AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 उर्मिला का विरह गान

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material पद्य भाग 4th Poem उर्मिला का विरह गान Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material 4th Poem उर्मिला का विरह गान

संदर्भ सहित व्याख्याएँ – సందర్భ సహిత వ్యాఖ్యలు

प्रश्न 1.
सखे जाओ तुम हँस कर भूल |
रहूँ मैं सुध करके रोती ॥
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता से दी गयी है । इसके कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं । गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं। खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ – वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

संदर्भ : ये पंक्तियाँ उर्मिला वनवास को गये लक्ष्मण को याद करते हुए दुख भाव से कहती है।

व्याख्या : राम और सीता के साथ लक्ष्मण वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है । उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रहने के कारण पति के वियोग एवं विरह में व्यकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है।

हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर – करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसु मोती बनते जा रहे हैं।

विशेषताएँ : अपने पती के वियोग विरह में विदग्ध उर्मिला का वर्णन है। वियोग श्रृंगार का सफ़ल प्रस्तुतीकरण है । भाषा शुद्ध खडीबोली हैं।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 उर्मिला का विरह गान

प्रश्न 2.
सफल हो सहज हो तुम्हारा त्याग,
नहीं निष्फल मेरा अनुराग,
सिद्धि है स्वयं साधन – भाग,
सुधा क्या, क्षुधा न जो होती।
उत्तर:
कवि परिचय : प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता से दी गयी है । इसके कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं । गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं । खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई को झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है । साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ – वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

संदर्भ : ये पंक्तियाँ उर्मिला वनवास को गये लक्ष्मण को याद करती हुई दुःख भाव से कहती है।

व्याख्या : हे प्रियतम ! मुझे आयोध्या के राजभवन में छोड़ कर तुम राज्य के सुख – भोगों को त्याग कर श्रीराम, सीतादेवी के साथ वनवास को चले गये । तुम्हारा त्याग सहज तथा सरल, सफल होने की कामना करती हूँ । और आपके प्रति मेरा अनुराग कभी भी निष्फल नहीं जायेगा । आपको स्वयं सिद्धि भाग कर आपके पास पहुंचेगी । अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती ।

विशेषताएँ : अपने पती के वियोग, विरह में विदग्ध उर्मिला का वर्णन है। वियोग श्रृंगार का सफ़ल प्रस्तुतीकरण है । भाषा शुद्ध खडीबोली है।

दीर्घ प्रश्न – దీర్ఘ సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न
1. ‘ऊर्मिला का विरह गान’ कविता का सारांश लिखिए।
2. ‘ऊर्मिला का विरह गान’ कविता में गुप्त जी के विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कवि परिचय : ‘ऊर्मिला का विरह गान’ नामक कविता के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं । गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं । खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई को झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान है. साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ – वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

सारांश : प्रस्तुत कविता साकेत नामक महाकाव्य के नवम सर्ग से लिया गया है। रामायण में अधिक उपेक्षित तथा अनदेखा नारी पात्र उर्मिला । इस कविता में विरह विदग्ध उर्मिला की मनोदशा का मार्मिक चित्रण है । लक्ष्मण राम और सीता के साथ वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है । उर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रह ने कारण पति के वियोग एवं विरह में बकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हुई कह रही है।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 उर्मिला का विरह गान

हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें याद कर – करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसू मोती बनते जा रहे हैं । मैं सदा यही मानती रही हूँ कि तुम मेरे देवता हो, तुम ही मेरे सब कुछ हो तथा मेरे आराध्य हो । अपने आप को साबित करना अनिवार्य है कि मैं सोती रहती हूँ या जागती रहती हूँ पर तुम्हें ही याद करती रहती हूँ, तुम्हारे ही स्मरण में जी रही हूँ। तुम्हारे हंस ने में फूल है, असीम प्यार है और हमारे रोने में मोती है।

प्रार्थना करती हूँ कि तुम्हारा त्याग सहन हो, सफ़ल हो, मेरा अटूट विश्वास है कि आपके प्रति मेरा अनुराग, प्रेम कभी निष्फल नहीं होगा । बस साधन-भाग स्वयं सिद्धी है । अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती।

काल चक्र भले ही रूक ना जाय, तुम्हारे और मेरे मिलन को भले ही काल चक्र रोक पाये, पर हमारे लिए बस विरह काल है । तुम जहाँ हो वहाँ सृजन, मिलन है, पर यहाँ राजभवन में सुविशाल प्रलय, विनाश सा सूना सूना एकाँत है।

विशेषताएँ : इतिहास में उपेक्षित उर्मिला नामक नारी पात्र को महत्व देने का प्रयास किया है । गुप्त जी ने उर्मिला के दुख को, उसकी पीड़ा के प्रति अपनी संनेदना, सहानुभुति प्रकट किया है । कविता की भाषा सरल सहज एवं प्रसंगानुकूल शुद्ध खडीबोली है । शैलि लालित्य से भरपूर है ।

एक वाक्य प्रश्न – ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न 1.
मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर:
मैथिलीशरण गुत्प जी का जन्म झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ ।

प्रश्न 2.
ऊर्मिला के पति कौन हैं ?
उत्तर:
लक्ष्मण ।

प्रश्न 3.
विरह के कारण ऊर्मिला को राज्य कैसा लगता है ?
उत्तर:
राज्य प्रलय सा सूना सूना लग रह था ।

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प्रश्न 4.
किसका अनुराग निष्फल नहीं होता ?
उत्तर:
उर्मिला का अनुराग ।

प्रश्न 5.
किसकी हँसी फूल के समान है ?
उत्तर:
लक्ष्मण ।

कवि परिचय – కవి పరిచయం

ऊर्मिला का विरह गान नामक कविता के कवि श्री मैथिली शरण गुप्त जी हैं | आधुनिक हिन्दी के राष्ट्र कवि के रूप में सुपरिचित श्री मैथिली शरण गुप्त जी हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि, साहित्यकार हैं | गुप्त जी आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं। खड़ीबोली को काव्य भाषा के रूप में निर्मित करते हुए एक नई दिशा देने वाले गुप्त जी का जन्म 1886 ई झांसी जिले के चिरगाँव में हुआ । गुप्त जी कवि, गद्य लेखक, चिंतक, विद्वान हैं | साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध, नहुष, भारत भारती, काबा और कर्बला आदि आपकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । साकेत गुप्त जी का ही नहीं हिन्दी का प्रमुख महाकाव्य है । गुप्त जी का निधन 1964 में हुआ । गुप्त जी भारतभारती के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन, राष्ट्र प्रेम की आग जन सामान्य के मन में जलाई । गुप्त जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया ।

सारांश – సారాంశం

प्रस्तुत कविता साकेत नामक महाकाव्य के नवम सर्ग से ली गयी है। रामायण में अधिक उपेक्षित तथा अनदेखा नारी पात्र ऊर्मिला । इस कविता में विरह विदग्ध ऊर्मिला की मनोदशा का मार्मिक चित्रण है | लक्ष्मण राम और सीता के साथ वनवास के लिए चल पड़ते हैं । लक्ष्मण की पत्नी ऊर्मिला पति के आदेश के अनुसार अयोध्या नगरी के राजभवन में ही रह जाती है। ऊर्मिला लम्बे समय से पति से दूर रहने कारण पति के वियोग एवं विरह में व्याकुल हो उठती है और अपने आप में ही बातें करने लगती है । अपने सम्मुख पति लक्ष्मण ना होने पर भी लक्ष्मण को सम्बोधित करती हई कह रही है।

हे प्रियतम ! तुम हंस कर मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हे याद कर – करके रोती ही रहूँगी, तुम्हारे हंसने में ही फूलों जैसी सुकुमारता, मधुरता है, पर हमारे रोने में निकलने वाले आँसू मोती बनते जा रहे हैं । मैं सदा यही मानती रही हूँ कि तुम मेरे देवता हो, तुम ही मेरे सब कुछ हो तथा मेरे आराध्य हो । अपने आप को साबित करना अनिवार्य है कि मैं सोती रहती हूँ या जागती रहती हूँ पर तुम्हें ही याद करती रहती हूँ, तुम्हारे ही स्मरण में ही जी रही हूँ । तुम्हारे हंस ने में फूल है असीम प्यार है और हमारे रोने में मोती है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 4 उर्मिला का विरह गान

प्रार्थना करती हूँ कि तुम्हारा त्याग सहज हो, सफ़ल हो, मेरा अटूट विश्वास है कि आपके प्रति मेरा अनुराग, प्रेम कभी निष्फल नहीं होगा | बस साधन – भाग स्वयं सिद्धी है । अमृत की तृषा में भूख भी नहीं होती।

काल चक्र भले ही रूक ना जाय, तुम्हारे और मेरे मिलन को भले ही काल चक्र रोक पाये, पर हमारे लिए बस विरह काल है । तुम जहाँ हो वहाँ सृजन, मिलन है, पर यहाँ राजभवन में सुविशाल प्रलय, विनाश सा सूना सूना एकांत है।

विशेषताएँ : इतिहास में उपेक्षित उर्मिला नामक नारी पात्र को महत्व देने का प्रयास किया है । गुप्त जी ने उर्मिला के दुख को, उसकी पीड़ा के प्रति अपनी संवेदना, सहानुभुति प्रकट किया है । कविता की भाषा सरल सहज एवं प्रसंगानुकूल शुद्ध खडीबोली है । शैली लालित्य से भरपूर है ।

తెలుగు సారాంశం

ఈ పాఠ్యభాగము మైథిలీ శరణ గుప్త గారిచే రచింపబడినది. గుప్త గారు ఆధునిక ఖడీబోలీ హిందీ సాహిత్యములో అగ్రగణ్యులు. మొట్టమొదటిగా సుపరిచితులు. ఖడీబోలీ కి కావ్యభాషగా గౌరవాన్ని కల్పించి తరువాత కవులకు మార్గదర్శకులు శ్రీ మైథిలీ శరణ్ గుప్త గారు. ఈయన క్రీ.శ. 1886 సం.లో ఝాన్సీ జిల్లా లోని చిరగావ్ నందు జన్మించారు. హిందీ సాహిత్యంలో గద్య శిల్పిగా కీర్తి గడించారు. ఈయన రచనలు సాకేత్, యశోదర, పంచవటీ, ద్వా పర, జయద్రధ వధ్, నహుష్, భారత్ – భారతీ, కాబా ఔర్ కర్బలా మొదలగునవి గుప్తి గారికి భారత ప్రభుత్వం పద్మ భూషణ్ తో సత్కరించినది. ఈయన 1964 సం.లో మరణించారు.

ప్రస్తుత కవిత ‘సాకేత్’ అను మహాకావ్యము యొక్క నవమ సర్గము నుండి తీసుకొన బడినది. రామాయణములో తీవ్రమైన నిర్లక్ష్యానికి గురైన స్త్రీ పాత్ర ఊర్మిళ ది. ఈ కవిత ద్వారా కవి విరహ తాపములో ఉన్న ఊర్మిళ యొక్క మానసిక పరిస్థితిని మనసుకు హత్తుకునే విధముగా మార్మికంగా చిత్రీకరించారు. సీతారాములతో కలిసి లక్ష్మణుడు వనవాసానికి బయలు దేరుతారు. ఊర్మిళ తన భర్త ఆదేశానుసారము అయోధ్యలోని రాజప్రాసాదములోనే నివాసముంటుంది. ఊర్మిళ తన భర్తతో చాలా కాలము నుండి దూరముగా ఉంటున్న కారణముగా విరహ వేదనతో చిత్తభ్రంశానికి గురై లక్ష్మణుడిని సంబోధిస్తూ తనలో తానే మాట్లాడు కుంటున్నది.

ఓ ప్రియతమా ! నీవు నన్ను తలచుకొని నవ్వుకొని విస్మరించు, కానీ నేను ప్రతి క్షణము నిన్నే తలచుకొని రోదిస్తూ జీవిస్తా. నీ చిరునవ్వు అందమైన పుష్పాల వలే సుకుమారంగా, మధురంగా ఉంటుంది. కాని రోదనలో కన్నీటి బిందువులు ముత్యాలుగా మారుతున్నవి. నేను నిన్ను ఎల్లప్పుడు నా దేవుడిగా, ఆరాద్యుడిగా, నీవే నా సర్వస్వముగా భావించాను. నేను నిద్రలోను, మెలుకువలోను నీ జ్ఞాపకాలలోనే జీవిస్తున్నాను. నిన్ను స్మరించుకుంటూనే కాలం గడుపుతున్నాను.

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నీ త్యాగాలకు తగు ఫలితము అందాలని, నీకు కార్య సిద్ధి కలగాలని భగవంతునితో ప్రార్ధిస్తున్నాను. నీ పట్ల ఉన్న ప్రేమ, ఆప్యాయతలు ఎప్పుడు వృథా పోచనే నమ్మకమున్నది. నీ మనోభిష్టం సిద్ధించాలని, నీ కార్య సాదన వలన ఆశయం సిద్ధిస్తుందని ఆశిస్తున్నాను.

ప్రియతమా ! కాలము మనల్ని దూరము చేసి ఉండొచ్చు. మన కలయికని ఆపి ఉండొచ్చు. కానీ విరహము తాత్కాలికమే. నీవు ఎక్కడ ఉంటే అక్కడ ఆనందమే, ఇక్కడ రాజ ప్రాసాదం నీవులేక బోసిపోయి ప్రళయ భుమిలా క్షోభ పెడుతున్నది.

कठिन शब्दों के अर्थ – కఠిన పదాలకు అర్ధాలు

साध्य – देवता, దేవత
अहर्निश – दिन-रात, ఎల్లప్పుడు
सुधा – अमृत, అమృతం
क्षुधा – भूख , ఆకలి
लय – विलीन होना, విలీనమైపోవడం
दर्शनार्थ – देखने के लिए, దర్శనార్ధం

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