AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 4 with Solutions

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AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 4 with Solutions

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खण्ड – ‘क’
(60 अंक)

1. निम्नलिखित किसी एक पद्यांश का भावार्थ लिखिए ।

1. गुरु गोविन्द दोऊ खडे, काके लागौ पॉय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय ॥
प्रसंग : यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।
सन्दर्भ : इसमें कवि गुरु की महानता के बारे में कह रहे हैं ।
व्याख्या : कबीर का कहना है कि गुरु और ईश्वर दोनों मेरे सामने खडे हो जाए तो मै गुरु के चरणों को ही पहले प्रणाम करूँगा । क्यों कि भगवान के बारे में हमें बताने वाला व्यक्ति गुरु ही है । अर्थात् गुरु के द्वारा प्राप्त ज्ञान से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है ।

विशेषताएँ :

  1. कवि की ज्ञान संबंधी धारणा स्पष्ट होती है ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी है ।

(अथवा)

रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गई सरग पताल ।
आ तो कहि भीतर गयी, जूती खात कपाल ||
प्रसंग : यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है। वे भक्तिकाल से सम्बन्धित कृष्ण भक्त कवि थे ।
संदर्भ : इसमें रहीम सब के साथ अच्छी तरह बातें करने की चेतावनी दे रहे हैं ।
व्याख्या : रहीम का कहना है कि मनुष्य की जिह्वा एक पागल जैसी है। कुछ न कुछ फिसलकर बुरी बात कह देती हैं | लेकिन वह भला बुरा कहकर हमारे मुंह के अन्दर चली जाती हैं। लेकिन उन बुरी बातों का फल खोपडी (सिर) को लेना पडता हैं ।

विशेषताएँ :

  1. कवि इसमें व्यक्ति को सबसे अच्छी तरह व्यवहार करने का सन्देश दे रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा व्रज भाषा हैं ।

2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए ।

1) सुख – दुःख
उत्तर:
सारांश : कवि का कहना है कि हमेशा सुख और दुख भी जीवन के लिए अच्छा नही । सुख और दुख दोनों के साथ खेल मिचौनी करना चाहिए। अर्थात् जीवन में सुख और दुख एक दूसरे के साथ आना ही चाहिए । सुख और दुख होने के साथ ही जीवन परिपूर्ण होता है । जिस प्रकार आकाश में घने बादलों के बीच चन्द्रमा और चाँदनी से बादल घेरे जाते हैं उसी प्रकार सुख और दुख एक दूसरे के बाद आते जाते है ।

सारा जगत कभी कभी अति दुख से और अति सुख से पीडित होता रहता है । लेकिन मानव जीवन में सुख और दुख दोनों को समान रूप में स्वीकारना चाहिए। हमेशा सुख और हमेशा दुख दोनो भी जीवन के लिए दुखदायक है । जिस प्रकार जीवन में दिन और रात का आना जाना स्वाभाविक है । उसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना भी स्वाभाविक है ।

जिस प्रकार सायंकाल सूर्योदय का आगमन विरह के बाद मिलन जीवन के लिए आनन्ददायक होता है | आनन्द और दुख हमेशा जीवन मे आता जाता रहता है । यही मानव जीवन है ।

इस प्रकार कवि इसमें जीवन मे स्वाभाविक और प्राकृतिक नियमों के बारे मे चित्रण करते हुए जीवन के लिए सुख और दुख जितना स्वाभाविक होते है उनके बारे मे व्यक्त कर रहे है । सुख और दुख दोनो को समान रूप मे स्वीकारने का सन्देश दे रहे हैं। उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

2) भिक्षुक
उत्तर:
एक भिखारी की दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए निराला जी कह रहे हैं कि एक भिखारी टूटे हुए हृदय से अपनी दयनीय स्थिति पर पछताता हुआ उस पथ पर आ रहा है । उसका पेट और पीठ दोनों मिले हुए दिखाई पड़ रहे हैं । अर्थात भूख के कारण उसका पेट पीछे चला जाकर पीठ से मिल गया जैसा दिखाई पड रहा है । उसने चलने के लिए भी शक्ति नही है । इसलिए हाथ में डंडा लेकर धीरे-धीरे अपनी भूख मिटाने एक मुट्टी भर अन्न के लिए फटे हुआ होल को मुँह फैलाता है । उसके साथ दो बच्चे भी हाथ फैलाकर चल रहे हैं। वे अपने बाँए हाथ से भूखे पेट को मल रहे है और दाहिनी हाथ से दया की भीख माँग रहे हैं। भूख के कारण उनके ओठ सूखे जा रहे हैं । दाताओं से भीख माँगकर अपने भाग्य परखने के लिए उनके पास शक्ति भी नही है | यदि कही सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए मिले तो उनसे पहले ही उन जूठे पत्तलों को झपटने के लिए कुत्ते वहाँ खडे थे । इतनी दयनीय स्थिति उस भिखारी परिवार की थी ।

इस प्रकार कवि की प्रयोगवादी दृष्टिकोण इसमें दिखायी पड रहा है। भिखारी की दयनीय स्थिति के द्वारा शोषित वर्ग की ओर कवि संकेत दे रहे है । शोषक और शोषित वर्ग भिन्नता का स्पष्ट चित्रण वे दे रहे है । उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

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3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए ।

1) भारतीय संस्कृति और नारी
उत्तर:
भारतीय संस्कृति शब्द का अर्थ अंग्रेजी कलचर शब्द से भिन्न माना है । संस्कृति मानव चेतना का ऐसा विकास-क्रम है, जो उसके अंतरंग तथा बहिरंग को परिष्कृत करके विशेष जीवन-पद्धति का सृजन करती है । संस्कृति मानव चेतना की प्राकृतिक ऊर्ध्वगति का प्रकाशन है। पर संस्कृति सभ्यता से भिन्न है । सभ्यता का मानव के बाह्य आचरण से सम्बंध रखती है तो संस्कृति अन्तर्जगत से । मनुष्य में आत्मरक्षा की प्रवृत्ति दिखाई पडती है जिसके अस्तित्व से परिवार, परिवार से ग्राम, देश तथा देश से विश्वरक्षा तक फैलकर एक नवीन जीवन मूल्य का निर्माण कर लेता है ।

वस्तुतः संस्कृति एकाकी व्यक्ति की न होकर समष्टि की होती है। भारतीय संस्कृति मे पृथ्वी सभी मानव समूहों की जन्मदात्री है। भारतीय संस्कृति का सौन्दर्यबोध नारी रूप से अविच्छिन सम्बन्ध से जुडा हुआ है । प्राचीन संस्कृति मे नारी के देवी रूप की प्रतिष्ठा मिलेगी । आर्य संस्कृति से पूर्व हमे जो सिन्धु घाटी और मोहनजदड़ो में तत्कालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुआ हैं उनमे मातृदेवी की मूर्ति भी है । इस मातृ मूर्ति के अनेक दिय रूप वर्णित हुआ है जैसे भारतमाता के रूप में, राष्ट्रीयता के रूप में, प्रकृति के रूप में, माया के रूप में, शक्ति के रूप में का आदि भारतीय संस्कृति में स्त्री और पुरूष दोनों को समान रूप में महत्व दिया गया है |

भारतीय संस्कृति का आदि स्त्रोत वेदकालीन जीवन पद्धति है जो आज भी हमारे जीवन को कार प्रभावित करती है। भारतीय संस्कृति भी एक अविच्छिन्न नदि प्रवाह की तरह आगे चलती रहती है । उसका उद्गम जीवन मूल्यों की दृष्टि में उन्नत भी है और भावबोध की दृष्टि से गहरा भी है । वेदकालीन संस्कृति में नारी के दो रूप मिनते है दिव्य देवी रूप तथा सामाजिक रूप । दिव्य देवी रूप के अन्तर्गत तीन प्रकार आते है। प्रकृति के व्यापक दिव्य रूप जैसे उषा, सूर्य, रात्रि, दूसरे में पृथ्वी, सिन्धु, सरस्वती नदि के रूप और तीसरे प्रकार में अमूर्त भावनों भावनाओं की प्रतीक देवियो – दिति, अदिति, श्रद्धा आदि के रूप आते है । इन प्रतीकों की व्यापकता से आज भी भारतीय संस्कृति स्थित है ।

नारी के सामाजिक रूप में स्त्री के साथ पुरुष की भी मान्यता दी गयी, वृद्धारण्यक अनिषद के अनुसार दोनो की स्थिति समान है। वैदिक समाज रचना मे पत्नी सहधर्मचारिणी है जिसके बिना कोई धर्मकांड सम्पन्न नही हो सकता । आपस्तम्ब धर्मसूत्रों के अनुसार पत्नी पारिवारिक सम्पत्ति मे सह अधिकारिणी भी है और पति को अनुपस्थिति में उस सम्पत्ति मे से दान का अधिकार भी रखती है ।

2) अथातो घुमक्कड जिज्ञासा :
उत्तर:
शास्त्रों मे व्यक्ति और समाज के लिए जिज्ञासा को हितकारी माना गया है । लेकिन लेखक के अनुसार घुमक्कडी से अधिक सर्वश्रेष्ठ वस्तु समाज के लिए और कोई नही है । प्राकृतिक आदिम मनुष्य परम घुमक्कड था जिस ने आज की दुनिया को बनाया है । आदिम घुमक्कडों में से आयों, शको और हूणों ने अपने शूनी पथों द्वारा मानवता के पथ को प्रशस्त किया। मंगोल घुमक्कडों के द्वारा वैज्ञानिक युग का आरम्भ हुआ ।

कोलम्बस और वास्को-डि-गामा अपनी घुमक्कडी प्रकृति से अमेरिका पर झंडी गाडकर पश्चिमी देशो को आगे बडाया । सदियों पहले चीन और भारत घुमक्कड धर्म से विमुख रहने से ही आस्ट्रेलिया की अपार संपत्ति और अपार भूमि से वंचित रहे ।

दुनिया के अधिकांश धर्मनायक घुमक्कड थे । धर्माचार्यों में आचार-विचार, बुद्धि और तर्क तथा सहृदयता से सर्वश्रेष्ट बुद्ध घुमक्कड राजा थे । बुद्ध ने सिर्फ पुरुषों के लिए घुमक्कडी करने का आदेश नहीं दिया, बल्कि स्त्रियों के लिए भी यही उपदेश उन्होंने दिया ।

जैन धर्म भी प्राचीन धर्म है जिसके श्रमण महावीर भी प्रथम श्रेणी के घुमक्कड थे । वे आजीवन घूमते ही रहे । शंकराचार्य जो साक्षात् ब्रह्मस्वरूप थे, जिन्हे बड़ा बनानेवाला धर्म यही घुमक्कडी धर्म था । अपने थोडे से जीवन मे उन्होंने तीन भाष्य भी लिखे और अपने आचरण से अनुनायियों को घुमक्कडी पाठ भी पढाया । रामानुज, माध्वाचार्य जैसे धार्मिक अनुयायी अपनी धार्मिक पाखण्डता से दूसरी श्रेणी के घुमक्कड बन गए । इसलिए शैव हो या वैष्णव, वेदान्ती हो या सदान्ती, सभी को केवल घुमक्कडी धर्म ने ही आगे बढाया ।

गुरूनानक, स्वामी दयानन्द, अपनी घुमक्कडी धर्म से ही महान बन गए । बीसवी शताब्दी में भारत देश में अनेक धार्मिक सम्प्रदायों का आना-जाना हो गया । जैसे यहूदी, मारवाडी जैसे लोग अपनी हस घुमक्कडी धर्म से केवल व्यापार कुशल, उद्योग-निष्णात ही नही बल्कि विज्ञान, दर्शन, साहित्य, संगीत सभी क्षेत्रों को आगे बढाया।

इस प्रकार घुमक्कड होना आदमी के लिए परम सौभाग्य की बात है । घुमक्कडी के लिए चिन्ताहीन होना और चिन्ताहीन के लिए घुमक्कडी होना आवश्यक है । जाति का भविष्य घुमक्कडी पर निर्भर करता है । घुमक्कडी की गति को रोकनेवाला इस दुनिया में कोई नहीं है । सभी को घुमक्कड की दीक्षा लेनी चाहिए ।

इस प्रकार निबन्धकार इसमें कहते है कि दुनिया मे मनुष्य जन्म एक ही बार होता है और जवानी भी केवल एक ही बार आती है। इसलिए साहसी स्त्री और पुरुष दोनों को घुमक्कड़ धर्म को स्वीकारना चाहिए । उनकी भाषा शुद्ध खडी बोली है ।

4. किसी एक कहानी का सारांश लिखिए ।

1) परदा
उत्तर:
चौदरी पीरबख्श गरीब मुंशी था । दो रूपये के किराये पर एक मकान में रहता था । बस्ती में केवल चौदरी पीरबख्श ही पढ़ा-लिखा आदमी था । उसको ड्योढ़ीपर परदा रहता था । इसलिए सब लोग उसे चौदरी साहब कहकर सलाम करते थे । नौकरी में केवल बारह रूपये मासिक वेतन मिलते थे । संताने पाँच थी ।

नौकरी से आमदनी कम इसलिए परिवार के लोगों को पेट भर खाना, शरीर को ढ़कने के लिए कपडे नही मिलते थे । परदे के पीछे रहनेवालों के शरीरों पर केवल चिथडे ही रहते थे ।

पैसों की जरूरत अधिक होने के कारण सूदखोर बाबर अली खाँ से ब्याज पर उधार लेता है । चौदरी पीरबख्श किश्तों में चुकाना वादा करता है। लेकिन चुका नही पाता । खान बार-बार पैसे मांगता है, घर आकर गालियाँ देता है ।

किश्तो के बदले ‘परदा’ लेजाने के लिए खान तैयार हो जाता है। लेकिन वह परदा ही घर की इज्जत की रक्षा करने वाला है । पीरबख्श परदे को न ले जाने के लिए प्रार्थना करता है, लेकिन खान गुस्से में आकर परदे को खींच लेता है तो घर की दयनीय स्थिति दिखायी देती है । अपनी इज्जत की रक्षा के लिए घर में इधर उधर भागते है, सब लोग । चौदरी पीरबख्श बेहोश होकर गिर जाता है । होश आने के बाद समझता है कि अब परदा लटकाने जरूरत नही । क्यों कि घर की इज्जत चली गयी ।

इस कहानी से मध्यवर्गीय लोगों के मिथ्याभिमान और उससे जुडी विवशता दयनीय स्थिति की जानकारी हो जाती है ।

2) परमात्मा का कुत्ता
उत्तर:
‘परमात्मा का कुत्ता’ मोहन राकेश की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। इसमें आप सरकारी दफ़्तरों में व्याप्त लालफीता शाही, भ्रष्टाचार तथा उदासीनता का सजीव चित्रण करते हैं ।

कहानी के आरंभ में एक सरकारी दफ्तर के परिसर का चित्रण किया गया । वहाँ कई लोग अपनी फाइलों का काम पूरा होने की आशा रखकर इंतजार कर रहे होते हैं । उनमें बाल-बच्चे, बूढ़े, निस्सहाय बहुत होते हैं, किन्तु वहाँ के कर्मचारियों पर इनकी स्थितिगतियों का कोई प्रभाव नहीं रहता । एक बूढ़ी अपने मरे हुए बच्चे को मिली ज़मीन के बारे में पूछती है किन्तु उसका जवाब देनेवाला कोई नहीं है । सभी कर्मचारी अपने में मस्त और इन लोगों के प्रति उदासीन रहते हैं । कुछ सरकारी बाबू कविता – ग़ज़लें आदि सुनने-सुनाने में मग्न हैं तो कुछ कर्मचारी मजे में बातें करते रहते हैं । कई लोग चाय पीते रहते हैं । फाइलों का काम उन्हीं का जल्दी होता है जो इन लोगों को कुछ पैसे घूस के रूप में देते हों । इन सबके ऊपर अधिकारी जो कमीशनर साहब हैं वे भी कुछ दस्तख़त करके मैगजीन वगैरा पढ़ने में व्यस्त रहते ।

ऐसे में एक अधेड़ आदमी अपनी भाभी और बच्चों के साथ दफ़्तर के परिसर में प्रवेश करता है । आते ही वह अपनी पगड़ी जमीन पर बिछाकर परिवार सहित बैठ जाता है और ऊँची आवाज से कहने लगता है कि सरकार इतने सालों से उसकी अर्जी पर फैसला नहीं ले सकी । वह पाकिस्तान से आया हुआ भारतीय है और उसके कुछ रिश्तेदार अभी पाकिस्तान में ही हैं। उसके पुनरावास की समस्या हल नहीं हुई । सात वर्ष घूमने के बाद ज़मीन के रूप में नालायक गड्ढा मिला । उसने अर्जी रखी कि उस गड्ढे के बदले थोड़ी कम ज़मीन ही क्यों न हो, अच्छी दिलवायें । उसके अर्जी रखे दो साल बीत गये किन्तु सरकार का फैसला अब तक नहीं हुआ । वह सरकार की कार्रवाई से ऊब जाता है और आज सीधे कार्यालय में घुस पड़ता है कि काम करके ही वापस जाऊँगा । वह कहता है कि कर्मचारियों ने उसका नाम भी बदल डाला अब वह ‘बारह सौ छब्बीस बटा सात’ है क्योंकि वही उसकी फाइल का नंबर है। धीरे-धीरे सबका ध्यान उस पर जाने लगता है और चरपासी उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है । इतने में वह अचानक सरकारी कर्मचारियों को ‘कुत्ता साला’ कहते हुए गाली देने लगता है ।

वह इसका विवरण भी प्रस्तुत करता है कि सरकारी कर्मचारी सब के सब कुत्ते हैं जो आम लोगों की हड्डियाँ चूसते हैं और सरकार की तरफ से भौंकते हैं। पर वह तो परमात्मा का कुत्ता है जो परमात्मा की तरफ से भौंकता है । परमात्मा का कर्तव्य है इन्साफ़ (न्याय) की रक्षा करना । अतः वह आज भौंककर इन सरकारी कुत्तों के कान फाड़ देगा। यह शोर-शराबा सुनकर कुछ सरकारी बाबू बाहर आते हैं और उसे शांत करने की कोशिश करते हैं। एक बाबू कहता है कि उसका काम ‘तकरीबन’ (लगभग) हो गया । पर अधेड़ व्यक्ति मानता नहीं और कहता है कि यदि आज उसका काम पूरा नहीं हुआ तो वह नंगा होकर कमीशनर साहब के पास जाएगा। धमकी के तौर पर वह अपनी कमीज़ भी उतार देता है जिससे वहाँ के सब कर्मचारी डर जाते हैं। कमीशनर साहब बाहर आते हैं और उसे लेकर कार्यालय के अपने कमरे में जाते हैं। आधे घण्टे में अधेड़ व्यक्ति का काम हो जाता है । अधेड़ आदमी विजयगर्व से बेताज बादशाह की तरह अकड़कर (రొమ్ము విరుచుకుని) बाहर आता है | वह बाहर इंतजार करते लोगों से कहता है कि ‘इस तरह चूहों की तरह रहने से काम नहीं बनेगा, जागो-भौंको और इनके कान फाड़ दो’ । अधेड़ आदमी के व्यवहार से स्पष्ट होता है कि भद्र व्यवहार से सरकार ही नींद नहीं खुलेगी, बेहयाई (నిస్సుగ్గుగా వ్యవహరించుట) से ही सरकारी दफ़्तरों में काम होता है ।

इस कहानी में समाज की वास्तविक परिस्थितियों का चित्रण किया गया। कहानी की पृष्ठभूमि सरकारी कार्यालय है | ‘कुत्ता एवं भौंकना’ मात्र प्रतीक हैं। इन दोनों शब्दों के लिए ‘जागरूक’ तथा ‘सचेत कार्यवाही’ के अर्थ लेने चाहिए । मोहन राकेश इस कहानी के द्वारा बताते हैं कि जनता जब सचेत बनेगी तभी भ्रष्टाचारों का नाश होगा |

दुःख की बात यह है कि आज भी सरकारी कार्यालयों की कार्यवाही में इस कहानी से भिन्न आचरण दिखाई नहीं पड़ता ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

1. साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट चलते है,
और दाहिना दया- दृष्टि पाने की ओर बढाए ।
भूख से सूख ओठ जब जाते,
दाता – भाग्य विधाता से क्या पाते !
घूँट आँसूओं के पीकर रह जाते ।
चाट रहे है जूठी पत्तल कभी सड़क पर खड़े हुए
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अडे हुए ।
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया है वे छायावादी कवि है |
सन्दर्भ : इसमें एक भिखारी और उसके दो बच्चों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है । व्याख्या : एक भिक्षुक रास्ते पर आ रहा है और उसके साथ दो बच्चे भी है । वे अपने बाए हाथ से अपने भूखे पेट को मल रहे है और दाहिने हाथ से दया की भीख माँग रहे है। भूख के कारण उनके ओठ सूख गए है । अपने भाग्य के लिए वे तडप रहे है । सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए भी उनके पहले ही कुत्ते उन पत्तलों को लपटने के लिए वहाँ खडे हो रहे है ।

विशेषताएँ :

  1. शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है ।
  2. इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
  3. उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

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2. चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी – माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ,
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है |
सन्दर्भ : इस में कवि एक फूल की इच्छा के द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं ।
व्याख्या : एक फूल के माध्यम से कवि अपनी इच्छा व्यक्त कर रहा है कि मुझे देवताओं के गहनों में गूँथ जाने की इच्छा नहीं है । अर्थात देवताओं के गले में माला बनने की इच्छा नही हैं । प्रियतम के हाथो में माला बनकर प्रेयसी को ललकारने की इच्छा नही है । सम्राटों के शवो पर पुष्प माला बनने की चाह नही है और देवता ईश्वर के. सिर पर चढकर अपने भाग्य पर घमंड करने की इच्छा भी मूझे नही है । अर्थात यहां फूल अपने जीवन के लिए कुछ-न-कुछ विशेषता होने की मांग कर रहा है ।

विशेषताएँ :

  1. इसमें जीवन के लिए कुछ ऊँचे उमंग रखने की इच्छा फूल के द्वारा व्यक्त कर रहे है ।
  2. उनकी भाषा सरल खड़ीबोली है ।

3) अविरत दुख है उत्पीडन
अविरत सुख भी उत्पीडन
दुख-सुख की निशा – दिवा में,
सोता – जगता जग जीवन !
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य सुमित्रानंदन पंत के द्वारा लिखी गयी ‘सुख-दुख’ नामक कविता से लिया गया है । प्रकृति का सुकुमार कवि कहे जाते है ।
सन्दर्भ : इसमें कवि सुख-दुख को समान रूप में स्वीकार करने की बात कह रहे हैं ।
व्याख्या : कवि का कहना है कि जीवन मे हमेशा सुख और हमेशा सुख दोनो बाधा पहुँच देते हैं । जिस प्रकार संसार में दिन और रात का आना जाना स्वाभाविक है उसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना स्वाभाविक हैं ।

विशेषताएँ :

  1. जीवन के लिए सुख और दुख होने का आवश्यकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली हैं ।

4) दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद |
धुआँ उठा आँगन के ऊपर कई दिनों के बाद ||
चमक उठीं घर भर की आँखे कई दिनों के बाद ।
कौए ने खुजलाई पाँखे कई दिनों के बांद ||
उत्तर:
प्रसंग : यह पद्य को नागार्जुन द्वारा लिखे गयी अकाल और उसके बाद कविता से लिया गया है । वे प्रगतिवादी कवि थे और आधुनिक कबीर से प्रसिद्ध थे ।
सन्दर्भ : अकाल समाप्त होने के बाद जिसप्रकार की रोशनी घर के चारो ओर दिखाई पडती है, उसका मार्मिक चित्रण इसमें मिलता है ।
व्याख्या : अकाल के बाद अनाज घर को आया । खाना पकाने के लिए घर मे चूलहा जलाया गया । इस खुशी मे घर के सारे लोंगों के मन उत्साह से भर गया । भोजन के बाद केंके हुए अन्न से पेट भरने की आशा मे कौए भी पँस खुजलाकर इन्तजार कर रही है ।

विशेषताए :

  1. कवि की प्रगतिवादी धारणा का चित्रण हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

6. निम्न लिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

1) घुमक्कडी के लिए चिन्ताहीन होना आवश्यक है और चिन्ताहीन होने के लिए घुमक्कडी भी आवश्यक है ।
उत्तर:
प्रसंग : यह उद्धरण राहुल सांस्कृत्यायन के द्वारा लिखी गयी अथात घुमक्कड जिज्ञासा नामक यात्रा वृत्तांत है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और उनका यात्रा साहित्य अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है ।
सन्दर्भ : लेखक इसमें घुमक्कडी प्रवृत्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है और उसकी महानता को इसमें स्पष्ट करते हैं ।
व्याख्या : घुमक्कड होना आदमी के लिए परम सौभाग्य की बात है। जो निश्चिंत होता है, वही घुमक्कड बन सकता है क्यों कि घुमक्कड के लिए चिन्ता से दूर रहना आवश्यक होता है और साथ-साथ जो चिन्ता से दूर रहता है वही घुमक्कड बन सकता अर्तात घुमक्कडी में कष्ट रहने परं भा अत्यन्त सुख मन को मिलता है ।

विशेषताएँ :

  1. घुमक्कड धर्म को अपनाने का सन्देश लेखक देते हैं ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है।

2) आंध्र संस्कृति का आरंभ ही भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के उद्देश्य से हुआ ।
उत्तर:
प्रसंग : यह वाक्य ‘आन्ध्र संस्कृति नामक पाठ से लिया गया है इसमें आन्ध्र संस्कृति पर विभिन्न रूपों में दृष्टि डाला गया है ।
सन्दर्भ : भारतीय संस्कृति के अंतर्गत आन्ध्र संस्कृति का विकास किस प्रकार हुआ है, इसके प्रति ध्यान दिया गया है ।
व्याख्या : भारतीय संस्कृति की सुरक्षा को दृष्टि में रखकर ही आन्ध्र संस्कृति का विकास हुआ है । मूल मे भारतीय संस्कृति वैदिक संस्कृति है । संस्कृत के प्रायः सभी इतिहास, पुराण, काव्य व नाटक तेलुगु मे अनुदित है । चंपु काव्य शैली, गद्य रहित द्विपद, शतक, आदि, तेलुगु मे भी लिखे गये । संस्कृत का महाभारत भी तेलुगु मे अनुदित किया गया है। उससे भारतीय संस्कृति सुरक्षित और सर्वव्याप्त हो जाती है ।

विशेषताएँ :

  1. भारतीय संस्कृति के प्रति लेखक की रुचि स्पष्ट हो जाती है ।
  2. उनकी भाषा खड़ीबोली है ।

3) पर – स्त्री तो हरेक के लिए माता के समान है। जो अधिकार प्राप्त जन हैं, जो सरदार हैं या जो राजा उन्हे ……… उन्हे तो इस सम्बन्ध मे विवेक, सबसे अधिक विवेक रखना आवश्यक है ।
उत्तर:
प्रसंग : यह उद्धरण शिवाजी का सच्चा स्वरूप नामक एकांकी से लिया गया है । इसके लेखक सेठ गोविन्ददास जी है। आप गाँधी जी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता सग्राम मे भी भाग लेकर जेल भी गये।
सन्दर्भ : पर स्त्रियों को माता के समान देखने की हमारे भारतीय संस्कृति पर जोर दिया गया है । व्याख्या : परायी मुसलमानी सुंदरी को बंदी बनाकर लाये सेनापति आवाजी सोनदेव से शिवाजी गुस्से में कहता है कि परायी स्त्री हर पुरुष के लिए मातृ समान हे । सामान्य जनता इसका अनुकरण करते हैं । लेकिन इस विषय में शासकों के लिए विवेक की जरूरत है । परायी स्त्रियों के संबंध राजा हो या अधिकारी, सतर्क एव आदर्श रहना चाहिए ।

विशेषताएँ :

  1. इसमें शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व की महानता स्पष्ट की गई है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

4) “भारतीय संस्कृति का सौन्दर्यबोध नारी रूप से अविच्छिन्न सम्बन्ध से जुडा हुआ है ।
उत्तर:
प्रसंग : यह उद्धरण महादेवी वर्मा के द्वारा लिखी गयी “भारतीय संस्कृति और नारी” नामक निबन्ध से लिया गया वे छायावाद से सम्बन्धित प्रमुख साहित्यकार है ।
सन्दर्भ : इसमें भारतीय संस्कृति और नारी के बीच के अविच्छिन्न सम्बन्ध के प्रति जोर दिया गया है ।
व्याख्या : भारतीय संस्कृति मे प्राचीनकाल से ही नारी का महत्वपूर्ण स्थान है । भारतीय संस्कृति का सौन्दर्य बोध नारी के रूप से अविच्छिन्न सम्बन्ध से जुडा हुआ है। नारी को देवी, माता जैसे रूपों मे दर्शाया गया है जो प्राचीन आर्य काल से पहले ही मातृसत्ता से जुडा हुआ है ।

विशेषताएँ :

  1. भारतीय संस्कृति मे नारी की महानता के बारे में स्पष्ट किया गया है ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली है ।

7. एक शब्द में उत्तर लिखिए ।

1) रहीम किसके आस्थान कवि थे ?
उत्तर:
मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे ।

2) कबीर के अनुसार गुरु और गोविन्द में कौन महान है ?
उत्तर:
गुरूजी

3) भूख के कारण भिखारी की हालत कैसी है ?
उत्तर:
भूख के कारण पेट और पीठ दोनों मिले हुए है ।

4) “ओझल शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
गायब हो जाना

5) ‘शहीद’ शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
देश केलिए प्राण अर्पण करने वालों को शहीद कहते हैं ।

8. एक शब्द में उत्तर दीजिए ।

1) राहुल सांस्कृत्यायन किस को अपनाने का सन्देश दे रहे है ?
उत्तर:
घुमक्कड धर्म को

2) मोबाइल फोन उपयोग करने से मनुष्य को क्या होने लगी ?
उत्तर:
मानसिक बीमारियाँ

3) “चन्द्रशेखर वेंकटरमन” कौन है ?
उत्तर:
महान भारतीय वैज्ञानिक

4) आधुनिक आंध्र साहित्यकारों के नाम लिखिए ?
उत्तर:
गुरजाडा, कंदुकूरी कृष्णशास्त्री

5) शिवाजी कैसे राजा थे ?
उत्तर:
वे शूर वीर तथा देशभक्त भी थे ।

खण्ड – ‘ख’

9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए :
अपनी पढ़ाई के बारे में पिताजी के लिए एक पत्र लिखिए ।

विजयवाड़ा,
दिनांक 17.07.2018.

पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम ।
मैं यहाँ कुशल हूँ आशा है कि आप सब भी वहाँ कुशल होंगे । यहाँ अच्छे प्राध्यपक हैं । वे हमेशा हमारे संकोचों को दूर करते रहते हैं । मेरी पढाई ठीक से चल रही हैं। हमें इस महीने के अंत तक कॉलेज की फीस भरनी है। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि दो हजार रूपये भेजने की कृपा करें । आदरणीय माताजी को मेरा प्रणाम बहन माधुरी को प्यार ।

आपका प्रिय पुत्र,
वी, किरण

सेवा में,
वी. दास,
मकान नं. 11-9-27,
पार्क सेंटर.
नरसरावपेट – 522601.

2) मोबाइल फोन उपयोग करने से मनुष्य को क्या होने लगी ?
उत्तर:
मानसिक बीमारियाँ

3) “चन्द्रशेखर वेंकटरमन” कौन है ?
उत्तर:
महान भारतीय वैज्ञानिक

AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 4 with Solutions

4) आधुनिक आंध्र साहित्यकारों के नाम लिखिए ?
उत्तर:
गुरजाडा, कंदुकूरी कृष्णशास्त्री

5) शिवाजी कैसे राजा थे ?
उत्तर:
वे शूर वीर तथा देशभक्त भी थे ।

खण्ड – ख

9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए :

अपनी पढ़ाई के बारे में पिताजी के लिए एक पत्र लिखिए ।

विजयवाड़ा,
दिनांक 17.07.2018.

पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम ।

मैं यहाँ कुशल हूँ आशा है कि आप सब भी वहाँ कुशल होंगे। यहाँ अच्छे प्राध्यपक हैं । वे हमेशा हमारे संकोचों को दूर करते रहते हैं । मेरी पढाई ठीक से चल रही हैं । हमें इस महीने के अंत तक कॉलेज की फीस भरनी है। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि दो हजार रूपये भेजने की कृपा करें ।
आदरणीय माताजी को मेरा प्रणाम बहन माधुरी को प्यार ।

आपका प्रिय पुत्र,
वी, किरण

सेवा में,
वी. दास,
मकान नं. 11-9-27,
पार्क सेंटर,
नरसरावपेट – 522601.

अथवा

पुस्तक विक्रेता के नाम पर पत्र लिखिए ।

नागार्जुन सागर,
दिनांक 23.02.2018.

प्रेषक :
वी. मोनिका सहानी,
इंटर प्रथम वर्ष,
मकान नं. बी – 832
नागार्जुन सागर,

सेवा में,
व्यवस्थापक,
लोकमान्य हिन्दी बुक सेंटर,
एल्लुरु रोड, गवर्नरपेट,
विजयवाडा – 2.

मान्यवर महोदय,

कृपया निम्नलिखित हिन्दी पाठ्य पुस्तकों को वी. पी.पी. के द्वारा यथाशीघ्र भेजने का कष्ट करें । अग्रिम राशि के रूप में रू 500/- भेज रही हूँ आपकी ओर से उचित कमीशन मिलने की आशा है ।

  1. साहित्य परिमल – 5 प्रतियाँ
  2. कथा कुंज – 5 प्रतियाँ
  3. हिन्दी व्याकरण – 5 प्रतियाँ
  4. हिन्दी पत्र लेखन – 5 प्रतियाँ

धन्यवाद !

भवदीय,
वी. मौनिका सहानी ।

10. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।

1) नूतन × पुरातन
2) निरक्षर × साक्षर
3) लम्बा × नाटा
4) सुगंध × दुर्गध
5) सरस × नीरस
6) सम्पन्न × विपन्न
7) यह × वह
8) भाग्य × अभाग्य
9) भारी × हल्का
10) वीर × कायर

11. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।

1) अर्थ – द्रव्य, धन, पैसा, वित्त
2) क्रोध – गुस्सा, नाराजमी, रोष, अमर्ष
3) अतिभि – पाहुना, अभ्यागत, मेहमान
4) गुरु – अध्यापक, उपाध्याय, शिक्षक, आचार्य
5) घर – आवास, मकान, सदन, निवास
6) नौकर – दास, संवक, बन्दा, भृत्य
7) हाथी – गज, कुंजर, मतंग, फिल
8) साँप – सर्प, व्याल, नाग, चक्षुश्रवा, विषधर
9) पुत्री – बेटी, सुता, आत्मजा, तनया
10) सोना – कंटक, दल, वाहिनी, फौज

12. किन्हीं पाँच (5) शब्दों की शुद्ध वर्तनी कीजिए ।

1) आवगुण – अवगुण
2) हिन्दी – हिन्दी
3) मीटा – मीठा
4) कट्टा – खट्टा
5) केलिए – के लिए
6) गाँधीजी – गाँधीजी
7) श्रुंगार – शुंगार
9) केलना – खेलना
8) घुणा – घुणा
10) सीलाना – सिलाना

13. किन्हीं पाँच (5) शब्दों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए ।

1) Training – प्रशिक्षण
2) Peon – चपरासी
3) Politics – राजनीति
4) Commerce – वाणिज्य
5) Advance – अग्रिम
6) Auditor – लेखाकार, लेखापल
7) Typist – टंकण
8) Workshop – कार्यशाला
9) Island – द्वीप
10 ) Speaker – सभापति, वक्ता

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए ।

1) वे पैसे _____ काम करते है ।
उत्तर:
वे पैसे केलिए काम करते है ।

2) श्यामला ___ भाई रवि है ।
उत्तर:
श्यामला का भाई रवि है ।

3) ____ जरा इधर आ ।
उत्तर:
रे जरा इधर आ ।

4) हम ____ आपका कोई संबंध नही है ।
उत्तर:
हम से आपका कोई संबंध नही है ।

5) तुम मेरे भाई ____ पास जाओ ।
उत्तर:
तुम मेरे भाई के पास जाओ ।

AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 4 with Solutions

15. सूचना के अनुसार वाक्य में परिवर्तन कीजिए ।

1) बेटा से रहा है । (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर पूरा वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
बेटी रो रही है ।

2) शरीफ ने एक गाडी खरीदी । ( रेखांकित शब्द का वचन बदलकर पूरा वाक्य लिखिए ।)
उत्तर:
शरीफ ने कई गाड़ियाँ खरीदी |

3) अपशब्द सम बोलो । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ?)
उत्तर:
‘अप’

4) आज ‘पंचायत’ बैठेगी । (रेखांकित शब्द में प्रत्यय क्या है ?)
उत्तर:
‘आयत’

5) तुमने किताब पढ़ी | (वर्तमान काल में लिखिए ।)
उत्तर:
तुम किताब पढ़ने हो ।

16. सूचना के अनुसार भाषा विभाग को पहचानिए :

1) राम रोटी खा रहा है । (इस वाक्य में संज्ञा क्या है ।)
उत्तर:
राम

2) तुम क्या देखतो हो ? (इस वाक्य में सर्वनाम को सूचित कीजिए)
उत्तर:
तुम

3) उमा स्कूल में पढ़ती है। (इस वाक्य में क्रिया शब्द क्या है ?)
उत्तर:
पढ़ती

4) बाज़ार से गरम दूध लाओ । (इस वाक्य में विशेषण क्या है ?)
उत्तर:
गरम

5) घोडा तेज दौडता है । (इस वाक्य में क्रिया विशेषण पहचानकर लिखिए)
उत्तर:
तेज़

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