Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material 9th Lesson दक्षिणी गंगा गोदावरी Textbook Questions and Answers.
TS 10th Class Hindi 9th Lesson Questions and Answers Telangana दक्षिणी गंगा गोदावरी
प्रश्न उत्तर :
प्रश्न 1.
यहाँ पर किसके बारे में बताया गया है?
(ఇక్కడ ఎవరి గురించి చెప్పబడింది.)
उत्तर :
यहाँ पर नदियों के बारे में, बूँदों के बारे में, न्यारी हवा के बारे में बताया गया है।
(ఇక్కడ నదుల గురించి, నీటి బిందువుల గురించి, అద్భుతమైన గాలి గురించి చెప్పబడింది.)
प्रश्न 2.
दक्षिण भारत की कुछ नदियों के नाम बताइए।
(దక్షిణ భారతదేశంలోని కొన్ని నదుల పేర్లు చెప్పండి.)
उत्तर :
दक्षिण भारत देश में कृष्णा नदी, गोदावरी नदी, कावेरी नदी, नर्मदा नदी, तपती नदी, तुंगभद्रा नदी, महानदी आदि नदियाँ हैं।
(దక్షిణ భారతదేశంలో కృష్ణానది, గోదావరి నది, కావేరీ నది, నర్మదానది, తపతీ నది, తుంగభద్ర నది, మహానది మొదలైన నదులున్నాయి.)
प्रश्न 3.
गोदावरी नदी के बारे में आप क्या जानते हैं?
(గోదావరి నది గురించి మీకు ఏమి తెలుసు ?)
उत्तर :
गोदावरी दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है। इसकी पैदाइश पश्चिम घाटी की पर्वत श्रेणी के अंतर्ग त्रयंबक पर्वत से हुई है। इसकी लंबाई 1584 किलोमीटर है, इस नदी का पाट बहुत बडा है । गोदावरी की उपनदियों में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजीरा आदि।
(గోదావరి దక్షిణ భారతదేశంలో ఒక ముఖ్యమైన నది. ఇది పశ్చిమ కనుమలలోని త్రయంబకంలో పుట్టింది. దీని పొడవు 1584 కిలోమీటర్లు. ఈ నది చాలా వెడల్పయినది. గోదావరి ఉపనదులలో ప్రాణహిత, ఇంద్రావతి, మంజీరా మొదలైనవి ముఖ్యమైనవి.)
प्रश्न (ప్రశ్నలు) :
प्रश्न 1.
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण कैसा दिखायी देता है?
(సూర్యోదయ సమయంలో ప్రకృతి వాతావరణం ఎలా కనిపిస్తుంది ?)
उत्तर :
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण बहुत आह्लाद और आनंददायक दिखायी देता है। चारों ओर सन्नाटे में से पक्षियों का कल-कल नाद करते हुए उडना, फूलों का खिलना बहुत सुंदर लगता है। पशु – पक्षियों में भी नया उत्साह भर जाता है। जहाँ तहाँ मनमोहक हरियाली फैल जाती है। वह सूर्योदय भी नदी के किनारे के यहाँ से बहुत सुंदर दिखायी देता है। उसका वर्णन अकथनीय है।
(సూర్యోదయ సమయమున ప్రకృతి వాతావరణం చాలా ఆహ్లాదకరంగా మరియు ఆనందదాయకంగా కనిపిస్తుంది. నాలుగువైపులా నిశ్శబ్దంలో నుండి పక్షుల కిలకిలారావాలు చేస్తూ ఎగరటం, పువ్వులు వికసించటం చాలా అందంగా ఉంటుంది. పశు-పక్షులలో కొత్త ఉత్సాహం నిండుతుంది. ఎల్లెడలా మనస్సుని మురిపించే పచ్చదనం వ్యాపించి ఉంటుంది. ఆ సూర్యోదయం కూడా నదీ తీరాన చాలా అందంగా కనపడుతుంది. దానిని మనం మాటలతో వర్ణించలేము.)
प्रश्न 2.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा कि राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान शौकत निराली है?
(రచయిత రాజమహేంద్రి ముందు గోదావరి తళుకు బెళుకులు సాటిలేనివి అని ఎందుకు అని ఉంటారు ?)
उत्तर :
लेखक ने कहा कि राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान शौकत निराली है क्योंकि पुल पर से गुजरते समय लेखक उसी उधेड बुन में थे कि दाएँ देखें या बाएँ। इतने में पुल आ गया और गोदावरी नदी का विशाल पाट दिखाई पडा। लेखक ने कई महानदियों के विशाल प्रवाह देखे हैं। लेखक बेजवाडा में कृष्णा नदी का दर्शन करके इस प्रकार कहा है कि मुझे गर्व है। लेकिन अब इस गोदावरी नदी को देखकर लेखक सोचने लगा कि सारे दृश्य का वर्णन कैसे किया जा सकता है? यहाँ इतना सारा पानी कहाँ से आता होगा ? इसीलिए लेखक ने ऐसा कहा होगा।
(రచయిత రాజమహేంద్రి ముందు గోదావరి నది యొక్క తళుకు-బెళుకులు ‘సాటిలేనివి అని అన్నారు. ఎందుకంటే వంతెన దాటేటప్పుడు రచయిత ఎడమవైపు చూడాలా, కుడివైపు చూడాలా అని ఊహలో ఉన్నారు. ఇంతలో వంతెన వచ్చేసింది. గోదావరి నది యొక్క విశాలమైన తీరం కనిపిస్తుంది. రచయిత అనేక మహానదులను చూశారు. రచయిత విజయవాడలో కృష్ణానదిని దర్శించి ఈ విధంగా అన్నారు. నాకు చాలా గర్వంగా ఉంది. కాని ఇప్పుడు ఈ గోదావరి నదిని చూచి రచయిత ఈ దృశ్యాన్ని అంతా ఎలా వర్ణించాలి? ఇక్కడకు ఈ నీరంతా ఎక్కడ నుండి వస్తుంది? అని ఆలోచిస్తున్నారు. అందుకే రచయిత అలా అని ఉండవచ్చు.)
अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया (అర్థగ్రహణ – ప్రతిస్పందనన) :
अ. प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి)
प्रश्न 1.
लेखक को गोदावरी का जल कैसा लगा होगा ? (రచయితకు గోదావరి నీరు ఎలా అనిపించి ఉండవచ్చు? )
उत्तर :
लेखक को गोदावरी का जल प्रभावशाली और अति पवित्र लगा होगा इसलिए वे कहते है कि माता गोदावरी ! राम-लक्ष्मण और सीता से लेकर बूढ़े जटायु तक सबको तूने ही स्तन्य-पान कराया है। तेरे तट पर शूरवीर भी पैदा हुए हैं और बडे बडे तत्व ज्ञानी भी, साधू संत भी पैदा हुए हैं। चारों वर्णों की तू माता है। नयी-नयी आशाओं को लेकर मैं तेरे दर्शन के लिए आया हूँ। तेरे जल में अमोघ शक्ति है, तेरे पानी की एक बूँद की सेवन भी व्यर्थ नहीं जाता !
(రచయిత గోదావరి నదితో నీటి గొప్పతనం గురించి ఈ విధంగా చెప్తున్నారు. తల్లీ గోదావరీ ! సీతారామలక్ష్మణుల నుండి ముసలి జటాయువు వరకు అందరిని నీవు గుండెలకు హత్తుకొని నీ స్థనపాన్యం చేయించావు. నీ తీరంలో శూరులు, వీరులు జన్మించారు. మరియు పెద్దపెద్ద తత్త్వవేత్తలు, సాధువులు కూడా జన్మించారు. నాలుగు వర్ణాలకు నీవు తల్లివి. కొత్త కొత్త ఆశలతో నేను నీ దర్శనం చేసుకోటానికి వచ్చాను. నీ నీటిలో అమోఘమైన శక్తి ఉంది. నీ నీటి యొక్క ఒక్క బొట్టు సేవించినా అది వ్యర్థమవ్వదు.)
प्रश्न 2.
लेखक की जगह तुम होते तो गोदावरी नदी का वर्णन कैसे करते ? बताइए।
(రచయిత స్థానంలో నువ్వు ఉన్నట్లయితే, గోదావరి నది వర్ణన ఎలా చేస్తారో చెప్పండి)
उत्तर :
गोदावरी दक्षिण भारत के सभी नदियों में बहुत बडी नदी है इसलिए इसे दक्षिण गंगा भी कहते हैं। यह
नदी पश्चिमी घाटियों में त्रयंबक में जन्म लेकर आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, वरंगल, खम्म, उभय गोदावरी जिलों से बहती हुई राजमहेंद्री के नीचे तीन शाखाओं में अलग होकर बंगाल की खाडी में मिलती है।
गोदावरी की तीन शाखाओं में उत्तरी शाखाओं को “गौतमी गोदावरी ” कहते हैं। यह यानाम के पास बंगाल की खाडी में विलीन हो जाती है। बीच की शाखा को “वशिष्ठ गोदावरी” कहते हैं। यह नरसापुर के पास अंतर्वेदी के बंगाल की खाडी में विलीन हो जाती हैं। दक्षिणी शाखा को “वैनतेय गोदावरी’ कहते हैं, यह कोमटगिरिपट्टणम के पास बंगाल की खाडी में विलीन हो जाती हैं।
गोदावरी नदी की लंबाई 1584 कि.मी. है। यह आंध्रप्रदेश में 770 कि.मी. बहती है। गोदावरी नदी आंध्रप्रदेश में 27 प्रतिशत बहती है। राजमहेंद्री के पास गोदावरी नदी 2.7 कि.मी. है। गोदावरी नदी के उपनदियों में मंजीरा, मानेरु, प्राणहिता, इंद्रावती, शबरी, सीलेरु मुख्य हैं। यह बहुत विशाल नदी होने के कारण इसे धीर-गंभीर माता कहते हैं।
(గోదావరి నది భారతదేశంలోని అన్ని నదులలో చాలా పెద్ద నది అందుకే దీనిని దక్షిణ గంగా అని కూడా అంటారు. ఈ నది పశ్చిమ కనుమల నుండి త్రయంబకంలో జన్మించి ఆదిలాబాద్, నిజామాబాద్, కరీంనగర్, వరంగల్, ఖమ్మం, ఉభయగోదావరి జిల్లాల్లో ప్రవహిస్తూ రాజమహేంద్రికి దిగువన మూడు శాఖలుగా చీలి బంగాళాఖాతంలో కలుస్తుంది.
గోదావరి మూడు శాఖలలోనూ ఉత్తర శాఖను ‘గౌతమి గోదావరి’ అంటారు. ఇది యానాం వద్ద బంగాళాఖాతంలో కలుస్తున్నది.. మధ్యశాఖను వశిష్ఠ గోదావరి అంటారు. ఇది నరసాపురం వద్ద ఉన్న అంతర్వేదిలో బంగాళాఖాతంలో కలుస్తుంది. దక్షిణాన ఉన్న శాఖను ‘వైనతేయ గోదావరి’ అంటారు. ఇది కొమరగిరి పట్నం వద్ద బంగాళాఖాతంలో కలుస్తుంది.
‘గోదావరి నది మొత్తం 1584 కి.మీ. ఇది ఆంధ్రప్రదేశ్లో 770 కి.మీ. ప్రవహిస్తుంది. గోదావరి పరీవాహక ప్రాంతంలో 27`శాతం ఆంధ్రప్రదేశ్లో ఉంది. రాజమహేంద్రి వద్ద గోదావరి నది 2.7 కి.మీ.ల వెడల్పును కలిగి ఉంది. గోదావరికి మంజీరా, మానేరు, ప్రాణహిత, ఇంద్రావతి, శబరి, సీలేరులు ముఖ్యమైన ఉపనదులు. ఇది చాలా విశాలమైన నది అవటం వలన దీనిని ధైర్యం కల శాంతమూర్తి అని కూడా అంటారు.)
आ. पाठ के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर हाँ या नहीं में दीजिए।
1. लेखक को कोव्वूरु स्टेशन पार करने के बाद गोदावरी मैया के दर्शन हुए। ( )
2. गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली है। ( )
उत्तर :
1. लेखक को कोव्वूरु स्टेशन पार करने के बाद गोदावरी मैया के दर्शन हुए। (नहीं)
2. गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली है। (हाँ)
इ. गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(గద్యాన్ని చదివి ప్రశ్నలకు సమాధానం ఇవ్వండి.)
आचार्य विनोबा भावे का जन्म महाराष्ट्र में हुआ। वे प्रातःकाल बहुत जल्दी उठते थे। प्रतिदिन नियमित रूप से चरखा चलाते थे। बातें कम और काम अधिक करते थे। भूदान आंदोलन विनोबाजी का प्रमुख कार्य था।
(ఆచార్య వినోబా భావే గారు మహారాష్ట్ర జన్మించారు. ఆరున ఉదయూన్నే త్వరగా లేస్తారు. ప్రతిరోజు క్రమంగా నాలు వడుకుతారు. హాటలు తక్కువ పని ఎక్కువ చేస్తారు. భూదాన ఆందోళన వినోబాగారి ముఖ్య కార్యము.)
प्रश्न 1.
विनोबा जी का जन्म कहाँ हुआ?
(వినోబా గారు ఎక్కడ జన్మించారు ?)
उत्तर :
विनोबा जी का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था।
(వినోబా గారు మహారాష్ట్రలో జన్మించారు.)
प्रश्न 2.
विनोबा जी के जीवन का प्रमुख कार्य क्या था ?
(వినోబాగారి జీవితంలో ముఖ్యమైన పని ఏమిటి ?)
उत्तर :
विनोबाजी के जीवन का मुख्य कार्य भूदान आंदोलन था।
(వినోబాగారి జీవితంలో ముఖ్య కార్యము భూదాన ఉద్యమము.)
ई. इस अवतरण के मुख्य शब्द पहचानकर लिखिए।
(ఈ గద్యాంశంలో ముఖ్యమైన శబ్దాలను గుర్తుపట్టి వ్రాయండి.)
पुल पर से गुज़रते समय दाएँ देखें या बाएँ, हम उसी उधेड़बुन में थे। पुल आ गया और भागमती गोदावरी का अत्यंत विशाल पाट दिखायी पड़ा।
(వంతెన దాటుతున్నప్పుడు ఎడమవైపు చూడాలా, కుడివైపు చూడాలా అనే సందిగ్ధములో ఉన్నాము. వంతెన వచ్చింది మరియు గోదావరి యొక్క విశాల తీరము కనిపించింది.
उत्तर :
मुख्य शब्द (ముఖ్యమైన శబ్దాలు).
1. उधेडबुन
2. गोदवारी
3. विशाल
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ/ప్రస్తుతీకరణ – నిర్మాణాత్మకత) :
अ. नदियों को माता क्यों कहा जाता है?
(నదీమతల్లులు, అని ఎందుకు చెప్పబడుతుంది ?)
उत्तर :
जिस प्रकार माँ हमें लाड़ प्यार से भोजन खिलाती है उसी प्रकार नदियाँ पानी देकर फ़सलें उगने में सहायता देती है। इसलिए हम नदियों को माता कहते हैं।
पुराणों में भी नदियों को माँ की संज्ञा दी गयी।
नदियों के पास ही सभ्यता का विकास हुआ है। इसलिए नदियाँ सभ्यता की माँ हैं।
नदियाँ हमें कई रूपों में सहायता करती है। ये हमारे प्राणधार है।
जल के बिना हम नहीं रह सकते। इसलिए हमें माता कह कर पुकारा जाता है।
नदियों के पास ही शूर – वीर, मुनियों का जन्म हुआ हैं। इसलिए ये नदियाँ माता कहा जाता है।
(తల్లి ఎలాగైతే పేమతో మనకు అన్నం తినిపిస్తుందో అలాగే నదులు నీటిని అందించి పంటలు పండటానికి దోహదపడతాయి కనుక వాటిని మనం నదీమతల్లులు అని అంటాం.
పురాణాలలోను నదులు తల్లులుగా పేర్కొనబడినాయి.
నదీ తీరాలలోనే నాగరికతలు పరిఢవిల్లాయి. కనుక నదులు నాగరికతకు మాతృకలు.
నదులు మనకు అనేక రూపాలలో సహకరిస్తున్నాయి. ఇవి మనకు ప్రాణాధారాలు.
నీరు లేకుండా మనం జీవించలేము. కనుకనే మనం నదిని తల్లి అని పిలుస్తాం.
నదుల చెంతనే శూరులు, వీరులు, మునులు జన్మించారు. కావున ఇవి నదీమతల్లులు అని చెప్పబడతాయి.)
आ. चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ कैसी थीं?
(చెన్నై నుండి రాజనుహాంది వెళ్తున్నప్హడు రచయిత భావోలు ఎలా ఉండెను?)
उत्तर :
चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ इस प्रकार थीं – बेजवाडे से आगे सूर्योदय हुआ। बरसात के दिन होने के कारण जहाँ – तहाँ विविध छटा वाली हरियाली फैली थी। यह सब देखकर लेखक को बहुत आनंद हो रहा था। पूर्व की तरक एक नहर रेल की पटरी के किनारे पर बह रहीं थी। बीच – बीच में छोटे – छोटे तालाब भी मिलते हैं। इनमें रंग – बिरंगे बादलों वाला आसमान नहाने के लिए उतरता हुआ दिखाई पडता और. इससे पानी की गहराई और भी अथाह हो जाती । कहीं – कही चंचल कमलों के बीच खामोश हुए बगुलों को देखकर सबेरे के ठंडी – ठंडी हवा का अभिनंदन करने को मन मचल पडता। इस तरह कविता – प्रवाह में बहकर जाते – जाते कोवूरु स्टेशन आ गया। लेखक के मंन में यह उमंग भरी थी कि अब गोदावरी माता का भी दर्शन होगा।
पुल पर गुजरते समय लेखक ने गोदावरी माता को देखकर इस प्रकार कहा कि राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान – शौकत निराली ही है। लेखक सोचने लगा कि इस सारे दृश्य का वर्णन कैसे किया जा सकता है? यहाँ इतना सारा पानी कहाँ से आता होगा ? गोदावरी का अखंड प्रवाह पहाडों में से निकल कर अपने गौरव को साथ में लिए आता हुआ दिखाई पडता है। लेखक ने कहा कि छोटे – बडे जहाज तो नदी के बच्चे हैं। लंबे – चौडे भारी पाट के दरमियान अगर टापू न हो तो इनकी कमी ही रह जाए। गोदावरी के टापू प्रसिद्ध हैं। अंत में गोदावरी माता का महत्व बताते हुए कहा कि तेरे पानी की एक बूँद का सेवन भी व्यर्थ नहीं जाता।
(చెన్నై నుండి రాజమహేంద్రి వెళుతున్నప్పుడు రచయిత భావనలు ఈ విధంగా ఉన్నాయి. బెజవాడ రావటానికి ముందే సూర్యోదయం అయ్యింది. వర్షాకాలం అవటం వలన ఎక్కడ చూస్తే అక్కడ పచ్చగా ఉంది. ఇదంతా చూసి రచయితకు చాలా ఆనందం కలిగింది. తూర్పున ఒక కాలువ రైలు పట్టాల ఒడ్డుగా ప్రవహిస్తుంది. మధ్యమధ్యలో కొన్ని చెరువులు కూడా ఉన్నాయి. వీటిలో రంగురంగుల మేఘాలు ఉన్న ఆకాశం స్నానం చేయటానికి వస్తున్నట్లుగా కనిపిస్తుంది. దీనివలన నీటి లోతు ఇంకా పెరిగినట్లుగా అనిపిస్తుంది. అక్కడక్కడ తామర పువ్వుల మధ్య ఉన్న కొంగలను చూస్తే ఉదయాన్నే వీస్తున్న చల్లని గాలిని అభినందించాలని మనస్సు కోరుకుంటుంది. ఈ విధంగా కవిత ప్రవాహంలో వెళుతూ వెళుతుండగా కొవ్వూరు స్టేషన్ వచ్చింది. రచయిత మనస్సులో ఇప్పుడు గోదావరి మాతను కూడా దర్శించుకోవచ్చనే కోరిక కలిగింది.
వంతెన దాటుతున్న సమయంలో రచయిత గోదావరి తల్లిని చూచి రాజమహేంద్రి ముందు గోదావరి తళుకుబెళుకులు ఎంతో అద్భుతంగా ఉన్నాయి అని అన్నారు. రచయిత ఈ దృశ్యాలన్నింటిని ఎలా వర్ణించగలను? ఇక్కడకు ఇంత నీరు ఎక్కడ నుండి వస్తుంది ? అని ఆలోచిస్తూ ఉంటారు. గోదావరి యొక్క అఖండ ప్రవాహ పర్వతాల నుండి గౌరవాన్ని ‘తీసుకొని వస్తునట్లు అనిపిస్తుంది. రచయిత చిన్న పెద్ద పడవలను నదీ పిల్లలని వర్ణించాడు. పెద్దయిన వెడల్పయిన నది మధ్యలో ద్వీపాలు లేకపోతే లోపంగానే ఉంటుంది. గోదావరి నది పాలు ప్రసిద్ధి చెందినాయి. చివరగా రచయిత గోదావరి గొప్పతనాన్ని తెలుపుతూ ఈ విధంగా అన్నారు. నీ “నీటి యొక్క ఒక బొట్టు సేవించినా వ్యర్థమవ్వదు.”)
इ. अपने द्वारा की गयी किसी यात्रा का वर्णन करते हुए मित्र के नाम पत्र लिखिए।
(మీరు చేసిన ఏదైనా యాత్రను వర్ణిస్తూ మిత్రునకు ఒక లేఖ వ్రాయండి.)
उत्तर :
नलगोंडा,
ता : × × × × ×
प्रियमित्र मोहन,
सस्नेह नमस्कार।
तुम्हारा पत्र मिला। मैं यहाँ कुशल हूँ।. आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ कुशल हो। मैं आज ही हैदराबाद से आया हूँ। मैं अपनी पाठशाला की ओर से हैदराबाद देखने गया था।
हैदराबाद एक सुंदर, प्राचीन एवं ऐतिहासिक नगर है। मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने अपनी प्यारी बेगम भाग्यमती के नाम पर इस नगर की स्थापना की थी। इसीलिए इसे भाग्यनगर भी कहते हैं। मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने चारमीनार एवं दारुशिफा नामक अस्पताल का निर्माण करवाया था। हैदराबाद में हमने गोलकोण्डा, सालारजंग म्यूजियम, ओशियन पार्क, लुंबिनी पार्क, उस्मानिया विश्व विद्यालय और विधान • सभा भवन देखे। यदि तुम भी हमारे साथ हो तो और मज़ा आता। शेष सब ठीक हैं।
अपने माता पिता को मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र,
× × × × ×
पता : [ ]
नाम : × × × × ×
घ/ न. 15-71532 /ए/20,
एम. जी. रोड,
रामगिरि, वरंगल 518543
నల్లగొండ,
ది : x x x x
ప్రియమైన మోహనకు,
ప్రేమతో నమస్కారాలు,
నీ ఉత్తరం అందింది. నేను ఇచ్చట కుశలము. నీవు కూడా అక్కడ కుశలమని అనుకుంటున్నాను. నేను ఈ రోజే హైదరాబాదు నుండి వచ్చాను. మా స్కూల్ తరపున నేను హైదరాబాదు చూడటానికి వెళ్ళాను.
హైదరాబాదు ఒక అందమైన ప్రాచీన, చారిత్రాత్మకమైన నగరము. మొహమ్మద్ కులీ కుతుబ్షాహ్ తన ప్రియురాలైన భాగ్యమతి పేరున ఈ నగరాన్ని నిర్మించాడు. అందుకనే దీనిని భాగ్యనగరమని కూడా అంటారు. మొహమ్మద్ కులీకుతుషాహ్ చార్మీనార్ మరియు దారుషిఫా అనే ఆసుపత్రిని నిర్మించాడు. హైదరాబాద్ లో మేము గోల్కొండ, సాలార్ జంగ్ మ్యూజియమ్, ఓషియన్ పార్క్ లుంబినీ పార్క్ ఇందిరా పార్క్ ఉస్మానియా విశ్వవిద్యాలయుం మరియు విధానసభ భవనము చూశాము. నువ్వు కూడా మాతో వచ్చి ఉంటే చాలా బాగుండేది. అంతా బాగానే ఉంది. నీ తల్లిదండ్రులకు నా నమస్కారములు తెలుపుము.
ఇట్లు
నీ ప్రియ మిత్రుడు
X X X X X
చిరునామా : [ ]
పేరు : X X X X
ఇంటి నెం. 15-71532/ఎ/20,
ఎమ్.జి.రోడ్, రామగిరి, వరంగల్ – 518543
ई. इस यात्रा – वृतांत में लेखक का कौनसा अनुभब आपको अच्छा लगां ? क्यों ?
उत्तर :
इस यात्रा – वृत्तांत में लेखक का यह अनुभव मुझे बहुत अच्छा लगा कि विपत्तियों में से विजय – सहित पार हुआ राष्ट्र जिस तरह वैभव की नयी – नयी छटाएँ दिखलाता है और चारों तरफ़ अपनी समृद्धि फैलाता जाता है, उसी तरह गोदावरी का अखंड प्रवाह पहाडों में से निकलकर अपने गौरव को साथ में लिए आता हुआ दिखाई पडता है। छोटे – बडे जहाज तो नदी के बच्चे हैं, जो माता के ख्वभाव से परिचित होने के कारण उसकी गोद में मनमामा नाचें, खेलें, उछलें और कूदें, तो उन्हें इससे रोकनेवाला कौन है? लेकिन बच्चों की उपमा तो इन नावों की अपेक्षा प्रवाह में जहाँ – तहाँ पडते हुए भँवरों को देनी चाहिए। कुछ देर दिख पडे, थोडी ही देर में भयानक तूफान का रवाँग रचा और एक ही पल में खिल – खिलाकर हँस पडे। ये भँवर न जाने कहाँ से आते और कहाँ चले जाते हैं। क्योंकि इस अनुभव में गोदावरी की विशालता और अखंड प्रवाह का वर्णन अच्छी तरह किया है। और कवि ने बताया कि नदी में जहाज बच्चों की तरह उछल कूद रहे हैं। बाद में बच्चों की तुलना भँवर से की हैं। बच्चों की तरह भँवर भी कभी तूफान मचाते हैं। कभी – कभी खिलकर हँसते हैं। इसीलिए यह अनुभव मुझे अच्छा लगा है।
(ఈ యాత్రావర్ణనలో రచయిత యొక్క ఈ అనుభవం నాకు బాగా నచ్చింది. ఏమిటంటే ఆపదల నుండి విజయాన్ని పొందినటువంటి రాష్ట్రం ఏ విధంగా అయితే వైభవం యొక్క కొత్త – కొత్త శోభలను చూపిస్తూ నాలుగువైపులా తన సమృద్ధిని వ్యాపింపచేస్తుందో అదే విధంగా గోదావరి అఖండ ప్రవాహము పర్వతాల నుండి ఎంతో గౌరవంతో వచ్చినట్లుగా కనిపిస్తుంది. చిన్న చిన్న పడవలు నది పిల్లల్లాగా ఉన్నాయి. తల్లి స్వభావం తెలిసిన పిల్లలు తల్లి ఒడిలో ఇష్టమొచ్చినట్లు ఆడి, పాడి ఎగిరి, దూకినా వాళ్ళని ఆపేవారెవరు ? కానీ పిల్లలను ఈ పడవలతో కాక ప్రవాహంలో అక్కడక్కడ ఉన్నటువంటి సుడిగుండాలతో పోల్చాలి. కొన్ని ఆలస్యంగా కనిపిస్తాయి. కొద్దిసేపటిలోనే భయంకరమైన తుపానును అనుకరిస్తున్నట్లుగా మరియు ఒకే క్షణంలో విచ్చుకొని నవ్వుతూ ఉంటాయి. ఈ సుడిగుండాలు ఎక్కడి నుంచి వస్తాయో, ఎక్కడికి వెళ్తాయో తెలియదు. నాకు ఎందుకు నచ్చిందంటే ఈ అనుభవంలో గోదావరి యొక్క విశాలత మరియు అఖండ ప్రవాహం గురించి వర్ణన చాలా బాగుంది. ఇంకా కవి నదిలో ఓడలు పిల్లల్లాగా ఎగురుతూ దుముకుతూ ఉన్నాయనటం చాలా బాగుంది. తరువాత పిల్లలను సుడిగుండాలతో పోల్చారు. పిల్లల్లాగా సుడిగుండాలు కూడా అప్పుడప్పుడు తపాను సృష్టిస్తాయి. అప్పుడప్పుడు విచ్చుకొని నవ్వుతాయి. అందుకే ఈ అనుభవం నాకు చాలా నచ్చింది.)
भाषा की बात (భాషా విషయము) :
अ. सूचना पढ़िए। वाक्य प्रयोग कीजिए। (సూచన చదవండి, వాక్య ప్రయోగం చేయండి)
1. बरसात, सरिता, पहाड़ (पर्याय शब्द लिखिए।) (పర్యాయపదాలు వ్రాయండి)
उत्तर :
बरसात – बारिश, वर्षा
सरिता – नदी
पहाड – पर्वत
2. विजय, प्रसिद्ध, दुर्लभ (विलोम शब्द लिखिए।) (వ్యతిరేకపదములు వ్రాయండి.)
उत्तर :
विजय × पराजय
प्रसिद्ध × अप्रसिद्ध
दुर्लभ × सुलभ/आसान
3. तितली, कविता, लहर (वचन बदलिए।) (వచనములు మార్చి వ్రాయండి.)
उत्तर :
तितली – तितलियाँ
कविता – कविताएँ
लहर – लहरें
आ. सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए। (సూచన చదవండి, దాని ప్రకారము చేయండి.)
1. सूर्योदय, पवित्र, अत्यंत (संधि विच्छेद कीजिए ।) (సంధి విడదీయండి)
उत्तर :
- सूर्योदय – सूर्य + उदय
- उन्माद – उत् + माद
- पवित्र – पू + इत्र
- अत्यंत – अति + अंत
इ. इन्हें समझिए। (వీటిని అర్ధం చేసుకోండి.)
1. नदी के पानी में उन्माद था, उसमें लहरें न थीं।
उत्तर :
के : संबंध कारक
में : अधिकरण कारक
उसमें : वह + में → उसमें
वह के साथ अधिकरण कारक चिह्न “में” जोडने से उसका रूप उसमें होता है।
ई. नीचे दिये गये क्रिया शब्द समझिए और अकर्मक व सकर्मक क्रियाएँ पहचानिए ।
(క్రింద ఇవ్వబడిన క్రియలను అర్థం చేసుకోండి మరియు ఆకర్మక క్రియలను, సకర్మక క్రియలను గుర్తించండి.)
सोना, पढ़ना, पीना, हँसना, कहना, उठना, दौड़ना, खाना, चलना, लिखना
उत्तर :
- सोना – अकर्मक क्रिया
- उठना – अकर्मक क्रिया
- पढ़ना – सकर्मक क्रिया
- दौड़ना – अंकर्मक क्रिया
- पीना – सकर्मक क्रिया
- खाना – सकर्मक क्रिया
- हँसना – अकर्मक क्रिया
- चलना – अकर्मक क्रिया
- कहना – सकर्मक क्रिया
- लिखना – सकर्मक क्रिया
परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :
यात्रा – वृत्तांत विधा की जानकारी प्राप्त कीजिए। उसकी सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
(యాత్రా వర్ణన విధి గురించి తెలుసుకోండి. దానిని తరగతిలో ప్రదర్శించండి.)
उत्तर :
यात्रा वृत्तांत यह गद्य की एक प्रमुख विधा है। यात्रा – वृत्तांत पाठ में लेखक किसी दर्शनीय स्थल से संबंधित अपनी यात्रा की अनुभूतियों कों रोचक और ज्ञानवर्धक ढ़ंग से प्रस्तुत करता है। इस विधा में प्राकृतिक सौंदर्य को अधिक महत्व दिया जाता है। यात्रा – वृत्तांत विधा में पहले हम किस प्राँत में जा रहे हैं, उसके बारे में बताना है। वहाँ जाने के लिए क्या – क्या सुविधाएँ हैं बताना है।जाते वक्त बीच में देखनेवाले स्थान हों तो उनके बारे में भी बताना है। प्रकृति वर्णन का मुख्य स्थान यात्रा – वृत्तांत में होना चाहिए। प्रकृति वर्णन के साथ – साथ वहाँ देखने वाले मंदिर, इमारतें या प्रमुख स्थान का वर्णन भी करना चाहिए। भाषा सरल होनी चाहिए। व्याकरण की गलतियाँ भी न होनी चाहिए। यात्रा – वृत्तांत को किसी अन्य भाषा में अनुवाद भी कर सकते हैं। अनुवाद करते समय भावों का लोप नहीं होना चाहिए। भाषा शैली पर अधिक ध्यान देना चाहिए। ये सभी.यात्रा – वृत्तांत के समय ध्यान देनेवाली मुख्य बातें हैं।
(యాత్రా వర్ణన విధి గద్యంలో ఒక ముఖ్యమైన విధి. యాత్రావర్ణన పాఠంలో రచయిత ఏదైనా దర్శనీయ స్థలం గురించి తన యాత్రానుభవాలను ఎంతో అందంగా జ్ఞానవర్ధకంగా వర్ణించారు. ఈ విధిలో ప్రకృతి సౌందర్యానికి ఎక్కువ మహత్వం ఇవ్వాలి. యాత్రావర్ణన విధిలో ముందు మనం ఏ ప్రాంతానికి వెళుతున్నామో, దాని గురించి చెప్పాలి. అక్కడకు వెళ్ళడానికి ఏమేమి సౌకర్యాలున్నాయో చెప్పాలి. వెళ్లే మార్గంలో చూడాల్సిన ప్రదేశాలు ఏమైనా ఉంటే వాటి గురించి చెప్పాలి. ప్రకృతివర్ణన యాత్రావర్ణనలో చాలా ముఖ్యమైనది. ప్రకృతివర్ణనతో పాటు అక్కడ చూడాల్సిన దేవాలయాలు, కట్టడాలు మరియు ప్రముఖ స్థానాలను కూడా వర్ణించాలి. భాష చాలా సరళంగా ఉండాలి. వ్యాకరణ తప్పులు కూడా ఏమీ ఉండకూడదు. యాత్రావర్ణనను వేరొక భాష నుండి కూడా వర్ణించవచ్చు. అనువాదం చేస్తున్నప్పుడు భావాలు లోపించకూడదు. భాషాశైలి మీద ఎక్కువ ధ్యాస పెట్టాలి. ఇవన్నీ కూడా యాత్రావర్ణనలోని ముఖ్య విషయాలు.)
उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :
(విద్యార్థులకు యాత్రావర్ణన యొక్క సాహిత్యక విభాగ జ్ఞానాన్ని అందిస్తూ దానిలో వ్యాసరచన చేసే ప్రవృత్తిని అభివృద్ధి చేయుట, యాత్రా వర్ణనకు ఉపయోగించే భాషను పరిచయం చేయుట మరియు దానితోపాటు రచయిత కాకా ‘కాలేల్కర్ గురించి పరిచయం చేస్తూ, వారి భాష, రచనాశైలి యొక్క జ్ఞానాన్ని అందించటం ఈ పాఠం యొక్క ముఖ్య ఉద్దేశ్యం.)
विधा विशेष (విభాగ-విశేషణము) :
(యాత్రావర్ణన గద్యంలో ఒక ప్రముఖ విధి. యాత్రా వృత్తాంతం పాఠంలో రచయిత ఏదైనా దర్శనీయ స్థలానికి సంబంధించిన తన యాత్రానుభవాలను గురించి ఆకర్షణీయంగా మరియు జ్ఞానాన్ని పెంచే విధంగా ప్రస్తుతీకరించారు. ప్రస్తుత పాఠం “దక్షిణ గంగా గోదావరి” కూడా కాకా కాలేల్కర్ ద్వారా రచించిన యాత్రావర్ణన పాఠం. దీని రచన “సప్తసరిత” నుండి తీసుకొనబడింది. దీనిలో రచయిత గోదావరి నది యొక్క ప్రకృతి సౌందర్యం గురించి వర్ణించాడు.)
लेखक परिचय (రచయిత పరిచయము) :
(కాకా కాలేల్కర్ పూర్తి పేరు దత్తాత్రేయ్ బాలకృష్ణ కాలేల్కర్. ఆయన 1885లో పుట్టారు. మరియు 1991లో చనిపోయారు. ఈయన బ్రతికున్నంతవరకు గాంధీగారి ఆలోచనలను పాటించారు. ఈయన హిందుస్థానీ ప్రచార సభ, వర్గా ద్వారా హిందీకి బాగా సేవ చేశారు. వారు రాజ్యసభ సభ్యులుగా కూడా ఉన్నారు.)
विषय प्रवेश (విషయ ప్రవేశము) :
(గోదావరి నది ధైర్యానికి, శాంతానికి మూర్తిగా మరియు పూర్వీకుల ఇలవేల్పుగా చెప్పబడుతుంది. ఈ నీటిలో . అమోఘమైన శక్తి ఉంది. ఈ నదీ తీరాన చాలా మంది శూరులు, వీరులు, తత్వవేత్తలు, జ్ఞానులు, సాధువులు, రాజకీయ నాయకులు మరియు భగవంతుని భక్తులు జన్మించారు. అలాంటి పవిత్రమైన గోదావరి నది యొక్క ప్రకృతి సౌందర్యం కాకా కాలేలేకర్ చే వర్ణింపబడినది. పదండి దాని గురించి తెలుసుకుందాం.)
व्याकरणांश (వ్యాకరణాంశాలు) :
पर्यायवाची शब्द :
- बरसात – वर्षा, बारिश, सावन
- तालाब – जलाशय, सरोवर, पोखरा
- निराला – अनूठा, अपूर्व, अद्भुत, विलक्षण
- शान – ठाट-बाट, तड़क-भड़क, करामात
- अभिनंदन – प्रोत्साहन, प्रशंसा, उत्तेजना, प्रार्थना
- पहाड़ – पर्वत, गिरि, शैल
- मंदिर – देवालय, घर, शिविर, देवस्थान
- महल – राजभवन, प्रासाद, अंतःपुर, रानिवास
- विविध – विभित्र, अलग – अलग, तरह – तरह के
- सरिता – नदी, तटिनी, तरंगिणी, वाहिनी, स्रोतस्विनी
- गंगा – भागीरथी, जाह्नवी, मंदाकिनी, देवनदी
- पावन – पवित्र, पाक, शुद्ध
- दर्शन – साक्षात्कार, भेंट, मुलाकात
- प्रवाह – धारा, सिल – सिला, झुकाव, बहाव
- गर्व – दर्प, दंभ, गुमान, अभिमान, अहंकार
- नज़र – निगाह, दृष्टि, मेहरबानी
- गोरव – सम्मान, आदर, प्रतिष्ठा, इज्ञत
- उपासना – आराधना, अर्चना, पूजा
विलोम शब्द :
- पवित्र × अपविध
- अमोच × मोघ
- आसमान × ज़मीन
- उतरता × चक्ता
- गर्व × गर्बहृौन
- स्वोंग × यथार्थ
- अखंड × खंड
- संपूर्ण × असंपूर्ण
- यीर × कायर
- धीर × अधीर
- दुर्लम × सुलभ
- स्रार्थ × परमार्थ
- पावन × प्रदूपित
- शक्ति × शक्तिहीन
- चंचल × निश्वल
- अथाह × थाह
- गहरी × उथली
- नयी × पुरानी
- हैंसना × रोना
- आघे × पूरे
- गौरव × अगौरव
- धवल × कृष्ण
- प्रसिद्ध × अप्रसिद्ध
- जन्म × मृत्यु
- सूर्योदय × सूर्यासत
- ढंडी × गर्मी
- माता × पिता
- विजय: × अपजय
- अपेक्षा × उपेक्षा
- कृतझता × कृत्तश्नता
- उंड़ेलना × भरना
- गंभीर × वाचाल
- संपूर्ण × असंपूर्ण
- प्रभाव × दुष्प्रभाव
वचन :
- नदी – नदियोँ
- गाता – माताएँ
- नौका – नौकाए
- कविता – कविताएँ
- पह्डाड़ी – पहाङियाँ
- पालश – कलश
- कतार – कतारें
- तालाय – तालाब
- नज़र – नज़रें
- छटा – छटाएँ
- देवी – देविय्याँ
- में – हम
- नहूर – नह्हरें
- श्रेणी – श्रेणियाँ
- सारा – सारे
- लहर – लहृरे
- पटरी – पटरियें
- यादत – बादल
- घिरा – घिरे
- शक्ति – भकषित्तयों
- किनारा – किनारे
- तितली – तितलियों
- झॉंई – झॉइस्यो
- बचा – बत्ते
- बूँद – हूँदे
- ऊँचा – फचे
- नह्ताना – नहृाने
- सांचला – साँ
प्रत्यय :
- गहराई – ई
- कृतज्ञता – ता
- संस्कृति – इ
- राजनीतिज्ञ – ज्ञ
- वैदिक – इक
- भारतवासी – वासी
- सुंदरता – ता
- समृद्धि – इ
- मनमाना – माना
- कृत्तता – ता
उपसर्ग :
- अथाह – अ
- अनुमान – अनु
- प्रकृति – प्र
- अखंड – अ
- अमोघ – अ
- अभिनंदन – अभि
- संपूर्ण – सं
- मटमैला – मट
- विविध – वि
- महानदी – महा
- प्रभाव – प्र
- प्रसिद्ध – प्र
संधि :
- अत्यंत = अति + अंत
- पावन = पो + अन
- दुर्लभ = दु: + लभ
- सूर्योदय = सूर्य + उदय
- पवित्र = पो + इत्र
समास :
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :