Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material पद्य भाग 2nd Poem रहीम के दोहे Textbook Questions and Answers, Summary.
AP Inter 1st Year Hindi Study Material 2nd Poem रहीम के दोहे
भावार्थ
प्रश्न 1.
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडो झटकाय । (Imp.)
टूटे से फिर ना जुरे, जेरे गाँठ पड जाय ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
सन्दर्भ :- इसमें कवि प्रेम की महानता के बारे में कह रहे हैं ।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि प्रेम रूपी कच्चे धागे को खींचकर मत तोडो । क्यों कि उसको फिर ठीक करना आसान नहीं है । यदि टे धागे को बाँधा भी जाय, फिर भी उसमे जोडने के गाँठ दिखाई पड़ते हैं । उसी प्रकार यदि प्रेम की भावना नही होती तो मानव सम्बन्ध भी ठीक से नही चलते ।
विशेषताए :-
- सब के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करने का सन्देश कवि देते हैं।
- उनकी भाषा व्रज भाषा है।

प्रश्न 2.
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। (Imp.)
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग ।।
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
संदर्भ :- कवि इसमें सज्जन लोगों के लक्षणों के बारे मे कह रहे है।
व्याख्या :- रहीम कहते हैं कि अच्छे स्वभाव वाले लोग बुरे लोगों के साथ मित्रता करने पर भी उनके स्वभाव मे कोई परिवर्तन नहीं होता । जैसे चंदन वृक्ष साँपों से लिपटे रहते पर भी विष व्याप्त नही करती । अपना सहज सुगन्ध को ही फैलाती है । उसी प्रकार अच्छे गुण वाले लोग बुरे लोगों से मित्रता करने पर भी अपनी सज्जनता को छोड नहीं सकते ।
विशेषताएँ :-
- सज्जन लोगों की महानता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
- उनकी भाषा व्रज भाषा हैं।
प्रश्न 3.
तरूवर फल नहीं खात है, सरवर पियहि न पान । (Imp.)
कहि रहीम परकाज हित, संपत्ति संचहि सुजान ।।
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
संदर्भ :- इसमें कवि की परोपकार की भावना स्पष्ट होती हैं।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि जिस प्रकार पेड अपना फल खुद नहीं खाते है और सरोवर अपना पानी खुद नही पीती । ये सब दूसरों के लिए फल और पानी इकट्टा करके रखते है । उसी प्रकार सज्जन लोग भी दूसरों की भलाई के लिए ही अपना धन इकट्टा करके रखते है ।
विशेषताएँ :-
- सज्जन लोगों के लक्षणों के बारे में कवि कहते है ।
- उनकी भाषा व्रज भाषा है ।
प्रश्न 4.
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करो किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे।
सन्दर्भ :- सब के साथ अच्छी तरह व्यवहार करने का सन्देश दे रहे है ।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि एक बार किसी से बात या व्यवहार बिगड-जाता है तो अनेक प्रयत्न करने पर भी उनके बीच समस्या ठीक नही होता । जिस प्रकार एक फटे दूधं को मधने से मक्कन नहीं मिलाता है उसी प्रकार बात बिगड जाने से आपस में सम्बन्धं टूट जाता है और फिर नहीं बनता।
विशेषताएँ :-
- इससे कवि मित्रता की भावना पर जोर देते हैं ।
- उनकी भाषा, व्रजभाषा है ।
प्रश्न 5.
रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गई सरग पताल ।
आपु तो कहि भीतर गयी, जूती खात कपाल ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे।
संदर्भ :- इसमें रहीम सब के साथ अच्छी तरह बातें करने की चेतावनी दे रहे हैं।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि मनुष्य की जिह्वा एक पागल जैसी है । कुछ – न – कुछ फिसलकर बुरी बात कह देती हैं। लेकिन वह भला बुरा कहकर हमारे मुंह के अन्दर चली जाती हैं। लेकिन उन बुरी बातों का फल खोपडी (सिर) को लेना पडता हैं ।
विशेषताएँ :-
- कवि इसमें व्यक्ति को सबसे अच्छी तरह व्यवहार करने का सन्देश दे रहे हैं।
- उनकी भाषा व्रज भाषा हैं ।
प्रश्न 6.
रहिमन देखि बडेन को, लघु न दीजिए डारि ।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
संदर्भ :- इसमे कवि सबको समान रूप में देखने का सन्देश दे रहे है ।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि बड़े लोगों को देखकर छोटे लोगों की उपेक्षा मत करो । जिसप्रकार कपडे सिलाने के लिए छोटी सुई की ही जरूरत होती है । वहाँ तलवार से काम नही चलता । उसी प्रकार कभीकभी छोटे लोगों से होने वाले काम बड़े लोगों से नही हो सकते ।
विशेषताएँ :-
- इसमें कवि छोटे-बडे भेदभाव को दूर करने का उद्देश दे रहे है ।
- उनकी भाषा व्रज भाषा है ।
एक शब्द में उत्तर
प्रश्न 1.
रहीम का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
अब्दुल रहीम खान खाना ।
प्रश्न 2.
रहीम किनके पुत्र थे ?
उत्तर:
मुगल सेनापति बैरम खाँ ।
प्रश्न 3.
रहीम किसके दरबारी कवि थे ?
उत्तर:
मुगल सम्राट अकबर ।
प्रश्न 4.
रहीम ने सज्जन की तुलना किससे की है ?
उत्तर:
चंदन वृक्ष से।
प्रश्न 5.
रहीम के अनुसार कौन परोपकार केलिए जीते है ?
उत्तर:
तरुवर और सरोवर, सज्जन ।
कवि परिचय
रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना थे और वे मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे । वे अपने समय के वीर योद्धा, कुशल राजनीतिज्ञ और सहृदय कवि रहे । उनका जन्म सन् 1556 ई. मे. लाहोर मे हुआ । वे तुर्की, अरबी, फारसी और संस्कृत के महान पण्डित थे । सन् 1627 ई. मे उनकी मृत्यु हुई।
दोहावली, बरवै नासिका भेद, रासपंचाध्यायी तथा मदनाष्टक उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है । उनकी भाषा व्रज भाषा है । वे श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे । उन्होंने जाति-पाँति के भेदभाव से दूर मानवता की उपासना की। उनकी रचनाओं मे भक्ति, नीति, प्रेम और वैराग्य की भावनाएँ स्पष्ट होती हैं ।
कठिन शब्दार्थ
1. बिगरी बात = बिगडी हुई बात; పాడైపోయిన మాట
2. किन = प्रयास; ప్రయత్నించడం
3. कोयं = कोई; ఎవరు.
4. फाटे = फटे हुए; చినిగిపోయిన
5. मथे = मथने पर; చిలకడం
6. होय = बनना; తయారుచేయడం
7. झटकाय = झटक कर; దులపడం
8. जुरे = जुडे; కలిసి
9. जेरे = जोडने पर; కలిపినప్పుడు
10. बावरी = पगली; పిచ్చి
11. कहि = कह कर; చెప్పిన తరువాత.
12. सरग = फिसल कर; జారిపోయిన
13. पताल = पाताल; భూమి లోపల
14. आपु = स्वयं; మనము
15. जुती = जुत्ते; చెప్పులు / బూటు
16. खात = खाने पडे; తినాల్సివచ్చింది
17. कपाल = खोपडी; పుర్రె.
18. उत्तम = श्रेष्ट; ఉత్తమమైన.
19. प्रकृति = स्वभाव; వ్యక్తిత్వం
20.. का करि = क्या करेंगी; ఏమి చేస్తున్నావు.
21. सकत = हमेशा; ప్రతిరోజు
22. कुसंग = बुरी संगत; చెడు వార్త
23. व्यापत = फैलना; వ్యాపించడం
24. लपटे = लिपटे; చుట్టుకొనడం
25. रहत = रहते; ఉండడం.
26. भुजंग = साँप; పాము.
27. देखि = देख कर; చూసి
28. बडेन = बडे; పెద్దవాళ్ళు
29. लघु = छोटे; చిన్నవాళ్ళు
30. डारि = डाल देना; పోయడం
31. आवै = आता है; వస్తున్నారు
32. कहा = क्या करै – करेंगे; చేస్తున్నాము
33. तलवारि = तलवार; కత్తి
34. तरूवर = पेड; చెట్టు.
35. खात = खाना; అన్నం
36. सरवर = सरोवर; సరస్సు
37. पियहि = पीना; త్రాగడం.
38. पान = पानी; నీరు, నీళ్ళు
39. परकाज = पराये काम के लिए; ఎదుటవారి పనికోసం
40. सम्पत्ति = धन दौलत; డబ్బు సంపద
41. संचहि = जमा करना; పొదుపు చేయడం.
42. सुजान = सज्जन; ఉత్తముడు.