AP Inter 1st Year Hindi Study Material Poem 1 कबीर के दोहे

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material पद्य भाग 1st Poem कबीर के दोहे Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 1st Year Hindi Study Material 1st Poem कबीर के दोहे

भावार्थ

प्रश्न 1.
गुरु गोविन्द दोऊ खडे, काके लागौ पॉय ।
बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो बताय ॥
उत्तर:
कवि परिचय :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे।

भावार्थ :- कबीर का कहना है कि गुरु और ईश्वर दोनों मेरे सामने खडे हो जाए तो मै गुरु के चरणों को ही पहले प्रणाम करूँगा । क्यों कि भगवान के बारे में हमें बताने वाला व्यक्ति गुरु ही है । अर्थात् गुरु के द्वारा प्राप्त ज्ञान से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है।

विशेषताएँ :-

  1. कवि की ज्ञान संबंधी धारणा स्पष्ट होती है ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है।

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Poem 1 कबीर के दोहे

प्रश्न 2.
पोथि पढि – पढि जग मुआ, पंडित भया न कोय ।
ढाई अक्षर प्रेम का, पढे सो पंडित होय ॥
उत्तर:
कवि परिचय :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।

भावार्थ :- कवि का कहना है कि केवल बड़े – बड़े ग्रंथ पढने से कोई भी पंडित नहीं बन सकता बल्कि समय व्यर्थ होजाता है । यदि कोई भी व्यक्ति प्रेम रूपी अक्षर को पढ़ सकता है अर्थात जिसे प्रेम की महानता मालूम हो जाती है, वह महान बन सकता है ।

विशेषताएँ :

  1. इसमें सबके साथ प्रेम के साथ व्यवहार करने का सन्देश कवि दे रहे हैं। .
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

प्रश्न 3.
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब ॥
उत्तर:
कवि परिचय :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे।

भावार्थ :- कवि का कहना है कि कल का काम आज करो और आज का काम अभी करो । क्यों कि एक क्षण मे कुछ भी हो सकता है । तब यह काम हम करेंगे या नहीं, कह नही सकते ।

विशेषताएँ :-

  1. जीवन की क्षणिकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी हैं ।

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Poem 1 कबीर के दोहे

प्रश्न 4.
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजियो ग्यान ।
मोल करो तरवार का, पडी रहन दो म्यान ॥
उत्तर:
कवि परिचय :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।

भावार्थः- कवि का कहना है कि यदि कोई साधू हमें मिल जाय, तो उसकी जाति के बारे में मत पूछो । उसके ज्ञान के बारे में पूछो । जिस प्रकार तलवार को खरीदते समय उसकी म्यान को नही उसकी धार के बारे में देखना है । उसी प्रकार साधु की जाति के बारे में नहीं, उसके ज्ञान के बारे में देखना चाहिए ।

विशेषताएँ :-

  1. कवि साधु की महानता के बारे में कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

प्रश्न 5.
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप ।।
उत्तर:
कवि परिचय :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।

भावार्थ :- कवि का कहना है कि सत्य तपस्या के समान पुण्य है और झूठ पाप है । जिसके हृदय मे सत्य की भावना रहती है, उसके हृदय मे हमेशा ईश्वर निवास करता है ।

विशेषताएँ :

  1. हमेशा सत्य बोलने का सन्देश कवि दे रहे है ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

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प्रश्न 6.
दुःख मे सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय ।।
उत्तर:
कवि परिचय :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे।

भावार्थ :- कवि का कहाना है कि सभी लोग दुःख मे ईश्वर का स्मरण करते है, पर सुख में ईश्वर को भूल जाते हैं। लेकिन यदि सुख मे भी ईश्वर का स्मरण करे तो ऐसे व्यक्ति को कभी भी दुख की प्राप्ति नही होती।

विशेषताएँ :

  1. इसमें हमेशा ईश्वर के प्रति विश्वास रखने का सन्देश दे रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

एक शब्द में उत्तर

प्रश्न 1.
कबीरदास का जन्म कहा हुआ ?
उत्तर:
काशी में ।

प्रश्न 2.
कबीरदास के गुरु कौन थे ?
उत्तर:
रामानन्द

प्रश्न 3.
कबीर के माता-पिता का नाम क्या था ?
उत्तर:
नीरू तथा नीमा

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प्रश्न 4.
कबीरदास ने गुरु को किससे बढ़कर माना है ?
उत्तर:
भगवान से

प्रश्न 5.
कबीर के अनुसार साधु से किसके बारे में पूछना चाहिए ?
उत्तर:
जान के बारे में

कवि परिचय

कबीर का जन्म सन् 1398 ई और कहा जाता है कि उनका जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ । पर मृत्यु 1518 ई.मे. माना जाता है। नीरू और नीमा नामक जुलाह दम्पति ने उनका पालन पोषण किया था । उनकी पत्नी का नाम लोह तथा पुत्र कमाल तथा पुत्री कमाली रही । वे रामानन्द के शिष्य थे । उनकी भाषा सदुक्कडी मिश्रित्त भाषा कही जाती है।

कबीरदास निर्गुण भक्ति शाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा के सन्त कवि थे । बीजक, रमैनी, सबद उनकी रचनाएँ हैं। वे मूलतः समाज सुधारक और मानवता पर बल देने वाले सन्त थे। उनकी रचनाओं में जातिपांति, अंध विश्वासों का खन्डन, मूर्तिपूजा का विरोध, गुरु के प्रति गौरव भावना, रहस्यवादी भावना स्पष्ट होती है।

कठिन शब्दार्थ

1. गोविन्द = भगवान ; దేవుడు
2. दोऊ = दोनों ; ఇద్దరం
3. काके = किसके ; ఎవ్వరికి
4. लागौपॉय = चरण स्पर्श करना ; పాదాలు ముట్టుకొనుట
5. बलिहारी = बलिजाऊँ ; అంకితం
6. आपने = आप पर ; మీ మీద
7. दियो = दिया ; ఇచ్చుట
8. बताय = बतायां ; చెప్పెను
9. मोल = कीमत ; విలువ

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Poem 1 कबीर के दोहे

10. म्यान = तलवार रखने का खाचा ; కత్తిని దాచే కవచం
11. साँच = सच ; సత్యం/నిజం
12. बराबर = समान ; సమానము
13. जाके = . जिसके ; వాళ్ళది
14. हिरदै = हृदय ; మనసు
15. ताके = उसके ; ఎదుతవారికి
16. पोथी = ग्रंथ ; గ్రంధం
17. मुआ बीत गया ; జరిగిపోయినది
18. सो = जो ; అందుకే
19. होय = हो गया ; అయిపోయింది
20. सुमिरन = जाप या याद करै- करता है। గుర్తు చేసుకోవడం
21. कोय = कोई भी नहीं ; ఎవ్వరు లేరు
22. कोहे = क्यूँ ; ఎందుకు
23. होय = होगा ; అవుతుంది
24. परलै स्वर्गवास ; స్వర్గవాసం
25. होयगी = हो जायेगा ; అవుతుంది
26. बहुरि = फिर ; తరువాత

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