AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

10th Class Hindi Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 30)

प्रश्न 1.
आवाज़ का पर्याय क्या है?
उत्तर:
आवाज़ का पर्याय है ध्वनि, बोली, स्वर, भाषा।

प्रश्न 2.
किसी प्राणी की अनोखी विशेषता बताइए।
उत्तर:
किसी प्राणी की अनोखी विशेषता उसकी भाषा है।

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प्रश्न 3.
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक है – “पशु – पक्षियों की भाषा”

InText Questions (Textbook Page No. 32)

प्रश्न 1.
भारत देश को स्वतंत्र कराने में हिंदी भाषा का क्या योगदान रहा होगा?
उत्तर:
भारत के अलग – अलग प्रांतों में अलग – अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की आवश्यकता हुई। यह काम हिंदी से ही साध्य हो सका। भारत के सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए एक भाषा की आवश्यकता होती हैं जिसे सारे भारत के वासी जानते हैं। वैसी भाषा ही हिंदी है। वह हिंदी भाषा ही उस समय भारतदेश को स्वतंत्र कराने में उनमें एकता दिलायी होगी। सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधी होगी। इस प्रकार भारत देश को स्वतंत्र कराने में हिंदी भाषा का अच्छा योगदान रहा होगा।

प्रश्न 2.
हिंदी भाषा की क्या विशेषता है?
उत्तर:

  • हिंदी संस्कृति, सभ्यता व गरिमा का प्रतीक है।
  • हिंदी करोडों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • हिंदी भाषा से सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी भाषा की आवश्यकता होती है।
  • हिंदी सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है।
  • हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।

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प्रश्न 3.
हिंदी भाषा सीखने से क्या – क्या लाभ हैं?
उत्तर:

  • हिंदी भाषा सीखने से ये लाभ मिलते हैं।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से यह भाषा जुडाती है।
  • यह भाषा हमें एकता के सूत्र में बाँधती है।।
  • मीडिया, फिल्म उद्योग, बैंक आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता बढ़ती जा रही है।
  • हिंदी भाषा से कई रोज़गार हमें मिलते हैं।
  • हिंदी से अपने भविष्य का निर्माण करने के लिए कई वेबसाइट सेवा में तत्पर हैं।
  • हम हिंदी भाषा से अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
“हिंदी विश्वभाषा है।’ इस कथन के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(या)
हिंदी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोभित है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • अब हिंदी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।
  • संसार के विविध क्षेत्रों में हिंदी करोड़ों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिज़ी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, द.अफ्रिका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कत्तर, सौदी अरब गण राज्य, श्रीलंका , अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढती ही जा रही है।
  • विदेशों में भी हिंदी की रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • भारत के अलावा अन्य देशों में भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रचार व प्रसार में जुटी हुई हैं।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्व विद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • बैंक, मीडिया, फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता दिन – ब – दिन बढ़ती ही जा रही है।
  • हिंदी नये – बये रोजगारों का प्रमुख आधार बन चुकी है। :- सारा विश्व हिंदी का महत्व जान चुका है।
  • हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हिंदी “विश्व भाषा” है।

प्रश्न 2.
‘भारत में अनेकता में एकता का प्रतीक हिंदी है।’ कैसे?
उत्तर:
भारत देश एक विशाल देश है। इसमें विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं, इस कारण इस देश में विभिन्नता बनी हुयी है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में लाने एक भाषा की आवश्यकता हुई। यह काम तो हिंदी से ही साध्य हो सका। हिंदी से हम सारे देश की पहचान अच्छी तरह कर सकते हैं। हिंदी को सभी प्रांतों के भारतवासी जानते हैं और समझ सकते हैं। हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है। हिंदी भारतीयों को जोडनेवाली भाषा बन गयी है। इससे ही भारत देश के वासियों के बीच एकता बनी हुयी है।

यह एक ही भाषा है जो सारे भारतीयों को एक सूत्र में बाँधती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत में अनेकता में एकता का प्रतीक हिंदी ही है।

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आ) पाठ के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर हाँ या नहीं में दीजिए।

प्रश्न 1.
हिंदी देश को एकता के सूत्र में बाँधती है।
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 2.
14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 3.
10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 4.
हिंदी भाषा से रोज़गार की संभावनाएँ अधिक हैं।
उत्तर:
हाँ

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इ) नीचे दिये गये वाक्य पाठ के आधार पर उचित क्रम में लिखिए।

1. भारतीय हिंदी शाब्दिक अर्थ भी कहलाती है से अपने
2. हिंदी 14 सितंबर मनाते हैं को दिवस
3. तरह इस हिंदी अंतर्राष्ट्रीय पर शोभित है स्तर
4. स्वास्थ्य ध्यान पूरा रखना का अपने
उत्तर:
1. हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।
2. 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं।.
3. इस तरह हिंदी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोभित है।
4. अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना।

ई) नीचे दिया गया विज्ञापन पढ़िए। प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
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प्रश्न 1.
यह विज्ञापन किस बैंक का है?
उत्तर:
यह विज्ञापन भारतीय स्टेट बैंक का है।

प्रश्न 2.
किस नौकरी के लिए यह विज्ञापन दिया गया है?
उत्तर:
राज भाषा अधिकारियों की (सहायक प्रबंधक – राजभाषा) भर्ती के लिए यह विज्ञापन दिया गया है।

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प्रश्न 3.
आवेदन करने से पहले वेबसाइट से अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए क्यों कहा गया होगा?
उत्तर:
आवेदन करने से पहले वेबसाइट से अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए इन निम्न लिखित कारणों से कहा गया होगा –

  • वह योग्य आवेदक है या नहीं इसे जानने के लिए जानकारी प्राप्त करने के लिए।
  • आवेदक शुल्क के विवरण जानने के लिए।
  • आवेदक की शैक्षणिक तथा सांकेतिक योग्यताओं के बारे में जानने।
  • आवेदक का आयु और अन्य विवरण जानने के लिए।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
सांस्कृतिक दृष्टि से हिंदी का क्या महत्व है?
उत्तर:
हिंदी केवल एक भाषा का नाम नहीं है। यह भारतीयों की साँसों में बसी भाषा है। यह सबकी संस्कृति, सभ्यता व गरिमा का प्रतीक है। भारत देश की संस्कृति इस भाषा में निहित है। हिन्दी के प्रमुख कवियों ने सांस्कृतिक तथा देश की एकता के लिए भी अपनी रचनाओं में ज़ोर दी।

प्रश्न 2.
हिंदी देश को जोड़नेवाली कड़ी है। इसे अपने शब्दों में सिद्ध कीजिए।
(या)
हिंदी देश को जोड़नेवाली कड़ी है। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

  • हिंदी भारतीयों की साँसों में बसी भाषा है।
  • यह सबकी संस्कृति, सभ्यता तथा गरिमा का प्रतीक है।
  • हिंदी भाषा का अपने जीवन में महत्व है।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी देश को एकता के सूत्र में बाँध दी।
  • आज हमें एक से अधिक भाषाएँ सीखना ज़रूरी है। इसलिए हिंदी का स्थान महत्वपूर्ण है।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए हिंदी की आवश्यकता होती है।
  • हिंदी को सारे भारतवासी जानते हैं।
  • हिंदी शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि हिंदी जोड़नेवाली भाषा है तोडनेवाली नहीं। हिंदी देश को जोडनेवाली कडी है।

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आ) राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से हिंदी महत्वपूर्ण भाषा है। इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • अब हिंदी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।
  • संसार के विविध क्षेत्रों में हिंदी करोड़ों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिज़ी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, द.आफ्रिका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कत्तर, सौदी अरबगणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढ़ती ही जा रही है।
  • हिंदी की साहित्य रचना में वहाँ के हिंदी साहित्यकारों का विशेष योगदान हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार करने के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • भारत के अलावा अन्य देशों में भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रचार व प्रसार में जुटी हुई हैं।
  • विश्व भर में आज करीब डेढ़ सौ विश्व विद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं। * सारा विश्व हिंदी का महत्व जान चुका है।
  • हिंदी की कई वेबसाइट भी सेवा में तत्पर हैं।
  • हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं।

इसलिए हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से हिंदी महत्त्वपूर्ण भाषा है।

इ) ‘हिंदी भाषा’ पर एक छोटा सा निबंध लिखिए।
उत्तर:
हिंदी केवल एक भाषा का नाम नहीं हैं। यह भारतीयों की साँसों में बसी भाषा है। यह सबकी संस्कृति, सभ्यता व गरिमा का प्रतीक है। गाँधीजी ने अपना जीवन देश की स्वतंत्रता के साथ – साथ हिंदी की सेवा में समर्पित कर दिया था।

भारतीय स्वतंत्र संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए हिंदी की आवश्यकता हुई। हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं। हमें भारत के सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए हिंदी भाषा की आवश्यकता होती है। इसे सारे भारत के वासी जानते हैं। हिंदी सारे भारतीयों को एकता को सूत्र में बाँधती है। हिंदी शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।

इसलिए देश की वर्तमान और भविष्य की परिस्थितियों को दृष्टि में रखकर भारतीय संविधान ने अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में गौरवान्वित किया है। तब से हम हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं।

आज कल भारत के अलावा विश्व भर कई देशों में हिंदी की माँग बढ़ती जा रही है। अन्य देशों में भी हिंदी के प्रचार व प्रसार में कई संस्थाएँ जुटी हुई हैं। हिंदी की सेवा में कई वेबसाइट भी तत्पर हैं। 10 जनवरी को हर वर्ष विश्व हिंदी दिवस के रूप में सारी दुनिया मनाती है।

हिंदी राष्ट्र भाषा के साथ – साथ राज भाषा भी होने के कारण भारत देश के सारे काम काज हिंदी में ही हो रहे हैं।

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ई) मनोरंजन की दुनिया में हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मानव शारीरिक या मानसिक रूप से काम करके थक जाता है। तब उसे मनोरंजन की ज़रूरत होती है। वैसे तो मनोरंजन से शारीरिक नस ढीली पढती है। इससे फिर से शक्ति एकत्रित होकर नव उल्लास व चेतनता का संचार होता है। खेलकूद, सिनेमा, रेडियो, भ्रमण, पुस्तक – पठन दूरदर्शन आदि अनेक साधनों से मनोरंजन होता है।

संसार के अधिक लोगों द्वारा बोली जानेवाली भाषाओं में हिंदी का दूसरा स्थान है। इस तरह हिंदी मनोरंजक साधनों को प्रमुख भाषा भी हुई है। हमारे भारत में अधिकतर फ़िल्में हिन्दी में ही बन रही हैं। ये फ़िल्में देश विदेशों में प्रदर्शित हो रही हैं। इससे कई लोग मनोरंजन के साथ हिंदी भी सीखते हैं। रेडियो, एफ. एम रेडियो, मोबाइल फ़ोन, आइ – पॉड आदि से अनेक कार्यक्रम हिंदी में प्रसारित हो रहे हैं। दूरदर्शन के ज़रिये अधिकतर कार्यक्रम हिन्दी में ही प्रसारित हो रहे हैं। इनसे हिंदी जानने और सीखनेवाले मनोरंजन पा रहे हैं। कई नेटवर्क के चानलों का प्रसार भी तीव्रगति से हो रहा है।

राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले खेलकूदों की टीका – टिप्पणी भी अधिकतर हिंदी में ही होने लगी है। बिना किसी रुकावट के सारे भारत में पर्यटन कर सकते हैं।

इस तरह मनोरंजन की दुनिया में हिंदी का महत्व आज सशक्त और प्रशंसनीय रहा है।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
भाषा, समाधान, संकल्प (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग

  1. भाषा – आंध्र प्रदेश में तेलुगु भाषा बोली जाती है।
  2. समाधान – अध्यापक छात्र जिज्ञासा का समाधान दे रहे हैं।
  3. संकल्प – मन में यदि संकल्प करें तो हम हर काम आसानी से कर सकेंगे।

पर्याय शब्द

  1. भाषा – बोली, वाणी
  2. समाधान – उत्तर, जवाब
  3. संकल्प – निर्णय, दृढ निश्चय

प्रश्न 2.
एकता, स्वदेश, प्राचीन (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द

  1. एकता × अनेकता
  2. स्वदेश × विदेश/परदेश
  3. प्राचीन × नवीन/नया, अर्वाचीन

वाक्य प्रयोग

  1. एकता : भारत देश में अनेकता में एकता का दर्शन होता है।
  2. स्वदेश : हमें स्वदेश में रहने से जितना आनंद मिलेगा उतना विदेश में नहीं मिलेगा।
  3. प्राचीन : हमारा भारत प्राचीन और नवीन विशाल देश है।

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प्रश्न 3.
परीक्षा, संस्था, दिशा (एक – एक शब्द का वचन बदलिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
वचन

  1. परीक्षा – परीक्षाएँ
  2. संस्था – संस्थाएँ
  3. दिशा – दिशाएँ

वाक्य प्रयोग

  1. परीक्षा – अंतिम परीक्षाओं में भी हमें सफलता मिली।
  2. संस्था – आज देश में अनेक संस्थाएँ खोली जा रही हैं।
  3. दिशा – दुनिया के चारों दिशाओं के समाचार हमें समाचार पत्रों के द्वारा मिलते हैं।

आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

1. सकुशल, अनुक्रम, अनुचित (उपसर्ग पहचानिए।)

  1. सकुशल – स
  2. अनुक्रम – अनु
  3. अनुचित – अन

2. वार्षिक, खुशी, भारतीय (प्रत्यय पहचानिए।)

  1. वार्षिक – इक
  2. खुशी – ई
  3. भारतीय – ईय

प्रश्न 3.
देश को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की आवश्यकता हुई। (कारक पहचानिए।)
उत्तर:
इस वाक्य में, को, के, में, के लिए, की कारक हैं।

इ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
सलाह, सरकार, संविधान, संस्कृति, समाधान (लिंग की पहचान कीजिए।)
उत्तर:

  1. सलाह – स्त्रीलिंग
  2. सरकार – स्त्रीलिंग
  3. सवधिान – पुंलिंग
  4. संस्कृति – स्त्रीलिंग
  5. समाधान – पुंलिंग

प्रश्न 2.
जो विश्व के सभी देशों से जुड़ा हो। (एक शब्द में लिखिए।)
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय/वैश्वीकरण

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प्रश्न 3.
अद्वितीय (अनेक शब्दों में लिखिए।)
उत्तर:
जिसके समान कोई दूसरा न हो

ई) नीचे दिये गये वाक्य रचना की दृष्टि से समझिए।
1. मुझे पूरा विश्वास है कि तुम हिंदी से अपना भविष्य बनाओगे।
2. जो जानकारी दी गयी है उसे समझिए।
3. तुमने पूछा कि हिंदी का क्या महत्व है?
उत्तर:
i) ये तीन वाक्य मिश्रित वाक्य है।
ii) यहाँ सरल वाक्य के साथ उपवाक्य का मेल हुआ है।
iii) सरल वाक्य के साथ किसी आश्रित वाक्य का मेल होता उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।

परियोजना कार्य

इस पुस्तक के पहले पाठ से पाँचवें पाठ तक आये चित्रों में अपने मनपसंद चित्र का चयन कीजिए और उसके बारे में पाँच वाक्य लिखिए। उसका प्रदर्शन कक्षा में कीजिए।
उत्तर:
मेरा मनपसंद चित्र चौथा पाठ “कण – कण का अधिकारी” नामक कविता पाठ का है। मैं इसे यहाँ पेश कर रहा हूँ।
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इस चित्र के बारे में पाँच वाक्य :

  • इस चित्र के द्वारा श्रम के महत्व के बारे में हमें मालूम होता है।
  • इस चित्र में एक व्यक्ति कोयले के खान में काम करनेवाला है।
  • इस चित्र में एक किसान का चित्र भी अंकित किया गया है जो खेतीबारी से संबंधित हल को भुजा पर धारण किया हुआ है।
  • एक व्यक्ति के हाथ में एक हथौड़ा है। जो लोहे का है। जिससे लुहारों के कठिन श्रम हमें मालूम होता है। एक आदमी के हाथ में खंता है। वह खंते से जमीन खोद रहा है।
  • एक स्त्री के कंधे पर घास का बोझा है और उसके एक हाथ में हँसिया है।
  • एक स्त्री के सिर पर सिमेंट (चूने) का थाला है। – इस चित्र में श्रमिकों से बनाया गया एक बाँध भी है।
  • इन सारे चित्रों से हमें श्रम का महत्व मालूम हो रहा है।
  • सच हैं श्रमिक ही कण – कण का अधिकारी है। श्रम जीवन ही सौंदर्य जीवन है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Summary in English

Hyderabad,
8-9 – 2014.

Dear friend,
How are you? I hope you and all of your family members are safe. I feel very glad when I came to know that you were participating in various programmes regarding Hindi.
In your letter you wanted me to write the greatness of the Hindi language in our life. I am going to answer in this letter.

During the freedom movement, we were in need of a language for the integrity of the whole country. It was possible with the Hindi language. Nowadays, we should learn more than one language. Of these, Hindi and English are of great importance. We can identify India to a great extent through the Hindi language. Different languages are spoken in different regions of India.

We are in need of a language to have connectivity with all other regions of India. That language should be acquainted with every Indian. That language is nothing but Hindi. It binds all Indians with the doctrine of unity. Even we observe Hindi in its literal meaning, it is called an Indian language. Hence, taking all these into consideration, the article 343(1) in the Indian Constitution declared Hindi as our national language on 14 September 1949. Since then we have been celebrating 14 September as Hindi Day.

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Nowadays besides in India, there is growing concern about Hindi in the countries such as Bangladesh, Nepal, Myanmar, Bhutan, Fizi, Gayana, Surinam, Trinidad & Tobago, South Africa, Bahrain, Kuwait, Onam, Qatar. Saudi Arabia, Sri Lanka, America, England, Germany, Japan, Mauritius, Australia etc. In foreign countries too, works of literature are being done in Hindi. In those works, the native writers are also playing a significant role. What is the matter of pride is that those foreigners are learning to negotiate with the Indian in foreign countries. In this way passion towards Hindi is growing. So many organizations are taking part in the publicity and the transmission of Hindi not only in India but also in other countries. In this regard, the ser oradora rawatan varausta vices of central Hindi Organization are worth mentioned. Nowadays more than 1500 universities are offering courses concerning Hindi throughout world. The significance of Hindi is increasing in the fields of banking media, film industry etc. Thus, today Hindi became a main source for many new occupations. The web sites such as www. rajbhasha .nic. in, www. ildc .gov.in, www. bhashaindia. com, www. ssc. nic.in, www. parliamentofindia. nic. in,www. ibps. in,www.khsindia.org, www.hindinideshalaya.nic. in etc., are committed to render their services to those who desire to build their future with Hindi. Knowing the magnificience of Hindi, the whole world is celebrating 10 January every year as Universal Hindi Day. It is a matter of pride to us. In this way, Hindi is glittering on the international platform.

You asked my advice in choosing Hindi as second language to continue your studies. We are well aware of the glory of Hindi nationally as well as internationally. We can build our bright future through this Hindi language. Therefore, choosing Hindi alone as first language or second language is advantageous to you for your further studies. I fondly hope that you having connectivity with Hindi, would illuminate the name of our country at international level.

Convey my regards to the elders at your home. Take care of your health.

Your loving friend,
Basheer Ahmed

Address
To
S. Abhinav Kumar,
10th class,
AP Model School,
Velidanda,
Mahaboobnagar – 509 360.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Summary in Telugu

హైదరాబాద్,
8-9-2014.
ప్రియమైన మిత్రమా,

నీవు ఎలా ఉన్నావు? నీవు నీ కుటుంబ సభ్యులందరూ క్షేమంగా ఉన్నారని ఆశిస్తున్నా. నీవు హిందీకి సంబంధించి వివిధ కార్యక్రమాలలో పాల్గొనుచున్నావని తెలిసి చాలా సంతోషించితిని.

నీవు, నీవు వ్రాసిన ఉత్తరంలో మన జీవితంలో హిందీ భాష గొప్పతనం ఏమిటో తెలిసిగొన కోరితివి. దానికి నేను సమాధానం ఈ ఉత్తరంలో తెలియజేయుచున్నాను.

భారతదేశ స్వాతంత్ర్య సంగ్రామంలో దేశం మొత్తాన్ని ఐకమత్యంగా ఉంచడానికి ఒక భాష అవసరమైనది. హిందీ భాషతో ఆ పని సాధ్యమైనది. ఈ రోజు మనం ఒకటి కంటే ఎక్కువ భాషలను నేర్చుకొనవలసియున్నది. వీటిలో హిందీ మరియు ఆంగ్ల భాషల స్థానము ప్రాధాన్యత గొన్నవి. హిందీ భాష ద్వారా మనందరము భారతదేశమును బాగా గుర్తించగలిగెదము. భారతదేశంలో వివిధ ప్రాంతాలలో వివిధ భాషలు మాట్లాడబడుచున్నవి.

మనం భారతదేశంలోని అన్ని ప్రాంతాలతో సంబంధంను కలిగి యుండుటకు ఒక భాష అవసరమైయున్నది. ఆ భాష భారతీయులందరికీ తెలిసినదై యుండవలెను. ఆ భాషయే హిందీ భాష. ఆ భాష (హిందీ) భారతీయులందర్నీ . ఐక్యతా సూత్రంలో బంధిస్తుంది. హిందీని శాబ్దిక అర్థంతో పరిశీలించినా అది భారతీయ భాష అని పిలువబడును. అందువలన దేశంలోని వర్తమాన, భవిష్యత్ పరిస్థితులను దృష్టిలో పెట్టుకుని భారతీయ రాజ్యాంగంలోని అనుచ్ఛేదం 343 (1) ఆధారంగా హిందీ భాషను 14 సెప్టెంబర్ 1949 సం||లో “రాజ భాష” (అధికార భాష) గా ప్రకటించి గౌరవించడమైనది. అప్పటి నుండి మనం ప్రతి సంవత్సరం 14 సెప్టెంబర్ ను. హిందీ దినంగా జరుపుకుంటున్నాం.

ఈ రోజున భారతదేశంలోనే కాక బంగ్లాదేశ్, నేపాల్, మయన్మార్, భూటాన్, ఫిజీ, గయానా, సూరినామ్, ట్రినిటాడ్ & టుబేగో, ద.ఆఫ్రికా, బహరైన్, కువైట్, ఒమన్, కతార్, సౌదీ అరేబియా, శ్రీలంక, అమెరికా, ఇంగ్లాండ్, జర్మనీ, జపాన్, మారిశస్, ఆస్ట్రేలియా మొదలగు దేశాలలో హిందీపై మక్కువ పెరుగుచున్నది. విదేశాలలో కూడా హిందీలో రచనలు జరుగుచున్నవి. ఆ రచనలలో అక్కడి సాహిత్యకారుల విశేష పాత్ర కూడా ఉన్నది. మనందరికీ గర్వకారణమైన విషయం ఏమిటంటే విదేశాలలోని భారతీయులతో పరస్పర వ్యవహారాల కోసం అక్కడి విదేశీయులు హిందీ నేర్చుకుంటున్నారు. ఈ విధంగా హిందీపై అభిరుచి ప్రపంచ వ్యాప్తంగా పెరిగిపోతూ ఉన్నది. అందువలన భారతదేశంలోనే కాక అన్య ఇతర దేశాలలో కూడా ఎన్నో సంస్థలు హిందీ ప్రచారం మరియు ప్రసారంలో పాలుపంచుకొనుచున్నవి. దీనిలో కేంద్రీయ హిందీ సంస్థాన్ వారి సేవలు కూడా మహత్య పూర్ణమైనవి. ఈ రోజు ప్రపంచ వ్యాప్తంగా దాదాపు 1500 పైగా విశ్వవిద్యాలయాలు హిందీకి సంబంధించిన కోర్సులను నిర్వహించుచున్నవి. బ్యాంకులు, మీడియా, ఫిల్మ్ ఇండస్ట్రీస్ మొదలగు రంగాలలో కూడా హిందీ ఆవశ్యకత (ఉపయోగం) రోజు రోజుకూ పెరిగిపోతూనే ఉంది. ఈ విధంగా ఈ రోజు హిందీ కొత్త కొత్త జీవన వృత్తులకు ప్రధాన భూమిక (ఆధారం) అయినది. హిందీతో తమ భవిష్యతను నిర్మించుకొనువారికి www. rajbhasha .nic. in., www. ildc.gov.in, www. bhashaindia. com, www. ssc. nic.in, www. parliamentofindia.nic. in,www. ibps. in,www.khsindia.org, www.hindinide shalaya.nic.in మొదలగు వెబ్ సైట్లు హిందీ సేవలో తత్పరత కలిగియున్నవి. మనందరికీ గర్వకారక విషయం ఏమిటంటే ప్రపంచం అంతా హిందీ గొప్పతనాన్ని తెలిసికొని ప్రతి సం||రం జనవరి 10వ తారీఖును విశ్వహిందీ దినోత్సవంగా జరుపుకొనుచున్నది. ఈ విధంగా హిందీ అంతర్జాతీయ వేదికపై కూడా శోభిల్లుచున్నది.

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అవును, నీవు నీ చదువును కొనసాగించుటకు రెండవ భాషగా హిందీని ఎంపిక చేసికొను విషయంలో సలహా అడిగితివి. మనం జాతీయంగా, అంతర్జాతీయంగా హిందీ మహత్యాన్ని తెలిసికొనియున్నాము. మనం ఈ హిందీ భాష ద్వారా మన ఉజ్వల భవిష్యత్ ను నిర్మించుకొనవచ్చు. అందువలన నీవు నీ ముందలి చదువు కోసం ప్రథమ భాష లేదా ద్వితీయ భాషగా హిందీని ఎంపిక చేసుకొనడమే లాభదాయకము. నీవు హిందీతో సంబంధాన్ని కలిగియుండి అంతర్జాతీయ స్థాయిలో మన దేశ పేరును ప్రకాశింపజేస్తావని నాకు పూర్తి నమ్మకం ఉన్నది.

ఇంటిలోని పెద్దలకు నా నమస్కారములు తెలియజేయుము. నీ ఆరోగ్యం పట్ల పూర్తి జాగ్రత్త వహించవలెను.
నీ ప్రియ మిత్రుడు,
బశీర్ అహ్మద్

చిరునామా :
శ్రీ.యస్. అభినవ్ కుమార్,
10వ తరగతి,
ఏ.పీ. మోడల్ స్కూల్, వెలిదండ,
మహబూబ్ నగర్ – 509360.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से हिन्दी का क्या महत्व है?
उत्तर:
भारत के स्वतंत्र संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने का पवित्र कार्य हिन्दी भाषा के द्वारा ही साध्य हो सका। विभिन्न भाषाएँ बोलनेवाले, विभन्नि प्रान्तों के लगों को जोड़ने का पावन काम हिन्दी ही करती है। भारतीय भाषा, आसान भाषा और राष्ट्रीय भाषा होने के कारण जनता की भाषा बनकर सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है। ।

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प्रश्न 2.
हिंदी राजभाषा के रूप में कब गौरवान्वित हुई?
(या)
हिंदी को राजभाषा के रूप में कब गौरवान्वित किया है? क्यों?
उत्तर:
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने अनुचछेद 343 (1) के तहत, हिंदी को राजभाषा के रूप में गौरवान्वित किया। इसका कारण ये हैं कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सुत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की आवश्यकता हुई। जिसे सारे भारत के वासी जानते हैं। वैसे भाषा हिंदी, हिंदी अपने शब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती हैं।

प्रश्न 3.
“भारत में अनेक भाषाएँ हैं, फिर भी हिंदी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला” – क्यों?
उत्तर:
भारत विशाल देश है। भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत में हिन्दी बोलनेवालों की संख्या अधिक है। हिन्दी सबको जोड़ने का काम करती है। भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधने में हिन्दी सक्षम है। इसीलिए हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा मिली।

प्रश्न 4.
हिंदी भाषा से रोजगार की संभावनाएँ अधिक हैं। कैसे ?
उत्तर:

  • हिंदी भाषी से रोजगार की संभावनाएँ अधिक हैं।
  • बैंक, मीडिया, फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता बढ़ रही है।
  • शिक्षा के क्षेत्र में भी रोजगार संबंधी हिंदी का प्रचार और प्रसार बढ़ रहा है।

प्रश्न 5.
बशीर अहमद ने अपने मित्र को आगे की पढ़ाई के लिए हिन्दी के संबंध में क्या सलाह दी?
उत्तर:
बशीर अहमद ने अपने मित्र को आगे की पढ़ाई के लिए हिंदी के संबंध में यह सलाह दी कि अल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का महत्वपूर्ण स्थान है। हम इससे अपने उच्चत भविच का निर्माण कर सकते हैं। इसलिए आगे की पढ़ाई के लिए प्रथम भाषा हो या द्वितीय भाषा, हिंदी का चयन करना ही लाभदायक है।

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प्रश्न 6.
भारत के अलावा किन – किन देशों में हिंदी की मांग बढ़ रही है?
उत्तर:
भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, स्यांमार, भूटान, फिनी, मुकना, सूरीनाम, त्रिनिटाड एवं टुवेगो, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सौदी अरब गणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी,
जापान, मारिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की मांग बढ़ रही है ।

प्रश्न 7.
हिंदी की उपयोगिता किन – किन क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है?
उत्तर:

  • हिंदी की उपयोगिता बैंक, मीडिया, फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है ।
  • हिंदी आज नये – नये रोजगारों का प्रमुख आधार बन चुकी है।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
हिंदी अनेकता में एकता को दर्शानेवाली भाषा है । अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • हिंदी अनेकता में एकता को दर्शानेवाली भाषा है।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने हिंदी भाषा की ही आवश्यकता हुयी।
  • हिंदी से ही हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी की ही आवश्यकता है । क्योंकि हिंदी ही भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है।
  • भारत में विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं । इसलिए इस देश में विभिन्नता है । इस
    विभिन्नता को दूर करके उसमें एकता लानेवाली भाषा हिंदी ही है ।
  • भारत में हिंदी बोलनेवालों की संख्या अधिक है । इसलिए हिंदी एकता को बढ़ानेवाली भाषा है ।
  • हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है ।

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प्रश्न 2.
एक से अधिक भाषाएँ सीखने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:

  • एक से अधिक भाषाएँ सीखने से हमें ये लाभ मिलते हैं
  • हमें सारे प्रांतों की पहचान अच्छी तरह होती है ।
  • सभी प्रांतों से हम जुड़ सकते हैं।
  • उद्योग धंधे, और जीविका के लिए अधिक भाषाओं की जानकारी की आवश्यकता है।
  • देश तथा विदेश भर में घूमने के लिए विविध भाषाओं की ज्ञान की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
भारत में हिंदी का प्रचार किन – किन संस्थाओं के द्वारा हो रहा है?
उत्तर:

  • भारत में हिंदी का प्रचार करने के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के नाम से आंध्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु आदि राज्यों में संस्थाएँ कार्यरत हैं।
  • इसके अलावा केंद्रीय हिंदी संस्थान हिंदी का प्रसार एवं प्रचार में योगदान दे रहा है ।
  • इनके अलावा अनेक वेबसाइट हिंदी की सेवा में तत्पर हैं – जिनमें मुख्य हैं – www. rajbasha. nic.in, www.basha india. com, www. ssc. nic.in आदी ।

प्रश्न 4.
भारत में हिंदी दिवस क्यों मनाया जा रहा है?
उत्तर:

  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने हिंदी भाषा की ही आवश्यकता हुयी।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं ।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी की आवश्यकता है।
  • देश के वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर भारतीय संविधान ने अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राज भाषा के रूप में गौरवान्वित किया है ।
  • इस कारण हम तब से हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस भारत में मनाते आ रहे हैं ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है। अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

  • स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • भारत देश अनेक छोटे – छोटे राज्यों में विभाजित था।
  • भारत को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की ज़रूरत थी।
  • स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के आंदोलन चलाये गये।
  • देश को आपस में जोड़ने के लिए एक कड़ी की ज़रूरत है।
  • उनमें हिंदी की भूमिका महान है।
  • देश के विविध प्रांतों के लोगों को मिलाने में हिंदी का स्थान महत्वपूर्ण रह्या

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प्रश्न 2.
अब हिन्दी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है। इस कथन पर अपने विचार बताइए।
(या)
आज हिंदी भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है। अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • आज हिंदी केवल राष्ट्र भाषा ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में अवतरित हुयी।
  • इसलिए आजकल हिंदी विश्व भाषा है ।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमन, कतर, सौदी अरब गणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की मांग बढ़ती ही जा रही है।
  • विदेशों में भी हिंदी में रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • विदेशी हिंदी साहित्यकारों का योगदान भी मिल रहा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रसार एवं प्रचार में जुटी हुई हैं।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्वविद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • सारे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिक्स मनाया जाता है।

इसलिए कह सकते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व अधिक है। उपर्युक्त इन सभी विषयों से हम कह सकते हैं कि आज हिंदी भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।

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प्रश्न 3.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी की उन्नति व प्रगति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। इसकी गौरवशाली परंपरा है। भारत की राष्ट्र भाषा बनने का सौभाग्य हिंदी को ही मिला है। यह सबकी संस्कृति, सभ्यता का गरिमा का प्रतीक है।

  • अब हिंदी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।
  • संसार के विविध क्षेत्रों में हिंदी करोड़ों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं दुबेगो, द.अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कत्तर, सौदी अरब गण राज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढ़ती ही जा रही है। विदेशों में भी हिंदी की रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • इसमें वहाँ के साहित्यकारों का भी योगदान है। : विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • भारत के अलावा अन्य देशों में भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रचार व प्रसार में जुटी हुई हैं।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्व विद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • बैंक, मीडिया. फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता दिन – ब – दिन बढ़ती ही जा रही है।
  • हिंदी नये – नये रोजगारों का प्रमुख आधार बन चुकी है।
  • सारा विश्व हिंदी का महत्त्व जान चुका है। – हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हिंदी “विश्व

प्रश्न 4.
‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का क्या महत्व है?
उत्तर:

  • आज हिंदी केवल राष्ट्र भाषा ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में अवतरित हुयी।
  • इसलिए आजकल हिंदी विश्व भाषा है ।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमन, कत्तर, सौदी अरब गणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढ़ती ही जा रही है।
  • विदेशों में भी हिंदी में रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं ।
  • विदेशी हिंदी साहित्यकारों का योगदान भी मिल रहा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रसार एवं प्रचार में जुटी हुई हैं ।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्वविद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • सारे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है ।

इसलिए कह सकते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व अधिक है।

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प्रश्न 5.
भारत के सभी प्रांतों को जोड़ने में हिंदी की क्या भूमिका है?
उत्तर:

  • हिंदी दिलों को जोडनेवाली भाषा है, तोडनेवाली नहीं ।
  • भारत देश के कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है।
  • भारत देश में हिंदी बोलने वालों की संख्या अधिक है।
  • अर्थात् देश भर में कई करोड़ों लोग हिंदी को अच्छी तरह बोल एवं जान सकते हैं ।
  • स्वतंत्रता संग्राम में भी हिंदी भाषा देश को एकता के सूत्र में बाँधी ।
  • आज हमें एक से अधिक भाषाएँ सीखना ज़रूरी है।
  • जिनमें हिंदी का योगदान ही अधिक है।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • भारत के अलग – अलग प्रांतों में अलग – अलग भाषाएँ बोली जाती हैं।
  • इसलिए हमें सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए हिंदी भाषा की ही आवश्यकता है ।

प्रश्न 6.
‘हिंदी को भारत की राज भाषा का दर्जा दिया गया । क्यों?
उत्तर:

  • हिंदी दिलों को जोडनेवाली भाषा है, तोडनेवाली नहीं ।
  • भारत देश के कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है ।
  • भारत देश में हिंदी बोलने वालों की संख्या अधिक है।
  • अर्थात् देश भर में कई करोडों लोग हिंदी को अच्छी तरह बोल एवं जान सकते हैं |
  • स्वतंत्रता संग्राम में भी हिंदी भाषा देश को एकता के सूत्र में बाँधी ।
  • आज हमें एक से अधिक भाषाएँ सीखना ज़रूरी है।
  • जिनमें हिंदी का योगदान ही अधिक है।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • भारत के अलग – अलग प्रांतों में अलग – अलग भाषाएँ बोली जाती हैं।
  • हमें सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी भाषा की ही आवश्यकता है ।
    इसलिए हिंदी को भारत की राज भाषा का दर्जा दिया गया ।

प्रश्न 7.
भारत की एकता को बनाये रखने की शक्ति हिंदी में हैं – अपने शब्दों में लिखिए ।
(या)
भारत की एकता को बनाये रखने में हिंदी का स्थान महत्वपूर्ण है। समझाइए।
उत्तर:

  • भारत की एकता को बनाये रखने की शक्ति हिंदी में ही है।
  • इस प्रकार कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है ।
  • हिंदी भाषा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधी ।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं ।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी का ही विशेष महत्व एवं भूमिका है।
  • हिंदी सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है ।
  • हिंदी अपनी शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।
  • भारत देश में विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं ।
  • इसलिए भारत देश में विभिन्नता है।
  • हिंदी भाषा इस विभिन्नता में एकता लाती है ।
  • क्योंकि देश में हिंदी बोलनेवालों की संख्या अधिक है ।
  • हिंदी.दिलों को जोड़ने वाली भाषा है, तोडने वाली नहीं ।

इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत की एकता को बनाये रखने की शक्ति हिंदी में है।

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प्रश्न 8.
अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की मांग बढ़ रही है । इसके क्या कारण हैं?
उत्तर:

  • आज भारत के अलावा कई देशों में अर्थात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की माँग बढ़ रही है । इसके ये कारण बता सकेंगे
  • अन्य देशों में भी हिंदी में रचनाएँ लिखी जा रही हैं जिसमें वहाँ के साहित्यकारों का भी विशेष योगदान
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार करने के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • आज हिंदी विश्व भाषा रूप में अवतरित होने के कारण भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की मांग बढ़ रही है।
  • आजकल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में उद्योग धंधे अधिक मिलने के कारण भी आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की मांग बढ़ रही है ।
  • हिंदी आसानी से सीखी जानेवाली भाषा है।
  • इस कारण से भी हिंदी की माँग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।

 

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 5 लोकगीत Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

10th Class Hindi Chapter 5 लोकगीत Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 23)

प्रश्न 1.
हाथों में क्या रचनेवाली है?
उत्तर:
हाथों में मेहंदी रचनेवाली है।

प्रश्न 2.
इस तरह के गीतों को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
इस तरह के गीतों को लोकगीत कहा जाता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 3.
किन – किन संदर्भो में लोकगीत गाये जाते हैं?
उत्तर:
त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये लोकगीत गाये जाते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 24)

प्रश्न 1.
लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत विशिष्ट स्थान रखते हैं। मनोरंजन की दुनिया में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। देहाती क्षेत्रों में ये अधिक गाये जाते हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये घर, गाँव, और नगर की जनता के गीत हैं। ये त्यौहारों और विशेष अवसरों पर गाये जाते हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती । इनके रचनेवाले गाँव के आम पुरुष व महिलाएँ होती हैं। लोकगीत की भाषा जनभाषा है। इन्हें साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाया जाता है।

प्रश्न 2.
लोकगीत और संगीत का क्या संबंध है?
उत्तर:
लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती, जब कि शास्त्रीय संगीत में अधिक साधना की जरूरत होती है। संगीत की भाषा साहित्यक होती है जब कि लोकगीत की भाषा जन भाषा है। लोकगीत बाजों की मदद के बिना ही ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 3.
‘पहाड़ी’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पहाडी क्षेत्रों में रहनेवाली पिछडी जातियों को ‘पहाडी’ कहा जाता है। पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। उनके अपने – अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमि है। गढ़वाला, किन्नौर, काँगडा आदि पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। इन्हें गाने की अपनी – अपनी विधियाँ हैं। उनका अलग नाम ही “पहाडी” कहा जाता है।

InText Questions (Textbook Page No. 25)

प्रश्न 4.
वास्तविक लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देहाती की जनता से है। इनमें बडी जान होती हैं। ये गीत अधिकतर दैनिक जीवन की घटनाओं पर आधारित होते हैं। ये ग्रामीण बोलियों में गाये जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। माहिया, हीर – रांझा, सोहनी महीवाल संबंधी गीत पंजाब के हैं। ढोलामारु आदि राजस्थान के हैं। ये सब लोकगीत बड़े चाव से गाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
बारहमासा लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बारहमासा लोकगीत तो बारह मासों से संबंधित हैं। इन लोकगीतों में बारह मासों से संबंधित प्रकृति वर्णन के बारे में गीत गाये जाते हैं। जिनमें प्राकृतिक विशेषताओं और महत्व का वर्णन किया जाता है।

प्रश्न 6.
“बिदेसिया’ लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भोजपुरी में करीब तीस – चालीस बरसों बिदेसिया का प्रचार हुआ है। गानेवालों में अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं। बिहार में बिदेसिया से बढ़कर दूसरे गाने लोकप्रिय नहीं है। इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। परदेशी प्रेमी की और इनसे करुणा और विरह का रस बरसता है।

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प्रश्न 7.
स्त्रियों के लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के लोकगीत अनंत संख्या में होते हैं। इनका संबंध स्त्रियों से है। इन्हें अधिकतर स्त्रियाँ ही लिखती और गाती हैं। ये गीत ढोलक की मदद से गाती हैं। गाने के साथ नाच का भी पुट होता है।

प्रश्न 8.
लोकगीत किसके प्रतीक हैं?
उत्तर:
लोकगीत हमारी संस्कृति तथा सभ्यता के प्रतीक हैं। आनंद और उल्लास के प्रतीक हैं। लोकगीत उद्दाम जीवन के ही गाँवों के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं। ये त्यौहारों के भी प्रतीक हैं। समस्त मानव जीवन के प्रतीक हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
लोकगीत ग्रामीण जनता का मनोरंजक साधन है। कैसे?
(या)
ग्रामीण जनता के मनोरंजन का साधन लोकगीत है। इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “लोकगीत”
निबन्धकार का नाम : “श्री भगवतशरण उपाध्याय” है

  • लोकगीत लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। ये जनता के संगीत है।
  • ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं।
  • इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
  • इनकी रचना करनेवाले भी ज़्यादातर गाँव के लोग हैं।
  • स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है।
  • लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं।
  • इनका सम्बन्ध देहात की जनता से है।
  • इनकी रचना करनेवाले अपने गीतों के विषय रोज़मर्रा के जीवन से लेते हैं।
  • लोकगीतों की भाषा गाँवों और इलाकों की बोलियों से संबंधित है।
  • ये ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी की मदद से गाये जाते हैं।
  • ये लोकगीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रसिद्ध हैं।
  • इसके आधार पर हम कह सकते हैं कि ग्रामीण जनता के मनोरंजन का साधन लोकगीत है।

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प्रश्न 2.
हिंदी या अपनी मातृभाषा का कोई लोकगीत सुनाइए।
उत्तर:
मेरी मात्रु भाषा तेलुगु होने के कारण मैं तेलुगु का लोकगीत लिख रहा हूँ।

“కోడలా కోడలా కొడుకు పెళ్ళామా
పచ్చిపాల మీద మీగడలేవి ?
వేడిపాల మీద వెన్నల్లు యేవి ?
నూనె ముంతల మీద నురగల్లు యేవి ?”
“అత్తరో ఓయత్త ఆరళ్ళు అత్త
పచ్చిపాల మీద మీగడుంటుందా ?
వేడిపాల మీద వెన్నలుంటాయా ?
నూనె ముంతల మీద నురగల్లు ఉంటాయా?”
ఇరుగు పొరుగులారా ఓ చెలియలార
అత్తగారి ఆరళ్ళు చిత్తగించరా ?
పెత్తనం లాగేస్తే పేచీలు పోను
ఆరళ్ళ అతయిన సవతి పోరయిన
తల్లిల్లు దూరమైన భరియించలేము.”
కోడలా కోడలా కొడుకు పెళ్ళామా |
కోడుకు ఊళ్ళో లేడు మల్లిరిక్కడివి?
“గంపంత మట్చేసి గాలి విసిరింది. ఈ
కొల్లలుగ మల్లెలు కొప్పులో రాలి.

आ) वाक्य उचित क्रम में लिखिए।

1. लोकगीत हैं संगीत सीधे जनता के।
2. वास्तव में प्रकार हैं अनंत के गीतों के गाँव।
3. मदद ढोलक की से स्त्रियाँ हैं गाती।
उत्तर:
1. लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं।
2. गाँव के गीतों के वास्तव में अनंत प्रकार हैं।
3. स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं।

इ) दिया गया गद्यांश पढ़िए और इसके मुख्य शब्द पहचानकर लिखिए।

गाँव के गीतों के वास्तव में अनंत प्रकार हैं। जीवन जहाँ इठला – इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्त्रोतों की कमी हो सकती है? उददाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं।

जैसे : गीत
…………………..
…………………..
उत्तर:
जीवन, इठला – इठलाकर लहराना, अनंत प्रकार, आनंद के स्रोत, उद्दाम जीवन, अनंत संख्यक आदि।

ई) नीचे दिया गया लोकगीत पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

चलत मुसाफिर मोह लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी हलवैया दुकनिया
बर्फी के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी बजजया दुकनिया
कपडा के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी पनवडिया दुकनिया
बीड़ा के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया। (- शैलेंद्र कुमार)

प्रश्न 1.
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान पर किसका रस लेती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान पर बर्फी के रस लेती है।

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प्रश्न 2.
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान के बाद किस दुकान पर जाती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान के बाद कपडे की दुकान पर जाती है।

प्रश्न 3.
चिड़िया (मुनिया) पान की दुकान पर किसका रस लेती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) पान की दुकान पर बीड़ा का रस लेती है।

प्रश्न 4.
इस गीत का मूल भाव क्या है?
उत्तर:
इस गीत का मूल भाव यह है कि पिंजड़े में बंदी चिड़िया स्वेच्छा सुख का मज़ा ले रही है। आनंद के साथ उड रही है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गयी है? इसके मुख्यांश बिंदुओं के रूप में लिखिए।
उत्तर:
यह प्रश्न ‘लोकगीत निबंध पाठ से दिया गया है। इसके लेखक श्री भगवत शरण उपाध्याय हैं। हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में लोकगीत का महत्वपूर्ण स्थान है।

  • लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
  • विविध बोलियों पर लोकगीत गाए जाते हैं। गीतों का विषय रोजमर्रा के जीवन से लिया जाता है।
  • अधिकतर संख्या में लोकगीत औरतें ही गाती हैं। ये मार्मिक होते हैं।
  • लोकगीत, शुभ अवसरों पर, मनोरंजन के उद्देश्य से रस्मों को पूर्ति करने हेतु गाये जाते हैं।
  • आल्हा, बारह मासा आदि लोकगीत अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।

इस निबंध में विभिन्न गीतों के प्रकार, गाये जानेवाले क्षेत्र, बोलियाँ, विषय आदि पक्षों की चर्चा की गई है।

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प्रश्न 2.
जैसे – जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर:
यह प्रश्न ‘लोकगीत’ निबंध पाठ से दिया गया है। इसके लेखक श्री भगवत शरण उपाध्याय हैं। नगरीकरण के कारण शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड रहे हैं इसका प्रभाव लोकगीतों पर पड़ रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में मनोरंजन के विभिन्न साधनों के होने के कारण उनका ध्यान इस ओर से हट रहा है। पाश्चात्य संगीत से लोग उसकी ओर आकृष्ट हो रहे हैं। एवं वैश्वीकरण ने लोगों के आचार – विचारों में भी परिवर्तन ला दिया है। अब गाँव में भी लोकगीतों की ओर से मन हट रहे हैं।

आ) ‘लोकगीत’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : लोकगीत
पाठ का लेखक : श्री भगवतशरण उपाध्याय
पाठ की विधा : निबंध

सारांश : हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता का संगीत है। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लेते हैं। ये गीत बाजों, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रेदश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं। पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढ़ोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं। एक दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं। आल्हा एक लोकप्रिय गान है।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं। स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।

नीति : वैश्वीकरण के कारण लोकगीतों का नाश हो रहा है। इन्हें बचाये रखना हमारा कर्तव्य है।

इ) अपने आसपास के क्षेत्र में प्रचलित किसी लोकगीत का हिंदी में अनुवाद कीजिए।
उत्तर:
लल्ला लल्ला लोरी

मुकेश
लल्ला लल्ला लोरी, दूध की कटोरी
दूध में बताशा, मुन्नी करे तमाशा
छोटी – छोटी प्यारी – प्यारी सुन्दर परियों जैसी है
किसी की नज़र ना लगे, मेरी मुन्नी ऐसी है
शहद से भी मीठी, दूध से भी गोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी …
कारी रैना के माथे पे, चमके चाँद सी बिंदिया
मुन्नी के छोटे – छोटे नैनों में खेले निंदिया
सपनों का पलना, आशाओं की डोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी ……….

लता

लल्ला लल्ला लोरी, दूध की कटोरी
दूध में बताशा, जीवन खेल तमाशा
आधी मुरझा जाती है, थोड़ी सी कलियाँ खिलती हैं
सारी की सारी खुशियाँ, जीवन में किसको मिलती हैं
या टूटे पलना, या टूटे डोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी ….
लिखने को लिखवाती मैं, आगे क्या है गाना
लेकिन मैं क्या करती, तेरे पापा को था जाना
मुझसे भी छिपकर, तुझसे भी चोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी …..

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ई) लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं। अपने शब्दों में इसे सिद्ध कीजिए।
उत्तर:

  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर लोकगीत गाये जाते हैं। ये गाँवों और देहातों में गाये जाते हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • लोकगीतों को गाने वाली भी अधिकतर गाँवों की स्त्रियाँ ही हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • इनके लिए कोई साधना की जरूरत भी नहीं होती है। * इसलिए इनमें मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएं हैं।
  • इन देहाती गीतों के रचयिता कोरी कल्पना को मान न देकर अपने गीतों के विषय रोजमर्रा के बहते जीवन से लेते हैं जिससे वे सीधे मर्म को छू लेते हैं।
  • इनके राग भी साधारणतः पीलु, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं। इसलिए भी इन गीतों में ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • इन लोकगीतों की भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं।
  • इस कारण ये आलादकारक और आनंददायक होते हैं। इसीलिए भी इनमें ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
साधना, त्यौहार, देहात (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग

  1. साधना . – शास्त्रीय संगीत गाने के लिए साधना की ज़रूरत होती है।
  2. त्यौहार – दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है।।
  3. देहात – लोकगीतों का संबंध देहात की जनता से है।

पर्याय शब्द

  1. साधना – अभ्यास, तपस्या
  2. त्यौहार – पर्व, उत्सव
  3. देहात – गाँव, ग्राम

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प्रश्न 2.
सजीव, परदेशी, शास्त्रीय (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए ।)
उत्तर:
विलोम शब्द

  1. सजीव × निर्जीव
  2. परदेशी × स्वदेशी
  3. शास्त्रीय × अशास्त्रीय

वाक्य प्रयोग

  1. सजीव – जो आज सजीव है कल यह निर्जीव अवश्य होगा।
  2. परदेशी – यह परदेशी होने पर भी हमारे स्वदेशी जैसे ही भारतीय संस्कृति को अपनाकर रहता है।
  3. शास्त्रीय – तुम जो राग का आलापना कर रही हो यह शास्त्रीय संगीत का नहीं अशास्त्रीय संगीत का है।

प्रश्न 3.
यह आदिवासी का संगीत है। (वचन बदलकर वाक्य फिर से लिखिए।)
उत्तर:
यह आदिवासियों का संगीत है।

आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
लोकगीत, लोकतंत्र (इस तरह ‘लोक’ शब्द के साथ बने दो शब्द लिखिए।)
उत्तर:
लोकपालक, लोकसभा

प्रश्न 2.
गायक, कवि, लेखक (लिंग बदलिए। याक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:

  1. गायक – गायिका, गायनी
  2. कवि – कवइत्री
  3. लेखक – लेखिका

वाक्य प्रयोग

  1. गायक – लताजी एक प्रसिद्ध गायिका हैं।
  2. कवि – हिंदी साहित्य में महादेवी वर्मा सफल कवयित्री मानी जाती है।
  3. लेखक – सरोजिनी नायुडु एक अच्छी लेखिका भी है।

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प्रश्न 3.
धर्म, मास, दिन, उत्साह (“इक” प्रत्यय जोड़कर वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
धार्मिक, मासिक, दैनिक, औत्साहिका
वाक्य प्रयोग

  • दशहरा एक धार्मिक पर्व है।
  • लोकगीतों से दैनिक जीवन में उत्साह मिलता है।
  • विपुला एक मासिक पत्रिका है।
  • आज अनेक औत्साहिक गायक गा सकते हैं।

इ) इन्हें समझिए और अतंर स्पष्ट कीजिए।

1. उपेक्षा – अपेक्षा
2. कृतज्ञ – कृतघ्न
3. बहार – बाहर
4. दावत – दवात
उत्तर:
1. उपेक्षा – अपेक्षा
उपेक्षा = उदासीनता, अवहेलना, तिरस्कार आदि अर्थों में इसका प्रयोग होता है। यह “अपेक्षा” शब्द का विलोम शब्द भी है।

अपेक्षा = तुलना, चाह, आशा आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह उपेक्षा शब्द का विलोम शब्द है।

2. कृतज्ञ – कृतघ्न
कृतज्ञ = अनुग्रहीत, आभारी, ऋणी आदि अर्थों में इसका प्रयोग होता है। यह कृतघ्न का विलोम शब्द है। उपकार मानने वाले को कृतज्ञ कहा जाता है।

कृतघ्न = उपकार न माननेवाला, ना शुक्रा यह कृतज्ञ का विलोम शब्द भी है।

3. बहार – बाहर
बहार = खिलती हुई जवानी, वंसत ऋतु, शोभा मजा, तमाशा आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।

बाहर = स्थान या वस्तु विशेष की सीमा के उस पार, अलग, दूर, अन्यत्र आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग होता है।

4. दावत – दवात
दावत = भोज का निमंत्रण – इस शब्द का अर्थ है।
दवात = इस शब्द का अर्थ है स्याही रखने का बरतन या शीसा।

5. पेड़ पर बड़ा पक्षी है पर उसके छोटे – छोटे पर हैं।
उत्तर:
यहाँ “पर” शब्द का प्रयोग तीन अर्थों में किया गया है।
1) पर → कारक के रूप में
2) पर → लेकिन के अर्थ में और
3) पर → पंख के अर्थ में।

6. हल चलाने से मात्र ही किसान की समस्याएँ हल नहीं होती।
उत्तर:
यहाँ “हल” शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया गया है।
1) हल = खेत जोतने का एक साधन
2) हल = सुलझाव या परिष्कार

ई) नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।
1.
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत 1
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत 2
2.
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत 3

उत्तर:
1. स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं।
क्या स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं?
स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं न!

2. लोकगीत के कई प्रकार हैं।
क्या लोकगीत के कई प्रकार हैं?
लोकगीत के कई प्रकार हैं न !

परियोजना कार्य

यहाँ दिये गये चित्र ध्यान से देखिए। ये चित्र भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखे गये एक प्रहसन नाटक से संबंधित हैं। इसी नाटक को कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने कविता के रूप में सृजन किया है। अपने पुस्तकालय या अन्य स्त्रोतों से उस नाटक या कविता का संग्रह कर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत 4

उत्तर:
यदि हम सूझ – बूझ से काम लेंगे तो बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना भी आसानी से कर सकते हैं। इस भावना पर आधारित प्रहसन नाटक “अंधेर नगरी’ यहाँ प्रस्तुत है।
पात्र
(महंत, नारायणदास, गोवर्धनदास, घासीराम, हलवाई, शिष्य, राजा, फ़रियादी, कल्लू, कारीगर, चूने वाला, भिश्ती, कमाई, गड़रिया, कोतवाल, सिपाही।)

लोकगीत Summary in English

There is a difference between the freshness of folk songs and classical music. Folk songs are classical music. They are the songs of family and the people of villages and cities. They need no practice. They are sung on special occasions and festivals. They are mostly written by the village people. Women also take part in these works. These songs are sung with the help of drum, cymbals, castanets, flute, etc.

Once, compared with the classical music, these songs were regarded low. Until recently they were not regarded well. But with the change of the common people’s outlook, the change also occurred in the fields of art and literature. Many people came forward to collect folk songs from different languages. This type of compilations had already been printed.

Folk songs are of many kinds. One of these is very lively and exciting. This is the music of the Adivasis of this country. The tribes namely Gond – Khand, Orav – Munda, Bheel – Santal are spread over Madhya Pradesh, Deccan region and Chota Nagpur. The songs and dances of these people are mostly done one with another or with groups.
The people of hilly regions have their own songs. There are some specific songs for the people of Gadwal, Kinnoure and Kangada, etc. They have their own methods to sing those songs.

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The folk songs are actually concerned with the people of the rural areas of the country. The songs of Chaita, Kajari, Barahmasa, Shravana, etc., are sung in Mirzapur, Banaras, eastern Uttar Pradesh and western districts of Bihar.

Baol and Bhatiali etc., are the folk songs belonged to Bengal. The songs of Mahia in Punjab also fall in this category. The songs concerned with ‘Heer – Ram Jha’, ‘Sohani – ‘Mahival’ of Punjab, the songs such as ‘Dhola – Maru’ of Rajasthan are sung with much enthusiasm and fervour.

The writers of these songs of rural areas, without giving importance to imaginations, take the issues concerned with daily life and write songs on them. So they are heart – touching. The tunes of those songs are Pilu, Sarangam, Durga, Sawan, Sorat, etc. The songs Kaharwa, Biraha, Dhobia, etc., are mostly sung in villages and they attract a large number of people.

The language of these folk songs is familiar and tunes are catchy and so they have been successful. Bidesia was propagated for almost 30 – 40 years in Bhojapuri. The groups of singers roam about the villages while singing these songs. There were no more popular songs than these songs in the districts of Bihar. In these songs the main aspect is about romance of lovers and lovesick of alien lovers.

In the regions like Biraha the songs belonging to tribal races are mostly sung. But of late, these songs are losing their prominence.

Another type of most popular one is the song Alha. The people in the region of Bundelkhand sing these songs. The royal poet Jaganik of the Chandel kings is said to be the originator of these songs. In his great epic, he described the powers of Alha – Udal. Following the prosody in his works, other village poets wrote songs which are being sung even now zestfully.

There are numerous songs of women in our country. These too are folk songs. Generally women alone sing these songs. Men are also there among the writers and singers of these songs. There are mostly women related aspects in these songs. In this regard, India is different from all other countries.

The women sing melodious songs on some auspicious occasions – while going to take river bath ; during festivals; during feasts, marriages, birthday celebrations, etc. These songs are being sung since ancient times. The great poet Kalidas also included these songs in his works.

The songs such as Maithil, Kokil, Vidyapati are mostly sung in eastern regions. There are many educated people who sing these songs from Kashmir to Kanyakumari, from Katiyavada to Gujarat, from Rajasthan to Odisha – Andhra.

Gorba is one kind of group song in Gujarat. Women sing this song while dancing in a circular way. It became popular in all regions.

The songs of rural areas are really of many kinds. As their lives go in a peaceful and harmonious way, there would be no deficiency for delightful experiences. It can be said that the songs are the symbols of their blithesome lives.

लोकगीत Summary in Telugu

జానపద గీతాల తాజాదనం, లోక ప్రియత్వంతో శాస్త్రీయ సంగీతంతో తేడా కలదు. జానపద గీతాలు ప్రజల సంగీతం. కుటుంబ, గ్రామ, నగర ప్రజల పాటలు. వీటికి సాధన అవసరం లేదు. పండుగలు మరియు విశేష అవసరాలప్పుడు వీటిని పాడతారు. ఎప్పుడూ ఇవి పాడబడతాయి. వీటిని రచించేవారు కూడా ఎక్కువగా గ్రామ ప్రజలే. స్త్రీలు కూడా వీటి రచనలో విశేషంగా పాల్గొన్నారు. ఈ పాటలు బాజాల సహాయంతో కాకుండా సాధారణ డోలు, చేతితాళం, తప్పెట్లు, పిల్లనగ్రోవి మొ॥గు వాని సహాయంతో పాడబడతాయి.

ఒకనాడు శాస్త్రీయ సంగీతం ముందు వీటిని చులకనగా, హేయంగా భావించేవారు. ఈ మధ్యవరకు వీటిని బాగా ఉపేక్షించేవారు. కానీ ఇటు సాధారణ ప్రజల వైపునుండి దృష్టి మరలడం వల్ల సాహిత్యం మరియు కళా రంగాలలో కూడా మార్పు వచ్చింది.

అనేక మంది వివిధ భాషలకు చెందిన జానపద గీతాలను సంగ్రహించుటకు నడుము బిగించారు. ఇలాంటి సంగ్రహాలు ఎన్నో ఇప్పటికీ ముద్రించబడియున్నవి.

జానపద గీతాలు ఎన్నో రకములు. వీటి ఒక రకం చాలా ఉత్తేజకంగా సజీవంగా ఉంటాయి. ఇది ఈ దేశ ఆదివాసీల సంగీతం. మధ్యప్రదేశ్, దక్కన్, చోటానాగపూర్‌లో గోండ్ – ఖాండ్, ఓరావ్ – ముండా, భీల్ – సంతాలు వ్యాపించి యుండిరి. వీరి పాటలు – నృత్యాలు ఎక్కువగా ఒకరితో ఒకరు లేదా గుంపులు గుంపులుగా పాడబడతాయి. నాట్యం చేయబడతాయి. 20 – 20 మంది, 30 – 30 మంది పురుషులు – స్త్రీల దళాలు ఒకరికి ఒకరు జవాబుగా పాడతారు, దిక్కులన్నీ పిక్కటిల్లుతాయి (ప్రతిధ్వనిస్తాయి).

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పర్వత ప్రాంతాలవారికి వారి – వారి పాటలు ఉంటాయి. వారి మధ్య భిన్న – భిన్న రూపాలు ఉన్నప్పటికి అశాస్త్రీయం కారణంగా వారికి ఒక సమాన భూమి ఉంది. గద్వాల్, కిన్నోర్, కాంగడా మొ||వారికి తమ తమ పాటలు ఉన్నవి. వాటిని, పాడడానికి వారి – వారి పద్ధతులున్నవి. వాటి వేరొక పేరే “పహాడీ” అని వచ్చినది.

వాస్తవిక జానపద గీతాలు దేశంలోని గ్రామ ప్రాంతాలవారివి. వీటి సంబంధం కూడా గ్రామ ప్రాంతాల ప్రజలతోనే ఉంది. చైతా (చైత్రం) కజరీ, బారహ్మ సా (12 నెలలు), శ్రావణం మొ||నవి. మీర్జాపూర్, బనారస్ మరియు తూర్పు ఉత్తరప్రదేశ్ లో మరియు బీహార్ లోని పశ్చిమ జిల్లాల్లో, పాడబడుచున్నవి.

బావుల్ మరియు భతియాలీ అనునవి బెంగాలకు చెందిన జానపద గీతాలు, పంజాబ్ లోని మాహియా మొ||నవి ఇలాంటివే. “హీర్ – రాం ఝా”, “సోహనీ – మహీవాల్”లకు సంబంధించిన పాటలు పంజాబ్ లో “డోలా – మారు” మొదలగు పాటలు రాజస్థాన్లలో చాలా ప్రీతిగా (ఇష్టంగా) పాడబడుచున్నవి.

ఈ గ్రామీణ ప్రాంతాల పాటల రచయితలు ఊహ (కల్పన)లకు ప్రాధాన్యతనీయక రోజువారి జీవితానికి సంబంధించిన విషయాలను తీసుకుని వాటిపై పై పాటలు వ్రాస్తారు. అందువలన అవి హృదయాలను స్పృశిస్తాయి. వాటి రాగాలు కూడా సాధారణంగా పీటా, సారంగం, దుర్గా, సావన్, సోరన్ మొ||నవి.

కహార్ వా, బిరహా, ధోబియా అనునవి పల్లెల్లో ఎక్కువగా పాడబడును. ఇవి ఎందరినో ఆకర్షించును.

వీని భాషను గురించి చెప్పవలెనన్న ఈ జానపద గీతాలు అన్నియూ గ్రామాలు మరియు ఇలాకాలకు సంబంధించిన భాషలలోనే పాడబడును. ఈ కారణంగానే ఇవి ఆహ్లాదభరితంగా ఆనందదాయకంగా ఉండును. ఈ పాటల రాగం కూడా ఆకర్షణీయంగా ఉంటుంది. వీరికి తెలిసిన భాష కావడం కూడా వీటి విజయానికి కారణం.

భోజపురిలో దాదాపుగా 30 – 40 సం||లో “బిదేసియా” కు ప్రచారం జరిగినది. పాటలు పాడే అన్ని సమూహాలు ఈ పాటలను పాడుతూ గ్రామాల్లో తిరుగుతారు. విశేషంగా బీహార్ లోని జిల్లాల్లో బిదేసియాను మించి పాటలు లోకప్రియమైనవి లేవు. ఈ పాటల్లో ఎక్కువగా రసికప్రియ మరియు ప్రేయసి ప్రియుల విషయాలు ఉంటాయి. పరదేశీ ప్రేమికుల విరహరసం వీటిలో ఉంటాయి.

ఆటవిక జాతుల దళాలకు సంబంధించిన పాటలు కూడా ఎక్కువగా బిరహా మొ||గు ప్రాంతాలలో పాడబడుచున్నవి. ఒకవైపు పురుషులు మరొకవైపు స్త్రీలు ఒకరికొకరు జవాబు (బదులు)గా దళంగా ఏర్పడి దిక్కులు పిక్కటిల్లేలా (ప్రతిధ్వనించేలా) పాడతారు. కానీ ఇక్కడ కొంతకాలం నుండి ఈ విధమైన గుంపులతో కూడిన పాటలు తగ్గిపోయినవి.

మరొక విధమైన గొప్ప లోకప్రియమైన పాట ఆలా ఎక్కువగా వీటిని బుందేల్ ఖండ్ ప్రాంతంలో పాడెదరు. వీటి ప్రారంభకునిగా చందేలు రాజుల రాజకవి జగనిక్ గా చెప్పబడుతుంది. ఆయన ఆలా – ఊదల్ల వీరత్వాన్ని గురించి తన మహాకావ్యంలో వర్ణించెను. ఈయన రచించిన ఛందస్సును తీసుకుని వేరే గ్రామ కవులు వివిధ సమయాలలో తమ పాటల్లో చేర్చిరి. ఈ పాటలు (గీతాలు) ఈ రోజున కూడా చాలా ప్రేమగా పాడబడుచున్నవి. వీటిని పాడు గాయకులు గ్రామ గ్రామం ఢోలు తీసుకుని పాడుతూ తిరుగుతారు. కొందరు నటులు తాళ్ళపై ఆడుతూ పాడే పాటలు కూడా ఈ కోవకు చెందినవి. ఎక్కువగా ఇవి గద్య – పద్యాత్మకంగా ఉంటాయి.

మన దేశంలోని స్త్రీల పాటలు కూడా అనంత సంఖ్యలో ఉంటాయి. ఇవి కూడా జానపద గీతాలే. ఎక్కువగా వీటిని ఆడవారే పాడతారు.

అలాగని మగవారు వ్రాసేవారు మరియు పాడేవారు కూడా ఎక్కువగానే ఉన్నారు. కాని ఈ పాటలు ఎక్కువగా స్త్రీలకు సంబంధించిన విషయాల పైనే ఉంటాయి. ఈ విషయంలో భారతదేశం ఇతర అన్ని దేశాలతో భిన్నంగా ఉన్నది. ఎందుకంటే ప్రపంచంలోని ఇతర దేశాలలో స్త్రీల పాటలు మగవారి పాట లేదా జానపద గీతాలకు భిన్నంగా ఉండవు. కలసి మెలసి ఉంటాయి.

పండుగలప్పుడు నదులలో స్నానం చేస్తూ స్నానానికి వెళుతూ దారిలో పాడే పాటలు, వివాహ సమయంలో, విందుల సందర్భాలలో బంధువులను ప్రేమగా తిడుతూ, పుట్టిన సందర్భం మొ||గు అవసరాలకు సంబంధించిన వేరు – వేరు పాటలు స్త్రీలు పాడతారు. ఈ అవసరాలకు సంబంధించి కొంతమంది ఇప్పుడే కాదు చాలా ప్రాచీన కాలం నుండి పాడుతున్నారు. మహాకవి కాళిదాసు మొ||గు వారు కూడా తమ గ్రంథాలలో ఈ పాటలను చేర్చిరి. సోహర్, బానీ, సహరా మొ॥గు వారి అనంతమైన పాటల్లోని ముఖ్యమైనవి. పన్నెండు నెలల (బారహ్ మాసా) పాటలను పురుషులతో పాటు స్త్రీలు కూడా పాడతారు.

ఒక విశేషమైన మాట (విషయం) ఏమిటంటే ఆడవారి పాటలు సాధారణంగా ఒంటరిగా పాడబడవు గుంపులుగా ఏర్పడి పాడబడతాయి. అనేక గొంతులు ఒక్కసారిగా కలసి పాటను అందుకుంటాయి. ఎక్కువగా ఈ పాటలను పండుగలు, శుభసందర్భాలలో చాలా బాగా పాడతారు. గ్రామాలలో, నగరాలలో గాయకురాళ్ళు కూడా ఉంటారు. వీరు వివాహం పుట్టిన రోజు మొదలగు అవసరాలలో (సందర్భాలలో) పాడటానికి పిలువబడతారు. అన్ని ఋతువుల్లో స్త్రీలు ఉల్లాసంగా గుంపులుగా ఏర్పడి పాడతారు. హోళీ వర్షాకాలపు కజరీలు మొ॥గు సమయాలలో వీరి పాటలు వినసొంపుగా ఉంటాయి. తూర్పు ప్రాంతాలలో ఎక్కువగా మైథిల్, కోకిల్, విద్యాపతి పాటలు పాడబడతాయి. కాశ్మీరు నుండి కన్యాకుమారి వరకు, కాటియవాడ నుండి గుజరాత్, రాజస్థాన్ నుండి ఒరిస్సా – ఆంధ్ర వరకు ఎందరో తమ తమ పాటలను పాడు విద్యావంతులు కలరు.

స్త్రీలు డోలక్ సహాయంతో పాడతారు. ఎక్కువమంది వారి పాటలతో పాటు నాట్యం కూడా చేస్తారు. గుజరాత్ లో ఒక విధమైన గుంపు పాట గర్ బా. దీన్ని విశేషరీతిలో గుండ్రంగా ఉండి తిరిగి – తిరిగి ఆడవాళ్ళు పాడతారు. వీరికి తోడు బాలికలు కూడా బాజాలు వాయిస్తారు. దీనిలో నాట్యం – పాడటము వెంట – వెంట జరుగుతాయి. వస్తుతః ఇది నాట్యం. అన్ని ప్రాంతాల్లో కూడా ఇది లోక ప్రసిద్ధి చెందినది. ఇదేవిధంగా హోళీ సందర్భంగా బ్రజంలో రసియా ఆడతారు. దీనిని దళంలోని సభ్యులు పాడతారు. ముఖ్యంగా స్త్రీలే పాడెదరు.

గ్రామంలోని పాటలు వాస్తవంగా అనేక రకాలు. జీవితం వైభవోపేతంగా సాగిపోతూ ఉంటే అక్కడ ఆనందభరిత ఆధారాలకు కొరత ఏముంటుంది? ‘ఆనందమయమైన జీవనానికీ పాటలు సంకేతం.

अभिव्यक्ति-सजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
पहाडी लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं।
  • उनके अपने – अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमिका है।
  • गढ़वाल, किन्नौर, काँगडा आदि के अपने – अपने गीत और उन्हें गाने की अपनी – अपनी विधियाँ हैं।
  • उनका अलग नाम ही पहाड़ी पड गया है।

प्रश्न 2.
‘गरबा’ लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
गरबा गुजरात का लोकप्रिय दलीय गायन है। इसमें स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। एक विशेष विधि से घेरे में घूम-घूमकर औरतें गाती हैं। इसमें नाच-गान साथ – साथ चलते हैं।

उपर्युक्त इन सभी कारणों से लोकगीत का चलन अधिकतर देहातों में ही रहता है।

प्रश्न 3.
लोकगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर है?
उत्तर:

  • लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न है।
  • लोकगीत सीधे जनता के संगीत है । लोकगीत घर, गाँव और नगर की जनता के गीत है।
  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

इनके अलावा शास्त्रीय संगीत के लिए तो कई साधनों की ज़रूरत नहीं होती । शास्त्रीय संगीत के लिए साधना की भी ज़रूरत है।

प्रश्न 4.
लोकगीत किन – किन रागों में गाये जाते हैं?
उत्तर:
लोकगीत साधारणतः पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठा आदि रागों में गाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
लोकगीतों की भाषा कैसी होती है?
उत्तर:
लोकगीतों की भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं । इसी कारण ये बडे आलाद कारक और आनंददायक होते हैं ।

प्रश्न 6.
“पहाड़ी’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पहाडी क्षेत्रों में रहने वाले पिछडे जातियों को पहाडी कहा गया है। इनके अपने – अपने गीत हैं।जैसे गढवाल, किन्नौर, काँगडा आदि के अपने – अपने गीत होते हैं। इनके गाने की विधियाँ भी अलग हैं। उनका
अलग नाम ही ‘पहाडी’ पड गया हैं।

प्रश्न 7.
वास्तविक लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
वास्तविक लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। इसी कारण ये बडे आहलादकर और आनंददायक होते हैं। राग तो इन गीतों के आकर्षक होते ही हैं। इनकी समझी जा सकने वाली भाषा भी इनकी सफलता का कारण है। अतः इसका पूर्व संबंध देहातों की जनता से है।

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प्रश्न 8.
“बिदेसिया’ लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बिदेसिया लोकगीत का प्रचार तीस – चालीस वर्षों से बिहार में भोजपुरी भाषा में हुआ। बिहार में “बिदेसिया” लोकगीत लोकप्रिय हैं। इन लोकगीतों में रसिक प्रिय, प्रियाओं की बात रहती है। इनमें परदेशी प्रेमी की और । इनसे करुणा और विरह का रस बरसता है।

प्रश्न 9.
पंजाब के लोकगीतों के बारे में लिखिए।
उत्तर:

  • लोकगीत सीधे जनता के संगीत है। ये ओजस्वी और सजीव हैं।
  • पंजाब में माहिया आदि इसी प्रकार के हैं।
  • हीरा – राँझा, सोहनी – महीवाल आदि लोकगीत पंजाब में बड़े चाव से गाये जाते हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
लोकगीतों का चलन अधिकतर देहातों में ही क्यों रहता है?
उत्तर:
लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं। सदा से ये गाये जाते रहे हैं और इनके रचनेवाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार तो बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देश के देहाती जनता से संबंध हैं। उनके राग भी साधारणतः पीलु, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं।

प्रश्न 2.
‘आल्हा’ के गीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • एक – दूसरे प्रकार के बड़े लोकप्रिय गाने आल्हा के हैं ।
  • अधिकतर ये बुंदेलखंडी में गाये जाते हैं |
  • आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राज कवि जगनिक से माना जाता है।
  • उन्होंने आल्हा – ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया ।
  • ये गीत हमारे गाँवों में आज भी बहुत प्रेम से गाये जाते हैं ।
  • इन्हें गानेवाले गाँव – गाँव ढोलक लिये गाते फिरते हैं। अधिकतर ये पद्य – गद्यात्मक हैं |

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प्रश्न 3.
स्त्रियाँ किन – किन अवसरों पर लोकगीत गाती हैं?
उत्तर:

  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर स्त्रियाँ लोकगीत गाती हैं।
  • त्यौहारों पर नदियों में नहाते समय के, नहाने जाते हुए राह के, विवाह के , मटकोड, ज्यौनार के संबंधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि सभी अवसरों के अलण – अलण गीत भी स्त्रियों से गायी जाती हैं | बारहमासा गीत भी स्त्रियाँ गाती हैं |
  • विवाह और जन्म आदि के अवसरों पर स्त्रियाँ लोकगीत गाती हैं ।

प्रश्न 4.
शास्त्रीय संगीत के सामने लोकगीत हेय माने जाते हैं – क्यों?
उत्तर:

  • शास्त्रीय संगीत तो सचमुच शास्त्रीय है ।
  • शास्त्रीय संगीत के लिए साधना की आवश्यकता है।
  • शास्त्रीय संगीत के लिए शिक्षण की भी आवश्यकता है |
  • शास्त्रीय संगीत के लिए विभिन्न राग, ताल तथा लय तथा संगीत का अध्ययन की आवश्यकता है ।
  • शास्त्रीय संगीत के लिए विविध प्रकार के संगीत वाद्यों और साधनों की आवश्यकता है।’
  • लेकिन लोकगीतों के लिए इन सबकी कोई आवश्यकता नहीं । इसलिए शास्त्रीय संगीत के सामने एक समय लोकगीत हेय माने जाते हैं।

प्रश्न 5.
मनोरंजन की दुनिया में लोकगीत का महत्वपूर्ण स्थान है । साबित कीजिए।
उत्तर:

  • मनोरंजन की दुनिया में लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है ।
  • इस विषय में कोई अतिशयोक्ति नहीं है ।
  • हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है।
  • गीत – संगीत के बिना हमारे मन रसा से नीरस हो जाता है ।
  • लोकगीत जो हैं वे घर गाँव और जनता के गीत हैं ।
  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं ।
  • इन के लिए कोई साधना तथा साधन की ज़रूरत नहीं होती।
  • ये बड़े आहलादकर और आनंददायक होते हैं ।
  • त्यौहारों पर, नदियों में नहासमय के, नहाने जाते हुए राह के, विवाह के, मटकोड, ज्यौनार के, संबंधियों के प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि सभी अवसरों में ये गाये जाते हैं।

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प्रश्न 6.
बारहमासा लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बारहमासा लोकगीत बारह महीनों में आवश्यकतानुसार गाये जा सकते हैं। जायसी का “पद्मावत्” नागमति का विरह वर्णन बारहमासा में ही लिखा गया है। बारहमासा लोकगीत की परंपरा अत्यन्त प्राचीन है। आषाढ मास में बारहमासा गीत प्रारम्भ हो जाता है। विरहिणी नारी के लिए बारह महीनों का प्रत्येक क्षण बडा भारी होता है। उसे एक – एक पल घुट – घुट कर महसूस – महसूसकर बिताना पडता है।
विरहिणी स्त्री अपनी प्रियतम का स्मरण कर हर वक्त रोती – कराहती रहती है।

प्रश्न 7.
लोकगीतों को आज मनोरंजन का साधन कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर:

  • लोच, ताजगी भरा कर लोकगीतों को मनोरंजन का साधन बनाया जा सकता है।
  • साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से लोकगीतों को मनोरंजन का साधन बनाया जा सकता है।
  • गाँवों और इलाकों की बोलियों के कारण इन्हें मनोरंजन का साधन बनाया जा सकता हैं।
  • नाच – गान दोनों साथ-साथ चलाने के कारण इन्हें मनोरंजन का साधन बना सकेंगे।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
हमारे जीवन में लोकगीतों का क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : “लोकगीत” है।
लेखक का नाम : “श्री भागवतशरण उपाध्याय” है।
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता का संगीत है। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लिये हैं। ये गीत बाजों, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रेदश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं। पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। इन गीतों में करुणा और बिरह . का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं। एक दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं। आल्हा एक लोकप्रिय गान है।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं। स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। उनके गाने के साथ नाच. का पुट भी होता है।

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प्रश्न 2.
“लोकगीतों का संबंध विशेषतः स्त्रियों से है।” – इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:

  • अनंत संख्या अपने देश में स्त्रियों के गीतों की है। ये भी लोकगीत हैं।
  • इन गीतों का संबंध विशेषतः स्त्री से हैं।
  • एक विशेष बात यह है कि नारियों के गाने साधारणतः अकेले नहीं गाये जाते हैं, दल बाँधकर गाये जाते हैं।
  • अनेक कंठ एक साथ फूटते हैं यद्यपि अधिकतर उनमें मेल नहीं होता, फिर भी त्यौहारों और शुभ अवसरों पर वे बहुत ही भले गाते लगते हैं।
  • गाँवों और नगरों में गायिकाएँ भी होती हैं जो विवाह, जन्म आदि के अवसरों पर गाने के लिए बुला ली जाती हैं।
  • सभी ऋतुओं में स्त्रियाँ उल्लासित होकर दल बाँधकर गाती हैं। पर होली,बरसात की कजरी आदि तो उनकी अपनी चीज़ है, जो सुनते ही बनती है।पूरब की बोलियों में अधिकतर मैथिल – कोकिल के गीत गाये जाते हैं। पर सारे देश के कश्मीर से कन्याकुमारी तक और कठियावाड – गुजरात – राजस्थान से उड़ीसा-तेलंगाणा तक अपने – अपने विद्यापति हैं।
  • स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। अधिकतर उनके गाने के साथ नाच का भी पुट होता है।
  • गुजरात का एक प्रकार का दलीय गायन ‘गरबा’ है जिसे विशेष विधि से घेरे में घूम-घूमकर औरतें
    गाती हैं। * साथ ही लकड़ियाँ भी बजाती जाती हैं। जो बाजे का काम करती हैं।
  • इसमें नाच-गान साथ-साथ चलते हैं। वस्तुतः यह नाच ही है। सभी प्रांतों में यह लोकप्रिय हो चला है।
  • इसी प्रकार होली के अवसर पर ब्रज में रसिया चलता है जिसे दल के दल लोग गाते हैं, स्त्रियाँ विशेष तौर पर।

प्रश्न 3.
शास्त्रीय संगीत की तुलना में लोकगीत अपना एक विशेष स्थान रखते हैं, इस कथन की पुष्टि करते हुए अपने क्षेत्रीय लोकगीतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये गीत साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से माये जाते हैं। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती । त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। आदिवासियों का लोकगीत बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। ये मध्य प्रदेश, दक्कन, छोटा नागपुर में गोंड – खांड, भील संथाल आदि में फैले हुए हैं।

इनकी भाषा के संबंध में कहा जाय तो ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। यही इनकी सफलता का कारण है। स्त्रियाँ भी लोकगीतों को सिरजती हैं और गाती हैं। नारियों के गाने साधारणतः दल बाँधकर गाये जाते हैं। विवाह, जन्म, सभी ऋतुओं में, होली, बरसात में ये गीत गाये जाते हैं। सारे देश के कश्मीर से कन्याकुमारी तक और काठियावाड़ गुजरात – राजस्थान से उड़ीसा – आंध्र तक लोकगीत गाये जाते हैं। इनके अपने अपने विद्यापति हैं। गुरजात का दलीय गायन “गरबा” है। होली के अवसर पर ब्रज में रसिया चलता है।

गाँव के गीतों के अनंत प्रकार हैं। जीवन जहाँ इठला – इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्रोतों की कमी हो सकती है। उदाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय संस्कृति लोकगीतों में झलकती है । कैसे?
उत्तर:

  • हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है ।
  • मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है।
  • लोकगीतों से हमें उत्तेजना, उत्साह आदि मिलते हैं ।
  • भारतीय संस्कृति देश के उत्सव, त्यौहार एवं देश के देहातियों और गाँवों के जनता पर निर्भर रहती है।
  • लोकगीतों में अपने – अपने प्रांत की संस्कृति झलकती है।
  • लोकगीत बडा ही ओजस्वी और सजीव है ।
  • इनके द्वारा विभिन्न प्रांतों के लोगों के रहन – सहन, आचार – व्यवहार, रीति – रिवाज़ आदि हमें मालूम होते हैं । लोकगीत त्यौहारों और विशेष अवसरों पर गाये जाते हैं ।
  • लोकगीतों में लोच, ताज़गी और लोकप्रियता है ।
  • त्यौहारों के समय, नदियों में नहाते समय, विवाह के, मटकोड, ज्यौनार के संबंधियों के प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि सभी अवसरों के अलग – अलग लोकगीत गाये जाते हैं | जो देश की संस्कृति को प्रतिबिंबित करते हैं। इसीलिए कहा गया कि भारतीय संस्कृति लोकगीतों से झलकती हैं।

प्रश्न 5.
भारत के विविध प्रकार के लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है । मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है । गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है ।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं । लोकगीत सीधे जनता का संगीत है । ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं ।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लिये हैं । ये गीत बाजे, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं ।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं । इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है । यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है | मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं । वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं । सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं । चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस
और उत्तर प्रदेश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं ।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं | पंजाब में महिया गायी जाती है | राजस्थानी में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं । भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है ।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती है । इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं । एक-दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं । आल्हा एक लोकप्रिय गान है।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं । स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं । उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 6.
ग्रामीण जनता के गीतों का वर्णन लोकगीत पाठ में कैसे प्रस्तुत किया गया है?
उत्तर:
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध रचनाकार हैं श्री भगवतशरण उपाध्याय । उनका विरचित निबंध है – लोकगीत। इसमें भारतीय लोकगीतों की जानकारी बडे ही सुंदर ढंग से दी गयी है।

लोकगीत ताजा, लयीला, मार्मिक और लोकप्रिय होते हैं वे सीधे जनता के संगीत हैं और गानेवाले भी अधिकतर ग्रामीण ही हैं। लोकगीतों के विषय ग्रामीण लोगों की दैनिक गति विधियों से संबंधित होते हैं। इनकी भाषा भी जन भाषा और बोली होती है। स्त्री पुरुष मिलकर नाचते इनको गाते हैं। ये लोकगीत शादी, जन्म, त्यौहार, मनोरंजन आदि विशेष संदर्भो मैं गाये जाते हैं। एक बात में कहना है तो ये ग्रामीण लोगों के मुख्य मनोरंजन साधन हैं। ये गीत बडे आह्लादकर और आनंद दायक होते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है |मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी जिलों में गाये जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। माहिया, हीरा – राँझा सोहनी – महीवाल गीत पंजाब के हैं। राजस्थान में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है। इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रयाओं की बात रहती है। इन गीतों में करुणा और विरह का रस बरसता है।

नगरों और गाँवों में गायिकाएँ होती हैं। वे होली, बरसात की कजरी आदि गीत गाती है। पूरब की बोलियों में अधिकतर मैथिल – कोकिल विद्यापति के गीत गाये जाते हैं। गुजरात में गरबा ‘गायन’ होता है। जिसमें विशेष विधि से घेरे में घूम-घूम कर गाती हैं। इसमें नाच – गाना एक साथ चलना है। होली पर ब्रज में रसिया भी चलता है। इस प्रकार ग्रामीण जनता के गीतों का वर्णन लोकगीत पाठ में प्रस्तुत किया
गया है।

प्रश्न 7.
लोकगीतों में ग्रामीण जीवन शैली प्रतिबिंबित होती है । कैसे?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है | मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है।

ये लोकगीत घर, गाँव और जनता के गीत हैं। इनके लिए कोई साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं। ये गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। ये बडे आह्लादकर और आनंददायक होते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि ये ग्रामीण जनता के मनोरंजक साधन हैं।

  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर लोकगीत गाये जाते हैं। ये गाँवों और देहातों में गाये जाते हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • लोकगीतों को गाने वाले भी अधिकतर गाँवों की स्त्रियाँ ही हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • इनके लिए कोई साधना की ज़रूरत भी नहीं होती है।
  • इसलिए इनमें मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएं हैं।
  • इन देहाती गीतों के रचयिता कोरी कल्पना को मान न देकर अपने गीतों के विषय रोजमर्रा के बहते जीवन से लेते हैं । जिससे वे सीधे मर्म को छू लेते हैं।
  • इनके राग भी साधारणतः पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं।
  • इसलिए भी इन गीतों में ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएं हैं।
  • इन लोकगीतों की भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं।
  • इस प्रकार हम कह सकेंगे कि लोकगीतों में ग्रामीण जीवनशैली प्रतिबिंबित होती है ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 8.
भगवतशरण उपाध्याय जी ने भारत के विविध प्रकार के लोकगीतों के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है । मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है । गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है ।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं । लोकगीत सीधे जनता का संगीत है । ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं | इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं ।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लिये हैं । ये गीत बाजे, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं ।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं | इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है | यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है | मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं । वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं | सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं । चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं ।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं । पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं । भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है ।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती है । इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं । एक – दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं । आल्हा एक लोकप्रिय गान है ।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं । स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं । उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

10th Class Hindi Chapter 4 कण-कण का अधिकारी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 19)

प्रश्न 1.
गाँधीजी क्या – क्या करते थे ?
उत्तर:
गाँधीजी अपने आश्रम में सूत कातते थे। कपडे बुनते थे। अनाज के कंकर चुनते थे और चक्की पीसते थे।

प्रश्न 2.
गाँधीजी के अनुसार पूजनीय क्या है ?
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार श्रम ही पूजनीय है।

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प्रश्न 3.
हमारे जीवन में श्रम का क्या महत्व है?
उत्तर:
हमारे (मानव) जीवन में श्रम का बहुत बड़ा महत्व है। श्रम ही सफलता की कुंजी है। सफलता हासिल करने और सुखमय जीवन बिताने श्रम ही एकमात्र आधार है। श्रम करने से ही सभी काम संपन्न होते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 20)

प्रश्न 1.
भाग्यवाद का छल क्या है?
उत्तर:
दूसरों की संपत्ति को अपना भाग्य समझकर भोगना भाग्यवाद का छल है। भाग्यवाद के नाम पर धोखे बाज श्रम धन भोगते हैं। वे उसे छल से भोगते हैं।

प्रश्न 2.
नर समाज का भाग्य क्या है?
उत्तर:
श्रम करने का महान गुण और भुजबल ही नर समाज का भाग्य है। नर समाज का भाग्य श्रम और भुजबल है।

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प्रश्न 3.
श्रमिक के सम्मुख क्या – क्या झुके हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर श्रमिक का ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस महान श्रमिक के सम्मुख सारीधरती और आसमान नतमस्तक हुए हैं।

प्रश्न 4.
श्रम जल किसने दिया?
उत्तर:
श्रम जल श्रमिक ने दिया।

प्रश्न 5.
मनुष्य का धन क्या है?
उत्तर:
प्रकृति में रखी हुई सारी संपत्ति मनुष्य का धन है।

प्रश्न 6.
कण – कण का अधिकारी कौन है?
उत्तर:

  • नर – समाज का भाग्य श्रम है। अर्थात् भुज बल है।
  • जो श्रम करता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।
  • श्रम के हासिल पर जो जीता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
भाग्य और कर्म में आप किसे श्रेष्ठ मानते हैं? क्यों?
उत्तर:
भाग्य और कर्म में मैं कर्म को ही श्रेष्ठ मानता हूँ। क्योंकि भाग्य पर कोई भरोसा नहीं है। भाग्य से आलसी बनजाते। असफल रहजाते। उससे कुछ भी हो सकता है। कर्म (श्रम) तो सफलता पाने का एकमात्र साधन है। इसका फल सदा अच्छा और सुखदायी ही होता है। श्रम करनेवाला कभी हारता नहीं है। लक्ष्य प्राप्ति अवश्य होती है। श्रम से ही संपत्ति, सुख, यश, स्वावलंबन, संतुष्टि, आत्मतृप्ति आदि ज़रूर प्राप्त होते हैं। कर्मशील व्यक्ति कभी किसी की परवाह भी नहीं करता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 2.
श्रम के बल पर हम क्या – क्या हासिल कर सकते हैं?
उत्तर:
मानव जीवन में श्रम का ही महत्व अधिक है। श्रम से ही हम इच्छित फल प्राप्त कर सकते हैं। भाग्य की
अपेक्षा श्रम के बल पर जीत, सफलता, सुख,चैन, ओहदा, संपत्ति, यश आदि हासिल कर सकते हैं। असंभव को भी संभव बनाकर विजय हासिल कर सकते हैं। अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। जीवन को
उज्ज्वल बना सकते हैं।

आ) कविता पढकर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
इस कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर:
इस कविता (कण – कण का अधिकारी) के कवि हैं डॉ. रामधारी सिंह दिनकर।

प्रश्न 2.
कविता का यह अंश किस काव्य से लिया गया है?
उत्तर:
कविता का यह अंश “कुरुक्षेत्र” काव्य के सप्तम सर्ग से लिया गया है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 3.
सबसे पहले सुख पाने का अधिकार किसे है? ।
उत्तर:
खूब श्रम करनेवाले श्रमिक को ही सब से पहले सुख पाने का अधिकार है।

प्रश्न 4.
कण – कण का अधिकारी किन्हें कहा गया है और क्यों ? ।
उत्तर:
श्रम के बल पर मानव सब कुछ हासिल कर सकता है। श्रम (मेहनत) करनेवाले के लिए असंभव कुछ भी नहीं है। प्रकृति के कण – कण के पीछे उसी का श्रम है। भाग्य पर भरोसा न करके अपने श्रम पर ही वह निर्भर रहता है। अतः मेहनत (श्रम) करनेवालों को ही कण – कण का अधिकारी कहा गया है और यह सच ही है।

इ) निम्नलिखित भाव से संबंधित कविता की पंक्तियाँ चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
धरती और आकाश इसके सामने नतमस्तक होते हैं।
उत्तर:
जिसके सम्मुख झुकी हुई,
पृथ्वी, विनीत नभ – तल है।

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प्रश्न 2.
प्रकृति में उपलब्ध सारे संसाधन मानव मात्र के हैं।
उत्तर:
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है,
वह मनुज मात्र का धन है

ई) नीचे दिया गया पद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

क़दम – क़दम बढ़ाए जा, सफलता तू पाये जा,
ये भाग्य है तुम्हारा, तू कर्म से बनाये जा,
निगाहें रखो लक्ष्य पर, कठिन नहीं ये सफ़र,
ये जन्म है तुम्हारा, तू सार्थक बनाये जा।

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार सफलता किस प्रकार प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:
कवि के अनुसार सफलता, मिलजुलकर आगे बढते हुए श्रम करने से ही सफलता प्राप्त हो सकती है।

प्रश्न 2.
हमारा सफ़र कब सरल बन सकता है?
उत्तर:
लक्ष्य पर निगाहें रखकर आगे बढने पर हमारा सफर सरल बन सकता है।

प्रश्न 3.
इस कविता के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
“कर्म का महत्त्व” इस कविता के लिए उचित शीर्षक है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि मेहनत करनेवालों को सदा आगे रखने की बात क्यों कर रहे हैं?
उत्तर:
कवि दिनकर जी मनुष्य के श्रम का समर्थन करते हैं। वे स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रकृति कभी भी भाग्यवाद के सामने नहीं झुकती है। आलसी लोग ही भाग्यवाद पर विश्वास रखते हैं। परिश्रमी लोग अपने माथे के पसीने से सब कुछ हासिल कर सकते हैं। काल्पनिक जगत का साकार देनेवाला वही है। उनके सामने पृथ्वी, आकाश, पाताल तक झुक जाते हैं । अतः श्रम करनेवालों को ही सुख भोगने का मौका मिले। सुख भोगने का अधिकार भी उन्हीं को है। विजीत प्रकृति में स्थित कण – कण का अधिकारी वे हीहैं। इसीलिए कवि मेहनत करनेवालों को सदा आगे रखने की बात कर रहे हैं।

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प्रश्न 2.
अनुचित तरीके से धन अर्जित करनेवाला व्यक्ति सही है या श्रम करनेवाला ? अपने विचार बताइए।
(या)
आप किसे श्रेष्ट व्यक्ति मानते हैं? अनुचित तरीके से धन अर्जित करनेवाले को या उचित तरीके से धन अर्जित करने वाले को? “कण – कण का अधिकारी’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव जीवन में श्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। श्रम करने से ही मानव इच्छित सुख जीवन बिता सकता है। जीवन यापन के लिए धन की तो आवश्यकता है। पर ऐसे अमूल्य धन को धर्म और न्याय मार्ग से अर्जन करना उत्तम है। इसके विपरीत अनुचित मार्ग से या अनुचित तरीके से धन अर्जित करना कभी भी न्यायोचित नहीं है। ये कानुनन के अपरध हैं। अनुचित तरीके से कमाये धन से सुख की अपेक्षा दुःख ही प्राप्त होता है। किसी भी हालत में यह सही नहीं है। श्रम करके कमानेवाला ही सच्चा और महान व्यक्ति है। अतः मेरे विचार में श्रम करके कमानेवाला और श्रम करनेवाला ही सही व्यक्ति है।

आ) कवि ने मजदूरों के अधिकारों का वर्णन कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कविता का नाम : कण – कण का अधिकारी
कवि का नाम : डॉ. रामधारी सिंह दिनकर
उपाधि : राष्ट्र कवि
जीवन काल : 1908 – 1974
पुरस्कार : ज्ञानपीठ (उर्वशी पर)
रचनाएँ : कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, रेणुका, परशुराम की प्रतीक्ष, रसवंती आदि।
पद्मश्री दिनकर की रचनाएँ देश भक्ति और राष्ट्रीय भावना से भरी हुई हैं। “कण – कण का अधिकारी” नामक कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है। इसमें आपने श्रम का महत्व स्पष्ट करते हुए मज़दूरों के अधिकारों पर प्रकाश डाला है।

1) कवि कहते हैं कि मेहनत और भुज बल ही मानव समाज के एक मात्र अधार हैं। मेहनत ही सफलता की कुंजी है। मेहनत करनेवाले व्यक्ति कभी नहीं हारते। वे हमेशा सफल होते हैं। सारा संसार उनका आदर करता है। उनके सम्मुख पृथ्वी और आकाश भी झुक जाते हैं।
2) श्रम ही जीवन की असली संपत्ति समझनेवाले मज़दूरों को सुखों से कभी ‘वंचित नहीं करना चाहिए खून, पसीना एक करनेवाले श्रमिकों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है। इसलिए उनको पहले सुख प्राप्त करने देना है। उनको कभी पीछे नहीं रहने देना है। प्रकृति में जो भी वस्तु रखी हुयी है, वह समस्त मानवों की संपत्ति है।

प्रकृति के कण – कण पर मानव का ही अधिकार है। खासकर श्रम करनेवाले व्यक्तियों द्वारा ही संपत्ति संचित होती है। श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है।

अतः श्रम करनेवाले मज़दूरों को कोई अभाव नहीं रहनी है। उनको कभी पीछे छोड़ना नहीं चाहिए। सारी संपत्ति पर सबसे पहले उनको ही सुख पाने का अधिकार है। यह अक्षरशः सत्य है। तभी मानवजाति सुख समृद्धियों से अक्षुण्ण रह सकती है।

विशेषता : इस कविता शक्ति के बारे में बताया गया है।

इ) नीचे दिये गये प्रश्नों के आधार पर सृजनात्मक कार्य कीजिए। |

1. कविता में समान अधिकारों की बात की गयी है। ‘समानता” से संबंधित कोई घटना या कहानी अपने शब्दों में लिखिए।
2. अपने शब्दों में लिखी गयी घटना या कहानी से कुछ मुख्यांशों का चयनकर लिखिए।
3. चयनित मुख्यांशों में से मूल शब्द पहचानकर लिखिए।
4. लिखे गये मूल शब्दों में से कुछ शब्दों का चयनकर उस पर छोटी सी कविता लिखिए।
5. लिखी गयी कविता का संदेश या सार एक वाक्य में लिखिए और उससे संबंधित कुछ नारे | बनाइए।
उत्तर:
1. लड़की की जीत (कहानी)
एक गाँव में सोमय्या नामक एक किसान रहता था। उसके दो लडके और एक लडकी थी। सोमय्या के नौ एकड़ की भूमि थी। वह अपने लडकों के सहारे खेतीबारी करके जीवन यापन करता था।

उसके दोनों लडके बडे हो गये। उन दोनों लडकों की शादी दो खूबसूरत लडकियों से धूम-धाम से की। कुछ सालों के बाद लडकी की शादी भी एक बड़ी होटेल के मेनेजर से करवाया।

जब वह बूढ़ा हो गया तब अपने नौ एकड भूमि को अपने तीनों बच्चों को समान रूप से तीन – तीन . – तीन एकड देकर बाँट दिया।

उसके दोनों बेटों को यह अच्छा नहीं लगा। उनकी राय में स्त्री को पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। इसलिए वे अपनी बहिन और बाप को खूब कष्ट देने लगे।

विवश होकर लडकी ने अदालत में न्याय के लिए मुकद्दमा पेश किया तो अदालत में उसकी जीत हुई। भारत संविधान के अनुसार स्त्री – पुरुष बिना भेद – भाव पिता की संपत्ति के समान अधिकारी हैं। स्त्रियों को भी पुरुषों के साथ समान अधिकार प्राप्त हुए हैं।

शासन की दृष्टि में स्त्री – पुरुषों को समान अधिकार हैं। पिता और बहिन दोनों को कष्ट देने के कारण दोनों लडकों को पाँच – पाँच साल कारावास की सज़ा दी गयी।

नीति : अपने पिता की संपत्ति पर जितना अधिकार बेटों का है उतना ही अधिकार बेटियों का भी हैं।

2. कहानी के मुख्यांश

  • संविधान के अनुसार स्त्री – पुरुषों के बीच में कोई भेदभाव नहीं। सब एक हैं।
  • स्त्री – पुरुषों को समान रूप से पिता की संपत्ति पर अधिकार हैं।
  • जब किसान बूढा हो गया तब उसने अपने तीनों संतान को समान रूप से तीन – तीन एकड़ की
  • भूमि बाँट दी। लडकी ने न्याय के लिए अदालत में मुकद्दमा पेश किया।
  • स्त्रियों को भी समान अधिकार प्राप्त हुए हैं।
  • पिता और बहिन को कष्ट देने के कारण दोनों लडकों को पाँच – पाँच साल कारावास की सज़ा दी गयी।

3. मूल शब्द
समानता, अधिकार, भेद – भाव, खेतीबारी, अदालत, संपत्ति, स्त्री – पुरुष, कारावास, संविधान, सज़ा आदि।

4. चयनित शब्द
समानता, अधिकार, स्त्री – पुरुष, संविधान, सज़ा, भेद – भाव, अदालत, कारावास आदि।
छोटी सी कविता
स्त्रियों को भी हैं आज
समानता का अधिकार
स्त्री भी आगे बढ़ती
सभी क्षेत्रों में इन्हें पाकर।
भेदभाव के बिना सब
सम अधिकारों को पाकर
जिएँ जग में स्त्री – पुरुष
सभी मिल – जुलकर ||

5. संदेश या सार स्त्री को भी पुरुषों के साथ ही पिता की संपत्ति में (पर) समान अधिकार है। नारे

  • आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक समानता व्यर्थ है।
  • समानता का अधिकार – जनतंत्रता का आधार।
  • स्त्री – देश की उन्नति का आधार।
  • सामाजिक समानता उन्नति का सूचक है।
  • स्त्री और पुरुष दोनों बराबर हैं।

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ई) ‘नर समाज का भाग्य एक है, वह श्रम, वह भुजबल है।’ जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(या)
श्रामिक कण – कण का अधिकारी है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • नर समाज का भाग्य एक है। वह श्रम है। वह भुजबल है।
  • हमारे जीवन की सफलता का मार्ग भी श्रम ही है।
  • श्रम के बल पर हम अपने जीवन को सुंदर बना सकते हैं।
  • श्रम के बल पर ही हम खूब कमा कर अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।
  • श्रम करके हम दूसरों का भी पथ प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • श्रमिक जीवन ही सच्चा जीवन है।
  • श्रम करनेवाले व्यक्तियों का सभी आदर करते हैं।
  • श्रम करनेवाले के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
  • श्रम के बल पर ही हम अपने भाग्य को और विजयों को भी हासिल कर सकते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है।

भाषा की बात

अ) कोष्टक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
जन, पृथ्वी, धन (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
जन – आम सभा में असंख्य जन उपस्थित हुए हैं।
पृथ्वी – भारत देश का पृथ्वी पर प्रमुख स्थान है।
धन – धन से ही सब कुछ होता नहीं है।

पर्याय शब्द
जन – लोग, जनता, प्रजा
पृथ्वी – भूमि, धरा, ज़मीन,
धन – संपत्ति, अर्थ, वित्त

प्रश्न 2.
पाप, सुख, भाग्य (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
सुख × पुण्य
पाप × दुख
भाग्य × दुर्भाग्य।

वाक्य प्रयोग
पाप – पुण्य कार्य करने से हमें सद्गति मिलती है।
सुख – धैर्यवान कभी दुःख से नहीं डरता है।
भाग्य – साधारणतः हर व्यक्ति अपने भाग्य पर इठलाते हैं और दुर्भाग्य पर दुखित होते हैं।

प्रश्न 3.
जन – जन, कण – कण (पुनरुक्ति शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
जन – जन – वर्षा के कारण जन – जन का मन हर्ष से भर गया है।
कण – कण – कण – कण का अधिकारी जन – जन है।

प्रश्न 4.
मज़दूर मेहनत करता है। (वाक्य का वचन बदलिए।)
उत्तर:
मज़दूर मेहनत करते हैं।

प्रश्न 5.
मनुष्य, मज़दूर (भाववाचक संज्ञा में बदलकर लिखिए।)
उत्तर:
मनुष्यता, मज़दूरी

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
अधिकार – अधिकारी, भाग्य – भाग्यवान (अंतर बताइए।)
उत्तर:

  • अधिकार का अर्थ है हक। यह भाववाचक संज्ञा है।
  • अधिकारी का अर्थ है अधिकार को भोगनेवाला (हकदार)। ‘ई प्रत्यय जुडा है। विशेषण है।
  • भाग्य का अर्थ है नसीब – यह भाववाचक संज्ञा शब्द है।
  • भाग्यवान का अर्थ है नसीबवाला, भाग्यवादी ‘वान’ प्रत्यय जुडने से भाग्यवान बना। यह विशेषण शब्द है।

प्रश्न 2.
यद्यपि – पर्यावरण (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:
यदि + अपि, परि + आवरण

प्रश्न 3.
अंम – जल, नभ – तल, भुजबल (समास पहचानिए।)
उत्तर:

  • श्रम – जल → बहुव्रीहि समास
  • नभ – तल → द्वन्द्व समास
  • भुजबल → तत्पुरुष समास .

प्रश्न 4.
एक मनुज संचित करता है, अर्थ पाप के बल से, और भोगता उसे दूसरा, भाग्यवाद के छल से। (पद परिचय दीजिए।)
उत्तर:
एक – निश्चित संख्यावाचक विशेषण – पुंलिंग, एक वचन, मनुज का विशेष्य और – अव्यय, संयोजक, समुच्चय बोधक शब्द, दो वाक्यों को मिलाता है।

प्रश्न 5.
जिसने श्रम – जल दिया उसे पीछे मत रह जाने दो। (कारक पहचानिए।)
उत्तर:
ने, वह + को = उसे

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इ) इन्हें समझिए। सूचना के अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो (संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग समझिए।)
उत्तर:

  • यहाँ जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो का प्रयोग आज्ञानार्थक शब्दों के रूप में प्रयोग किया गया है।
  • जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो आदि शब्द संयुक्त क्रियाएँ हैं। जब दो क्रियाओं का संयोग होता हैं उन्हें संयुक्त क्रियाएँ कहते हैं।
  • ये अनुमति बोधक (आज्ञाबोधक) शब्द हैं।

प्रश्न 2.
एक – पहला, प्रथम, दो – दूसरा, द्वितीय (अंतर समझिए।)
उत्तर:

  • एक : पूर्णांक वाचक विशेषण है।
  • पहला : क्रम वाचक विशेषण है।
  • प्रथम : क्रम संख्यावाचक विशेषण है।
  • दो : पूर्णांक वाचक विशेषण है।
  • दूसरा : क्रम वाचक विशेषण है।
  • द्वितीय : क्रम संख्यावाचक विशेषण है।
  • एक, पहला, दो, दूसरा हिंदी के विशेषण शब्द हैं।
  • प्रथम तथा द्वितीय संस्कृत के विशेषण शब्द हैं।
  • एक और दो अंक के लिए प्रथम और द्वितीय श्रेणी के लिए और पहला, दूसरा स्थान के लिए प्रयोग । किया जाता है।

प्रश्न 3.
अभाग्य, दुर्भाग्य, सुभाग्य (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
अभाग्य – अ
दुर्भाग्य – दुर
सुभाग्य – सु

प्रश्न 4.
प्राकृतिक, अधिकारी, भाग्यवान (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
प्राकृतिक – इक
अधिकारी – ई
भाग्यवान – वान

प्रश्न 5.
पुरुष श्रमिक के रूप में मेहनत करते हैं। (लिंग बदलकर वाक्य लिखिए।)
उत्तर:
स्त्रियाँ श्रमिक के रूप में मेहनत करती हैं।

ई) नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।

जैसे – जिसने श्रम – जल दिया उसे पीछे मत रह जाने दो।
श्रम जल देने वाले को पीछे मत रह जाने दो।

प्रश्न 1.
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है, वह मनुज मात्र का धन है।
उत्तर:
प्रकृति में न्यस्त धन मनुज मात्र का है।

प्रश्न 2.
जो मेहनत करता है वही कण – कण का अधिकारी है।
उत्तर:
मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 3.
जो परोपकार करता है वही परोपकारी कहलाता है।
उत्तर:
परोपकार करनेवाला ही परोपकारी कहलाता है।

परियोजना कार्य

विश्व श्रम दिवस (मई दिवस) के बारे में जानकारी इकट्ठा कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
पहली मई का दिन समूचे विश्व में ‘मई दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मई दिवस यानी मज़दूरों का दिन। काम करने वाले, खासकर श्रम से जुड़े लोगों के लिए तो यह एक वार्षिक पर्व है इसलिए इसे ‘श्रम दिवस’ तथा ‘मज़दूर दिवस’ भी कहा जाता है।

मई दिवस के आयोजन के पीछे मज़दूरों के लम्बे संघर्ष व आंदोलन और सफलता की लम्बी दास्तान है। यह कहानी 19 वीं सदी की है जब अमेरिका में मजदूरों पर गोलियाँ बरसाई गई थीं। तथा बड़ी संख्या में निर्दोष मज़दूर मारे गये थे और जब मज़दूरों की काम के निश्चित घंटों की मांग पूरी हुई थी तब से उसी संघर्ष और उन्हीं मजदूरों की शहादत की याद में पूरे विश्व में मई दिवस मनाया जाने लगा।

इस संघर्ष की शुरुआत 1838 में हुई थी । उन दिनों अमेरिका सहित तमाम यूरोपीय देशों में कारखानों में मज़दूरों के लिए काम का निश्चित समय निर्धारित नहीं था। मज़दूरों से इतना काम लिया जाता था कि अक्सर मजदूर बेहोश होकर गिर पड़ते थे। यदा – कदा उसके विरुद्ध आवाज़ भी उठी पर लगभग दो दशक तक कारखानों के मालिकों का यही रवैया रहा। इस कारण मज़दूरों का धैर्य धीरे – धीरे चुकने लगा तथा उन्होंने संगठित होकर शोषण के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी।

अमेरिका की नैशनल लेबर यूनियन ने अगस्त 1866 में अपना अधिवेशन में पहली बार यह माँग रखी कि मज़दूरों के लिए दिन में सिर्फ आठ घंटे काम के रखे जाएँ। यूनियन की इस घोषणा से मज़दूरों के संघर्ष को बल मिला। धीरे – धीरे अमेरिका सहित अन्य देशों में भी यह माँग जोर पकड़ने लगी।

1886 को 3 मई के दिन शिकागो शहर में लगभग 45000 मज़दूर एक साथ सड़कों पर निकल आए। पुलिस ने हल्की झड़प के फौरन बाद मज़दूरों पर गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी जिससे तत्काल 8 मज़दूर मारे गये और अनेक घायल हो गए। भीड़ में से किसी ने पुलिस पर बम फेंक दिया जिससे एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई तथा कुछ घायल हो गए। इससे पुलिस वालों का आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को गोलियों से छलनी कर दी। आंदोलनकारी नेताओं को उम्र भर की सज़ा दी गई और कुछ को फाँसी पर लटका दिया गया। लेकिन इतना कुछ होने पर भी यह आंदोलन और तेज़ होता गया।

14 जुलाई 1889 को अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी मज़दूर कांग्रेस की स्थापना हुई। इसी दिन इसने काम के 8 घंटे की माँग को दोहरा दिया। अपनी माँग जारी रखने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी मज़दूर कांग्रेस ने मई 1890 को विश्वभर में ‘मज़दूर दिवस’ मनाने का आह्वान दिया।

कण-कण का अधिकारी Summary in English

If one earns money and accumulates it by immoral and vicious ways, the other enjoys it on the name of fortune by deceiving him.

The fortune of the human society is nothing but toil i.e, hard work. This earth, the sky, and the abyss all of these will be modest to the hard work and salute it.

He who works hard should not be lagged behind. He alone should be allowed to have comforts in this triumphant nature.

What is available in this nature is nothing but the human being’s money. O Dharmaraja! The people are the masters of every particle of it. They who work hard alone have the right to enjoy it.

कण-कण का अधिकारी Summary in Telugu

ఒక మనిషి పాపము చేసి ధనమును సంపాదించి ప్రోగుచేస్తే దాన్ని మరొకడు అదృష్టము (భాగ్యవాదము) అనే ముసుగులో అనుభవిస్తున్నాడు.

శ్రమ, భుజబలమే మానవ సమాజ భాగ్యము (అదృష్టము). దాని ముందు భూమి, ఆకాశము కూడా తలవంచుతాయి. చెమటోడ్చి శ్రమపడేవారిని ఎన్నడూ నిరాశపరచకూడదు. (వెనకబడి ఉండనివ్వకూడదు) జయించబడిన ప్రకృతి నుండి ముందుగా వారినే సుఖాన్ని అనుభవించనివ్వాలి.

ఆ ప్రకృతిలో లభించే సంపద అంతా మానవునిదే. దాని అణువణువు మీద మానవునికే అధికారము ఉన్నది.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
दिनकरजी ने श्रमिकों को सदा आगे रखने की बात क्यों कही है? लिखिए।
उत्तर:
यह प्रश्न ‘कण-कण का अधिकारी’ कविता पाठ से दिया गया है। इसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर हैं। मेहनत करनेवाला सदा आगे बढ़ता है। सफलता प्राप्त करता है। वह समाज का निर्माता होता है। वही अन्नदाता है। सुखदाता है। उसी से विकास होता है। इसलिए प्राप्त सुखों में मेहनत करनेवालों को भागीदारी बनाना चाहिए। क्योंकि दाता न रहे तो, हम भी नहीं।

प्रश्न 2.
कविवर रामधारी सिंह दिनकर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
डॉ. रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के प्रसिद्ध कवियों में एक हैं। आपका जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर में हुआ। आप हिंदी के राष्ट्र कवि कहे जाते हैं।

रचनाएँ : उर्वशी, रेणुका, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, रसवंती आदि।
पुरस्कार : आपको उर्वशी काव्य ग्रंथ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
समाज में मेहनत करने वालों को दिनकर जी ने अग्रस्थान क्यों दिया हैं?
उत्तर:

  • समाज में मेहनत करनेवालों को दिनकर जी ने अग्रस्थान दिया हैं | क्योंकि
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता ।
  • जो मेहनत करता है वह हमेशा सफल होता है ।
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला मेहनत करने वाला ही है ।

प्रश्न 2.
मेहनत करने से जीवन में क्या प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:

  • मेहनत करने से हम जीवन में सब कुछ पा सकते हैं |
  • मेहनत सफलता की कुंजी है ।
  • मेहनत करने वाला कभी भी नहीं हारता |
  • भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी यही कहते हैं कि सपनों को साकार करने के लिए अधिक मेहनत करना है।
  • मेहनत करने से हम जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं ।
  • मेहनत के द्वारा ही हम अपने जीवन को बदल सकते हैं ।
  • जीवन को सुखमय बनाने के लिए मेहनत करना ही है ।
  • मेहनत करने से समाज का आदर भी हमें प्राप्त होता है ।

प्रश्न 3.
मेहनत करनेवाला कभी भी नहीं हारता – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:

  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है | मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता |
  • परिश्रम ता मेहनत करनेवाला हमेशा सफल होता है ।
  • जो मेहनत करते हैं वे ही काल्पनिक जगत को साकार रूप देने वाले हैं ।
  • हर कण के पीछे उसी का श्रम है।
  • जो मेहनत करता है वही कण – कण का अधिकारी है।
  • समाज ही नहीं पृथ्वी, विनीत नभ – तल भी मेहनत करने वाले के सामने झुकता है ।
  • मेहनत करने वालों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है ।
  • उसे ही हर जगह आदर, सम्मान मिलता है।
    इसलिए कवि दिनकर जी ने ऐसा कहा होगा कि मेहनत करनेवाला कभी भी नहीं हारता |

प्रश्न 4.
मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है । कैसे?
उत्तर:

  • मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है ।
  • श्रम और भुज – बल के सहारे ही मानव का जीवन यापन होता है ।
  • श्रम करनेवाला कभी नहीं हारता | श्रम के सहारे ही मानव समाज में आदर पाता है |
  • काल्पनिक जगत का साकार रूप श्रम के द्वारा ही होता है ।
  • श्रम करनेवाला भाग्यवाद पर भरोसा न रखकर धन कमाता है ।
    इसलिए हम कह सकते हैं कि मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है |

प्रश्न 5.
मेहनत ही सफलता की कुंजी है । अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर:

  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी भी नहीं हारता | मेहनत करनेवाला हमेशा सफल होता है ।
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देने वाला मेहनत करने वाला ही है ।
  • कण – कण के पीछे मेहनत करने वाले का ही श्रम निहित है ।
  • जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है ।

प्रश्न 6.
जीवन की सफलता श्रम पर निर्भर है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • जीवन की सफलता श्रम पर निर्भर है।
  • जो सुखमय जीवन चाहता है वह श्रम ज़रूर करता है ।
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है | श्रम और मेहनत करने वाला कभी नहीं हारता ।
  • श्रम के सहारे ही हम जीवित रहते हैं।
  • अपने – अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे जीवन में श्रम का ही सहारा लेना पडेगा |
  • हम श्रम के सहारे अपने जीवन में काल्पनिक जगत को साकार रूप दे सकेंगे।
  • श्रम करनेवाले भाग्यवाद पर विश्वास नहीं करते । अपने भुज – बल के द्वारा ही श्रम – जल देकर जीवन को सफल बनाते हैं।

प्रश्न 7.
दिनकर जी के अनुसार ‘काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रमिक है’ – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • दिनकर जी के अनुसार ‘काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रमिक ही है।
  • यह कथन बहुत सच है | मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • श्रमिक अपने श्रम के कारण कभी नहीं हारता | श्रमिक हमेशा सफल ही होता रहता है ।
  • कण – कण के पीछे श्रमिक का ही श्रम है । श्रमिक ही कण – कण का अधिकारी है ।
  • श्रमिक अपने श्रम द्वारा काल्पनिक जगत को साकार रूप देता है।
  • श्रमिक भाग्यवाद पर विश्वास नहीं रखता ।
  • नर – समाज का भाग्य श्रम, भुजबल ही है – यह श्रमिक का विश्वास है ।

प्रश्न 8.
डॉ. रामधारी सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं?
‘कण – कण का अधिकारी कविता के कवि के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • डॉ. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों में से एक हैं।
  • उनका जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर में हुआ तथा निधन सन् 1974 में हुआ।
  • इन्हें हिन्दी का राष्ट्रकवि भी कहा जाता है।
  • ‘उर्वशी’ कृति के लिए इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • रेणुका, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, रसवंती आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“कण – कण का अधिकारी” कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “कण – कण का अधिकारी” है।
कवि का नाम : “डॉ. रामधारी सिंह दिनकर” है। प्रस्तुत कविता में भीष्म पितामह, कुरुक्षेत्र युद्ध से विचलित धर्मराज को कार्यरत होने के लिए उपदेश देते हुए कहते हैं –

  • हे धर्मराज ! एक मनुष्य पाप के बल से धन इकट्ठा करता है।
  • दूसरा उसे भाग्यवाद के छल से भोगता है।
  • मानव समाज का एक मात्र आधार या भाग्य “श्रम और भुजबल” है।
  • श्रमिक के समाने पृथ्वी और आकाश दोनों झुक जाते हैं।
  • जो परिश्रम करता है, उसे सुखों से कभी वंचित नहीं करना चाहिए।
  • जो पसीना बहाकर श्रम करता है, उसी को पहले सुख पाने का अधिकार है।
  • प्रकृति में जो भी वस्तु है, वह मानव मात्र की संपत्ति है।
  • प्रकृति के कण-कण का अधिकारी जन – जन हैं।

प्रश्न 2.
मेहनत करनेवाला ही ‘कण-कण का अधिकारी’ है । पाठ के आधार पर अपने विचार बताइए ।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “कण – कण का अधिकारी है।
कवि का नाम : “डॉ. रामधारी सिंह दिनकर” है।

  • मेहनत की सफलता की कुंजी है। मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता। वह हमेशा सफल होता है क्योंकि काल्पनिक जगत् को साकार रूप देने वाला वही है। इसके कण – कण के पीछे उसी का श्रम है। इसलिए वही कण – कण का अधिकारी है।
  • कुछ लोग पाप करके धन कमाते हैं।
  • उस धन को कुछ लोग “भाग्यवाद” की आड़ में भोगते हैं। नर समाज का भाग्य श्रम और भुजबल ही है।
  • श्रमिक के सम्मुख भूमि और आकाश झुकते हैं।
  • प्रकृति में छिपी संपदा ही मनुष्य का धन है।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 3.
‘कण – कण का अधिकारी’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
उत्तर:
श्रम और भुजबल ही मानव समाज का एक मात्र आधार है। भाग्य है। हमारे जीवन में, मानव समाज में श्रम का बड़ा महत्व है। जीवन में सफलता पाने के लिए श्रम करना अनिवार्य है। श्रम ऐसा प्रयास है जिससे असंभव कार्य को भी संभव में आसानी से बदला जा सकता है। हर प्रकार की प्रगति की जा सकती है। मानव समाज और देश को उन्नति के मार्ग में अग्रसर किया जा सकता है। श्रम करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ (उच्च) स्थान पाता है। हम कह सकते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। श्रम करने वाला कभी भी जीवन में हारता (पराजित) नहीं है। न ही कभी निराश होता है।

सदैव आत्म विश्वास के साथ निरंतर श्रम करते हुए (सर्वोच्च) सर्वश्रेष्ठ स्थान को प्राप्त करता है। श्रम करने वाला ही काल्पनिक जगत को साकार रूप देने में सक्षम होता है। इसलिए जो श्रम करता है वही प्रकृति के हर एक कण का अधिकारी है। मनुष्य का महान गुण है श्रम करना। श्रम करने से यश, संपत्ति, जीवन यापन के लिए आवश्यक सुख – सुविधाएँ, इज्जत (आदर), गौरव, मान – सम्मान आदि प्राप्त होते हैं। जो व्यक्ति कार्य को पूर्ण करने के लिए श्रम करता है वही सुख पाने का सच्चा अधिकारी है। श्रम करनेवाला आस्था के साथ प्रगति पथ पर बढ़ता ही चला जाता है। यह भाग्य पर विश्वास न करके कर्म पर श्रम पर विश्वास करता है। श्रम करनेवाला हर कठिनाई को अपने परिश्रम से अपने अनुकूल बना लेता है।

इसलिए श्रम का बड़ा महत्व है। श्रम ही सफलता की कुंजी है। जिसके सम्मुख पृथ्वी भी झुक जाती है।

प्रश्न 4.
परिश्रम करनेवाले व्यक्ति को प्रकृति से पहले सुख पाने का अधिकार क्यों मिलना चाहिए ?
उत्तर:
मानव जीवन बहुत मूल्यवान है। श्रम करके सफलता प्राप्त करना मानव का जन्म सिद्ध गुण है। श्रम के आगे कोई असंभव नहीं है। इसलिए आरंभ से ही मानव कर्मरत हो सफलता प्राप्त कर रहा है। मेहनत करनेवालों से ही सब लोगों को आवश्यक चीजें सुविधाएँ मिल रही हैं। सृष्टि में अनेक आवश्यक और जीवनोपयोगी चीजें निक्षिप्त हैं। निस्वार्थ भाव से श्रम करनेवालों को ही प्रकृति वशीभूत होती है। अतः वे लोग ही महान और भाग्यवान होते हैं। वे ही आदर्शवान और महत्वपूर्ण हैं। ऐसे लोगों को सदा आगे रखने की बात कवि कह रहे हैं।

प्रश्न 5.
डॉ. रामधारीसिंह दिनकर ने ‘कण – कण का अधिकारी’ कविता के माध्यम से आज के समाज को क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
‘कण – कण का अधिकारी’ नामक कविता के कवि हैं श्री रामधारी सिंह दिनकर | यह कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है । आप इस कविता में श्रम तथा श्रामिक के बडप्पन तथा महत्व के बारे में बताते हैं । कवि ने इस कविता में मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है । मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता वह हमेशा सफल होता है । सारा संसार उसे आदर भाव से देखता है । कवि कहते हैं कि एक मनुष्य अर्थ पाप के बल पर संचित करता है तो दूसरा भाग्यवाद के छल पर उसे भोगता है।

कवि कहते हैं कि नर समाज का भाग्य श्रम ही है । वह भुजबल है | श्रमिक के सम्मुख पृथ्वी और आकाश झुक जाते हैं । नतमस्तक हो जाते हैं।

कवि श्रम – जल देनेवाले को पीछे मत रहजाने को कहते हैं । वे कहते हैं कि विजीत प्रकृति से पहले श्रमिक को ही सुख पाने देना चाहिए | आखिर कवि बताते हैं कि इस प्रकृति में जो कुछ न्यस्त है वह मनुजमात्र का धन है । हे धर्मराज उस के कण – कण का अधिकार जन – जन हैं | मतलब यह है कि जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

संदेश : जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 6.
श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । इस कथन पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:

  • श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । इसमें कोई संदेह नहीं है ।
  • इसके कई कारण इस कथन का समर्थन कर सकते हैं।
  • श्रमिक शक्ति के सहारे ही देश में वस्तुओं की उत्पत्ति होती है ।
  • उन वस्तुओं को देश-विदेशों में बेचें तो विदेशी मारक द्रव्य आता है।
  • विदेशी मारक द्रव्य से व्यक्तिगत आय बढ़ता है ।
  • व्यक्तिगत आय बढने से जातीय आय भी बढता है ।
  • देश की उन्नति में श्रामिकों का बडा हाथ है।
  • इसलिए श्रमिकों की उन्नति के लिए सरकार को विविध कार्यक्रम चलाना चाहिए |
  • श्रमिकों को ही पहले – पहल सुख पाने देना चाहिए ।
  • श्रमिकों का देख-रेख, स्वास्थ्य आदि पर सरकार को ध्यान रखना चाहिए ।
  • श्रमिक जो हैं वे काल्पनिक जगत को साकार करने वाले हैं ।
  • श्रमिकों को अच्छे – से अच्छे वेतन देना है।
  • श्रमिकों के बिना यह संसार में प्रगति अधूरी है । इसलिए हम कह सकते हैं कि श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । क्योंकि जिस देश में श्रमिक अच्छा जीवन बिताते हैं, उन्नति पाते हैं, उस देश की उन्नति होगी।

प्रश्न 7.
‘कण – कण का अधिकारी’ कविता से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
कण – कण का अधिकारी कविता से हमें ये संदेश मिलते हैं –

  • श्रम और भुजबल नर समाज का भाग्य है ।
  • भाग्यवाद पर भरोसा मत रखना है ।
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है । ।
  • मेहनत करनेवाला कभी नहीं हारता |
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रामिक ही है ।
  • मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है ।
  • श्रम के सम्मुख पृथ्वी, विनीत नभ – तल झुकते हैं ।
  • श्रम – जल देनेवाले को पहले सुख पाने देना चाहिए ।

प्रश्न 8.
हमारे समाज में परिश्रम करनेवालों का जीवन स्तर निम्न क्यों होता है?
उत्तर:
परिश्रम और भुजबल मानव समाज का एक मात्र आधार तथा भाग्य है। श्रम के सामने आसमान, पृथ्वी, सब आदर से झुक जाते हैं। श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है। श्रम के द्वारा ही सारी संपत्ति, सुखसुविधाएँ संचित होती हैं। श्रम करने से किसी को अभाव की शंका नहीं रहती ।

एक मनुष्य के श्रम का फल दूसरा व्यक्ति अनुचित रूप से अर्जित करता है। भाग्यवाद के नाम पर पूँजीवादी उस श्रम धन को भोगता है। छल, कपट से पाप के बल से धन संचित करता है। शारीरिक श्रम न करना पूँजीवाद वाद की पहचान माना जाता है।

वास्तव में प्राकृतिक संपदा सब की है न कि कुछ ही लोगों की। श्रमिक ही प्राकृतिक संपदा का सर्व प्रथम अधिकारी है। लेकिन भाग्यवाद के बल पर पूँजीवादी श्रमिकों के श्रम का फल भोग रहे हैं। उनकी नजर में ये श्रमिक सिर्फ मेहनत करने के लिए पैदा हुए हैं। इसलिए यथा शक्ति श्रमिकों के अधिकार दूर करके उनको पीछे पड़े रहने की हालत पैदा करते हैं। नादान श्रमिक अपना भाग्य इतना ही समझकर उनके करतूतों की शिकार बन रहे हैं। अविद्या, ज्ञान की कमी से श्रमिक कष्ट झेल रहे हैं। इसी कारण से अपने अधिकार और सुख प्राप्त करने में वे पीछे रह जाते हैं। परिश्रम करनेवाले का स्तर हमारे मानव समाज में निम्न ही रह जाता है। श्रम करनेवाला कभी सुख सुविधाओं की ओर ध्यान देता ही कम है।

प्रश्न 9.
धर्मराज को भीष्म पितामह द्वारा दिये गये संदेश पर आज के समाज को दृष्टि में रखकर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
धर्मराज को भीष्म पितामह के द्वारा श्रम के महत्व के बारे में संदेश दिया गया है। आज के समाज़ को दृष्टि में रखकर इस पर मेरे ये विचार हैं –

  • भाग्यवाद से कर्मवाद अच्छा है।
  • नरसमाज का भाग्य केवल एक ही है – वह श्रम है। वह भुजबल है।
  • भुजबल या श्रम – जल के सम्मुख पृथ्वी, विनीत नभ – तल झुकते हैं।
  • श्रम के बल पर हम सब – कुछ हासिल कर सकते हैं।
  • श्रम जल देनेवाले को पीछे मत रहने दो।
  • विजीत प्रकृति से पहले उसे सुख पाने देना चाहिए।
  • न्यस्त प्रकृति में जो कुछ है वह मनुज मात्र का धन है।
  • कण – कण का अधिकारी श्रमिक ही है।

प्रश्न 10.
‘श्रमयेव जयते’ – इस कथन को दिनकर जी ने किस प्रकार समझाया?
उत्तर:
‘कण – कण का अधिकारी’ नामक कविता के कवि हैं श्री रामधारी सिंह दिनकर | यह कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है । आप इस कविता में श्रम तथा श्रामिक के बडप्पन तथा महत्व के बारे में बताते हैं । कवि ने इस कविता में मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है । मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता वह हमेशा सफल होता है । सारा संसार उसे आदर भाव से देखता है।

कवि कहते हैं कि एक मनुष्य अर्थ पाप के बल पर संचित करता है तो दूसरा भाग्यवाद के छल पर उसे भोगता है।

कवि कहते हैं कि नर समाज का भाग्य श्रम ही है । वह भुजबल है | श्रमिक के सम्मुख पृथ्वी और आकाश झुक जाते हैं । नतमस्तक हो जाते हैं ।

कवि श्रम – जल देनेवाले को पीछे मत रहजाने को कहते हैं । वे कहते हैं कि विजीत प्रकृति से पहले श्रमिक को ही सुख पाने देना चाहिए |

आखिर कवि बताते हैं कि इस प्रकृति में जो कुछ न्यस्त है वह मनुजमात्र का धन है । हे धर्मराज उस के कण – कण का अधिकार जन – जन हैं । मतलब यह है कि जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 3 हम भारतवासी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

10th Class Hindi Chapter 3 हम भारतवासी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 13)

प्रश्न 1.
नदियाँ किसमें विलीन होती हैं?
उत्तर:
नदियाँ समुद्र में विलीन होती हैं।

प्रश्न 2.
इसमें किस – किसको एक बताया गया है?
उत्तर:
इसमें मानव जाति, मानव धर्म तथा सारी दुनिया को एक बताया गया है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 3.
‘मानव जाति एक है।’ इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
मानव जाति एक है। जिस प्रकार अनेक स्थानों से बहनेवाली नदियाँ अंत में समुद्र में मिलती हैं। उसी प्रकार अलग – अलग धर्म में जन्म लिये मनुष्य भी अंत में परमात्मा के पास पहुँचते हैं। इसलिए हम कह । सकते हैं कि मानव जाति एक है उददश्य छात्रों में कविता, गीत आदि की रचना शैली का विकास करना और उनमें देशभक्ति के साथ-साथ विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सद्गुणों का विकास करना तथा भारत को और भी सशक्त कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रसर करने की प्रेरणा देना इस पाठ का मुख्य उद्देश्य है। विधा विशेष प्रस्तुत कविता देशभक्ति की भावना पर आधारित है। यह गेय कविता है। इसमें तुकांत शब्द प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया व सामान्य भविष्य में हैं। यह कविता बच्चों में सत्य, अहिंसा, त्याग और | समर्पण की भावना जागृत कर, उन्हें विश्वबंधुत्व की ओर कदम बढ़ाने की प्रेरणा देती है।

InText Questions (Textbook Page No. 14)

प्रश्न 1.
ऊँच – नीच का भेद मिटाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
ऊँच – नीच का भेद मिटाना हमारा प्रथम आशय व कर्तव्य है। इसके लिए अपनी ओर से हम भी कुछ कर सकते हैं।

  • सब लोगों से मिलजुलकर रहते एकता की भावना बढानी है।
  • सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करते नफ़रत की भावना को छोड देना है।
  • समानता का बीज बोते लोगों के दिलों में विश्वास भरना है।
  • जाति, धर्म, भाषा, प्रांत, जैसे भेद भावों को छोडते लोगों की सहायता करनी है।
  • सबका आदर – सम्मान करना है।
  • सबकी उन्नति में समान अवसर देना है।

प्रश्न 2.
हमें अपने जीवन में कैसा पथ अपनाना चाहिए?
उत्तर:
हमें जीवन में सदा सत्य और न्यायमार्ग पर चलना है। श्रद्धा और प्रेम का उत्तम भाव दिल में रखकर दीन – दुखियों की सेवा करनी है। खुद खुश रहते सब को सुखी रखने का न्याय पथ हमें अपनाना चाहिए। अहिंसा और धर्ममार्ग को अपनाना चाहिए। त्याग भावना को अपनाना चाहिए।

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प्रश्न 3.
हम भटकने वालों को राह कैसे दिखा सकते हैं?
(या)
बेराहों को राह कैसे दिखा सकते हैं?
उत्तर:
भटकने वाले लोगों को जीवन की वास्तविकता समझाने का प्रयत्न करना है। सही मार्गदर्शन करते उनको खुशियाँ पाने का ज्ञान अवगत कराना है। न्याय और सत्य मार्ग पर आगे बढने ज्ञानपूर्ण सलाह देते भटकनेवालों को राह दिखा सकते हैं।

प्रश्न 4.
सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिया महकाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
(या)
हम खुशियों की बगिया कैसे महकायेंगे?
उत्तर:
मानव सामाजिक प्राणी है। हमारे मानव जीवन में सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण, प्रेम आदि महान गुणों का विशेष महत्व है। ऐसे उत्तम गुणों की बगिया महकाने हम पहले दुनिया के सारे क्लेश मिटाने का प्रयत्न करेंगे। विश्व बंधुत्व का मूलमंत्र खुद अपनाते लोगों को श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे। इस तरह सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिया महका सकते हैं। धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
यह गीत आपको कैसा लगा ? अपनी पसंद और नापसंद का कारण बताइए।
उत्तर:
“हम भारतवासी” गीत मुझे बहुत पसंद आया। यह गीत सरल, सुबोध और प्रभावशाली है। देशभक्ति भावना जगाकर, विश्वबंधुत्व की ओर हमें अग्रसर होने की प्रेरणा देनेवाला है। भारतवासियों के सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि गुणों का समर्थन करते हुए दुनिया को पावन धाम बनाने की महत्वाकांक्षा रखती है। सारे विश्व के लोगों के विविध क्लेशों को मिटाकर एक धर्म कुटुंब बनने की प्रेरणा देनेवाला है। भारतीय संस्कृति की गरिमा बढाने वाला है। खासकर भारतीयों के धर्म, जाति, संप्रदाय रूपी विषमताओं को भगाकर सब में अपनापन जगानेवाला है।

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प्रश्न 2.
दुनिया को ‘पावन धाम’ बनाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
दुनिया को पावन धाम बनाने के लिए

  • ऊँच – नीच का भेद मिटायेंगे।
  • निराशा की भावना भगाकर विश्वास जगायेंगे।
  • उलझे लोगों को वास्तविकता बतायेंगे। बेराहों को राह दिखायेंगे।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण, विश्व बंधुत्व की भावना जगायेंगे।

आ) दिया गया पद्यांश पढ़िए और इसके मुख्य शब्द पहचान कर लिखिए।

मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे।
सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण की बगिया महकायेंगे।
जग के सारे क्लेश मिटाकर, धरती को स्वर्ग बनायेंगे।
विश्वबंधुत्व का मूल मंत्र हम, दुनिया में सरसायेंगे।

जैसे : श्रद्धा, …………………,
…………………………..,
…………………………..,
उत्तर:
प्रेम, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण, क्लेश, विश्वबंधुत्व के सहारे धरती को स्वर्ग बनाना।

इ) निम्नलिखित भाव से संबंधित कविता की पंक्तियाँ पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
संसार में व्याप्त सारे विवादों को मिटाकर, हम धरती को स्वर्ग बनायेंगे।
उत्तर:
जग के सारे क्लेश मिटाकर, धरती को स्वर्ग बनायेंगे।

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प्रश्न 2.
जीवन पथ से भटके लोगों को रास्ता दिखाएँगे।
उत्तर:
भटक रहे जो जीवन पथ से, उनको राह दिखायेंगे।

प्रश्न 3.
हम भेदभाव दूर करेंगे। हम सब मिलजुलकर रहेंगे।
उत्तर:
ऊँच – नीच का भेद मिटाकर, दिल में प्यार बसायेंगे।

ई) नीचे दिया गया पद्यांश पढ़कर सही उत्तर पहचानिए।
आज़ादी अधिकार सभी का जहाँ बोलते सेनानी,
विश्व शांति के गीत सुनाती जहाँ चुनरिया ये धानी,
मेघ साँवले बरसाते हैं, जहाँ अहिंसा का पानी,
अपनी माँगें पोंछ डालती, हँसते – हँसते कल्याणी,
ऐसी भारत माँ के बेटे मान गँवाना क्या जाने,
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जानें।

1. धानी रंग की चुनरी कौन – सा गीत सुना रही है?
अ) अधिकार का
आ) आज़ादी का
इ) विश्वशांति का
ई) अहिंसा का
उत्तर:
इ) विश्वशांति का

2. भारत के लाल कैसे हैं?
अ) सजीले
आ) साँवले
इ) हठीले
ई) निराले
उत्तर:
इ) हठीले

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3. सैनिक किसे सभी का अधिकार मानते हैं? ‘
अ) आज़ादी को
आ) शांति को
इ) अहिंसा को
ई) मान को
उत्तर:
अ) आज़ादी को

4. “मान” शब्द का विलोमार्थक है
अ) निरमान
आ) दुरमान
इ) अपमान
ई) स्वमान
उत्तर:
इ) अपमान

5. भारत माँ के बेटे क्या गाँवाना नहीं चाहते हैं?
अ) आज़ादी
आ) मान
इ) शीश
ई) अधिकार
उत्तर:
आ) मान

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
उलझनों से बचे रहने के लिए हमें कैसी सावधानियाँ लेनी चाहिए?
उत्तर:
उलझनों से बचे रहने के लिए

  • धार्मिक भेद – भाव न रखना चाहिए।
  • उत्तम मानवीय मूल्यों को बनाये रखना है।
  • पारस्परिक सहयोग की भावना होना है।
  • हमेशा सतर्क, जागरूक रहना है।
  • बौद्धिक विकास करना चाहिए।

प्रश्न 2.
निराशावादी और आशावादी के स्वभाव में क्या अंतर होता है?
उत्तर:
निराशावादी में निराशा की भावना होती है। वह निष्क्रिय होता है। जीवन दुखद होता है। उलझा रहता है। आशावादी में आशा की भावना होती है। वह सक्रिय होता है। जागरूक रहता है। सत्य, अहिंसा, त्याग समर्पण होती है।

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आ) गीत में ‘धरती को स्वर्ग’ बनाने की बात कही गयी है। हम इसमें क्या सहयोग दे सकते हैं?
(या)
पूरे विश्व को स्वर्ग का धाम कैसे बना सकते हैं?
उत्तर:
कविता का नाम : हम भारतवासी
कवि का नाम : आर.पी.निशंक
हिंदी के विख्यात कवि हैं आर.पी. निशंक| इस कविता के ज़रिये कवि छात्रों में देश भक्ति, विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि महान सद्गुणों का विकास करना चाहते हैं।

“हम भारतवासी” कविता में धरती को स्वर्ग बनाने की बात पर प्रकाश डाला गया है। सच्चे भारतीय होने के कारण हम भी अपना पूरा सहयोग दे सकते हैं।

  • हम मानवों में भरे जाति – धर्म, वर्ग – वर्ण, ऊँच – नीच, अमीर – गरीब जैसे भेदभावों को दूर कर
  • सकते हैं। इससे एकता की भावना बढकर सब लोग प्रेम से रह सकते हैं।
  • सत्य, अहिंसा, सेवा, त्याग, प्रेम आदि का महत्व समझाकर विश्व बंधुत्व की भावना जगा सकते हैं।
  • स्वार्थ भाव से भरे लोगों को स्वार्थरहित, पक्षपात रहित और सहनशील बनाकर देश प्रेमी बना सकते हैं।
  • दुःख में धीरज धर लेने का आत्मविश्वास उनमें भरकर निराशावाद दूर भगाकर आशावादी बना सकते हैं।
  • जीवन पथ से भटके लोगों को मार्गदर्शन करके उन्हें सक्रिय मार्ग पर लगा सकते हैं।
  • हर्ष – विषाद आपस में बाँटकर अपनापन बढा सकते हैं। – एक दूसरे के प्रति आदर का भाव रखते, प्रेमालू बना सकते हैं।

एक बात में कहे तो वसुदैक कुटुंबकम बना सकते हैं। ऐसा करके हम भी धरती को स्वर्ग बनाने में अपना पूरा सहयोग दे सकते हैं।

विशेषता : इस कविता में देश भक्ति और नैतिक मूल्य बताये गये हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

इ) विश्वशांति की राह में समर्पित किस महान व्यक्ति का साक्षात्कार आप लेना चाहेंगे? साक्षात्कार में उनसे पूछे जाने वाले प्रश्नों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
विख्यात नेता से साक्षात्कार लेने के लिए मैं निम्न लिखित इस प्रश्नावली को तैयार करूँगा।
वे प्रश्न इस प्रकार हैं –

  • महोदय। विश्वशांति के लिए आप अविरल प्रयत्न कर रहे हैं। क्या आप यह बता सकते हैं कि विश्वशाँति माने क्या है? उसकी क्या आवश्यकता है?
  • आपको इस महत्वपूर्ण कार्य में पदार्पण करने का विचार क्यों और कैसे आया? इसके क्या कारण हो सकते हैं?
  • आपके इस पवित्र यज्ञ में किन-किन सज्जनों ने आपका सहयोग दिया ?
  • अपनी संकल्प सिद्धि के इस पावन काम में आपने कौनसे त्याग किये ? वे कहाँ तक फलदायी हुये हैं?
  • आपको इस काम में कहाँ तक सफलता मिली है?
  • आपके इस पुण्य कार्य में कौन-सी अडचनों का सामना करना पड़ा?
  • आगे आनेवाली पीढी को आपका संदेश क्या है?
  • सुना है कि इस विश्वशांति के पावन यज्ञ में सफल हुए व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। आपको यह पुरस्कार मिले तो आप कैसा अनुभव करते ?

ई) सत्य, अहिंसा, त्याग आदि भावनाओं का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
उत्तर:
हमारे जीवन में सच्चाई से बढ़कर कोई तपस्या नहीं होती। सत्य से जीवन सुखद बनता है। इसके आचरण से सच्चरित्र और महान बनता है। समाज में वंदनीय और पूजनीय बनता है।

किसी को क्षमा करना और हर प्राणी पर दया करना मनुष्य का कर्तव्य होना चाहिए। अहिंसा से दया और भाईचारे का जन्म होता है।

त्याग भावना से प्रेम और भाईचारा भाव बढ़ता है। चारों ओर संतोष होता है। भोग से त्याग श्रेयस्कर होता है।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
दुनिया, अमृत, पावन (वाक्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
(जैसे – यह दुनिया बड़ी निराली है। विश्व, जग, संसार)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
अमृत : देव जाति के लोगों ने अमृत का पान किया है।
पावन : बापूजी का यह पावन उदेदश्य आदर्शनीय है।

पर्याय शब्द
अमृत – सुधा, पीयूष
पावन – पवित्र, पुनीत

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प्रश्न 2.
निराशा, त्याग, प्यार (विलोम शब्द लिखिए। उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
(जैसे – निराशा × आशा, हमें जीवन में आशा बढानी चाहिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
त्याग × स्वार्थ
प्यार × घृणा

वाक्य प्रयोग
त्याग : त्याग भावना उत्तम है, स्वार्थ भावना अधम है।
प्यार : प्यार से रहना चाहिए। ईर्ष्या या घृणा पाप है।

प्रश्न 3.
खुशी, बगीचा, भावना (वचन बदलिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
(जैसे – खुशी – खुशियाँ, बच्चों को खेलों से बहुत सारी खुशियाँ मिलती हैं।)
वचन वाक्य प्रयोग
उत्तर:
खुशी – खुशियाँ : वे सब मिलकर खुशियाँ मना रहे हैं।

बगीचा – बगीचे : बैगलूर में कई सुंदर बगीचे हैं।
भावना – भावनाएँ : हमें अपने दिलों में सदा अच्छी भावनाएँ रखनी हैं।

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आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
पवन, पावन, निराशा (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:
संधि विच्छेद
पवन = पो + अन
पावन = पौ + अन
निराशा = निः + आशा

प्रश्न 2.
भारतवासी, जीवनज्योत (समास पहचानिए।)
उत्तर:
भारतवासी : → तत्पुरुष समास (भारत के वासी)
जीवनज्योत → कर्मधारय समास(जीवन रूपी ज्योत)

इ) इन्हें समझिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. खुशी
2. खुशियाँ
3. खुशियों में
उत्तर:

  1. वह खुशी मनाती है। यह खुशी संज्ञा शब्द है।
  2. त्यौहार के दिन लोग खुशियाँ मनाते हैं। खुशी का बहुवचन खुशियाँ हैं।
  3. अच्छे लोग सदा खुशियों की दुनिया में रहते हैं। संबंध बोध कारक हैं।

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ई)1. नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी 1
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी 2

2. कविता में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखिकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. पावन धाम बनाना = पवित्र स्थल बनाना
हमें दुनिया को पावन धाम बनाना चाहिए।

2. अमृत रस सरसाना = प्रेम भावना जगाना
भारतवासी सभी लोगों के दिलों में अमृत रस सरसायेंगे।

3. विश्वास जगाना = यकीन दिलाना
निराशावादी लोगों में विश्वास जगाने की आवश्यकता है।

4. राह दिखाना = सही रास्ता दिखाना
अध्यापक छात्रों को राह दिखाते हैं।

5. दिल में प्यार बसाना = एकता बनाना
नेता लोगों के दिल में प्यार बसाते हैं।

6. तथ्य दीप समझाना = यथार्थ / वास्तव बताना
तथ्य दीप समझाने से अहित कार्य नहीं होते।

7. कुहासा तोडना = स्पष्ट करना
मन में व्याप्त कुहासा तोडने से सुखी रह सकते हैं ।

परियोजना कार्य

शांति के पथ पर समर्पित किसी महान व्यक्ति के बारे में जानकारी इकट्ठा कर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जिम्मी कार्टर जिम्मी कार्टर का पूरा नाम जेम्स अर्ल कार्टर जूनियर है। (जन्म अक्तूबर 1, 1924) एक अमेरिकी राजनेता हैं जो 1976 से 1980 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 39 वें राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना में कार्यरत रहें, जॉर्जिया में सेनेटर रहे, और जॉर्जिया के गवर्नर भी रहे। राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद वे मानव अधिकार संस्थाओं एवं परोपकारी संस्थाओं के साथ जुड़े रहे। उन्हें 2002 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन :
जिम्मी कार्टर का जन्म जॉर्जिया के प्लेन्स नामक शहर में वाइस क्लीनिक अस्पताल में हुआ था जहाँ उनकी माँ लिलियन कार्टर नर्स थीं। उनके पिता अर्ल कार्टर का खेत था जिसमें वे कपास एवं मूंगफली उगाया करते थे। 1926 में जिम्मी की छोटी बहन ग्लोरिया, 1929 में रूथ, और 1937 में छोटे भाई बिली का जन्म हुआ। 1941 में जिम्मी ने प्लेन्स हाई स्कूल से दसवीं कक्षा पास की । 1941 में जिम्मी ने अमेरिकन्स शहर में स्थित जॉर्जिया साउथवेस्टर्न कॉलेज में पढ़ाई शुरू की। 1942 में उन्होंने यह कॉलेज छोड़ जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टॅकनॉलोजी में दाखिला लिया। 1943 में उन्हें एनापोलिस , मैरीलैंड स्थित यू. एस नेवल अकैडमी में दाखिला मिल गया और वे 1946 में वहाँ से उत्तीर्ण हुए। उत्तीर्ण होने के पश्चात वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना की पहली परीक्षनात्मक पनडुब्बी में कार्यरत हुए।

जुलाई 7, 1947 को कार्टर ने बहन रूथ की सहेली एलानोर रोज़ालिन स्मिथ से विवाह कर लिया। 1947 में कार्टर के पुत्र जॉन विलियम का जन्म हुआ, 1950 में जेम्स अर्ल II का, 1952 में डॉनल जेफ़्फ़ी … का और 1967 में पुत्री एमी लिन का जन्म हुआ। 1953 में जिम्मी के पिता अर्ल की मृत्यु होने पर जिम्मी अपनी पत्नी के साथ जॉर्जिया वापिस लौट गए, पिता के खेती के कारोबार को संभालने के लिए।

कैरियर : 1962 में कार्टर को जॉर्जिया सेनेट में चुना गया। 1966 में उन्होंने जॉर्जिया को गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ा परन्तु जीत नहीं पाए। 1971 में वे फिर जार्जिया के गवर्नर पद के चुनाव में खड़े हुए और जीते। जिम्मी कार्टर, मेनाम बेगिन और अनवर अल-सदात 1978 में कैम्प डेविड में। 1977 में वे संयुक्त राज्य अमेरिका के 39 वे राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति के तौर पर इनके कार्यकाल में निम्न मुख्य घटनाएँ हुई।

1978 में कैम्प डेविड में कार्टर ने मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल – सदात और इजराइल के प्रधानमन्त्री मेनाखेम बेगिन के बीच समझौता करवाया जिसके नतीजे में 1979 में इज़राइल और मित्र के बीच में शान्ति कायम हुई।

1 जनवरी 1979 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीनी जनवादी गणराज्य को राजनयिक मान्यता दी और दोनों के बीच में राजनयिक संबंध कायम हुए। इसी के साथ चीनी गणराज्य की राजनयिक मान्यता रद्द कर दी गयी और राजनयिक संबंध औपचारिक रूप से तोड़ दिए गए यद्यपि दोनों देशों ने अनौपचारिक रूप से राजनयिक संबंध जारी रखे।

1979 में हुई ईरान की इस्लामी क्रांति के दौरान नवंबर में तेहान में स्थित अमेरिकी दूतावास पर उग्रवादी छात्रों ने कब्जा कर लिया और 50 से अधिक अमेरिकी बंधी बना लिए गए। जब ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका कोई कूटनीतिक समाधान नहीं कर सके तो 1980 में सैन्य बल पर बंदियों को . छुड़ाने की नाकाम कोशिश की गई जिसमें अमेरिकी सैनिकों की जान गई। अंत में बंधी 1981 में 444 दिनों के पश्चात छोड़े गए।

सोवियत संघ के अफ़गानिस्तान पर हमला करने पर कार्टर ने आदेश दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाड़ी मॉस्को में हो रहे 1980 ग्रीष्मकालीन ओलिम्पिक खेलों का बहिष्कार करेंगे। वे 1980 में राष्ट्रपति चुनाव में पुनः खड़े हुए परन्तु हार गए।

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राष्ट्रपति कार्यकाल के पश्चात :
राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद कार्टर ने मानव अधिकार संबंधित अनेक संस्थाओं, एवं अनेक परोपकारी संस्थाओं के साथ काम किया है। 1982 में कार्टर ने अटलांटा, जॉर्जिया स्थित एमरी विश्वविद्यालय में कार्टर प्रेसिडेंशियल सेंटर की स्थापना की जो लोकतंत्र और मानव अधिकार संबंधित कार्य करता है।

कार्टर ने राष्ट्रपति कार्यकाल के पश्चात अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं।
कार्टर को 2002 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

हम भारतवासी Sunnary in English

We are Indians. We transform India into a holy heaven. We show the marvellous images of care and love in our hearts.

We fill our hearts with love discarding the feelings of high and low, rich and poor etc. We sprinkle the sap of ambrosia removing the mist patches like jealousy and hatred. We dispel the despair, fill hope and dispense confidence. We are Indians. We transform the world into a holy heaven.

We make the people who are extrapped in problems and difficulties realise the fact. We show the proper way to the people are led astray from the path of life. We enkindle the lights of life with the lamps of joy.

We are Indians. We transform India into a holy heaven.

We show the marvellous images of care and love in our hearts. We grow the groves of truth, non-violence, sacrifice, dedication and devotion. We remove all the adversities from the world and make it a heaven. We chant the spell of fraternity, universal rapport and make others chant.

We are Indians. We transform India into a holy heaven. We show the marvellous images of care and love in our hearts.

हम भारतवासी Summary in Telugu

మేము భారతీయులం. మేము ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తయారుచేస్తాం. మనస్సుల్లో శ్రద్ధ మరియు ప్రేమల అద్భుత దృశ్యాలను చూపుతాము.

ఉన్నవారు – లేనివారు (ఉన్నతమైన – నిమ్నమైన) అనే భేదభావాలు లేక హృదయాలలో ప్రేమను నింపుకుంటాము. ఈర్ష్యా – ద్వేషం అనే మంచు తెరలను తొలగించి అమృతరసాన్ని చిలికిస్తాం. నిరాశను దూరం చేసి ఆశను నింపి విశ్వాసాన్ని రేకెత్తిస్తాం, మేల్కొలుపుతాం. మేము భారతీయులం. ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తీర్చిదిద్దుతాం.

సమస్యలలో చిక్కుకుని ఊగిసలాడుతున్న ప్రజలకు యదార్థాన్ని తెలియజేస్తాం. జీవన పథం నుండి దారి మళ్ళి తిరుగుతున్నవారికి దారి చూపిస్తాం. సంతోష దీపాలతో జీవన జ్యోతులను వెలిగిస్తాం.

మేము భారతీయులం. ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తీర్చిదిద్దుతాం.

మనస్సుల్లో శ్రద్ధ, ప్రేమల అద్భుత దృశ్యాలను చూపుతాం. సత్యం, అహింస, త్యాగం, సమర్పణ మొదలైన తోటలను పెంచుతాం. ప్రపంచంలోని అన్ని కష్టాలను తొలగించి భూమిని స్వర్గంలా తీర్చిదిద్దుతాం. విశ్వబంధుత్వ మూలమంత్రాన్ని ప్రపంచంలో జపింపజేస్తాం, జపిస్తాం.

మేము భారతీయులం. ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తయారుచేస్తాం. మనస్సుల్లో శ్రద్ధ మరియు ప్రేమల అద్భుత దృశ్యాలను చూపుతాం.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
दुनिया को ‘पावन धाम’ बनाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
मैं सच्चे भारतीय होने के कारण सारी दुनिया को पावन धाम बनाना चाहता हूँ। यह मेरा प्रमुख कर्तव्य है। इसके लिए मैं पहले अपने दिल में निर्मल और उत्तम भावनाएँ भर लूंगा। सबके दिलों में एकता और सौभ्रातृत्व भावना जगाने का प्रयत्न करूँगा। प्रेम भाव का महत्व समझाते लोगों को भेद – भावों से दूर रहने का आग्रह करूँगा। सारी मानव जाति एक है – यह नारा देते भक्ति और धर्मयुक्त जीवन बिताने बाध्य करूँगा। खुद सत्य, अहिंसा, त्याग, आत्म समर्पण जैसे उत्कृष्ट गुणों का प्रचार करते लोगों को रास्ता दिखाऊँगा।

प्रश्न 2.
आर.पी. निशंकजी के बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिए।
उत्तर:

  • आर.पी.निशंक आधुनिक हिंदी साहित्यकारों में विशिष्ट स्थान रखते हैं।
  • इनकी रचनाओं का मुख्य प्रतिपाद्य देश भक्ति है। समर्पण, नंवकुर, मुझे विधाता बनना है, तुम भी मेरे साथ चलो, जीवन पथ में, कोई मुश्किल नहीं आदि उनकी चर्चित काव्य रचनाएँ हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
निराशा को दूर करने के क्या – क्या उपाय हैं?
उत्तर:
निराशा को दूर करने के लिए ये उपाय हैं –

  • मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखाने से निराशा दूर हो जाती है ।
  • दिल में प्यार बसाने से निराशा दूर कर सकेंगे |
  • हम दूसरों में विश्वास जगायें तो निराशा दूर हो जायेगा ।
  • ऊँच – नीच के भेद – भावों को मिटाने से भी निराशा दूर हो जायेगी।

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प्रश्न 2.
विश्व बंधुत्व का अर्थ क्या है?
उत्तर:

  • एक ही परिवार के सभी लोग जिस प्रकार बंधुत्व भाव से रहते हैं, उसी प्रकार विश्व भर के लोगों से बंधु भावना से रहना ही विश्व बंधुत्व है । केवल भारतीयों और भारत देश में ही विश्व बंधुत्व की भावना प्राचीन काल से आज तक चल रही है।
  • हम हर हमेशा कहते भी हैं कि सर्वेजना सुखिनो भवंतु |
  • जिस प्रकार हम प्रांतीय एवं जातीय भावना से रहते हैं उसी प्रकार विश्व बंधुत्व की भावना से भी रहना है।
  • सारे विश्व की मंगल भावना ही विश्व बंधुत्व भावना है ।

प्रश्न 3.
ऊँच – नीच का भेद भाव मिटाने के लिए हमें क्या करना है?
उत्तर:

  • ऊँच – नीच का भेद मिटाने के लिए हमें सबके प्रति श्रद्धा और प्रेम को दिखाना है ।
  • सबके दिलों में प्यार बसाना है ।
  • नफ़रत के कुहासे को तोडना है ।
  • सामाजिक, आर्थिक , राजनीतिक एकता से हम ऊँच – नीच के भेद -भावों को मिटा सकते हैं ।
  • दूसरों के निराशा को दूर करने से भी कुछ हद तक भेद भाव मिटा सकेंगे।
  • हमारे पास जो कुछ आवश्यकता से अधिक है उसे ज़रूरतमंदों को दे देने से भी भेदभावों को हटा सकेंगे।

प्रश्न 4.
किसी काम को आत्मविश्वास के साथ क्यों करना है?
उत्तर:

  • हम जो भी करें आत्मविश्वास के साथ करें तो वह काम ज़रूर पूरा होगा | सफल होगा |
  • आत्मविश्वास में अद्भुत शक्ति निहित है ।
  • आत्मविश्वास से हम जितने भी कष्ट से कष्ट एवं मुश्किल काम को भी बहुत आसानी के साथ कर सकते हैं।
  • आत्मविश्वास हम में जीने की शक्ति को बढ़ाता है ।

प्रश्न 5.
जीवन पथ से भटकने वालों को हम कैसे राह दिखा सकते हैं?
उत्तर:

  • मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखाकर हम जीवन पथ में भटकने वालों को राह दिखा सकते हैं।
  • उलझन में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझाकर राह दिखा सकेंगे |
  • हम खुशियों के दीप जलाकर जीवन ज्योत जलाकर जीवन पथ से भटकने वालों को राह दिखा सकते हैं।

प्रश्न 6.
विश्व शांति से आपका अभिप्राय क्या है?
उत्तर:

  • विश्व बंधुत्व भावना ही विश्वशांति है ।
  • सारी दुनिया भर में शांति स्थापना ही विश्व शांति है ।
  • देश भर के लोग मन में श्रद्धा तथा प्रेम के अद्भुत दृश्यों के साथ रहेंगे तो वही विश्व शांति है ।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि भावों से हम रहेंगे तो विश्वशांति अवश्य होगी।
  • युद्ध, दुख, लालच और सभी पीडाओं को मिटाने का एक मात्र साधन है – विश्वशांति ।
  • जहाँ शांति है वहाँ सुख है, जहाँ सुख है वही स्वर्ग है । यह सब विश्व शांति के द्वारा ही साध्य है।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
भारत की संस्कृति सारे विश्व को लुभाती है। इस कथन पर व्याख्या कीजिए|
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “हम भारतवासी” है।
कवि का नाम : “आर.पी.निशंक’ है।

  • भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ ये हैं कि
  • भारतीय संस्कृति में ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसाने की शक्ति है।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण जैसे सद्गुणों का विकास करने की शक्ति है।
  • जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनाने की शक्ति है।
  • विश्व के सारे लोगों में प्रेम और शांति की स्थापना कर सकती है।
  • विश्व बंधुत्व रूपी मूलमंत्र दुनिया में सरसाने की शक्ति इस संस्कृति में है।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत की संस्कृति सारे विश्व को लुभाती है।

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प्रश्न 2.
“भारतीय, विश्वशांति और विश्वबंधुत्व की पवित्र भावनाओं से दुनिया को पवित्र धाम बनायेंगे” हम भारतवासी कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “हम भारतवासी” है।
कवि का नाम : “आर.पी.निशंक” है।

  • हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे। मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे।
  • हम सब में ऊँच-नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे।
  • हम नफ़रत को दूर कर अमृत बरसायेंगे।
  • हम सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिया को महाकायेंगे।
  • जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनायेंगे।
  • विश्व बंधुत्व रूपी मूल मंत्र हम दुनिया में सरसायेंगे।
  • इस प्रकार भारतीय विश्वशांति, विश्व बंधुत्व की भावनाओं से दुनिया को पवित्र धाम बनायेंगे।

प्रश्न 3.
विश्वशांति और विश्वबंधुत्व की भावना भारतवासी कैसे फैलायेंगे?
उत्तर:

  • हम भारतवासी कविता के कवि श्री आर.पी. निशंक है।
  • ये महान हिंदी साहित्यकार है, इनकी कविताओं का मुख्य विषय देश भक्ति है।
  • प्रस्तुत कविता ‘मातृभूमि के लिए ‘संग्रह’ से लिया गया है।
  • इस कविता में भारतीयों के लक्षणों के बारे में बताया गया है।
  • भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे।
  • श्रद्धा और प्रेम से दुनिया का मार्ग निर्देशन करेंगे।
  • ऊँच – नीच का भेद मिटायेंगे, सब से प्यार करेंगे।
  • नफ़रत मिटाकर अमृत रस सरसायेंगे, निराशा दूर भगाकर विश्वास जगायेंगे।
  • उलझन में फंसे लोगों को राह दिखायेंगे, जीवन पथ से भटके लोगों को राह दिखायेंगे।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि भावों से भरा समाज बनायेंगे।
  • इस तरह विश्वशांति और विश्वबंधुत्व की भावना फैलायेंगे।

प्रश्न 4.
हम भारतवासी कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
आर.पी. निशंक कृत “हम भारतवासी” पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हम भारतवासी
कविता का नाम : हम भारतवासी
कवि का नाम : श्री आर. पी. निशंक
रचनाएँ : समर्पण, नवंकुर,जीवन पथ में, मुझे विधाता बनना हैं, तुम भी मेरे साथ चलो, कोई मुश्किल नहीं आदि।
पुरस्कार : पद्म श्री

सारांश :
आधुनिक हिंदी साहित्यकारों में आर.पी. निशंक जी विशिष्ट स्थान रखते हैं। अपनी इस कविता में आप छात्रों में देश भक्ति भावना के साथ विश्व बंधुत्व विश्वशांति, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि उत्तम गुणों का विकास करना चाहते हैं।

कवि कहते हैं कि हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे। हम अपने मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे। सब में ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे। नफ़रत को दूर भगाकर अमृत बरसायेंगे। निराशा को दूर करके लोगों में विश्वास जगायेंगे। उलझनों में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझायेंगे।

जीवन पथ से भटकनेवालों को सच्चा राह दिखायेंगे। खुशियाँ रूपी दीप जलाकर जीवन ज्योत जलायेंगे। सत्य, अहिंसा, त्याग, और समर्पण की बगिया महकायेंगे।

जग के समस्त क्लेशों को मिटाकर शक्तिभर धरती को स्वर्ण बनायेंगे। वसुदैक कुटुबंम भावना हम दुनिया से सरसायेंगे।

ऐसे सच्चे आशय मन में रखकर हम दुनिया को पावन धाम बनाने में अपना पूरा जीवन लगा देंगे।

विशेषताएं:
1. इस कविता में देश भक्ति, विश्व बंधुत्व, विश्व शांति, अहिंसा, त्याग अदि भाव व्यक्त किये गये हैं।
2. यह प्रेरणादायक कविता है।

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प्रश्न 5.
“हम भारतवासी” कविता विश्व – बंधुत्व की ओर कदम बढाने की प्रेरणा देती है। – समझाइए।
उत्तर:
कवि : रमेश पोखरियाल निशांक’
जन्म : 15 अगस्त 1958
रचनाएँ : समर्पण, नवंकुर, मुझे विधाता बनाना है, तुम भी मेरे साथ चलो, जीवन पथ में, कोई मुश्किल नहीं आदि।
रचना का मुख्य विषय : देशभक्ति

एक ही परिवार के सभी लोग जिस प्रकार बंधुत्व भाव से रहते हैं उसी प्रकार विश्वभर के लोगों से बंधु भावना से रहना ही विश्व बंधुत्व है। सारे विश्व की मंगल कामना भारतीयों में आदिकाल से ही निहित है। इसी भावना के अन्तर्गत भारतवासी कहते हैं कि –

  • हम भारतवासी दुनिया को पवित्र स्थल बनाएँगे।
  • श्रद्धा और प्रेम से दुनिया का मार्गदर्शन करेंगे।
  • लोगों में ऊँच – नीच भेद मिठाकर सब में प्यार भरेंगे।
  • लोगों के बीच में हुई नफरत का भाव मिटाकर अमृत रस सरसाएँगे। उनके निराशा को दूर भगाकर उनमें विश्वास जगाएँगे।
  • उलझन में फसे और जीवन पथ से भटके लोगों को सही राह दिखाएँगे।
  • समाज को सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि भावों से भरेंगे।

इन भावनाओं से हमें पता चलता हैं कि यह कविता विश्व बंधुत्व की ओर कदम बढाने की प्रेरणा जरूर देती है।

प्रश्न 6.
धरती को स्वर्ग कैसे बना सकते हैं?
(या)
भारतवासी किन पवित्र भावनाओं से धरती को स्वर्ग बनाना चाहते हैं? विवरण दीजिए ।
उत्तर:

  • विश्वशांति से धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।
  • आपस में प्रेम, श्रद्धा और प्यार आदि भावों को जगाकर धरती को स्वर्ग बना सकते हैं ।
  • दिल में ऊँच – नीच के भेदभावों को दूर करके धरती को स्वर्ग बना सकेंगे।
  • वैर भाव, ईर्ष्या, द्वेष आदि के बिना आपस में सहयोग के साथ रहकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे।
  • विश्व बंधुत्व भावना से रहकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सर्वोन्मत अंशों को प्रधानता देकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे ।
  • मनुष्यों में निराशा को दूर भगाकर आशा दीप जलाकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे ।

प्रश्न 7.
निशंक जी किन भावनाओं से दुनिया को पावन धाम बनाना चाहते हैं?
उत्तर:
“हम भारतवासी” नामक कविता के कवि हैं श्री आर. पी. निशंक | “हम भारतवासी” नामक कविता में कवि देश भक्ति के साथ – साथ विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सद्गुणों का विकास छात्रों में करते हैं।

कवि कहते हैं कि हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे | मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे । हम सबमें ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे | नफ़रत नामक कुहासे को तोड़कर हम अमृत सरसायेंगे | हम खुशी में निराशा को दूर भगाकर विश्वास जयायेंगे ।

कवि और कहते हैं कि उलझनों में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझायेंगे | जीवन पथ से भटकते रहने वालों को राह दिखायेंगे | हम खुशियों के दीप जलाकर जीवन ज्योत जलायेंगे ।

कवि और कहते हैं हम सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिये को महकायेंगे | जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनायेंगे | विश्वबंधुत्व रूपी मूलमंत्र को हम दुनिया में सरसायेंगे |

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 8.
‘वसुधैक कुटुंबम” की भावना को आर. पी. निशंक जी ने अपनी कविता में सुंदर ढंग से व्यक्त किया है – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
“हम भारतवासी” नामक कविता के कवि हैं श्री आर. पी. निशंक | “हम भारतवासी” नामक कविता में कवि देश भक्ति के साथ – साथ विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सद्गुणों का विकास छात्रों में करते हैं।

कवि कहते हैं कि हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे | मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे | हम सबमें ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे | नफ़रत नामक कुहासे को तोड़कर हम अमृत सरसायेंगे | हम खुशी में निराशा को दूर भगाकर विश्वास जयायेंगे ।

कवि और कहते हैं कि उलझनों में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझायेंगे | जीवन पथ से भटकते रहने वालों को राह दिखायेंगे | हम खुशियों के दीप जलाकर जीवन ज्योत जलायेंगे ।

कवि और कहते हैं हम सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिये को महकायेंगे । जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनायेंगे । विश्वबंधुत्व रूपी मूलमंत्र को हम दुनिया में सरसायेंगे |

‘वसुधैक कुटुंबम’ का अर्थ है विश्व बंधुत्व की भावना । इस प्रकार आर. पी. निशंक अपनी कविता में “वसुधैक कुटुंबम’ की भावना को अपनी कविता “हम भारतवासी” में उभारा है |

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 2 ईदगाह Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

10th Class Hindi Chapter 2 ईदगाह Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 5)

प्रश्न .1
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किससे मिलता है?
उत्तर :
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेडों से मिलता है। .

प्रश्न .2
खुशबू भरे फूल हमें क्या देते हैं?
उत्तर :
खुशबू भरे फूल हमें नव फूलों की माला देते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न .3
‘हम भी तो कुछ. देना सीखें’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर :
पथिकों को पेड दुपहर में छाया देते हैं। नव फूलों की माला में फूल हमें खुशबू देते हैं। वे परोपकारी हैं। उसी प्रकार हम भी उन्हें (पेड, फूलों को) देखकर त्याग भाव को अपनाकर दूसरों को कुछ देना है। इसीलिए कवि ने ऐसा कहा है कि “हम भी तो कुछ देना सीखें।

InText Questions (Textbook Page No. 6)

प्रश्न 1.
ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
(या)
ईदगाह पाठ में प्रकृति का चित्रण कैसे किया गया?
उत्तर:
रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। आज का सवेरा मनोहर और सुहावना है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है। खेतों में कुछ अजीब रौनक है। आसमान पर लालिमा है। सूरज बहुत प्यारा और शीतल है तथा सबको ईद की शुभकामनाएँ दे रहा है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
हामिद गरीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लडकों से अधिक प्रसन्न है, क्यों ?
उत्तर:
हामिद भोली सूरतवाला चार – पाँच साल का दुबला पतला लडका है। जो कुछ मिला है, उससे संतुष्ट रहनेवाला आशावादी लडका है। उसके माँ – बाप मर गये। उसकी दादी अमीना ही उसका पालन – पोषण कर रही है। दादी ने उससे कहा कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं और अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए अच्छी चीजें लाने गयी है। आशा तो बडी चीज़ है। इसी आश में डूबे हामिद ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है।

प्रश्न 3.
हामिद के खुशी का कारण क्या है?
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का भोला भाला लडका है। उसके माँ – बाप तो मर चुके हैं। दादी अम्मा ने उसे बताया कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी चीजें लाने गयी है। हामिद का दिल निर्मल और खुश है। वह ईद का मेला भी देखने जा रहा है। यही हामिद की खुशी का कारण है।

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प्रश्न 4.
हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था?
(या)
हामिद ने दादी के लिए मिचटा खरीदा क्यों?
उत्तर:
हामिद अपनी दादी को बहुत चाहता है। हामिद की दादी के यहाँ चिमटा नहीं था। तवे से रोटियाँ उतारते वक्त उसके हाथ जल जाते थे। हामिद को ख्याल आया कि वह चिमटा ले जाकर दादी को दे देता तो उसके हाथ नहीं जलते। इसलिए अपनी दादी का कष्ट दूर करने हामिद चिमटा खरीदना चाहता था। खिलौनों की तुलना में चिमटा उपयोगी वस्तु है।

प्रश्न 5.
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थीं ?
उत्तर:
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों से दादी अम्मा बहुत प्रभावित हुई। उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया। यह मूक स्नेह था, रस और स्वाद से भरा मार्मिक प्रेम था। हामिद के त्याग, सद्भाव, विवेक और खासकर दादी के प्रति अपार प्रेम की भावना याद कर दादी का मन गद्गद् हो गया । अपना आँचल फैलाकर हामिद को अनेक दुआएँ देने लगी। आँखों से खुशी की आँसू बहाने लगी।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया :

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
“ईदगाह’ कहानी के कहानीकार कौन हैं? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है?
उत्तर:
ईदगाह कहानी के कहानीकार हैं मुंशी प्रेमचंद जी। आधुनिक हिंदी साहित्य में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। ये । आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इन्हें उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है। इन्होंने लग भग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियों में भारत देश के ग्रामीण जीवन का जीता जागता चित्रण स्पष्ट नज़र आता है। नैतिक मूल्यों का विकास व जागरण ही इनकी रचनाओं का खास विषय है। आपकी कहानियाँ मानस सरोवर शीर्षक से आठ खंडों में संकलित हैं।

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प्रश्न 2.
बालक प्रायः अलग – अलग स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर बताइए कि हामिद का स्वभाव कैसा है?
उत्तर:
यह मानी हुयी और सच्ची बात है बालक प्रायः विभिन्न स्वभाव के होते हैं। हामिद तो अपने उत्तम और आदर्शमय स्वभाव से महान ठहरा । यह तो भोली सूरत का, चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। इसके माँ – बाप तो चल बसे थे। लेकिन यह विषय न जाननेवाला हामिद उनके लौट आने की आशा में सदा खुश रहता था। अपनी दादी के प्रति इसे बहुत प्यार था। इसीलिए ईदगाह जाते समय अपनी दादी – माँ को धीरज बँधाता | यह आशावादी लडका था। इसके मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, सहनशीलता संवेदनशीलता जैसी महान भावनाएँ घर कर बैठी थीं। मेले में सभी लड़कों ने अपने मनपसंद खाने और खेलने की चीजें खरीदीं तो हामिद ने अपनी दादी का ख्याल करके उसका कष्ट दूर करने अपने पास रहें पूरे तीन पैसे से चिमटा खरीदा। घर लौटकर उसे प्यार से दादी माँ को दिया। इस तरह हामिद मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, संवेदनशील भवानाएँ रखनेवाला उत्तम बालक था।

आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए।
1. हामिद के पास पचास पैसे थे ।
उत्तर:
नहीं

2. अमीना हामिद की मौसी थी ।
उत्तर:
नहीं

3. मोहसिन भिश्ती खरीदता है।
उत्तर:
हाँ

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4. हामिद खिलौने खरीदता है।
उत्तर:
नहीं

इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
1. अमीना का क्रोध तुरंत …………….. में बदल गया।
उत्तर:
स्नेह

2. क़ीमत सुनकर हामिद का दिल ……….. गया।
उत्तर:
बैट

3. हामिद ………… लाया ।
उत्तर:
चिमटा

4. महमूद के पास ………………. पैसे थे।
उत्तर:
बारह

ई) अनुच्छेद पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बहुत समय पहले की बात है। श्रवण कुमार नामक एक बालक रहता था। उसके माता – पिता देख नहीं सकते थे। किंतु उन्हें इस बात का दुख नहीं था। उनका पुत्र सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहता था। एक दिन माता – पिता ने अपने पुत्र से चारधाम यात्रा की इच्छा व्यक्त की। पुत्र काँवर में बिठाकर अपने माता – पिता को चारधाम की यात्रा पर ले गया। रास्ते में माता – पिता को प्यास लगी। उनके लिए पानी लाने के लिए श्रवण कुमार तालाब के पास पहुंचा। उसी समय राजा दशरथ तालाब के पास वाले जंगल में शिकार कर रहे थे। श्रवण द्वारा तालाब में लोटा डुबाने की ध्वनि सुनकर वे हाथी समझ बैठे। शब्दभेदी बाण चला दिया। इस बाण से श्रवण परलोक सिधार गया। माता – पिता की सेवा में आजीवन आगे रहने वाला श्रवण, इतिहास में सदैव अमर रहेगा।

प्रश्न 1.
माता – पिता की सेवा में कौन तत्पर था?
उत्तर:
माता – पिता की सेवा में श्रवण कुमार तत्पर था।

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प्रश्न 2.
श्रवण कुमार के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
श्रवण कुमार माता – पिता की सेवा में तत्पर रहनेवाला आदर्श पुत्र था।

प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
सदा + एव = सदैव

प्रश्न 4.
अनुच्छेद के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
मातृ – पितृ भक्ति परायण श्रवण कुमार/आदर्श पुत्र।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों?
उत्तर:
अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचने का महान स्वभाव वाला था हामिद। इसी स्वभाव से अपनी दादी का कष्ट दूर करने का ख्याल करके उसने चिमटा खरीद लिया। ___ मेरा भी हामिद के जैसा ही स्वभाव है। अपने सुख की परवाह न करके अपनों को सुख पहुँचाना चाहता हूँ। मुझे भी दादी है। वह ठीक तरह से देख नहीं सकती। इसलिए उसे डाक्टर के पास ले जाता और ऐनक खरीदता | उसकी आँखों में रोशनी देखना चाहता हूँ।

प्रश्न 2.
अपनी दादी के प्रति हामिद की भावनाएँ कैसी थीं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतल लडका था । वह अपनी दादी अमीना से बहुत प्यार करता था। सदा उसका ख्याल रखते उसे खुश रखना चाहता था। इसलिए जब मेले में भेजने वह डरने लगी तो हामिद ने मैं सबसे पहले आऊँगा बिलकुल न डरना कहकर धीरज बँधाया था। दादी ने उसे तीन पैसे दिये। मेले में मिठाइयों और खिलौनों की दुकानें थीं। सब लडके अपने मनपसंद चीजें खरीदकर खुश रहे। हामिद ने तो दादी माँ का कष्ट दूर करने चिमटा खरीदा। उसने सोचा कि चिमटा लेकर देने से दादी अम्मा बहुत खुश होंगी। उसके हाथ रोटियाँ उतारते कभी नहीं जलेंगे। वह मुझे हजारों दुआएँ देंगी। पडोसी औरतों को दिखाकर बहुत खुश होगी। कहेगी कि कितना अच्छा लड़का है।

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आ) ‘ईदगाह’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
ईदगाह कहानी मानवीय मूल्यों का प्रतिबिंब है। उसका सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी

सारांश :
हिंदी के उपन्यास सम्राट श्री प्रेमचंद की लिखी कहानी है ‘ईदगाह’ प्रेमचंद आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इस कहानी के ज़रिए आप छात्रों में त्याग, सद्भाव, विवेक जैसे उत्तम गुणों का विकास करना चाहते हैं। साथ ही बडे बुजुर्गों के प्रति श्रद्धा व आदर की भावना रखने की बात पर ज़ोर देते हैं।

हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला, भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं, वह अपनी बूढी दादी अमीना की परिवरिश में रहता है। उससे कहा गया है कि उसके माँ – बाप उसके लिए बहुत अच्छी चीजें लायेंगे। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है।

आज ईद का दिन है। सारी प्रकृति सुखदायी और मनोहर है। हामिद के महमूद, मोहसिन, नूरे, सम्मी दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। आमीना डर रही है कि अकेले हामिद को कैसे भेजे? हामिद के धीरज बँधाने पर वह हामिद को भेजने राजी होती है। जाते वक्त हामिद को तीन पैसे देती है। सब तीन कोस की दूरी परी स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो खिलौनों को ललचायी आँखों से देखता है, पर चुप रहता है। बाद लोहे की दुकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं, चिमटे को देखकर हामिद को ख्याल आता है कि बूढी दादी अमीना के पास चिमटा नहीं है। इसलिए तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसकी उंगलियाँ भी नहीं जलेंगी।

ऐसा सोचकर दुकानदार को तीन पैसे देकर वह चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मज़ाक उडाते हैं। हामिद तो इसकी परवाह नहीं करता। घर लौटकर दादी को चिमटा देते हैं तो पहले वह नाराज़ होती है। मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ तवे से जल जाती थीं। इसलिए मैं इसे लिवा लाया कहने पर उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और विवेक गुण से उसका मन गद्गद् हो जाता है। हामिद को अनेक दुआएँ देती है और खुशी के आँसू बहाने लगती है।

नीति : ईदगाह कहानी में दादी और पोते का मार्मिक प्रेम दर्शाया गया है।

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इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुई बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
हामिद और उसके दोस्त मोहसिन, महमूद और सम्मी सब मिलकर ईदगाह जाते हैं। वहाँ मेले में वे कुछ चीजें खरीदते हैं और आपस में इस प्रकार संवाद करने लगते हैं। (खिलौनों की दुकानों के पास)
मोहसिन : अरे! यह देखो। यह भिश्ती कितना सुंदर है ?

महमूद : मेरे ये सिपाही और नूरे वकील को देखो। ये कितने अच्छे हैं और खूबसूरत हैं?

सम्मी . : हाँ! हाँ! मेरे इस धोबिन को देखिए। यह कैसा है ?

हामिद : (उन्हें ललचाई आँखों से देखते हुए) ये सब मिट्टी के तो हैं, गिरे तो चकनाचूर हो जायेंगे।
(वहाँ से मिठाइयों की दुकानों के यहाँ जाते हैं।)

मोहसिन : (रेवडी खरीदता है) “अरे! हामिद यह रेवडी ले ले कितनी खुशबूदार है।”

हामिद : “रखे रहो।, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं ?”

सम्मी : अरे, उसके पास तो तीन ही पैसे हैं, तीन पैसे से क्या – क्या लेगा?
(लोहे की दुकान के पास हामिद चिमटा खरीदता है।)

दोस्तों ने एक साथ सब
मज़ाक करते हुए : यह चिमटा क्यों लाया पगले! इसे क्या करेगा ?

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ई) बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए।
(या)
“हामिद में बड़े – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह की भावनाएँ थीं” – ईदगाह कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी

हमारे मानव जीवन में बडे – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का बड़ा महत्व है। बडे – बुज़ुर्ग लोग हमारे जीवनदाता और हमारे सुखमय जीवन के मूल स्तंभ हैं। खासकर हमारी आमूल्य भारतीय संस्कृति हमें सुसंस्कार सिखाती है। बडे – बुज़ुर्ग लोग अनेक कष्ट – सुख झेलकर हमें सुख जीवन बिताने के योग्य बनाते हैं। वे बड़े अनुभवी और कर्तव्य परायण होते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण बडे बुजुर्गों का ख्याल रखना, आदर देते उनकी सेवा करना हमारा धर्म और कर्तव्य है। वे हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं।

वे बूढे होकर काम नहीं कर सकते हैं। ऐसी हालत में हमें आदर के साथ उनकी सहायता करनी चाहिए। उनकी हर आवश्यकता की पूर्ति अपना भाग्य और कर्तव्य समझना है। वे संतुष्ट होकर जो आशीश हमें देते हैं। वे बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होते हैं। उनके बताये अनुभव हमारे सुखमय जीवन के सोपान हैं। हमारे आदर और श्रद्धापूर्ण कार्यों से उनको नयी शक्ति मिलती है। वे कष्टदायी बुढापे को भी हँसते बिता सकते हैं। बड़ों का आदर करना हमारा कर्तव्य है। आज के बालक कल के नागरिक बनते हैं। उनमें भी बडे – बुज़ुर्गों के प्रति आदर – श्रद्धा ,स्नेह भावनाएँ जगानी चाहिए।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
ईद, प्रभात, वृक्ष (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
ईद – ईद मुसलमानों का एक त्यौहार है। |
प्रभात – आज का प्रभात सुहावना है।
वृक्ष – वृक्ष मानव का परम मित्र हैं।

पर्याय शब्द
ईद – रमज़ान, पर्व, ईद – उल – फ़ितर, त्यौहार
प्रभात – प्रातःकाल, सवेरा
वृक्ष – पेड, तरु, पादप

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प्रश्न 2.
अपराधी, प्रसन्न (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
अपराधी x निरपराधी
प्रसन्न x अप्रसन्न

वाक्य प्रयोग अपराधी : अपराधी को ही दंड देना चाहिए। निरपराधी को दंड देना दंडनीति नहीं है।
प्रसन्न : वह हर दिन प्रसन्न रहता है लेकिन आज ही वह किसी कारण अप्रसन्न दिख रहा है।

प्रश्न 3.
मिठाई, चिमटा, सड़क (एक – एक शब्द का वचन बदलिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
वचन
मिठाई – मिठाइयाँ
चिमटा – चिमटे
सड़क – सड़कें

वाक्य प्रयोग
मिठाई : मेरे दादाजी हर साल 15 अगस्त के दिन सबको मिठाइयाँ बाँटते हैं।
चिमटा : लोहे की दूकान में कई चिमटे हैं।
सड़क : भारत देश में तीन प्रकार की सड़कें हैं।

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आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
बेसमझ, सद्भाव, निडर (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
बेसमझ – बे ; सद्भाव – सत् । निडर – नि

प्रश्न 2.
दुकानदार, भड़कीला, ग़रीबी (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
दुकानदार – दार ; भड़कीला – ईला ; गरीबी – ई

प्रश्न 3.
मीठा, प्रसन्न, बूढ़ा (भाववाचक संज्ञा में बदलिए।)
उत्तर:
मीठा – मिठास ; प्रसन्न – प्रसन्नता; बूढा – बुढापा

इ) इन्हें समझिए और अभ्यास कीजिए।
प्रश्न 1.
हामिद के बाज़ार से आते ही अमीना ने उसे छाती से लगा लिया।
उत्तर:
यहाँ अपादान कारक “से” का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 2.
हामिद ने कहा कि घर की देखरेख दादी ने की।
उत्तर:
इस वाक्य में “कि’ का प्रयोग जोडनेवाले शब्द समुच्चयबोधक के रूप में हुआ। “की” का प्रयोग संबंध कारक और क्रिया रूप में हुआ।

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ई) 1. नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके आधार पर दिये गये वाक्य बदलिए।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह 1 AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह 2

2. पाठ में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. आह भरना = कष्ट या दुख के कारण ठंडी साँस भरना।
ठंडी आह भरते हुए वह वहाँ से चला गया।

2. सिर झुकाना = नतमस्तक हो जाना।
बड़ों के सामने हमें विनय से सिर झुकाना चाहिए।

3. गले मिलना = प्यार से गले लिपटना/आलिंगन करना
राम ने लक्ष्मण को गले मिला लिया।

4. मज़ाक करना = उपहास करना, परिहास करना
हमें कभी किसी का मज़ाक करना नहीं चाहिए।

5. धावा बोलना = आक्रमण करना
सब बच्चे मिठाई दुकानों पर धावा बोल देते हैं।

6. मन ललचाना = इच्छा करना
मिठाइयों को देखकर बच्चों का मन ललचाना स्वाभाविक ही है।

7. दिल कचोटना = दिल में वेदना होना/दुःखित होना
बूढी दादी अमीना का दिल कचोट रहा है।

8. गदगद हो जाना = प्रसन्नता से फूले न समाना
बूढ़ी माँ को देखकर बेटे का मन गद्गद हो गया ।

9. दिल बैठ जाना निराश होना
कीमत जानकर उसका दिल बैठ गया।

10. भेंट होजाना = मर जाना
गाडी बहुत तेज़ चलाने से चालक की भेंट हुई।

11. छाले पड़ना . = धिक्कत होना (चलते समय)
चप्पल के बिना चलने से छाले पडती हैं।

12. माथे पर हाथ रखना = शोक करना
पिता की मृत्यु पर उसने माथे पर हाथ रखा।

13. पीली पडना – = बीमार पड़ना
हरी सब्ज़ी न खाने से पीले पडजाते हैं।

14. परलोक सिधारना मरजाना
बीमारी के कारण उसने परलोक सिंधारा|

परियोजना कार्य:

वरिष्ठ नागरिकों (वयोवृद्धों) के प्रति आदर – सम्मान की भावना से जुड़ी कोई कहानी ढूँढकर लाइए। कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
“पित्रु भक्त बालक’
श्रवण कुमार का नाम इतिहास में मातृभक्ति और पितृभक्ति के लिए अमर रहेगा। ये कहानी उस समय की है जब महाराज दशरथ अयोध्या पर राज किया करते था बहुत समय पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार नाम का एक बालक था। श्रवण के माता – पिता अंधे थे। श्रवण अपने माता – पिता को बहुत प्यार करता था। उसकी माँ ने बहुत कष्ट उठाकर श्रवण को पाला था। जैसे – जैसे श्रवण बड़ा होता गया, अपने माता – पिता के कामों में अधिक से अधिक मदद करता गया।

सुबह उठकर श्रवण माता – पिता के लिए नदी से पानी भरकर लाता। जंगल से लकड़ियाँ लाता। चूल्हा जलाकर खाना बनाता। माँ उसे मना करतीं।

“बेटा श्रवण, तू हमारे लिए इतनी मेहनत क्यों करता है? भोजन तो मैं बना सकती हूँ। इतना काम करके तू थक जाएगा।”

“नहीं माँ, तुम्हारे और पिताजी का काम करने में मुझे जरा भी थकान नहीं होती। मुझे आनंद मिलता है। तुम देख नहीं सकतीं।रोटी बनाते हुए, तुम्हारे हाथ जल जाएँगे।”

“हे भगवान! हमारे श्रवण जैसा बेटा हर माँ – बाप को मिले। उसे हमारा कितना खयाल है।” माता – पिता श्रवण को आशीर्वाद देते न थकते।

श्रवण के माता – पिता रोज भगवान की पूजा करते। श्रवण उनकी पूजा के लिए फूल लाता, बैठने के लिए आसन बिछाता। माता – पिता के साथ श्रवण भी पूजा करता।

माता – पिता की सेवा करता श्रवण बड़ा होता गया। घर के काम पूरे कर, श्रवण बाहर काम करने जाता। अब उसके माता – पिता को काम नहीं करना होता।

एक दिन श्रवण के माता – पिता ने कहा –
“बेटा, तुमने हमारी सारी इच्छाएँ पूरी की हैं। अब एक इच्छा बाकी रह गई है।”

“कौन – सी इच्छा माँ? क्या चाहते हैं पिताजी? आप आज्ञा दीजिए। प्राण रहते आपकी इच्छा पूरी करूँगा।”

“हमारी उमर हो गई अब हम भगवान के भजन के लिए तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते हैं बेटा। शायद भगवान के चरणों में हमें शांति मिले।”

“श्रवण सोच में पड़ गया। उन दिनों आज की तरह बस या रेलगाड़ियाँ नहीं थी। वे लोग ज्यादा चल भी नहीं सकते थे। माता-पिता की इच्छा कैसे पूरी करूँ, यह बात सोचते-सोचते श्रवण को एक उपाय सूझ गया। श्रवण ने दो बड़ी – बड़ी टोकरियाँ लीं। उन्हें एक मज़बूत लाठी के दोनों सिरों पर रस्सी से बाँधकर लटका दिया। इस तरह एक बड़ा काँवर बन गया। फिर उसने माता – पिता को गोद में उठाकर एक – एक टोकरी में बिठा दिया। लाठी कंधे पर टाँगकर श्रवण माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने चल पड़ा।

श्रवण एक – एक कर उन्हें कई तीर्थ स्थानों पर ले जाता है। वे लोग गया, काशी, प्रयाग सब जगह गए। माता – पिता देख नहीं सकते थे इसलिए श्रवण उन्हें तीर्थ के बारे में सारी बातें सुनाता। माता – पिता बहुत प्रसन्न थे। एक दिन माँ ने कहा -“बेटा श्रवण, हम अंधों के लिए तुम आँखें बन गए हो। तुम्हारे मुँह से तीर्थ के बारे में सुनकर हमें लगता है, हमने अपनी आँखों से भगवान को देख लिया है।”

“हाँ बेटा, तुम्हारे जैसा बेटा पाकर, हमारा जीवन धन्य हुआ। हमारा बोझ उठाते तुम थक जाते हो, पर कभी उफ़ नहीं करते।” पिता ने भी श्रवण को आशीर्वाद दिया।

“ऐसा न कहें पिताजी, माता – पिता बच्चों पर कभी बोझ नहीं होते। यह तो मेरा कर्तव्य है। आप मेरी चिंता न करें।”

एक दोपहर श्रवण और उसके माता – पिता अयोध्या के पास एक जंगल में विश्राम कर रहे थे। माँ. को प्यास लगी। उन्होंने श्रवण से कहा – बेटा, क्या यहाँ आसपास पानी मिलेगा? धूप के कारण प्यास लग रही है।

“हाँ, माँ। पास ही नदी बह रही है। मैं जल लेकर आता हूँ।”

श्रवण कमंडल लेकर पानी लाने चला गया।
अयोध्या के राजा दशरथ को शिकार खेलने का शौक था। वे भी जंगल में शिकार खेलने आए हुए थे। श्रवण ने जल भरने के लिए कमंडल को पानी में डुबोया। बर्तन में पानी भरने की आवाज़ सुनकर राजा दशरथ को लगा कोई जानवर पानी पीने आया है। राजा दशरथ आवाज़ सुनकर, अचूक निशाना लगा सकते थे। आवाज के आधार पर उन्होंने तीर मारा। तीर सीधा श्रवण के सीने में जा लगा। श्रवण के मुँह से ‘आह’ निकल गई।

राजा जब शिकार को लेने पहुंचे तो उन्हें अपनी भूल मालूम हुई। अनजाने में उनसे इतना बड़ा अपराध हो गया। उन्होंने श्रवण से क्षमा माँगी।

“मुझे क्षमा करना ए भाई। अनजाने में अपराध कर बैठा। बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?” “राजन, जंगल में मेरे माता – पिता प्यासे बैठे हैं। आप जल ले जाकर उनकी प्यास बुझा दीजिए। मेरे विषय में उन्हें कुछ न बताइएगा। यही मेरी विनती है।” इतना कहते – कहते श्रवण ने प्राण त्याग दिए।

दुखी हृदय से राजा दशरथ, जल लेकर श्रवण के माता – पिता के पास पहुँचे। श्रवण के माता – पिता अपने पुत्र के पैरों की आहट अच्छी तरह पहचानते थे। राजा के पैरों की आहट सुन वे चौंक गए।

“कौन है? हमारा बेटा श्रवण कहाँ है?” बिना उत्तर दिए राजा ने जल से भरा कमंडल आगे कर, उन्हें पानी पिलाना चाहा, पर श्रवण की माँ चीख पड़ी-

“तुम बोलते क्यों नहीं, बताओ हमारा बेटा कहाँ है?”
“माँ, अनजाने में मेरा चलाया बाण श्रवण के सीने में लग गया। उसने मुझे आपको पानी पिलाने भेजा है। मुझे क्षमा कर दीजिए।” राजा का गला भर आया।

“हाँ श्रवण, हाय मेरा बेटा” माँ चीत्कार कर उठी। बेटे का नाम रो – रोकर लेते हुए, दोनों ने प्राण त्याग दिए। पानी को उन्होंने हाथ भी नहीं लगाया। प्यासे ही उन्होंने इस संसार से विदा ले ली। सचमुच श्रवण कुमार की माता – पिता के प्रति भक्ति अनुपम थी। जो पुत्र माता-पिता की सच्चे मन से सेवा करते हैं, उन्हें श्रवण कुमार कहकर पुकारा जाता है। सच है, माता – पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।

कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढे माँ-बाप से उनके बेटे को छीना था। इसीलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा रामचंद्र जी चौदह साल के लिए वनवास को गए। राजा दशरथ यह वियोग नहीं सह पाए। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

ईदगाह Summary in English

It was the day of ‘Eid festival, after the completion of Ramzan month. That day was pleasant and wonderful with enchanting nature. In that village the arrangements to go to Idgah were being made with much enthusiasm and fervour. The atmosphere of the village is luminous with religious righteousness.

The children were happier than others. They wanted to enjoy the celebration themselves. Of them, Mahmood had got 12 paise with him and Mohasin had got 15 paise with him. The children wanted to buy toys, eatables etc., with the money they had. A boy named Haamid seemed very happy on that day. He was a poor and innocent boy. He was a thin, five – year old boy. His father died of cholera whereas his mother died while absconding for some reason. Haamid was living with his grandmother Ameena. He would think that his father had gone for earning money and his mother had gone to bring some good things from Allahmiya. So he was very happy. He had no sandals for his feet. He wore an old and dirty cap. Yet, he was happy.

On that day, his grandmother Ameena who was left destitute sat in her small room and was weeping. There were no food grains to cook. She felt sorry for her grandson Haamid. Every child in the village was taking part in the celebrations along with his father. She too wanted to take Haamid to see the celebrations but she stayed at home thinking who would cook Semiya if she didn’t stay at home.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

The procession started from the village towards the idgah. Haamid convinced his grandmother and went along with other children. The crowds, clad in new clothes, reached the place where the ‘Eid’ celebration was to be held. No sooner did they finish Namaz, than they ran towards toyshops. Mohasin, Mahamood, Noore and Sammee bought toys they liked. But Haamid was observing the toys with desirous looks. He had got only 3 paise with him. Later, the children bought eatables for them. They asked Haamid if he had got any money with him and made fun of him. Haamid kept quiet.

Passing by the utensil shops, Haamid wanted to buy a spatula for his grandmother with the intention that her fingers wouldn’t burn while taking rotis from the pan. He asked the shopkeeper what its price was. The shopkeeper said that its price was 6 paise, Haamid got disappointed. Yes, he bargained with the shopkeeper over the price of it and bought it with 3 paise that he had got with him. He felt proud of buying the spatula and came to his friends keeping it on his shoulders like a gun. On seeing this his friends laughed at him.

When Haamid reached home, Ameena fondled him with affection. She was startled on seeing a spatula in this hand. She asked him why he had bought it without drinking or eating with the money he had. He said that he had bought it for her sake because she was burning her fingers while taking rotis from the pan. Her anger disappeared and she felt very happy that her grandson showed a great concern for her safety. She shed tears for the sacrifice he had done even at a tender age.

ईदगाह Summary in Telugu

రంజాన్ పూర్తి నెల రోజుల తర్వాత ఈ రోజే ఈద్ పండుగ వచ్చింది. ఎంత మనోహరం, ఎంత ఆహ్లాదకరమైన ప్రభాతం (ఉదయం). చెట్లపై అద్భుతమైన పచ్చదనం ఉన్నది. పంట పొలాలలో అద్భుతమైన కాంతి ఉన్నది. ఆకాశంలో అద్భుతమైన ఎర్రదనం ఉంది. ఈ రోజు సూర్యుణ్ణి చూడండి, ఎంత అందంగా, ఎంత చల్లగా ఉన్నాడో. ప్రపంచానికి ఈద్ శుభాకాంక్షలు తెలియజేయుచున్నట్లున్నాడు. ఈద్ గాహ్ కు వెళ్ళడానికి ఏర్పాట్లు జరుగుచున్నవి.

పిల్లలు అందరికంటే సంతోషంగా ఉన్నారు. మాటమాటకి జేబుల్లోని ఖజానా తీసి లెక్కలేసుకుంటున్నారు. మహమూద్ లెక్క వేసుకుంటున్నాడు – ఒకటి – రెండు – పది – పన్నెండు. అతని వద్ద 12 పైసలు కలవు. మొహసిన్ వద్ద 15 పైసలు కలవు. దీంతో లెక్కలేనన్ని వస్తువులు తెస్తా – బొమ్మలు, మిఠాయిలు, ఈలలు, బంతి మరియు లెక్కలేనన్ని. వీరందరికంటే హామిద్ చాలా సంతోషంగా ఉన్నాడు. అతడు అమాయక ముఖం కల 4 – 5 సం||ల బక్కపలుచని బాలుడు. తన తండ్రి గత సం||రం కలరా వల్ల చనిపోయెను. తల్లి కారణం తెలియకుండా ఎందుకో పాలిపోతూ ఒక రోజు చనిపోయింది. చివరికి ఇలా ఎందుకు జరిగిందో ఎవరికీ తెలియదు. ఆమె కూడా పరలోక ప్రాప్తి చెందినది.

ఇప్పుడు హామిద్ తన పేద అమీనా నానమ్మ ఒళ్ళో నిద్రపోతూ అంతే సంతోషంగా ఉన్నాడు. తన అబ్బాజాన్ డబ్బు సంపాదించడానికి వెళ్ళాడు. అమ్మీజాన్ అల్లామియా ఇంటి నుండి అతనికి చాలా మంచి మంచి వస్తువులను తేవడానికి వెళ్ళింది. అందుకే హామిద్ చాలా సంతోషంగా ఉన్నాడు. హామిద్ కాళ్ళకు చెప్పులు లేవు. తలపై ఒకపాత టోపి ఉంది. అది కూడా నల్లగా మాసిపోయి ఉంది. అయినప్పటికీ అతడు సంతోషంగా ఉన్నాడు.

అభాగ్యురాలైన (నిర్భాగ్యురాలు) అమీనా తన చిన్న గదిలో కూర్చుని ఏడుస్తూ ఉంది. ఈ రోజే ఈద్ పండుగ రోజు. తన ఇంటిలో తిండి గింజలు కూడా లేవు. కానీ హామిద్ ! అతని లోపల ప్రకాశం ఉంది. బయట ఆశాకిరణం ఉంది. హామిద్ లోపలికి వెళ్ళి నానమ్మతో ఈ విధంగా అంటున్నాడు నీవేమి భయపడవద్దమ్మా ! నేను అందరి కంటే ముందలే వస్తా. ఏమీ భయపడవద్దు”.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

అమీనా హృదయం చివుక్కుమంటోంది. గ్రామంలోని పిల్లలు తమ తండ్రులతో వెళ్ళుతున్నారు. హామిద్ కి అమీనా తప్ప ఎవరున్నారు ? గుంపులో నుండి పిల్లవాడు ఎక్కడన్నా తప్పిపోతే ఏమవుతుంది? మూడు కోసుల దూరం ఎలా నడుస్తాడు ? పాదాలకు బొబ్బలెక్కుతాయి. చెప్పులు (బూట్లు) కూడా లేవాయె. పోనీ నేను కొంచెం దూరం వెళ్ళి, కొంచెం దూరం ఎత్తుకుని నడిస్తే బాగానే ఉంటుంది. కానీ ఇక్కడ సేమియా వండేది ఎవరు ? డబ్బులుంటే తిరిగి వచ్చేటప్పుడు అన్ని సరుకులు తీసుకువచ్చి, తయారుచేయవచ్చు.

గ్రామం నుండి తిరునాల (ఉత్సవం, ఊరేగింపు) బయలుదేరింది. పిల్లలతో హామిద్ వెళ్ళుచున్నాడు. పట్టణానికి చెందిన పర్వత శిఖర దిగువభాగం వచ్చింది. రోడ్డుకిరువైపులా ధనవంతుల తోటలున్నాయి. పెద్ద – పెద్ద ఇళ్ళు (కట్టడాలు), కోర్టులు, కాలేజీ, క్లబ్బు, ఇళ్ళు మొదలగునవన్నీ కనబడుతున్నవి. ఈ గాహ్ కు వెళ్ళే గుంపులు కన్పిస్తున్నాయి. ఒకరిని మించి మరొకరు విలువైన (ఖరీదైన) వస్త్రాలను ధరించియున్నారు. ఒక్కసారిగా ఈద్ గాప్ కన్పించింది. అక్కడే ఈద్ తిరునాల (ఉత్సవం) కన్పించింది. నమాజు పూర్తి కాగానే పిల్లలందరూ మిఠాయిలు ఆటబొమ్మల దుకాణాలపై విరుచుకుపడ్డారు. హామిద్ దూరంగా నిలబడి ఉన్నాడు. అతని వద్ద కేవలం మూడు పైసలు మాత్రమే ఉన్నాయి.

మొహసిన్ నీళ్ళు మోసే అమ్మాయి బొమ్మ కొంటాడు, మహమూద్ సిపాయి బొమ్మ కొంటాడు, నూరే లాయర్ బొమ్మను, సమ్మీ “చాకలి” (బట్టలు ఉతికే మనిషి) బొమ్మను కొంటారు. హామిద్ ఆశాపూర్వక దృష్టితో ఆ బొమ్మలను చూస్తాడు. అతడు తన్ను తానే ఈ విధంగా నచ్చచెప్పుకుంటున్నాడు. “అవన్నీ మట్టి బొమ్మలేగా. క్రిందపడితే పగిలిపోతవి” తర్వాత మిఠాయి దుకాణాలు వస్తాయి. ఒకరు మిఠాయి ఒకరు సోహన్ హల్వా, ఒకరు గులాబ్ జామున్, మరొకరు నువ్వుల జీడి కొన్నారు. మొహసిన్ ఒరే హామిద్ నువ్వుల జీడీలు తీసుకోరా ఎంత సువాసనగా ఉన్నాయో అని అన్నాడు. అప్పుడు హామిద్ ఉంటే ఉండనీయి. నా దగ్గర డబ్బులు లేవా ఏంటి ? అని అన్నాడు. అప్పుడు సమ్మీ ‘అబ్బో నీ దగ్గర మూడు పైసలేగా ఉన్నాయి. “మూడు పైసలతో ఏమేమి కొంటావ్?” అని ప్రశ్నించాడు. హామిద్ మౌనంగా ఉండిపోయాడు.

మిఠాయిల తర్వాత లోహపు పాత్రలు అమ్మే దుకాణాలు వస్తాయి. అక్కడ ఎన్నో అట్లకాడలు ఉన్నాయి. వాటిని చూడగానే “నానమ్మ దగ్గర అట్లకాడ లేదు. రొట్టెలు కాల్చేటప్పుడు చేతివేళ్ళు కాలుతున్నాయి. అనే విషయం హామిదకు గుర్తుకు వస్తుంది. ఒకవేళ అట్లకాడ కొని తీసుకువెళ్ళి నానమ్మకు ఇస్తే ఎంత సంతోషిస్తుంది ? మరల తన వేళ్ళు ఎప్పటికీ కాలవు కదా! నానమ్మ ఈ అట్లకాడ చూడగానే పరుగున వచ్చి నా దగ్గర నుండి లాక్కుని “నా కొడుకు నా కోసం అట్లకాడ తెచ్చాడు అని అంటుంది. దాన్ని ఇరుగు – పొరుగు ఆడవాళ్ళకు చూపుతుంది. వేలకొలది దీవెనలిస్తుంది. గ్రామం అంతా ఈ విషయం పై చర్చ జరుగుతుంది. హామిద్ అట్లకాడ తెచ్చాడు. ఎంత మంచి పిల్లవాడు. పెద్దల దీవెనలు సరిగ్గా అల్లా కోర్టుకి చేరతాయి. వెంటనే దేవుడు వింటాడు.’ అని అనుకుంటాడు. హామిద్ దుకాణదారుణ్ణి అట్లకాడ వెల ఎంత అని అడుగుతాడు దాని ధర “6” (ఆరు) పైసలు అని విన్న హామిదకు గుండె జారిపోతుంది.
కోరులు ప్వత శిఖర దిగువభారం ఉత్సవం, ఊరేగింపు

గుండె ధైర్యం తెచ్చుకుని హామిద్ “3” పైసలకిస్తావా? అని అడుగుతాడు. దుకాణదారుడు అలానే ఇస్తాడు. హామిద్ దానిని తుపాకీలా భుజంపై పెట్టుకుని గర్వంతో తన స్నేహితుల దగ్గరకు వస్తాడు. అప్పుడు స్నేహితులంతా ఎగతాళిగా “ఈ అట్లకాడ ఎందుకు తెచ్చేవురా, పిచ్చివాడా, దీన్ని ఏం చేసుకుంటావ్?” అని అంటారు, ఎగతాళి (హేళన) చేస్తారు.
ఇంటికి రాగానే అమీనా, హామిద్ మాట విని పరుగెత్తుకుంటూ వచ్చి ఒడిలోకి తీసుకుంటుంది. ప్రేమతో, ఒక్కసారిగా అతని చేతిలోని అట్లకాడ చూసి ఉలిక్కిపడుతుంది. ‘ఈ అట్లకాడ ఎక్కడిది? “తిరునాలలో కొన్నానమ్మా’ – ఎన్ని పైసలకు? మూడు పైసలకు.
అమీనా తన తలపై చేయి పెట్టుకుని బాధతో ఈ తెలివి తక్కువ పిల్లగాడెక్కడోడమ్మా? మధ్యాహ్నమైంది. ఏమీ తినలేదు. త్రాగలేదు. అట్లకాడ తెచ్చాడట. తిరునాల్లో ఇంకా నీకు ఏమి కన్పించలేదటగా, ఈ ఇనుప అట్లకాడ తెచ్చావు? అని అంది. అప్పుడు అపరాధభావంతో హామిద్ “అమ్మా పెనం మీద నుండి రొట్టెలు తీసేటప్పుడు నీ వేళ్ళు కాలుతూ ఉంటే చూడలేకపోతున్నానమ్మా! అందుకే తెచ్చాను’ అని చెప్పెను.
అమీనా కోపం వెంటనే స్నేహంగా మారిపోయింది. అది మూగస్నేహం. పిల్లల్లో ఎంత త్యాగం, ఎంత సద్భావన, ఎంత వివేకం ఉంటుంది. ఇతరులు ఆటబొమ్మలు కొనడం, మిఠాయిలు తినడం చూసి తన మనస్సు ఎంత ఆశకు గురి అయి ఉంటుంది ? అప్పుడు కూడా ఈ ముసలి నానమ్మ గుర్తుకు వచ్చింది. అమీనా మనస్సు గద్గదమై పోయినది. చేతులు జోడించి హామీద ను ఆశీర్వదిస్తూ కళ్ళవెంబడి పెద్ద పెద్ద కన్నీటి బిందువులను రాలుస్తుంది. హామిదకు దీని రహస్యం ఏమి అర్థమవుతుంది?

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
मेले में हामिद द्वारा खरीदे गये चिमटे को देखकर अमीना ने क्या कहा?
उत्तर:
मेले में हामिद द्वारा खरीदे गये चिमटे को देखकर अमीना ने कहा “यह कैसा बेसमझ लडका है कि दोपहर हुई, कुछ खाया न पिया । लाया, क्या, चिमटा ! सारे मेले में तुझे और कोई चीज़ न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया।”

प्रश्न 2.
लेखक ‘प्रेमचंद’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लेखक प्रेमचंद का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को काशी में हुआ। गरीब परिवार के प्रेमचंद ने कई कष्टों को झेलते अपना विद्याध्ययन पूरा किया। हिंदी में आपने लगभग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियाँ प्रभावशाली और रोचक हैं। उनमें पंचपरमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि प्रमुख हैं। अपने उपन्यासों में आपने सामाजिक कुरीतियों का खंडन किया। हिंदी साहित्य में आप उपन्यास सम्राट के नाम से मशहूर हुए हैं।

प्रश्न 3.
त्यौहार के दिन बच्चे अधिक खुश होते हैं। क्यों?
उत्तर:
त्यौहारों के समय बच्चे निम्नलिखित कारणों से अधिक खुश होते हैं –

  • बच्चों के माँ – बाप उनके लिए नये – नये कपडे लेते हैं।
  • घरों में अच्छे – अच्छे पकवान बनाते हैं। मित्र, बंधु – बांधव आदि से घर भर जाते हैं।
  • त्यौहारों के समय मेले – उत्सव आदि मनाये जाते हैं। इनमें भाग लेने के लिए बच्चे बहुत उत्सुक रहते हैं।

प्रश्न 4.
अमीना, हामिद का पालन – पोषण कैसे करती होगी?
उत्तर:
यह प्रश्न ईदगाह नामक कहानी पाठ से दिया गाय है। इसके लेखक मुंशी प्रेमचंद है। अमीना, हामिद को अपनी गोदी में सुलाती है। वह हामिद को बहुत प्रेम से देखा करती थी। वह अपनी असहायता से चिंतित थी। भीड़ में हामिद को अकेले भेजने पर डरती थी। घर में दाना तक न होने पर भी, हामिद को मेले में खरीदने के लिए तीन पैसे दिये। उसे अपने से भी.ज्यादा हामिद पर प्रेम था। वही उसके लिए माँ – बाप बन चुकी थी।

प्रश्न 5.
हामिद का चिमटा खरीदना कहाँ तक उचित है? – अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हामिद का चिमटा खरीदना उचित है। क्योंकि उसकी दादी बूढ़ी हो गयी है। तवे से रोटियाँ उतारते समय उसकी उँगलियाँ जल जाती थीं। इससे दादी को बहुत पीड़ा होती थी। उन्हें इस पीड़ा से बचाने के लिए ही हामिद ने चिमटा खरीदा।

प्रश्न 6.
ईद के दिन हामिद बहुत खुश था। क्यों?
उत्तर:
हामिद भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। उसके माँ – बाप बीमारी के कारण चल बसे थे। वह अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लालन – पालन में था। उससे कहा गया था कि उसके बाप’ रूपये कमाने गये हैं और माँ अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी अच्छी चीजें लाने गयी है। आशा तो बडी चीज है और प्यारी होती है। हामिद अपने मित्रों के साथ ईदगाह जाना चाहता था। इसलिए ईद के दिन हामिद बहुत खुश था।

प्रश्न 7.
प्रेमचंद के जीवन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
प्रेमचंद का जन्म काशी में 31 जुलाई, 1880 को एक गरीब परिवार में हुआ। इनके बचपन का नाम धनपतराय श्रीवास्तव था। उन्हें उपन्यास सम्राट और कहानी सम्राट भी कहते हैं। गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कर्म भूमि, कायकल्प, प्रतिज्ञा और मंगल सूत्र आदि उपन्यास हैं। । पंचपरमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि कहानियाँ हैं।

प्रश्न 8.
मेले में तरह – तरह की चीज़ों को देखकर भी हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?
उत्तर:
मेले में तरह – तरह की चीज़ों को देखकर भी हामिद ने चिमटा ही खरीद लिया । क्योंकि उन्हें अपनी दादी अमीना का ख्याल आता है कि जब वह रोटियाँ तवे पर से उतारती तब उसकी उंगलियाँ जल जाने लगीं। उसे देखकर वह नहीं रह और सह सका । उसका दिल कोमल है।

प्रश्न 9.
ईद के मेले में कौन – कौन सी चीजें बालकों के मन को छूगयी?
उत्तर:
ईद के मेले में भिश्ती, सिपाही वकील, धोबिन आदि खिलौने जो मिट्टी से बने हैं और लोहे से बने हैं वे बालकों के मन को छू गयी। उसी प्रकार खाने की चीज़ रेवडियाँ गुलाबजामुन, सोहन हलवा आदि छूगयी।

प्रश्न 10.
हामिद के स्थान पर दादी होती तो क्या खरीदती?
उत्तर:
हामिद के स्थान पर दादी होती तो हामिद के लिए जूते खरीदती । क्योंकि हामिद के पैरों में जूते नहीं हैं। जब वह बाहर चलता है तो उसके पैरों में चप्पल न होने के कारण पैरों में छाले पडते हैं ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 11.
हामिद के पास और ज्यादा पैसे होते तो क्या – क्या खरीदता?
उत्तर:
हामिद के पास और ज्यादा पैसे होते तो वह अपने लिए खिलौने, खाने के लिए मिठाइयाँ आदि अन्य लडकों की तरह खरीदता | इतना ही नहीं कि सिर पर पहनने सफ़ेद टोपी, पैरों के लिए जूते आदि भी खरीदता।

प्रश्न 12.
हामिद के हाथ में चिमटा देखकर दादी ने क्या कहा?
उत्तर:
हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लिए मेले में तीन पैसों से चिमटा खरीद लाया । हामिद के हाथ में चिमटा देखकर दादी ने पूछा कि यह चिमटा कहाँ से लाये हो? बालक हामिद ने जवाब दिया कि मैं इसे मोल कर लाया हूँ अम्मा । तब उसे दुख हुआ कि कुछ खाये न पिये हामिद दोपहर तक खाली पेट रहकर अपने लिए चिमटा लाया । अमीना का मन गदगद् हो गया और उसे दुआएँ दी।

प्रश्न 13.
चिमटे का दाम सुनकर हामिद का दिल क्यों बैठ गया?
उत्तर:
मेले में हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लिए लोहे की चीजों की दुकान में चिमटा खरीदना चाहा । उस के पास केवल तीन ही पैसे थे । दुकानदार से चिमटे का दाम पूछने पर उसने बताया कि चिमटे का दाम ‘छः पैसे हैं । इसलिए कीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया ।

प्रश्न 14.
हामिद के स्थान पर आप होते तो दादी से कैसा व्यवहार करते?
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे है। बूढ़ी दादी अमीना ही उसकी देखभाल करने लगी है। हामिद बडों के प्रति आदर भाव रखनेवाला अच्छा लडका है। अपनी दादी के प्रति वह बडी श्रद्धा दिखाता है। ऐसे हामिद के स्थान पर मैं होता तो दादी से नम्र व्यवहार करता। उस की हर बात मान लेता। उसके कहे अनुसार चलने की कोशिश करता। उसे किसी प्रकार का कष्ट न पहुँचाने का प्रयत्न करके | उसे खुश और सुंतष्ट रखता।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
हामिद के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका हैं।
  • उसके माँ – बाप दोनों मर जाते हैं।
  • वह अपनी दादी अमीना का गोद में बढ़ता है।
  • उस में त्याग, सेवा, निस्वार्थ, बड़े बुजुर्गों के प्रति आदर भाव, स्नेह भाव, श्रद्धा भाव आदि भरपूर हैं।
  • वह अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लिए एक चिमटा खरीदता है।
  • उस में सद्भाव और विवेक भी है।

प्रश्न 2.
हामिद के ईदगाह जाने के विषय को लेकर अमीना क्यों परेशान थी?
उत्तर:

  • हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था।
  • हामिद के माँ – बाप मर गये थे। * वह गरीब लडका था।
  • वह बेसमझ लडका था। उसके सिर पर पुरानी फटी टोपी थी।
  • उसके पाँवों में जूते भी नहीं थे। मेला जाने तीन कोस पैदल चलना था।
  • उसके पैरों में छाले पड़ जायेंगे। गाँव के बच्चे अपने पिता के साथ जा रहे हैं।
  • हामिद का अमीना के सिवा कौन है? * भीड़ में बच्चा कहीं खोगया तो क्या होगा?
  • उपर्युक्त इन सारे अंशों के कारण अमीना परेशान थी ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 3.
अमीना का मन क्यों गद्गद् हो गया?
उत्तर:

  • हामिद बूढ़ी दादी अमीना के लिए मेले में तीन पैसों से चिमटा खरीदकर लाता है।
  • उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । उनके सारे दोस्त तरह – तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं।
  • हामिद अपनी दीदी अमीना रोटियाँ तवे से उतारते वक्त जलती उंगलियों को याद करके उसके लिए
  • चिमटा खरीदकर ले जाता है । * वह दुपहर तक खाली पेट रहता है । वह कुछ खाता – पीता तक नहीं ।
  • इसलिए अपने प्रति हामिद का प्यार, श्रद्धा, प्रेम और निस्वार्थ भावना को देखकर बूढी दादी अमीना का मन गद्गद् हो गया ।

प्रश्न 4.
मेले में कौन – कौन सी चीजें बिकती हैं?
उत्तर:

  • मेले में तरह – तरह की चीजें बिकती हैं।
  • मेले में खेलने खिलौने बिकती हैं । मिट्टी के खिलौने, लकडी के खिलौने, लोहे के खिलौने आदि कई प्रकार के खिलौने बिकती हैं।
  • इनके अलावा खाद्य पदार्थ जैसे रेवडियाँ, हलवा, तरह – तरह की मिठाइयाँ, गुलाबजामून आदि भी बिकती हैं।
  • मेले में इनके अलावा लोहे के सामान बेचनेवाले दूकान भी हैं जहाँ लोहे के सामान बिकते हैं ।
  • इनके अलावा बच्चों के लिए ‘हिमक्रीम’ (आईसक्रीम) भी बिकती है |

प्रश्न 5.
हामिद की निस्वार्थ भावना को कहानी के आधार पर बताइए ।
उत्तर:

  • हामिद भोला – भाला चार – पाँच साल का दुबला बालक है।
  • उसमें बड़ों के प्रति आदर की भावना है ।
  • बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, निस्वार्थ भावना, सेवा की प्रेरणा आदि हम हामिद में देख सकते हैं ।
  • हामिद में बड़ों के प्रति प्रेम तथा श्रद्धा के साथ – साथ नम्र भाव भी हैं ।
  • मेले में जब सारे दोस्त तरह – तरह के खिलौने खरीदते हैं और तरह – तरह की मिठाइयाँ खरीदकर खाते हैं तब हामिद उन्हें देखते भी ललचाता नहीं बल्कि अपने पास के तीन पैसों से बूढी दादी अमीना के लिए चिमटा खरीदकर ले जाता है ।
  • उसे ख्याल आता है कि उसकी बूढ़ी दादी अमीना जब तवे पर से रोटियाँ उतारती तब उसकी उंगलियाँ जल जाती है । इसे देख वह नहीं रह सकता और सह सकता ।
  • इससे हमें मालूम होता है कि हामिद में निस्वार्थ भावना है ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“नैतिक मूल्य भारतीय जीवन के प्रतिबिंब है।” ईदगाह कहानी के द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • भारतीय जीवन में नैतिक मूल्यों की महत्त्व है।
  • ईदगाह एक कहानी है। उसके लेखक प्रेमचंद है।
  • इस कहानी में एक छोटे से बालक हामिद के बारे में मार्मिक चित्रण है।
  • ईद के दिन हामिद ईदगाह जाता है।
  • दादी अमीना हामिद को तीन पैसे देती है।
  • हामिद मेले में मोल – तोल कर चिमटा खरीदता है।
  • हामिद को दादी की याद आती है।
  • दादी की उँगलियाँ जल जाती हैं तो वह देख नहीं पाता। – सहानुभूति, करुणा, त्याग आदि भावों से उसका दिल भरा हुआ है।
  • पोते के संस्कारों को देखकर दादी पुलकित हो जाती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
‘ईदगाह’ कहानी नैतिक मूल्यों का प्रतिबिंब है। सिद्ध कीजिए।
(या)
ईदगाह के मेले को दृष्टि में रखकर बताइए कि हामिद अपने साथियों से किस तरह अलग स्वभाव का लड़का है?
उत्तर:
उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी की सफल एवं असरदार कहानी है ईदगाह। यह आदर्शयुक्त, यथार्थवादी भावनाओं से भरपूर है। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास करना इस कहानी का खास आशय है। बडे बुजुर्गों के प्रति आदर भाव रखने पर जोर दिया गया है।

हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला – भोला भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं। अपनी बूढी दादी अमीना की देखभाल वह करने लगा है। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है।

आज ईद का दिन है। सारा वातावरण सुंदर और सुखदायी है। महमूद, मोहसिन ,नूरे, सम्मी हामिद के दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। हामिद भी ईद की खुशियाँ मना रहा है। हामिद भी ईदगाह जाना चाहता है तो अमीना उसे अकेले भेजने डरने लगती है। इस पर हामिद उसे जल्दी आने की बात कहकर उसे धीरज बँधाता है। तब अमीना उसे तीन पैसे देकर ईदगाह भेजने राजी होती है।

सब लडके तीन कोस की दूरी पर स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो मिठाइयों को ललचाई आँखों से देखता है, मगर चुप रह जाता है। बाद लोहे की दूकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं। चिमटे को देखकर हामिद को अपनी दादी का ख्याल आता है। क्योंकि दादी के पास चिमटा नहीं है इसलिए रोज़ तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। वह सोचता है कि चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसके हाथ भी नहीं जलेंगे।

ऐसा सोचकर वह दुकानदार को तीन पैसे देकर चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मजाक उडाते हैं। इसकी परवाह न करके वह गर्व के साथ घर आकर दादी को चिमटा देता है तो पहले दादी नाराज़ होती है मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ जलती थी न इसलिए मैं इसे लिया लाया कहने पर उसका क्रोध प्रेम में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और वियेकगुण से उसका मन गदगद होता है। खुशी के आँसू बहाती हामिद को दुआएँ देती हैं।

इस तरह ईदगाह के मेले की इस घटना दृष्टि में रखकर हम कह सकते हैं कि हामिद छोटा है फिर भी विवेक में, प्रेम में अपने साथियों से अलग स्वभाव का लडका है।

प्रश्न 3.
निर्धन लोग ईद – त्यौहार कैसे मनाते हैं? ‘ईदगाह’ कहानी को दृष्टि में रखकर उत्तर दीजिये।
उत्तर:
ईदगाह कहानी के कहानीकार श्री प्रेमचंद है। इनका जन्म सन् 1880 में हुआ। इन्होंने एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की।

त्यौहार मानव जीवन में खुशी और सजगता लाते हैं। खुशियाँ बाँटने में धनी और निर्धन का भेद – भाव नहीं। लेकिन अपने – अपने स्थाई के अनुसार वे त्यौहार मनाते हैं।

ईद का मूलमंत्र यह है कि ईद केवल खुशी मनाने का नहीं बल्कि खुशियाँ बाँटने और लोगों को खुशी में शामिल करने का दिन है। खुशी में पूरे समाज विशेष रूप से उन लोगों को शामिल किया जाना ” चाहिए। जो इसे खुशी के रूप में मनाने में असमर्थ होते हैं। इसलिए ईदगाह कहानी में हामिद निर्धन होने पर भी अधिक प्रसन्न था।

ईद का त्यौहार माने नये कपडे पहनकर खुशबू लगाकर ईदगाह के लिए घर से निकलना, नमाज़ के बाद एक-दूसरे से गले मिलना, ईद की मुबारक बात देना, अपने परिवार और मित्रों के साथ सैर – सपाटे पर निकल जाना ईद के दिन की यह परंपरा वर्षा से नहीं। सदियों से चला आ रहा है। कहानी में भी हामिद नमाज़ के बाद अपने मित्रों से गले मिलकर, सैर – सपाटे पर निकले तो उसके मित्र तरह – तरह के खिलौने खरीदते हैं।

यह त्यौहार भाईचारे का प्रतीक है। सभी इस दिन गले मिलते हैं। शतृता भूलकर मित्र बन जाते हैं। इस दिन न कोई छोटा होता है न बडा, न कोई धनी होता है। और न निर्धन। इस दिन बच्चे अपने निर्धनता पर ख्याल नहीं रखते । लेकिन हामिद जैसे कुछ बच्चे अपने निर्धनता को ख्याल में रखकर खेल – तमाशों तथा झूले का आनंद लेना, खिलौने खरीदना और भांति – भांति की मिठाइयों का आनंद लेते हैं। नये वस्त्र सिलवाते हैं।

ईद भ्रातृभाव का त्यौहार है। ईद-उल-फ़ितर के दौरान नमाज़ पढ़ने के बाद मीठी सेवाइयाँ खाई जाती हैं। इसलिए हामिद की दादी घर में कुछ पकाने का सामान न होने से सेवाइयाँ लाने के बारे में सोचती है।

ईद के दिन हर मुसलमान ईदगाह जाने के पहले “फ़ित्रा “के रूप में एक निश्चित राशी अल्लाह के राह में खर्च करता है ताकि निर्धन व असहाय लोग भी ईद के खुशियों में शामिल हो सकें।

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प्रश्न 4.
अपने मित्रों द्वारा तरह- तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदे जाने पर भी हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?
उत्तर:
अपने मित्रों द्वारा तरह – तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदे जाने पर भी हामिद ने चिमटा ही खरीदता है – क्योंकि हामिद की दादी के पास चिमटा नहीं है। जब तवे से रोटियाँ उतार थी तो हाथ जल जाते थे। अगर वह चिमटा खरीदकर दादी के लिए ले जाता, तो वह बहुत प्रसन्न होगी। उनकी उँगलियाँ .. भी नहीं जलेंगी। उसकी प्रशंसा करके उसे दुआएँ देगी। ऐसा सोचकर वह चिमटा खरीदा। हामिद के. अंदर त्याग, सद्भाव और विवेक, प्रेम जैसे गुण विद्यामान थे। बड़ों के प्रति आदर भाव भी था। इसिलिए । वह अपने साथियों को खिलौने खरीदते या मिटाइयाँ खरीदते देखकर भी उसका मन नहीं ललचाया है। बल्कि बह तीन पैसों से चिमटा खरीदता है, उसमें निस्वार्थ भाव था। इसिलिए वह चिमटा ही खरीदा।

प्रश्न 5.
दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को दर्शानेवाली कहानी के बारे में आप क्या जानते हैं?
(या) अपनी
पाठ्यपुस्तक में से मानवीय मूल्यों को प्रतिबिंबित कहानी के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आयी है । ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं । लडके सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं । हामिद भी ज़्यादा प्रसन्न है । वह भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका है । उसके माँ – बाप दोनों चल बसे ।

हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लालन – पोषण में रहता है । ईद का दिन होने के नाते हामिद आज बहुत प्रसन्न है । आज वह मेले के साथ ईदगाह जाना चाहता है । उसके पैरों में जूते तक नहीं । तीन कोस पैदल ही चलना पडता है । इसलिए दादी अमीना को बडा दुख हुआ ।

हामिद कैसा ठहर सकता है । वह ईदगाह की ओर चल पडा । उसके जेब में केवल तीन पैसे हैं । नमाज़ खत्म हो गयी । लोग आपस में गले मिल रहे हैं। सब मिठाई और खिलौनों के दूकानों पर धावा करने लगे।

हामिद के दोस्त मिठाइयाँ और खिलौने खरीदते उसे ललचाने पर भी वह चुप रह गया । उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । वह लोहे की चीज़ों के दुकान के पास ठहर जाता है । उसे ख्याल आता है कि दादी के पास चिमटा नहीं है । तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं |

अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे-तो वह कितनी प्रसन्न होगी ? यह सोचकर हामिद तीन पैसों से चिमटा खरीदकर दादी को देने तैयार होता है । हामिद के दोस्तों ने उसका मज़ाक किया ।

अमीना चिमटा देखकर हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर मुग्ध हो जाती है । वह प्रेम से गदगद हो जाती है । वह हामिद को दुआएँ देती है।

प्रश्न 6.
चिमटे के द्वारा प्रेमचंद ने दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को किस प्रकार दर्शाया?
उत्तर:
चिमटे के द्वारा प्रेमचंद ने दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को इस प्रकार दर्शाया :
रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आयी है | ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं । लडके सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं । हामिद भी ज़्यादा प्रसन्न है । वह भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका है । उसके माँ – बाप दोनों चल बसे ।

हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लालन – पोषण में रहता है । ईद का दिन होने के नाते हामिद आज बहुत प्रसन्न है । आज वह मेले के साथ ईदगाह जाना चाहता है । उसके पैरों में जूते तक नहीं । तीन कोस पैदल ही चलना पडता है । इसलिए दादी अमीना को बडा दुख हुआ ।

हामिद कैसा ठहर सकता है । वह ईदगाह की ओर चल पडा | उसके जेब में केवल तीन पैसे हैं । नमाज़ खत्म हो गयी । लोग आपस में गले मिल रहे हैं । सब मिठाई और खिलौनों के दूकानों पर धावा करने लगे।

हामिद के दोस्त मिठाइयाँ और खिलौने खरीदते उसे ललचाने पर भी वह चुप रह गया । उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । वह लोहे की चीज़ों के दुकान के पास ठहर जाता है । उसे ख्याल आता है कि दादी के पास चिमटा नहीं है | तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं ।

अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे-तो वह कितनी प्रसन्न होगी ? यह सोचकर हामिद तीन पैसों से चिमटा खरीदकर दादी को देने तैयार होता है । हामिद के दोस्तों ने उसका मज़ाक किया ।

अमीना चिमटा देखकर हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर मुग्ध हो जाती है। वह प्रेम से गदगद हो जाती है । वह हामिद को दुआएँ देती है।

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प्रश्न 7.
हामिद की निस्वार्थ भावना को पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अपनी दादी के प्रति हामिद की भावनाएँ संवेदनशील थीं। हामिद चार – पाँच साल का भोली सूरत वाला बालक है। उसके माता – पिता इस दुनिया में नहीं है। उसका एक मात्र सहारा उसकी दादी है। जो कि बहुत ही गरीब है। ईद के दिन भी उसके घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है। दादी बड़ी मुश्किल से तीन पैसे जुटा कर देती है हामिद को । ईदगाह जाकर सब बच्चे तरह – तरह के खिलौने, मिठाइयाँ आदि खरीदते हैं। हामिद का मन भी ललचाता है । किंतु वह तुरंत अपने मन को समझा लेता है कि ये मिट्टी के खिलौने हैं। जो गिरकर चकनाचूर हो जायेंगे और मिठाई खाने से क्षणिक खुशी मिलेगी। इससे कोई फायदा नहीं है। लोहे की दुकान पर चिमटों को देखकर हामिद को अपनी दादी का ख्याल आता है। क्योंकि उसके घर में चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारते समय दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। उन्हें बहुत पीडा होती थी। दादी की पीड़ा को दूर करने के लिए उनकी खुशी के लिए ही हामिद ने तीन पैसे देकर चिमटा खरीदा। ताकि दादी को खुशी हो और सुख मिले।

दादी के प्रति निस्वार्थ, त्याग, सद्भावना, प्रेम, विवेक, आदर, श्रद्धा, संवेदनशील, कर्तव्य परायण आदि भावनाएँ हामिद में हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 1 बरसते बदल Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

10th Class Hindi Chapter 1 बरसते बदल Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 1)

प्रश्न 1.
मीटे गीत कौन गाती है?
उत्तर:
मीठे गीत कोयल गाती है।

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प्रश्न 2.
प्यासी धरती पानी किससे माँगती है?
उत्तर:
प्यासी धरती पानी मेघों से माँगती है।

प्रश्न 3.
बादल प्रकृति की शोभा बढ़ाते हैं। कैसे?
उत्तर:
नीले गगन में काले-काले बादल छाये रहते हैं। ये बरसकर हमें पानी देते हैं। धरती पर स्थित सारी प्रकृति को जीवन दान मिलता है। हर जगह हरियाली छा जाती है। सब पानी के स्रोत भरकर सुंदर लगते हैं। प्राणिमात्र के जीवन में हर्ष उमड पडता है। सारा वातावरण खुशहाल हो शोभायमान लगता है। इस तरह बादल प्रकृति की शोभा बढाते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 2)

प्रश्न 1.
मेघ, बिजली और बूंदों का वर्णन यहाँ कैसे किया गया है?
उत्तर:
‘बरसते बादल’ कविता में कविवर पंतजी ने सावन के समय की प्राकृतिक चीजों का वर्णन किया है। वर्षा के समय घने काले मेघ आसमान में छाये झम – झम बरसते हैं। काले मेघों के बीच बिजली चम – चम चमकती है। वर्षा की बूंदें पेडों से छनकर छम – छम गिरती हैं।

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प्रश्न 2.
प्रकृति की कौन – कौनसी चीजें मन को छू लेती हैं?
उत्तर:
सावन के समय की प्रकृति मनमोहक होती है। घुमडते बरसनेवाले घन घोर बादल, वर्षा की बूंदें, चमकनेवाली बिजली, बूंदों के रिमझिम स्वर, बहती जल धाराएँ, पेड़ – पौधे, आदि प्रकृति की चीजें मन को छू लेती हैं।

प्रश्न 3.
तृण – तृण की प्रसन्नता का क्या भाव है?
उत्तर:
धरती पर वर्षा के होने से पानी की धाराएँ बहती हैं। इससे रज के कण – कण से कोमल अंकुर फूट पडते हैं। वे खुशी से पुलकित हो झूमते हैं। धरती पर हरियाली छा जाती है। संसार के चारों ओर आनंद और उल्लास होता है। तृण – तृण की प्रसन्नता का यही भाव है।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा है। इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
सावन के महीने में वर्षा होती है। वर्षा से पानी मिलता है। धरती पर स्थित प्राणिमात्र को जीवन दान मिलता है। सारी प्रकृति में सब ओर हरियाली फैलती है। मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूटते हैं। खेतों में नदी, नाले भर जाते हैं | फसलें उगती हैं। सब प्राणी खुशी से विभिन्न स्वरों में अपना आनंद प्रकट करते हैं । इस तरह कह सकते हैं कि धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा ही है।

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प्रश्न 2.
घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
घने काले बादल सावन के महीने में आसमान में छाये रहते हैं। विविध आकारों में विश्रृंखलता से मंडराते हैं। भीषण ध्वनि करते वे भयानक होते हैं। उनके बीच बिजली चमक उठती है। इनकी शोभा देखनेलायक होती है। ठंडी बहार के छूते ही वे मूसलधार वर्षा देते हैं। प्रकृति में नूतन शोभा नज़र आती है। जन जीवन को आनंदमय बनाते हैं।

आ) वाक्य उचित क्रम में लिखिए।

प्रश्न 1.
हैं झम – झम बरसते झम – झम मेघ के सावन।
उत्तर:
झम – झम – झम – झम मेघ बरसते हैं सावन के।

प्रश्न 2.
गगन में गर्जन घुमड़ – घुमड़ गिर भरते मेघा
उत्तर:
घुमड – घुमड गिर मेघ गगन में भरते गर्जन।

प्रश्न 3.
धरती पर झरती धाराएँ पर धाराओं।
उत्तर:
धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर।

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इ) नीचे दिये गये भाव की पंक्तियाँ लिखिए।

प्रश्न 1.
बादलों के घोर अंधकार के बीच बिजली चमक रही है और मन दिन में ही सपने देखने लगा है। .
उत्तर:
चम – चम बिजली चमक रही रे उर में घन के, थम – थम दिन के तम में सपने जगते मन के।

प्रश्न 2.
मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट रहे हैं।
उत्तर:
रज के कण – कण में तृण – तृण को पुलकावलि थर।।

प्रश्न 3.
कवि चाहता है कि जीवन में सावन बार – बार आयें और सब मिलकर झूलों में झूलें।
उत्तर:
आओ रे सब मुझे घेर कर गाओ सावन। इंद्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन।।

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ई) पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बादल और बूंदें, बंद किये हैं बादल ने
अंबर के दरवाज़े सारे, नहीं नज़र आता है सूरज ना कहीं चाँद – सितारे ?
ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों ने भी पंख पसारे,
हो प्रसन्न धरती के वासी, नभ की ओर निहारे॥

1. इसने अंबर के दरवाज़े बंद कर दिये हैं –
अ) आकाश
आ) सूरज
इ) चाँद
ई) बादल
उत्तर:
ई) बादल

2. पंख किसने पसारे हैं?
अ) चिड़िया
आ) मौसम
इ) धरती
ई) सितारे
उत्तर:
अ) चिड़िया

3. पद्यांश में आया युग्म शब्द है –
अ) बादल – अंबर
आ) सूरज – चाँद
इ) चाँद – सितारे
ई) धरती – वासी
उत्तर:
इ) चाँद – सितारे

4. धरती के लोग किस ओर निहार रहे हैं?
अ) चिड़िया
आ) नभ
इ) बादल
ई) चाँद
उत्तर:
आ) नभ

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5. इस कविता का विषय है –
अ) प्रकृति
आ) सूरज
इ) तारे
ई) अंबर
उत्तर:
अ) प्रकृति

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। कैसे?
उत्तर:
वर्षा सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है। वर्षा से ही संसार का चक्र चलता है। बादल वर्षा के रूप में बरसकर पानी देते हैं। धरती के सब भूभागों में पानी जमा रहता है। यह पानी पेय जल, खाना, दाना, बिजली आदि अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। प्रकृति में हरियाली इसीसे व्याप्त होती है । वर्षा के बिना धरती पर प्राणिमात्र का जीवन यापन असंभव है। अतः कह सकते हैं कि वर्षा सभी प्राणियों के जीवन का आधार है।

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प्रश्न 2.
वर्षा ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु सदा से सबकी प्रिय ऋतु रही है। आसमान में फैले काले, घनघोर बादल बरसते हैं। बिजली की चकाचौंध चमक होती है। वर्षा की बूंदें रिमझिम बरसती हैं। पानी की धाराओं से धरती पुलकित होती है। मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट पड़ते हैं। पेड – पौधे हरियाली से झूमते हैं। पशु – पक्षी, मानव और हर प्राणी आनंद विभोर हो जाते हैं। विभिन्न जीवों के आनंद स्वरों से सारी प्रकृति मनमोहक होती है।

आ) ‘बरसते बादल’ कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
‘बरसते बादल कविता के आधार पर प्रकृति का वर्णन कीजिए।
(या)
‘बरसते बादल कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
पंतजी ने वर्षा ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य का संदर चित्रण किया है। अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
‘बरसते बादल’ कविता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
कवि का नाम : श्री सुमित्रानंदन पंत
जीवनकाल : 1900 – 1977
रचनाएँ : वीणा, ग्रंथि, पल्लव आदि।
पुरस्कार : ज्ञानपीठ (विवंबरा) साहित्य आकादमी, सोवियत रूस।
सारांश : आधुनिक हिंदी के विख्यात कवि हैं श्री सुमित्रानंदन पंतजी। प्रकृति सौंदर्य के वर्णन में आप सुकुमार और बेजोड कवि माने जाते हैं। वीणा, ग्रंथि, पल्लव, ग्राम्या, युगांत आदि आपके प्रसिद्ध काव्य संकलन हैं। “चिदंबरा” काव्य रचना के लिए आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।

“बरसते बादल” कविता में पंतजी ने वर्षा ऋतु का सुंदर और सजीव चित्रण किया है।

पंतजी कहते हैं कि वर्षा ऋतु हमेशा से सबकी प्रिय ऋतु रही है। उसमें भी सावन का महीना अधिक सुंदर और मनभावन होता है। सावन की वर्षा सबका मन मोहती है।

सावन के मेघ झम – झम बरसते हैं। वर्षा की बूंदें पेडों से छनकर छम – छम आवाज़ करती धरती पर गिरती हैं। मेघों के हृदय में बिजली चम – चम चमकती है। दिन में भी वर्षा के कारण अंधेरा छा जाता है। लोगों के दिलों में सपने जगने लगते हैं।

वर्षा के बरसने पर दादुर टर – टर आवाज़ करते हैं। झींगुर झींझी आवाज़ देते हैं। मोर म्यव – म्यव करते नाचते हैं। पपीहे पीउ – पीउ करके कूकते हैं। सोनबालक पक्षी गीली – खुशी से आह्वान करते हैं। आसमान पर बादल घुमडते गरजते हैं। ..

रिमझिम बरसनेयाली बूंदों के स्वर हम से कुछ कहते हैं। अर्थात् मन खुश करते हैं। उनके छूते ही शरीर के रोम सिहर उठते हैं। धरती पर जल की धाराएँ झरती हैं। इससे मिट्टी के कण – कण में कोमल अंकुर फूट पडते हैं। अर्थात् मिट्टी का हर कण अतिप्रसन्न लगता है।

वर्षा की धाराओं के साथ कवि का मन झूलने लगता है। वे लोगों को आमंत्रित करते हैं कि आप सब आइए मुझे घेरकर सावन के गीत गाइए। हम सब लोग इंद्रधनुष के झूले में झूलने का आनंद लें। यह कामना करें कि मनभावन सावन हमारे जीवन में बार – बार आये।

विशेषता : इस कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण अंकित किया है। इस कविता से संवेदनशीलता का विकास होता है।

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इ) प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी-सी कविता लिखिए।
उत्तर:
ये नदियों की कल कल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती हैं हम से
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हम से ।।

ई) ‘फिर – फिर आये जीवन में सावन मनभावन’ ऐसा क्यों कहा गया होगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है। यह ऋतुओं की रानी कहलाती है। सावन के आने से प्रकृति रमणीय होती है। प्रकृति का कण – कण अति प्रसन्न दिखता है। पशु – पक्षी, पेड – पौधे मानव यहाँ तक कि धरती के सभी प्राणी, धरती तक खुशी से नाच उठते हैं। प्रत्येक जीवन खुशी से गीत गाने लगता है। सावन के समय बरसनेवाली वर्षा का पानी सबके जीवन का आधार है। प्राणिमात्र के जीवन यापन के लिए आवश्यक और महत्वपूर्ण है। इसीलिए कविवर पंतजी ने मनभावन सावन को बार – बार आने के लिए कहा होगा।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

1. तरु, गगन, घन (प्रत्येक शब्द का वाक्य प्रयोग करते हुए पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
तरुः – हमें तरु फूल और फल देते हैं।
गगन – हवाई जहाज़ गगन में उड़ रहा है।
घनः – आसमान में काले घन छाये हुये हैं।

पर्याय शब्द
तरु – पेड, पादप, वृक्ष
गगन – आकाश, आसमान, नभ
घन – बादल, मेघ

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2. साक्न, सपना, सूरज (एक-एक शब्द का तत्सम रूप लिखिए।)
उत्तर:
तत्सम रूप
सावन – श्रावण सपना – स्वप्न
सूरज – सूर्य

3. गण, वारि, चंद्र (एक-एक शब्द का तद्भव रूप लिखिए।)
उत्तर:
तदभव रूप
गण – गन
वारि – बारि
चंद्र – चाँद

4. चम – चम, तृण – तृण, फिर – फिर (पुनरुक्ति शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
चम – चम = बिजली चम – चम चमक रही है।
तृण – तृण = तृण – तृण पुलकित हो रहा है।
फिर – फिर = सावन फिर – फिर आता तो कितना अच्छा होगा।

आ) इन्हें समझिए और सूचना के अनुसार कीजिए।

1. धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर। (अंतर स्पष्ट कीजिए।)
उत्तर:
यहाँ पंत जी ने “धारा” शब्द को दो. बार प्रयोग किया हैं। यह संज्ञा शब्द है। इसका बहुवचन रूप ‘धाराएँ’ है। इसके साथ “पर” कारक जोडने से “धाराएँ” शब्द रूपांतरित होकर “धाराओं” बन गया है। इस प्रकार के वर्णन से वाक्य का सौंदर्य बढ़ता है।

(अंतर स्पष्ट कीजिए।)
“झूले” शब्द का मूल रूप झूला है। यह संज्ञा शब्द है। इसके साथ में “में” कारक के जोडने से झूले में रूपांतरित हो गया है। “झूलें” शब्द तो ‘झूलना’ क्रिया का रूपांतरण है।

(रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए।)
संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुंलिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।
एक शब्द में लिखिए।)

मनभावन
(समास पहचानिए।)
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
खेलते – कूदते बच्चे तंदुरुस्त रहते हैं।
बहते पानी में गंदगी नहीं रहती है।
उडती पंछी वर्षा में भीग गयी है।
रोती बच्ची माँ की गोद पहुंची।
हँसते और खिलते फूलों से उद्यान भरा है।

झम-झम-झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के,
छम-छम-छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के।

अलंकार शब्द का अर्थ है – आभूषण। किसी बात को साधारण ढंग से न कहकर चमत्कार व सौंदर्यपूर्ण ढंग से कहना ही अलंकार है।

इस कविता में अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग हुआ है। जब वाक्य में कोई अक्षर या शब्द बार – बार प्रयोग होता है तो वहाँ वाक्य का ध्वन्यात्मक सौंदर्य बढ़ जाता है। इस प्रकार का काव्य – सौंदर्य अनुप्रास अलंकार कहलाता है।

परियोजना कार्य

वर्षा, बादल, नदी, सागर, सूरज, चाँद, झरने आदि में किसी एक विषय पर प्रकृति वर्णन से जुड़ी कविता का संग्रह कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।

चाँद

चम – चम – चम – चम चंदा चमके
तारे चमके झिलमिल।
आओ – आओ खेले हिल मिल
आज – चाँदनी में हम – सब ।।
ठंडी – ठंडी हवा बह रही
लोरी – सी कुछ गाती।
अभी नहीं सोयेगा कोई
नींद किसे है आती ।।
देखो धीमे – धीमे झूमीं
फूलों के ये पाँखें।

जुही, चमेली चमकी जैसे
बगिया की सौ आँखें।।
खूब भरी है नदी दूध हो
दूध भरा है झरना।
अच्छा लगता आज सभी को
दूर – दूर तक फिरना।
अरे चाँद, तुम कौन बताओ
चाँदी की थाली – से।
प्यारे तारे, झरे फूल से
बोलो, किस डाली से ॥

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

झरना

कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
गुनगुनी धूप, रेत की चादर
माता के आंचल में छुपाकर
जैसे बच्चा सो रहा है।
कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
कलख करते पंछी गाते,
तोता मैना गीत सुनाते
मेरा भी मन डोल रहा है।
कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
नीला अंबर, मीठा पानी,
प्रकृति कहे सुनो कहानी
जग अपने पट खोल रहा है
कल – कल करता झरना बहता।
कानों में रस घोल रहा है।

बरसते बदल Summary in English

Introduction of the lesson:
Rainy season is always endearing to all. It is worth watching that the beauty of a rainy day. The surrounding nature, flora and fauna, human beings, birds and the Mother Earth sway with ecstasy. This beautiful expression is described here.

Shravana clouds are raining. Rain drops are falling on the branches of trees. Flashes of lightnings are occurring from the hearts of clouds. Though it is a daytime with sunshine, it is dark because of cloudy sky and so dreams are awakening in everybody’s hearts.

Frogs are croaking. Crickets are screaming. Peacocks are dancing beautifully. Swallows are staring at the clouds. Water birds are flying happily making cries. The clouds are spreading over the sky making thundering sounds.

Raindrops are telling something. On touching them, we become horrent. It is raining with flows. Every particle in the earth is startling and tender sprouts are coming out of the earth.

My heart is rocking holding the flows of rain. Come ……. encircle me and sing the songs of Shravana. Let’s go up together in the swing of rainbow. Let’s welcome Shravana into our lives which enlivens and enthralls our hearts again and again.

बरसते बदल Summary in Telugu

ఝమ్ – ఝమ్ – ఝమ్ – ఝమ్ శ్రావణ మేఘాలు వర్షిస్తున్నాయి. చెట్ల కొమ్మలపై ఛమ్ – ఛమ్ – ఛమ్ అంటూ వర్షపు చినుకులు (బిందువులు) పడుతున్నాయి. మేఘాల నుండి (మేఘపు హృదయాల) విద్యుత్ మెరుపులు చమ్ – చమ్ మెరుస్తున్నాయి. ఎండ ఉన్న పగలు అయినప్పటికీ మేఘావృతమై యుండుటవలన కలిగిన చీకటిలో అందరి మనస్సుల్లో స్వప్నాలు జాగృతమవుతున్నాయి.

ఈ కప్పలు టర్ టర్మంటు అరుస్తున్నాయి. కీచురాళ్ళు కీచు కీచుమంటూ ధ్వనిస్తున్నాయి. నెమళ్ళు మ్యవ్ – మ్యవ్ మంటూ నృత్యం చేస్తున్నాయి. పీవు, పీవుమంటు చాతక పక్షులు మేఘాల వంక చూస్తున్నాయి. జలపక్షులు ఆర్ధ సుఖంతో ఎగురుతూ ఆక్రందన చేయుచున్నాయి. మేఘాలు గగనతలంలో గర్జన చేస్తూ ఆకాశాన్ని కమ్ముకున్నాయి.

రిమ్- జిమ్ – రిమ్ – జిమ్ అంటూ వర్షపు చినుకులు ఏదో చెబుతున్నాయి. వాటిని తాకితే వెంట్రుకలు నిక్కబొడుచు కుంటున్నాయి. ధారలు ధారలుగా వర్షం భూమిపై కురుస్తోంది. మట్టిలోని అణువణువు పులకరించి పోగా నేల నుండి కోమలమైన మొక్కల మొలకలు చిగురిస్తున్నాయి.

వర్షపు ధారలను పట్టుకొని నా మనస్సు ఊగుతోంది. రండి అందరూ నన్ను చుట్టుముట్టి శ్రావణ గీతాలను ఆలపించండి. ఇంద్రధనుస్సు ఊయల ఊపులలో మనమందరం కలసి ఊగుదాం. మన జీవితంలోకి మళ్ళీ మళ్ళీ మనస్సును ఆహ్లాదపరచే
శ్రావణం రావాలి.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
तृण – तृण की प्रसन्नता का क्या भाव है?
उत्तर:
धरती पर वर्षा के होने से पानी की धाराएँ बहती हैं। इससे रज के कण – कण से कोमल अंकुर फूट पडते हैं। वे खुशी से पुलकित हो झूमते हैं। धरती पर हरियाली छा जाती है। संसार के चारों ओर आनंद और उल्लास होता है। तृण – तृण की प्रसन्नता का यही भाव है।

प्रश्न 2.
धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा है। इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
सावन के महीने में वर्षा होती है। वर्षा से पानी मिलता है। धरती पर स्थित प्राणिमात्र को जीवन दान मिलता है। सारी प्रकृति में सब ओर हरियाली फैलती है। मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूटते हैं। खेतों में नदी, नाले भर जाते हैं। फसलें उगती हैं। सब प्राणी खुशी से विभिन्न स्वरों में अपना आनंद प्रकट करते हैं । इस तरह कह सकते हैं कि धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा ही है।

प्रश्न 3.
वर्षा से प्रकृति की सुंदरता बढ़ती है। कैसे?
उत्तर:
आसमान में काले बादल छा जाते हैं।

  • वर्षा की बूंदें तरुओं पर गिरते हैं। वह दृश्य बड़ा रमणीय है।
  • बिजली आसमान के हृदय में चम – चम चमकती है। इस तरह वर्षा से प्रकृति की सुंदरता बढ़ती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 4.
वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है। क्यों?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है :

  • वर्षा के समय आसमान को घने बादल घेर लेते हैं ।
  • बादलों के उर में से बिजली चमक उठती है।
  • मेघों के टकराने से मेघ गर्जन भी निकलता है ।
  • आसमान में इन्द्रधनुष भी निकलता है । थम-थमाते दिन में भी अंधेरा फैल जाता है |

प्रश्न 5.
वर्षा की कमी या अधिकता हम पर कैसा प्रभाव डालती है?
उत्तर:

  • सारी प्रकृति पर वर्षा का प्रभाव बहुत अधिक है।
  • वर्षा की कमी के कारण खेत, तालाब, नाले, और नदी सब सूख जाते हैं।
  • पीने का पानी की भी कमी होता । यदि वर्षा अधिक हो तो बाढ़ निकलते।
  • खेत सड जाते | घर – गाँव डूब जाते।

प्रश्न 6.
वर्षा के समय सभी प्राणी पुलकित होते हैं । वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्षा के समय सभी प्राणी पुलकित होते हैं। इस कविता में कवि ने खासकर कुछ जीवों का वर्णन किया है। बारिश के मौसम में दादुर टर – टर करते हैं। झींगुर झन – झन बजते हैं। मोर म्यव – म्यव करते हैं। चातक पीऊ – पीऊ बोलते हैं। सोन बालक जल पक्षी आर्दता का सुख पाकर क्रंदन करता है।

प्रश्न 7.
वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता बढ़ती है। कैसे ?
उत्तर:
पेड – पौधे हरे – भरे होकर फल – फूलों से लद जाते हैं। हर तरफ़ हरियाली छा जाती है। फुलवारी महकने लगती है। पक्षी भी पेड़ों के पास आकर चहचहाने लगते हैं। खेत फसलों से लहलहाने लगते हैं। नदी – नाले सारे के सारे पानी से भर जाते हैं। मछलियाँ मस्त होकर नृत्य करने लगती हैं। मनुष्यों में दुगुना उत्साह भर जाता है। इस प्रकार वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता बढ़ती हैं।

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प्रश्न 8.
बरसते बादलों को देखकर किसान क्यों प्रसन्न होते हैं?
उत्तर:
नीलाकाश में काले – काले बादल छाये रहते हैं। ठंडी हवा लगते ही वे पानी बरसते हैं। बरसते बादलों को देखकर किसान प्रसन्न होते हैं। किसान लोग खेती बाडी करके आवश्यक खाद्य पदार्थ पैदा करते हैं। खेती बाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है। वर्षा के होते ही किसान खेत जोत कर फसल उगाते लगते हैं। सिंचाई के लिए भी पानी चाहिए। बीज बोने से लेकर फसल उगने तक पानी की आवश्यकता है। इसलिए ऐसा महत्वपूर्ण पानी बरसनेवाले मेघों को देखकर किसान बहुत प्रसन्न होते हैं।

प्रश्न 9.
आपकी प्रिय ऋतु क्या है ? क्यों?
उत्तर:

  • मेरी प्रिय ऋतु वर्षा ऋतु है । वर्षा ऋतु हमेशा से सबकी प्रिय ऋतु है ।
  • वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है |
  • पेड़ – पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी इस ऋतु में खुशी से झूम उठती है ।
  • आसमान में निकले इंद्रधनुष, काले – काले बादल, बादलों से उत्पन्न होनेवाली बिजली आदि इस ऋतु में प्रकृति की शोभा बढाते हैं । इस ऋतु में सर्वत्र हरियाली मन मोह लेती है ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
सुमित्रानदनं पंत के बारे में आप क्या जानते हैं?
(या)
पंत जी प्रकृति के बेजोड कवि हैं। उनके बारे में आप क्या जानते हैं?
(या)
प्रकृति वर्णन में बेजोड कवि सुमित्रानंदन पंतजी का परिचय दीजिए।
(या)
कवि “सुमित्रानंदन पंत” के बारे में आप क्या जानते हैं?
(या)
उत्तर:

  • प्रकृति के बेजोड कवि माने जाने वाले सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में अल्मोडा में हुआ।
  • साहित्य लेखन के लिए इन्हें ‘साहित्य अकादमी’, ‘सोवियत रूस’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ दिया गया।
  • इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – वीणा, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन, युगांत, ग्राम्या, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद तथा चिदंबरा आदि।
  • इन्हें चिदंबरा काव्य संकलन पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • इनका निधन सन् 1977 में हुआ।

प्रश्न 2.
वर्षा ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु में प्रकृति बहुत सुंदर लगती है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली रहती है। वर्षा की पहली बूंद जब धरती को चूमती है, तब उसका सुंगध वर्णनातीत होता है। वर्षा में खेलकर बच्चे पुलकित होते हैं। कलियाँ खिलती हैं।

वर्षा के कारण हर गली में नदियाँ बहती हैं। उन नदियों में बच्चे कागज़ की नावें छोडते हैं। वर्षा के कारण जन-जन का मन उल्लास से भर जाता है। पेडों पर नये-नये पत्ते आते हैं और नया – नया सुंगध फैलाते हैं। वर्षा ऋतु हमेशा सबकी प्रिय ऋतु रही है। वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 3.
सुमित्रानंदन पंतजी को प्रकृति सौंदर्य चित्रण का बेजोड़ कवि कहा गया है। “बरसते बादल” कविता के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
पंतजी ने “बरसते बादल” कविता में सुंदर, मधुर शब्दों का प्रयोग किया है। जिस प्रकार आभूषण नारी की सुंदरता को बढ़ा देते हैं। उसी प्रकार पंतजी ने शब्द रूपी आभूषणों से कविता को सजाकर प्रकृति के सौंदर्य को दुगुना कर दिया है। कविता में टर – टर ,कण – कण, तृण – तृण, म्यव – म्यव, पीउ – पीउ शब्द के प्रयोग से, तो कहीं अर्थ के चमत्कार से (थम – थम दिन के तम में) तो कहीं शब्द – अर्थ दोनों के चमत्कार से (झम – झम – झम मेघ) प्रकृति की सुंदरता का अद्भुत चित्रण किया है। इस प्रकार अन्य कोई भी कवि प्रकृति सौंदर्य का चित्रण करने में असमर्थ है। इसीलिए पंतजी को प्रकृति सौंदर्य चित्रण का बेजोड़ कवि कहा गया है।

प्रश्न 5.
सावन में पेड़ – पौधे, पशु – पक्षी और मनुष्य खुशी से झूम उठते हैं। कारण बताइए।
उत्तर:
वर्षा होने पर ही पानी मिलता है। हर प्राणी.को जीवन जीने के लिए पानी ज़रूरी है। रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरी करने के लिए भी पानी अत्यंत आवश्यक है। जैसे – प्यास बुझाने के लिए, हाथ – मुँह धोने के लिए, नहाने – धोने के लिए, कारखानों के लिए, गृह – निर्माण के लिए, बिजली के उत्पादन के लिए, आग बुझाने के लिए, खेती के लिए, यहाँ तक कि पानी बरसने के लिए भी पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है – वर्षा और सिर्फ वर्षा।

प्रश्न 5.
वर्षा के कारण प्रकृति में कौन – कौन से परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
वर्षा के कारण प्रकृति में ये परिवर्तन होते हैं – आसमान में काले – काले बादल छा जाते हैं । थम – थमाते दिन में भी अंधेरा फैल जाता है । मेघों के टकराने से बिजली चमक उठती है । मेघों से गर्जना निकलती है । वर्षा के कारण प्रकृति में हरियाली छा जाती है । वर्षा के कारण धरती की शोभा बढती है । वर्षा के दिनों में मनमोहने वाला इन्द्रधनुष भी निकलता है ।

प्रश्न 6.
अधिक वर्षा के कारण किस प्रकार के नुकसान हो सकते हैं?
उत्तर:

  • अधिक वर्षा के कारण अनेक प्रकार के नुकसान होते हैं – जैसे
  • खेत सढ़ जाते हैं | इससे फसल खराब हो जाते हैं । अधिक वर्षा के कारण बाढ आता है ।
  • बाढ के कारण रवाना एवं यातायात की स्थिति खराब हो जाती है ।
  • घर – मकान आदि डूब जाते हैं । इसलिए लाखों लोग निराश्रय हो जाते हैं ।
  • साग – सब्जी, तरकारियाँ आदि नष्ट हो जाते हैं । जिससे खाद्य पदार्थों की कमी हो जाती है ।
  • तालाब, नदी, नालें आदि एकत्रित हो जाते हैं |

प्रश्न 7.
सारी प्रकृति वर्षा पर निर्भर है । कैसे?
उत्तर:
सारी प्रकृति वर्षा पर निर्भर है । वर्षा से प्रकृति सुंदर लगती है । वर्षा से प्रकृति में हरियाली व्याप्त होती है । वर्षा के कारण तालाब, नाल, नदियाँ आदि पानी से भरे रहते हैं । प्रकृति में नयी शोभा आती है। पीने के लिए और खेतीबाडी के लिए पानी इकट्ठा किया जाता है । इसलिए हम कह सकते हैं कि सारी प्रकृति वर्षा पर निर्भर है।

प्रश्न 8.
वर्षा प्राणियों के लिए वरदान है । क्यों?
उत्तर:
वर्षा प्राणियों के लिए वरदान है । पानी के बिना हम जीवित नहीं रह सकते । वर्षा हमारे जीवन का आधार है । पशु-पक्षी और मनुष्य एवं प्रकृति वर्षा से पुलकित होते हैं । ये सब जीवन के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। हमारा फ़सलों भी वर्षा के कारण ही उगता है । इसलिए हम कह सकते हैं कि वर्षा प्राणियों के लिए वरदान है ।

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प्रश्न 9.
वर्षा से क्या – क्या लाभ हैं?
उत्तर:
वर्षा से हमें कई लाभ हैं । जैसे –

  • वर्षा से पीने का पानी इकट्ठा किया जा सकता है । वर्षा से खेतीबाडी की जाती है ।
  • वर्षा से सूरज का तापमान दूर किया जा सकता है ।
  • वर्षा पशु-पक्षी और मनुष्यों का जीवन आधार है ।
  • पेड़ – पौधों के लिए भी वर्षा आधार है।
  • वर्षा के कारण ही नदियाँ जीव नदियों के रूप में बहती हैं |
  • वर्षा के पानी को बाँधों में इकट्ठा करके बिजली पैदा की जा सकती है ।

प्रश्न 10.
मानव जीवन में वर्षा का क्या महत्व है?
उत्तर:
मानव जीवन में वर्षा का महत्व बहुत अधिक है । वर्षा के बिना सारी प्रकृति निर्जीव तथा सूनी लगती है।

  • वर्षा से हमें कई लाभ हैं । जैसे –
  • वर्षा से पीने का पानी इकट्ठा किया जा सकता है।
  • वर्षा से खेतीबाडी की जाती है ।
  • वर्षा से सूरज का तापमान दूर किया जा सकता है ।
  • वर्षा पशु-पक्षी और मनुष्यों का जीवन आधार है । पेड़ – पौधों के लिए भी वर्षा आधार है।
  • वर्षा के कारण ही नदियाँ जीव नदियों के रूप में बहती हैं।
  • वर्षा के पानी को बाँधों में इकट्ठा करके बिजली पैदा की जा सकती है ।

प्रश्न 11.
वर्षा को देखकर सभी प्राणी पुलकित हो जाते हैं । क्यों?
उत्तर:
वर्षा प्रकृति में नयी शोभा लाती है । वर्षा के कारण प्रकृति हरी – भरी रहती है | चारों ओर हरियाली छा जाती है । पशु – पक्षी वर्षा को देखकर संतोष से उछल – कूद पडते हैं । ग्रीष्म ऋतु के कारण अब तक जो ताप को पशु – पक्षी और सारे मनुष्य सह लिये हैं । वे अब वर्षा को देखकर अपने ताप को शांत करने पुलकित हो जाते हैं।

प्रश्न 12.
वर्षा के कारण प्रकृति में कौन – कौन से परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
वर्षा के कारण प्रकृति में ये परिवर्तन होते हैं – आसमान में काले – काले बादल छा जाते हैं । थम – थमाते दिन में भी अंधेरा फैल जाता है | मेघों के टकराने से बिजली चमक उठती है | मेघ गर्जना निकलता है। वर्षा के कारण प्रकृति में हरियाली छा जाती है । वर्षा के कारण धरती की शोभा बढ़ती है । वर्षा के दिनों में मनमोहने वाले इंद्रधनुष भी निकलता है।

प्रश्न 13.
कवि जीवन में सावन को बार – बार क्यों आमंत्रित करते हैं ?
उत्तर:
प्रायः सभी लोग सावन को बार – बार आना बहुत पसंद करते हैं ।

  • सावन के ऋतु में ही वर्षा का आरंभ होता है |
  • वर्षा ऋतु में पाकृतिक रमणीयता सुंदर होती है ।
  • पेड – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से इस ऋतु में झूम उठती है ।
  • सावन मन को भाता है।
  • इसलिए सभी लोग सावन को बार – बार आना बहुत पसंद करते हैं । उसी प्रकार कवि भी जीवन में सावन को बार – बार आमंत्रित करते हैं।

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प्रश्न 14.
खेतीबाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है – इस पर अपने विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर:

  • खेतीबाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है ।
  • वर्षा के बिना खेतीबाडी करना असंभव है | भारत कृषि प्रधान देश है ।
  • खेतीबाडी ही भारतीयों के मुख्य जीवन आधार है।
  • फसल उगने के लिए पानी की आवश्यकता है ।
  • पानी के बिना सिंचाई नहीं होती । पानी का मुख्य आधार वर्षा ही है ।
  • भारत में वर्षा के पानी को इकट्ठा करके नालों के द्वारा सिंचाई हो रही है ।
  • बीज बोने से लेकर फसल उगने तक खेतीबाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है ।

प्रश्न 15.
वर्षा के अभाव में प्राणि – जगत की स्थिति कैसी होती है ? (होगी)
उत्तर:

  • वर्षा के अभाव से प्राणि जगत की स्थिति बहुत बुरी होती है ।
  • वर्षा के अभाव से अकाल उत्पन्न होता है | सबकी प्यास बुझाना मुश्किल हो जाता है ।
  • पशु – पक्षी, सकल जीव, मनुष्य जगत यहाँ तक कि पृथ्वी भी पानी के मारे सूख जाते हैं ।
  • फ़सल की स्थिति बहुत बुरी होती है ।
  • तालाब, नालें, नदियाँ, झील, झरने आदि सब सूख जाते हैं ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ – दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
पंत जी प्रकृति सौंदर्य के चित्रण में बेजोड कवि है | बरसते बादल पाठ के द्वारा सिद्ध कीजिए।
(या)
वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता दर्शनीय होती है। ‘बरसते बादल’ पाठ के आधार पर इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
“बरसते बादल” नामक कविता के कवि हैं श्री सुमित्रानंदन पंत । प्रस्तुत इस कविता पाठ में आप बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम उत्पन्न कराते हैं । इस कविता में प्रकृति का रमणीय तथा सुंदर चित्रण है।

वर्षा ऋतु हमेशा से सबकी प्रिय ऋतु रही है । वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है। पेड़ – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से झूम उठती है ।

सावन (श्रावण) के मेघ आसमान में झम – झम – झम बरसते हैं । बूंदें छम – छम पेडों पर गिरती हैं। चम – चम बिजली चमक रही है । जिसके कारण अंधेरा होने पर भी उजाला है ।

दादुर टर – टर करते रहते हैं । झिल्ली झन – झन बजती है मोर म्यव – म्यव नाच दिखाते हैं । चातक के गण “पीउ” “पीउ” कहता मेघों की ओर देख रहे हैं । आर्द सुख से क्रंदन करते सोनबालक उड़ते हैं । मेघ गगन में गर्जन करते घुमड – घुमड़ कर गिर रहे हैं ।

वर्षा की बूंदों से रिमझिम – रिमझिम का स्वर निकल रहा है । उन्हें छूने पर किसी भेद के बिना सबके रोम सिहर उठते हैं । वर्षा की धाराओं पर धाराएँ धरती पर झरती हैं । इस कारण मिट्टी के कण – कण से तृण – तृण (कोमल अंकुर) फूट रहे हैं ।

कवि कहते हैं कि वर्षा की धाराओं को पकडने से उसका मन झूलता है । वह सबको संबोधित करते हुए कहते हैं कि उसे घेर ले और सावन के गीत गालें । इंद्रधनुष के झूले में सब मिलकर झूलें । अंत में कवि यह सावन जीवन में फिर – फिर आकर मनभावन करने के लिए कहते हैं ।

इसलिए इस कविता के सारांश के आधार पर हम कह सकते हैं कि पंतजी प्रकृति सौंदर्य चित्रण में बेजोड कवि हैं।

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प्रश्न 2.
“सुमित्रानंदन पंतजी प्रकृति चित्रण में बेजोड़ कवि हैं।” – बरसते बादल कविता के द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर:

  • सुमित्रानंदन पंत हिंदी के राष्ट्र कवि हैं।
  • वे प्रकृति चित्रण के बेजोड़ कवि माने जाते हैं।
  • आसमान में बादल झम – झम बरसते हैं। छम – छम – छम बूंदें पेड़ों से गिरते हैं।
  • बिजली आसमान के हृदय में चमक रही है।
  • उस समय दिन में अंधेरा होता है। हृदय के सपने जग जाते हैं।
  • सावन के मौसम में दादुर टर – टर करते हैं। झिल्ली – झींगुर बजने लगते हैं।
  • मोर म्यव – म्यव करते हैं, चातक गण पीऊ – पीऊ कहते हैं।
  • आसमान में मेघ घुमड – घुमड कर गर्जन करते हैं।
  • रिमझिम – रिमझिम पानी बरसाता है, वर्षा की बूंदें ज़मीन पर गिरते हैं।
  • वर्षा की बूंदें शरीर पर पड़ते ही रोम सिहर उठते हैं। – रज के कण – कण में तृण – तृण पुलकित हो जाते हैं।
  • वर्षा की धारा देखकर कवि का मन झूलता है।
  • सब लोग मिलकर सावन के गीत गाते हुए सावन का आहवान करते हैं।

प्रश्न 3.
कवि बार – बार अपने जीवन में सावन के आने की कामना कर रहा है। क्यों?
उत्तर:
कवि चाहते हैं कि जीवन में सावन बार-बार आये और सब मिलकर झूलों में झूलें। क्योंकि वर्षा ऋतु हमेशा सबकी प्रिय ऋतु रही है। वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है। पेड – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से झूम उठती हैं।

वर्षा की धाराओं के कारण मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट कर तृण बन जाते हैं। उस वर्षा के पानी को पाकर सभी का मन झूलने लगता है। कवि कहते हैं कि इन्द्रधनुष को झूला बनाकर हम सब मिलकर आकाश में झूलना चाहते हैं। ऐसी सुंदर – सुंदर घटनाओं के कारण से कवि फिर – फिर वर्षा ऋतु का आगमन करना चाहते हैं।

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प्रश्न 4.
बादलों के बरसने से सभी प्राणी प्रसन्नता क्यों प्रकट करते हैं?
उत्तर:
बरसते बादल कविता के कवि श्री सुमित्रानंदन पंत है। इन्हें चिदंबरा काव्य संकलन पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। प्रकृति का हर प्राणी पानी के बिना रह नहीं सकता।
  • पशु – पक्षी और मनुष्य एवं प्रकृति वर्षा से पुलकित होते हैं।
  • वर्षा के कारण प्रकृति हरी – भरी रहती है। पशु – पक्षी वर्षा को देखकर संतोष से उछल – कूद पडते हैं।
  • ग्रीष्म ऋतु के कारण अब तक जो ताप को पशु – पक्षी और सारे मनुष्य सहलिये हैं, वे अब वर्ष को देखकर अपने – अपने ताप को शांत करने पुलकित हो जाते हैं।
  • वर्षा के कारण दादुर, झिल्ली, मोर, चातक और सोनबालक आदि जीव जाति आनंद से पुलकित होते
  • वर्षा से पेड – पौधे अपने थकावट को दूर करने के लिए आनंद से झूम उठते हैं।
  • वर्षा से पृथ्वी, तालाबें, नदियाँ, झील, झरने आदि प्रसन्नता से अपने सूखेपन को बदल लेते हैं।
  • सभी प्राणी अपने – अपने प्यास बुझाने के लिए बादलों के बरसने को प्रसन्नता से निमंत्रण करते हैं।

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 6C An Icon of Civil Rights

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 6C An Icon of Civil Rights

AP State Syllabus AP Board 9th Class English Textbook Solutions Chapter 6C An Icon of Civil Rights Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus 9th Class English Solutions Chapter 6C An Icon of Civil Rights

9th Class English Chapter 6C An Icon of Civil Rights Textbook Questions and Answers

Answer the following questions.

Question 1.
The speaker talks about “creative battle” in the beginning of his speech. What does he mean by this phrase?
Answer:
Martin Luther King (Jr) describes the Civil Rights Movement of the blacks in the USA as a ‘Creative battle’. This is to show that the battle is going to ‘create’ a new world. The battle uses ‘good’ will and ‘good’ intention as weapons. It follows ‘good’ methods like ‘truth’, ‘non-violence’ and ‘love’. Its aim is to promote universal brotherhood. Hence it is a creative battle.

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Question 2.
What is Martin Luther King’s speech about? List the issues he is talking about.
Answer:
Martin Luther King’s speech is about justice and equality. It is about universal brotherhood. It is about food to every body, education to every mind and dignity and respect for every spirit. It is about truth, love and peace. It is delivered as Nobel Prize acceptance speech.

Question 3.
Do you think that this is an emotive speech ? If yes, pick out the expressions that show it is an emotive speech.
Answer:
Yes, it is an emotive speech. Every part, in fact, is an example to prove the point. Yet, here are some striking expressions : 22 million Negroes are engaged in a creative battle ; our children, crying for brotherhood, were answered with fire hoses beleaguered and unrelenting struggle ………

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Question 4.
What sort of future does the speaker visualize for the Americans and the mankind in general?
Answer:
Martin Luther King (Jr) is full of hope. He visualises a bright future for Americans and humanity. He dreams of a widening and lengthening super highway. Blacks and whites will travel along it in a cooperative and brotherly mood. That will lead them to an ideal land. There everyone gets food, education, justice, equality and dignity. Love, truth and peace will rule supreme.

Vocabulary

I. Given below are the words taken from the reading passage listed as key words. Match the word with the meaning as used in the text.

Key word Choice words
afflict affect, touch, cause pain
beleaguered experienced criticism, shattered, humiliated
retaliation violation, reformation, revenge
tortuous complicated, unclear, straight
prostrate lie flat, roll on, unmoved
turmoil certainty, great confusion, trouble
curator representative, person in charge, physician

Answer:

afflict (v) cause pain
beleaguered (adj) experienced criticism
retaliation (n) revenge
tortuous (adj) complicated
prostrate (adj) lie flat
turmoil (n) great confusion
curator(n) person in charge

II. Read the following expressions taken from the reading passage.
1. blazing light of truth
2. wounded justice
3. majestic scorn

Do they have any specific meaning?
Why does the speaker use such expressions?

The above phrases are figurative expressions. They mean a word or a phrase used in a different way from its usual meaning in order to create a particular mental image or effect to add interest to a speech or a writing. Here the two words that convey opposite meaning are combined together to get a positive meaning.

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Now read the passage once again and pick out the figurative expressions.

Find out the meanings of all the expressions including the ones given above.
Answer:

1. blazing light of truth bright light generated by pure truth
2. wounded justice justice destroyed ; injustice pervading everywhere
3. majestic scorn contempt or hatred of highest order
4. sterile passivity unproductive inactiveness
5. creative psalm of brotherhood the feeling of being brothers is like a song praising God
6. super highway of justice a smooth path of justice

Writing

I. You have listened to the speech delivered by Subhash Chandra Bose and read the speech by Martin Luther King Jr.
Let’s analyze their speeches.

Discuss the following questions in groups.
1) How do they begin their speeches?
2) Do you find any logical sequence of ideas in their speeches?
3) What sort of language do they use? (Persuasive, argumentative, emotive)
4) Do you notice any quotations, examples? (to support their argument)
5) Do they use any linkers for cohesion?
6) Do they maintain unity of ideas/thoughts for coherence?
7) What expressions do they use to conclude their speeches?
Answer:

  1. They begin their speeches with one’s obligations to family and country and to the Civil Rights Movement in the USA.
  2. Yes, there is absolute logical sequence of ideas in their speeches.
  3. They use argumentative and emotive language.
  4. Yes, I do notice quite a good number of examples.
  5. Yes, they use linkers liberally for the purpose of cohesion.
  6. Yes, they do maintain unity of ideas for coherence.
  7. They conclude their speeches with expressions of hope, freedom, justice, and equality for all!

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II. Prepare a speech on the following occasion in your school.
You can use some of the quotations given in the box.

Independence Day
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Answer:
Respected teachers, elders and guests and my dear friends! A very brilliant morning and warm greetings of our greatest day of days to you all.

We breathe this cool morning the inspiring air of freedom. Today we stand in the protective shelter of our tricolour flag as it flies high in the sky and proclaims to the world the great achievement of Indians! But the flag also reminds us of the selfless sacrifice thousands of Indians made to gift us this invaluable independence. The flag, at the same time, advises us to be mindful of our responsibilities.

As we celebrate this great event in the lap of goddess of learning, shouldn’t we pledge to follow the path our national leaders have so brilliantly illuminated for us? As the present students and future citizens, shall we plan for our future and our mother India’s future too?

As you all know well, planning for future demands analysis of present. Are we, then, rellay free in its comprehensive sense? Are we, for example, free from fear? For, as Aristotle has well said, “He who has overcome his fears will truly be free”. Are we really aware of and following Eleanor Roosevelt when he says, “Freedom makes a huge requirement of every human being. With freedom comes responsibility. For the person who is unwilling to grow up, the person who does not want to carry his own weight, this is a frightening prospect?” Are we really respecting freedom of expression? Do we follow

S.G. Talientyre’s mantra in this regard? The mantra is : “I disapprove of what you say, but I will defend to the death your right to say it.” Are we free from hatred and jealousy? Shouldn’t we put into practice Martin Luther King’s (Jr) wise advice – Let us not seek to satisfy our thirst for freedom by drinking from the cup of bitterness and hatred – even after independence? Are we allowing our innate nature to move ahead in its own way? Do we prove Virginia Woolf right in the saying – Lock up your libraries if you like, but there is no gate, no lock, no bolt that you can set upon the freedom of my mind?

The present picture is full of challenges. Illiteracy, poverty, corruption, pollution, fast depleting natural resources – the list is too long to complete here. It haunts us day and night. Let us all work together to solve these burning problems. Let us empower ourselves first to be able to work for Mother India! Let us hope to see Mother India full of smiles! Thank you all for your encouraging attention. Jai Hind I

Project Work

Collect information about the great leaders who fought for the freedom of our country. Arrange the information in the table given below:

Discuss in groups and write down the questions you will need to get the information.

On the basis of the information collected in the table below, write a brief biographical sketch of any one of them and present it before others in class.
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Answer:
A BRIEF BIOGRAPHICAL SKETCH OF SAROJINI NAIDU

Sarojini Devi was born on 13th February 1879 in Hyderabad to Aghoranath Chattopadhyaya and Varada Sundari Devi.

She passed matriculation when she was just 12. Then she went to England for higher studies in King’s college in London and later at Cambridge.

She married Mutyala Govindarajulu Naidu in 1898. Kandukuri Veeresalingam acted as the priest on the occasion.

Gopala Krishna Gokhale influenced and guided Sarojini Naidu into Freedom Struggle. She met Gandhiji in 1915 and Nehru in 1916 for the first time. She took a very active part in Congress activities and Independence movements. She inspired many men with her poetic recitals which won for her the title ‘Nightingale of India’, Recognizing her important role, Congress leaders made her the party president in 1925. But the British government imprisoned herforthe same role.

After India became independent, she was made the governor of United Provinces (now Uttar Pradesh), the first Indian woman to become so. People remember her as a patriot, poet, philospher and lover of peace. She remains a source of inspiration to many persons-particularly women.

An Icon of Civil Rights Summary in English

Martin Luther King (Junior) is one of the most influential and inspiring Afro-American leader. His Nobel Prize acceptance speech is noted for its excellent content and effective expression. He accepts the Nobel Prize on behalf of the Civil Rights Movement in America. He remembers the suffering of blacks in the USA. He praises the Indians for showing the path of non-violence. He believes in the power of truth and love. He is hopeful of bright future for humanity. He has faith in man’s ability to lay a super highway of justice on which all people will cooperatively go ahead and create a world where every body gets food, mind finds education and spirit receives dignity, equality and brotherhood. He says faith gives us courage and confidence to complete the mission of establishing universal brotherhood that has roots in love, truth and peace.

An Icon of Civil Rights Glossary

icon (n) : a famous person ; a symbol of an idea

majesty, highness, excellencies (nouns) : terms showing high respect to people of top positions

accept(v) : take; receive

determination (n) : firmness in continuing to do something despite difficulties

scorn (n) : contempt; hatred

reign (n) : rule (Note that the letter ‘g’ is silent.)

mindful (adj) : aware ; remembering

sanctuary (n) : a place that is safe

segregation (n) : separation ; isolation

debilitating (v+ing) : weakening

grinding (v+ing) (adj) : never ending ; never improving

afflicts (v) : causes suffering

rung (n) : step

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beleaguered (adj) : experiencing a lot of criticism

unrelenting (v+ing : adj) : not stopping and not becoming less severe

contemplation (n) : serious thinking

antithetical (adj) : opposite

sterile (adj) : not capable of producing

elegy (n) : a poem or song about sad feelings

psalm (n) : a song praising god (Note that the letters ‘p’ and T are silent.)

revenge(n) : causing suffering to others because the caused suffering

aggression (n) : attack

retaliation (n) : action against someone because they harmed

tortuous (adj) : complicated, long, full of bends

alliances (n-plural) : groups working together to achieve what they want

audacious (adj) : daring ; willing to take risks

despair (n) : the feeling of losing all hope

flotsam and jetsam (phrase-noun) : useless things, persons with no job, no home

cynical (adj) : not believing that something good will happen

triumphant (adj) : successful; victorious

prostrate (adj) : lying on the ground facing downwards

altars (n-plural) : places of worships

redemptive (adj) : that saves from evil

dreary (adj) : that which makes one dull, bored

soared (v-past tense) : rose high ; went up

righteousness (n) : morally good behaviour

heirloom (n) : a valuable object from forefathers

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 6B Freedom

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AP State Syllabus AP Board 9th Class English Textbook Solutions Chapter 6B Freedom Textbook Questions and Answers.

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9th Class English Chapter 6B Freedom Textbook Questions and Answers

Answer the following questions.

Question 1.
What sort of freedom does the poet wish to have?
Answer:
The poet wants freedom from fear and physical, intellectual, psychological, emotional, social, and financial weaknesses.

Question 2.
The poet talks about fear in the opening lines of the poem. What kind of fear is he talking about?
Answer:
The poet refers to fear of country’s future, development, social and economic equality, etc.

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Question 3.
What does the expression “truth’s adventurous paths” mean?
Answer:
“Truth’s adventurous paths” means the road taken by persons speaking only truth is full of challenges and problems.

Question 4.
What does the poet mean by ‘figures’ in the poem? What sort of figures are they? What does the poet want them to be?
Answer:
‘Figures’ here are people. They are obedient and patient. The poet wants them to have their own individuality.

Question 5.
“Where figures wait with patience and obedience for the master of show.” What does the poet mean by this?
Answer:
Persons here wait for their leader. They just follow their master without any original thinking.

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Question 6.
What does the ‘shackles of slumber’ mean? How does it arrest the progression of life?
Answer:
‘Shackles of slumber’ means chains of laziness, inaction and indifference. When one is a prisoner of laziness, life does not progress.

Question 7.
Do you think we are all free from fear? What kind of fears are haunting our motherland now?
Answer:
No, we are not at all free from fears. The fears of over population, over pollution, lawlessness, insecurity to women and the weak are some of the striking ones haunting our mother land.

Question 8.
What does freedom mean to you? Is it freedom from hunger? Is it freedom from physical attack? Is it freedom from illiteracy? is it freedom from social oppression? What else?
Answer:
Freedom from desire, selfishness, illiteracy, dirt and disease, hatred, poverty, etc. is what freedom means to me.

Freedom Summary in English

The poem ‘Freedom’ by Rabindranath Tagore is both philosophical and psychological. He wants a special kind of freedom for the motherland. It is freedom from fear. It is freedom from old age and related weaknesses. It is freedom from lack of vision and slumber. It is freedom from mistrust. It is freedom from uncertain destiny, cruel power and lack of individuality. It is freedom from meaningless movements, senseless statistics and heartless artificiality.

Freedom Glossary

claim (v) : demand ; achieve

beckoning (v+ing) : showing signs to call

shackles (n-plural) : chains

slumber (n) : sleep

mistrusting (v+ing) : having no faith

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anarchy(n) : a situation without order, control or government

helm (n) : steering wheel or handle

puppet (n) : a person whose actions are controlled by others

mimicry (n) : copying; imitation

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 6A A Long Walk to Freedom

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AP State Syllabus AP Board 9th Class English Textbook Solutions Chapter 6A A Long Walk to Freedom Textbook Questions and Answers.

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9th Class English Chapter 6A A Long Walk to Freedom Textbook Questions and Answers

Look at the following pictures and answer the questions that follow.
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Question 1.
What do you know about the great persons in these pictures?
Answer:
The pictures are of Mahatma Gandhi and Nelson Mandela. Both of them are world class leaders. They sacrificed their lives for their countries. They exhibited excellent human qualities in their movements. They remain forever as models for leadership and humanity.

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Question 2.
What similarities do you find in their lives?
Answer:
Mahatma Gandhi and Nelson Mandela have a lot of similarities in their lives. In fact, Mandela derived inspiration from Gandhi. Both are coloured. Both suffered at the hands of the whites. Both of them fought for their countries. They sacrificed their personal lives for their movement. Both of them spent a lot of time in jails. People regard both of them as their greatest leaders.

Comprehension

Answer the following questions.

Question 1.
Why is it difficult to fulfil the ‘twin obligations’ in a country like South Africa?
Answer:
In South Africa, coloured persons were not allowed to fulfil their twin obligations. If anyone tried to do so, he was punished and isolated. Blacks were not permitted to live like human beings.

Question 2.
What sort of freedom did Mandela enjoy as a boy? Was it real? Give your opinion.
Answer:
Mandela was born free. He could run around in their fields. He could swim in the streams nearby. He had the freedom to roast maize under the stars. He enjoyed rides on the backs of bulls. But that freedom was very limited and purely private. Later, it turned out to be an illusion.

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Question 3.
How did Mandela’s understanding of freedom change with age and experience?
Answer:
As a boy, Mandela thought he was free. As a student, he knew he did not have freedom. Later, he realized that all blacks were deprived of their freedom, dignity, and self-respect. Finally, he understood that he could not enjoy his limited freedom as long as his people were not free. He felt that freedom was indivisible.

Question 4.
What does the line ‘the oppressed and the oppressor alike are robbed of their humanity’ suggest?
Answer:
Mandela is a wise leader. He has a lot of insight. He says ’the oppressed and the oppressor alike are robbed of humanity1. For an ordinary person, only the oppressed appear to be the sufferer. But the oppressor also suffers from hatred. Hence all are losers. Freedom to everyone alone is the solution.

Question 5.
What relevance does Nelson Mandela’s life have to the present society?
Answer:
Mandela’s life is relevant to any place and at any time. His life basically deals with human values. And humanity remains the same everywhere and at any time.

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Question 6.
“It was this desire … that animated my life”, which desire is the narrator referring to?
Answer:
The desire Mandela refers to is the greater hunger for the freedom of his people.

Vocabulary

I. Tick (✓) appropriate meaning for each of the following underlined words.

1. I was born free.
a) able to act at will
b) having personal rights
c) not subjected to constraints
d) costing nothing
Answer:
c) not subjected to constraints

2. I was prevented from fulfilling my obligations.
a) not able to perform
b) stopped from doing
c) conditioned to do
d) forced to do
Answer:
b) stopped from doing

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3. My freedom was curtailed.
a) enhanced
b) lost
c) reduced
d) blocked
Answer:
c) reduced

4. I was not a virtuous leader.
a) dignified
b) law-abiding
c) well behaved
d) honest
Answer:
d) honest

II. Read the following paragraph carefully. Fill in the blanks with the most appropriate forms of the words in brackets.

Nelson Mandela was an outstanding black ___(1)___ (lead) of South Africa, who spent his life time ___(2)___ (fight) against racial ___(3)___ (segregate). He had to spend 30 years of imprisonment to achieve ___(4)___ (free) of the coloured. Finally he ___(5)___ (creation) history when he became the first black man as the President of ___(6)___ (independence) Republic of South Africa. This great leader who has been a source of ___(7)___ (inspire)for millions of freedom lovers in the world was influenced by Mahathma Gandhi, the father of our nation!
Answer:
1) leader
2) fighting
3) segregation
4) freedom
5) created
6) independent
7) inspiration

Grammar

Defining Relative Clause :

Read the following sentences and notice the underlined parts.

1. The man who takes away another man’s freedom is a prisoner.
2. The people followed the principles that Mandela advocated.

  • As you perhaps know, the clauses underlined above are called adjectival clauses because they qualify the noun in the preceding clause.
  • In (1) we are able to identify who the man is with the help of the information contained in the clause, who takes another man’s freedom. Similarly, the identity of the principles is revealed by the clause, that Mandela advocated. Without these clauses, the listeners will not be able to know who the man is and which principles they are. Who in (1) refers to the man and that in (2) refers to the principles. These words in these sentences are

Relative pronouns.

  • The Adjectival clauses are also called Defining Relative Clauses because they help to define the person or the object referred to.
  • The whole expression containing the noun phrase and the Relative Clause now acts like a single noun phrase.

Pick out the Defining Relative Clauses and the noun phrases they define from the text. Fill in the table given below. One is done for you.
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Writing

I. Read the story once again and analyze the text in the light of the following questions.

  • What incidents do you find in the first paragraph?
  • How does the writer reflect on (feel about) these incidents?
  • What is the writer’s point of view on the incidents?

You may have witnessed several instances of discrimination in the world around you. Write an essay about one such incident. You may use the following clues:

  • When and where did it take place?
  • With whom did the incident occur?
  • What were you doing at that time?
  • How did you feel about these incidents?

Answer:
Pleasant are the ways of villagers. Sometimes the ways are mysterious too, particularly to a town boy as young as 12. Even after clear explanation by village elders, I find it difficult to understand the way the villagers behaved that day.

It was summer. As in every summer, I had been to my grandparents’ village. Born and growing in a small house in a crowded town, I always love to go to villages. And my love for my grandfather’s village is all the more as it is on a river bank with a range of hillocks on another side. I also cherish village games and countryside walks.

That particular day filled my heart with rather sad feelings. My grandfather and I were walking along a path beside the river. A man of about 25 was riding a bicycle towards the village. A young boy of below 10 years was sitting on the back seat of the cycle. He appeared to have been enjoying that ride as if it were for the first time he was riding a cycle !

Suddenly a group of 5 or 6 men stopped the cycle. They started scolding the man for allowing the boy to sit on his cycle. And as to the boy, they almost beat him. The boy’s eyes were filled with tears of fear. The trembling boy’s tender face left a deep impression on my mind. And the memory has been haunting me whenever I think of the village. Since then, though I have been going there, the feelings about the village have not been as pleasant as they used to be before that incident.

As I was at my wit’s end as to why the boy shouldn’t ride the bicycle, I asked my grandmother the reason for their behaviour. Grandmother said in a hushed voice that the boy belonged to a lower caste and the man was from a higher caste !

My mind failed to understand that and till today I see no point in that attitude ! May God bless us with the understanding that all men – nay, all living beings – are equal !

Study Skills

Read the following biographical account of a great patriot of India, which describes events in his life. After reading the text, complete the chronological table.

Subhash Chandra Bose was born on 23rd January in Cuttack in 1897. He was born in a rich family. When he was five he was admitted into a big European school. At the age of twelve, he was shifted to another school, where his headmaster, Beni Madhav Das, kindled the spirit of patriotism in him. When he was fifteen, he came under the profound influence of an outstanding spiritual leader, Swami Vivekananda.

After his graduation, Subhash left for Cambridge in 1919 to appear for the Indian Civil Service Examination (ICS). But he had made up his mind to dedicate his life to the service of his country; he resigned from the Indian Civil Service and returned to India in 1921. He took part in freedom struggle, Independence Movement and fought against the British rule in India. Bose was arrested and sent to a prison in Burma. With the cooperation of some prisoners and freedom lovers, Bose formed the Indian National Army (INA) in 1941 in Singapore. He inspired the troops to fight against the British to liberate their motherland. On 21st October 1943, the Azad Hind Government was set up in foreign soil.

Subhash is called ‘Nethaji’ (Neta- a leader) because he was a true and passionate leader of the Indian struggle for freedom.

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Complete the following table based on your reading of the passage.
AP Board 9th Class English Solutions Chapter 6A A Long Walk to Freedom 4

Year Incident that took place/Significance
1. 1897 Subhash Chandra Bose was born on 23 January
2. 1902 Joined a big European school
3. 1909 Shifted to another school/headmaster Beni Madhav Das kindled the spirit of patriotism
4. 1912 Came under the influence of Swami Vivekananda
5. 1919 Left for Cambridge to appear for Indian Civil Service Examination
6. 1921 Resigned from Indian Civil Service and returned to India
7. 1941 Formed Indian National Army (INA) in Singapore
8. 1943 Set up Azad Hind Government – on 21st October in foreign soil.

Listening

Practise listening carefully. Then you will be bale to speak.
Listen to the ‘speech of Subhash Chandra Bose’ and answer the questions that follow.

Speech of Subhash Chandra Bose
Brave soldiers! Today you have taken an oath that you will give fight to the enemy till the last breath of your life, under the national tricolour. From today you are the soldiers of the Indian National Army of free India. You have volunteered to shoulder the responsibility of forty crores of Indians. From today your mind, might and money belong to the Indian Nation. Friends, you have the honour to be the pioneer soldiers of Azad Hind Fauj. Your names will be written in the history of Free India. Every soldier who is martyred in this holy war will have a monument, Free India. The coming generations will shower flowers on those monuments. You are very fortunate that you have got this valuable opportunity to serve your motherland. Although we are performing this ceremony in a foreign land, our heads and hearts are in our country. You should remember that your military and political responsibilities are increasing day by day and you must be ready to shoulder them competently. The drum of Indian Independence has been sounded. We have to prepare for the battle ahead. We should prepare ourselves as early as possible so that we can perform the duties we have shouldered. I assure you that the time is not far off when you will have to put to use the military skill which you possess.

Today we are taking the vow of independence under the National Flag. A time will come when you will salute this flag in the Red Fort. But remember that you will have to pay the price of freedom. It has to be got by force. Its price is blood. We will not beg freedom from any foreign country. We shall achieve freedom by paying its price. It doesn’t matter how much price we have to pay for it. I assure you that I will lead the army when we march to India together. The news of the ceremony that we are performing here has reached India. It will encourage the patriots at home, who are fighting empty-handed against the British. Throughout my life, it had been my ambition to equip an army that would capture freedom from the enemy. Today I congratulate you because the honour of such an army belongs to you. With this, I close my speech. May God be with you and give you the strength to the pledge which you have taken voluntarily today.
Inquilab Zindabad!

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I. Based on the ‘speech of Subhash Chandra Bose’ answer the following question orally.

1. What is the thrust of Subhash Chandra Bose’s speech?
Answer:
The thrust (main point) of Bose’s speech is motivating the soldiers to fight for mother India’s Freedom with a sense of sacrifice and responsibility.

II. Say whether the following statements are True or False.

1. Subhash asked the soldiers to sacrifice everything for their motherland.
Answer:
True

2. Subhash dreamt that every soldier of INA would have a monument in Free India.
Answer:
True

III. Have you ever heard of &ny national leader’s speech? Talk about him/her.
Answer:
Yes. I heard of Atal Biharr Vajpayee’s speech. He uses a very simple language. Humour is clear and dignified in his talk. He quotes from poetry and himself composes poems and recites. His commitment to the cause of the country makes his words appealing. His selfless service adds force to his flow of sounds.

Oral Activity

Debating
Work in pairs. Organize a debate in dass on the following proposition. Women should work in kitchens and men in offices.
One member of the pair speaks in favour of the proposition, while the other speaks against it.
Remember

  • Organize your ideas as main points and sub-points;
  • Put your ideas in a proper order ( sequence);
  • Give suitable examples, quotes;
  • Use polite expressions;

You may use some of the following words/phrases to express your views

  • In my opinion ………………
  • personally feel ………………
  • It’s my feeling ……………….
  • think ……………..

To agree with your opponents

  • I agree with my worthy opponents ……………..
  • I am in favour of the ……………..
  • I think they / you are right ……………..
  • I support the idea ……………..

To disagree with your opponents

  • I’m sorry to differ with you ……………..
  • I disagree with you ……………..
  • It may be your opinion but I’m not happy with this ……………..
  • That’s purely your idea but the reality is different ……………..

To establish your point of view/stand

  • Since I have evidence I strongly believe this ……………..
  • I’m fully confident with my point as ……………..
  • I’ve no doubt about this since it is a ……………..
  • Therefore I conclude that ……………..

A : It is definitely very good if women remain at home and men work in, offices. It was practised in good olden days and everyone lived happily and peacefully.

B : I love to agree with your example. But that belongs to past. We live in the present. The times have changed a lot. Change, we must along with the time !

C : Women confining to homes is a good proposition. That is the place where a woman’s abilities are most useful. Work at offices men can take care of!

D : I’m really sorry to disagree with you! Women, no doubt, are best home makers. But that doesn’t mean they cannot do other things. Don’t we have examples in thousands that prove women’s abilities! What about Sakuntala Devi, Sunitha Williams ; Kalpana Chawla ; Indra Nobyi; Indir a Gandhi, and many more?

E : Hard working husband and school going students need personalised service at home. So it would always be good for women to stay at home. A hgppy father and satisfied children make a home a pleasant place to live in!

F : That is a fine idea. But what about the feelings of a woman. Particulary when she has an urge for expression of her talents! You see from one angle. Let’s try to be comprehensive.

G : Women have tremendous patience. She can attend to work at home and yet be a office goer. Allowing women to work outside is advantageous in many ways. Inconveniences, if any, can be sorted out somehow. Father and children should learn to enjoy sharing work at home. Then everyone will be happy.

H : It is a balanced opinion. What I would like to put in is that every woman has her own choice. Some women may prefer to stay at home on their own. Others may love to take up a job outside. Hence what I feel to be the best option is to give freedom to women to be a home maker or a job seeker!

A Long Walk to Freedom Summary in English

Nelson Mandela’s narration ‘A Long Walk to Freedom’ is at once soul-stirring and thought-provoking. Every man has obligations to his family and his country. Fulfilling them depends on one’s ability and nature. But in South Africa coloured people were not allowed to fulfil any of those obligations. But Mandela tried and succeeded to fulfil his obligations to the country. But he failed in the case of his family. He was born free. But soon he discovered that his freedom was not true. He realised that no black in South Africa was free. They didn’t have self-respect too. His hunger for personal freedom became the hunger for everyone’s freedom. For that, he changed himself. He became animated. He became bold. He sacrificed his personal ambitions and life. He worked for the freedom of the oppressor too. He believed that freedom was indivisible. He attempted for freedom to everyone and he achieved it too.

A Long Walk to Freedom Glossary

twin (adj) : two

obligations (n-plural) : duties ; responsibilities

humane (adj) : kind ; concerned

inevitably (adv) : as is certain to happen

inclinations (n-plural) : feelings /tendencies that make one do something

isolated (v-past tense) : separated from others

ripped (v-past tense) : torn ; separated

twilight (adj) : mysterious ; uncertain ; not clearly defined

rebellion (n) : opposition to authority

mealies (n-plural) : maize

abided by (ph.v) : accepted the law / worked according to rules

illusion (n) : something that appears to be present but actually not present

transitory (adj) : temporary

yearned (v-past tense) : wanted very much ; longed

potential (n) : quality that exists and can be developed

keep (n) : food, clothes and other basic things that one needs to live

obstructed (v-past tense) : blocked ; stopped

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 6A A Long Walk to Freedom

curtailed (v-past tense) : limited

animated (v-past tense) : made full of energy

monk (n) : a person living without family, personal possessions etc.

virtuous (adj) : behaving in a very good and moral way ; honest

oppress (v) : treat others cruelly and unfairly

oppressor (n) : a person oppressing others

the oppressed (v-past participle – used as a noun along with ‘the’) (plural) : people who are oppressed

prejudice (n) : an unreasonable dislike based on race etc.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5C The Ham Radio

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5C The Ham Radio

AP State Syllabus AP Board 9th Class English Textbook Solutions Chapter 5C The Ham Radio Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus 9th Class English Solutions Chapter 5C The Ham Radio

9th Class English Chapter 5C The Ham Radio Textbook Questions and Answers

Answer the following questions.

Question 1.
What are the places in which disaster management becomes imperative?
Answer:
Disaster management becomes imperative in public places, business centres and road junctions etc. Large number of people move around in such areas.

Question 2.
How can we empower the disaster management crew?
Answer:
We can empower disaster management crew by providing them with best devices.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5C An Icon of Civil Rights

Question 3.
In what way does Amateur Radio (Ham Radio) become inevitable in times of natural calamities?
Answer:
Ham radio is inevitable in times of calamities. This is because conventional communication network fails during disasters.

Question 4.
Cite the disasters in which Amateur Radio Operators commenced disaster relief when other systems failed.
Answer:
Disasters during which Ham radio helped the crew are : 2001 Gujarath Earthquake, 2001 WTC attack in the USA, 2004 tsunami in India and many more.

Question 5.
Explore other incidents in which Ham Radio Operators can take up rescue operations.
Answer:
Ham radio operators can take up rescue operations during road and fire accidents ; war and mega social, cultural or religious gatherings.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5C An Icon of Civil Rights

Question 6.
What is the central theme of the essay?
Answer:
The theme of the essay is the multiple uses of ham radio.

Question 7.
List the criteria to qualify for becoming a Radio Amateur.
Answer:
To become a ham, one should qualify in
1) Morse code
2) communication procedure and
3) basic electronics.

Project Work

Get into groups and collect information relating to various disasters from Newspapers, magazines and books etc. Each group should work on one disaster. Fill in the boxes in the table given in the next page with necessary information. One is done for you.
AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5C An Icon of Civil Rights 1 AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5C An Icon of Civil Rights 2

The Ham Radio Summary in English

Disasters and terrorism may strike thickly populated areas at anytime. Communication is most important in such situations. And conventional communications like cell phones fail exactly in those emergencies. It is in those times Ham radio comes handy. Ham radio uses high frequency and automatic batteries. And the Ham volunteers are skilful and ever ready to work. Failure of the system is very less likely. The only problem is the availability of information about Ham operators. During 2001 Gujarath Earthquake, 2001 attacks on WTC in the USA, 2004 Tsunami in India, Ham radio served disaster management personnel wonderfully. Ham radio is useful in day to day problems like medical emergencies too. Anyone above 12 with no specific educational qualifications can appear for Ham radio licence test and on passing it can obtain the licence.

The Ham Radio Glossary

ham (n) : a person who operates radio signals as a hobby, not as a job

strike (v) : attack

efficient (adj) : doing thoroughly

imperative (adj) : extremely important or urgent

calamities (n-plural) : disasters

adverse (adj) : unfavourable/harsh

crew (n) : persons working as a team

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5C An Icon of Civil Rights

amateur (adj) : working for enjoyment, not as a job

innovation (n) : new, improved creation

adept (adj) : skilful

terrestrial (adj) : related to /on land

choke points : blocking or obstructing points

improvising (v+ing) : managing with available things when the right things are not availble

wiped out (phrasal verb) : destroyed totally

AP SSC 9th Class English Textbook Solutions

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5B Grabbing Everything on the Land

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5B Grabbing Everything on the Land

AP State Syllabus AP Board 9th Class English Textbook Solutions Chapter 5B Grabbing Everything on the Land Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus 9th Class English Solutions Chapter 5B Grabbing Everything on the Land

9th Class English Chapter 5B Grabbing Everything on the Land Textbook Questions and Answers

Answer the following questions.

Question 1.
What is the central theme of the poem?
Answer:
The theme of the poem is the vast destructive power of tsunami and the widespread death and damage it causes.

Question 2.
What does the ‘hand’ refer to? Where was the hand born?
Answer:
The hand refers to the tide of tsunami. It is born under the surface of the sea.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5B Freedom

Question 3.
Identify the most striking line in the poem.
Answer:
The most striking line the poem is the concluding line.

Question 4.
Describe the damage caused to mankind due to ‘Tsunami’. Locate the words or expressions which tell the fury of ‘Tsunami’.
Answer:
Tsunami killed men and animals. It uprooted trees and destroyed houses. In fact, it smashed everything that was in its way. The expressions that show the fury of tsunami are : dreadful might; anger unleashed ; white horses galloping ; dissolved under the heat; crashing; crunching; tearing

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5B Freedom

Question 5.
Why do you think only a few could understand the meaning of ‘Tsunami’?
Answer:
Majority of the people of tusunami affected areas were killed. Only a few survived. The destruction caused by tsunami is known only to those living after it.

Grabbing Everything on the Land Summary in English

Lily Usher presents in detail the terrible destructive power of ocean tides in her poem “Grabbing Everything on the Land”. The wave came like a giant hand felling trees and crushing homes. It destroyed everything in sight and no one could escape from it. The hand was born in the ocean and got its strength from the rocks underneath. Everyone was surprised to see the waves coming towards them like fast running white horses, smashing everything on their way. Crashing, crushing, crunching, and cutting was everywhere. Death danced all around. The few who managed to escape understood what ’tsunami1 meant.

Grabbing Everything on the Land Glossary

grabbing (v+ing) : seizing ; taking something suddenly and with force

foam (n) : mass of bubbles on water surface

uprooting (v+ing) : felling; pulling roots from the ground

smashing (v+ing) : crushing ; destroying

fist (n) : closed fingers ; symbol of attack

survive (v) : able to live despite difficulties

dreadful (adj) : terrbile ; evoking fear

might (n) : power; energy

tide (n) : rising surface of water

belly (n) : stomach

plates (n – plural) : (here) rocks in the earth’s crust

fury (n) : anger

unleashed (v – pt) : let loose

shriek (n) : a cry of fear

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5B Freedom

galloping (v + ing) : running very fast

dissolved (v – past tense) : melted ; (here) died

crunching (n + ing) : crushing noisily

seeping (v + ing) : flowing slowly

brutally (adv) : cruelly; mercilessly

hound (n) : a hunting dog

punch (n) : a hit; shot

tsunami (n) : an extremely large wave in the sea ; a tidal wave
(from Janapese)

AP SSC 9th Class English Textbook Solutions

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

AP State Syllabus AP Board 9th Class English Textbook Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

9th Class English Chapter 5A A Havoc of Flood Textbook Questions and Answers

Look at the picture and answer the questions that follow.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood 1
Question 1.
What made the people stand on the roof-tops?
Answer:
Floods of severe intensity made people stand on the roof-tops.

Question 2.
What are the people in the helicopter trying to do?
Answer:
People in the helicopter are trying to airlift the people standing on the roof-tops.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

Question 3.
Have you ever seen a situation like this in your life? If yes, when and where did you see it?
Answer:
No, I haven’t seen a situation like that. But in cinemas and on TVs I have seen such situations.

Comprehension

I. Answer the following questions.

Question 1.
What mood is highlighted throughout the description? Pick out the words that suggest the mood.
Answer:
The mood highlighted in the description is that of sorrow, shock and horror. Some of the words that suggest the mood are : terrible, damp, cold, cloudy, gloomy, roaring, shattering, frantically, trauma, heart-rending, pathetic plight, catastrophe, aghast

Question 2.
Which of the scenes in the text has moved you the most? Why?
Answer:
A 40 year old widow Rajeswari staying at a roadside shelter with her four young children without food and water moved me. A mother watching silently the suffering of tender children is unbearable and unimaginable.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

Question 3.
Who played the key role in the rescue operation of the floods? What steps were taken by the government?
Answer:
Government agencies, the army, the navy and personnel from Disaster Management Response Force played a key role in rescue operations. Government opened relief camps and distributed food, clothing, medicines etc., among the victims. Government also extended all possible help.

Question 4.
“The flood victims were looking on with wide open eyes for some help to meet their needs.” Can you guess what their needs may have been?
Answer:
The immediate needs of the flood victims are food, shelter, clothing and medicines.

Question 5.
“Help always pays gratitude.” In what way is this statement true in the light of the context?
Answer:
All the needs of the victims were met by government agencies, philanthropists and NGOs. The victims were thankful for the help. Hence the saying ‘Help always pays gratitude1’ is true.

Question 6.
How did the roaring floods disturb the lives of the people of Kurnool?
Answer:
The roaring floods destroyed houses, disturbed normal life, killed men and animals, shattered their hopes in Kurnool.

Question 7.
What relief measures would you suggest for the flood victims?
Answer:
Apart from basic needs like food and clothing, I would suggest emotional support to victims and permanent solution to floods.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

Question 8.
What inspiration can you draw from the last two paragraphs of the lesson?
Answer:
Rajeswari’s courage, determination, hope and concern for children teach us very valuable lessons. And her sense of thankfulness to those who helped her is highly admirable.

Vocabulary

Read the following sentence and notice the meaning of the underlined word.
They reached their dwelling places hoping a bright morning the next day.
In this sentence ‘bright’ means ‘full of light’ or ‘shining strongly’ or ‘happy.’

A single word in English (with the same spelling and the same pronunciation) may have many meanings.

The correct meaning (or the suitable meaning) of that word is understood with the help of the context.

Words with multiple meanings are called HOMONYMS. (It is very interesting to improve one’s word power with the help of HOMONYMS.)

Some commonly used Homonyms are : kind, type, plant, articles, cricket, bat, bowl, sight, light, kite …..

I. Identify the meaning of ‘bright’ in each of the foliowing sentences and write your own sentences using ’bright1 in different meanings.

1. I like bright colours.
bright = strong, thick, easy to see
My uncle bought a bright blue dress for me.

2. Tejaswini gave me a bright smile, bright = cheerful and lively
On knowing the results, their eyes turned bright.

3. Sindu is a bright student.
bright = brilliant, quick to learn
Many teachers prefer to talk to bright students.

4. Yamuna has bright ideas.
bright = helpful
The manager always seeks bright ideas.

5. This young player has a bright future.
bright = likely to be successful
The students of this school can hope for a bright future.

6. We took rest in a bright room.
bright = full of light
As she kept all the windows open, the room was bright when we entered it.

II. Several people and things are involved in rescue operations. There is a description of a flood rescue operation. Complete the concept map given below with the suitable information from the text:
AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood 2
Answer:
AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood 5

Grammar

Read the following sentences from the text and notice the underlined words/ expressions.

1. No sooner had the relief team arrived there than their joy knew no bounds.
2. They had scarcely arrived at their destinations when the rain poured down.
In the above sentences the expressions “No sooner… than” and “scarcely… when” are used to suggest that one thing happened very soon after another. The expression ‘hardly … when’ is also used to express the same.

  • Pairs of words like ‘No sooner… than’ ; ‘scarcely… when’ and ‘hardly…. when’ are called ‘correlative conjunctions’.
  • They connect two expressions/clauses /actions. Hence they are conjunctions.
  • They show the relationship between the two actions in terms of time. Hence they are correlatives.
  • Special Note

1. ‘No sooner’ always goes with ‘than’ and ‘scarcely/hardly’ always go with ‘when’. They are inseparable.
2. ‘When ‘scarcely/hardly’ are used at the beginning of the clause, the helping verb is used before the subject, not after the subject. (Subject – helping verb inversion) If they are used after the subject, the word order is not changed. In the case of ‘No sooner’, there is inversion always.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

Combine the following sentences using the expressions “No sooner… than, scarcely… when, hardly… when.”
One has been done for you.
1. I put the phone down. It rang again.
A : No sooner had I put the phone down than it rang again.
or
B : I had scarcely put the phone down when it rang again.
or
C : I had hardly put the phone down when it rang again.

2. I arrived at the station. Then the bus came in.
A : No sooner had I arrived at the station than the bus came in.
B : I had scarcely arrived at the station when the bus came in
C : I had hardly arrived at the station when the bus came in.

3. I closed the door. Somebody knocked it again.
A : No sooner had I closed the door than somebody knocked it again.
B : Scarcely had I closed the door when somebody knocked it again.
C : Hardly had I closed the door when somebody knocked it again.

4. She finished the meal. She started feeling hungry again.
A : No sooner had she finished her meal than she started feeling hungry again.
B : She had scarcely finished her meal when she started feeling hungry again.
C : She had hardly finished her meal when she started feeling hungry again.

5. Madhavi opened the door. The dog entered the room.
A : No sooner had Madhavi opened the door than the dog entered the room.
B : Scarcely had Madhavi opened the door when the dog entered the room.
C : Madhavi had hardly opened the door when the dog entered the room.

Writing

I. In the reading passage, one of the victims of the flood, Rajeswari shared her sufferings with the flood relief team. On the basis of this, develop an interview by a news reporter.

News Reporter : Rajeswari, could you tell me what had happened?
Rajeswari : ……………………………………………
News Reporter : ……………………………………………
Rajeswari : ……………………………………………
News Reporter : ……………………………………………
Rajeswari : ……………………………………………
News Reporter : ……………………………………………
Rajeswari : ……………………………………………
News Reporter : ……………………………………………
Answer:
News Reporter : Rajeswari, could you tell me what had happened?

Rajeswari : Oh! It was dreadful. The night of 27! Horrible! Downpour! Nonstop! We couldn’t believe our eyes! Even multi-storeyed buildings were shaking. What about our mud shack?

News Reporter : Has someone come to help you?

Rajeswari : Not immediately. As waters entered our small shaky house, I took my four children and ran for safety.

News Reporter : Could you easily find out a safe place?

Rajeswari : Yes, very close to my house, the road has a high side wall like structure which then stood above flood waters. So we all stayed there!

News Reporter : How long did you stay there?

Rajeswari : It was for two long days in open I Without food and water. Only flood water and our tears!

News Reporter : Hasn’t help reached you even then?

Rajeswari : Help in the form of rescue team in a fibre boat came to us. They took us to the nearby relief camp, gave us clothes and food. They promised to give money to repair my damaged house. They supported us well. May God be kind to them!

News Reporter : Even in your testing times you are so thankful and you think of their welfare! Great of you! May God bless you!

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

II. Assume that you happened to read some of the articles/news reports on the flood rescues. You were deeply moved by the sorrows of the victims of the floods. You decided to raise funds for the cause. You wanted to share this idea with your classmates and seek their assistance in this matter.

Prepare a speech/a talk that you would like to make to convince the donors about the need for raising funds for the cause.

You may use the ideas given below.

  • Floods in Kurnool
  • Damage occurred
  • Human suffering and deaths
  • Loss of property
  • Death of animals
  • Loss of crops
  • Shortage of basic needs like food, clothing and shelter
  • Importance of relief operations
  • Moral responsibility

Answer:
My dear lovers of humanity!

Times call us to rise to the occasion. Here is a situation watching which none can remain unmoved. I know your concern for our fellow beings’ suffering : Recently Kurnool witnessed floods of grave intensity. Flood water reached house roof level. Hundreds of people lost their lives. Animals in thousands were covered in water and were dead. Loss of property runs into crores of rupees. Crops were damaged when they were about to be reaped. People now are crying for basic needs like food, shelter, water, clothes, medicines. They need moral support. They need assurance from us. They lost everything except hope. It is our duty to ensure their hope continues to live. It is our moral responsibility to extend to them whatever help we can ! You know ‘Service to man is service to God! And service to man in such dire need is the best kind of worship. I very humbly appeal to you all with folded hands. Let us join our hands. Let us collect men, money, materials etc. Let us support our brothern. Let us share their sorrow and suffering. Let us prove to the world that we love humanity!

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

III. Assume that you were one of the victims of the flood and received some help from a donor. Write a letter thanking him and expressing your gratitude.

Bus stand centre,
Kurnool.
01 October 2009.

Respected Dharma Rao garu,

Our gratitude makes us write thus. Pray that you and your family members are fine.

Thank you so much for your generous help at a very apt time. Floods carried away everything from us except our lives and hope. When we were cursing our fate, help from you came like God-sent gift. It was really like a boat to a person drifting in waters with no shore.

As we were thinking that our end was not far away, your timely help infused life and and hope into us. How much I may say, our gratitude still remains incompletely expressed.

Persons like you prove to the world what humanity is, nay – what divinity is! May God bless you with what we call eternal bliss.

I continue to pray to God to be kind to you and all your near and dear. I look forward to a chance to be of any use to you. I will be blessed if I get that opportunity.

Once again our pranamams to you.

Thankfully yours,
Rakshita.

To
Sree Dharma Rao garu
H.No. 12-85
Near Masjid
KADAPA.

IV. On the basis of the diagram given below write a paragraph stating the sequential series of actions/methods (preparation before, during and after) that can be taken for disaster management.
AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood 3
Answer:
Disaster Management includes different activities. First disaster-prone areas are to be assessed with the help of past occurrence and present events. And probable risk to life and property is to be estimated. Then protective structures and relief camps are to be planned and got constructed. After these preparatory arrangements, advance warning systems and evacuation machinery are to be put in place. Later community at large and teachers in particular are to be trained in rescue operations. And finally the outside world is to be informed about the disaster along with the particulars of loss and quantity of aid required. Effective Disaster Management depends on the execution of these steps in sequence.

Study Skills

Note-Making
We take notes when we read a book in order to record information for future reference. Such notes help us to revise lessons easily before examinations.

Let’s know the process of note-making.

  • Read the passage once quickly
  • Underline the key terms during the second reading s Note only the most important information
  • Condense the information
  • Omit examples and illustrations
  • Organize the condensed information in a suitable format
  • Keep a suitable title

Some strategies for condensing information.

  • Use numbers instead of words
    e.g. sixty eight written as 68
  • Use short substitutes for long words
    e.g. maths for mathematics
  • Use reduced verb forms
    e.g. Killed instead of was killed
  • Use the ‘to-infinitive’ to indicate future time
    e.g. relief teams to help the people
  • Use abbreviations and acronyms
    e.g. IAF, AIR
  • Use condensed spelling of words
    e.g. Dept, for Department, Dr. for Doctor

Here is a model answer for paragraphs 2 – 5 from your Reading Passage – A.
Floods in Kurnool
AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood 4

28-9-2009
a)No tourists
b)No buses

27-9-2009
a) heavy rainfall
b) damp, cold and cloudy climate
c) pouring rain

28-9-2009
a) river waters entered the streets
b) flood inundating houses
c) 20 lakh cusecs inflow to the Srisailam Dam
d) threat of flood on the banks of the Krishna
e) heart-rending scenes
f) people seeking help to rescue them

Now make notes from the following passage and then summarise it.

The word “disaster” is derived from Middle French “desastre” and from old Latin “disastro”. A disaster can be defined as any tragic event that can cause damage to life, property and destroy the economic, social and cultural life.

The natural disaster is a consequence when a natural hazard affects humans or built environment. Human vulnerability and lack of appropriate emergency management lead to financial, environmental and human loss. The resulting loss depends on the capacity of the population to support or resist the disaster. Disasters occur when hazards meet vulnerability.

A natural hazard will never result in a natural disaster in areas without vulnerability. Various phenomena like earthquakes, landslides, volcanic eruptions, floods and cyclones are all natural hazards that kill thousands of people and destroy a lot of money and property each year.

Natural hazards can strike in unpopulated areas and never develop into disasters. The rapid growth of the world’s population and its increased concentration often in hazardous environments has escalated both the frequency and severity of natural disasters. Tropical climate, unstable land forms, deforestation and non-engineered constructions m^kethe disaster-prone areas more vulnerable. Developing countries suffer more or less chronically by natural disasters.
Answer:
A) Notes :
Para 1 :
disaster rooted in French, Latin
damage to life and property
destroys economic, social and cultural life

Para 2 :
natural hazards affecting populated areas
vulnerability adds to loss
hazard + vulnerability = disaster

Para 3 :
earthquakes, floods etc – hazards

Para 4 :
hazards in unpopulated areas – not disasters
increasing population, tropical climate,
unstable land forms, deforestation,
non – engineered constructions increase vulnerability
developing countries – chronic – victims.

B) The word ‘disaster’ – rooted in French and Latin – means a damage-causing event that destroys economic, social and cultural life. Hazards affecting vulnerable populations result in disasters. Lack of emergency management mechanism leads to huge loss of life and property. Hazards like earthquakes and floods destroy life and property every year. Increasing populations, tropical climate, unstable land forms, deforestation and non-engineered constructions add to the vulnerability. Developing countries are the chronic victims.

Listening

Practise listening carefully. Then you will be able to speak.
Listen to the ’News Bulletin’ and answer the following questions.

News Bulletin

This is All India Radio. The news…. read by Latika Ratnam.

The headlines first…
An unprecedented flood caused a havoc in Krishna, Guntur, Kurnool and Mahabubnagar districts of Andhra Pradesh.

The Prime Minister visits the flood-affected areas tomorrow.

India defeated Pakistan in the triangular cricket series held at Brisbane, Australia.

Now the news in detail. Massive floods wreaked a havoc in Krishna, Guntur, Kurnool and Mahabubnagar districts of Andhra Pradesh. Water has been released from the dams of Srisailam, Nagarjuna Sagar and the Prakasam Barrage. About 400 villages have been inundated with floodwaters, 4 lakhs of people have become homeless. The death toll has reached 532 so far.

However, the rescue operations are in full swing. The Chief Minister of Andhra Pradesh has made an aerial survey of the flood-hit areas. An immediate aid of two lakhs of rupees has been announced to the members of the deceased. A relief of ten thousand rupees has been announced to the homeless. The C.M. has conducted an emergency meeting with the respective collectors of the flood-hit areas and asked them to set up rehabilitation camps immediately on war-footing.

1. What was the havoc caused by the flood?
Answer:
About 400 villages were inundated. Around 4 lakh people became homeless. 532 persons died till then.

2. What relief measures were taken by the Government of A.P.?
Answer:
The Chief Minister made an aerial survey. An immediate aid of rupees two lakhs was announced to the members of the deceased. A relief of rupees ten thousand was declared to the homeless. Rehabilitation camps were set up on war footing.

3. What are the other highlights of the news bulletin?
Answer:
1) The Prime Minister visits the flood-affected areas tomorrow.
2) India defeated Pakistan in the triangular cricket series held at Brisbane, Australia.

Oral Activity

Read the lesson “A Havoc of Flood” once again. On the basis of the ideas in it, prepare a mock interview for a TV/newspaper.

Work in groups and collect the information about the havoc caused, relief operations
etc., from the following.
1. Victims
2. Officials
3. Doctors
4. N.G.Os (Non-Governmental Organisations/Voluntary Organisations)

In each group one member will be the reporter and the others will play the other roles. Afterwards each group will make the presentation.

1. Interview with Victims :
TV Reporter : Hello, the floods seem to be very severe. Have you been receiving relief from anyone?

Victims : Yes, the floods have been very severe. Never before in our lives have we seen floods of this seriousness. Yes, as to relief, Government officials and voluntary organisations have been extending maximum help. But because of the large number of victims, damaged roads , dead telephones, disrupted power supply, relief is not in sufficient quantity and at right time. But expecting more than what we get would be a sin. We hope and pray for good days ahead.

TV Reporter : Thank you for your detailed inputs. Your positive attitude in these testing times is highly admirable. I firmly believe God will bless people of your kind.

Victims : Thank you.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

2. Interview with Officials :
Reporter : Good afternoon sir. How have you been coping with the disaster?

Officials :
Good afternoon. We have been putting in our best efforts. All available men and materials have been put to use. Forecast of floods well in advance has helped us in planning. Warning of floods also helped us minimise the loss of lives and property.

Reporter : Are any other departments working with you?

Officials :
Yes, almost all the government departments are working with us. Some departments are directly on the field. Other departments support us from behind. Even non-government organisations and individuals join us in extending relief.

Reporter : Thank your sir.

3. Interview with Doctors :
Reporter : Good evening doctor. How is the health scenario in the flood affected areas?

Doctor : Good evening. Floods bring in a flood of diseases too. Water is contaminated. Cleanliness is totally missing. People don’t even think of hygiene. Doctors work with their focus on present illness and possible epidemics. Cooperation from every corner eases our job to some extent.

Reporter : Thank you doctor.

AP Board 9th Class English Solutions Chapter 5A A Havoc of Flood

4. Interview with NGOs :
Reporter : Good morning gentlemen ! As government agencies are also actively involved in relief programmes, what do you think is the importance of your role?

NGO : Good morning. Yes, you have a valid point there ! But the fact is our job is to extend to the needy whatever help they require. Government Agencies are no doubt active. But they work in a certain frame work. For us, there are no such limitations. We help those who don’t fit into government schemes for one or the other reason. Any how, every one plays a significant role in times of trouble !

Reporter : Thank you. Your analysis is really eye opening !

NGO : You’re welcome.

A Havoc of Flood Summary in English

Water, water everywhere! 10 feet deep even in houses! For three or four days! Dead bodies of cattle and people, damaged houses, breached bunds, deafening cries for help, rescue, and relief teams that was the scene in Kurnool district on 28 September 2009. Continuous downpour during the night brought floods into the city and other villages. Never before in the known history was there such a heavy downpour. Floods from the Thungabhadra, the Handri Niva rivers added to the gravity. Lakhs of people lost their shelters. Loss of lives and property was at shocking levels. Government stepped in at once. The services of the Army, Navy and Disaster Management Agencies were sought. Helicopters, inflatable boats, fibre glass boats and other equipment were pressed into use. Voluntary organisations, institutions, individuals and philanthropists joined the relief operations. Camps for homeless were organised. Food, water, blankets, milk and medicines were distributed among victims. One Ms. Rajeswari 40 exhibited rare courage in rescuing herself and her four children. She expressed her gratitude to all those who helped her during their intense suffering.

A Havoc of Flood Glossary

havoc(n) : a situation in which there is a lot of damage and destruction

basin (n) : an area of land along a river with streams running down into it

namesake (n) : the same name

destination (n) : a place where one wants to reach

gloomy (adj) : sad ;unhappy

inundating (v+ing) : submerging ; filling with water

shattering (v+ing) : destroying

forecast(v) : tell in advance what is going to happen

bore the brunt (idiom) : received or suffered the major part of something bad

fury (n) : anger, severity

submerged (v-past tense) : covered in water

heart-rending (adj) : heart-breaking ; causing a lot of sadness

frantically (adv) : in a hectic way ; quickly ; with uncontrollable emotions

rescue (v) : save from a danger

trauma (n) : an upsettingly unpleasant condition

tributaries (n-plural) : rivers or streams that flow into a larger river

requisitioned (v-past tense) : demanded officially the use of

breached (v-past tense) : damaged, broken

inflatable (adj) : that which can be filled with air

reluctant (adj) : unwilling

groping (v+ing) : trying and finding something that cannot be seen

pathetic (adj) : causing pity

plight (n) : a difficult and sad situation

catastrophe (n) : a disaster

fastened (v-past tense) : tied or joined, tethered (Note : The letter’t’ is silent in ‘fasten’.)

aghast (adj) : horrified ; surprised

reaped (v-past tense) : cut crops ; harvested

rejuvenated (v-past tense) : made to look more lively

shack(n) : a small building made of wood or metal

flee (v) : run away from danger

despair (n) : hopelessness, sorrow

beaming (adj) : cheerful; pleased

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