AP Inter 1st Year Hindi Study Material Non-Detailed Chapter 2 परदा

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material Non-Detailed 2nd Lesson परदा Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Non-Detailed 2nd Lesson परदा

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
परदा कहानी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
चौदरी पीरबख्श गरीब मुंशी था । दो रूपये के किराये पर एक मकान में रहता था । बस्ती में केवल चौदरी पीरबख्श ही पढ़ा-लिखा आदमी था । उसको ड्योढ़ीपर परदा रहता था । इसलिए सब लोग उसे चौदरी साहब कहकर सलाम करते थे । नौकरी में केवल बारह रूपये मासिक वेतन मिलते थे । संताने पाँच थी ।

नौकरी से आमदनी कम इसलिए परिवार के लोगों को पेट भर । खाना, शरीर को ढकने के लिए कपडे नही मिलते थे । परदे के पीछे रहनेवालों के शरीरों पर केवल चिथडे ही रहते थे ।

पैसों की जरूरत अधिक होने के कारण सूदखोर बाबर अली खाँ से ब्याज पर उधार लेता है । चौदरी पीरबख्श किश्तों में चुकाना वादा करता है। लेकिन चुका नही पाता । खान बार-बार पैसे मांगता है, घर आकर गालियाँ देता है ।

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Non-Detailed Chapter 2 परदा

किश्तो के बदले ‘परदा’ लेजाने के लिए खान तैयार हो जाता है । लेकिन वह परदा ही घर की इज्जत की रक्षा करने वाला है । पीरबख्श परदे को न ले जाने के लिए प्रार्थना करता है, लेकिन खान गुस्से में आकर परदे को खींच लेता है तो घर की दयनीय स्थिति दिखायी देती है । अपनी इज्जत की रक्षा के लिए घर में इधर उधर भागते है, सब लोग । चौदरी पीरबख्श बेहोश होकर गिर जाता है । होश आने के बाद समझता है कि अब परदा लटकाने जरूरत नही । क्यों कि घर की इज्जत चली गयी ।

इस कहानी से मध्यवर्गीय लोगों के मिथ्याभिमान और उससे जुडी विवशता दयनीय स्थिति की जानकारी हो जाती है ।

कहानीकार का परिचय

यशपाल का जन्म कांगडा जिले में हुआ । पिता लाला हीरालाल और माता प्रेमदेवी थे । बचपन में ही आर्यसमाजी वातावरण और गुरुकुल की शिक्षा-दीक्षा के कारण उन्हें सादे और मितव्ययी जीवन की शिक्षा मिली । उदयशंकर भट्ट के प्रोत्साहन से यशपाल की पहली हिन्दी कहानी ‘भ्रमर’ मासिक पत्रिका में प्रकाशित हुई ।

यशपाल ने साहित्यकार, उपन्यासकार, कहानीकार तथा अनुवाद के अतिरिक्त अपने ही नाटक नशे नशे की बात मे अभिनय किया था ।

उपन्यास : दिव्या, दासधर्म, बारह घंटे, इसरीनाक आदि ।
कहानी : पिंजरे की उडान, कवाब का टुकड़ा ।
अनुवाद : माडर्न इंडिया, गाँधी और लेनिन ।
नाटक : नशे नशे की बात, रूप की फरक गुडबई दर्देदिल ।

कहानी का सारांश

चौदरी पीरबख्श गरीब मुंशी था । दो रूपये के किराये पर एक मकान में रहता था । बस्ती में केवल चौदरी पीरबख्श ही पढ़ा-लिखा आदमी था । उसको ड्योढ़ीपर परदा रहता था । इसलिए सब लोग उसे चौदरी साहब कहकर सलाम करते थे । नौकरी में केवल बारह रूपये मासिक वेतन मिलते थे । संताने पाँच थी।

नौकरी से आमदनी कम इसलिए परिवार के लोगों को पेट भर खाना, शरीर को ढ़कने के लिए कपडे नही मिलते थे । परदे के पीछे रहनेवालों के शरीरों पर केवल चिथडे ही रहते थे ।

पैसों की जरूरत अधिक होने के कारण सूदखोर बाबर अली खाँ से व्याज पर उधार लेता है । चौदरी पीरबख्श किश्तों में चुकाना वादा करता है। लेकिन चुका नही पाता । खान बार-बार पैसे मांगता है, घर आकर गालियाँ देता है।

AP Inter 1st Year Hindi Study Material Non-Detailed Chapter 2 परदा

किश्तो के बदले ‘परदा’ लेजाने के लिए खान तैयार हो जाता है । लेकिन वह परदा ही घर की इज्जत की रक्षा करने वाला है । पीरबख्श परदे को न ले जाने के लिए प्रार्थना करता है, लेकिन खान गुस्से में आकर परदे को खींच लेता है तो घर की दयनीय स्थिति दिखायी देती है। अपनी इज्जत की रक्षा के लिए घर में इधर उधर भागते है, सब लोग । चौदरी पीरबख्श बेहोश होकर गिर जाता है । होश आने के बाद समझता है कि अब परदा लटकाने जरूरत नही । क्यों कि घर की इज्जत चली गयी ।

इस कहानी से मध्यवर्गीय लोगों के मिथ्याभिमान और उससे जुडी विवशता दयनीय स्थिति की जानकारी हो जाती है ।

కథా సారాంశము

చౌదరి పీర్ భక్ష పేదవాడు. గుమాస్తా పని చేస్తూ నెలకి 2 రూ।। అద్దె ఇచ్చి ఒక ఇంట్లో అద్దెకి ఉన్నాడు. ఆ బస్తీలో చదువుకున్నవాడు కేవలం అతనొక్కడే. అతని ఇంటి గడపకి ఒక తెర ఉంది. తెరచూసి అందరూ “చౌదరిగారూ” అని సంబోధిస్తూ నమస్కరించేవారు. కేవలము 12 రూ।।ల జీతంతో ఐదుగురు సంతానాన్ని పోషించుకుంటూ కాలం వెళ్ళదీస్తున్నాడు.

జీతము తక్కువ కావడం వలన కుటుంబానికి కావలసిన తిండి, శరీరాన్ని కప్పుకోవడానికి బట్టలు లేక తెర వెనుక ఉండేవారు. శరీరము మీద మాత్రము చిరిగిన పాత వస్త్రములు ఉండేవి.

ధనము బాగా అవసరము అయినందువల్ల వడ్డీ వ్యాపారి బాబర్ అలీఖాన్ దగ్గర వడ్డీకి అప్పు చేసాడు. డబ్బును వాయిదాలతో కడతానని మాట ఇచ్చినప్పటికి కట్టలేక పోతాడు. ఖాన్, చౌదరి ఇంటికి వచ్చి డబ్బులు అడుగుతూ, తిడతాడు. వాయిదా సొమ్ముకి బదులుగా గుమ్మానికి ఉన్న తెర తీసుకుపోవడానికి సిద్ధపడతాడు. తన ఇంటి గౌరవాన్ని కాపాడుతూ వచ్చిన తెరను తీసుకువెళ్ళవద్దని పీర్ భక్ష ప్రాధేయపడతాడు.

కానీ ఖాన్ కోపంతో తెర లాగేస్తాడు. కాని ఇంటిలోనివారు వారి గౌరవాన్ని కాపాడు కోవడానికి అటూఇటూ పరుగెడతారు. చౌదరి స్పృహ తప్పి పడిపోతాడు. తెలివి వచ్చిన తరువాత ఇకనుంచి తెరవేయాల్సిన అవసరం లేదని అర్థమైంది. ఎందుకంటే ఇంటి పరువుపోయి, గుట్టు అందరికి తెల్సిపోయింది. వాస్తవానికి దూరంగా బడాయిలకు పోయేవారి జీవితము ఎటువంటి స్థితికి చేరుకుంటుందో యశ్ పాల్ గారు ఈ కథ ద్వారా మనకు తెలియజేసారు.

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