Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material 4th Lesson कण-कण का अधिकारी Textbook Questions and Answers.
TS 10th Class Hindi 4th Lesson Questions and Answers Telangana कण-कण का अधिकारी
प्रश्न-उत्तर :
प्रश्न 1.
गाँधीजी क्या – क्या करते थे ?
(గాంధీగారు ఏమేమి చేసెడివారు.)
उत्तर :
गाँधीजी सूत कातकर कपडा बुनते थे। अनाज साफकर चक्की से पीसते थे। आश्रम के निर्वाह के लिए श्रम करते थे।
(గాంధీగారు నూలు వడికి, బట్ట నేసెడివారు. ధాన్యం శుభ్రము చేసి, తిరుగలి విసిరేవారు. ఆశ్రమ నిర్వహణకు శ్రమ చేసెడివారు.)
प्रश्न 2.
गाँधीजी के अनुसार पूजनीय क्या है ?
(గాంధీగారిని అనుసరించి పూజింపతగినది ఏమిటి ?)
उत्तर :
श्रम ही गाँधीजी के अनुसार पूजनीय है।
(శ్రమే గాంధీగారిని అనుసరించి పూజింపతగినది.)
प्रश्न 3.
हमारे जीवन में श्रम का क्या महत्व है ?
మన జీవితంలో శ్రమకు ఉన్న విలువ ఏమిటి ?)
उत्तर :
हमारे जीवन में श्रम का बहुत बडा महत्व है। क्योंकि श्रम से ही सब कुछ संभव होता है।
(మన జీవితంలో శ్రమకు చాలా గొప్ప విలువ ఉన్నది. ఎందుకంటే శ్రమ వలనే సర్వము ప్రాప్తిస్తాయి.)
प्रश्न (ప్రశ్నలు) :
प्रश्न 1.
भाग्यवाद का छल क्या है?
(భాగ్యవాదము (అదృష్టం) యొక్క మోసము ఏమిటి ?)
उत्तर :
मानव अपनी शक्ति और दुर्नीति के सहारे धन इकट्टा करके रखता है। उसे दूसरा व्यक्ति धोखा देकर बिनाश्रम के भोगने का भाग्य मुझे है कहकर ले जाता है। यही भाग्यवाद का छल है।
(మనిషి తన శక్తి మరియు దుర్నీతి ద్వారా ధనాన్ని ప్రోగుచేసి ఉంచుతాడు. అతనిని వేరొక వ్యక్తి మోసం చేసి శ్రమ లేకుండా అనుభవించే అదృష్టం నాదని తీసుకువెళతాడు. ఇదే భాగ్యవాదము యొక్క మోసం. )
प्रश्न 2.
नर समाज का भाग्य क्या है?
మానవ సమాజము యొక్క సంపద ఏమిటి ?
उत्तर :
नर समाज का भाग्य श्रम और भुजबल ही हैं।
(శ్రమ, భుజబలము మానవ సమాజము యొక్క సంపద.)
प्रश्न 3.
शमिक के सम्मुख क्या – क्या झुके हैं?
(శ్రమ చేసేవాని ముందు ఏమేమి తలవంచాయి ?)
उत्तर :
श्रमिक के सम्मुख भूमि और आसमान झुके हैं।
(శ్రమచేసే వాని ముందు భూమి, ఆకాశము తలవంచాయి.)
प्रश्न 4.
श्रम जल किसने दिया ?
(శ్రమ జలం స్వేదము) ఎవరు ఇచ్చారు ?
उत्तर :
सच्चा सुख पाने के लिए श्रम करना है। ऐसा समझनेवालों ने ही श्रम जल दिया हैं।
(నిజమైన సుఖము పొందుటకు శ్రమ చెయ్యాలి. అలా భావించేవారే శ్రమజలం ఇచ్చారు.)
प्रश्न 5.
मनुष्य का धन क्या है?
(మానవుని సంపద ఏమిటి ?)
उत्तर :
प्रकृति में जो भी चीज़ है, वही मनुष्य का धन है।
(ప్రకృతిలో ఏ వస్తువైతే ఉందో, అదే మానవుని సంపద. )
प्रश्न 6.
कण – कण का अधिकांरी कौन है?
(అణువణువు ఎవరికి సొంతము?)
उत्तर :
प्रकृति में छिपी संपदा पर सबका अधिकार है। जो श्रम करके सफलता पाता है, वही कण – कण अधिकारी है।
(ప్రకృతిలో దాగి ఉన్న సంపదపై అందరికి అధికారం ఉన్నది ఎవరైతే శ్రమచేసి విజయం పొందుతాడో అతడే అణువణువుకి అధికారి.)
अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया (అర్థగ్రహణ – ప్రతిస్పందనన) :
अ. प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)
प्रश्न 1.
भाग्य और कर्म में आप किसे श्रेष्ट मानते हैं? क्यों ?
(అదృష్టము మరిఁయు శ్రమలలో మీరు దేనిని గొప్పదని భావిస్తున్నారు ? ఎందుకు?
उत्तर :
भाग्य और कर्म में कर्म को ही मैं श्रेष्ठ मानता हूँ। क्योंकि कर्म करने से सफलता जरूर मिलती है। वांछित सुख व आवश्यक संपत्ति कर्म करने से ही प्राप्त होते हैं। न कि भाग्य से।
(అదృష్ట్రము (సంపద) మరియు శ్రమలో నేను గ్రమనే ఉత్తమమైనదిగా భావిస్తున్నాను. ఎందుకంటే పని చేయడం, శ్రమించడం వలనన సాఫల్యం తప్పక లభిస్తుంది. కోరుకున్న సుఖం, అవసరమైన సంపద గ్రమ చేయడం వలనే లభిస్తాయి. అద్కష్టం ఆధారంగా మాత్రం కాదు.)
प्रश्न 2.
श्रम के बल पर हम क्या क्या हासिल कर सकते हैं?
(శ్రమించటం వలన మనం ఏమేమి పొందగలము?)
उत्तर :
श्रम करना महान गुण है। श्रम करने से हम संपत्ति, यश, जीवन यापन के आवश्यक सुख-सुविधाएँ, इज्जत, प्रकृति पर विजय, आदि हासिल कर सकते हैं।
(శ్రమ చేయడం గొప్ప గుణము. శ్రమ చేయుట వలన మనము సంపద, కీర్తి, జీవనోపాధికి అవసరమైన సుఖ, సమృద్ధులు, గౌరవం, ప్రకృతిపై గెలుపు మొదలగువని పొందగలము.)
आ. पाठ पढकर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(పాఠము చదివి క్రింద ఇవ్వబడిన ప్రశ్నలకు జవాబులు వ్రాయండి.)
प्रश्न 1.
इस कविता के कवि कौन हैं? (ఈ కవిత యొక్క కవి ఎవరు?)
उत्तर :
इस कविता के कवि डॉ. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी हैं।
प्रश्न 2.
कविता का यह अंश किस काव्य से लिया गया है?
(కవితలోని ఈ భాగము ఏ కావ్యము నుండి గ్రహించబడినది ?)
उत्तर :
कविता का यह अंश “कुरुक्षेत्र” नामक काव्य से लिया गया है।
కవితలోని ఈ భాగము “కురుక్షేత్రే” అను కావ్యము నుండి గ్రహించబడినది.)
प्रश्न 3.
सबसे पहले सुख पाने का अधिकार किसे है ?
(అందరికన్నా ముందు సుఖాన్ని పొందే అధికారం ఎవరికి ఉన్నది ?)
उत्तर :
कार्यसिद्धि के लिए जो श्रम करता है, उसे ही सबसे पहले सुख पाने का अधिकार है।
(కార్యమును సిద్ధింపచేయుటకు శ్రమ చేసే వానికే అందరికంటే ముందు సుఖమును పొందే అధికారము.)
प्रश्न 4.
कण – कण का अधिकारी किन्हें कहा गया है और क्यों ?
(అణువు – అణువుకి అధికారి అని ఎవరు అన్నారు.)
उत्तर :
अपनी भुज शक्ति से, श्रम करते जो पसीना बहाता है, वही प्रकृति के कण कण का अधिकारी है।
(తన భుజశక్తితో శ్రమ చేస్తూ స్వేదాన్ని చిందించే వ్యక్తే అణువు – అణువుకి అధికారి.)
इ. निम्नलिखित भाव से संबंधित कविता की पंक्तियाँ चुनकर लिखिए।
క్రింద ఇచ్చిన భావమునకు సంబంధించిన కవిత యొక్క పంక్తులను పరి వ్రాయండి.)
प्रश्न 1.
धरती और आकाश इसके सामने नतमस्तक होते हैं।
(భూమి ఆకాశము ఇతను ముందు తలవంచుతాయి.)
उत्तर :
जिसके सम्मुख झुकी हुई,
पृथ्वी, विनीत नभ – तल है।
प्रश्न 2.
प्रकृति से पहले परिश्रम करनेवाले को सुख मिलना चाहिए।
(ప్రకృతి కంటే ముందు శ్రమంచే వాడికి సుఖం లభించాలి.)
उत्तर :
जिसने श्रम जल दिया उसे
पीछे मत रह जाने दो,
विजीत प्रकृति से पहले
उसको सुख पाने दो।
ई. नीचे दिया गया पद्यांश पढ़िए। प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(క్రింద ఇచ్చిన పద్యాంశం చదవండి. ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)
कदम – क्कम बढ़ाए जा, सफलता तु पाये जा,
ये भाग्य है तुम्हारा, तू कर्म से बनाये जा,
निगाहें रखो लक्ष्य पर, कठिन नहीं ये सक़र,
ये जन्म है तुम्हारा, तू सार्थक बनाये जा।
प्रश्न 1.
कवि के अनुसार सफलता किस प्रकार प्राप्त हो सकती है?
(కవి ప్రకారం సాఫల్యము ఏ విధముగా లభించగలదు?)
उत्तर :
कवि के अनुसार कर्म (श्रम) करते आगे – कदम बढाते रहने पर ही से सफलता प्राप्त हो सकती है। (కవి ఏకారము (శమచేస్తూ ముందడుగు వేస్తున్నప్పుడే సాఫల్యము లభించగలదు.)
प्रश्न 2.
हमारा सफ़र कब सरल बन सकता है?
(మన యాత్ర (ప్రయాణం) ఎప్పడు సులభతరం (సరియైనది) అవగలుగుతుంది ?)
उत्तर :
हमारा सफर लक्ष्य पर दृष्टि रखकर आगे बढने से सरल बन सकता है।
(మన యాత్ర (ప్రయాణం) లక్ష్యముపై దృష్టి ఉంచి ముందుకు సాగినప్పుడే తేలిక అవగలుగుతుంది.)
प्रश्न 3.
इस कविता के लिए उचित शीर्षक दीजिए। (ఈ కవితకు సరియైన శీర్షిక ఇవ్వండి.)
उत्तर :
“श्रम का महत्व” (శమ యొక్క గొప్పతనము.)
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ/ప్రస్తుతీకరణ – నిర్మాణాత్మకత) :
अ. कवि मेहनत करने वालों को सदा आगे रखने की बात क्यों कर रहे हैं?
(కవి శ్రమపడే వారని ఎప్మడూ ముందుంచమనే మాట ఎందుకు అంటున్నారు ?)
उत्तर :
मानव जीवन बहुत मूल्यवान है। श्रम करके सफलता प्राप्त करंना मानव का जन्म सिद्ध गुण है। श्रम के आगे कोई असंभव नही है। इसलिए आरंभ से ही मानव कर्मरत हो सफलता प्राप्त कर रहा है। मेहनत करनेवालों से ही सब लोगों को आवश्यकं चीजें सुविधाएँ मिल रही हैं। सृष्टि में अनेक आवश्यक और जीवनोपयोगी चीजें निक्षिप्त है। निस्वार्थ भाव से श्रम करनेवालों को ही प्रकृति वशीभूत होती है। अतः वे लोग ही महान और भाग्यवान होते है। वे ही आदर्शवान और महत्वपूर्ण हैं। ऐसे लोगों को सदा आगे रखने की बात कवि कह रहे हैं।
(మానవ జీవితం చాలా విలువైనది. శ్రమచేసి సాఫల్యం పొందటం, మానవుని జన్మసిద్ధగుణము. శ్రమ ముందు ఏదీ అసంభవము కాదు. అందువలననే ఆరంభము నుండే మానవుడు కార్యశూరుడై సాఫల్యం పొందుతున్నాడు. శ్రమచేసెడి వారి వలననే ప్రజలందరికీ అవసరమైన వస్తువులు, సౌకర్యములు లభిస్తున్నాయి. సృష్టిలోనే అనేక అవసరమైన, జీవనోపయోగ వస్తువులు దాగి ఉన్నాయి. నిస్వార్థభావముతో శ్రమచేసెడి వారికే ప్రకృతి వశము అవుతుంది. వారే గొప్పవారు, అదృష్టవంతులు. అందువలననే అటువంటి వారిని ఎల్లప్పుడూ ముందు ఉంచమని కవి అంటున్నారు. ఎందుకంటే వారే ఆదర్శవంతులు మరియు విలువైనవారు.)
आ. कवि ने मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
(కవి శ్రమ చేససి శ్రమికుల ఆధికరముం వర్ణక ఏ విధంగ చేశారు ? మీ స్వంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
आधुनिक हिन्दी के विख्यात कवियों में श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का स्थान प्रमुख हैं। दिनकर जी राष्ट्रीय कवि हैं। आपकी रचनाओं में देश भक्ति और राष्ट्रीय भावना भर कर बैठी हैं। आप श्रम का महत्व स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि श्रम और भुजबल ही मानव समाज के एकमात्र आधार हैं। श्रम के आगे पृथ्वी और ऊँचा आसमान भी विनीत हो जाते हैं। संसार में श्रम करनेवाले मज़दूर का स्थान महत्वपूर्ण है। श्रम ही जीवन की असली संपत्ति समझनेवाले मजदूरों को सुखों से कभी वंचित नहीं करना चाहिंए। पसीना बहाकर जो श्रम करते हैं, उनको ही पहले सुख पाने का अधिकार है। इसलिए पहले उनको सुख प्राप्त करने देना है, उनको कभी पीछे नहीं रहने देना है।
प्रकृति में जो भी वस्तु है, वह सारे मानवों की संपत्ति है, प्रकृति के हर कण – कण पर मानव का ही अधिकार है। ऐसी हालत में श्रम करनेवाले व्यक्ति द्वारा ही संपत्ति संचित होती है। अर्थ यह है कि श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है।
अत : श्रम करनेवाले मजदूरों को कोई अभाव नहीं रहनी है। उनको कभी पीछे नहीं छोड देना है। पायी संपत्ति पर सबसे पहले उनको ही सुख पाने का अधिकार है। इस गहन विषय का महत्व जानते हमें मजदूरों के अधिकारों को भोगने देना है। तभी मानवजाति सुख संपत्तियों से अक्षुण्ण रह सकती है।
(ఆధునిక హిందీ విఖ్యాత కవులలో రాష్రరీ సింహ్ “దిన కర్” గారికి ప్రముఖ స్థానమున్నది. దినకర్ జాతీయ కవి. వీరి రచనలలో దేశభక్తి, జాతీయభావము స్థిరపడి ఉన్నవి. వీరు శ్రమ యొక్క విలువను తెలియచెప్పుచూ, శ్రమ (శారీరక) భుజబలమే మానవ సమాజమునకు ఆధారభూతమైనవి, శ్రమ ముందు భూమి, ఉన్నతమైన ఆకాశం కూడా తల వంచుతాయి అని అంటున్నారు. ప్రపంచంలో శ్రమపడెడి శ్రామికుని స్థానము ఎంతో విలువైనది.
శ్రమయే జీవితపు అసలు సంపత్తిగా భావించెడి శ్రామికులను ఎన్నడూ సుఖముల నుండి దూరం చేయకూడదు. చెమటోడ్చి శ్రమచేసే వారికే మొదటగా సుఖాన్ని అనుభవించే అధికారము ఉన్నది. కావున వారిని సుఖాన్ని పొందనిచ్చి, వారిని ఎన్నడూ వెనుక పడనివ్వకూడదు.
ప్రకృతిలోని ప్రతి వస్తువు మానవులందరి సంపదే. ప్రకృతిలోని అణవణువుపై మానవునికే అధికారమున్నది. అట్టి స్థితిలో శ్రమచేసే శ్రామికుని వలననే సంపద ప్రోగు చేయబడుతుంది. అనగా శ్రమను మించిన విలువైన సంపద ఏదీ లేదు అని దీని అర్థము.
కనుక శ్రామికులకు ఏ లోటూ ఉండకూడదు. వారిని ఎన్నడూ వెనుకబడి ఉండనివ్వకూడదు. పొందిన/సంపాదించిన సంపదను అనుభవించెడి అధికారం మొదటగా వారికే ఉండాలి. ఈ గొప్ప సత్యాన్ని ఎరిగి మనము శ్రామికులకు అధికారములు అనుభవించగలగనివ్వాలి. అప్పుడే మానవ జాతి సుఖసంపదలతో అలరార గలుగుతుంది.)
इ. ‘श्रम का महत्व’ विषय पर निबंध लिखिए ।। (శ్రమ యొక్క గొప్పదనం గూర్చి ఒక వ్యాసం వ్రాయండి.)
उत्तर :
श्रम का महत्व
जीवन में श्रम का बड़ा महत्व है। बिना श्रम के हमारे जीवन में विकास संभव नहीं है। श्रम विकास की रीढ़ है। आज हम संसार में मनुष्यों द्वारा जो भी विकास देख रहे हैं वह मानव जाति के अथक परिश्रम का ही परिणाम है।
ख. विषयवस्तु : प्रकृति के कण-कण में श्रम करने का संदेश है। नन्हीं-सी चींटी अपने भोजन के लिए श्रम करती है। मधुमक्खियाँ शहद एकत्र करने के लिए एक फूल से दूसरे फूल पर उड़ती हैं। मनुष्य के विकास का आधार भी उसका निरंतर परिश्रम करना ही है। गगनचुंबी भवन, पुल, बाँध, सड़कें, लहलहाती फसलें, रेगिस्तानों में फैली हरियाली सब मनुष्य के श्रम का ही परिणाम हैं। परिश्रमी व्यक्ति कभी असफल नहीं होता। इसीलिए बच्चन जी ने कहा है कि कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती। ग. उपसंहार : श्रम उन्नति का आधार है। यह हमारा भाग्य – निर्माता है। अतः हमें सदैव श्रम करना चाहिए। श्रम करने वाले कभी असफल नहीं होते। सफलता उनके कदम चूमती है।
శ్రమ యొక్క గొప్పదనం
क. ప్రస్తావన : జీవితంలో శ్రమకి చాలా గొప్పదనం ఉంది. శ్రమించకుండా మన జీవితంలో అభివృద్ధి సాధ్యపడదు. శ్రమ వికాసానికి వెన్నెముక. ఈ రోజు మనం ప్రపంచంలో మానవుల ద్వారా ఎటువంటి వికాసాన్ని చూస్తూ ఉన్నామో, అది మానవ జాతి ఇంకా శ్రమ యొక్క పరిణామమే.
ख. విషయం : ప్రకృతి యొక్క ప్రతి కదిలికలోనూ శ్రమించాలనే సందేశం ఉంది. చిన్న చీమ తన ఆహారం కోసం శ్రమిస్తుంది. తేనెటీగలు తేనె సమకూర్చడం కోసం ఒక పూవు నుండి రెండవ పూవు మీద వాలతాయి. మానవ వికాసానికి ఆధారం వాని నిరంతర శ్రమ మాత్రమే. గగన్నాన్నంటే భవనాలు, వంతెనలు, ఆనకట్టలు, రోడ్లు పచ్చనిపైరు పంటలు, ఎడారులలోని పచ్చదనం అన్ని మానవ శ్రమ యొక్క పరిణామాలే. శ్రమించే వ్యక్తి ఎప్పుడూ ఓటమి పొందడు. ఇందువల్ల బచ్చన్ గారు కృషి చేసేవాళ్ళకు ఓటమి ఎప్పుడూ ఉండదు అని అన్నారు. 77. ఉపసంహరణ : ‘శ్రమ అభివృద్ధికి ఆధారం. ఇది మన భాగ్య నిర్మాత. అందువలన మనం ‘ఎల్లప్పుడూ శ్రమించాలి. శ్రమించెడి వారు ఎప్పటికీ ఓటమి పొందరు. విజయం వారి పాదాలను తాకుతుంది.)
ई. ‘नर समाज का भाग्य एक है, वह श्रम, वह भुजबल है।’ जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(“మానవ సమాజనికి శ్రమ, భుజబలమే ఆధరము ఆదృష్టము”. జవితంలో విజయానికి మార్గం శ్రమయే మీ అభిప్రాయాన్ని వ్యక్తపరచండి)
उत्तर :
‘नर समाज का भाग्य एक है, वह श्रम, वह भुजबल हैं।’ जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है। इसके संबंध में मेरा विचार इस प्रकार है श्रम और भुजबल ही मानव समाज का एक मात्र आधार तथा भाग्य है। श्रम के सामने भूमि झुक जाती है। और आकाश भी विनीत हो जाता है। श्रम से मानव असंभव को भी संभव बनाता है। जो व्यक्ति श्रम करके सफलता पाता है, वह जीवन में उन्नत स्थान पाता है। उसे कभी पीछे नहीं रहने देना है। भाग्य और कर्म में कर्म ही श्रेष्ठ है।
मेहनत ही सफलता की कुँजी है। मेहनत करने वाला व्यक्ति कभी नही हारता। वह हमेशा सफल होता है। क्योंकि कांल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला वही है। इसके कण-कण के पीछे उसीका श्रम है। इसलिए जो परिश्रम करता है वही कण-कण का अधिकारी कहलाता है।
श्रंम करना महान गुण है। श्रम करने से हम संपत्ति, यश, जीवनयापन के आवश्यक सुख – सुविधाएँ, इज्ति, प्रकृति पर विजय; आदि प्राप्त कर सकते हैं। कार्य को पूरा करने के लिए श्रम करने वाले व्यक्ति को ही सब से पहले सुख पाने का अधिकार होता है। मेहनत करने से ही वांछित सुख पा सकते हैं, लेकिन भाग्य से हम कुछ नहीं पा सकते।
(“మానవ సమాజానికి శ్రమ, భుజబలమే ఆధారము, అదృష్టము.” జీవితంలో విజయానికి మార్గం శ్రమ” దీని మీద నా అభిప్రాయం ఈ విధంగా ఉంది –
శ్రమ మరియు భుజబలమే మానవ సమాజానికి ఆధారము మురియు అదృష్టము. శ్రమ ముందు భూమి కూడా తలవంచుతుంది. ఆకాశం కూడా వినీతమవుతుంది. శ్రమ ద్వారా మనిషి అసంభవాన్ని కూడా సంభవం చేయవచ్చు. ఎవరైతే కష్టపడి శ్రమ చేసి ఫలితాన్ని పొందుతారో వారు జీవితంలో ఉన్నత స్థానాన్ని పొందుతారు. వారిని ఎప్పుడు వెనుక పడనివ్వకూడదు. అదృష్టము మరియు కర్మలలో కర్మయే గొప్పది.
పరిశ్రమే విజయానికి మెట్టు. కష్టపడి పనిచేసే వ్యక్తి ఎప్పటికీ ఓడిపోడు. ఎందుకంటే ఊహా జీవితానికి నిజరూపం ఇచ్చేవాడు శ్రమజీవే. వారి శ్రమ ఫలితం ప్రతి అణువణువులో కనిపిస్తుంది. అందుకే కష్టపడి పనిచేసే వారే పరిశ్రమకు అధికారి అని పిలువబడతాడు.
పరిశ్రమ అనేది గొప్పగుణం. పరిశ్రమవలనే మనం సంపద, కీర్తి, జీవనానికి కావలసిన సౌకర్యాలు, గౌరవం, ప్రకృతి సంపద, ప్రకృతి మీద విజయం మొదలైనవి పొందగలం. పనిని పూర్తిచేయటానికి శ్రమించే వ్యక్తికే అందరికంటే సుఖాన్ని అనుభవించే అధికారం ఉంటుంది. కష్టపడినప్పుడే కోరిన సుఖాన్ని పొందగలం. కాని అదృష్టం వలన మనం ఏమీ పొందలేము.)
भाषा की बात (భాషా విషయము) :
अ. कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
(బ్రాకెట్టులో ఇచ్చిన సంకేతము చదవండి. దాని ప్రకారము చేయండి.)
1. जन, पृथ्वी, धन (पर्याय शब्द लिखिए) (పర్యాయపదములు వ్రాయండి.)
उत्तर :
- जन (ప్రజలు) – लोग, जनता, प्रजा
- पृथ्वी (భూమి) – भूमि, अवनि, धरती
- धन (ధనం) – संपत्ति, भाग्य
2. पाप, सुख, भाग्य (विलोम शब्द लिखिए) (వ్యతిరేక పదములు వ్రాయండి.)
उत्तर :
- पाप (పాపమ) × पुण्य (పుణ్యము)
- सुख (సుఖము) × दुःख (దుఃఖము)
- भाग्य (అదృష్టము) × दुर्भाग्य (దురదృష్టము)
3. जन – जन कण कण
(पुनरुक्ति शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।) (ద్విరుక్త శబ్దములతో వాక్యప్రయోగము చేయండి.)
उत्तर :
जन – जन (ప్రతి మనిషి)
वर्षा के समय जन – जन का मन खूब फडकता है।
(వర్షపు సమయములో ప్రతి ఒక్కరి (మనిషి) మనస్సు బాగా ఆనందిస్తుంది.)
कण – कण (అణువణువు)
जो श्रम करता है वही कण – कण का अधिकारी कहलाता है।
(శమతో పనిచేసే వాడే అణువణువుకి అధికారి అని పిలువబడతాడు.)
4. मज़दूर मेहनत करता है। (बचन बदलिए।) (వచనములు మార్చండి.)
उत्तर :
मज़दूर मेहनत करते हैं।
5. मनुष्य, मज़ूर (भावबाचक संज्ञा में बदलकर लिखिए।) (భావమాచక నామవాచకములోకి మార్చివ్రాయండి.)
उत्तर :
मनुष्य (మనిషి) – मनुष्यता (మానవత్వము)
मजदूर (శ్రామికుడు) – मज़दूरी (శ్రమ)
1. यद्यपि, पर्यावरण (संधि बिच्छेद कीजिए।) (సంధి విడదీయండి.)
उत्तर :
यद्यपि = यदि + अपि
पर्यावरण = परि + आवरण
2. श्रम – जल, नभ – तल, भुजबल (समास पहचानिए।) (సమాసము గుర్తించండి.)
उत्तर :
श्रम – जल → तत्पुरुष समास
नभ – तल → द्वंद्व समास
भुजबल → तत्पुरुष समास
इ. इन्हें समझिए। सूचना के अनुसार कीजिए।
1. अभाग्य, दुर्भाग्य, सौभाग्य (उपसर्ग पहचानिए।) (ఉపసర్గను గుర్తించండి.)
उत्तर :
अभाग्य – अ
दुर्भाग्य – दुर
सौभाग्य – सौ
2. प्राकृतिक, अधिकारी, भाग्यवान (प्रत्यय पहचानिए।) (ప్రత్యయము గుర్తించండి.)
उत्तर :
प्राकृतिक – इक
अधिकारी – ई
भाग्यवान – वान
3. पुरुष श्रमिक के रूप में मेहनत करते हैं। (लिंग बदलकर बाक्य लिखिए।)
(లింగం మార్చి వాక్యాన్ని మరల వ్రాయండి.)
उत्तर :
स्त्रियाँ श्रमिक के रूप में मेहनत करती हैं।
ई. रेखांकित शब्दों का पद परिचय दीजिए।
1. एक मनुज संचित करता है, अर्थ पाप के बल से, और भोगता उसे दूसरा, भाग्यवाद के छल से। (पद परिचय दीजिए।)
(పద పరిచయము ఇవ్వండి)
उत्तर :
- एक – विशेषण, संख्यावाचक
- मनुज – व्यक्तिवाचक, संज्ञा, पुंलिंग, एकवचन, कर्ता कारक
- संचित करता है – क्रिया, एक वचन, पुंलिंग, सामान्य वर्तमान काल, अन्य पुरुष
- अर्थ – संज्ञा, पुंलिंग, एक वचन
- पाप – संज्ञा, पुंलिंग, एक वचन
- के – कारक चिहून, संबन्ध वाचक, पुंलिंग, बहुवचन
- बल – संज्ञा, पुंलिंग, एक वचन
- से – कारक चिहन, करण कारक
- और – समुच्चय बोधक
- भोगता – क्रिया, एक वचन, पुंलिंग, सामान्य वर्तमानकाल, अन्यपुरुष
- उसे – सर्वनाम, पुंलिंग (के) कारक चिहन, युक्त
- दूसरा – विशेषण संख्यावाचक
- भाग्यवाद – संज्ञा, पुंलिंग एक वचन
- के – कारक चिहन
- छल – संज्ञा, पुलिंग, एक वचन
- से – कारक चिह्न, करण कारक
परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :
विश्व श्रम दिवस (मई दिवस) के बारे में जानकारी इकडुा कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।
(ప్రపంచ శ్రమదినం (మేడే) గురించి వివరము సేకరించండి. తరగతి గదిలో దానిని సేకరించండి.)
उत्तर :
विश्व श्रम दिवस, 1 मई को होता है और इसे अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस या श्रम दिवस भी कहते हैं। सबसे प्रारंभिक मई दिवस समारोह, फूलों की रोमन देवी को त्यौहार फलोरा और जर्मनिक देशों के समारोह वालुपुर्गिस नाईट के साथ पूर्व ईसाई दौर में सामने आया। यूरोप में धर्मोतरण की प्रक्रिया के दौरान, कई मूर्तिपूजक समारोहों को त्याग दिया गया था, या ईसाईकरण कर दिया गया था। मई दिवस का एक अधिक धर्मनिरपेक्ष संस्करण यूरोप और अमेरिका में मनाया जाता रहा है।
रोमन कैथलिक परंपरा में मई को मेरी माँ के महीने के रूप में मनाया जाता है। मई दिवस उन विभिन्न श्रम समारोहों को निर्दिष्ट कर सकता है जो आठ घंटे के कार्य दिवस के संघर्ष की स्मृति में 1 मई को
आयोजित किया जाता है। इस संबंध में मई दिवस को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस कहा गया है। श्रमिकों के छुट्टी का विचार 1856 में आस्ट्रेलिया में शुरू हुआ। उस साल से सभी श्रामिकों को उस दिन छुट्टी ॥
(మే దినోత్సవం లేదా మే డే ప్రతి సంవత్సరం మే 1న జరుపుకుంటారు మరియు దీనిని అంతర్జాతీయ కార్మిక దినోత్సవం లేక కార్మిక దినోత్సవం అని కూడా అంటారు.
అన్నిటికంటే ముందు మే డే సభ, పువ్వుల రోమన్ దేవత పండుగ అయిన ఫ్లోరా మరియు జర్మనీ దేశాలలోని సభలయిన వాల్పుర్గిస్ నాయిట్లో క్రీస్తుపూర్వం మన ముందుకు వచ్చింది. యూరప్లో ధర్మాంతరణ ప్రక్రియ వలన చాలా విగ్రహ (మూర్తి) పూజలను వదిలివేశారు. లేక అందరినీ క్రైస్తవధర్మంలోనికి మార్చారు. మే డే యొక్క ధర్మ నిరపేక్ష సంస్కరణ యూరప్ మరియు అమెరికాలో జరుపబడుతుంది.’
రోమన్ క్యాథలిక్ సంప్రదాయంలో మేను మేరీమాత నెలలా జరుపుకుంటారు. మేడేను రకరకాల కార్మికుల సభలను నిర్దిష్టం చేయగలదు. ఏదైతే 8 గంటలు కార్యము చేసిన సంఘర్షణాస్కృతిలో మే 1న ఏర్పాటు చేయబడుతుంది. ఈ సందర్భంలో మేడేను అంతర్జాతీయ కార్మిక దినోత్సవం అన్నారు. కార్మికులకు సెలవు అనే ఆలోచన 1856 నుండి ఆస్ట్రేలియాలో మొదలైంది. ఆ సంవత్సరం నుండి శ్రామికులందరికీ ఆ రోజు సెలవు ఇవ్వబడుతుంది.)
उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :
(ఈ పాఠము విద్యార్థులలో సామాజిక కావ్య రచనా ప్రేరణతో పాటు సమాజపు మేలు, ఉదారత్వ భావనను వికసింపచేయును. ఇందులో శ్రమ యొక్క మహత్వమును తెలియజేయడమైనది. శ్రమయే సాఫల్యపు మూల మంత్రము (తాళం చెవి). శ్రమపడే (చేసే) వ్యక్తి ఎన్నడూ ఓడడు. అతడు సదా విజయము పొందుతాడు. ఎందుకంటే ఊహా జగత్తుకు నిజరూపం ఇచ్చేవాడు ఇతడే. ఇందువల్ల శ్రమించేవాడే అణువు – అణువుకి అధికారి.
विधा विशेष (విభాగ-విశేషణము) :
(ఈ పాఠం శైలి కవిత. కొద్ది పదాలలో అత్యధిక భావనలను తెలియుజేసే సామర్ఢ్యము దీనిలో నిక్షిప్తమై ఉంటుంది.)
कवि परिचय (కవి పరిచయము) :
డా. రామారీ సింహ్ “దిన కర్” ప్రసిద్ధిచెందిన హిందీ కవులలో ఒకరు. ఆయన క్రీ.శ. 1908లో బీహార్కు చెందిన ముంగేర్లో జన్మించారు. క్రీ.శ. 1974లో మరణించారు. వీరిని హిందీ జాతీయ కవి అని కూడా అంటారు. “ఊర్వశి” రచనకుగాను వీరిని ‘జ్ఞాన్ పీఠ్ అవార్డ్లో సన్మానించారు. రేణుకా, కురుక్షేత్ర, రశ్మిరథీ, పరశురామ్ కీ ప్రతీక్షా, రసవంతి మొదలగునవి వీరి ప్రముఖ రచనలు.
विषय प्रवेश (విషయ ప్రవేశము) :
(ప్రస్తుత పంక్తులు “కురుక్షేత్రం” అను కావ్యము నుండి తీసుకొనబడినవి. మహాభారత యుద్ధంలో జరిగిన వినాశమును చూసి యుధిష్టిరుడు చాలా దుఃఖించెను. అతను రాజ భోగాలను త్యజించి వనవాసానికి వెళ్ళాలని నిర్ణయించుకొనెను. అప్పుడు అంపశయ్య మీద ఉన్న భీష్మ పితామహుడు అతనికి రాజధర్మములను ఉపదేశించెను. కవితలోని పంక్తులు ఆయన ఉపదేశముపై ఆధారపడినవి.)
व्याकरणांश (వ్యాకరణాంశాలు)
पर्यायवाची शब्द :
- मनुज – मनुष्य, मानव, आदमी
- भाग्य – प्रारब्ध, किस्मत, नसीब, मुकद्दर, नियति, होनी
- श्रम – परिश्रम, मेहनत, आयास
- पृथ्वी – धरा, धरती, भू, भूमि, वसुधा, वसुंधरा, उर्वी, अचला, धरित्री
- धन – वित्त, अर्थ, संपत्ति, मुद्रा, लक्ष्मी, श्री, द्रव्य
- जल – वारि, नीर, तोय, सलिल, उदक, पानी, अंबु, जीवन
- जन – लोक, प्रजा, लोग
विलोम शब्द :
- पाप × पुण्य
- पीछे × आगे
- विजीत × हार
- महत्व × महत्वहीन
- सुख × दुख
- सम्मुख × विमुख
- सफल × असफल
- भाग्य × दुर्भाग्य
- एक × अनेक
- साकार × निराकार
लिंग :
- नर – नारी
- बेटा – बेटी
- अद्यापक – अद्यापिक
समास :
- भुजबल – भुजाओं का बल
- श्रम – जल – श्रम का जल
- कण – कण – प्रत्येक कण
- धर्मराज – जो राजा धर्म का पालन करता है / धर्म का पालन करने वाला राजा
- नभ – तल – नभ का तल
- नर – समाज – नर का समाज
- जन – जन – प्रत्येक जन
वचन :
- मनुज – मनुज
- कण – कण
- मज़ूर – मज़दूर
- नर – नर
संधि विच्छेद :
- पर्यावरण – परि + आवरण
- यद्यपि – यदि + अपि
प्रत्यय :
- अधिकारी – ई
- सफलता – ता
- भाग्यवाद – वाद
- काल्पनिक – इक
उपसर्ग :
- सम्मुख – सम्
- साकार – स
- प्रकृति – प्र
- विजीत – वि
शब्दार्थ-भावार्थ :
1. एक मनुज संचित करता है,
अर्थ पाप के बल से,
और भोगता उसे दूसरा
भाठयवाद के छल से।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : संसार में एक मानव पाप ओर शक्ति के आधार पर धन जमा करता है। उसी धन को दूसरा व्यक्ति भाग्य के नाम पर धोखे से भोगता है। यही संसार की रीति है।
భావార్థం : ( ప్రపంచంలో ఒక మనిషి పాపం చేసి, శక్తిని ఉపయోగించి ధనము ప్రోగు చేస్తాడు (సంపాదిస్తాడు. ) ఆ ధనాన్ని ఇంకొక వ్యక్తి యోగమనే పేరుతో మోసం చేసి అనుభవిస్తాడు. ఇదే (ప్రపంచ నియమము (రివాజు).)
2. नर – समाज का भाठय एक है,
वह श्रम, वह भुजबल है,
जिसके सम्मुख झुकी हुई –
पृथ्वी, विनीत नभ – तल है।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : श्रम और भुजबल ही मानव समाज का एकमात्र आधार तथा भाग्य है। श्रम के सामने भूमि झुक जाती है ओर आसमान भी विनीत हो जाता है। भाव है कि श्रम से मनुष्य असंभव को भी संभव बनाता है।
భావార్ధం: (శ్రమ, భుజబలమే మానవ సమాజపు ఒకే ఒక్క ఆధారము, అదృష్టము. శ్రమ యందు భూమి తలవంచుతుంది. ఆకాశం కూడా వినయంతో వంగుతుంది. (శ్రమతో మనిషి అసంభవాన్ని కూడా సంభవం చేయగలడని అర్థము.)
3. जिसने श्रम – जल दिया उसे
पीछे मत रह जाने दो,
विजीत पकृतलि से पहले
उसको सुख वाने दो।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : जिस व्यक्ति ने श्रम किया याने सफलता पाने पसीना बहा दिया है, उसे कभी पीछे नहीं रहने देना है। याने श्रम करनेवाले को सुख से वंचित नहीं करना चाहिए। जीती हुयी प्रकृति से उसे सुख पाने देना है।
భావార్థం: శ్రమ చేసి సాఫల్యము (సఫలత) పొందుటకు చెమటోడ్చిన వ్యక్కిని వన్నడూ వెనుకబడి ఉండనివ్వకూడదు. అనగా శ్రమ చేసే వానిని సుఖానికి దూరంగా ఉంచకూడదు. గెలుపొందిన ప్రకృతి నుండీ అతడు సుఖాన్ని పొందాలి.
4. जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है,
वह मनुज मात्र का धन है,
धर्मराज! उसके कण-कण का
अधिकारी जन – जन है।
शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :
भावार्थ : इस अमूल्य प्रकृति में जो भी वस्तु है, वह सब मानवों का है। इस पृथ्वी के प्रत्येक कण – कण पर हर मानव का अधिकार है। इसलिए प्रकृति की सभी चीज़ों को समान रूप से लोगों में बाँटना चाहिए।
భావార్ధం : (విలువ గల ఈ ప్రకృతిలోని (ప్రతి వస్తువు) మానవు లందరిది. ఈ భూమి మీది ప్రతి ఒక్క అణువు మీద మానవునికి అధికారము ఉన్నది. కనుక ప్రకృతిలోని అన్ని వస్తువులను సమానంగా మానవులకు పంచాలి.)