Exploring a variety of AP Inter 1st Year Hindi Model Papers Set 8 is key to a well-rounded exam preparation strategy.
AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 8 with Solutions
Time : 3 Hours
Max Marks : 100
सूचनाएँ :
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
- जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।
खण्ड – ‘क’
(60 अंक)
1. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।
पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब ॥
उत्तर:
प्रसंग : यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है | वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।
संदर्भ : समय का सदुपयोग करने का सन्देश कवि दे रहे हैं ।
व्याख्या : कवि का कहना है कि कल का काम आज करो और आज का काम अभी करो । क्यों कि एक क्षण मे कुछ भी हो सकता है । तब यह काम हम करेंगे या नहीं, कह नही सकते ।
विशेषताएँ :
- जीवन की क्षणिकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
- उनकी भाषा सदुक्कडी हैं ।
(अथवा)
रहिमन जिहवा बावरी, कहि गई सरग पताल ।
आपु तो कहि भीतर गयी, जूती खात कपाल ||
उत्तर:
प्रसंग : यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है। वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
संदर्भ : इसमें रहीम सब के साथ अच्छी तरह बातें करने की चेतावनी दे रहे हैं ।
व्याख्या : रहीम का कहना है कि मनुष्य की जिह्वा एक पागल जैसी है। कुछ न – कुछ फिसलकर बुरी बात कह देती हैं । लेकिन वह भला बुरा कहकर हमारे मुंह के अन्दर चली जाती हैं। लेकिन उन बुरी बातों का फल खोपडी (सिर) को लेना पडता हैं ।
विशेषताएँ :
- कवि इसमें व्यक्ति को सबसे अच्छी तरह व्यवहार करने का सन्देश दे रहे हैं ।
- उनकी भाषा व्रज भाषा हैं ।
2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए ।
1) सुख – दुःख
उत्तर:
सारांश : कवि का कहना है कि हमेशा सुख और दुख भी जीवन के लिए अच्छा नही | सुख और दुख दोनों के साथ खेल मिचौनी करना चाहिए । अर्थात् जीवन में सुख और दुख एक दूसरे के साथ आना ही चाहिए । सुख और दुख होने के साथ ही जीवन परिपूर्ण होता है । जिस प्रकार आकाश में घने बादलों के बीच चन्द्रमा और चाँदनी से बादल घेरे जाते हैं उसी प्रकार सुख और दुख एक दूसरे के बाद आते जाते है ।
सारा जगत कभी कभी अति दुख से और अति सुख से पीडित होता रहता है । लेकिन मानव जीवन में सुख और दुख दोनों को समान रूप में स्वीकारना चाहिए । हमेशा सुख और हमेशा दुख दोनो भी जीवन के लिए दुखदायक है । जिस प्रकार जीवन में दिन और रात का आना जाना स्वाभाविक है । उसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना भी स्वाभाविक है ।
जिस प्रकार सायंकाल सूर्योदय का आगमन विरह के बाद मिलन जीवन के लिए आनन्ददायक होता है | आनन्द और दुख हमेशा जीवन मे आता जाता रहता है । यही मानव जीवन है ।
इस प्रकार कवि इसमें जीवन मे स्वाभाविक और प्राकृतिक नियमों के बारे मे चित्रण करते हुए जीवन के लिए सुख और दुख जितना स्वाभाविक होते है उनके बारे मे व्यक्त कर रहे है । सुख और दुख दोनो को समान रूप मे स्वीकारने का सन्देश दे रहे हैं । उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
2) भिक्षुक
उत्तर:
एक भिखारी की दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए निराला जी कह रहे हैं कि एक भिखारी टूटे हुए हृदय से अपनी दयनीय स्थिति पर पछताता हुआ उस पथ पर आ रहा है । उसका पेट और पीठ दोनों मिले हुए दिखाई पड रहे हैं । अर्थात भूख के कारण उसका पेट पीछे चला जाकर पीठ से मिल गया जैसा दिखाई पड रहा है । उसने चलने के लिए भी शक्ति नही है । इसलिए हाथ में डंडा लेकर धीरे-धीरे अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए फटे हुआ होल को मुँह फैलाता है । उसके साथ दो बच्चे भी हाथ फैलाकर चल रहे हैं। वे अपने बाँए हाथ से भूखे पेट को मल रहे है और दाहिनी हाथ से दया की भीख माँग रहे हैं। भूख के कारण उनके ओठ सूखे जा रहे हैं । दाताओं से भीख माँगकर अपने भाग्य परखने के लिए उनके पास शक्ति भी नही है। यदि कही सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए मिले तो उनसे पहले ही उन जूठे पत्तलों को झपटने के लिए कुत्ते वहाँ खडे थे। इतनी दयनीय स्थिति उस भिखारी परिवार की थी ।
इस प्रकार कवि की प्रयोगवादी दृष्टिकोण इसमें दिखायी पड रहा है। भिखारी की दयनीय स्थिति के द्वारा शोषित वर्ग की ओर कवि संकेत दे रहे है । शोषक और शोषित वर्ग भिन्नता का स्पष्ट चित्रण वे दे रहे है । उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।
3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए ।
1) चन्द्रशेखर वेंकटरमन्
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में भारतीय वैज्ञानिक श्री चन्द्रशेखर वेंकटरमन के व्यक्तित्व और उनके अनुसंधानों पर प्रकाश डाला गया है । उनका जन्म तमिलनाडु के तिरूचिरापल्ली में सन् 1888 मे हुआ । उनके पिता चन्द्रशेखर अय्यर जो भौतिक और गणित के प्राध्यापक थे और उनकी माता पार्वती अम्मल थी । उनकी आरम्भिक शिक्षा विशाखपट्टनम् मे हुई। उन्होंने ग्यारह वर्ष की आयु मे मेट्रिक्युलेशन की परीक्षा, तेरह वर्ष में एफ. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। वो मद्रास के प्रेसिडेन्सी कॉलेज में बी. ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए और गणित में एम. ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए ।
उन्होंने अपने शिक्षार्थी जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए । सन् 1906 मे प्रकाश विवर्तन पर उनका पहला शोध पत्र लंडन के फिलासाफिकल पत्रिका मे प्रकाशित हुआ । उसका शीर्षक था – आयताकृत छिद्र के कारण उत्पन्न असीमित विवर्तन पट्टियाँ । उन्हे वैज्ञानिक सुविधाएँ ठीक से न मिलने के कारण वित्त विभाग के असिस्टेंट एकांउटेंट जनरल बनकर कलकत्ता चले गए । इसके बाद वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भारती परिषद की प्रयोगशाला मे प्रयोग के लिए अनुमति प्राप्त की । अपने घर में भी उन्होंने प्रयोगशाला बनाया । उसका उनका अनुसंधान क्षेत्र था – ध्वनि के कम्पन और कार्यों का सिद्धांत इसपर जर्मनी मे प्रकाशित भौतिक विश्वकोश में भी एक लेख लिखा । इसके बाद उन्होंने उच्च सरकारी पद त्याग कर कलकत्ता विश्व विद्यालय चले गए । वहाँ पर उन्होंने वस्तुओं मे प्रकाश चलने पर अध्ययन किया । और बाद में पार्थिव वस्तुओं को प्रकाश के बिखरने का नियमित अध्ययन किया जो रामन प्रभाव के नामसे जाना जाता है ।
इस `पर विशेष प्रयोग करके के उन्होंने पारद आर्क के प्रकाश को स्पेक्ट्रम स्टेक्ट्रोस्कोप ने निर्मित किया और प्रमाणित किया कि यह अन्तर पारद प्रकाश की तरंग लंबाइयों मे परिवर्तित होने के कारण पडता है इसके बाद उन्होंने रायल सोसयटी, लंदन के फेलो बने और रामन प्रभाव के लिए उन्हे सन् 1930 ई में नोबेल पुरस्कार दिया गया । सन् 1948 मे बंगलूर मे रामन शोध संस्थान की स्थापना की गई | उन्हें सन् 1954 ई. में भारत रत्न की उपाधि और सन् 1957 ई. में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्राप्त हुई। 28 फरवरी, 1928 को उन्होंने रामन प्रभाव की खोज की । इसलिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से रूप में मनाया जाता है । सन् 1970 में उनकी मृत्यु हो गई ।
इस प्रकार इसमें चन्द्र शेखर वेंकटरामन के व्यक्तित्व के साथ-साथ उनके अनुसंधान, भौतिकी के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी खोजों पर विशेष महत्व दिया गया है । उन्हे प्राप्त राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों पर भी रेखांकित किया गया है ।
2) आन्ध्र संस्कृति
उत्तर:
संस्कृति अर्जित आचरणों की एक व्यवस्था है । संस्कृति मानव की जीवन पद्धति है और विचारों, आचरणों और जीवन के मूल्यों का सामूहिक नाम है। भारतीय संस्कृति के बारे में दिनकर जी का कहना है कि संस्कृति जिंदगी का एक तरीका है और यह तरीका सदियों से जमा होकर एक उस समाज मे छाया रहता है जिसमें हम जन्म लेते है ।
भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । उसका प्रादेशिक रूप तेलुगु संस्कृति है और यही आन्ध्र संस्कृति कहलाती है । आन्ध्र राज्य का इतिहास शातवाहनों से आरंभ होता है। इनके समय मे आंध्र मे आर्य व द्रविड संस्कृतियों का अपूर्व संगम हुआ था । शातवाहनों के बाद आन्ध्र संस्कृति के विकास में इक्ष्वाकु, चोल, चालुक्य, पल्लव, काकतीय, विजयनगर राजाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा । काकतीयों के समय 14 वी शताब्दी में आंध्र मे मुसलमानों का प्रवेश हुआ। जिससे एक और नयी संस्कृति का समावेश हो गया । ऐतिहासिक व राजनीतिक रूप से आंध्र प्रदेश दो भागों में विभक्त है – कोस्ता तटीयान्ध्र तथा रायलसीमा । गोदावरी, कृष्ण, आन्ध्र की प्रमुख जीव- नदियाँ है इनके अलावा छोटी-छोटी नदियों भी प्रवाहि पायी जाती है । आन्ध्रप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और अनाज मुख्य फसल है इसके अलावा मकई, मिर्च, कपास, मूंगफली, तम्बाकू व जूट अन्य फसल है | आंगेलु पशुओं की भारतभर प्रसिद्धि है । आन्ध्र का एक विशेष उद्योग है – नौका निर्माण उद्योग |
आन्ध्र प्रदेश धार्मिक रूप से एक संपन्न राज्य है । यहाँ पर वैदिक, बौद्ध, जैन, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, इस्लाम, सिख, ईसाईधर्म, नास्तिक धर्म आदि विराजमान हैं । बौद्ध संस्कृति और जैन धर्म से संबंधित मन्दिर और स्तूप और अनेक विहार यहाँ पर व्याप्त है । हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर भी निर्मित हुए जैसे द्राक्षारामम्, हंपी, ताडिपत्रि, लेपाक्षी आदि। कला और संस्कृति का भी विकास यहां पर हुआ । यहाँ पर नाग, यक्ष जातियों के साथ-साथ अनेक पर्वत और जंगलों जातियों भी विकास हुआ ।
संस्कृति मानव जीवन की आदर्श आचार सहित है । संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकलाओं के साथ हरिकथा, बुर्राकथा, चेंचु नाटक भी प्रचार मे है । अन्नमाचार्य, रामदास, त्यागराज और क्षेत्रच्या के साथ 3 बीसवी राती के मंगलंपल्लि बालमुरली कृष्ण भी प्रसिद्ध वाग्गेयकार थे । कूचिपूडि, भरतनाट्यम, कथकली, कथक नृत्यों के साथ कलंकारी, कोंडपल्लि गुडियाँ, एटिकोप्पाका गुडिया, मंगलगिरि, उप्पाडा, पोंडूरू, वेंकटगिरि वस्त्र आदि प्रसिद्धि है ।
आन्ध्र प्रान्त मे अनेक पर्व और त्योहार मनाये जाते है जैसे संक्रांति, महाशिवरात्रि, उगादि, श्रीरामनवमी एरूवाका पूर्णिमा, विनायक चविति, दशहरा, दीपावली रमजान क्रिसमस आदि बनाया जाता है | विवाह तो जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है । यहाँ के स्त्री-पुरुष कईतरह के आभूषण पहना करते थे । अनेक तरह के खेल खेला करते थे । यहाँ के व्यंजन भी सांप्रदायिक और प्रसिद्ध है | चावल प्रधान भोजन है । अमरावती, अन्नवरम् तिरूपति, कनकदुर्गम्मा नन्दिर, पंचारामम यहाँ के प्रसिद्ध मन्दिर है ।
आंध्रसंस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ । संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्य व नाटक तेलुगु मे अनुदित हुआ है। आंध्र में अष्टावधान नामक एक विशिष्ट साहित्य प्रक्रिया विकसित हुआ । आन्ध्र की राजभाषा तेलुगु है । नन्नया, तिक्कना, एर्राप्रगडा ने महाकाव्य महाभारत का तेलुगु मे अनुवाद किया । प्राचीनकाल के रचनाकारों में पालकुरिक सोमनाथ, श्रीनाथ, पोतना और आधुनिक साहित्यकारों मे गुरजाडा, कंदुकूरी, कृष्णाशास्त्री, श्री श्री गुर्रम जाषुआ, चिन्नयसूरी जैसे और भी अनेक है ।
इस प्रकार आन्ध्र संस्कृति विभिन्न जाति, धर्म, जाति, व वर्ण के लोगों से मिश्रित है । फिर भी राज्य मे सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक एकरूपता का आभास स्पष्ट झलकता है ।
4. किसी एक कहानी का सारांश लिखिए ।
1) परदा
उत्तर:
चौदरी पीरबख्श गरीब मुंशी था । दो रूपये के किराये पर एक मकान में रहता था । बस्ती में केवल चौदरी पीरबख्श ही पढ़ा-लिखा आदमी था । उसको ड्योढ़ीपर परदा रहता था । इसलिए सब लोग उसे चौदरी साहब कहकर सलाम करते थे । नौकरी में केवल बारह रूपये मासिक वेतन मिलते थे । संताने पाँच थी ।
नौकरी से आमदनी कम इसलिए परिवार के लोगों को पेट भर खाना, शरीर को ढ़कने के लिए कपडे नही मिलते थे । परदे के पीछे रहनेवालों के शरीरों पर केवल चिथडे ही रहते थे ।
पैसों की जरूरत अधिक होने के कारण सूदखोर बाबर अली खाँ से ब्याज पर उधार लेता है । चौदरी पीरबख्श किश्तों में चुकाना वादा करता है। लेकिन चुका नही पाता । खान बार-बार पैसे मांगता है, घर आकर गालियाँ देता है ।
किश्तो के बदले ‘परदा’ लेजाने के लिए खान तैयार हो जाता है । लेकिन वह परदा ही घर की इज्जत की रक्षा करने वाला है । पीरबख्श परदे को न ले जाने के लिए प्रार्थना करता है, लेकिन खान गुस्से में आकर परदे को खींच लेता है तो घर की दयनीय स्थिति दिखायी देती है । अपनी इज्जत की रक्षा के लिए घर में इधर उधर भागते है, सब लोग । चौदरी पीरबख्श बेहोश होकर गिर जाता है । होश आने के बाद समझता है कि अब परदा लटकाने जरूरत नही । क्यों कि घर की इज्जत चली गयी ।
इस कहानी से मध्यवर्गीय लोगों के मिथ्याभिमान और उससे जुडी विवशता दयनीय स्थिति की जानकारी हो जाती है ।
2) पूस की रात
उत्तर:
हल्कू एक निर्धन किसान था । मुन्नी उसकी पत्नी थी । हल्कू खेती करता था । किन्तु उसकी उपज इतनी नहीं होती कि उसे बेचकर साहूकार का ऋण चुका सके। सर्दी से बचने के लिये वह एक कम्बल खरीदना चाहता था । इसके लिये उसने पत्नी के पास तीन रूपये जमाकर रखे ।
लेकिन साहूकार से तुरंत बचने के लिए उसने उन तीन रूपयों को उसे दे दिया । पूस की रात थी । हल्कू खेती की रखवाली करने गया था ।
कड़ी सर्दी थी । वह काँपने लगा । उसके पास का चादर उसे बचा न सकता था । सर्दी से बचने या गर्माई पाने वह बार बार तमाखू पीता रहा । आखिर विवश होकर अपने कुत्ता ‘जबरा’ को उठाकर गोद में सुलाया । इससे कुछ गर्मी मिल रही थी ।
इस बीच नील गायों ने चरकर खेत साफ कर दिया । किन्तु वह उठ न सका । दूसरे दिन वह खुश इसलिए रहा कि अगले दिन से रखवाली केलिये आने की जरूरत नहीं थी । साहूकारों से, एवं जमींदारों से पीडित किसानों की दयनीय स्थिति, आर्थिक विषमता, शोषण और उसके दुष्परिमाणों को प्रकाश में लाना ही उनका उद्देश्य है ।
5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
1. दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद ।
धुआँ उठा आँगन के ऊपर कई दिनों के बाद ||
चमक उठीं घर भर की आँखे कई दिनों के बाद ।
कौए ने खुजलाई पाँखे कई दिनों के बाद ||
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य को नागार्जुन द्वारा लिखे गयी अकाल और उसके बाद कविता से लिया गया है । वे प्रगतिवादी कवि थे और आधुनिक कबीर से प्रसिद्ध थे !
सन्दर्भ : अकाल समाप्त होने के बाद जिसप्रकार की रोशनी घर के चारो ओर दिखाई पडती है, उसका मार्मिक चित्रण इसमें मिलता है |
व्याख्या : अकाल के बाद अनाज घर को आया । खाना पकाने के लिए घर मे चूलहा जलाया गया । इस खुशी मे घर के सारे लोंगों के मन उत्साह से भर गया । भोजन के बाद केंके हुए अन्न से पेट भरने की आशा मे कौए भी पँस खुजलाकर इन्तजार कर रही है ।
विशेषताए :
- कवि की प्रगतिवादी धारणा का चित्रण हो रहा है ।
- उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
2. साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट चलते है,
और दाहिना दया- दृष्टि पाने की ओर बढाए ।
भूख से सूख ओठ जब जाते,
दाता – भाग्य – विधाता से क्या पाते !
घूँट आँसूओं के पीकर रह जाते ।
चाट रहे है जूठी पत्तल कभी सड़क पर खड़े हुए
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अडे हु ।
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया है वे छायावादी कवि है ।
सन्दर्भ : इसमें एक भिखारी और उसके दो बच्चों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है ।
व्याख्या : एक भिक्षुक रास्ते पर आ रहा है और उसके साथ दो बच्चे भी है । वे अपने बाए हाथ से अपने भूखे पेट को मल रहे है और दाहिने हाथ से दया की भीख माँग रहे है। भूख के कारण उनके ओठ सूख गए है । अपने भाग्य के लिए वे तडप रहे है । सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए भी उनके पहले ही कुत्ते उन पत्तलों को लपटने के लिए वहाँ खडे हो रहे है ।
विशेषताएँ :
- शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है ।
- इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
- उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।
3. मै नहीं चाहता चिर – सुख
मै नहीं चाहता चिर – दुःख
सुख दुःख की खेल मिचौनी
खेल जीवन अपना मुख !
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य सुमित्रानंदन पंत के द्वारा लिखी गयी ‘सुख-दुःख’ नामक कविता से लिया गया है । वे प्रकृति का सुकुमार कवि कहे जाते है ।
सन्दर्भ : इसमें कवि सुख-दुख को समान रूप में स्वीकार करने की बात कह रहे हैं ।
व्याख्या : कवि का कहना है कि जीवन मे हमेशा सुख और हमेशा दुख का रहना भी अच्छा नहीं है । सुख और दुख आंख मिचौनी खेल की तरह हमारे जीवन में आते जाते रहना चाहिए |
विशेषताएँ :
- जीवन के लिए सुख और दुख होने की आवश्यकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
- उनकी भाषा खडीबोली हैं ।
4. चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी – माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ,
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है ।
सन्दर्भ : इस में कवि एक फूल की इच्छा के द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं ।
व्याख्या : एक फूल के माध्यम से कवि अपनी इच्छा व्यक्त कर रहा है कि मुझे देवताओं के गहनों में गूँथ जाने की इच्छा नहीं है । अर्थात देवताओं के गले में माला बनने की इच्छा नही हैं। प्रियतम के हाथो में माला बनकर प्रेयसी को ललकारने की इच्छा नही है । सम्राटों के शवो पर पुष्प माला बनने की चाह नही है और देक्ता ईश्वर के सिर पर चढकर अपने भाग्य पर घमंड करने की इच्छा भी मूझे नही है । अर्थात यहां फूल अपने जीवन के लिए कुछ-न-कुछ विशेषता होने की मांग कर रहा है ।
विशेषताएँ :
- इसमें जीवन के लिए कुछ ऊँचे उमंग रखने की इच्छा फूल के द्वारा व्यक्त कर रहे है ।
- उनकी भाषा सरल खड़ीबोली है ।
6. निम्न लिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :
1) ब्रह्मा ने एकाकी न होकर अपने आपको दो मे विभक्त कर लिया जिसके दक्षिण अंश को पुरुष तथा वाम को नारी की संज्ञा दी गई।
उत्तर:
प्रसंग : यह उद्धरण महादेवी वर्मा के द्वारा लिखी गयी “भारतीय संस्कृति और नारी” नामक निबन्ध से लिया गया वे छायावाद से सम्बन्धित प्रमुख साहित्यकार है ।
सन्दर्भ : सृष्टि में स्त्री और पुरुष की समानता के बारे में विवरण दिया गया है ।
व्याख्या : सृष्टि मे पुरुष तथा नारी की उत्पत्ति का एक ही केन्द्र है । वृहदारण्यक उपनिषद मे कहा गया है कि ब्रह्मा ने अपने आप को दो भागों में विभक्त कर लिया । अपने शरीर को दक्षिण अंश को पुरुष तथा वाम अंश को नारी की संज्ञा दी गयी । इसलिए दोनों की स्थिति समान कर दी । इसीकारण शिव को अर्द्ध नारीश्वर रूप कहा गया है ।
विशेषताएँ :
- संस्कृति के विभिन्न रूपों पर ध्यान दिया गया है ।
- उनकी भाषा सरल खडी बोली है ।
2) घुमक्कडी के लिए चिन्ताहीन होना आवश्यक है और चिन्ताहीन होने के लिए घुमक्कडी भी आवश्यक है ।
उत्तर:
प्रसंग : यह उद्धरण राहुल सांस्कृत्यायन के द्वारा लिखी गयी अथात घुमक्कड जिज्ञासा नामक यात्रा वृत्तांत है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और उनका यात्रा साहित्य अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है ।
सन्दर्भ : लेखक इसमें घुमक्कडी प्रवृत्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है और उसकी महानता को इसमें स्पष्ट करते हैं ।
व्याख्या : घुमक्कड होना आदमी के लिए परम सौभाग्य की बात है। जो निश्चिंत होता है, वही घुमक्कड बन सकता है क्यों कि घुमक्कड के लिए चिन्ता से दूर रहना आवश्यक होता है और साथ-साथ जो चिन्ता से दूर रहता है वही घुमक्कड बन सकता अर्तात घुमक्कडी में कष्ट रहने पर भा अत्यन्त सुख मन को मिलता है ।
विशेषताएँ :
- घुमक्कड धर्म को अपनाने का सन्देश लेखक देते हैं।
- उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
3) प्रकृति के दोहन और शोषण के स्थान पर प्रकृति के पोषण और रक्षण का दायित्व अपनाना होगा ।
उत्तर:
प्रसंग : यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है।
सन्दर्भ : इसमें पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले नष्टों के बारे कहकर उसका निवारण के लिए सुझाव दे रहे हैं ।
व्याख्या : प्रकृति ही हमारे जीवन का आधार और पोषित करने वाली शक्ति है जिसके बिना पृथ्वी पर किसी भी जीव-जन्तु और मानव और पशु के जीवन की कल्पना ही संभव नही है । इसलिए पर्यावरण को सोषित करना और प्रदूषण मुक्त रखना आवश्यक है । इसलिए पर्यावरण प्रदूषण से प्रकृति की हानी को रोककर उसकी सुरक्षा करने का दायित्व हम सब पर है ।
विशेषताएँ :
- इसमें पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे कहा गया है ।
- उनकी भाषा सरल है ।
4) सम्पूर्ण भौतिक कोश में आप अकेले जर्मन लेखक नहीं थे ।
उत्तर:
प्रसंग : यह उद्धरण ‘चन्द्रशेखर वेंकटरमन् नामक जीवनी से लिया गया वे बडे वैज्ञानिक तथा राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से प्रतिष्ठित थे ।
सन्दर्भ : चन्द्रशेखर वेंकटरामन अनुसंदान के क्षेत्र में कितने महान थे, उसका उदाहरण सहित वर्णन किया गया है |
व्याख्या : कलकत्ते के भारत परिषद की प्रयोगशाला में ध्वनि के कम्पन और कार्यों का सिद्धांत पर अनुसंधान किया । उन्हें वाद्यों की भौतिकी का इतना गहरा ज्ञान था । जर्मनी में प्रकाशित बीस खण्डों वाले भौतिकी विश्वकोश के खण्ड के लिए उनसे वाद्ययंत्रों की भौतिकी का लेख तैयार करवाया गया | सम्पूर्ण भौतिक कोश केवल चन्द्रशेखरन जी का लेख छोडकर अन्य सभी लेख जर्मन लेखक के ही थे । इतना सम्मान चन्द्रशेखरन जी को प्राप्त हुआ ।
विशेषताएँ :
- वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरामन् की महानता का परिचय हमें मिलता है ।
- भाषा सरल है ।
7. एक शब्द में उत्तर लिखिए ।
1) किसका स्मरण करने से कभी भी किसी को भी दुख नही पहुँचता ?
उत्तर:
ईश्वर का
2) कौन अपना फल खुद नही खाता है ?
उत्तर:
पेड (तरुवर)
3) माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा कैसी है ?
उत्तर:
सरल और खडीबोली
4) “उत्पीडन” शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
पीडा (కష్టం)
5) भिक्षुक किसके सहारे खडे होकर भीख माँगता है ?
उत्तर:
लकडी के सहारे
8. एक शब्द में उत्तर लिखिए | ( गद्य भाग)
1) ‘शिवाजी का सच्चा स्वसूप’ किस प्रकार की एकांकी है ?
उत्तर:
ऐतिहासिक
2) भारतीय संस्कृति में किस की महानता के बारे में स्पष्ट किया गया है ?
उत्तर:
नारी की महानता
3) घुमक्कडी होना किस केलिए आवश्यक है ?
उत्तर:
चिन्ताहीन
4) मानव जीवन केलिए क्या अनिवार्य अंग बनाना होगा ?
उत्तर:
प्रकृति की रक्षा और सुरक्षा को
5) आन्ध्रप्रदेश में कौन सी प्रांत गुडियों केलिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
कोंडपल्लि, एटिकोप्पाका
खण्ड – ‘ख’
9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए :
छात्रवृत्ति के लिए आवेदन पत्र लिखिए
उत्तर:
मुथोल,
दिनांक : 19.6.2018.
सेवा में,
प्राचार्य महोदय,
सरकारी जूनियर कलाशाला,
मुथोल,
जिला आदिलाबाद |
आदरणीय महोदय,
आपसे सनम्र निवेदन है कि मैं आपके कॉलेज में मीडिएट प्रथम वर्ष की छात्रा हूँ | मेरा क्रमांक एम.पीयसी. वर्ग में 34 है । मैंने मुथोल सरकारी पाठशाला मे दसवीं कक्षा की परीक्षाओं में गतवर्ष सबसे प्रथम आयी हूँ | जिले स्तर पर मेरा स्थान द्वितीय है । मैं एक गरीब परिवार से हूँ और मेरे पिताजी एक किसान-मज़दूर हैं। अपनी आर्थिक स्थिति के कारण अब तक मैं फीस जमा नहीं कर पायी हूँ | अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे छात्रवृत्ति मंजूर करें ताकि मैं आगे की पढ़ाई कर सकूँ ।
धन्यवाद ।
अपकी विनीत छात्रा
एम. सुमलता,
इणटरमीडिएट प्रथमवर्ष,
एम.पी.सी. क्रमांक 34.
अथवा
हिन्दी की आवश्यकता के बारे में अपने मित्र के लिए एक पत्र लिखिए ।
उत्तर:
अनन्तपुरम्
दिनांक : 19-04-2018.
प्रिय मित्र सेरेश,
कैसे हो ? मैं यहाँ कुशल हूँ। हाल ही में हमारी कक्षा में सब लोग मिलकर औद्योगिक प्रशिक्षण के लिए दिल्ली गये । उस समय मुझे हिन्दी की आवश्यकता बहुत मालूम पड़ी । रेल यात्रा करते समय जैसे ही हम आन्ध्रप्रदेश छूटकर आगे बढे, सारे प्रदेशों में हिन्दी ही प्रचलित हो रही थी । दिल्ली में तो हिन्दी का ज्ञान अत्यावश्यक है । मेरी सलाह यह है कि तुम इस गरमी की छुट्टियों में हिन्दी बोलना लिखना सीखो। इससे तुम्हारा बहुत प्रयोजन होगा ।
शेष शुभ …… पत्र की प्रतीक्षा रहेगी ।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
नागेश्वर |
पता :
नारायण सुरेश बाबू,
मकान नंबर 19-5/4,
गुणदला पहाड़ के पास,
विजयवाड़ा – 520028
कृष्णा जिला, आन्ध्रप्रदेश |
10. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।
1) नख × शिख
2) निंदक × प्रशंसक
3) फूल × काँटा
4) बलावन × निर्बल
5) रूगण × स्वस्थ
6) लम्बा × नाटा
7) शब्द × अर्थ
8) सज्जन × दुर्जन
9) सरस × नीरस
10) सर्दी × गर्मी
11. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।
1) औरत – स्त्री, नारी, महिला, कामिनी ।
2) कपड़ा – वस्त्र, वसन, अम्बर, चीर ।
3) कामदेव – मदन, रतिपति, अनंग, मनसिज ।
4) गणेश – गजानन, गणपति, लम्बोदर, विनायक ।
5) झंडा – पताका, ध्वज, केतु, वैजयंती |
6) दिन – दिवास, वार, वासर, अह ।
7) सिंह – शेर, वनराज, व्याघ्र, मृगराज
8) हाथी – गज, करि, द्विप, कुंजर |
9) बिजली – विद्युत, दमिनी, चपला, सौदामिनी
10) पति – स्वामी, नाथ, भर्ता, कंत
12. किन्हीं पाँच (5) शब्दों की शूद्ध वर्तनी लिखिए |
1) ग्रिह – गृह
2) घनिष्ट – घनिष्ठ
3) पड़ाई – पढ़ाई
4) प्रन – प्रण
5) पूर्व – पूर्व
6) प्रसंशा – प्रशंसा
7) विधा – विद्या
8) मर्मग्य – मर्मज्ञ
9) लच्छमण – लक्ष्मण
10) प्रशाद – प्रसाद
13. किन्हीं पाँच (5) शब्दों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए ।
1) Admission Test – प्रवेश परीक्षा
2) Training – प्रशिक्षण
3) Parliament – संसद
4) Editor – सम्पादक
5) Technical – तकनीकी
6) Economics – अर्थशास्त्र
7) Degree College – महाविद्यालय
8) Earth – पृथ्वी
9) Fuel – ईधन
10) Typist – टंकण
14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।
1) रमेश ____ कुत्ता भौंक रहा है ।
उत्तर:
रमेश का कुत्ता भौंक रहा है ।
2) उपवन ____ फूल खिला है ।
उत्तर:
उपवन में फूल खिला है ।
3) विद्यार्थी ____ कविता सुनाई ।
उत्तर:
विद्यार्थी ने कविता सुनाई ।
4) आकाश ____ तारा टूटकर गिरा ।
उत्तर:
आकाश से तारा टूटकर गिरा ।
5) मिठाई _____ मक्खी बैठी है ।
उत्तर:
मिठाई पर मक्खी बैठी है ।
15. सूचना के अनुसार वाक्य में परिवर्तन कीजिए ।
1) अपने भाई को पत्र लिखो । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
अपनी बहन को पत्र लिखो ।
2) मैं ने घर खरीदा । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
मैं ने कई घर खरीदे ।
3) मोहन गैरजिम्मेदार लड़का है । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ?)
उत्तर:
‘गैर’
4) फलवाला फल बेच रहा है । (रेखांकित शब्द में प्रत्यय क्या है ?)
उत्तर:
वाला
5) चिरंजीवि पिज्जा खा रहा है । (भविष्यतकाल में लिखिए ।)
उत्तर:
चिरंजीवि पिज्जा खायेगा ।
16. सूचना के अनुसार भाषा विभाग को पहचानिए :
1) राम ने फल लाकर मेज़ पर रखा । (इस वाक्य में संज्ञा क्या है ?)
उत्तर:
राम, फल, मेज़
2) भिखारी को कुछ दे दो । (इस वाक्य में सर्वनाम क्या है ?)
उत्तर:
कुछ
3) राम भला लड़का है । (इस वाक्य में विशेषण क्या है ?)
उत्तर:
भला
4) मोहित क्रिकेट खेलता है । (इस वाक्य में क्रिया क्या है ?)
उत्तर:
खेलना
5) संचित दिन भर सोता रहता है । (इस वाक्य में क्रिया विशेषण क्या है ?)
उत्तर:
दिनभर