AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions

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AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions

Time : 3 Hours
Max Marks : 100

सूचनाएँ :

  1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं ।
  2. जिस क्रम में प्रश्न दिये गये हैं, उसी क्रम से उत्तर लिखना अनिवार्य है ।

खण्ड – ‘क’
(60 अंक)

1. निम्न लिखित किसी एक पद्यांश का भावार्थ लिखिए ।

काल करे सो आज कर आज करे सो अब ।
पल में परलै होयगी, बहुरी करोगे कब ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा कबीरदास के द्वारा लिखी गयी ‘साखी’ नामक रचना से लिया गया है । वे निर्गुणशाखा के अन्तर्गत ज्ञानमार्ग शाखा से संबंधित सन्त कवि थे ।
‘संदर्भ :- समय का सदुपयोग करने का सन्देश कवि दे रहे हैं ।
व्याख्या : – कवि का कहना है कि कल का काम आज करो और आज का काम अभी करो | क्यों कि एक क्षण मे कुछ भी हो सकता है । तब यह काम हम करेंगे या नहीं, कह नही सकते ।

विशेषताएँ :-

  1. जीवन की क्षणिकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा सदुक्कडी हैं ।

(अथवा)

तरूवर फल नहीं खात है, सरवर पियही न पान |
कहि रहीम परकाज हित, संपति संचहि सुजाना ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह दोहा रहीम के द्वारा लिखी गयी दोहावली से लिया गया है । वे भक्तिकाल से सम्बन्धि कृष्णभक्त कवि थे ।
संदर्भ :- इसमें कवि की परोपकार की भावना स्पष्ट होती हैं ।
व्याख्या :- रहीम का कहना है कि जिस प्रकार पेड अपना फल खुद नहीं खाते है और सरोवर अपना पानी खुद नही पीती । ये सब दूसरों के लिए फल और पानी इकट्टा करके रखते है । उसी प्रकार सज्जन लोग भी दूसरों की भलाई के लिए ही अपना धन इकट्टा करके रखते है ।

विशेषताएँ :-

  1. सज्जन लोगों के लक्षणों के बारे में कवि कहते है ।
  2. उनकी भाषा व्रज भाषा है ।

2. किसी एक कविता का सारांश लिखिए ।

(1) अकाल और उसके बाद
उत्तर:
कवि ने इस्के अकाल के समय और अकान के बाद की स्थिती को दो पद्यों के द्वारा विस्तार रूप मे वर्णन किया । अकाल के समय मे घर पर खाने के लिए अनाज का अभाव है इसलिए कई दिनो से जला और अनाज के अभाव से आठा न पीसने के कारण चक्की के भी काम नही किया । चूहे चूल्हा न जलने से घर का एक का अंख वाला कुत्ता उसी के पास सो रही है । खाना न मिलने से सारा घर और आदी जन्तुएँ भी उदास है । घर के लोग उदास से एक बैठे हुए है । और दीवार पर छिपकलियाँ गस्ती देखे हैं । कई दिनों से अकाल से पीडित होते वाले घरों में अनाज न मिलने से चूहो की स्थिति भी बडी दयनीय थी ।

अब अकाल चल गया । बहुत दिनों के बाद घर मे अनाज आया । चूल्हे जलने से घर के आंगन मे धुँआ उठा । घर के सभी लोगो की आँखों मे चमक उठी अर्थात सब लोगों मे असाह भर गया । भोजन के बाद केंके हुए अन्न से अपने पेट भरने की आशा से काँठा भी पंख खुजलाकर इत्तर इन्तजार कर रही हैं ।

इस्प्रकार कवि ने अकाल से पीडित जनता की दयनी स्थिति और बाद की स्थिति का मार्मिक रूप से चित्रण किया है । अकल की दुस्थिति केवल लोंगों पर ही नहीं बल्कि उनके चारों ओर वातारिण को किस प्रकार प्रभावित करती है, उस्का स्पश्ट चित्रण किया है। उनकी भाषा सरल खडी बोली है।

(2) भिक्षुक
उत्तर:
एक भिखारी की दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए निराला जी कह रहे हैं कि एक भिखारी टूटे हुए हृदय से अपनी दयनीय स्थिति पर पछताता हुआ उस पथ पर आ रहा है । उसका पेट और पीठ दोनों मिले हुए दिखाई पड रहे हैं । अर्थात भूख के कारण उसका पेट पीछे चला जाकर पीठ से मिल गया जैसा दिखाई पड रहा है । उसने चलने के लिए भी शक्ति नही है । इसलिए हाथ में डंडा लेकर धीरे-धीरे अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए फटे हुआ होल को मुँह फैलाता है । उसके साथ दो बच्चे भी हाथ फैलाकर चल रहे हैं। वे अपने बाए हाथ से भूखे पेट को मल रहे है और दाहिनी हाथ से दया की भीख माँग रहे हैं। भूख के कारण उनके ओठ सूखे जा रहे हैं । दाताओं से भीख माँगकर अपने भाग्य परखने के लिए उनके पास शक्ति भी नही है | यदि कही सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए मिले तो उनसे पहले ही उन जूठे पत्तलों को झपटने के लिए कुत्ते वहाँ खडे थे। इतनी दयनीय स्थिति उस भिखारी परिवार की थी ।

इस प्रकार कवि की प्रयोगवादी दृष्टिकोण इसमें दिखायी पड रहा है । भिखारी की दयनीय स्थिति के द्वारा शोषित वर्ग की ओर कवि संकेत दे रहे है । शोषक और शोषित वर्ग भिन्नता का स्पष्ट चित्रण वे दे रहे है । उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

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3. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए ।

(1) भारतीय संस्कृति और तारी
उत्तर:
भारतीय संस्कृति शब्द का अर्थ अंग्रेजी कलचर शब्द से भिन्न माना है । संस्कृति मानव चेतना का ऐसा विकास-क्रम है, जो उसके अंतरंग तथा बहिरंग को परिष्कृत करके विशेष जीवन-पद्धति का सृजन करती है । संस्कृति मानव चेतना की प्राकृतिक ऊर्ध्वगति का प्रकाशन है । पर संस्कृति सभ्यता से भिन्न है । सभ्यता का मानव के बाह्य आचरण से सम्बंध रखती है तो संस्कृति अन्तर्जगत से । मनुष्य में आत्मरक्षा की प्रवृत्ति दिखाई पडती है जिसकें अस्तित्व से परिवार, परिवार से ग्राम, देश तथा देश से विश्वरक्षा तक फैलकर एक नवीन जीवन मूल्य का निर्माण कर लेता है । वस्तुतः संस्कृति एकाकी व्यक्ति की न होकर समष्टि की होती है । भारतीय संस्कृति मे पृथ्वी सभी मानव समूहों की जन्मदात्री है । भारतीय संस्कृति का सौन्दर्यबोध नारी रूप से अविच्छिन सम्बन्ध से जुडा हुआ है । प्राचीन संस्कृति मे नारी के देवी रूप की प्रतिष्ठा मिलेगी । आर्य संस्कृति से पूर्व हमे जो सिन्धु घाटी और मोहनजदड़ो में तत्कालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुआ हैं उनमे मातृदेवी की मूर्ति भी है । इस मातृ मूर्ति के अनेक दिय रूप वर्णित हुआ है जैसे भारतमाता के रूप में, राष्ट्रीयता के रूप में, प्रकृति के रूप में, माया के रूप में, शक्ति के रूप में का आदि भारतीय संस्कृति में स्त्री और पुरूष दोनो को समान रूप में महत्व दिया गया है ।

भारतीय संस्कृति का आदि स्त्रोत वेदकालीन जीवन पद्धति है जो आज भी हमारे जीवन को प्कार प्रभावित करती है । भारतीय संस्कृति भी एक अविच्छिन्न नदि प्रवाह की तरह आगे चलती रहती है । उसका उद्गम जीवन मूल्यों की दृष्टि में उन्नत भी है और भावबोध की दृष्टि से गहरा भी है । वेदकालीन संस्कृति में नारी के दो रूप मिनते है – दिव्य देवी रूप तथा सामाजिक रूप | दिव्य देवी रूप के अन्तर्गत तीन प्रकार आते है । प्रकृति के व्यापक दिव्य रूप जैसे उषा, सूर्य, रात्रि, दूसरे में पृथ्वी, सिन्धु, सरस्वती नदि के रूप और तीसरे प्रकार में अमूर्त भावनों भावनाओं की प्रतीक देवियो – दिति, अदिति, श्रद्धा आदि के रूप आते है । इन प्रतीकों की व्यापकता से आज भी भारतीय संस्कृति स्थित है ।

नारी के सामाजिक रूप में स्त्री के साथ पुरुष की भी मान्यता दी गयी, वृद्धारण्यक अनिषद के अनुसार दोनो की स्थिति समान है। वैदिक समाज रचना मे पत्नी सहधर्मचारिणी है जिसके बिना कोई धर्मकांड सम्पन्न नही हो सकता । आपस्तम्ब धर्मसूत्रों के अनुसार पत्नी पारिवारिक सम्पत्ति मे सह अधिकारिणी भी है और पति को अनुपस्थिति में उस सम्पत्ति मे से दान का अधिकार भी रखती है ।

(2) चन्द्रशेकर वेंकटरामन
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में भारतीय वैज्ञानिक श्री चन्द्रशेखर वेंकटरमन के व्यक्तित्व और उनके अनुसंधानों पर प्रकाश डाला गया है । उनका जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में सन् 1888 में हुआ । उनके पिता चन्द्रशेखर अय्यर जो भौतिक और गणित के प्राध्यापक थे और उनकी माता पार्वती अम्मल थी । उनकी आरम्भिक शिक्षा विशाखपट्टनम् मे हुई । उन्होंने ग्यारह वर्ष की आयु मे मेट्रिक्युलेशन की परीक्षा, तेरह वर्ष में एफ. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। वो मद्रास के प्रेसिडेन्सी कॉलेज में बी. ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए और गणित में एम. ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण । उन्होंने अपने शिक्षार्थी जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। सन् 1906 मे प्रकाश विवर्तन पर उनका पहला शोध पत्र लंडन के फिलासाफिकल पत्रिका मे प्रकाशित हुआ । उसका शीर्षक था –

आयताकृत छिद्र के कारण उत्पन्न असीमित विवर्तन पट्टियाँ । उन्हे वैज्ञानिक सुविधाएँ ठीक से न मिलने के कारण वित्त विभाग के असिस्टेंट एकांउटेंट जनरल बनकर कलकत्ता चले गए । इसके बाद वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भारती परिषद की प्रयोगशाला मे प्रयोग के लिए अनुमति प्राप्त की । अपने घर में भी उन्होंने प्रयोगशाला बनाया । उसका उनका अनुसंधान क्षेत्र था – ध्वनि के कम्पन और कार्यों का सिद्धांत इसपर जर्मनी मे प्रकाशित भौतिक विश्वकोश में भी एक लेख लिखा । इसके बाद उन्होंने उच्च सरकारी पद त्याग कर कलकत्ता विश्व विद्यालय चले गए ।

वहाँ पर उन्होंने वस्तुओं मे प्रकाश चलने पर अध्ययन किया । और बाद में पार्थिव वस्तुओं को प्रकाश के बिखरने का नियमित अध्ययन किया जो रामन प्रभाव के नामसे जाना जाता है । इस पर विशेष प्रयोग करके के उन्होंने पारद आर्क के प्रकाश को स्पेक्ट्रम स्टेक्ट्रोस्कोप ने निर्मित किया और प्रमाणित किया कि यह अन्तर पारद प्रकाश की तरंग लंबाइयों मे परिवर्तित होने के कारण पडता है इसके बाद उन्होंने रायल सोसयटी, लंदन के फेलो बने और रामन प्रभाव के लिए उन्हे सन् 1930 ई में नोबेल पुरस्कार दिया गया । सन् 1948 मे बंगलूर मे रामन शोध संस्थान की स्थापना की गई | उन्हें सन् 1954 ई. में भारत रत्न की उपाधि और सन् 1957 ई. में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्राप्त हुई। 28 फरवरी, 1928 को उन्होंने रामन प्रभाव की खोज की । इसलिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से रूप में मनाया जाता है। सन् 1970 में उनकी मृत्यु हो गई ।

इस प्रकार इसमें चन्द्र शेखर वेंकटरामन के व्यक्तित्व के साथ-साथ उनके अनुसंधान, भौतिकी के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी खोजों पर विशेष महत्व दिया गया है । उन्हे प्राप्त राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों पर भी रेखांकित किया गया है ।

4. किसी एक कहानी का सारांश लिखिए ।

(1) परदा
उत्तर:
चौदरी पीरबख्श गरीब मुंशी था । दो रूपये के किराये पर एक मकान में रहता था । बस्ती में केवल चौदरी पीरबख्श ही पढ़ा-लिखा आदमी था । उसको ड्योढ़ीपर परदा रहता था । इसलिए सब लोग उसे चौदरी साहब कहकर सलाम करते थे । नौकरी में केवल बारह रूपये मासिक वेतन मिलते थे । संताने पाँच थी ।

नौकरी से आमदनी कम इसलिए परिवार के लोगों को पेट भर खाना, शरीर को ढ़कने के लिए कपडे नही मिलते थे । परदे के पीछे रहनेवालों के शरीरों पर केवल चिथडे ही रहते थे ।

पैसों की जरूरत अधिक होने के कारण सूदखोर बाबर अली खाँ से ब्याज पर उधार लेता है | चौदरी पीरबख्श किश्तों में चुकाना वादा करता है । लेकिन चुका नही पाता । खान बार-बार पैसे मांगता है, घर आकर गालियाँ देता है ।

किश्तो के बदले ‘परदा’ लेजाने के लिए खान तैयार हो जाता है । लेकिन वह परदा ही घर की इज्जत की रक्षा करने वाला है । पीरबख्श परदे को न ले जाने के लिए प्रार्थना करता है, लेकिन खान गुस्से में आकर परदे को खींच लेता है तो घर की दयनीय स्थिति दिखायी देती है । अपनी इज्जत की रक्षा के लिए घर में इधर उधर भागते है, सब लोग । चौदरी पीरबख्श बेहोश होकर गिर जाता है । होश आने के बाद समझता है कि अब परदा लटकाने जरूरत नही । क्यों कि घर -की इज्जत चली गयी ।

इस कहानी से मध्यवर्गीय लोगों के मिथ्याभिमान और उससे जुडी विवशता दयनीय स्थिति की जानकारी हो जाती है ।

(2) बदला
उत्तर:
धम्मपट्टनं एक ऐसा जगह है, वहाँ पर एक अस्पताल है जहाँ कदम-कदम पर भ्रष्टाचार, मामूल वसूल किया जाता है । वहाँ पर कुछ दूरी पर एक गाँव था वहाँ पर कोटय्या एक मामूली किसान, मजदूर था । वह खास पढा लिखा नहीं होने पर भी अखबार पढ लेता है । उसकी पत्नी गर्भवती थी | नौ महीने मे तबियत खराब होने से अपने मालिक की बैलगाडी लेकर धर्मपट्टनं अस्पताल पहुँचता है अस्पताल के अन्दर जाने के लिए भी चवन्नी हाथ मे रखना पडता है । अन्दर जाने के बाद उसकी पत्नी बेहोश होने पर भी कोई भी इसके प्रति ध्यान नहीं देते। शायद वहाँ बेहोशी होना भी मामूली बात है । कुछ देर बाद डाक्टर पद्मा वहाँ आती है । कोटय्या भय, विवशता, अज्ञान अन्धार मे पडकर वही बाहर खडा हो जाता है । बाद में उस पता चलना है कि प्रसव के पहले ही उसकी पत्नी चली गयी । उसकी लाश को लेकर जाने के लिए भी उसे मामूल देना पडता है |

पत्नी का दहन संस्कार होने के बाद कोटय्या धम्मपट्टनं अस्पताल के सामने सात्याग्रह करना शुरू करता है । पर किसी ने इस पर ध्यान नहीं देता । पाँच दिन बाद डाक्टर पद्मा उसको समझाने आता है । धीरे-धीरे सब का ध्यान इसकी ओर आकृष्ट होता है । डाक्टर पद्मा पर शिकायत रखी जाती है और इस के द्वारा सभी कर्मचारियों के विषय बाहर आने लगते है । सत्याग्रह करते-करते कोटय्या का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और उसी अस्पताल मे दाखिल हो जाता है । इन समस्याओं के बीच डा. पद्मा की हत्या अस्पताल मे हो जाती है इसकी जिम्मेदारी कोटय्या पर पडती है और पुलीस उसको जेल लेजाता है । वह निर्दोष होकर भी अन्त में उसे दण्ड भोगना पड़ता है ।

इस प्रकार इस कहानी का नायक एक गरीब मजदूर मामूली व्यक्ति था । आत्याचारों के विरूद्ध स्वर उठाने पर भी उसका कोई नहीं सुनता । निर्दोष होकर भी सजा भुगतनी पड़ती है । तत्कालीन सामाजिक स्थिति को मार्मिक रूप से कहानीकार ने चित्रण किया । उनकी भाषा सरल है ।

5. निम्नलिखित दो पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।

(1) वह आता
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता
पेट – पीठ दोनों मिलकर है एक
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी – पुरानी झोली का फैलाता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया है वे छायावादी कवि है ।
सन्दर्भ :- इसके एक भिक्षुक की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है ।
व्याख्या :- कवि एक भिक्षुक के जीवन का वर्णन कर रहा है कि एक भिक्षुक अपनी दयनीय स्थिति पर टूटे हृदय से उस पथ पर आ रहा है। भूख के कारण उसका पेट और पीट दोनों मिले हुए है। अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए लकडी टेकता हुआ आ रहा है। वह लकडी के सहारे खडे होकर अपने फटे हुए झोले का मुँह फैलाता है । अपनी दयनीय स्थिति से वह टूटे हृदय से मन ही मन रो रहा हैं ।

विशेषताएँ :-

  1. शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है ।
  2. इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
  3. उनकी भाषा शुद्ध खडीकोल है ।

(2) मुझे तोड लेना वनमाली ।
उस पथ पर देना तुम फेंक |
मातृ – भूमि पर शीश चढाने,
जिस पथ जावे वीर अनेक ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है ।
सन्दर्भ :- कवि फूल की चाह के द्वारा अपनी देशभक्ति भावना को व्यक्त कर रहे हैं ।
व्याख्या : – कवि फूलों के द्वारा अपना विचार व्यक्त कर रहे है कि हे वनवाली ! मुझे अवश्य तोड़ लो । पर तोड़कर उस रास्ते मे मुझे फेंक दो जिस रास्ते पर मातृभूमि के लिए बलिदान करने के लिए वीर जाते है। ताकि उनके चरणों के नीचे पड़कर मैं पवित्र हो जाऊँगी और उनके पैरों को मै राहत दूँगी ।

विशेषताएँ :-

  1. देश के लिए बलिदान करने वाले वीरो के प्रति कवि का गौरव स्पष्ट हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(3) मैं नही चाहता चिर सुख
मैं नही चाहता चिर दुःख
सुख दुःख की खेल मिचौनी
खेल जीवन अपना मुख ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य सुमित्रानंदन पंत के द्वारा लिखी गयी ‘सुख-दुःख’ नामक कविता से लिया गया है । वे प्रकृति का सुकुमार कवि कहे जाते है ।
सन्दर्भ :- इसमें कवि सुख-दुख को समान रूप में स्वीकार करने की बात कह रहे हैं ।
व्याख्या :- कवि का कहना है कि जीवन मे हमेशा सुख और हमेशा दुख का रहना भी अच्छा नहीं है । सुख और दुख आंख मिचौनी खेल की तरह हमारे जीवन में आते जाते रहना चाहिए ।

विशेषताएँ :

  1. जीवन के लिए सुख और दुख होने की आवश्यकता के बारे में कवि कह रहे हैं ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली हैं ।

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(4) कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास ।
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास ॥
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त ।
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ॥
उत्तर:
प्रसंग :- यह पद्य को नागार्जुन द्वारा लिखे गयी अकाल और उसके बाद कविता से लिया गया है । वे प्रगतिवादी कवि थे और आधुनिक कबीर से प्रसिद्ध थे ।
सन्दर्भ :- इस्में कवि अकाल के समय देश की स्थिति और लोगों की दयनीय स्थिति की ओर सकेत कर रहे है |
व्याख्या :- अकाल के समय अनाज न मिलने के कारण घर में चूलहा नही जल रहे हँ । आटा न पिसने के कारण चक्की भी बन्द भी । चूलहे न जलने से उसे घर का कुत्ता सो रहा है। घर के लोगों की उदासी से दीवार के छिपकलियां मस्तसे गस्ती दे रहे है और अनाज न मिलने से घर के चूहों की स्थिति भी दयनीय हो गयी ।

विशेषताएँ :-

  1. कवि की प्रगतिवादी धारणा का चित्रण हो रहा है ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

6. निम्नलिखित किन्हीं दो गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

(1) ओजोन की सुरक्षात्मक परत को नुकसान होने से उससे निकलने वाली किरणों से त्वचा को हानि होने लगी है और त्वचा कैंसर जैसी बीमारियों का जन्म हो रहा है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह संदर्भ पर्यावरण और प्रदूषण नामक लेख से लिया गया है ।
सन्दर्भ :- ओजोन परत के प्रति वैज्ञानिक दृष्टि कोण इसमें वर्णन किया गया है ।
व्याख्या :- ओजोन जो पृथ्वी का सुरक्षा कवच है जो कास्मिक विकिरणों से हमें सुरक्षा देती है । लेकिन आज पर्यावरण प्रदूषण से आजोन की सुरक्षात्मक परत को नुकसान हो रहा है और उससे निकल वाली कास्मिक विकिरणों से त्वचा को हानि पहुँच रही है । इससे त्वचा कैंसर जैसी बीमारियाँ हो रही हैं ।

विशेषताएँ :-

  1. पर्यावरण प्रदूषण के बारे मे लेखक कह रहे है ।
  2. उनकी भाषा सरल है ।

(2) सम्पूर्ण भौतिक कोश में आप अकेले जर्मन लेखक नही भे ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण ‘चन्द्रशेखर वेंकटरमन् नामक जीवनी से लिया गया वे बडे वैज्ञानिक तथा राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से प्रतिष्ठित थे।
सन्दर्भ :- चन्द्रशेखर वेंकटरामन् अनुसंदान के क्षेत्र में कितने महान थे, उसका उदाहरण सहित वर्णन किया गया है ।
व्याख्या :- कलकत्ते के भारत परिषद की प्रयोगशाला में ध्वनि के कम्पन और कार्यों का सिद्धांत पर अनुसंधान किया | उन्हें वाद्यों की भौतिकी का इतना गहरा ज्ञान था । जर्मनी में प्रकाशित बीस खण्डों वाले भौतिकी विश्वकोश के खण्ड के लिए उनसे वाद्ययंत्रों की भौतिकी का लेख तैयार करवाया गया । सम्पूर्ण भौतिक कोश केवल चन्द्रशेखरन जी का लेख छोडकर अन्य सभी लेख जर्मन लेखक के ही थे । इतना सम्मान चन्द्रशेखरन जी को प्राप्त हुआ ।

विशेषताएँ :

  1. वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरामन की महानता का परिचय हमें मिलता है ।
  2. भाषा सरल है |

(3) यदि माता – पिता विरोध करते हैं, तो समझना चाहिए कि वह भी प्रहलाद के माता-पिता के नवीन संस्करण है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह उद्धरण राहुल सांस्कृत्यायन के द्वारा लिखी गयी अथात घुमक्कड जिज्ञासा नामक यात्रा वृत्तांत है । वे पुरातत्व इतिहास के विशेष ज्ञाता रहे हैं और उनका यात्रा साहित्य अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है ।
सन्दर्भ :- लेखक इसमें घुमक्कडी प्रवृत्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है और उसकी महानता को इसमें स्पष्ट करते हैं ।
व्याख्या :- जाति का भविष्य घुमक्कडी पर निर्भर करता है । यदि कोई घुमक्कड होने से विरोध करते है उनकी बातों से दूर रहना ही आवश्यक है । जिस प्रकार हरिभजन करने में रोकने वाले माता-पिता का विरोध प्रह्लाद ने किया है उसी प्रकार यदि माता-पिता घुमक्कड होने से रोकते है तो उनका विरोध करने मे ही भी हमें पीछे नहीं हटना चाहिए ।

विशेषताएँ :

  1. घुमक्कड़ धर्म को अपनाने का सन्देश लेखक देते हैं ।
  2. उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।

(4) शहरी वातावरण से दूर स्वच्छता व भोलपन के प्रतीक इन गँवों का वैभव उत्सवों तथा त्योहारों में स्पष्ट नजर आता है ।
उत्तर:
प्रसंग :- यह वाक्य ‘आन्ध्र संस्कृति नामक पाठ से लिया गया है इसमें आन्ध्र संस्कृति पर विभिन्न रूपों में दृष्टि डाला गया है ।
सन्दर्भ :- इसमें आन्ध्र प्रान्त के विभिन्न त्योहारों पर चित्रण किया गया है ।
व्याख्या :- शहरी वातावरण से अधिक ग्रामीण वातावरण में उत्सवों और त्योहारों का अधिक विकास होता है। वे अक्सर किसी न किसी देवता से सम्बन्ध रखते हैं। गाँव के लोग कई घरेलू उत्सव मनाते है और साथ ही गृहस्थ लोग अपने वैभव के अनुसार पर्व मनाते है । गाँव के लोग स्वच्छता और भोलेपन के प्रतीक होते है । वे अपने-अपने धर्म के अनुसार उत्सव और पर्व मनाते है ।

विशेषताएँ :

  1. इससे ग्रामीण वातावरण की महानता पर लेखक संकेत कर रहे है ।
  2. उनकी भाषा खडीबोली है ।

7. एक शब्द में उत्तर लिखिए | (Poetry)

(1) फूल की इच्छा क्या है ?
उत्तर:
देश केलिए अपना प्राण अर्पण करने वीर जाते है, उनके चरणों के नीचो पडना ।

(2) सुमित्रानंदन पंत जीकी भाषा क्या है ?
उत्तर:
तत्सम शब्दों से युक्त खडीबोली ।

(3) रहीम का पुरा नाम क्या है ?
उत्तर:
खानखाना अब्दुल रहीम |

(4) भिक्षुक कविता में किसकी दयनीय स्थिति का वर्णन किया ?
उत्तर:
भिखारी ।

(5) अकाल के कारण घर पर किसका अभाव है ?
उत्तर:
खाने केलिए अनाज का ।

8. एक शब्द में उत्तर दीजिए । ( Prose)

(1) अजैविक पदार्थ के उदाहरण बताइए ?
उत्तर:
पहाड, पत्यर, पानी, वायु आदि ।

(2) शिवाजी पर स्त्री को किस तरह सम्बोधित किया ?
उत्तर:
माँ के रूप में

(3) संस्कृति और सभ्यता शब्दों में कौन सा भेद है ।
उत्तर:
संस्कृति आंतरिक आचरण से सम्बध रखती है और सभ्यता बाह्त आचरण से सम्बन्ध रखती है ।

(4) भारतीय संस्कृति कौन सी संस्कृति है ।
उत्तर:
वैदिक

(5) चन्द्र शेखर को कौन – कौन सी पुरस्कार प्राप्त हुआ
उत्तर:
नोबेल पुरस्कार, भारत रत्न, शांति पुरस्कार

खण्ड – ‘ख’

9. निम्नलिखित में से कोई एक पत्र लिखिए :
छुट्टी केलिए प्राचार्य के नाम एक पत्र लिखिए ।
उत्तर:

विजयवाड़ा,
दिनांक 14.10.2018.

सेवा में,
प्राचार्य महोदय,
प्रभत्व जूनियर कलाशाला,
विजयवाड़ा |

मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि मैं बुखार से पीड़ित होने के कारण आज और कल दो दिन विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता हूँ । मेरी चिकित्सा नियमित रूप से चल रही हैं । डाक्टर ने चार दिन विश्राम करने की सलाह दी है | अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे 15.10.2018 से 18.10.2018 तक चार दिन की छुट्टी देने की कृपा करें ।

धन्यवाद !

आपका आज्ञाकारी शिष्य
बी. धनराज
इंटर प्रथम वर्ष
अनुक्रमांक – 17.

अथवा

पुस्तक विक्रता के नाम पत्र लिखिए ।
उत्तर:

नागार्जुन सागर,
दिनांक 23.02.2018.

प्रेषक :
वी. मोनिका सहानी,
इंटर प्रथम वर्ष,
मकान नं. बी – 832
नागार्जुन सागर,

सेवा में,
व्यवस्थापक,
लोकमान्य हिन्दी बुक सेंटर, एल्लुरु रोड, गवर्नरपेट,
विजयवाडा – 2.

मान्यवर महोदय,

कृपया निम्नलिखित हिन्दी पाठ्य पुस्तकों को वी. पी. पी. के द्वारा यथाशीघ्र भेजने का कष्ट करें । अग्रिम राशि के रूप में रू 500/- भेज रही हूँ आपकी ओर से उचित कमीशन मिलने की आशा है ।

  1. साहित्य परिमल – 5 प्रतियाँ
  2. कथा कुंज – 5 प्रतियाँ
  3. हिन्दी व्याकरण – 5 प्रतियाँ
  4. हिन्दी पत्र लेखन – 5 प्रतियाँ

धन्यवाद !

भवदीय
वी. मौनिका सहानी

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10. किन्हीं पाँच (5) शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।
उत्तर:
(1) अमृत × विष
(2) स्वदेश × विदेश
(3) गलत × सही
(4) जीवन × मरण
(5) नूतन × पुरातन
(6) स्वीकृत × तिरस्कृत
(7) हित × अहित
(8) सरल × कठिन
(9) लेखक × पाठक
(10) पापी × पुनीत

11. किन्हीं पाँच शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए ।
उत्तर:
(1) सिंह – केसरी, शेर, वनराज, मृगराज
(2) अग्नि – अनल, पावक, आग, वहिन
(3) सागर – समुद्र, समुंदर, रत्नाकर
(4) घोडा – घोटक, बाजी, अख, हथ
(5) वानर – बंदर, शाखामृग, कपि, हरि
(6) किरण – अंशु, रश्मि, मयूख
(7) पुत्र – बेटा, कुमार, सुत, तनय
(8) गौ – गाय, गोमाता, धेनु, गैया
(9) पार्वती – शैलजा, गिरिजा, अम्बिका, उमा
(10) पक्षी – खग, विहंग, चिडिया, पखरु

12. किन्हीं पाँच शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए ।
उत्तर:
(1) गातक – घातक
(2) सरीर – शरीर
(3) भादा – बाधा
(4) कीर्ती – कीर्ति
(5) विध्यार्दी – विद्यार्थी
(6) काना – खाना
(7) भूक – भूख
(8) वस्तू – वस्तु
(9) पुरानि – पुरानी
(10) टंडा – ठंडा

13. किन्हीं पाँच शब्दों का अनुवाद हिन्दी में कीजिए ।

(1) Oath – शपथ
(2) Chief Minister – मुख्यमन्त्री
(3) Auditor – लेखाकर
(4) Ministry of Railways – रेल मन्त्रालय
(5) Income Tax – आयकर
(6) Permanent – स्थायी
(7) Yearly – वार्षिक
(8) Elections – चुनाव
(9) Budget – बजट
(10) Zonal – अंचल

14. कारक चिह्नों की सहायता से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए ।

(1) नाव नदी ______ डूब गई ।
उत्तर:
नाव नदी में डूब गई ।

(2) हाथ _____ छड़ी गिर गई ।
उत्तर:
हाथ से छड़ी गिर गई ।

(3) फर्श _____ झाडु रख दो ।
उत्तर:
फर्श पर झाडु रख दो ।

(4) बच्चों ____ मिठाई किसने दी ?
उत्तर:
बच्चों को मिठाई किसने दी ?

(5) ____ भाई! यहाँ तो आओ
उत्तर:
अरे भाई! यहाँ तो आओ

15. सूचना के अनुसार वाक्य में परिवर्तन कीजिए ।

(1) नानाजी सो रहे हैं (रेखांकित शब्द का लिंग बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
नानीजी सो रहे हैं ।

(2) सुमा ने माला पहनी । (रेखांकित शब्द का वचन बदलकर लिखिए ।)
उत्तर:
सुमा ने मालाएँ पहनी ।

(3) नीलु मेरा अनुचर है । (रेखांकित शब्द में उपसर्ग क्या है ?)
उत्तर:
अनु

(4) पण्डिताइन आकर बैठी । (रेखांकित शब्द में प्रत्यय क्या है ?)
उत्तर:
आइन ।

(5) क्या आप रोज कालेज़ जाते हैं (भविष्यत् काल में लिखिए ।)
उत्तर:
क्या आप रोज कालेज़ जायेंगे |

AP Inter 1st Year Hindi Model Paper Set 3 with Solutions

16. सूचना के अनुसार भाषा विभाग को पहाचानिए ।

(a) करुणा चलती है । (इस वाक्य में संज्ञा क्या है )
उत्तर:
करुणा

(b) वे लोग राक्षस हैं ? (वाक्य में सर्वनाम को सूचित कीजिए)
उत्तर:
वे

(c) हम पिज्जा खा रहे हैं । (इस वाक्य में क्रिया शब्द क्या है)
उत्तर:
खाना

(d) ऐरावत सफेद रंग में है । (इस वाक्य में विशेषण क्या है)
उत्तर:
सफेद

(e) वह दूध बहुत पीता है । (इस वाक्य में क्रिया विशेषण क्या है)
उत्तर:
बहुत

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