साँचे
- मोती – मोती
- नीति – नीतियाँ
- ऊँचा – ऊँचे
- मनुष्य – मनुष्य
- नायिका – नायिकाएँ
- नीचा – नीचे
शब्दार्थ-भावार्थ :
1. कहि रहीम संपति सठो.
बनत बहुत बहु रीद।
बिपति कसौटी जे कसे,
तेई साँचे मीत।।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : कवि रहीम कहते हैं कि – जब हमारे पास संपत्ति (याने धन) होती है, तब कितने ही लोग कहॉँ कहाँ से आकर नाते रिश्ते जोड़कर सगे बने रहते हैं। उन लोगों में हमारा सचा मित्र कौन है और पराया कौन है, इसका निर्धारण विपत्ति कर देती है। संकट के समय में झूठे लोग खिसक जाते हैं। अपने सच्चे मित्र, संबंधी ही हमारे साथ देते हैं।
विशेषता : संकट के समय में साथ देनेवाला मित्र ही सचा मित्र है।
భావార్థం : మన వద్ద ధనమున్నప్రుడు ఎంతోమంది ఎక్కడ ఎక్కడ నుండి వచ్చి బంధుత్టం జోడిస్తారు. వారిలో నిజమైన మిత్తులెవరు, పరాయి వాళ్ళెవరు అనేది ఆపద కాలమే నిర్ణయిస్తుంది. ఆపద కాలంలో అబధ్ధపు మిత్రులు అక్కడ నుండి జారుకొంటారం. కాని నిజవైన మితతలలు, సంబంధీకులు వెంట ఉంటారు.
ప్రత్యేకత : ఆపద సమయంలో వెంట ఉండే మిత్తుడే నిజమైన మిత్రుడు.
2. रहिमन पानी राखिए,
बिन पानी सब सून
पानी गये न ऊबरै,
मोती मानुष चून ।।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : ‘पानी’ शब्द का विभित्न अर्थों पर अधारित रहीम का चमत्कार पूर्ण कथन है यह दोहा। रहीम कहते हैं कि सब को ‘पानी’ रखना आवश्यकता है। ‘पानी’ के बिना सब व्यर्थ है। पानी चला गया तो मोती, मनुष्य और चूना बचते नहीं हैं। ‘पानी’ अर्थात् ‘चमक’ जाने से मोती बचता नहीं, व्यर्थ होता है। ‘पानी’ अर्थात् ‘प्रतिष्ठा’ के चले जाने से मनुष्य नहीं रहता । ‘पानी’ अर्थात् जल के न रहने से चूना व्यर्थ हो जाता है।
विशेषता : हर हालत में पानी की रक्षा करने की प्रेरणा रहीम हमें देते हैं।
భావార్థం: ‘पानी’ శబ్దాన్ని వభిన్న అర్థాలలో ప్రయోగించిన రహీమ్ యొక్క చమత్కారమైన కథనమే ఈ పద్యము. రహ్మ్ అందరికి ‘ पानी’ ని కాపాడుకోవటం అవసరమని చెఫ్తన్నారు. ‘पानी’ లేకుండా అంతా వ్యర్ధమే. ‘पानी’ లేకఓోతే ముత్యం, మనిషి మరియు సున్నం ఎందుకు పనికిరావ్. ‘ पानी’ అనగా మెరుపు లేకపోతే ముత్యం పనికిరాదు వ్యర్ధమయిపోతుంది. ‘पानी’ అనగా ప్రతిష్ఠ లేకపోతే మనిషి ఉండలేడు. ‘पानी’ అనగా నీరు లేకపోతే సున్నం వ్యర్ధమయిపోతుంది.
ప్రత్యేకత : ప్రత పరిస్థితిలో ‘पानी’ (మెరుపు, ప్రతిష్ఠ నీరు)ని రక్షించుకోవాలనే [పేరణ రహీమ్ మనకు ఇస్తున్నారు.
3. कनक – कनक तैं सौ गुली.
मादकता अधिकाय।
उहि खाए बौटाइ जण,
इहिं पाट बौराय।।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : कवि बिहारी कहते हैं कि – सोना धतूरे की अपेक्षा सौ गुना अधिक नशीला होता है। क्योंकि धतूरे को तो खाने पर व्यक्ति उन्माद होता है। लेकिन सोने को तो पाकर ही मनुष्य उन्मत्त हो जाता है।
विशेषताः यहाँ कनक के दो अर्थ लिये गये हैं। दोनों नशीली चीजें हैं।
భావార్థం : బంగారం ఉమ్మెత్త పువ్వు కంటే వంద రెట్లు మత్తక్కించే పదార్థరం. ఎందుకంటే ఉమ్మెత్తపవ్వువను వ్యక్కి తినుట వల్ల ఉన్మాదిలా మారుతాడు. కాని బంగారాన్ని పొందినంతనే. మానవపు ఉన్మాదిలా మారఠాడని కవి బిహారీ చెప్పుచున్నారు.
ప్రత్యేకత : ఇక్కడ ‘కనక్’ అనే పదానికి రెండు అర్థాలు ఇవ్వబడినవి. ఇవి రెండూ మత్తకక్కించే వస్తువులు.
4. नर कगी जह नल कीर की
गति एकै कर ओय।
जेतौ नीचौ हैे चलै.
तेतौ ऊँचौ होया।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : कवि बिहारी कहते हैं कि मनुष्य की और नल के पानी की दशा एक ही प्रकार की है। देखो, ये जितने विनीत होकर चलते हैं, उतने ही ऊँचे पहुँचते हैं। नल नीर से मतलब है – फौव्वारे के पानी से। वह पानी जितना नीचे लाया जाता है, उतनी फुहार ऊँची छूटती है। यही हालत विनम्र मानव की है। विनम्रता मानव को उन्नति के सोपान पर बिठाती है।
భావార్థం : మానవుడు మరియు కుళాయి నీటి దశ ఒకే విధంగా ఉంటాయి. చూడండి, వీరిద్దరు ఎంత క్రిందికి వంగి నడుస్తారో, అంత అభివృద్ధిని సాధిస్తారు. కుళాయి నీరంటే నీటిని చిమ్మే గొట్టం అని అర్థం. దాని ద్వారా నీరు ఎంత క్రిందకు తీసుకు వస్తే అది అంత ఎత్తుకు నీరు చిమ్ముతుంది. ఇదే పరిస్థితి వినయ విధేయత గల మనిషిది . కూడ. వినయ విధేయతలు మనిషిని ఉన్నత సోపానాలపై కూర్చుండ బెడతాయని కమి బిహారీ చెప్పుచున్నారు.