AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 7 with Solutions

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AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 7 with Solutions

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खण्ड – ‘क’
(60 अंक)

पोथि पढि – पढि जग मुआ, पंडित भया न कोय ।
ढाई अक्षर प्रेम का, पढे सो पंडित होय ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।
संदर्भ:- इसमें प्रेम की महानता के बारे में कवि कह रहे है ।
व्याख्या :- कवि का कहना है कि केवल बड़े – बड़े ग्रंथ पढने से कोई भी पंडित नहीं बन सकता बल्कि समय व्यर्थ होजाता है । यदि कोई भी व्यक्ति प्रेम रूपी अक्षर को पढ सकता है अर्थात जिसे प्रेम की महानता मालूम हो जाती है, वह महान बन सकता है ।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें सबके साथ प्रेम के साथ व्यवहार करने का सन्देश कवि दे रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

(अथवा)

जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग ||
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
संदर्भ :- कवि इसमें सज्जन लोगों के लक्षणों के बारे मे कह रहे है।
व्याख्या :- रहीम कहते हैं कि अच्छे स्वभाव वाले लोग बुरे लोगों के साथ मित्रता करने पर भी उनके स्वभाव मे कोई परिवर्तन नहीं होता । जैसे चंदन वृक्ष साँपों से लिपटे रहते पर भी विष व्याप्त नही करती | अपना सहज सुगन्ध को ही फैलाती है । उसी प्रकार अच्छे गुण वाले लोग बुरे लोगों से मित्रता करने पर भी अपनी सज्जनता को छोड़ नहीं सकते ।

विशेषताएँ :-

  1. सज्जन लोगों की महानता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा व्रज भाषा हैं ।

2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए ।

(1) सुख – दुख
उत्तर:
प्रसंग :- सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म सन् 1900 ई. मे. उत्तर प्रदेश अल्मोडा जिले के कौसानी
ग्राम मे हुआ । उन्होने हिन्दी के साथ – साथ संस्कृत, बंगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं का अध्ययन किया । प्रकृति के उपासक होने के कारण उन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है। पल्लव, वीणा, ग्रथि, ग्राम्या, स्वर्णधूलि आदि प्रमुख रचनाएँ हैं । उनकी भाषा संस्कृत के तत्सम शब्दों से युक्त खडीबोली है ।
सारांश :- कवि का कहना है कि हमेशा सुख और दुख भी जीवन के लिए अच्छा नही । सुख और दुख दोनों के साथ खेल मिचौनी करना चाहिए । अर्थात् जीवन में सुख और दुख एक दूसरे के साथ आना ही चाहिए । सुख और दुख होने के साथ ही जीवन परिपूर्ण होता है । जिस प्रकार आकाश में घने बादलों के बीच चन्द्रमा और चाँदनी से बादल घेरे जाते हैं उसी प्रकार सुख और दुख एक दूसरे के बाद आते जाते है ।

सारा जगत कभी कभी अति दुख से और अति सुख से पीडित होता रहता है । लेकिन मानव जीवन में सुख और दुख दोनों को समान रूप में स्वीकारना चाहिए । हमेशा सुख और हमेशा दुख दोनो भी जीवन के लिए दुखदायक है । जिस प्रकार जीवन में दिन और रात का आना जाना स्वाभाविक है | उसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना भी स्वाभाविक है ।

जिस प्रकार सायंकाल सूर्योदय का आगमन विरह के बाद मिलन जीवन के लिए आनन्ददायक होता है | आनन्द और दुख हमेशा जीवन मे आता जाता रहता है । यही मानव जीवन है ।

इस प्रकार कवि इसमें जीवन मे स्वाभाविक और प्राकृतिक नियमों के बारे मे चित्रण करते हुए जीवन के लिए सुख और दुख जितना स्वाभाविक होते है उनके बारे मे व्यक्त कर रहे है । सुख और दुख दोनो को समान रूप मे स्वीकारने का सन्देश दे रहे हैं । उनकी भाषा सरल खडीबोली
है ।

(2) अकाल और उसके बाद
उत्तर:
कवि ने इस्के अकाल के समय और अकान के बाद की स्थिती को दो पद्यों के द्वारा विस्तार रूप मे वर्णन किया । अकाल के समय मे घर पर खाने के लिए अनाज का अभाव है इसलिए कई दिनो से जला और अनाज के अभाव से आठा न पीसने के कारण चक्की के भी काम नही किया । चूहे चूल्हा न जलने से घर का एक का अंख वाला कुत्ता उसी के पास सो रही है । खाना न मिलने से सारा घर और आदी जन्तुएँ भी उदास है । घर के लोग उदास से एक बैठे हुए है । और दीवार पर छिपकलियाँ गस्ती देखे हैं । कई दिनों से अकाल से पीडित होते वाले घरों में अनाज न मिलने से चूहो की स्थिति भी बडी दयनीय थी ।

अब अकाल चल गया | बहुत दिनों के बाद घर मे अनाज आया । चूल्हे जलने से घर के आंगन मे धुँआ उठा । घर के सभी लोगो की आँखों मे चमक उठी अर्थात सब लोगों मे असाह भर गया ।

भोजन के बाद केंके हुए अन्न से अपने पेट भरने की आशा से काँठा भी पंख खुजलाकर इत्तर इन्तजार कर रही हैं ।

इस्प्रकार कवि ने अकाल से पीडित जनता की दयनी स्थिति और बाद की स्थिति का मार्मिक रूप से चित्रण किया है। अकल की दुस्थिति केवल लोंगों पर ही नहीं बल्कि उनके चारों ओर वातारिण को किस प्रकार प्रभावित करती है, उस्का स्पश्ट चित्रण किया है । उनकी भाषा सरल खडी बोली है।

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3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए ।

(1) पर्यावरण और जीवन
उत्तर:
मानव एक सामाजिक प्राणी है । व्यक्ति और परिवार से समाज का निर्माण होता है । वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक दूसरे भर निर्भर रहता है । मानव समाज के विकास में विज्ञान, वैज्ञानिक आविष्कारों, परिवाहन तथा संचार के साधनों और विविध यंत्रों आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस प्रकार जहाँ मानव सभ्यता के विकास के साथ ही प्रकृति का शोषण आरम्भ हुआ, वहीं जनसंख्या की वृद्धि के साथ पृथ्वी पर प्रदूषण भी बढने लगा । इसके लिए प्रकृति की रक्षा और सुरक्षा को मानव जीवन के लिए अनिवार्य अंग बनाना होगा ।

पर्यावरण हमारे चारों ओर के वातावरण से सम्बंध है । पर्यावरण समस्त जीव-जन्तुओं, प्राणियों और मनुष्य के जीवन का आधार और अधिरचना अर्थात् पर्यावरण सभी के जीवन का अभिन्न अंग है, यही कारण कि आदिकाल से प्रकृति के सान्निध्य मे मानव ने अपने जीवन को विकसित किया है | जब जैविक तथा अजैविक पदार्थों के बीच संतुलन को पर्यावरण-संतुलन कहा जाता है । आजकल पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है ।

मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए प्राकृतिक सम्पदाओं को क्षति पहुँचा रहा है । पर्यावरण संकट प्रदूषण और असंतुलन का परिणाम है । यह संकट भूमि, जल वायु, ताप, ऊर्जा, खनिज, ध्वनि तथा वनस्पति आदि सभी क्षेत्रों मे उत्पन्न हो चुका है । यहा प्रदूषण विभिन्न रूपों में देखा जा सकता है । जैसे – भूमिप्रदूषण, वायुप्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि । इन प्रदूषणों ने न केवल मानव जीवन को संकटमय बना दिया है अपितु उसके लिए कई प्रकार की बीमारियों को भी उत्पन्न कर दिया । जैसे कम उम्र के बच्चों और वृद्धों के लिए स्वाँस की समस्या, ब्रोंकाइटिस, फेफडो की टी.बी. कैंसर, त्वचा का रोग आदि समस्याएँ बढती जा रही है। प्रदूषित पानी पीने से उदर संबंधी रोग बढ रहे है । ध्वनि प्रदूषण से महानगरों मे बहरेपन की समस्या बढ रही है | मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन से मनुष्य मे चिड़चिड़ापन, बेचैनी, हाई ब्लडप्रेशर एवं डिप्रेशन आदि मानसिक बीमारियाँ होने लगी है इसके इलावा कारखानों, अस्पतालों, प्लास्टिक से निकलने वाली जहरीली राख और केमीकल्स मिट्टी की उवराशक्ति कम हो रही है और कीटनाशक केमिकल्स स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे है ।

प्रदूषण निवारण के लिए उपाय : सबसे पहले आबादी का नियन्त्रण करना चाहिए । जंगलों को न काटना, औद्योगीकरण के समय में नियमों का पालन, जल की रक्षा, स्वच्छ भारत कार्यक्रम,

पेड़ों को रोपना, कारखानों के विष पदार्थ को पानी में फेकने पर पाबंद रखना, प्रदूषण फैलाने वालों को दण्ड देना इन सभी के पालन करने से पर्यावरण की रक्षा और प्रदूषण से मुक्त हो जाएंगे ।

(2) आन्ध्र संस्कृति
उत्तर:
संस्कृति अर्जित आचरणों की एक व्यवस्था है । संस्कृति मानव की जीवन पद्धति है और विचारों, आचरणों और जीवन के मूल्यों का सामूहिक नाम है । भारतीय संस्कृति के बारे में दिनकर जी का कहना है कि संस्कृति जिंदगी का एक तरीका है और यह तरीका सदियों से जमा होकर एक उस समाज मे छाया रहता है जिसमें हम जन्म लेते है ।

भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । उसका प्रादेशिक रूप तेलुगु संस्कृति है और यही आन्ध्र संस्कृति कहलाती है । आन्ध्र राज्य का इतिहास शातवाहनों से आरंभ होता है । इनके समय मे आंध्र मे आर्य व द्रविड संस्कृतियों का अपूर्व संगम हुआ था । शातवाहनों के बाद आन्ध्र संस्कृति के विकास में इक्ष्वाकु, चोल, चालुक्य, पल्लव, काकतीय, विजयनगर राजाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा । काकतीयों के समय 14 वी शताब्दी में आंध्र मे मुसलमानों का प्रवेश हुआ । जिससे एक और नयी संस्कृति का समावेश हो गया । ऐतिहासिक व राजनीतिक रूप से आंध्र प्रदेश दो भागों में विभक्त है – कोस्ता तटीयान्ध्र तथा रायलसीमा । गोदावरी, कृष्ण, आन्ध्र की – प्रमुख जीव- नदियाँ है इनके अलावा छोटी-छोटी नदियों भी प्रवाहि पायी जाती है । आन्ध्रप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और अनाज मुख्य फसल है इसके अलावा मकई, मिर्च, कपास, मूंगफली, तम्बाकू व जूट अन्य फसल है | आंगेलु पशुओं की भारतभर प्रसिद्धि है । आन्ध्र का एक विशेष उद्योग है – नौका निर्माण उद्योग |

आन्ध्र प्रदेश धार्मिक रूप से एक संपन्न राज्य है । यहाँ पर वैदिक, बौद्ध, जैन, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, इस्लाम, सिख, ईसाईधर्म, नास्तिक धर्म आदि विराजमान हैं । बौद्ध संस्कृति और जैन धर्म से संबंधित मन्दिर और स्तूप और अनेक विहार यहाँ पर व्याप्त है । हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर भी निर्मित हुए जैसे द्राक्षारामम्, हंपी, ताडिपत्रि, लेपाक्षी आदि । कला और संस्कृति का भी विकास यहां पर हुआ । यहाँ पर नाग, यक्ष जातियों के साथ-साथ अनेक पर्वत और जंगलों जातियों भी विकास हुआ ।

संस्कृति मानव जीवन की आदर्श आचार सहित है । संगीत, नृत्य, शिल्प, चित्रकलाओं के साथ हरिकथा, बुर्राकथा, चेंचु नाटक भी प्रचार मे है । अन्नमाचार्य, रामदास, त्यागराज और क्षेत्रच्या के साथ 3 बीसवी राती के मंगलंपल्लि बालमुरली कृष्ण भी प्रसिद्ध वाग्गेयकार थे । कूचिपूडि, भरतनाट्यम, कथकली, कथक नृत्यों के साथ कलंकारी, कोंडपल्लि गुडियाँ, एटिकोप्पाका गुडिया, मंगलगिरि, उप्पाडा, पोंडूरू, वेंकटगिरि वस्त्र आदि प्रसिद्धि है ।

आन्ध्र प्रान्त मे अनेक पर्व और त्योहार मनाये जाते है जैसे संक्रांति, महाशिवरात्रि, उगादि, श्रीरामनवमी एरुवाका पूर्णिमा, विनायक चविति, दशहरा, दीपावली रमजान क्रिसमस आदि बनाया जाता है | विवाह तो जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है । यहाँ के स्त्री-पुरुष कईतरह के आभूषण पहना करते थे । अनेक तरह के खेल खेला करते थे । यहाँ के व्यंजन भी सांप्रदायिक और प्रसिद्ध है | चावल प्रधान भौजन है। अमरावती, अन्नवरम् तिरूपति, कनकदुर्गम्मा नन्दिर, पंचारामम यहाँ के प्रसिद्ध मन्दिर है ।

आंध्रसंस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ । संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्य व नाटक तेलुगु मे अनुदित हुआ है। आंध्र में अष्टावधान नामक एक विशिष्ट साहित्य प्रक्रिया विकसित हुआ । आन्ध्र की राजभाषा तेलुगु है । नन्नया, तिक्कना, एराप्रगडा ने महाकाव्य महाभारत का तेलुगु मे अनुवाद किया । प्राचीनकाल के रचनाकारों में पालकुरिक सोमनाथ, श्रीनाथ, पोतना और आधुनिक साहित्यकारों मे गुरजाडा, कंदुकूरी, कृष्णाशास्त्री, श्री श्री गुर्रम जाषुआ, चिन्नयसूरी जैसे और भी अनेक है ।

इस प्रकार आन्ध्र संस्कृति विभिन्न जाति, धर्म, जाति, व वर्ण के लोगों से मिश्रित है। फिर भी राज्य मे सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक एकरूपता का आभास स्पष्ट झलकता है ।

4. किसी एक कहानी का सारांश लिखिए ।

(1) चीफ की दावत
उत्तर:
मिस्टर शामनाथ अपने घर में ‘चीफ’ को दावत पर बुलाते है । अपनी धर्म पत्नी के साथ मिलकर सारी तैयारियाँ करने लगता है । चीफ अमेरिकन है । उसको खुश करने से शामनाथ को नौकरी में तरक्की होगी । इसलिए दावत की शाम घर की सभी चीजों को चीफ के अनुरूफ बनाने की चेष्टा की जाती है । ड्रिंक का इंतजाम बैठक में कर दिया गया । घर का फालतू सामान अलमारियों के पीछे और पलंगों के नीचे छिपाया जाने लगा । तब उसको अपनी बूढ़ी माँ की याद आती है । अब प्रश्न उठता है कि उसको कहाँ छिपाना है । उस बुढ़िया लोगों के सामने आना- जाना, नींद में उठे खर्राटे की आवाज ये सब किसी के सामने प्रस्तुत होना शामनाथ के लिए पसंद नही है । इसलिए माँ को अनेक चेतन चेतावनियाँ देते है कि ठीक से कुर्सी पर बैठकर रहना है, पार्टी खतम होने तक नही सोना है । माँ सब के लिए राजी होकर उसके कहे अनुसार अच्छी साडी पहनकर अपने घर में बैठ जाती है ।

चीफ अपनी पत्नी के साथ दावत पर आते है । सभी अतिथि लोग आते है । दावत शुरु हो जाती है । ड्रिंक होने के बाद बरामदे में आते तो वहाँ उसकी माँ कुर्सी पर पैर रखकर सो रही है । यह दृश्या देखकर शामनाथ कृद्ध हो उठे । पर चीफ और उसकी पत्नी उस पर बडी सहानुभूति देखने है | चीफ माँ को वहाँ से जाने नही देते तथा पंजाबी लोक गीत सुनाने का आग्रह करते है | माँ शामनाथ की सोच के विरुद्ध अच्छी तरह गाकर चीफ एवं मेहमानों को प्रश्न करती है । माँ के हाथों में बनी ‘फुलकारी’ चीफ को बहुत पसंद आता है । उसके हाथों से बनी फुलकारी के लिए वापस आने का वादा करता है । इस प्रकार उसकी बूढ़ी माँ अचानक ही मूल्यवान सिद्ध हो उठती है । जो बेकार थी वही तरक्की का जरिया बन जाती है । उससे फुलकारी बनाने की ताकत नही होने पर भी अपने बेटे की तरक्की के लिए खुद बनाना चाहती है ।

इस प्रकार आजकल माँ-बेटे के संबंध में प्रेम आदर भावनाएँ लुप्त हो रही है। शामनाथ अपनी नौकरी के ‘ए माँ को आतंक मानता है । लेकिन उसी के द्वारा उसकी इच्छा पूर्ण हो जाती है । माँ के `.]श्चाय सभ्यता का प्रभाव, माँ की ममता का सजीव चित्रण उसमें किया गया है ।

(2) परमात्मा का कुत्ता
उत्तर:
‘परमात्मा का कुत्ता’ मोहन राकेश की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। इसमें आप सरकारी दफ़्तरों में व्याप्त लालफीता शाही, भ्रष्टाचार तथा उदासीनता का सजीव चित्रण करते हैं । कहानी के आरंभ में एक सरकारी दफ्तर के परिसर का चित्रण किया गया । वहाँ कई लोग अपनी फाइलों का काम पूरा होने की आशा रखकर इंतजार कर रहे होते हैं । उनमें बाल-बच्चे, बूढ़े, निस्सहाय बहुत होते हैं, किन्तु वहाँ के कर्मचारियों पर इनकी स्थितिगतियों का कोई प्रभाव नहीं रहता । एक बूढ़ी अपने मरे हुए बच्चे को मिली ज़मीन के बारे में पूछती है किन्तु उसका जवाब देनेवाला कोई नहीं है । सभी कर्मचारी अपने में मस्त और इन लोगों के प्रति उदासीन रहते हैं । कुछ सरकारी बाबू कविता- ग़जलें आदि सुनने-सुनाने में मग्न हैं तो कुछ कर्मचारी मजे में बातें करते रहते हैं । कई लोग चाय पीते रहते हैं । फाइलों का काम उन्हीं का जल्दी होता है जो इन लोगों को कुछ पैसे घूस के रूप में देते हों। इन सबके ऊपर अधिकारी जो कमीशनर साहब हैं वे भी कुछ दस्तख़त करके मैगजीन वगैरा पढ़ने में व्यस्त रहते ।

ऐसे में एक अधेड़ आदमी अपनी भाभी और बच्चों के साथ दफ़्तर के परिसर में प्रवेश करता है । आते ही वह अपनी पगड़ी जमीन पर बिछाकर परिवार सहित बैठ जाता है और ऊँची आवाज से कहने लगता है कि सरकार इतने सालों से उसकी अर्जी पर फैसला नहीं ले सकी । वह पाकिस्तान से आया हुआ भारतीय है और उसके कुछ रिश्तेदार अभी पाकिस्तान में ही हैं । उसके पुनरावास की समस्या हल नहीं हुई । सात वर्ष घूमने के बाद ज़मीन के रूप में नालायक गड्ढा मिला । उसने अर्जी रखी कि उस गड्ढे के बदले थोड़ी कम ज़मीन ही क्यों न हो, अच्छी दिलवायें । उसके अर्जी रखे दो साल बीत गये किन्तु सरकार का फैसला अब तक नहीं हुआ। वह सरकार की कार्रवाई से ऊब जाता है और आज सीधे कार्यालय में घुस पड़ता है कि काम करके ही वापस जाऊँगा । वह कहता है कि कर्मचारियों ने उसका नाम भी बदल डाला अब वह ‘बारह सौ छब्बीस बटा सात’ है क्योंकि वही उसकी फाइल का नंबर है । धीरे-धीरे सबका ध्यान उस पर जाने लगता है और चरपासी उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है । इतने में वह अचानक सरकारी कर्मचारियों को ‘कुत्ता ….. साला’ कहते हुए गाली देने लगता है ।

वह इसका विवरण भी प्रस्तुत करता है कि सरकारी कर्मचारी सब के सब कुत्ते हैं जो आम लोगों की हड्डियाँ चूसते हैं और सरकार की तरफ से भौंकते हैं । पर वह तो परमात्मा का कुत्ता है जो परमात्मा की तरफ से भौंकता है । परमात्मा का कर्तव्य है इन्साफ़ (न्याय) की रक्षा करना ।

अतः वह आज भौंककर इन सरकारी कुत्तों के कान फाड़ देगा । यह शोर-शराबा सुनकर कुछ सरकारी बाबू बाहर आते हैं और उसे शांत करने की कोशिश करते हैं। एक बाबू कहता है कि उसका काम ‘तकरीबन ‘ (लगभग) हो गया । पर अधेड़ व्यक्ति मानता नहीं और कहता है कि यदि आज उसका काम पूरा नहीं हुआ तो वह नंगा होकर कमीशनर साहब के पास जाएगा । धमकी के तौर पर वह अपनी कमीज़ भी उतार देता है जिससे वहाँ के सब कर्मचारी डर जाते हैं। कमीशनर साहब बाहर आते हैं और उसे लेकर कार्यालय के अपने कमरे में जाते हैं। आधे घण्टे में अधेड़ व्यक्ति का काम हो जाता है । अधेड़ आदमी विजयगर्व से बेताज बादशाह की तरह अकड़कर (రొమ్ము విరుచుకుని) बाहर आता है । वह बाहर इंतजार करते लोगों से कहता है कि ‘इस तरह चूहों की तरह रहने से काम नहीं बनेगा, जागो-भौंको और इनके कान फाड़ दो’ | अधेड़ आदमी के व्यवहार से स्पष्ट होता है कि भद्र व्यवहार से सरकार ही नींद नहीं खुलेगी, बेहयाई (నిస్సిగ్గుగా వ్యవహరించుట ) से ही सरकारी दफ़्तरों में काम होता है ।

इस कहानी में समाज की वास्तविक परिस्थितियों का चित्रण किया गया । कहानी की पृष्ठभूमि सरकारी कार्यालय है । ‘कुत्ता एवं भौंकना’ मात्र प्रतीक हैं। इन दोनों शब्दों के लिए ‘जागरूक’ तथा ‘सचेत कार्यवाही’ के अर्थ लेने चाहिए । मोहन राकेश इस कहानी के द्वारा बताते हैं कि जनता जब सचेत बनेगी तभी भ्रष्टाचारों का नाश होगा ।

दुःख की बात यह है कि आज भी सरकारी कार्यालयों की कार्यवाही में इस कहानी से भिन्न आचरण दिखाई नहीं पड़ता ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

(1) मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक |
मातृ भूमि पर शीश चढाने,
जिस पथ जावें वीर अनेक ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है ।
सन्दर्भ :- कवि फूल की चाह के द्वारा अपनी देशभक्ति भावना को व्यक्त कर रहे हैं ।
व्याख्या : – कवि फूलों के द्वारा अपना विचार व्यक्त कर रहे है कि हे वनवाली ! मुझे अवश्य तोड़ लो । पर तोड़कर उस रास्ते मे मुझे फेंक दो जिस रास्ते पर मातृभूमि के लिए बलिदान करने के लिए वीर जाते है। ताकि उनके चरणों के नीचे पड़कर मैं पवित्र हो जाऊँगी और उनके पैरों को मै राहत दूँगी ।

विशेषताएँ :-

  1. देश के लिए बलिदान करने वाले वीरो के प्रति कवि का गौरव स्पष्ट हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(2) कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास ।
कई दिनों तक कानी कुतिया, साई उनेक पास ||
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त ।
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकरत ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य को नागार्जुन द्वारा लिखे गयी अकाल और उसके बाद कविता से लिया गया है । वे प्रगतिवादी कवि थे और आधुनिक कबीर से प्रसिद्ध थे ।
सन्दर्भ :- इस्में कवि अकाल के समय देश की स्थिति और लोगों की दयनीय स्थिति की ओर सकेत कर रहे है ।
व्याख्या :- अकाल के समय अनाज न मिलने के कारण घर में चूलहा नही जल रहे हँ । आटा न पिसने के कारण चक्की भी बन्द भी । चूलहे न जलने से उसे घर का कुत्ता सो रहा है । घर के लोगों की उदासी से दीवार के छिपकलियां मस्तसे गस्ती दे रहे है और अनाज न मिलने से घर के चूहों की स्थिति भी दयनीय हो गयी ।

विशेषताएँ :-

  1. कवि की प्रगतिवादी धारणा का चित्रण हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(3) सुख – दुःख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन,
फिर घन में ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य सुमित्रानंदन पंत के द्वारा लिखी गयी ‘सुख-दुख’ नामक कविता से लिया गया है । वे प्रकृति का सुकुमार कवि कहे जाते है ।
सन्दर्भ :- इसमें कवि सुख-दुख को समान रूप में स्वीकार करने की बात कह रहे हैं ।
व्याख्या :- कवि का कहना है कि सुख और दुख को समान रूप से स्वीकारने से ही जीवन परिपूर्ण होता हैं । जिसप्रकार आकाश मे कभी बादलों के पीछे चाँद और चाँदनी में बादल ओझल हो जाते हैं उसी प्रकार सुख और दुख दोनों का आना जाना भी स्वाभाविक है

विशेषताएँ :-

  1. जीवन के लिए सुख और दुख होने का आवश्यकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली हैं ।

(4) वह आता
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता,
पेट – पीठ दोनों मिलकर है एक
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी – भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता
टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता ।
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया है वे छायावादी कवि है |
सन्दर्भ :- इसके एक भिक्षुक की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है ।
व्याख्या :- कवि एक भिक्षुक के जीवन का वर्णन कर रहा है कि एक भिक्षुक अपनी दयनीय स्थिति पर टूटे हृदय से उस पथ पर आ रहा है । भूख के कारण उसका पेट और पीट दोनों मिले हुए है । अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए लकडी टेकता हुआ आ रहा है । वह लकडी के सहारे खडे होकर अपने फटे हुए झोले का मुँह फैलाता है । अपनी दयनीय स्थिति से वह टूटे हृदय से मन ही मन रो रहा हैं ।

निशेषताएँ :-

  1. शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है ।
  2. इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
  3. उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

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6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशे की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

(1) ब्रह्मा ने एकाकी न होकर अपने आपको दो मे विभक्त कर लिया जिसके दक्षिण अंश को पुरुष तथा वाम को नारी की संज्ञा दी गई ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण महादेवी वर्मा के द्वारा लिखी गयी ” भारतीय संस्कृति और नारी” नामक निबन्ध से लिया गया वे छायावाद से सम्बन्धित प्रमुख साहित्यकार है |
सन्दर्भ :- सृष्टि में स्त्री और पुरुष की समानता के बारे में विवरण दिया गया है । व्याख्या :- सृष्टि मे पुरुष तथा नारी की उत्पत्ति का एक ही केन्द्र है । वृहदारण्यक उपनिषद मे कहा गया है कि ब्रह्मा ने अपने आप को दो भागों में विभक्त कर लिया । अपने शरीर को दक्षिण अंश को पुरुष तथा वाम अंश को नारी की संज्ञा दी गयी । इसलिए दोनों की स्थिति समान कर दी । इसीकारण शिव को अर्द्ध नारीश्वर रूप कहा गया है ।

विशेषताएँ :-

  1. संस्कृति के विभिन्न रूपों पर ध्यान दिया गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडी बोली है ।

(2) पर – स्त्री तो हरेक के लिए माता के समान है । जो अधिकार प्राप्त जन हैं, जो सरदार हैं या जो राजा उन्हें …….. उन्हें तो इस सम्बन्ध में विवेक, सबसे अधिक विवेक रखना आवश्यक है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण शिवाजी का सच्चा स्वरूप नामक एकांकी से लिया गया है । इसके लेखक सेठ गोविन्ददास जी है । आप गाँधी जी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम मे भी भाग लेकर जेल भी गये ।
सन्दर्भ :- पर स्त्रियों को माता के समान देखने की हमारे भारतीय संस्कृति पर जोर दिया गया है ।
व्याख्या :- परायी मुसलमानी सुंदरी को बंदी बनाकर लाये सेनापति आवाजी सोनदेव से शिवाजी गुस्से में कहता है कि परायी स्त्री हर पुरुष के लिए मातृ समान हे । सामान्य जनता इसका अनुकरण करते हैं । लेकिन इस विषय में शासकों के लिए विवेक की जरूरत है । परायी स्त्रियों के संबंध राजा हो या अधिकारी, सतर्क एव आदर्श रहना चाहिए ।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व की महानता स्पष्ट की गई है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

(3) यदि माता – पिता विरोध करते हैं, तो समझना चाहिए कि वह भी प्रहलाद के माता – पिता के नवीन संस्करण है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण राहुल सांस्कृत्यायन के द्वारा लिखी गयी अथात घुमक्कड जिज्ञासा नामक यात्रा वृत्तांत है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और उनका यात्रा साहित्य अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है ।
सन्दर्भ :- लेखक इसमें घुमक्कडी प्रवृत्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है और उसकी महानता को इसमें स्पष्ट करते हैं ।
व्याख्या :- जाति का भविष्य घुमक्कडी पर निर्भर करता है । यदि कोई घुमक्कड होने से विरोध करते है उनकी बातों से दूर रहना ही आवश्यक है । जिस प्रकार हरिभजन करने में रोकने वाले माता-पिता का विरोध प्रह्लाद ने किया है उसी प्रकार यदि माता – पिता घुमक्कड होने से रोकते है तो उनका विरोध करने मे ही भी हमें पीछे नहीं हटना चाहिए ।

विशेषताएँ :-

  1. घुमक्कड धर्म को अपनाने का सन्देश लेखक देते हैं ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(4) आजकल पर्यावरण प्रदूषण के कारण यह संतुलन बिगड रहा है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है ।
सन्दर्भ :- पर्यावरण संतुलन के बिगडने से पर्यावरण प्रदूषण कैसे हो रहा है इसका परिचय इसमें दे रहा है ।
व्याख्या :- जैविक पदार्थ जैसे पेड, पशु-पक्षी, मनुष्य और अजैविक पदार्थ जैसे पहाड, पत्थर, पानी, वायु के बीच संतुलन को पर्यावरण संतुलन कहते है। लेकिन आज पर्यावरण प्रदूषण के कारण यह संतुलन बिगड जा रहा है । इससे अनेक दुष्परिणाम प्रकृति में हो रहे हैं । समस्त जगत के लिए यह हानिकारक हो रहा है ।

विशेषताएँ :-

  1. इसमें पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे कहा गया है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

7. एक शब्द में उत्तर दीजिए | (Poetry)

(1) कबीर की भाषा क्या थी ?
उत्तर:
सधुक्कडी

(2) फूल की चाह कविता के कवि कौन है ?
उत्तर:
श्रीमाखनलाल चतुर्वेदी

(3) सुख-दुख कविता में कवि किसको समान रूप से स्वीकारने का सन्देश दे रहे है ?
उत्तर:
सुख और दुख

(4) भिखारी अपने कौन से हाथ से भूख पेट को मल रहे है ?
उत्तर:
बाएँ हाथ

(5) रहीम के अनुसार मनुष्य की अंगो में कौन पागल है ?
उत्तर:
जिह्वा

8. एक शब्द में उत्तर लिखिए | (गद्यभाग)

(1) कौन सी संस्कृति एक अविच्छिन्न नदि प्रवाह की तरह आगे चलती रहती है ?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति

(2) शिवाजी किस प्रान्त के शाखक थे ?
उत्तर:
मराठा

(3) मंगोल घुमक्कडों के द्वारा कौन सी युग का आरम्भ हुआ ?
उत्तर:
वैज्ञानिक युग का

(4) प्रदूषण निवारण केलिए एक उपाय बताइए ?
उत्तर:
जंगलों को न काटना

(5) आन्ध्रप्रदेश कितने भागों में विभक्त है ? क्या – क्या है ?
उत्तर:
दो भागों में विभक्त है ।

  1. कोस्ता तटीथान्ध्र
  2. रायलसीमा

‘खण्ड – ‘ख’

9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए:

आवश्यक पुस्तकों की सूची देते हुए पुस्तक विक्रेता के लिए पत्र लिखिए |
उत्तर:

कर्नूलु |
दिनांक : 15.8.2018.

सेवा में.
व्यवस्थापक,
मिलिन्द प्रकाशन,
हनुमान व्यायामशाला मार्ग,
सुल्तान बाजार – कोठी,
हैदराबाद |

आदरणीय महोदय,

कृपया निम्नलिखित सूची के अनुसार हिन्दी पुस्तकें मेरे पते पर वी. पी.पी. द्वारा भेजने का कष्ट करें | अग्रिम राशि के रूप में 350/- का डी.डी. इस पत्र के साथ संलग्न है ।

  1. साहित्य परिमल – 10 प्रतियाँ
  2. हिन्दी व्याकरण ले. श्यामचन्द्र कपूर – 1 प्रति
  3. कथाकुंज – 10 प्रतियाँ
  4. महाभोज – ले. मन्नू भण्डारी – 5 प्रतियाँ
  5. मनोरंजक कहानियाँ – ले. सुदीप – 1 प्रति

धन्यवाद ।

मेरा पता :
एस. मुहम्मद बेग,
मकान नं. 52 – 183/9
अयोध्यानगर,
कर्नूलु ।

अथवा

सफाई के संबंध में नगर पालिका के अधिकारी को पत्र लिखिए । नगरपालिका के स्वास्थ्य अधिकारी के नाम एक शिकायती पत्र लिखिए ।
उत्तर:

कर्नूलु ।
दिनांक : 19.11.2018.

सेवा में,
स्वास्थ्था अधिकारी,
नगरपालिका,
कर्नूलु ।

आदरणीय महोदय,

विषय : नंदन कालनी की सफाई के संबंध में |

मैं कर्नूलु नगरपालिका के नंदन कालनी का निवासी हूँ । आपसे विनम्र निवेदन है कि गत तीन हफ्तों से हमारे मुहल्ले में सफाई कर्मचारी नहीं आ रहे हैं । अतः सिथति बहुत खराब हो गयी हैं और कचरे के ढ़ेर यहाँ – वहाँ जमा होते जा रहे हैं । दो दिन पहले हुई लगातार बारिश के कारण मच्छर बहुत फैल चुके हैं। सफाई निरीक्षकों से कई बार अनुरोध करने पर भी कोई प्रयोजन नहीं है | अतः आपसे अनुरोध है कि यथाशीघ्र उक्त विषय में कार्यवाही करें तथा हमारे मुहल्ले की सफाई करवायें । अन्यथा यहाँ कई बीमारियाँ फैलने की आशंका है ।

धन्यवाद ।

आपका विनीत,
सुजन रंजन आचार्य |

प्रेषक का पता :

सुजन रंजन आचार्य,
हैपी होम अपार्टमेण्ट्स,
आधार तल – 09,
आन्ध्रा बैंक के सामने
नदन कालनी, कर्नूलु |

AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 7 with Solutions

10. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

(1) अंधकार × प्रकाश
(2) आदान × प्रदान
(3) आद्र × शुष्क
(4) आकाश × पाताल
(5) आरोह × अवरोह
(6) होनी × अनहोनी
(7) इति × अंत
(8) ऊँचा × नीचा
(9) कंचन × माटी
(10) समष्टि × व्यष्टि

11. किन्हीं पाँच शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।

(1) असुर – राक्षस, दानव, दैत्य, निशाचर ।
(2) अंधेरा – अंधकार, तम, तिमिर, तमिस्न ।
(3) इच्छा – चाह, अभिलाषा, आकांक्षा, कामना ।
(4) उन्नति – प्रगति, विकास, उत्थान, उत्कर्ष ।
(5) किरण – कर, मरीचि, रश्मि, अंशु |
(6) घर – गृह, भवन, निकेतन, आलय ।
(7) तलवार – खड्ग, करवाला, असि, कृपाण ।
(8) पवन – हवा, वायु, अनिल, समीर ।
(9) सरस्वती – गिरा, वाणी, शारदा, भारती ।
(10) मछली – मीन, मकर, मत्स्य ।

12. किन्हीं पाँच शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए ।

(1) अहार – आहार
(2) परलौकिक – पारलौकिक
(3) बुद्धी – बुद्धि
(4) मुनी – मुनि
(5) नारीयाँ – नारियाँ
(6) कीर्ती – कीर्ति
(7) गती – गति
(8) दृष्टी – दृष्टि
(9) बिमार – बीमार
(10) नोकर – नौकर

13. किन्हीं पाँच शब्दों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए ।

(1) Post office – डाकघर
(2) Account – रवाता
(3) Revenue – राजस्व
(4) Commission – आयोग
(5) Resume – जीवन – वृत्त
(6) Editor – संपादक
(7) Justice – न्यायमूर्ति
(8) Lecturer – प्रवक्ता / प्रध्यापक
(9) Rule – नियम
(10) Verbal order – मौखिक आदेश

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।

(1) उमा ____ बाप कहाँ रहते हैं ।
उत्तर:
उमा के बाप कहाँ रहते हैं ।

(2) घड़ी दीवार _____ है ।
उत्तर:
घड़ी दीवार पर है ।

(3) हम आखों ______ देखते हैं ।
उत्तर:
हम आखों से देखते हैं ।

(4) माँ बेटी ____ बुलाती है ।
उत्तर:
माँ बेटी को बुलाती है ।

(5) उत्तर भारत ______ स्त्रियाँ परदे में रहती हैं ।
उत्तर:
उत्तर भारत की स्त्रियाँ परदे में रहती हैं ।

15. सूचना के अनुसार वाक्य में परिवर्तन करना ।

(1) देवरजी ! आइए । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए |)
उत्तर:
देवरानी जी ! आइए ।

(2) गाय बहुत सुंदर है । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए |)
उत्तर:
गायें बहुत सुंदर हैं ।

(3) यह नामुमकिन काम है । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ?)
उत्तर:
‘ना’

(4) मै भूखा हूँ । (रेखांकित शब्द में प्रत्यय क्या है ?)
उत्तर:
‘आ’

(5) वे काम करते हैं । (अपूर्ण वर्तमानकाल में लिखिए ।)
उत्तर:
वे काम कर रहे हैं ।

AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 7 with Solutions

16. सूचना के अनुसार भाषा विभाग को पहचानिए :

(1) श्याम घर में है । (इस वाक्य में संज्ञा क्या है ?)
उत्तर:
श्याम

(2) वे आज मुंबई जा रहे हैं । (इस वाक्य में सर्वनाम क्या है ?)
उत्तर:
वे

(3) रमा आलसी लड़की है। (इस वाक्य में विशेषण क्या है ?)
उत्तर:
आलसी

(4) साहिल खाकर पढ़ने लगा । (इस लाक्य में क्रिया क्या है ?)
उत्तर:
पढ़ना

(5) संचित दिन भर सोता है । (इस वाक्य में क्रिया विशेषण क्या है ?)
उत्तर:
दिन भर

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